Tumgik
#दामाखेड़ा
jyotis-things · 6 days
Text
( #Muktibodh_part250 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part251
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 481-482
◆अनुराग सागर पृष्ठ 144 का सारांश :-
परमेश्वर कबीर जी ने धर्मदास जी को बार-बार वही बातें दोहराई हैं जो पूर्व के पृष्ठ पर कही हैं।
अनुराग सागर के पृष्ठ 145 का सारांश :-
‘‘धर्मदास वचन‘‘
सुनत वचन धर्मदास सकाने। मनहीं माहिं बहुत पछताने।
धाइ गिरे सतगुरू के पाई। हौं अचेत प्रभु होहु सहाई।।
चूक हमारी वकसहु स्वामी। विनती मानहु अन्तरयामी।।
हम अज्ञान शब्द तुम टारा। विनय कीन्ह हम बारंबारा।।
अब मैं चरण तुम्हारे गहऊँ। जो संतनिकी विनती करऊँ।।
पिता जानि बालक हठ लावे। गुण औगुण चित ताहि न आवे।।
पतित उधारण नाम तुम्हारा। औगुण मोर न करहु विचारा।।
भावार्थ :- परमेश्वर कबीर जी के वचन सुनकर धर्मदास जी बहुत लज्जित हुए और परमेश्वर कबीर जी के चरणों में गिरकर विलाप करने लगे कि हे स्वामी जी! मैं तो अचेत यानि मंद बुद्धि हूँ। मेरी गलती क्षमा करो। हे अंतर्यामी! मेरी विनती स्वीकार करो। मैं अज्ञानी हूँ। मैंने आपके वचन की अवहेलना की है। मैंने ऐसे गलती की है जैसे बालक अपने पिता से हठ कर लेता है, पिता बालक की गलती पर ध्यान नहीं देता, उसके अवगुण क्षमा कर देता है। आपका नाम तो पतित उद्धारण है। आप पापियों का उद्धार करने वाले हो,
मेरे अवगुणों पर ध्यान न दो। बालक जानकर क्षमा कर दो।
‘‘कबीर परमेश्वर वचन‘‘
परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि हे धर्मदास! आप सतपुरूष अंश हैं। आप नारायण दास का मोह त्याग दो। तुम में और मेरे में कोई भेद नहीं है क्योंकि आप मेरे नाद पुत्र (शिष्य रूपी पुत्र) हो। आप तो जगत में यथार्थ पंथ चलाने के लिए आए हो। जीवों का उद्धार करने के लिए भेजा है। परमेश्वर कबीर जी ने इस प्रकार धर्मदास को उत्साहित किया।
‘‘धर्मदास वचन‘‘
हे प्रभु तुम सुख सागर दाता। मुझ किंकर को करयो सनाथा।।
जबलग हम तुमों नहीं चीन्हा। तब लग मति कालहर लीन्हा।।
जबते तुम आपन कर जाना। तबते मोहिं भयो दृढ ज्ञाना।।
अब नहिं दुनिया मोहि सुहायी। निश्चय गहीं चरण तुव धाई।।
तुम तजि मोहि आनकी आसा। तो मुहिं होय नरक महँ वासा।।
भावार्थ :- धर्मदास जी ने कहा कि हे परमेश्वर! आप तो सुख सागर दाता हैं। मुझ किंकर (दास) को शरण में लेकर सनाथ कर दिया। जब तक मैंने आप जी को नहीं जाना था, तब तक तो मेरी बुद्धि काल ने छीन रखी थी। जब से आपने मेरे को शरण दी है यानि अपना मान लिया है, उसी दिन से मुझे आपके चरणों में दृढ़ निश्चय है। अब मुझे यह संसार अच्छा नहीं लग रहा है। यदि मैं आपको त्यागकर किसी अन्य में श्रद्धा करूं तो मेरा नरक में निवास हो।
‘‘कबीर वचन‘‘
भावार्थ :- कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी से कहा कि तेरा धन्य भाग है कि तूने मेरे को पहचान लिया और मेरी बात मानकर पुत्र मोह त्याग दिया।
अनुराग सागर के पृष्ठ 146 का सारांश :-
इस पृष्ठ में ऊपर की वाणी बनावटी हैं। यह धर्मदास जी की संतान चूड़ामणी जी वाली दामाखेड़ा गद्दी वाले महंतों की कलाकारी है। इसमें कोशिश की है यह दर्शाने की कि नारायण दास वाली संतान तो बिन्द वाली है और चूड़ामणी वाली संतान नाद वाली है ताकि
हमारी महिमा बनी रहे कि हमारे से दीक्षा लेकर ही जगत के जीवों का कल्याण होगा। याद रखें कि नारायण दास ने तो कबीर जी की दीक्षा ली ही नहीं थी। वह तो विष्णु उर्फ कृष्ण
पुजारी था। उसके पंथ का कबीर पंथ से कोई लेना-देना नहीं है।
प्रिय पाठको! कबीर जी कहते हैं कि :-
चोर चुरावै तुम्बड़ी, गाड़ै पानी मांही। वो गाड़ै वा ऊपर आवै, सच्चाई छानी नांही।।
अनुराग सागर के पृष्ठ 140 पर परमेश्वर जी ने स्पष्ट कर रखा है कि मेरा शिष्य (नाद) तथा तेरे बिन्द से उत्पन्न पुत्र चूड़ामणी जो पंथ चलाएगा और जीवों की मुक्ति कराएगा। इस चूड़ामणी को मैंने दीक्षा दी है तथा गुरू पद दिया है। यह मेरा नाद पुत्र है।
आगे इसकी बिन्दी (संतान) धारा चलेगी। वे इस गुरू गद्दी पर विराजमान होंगे। वे अज्ञानी होंगे। छठी पीढ़ी वाले महंत को काल के बारह पंथों में पाँचवां पंथ टकसारी पंथ होगा। वह भ्रमित करेगा। जिस कारण से मेरे द्वारा बताए यथार्थ भक्ति विधि तथा यथार्थ मंत्र त्यागकर टकसारी पंथ वाले मंत्रा तथा आरती-चौंका दीक्षा रूप में देने लगेगा। तुम्हारा वंश यानि चूड़ामणी वाली संतान दुर्मति को प्राप्त होगी। वे बटपारे (ठग) बहुत जीवों को चौरासी लाख
के चक्र में डालेंगे, नरक में ले जाएंगे। जो मेरा नाद परंपरा का अंश आएगा, उसके साथ झगड़ा करेंगे।
प्रत्यक्ष प्रमाण :- प्रिय पाठको! सन् 2012 में मेरे कुछ अनुयाईयों द्वारा मेरे विचारों की लिखी एक पुस्तक ‘‘यथार्थ कबीर पंथ परिचय‘‘ का प्रचार करते-करते दामाखेड़ा (छत्तीसगढ़)
में चले गए। उस दिन दामाखेड़ा महंत गद्दी वालों का सत्संग चल रहा था। उस दिन समापन था। मेरे शिष्य सत्संग से जा रहे भक्तों को वह पुस्तक बाँटने लगे। उस आश्रम के किसी सेवक ने वह पुस्तक पहले ले रखी थी। वह पहले ही इस ताक में था कि रामपाल
के शिष्य कहीं मिलें तो उनकी पिटाई करें। उस दिन दामाखेड़ा में ही उसने मेरे शिष्यों को सेवा करते देखा तो महंत श्री प्रकाश मुनि नाम साहेब जो चौदहवां गुरू गद्दी वाला बिन्दी परंपरा वाला महंत है, को बताया कि जो ‘‘यथार्थ कबीर पंथ परिचय‘‘ पुस्तक मैंने आपको दी थी, आज फिर उसी पुस्तक को रामपाल के शिष्य हमारी संगत में बाँट रहे हैं।
यह सुनकर महंत प्रकाश मुनि आग-बबूला हो गया और आदेश दिया कि उनको पकड़कर लाओ। उसी समय पुस्तक बाँट रहे मेरे अनुयाईयों में से पाँच को गाड़ी में जबरदस्ती डालकर ले गए। अन्य शिष्य पता चलने पर भाग निकले। जिन सेवकों को
दामाखेड़ा वाले पकड़कर ले गए थे, उनको बेरहमी से मारा-पीटा, उनसे कहा कि कहो, फिर नहीं बाँटेंगे। उन्होंने कहा कि इसमें गलत क्या है? यह तो बताओ। उन सब मेरे शिष्यों को
पीट-पीटकर अचेत कर दिया। फिर मुकदमा दर्ज करा दिया कि शांति भंग कर रहे थे। तीन दिन में जमानत हुई। ऐसे हैं ये धर्मदास जी की बिन्द परंपरा चुड़ामणी वाली दामाखेड़ा गद्दी
के महंत जिनके विषय में परमेश्वर कबीर जी ने कहा हैः-
कबीर नाद अंश मम सत ज्ञान दृढ़ाही। ताके संग सभी राड़ बढ़ाई।।
अस सन्त महन्तन की करणी। धर्मदास मैं तो से बरणी।।
यही प्रमाण अनुराग सागर के पृष्ठ 140 पर है:-
(आप हंस अधिक होय ताही। नाद पुत्र से झगर कराहीं।। आपा हंस यह गलत है। यहाँ पर "आप अहम" है जिसका अर्थ है अपने आप में अहंकार।)
होवै दुरमत वंश तुम्हारा। नाद वंश रोके बटपार���।।
(अब आगे अगले भाग में)
क्रमशः_____
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
0 notes
8744018908 · 11 days
Text
( #Muktibodh_part246 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part247
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 473-474
◆ अनुराग सागर के पृष्ठ 126 का सारांश :-
‘‘धर्मदास जी को सार शब्द देने का प्रमाण‘‘
‘‘कबीर वचन‘‘
तब आयसु साहब अस भाखे। सुरति निरति करि आज्ञा राखे।।
पारस नाम धर्मनि लिखि देहू। जाते अंश जन्म सो लेहू।।
लखहु सैन मैं देऊँ लखाई। धर्मदास सुनियो चितलाई।।
लिखो पान पुरूष सहिदाना। आमिन देहु पान परवाना।।
भावार्थ :- परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि हे धर्मदास! अब आपका दृढ़ निश्चय हो गया है। तूने अपने पुत्र को भी त्याग दिया है। अब मैं तेरे को पारस पान (सारनाम की दीक्षा) देता हूँ। आमिनी देवी को भी सारनाम देता हूँ।
‘‘धर्मदास वचन‘‘
भावार्थ :- वाणियों को पढ़ने से ही पता चलता है कि इनमें कृत्रिम वाणी है, लिखा है कि :-
रति सुरति सो गरभ जो भयऊ। चूरामनी दास वास तहं लयऊ।।
इस वाणी से यह सिद्ध करना चाहा है कि सुरति से रति (sex) करने से चूड़ामणी का जन्म हुआ।
इस प्रकार कबीर सागर में अपनी बुद्धि के अनुसार यथार्थ वर्णन कई स्थानों पर नष्ट कर रखा है। इसके लिए जो मैंने (रामपाल दास ने) लिखा है, वही यथार्थ जानें कि परमेश्वर की शक्ति से धर्मदास तथा आमिनी के संयोग से पुत्रा चूड़ामणी का जन्म हुआ। कई कबीर पंथी जो दामाखेड़ा गद्दी वालों के मुरीद (शिष्य) हैं, वे कहते हैं कि चूड़ामणी के शरीर की छाया नहीं थी। जिस कारण से कहा जाता है कि उनका जन्म सुरति से हुआ है। यहाँ याद रखें कि श्री ब्रह्मा, महेश, विष्णु जी के शरीर की छाया नहीं होती। उनका जन्म भी दुर्गा देवी
(अष्टांगी) तथा ज्योति निरंजन के भोग-विलास (sex) करने से हुआ। कबीर सागर के अध्याय ज्ञान बोध के पृष्ठ 21-22 पर वाणी है :-
धर्मराय कीन्हें भोग विलासा। माया को रही तब आश।।
तीन पुत्र अष्टांगी जाये। ब्रह्मा, विष्णु, शिव नाम धराये।।
इसलिए यह कहना कि चूड़ामणी जी के शरीर की छाया नहीं थी। इसलिए यह लिख दिया कि सुरति से रति (sex) किया गया था, अज्ञानता का प्रमाण है। कबीर सागर के अनुराग सागर के पृष्ठ 126 का सारांश किया जा रहा है। स्पष्टीकरण दिया है कि वाणी में मिलावट करके भ्रम उत्पन्न किया है। मेरी (रामपाल दास की) सेवा इसलिए परमेश्वर जी ने लगाई है कि सब अज्ञान अंधकार समाप्त करूं। कबीर बानी अध्याय में कबीर सागर के
पृष्ठ 134 पर भी परमेश्वर कबीर जी ने स्पष्ट किया है कि तेरहवें अंश मिटै सकल अंधियारा। अब आध्यात्मिक ज्ञान को पूर्ण रूप से स्पष्ट करके प्रमाणित करके आपके रूबरू
कर रहा हूँ।
◆ अनुराग सागर के पृष्ठ 127-128 का सारांश :-
इन दोनों पृष्ठों पर वृतान्त यह है कि परमेश्वर कबीर जी ने चूड़ामणी जी को दीक्षा दी तथा गुरू पद दिया। कहा कि हे धर्मदास! तेरे बयालीस वंश का आशीर्वाद दे दिया है और तेरे वंश मेरे वचन अंश चूड़ामणी को कडि़हार (तारणहार) का आशीर्वाद दे दिया है।
तेरे वंश से दीक्षा लेकर जो मर्यादा में रहकर भक्ति करेगा, उसका कल्याण हो जाएगा। परंतु सार शब्द इस दीक्षा से भिन्न है। मैंने 14 कोटि ज्ञान कह दिया है, परंतु सार शब्द इनसे भिन्न है। अन्य नाम तो तारे जानो। सार शब्द को सूर्य जानो।
◆ अनुराग सागर के पृष्ठ 129 का सारांश :-
‘‘धर्मदास वचन‘‘
धर्मदास विनती अनुसारी। हे प्रभु मैं तुम्हरी बलिहारी।।
जीवन काज वंश जग आवा। सो साहिब सब मोहि सुनावा।।
वचन वंश चीन्हे जो ज्ञानी। ता कह नहीं रोके दुर्ग दानी।।
पुरूष रूप हम वंशहि जाना। दूजा भाव न हृदये आना।।
नौतम अंश परगट जग आये। सो मैं देखा ठोक बजाये।।
तबहूँ मोहि संशय एक आवे। करहु कृपा जाते मिट जावे।।
हमकहँ समरथ दीन पठायी। आये जग तब काल फसायी।।
तुम तो कहो मोहि सुकृत अंशा। तबहूँ काल कराल मुहिडंसा।।
ऐसहिं जो वंशन कहँ होई। जगत जीव सब जाय बिगोई।।
ताते करहु कृपा दुखभंजन। वंशन छले नहिं काल निरंजन।।
और कछू मैं जानौं नाहीं। मोरलाज प्रभु तुम कहँ आही।।
भावार्थ :- धर्मदास जी ने शंका की और समाधान चाहा कि हे परमेश्वर जी! आपने मेरे वंश (बिन्द वालों) को कडिहार (नाद दीक्षा देकर मोक्ष करने वाला) बना दिया। मुझे एक शंका है कि जैसे आपने मुझे कहा है कि तुम सुकृत अंश हो, संसार में जीवों के उद्धार के लिए भेजा है। आगे मेरे को काल ने फंसा लिया। आप मुझे सुकृत अंश कहते हो तो भी मेरे को काल कराल ने डस लिया यानि अपना रंग चढ़ा दिया। मैं (धर्मदास) काल के पुत्र श्री विष्णु पर पूर्ण कुर्बान था। आपने राह दिखाया और मुझे बचाया। कहीं काल मेरे वंश वालों के साथ भी छल कर दे तो संसार के जीव कैसे पार होंगे? वे सब नष्ट हो जाएंगे। इसलिए
हे दुःख भंजन! ऐसी दया करो कि मेरे वंश वालों को काल निरंजन न ठगे। मैं और अधिक कुछ नहीं जानता, मेरी लाज आपके हाथ में है।
क्रमशः_____
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी मह��राज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Tumblr media
0 notes
kisturram · 11 days
Text
Tumblr media
( #Muktibodh_part246 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part247
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 473-474
◆ अनुराग सागर के पृष्ठ 126 का सारांश :-
‘‘धर्मदास जी को सार शब्द देने का प्रमाण‘‘
‘‘कबीर वचन‘‘
तब आयसु साहब अस भाखे। सुरति निरति करि आज्ञा राखे।।
पारस नाम धर्मनि लिखि देहू। जाते अंश जन्म सो लेहू।।
लखहु सैन मैं देऊँ लखाई। धर्मदास सुनियो चितलाई।।
लिखो पान पुरूष सहिदाना। आमिन देहु पान परवाना।।
भावार्थ :- परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि हे धर्मदास! अब आपका दृढ़ निश्चय हो गया है। तूने अपने पुत्र को भी त्याग दिया है। अब मैं तेरे को पारस पान (सारनाम की दीक्षा) देता हूँ। आमिनी देवी को भी सारनाम देता हूँ।
‘‘धर्मदास वचन‘‘
भावार्थ :- वाणियों को पढ़ने से ही पता चलता है कि इनमें कृत्रिम वाणी है, लिखा है कि :-
रति सुरति सो गरभ जो भयऊ। चूरामनी दास वास तहं लयऊ।।
इस वाणी से यह सिद्ध करना चाहा है कि सुरति से रति (sex) करने से चूड़ामणी का जन्म हुआ।
इस प्रकार कबीर सागर में अपनी बुद्धि के अनुसार यथार्थ वर्णन कई स्थानों पर नष्ट कर रखा है। इसके लिए जो मैंने (रामपाल दास ने) लिखा है, वही यथार्थ जानें कि परमेश्वर की शक्ति से धर्मदास तथा आमिनी के संयोग से पुत्रा चूड़ामणी का जन्म हुआ। कई कबीर पंथी जो दामाखेड़ा गद्दी वालों के मुरीद (शिष्य) हैं, वे कहते हैं कि चूड़ामणी के शरीर की छाया नहीं थी। जिस कारण से कहा जाता है कि उनका जन्म सुरति से हुआ है। यहाँ याद रखें कि श्री ब्रह्मा, महेश, विष्णु जी के शरीर की छाया नहीं होती। उनका जन्म भी दुर्गा देवी
(अष्टांगी) तथा ज्योति निरंजन के भोग-विलास (sex) करने से हुआ। कबीर सागर के अध्याय ज्ञान बोध के पृष्ठ 21-22 पर वाणी है :-
धर्मराय कीन्हें भोग विलासा। माया को रही तब आश।।
तीन पुत्र अष्टांगी जाये। ब्रह्मा, विष्णु, शिव नाम धराये।।
इसलिए यह कहना कि चूड़ामणी जी के शरीर की छाया नहीं थी। इसलिए यह लिख दिया कि सुरति से रति (sex) किया गया था, अज्ञानता का प्रमाण है। कबीर सागर के अनुराग सागर के पृष्ठ 126 का सारांश किया जा रहा है। स्पष्टीकरण दिया है कि वाणी में मिलावट करके भ्रम उत्पन्न किया है। मेरी (रामपाल दास की) सेवा इसलिए परमेश्वर जी ने लगाई है कि सब अज्ञान अंधकार समाप्त करूं। कबीर बानी अध्याय में कबीर सागर के
पृष्ठ 134 पर भी परमेश्वर कबीर जी ने स्पष्ट किया है कि तेरहवें अंश मिटै सकल अंधियारा। अब आध्यात्मिक ज्ञान को पूर्ण रूप से स्पष्ट करके प्रमाणित करके आपके रूबरू
कर रहा हूँ।
◆ अनुराग सागर के पृष्ठ 127-128 का सारांश :-
इन दोनों पृष्ठों पर वृतान्त यह है कि परमेश्वर कबीर जी ने चूड़ामणी जी को दीक्षा दी तथा गुरू पद दिया। कहा कि हे धर्मदास! तेरे बयालीस वंश का आशीर्वाद दे दिया है और तेरे वंश मेरे वचन अंश चूड़ामणी को कडि़हार (तारणहार) का आशीर्वाद दे दिया है।
तेरे वंश से दीक्षा लेकर जो मर्यादा में रहकर भक्ति करेगा, उसका कल्याण हो जाएगा। परंतु सार शब्द इस दीक्षा से भिन्न है। मैंने 14 कोटि ज्ञान कह दिया है, परंतु सार शब्द इनसे भिन्न है। अन्य नाम तो तारे जानो। सार शब्द को सूर्य जानो।
◆ अनुराग सागर के पृष्ठ 129 का सारांश :-
‘‘धर्मदास वचन‘‘
धर्मदास विनती अनुसारी। हे प्रभु मैं तुम्हरी बलिहारी।।
जीवन काज वंश जग आवा। सो साहिब सब मोहि सुनावा।।
वचन वंश चीन्हे जो ज्ञानी। ता कह नहीं रोके दुर्ग दानी।।
पुरूष रूप हम वंशहि जाना। दूजा भाव न हृदये आना।।
नौतम अंश परगट जग आये। सो मैं देखा ठोक बजाये।।
तबहूँ मोहि संशय एक आवे। करहु कृपा जाते मिट जावे।।
हमकहँ समरथ दीन पठायी। आये जग तब काल फसायी।।
तुम तो कहो मोहि सुकृत अंशा। तबहूँ काल कराल मुहिडंसा।।
ऐसहिं जो वंशन कहँ होई। जगत जीव सब जाय बिगोई।।
ताते करहु कृपा दुखभंजन। वंशन छले नहिं काल निरंजन।।
और कछू मैं जानौं नाहीं। मोरलाज प्रभु तुम कहँ आही।।
भावार्थ :- धर्मदास जी ने शंका की और समाधान चाहा कि हे परमेश्वर जी! आपने मेरे वंश (बिन्द वालों) को कडिहार (नाद दीक्षा देकर मोक्ष करने वाला) बना दिया। मुझे एक शंका है कि जैसे आपने मुझे कहा है कि तुम सुकृत अंश हो, संसार में जीवों के उद्धार के लिए भेजा है। आगे मेरे को काल ने फंसा लिया। आप मुझे सुकृत अंश कहते हो तो भी मेरे को काल कराल ने डस लिया यानि अपना रंग चढ़ा दिया। मैं (धर्मदास) काल के पुत्र श्री विष्णु पर पूर्ण कुर्बान था। आपने राह दिखाया और मुझे बचाया। कहीं काल मेरे वंश वालों के साथ भी छल कर दे तो संसार के जीव कैसे पार होंगे? वे सब नष्ट हो जाएंगे। इसलिए
हे दुःख भंजन! ऐसी दया करो कि मेरे वंश वालों को काल निरंजन न ठगे। मैं और अधिक कुछ नहीं जानता, मेरी लाज आपके हाथ में है।
क्रमशः_____
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
0 notes
pradeepdasblog · 20 days
Text
( #Muktibodh_part238 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part239
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 457-458
‘‘स्मरण दीक्षा‘‘
भावार्थ है कि नेक नीति से रहो। अजर-अमर जो सार शब्द है, वह तथा दो अक्षर वाला सत्यनाम प्राप्त करो। यह मूल दीक्षा है। केवल पाँच तथा सात नाम से मोक्ष नहीं है।
टकसारी पंथ वाले ने इसी चूड़ामणि वाले पंथ से दीक्षा लेकर यानि नाद वाला बनकर मूर्ख बनाया था कि कबीर साहब ने कहा है कि तेरे बिन्द वाले मेरे नाद वाले से दीक्षा लेकर
ही पार होंगे। इससे भ्रमित होकर धर्मदास के छठी पीढ़ी वाले ने वास्तविक पाँच मंत्र (कमलों को खोलने वाले) छोड़कर नकली नाम जो सुमिरन बोध के पृष्ठ 22 पर लिखे हैं जो ऊपर लिखे हैं (आदिनाम, अजरनाम, अमीनाम ...), प्रारम्भ कर दिए जो वर्तमान में दामाखेड़ा गद्दी वाले महंत जी दीक्षा में देते हैं। वह गलत हैं। उसने टकसारी पंथ बनाया तथा उसने चुड़ामणि वाले पंथ से भिन्न होकर अपनी चतुराई से अन्य साधना प्रारम्भ की थी जो ऊपर बताई है। उसने मूल गद्दी वाले धर्मदास की छठी पीढ़ी वाले को भ्रमित किया कि हमने तो एक सत्यपुरूष की भक्ति करनी है। ये मूल कमल से लेकर कण्ठ कमल तक वाले देवी-देवताओं के नाम जाप नहीं करने, नहीं तो काल के जाल में ही रह जाएंगे। फिर कबीर सागर से उपरोक्त पूरे शब्द (कविता) को दीक्षा मंत्रा बनाकर देने लगा। मनमानी आरती चौंका बना लिया। इस तर्क से प्रभावित होकर धर्मदास जी की छठी गद्दी वाले महंत जी ने टकसारी वाली दीक्षा स्वयं भी ले ली और शिष्यों को भी देने लगा जो वर्तमान में दामाखेड़ा
गद्दी से प्रदान की जा रही है जो व्यर्थ है।
‘‘अनुराग सागर‘‘ अध्याय के पृष्ठ 140 की वाणियों का भावार्थ चल रहा है।
हे धर्मदास! तेरी छठी पीढ़ी वाला टकसारी पंथ वाली दीक्षा तथा आरती चौंका नकली स्वयं भी लेगा और आगे वही चलेगा। इस प्रकार तेरा बिन्द (वंश पुत्र प्रणाली) अज्ञानी हो जाएगा। हमारी सर्व साधना झाड़ै यानि छोड़ देगा। अपने आपको अधिक महान मानेगा, अहंकारी होगा जो मेरा नाद (शिष्य परंपरा में तेरहवां अंश आएगा, उस) के साथ झगड़ा करेगा। तेरा पूरा वंश वाले दुर्मति को प्राप्त होकर वे बटपार (ठग=धोखेबाज) मेरे तेरहवें
वचन वंश (नाद शिष्य) वाले मार्ग में बाधा उत्पन्न करेंगे।
अध्याय ‘‘अनुराग सागर‘‘ के पृष्ठ 140 से वाणी सँख्या 16 :-
धर्मदास तुम चेतहु भाई। बचन वंश कहं देहु बुझाई।।1
कबीर जी ने कहा कि हे धर्मदास! तुम कुछ सावधानी बरतो। अपने वंश के व्यक्तियों को समझा दो कि सतर्क रहें।
हे धर्मदास! जब काल ऐसा झपटा यानि झटका मारेगा तो मैं (कबीर जी) सहायता करूँगा। अन्य विधि से अपना सत्य कबीर भक्ति विधि प्रारम्भ करूँगा। नाद हंस (शिष्य परंपरा का आत्मा) तबहि प्रकटावैं। भ्रमत जग भक्ति दृढ़ावैं।।2
नाद पुत्र सो अंश हमारा। तिनतै होय पंथ उजियारा।।3
बचन वंश नाद संग चेतै। मेटैं काल घात सब जेते।।4
{बचन वंश का अर्थ धर्मदास जी के वंशजों से है क्योंकि श्री चूड़ामणि जी को कबीर परमेश्वर जी ने दीक्षा दी थी। इसलिए बचन वंश कहे गए हैं। बाद में अपनी संतान को उत्तराधिकार बनाने लगे। वे बिन्द के कहे गए हैं। नाद से स्पष्ट है कि शिष्य परंपरा वाले।}
अध्याय ‘‘अनुराग सागर‘‘ पृष्ठ 141 से :-
शब्द की चास नाद कहँ होई। बिन्द तुम्हारा जाय बिगोई।।5।।
बिन्द से होय न नाम उजागर। परिख देख धर्मनि नागर।।6।।
चारहूँ युग देख हूँ समवादा। पंथ उजागर कीन्हो नादा।।7।।
धर्मनि नाद पुत्र तुम मोरा। ततें दीन्हा मुक्ति का डोरा।।8।।
भावार्थ :- वाणी नं. 8 में परमेश्वर कबीर जी ने स्पष्ट भी कर दिया है कि नाद किसे कहा है? हे धर्मनि! तुम मेरे नाद पुत्र अर्थात् शिष्य हो और जो आपके शरीर से उत्पन्न हो, वे आपके बिन्द परंपरा है।
वाणी नं. 2 में वर्णन है कि जब-जब काल मेरे सत्यभक्ति मार्ग को भ्रष्ट करेगा। तब मैं अपना नाद अंश यानि शिष्य रूपी पुत्र प्रकट करूँगा जो यथार्थ भक्ति विधि तथा यथार्थ अध्यात्मिक ज्ञान से भ्रमित समाज को सत्य भक्ति समझाएगा, सत्य मार्ग को दृढ़ करेगा।
जो मेरा नाद (वचन वाला शिष्य) अंश आएगा, उससे मेरा यथार्थ कबीर पंथ प्रसिद्ध होगा, (उजागर यानि प्रकाश में आवैगा।) बिन्द वंश (जो धर्मदास तेरे वंशज) हैं, उनका कल्याण भी नाद (मेरे शिष्य परंपरा वाले) से होगा।
वाणी नं. 5 में कहा है कि शब्द यानि सत्य मंत्र नाम की चास यानि शक्ति नाद (शिष्य परंपरा वाले) के पास होगी। यदि मेरे नाद वाले से दीक्षा नहीं लेंगे तो तुम्हारा बिन्द यानि वंश परंपरा महंत गद्दी वाला बर्बाद हो जाएंगे।
वाणी नं. 6 में वर्णन है कि बिन्द से कभी भी नाद यानि शिष्य प्रसिद्ध नहीं हुआ।
भावार्थ है कि महंत गद्दी वाले तो अपनी गद्दी की सुरक्षा में ही उलझे रहते हैं। अपने स्वार्थवश मनमुखी मर्यादा बनाकर बाँधे रखते हैं।
वाणी नं. 7 में कहा है कि चारों युगों का इतिहास उठाकर देख ले। संवाद यानि चर्चा करके विचार कर। प्रत्येक युग में नाद से ही पंथ का प्रचार व प्रसिद्धि हुई है।
प्रमाण :- 1. सत्ययुग में कबीर जी सत सुकृत नाम से प्रकट हुए थे। उस समय सहते जी को शिष्य बनाया था। उससे प्रसिद्धि हुई है।
2. त्रेता में बंके जी को शिष्य बनाया था, उससे प्रसिद्धि हुई थी।
3. द्वापर में चतुर्भुज जी को शिष्य बनाया था, उससे सत्यज्ञान प्रचार हुआ था।
4. कलयुग में धर्मदास जी को शिष्य बनाया था जिनके कारण ही वर्तमान तक कबीर पंथ की प्रसिद्धि तथा विस्तार हुआ है।
क्रमशः_____
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Tumblr media
0 notes
newsplus21 · 2 months
Text
CG News: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की बड़ी घोषणा, दामाखेड़ा का नाम अब होगा कबीर धर्म नगर दामाखेड़ा
CG News: रायपुर: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज बलौदाबाजार-भाटापारा जिला के दामाखेड़ा में माघपूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होने वाले सद्गुरू कबीर संत समागम समारोह में शामिल हुए। धर्म गुरू पंथश्री प्रकाश मुनि नाम साहेब ने मुख्यमंत्री के रूप में पहली दफा दामाखेड़ा आगमन पर साय का कबीरपंथी समाज की ओर से आत्मीय स्वागत किया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस मौके पर दामाखेड़ा का नाम कबीर धर्म नगर दामाखेड़ा करने की घोषणा की।
उन्होंने पूर्व में स्वीकृत 22 करोड़ रूपये से अधिक लागत से बनने वाले कबीर सागर के निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। साय ने कहा कि दामाखेड़ा के 10 किलोमीटर की परिधि में कोई भी नया औद्योगिक प्रतिष्ठान शुरू न हो इसके लिए विचार किया जाएगा। समारोह में मुख्यमंत्री साय ने पंथश्री हुजूर प्रकाश मुनि नाम साहेब से छत्तीसगढ़ की तरक्की और खुशहाली के लिए आशीर्वाद लिया। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, केबिनेट मंत्री दयाल दास बघेल, सांसद सुनील सोनी, भाटापारा विधायक इंद्र कुमार साव, लुण्ड्रा विधायक प्रमोद मिंज, भाटापारा पूर्व विधायक शिवरतन शर्मा, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी वर्मा ने भी दर्शन कर गुरू से आशीर्वाद प्राप्त किया।
CG News: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश का मुख्यमंत्री का दायित्व मुझे मिला है इस दायित्व से जनता की सेवा और प्रदेश के विकास के लिए हमेशा तत्पर रहूंगा। आप सभी के विश्वास और सहयोग से प्रदेश में विकास की गंगा बहाएंगे। उन्होंने ने कहा कि बचपन से ही मेरा जुड़ाव कबीर पंथ से रहा है और चौका आरती में शामिल होते रहा हूं। मेरे गृह ग्राम बगिया में कबीर पंथ के मुनियों का पदार्पण हुआ है जो मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि एक छोटे से गांव के किसान के बेटे को आप लोगों ने मुख्यमंत्री का बड़ा दायित्व दिया है। इस चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी पर खरा उतरने में लिए आप सबका सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहे। जिस प्रकार से मोदी जी की गारंटी पर आपने विश्वास जताया है उसे आगे भी कायम रखते हुए सेवा का अवसर देते रहेंगे। हम सब मिलकर छत्तीसगढ़ को विकास के पथ पर आगे ले जाएंगे।
Read more: https://newsplus21.com/cg-news-chief-minister-vishnu-dev-sai-made-a-big/
0 notes
Watch "Shraddha TV Satsang 14-12-2022 || Episode: 2046 || Sant Rampal Ji Maharaj Satsang" on YouTube
youtube
*दामाखेड़ा पंथ का पर्दाफाश*
📜 नकली कबीर पंथियों को सृष्टि रचना का ज्ञान नहीं था
📜 कबीर साहेब जी सतपुरुष है या सतगुरु ?
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़े अनमोल पुस्तक *ज्ञान-गंगा*👇👇
📦आप इस पुस्तक को निशुल्क में मगाना चाहते है तो नीचे दिए लिंक को टच करे ।👇👇
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSdp2GqPooRS_BP12fHC4wkf-bX20oAItO_maX1Zcz0MILToBw/viewform?usp=sf_link
➡️🏮अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj Youtube Channel पर Visit करें |
0 notes
sprasadsworld · 2 years
Text
★"𝐒𝐮𝐧𝐝𝐚𝐲 𝐒𝐩𝐞𝐜𝐢𝐚𝐥 𝐒𝐚𝐭𝐬𝐚𝐧𝐠"★
💐🎉💐🎉💐🎉💐🎉💐
⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️
*_💁‍♀️- दामाखेड़ा पंथ का पर्दाफाश।_*
*_💁‍♀️- नकली कबीर पंथियों को सृष्टि रचना का ज्ञान नहीं था।_*
*_💁‍♀️- कबीर साहेब जी सतपुरुष है या सतगुरु?_*
👇👇👇👇👇👇👇
अवश्य देखिये विशेष कार्यक्रम :- *#आज_सुबह 11 बजे से Live*
👉🏻"𝒔𝒂𝒊𝒏𝒕 𝒓𝒂𝒎𝒑𝒂𝒍 𝒋𝒊 𝒎𝒂𝒉𝒂𝒓𝒂𝒋" 👈🏻
𝑶𝑹
👉🏻"𝒔𝒂𝒕𝒍𝒐𝒌 𝒂𝒔𝒉𝒓𝒂𝒎"👈🏻
𝒚𝒐𝒖 𝒕𝒖𝒃𝒆 𝒄𝒉𝒂𝒏𝒂𝒍 पर
☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆
🤗🙏🤗🙏🤗🙏🤗🙏
Tumblr media
0 notes
narender-lehar-18 · 2 years
Text
#SUNDAYSPECIALSATSANG
नकली कबीर पंथ VS असली कबीर पंथ
- दामाखेड़ा पंथ का पर्दाफाश।
- नकली कबीर पंथियों को सृष्टि रचना का ज्ञान नहीं था।
- कबीर साहेब जी सतपुरुष है या सतगुरु?
- परमेश्वर साकार है या निराकार?
देखिए कार्यक्रम :-
रविवार 16 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से Live
Tumblr media
1 note · View note
tinydreammongergoop · 2 years
Text
#SUNDAYSPECIALSATSANG
नकली कबीर पंथ VS असली कबीर पंथ
- दामाखेड़ा पंथ का पर्दाफाश।
- नकली कबीर पंथियों को सृष्टि रचना का ज्ञान नहीं था।
- कबीर साहेब जी सतपुरुष है या सतगुरु?
- परमेश्वर साकार है या निराकार?
देखिए कार्यक्रम :-
रविवार 16 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से Live
Tumblr media
0 notes
jyotis-things · 6 days
Text
( #Muktibodh_part249 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part250
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 479-480
(धर्मदास को जिंदे को जमीन में दबाने यानि समाधि देने का प्रमाण दामाखेड़ा वाले महंत द्वारा छपाई पुस्तक ‘‘आशीर्वाद शताब्दी ग्रन्थ’’ में पृष्ठ 95 पर है।) अनुराग सागर पृष्ठ 141 का शेष सारांशः-
कबीर परमेश्वर जी ने कहा कि हे धर्मदास! चारों युगों में देख ले, मेरे यथार्थ कबीर पंथ को नाद परंपरा ने प्रसिद्ध किया है। क्या निर्गुण क्या सर्गुण है, नाद बिन पंथ नहीं चलेगा। यदि तेरे बिन्द वाले उससे दीक्षा लेंगे तो वे भी पार हो जाएंगे। तेरे बिन्द वालों को इस प्रकार बयालीस पीढ़ी को पार करूँगा। जब कलयुग 5505 वर्ष पूरा करेगा। उसके पश्चात् सर्व विश्व दीक्षित होगा तो धर्मदास जी के वंशज भी दीक्षा लेकर कल्याण कराएंगे।
(यदि नाद की आशा बिन्द (परिवार वंश) वाले छोड़ देंगे तो तेरे बिंद (पीढ़ी) वाले काल जाल में फंसेंगे।) इसलिए हे धर्मदास! अपने बिन्द को सतर्क कर देना। अपना कल्याण कराएँ। परमेश्वर कबीर जी का कहना है कि बिन्द वाले नाम को बदलकर यथार्थ भक्ति नष्ट
कर देते हैं। वर्तमान में वह समस्या नहीं रहेगी क्योंकि अब कोई उतराधिकारी गुरू रूप नहीं होगा। दीक्षा क्ण्टण्क्ण् से दी जा रही है। नाम दीक्षा दिलाने की सेवा चाहे नाद वाले करो, चाहे बिन्द वाले, भक्ति विधि सही रहेगी। इसलिए पंथ को कोई हानि नहीं होगी।
अनुराग सागर के पृष्ठ 142 का सारांश :-
परमेश्वर कबीर जी अपने भक्त धर्मदास जी को समझा रहे हैं कि जो कोई नाद वंश को जान लेगा, उसको यम के दूत रोक नहीं पाएंगे। जिन्होंने सत्य शब्द (सतनाम) को पहचान लिया, वे ही मोक्ष प्राप्त कर सकेंगे। तेरे वंश वाले जो चूड़ामणी की संतान हैं, वही
सफल होगा जो नाद वंश की शरण न छोड़े। तुम्हारा बिन्द यानि संतान नाद यानि शिष्य परंपरा वाले के साथ मोक्ष प्राप्त करेगी।
‘‘धर्मदास वचन‘‘
धर्मदास जी ने प्रश्न किया कि आपने मेरे पुत्र चूड़ामणी को वचन वंश कहा है क्योंकि यह आप जी के वचन यानि आशीर्वाद से उत्पन्न हुआ। इसकी संतान को बिन्द कहा जो मेरे बयालीस पीढ़ी चलेगी। आप यह भी कह रहे हो कि मेरे बिन्द परंपरा यानि महंत गद्दी
वाले नाद यानि शिष्य परंपरा वालों से दीक्षा लेकर पार हो सकते हैं। वे आप जी ने नाद वंश के आधीन बता दिए। फिर बिन्द वाले क्या करेंगे? यदि नाद से ही जगत पार होना है।
‘‘कबीर वचन‘‘
धर्मदास जी के वचन सुनकर परमेश्वर हँसे और कहा कि हे धर्मदास! तेरे को बयालीस वंश का आशीर्वाद दे दिया है क्योंकि तुम नारायण दास को काल दूत जानकर वंश नष्ट होने की चिंता कर रहे हो। इसलिए तेरे वंश की शुरूआत आपके नेक पुत्रा से की है। पाठकों से
निवेदन है कि इस पृष्ठ पर बिन्द परंपरा वालों ने बनावटी वाणी अधिक डाली हैं अपनी महिमा बनाने के लिए, परंतु अनुराग सागर के पृष्ठ 140-141 पर स्पष्ट कर दिया है कि चूड़ामणी जी की वंश गद्दी की छठी पीढ़ी वाले के पश्चात् मेरे द्वारा बताई यथार्थ भक्ति विधि
तथा भक्ति मंत्र नहीं रहेंगे। वह पाँचवी पीढ़ी वाला ‘‘टकसारी‘‘ पंथ वाला आरती-चौंका तथा वही नकली पाँच नाम की दीक्षा देने लगेगा। इसलिए तेरे बिन्द वाले क���ल जाल में जाएंगे।
यदि वे मेरे द्वारा भेजे गए नाद अंश से दीक्षा ले लेंगे तो तेरी बयालीस ;42द्ध पीढ़ी मोक्ष प्राप्त करेगी। इस प्रकार तेरे 42 वंश को पार करूँगा। उस समय जब पूरा जगत ही दीक्षा प्राप्त
करेगा तो तेरी संतान भी दीक्षा लेगी। यह वर्णन पृष्ठ 140-141 के सारांश में स्पष्ट कर दिया है।
अनुराग सागर के पृष्ठ 143 का सारांश:-
धर्मदास जी को फिर से अपने पुत्र नारायण दास का मोह सताने लगा और परमेश्वर कबीर जी से अपनी चिंता व्यक्त की कि मेरा पुत्र नारायण दास काल के मुख में पड़ेगा।
मुझे अंदर ही अंदर यह चिंता खाए जा रही है। हे स्वामी! उसकी भी मुक्ति करो।
"कबीर परमेश्वर वचन"
बार बार धर्मनि समुझावा। तुम्हरे हृदय प्रतीत न आवा।।
चौदह यम तो लोक सिधावें। जीवन को फन्द कह्यो वे लावें।।
अब हम चीन्हा तुम्हारो ज्ञाना। जानि बूझि तुम भयो अजाना।।
पुरूष आज्ञा मेटन लागे। बिसरयो ज्ञान मोहमद जागे।।
मोह तिमिर जब हिरदे छावे। बिसर ज्ञान तब काज नसावे।।
बिन परतीत भक्ति नहिं होई। बिनु भक्ति जिव तरै न कोई।।
बहुरि काल फांसन तोहि लागा। पुत्रामोह त्व हिरदय जागा।।
प्रतच्छ देखि सबे तुम लीना। दास नरायण काल अधीना।।
ताहू पर तुम पुनि हठ कीना। मोर वचन तुम एकु न चीन्हा।।
धर्मदास जो मोसन कहिया। सोऊ ध्यान त्व हृदय न रहिया।।
मोर प्रतीत तुम्हैं नहिं आवे। गुरू परतीत जगत कसलावे।।
भावार्थ :- कबीर परमेश्वर जी ने कहा कि हे धर्मदास! अब मुझे तेरी बुद्धि के स्तर का पता चल गया। तू जान-बूझकर अनजान बना हुआ है। जब तेरे को बता दियाए आँखों दिखा
दिया कि नारायण दास काल का दूत है। मेरी आत्माओं को काल जाल में फांसने के लिए काल का भेजा आया है। तेरे को बार-बार समझाया हैए वह तेरी बुद्धि में नहीं आ रहा है।
अब तेरे हृदय में पुत्र मोह से अज्ञान अंधेरा छा गया है। काल के दूत को लेकर फिर हठ कर रहा है। मेरा एक वचन भी तेरी समझ में नहीं आया। हे धर्मदास! जो वचन तूने मेरे से किये थे कि मैं कभी नारायण दास को दीक्षा देने के लिए नहीं कहूंगा। अब तेरे हृदय से वह वादा भूल गया है। जब तुमको मुझ पर विश्वास नहीं हो रहा जबकि तेरे को सतलोक तक दिखा दिया तो फिर मेरे भेजे नाद अंश जो गुरू पद पर होगाए उस पर जगत कैसे विश्वास करेगा?
क्रमशः_____
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
0 notes
8744018908 · 20 days
Text
( #Muktibodh_part238 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part239
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 457-458
‘‘स्मरण दीक्षा‘‘
भावार्थ है कि नेक नीति से रहो। अजर-अमर जो सार शब्द है, वह तथा दो अक्षर वाला सत्यनाम प्राप्त करो। यह मूल दीक्षा है। केवल पाँच तथा सात नाम से मोक्ष नहीं है।
टकसारी पंथ वाले ने इसी चूड़ामणि वाले पंथ से दीक्षा लेकर यानि नाद वाला बनकर मूर्ख बनाया था कि कबीर साहब ने कहा है कि तेरे बिन्द वाले मेरे नाद वाले से दीक्षा लेकर
ही पार होंगे। इससे भ्रमित होकर धर्मदास के छठी पीढ़ी वाले ने वास्तविक पाँच मंत्र (कमलों को खोलने वाले) छोड़कर नकली नाम जो सुमिरन बोध के पृष्ठ 22 पर लिखे हैं जो ऊपर लिखे हैं (आदिनाम, अजरनाम, अमीनाम ...), प्रारम्भ कर दिए जो वर्तमान में दामाखेड़ा गद्दी वाले महंत जी दीक्षा में देते हैं। वह गलत हैं। उसने टकसारी पंथ बनाया तथा उसने चुड़ामणि वाले पंथ से भिन्न होकर अपनी चतुराई से अन्य साधना प्रारम्भ की थी जो ऊपर बताई है। उसने मूल गद्दी वाले धर्मदास की छठी पीढ़ी वाले को भ्रमित किया कि हमने तो एक सत्यपुरूष की भक्ति करनी है। ये मूल कमल से लेकर कण्ठ कमल तक वाले देवी-देवताओं के नाम जाप नहीं करने, नहीं तो काल के जाल में ही रह जाएंगे। फिर कबीर सागर से उपरोक्त पूरे शब्द (कविता) को दीक्षा मंत्रा बनाकर देने लगा। मनमानी आरती चौंका बना लिया। इस तर्क से प्रभावित होकर धर्मदास जी की छठी गद्दी वाले महंत जी ने टकसारी वाली दीक्षा स्वयं भी ले ली और शिष्यों को भी देने लगा जो वर्तमान में दामाखेड़ा
गद्दी से प्रदान की जा रही है जो व्यर्थ है।
‘‘अनुराग सागर‘‘ अध्याय के पृष्ठ 140 की वाणियों का भावार्थ चल रहा है।
हे धर्मदास! तेरी छठी पीढ़ी वाला टकसारी पंथ वाली दीक्षा तथा आरती चौंका नकली स्वयं भी लेगा और आगे वही चलेगा। इस प्रकार तेरा बिन्द (वंश पुत्र प्रणाली) अज्ञानी हो जाएगा। हमारी सर्व साधना झाड़ै यानि छोड़ देगा। अपने आपको अधिक महान मानेगा, अहंकारी होगा जो मेरा नाद (शिष्य परंपरा में तेरहवां अंश आएगा, उस) के साथ झगड़ा करेगा। तेरा पूरा वंश वाले दुर्मति को प्राप्त होकर वे बटपार (ठग=धोखेबाज) मेरे तेरहवें
वचन वंश (नाद शिष्य) वाले मार्ग में बाधा उत्पन्न करेंगे।
अध्याय ‘‘अनुराग सागर‘‘ के पृष्ठ 140 से वाणी सँख्या 16 :-
धर्मदास तुम चेतहु भाई। बचन वंश कहं देहु बुझाई।।1
कबीर जी ने कहा कि हे धर्मदास! तुम कुछ सावधानी बरतो। अपने वंश के व्यक्तियों को समझा दो कि सतर्क रहें।
हे धर्मदास! जब काल ऐसा झपटा यानि झटका मारेगा तो मैं (कबीर जी) सहायता करूँगा। अन्य विधि से अपना सत्य कबीर भक्ति विधि प्रारम्भ करूँगा। नाद हंस (शिष्य परंपरा का आत्मा) तबहि प्रकटावैं। भ्रमत जग भक्ति दृढ़ावैं।।2
नाद पुत्र सो अंश हमारा। तिनतै होय पंथ उजियारा।।3
बचन वंश नाद संग चेतै। मेटैं काल घात सब जेते।।4
{बचन वंश का अर्थ धर्मदास जी के वंशजों से है क्योंकि श्री चूड़ामणि जी को कबीर परमेश्वर जी ने दीक्षा दी थी। इसलिए बचन वंश कहे गए हैं। बाद में अपनी संतान को उत्तराधिकार बनाने लगे। वे बिन्द के कहे गए हैं। नाद ��े स्पष्ट है कि शिष्य परंपरा वाले।}
अध्याय ‘‘अनुराग सागर‘‘ पृष्ठ 141 से :-
शब्द की चास नाद कहँ होई। बिन्द तुम्हारा जाय बिगोई।।5।।
बिन्द से होय न नाम उजागर। परिख देख धर्मनि नागर।।6।।
चारहूँ युग देख हूँ समवादा। पंथ उजागर कीन्हो नादा।।7।।
धर्मनि नाद पुत्र तुम मोरा। ततें दीन्हा मुक्ति का डोरा।।8।।
भावार्थ :- वाणी नं. 8 में परमेश्वर कबीर जी ने स्पष्ट भी कर दिया है कि नाद किसे कहा है? हे धर्मनि! तुम मेरे नाद पुत्र अर्थात् शिष्य हो और जो आपके शरीर से उत्पन्न हो, वे आपके बिन्द परंपरा है।
वाणी नं. 2 में वर्णन है कि जब-जब काल मेरे सत्यभक्ति मार्ग को भ्रष्ट करेगा। तब मैं अपना नाद अंश यानि शिष्य रूपी पुत्र प्रकट करूँगा जो यथार्थ भक्ति विधि तथा यथार्थ अध्यात्मिक ज्ञान से भ्रमित समाज को सत्य भक्ति समझाएगा, सत्य मार्ग को दृढ़ करेगा।
जो मेरा नाद (वचन वाला शिष्य) अंश आएगा, उससे मेरा यथार्थ कबीर पंथ प्रसिद्ध होगा, (उजागर यानि प्रकाश में आवैगा।) बिन्द वंश (जो धर्मदास तेरे वंशज) हैं, उनका कल्याण भी नाद (मेरे शिष्य परंपरा वाले) से होगा।
वाणी नं. 5 में कहा है कि शब्द यानि सत्य मंत्र नाम की चास यानि शक्ति नाद (शिष्य परंपरा वाले) के पास होगी। यदि मेरे नाद वाले से दीक्षा नहीं लेंगे तो तुम्हारा बिन्द यानि वंश परंपरा महंत गद्दी वाला बर्बाद हो जाएंगे।
वाणी नं. 6 में वर्णन है कि बिन्द से कभी भी नाद यानि शिष्य प्रसिद्ध नहीं हुआ।
भावार्थ है कि महंत गद्दी वाले तो अपनी गद्दी की सुरक्षा में ही उलझे रहते हैं। अपने स्वार्थवश मनमुखी मर्यादा बनाकर बाँधे रखते हैं।
वाणी नं. 7 में कहा है कि चारों युगों का इतिहास उठाकर देख ले। संवाद यानि चर्चा करके विचार कर। प्रत्येक युग में नाद से ही पंथ का प्रचार व प्रसिद्धि हुई है।
प्रमाण :- 1. सत्ययुग में कबीर जी सत सुकृत नाम से प्रकट हुए थे। उस समय सहते जी को शिष्य बनाया था। उससे प्रसिद्धि हुई है।
2. त्रेता में बंके जी को शिष्य बनाया था, उससे प्रसिद्धि हुई थी।
3. द्वापर में चतुर्भुज जी को शिष्य बनाया था, उससे सत्यज्ञान प्रचार हुआ था।
4. कलयुग में धर्मदास जी को शिष्य बनाया था जिनके कारण ही वर्तमान तक कबीर पंथ की प्रसिद्धि तथा विस्तार हुआ है।
क्रमशः_____
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Tumblr media
1 note · View note
indra-das2022 · 2 years
Text
#SUNDAYSPECIALSATSANG
नकली कबीर पंथ VS असली कबीर पंथ
- दामाखेड़ा पंथ का पर्दाफाश।
- नकली कबीर पंथियों को सृष्टि रचना का ज्ञान नहीं था।
- कबीर साहेब जी सतपुरुष है या सतगुरु?
- परमेश्वर साकार है या निराकार?
देखिए कार्यक्रम :-
रविवार 16 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से Live
Tumblr media
0 notes
pradeepdasblog · 1 month
Text
( #Muktibodh_part231 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part232
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 444-445
◆ तेरह गाड़ी कागजों को लिखना
एक समय दिल्ली के बादशाह ने कहा कि कबीर जी 13(तेरह) गाड़ी कागजों को ढ़ाई दिन यानि 60 घण्टे में लिख दे तो मैं उनको परमात्मा मान जाऊँगा। परमेश्वर कबीर जी ने अपनी डण्डी उन तेरह गाडि़यों में रखे कागजों पर घुमा दी। उसी समय सर्व कागजों में अमृतवाणी सम्पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान लिख दिया। राजा को विश्वास हो गया, परंतु अपने धर्म के व्यक्तियों (मुसलमानों) के दबाव में उन सर्व ग्रन्थों को दिल्ली में जमीन में गडवा
दिया। कबीर सागर के अध्याय कबीर चरित्रा बोध ग्रन्थ में पृष्ठ 1834-1835 पर गलत लिखा है कि जब मुक्तामणि साहब का समय आवेगा और उनका झण्डा दिल्ली नगरी में गड़ेगा।
तब वे समस्त पुस्तकें पृथ्वी से निकाली जाएंगी। सो मुक्तामणि अवतार (धर्मदास के) वंश की तेरहवीं पीढ़ी वाला होगा।
विवेचन :- ऊपर वाले लेख में मिलावट का प्रमाण इस प्रकार है कि वर्तमान में
धर्मदास जी की वंश गद्दी दामाखेड़ा जिला-रायगढ़ प्रान्त-छत्तीसगढ़ में है। उस गद्दी पर 14वें (चौदहवें) वंश गुरू श्री प्रकाशमुनि नाम साहेब विराजमान हैं। तेरहवें वंश गुरू श्री गृन्ध मुनि नाम साहेब थे जो वर्तमान सन् 2013 से 15 वर्ष पूर्व 1998 में शरीर त्याग गए थे। यदि तेरहवीं गद्दी वाले वंश गुरू के विषय में यह लिखा होता तो वे निकलवा लेते और दिल्ली झण्डा गाड़ते। ऐसा नहीं हुआ तो वह तेरहवां पंथ धर्मदास जी की वंश परंपरा से नहीं है।
फिर ‘‘कबीर चरित्र बोध‘‘ के पृष्ठ 1870 पर कबीर सागर में 12 (बारह) पंथों के नाम लिखे हैं जो काल (ज्योति निरंजन) ने कबीर जी के नाम से नकली पंथ चलाने को कहा था।
उनमें सर्व प्रथम ‘‘नारायण दास‘‘ लिखा है। बारहवां पंथ गरीब दास का लिखा है। वास्तव में प्रथम चुड़ामणि जी हैं, जान-बूझकर काट-छाँट की है।
उनको याद होगा कि परमेश्वर कबीर जी ने नारायण दास जी को तो शिष्य बनाया ही नहीं था। वे तो श्री कृष्ण जी के पुजारी थे। उसने तो अपने छोटे भाई चुड़ामणि जी का घोर विरोध किया था। जिस कारण से श्री चुड़ामणि जी कुदुर्माल चले गए थे। बाद में बाँधवगढ़ नगर नष्ट हो गया था। ‘‘कबीर चरित्र बोध‘‘ में पृष्ठ 1870 पर बारह पंथों के प्रवर्तकों के नाम लिखे हैं। उनमें प्रथम गलत नाम लिखा है। शेष सही हैं। लिखा हैः-
1. नारायण दास जी का पंथ
2. यागौ दास (जागु दास) जी का पंथ 3. सूरत गोपाल पंथ
4. मूल निरंजन पंथ
5. टकसारी पंथ
6. भगवान दास जी का पंथ
7. सतनामी पंथ
8. कमालीये (कमाल जी का) पंथ
9. राम कबीर पंथ
10. प्रेम धाम (परम धाम) की वाणी पंथ
11. जीवा दास पंथ
12. गरीबदास पंथ।
फिर ‘‘कबीर बानी‘‘ अध्याय के पृष्ठ 134 पर कबीर सागर में लिखा है किः-
‘‘वंश प्रकार‘‘ प्रथम वंश उत्तम (यह चुड़ामणि जी के विषय में कहा है।)
दूसरे वंश अहंकारी (यह यागौ यानि जागु दास जी का है।)
तीसरे वंश प्रचंड (यह सूरत गोपाल जी का है।)
चौथे वंश बीरहे (यह मूल निरंजन पंथ है।)
पाँचवें वंश निन्द्रा (यह टकसारी पंथ है।)
छटे वंश उदास (यह भगवान दास जी का पंथ है।)
सातवें वंश ज्ञान चतुराई (यह सतनामी पंथ है।)
आठवें वंश द्वादश पंथ विरोध (यह कमाल जी का कमालीय पंथ है।)
नौवें वंश पंथ पूजा (यह राम कबीर पंथ है।)
दसवें वंश प्रकाश (यह परम धाम की वाणी पंथ है।)
ग्यारहवें वंश प्रकट पसारा (यह जीवा पंथ है।)
बारहवें वंश प्रकट होय उजियारा (यह संत गरीबदास जी गाँव-छुड़ानी जिला-झज्जर, प्रान्त-हरियाणा वाला पंथ है जिन्होंने परमेश्वर कबीर जी के मिलने के पश्चात् उनकी महिमा
को तथा यथार्थ ज्ञान को बोला जिससे परमेश्वर कबीर जी की महिमा का कुछ प्रकाश हुआ।) तेरहवें वंश मिटे सकल अंधियारा {यह यथार्थ कबीर पंथ है जो सन् 1994 से प्रारम्भ हुआ है जो मुझ दास (रामपाल दास) द्वारा संचालित है।}
दामाखेड़ा वाले धर्मदास जी के वंश गद्दी वालों ने वास्तविक भेद छुपाने की कोशिश की तो है, परंतु सच्चाई को मिटा नहीं सके। नारायण दास तो कबीर जी का विरोधी था, वह उत्तम नहीं था। उत्तम तो चुड़ामणि था। वह प्रथम पंथ का मुखिया था।
क्रमशः_____
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Tumblr media
0 notes
pritam4292 · 2 years
Text
Tumblr media
#SUNDAYSPECIALSATSANG
नकली कबीर पंथ VS असली कबीर पंथ
- दामाखेड़ा पंथ का पर्दाफाश।
- नकली कबीर पंथियों को सृष्टि रचना का ज्ञान नहीं था।
- कबीर साहेब जी सतपुरुष है या सतगुरु?
- परमेश्वर साकार है या निराकार?
देखिए कार्यक्रम :-
रविवार 16 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से Live
0 notes
Watch "Shraddha TV 21-11-2022 || Episode: 2023 || Sant Rampal Ji Maharaj Satsang" on YouTube
youtube
*दामाखेड़ा पंथ का पर्दाफाश*
📜 नकली कबीर पंथियों को सृष्टि रचना का ज्ञान नहीं था
📜 कबीर साहेब जी सतपुरुष है या सतगुरु ?
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़े अनमोल पुस्तक *ज्ञान-गंगा*👇👇
📦आप इस पुस्तक को निशुल्क में मगाना चाहते है तो नीचे दिए लिंक को टच करे ।👇👇
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSdp2GqPooRS_BP12fHC4wkf-bX20oAItO_maX1Zcz0MILToBw/viewform?usp=sf_link
➡️🏮अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj Youtube Channel पर Visit करें |
1 note · View note
ahirwarvijayahirwar · 2 years
Text
#SUNDAYSPECIALSATSANG
नकली कबीर पंथ VS असली कबीर पंथ
- दामाखेड़ा पंथ का पर्दाफाश।
- नकली कबीर पंथियों को सृष्टि रचना का ज्ञान नहीं था।
- कबीर साहेब जी सतपुरुष है या सतगुरु?
- परमेश्वर साकार है या निराकार?
देखिए कार्यक्रम :-
रविवार 16 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से Live
YouTube channel. Sant Rampal Ji Maharaj
Tumblr media
0 notes