"Eco-friendly" paper drinking straws contain long-lasting and potentially toxic chemicals, a new study has concluded.
In the first analysis of its kind in Europe, and only the second in the world, Belgian researchers tested 39 brands of straws for the group of synthetic chemicals known as poly- and perfluoroalkyl substances (PFAS).
PFAS were found in the majority of the straws tested and were most common in those made from paper and bamboo, found the study, published in Food Additives & Contaminants.
PFAS are used to make everyday products, from outdoor clothing to non-stick pans, resistant to water, heat and stains. However, they are potentially harmful to people, wildlife and the environment. They break down very slowly over time and can persist over thousands of years in the environment, a property that has led to them being known as "forever chemicals."
They have been associated with a number of health problems, including lower response to vaccines, lower birth weight, thyroid disease, increased cholesterol levels, liver damage, kidney cancer and testicular cancer.
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Single-use plastic has become the ultimate bone of contention for activists around the globe, forcing brands to find more sustainable alternatives. One of the common practices that companies are now taking is the move from traditional plastic to paper straws. The discussion concerning plastic straws has just escalated in different regions. There are different reasons why moving from plastic to paper straws makes sense both from a business and environmental standpoint.
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पेपर स्ट्रॉ की बढ़ी मांग, ग्रामीण क्षेत्रों में भी कर सकते हैं ये मुनाफे का व्यवसाय
1 जुलाई 2022 से भारत सरकार नें सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबन्ध (Single Use Plastic Ban) लगा दिया है, इसके कारण बाजार से प्लास्टिक की वस्तुएं गायब हो रही हैं. प्लास्टिक के इन्हीं उत्पादों में से एक “प्लास्टिक स्ट्रॉ” (Plastic Drinking Straw) है. प्लास्टिक ड्रिंकिंग स्ट्रॉ का उपयोग अक्सर पेय पदार्थो के लिए किया जाता है.
प्लास्टिक की वस्तुओं पर बैन लगाने के सरकार के इस फैसले से देश में पेय पदार्थ उत्पादक कंपनियों को बहुत नुकसान हुआ है, और इसी का असर है कि अब प्लास्टिक ड्रिंकिंग स्ट्रॉ की जगह पर पेपर स्ट्रॉ (Paper Drinking Straw) की मांग में तेजी आई है. बाजार में पेपर स्ट्रॉ की बढ़ती मांग के कारण पेपर स्ट्रॉ निर्माण एक बड़े व्यवसाय का रूप लेता जा रहा है.
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एसी स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेपर स्ट्रॉ निर्माण बिजनेस का एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जिससे लाखों कि कमाई हो सकती है.
लेकिन प्रश्न है कि कैसे पेपर स्ट्रॉ का बिजनेस शुरू कर सकते हैं ?
व्यवसाय प्रारंभ करने के पूर्व लेनी होगी सरकार से निम्नलिखित बिंदुओं पर अनुमति :
• सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय से रजिस्ट्रेशन
• जीएसटी रजिस्ट्रेशन
• रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज
• फर्म का रजिस्ट्रेशन
• दुकान अधिनियम लाइसेंस
• IEC कोड (The Importer -Exporter Code (IEC))
• एक्सपोर्ट लाइसेंस
• आग और सुरक्षा
• ESI (Employees’ State Insurance Corporation) इ.एस.आई.
• प्रोविडेंट फंड (Provident fund (PF))
• प्रदूषण बोर्ड से No Objection Certificate
• स्थानीय नगरपालिका प्राधिकरण से व्यापार लाइसेंस
किसी भी होटल, रेस्तरां या उत्सव में कोल्ड ड्रिंक, नारियल पानी या लस्सी के लिये स्ट्रॉ का इस्तेमाल किया जाता है. छोटे जूस व्यवसायियों से लेकर बड़ी बड़ी डेयरी या सॉफ्ट ड्रिंक कम्पनियां तक स्ट्रॉ का इस्तेमाल करती है. अब जब सरकार ने प्लास्टिक स्ट्रॉ पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया है, तो पेपर स्ट्रॉ की मांग और ज्यादा बढ़ गयी है.
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पेपर स्ट्रॉ निर्माण के लिए सामग्री :
पेपर स्ट्रॉ निर्माण का व्यवसाय शुरू करने के लिए कुछ चीजों की आवश्यकता होती है, जिसमे सबसे जरूरी कागज रोल और स्ट्रॉ बनाने वाली मशीन, दूसरी पेपर कटिंग मशीन. इन चीजों से पेपर स्ट्रॉ का कारोबार प्रारंभ किया जा सकता है. इसके लिये रंग भी महत्वपूर्ण सामग्री होता है, जिससे स्ट्रॉ को रंगीन और आकर्षक बनाया जाता है.
पेपर स्ट्रॉ बनाने का तरीका :
सबसे पहले पेपर रोल व रंग अथवा स्याही को पेपर स्ट्रॉ बनाने वाली मशीन में डालते हैं, जिसके बाद मशीन दोनों को मिलाकर स्ट्रॉ का निर्माण करती है.
पहली मशीन से तैयार हुए स्ट्रॉ के मिश्रण को दूसरी मशीन में रखा जाता है, जिसमें निश्चित आकार व नाप के अनुसार टुकड़ों में काटा जाता है, और इसके बाद पेपर स्ट्रॉ बनकर तैयार होता है.
अगर किसी अलग डिजाइन या नए तरीके का पेपर स्ट्रॉ बनाना चाहते हैं तो इसके लिये मशीन की सहायता लेना होता है.
पेपर स्ट्रॉ के निर्माण के बाद इसका सही ढंग से पैकेजिंग करना होता है ताकि बाज़ार तक पहुँचाया जा सके. 25, 50 या 100 की गिनती में स्ट्रॉ का एक-एक बंडल बनाया जा सकता है. पैकिंग सामग्री के क्षमतानुसार बंडल बनाया जाता है, जिसे बाजार में बिकने को भेजा जाता है.
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