गौरव वल्लभ का कांग्रेस से इस्तीफा, कहा - सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकता
New Delhi: लोकसभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने गुरुवार सुबह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी दिशाहीन हो गई है। अयोध्या के राम मंदिर में हुई प्राण प्रतिष्ठा पर कांग्रेस के रुख पर उन्होंने नाराजगी जताई।
गौरव वल्लभ ने कहा, “मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह-शाम देश के ‘वेल्थ क्रिएटर्स’ को…
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कैंपस की दीवारों पर 'हेट स्लोगन' लिखने वालों की अब खैर नहीं, JNU उठाने वाला है सख्त कदम
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) प्रशासन, कैंपस में बार-बार लगने वाले 'देश-विरोधी' नारों की घटनाओं की जांच के लिए जल्द ही एक समिति गठित करेगा। 'स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज' की इमारत की दीवार पर लिखे 'भारत के कब्जे वाला कश्मीर', 'फ्री कश्मीर' और 'भगवा जलेगा' जैसे नारों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के एक दिन बाद यह निर्णय लिया गया है। प्रशासन की ओर से दीवारों का रंग-रोगन अब करा दिया गया है। जेएनयू के रेक्टर सतीश चंद्र गारकोटी ने बताया, 'हम अपने मुख्य सुरक्षा अधिकारी की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं और सुझावों के आधार पर इस मुद्दे से निपटने के लिए कदम उठाए जाएंगे।' गारकोटी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने अपने परिसर में बार-बार होने वाले 'राष्ट्र-विरोधी' नारों की घटनाओं की जांच करने के लिए एक समिति गठित करने की योजना बनाई है। पिछले साल दिसंबर में, विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय की दीवारों पर जातिवादी गालियां, 'ब्राह्मण कैंपस छोड़ो' और 'ब्राह्मण-बनिया, हम आपके लिए आ रहे हैं! हम बदला लेंगे' जैसे नारे लिखे हुए मिले थे। इससे पहले नवंबर 2019 में, जेएनयू परिसर में स्वामी विवेकानंद की एक प्रतिमा को विरूपित कर दिया गया था। प्रदर्शनकारी छात्रों ने फीस वृद्धि को लेकर कुलपति कार्यालय की दीवारों को रंग दिया था और परिसर के अंदर 'भारत विरोधी' नारे लगाए गए जिससे विवाद पैदा हो गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने हाल ही में विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखकर ऐसी घटनाओं को रोकने में विफल रहने के लिए मुख्य सुरक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। http://dlvr.it/SwvC3H
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‘ब्राह्मणों पंजाब-हरियाणा छोड़ो’: JNU के बाद सिरसा के कॉलेज में लिखे मिले नारे
‘ब्राह्मणों पंजाब-हरियाणा छोड़ो’: JNU के बाद सिरसा के कॉलेज में लिखे मिले नारे
JNU के बाद अब हरियाणा में भी ब्राह्मणों के विरोधी वाले नारे दीवारों पर लिखे मिले हैं, वहीं इसमें खालिस्तानी आतंकी संगठन SFJ का हाथ बताया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजधानी दिल्ली में स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के बाद अब हरियाणा में भी जातिसूचक नारे लिखे जाने का मामला सामने आया है। इन नारों के साथ-साथ खालिस्तान का भी समर्थन भी किया गया है। अराजक तत्वों ने देश विरोधी नारों…
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सिरसा में लिखे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे पुलिस ने दर्ज किया मामला
सिरसा में लिखे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे पुलिस ने दर्ज किया मामला
हरियाणा के सिरसा जिले के उपमंडल डबवाली में कॉलेज की दीवार पर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखे मिले। इसके साथ ही ब्राह्मण पंजाब-हरियाणा छोड़ो, देश-विरोधी शब्द भी लिखे गए। देश विरोधी नारे लिखे जाने की सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और उन्हें हटा दिया।
sirsa walls khalistan slogans
इसके साथ ही गुरपतवंत सिंह पन्नू और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ राजद्रोह और साजिश का मामला दर्ज किया गया है।…
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अधिकार समूह: ईरान में 233 मारे गए, विरोध प्रदर्शन पांचवें सप्ताह में प्रवेश
अधिकार समूह: ईरान में 233 मारे गए, विरोध प्रदर्शन पांचवें सप्ताह में प्रवेश
द्वारा एसोसिएटेड प्रेस
बगदाद: प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को ईरान के कुछ शहरों में मुख्य सड़कों और विश्वविद्यालयों में सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज कर दिए। मानवाधिकारों पर नज़र रखने वालों ने बच्चों सहित सैकड़ों लोगों के मारे जाने की सूचना दी, क्योंकि आंदोलन अपने पांचवें सप्ताह में प्रवेश कर गया था।
प्रदर्शनकारियों ने देश के उत्तर पश्चिम में अर्दबील की सड़कों पर “तानाशाह के साथ नीचे” के नारे लगाए। सोशल…
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देश विरोधी नारा : "पाकिस्तान जिंदाबाद"
भारत विरोधी नारे लगाने से ज्यादा निंदनीय क्या हो सकता है। ऐसे टिप्पणी करने वालों के खिलाफ़ सख्त कार्यवाई कार्रवाई होनी चाहिए।"
आजकल एक फैशन बन गया है, अगर आप भारत में है; और आप का विरोध किसी भी प्रकार से, सरकार से है। तो उपरोक्त नारे का प्रयोग करके। मीडिया के लाइमलाइट में आ सकते हैं। और सरकार तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं। ऐसी सोच हावी हो गई है। देश में ईडी और एनआईए के छापों से (पीएफआई) में हड़कंप मचा हुआ है। जहाँ एक ओर, सत्ताधारी पार्टी बीजेपी; इस मुददे को जोरशोर से उठा रही है और साथ में पीएफआई को बैन करने के प्रस्ताव लाने…
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Mp News: सरपंच प्रत्याशी की जीत पर समर्थकों ने लगाए देश विरोधी नारे, जांच शुरू
Mp News: सरपंच प्रत्याशी की जीत पर समर्थकों ने लगाए देश विरोधी नारे, जांच शुरू
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कटनी जिले की चाका पंचायत में सरपंच पद के मुस्लिम प्रत्याशी की जीत पर समर्थकों ने देश विरोधी नारे लगाएं। इसका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें कुछ युवा समर्थक मुस्लिम प्रत्याशी की जीत का जश्न मनाते हुए और देश विरोधी नारे लगाते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में समर्थक नारे लगाते सुनाई दे रहे हैं। ये वीडियो पंचायत चुनाव के दूसरे चरण की मतगणना के बाद शुक्रवार रात का बताया जा रहा…
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साम्प्रदायिक कट्टरता का समाधान
क्या उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकाण्ड को देश में आईएसआईएस अथवा तालिबानी क्रूरता के प्रवेश का संकेत है? आज पुलिस व न्यायालय दोनों के प्रति विश्वास डगमगाया है। अब हम सबको अपने अस्तित्व के लिए, भारत को बचाने के लिए स्वयं आगे आना होगा। संगठन केवल श्मशान वैराग्य की भाँति सिद्ध न हो जाए, बल्कि हिन्दुओं को कथित जातिवाद व निजी स्वार्थी के दुःखद जाल से पूर्णतः मुक्त होकर अपनी रक्षा स्वयं करने तथा एक दूसरे की त्वरित सहायता के लिए सदैव तत्पर रहना होगा। दुर्भाग्यवश हम आर्य से हिन्दू हो गये और अब कोई हिन्दू नहीं है, बल्कि यहाँ केवल कथित जातियाँ ही रह गयी हैं, तो कथित प्रबुद्ध लोग आज इण्डियन हो चुके हैं।
भारत के मुसलमानों को यह आत्मनिरीक्षण करना होगा कि उनमें जो रक्त बह रहा है, वह किसका है? उनका डीएनए भारतीय है वा विदेशी? क्या मजहब बदलने से कभी रक्त वा डीएनए बदल सकता है? तब उन्हें अपने व पराए का स्वयं बोध हो जायेगा। उन्हें पाकिस्तान, अफगानिस्तान व सीरिया जैसे देशों की स्थिति के लिए जिम्मेदार विचारधारा को पहचानना होगा। क्या आप अशफाक उल्ला खाँ, अब्दुल हमीद व ए.पी.जे अब्दुल कलाम को आदर्श मानोगे?
भारत के सभी राजनैतिक दलों, भारत वा विश्व के न्यायवेत्ताओं व मानवतावादियों को इन प्रश्नों के उत्तर अवश्य ढूँढने होंगे -
भारत में किस दल के शासन में साम्प्रदायिक दंगे अधिक हुए?
हिन्दू बहुल क्षेत्रों में अल्पसंख्यकों की स्थिति कैसी है, उधर मुस्लिम वा ईसाई बहुल क्षेत्रों में हिन्दुओं की स्थिति क्या है? दोनों में तुलना करनी होगी।
सभी पूजा स्थलों (मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च आदि) की जाँच की जाए कि कहीं उनमें हथियार वा आपत्तिजनक साहित्य तो नहीं है?
इसी प्रकार सभी भारतीयों के घरों की भी जाँच की जाए।
सभी के मजहबी शिक्षण स्थलों व पाठ्यक्रमों की जाँच की जाए कि कहीं कोई देशविरोधी शिक्षा वा हथियारों के अड्डे तो नहीं हैं?
सभी के ग्रन्थों को पढ़कर उनमें से हिंसा, वैर, भेदभाव, छूआछूत आदि को बढ़ाने वाले प्रसंगों को निकाला जाए। ऐसे प्रसंग मिलने पर उनके विद्वानों से सार्वजनिक स्पष्टीकरण मांगा जाए।
सभी सम्प्रदायों से जुड़े व्यक्तियों के देश के स्वतन्त्रता संग्राम व विकास में योगदान के अनुपात की जाँच की जाए। इससे सबकी देशभक्ति की परख हो जायेगी।
किस समुदाय के लोग दूसरे सम्प्रदायों के प्रति कितने सहनशील रहे हैं, इसकी भी निष्पक्ष जाँच की जाए। भाईचारे का नारा देने वाले नेता किस सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखते हैं?
किस सम्प्रदाय ��े लोग विदेश के लिए अपने देश की जासूसी करते हैं वा करते रहे हैं, इसकी सूची सार्वजनिक की जाए।
किस समुदाय के लोग भारतीय संविधान का अधिक सम्मान करते हैं, इसे भी परखा जाए।
किस विचारधारा के लोग देश के संविधान से अपनी मजहबी मान्यताओं को अधिक महत्व देते हैं तथा संविधान को चुनौती देते हैं वा देते रहे हैं?
किस विचारधारा के लोग अधिक बर्बर व कलहप्रिय होते हैं, इसकी भी जाँच की जाए।
किस समुदाय के महापुरुष कहे जाने वालों के विरुद्ध अन्य सम्प्रदाय वालों के द्वारा अधिक घृणित शब्दों का प्रयोग किया जाता रहा है? और कौन प्रथम व अधिक विषवमन करता है?
किस सम्प्रदाय में राष्ट्र, सेना, प्राचीन इतिहास व संस्कृति के प्रति निष्ठा अधिक है?
किस-किस सम्प्रदाय के आक्रान्ताओं ने भारत सहित अनेक देशों पर आक्रमण किए? इसमें कितने लोग मारे गये?
किस सम्प्रदाय की बहुलता वाले क्षेत्र पाकिस्तान में गये और आज भी कौन लोग भारत विरोधी नारे लगाते हैं?
किस सम्प्रदाय के लोग साम्प्रदायिक दंगों में अधिक लिप्त रहे हैं? राजनेताओं व मीडिया द्वारा आतंकवादियों को धर्मविशेष के लोग बताया जाता है, वह धर्मविशेष क्या है और उसका आधार ग्रन्थ क्या है?
विश्व के अधिकांश आतंकवादी किस सम्प्रदाय से जुड़े हैं? और इसके पीछे मुख्य कारण क्या है?
विश्व के सभी सम्प्रदाय कैसे संसार में फैले? इसकी जाँच भी करना। वे अपने चरित्र व ज्ञान के बल पर अथवा तलवार व बन्दूक के बल पर संसार में फैलते रहे?
अन्त में सबको इस बात पर भी विचार करना होगा कि कट्टरता की इन बढ़ती घटनाओं का कुछ सम्बन्ध कहीं उन वैश्विक शक्तियों से तो नहीं हैं, जो सम्पूर्ण विश्व पर एकछत्र शासन करना चाहती हैं? इसके साथ ही क्या स्वयं को एकमात्र मानव समझ कर एक सत्यधर्म की खोज करने हेतु प्रीतिपूर्वक संवाद एवं कट्टरपंथियों को कठोरतम दण्ड देने के लिए हम सभी एक नहीं हो सकते? क्या हम इतना भी नहीं समझते कि संसार के किसी भी प्राणी में ऐसा क्रूर व्यवहार नहीं देखा जाता, जैसा कि आज इन कट्टरपंथियों का हो गया है। क्या हम पशुओं से भी नहीं सीख सकते?
-आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक
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https://khabar.ndtv.com/
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नई दिल्ली:
जेएनयू हमले मामले में गेटवे आफ इंडिया पर विरोध प्रदर्शन के दौरान “https://khabar.ndtv.com/”फ्री कश्मीर”https://khabar.ndtv.com/” के पोस्टर दिखाने एवं नारेबाजी को सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कुछ गिने चुने अराजकतावादियों का कृत्य करार दिया और कहा कि कश्मीर भारत का अटूट अंग है. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को समाप्त करने…
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अनुराग ठाकुर ने 'देश-विरोधी' तत्वों के साथ कांग्रेस के संबंध पर सवाल उठाया
New Delhi: केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, खेल और युवा मामलों के मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने हाल ही में कर्नाटक विधानसभा में पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने वाले व्यक्तियों के साथ कांग्रेस की कथित संबद्धता पर चिंता जताते हुए सोमवार को उसके नेतृत्व पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा कि बेंगलुरु में विधान सौध परिसर से आपत्तिजनक वीडियो फुटेज की प्रामाणिकता की पुष्टि और फॉरेंसिक विश्लेषण के बाद भी सबसे पुरानी…
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JNU की दीवारों पर रात के अंधेरे में किसने पोत दिया जाति का जहर? मचा संग्राम
नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के जातिसूचक (SIS) में जातिसूचक टिप्पणी लिखने पर हंगामा मचा हुआ है। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी ने इस मामले की जांच का आदेश दे दिया है। इस बीच, फैकल्टी रूम और दीवारों पर ब्राह्मणविरोधी नारे लिखे जाने पर सोशल मीडिया पर संग्राम मचा हुआ है। एक फैकल्टी रूम के गेट पर भी गो बैक शाखा लिखा हुआ है। इधर, इस घटना के बाद सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गए हैं। हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने कहा है कि ब्रह्मण विरोधी नारे की निंदा करता हूं। उन्होंने कहा कि ऐसी सोच को कुचल देना चाहिए। इस बीच, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने लेफ्ट विंग पर ये स्लोगन लिखने का आरोप लगाया है।
कुलपति ने घटना की जांच का दिया आदेश
कुलपति ने नोटिस जारी कर कहा कि कुछ अज्ञात लोगों ने फैकल्टी रूम और विश्वविद्यालय की दीवारों पर जातिसूचक टिप्पणी पर प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा। प्रशासन ऐसी घटना की निंदा करता है। ऐसी घटना को विश्वविद्यालय में स्वीकार नहीं किया जाएगा। जेएनयू सबका है।
स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की दीवारों पर स्लोगन
कुलपति ने स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज एंड ग्रिवांस कमिटी के डीन को इस मामले की जल्दी से जल्दी जांच करके रिपोर्ट सौंपने को कहा है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि जेएनयू समावेश और समानता में विश्वास करता है। कुलपति ने जेएनयू में किसी प्रकार की हिंसा पर जीरो टोरलेंस की नीति अपनाने की भी बात कही है।
उधर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने जातिसूचक टिप्पणी लिखने का आरोप लेफ्ट विंग के छात्रों पर लगाया है। इधर सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर कई प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
शुभम शुक्ला नामक एक यूजर ने लिखा है कि सभी का खून शामिल यहां की मिट्टी में.. किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।..
शुभम शर्मा नामक एक यूजर ने लिखा कि देश में ब्राह्मण नए यहूदी बन गए हैं। http://dlvr.it/SdjdP1
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तीन राज्यों में भाजपा की पराजय ने बहुत कुछ साफ कर दिया है। सीधे सीधे कहें तो जनता चाहती क्या है, यह साफ दिख गया है। लोकतंत्र में विजय का एक ही मूलमंत्र है कि आप अपने वोटर के प्रति समर्पित रहें, यदि रहें तो आपको कोई पराजित नहीं कर सकता।
भाजपा की छवि स्पष्ट रूप से हिन्दुत्व वाली ही है। वह चाहे जितना भी तमाशा कर ले उसकी यह छवि मिटने वाली नहीं। मोदी भारत को अमेरिका बना दें, या हिंदुत्व के सारे मुद्दों को छोड़ दें तब भी हिंदुत्व विरोधी लोगों का वोट भाजपा को नहीं मिलेगा। इसी हिंदुत्व के नारे पर भाजपा आयी थी, और इसी नारे पर आगे भी आएगी। इस बीच मे नई बात बस यह है कि कांग्रेस ने दलितवाद के रूप में हिंदुत्व की काट खोज ली है। कांग्रेस और उसके वैचारिक सहयोगी, दलितों के मन मे शेष हिंदुओं के प्रति तिरस्कार का भाव भरने में सफल होते जा रहे हैं। वे सवर्णो को पिछड़ों का शत्रु सिद्ध करने में सफल हो रहे हैं। वे इसमें जितने ही सफल होंगे, सनातन और भाजपा दोनों का उतना ही नुकसान होगा। मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों स्थानों पर मायावती की बसपा ने अच्छा खासा मत प्राप्त किया है, जो कथित दलितों की राजनैतिक सोच बता रहा है।
भाजपा ने इससे बचने के लिए जो किया वह और बचकाना था। sc, st एक्ट पर कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध अध्यादेश ला कर मोदी समझे कि वे इन कथित दलितों को मना लेंगे, पर ऐसा हुआ नहीं। असल मे जिसे हिंदुत्व से घृणा है, उसके लिए मोदी सोने का महल बना कर दे दें, तब भी वह उन्हें वोट नहीं देगा। उसके दिमाग मे यह कचड़ा भर दिया गया है कि सारे हिन्दू उसके दुश्मन हैं और लगे हाथ भाजपा भी दुश्मन ही है। इसके पीछे एक बड़ा कारण है। यदि किसी सवर्ण से किसी दलित का एक झगड़ा होता है तो कांग्रेस और कांग्रेस पोषित मीडिया उसे पूरे देश का सबसे चर्चित मुद्दा बना देती है, और पूरे विश्व भर में हल्ला हो जाता है कि सवर्ण दलितों पर अत्याचार कर रहे हैं। पर हर राज्य में हर महीने दलितों और मुश्लिमों के सैकड़ों झगड़े होते हैं और भाजपा उन्हें मुद्दा नहीं बना पाती। भाजपा की असली हार यही है। भाजपा को इसकी काट ढूंढनी ही होगी।
भाजपा कांग्रेस की इस विभाजनकारी षड्यन्त्र को ही मुद्दा बना ले तो उसका काम बन सकता है। आम जनता तक बस इस बात को लेकर जाना होगा कि कांग्रेस हिंदुओं को तोड़ रही है। वह दलितवाद के नाम पर हिंदुओं को ही हिंदुओं के विरुद्ध भड़का रही है, और इस तरह ईसाई मिशनरियों का काम आसान कर रही ���ै। दुर्भाग्य से भाजपा ने अबतक यह काम नहीं किया है। भाजपा ने जितना ध्यान राहुल के ब्राह्मण होने/न होने पर लगाया, उसका आधा भी कांग्रेस के ईसाई मिशनरियों के सम्बंध को उजागर करने पर लगाया होता तो कांग्रेस देश की राजनीति में वापसी नहीं कर पाती। वैसे यह काम अबतक नहीं हुआ तो आगे हो सकता है, समय अभी निकला नहीं है।
कुछ और बातें पूर्णतः स्पष्ट हो गयी हैं। भाजपा चाहे जितने भी तमाशे कर ले, मुश्लिम वर्ग उसको वोट नहीं देगा, ईसाई उसे वोट नहीं देंगे। फिर उनके अंदरूनी मामलों में टांग फँसा कर समय नष्ट करने की क्या आवश्यकता है? मुझे लगता है जितना तमाशा तीन तलाक पर हुआ उससे आधी मेहनत में हिन्दू मैरेज एक्ट में सुधार हो गया होता।
ईसाई सदैव कांग्रेस के साथ ही रहेंगे, क्योंकि कांग्रेस के शासन में ही उन्हें धर्मपरिवर्तन कराने की खुली छूट मिलती है। छतीसगढ़ में कांग्रेस की प्रचण्ड जीत के पीछे उनका कितना बड़ा योगदान है, यह सब समझ रहे हैं। पन्द्रह वर्ष के शासनकाल में उनको शक्तिहीन न कर पाना भी भाजपा की हार का एक मुख्य कारण है।
अब यदि भविष्य की बात करें तो भाजपा को अपने मूल मुद्दों की ओर लौटना ही होगा। ईसाईकरण, राम मंदिर, हिन्दुओं के साथ सरकारी दुर्व्यवहार, गो हत्या, कश्मीरी पण्डित, गंगा, ये मुद्दे ही भाजपा के प्राण है। इन्हीं पर टिके रहना होगा... दूसरे शब्दों में कहें तो भाजपा को घरवापसी करनी होगी।
एक बात और है। यह मात्र भाजपा की हार और कांग्रेस की जीत नहीं है। यह जीत है ईसाई मिशनरियों की, यह जीत है नक्सली आतंकवादियों की, यह जीत है हिंदुत्व के दुश्मनों की। आपको नहीं लगता कि छतीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ईसाई मिशनरियां सौ गुनी शक्ति लगा कर बनवासियों को अपना शिकार बनाएंगी? क्या आपको नहीं लगता कि वहाँ पिछड़ों के मन मे और जहर भरा जाएगा?
इससे बचना ही होगा, मोदी के सिवाय अन्य कोई विकल्प नहीं। तमाम असहमतियों के बाद भी उन्हें ही चुनना होगा। तबतक, जबतक उनसे अच्छा विकल्प नहीं मिल जाता। और राहुल कभी भी मोदी के विकल्प नहीं हो सकते...
@dn
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खालिस्तान जिंदाबाद, राज करेगा खालसा: पटियाला में लगे देश विरोधी नारों का वीडियो
खालिस्तान जिंदाबाद, राज करेगा खालसा: पटियाला में लगे देश विरोधी नारों का वीडियो
पंजाब के पटियाला में आज जुलूस निकालते समय 2 गुटों के बीच में हिंसक झड़प हो गई, इस घटना के बीच खालिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पंजाब के पटियाला में जुलूस निकालने पर दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हो गई. इस दौरान पुलिस पर भी पथराव हुआ। अब तक मिली जानकारी के अनुसार शिवसेना के मार्च को लेकर तनाव हुआ था, जुलूस में खलिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाए गए। इस घटना में पुलिस के…
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'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारों से गुलजार है सपा प्रत्याशी
‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारों से गुलजार है सपा प्रत्याशी
डुमरियागंज में मुस्लिम सपा उम्मीदवार की जीत के बाद, “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लग रहे थे, विधायक सैय्यदा खातून और 250 अन्य के खिलाफ देश विरोधी नारे लगाने के लिए कई धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिन लोगों ने सपा को वोट दिया है, वे आश्चर्यचकित रह गए हैं कि अगर यादव यादव कबीले सत्ता में लौट आए?
समाजवादी पार्टी (सपा) को हाल ही में यूपी विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था।…
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🚩मुग़लकाल की बात छोड़िए, आज भी हिन्दू धर्म की रक्षा करना आसान नहीं! 19 जनवरी 2022
🚩सनातन हिंदू संस्कृति ही एक ऐसी संस्कृति है जो प्राणिमात्र का हित चाहती और करती है; यही संस्कृति विश्वभर में फैलेगी और उसके अनुसार मनुष्य चलने लगेगा तभी विश्व में शांति आ सकती है तथा हर व्यक्ति स्वस्थ्य, सुखी और सम्मानित जीवन जी सकता है। लेकिन दुर्भाग्य यह है इस संस्कृति का प्रचार प्रसार करके मानवता को बचाने के लिए जो आगे आते हैं उनको ही प्रताड़ित किया जाता है।
🚩आपको बता दें कि शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने जैसे ही सनातन धर्म अपनाया और सनातन की रक्षा के लिए जितेंद्र नारायण त्यागी बनकर धर्म संसद में बोले तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया, उनके साथ यति नरसिंहानंद जी को भी गिरफ्तार कर लिया जबकि वहाँ सरकार भाजपा की है।
🚩काली चरण महाराज को भी गांधीजी पर विवादास्पद टिप्पणी करने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन वामपंथी वामन मेश्राम ने गांधीजी के लिए काली चरण महाराज से भी ज्यादा गन्दे शब्दों का प्रयोग किया है पर उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई।
इससे पहले भी कई हिंदूनिष्ठों को गिरफ्तार किया है। अभिनेत्री पायल रोहतगी, हैदराबाद के विधायक टी राजा सिंह आदि को गिरफ्तार किया गया।
लेकिन जब देशविरोधी व हिंदू विरोधी नारे लगते हैं या बातें कही जाती हैं तो कोई कार्रवाई नहीं होती।
उदाहरणार्थ-
"भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह"- जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी
"हिंदुत्व की कब्र खुदेगी"- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
"हम को चाहिए आज़ादी, हिंदू से चाहिए आज़ादी, छीन के लेंगे आज़ादी।"- जामिया मिल्लिया इस्लामिया
"15 मिनट पुलिस हटा दो, हिंदुओं को खत्म कर देंगे"- अकबरुद्दीन ओवैसी
ऐसे कई मुस्लिम लीडर हैं जो आये दिन हिंदुओं को खत्म करने की बात करते हैं पर इनकी न गिरफ्तारी होती है और न ही जेल भेजा जाता है जबकि यही लोग देश में दंगे भडकाने व देश को तोड़ने का कार्य करते हैं।
🚩केवल यति नरसिंहानंद, जितेंद्र नारायण त्यागी व काली चरण महाराज ने ही हिंदुत्व के लिए आवाज उठाई हो और उनको जेल हुई है ऐसा नहीं है। इससे पूर्व में और वर्तमान में कई हिन्दूनिष्ठ व्यक्तियों को जेल भेजा गया है, कई जगह तो उनकी हत्या भी करवा दी गई है, मीडिया भी उनको ही बदनाम करती है।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, स्वामी असीमानंदजी, कर्नल पुरोहित, डीजी वंजारा आदि हिंदूनिष्ठ लोगों को सालों जेल में रखकर प्रताड़ित किया गया।
शंकरचार्य जयेंद्र सरस्वती, स्वामी नित्यानंद आदि साधु-संतों को मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर जेल भिजवाया गया।
🚩वर्तमान में हिंदू संत आशारामजी बापू को जेल में रखा गया है, 9 साल में एक दिन भी जमानत नहीं दी गई जबकि हिंदू संत आसारामजी बापू ने लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई, आदिवासियों में जीवनोपयोगी सामग्री दी और हिंदू धर्म की महानता बताई, जिससे धर्मांतरण वालों की दुकानें बंद हो गईं। और वो भी कॉंग्रेस सरकार में जब कोई हिंदुत्व के लिए बोलने से डरता था तब आवाज उठाई, उन्होंने करोड़ों लोगों को सदाचारी बनाया, भारतीय संस्कृति से अवगत कराया, करोड़ों लोगों के व्यसन छुड़वाए। 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, 25 दिसंबर को तुलसी पूजन शुरू करवाया जिससे विदेशी कम्पनियों की कमर टूट गई इसलिए ईसाई मिशनरियों व विदेशी कम्पनियों ने मिलकर कुछ नेताओं को खरीद लिया और उनपर झूठे केस करवाए तथा मीडिया को भारी फंडिग देकर उनकी बदनामी करवाई।
🚩 ग्राम ककोर , फफूंद , जिला औरैया के निवासी दारा सिंह उर्फ़ रविंदर पालजी ने लाखों हिन्दुओं को ख़त्म कर देने वाले मिशनरी से लड़ाई लड़ी लेकिन 22 सालों से जेल में बंद है ये हिन्दू योद्धा!
धर्मपरिवर्तन और गौ हत्या के विरुद्ध दारा सिंह के प्रतिकार की सजा इतनी भी नहीं होनी चाहिए जितनी उनको दी गयी।
🚩अब आप समझ गए होंगे कि हिंदुओं के लिए आवाज उठाने का परिणाम क्या आता है।
आपको स्पष्ट कर दें कि इन सब बातों से डरना नहीं चाहिए क्योंकि अपने धर्म में प्राण चले जाएं तो भी आखिर तक लड़ाई लड़नी चाहिए जैसे महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी महाराज, गुरु गोविंद सिंह, गुरु अर्जुनदेव, गुरु तेगबहादुरजी, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, चन्द्रशेखर आज़ाद आदि ने अपने धर्म की रक्षा के लिए अनेक यातनाएं सहन की यहाँ तक कि अपने प्राण दे दिए लेकिन धर्म व देश की रक्षा के लिए एक कदम भी पीछे नहीं हटे। हमको भी उनका अनुसरण करना चाहिए।
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