प्रबोधिनी एकादशी पर श्रद्धालुओं ने जलाए 501 दीपक जगमग हो उठा श्मशान घाट
प्रबोधिनी एकादशी पर श्रद्धालुओं ने जलाए 501 दीपक जगमग हो उठा श्मशान घाट
प्रबोधिनी एकादशी पर श्रद्धालुओं ने जलाए 501 दीपक जगमग हो उठा श्मशान घाट
बासगाँव गोरखपुर।बांसगांव नगर पंचायत के आमी नदी धोबहा घाट पर स्थित श्मशान घाट पर प्रबोधिनी एकादशी पर्व पर श्रद्धालुओं ने विधि विधान 501 दीप जलाकर नदी की किया पूजन अर्चन और जगमग हो उठा श्मशान घाट। पर्व पर अधिक संख्या में ग्रामीणों ने थाली में दीपक लिए घाट पर पहुंचे और सजाकर दीप प्रज्वलित किए।
प्रज्वलित दीपक एक अलौकिक छटा बिखेर…
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Dev Diwali - Kartik Purnima 2023: देव दिवाली पर शिव योग का होगा निर्माण इसका शिव से है गहरा संबंध होगा हर समस्या का समाधान
Dev Deepawali 2023: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है. ये दिवाली देवताओं को समर्पित है, इसका शिव जी से गहरा संबंध है. इस दिन धरती पर आते हैं देवतागण कार्तिक पूर्णिमा का दिन कार्तिक माह का आखिरी दिन होता है. इसी दिन देशभर में देव देवाली भी मनाई जाती है लेकिन इस बार पंचांग के भेद के कारण देव दिवाली 26 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी और कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, स्नान 27 नवंबर 2023 को है. देव दिवाली यानी देवता की दीपावली. इस दिन सुबह गंगा स्नान और शाम को घाट पर दीपदान किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर 'शिव' योग का हो रहा है निर्माण, हर समस्या का होगा समाधान |
देव दिवाली तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 26 नवंबर 2023 - 03:53
पूर्णिमा तिथि समापन - 27 नवंबर, 2023 - 02:45
देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक
पूजन अवधि - 02 घण्टे 39 मिनट्स
शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ शंकराय नमः
ॐ महादेवाय नमः
ॐ महेश्वराय नमः
ॐ श्री रुद्राय नमः
ॐ नील कंठाय नमः
देव दिवाली का महत्व
देव दिवाली का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। इस पर्व को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था। शिव जी की जीत का जश्न मनाने के लिए सभी देवी-देवता तीर्थ स्थल वाराणसी पहुंचे थे, जहां उन्होंने लाखों मिट्टी के दीपक जलाएं, इसलिए इस त्योहार को रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है।
इस शुभ दिन पर, गंगा घाटों पर उत्सव मनाया जाता है और बड़ी संख्या में तीर्थयात्री देव दिवाली मनाने के लिए इस स्थान पर आते हैं और एक दीया जलाकर गंगा नदी में छोड़ देते हैं। इस दिन प्रदोष काल में देव दीपावली मनाई जाती है. इस दिन वाराणसी में गंगा नदी के घाट और मंदिर दीयों की रोशनी से जगमग होते हैं. काशी में देव दिवाली की रौनक खास होती है.
Dev diwali Katha : देव दिवाली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्म देव ने उन्हें यह वरदान देने से इनकार कर दिया.
ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर को वरदान दिया कि जब निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में में होगी और असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से मारना चाहे, तब ही उनकी मृत्यु होगी. इसके बाद त्रिपुरासुर का आतंक बढ़ गया. इसके बाद स्वंय शंभू ने त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया.
काशी से देव दिवाली का संबंध एवं त्रिपुरासुर का वध:
शास्त्रों के अनुसार, एक त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने आतंक मचा रखा था, जिससे ऋषि-मुनियों के साथ देवता भी काफी परेशान हो गए थे। ऐसे में सभी देवतागण भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा। पृथ्वी को ही भगवान ने रथ बनाया, सूर्य-चंद्रमा पहिए बन गए, सृष्टा सारथी बने, भगवान विष्णु बाण, वासुकी धनुष की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने. फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण चढ़ा लिया त्रिपुरासुर पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का वध कर दिया था और फिर सभी देवी-देवता खुशी होकर काशी पहुंचे थे। तभी से शिव को त्रिपुरारी भी कहा जाता है. जहां जाकर उन्होंने दीप प्रज्वलित करके खुशी मनाई थी। इसकी प्रसन्नता में सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे. फिर गंगा स्नान के बाद दीप दान कर खुशियां मनाई. इसी दिन से पृथ्वी पर देव दिवाली मनाई जाती है.
पूजन विधि
देव दीपावली की शाम को प्रदोष काल में 5, 11, 21, 51 या फिर 108 दीपकों में घी या फिर सरसों के भर दें। इसके बाद नदी के घाट में जाकर देवी-देवताओं का स्मरण करें। फिर दीपक में सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, फूल, मिठाई आदि चढ़ाने के बाद दीपक जला दें। इसके बाद आप चाहे, तो नदी में भी प्रवाहित कर सकते हैं।
देव दीपावली के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। हो सके,तो गंगा स्नान करें। अगर आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। ऐसा करने से गंगा स्नान करने के बराबर फलों की प्राप्ति होगी। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, अक्षत, लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। फिर भगवान शिव के साथ अन्य देवी देवता पूजा करें। भगवान शिव को फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, आक का फूल, बेलपत्र चढ़ाने के साथ भोग लाएं। अंत में घी का दीपक और धूर जलाकर चालीसा, स्तुत, मंत्र का पाठ करके विधिवत आरती कर लें।
महाशिवरात्रि की ढेर सारी शुभकामनाएं ।।
काशी नगरी शिव जी का धाम
देश विदेश से आते दर्शन करने
शिव भक्त तमाम
शिव जी सृष्टि के पालक हैं
शिव जी हैं देव महान
गले में सांपों की माला
जटा से गंगा की अविरल धारा
चंद्र सुशोभित जटा में ऐसे मणि भाल में
जगमग जैसे
डमरू त्रिशूल हाथों में सोहे
नीलकंठ की छवि मोहे
ऐसे हैं मेरे इष्ट महान ।।
सुरति हंस कहँ आगे लीन्हा। नृत करत चले हंस प्रवीणा॥
सुरति हंस अत्रानि अघाने। पुरुष सकल देखत हरषाने॥
सिंघासन छवि देखत मनमोहा। अद्भुत अमित कलातन सोहा॥
पुरुष राम एक कला अनन्ता। वरणत कोउ न पावे अन्ता।।
एक रोम रवि शशि कोटीशा। नख कोटिन्ह विधुमलिनरवीशा।।
पुर���ष प्रकाश सतलोक अँजोरा। तहां न पहुँच निरञ्जन चोरा।।
पुरुष कबीर देखा एक भाई। धर्मदास पुनि रहे लजाई॥
पुरुष दरश करि आयेउ तहँवा। प्रथम कबीर बैठे रहे जहँवा।।
इहां कबीर बेठे पुनि देखा। कला पुरुष तन अचरज पेखा।।
का अजगुत कीन्हेऊँ भाई । उहाँ मोहिं प्रतीति न आई॥
भावार्थ :- यह फोटोकॉपी कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ के पृष्ठ 58 की है। सत्यलोक में जहाँ तक दृष्टि गई, धर्मदास जी ने देखा कि प्रकाश झलक रहा था। परमेश्वर (सत्य पुरूष) के दरबार के द्वार पर एक द्वारपाल (सन्तरी) खड़ा था। उसको जिन्दा रूप
में नीचे से गए प्रभु ने कहा कि यह भक्त परमेश्वर जी के दर्शन करने मृतलोक से आया है, इसको प्रभु के दर्शन कराओ। जिन्दा वेशधारी परमेश्वर बाहर ही बैठ गए थे। द्वारपाल
ने एक अन्य हंस (सत्यलोक में भक्त को हंस तथा भक्तमती को हंसनी कहते हैं) से कहा कि आप इस भक्त को सत्यपुरूष के दर्शन कराओ। जब वह हंस धर्मदास जी को दर्शन के लिए लेकर चला तो बहुत सारे हंस आ गए और धर्मदास जी का स्वागत करते हुए नाचते हुए आगे-आगे चले। उनका शरीर विशाल था, गले में रत्नों की माला थी। उनके नाक, मुख, गर्दन की शोभा अनोखी थी। सोलह सूर्यों जितना शरीर का प्रकाश था। उनके रोम (शरीर के बाल) की चमक रत्न (हीरे) जितनी थी। उनका शरीर अमर (अविनाशी) है। सब मिलकर पुरूष दरबार में गए। सत्यपुरूष जी सिंहासन पर बैठे थे। उनके एक रोम का प्रकाश करोड़ चन्द्रमाओं तथा सूर्यों जितना था। धर्मदास जी ने देखा कि ये तो वही चेहरा है जो नीचे जिन्दा बाबा के वेश में मिले थे तथा मुझे यहाँ लेकर आए हैं। धर्मदास जी बहुत लज्जित हुए और विचार करने लगे कि नीचे मुझे विश्वास नहीं हुआ कि यह जिन्दा ही परमेश्वर हैं। दर्शन करवाकर धर्मदास जी को वहीं लाया गया जहाँ जिन्दा रूप में प्रभु दरबार के बाहर बैठे छोड़कर अन्दर गया था।
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संजय ड्राइव रोड पर झील किनारे लगने लगे आकर्षक लैंप
सागर | नगर निगम द्वारा शहर की लाखा बंजारा झील किनारे सौंदर्यीकरण के तहत एलईडी लैंप लगाए जा रहे हैं। इससे अब झील की शाम दूधिया रोशनी से जगमग हो जाएगी। महापौर अभय दरे ने बताया कि झील की सफाई और नाला ट्रैपिंग का काम भी जल्द शुरू होगा।
Jamshedpur ram mandir : 501 दीपों से जगमग हुआ बागबेड़ा कॉलोनी, जय श्री राम के लगे नारे
जमशेदपुर : राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य पर जमशेदपुर के बागबेड़ा कॉलोनी रोड नं 6 में जयकारा संघ की ओर से 501 दीपों से ‘जय श्री राम’ लिखा गया. जिसमें सारे मोहल्लेवासियों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया. जिसमें मुख्य रूप से महिलाएं शामिल हुईं. कार्यक्रम में मनोज मिश्रा, गोपाल झा, संजय श्रीवास्तव, डीके चौधरी, भगवान राय, संजीव ठाकुर, बिरेन्द्र सिंह, प्रेम शंकर सिंह, अनु प्रसाद, टुक्कु व अन्य की…
🪔हजारों दीपक की रोशनी से जगमगाया लिखा गया श्री राम का नाम।
🔸 जुन्नारदेव/गुढ़ीअम्बाड़ा –—
प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर देश प्रदेश सहित क्षेत्र के सभी मंदिरो मे रोशनी की गई इसी पावन अवसर पर क्षेत्र का प्रसिद्ध मां हिंगलाज शक्तिपीठ भी हजारो दीपक कि लौ से जगमगा रहा है एवं हजारों दीपक की जगमग रोशनी मे जय श्री राम लिखा हुआ आकर्षक नजर आ रहा है।
जुन्नारदेव से संवाददाता शुभम शर्मा…
देवउठनी एकादशी के मौके पर 11सौ दीपों से जगमग हुआ बरी नदी कुशमी
भुईमाड़। यूं तो शहरों में दीपावली का बड़ा महत्व होता है लेकिन अगर बात करें गांव की तो गांव में दीपावली की ही तरह देवउठनी एकादशी को महत्व दिया जाता है,उसी क्रम में सीधी जिले के आदिवासी विकासखंड कुशमी के बरी नदी में 11 सौ दीपों को प्रज्वलन कर देवउठनी एकादशी मनाया गया, जिसमें क्षेत्रवासी उपस्थित रहे, आपको बता दे की यह वही बरी नदी है जिसमें सभी के सहयोग से समाजसेवी शंभु गुप्ता जी के नेतृत्व मे विशाल…