संत गरीबदास जी को 10 वर्ष की आयु में फाल्गुन मास सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10:00 बजे परमेश्वर कबीर जी एक जिंदा महात्मा के वेश में मिले। उन्हें अपने अविनाशी लोक सतलोक को दिखाया जहां सर्व सुख है। तब गरीबदास जी ने बताया कि सृष्टि का रचनहार और कबीर परमेश्वर है।
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड ब्रह्मांड का, एक रती नहीं भार।