अगर काम में ही “राजनीति” दिखाई देगी तो जस्टिस चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग होगी ही। मणिपुर पर एक बयान में मोदी के लिए एलर्जी की पराकाष्ठा दिखाई दे गई, फिर पब्लिक प्रतिकार तो होगा ही।
अभी 2 दिन पहले एक दैनिक अख़बार के यूट्यूब चैनल पर उसका पत्रकार तड़प तड़प कर चीख रहा था कि CJI चंद्रचूड़ को सोशल मीडिया में ट्रोल किया जा रहा है और बता रहा था कि लोग उनके लिए कैसी कैसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। वो पत्रकार चीख रहा था कि चंद्रचूड़ ने तो जरूरत के अनुसार हमेशा सख्त कदम उठाए हैं और बंगाल में केंद्रीय बलों को भी पंचायत चुनाव में निगरानी के लिए भेजा।
उस पत्रकार को सबसे बड़ी आपत्ति थी कि किसी ने ट्विटर पर कोर्ट के लिए “सुप्रीम कोठा” लिख दिया जबकि उस पत्रकार को यह नहीं पता ऐसा कहने वाले एक नहीं सैंकड़ों है। अजीत भारती खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को “कोठा” कहता है परंतु सितंबर, 2021 में उस पर अवमानना कार्रवाई शुरू करने को AG द्वारा अनुमति देने के बाद भी उस पर सुप्रीम कोर्ट अवमानना की कार्रवाई शुरू नहीं कर रहा।
सोशल मीडिया पर आखिर चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग क्यों हो रही है, इस पर स्वयं चंद्रचूड़, उनके साथी जजों और विधिक समुदाय को सोचना होगा। केवल मणिपुर के लिए चंद्रचूड़ ने बयान देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधा निशाने पर लिया जिससे उनकी नरेंद्र मोदी के प्रति एलर्जी की पराकाष्ठा साफ़ नज़र आ रही थी क्योंकि अन्य किसी राज्य के लिए चंद्रचूड़ ने कभी स्वतः संज्ञान नहीं लिया चाहे वहां कैसी भी आग लगती रही हो और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ हो।
राजस्थान बंगाल में हमेशा चंद्रचूड़ शांत रहे। मणिपुर पर बयान देने के बाद बंगाल के पंचायत चुनाव में महिला प्रत्याशी के साथ घिनौना काम किया ममता की पार्टी के लोगों ने। लेकिन चंद्रचूड़ को “गुस्सा” केवल मणिपुर के लिए आया।
चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग का एक बड़ा कारण उनकी कश्मीरी हिन्दुओं पर हुई बर्बरता पर खामोश रहना था। जो लोग जांच की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट गए, उन्हें चंद्रचूड़ ने विज्ञापन के लिए काम करने वाले बता दिया और जांच की मांग यह कह कर ठुकरा दी कि 25 साल बाद क्या सबूत मिल सकते हैं। 5 लाख हिन्दुओं और उनकी महिलाओं की पीड़ा के लिए चंद्रचूड़ के दिल में कोई दर्द नहीं था।
आपको मणिपुर पर “गुस्सा” आए तो ठीक है लेकिन लोगों को भी तो आप और आपकी हरकतों पर “गुस्सा” आ सकता है और इसलिए ही आपकी ट्रोलिंग हुई है। आप लखनऊ में दंगा कर सरकार की संपत्ति राख करने वालों का साथ देंगे तो लोग क्या आप पर “गुस्सा” नहीं करेंगे।
“गुस्सा” तो आम जनमानस को उस दिन आया था जो “असहनीय” था जब आपकी कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित समेत 3 जजों की बेंच ने (जिसमें एक महिला भी थी) एक 4 साल की बच्ची के बलात्कारी और हत्यारे की फांसी की सजा 20 वर्ष के कारावास में बदल दी यह कह कर कि “हर पापी का एक भविष्य है”। कोई कल्पना नहीं कर सकता कि लोग इस फैसले पर कितने “गुस्से” में थे वह भी तब, जब फैसला लिखने वाली महिला जज थी।
“गुस्सा” तो चंद्रचूड़ जी उस दिन भी लोगों को बहुत आया था जब आपकी कोर्ट के 2 जजों ने नूपुर शर्मा की आबरू भरी अदालत में तार तार कर दी थी। क्या मिला उन बेशर्म निर्लज्ज जजों को ऐसा करके जो मजे से कोर्ट जाते हैं लेकिन नूपुर को घर में बिठा दिया मगर भगवान शंकर का अपमान करने वाले मौलाना को दोनों जजों ने छुआ तक नहीं।
अभी कुछ दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस नजमी वजीरी ने रिटायर होने के बाद कहा है कि सोशल मीडिया पर लोगों के बोलने से जजों को कोई फर्क नहीं पड़ता। एक बार अपने साथी जजों से पूछ कर देखिए कि क्या अंदर तक हिल नहीं जाते निंदा सुन कर।
इसलिए यदि जजों के बयानों से राजनीति छलकती दिखाई देगी तो ट्रोलिंग तो होगी और उसे जजों को सहना भी होगा।
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रात को घी लगी रोटी का एक टुकड़ा चूहेदानी में रखकर हम लोग सो जाते थे।
रात को लगभग 11-12 बजे ख़ट की आवाज़ आती तो हम समझ जाते थे कि कोई चूहा फंसा है। पर चूँकि उस ज़माने में बिजली उतनी आती नहीं थी तो हमलोग सुबह तक प्रतीक्षा करते थे। सुबह उठ कर जब हम चूहेदानी को देखते थे तो उसके कोने में हमें एक चूहा फंसा हुआ मिलता था।
हम हिन्दू चूँकि जीव हत्या से परहेज करते हैं, इसलिए हमारे बुजुर्ग उस चूहेदानी को उठाकर घर से दूर किसी नाले के पास ले जाते थे और वहां जाकर उसका गेट खोल देते थे ताकि वो चूहा वहां से निकल कर भाग जाए। मगर हमें ये देखकर बड़ा ताज्जुब होता था कि गेट खोले जाने के बाबजूद भी वो चूहा वहां से भागता नहीं था बल्कि वहीं कोने में दुबका रहता था।
तब हमारे बुजुर्ग एक लकड़ी लेकर उससे उस चूहे को धीरे से मारते थे और भाग भाग की आवाज़ लगाते थे पर तब भी वो चूहा अपनी जगह से टस से मस नहीं होता था। बार बार उसे लकड़ी से मारने और शोर करने के बाद वो चूहा निकल कर भागता था।
जब तक अक्ल कम थी हमेशा सोचता था कि गेट खुला होने के बाद भी ये चूहा भागता क्यों नहीं?
पर बाद में जब अक्ल हुई तो समझ आया कि रात के 11-12 बजे चूहेदानी में कैद हुए चूहे ने सारी रात उस कैद से बाहर निकलने की कोशिश की होगी, हर दिशा में जाकर प्रयास किया होगा पर जब उसे ये एहसास हो गया कि अब इस कैद से मुक्ति का कोई रास्ता नहीं है तो थक हार कर उसने अपने दिलो दिमाग को ये समझा दिया कि अब मेरा भविष्य इस पिंजरे के अंदर ही है, इसी कैद में मुझे जीना और मरना है। इसलिए सुबह जब चूहेदानी का गेट खोल भी दिया गया तो भी उस चूहे का माइंडसेट यही बना हुआ था कि मैं तो कैद में हूँ, मैं तो गुलाम हूँ, मैं बाहर निकल ही नहीं सकता।
इस माइंडसेट ने उसे ऐसा बना दिया था कि सामने खुला गेट और मुक्ति का रास्ता दिखते हुए भी उसे नहीं दिख रहा था।
अपना हिन्दू समाज भी ऐसा ही था। हजारों सालों की गुलामी में हमने आजादी के लिए बहुत बार प्रयास किये पर आजादी नहीं मिली तो हमारा माइंडसेट ऐसा बन गया कि हम तो गुलामी करने के लिए ही पैदा हुए हैं, हम आजाद हो ही नहीं सकते।
इसलिए मुग़ल गये तो हमने अंग्रेजों की गुलामी शुरू कर दी और जब अंग्रेज गये। यानि गेट खुला, तो भी हमें आजादी का रास्ता नज़र नहीं आया, हम एक वंश की गुलामी में लग गये।
वंश की गुलामी करते करते इतने गिर गये कि हममें गुलामी करने को लेकर भी प्रतिस्पर्धा होने लगी कि कौन सबसे बेहतर गुलामी कर सकता है।
एक खानदान की गुलामी करने में हम इतने गिरे, कि हमारे अपने नेताओं ने ही हिन्दू जाति को आतंकवाद से जोड़ दिया। यानि जिस बात को कहने की हिम्मत आज तक पाकिस्तान ने भी नहीं की, वो बात गुलाम मानसिकता से ग्रस्त, हमारे अपने लोगों ने कही।
हम चूहे वाली माइंडसेट में थे, इसलिए समुचित प्रतिकार नहीं कर सके तो उनका हौसला और बढ़ा।
फिर श्रीराम और श्रीकृष्ण को 'मिथक चरित्र' घोषित कर, वो राम सेतु जैसे हमारे आस्था केन्द्रों को तोड़ने की ओर बढ़े।
फिर हमारे भाई बांधवों का हक छीनकर मजहबी आधार पर आरक्षण की घोषणाएँ करने लगे।
फिर एक दिन ये घोषणा कर दी कि जिस देश को तुम्हारे पूर्वजों ने अपने खून से सींचा है, उसके संसाधनों पर पहला हक तुम्हारा नहीं है।
हम अब भी उस चूहे वाली माइंडसेट में थे, इसलिए फिर एक दिन उन्होंने कहा कि हम "लक्षित हिंसा बिल" लायेंगे और साबित करेंगे कि तुम बहुसंख्यक हिन्दू जुल्मी हो, दंगाई हो, देश के मासूम अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वाले हो, इसलिए तुम्हारे लिए एक सख्त सजा का प्रावधान रखा जाएगा।
इस अंतहीन काली रात के बाद अब सुबह हो गई थी, लकड़ी लेकर हमें जगाने वाला एक आदमी आ चुका था। जो हमें बता रहा था कि अब बहुत हो चुका कैद से निकलो, गेट खुला हुआ है।
उस आदमी ने पूरे देश में घूम घूम कर हमें गुलामी वाले लंबी निद्रा से जगाया, हमारे सामने खुला दरवाज़ा दिखाया। हम जागने लगे और 16 मई, 2014 को गुलामी वाले कैद से निकल गये।
जो नहीं निकल रहे है उनसे भी निवेदन हैं कि अब तो निकल जाइये। वैसे भी हम वो दरवाजा हमेशा के लिए तोड़ चुके हैं, आपको समझने की जरूरत हैं।
जय श्री राम
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🌹चतुर्मास में विशेष पठनीय - पुरुष सूक्त
🌹 जो चतुर्मास में भगवान विष्णु के आगे खड़े होकर 'पुरुष सूक्त' का जप करता है, उसकी बुद्धि बढ़ती है ।
ॐ श्री गुरुभ्यो नमः । हरिः ॐ
सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् ।
स भूमिं सर्वतः स्पृत्वाऽत्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम् ॥ १॥
🌹 जो सहस्रों सिरवाले, सहस्रों नेत्रवाले और सहस्रों चरणवाले विराट पुरुष हैं, वे सारे ब्रह्मांड को आवृत करके भी दस अंगुल शेष रहते हैं ॥ १ ॥
पुरुष एवेद सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्यम् ।
उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति ॥२॥
🌹 जो स���ष्टि बन चुकी, जो बननेवाली है, यह सब विराट पुरुष ही हैं । इस अमर जीव-जगत के भी वे ही स्वामी हैं और जो अन्न द्वारा वृद्धि प्राप्त करते हैं, उनके भी वे ही स्वामी हैं ॥२॥
एतावानस्य महिमातो ज्यायाँश्च पूरुषः ।
पादोऽस्य भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि ॥३॥
🌹 विराट पुरुष की महत्ता अति विस्तृत है । इस श्रेष्ठ पुरुष के एक चरण में सभी प्राणी हैं और तीन भाग अनंत अंतरिक्ष में स्थित हैं ॥३॥
त्रिपादूर्ध्व उदैत्पुरुषः पादोऽस्येहाभवत्पुनः ।
ततो विष्वङ् व्यक्रामत्साशनानशनेऽअभि ॥४॥
🌹 चार भागोंवाले विराट पुरुष के एक भाग में यह सारा संसार, जड़ और चेतन विविध रूपों में समाहित है । इसके तीन भाग अनंत अंतरिक्ष में समाये हुए हैं ॥४॥
ततो विराडजायत विराजोऽअधि पूरुषः ।
स जातोऽअत्यरिच्यत पश्चाद्भूमिमथो पुरः ॥५॥
🌹उस विराट पुरुष से यह ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ। उस विराट से समष्टि जीव उत्पन्न हुए । वही देहधारीरूप में सबसे श्रेष्ठ हुआ, जिसने सबसे पहले पृथ्वी को, फिर शरीरधारियों को उत्पन्न किया ॥५॥
तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतः सम्भृतं पृषदाज्यम् । पशूंस्ताँश्चक्रे वायव्यानारण्या ग्राम्याश्च ये ॥६॥
🌹 उस सर्वश्रेष्ठ विराट प्रकृति यज्ञ से दधियुक्त घृत प्राप्त हुआ (जिससे विराट पुरुष की पूजा होती है)। वायुदेव से संबंधित पशु हरिण, गौ, अश्वादि की उत्पत्ति उस विराट पुरुष के द्वारा ही हुई ॥६॥
तस्माद्यज्ञात् सर्वहुतऽऋचः सामानि जज्ञिरे ।
छन्दांसि जज्ञिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत ।।७।।
🌹 उस विराट यज्ञ-पुरुष से ऋग्वेद एवं सामवेद का प्रकटीकरण हुआ । उसीसे यजुर्वेद एवं अथर्ववेद का प्रादुर्भाव हुआ अर्थात् वेद की ऋचाओं का प्रकटीकरण हुआ ।।७।।
तस्मादश्वाऽअजायन्त ये के चोभयादतः । गावो ह जज्ञिरे तस्मात्तस्माज्जाताऽअजावयः ॥८॥
🌹 उस विराट यज्ञ-पुरुष से दोनों तरफ दाँतवाले घोड़े हुए और उसी विराट पुरुष से गौएँ, बकरियाँ और भेड़ें आदि पशु भी उत्पन्न हुए ॥८॥
तं यज्ञं बर्हिषि प्रौक्षन् पुरुषं जातमग्रतः ।
तेन देवाऽअयजन्त साध्याऽऋषयश्च ये ॥ ९॥
🌹 मंत्रद्रष्टा ऋषियों एवं योगाभ्यासियों ने सर्वप्रथम प्रकट हुए पूजनीय विराट पुरुष को यज्ञ (सृष्टि के पूर्व विद्यमान महान ब्रह्मांडरूप यज्ञ अर्थात् सृष्टि-यज्ञ) में अभिषिक्त करके उसी यज्ञरूप परम पुरुष से ही यज्ञ (आत्मयज्ञ) का प्रादुर्भाव किया ॥९॥
यत्पुरुषं व्यदधुः कतिधा व्यकल्पयन् ।
मुखं किमस्यासीत् किं बाहू किमूरू पादाऽउच्येते ॥ १०॥
🌹 संकल्प द्वारा प्रकट हुए जिस विराट पुरुष का ज्ञानीजन विविध प्रकार से वर्णन करते हैं, वे उसकी कितने प्रकार से कल्पना करते हैं ? उसका मुख क्या है ? भुजा, जाँघे और पाँव कौन-से हैं ? शरीर-संरचना में वह पुरुष किस प्रकार पूर्ण बना ? ।।१०।।
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद् बाहू राजन्यः कृतः ।
ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रोऽअजायत ।। ११।।
🌹 विराट पुरुष का मुख ब्राह्मण अर्थात् ज्ञानीजन (विवेकवान) हुए । क्षत्रिय अर्थात् पराक्रमी व्यक्ति, उसके शरीर में विद्यमान बाहुओं के समान हैं । वैश्य अर्थात् पोषणशक्ति-सम्पन्न व्यक्ति उसके जंघा एवं सेवाधर्मी व्यक्ति उसके पैर हुए ।।११।।
चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत ।
श्रोत्राद्वायुश्च प्राणश्च मुखादग्निरजायत ।।१२।।
🌹 विराट पुरुष परमात्मा के मन से चन्द्रमा, नेत्रों से सूर्य, कर्ण से वायु एवं प्राण तथा मुख 'से अग्नि का प्रकटीकरण हुआ ॥ १२॥
नाभ्याऽआसीदन्तरिक्ष शीणों द्यौः समवर्त्तत ।
पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रात्तथा लोकाँ२ऽअकल्पयन् ॥ १३॥
🌹 विराट पुरुष की नाभि से अंतरिक्ष, सिर से द्युलोक, पाँवों से भूमि तथा कानों से दिशाएँ प्रकट हुईं । इसी प्रकार (अनेकानेक) लोकों को कल्पित किया गया है (रचा गया है) ॥१३॥
यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत ।
वसन्तोऽस्यासीदाज्यं ग्रीष्मऽइध्मः शरद्धविः ॥१४॥
🌹जब देवों ने विराट पुरुष को हवि मानकर यज्ञ का शुभारम्भ किया, तब घृत वसंत ऋतु, ईंधन (समिधा) ग्रीष्म ऋतु एवं हवि शरद ऋतु हुई ॥ १४॥
सप्तास्यासन् परिधयस्त्रिः सप्त समिधः कृताः ।
देवा यद्यज्ञं तन्वानाऽअबध्नन् पुरुषं पशुम् ॥ १५॥
🌹देवों ने जिस यज्ञ का विस्तार किया, उसमें विराट पुरुष को ही पशु (हव्य) रूप की भावना से बाँधा (नियुक्त किया), उसमें यज्ञ की सात परिधियाँ (सात समुद्र) एवं इक्कीस (छंद) समिधाएँ हुई ॥१५॥
यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ॥१६॥
🌹 आदिश्रेष्ठ धर्मपरायण देवों ने यज्ञ से यज्ञरूप विराट सत्ता का यजन किया । यज्ञीय जीवन जीनेवाले धार्मिक महात्माजन पूर्वकाल के साध्य देवताओं के निवास स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं ॥१६॥
ॐ शान्तिः ! शान्तिः !! शान्तिः !!! (यजुर्वेद : ३१.१-१६)
🌹सूर्य के समतुल्य तेजसम्पन्न, अहंकाररहित वह विराट पुरुष है, जिसको जानने के बाद साधक या उपासक को मोक्ष की प्राप्ति होती है । मोक्षप्राप्ति का यही मार्ग है, इससे भिन्न और कोई मार्ग नहीं । (यजुर्वेद : ३१,१८)
📖 ऋषि प्रसाद जुलाई 20212
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🚩 रिपोर्ट में खुलासा : #अमेरिकी चर्च में 600 बच्चों का यौन शोषण - 13 Apirl 2023
🚩पश्चिम में #चर्च के अंदर लड़के-लड़कियों, पुरुष-महिलाओं के यौन-शोषण के आरोपों की बाढ़ आ गयी लगती है । हजारों मामले बाहर आ रहे हैं । मामला इतना संगीन बन गया कि #आयरलैंड की अपनी यात्रा (जिस दौरान उनके खिलाफ प्रदर्शन भी हुए) से पहले वर्तमान #पोप #फ्रांसिस ने एक खुला पत्र लिखा कि ‘शर्म और #प्रायश्चित के साथ हम स्वीकार करते हैं… कि इसके चलते कितनी सारी जिंदगियों को नुकसान पहुँचा ।’ लेकिन पोप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किस बात की ‘शर्म’ और किस बात का ‘प्रायश्चित’ और न ही बताया कि चर्च के पदाधिकारी, जिन पर आरोप लगे हैं, उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी ? जिन पर आरोप लगे हैं वे केवल #पादरी या #बिशप ही नहीं बल्कि #कार्डिनल (कैथोलिक चर्च का विशिष्ट पदाधिकारी) भी हैं । कई तो विभिन्न पोप के नजदीकी रहे हैं ।।
🚩चर्च में यौन शौषण
🚩चर्च में बच्चों के यौन शोषण का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। इसके मुताबिक अमेरिकी राज्य #मैरीलैंड के कैथोलिक चर्च में 600 से ज्यादा बच्चों का यौन शोषण किया गया। इसमें शामिल लोगों में करीब 150 पादरी थे। यौन शोषण की ये घटनाएँ 80 साल में अंजाम दिए गए हैं। 463 पन्नों की एक रिपोर्ट से ये खुलासे हुए हैं।
🚩चार साल की जाँच के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है। मैरीलैंड अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने बुधवार (5 अप्रैल 2023) को यह रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में उन कैथोलिक पादरियों की पहचान की गई है, जो 1940 के बाद से यौन शोषण में संलिप्त थे। ब्रायन फ्रॉश के अटॉर्नी जनरल रहते इस मामले की जाँच 2019 में शुरू की थी। सैकड़ों पीड़ितों और गवाहों से बातचीत तथा एक लाख पन्नों के अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
🚩यह रिपोर्ट पिछले साल नवंबर में ही तैयार हो गई थी। लेकिन अदालती अनुमति मिलने के बाद अब जारी की गई है। जिन बच्चों का शोषण हुआ उनमें ज्यादातर कमजोर परिवारों से थे और चर्च से जुड़े थे। इस दौरान इन्हें चुप रहने के लिए धमकी भी दी गई थी। यह बात भी सामने आई है कि 80 साल तक चले इस यौन शोषण को चर्च की तरफ से दशकों तक छुपाने की कोशिश भी की गई।
🚩इस रिपोर्ट को लेकर बाल्टीमोर के आर्कबिशप विलियम लोरी ने जीवित बचे पीड़ितों से माफी माँगी है। उन्होंने कहा, “कैथोलिक चर्च के इतिहास में हुई यह अब तक की सबसे दुखद घटना है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता और न ही भुलाया जा सकता है। चर्च के उच्च पदों पर बैठे लोगों द्वारा बच्चों को नुकसान पहुँचाया गया और हम पीड़ितों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने में विफल रहे। साथ ही दुर्व्यवहार करने वालों को उनके किए की सजा भी नहीं दिलवा पाए। इसका हमें खेद है।”
🚩इससे पहले अमेरिका के इलिनोइस प्रांत में करीब 700 पादरियों पर बच्चों के यौन शोषण का आरोप लगा था। इलिनोइस के अटॉर्नी जनरल ने भी अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया था कि चर्च इन मामलों से निपटने में अक्षम रहा थे। चर्च ने यौन शोषण के आरोपित पादरियों की संख्या 185 बताई थी, लेकिन अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि ऐसे पादरियों की संख्या इससे कहीं बहुत ज्यादा है।
🚩धार्मिकता के नाम पर छोटे-छोटे बच्चों के साथ बलात्कार करना, दारू पीना, मांस खाना, धर्म का पैसा शेयर बाजार में लगाना, लोगों का शोषण करना, कानून का पालन नही करना, समाज उत्थान कार्य के नाम पर भोले-भाले हिन्दुओं का धर्मांतरण करवाना और बोलते हैं कि ईसाई धर्म सबसे बड़ा धर्म है ।
🚩तथाकथित सेक्युलर और मीडिया हिन्दू धर्म के पवित्र मंदिर, आश्रमों व साधु-संतों को बदनाम करते हैं, परंतु ईसाई पादरीयों के कुकर्म पर चुप रहते हैं क्योंकि उन्हें
वेटिकन सिटी से फंडिंग होता है ।
🚩कन्नूर (कैरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी ।
🚩हिंदुस्तानी ऐसे ईसाई पादरियों और उनका बचाव करने वाली मीडिया और सेक्युलर लोगो से सावधान रहें ।
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🚩 तात्या टोपे के जीते जी कभी चैन से नहीं बैठ पाए थे अंग्रेज- 7 Apirl 2023
🚩भारत के इस महान स्वतंत्रता सेनानी का जन्म महाराष्ट्र राज्य के एक छोटे से गांव येवला में हुआ था। ये गांव नासिक के निकट पटौदा जिले में स्थित है। वहीं इनका असली नाम ‘रामचंद्र पांडुरंग येवलकर’ था और ये एक ब्राह्मण परिवार से थे,इनके पिता का नाम पाण्डुरंग त्र्यम्बक भट्ट बताया जाता है। जो कि महान राजा पेशवा बाजीराव द्वितीय के यहां पर कार्य करते थे। इतिहास के अनुसार उनके पिता बाजीराव द्वितीय के गृह-सभा के कार्यों को संभालते थे। भट्ट पेशवा बाजीराव द्वितीय के काफी खास लोगों में से एक थे। वहीं तात्या की माता का नाम रुक्मिणी बाई था और वो एक गृहणी थी।
🚩अंग्रेजों ने भारत में अपना साम्राज्य फैलाने के मकसद से उस समय के कई राजाओं से उनके राज्य छीन लिए थे। अंग्रेजों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय से भी उनका राज्य छीनने की कोशिश की। लेकिन पेशवा बाजीराव द्वितीय ने अंग्रेजों के सामने घुटने टेकने की जगह उनसे युद्ध लड़ना उचित समझा। लेकिन इस युद्ध में पेशवा की हार हुई और अंग्रेंजों ने उनसे उनका राज्य छीन लिया। इतना ही नहीं अंग्रेजों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय को उनके राज्य से निकाल दिया और उन्हें कानपुर के बिठूर गांव में भेज दिया। वहीं तात्या के पिता भी अपने पूरे परिवार सहित बाजीराव द्वितीय के साथ बिठूर में जाकर रहने लगे। जिस वक्त तात्या के पिता उनको बिठूर लेकर गए थे, उस वक्त तात्या की आयु मात्र 4 वर्ष की थी।
🚩बिठूर गांव में ही तात्या टोपे ने युद्ध करने का प्रशिक्षण ग्रहण किया था, तात्या के संबंध बाजीराव द्वितीय के गोद लिए पुत्र नाना साहब के साथ काफी अच्छे थे और इन दोनों ने एक साथ शिक्षा भी ग्रहण की थी।
🚩साल 1857 के विद्रोह में तात्या टोपे की भूमिका
🚩अंग्रेजों द्वारा हर साल पेशवा को 8 लाख रुपये पेंशन के रूप में दिए जाते थे। लेकिन जब उनकी मृत्यु हो गई तो अंग्रेजों ने उनके परिवार को ये पेंशन देना बंद कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने उनके गोद लिए पुत्र नाना साहब को उनका उत्तराधिकारी मानने से भी इंकार कर दिया। वहीं अंग्रेजों द्वारा लिए गए इस निर्णय से नाना साहब और तात्या काफी नाराज थे और यहां से ही उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनाना शुरू कर दिया। वहीं साल 1857 में जब देश में स्वतंत्रता संग्राम शुरू होने लगा तो इन दोनों ने इस संग्राम में हिस्सा लिया। नाना साहब ने तात्या टोपे को अपनी सेना की जिम्मेदारी देते हुए उनको अपनी सेना का सलाहकार मानोनित किया। वहीं अंग्रेजों ने साल 1857 में कानुपर पर हमला कर दिया और ये हमला ब्रिगेडियर जनरल हैवलॉक की अगुवाई में किया गया था। नाना ज्यादा समय तक अंग्रेजों से सामना नहीं कर पाए और उनकी हार हो गई। हालांकि इस हमले के बाद भी नाना साहब और अंग्रेजों की बीच और कई युद्ध हुए। लेकिन उन सभी युद्ध में नाना की हार ही हुई। वहीं नाना ने कुछ समय बाद कानपुर को छोड़ दिया और वो अपने परिवार के साथ नेपाल जाकर रहने लगे। कहा जाता है कि नेपाल में ही उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली थी।
🚩जिस तरह से अंग्रेजों ने नाना साहब को बाजीराव पेशवा का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया था। वैसे ही अंग्रेजों ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के गोद दिए पुत्र को भी उनकी संपत्ति का वारिस नहीं माना। वहीं अंग्रेजों के इस निर्णय से तात्या काफी गुस्से में थे और उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई की मदद करने का फैसला किया। कहा जाता है कि तात्या पहले से ही रानी लक्ष्मीबाई को जानते थे और ये दोनों मित्र थे।
🚩साल 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ हुए विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई ने भी बढ़-चढ कर हिस्सा लिया था और ब्रिटिश इस विद्रोह से जुड़े हर व्यक्ति को चुप करवाना चाहते थे । साल 1857 में सर ह्यूरोज की आगुवाई में ब्रिटिश सेना ने झांसी पर हमला कर दिया था। वहीं जब तात्या टोपे को इस बात का पता चला तो उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई की मदद करने का फैसला लिया। तात्या ने अपनी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश सेना का मुकाबला किया और लक्ष्मीबाई को अंग्रेजों के शिकंजे से बचा लिया। इस युद्ध पर विजय प्राप्त करने के बाद रानी और तात्या टोपे कालपी चले गए। जहां पर जाकर इन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिए अपने आगे की रणनीति तैयार की।
तात्या जानते थे, की अंग्रेजों को हराने के लिए उनको अपनी सेना को और मजबूत करना होगा। अंग्रेजों का सामना करने के लिए तात्या ने एक नई रणनीति बनाते हुए महाराजा जयाजी राव सिंधिया के साथ हाथ मिला लिया। जिसके बाद इन दोनों ने साथ मिलकर ग्वालियर के प्रसिद्ध किले पर अपना आधिकार कायम कर लिया। तात्या के इस कदम से अंग्रेजों को काफी धक्का लगा और उन्होंने तात्या को पकड़ने की अपनी कोशिशों को और तेज कर दिया। वहीं 18 जून, 1858 में ग्वालियर में हुए अंग्रेजों के खिलाफ एक युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई हार गई और उन्होंने अंग्रेजों से बचने के लिए खुद को आग के हवाले कर दिया।
🚩तात्या टोपे का संघर्ष
🚩अंग्रेजों ने अपने खिलाफ शुरू हुए हर विद्रोह को लगभग खत्म कर दिया था। लेकिन अंग्रेजों के हाथ तात्या टोपे अभी तक नहीं लगे थे। ब्रिटिश इंडिया तात्या को पकड़ने की काफी कोशिशें करती रही, लेकिन तात्या अपना ठिकाना समय-समय पर बदलते रहे।
🚩तात्या टोपे की मृत्यु
🚩कहा जाता है कि तात्या कभी भी अंग्रेजों के हाथ नहीं लगे थे और उन्होंने अपनी अंतिम सांस गुजरात राज्य में साल 1909 में ली थी। तात्या ने राजा मानसिंह के साथ मिलकर एक रणनीति तैयार की थी जिसके चलते अंग्रेजों ने किसी दूसरे व्यक्ति को तात्या समझकर पकड़ लिया था और उसको फांसी दे दी थी। तात्या के जिंदा होने के सबूत समय-समय पर मिलते रहे हैं और तात्या टोपे के भतीजे ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि तात्या को कभी भी फांसी नहीं दी गई थी।
🚩तात्या टोपे से जुड़ी अन्य जानकारी-
🚩तात्या टोपे ने अंग्रेजों के खिलाफ लगभग 150 युद्ध लड़े हैं, जिसके चलते अंग्रेजों को काफी नुकसान हुए था और उनके करीब 10 ,000 सैनिकों की मृत्यु इन युद्धों के दौरान हुई थी।
🚩तात्या टोपे ने कानपुर को ब्रिटिश सेना से छुड़वाने के लिए कई युद्ध किए। लेकिन उनको कामयाबी मई, 1857 में मिली और उन्होंने कानपूर पर कब्जा कर लिया। हालांकि ये जीत कुछ दिनों तक ही थी और अंग्रेजों ने वापस से कानपुर पर कब्जा कर लिया था।
🚩भारत सरकार द्वारा दिया गया सम्मान
तात्या टोपे द्वारा किए गए संघर्ष को भारत सरकार द्वारा भी याद रखा गया और उनके सम्मान में भारत सरकार ने एक डाक टिकट भी जारी किया था। इस डाक टिकट के ऊपर तात्या टोपे की फोटो बनाई गई थी। इसके अलावा मध्य प्रेदश में तात्या टोपे मेमोरियल पार्क भी बनवाया गया है। जहां पर इनकी एक मूर्ती लगाई गई है। ताकि हमारे दे�� की आने वाले पीढ़ी को इनका बलिदान याद रहे।
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🚩 सुब्रमण्यम #स्वामी का खुलासा : आशाराम बापू को किसने ने जेल भेजा है ? वे अभी तक क्यों जेल में है ? 18, मार्च 2023
🚩तत्कालीन #सरकार के समय हिंदू धर्म के बारे में बड़े बड़े कथाकार भी बोलने में हिच खिचाते थे,उस समय बापू आशारामजी हिंदू धर्म का खुलकर प्रचार करते थे,करोड़ों लोगों में हिंदू धर्म की लो जगाई लाखों लोगों की घर वापसी करवाई ,धर्मान्तरण कराने वाले #मिशनरियों की दुकानें बंद होने लगी,उस समय हवाई जहाज में यात्रा के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी की मुलाकात आशाराम बापू से हुई।
स्वामी ने कहा कि बापू आप #धर्मान्तरण के विरोध में जो कार्य कर रहे है,उससे वेटिकन सिटी आपसे नाराज है,आपको जेल भेजने का प्लान कर रही है, उस समय बापू आशारामजी बोले की मैं हिन्दू धर्म और संस्कृती की सेवा कर रहा हु, बाकी जो भगवान की मर्जी होगी, उसमे हम राजी है, बाद में आखिरकार यही हुआ, उनके ऊपर रेप के झूठे आरोप लगाकर , मिडिया ट्रायल करवाकर उनको जेल भिजवा दिया, आज वे संत 10 साल से जेल में है, 1 दिन भी रिहा नही किया गया, उस पर सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट के माध्यम से बताया कि
Asaram Bapu has suffered this bogus case because of three highly placed politicians: Two from Gujarat and one from Italy. ( तीन उच्च पदस्थ राजनेताओं के कारण आसाराम बापू को इस झूठे मामले का सामना करना पड़ा है: दो गुजरात से और एक इटली से।)
🚩इससे पहले भी ट्वीट करके बताया था की
मोदी और अमित शाह नही चाहते कि हिन्दू संत आशाराम बापू कभी बाहर आये।
🚩स्वामी ने न्याय पालिका पर सवाल उठाते हुए बताया कि आशाराम बापू का केस बोगस है, उनकी जमानत लगातार खारिज करना न्यायपालिका की 21वीं सदी की सबसे बड़ी चूक है।
🚩स्वामी पहले भी कई बार मीडिया में बता चुके है की मैंने आशाराम बापू का केस पढ़ा है, केस बोगस है, आरोप लगाने वाली लड़की कुटिया में गई ही नही है , मेडिकल रिपोर्ट में भी साफ लिखा है की लड़की को टच भी नही किया है और लड़की के कॉल डिटेल से साफ पता चलता है की जिस समय पर तथाकथित छेड़छाड़ का आरोप लगाया है उस समय तो लड़की अपने मित्र से बात कर रही थी और आशाराम बापू उस समय एक कार्यक्रम में व्यस्त थे उसके 50-60 गवाह भी है फिर भी उनको जेल में रखना अन्याय की पराकाष्ठा है।
🚩आशाराम बापू ने इन कार्यों को किया,इसलिए तो उनको जेल नही भेजा गया है ?
🚩1). लाखों धर्मांतरित ईसाईयों को पुनः हिंदू बनाया व करोड़ों हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक किया व आदिवासी इलाकों में जाकर जीवनोपयोगी सामग्री दी, जिससे धर्मान्तरण करने वालों का धंधा चौपट हो गया।
🚩2). कत्लखाने में जाती हज़ारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।
🚩3). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।
🚩4). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को लूटने से बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथिक के प्रचार-प्रसार द्वारा एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से असंख्य लोगों का स्वास्थ्य और पैसा बचाया ।
🚩5). लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों को सारस्वत्य मंत्र देकर और योग व उच्च संस्कार का प्रशिक्षण देकर ओजस्वी- तेजस्वी बनाया ।
🚩6). लंदन, पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका और बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया।
🚩7). वैलेंटाइन डे की जगह “मातृ-पितृ पूजन दिवस” का प्रारम्भ करवाया।
🚩8). क्रिसमस डे के दिन प्लास्टिक के क्रिसमस ट्री को सजाने के बजाय, तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरू करवाया।
🚩9). करोड़ों लोगों को अधर्म से धर्म की ओर मोड़ दिया ।
🚩10). नशा मुक्ति अभियान के द्वारा लाखों लोगों को व्यसन-मुक्त कराया।
🚩11). वैदिक शिक्षा पर आधारित अनेकों गुरुकुल खुलवाए ।
🚩12). मुश्किल हालातों में कांची कामकोठी पीठ के “शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी” बाबा रामदेव, मोरारी बापूजी, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य संतों का साथ दिया ।
🚩13). योग,प्राणायाम ,ध्यान, भारतीय संस्कृति की शिक्षा के लिए 19000 बाल संस्कार केंद्र खोले।
🚩ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये है जो यहाँ विस्तार से नही बता पा रहे है।
🚩हिंदू संत आशाराम बापू पर जिस तरह से षड्यंत्र हुआ है और उनके जो समाज उत्थान के सेवाकार्य को देखते हुए और उनकी उम्र को ध्यान रखते हुए जनता की मांग है कि न्यायालय ओर सरकार उनको शीघ्र रिहा करें ।
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क्या सिखाता है हिन्दू धर्म?
हिन्दू धर्म हमें औरों के मतों का मान करना सिखलाता है,सहनशील होना बतलाता है।यह किसी पर आक्रमण करने की शिक्षा नहीं देता पर साथ ही यह आदेश भी देता है कि यदि तुम्हारे धर्म पर कोई आक्रमण करे तो धर्म की रक्षा के लिए प्राण तक न्यौछावर करने में संकोच न करो...
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हिन्दुओं ! संगठित होकर अपने धर्म की रक्षा करो... हे सनातन संस्कृति के सूपतों ! अपना अहंकार सिद्ध करने के लिए किसी भी हद तक जानेवाले तमस प्रधान प्रकृति के कूटनीतिज्ञ लोगों के विरूद्ध लोहा लेने के लिए अब हम सभीको तैयार रहना पडेगा । ॐ... ॐ... ॐ...
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जैसा देश वैसा ही उस��ा रहन-सहन और वैसा ही उसका कामकाज होना चाहिए । परंतु अंग्रेजों का न करने लायक अनुकरण करने से ही हमारा पतन हुआ है । हंस कौवे की चाल चलने लगता है तो मर ही जाता है ।
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हिन्दुत्व केवल इसलिए बचा हुआ कि आप और हम जैसे लोग ढाल बन कर खड़े है वरना जयचदों की कमी कहा है।
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"मैं जहाँ से उठता है उसको खोजोगे तो पता चलेगा वहाँ दुख भी नहीं है, बीमारी भी नहीं है, तंदुरुस्ती भी नहीं है। वहाँ तो आनंदकंद चैतन्य अच्युत आत्मपद है।
जैसे प्याज की परतें हटाओ तो कुछ नहीं ऐसे ही इस मैं की पोल खोलो तो कुछ भी नहीं इस परमात्मसत्ता के सिवाय।"
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प्रेम का बाप है विश्वास और विश्वास का बाप है सच्चाई । आप जितना दूसरों के सामने अच्छा दिखने का दिखावा करोगे, उतनी ही आपकी उस “अच्छाई” की पोल खुल जायेगी । लेकिन सच्चाई से जितने तुम अच्छे दिखोगे, उतना ही तुम्हारे प्रति दूसरों में विश्वास बढ़ेगा।
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अपने जीवन में परिस्थितियों रूपी बाणों की शैय्या पर सोते हुए भी अपनी समता, ज्ञान और आत्म-वैभव को पाने की प्रेरणा देने वाला दिवस उत्तरायण पर्व है।
भीष्मजी ने इसी दिन अपनी देह को पंच महाभूतों में विलीन करने का संकल्प किया था इसलिए इसे 'भीष्म पर्व' भी कहते हैं।
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संकल्प-विकल्पों से कभी हार न मानो । गुरुमंत्र का जप इस तरह करते रहो कि तुम्हारे कान (सूक्ष्म रूप से) उसे सुनें और मन उसके अर्थ का चिंतन करे
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संयम जीवन का बल है, संयम सफल जीवन की नींव है, संयम उन्नति की पहली शर्त है।
अतः इंद्रियों का संयम, मन का संयम एवं विचारों का संयम करके जीवन को उन्नति के शिखर की ओर अग्रसर करते जाओ। हे भारत के नौजवानों ! उठो, आप जगो, औरों को जगाओ अभी भी वक्त है।
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भगवन्नाम जन्म-जन्मांतरों के रोग-शोक, पाप-ताप व दुःखों क नष्ट करता है । वह कितना पावनकारी, मंगलकारी व शांतिदायी है, उसमें कितनी शक्ति छुफी है इसका पूरा वर्णन नहीं किया जा सकता । भगवन्नाम-महिमा का पूरा वर्णन तो भगवान भी नहीं कर सकतेः रामु न सकहिं नाम गुन गाई ।
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कर्म का अकाट्य सिद्धांत राजा हो या रंक, सेठ हो या नौकर या अवतार लेकर आये भगवान – सभीको स्वीकार करना पड़ता है । अतः हमें कर्म करने में ही सावधान रहना चाहिए ।
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