संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित एक पुस्तक जो है आध्यात्म का अनमोल खजाना। Download PDF Now:- bit.ly/hindu-book
1 .हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक में बताया गया है कि सनातनी पूजा का अंत कैसे हुआ और सनातनी पूजा का पुनः उत्थान कैसे होगा।
2. सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग में एक सनातन धर्म था तो कलयुग में मानव अनेक धर्म में क्यों बंट गया?
3. क्या ध्यान साधना से परमात्मा प्राप्ति हो सकती है?
4. इस पुस्तक का आधार सूक्ष्मवेद यानि तत्त्वज्ञान है। जिसमें समझाने के लिए प्रमाण वेदों, गीता, महाभारत तथा पुराणों आदि शास्त्रों से लिए हैं।
5. पवित्र गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में वर्णित सनातन परम धाम कौन सा है, जहां परम शांति है? और वह कैसे प्राप्त होता है?
6. श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15 श्लोक 17 अनुसार सबका धारण पोषण करने वाला परमात्मा कौन है?
7. शिवलिंग की पूजा कैसे प्रारंभ हुई?
क्या शिवलिंग की पूजा से कोई लाभ संभव है?
8. वैष्णों देवी, नैना देवी, ज्वाला देवी तथा अन्नपूर्णा देवी के मंदिरों की स्थापना कैसे हुई?
9. पूजा और साधना में क्या अंतर होता है?
10. पूर्व में जितने ऋषि महर्षि हुए हैं, वे सब ब्रह्म की पूजा करते और कराते थे। "ओम् (ॐ)" नाम को सबसे बड़ा तथा उत्तम मन्त्र जाप करने का बताते थे, क्या उन्हें धर्मग्रंथों का ज्ञान नहीं था?
11 . गीता ज्ञान बताने वाले क्षर पुरुष (ब्रह्म) की भक्ति करनी चाहिए या नही?
12. गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता बोलने वाले प्रभु ने अपने से अन्य किस परमेश्वर की शरण में जाने को कहा है?
13. 18 पुराण किस तरह के शास्त्र हैं?
पुराणों में किस तरह का ज्ञान दिया गया है?
14. तीर्थ स्थल केदारनाथ, पशुपतिनाथ की स्थापना कैसे हुई?
15. गीता अध्याय 7 श्लोक 29 में गीता ज्ञान देने वाले प्रभु ने कहा है कि जो साधक केवल वृद्धावस्था तथा मृत्यु के दुःख से छूटने के लिए ही प्रयत्नशील हैं, वे तत् ब्रह्म को तथा सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान यानि तत्त्वज्ञान को जानते हैं।
तत् ब्रह्म तथा तत्त्वज्ञान को जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें।
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भगवद गीता, जिसे अक्सर केवल गीता के रूप में जान��� जाता है, हिंदू धर्म में एक पूजनीय ग्रंथ है। यह धर्म में एक केंद्रीय स्थान रखता है और इसे आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक आचरण के लिए एक कालातीत मार्गदर्शक माना जाता है। Read more...
हमारा उद्देश्य:- विश्व के मानव को सत्य ज्ञान सुनाकर सनातनी बनाना है क्योंकि पिछला इतिहास बताता है कि पहले केवल एक सनातन धर्म ही था। तत्त्वज्ञान के अभाव से हम धर्मों में बंटते चले गए जो विश्व में अशांति का कारण बना है। एक-दूसरे के जानी दुःश्मन बन गए हैं।
यह बात विश्व का मानव निर्विरोध मानता है कि सबका मालिक एक है। परंतु वह कौन है? कैसा है यानि साकार है या निराकार है? मानव रूप में या अन्य रूप में? यह प्रश्न वाचक चिन्ह ❓अभी तक लगा है। अब संत रामपाल जी महाराज ने यह प्रश्नवाचक चिन्ह ( ❓) पूर्ण रूप से हटा दिया है।
सूक्ष्मवेद में बताया है कि विश्व के सभी जीवात्मा परमशांति वाले सनातन परम धाम में उस परमात्मा के पास रहते थे जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है कि हे भारत! तू सर्वभाव से उस परमेश्वर की शरण में जा, उसकी कृपा से ही तू परमशांति को तथा (शाश्वतम् स्थानम्)सनातन परम धाम यानि सत्यलोक को प्राप्त होगा। जो 16 शंख कोस दूर है।
अक्सर लोग सोचते हैं कि मानव को गुरु दीक्षा लेनी क्यों जरूरी है? तो इस विषय पर कबीर साहेब कहते हैं, “गुरु बिन माला फेरते,गुरु बिन देते दान। गुरु बिन दोनों निष्फल है, चाहे पूछ लो वेद पुराण।।” अर्थात किसी भी दान, धर्म, पूजा, साधना, धर्म-कर्म का कोई महत्व नहीं है यदि आपने पूर्ण गुरु से उपदेश नहीं ले रखा है और अनुपदेशी प्राणी मनुष्य जन्म पाने का अधिकारी भी नहीं होता, क्योंकि अनुपदेशी द्वारा किया गया दान व्यर्थ होता है। पवित्र गीता भी इसे प्रमाणित करती है। अनुपदेशी मनुष्य अपने कीमती मानव जीवन को यूं ही व्यर्थ गंवा देता है और अगले जन्म में गधे कुत्तों की योनियों में अपने द्वारा किए हुए सभी पाप को भोगता है और जन्म मरण का कष्ट और 84 लाख योनियों का कष्ट कर्म आधार पर उठाता है। जानिए पूर्णसंत, सतगुरु रामपाल जी महाराज से कैसे प्राप्त की जा सकती है गुरु दीक्षा?:
अघोरी बाबा की गीता के लेखक और पिता जी, पं श्री डॉ अशोक शर्मा जी द्वारा, उनके कनाडा प्रवास के मध्य में, भगवद्गीता पर उन्होंने पञ्चदिवसीय गीता सत्र किया था | उसी का पहला भाग, आज आप सभी के लिए प्रस्तुत है ! इस महत्वपूर्ण लेक्चर में, सांख्य, वेदांत, गीता आदि के बेसिक्स की विस्तृत चर्चा है |
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