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#10 वीं का परिणाम क्या है
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10वीं कक्षा खत्म होने के बाद रोजगार संभव “क्या यह Science, Commerce, या Arts होगा? यह एक आम गलत धारणा है कि 10वीं कक्षा के परिणाम के बाद अधिकांश छात्रों को समस्या होती है। कई छात्र सहकर्मी या पारिवारिक दबाव के कारण पेशा चुनते समय गलतियाँ करते हैं। वर्तमान में, प्रत्येक क्षेत्र में कई विकल्प हैं, लेकिन आपको हमेशा अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के आधार पर चयन करना चाहिए। 1. Science – विज्ञान Engineering, Medicine, and Research सहित नौकरी के व्यापक अवसर प्रदान करता है। माता-पिता और छात्रों दोनों के लिए, यह नौकरी का सबसे लोकप्रिय विकल्प है। विज्ञान का मुख्य लाभ यह है कि यह आपको 12 वीं कक्षा के बाद विज्ञान से व्यवसाय या विज्ञान से कला में जाने की अनुमति देता है। हाई स्कूल से स्नातक उसके बाद, छात्रों को वैज्ञानिक ट्रैक में नौकरी के विभिन्न अवसर मिलते हैं। Read complete and updated information at https://sarkarinaukritraining.com/blog/details/10%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE-%E0%A4%96%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AE-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%AD%E0%A4%B5
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navabharat · 2 years
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केंद्रीय शिक्षा मंत्री बोले- केजरीवाल का शिक्षा मॉडल खोखला और बनावटी, दिल्ली के स्कूलों का रिजल्ट गिरा
केंद्रीय शिक्षा मंत्री बोले- केजरीवाल का शिक्षा मॉडल खोखला और बनावटी, दिल्ली के स्कूलों का रिजल्ट गिरा
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के शिक्षा मॉडल को खोखला बताया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के स्कूलों का 10 वीं व 12 वीं का परीक्षा परिणाम काफी नीचे चला गया है। धर्मेंद्र प्रधान बिजनेस टुडे इंडिया@100 शिखर सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि क्या देश के राष्ट्रपति की पोती व गरीब परिवार की बच्ची की फीस एक हो सकती है। अलग-अलग होनी चाहिए। जो सक्षम…
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trendingwatch · 2 years
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सीबीएसई 10 वीं परिणाम 2022: अंतिम परिणाम गणना फॉर्मूला क्या है? इसके चारों ओर बहस क्यों है?
सीबीएसई 10 वीं परिणाम 2022: अंतिम परिणाम गणना फॉर्मूला क्या है? इसके चारों ओर बहस क्यों है?
के रूप में सीबीएसई अपने कक्षा 10 और कक्षा 12 के बोर्ड परीक्षा परिणामों की घोषणा करने के लिए पूरी तरह तैयार है, परिणाम गणना सूत्र के बारे में बहस अभी भी जारी है। सीबीएसई के इतिहास में पहली बार कक्षा 10 और कक्षा 12 को दो पदों में बांटा गया है। सिलेबस को दो हिस्सों में बांटा गया था। पाठ्यक्रम का पहला भाग टर्म 1 में और दूसरा हाफ टर्म 2 में पूछा गया था। टर्म 1 की परीक्षा MCQ-आधारित थी और टर्म 2…
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abhay121996-blog · 3 years
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CBSE New marking scheme: सीबीएसई 10वीं बोर्ड परिणाम जल्द, ऐसे समझें नई मार्किंग स्कीम Divya Sandesh
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CBSE New marking scheme: सीबीएसई 10वीं बोर्ड परिणाम जल्द, ऐसे समझें नई मार्किंग स्कीम
New marking scheme, CBSE Class 10th (Matric) Result 2021: कोरोना वायरस () महामारी के कारण सेंट्रल बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (CBSE) ने 12वीं बोर्ड परीक्षाएं () स्थगित और 10वीं बोर्ड (CBSE Matric Board Exam 2021) परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं। ने शनिवार, 01 मई 2021 को बताया कि, 10वीं क्लास का रिजल्ट नई मार्किंग स्कीम () तैयार होगा और कब घोषित किया जा सकता है। आइए जानते हैं पूरी डीटेल
कैसे बनेगा कक्षा 10 का परिणाम? बोर्ड, कोविड-19 के चलते रद्द हुई 10वीं क्लास के छात्रों के रिजल्ट इंटरनल असेसमेंट के आधार पर तैयार करेगा। छात्रों के स्कूलों इंटरनल असेसमेंट में प्राप्त अंकों के आधार पर नंबर दिए जाएंगे। जो छात्र अपने नंबरों से खुश नहीं होंगे, उनकी परीक्षा स्थिति सुधार के बाद आयोतित की जा सकती हैं। सीबीएसई मैट्रिक रिजल्ट 2021 दो मार्किंग स्कीम के आधार पर होगा। 20 प्रतिशत सीबीएसई की पुरानी मार्किंग स्कीम और बाकी का 80 प्रतिशत परिणाम सीबीएसई की नई मार्किंग स्कीम द्वारा तैयार किया जाएगा।
CBSE New marking scheme क्या है? सीबीएसई द्वारा जारी नोटिफिकेशन में बताया गया है कि, नई इंटरनल असेसमेंट मार्किंग स्कीम को तीन भागों में बांटा गया है- यूनिट टेस्ट, मिड टर्म और प्री बोर्ड। नई मार्किंग स्कीम के 80 नंबर के पेपर में 10 अंक यूनिट टेस्ट, मिड टर्म – 30 अंक और प्री बोर्ड – 40 अंक का होगा। यह सीबीएसई 10 वीं बोर्ड परीक्षा 2021 के लिए छात्रों द्वारा चुने गए 5 मुख्य विषयों की मार्किंग के लिए है।
कौन तैयार करेगा सीबीएसई मैट्रिक रिजल्ट? एक निष्पक्ष मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए, स्कूलों को 7 सदस्यों की रिजल्ट कमेटी तैयार करनी होगी। स्कूल के प्रधानाचार्य सहित एक परिणाम समिति बनाने के लिए कहा गया है। 7 सदस्यीय टीम में एक गणित, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और दो भाषाओं का स्कूल टीचर भी शामिल होगा।
20 जून को घोषित होगा कक्षा 10 का परिणाम स्कूलों को 25 मई तक परिणामों को अंतिम रूप देने और उन्हें 5 जून तक बोर्ड को प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। आंतरिक मूल्यांकन के अंक (20 में से) 11 जून तक जमा करने होंगे। सीबीएसई 20 जून को कक्षा के परिणाम घोषित करेगा।
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kisansatta · 4 years
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भारत 8वीं बार बना सुरक्षा परिषद् का अस्थाई सदस्य, पक्ष में पड़े 184 मत
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नई दिल्ली : भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के चुनावों में निर्विरोध अस्थाई सदस्य चुन लिया गया है। अब भारत 2021-22 के लिए इस सर्वोच्च संस्था का अस्थायी सदस्य बन गया है। बता दें कि यह 8 वीं बार है जब भारत UNSC के अस्थाई सदस्य लिए चुना गया है। भारत को इस चुनाव में 192 में से 184 वोट मिले। वहीं भारत की इस कामयाबी पर चिढ़े पाकिस्तान ने कहा कि सुरक्षा परिषद में नई दिल्ली की अस्थायी सदस्यता हमारे लिए चिंता की बात है।
क्या है UNSC
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 प्रमुख हिस्सों में से एक है। इसका मुख्य कार्य दुनियाभर में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ में नए सदस्यों को जोड़ना और इसके चार्टर में बदलाव से जुड़ा काम भी सुरक्षा परिषद के काम का हिस्सा है। यह परिषद दुनियाभर के देशो में शांति मिशन भी भेजता है और अगर दुनिया के किसी हिस्से में मिलिट्री ऐक्शन की जरूरत होती है तो सुरक्षा परिषद रेजोल्यूशन के जरिए उसे लागू भी करता है।
हर साल 5 अस्थाई सीटों के लिए होता है चुनाव
महासभा हर साल दो वर्ष के कार्यकाल के लिए कुल 10 में से पांच अस्थाई सदस्यों का चुनाव करती है। ये 10 अस्थाई सीटें क्षेत्रीय आधार पर वितरित की जाती हैं। पांच सीटें अफ्रीका और एशियाई देशों के लिए, एक पूर्वी यूरोपीय देशों, दो लातिन अमेरिका और कैरिबियाई देशों और दो पश्चिमी यूरोपीय और अन्य राज्यों के लिए वितरित की जाती हैं। परिषद में चुने जाने के लिए उम्मीदवार देशों को सदस्य देशों के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
192 में से 184 वोट मिले
जीत के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत नेतृत्व जारी रखेगा और एक बेहतर बहुपक्षीय व्यवस्था को नई दिशा देगा। ��ारत को 192 बैलट वोट्स में से 184 वोट मिले। तिरुमूर्ति ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं कि भारत को साल 2021-22 के लिए UNSC का अस्थाई सदस्य चुन लिया गया है। हमें भारी समर्थन मिला है और संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने जो विश्वास जताया है उससे विनम्र महसूस कर रहा हूं।
भारत का दो वर्ष का कार्यकाल एक जनवरी 2021 से शुरू होगा | भारत को आठवीं बार संयुक्त राष्ट्र की इस महत्वपूर्ण संस्था में सदस्यता मिली है | इसमें पांच स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य हैं | चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद तिरुमूति ने कहा, ‘मुझे बहुत खुशी है कि भारत 2021-22 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर चुना गया है | हमें भारी समर्थन हासिल हुआ और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने भारत पर जो भरोसा जताया है उससे मैं अभीभूत हूं |
इससे पहले कब कब भारत ने दर्ज की जीत?
गौरतलब यह है की भारत ने सुरक्षा परिषद् के लिए सबसे पहले आजादी के बाद 1950 में अस्थाई सदस्य के रूप में जगह बनायीं थी | जिसके बाद भारत 8वीं बार सदस्य बना है | इससे पहले भारत 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 तथा 2011-2012 में परिषद का अस्थायी सदस्य बना था | तिरुमूर्ति ने कहा कि सुरक्षा परिषद में भारत का चुना जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘सोच’ और उनके प्रेरणादायी वैश्विक नेतृत्व खासकर कोविड-19 के दौर में, का साक्षी है | उन्होंने कहा, ‘भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर सुरक्षा परिषद का सदस्य बन रहा है और हमें विश्वास है कि कोविड संकटकाल में और कोविड के बाद की दुनिया में भारत बहुपक्षीय प्रणाली को नयी दिशा तथा नेतृत्व देगा |
भारत के अलावा आयरलैंड, मैक्सिको और नॉर्वे ने भी बुधवार को हुए सुरक्षा परिषद चुनाव में जीत हासिल की | कनाडा चुनाव हार गया | बता दें की UNSC के सदस्य देशों ने 2021-22 के लिए भारत को अस्थायी सदस्य के तौर पर भारी समर्थन से चुना | भारत को 192 मतों में से 184 मत हासिल हुए | संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं |
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राजनीति में सबसे बड़ी जीत होती है उसकी पहचान और राजनेता का मोटिवेशन पावर। क्या श्याम रजक की मौजूदगी चिराग पासवान और मांझी जैसे राजनीतिक धुरंधरों के प्रतिकार को परास्त कर तेजस्वी यादव अपनी पार्टी आरजेडी की नैया को पार लगा पाएंगे। जहां कांग्रेस भी उनके साथ खड़ी दिखती है।
जहां चिराग पासवान राजनीति के धुरंधर लोजपा अध्यक्ष श्री रामविलास पासवान जी के पुत्र हैं और श्री रामविलास पासवान जी का खुद भी एक बहुत अच्छा पकड़ बिहार की राजनीति में लगभग आज पांच दशकों से है यानी लगभग 50 साल से और खुद चिराग पासवान 10 साल से बिहार के जमुई से सांसद हैं। वहीं श्री जीतन राम मांझी 20 साल से बिहार के राजनीति में सक्रिय हैं और बिहार के मुख्यमंत्री कैबिनेट मंत्री और कई बार मंत्री और विधायक भी रह चुके हैं। 
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); अब सवाल यह है कि आखिर इस समुदायों के जनता का वोट किधर बंटेगा या फिर जनता क्षेत्रीय नेताओं की वजह से क्षेत्रीय भागों में बांटेगी। या फिर क्या पूरे बिहार में इस समुदाय की जनता किसी एक पार्टी के तरफ जाएगी। जहां श्री रामविलास पासवान जी के तरफ बंटेगी यानी उनके पुत्र चिराग पासवान जी खुद हाजीपुर से सांसद है इतना ही नहीं 17 वीं लोकसभा में लोजपा के 6 सांसद सभी मिलाकर है। जहां आरजेडी सांसद के मामले में लोजपा से काफी पीछे है। लेकिन आरजेडी के पास लालू यादव की राजनीतिक पकड़ की धरोहर भी है।  
क्या श्याम रजक इन समुदाय के लोगों को अपनी ओर लाने में कामयाब होंगे  जहां चिराग पासवान एक युवा नेता है और उनके बातों में ज्यादा मोटिवेशन दिखता है। या फिर जनता अनुभवी नेता श्री जीतन राम मांझी की तरफ बंटेगी। या फिर इन समुदायों के जो वोटर हैं हुए इन सब को छोड़कर किसी और पार्टी को वोट देंगे यह तो समय बताएगा और आने वाला चुनाव परिणाम ही बताएगा और मुझे नहीं लगता कि बिहार के ये वोटर अपने जातिगत वोट को छोड़कर किसी और अन्य पार्टी को वोट देगी । 
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); दूसरी तरफ जो सत्तासीन पक्ष है उसमें बीजेपी और जेडीयू है चुनावी समय होने के कारण बिहार में उन्होंने अनेक लुभावने स्कीम में चला रखी है। अनेक लुभावने योजनाओं का श्रीगणेश हो रहा है जैसे नवंबर तक राशन देने की बात है फंड में पैसे देने की बात है और भी कई तरह के लुभावने स्क्रीन से सरकार ने लांच किए हैं तो आखिर यह स्कीम से जनता का रुख क्या होगा यह सब तो चुनाव के रिजल्ट के बाद पता चलेगा। 
फिलहाल इतने करे संघर्षों के बाबजूद मुझे नहीं लगता कि राजद के लिए श्री श्याम रजक एक खेवनहार साबित होंगे इस समुदाय के लिए बिहार के आगामी विधान सभा चुनाव में। यहां नीचे हम इन सभी राजनेताओं का परिचय करा रहे हैं उसे भी जाने उनका राजनीतिक सफर कैसा है और वे बिहार की राजनीति में अपना स्थान कहां रखते हैं।
पात्र परिचय
श्री जीतन राम मांझी
6 अक्टूबर 1944 को जन्मे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री जीतन राम मांझी 20 फरवरी 2015 को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में जेडीयू के नेता के तौर पर शपथ लिए थे और वे बिहार के 23वें मुख्यमंत्री थे। जिला गया के खिजरसराय जय महाकार गांव में जन्मे मांझी दलित मुशहर समुदाय से हैं। उनके पिता श्री रामजीत राम मांझी एक खेतिहर मजदूर थे। जीतन राम मांझी ने 1966 में स्नातक की शिक्षा ली और 1966 में ही उन्होंने लिपिक की नौकरी करना आरंभ किया और 1980 में नौकरी छोड़ दी। वे एक शादीशुदा जीवन व्यतीत करते हैं और उनकी पत्नी का नाम श्रीमती शांति देवी है और वे दो पुत्र और 5 पुत्रियों के पिता है ।
नौकरी छोड़ने के बाद श्री जीतन राम मांझी ने राजनीतिक जीवन में कदम रखा और 1980 में पहली बार बिहार विधान सभा के लिए  विधायक चुने गए इसके बाद वे 1990 और 1996 में भी विधायक चुनाव चुने गए।  2005 में बाराचट्टी के बिहार विधानसभा के लिए  चुने गए और  अपने राजनीतिक जीवन में मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री और मंत्री भी रहे।
श्री श्याम रजक
22 जुलाई 1954 ईस्वी को बिहार के पटना में जन्मे श्री श्याम रजक बिहार के धोबी समुदाय से आते हैं उनके पिता का नाम स्वर्गीय रीत नारायण लाल रजक है वह स्नातक की डिग्री लिए हैं वाणिज्य शास्त्र से और वह शादीशुदा हैं उनकी पत्नी का नाम श्रीमती अलका रजक है। श्री श्याम रजक ने अपना राजनीतिक जीवन 1974 में शुरू किए। 1974 में वे प्रेस बिल के विरुद्ध आंदोलन में भाग लिए जिसमें उनकी सक्रियता प्रबल थी । श्री चंद्रशेखर जी के नेतृत्व में कि है पदयात्रा जो कन्याकुमारी से दिल्ली तक थी उस पदयात्रा में भी वे सामिल थे। उड़ीसा के कालाहांडी में भूख से मरने के कारण वहां भी पदयात्रा की और सहायता कार्यों में भाग लिए साथ ही साथ पंजाब में आतंकवाद के विरुद्ध अमृतसर से दिल्ली तक पदयात्रा की और इतना ही नहीं इस सिलसिले में कई बार जेल भी गए।
जनता दल के युवा शाखा के राष्ट्रीय महासचिव, बेरोजगार सेना के राष्ट्रीय संयोजक, राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय महासचिव एवं वर्तमान में जेडीयू छोड़कर फिर राष्ट्रीय जनता दल में आने वाले श्री श्याम रजक बिहार में अनेकों बार विधायक, मंत्री और कैबिनेट मंत्री के पद पर रहे। इतना ही नहीं उन्होंने आरजेडी का दामन छोड़कर जदयू का दामन थामा था और फिर जदयू का दामन छोड़कर आरजेडी के दामन में चले आए ।
श्री चिराग पासवान
चिराग पासवान का जन्म 21 अक्टूबर 1982 बिहार में हुआ । लोक जनशक्ति पार्टी के नेता है और एक अभिनेता भी।  उनके पिता श्री रामविलास पासवान जी जो खुद एक मंझे हुए राजनेता है और उनका खुद एक बहुत बाद कड़ है देश की राजनीति में और अपने लगभग 50 सलमके राजनीतिक सफर में। इतना ही नहीं चिराग पासवान जमुई लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद भी हैं। चिराग पासवान 2009 में भी इसी लोकसभा सीट से सांसद थे। छः सांसद होने साथ उनका पकड़ बिहार में इन समुदायों में काफी अच्छी स्थिति में दिखता है। 
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sandhyabakshi · 4 years
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CISCE ने इस बार ICSE और ISC के टॉपरों का ऐलान नहीं किया, जानें क्या रही वजह
CISCE ने इस बार ICSE और ISC के टॉपरों का ऐलान नहीं किया, जानें क्या रही वजह
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CISCE ICSE 10 वीं, ISC 12 वीं का रिजल्ट 2020: काउंसिल ऑफ द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (एसएसएससीई) ने शुक्रवार को आईसीएसई (ICSE – 10 वीं) और आईएससी (ISC – 12 वीं) कक्षा का परीक्षा परिणाम जारी किया। इस वर्ष बोर्ड ने अतिरिक्त परिस्थितियों को देखते हुए मेरिट लिस्ट जारी नहीं की। न तो आईसीएसई के टॉपरों का ऐलान किया गया और न ही आईएससी के टॉपरों का। गौरतलब है कि सीएसएससीई ने कोविद -19…
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prabodhprateek-blog · 6 years
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अपने देश के समक्ष बालश्रम की समस्या एक चुनौती बनती जा रही है। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम भी उठायेहैं। समस्या के विस्तार और गंभीरता को देखते हुए इसे एक सामाजिक-आर्थिक समस्यामानी जा रही है जो चेतना की कमी, गरीबी और निरक्षरता से जुड़ी हुई है। इस समस्या के समाधान हेतु समाज के सभी वर्गों द्वारा सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।वर्ष 1979 में भारत सरकार ने बाल-मज़दूरीकी समस्या और उससे निज़ात दिलाने हेतु उपाय सुझाने के लिए 'गुरुपाद स्वामी समिति' का गठन किया था। समिति ने समस्या का विस्तार से अध्ययन किया और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। उन्होंने देखा कि जब तक गरीबी बनी रहेगी तब तक बाल-मजदूरी को हटाना संभव नहीं होगा। इसलिए कानूनन इस मुद्दे को प्रतिबंधित करना व्यावहारिक रूप से समाधान नहीं होगा। ऐसी स्थिति में समिति ने सुझाव दिया कि खतरनाक क्षेत्रों में बाल-मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया जाए तथा अन्य क्षेत्रों में कार्य के स्तर में सुधार लाया जाए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि कार्यरत बच्चों की समस्याओं को निपटाने के लिए बहुआयामी नीति बनाये जाने की जरूरत है।'गुरुपाद स्वामी समिति' की सिफारिशों के आधार पर बाल-मजदूरी (प्रतिबंध एवं विनियमन) अधिनियम को 1986 में लागू किया गया था। इस अधिनियम के द्वारा कुछ विशिष्टिकृत खतरनाक व्यवसायों एवं प्रक्रियाओं में बच्चों के रोजगार पर रोक लगाई गई है और अन्य वर्ग के लिए कार्य की शर्त्तों का निर्धारण किया गया। इस कानून के अंतर्गत बाल श्रम तकनीकी सलाहगार समिति के आधार पर जोखिम भरे व्यवसायों एवं प्रक्रियाओं की सूची का विस्तार किया जा रहा है।उपरोक्त दृष्टिकोण की सामंजस्यता के स��दर्भ में वर्ष 1987 में राष्ट्रीय बाल-मजदूरी नीति तैयार की गई। इस नीति केतहत जोखिम भरे व्यवसाय और प्रक्रियाओं में कार्यरत बच्चों के पुनर्वास कार्य पर ध्यान केन्द्रित किये जाने की जरूरत बताई गई।संयोजन पाठ्यक्रमबाल मज़दूरी की समस्या के समाधान के क्षेत्र में 'एम.वी. फाउंडेशन द्वारा एक अलग दृष्टिकोण विकसित किया गया है। यह संस्थान स्कूल छोड़े हुए, नामांकन से वंचित तथा अन्य कार्यरत बच्चों के लिए संयोजन पाठ्यक्रम (ब्रिज कोर्स) चला रहा है तथा उनकी उम्र के अनुरूप औपचारिक शिक्षा पद्धति के अंतर्गत स्कूल में नामांकन करा रहा है। यह पद्धति काम करने वाले बच्चों को स्कूल की ओर लाने में काफी हद तक सफल रहा है और इसे आँध्र प्रदेश सरकार के साथ प्रथम, सिनी - आशा,लोक जुम्बिश जैसी गैर सरकारी संस्थाओं ने भी अपनाया है।ज्यादा जानकारी के लिए देखेंश्रम और रोजगार मंत्रालय।बाल मजदूरी के कारणयूनीसेफ के अनुसार बच्चों का नियोजन इसलिए किया जाता है, क्योंकि उनका आसानी से शोषण किया जा सकता है। बच्चे अपनी उम्र के अनुरूप कठिन काम जिन कारणों से करते हैं, उनमें आम तौर पर गरीबी पहला है।लेकिन इसके बावजूद जनसंख्या विस्फोट, सस्ता श्रम, उपलब्ध कानूनों का लागू नहींहोना, बच्चों को स्कूल भेजने के प्रति अनिच्छुक माता-पिता (वे अपने बच्चों को स्कूल की बजाय काम पर भेजने के इच्छुक होते हैं, ताकि परिवार की आय बढ़ सके) जैसे अन्य कारण भी हैं। और यदि एक परिवारके भरण-पोषण का एकमात्र आधार ही बाल श्रमहो, तो कोई कर भी क्या सकता है।बाल मजदूरी उन्मूलन हेतु किये जा रहे प्रयासबाल श्रम उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना कार्यक्रम के तहत 1.50 लाखबच्चों को शामिल करने हेतु 76 बाल श्रम परियोजनाएं स्वीकृत की गयी हैं। करीब 1.05 लाख बच्चों को विशेष स्कूलों में नामांकित किया जा चुका है। श्रम मंत्रालय ने योजना आयोग से वर्तमान में 250 जिलों की बजाय देश के सभी 600 जिलों को राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना में शामिल करने के लिए 1500 करोड़ रुपये देनेको कहा है। 57 खतरनाक उद्योगों, ढाबा और घरों में काम करनेवाले बच्चों (9-14 साल की उम्र के) को इस परियोजना के तहत लाया जायेगा। सर्व शिक्षा अभियान जैसी सरकारी योजनाएं भी लागू की जा रही हैं।राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के तहत शामिल नीतिसातवीं पंचवर्षीय योजनावधि के दौरान 14 अगस्त, 1987 को राष्ट्रीय बाल श्रम नीति को मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किया गया। इस नीति का उद्देश्य बच्चों को रोजगार से हटाकर उन्हें समुचित रूप से पुनर्वासकराना था। इस तरह जिन क्षेत्रों में बाल श्रम अधिक है उन क्षेत्रों में इसके प्रभाव को कम करना है।इस नीति के तीन मुख्य घटक हैं :कानूनी कार्य योजना – विभिन्न श्रम कानूनों के अंतर्गत बाल श्रम से संबंधितकानूनी प्रावधानों को कठोरतापूर्वक एवंप्रभावी ढंग से क्रियान्वयन को सुनिश्चित करनासामान्य विकास कार्यक्रम पर ध्यान देना – जहाँ तक संभव हो विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा बाल श्रमिकों के कल्याण के लिए चलाए जा रहे विकास कार्यक्रमों का उपयोग करना।परियोजना आधारित कार्य योजना – जिन क्षेत्रों में बाल-श्रमिकों का प्रभाव अधिक है उन क्षेत्रों में कार्यरत बच्चों के लिए योजनाएँ बनाना।10वीं योजनावधि के दौरान श्रम नीति के अंतर्गत व्यापक दृष्टिकोण को अपनाया जाएगा।उद्देश्य1991 की जनगणना के अनुसार देश में बाल श्रमिकों की संख्या लगभग 1.1 करोड़ थी। संसाधनों की कमी और सामाजिक चेतना और जागरूकता के वर्तमान स्तर को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 10वीं पंचवर्षीय योजनावधि के अंत तक देश से बाल-श्रम समाप्त करने की समय-सीमा निर्धारित की है।लक्षित समूहइस योजना के अंतर्गत उन सभी बच्चों को शामिल किया है जिनकी उम्र 14 से कम है और जो काम कर रहे हैं –*.बालकों से संबंधित अनुसूची में सूचिबद्ध व्यवसाय एवं प्रक्रिया1.श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 और/या2.व्यवसाय एवं प्रक्रिया, जो उनके स्वास्थ्य और मनोविज्ञान को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता हो।अंतिम सूची में बच्चों से संबंधित रोजगार के जोखिम को समुचित रूप से स्थापित किया जाना चाहिए।रणनीति1991 की जनगणना के अनुसार देश में बाल-मजदूरी करने वाले बच्चों की कुल संख्या 11.28 मिलियन थी। जबकि एनएसएसओ के1999-2000 सर्वेक्षण प्रतिवेदन के अनुसार यह संख्या 10.40 मिलियन थी। इसके अंतर्गत यह प्रस्तावित है कि जोखिम भरे उद्योग में कार्यरत बच्चों का क्रमिक रूप पुनर्वास कार्य प्रारंभ हो। जोखिम भरे व्यवसायों में काम करने वाले बच्चोंका सर्वेक्षण कर, उन्हें वहाँ से हटाकर विशेष स्कूलों (पुनर्वास-सह-कल्याण केन्द्र) में दाखिला दिलाया जाए ताकि सरकारी स्कूली व्यवस्था की मुख्यधारा से उन्हें जोड़ा जा सके। 10 वीं योजनावधिकी रणनीति के अंतर्गत उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने की भी योजना है।बाल मजदूरी के बारे में और अधिक जानने हेतु निम्न लिंक पर क्लिक करें :श्रम और रोजगार मंत्रालयमजदूरी से शिक्षा की ओरबाल-मजदूरी रोकने के लिए आप क्या कर सकतेहैं?.जब किसी बच्चे को शोषित होते हुए देखें,तो उसकी व्यक्तिगत मदद करें।.बच्चों की सुरक्षा के लिए कार्यरत संगठनों के लिए स्वेच्छा से समय निकालें।*.व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से कहें कि यदि वे बच्चों का शोषण बन्द नहीं करते हैं तो उनसे कुछ भी नहीं खरीदेंगे।*.बाल-श्रम से मुक्त हुए बच्चों के पुनर्वास और शिक्षा के लिए कोष जमा करने में मदद करें।*.आपके किसी रिश्तेदारों या परिजनों के यहां बाल-श्रमिक है, तो आप सहजता पूर्वक चाय-पानी ग्रहण करने से मना करें और इसका सामाजिक बहिष्कार करें।*.अपने कर्मचारियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करके बाल-श्रम की समस्या के बारे में सूचित करें और उन्हें प्रोत्साहित करें कि वे अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजें।*.अपनी कम्पनी पर दबाव डालें कि बच्चों के स्थान पर व्यस्कों की नियुक्त करें।*.10 अक्तूबर 2006 से घरों और ढाबों में बच्चों से मजदूरी कराना दण्डनीय अपराध है।भारत में बाल श्रम के खिलाफ राष्ट्रीय कानून और नीतियांकानूनभारत का संविधान (26 जनवरी 1950) मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत की विभिन्न धाराओं के माध्यम से कहता है-.14 साल के कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्टरी या खदान में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जायेगा और न ही किसी अन्य खतरनाक नियोजन में नियुक्त किया जायेगा (धारा 24)।.राज्य अपनी नीतियां इस तरह निर्धारित करेंगे कि श्रमिकों, पुरुषों और महिलाओं का स्वास्थ्य तथा उनकी क्षमता सुरक्षित रह सके और बच्चों की कम उम्र का शोषण न हो तथा वे अपनी उम्र व शक्ति के प्रतिकूल काम में आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रवेश करें (धारा 39-ई)।*.बच्चों को स्वस्थ तरीके से स्वतंत्र व सम्मानजनक स्थिति में विकास के अवसर तथा सुविधाएं दी जायेंगी और बचपन व जवानी को नैतिक व भौतिक दुरुपयोग से बचाया जायेगा (धारा 39-एफ)।*.संविधान लागू होने के 10 साल के भीतर राज्य 14 वर्ष तक की उम्र के सभी बच्चोंको मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रयास करेंगे (धारा 45)।बाल श्रम एक ऐसा विषय है, जिस पर संघीय व राज्य सरकारें, दोनों कानून बना सकती हैं। दोनों स्तरों पर कई कानून बनाये भी गये हैं।प्रमुख राष्ट्रीय कानूनी विकास में निम्नलिखित शामिल हैं*.बाल श्रम (निषेध व नियमन) कानून 1986- यह कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को 13 पेशा और 57 प्रक्रियाओं में, जिन्हेंबच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर माना गया है, नियोजन को निषिद्ध बनाता है। इन पेशाओं और प्रक्रियाओं काउल्लेख कानून की अनुसूची में है।*.फैक्टरी कानून 1948 - य��� कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नियोजन को निषिद्ध करता है। 15 से 18 वर्ष तक के किशोर किसी फैक्टरी में तभी नियुक्त किये जा सकते हैं, जब उनके पास किसी अधिकृत चिकित्सक का फिटनेस प्रमाण पत्र हो। इस कानून में 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए हर दिन साढ़े चार घंटेकी कार्यावधि तय की गयी है और रात में उनके काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।भारत में बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई में महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप 1996 में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से आया, जिसमें संघीय और राज्य सरकारों को खतरनाक प्रक्रियाओं और पेशों में काम करनेवाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने और उन्हें गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गयाथा। न्यायालय ने यह आदेश भी दिया था कि एक बाल श्रम पुनर्वास सह कल्याण कोष की स्थापना की जाये, जिसमें बाल श्रम कानून का उल्लंघन करनेवाले नियोक्ताओं के अंशदान का उपयोग हो। भारत निम्नलिखित संधियों पर हस्ताक्षर कर चुका है अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन बलात श्रम सम्मेलन (संख्या 29)अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन बलात श्रम सम्मेलन का उन्मूलन (संख्या 105)बच्चों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीआरसी)सरकारी नीतियां और कार्यक्रमभारत के विकास लक्ष्यों और रणनीतियों कोजारी रखते हुए 1987 में एक राष्ट्रीय बालश्रम नीति को अंगीकार किया गया। राष्ट्रीय नीति भारत के संविधान में राज्य के नीति निर्देशक नीतियों को दोहराती है। इसका संकल्प बच्चों के लाभ के लिए हरसंभव विकास कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना और उन इलाकों में, जहां वेतन या अर्द्ध वेतन के लिए बाल श्रमिकों की संख्या अधिक हो, परियोजना आधारित कार्य योजना बनाने की है। राष्ट्रीय बाल श्रम नीति (एनसीएलपी) को बाल श्रम (निषेध व नियमन) कानून, 1986 के लागू होने के बाद अंगीकार किया गया।श्रम एवं नियोजन मंत्रालय बाल श्रमिकों के पुनर्वास के लिए 1988 से ही राष्ट्रीयबाल श्रम परियोजनाओं के माध्यम से ही एनसीएलपी को कार्यान्वित कर रहा है। आरंभ में ये परियोजनाएं उद्योग विशेष परकेंद्रित थीं और इनका उद्देश्य बाल श्रमिकों के नियोजन के लिए पारंपरिक रूपसे ख्यात उद्योगों में काम करनेवाले बच्चों का पुनर्वास था।संवैधानिक व्यवस्थाओं को लागू करने के लिए नवीकृत संकल्प का परिणाम यह हुआ कि बाल श्रम के लिए ख्यात जिलों में खतरनाक काम में लगे बच्चों का पुनर्वास करने के लिए 1994 में एनसीएलपी का दायरा बढ़ाया गया।एनसीएलपी की रणनीति में अनौपचारिक शिक्षा तथा प्राक-व्यावसायिक प्रशिक्षणदेने के लिए विशेष विद्यालय स्थापित करने, अतिरिक्त आमदनी और रोजगार सृजन के अवसर पैदा करने, लोगों में जागरूकता पैदाकरने और बाल श्रम के बारे में सर्वेक्षण तथा मूल्यांकन करने का काम शामिल है।कई वर्षों तक एनसीएलपी को चालू रखने से सरकार को मिले अनुभवों का परिणाम यह हुआ कि नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002) मेंपरियोजनाओं को जारी रखते हुए उनका विस्तारीकरण किया गया। कांच, चूड़ी, पीतल, ताला, कालीन, स्लेट टाइल, माचिस, आतिशबाजी और रत्न उद्योग जैसे खतरनाक उद्योगों में काम करने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए पूरे देश में करीब एक सौएनसीएलपी शुरू किये गये। केंद्र सरकार ने नौवीं पंचवर्षीय योजना में इन परियोजनाओं के लिए करीब 25 करोड़ रुपये का बजटीय उपबंध किया। भारत सरकार ने 10वीं पंचवर्षीय योजना (2003-07) में एनसीएलपी का विस्तार अतिरिक्त 150 जिलोंमें करने तथा 60 करोड़ रुपये का बजटीय उपबंध करने का संकल्प व्यक्त किया है।राष्ट्रीय संस्थानों का अंशदानकई राष्ट्रीय संस्थानों, जैसे वीवी गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान (वीवीजीएनएलआइ) और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान (एन.आइ.आर.डी) तथा कुछ राज्य स्तरीय संस्थानों ने सरकारी कर्मियों, कारखाना निरीक्षकों, पंचायती राज संस्थाओं के अधिकारियों, एनसीएलपी के परियोजना निदेशकों और गैर-सरकारी संगठनों के प्रमुखों के क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इन संस्थानों ने शोध और सर्वेक्षणों के साथ जागरूकता बढ़ाने व संवेदनशील बनाने के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे इस मुद्दे पर बहस पूरी तरह सामने आ सकी।क्या बच्चों को काम पर रखना क़ानूनी है?नहीं, १४ साल से कम उम्र के बच्चों को काम देना गैर-क़ानूनीहै; हालाँकि इस नियम के कुछ अपवाद हैं जैसे की पारिवारिक व्यवसायों में बच्चे स्कूल से वापस आकर या गर्मी की छुट्टियों में काम कर सकते हैं l इसी तरह फिल्मों में बाल कलाकारों को काम करने की अनुमति है, खेल से जुड़ी गतिविधियों में भी वह भाग ले सकते हैं l14-18 वर्ष की आयु के बच्चों को काम पर रखा जा सकता है(जो किशोर/किशोरी की श्रेणी में आते हैं) यदि कार्यस्थल सूची में शामिल खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया से न जुड़ा हो lयदि कोई व्यक्ति मेरे आस-पड़ोस में बच्चों से काम करवाता है, तो इस बारे में मैं क्या कर सकती हूँ ?यदि आपने इस क़ानून का उल्लंघन होते हुए देखा है तो आप इसकी शिकायत पुलिस या मजिस्ट्रेट से कर सकती हैं l आप बच्चों केअधिकारों पर काम करने वाली सामाजिक संस्थाओं की नज़र में भी यह ला सकती हैं जो मुद्दे को आगे तक ले जा सकते हैंl एक पुलिस अधिकारी या बाल मज़दूर इंस्पेक्टर भी शिकायत कर सकते हैं lयह अपराध संज्ञेय अपराधों की श्रेणी मेंआता है, यानिकी/अर्थात इस कानून का उल्लंघन करते हुए पकड़े जाने पर वारंट की गैर-मौजूदगी में भी गिरफ़्तारी या जाँच की जा सकती है lइस क़ानून का उल्लंघन करते हुए बच्चों को काम पर रखने पर क्या सज़ा दी जा सकती है ?कोई भी व्यक्ति जो १४ साल से कम उम्र के बच्चे से काम करवाता है अथवा १४-१८ वर्ष के बच्चे को किसी खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया में काम देता है, उसे ६ महीने –२ साल तक की जेल की सज़ाहो सकती है और साथ ही २०,००० -५०,००० रूपए तक का जुर्माना भी हो सकता है lरजिस्टर न रखना, काम करवाने की समय-सीमा नतय करना और स्वास्थ्य व सुरक्षा सम्बन्धी अन्य उल्लंघनों के लिए भी इस कानून के तहत १ महीने तक की जेल और साथ ही१०,००० रूपए तक का जुर्माना भरने की सज़ाहो सकती है l यदि आरोपी ने पहली बार इस कानून के तहत कोई अपराध किया है तो केस का समाधान तय किया गया जुर्माना अदा करने से भी किया जा सकता है lइस क़ानून के अलावा और भी ऐसे अधिनियम हैं(जैसे की फैक्ट्रीज अधिनियम, खान अधिनियम, शिपिंग अधिनियम , मोटर परिवहन श्रमिक अधिनियमइत्यादि ) जिनके तहत बच्चों को काम पर रखने के लिए सज़ा का प्रावधान है, पर बाल मज़दूरी करवाने के अपराध के लिए अभियोजन बाल मज़दूर कानूनके तहत ही होगा lइस कानून के तहत संरक्षित किये गए बच्चों के साथ क्या होता है ?इस क़ानून का उल्लंघन करने वाली परिस्थितियों से जिन बच्चों को बचाया जाता है उनका नए कानून के तहत पुनर्वास किया जाना चाहिए l ऐसे बच्चे जिन्हें देख-भाल और सुरक्षा की आवश्यकता है, उन परकिशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं सुरक्षा) अधिनियम २०१५लागू होता है lक्या बच्चों का पारिवारिक व्यवसाय में काम करना क़ानूनी है ?हाँ, १४ वर्ष से कम आयु के बच्चों को पारिवारिक व्यवसाय में नियोजित किया जा सकता हैl ऐसे व्यापार जिनका संचालन किसी करीबी रिश्तेदार (माता, पिता, भाई या बहन) या दूर के रिश्तेदार (पिता की बहन और भाई, या माँ के बहन और भाई) द्वारा किया जाता है, वह इस परिभाषा में शामिल हैं lयह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि पारिवारिक व्यापार इस क़ानून के तहत परिभाषित खतरनाक प्रक्रिया या पदार्थ से जुड़ा न हो l ऊर्जा/बिजली उत्पादन से जुड़े उद्योग, खान, विस्फोटक पदार्थों से जुड़े उद्योग इस परिभाषा में शामिल हैं l खतरनाक व्यवसाय एवं प्रक्रिया की परिभाषा में सभी शामिल व्यवसायों की सूचीयहाँ पढ़ें lहालाँकि बच्चे पारिवारिक व्यवसाय में सहयोग दे सकते हैं, यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इससे उनकी पढ़ाईपर कोई असर न पड़े, इस हेतु उन्हें स्कूल से आने के बाद या छुट्टियों में ही काम करना चाहिए lक्या माता-पिता/अभिभावकों को अपने बच्चों को काम करने की अनुमति देने के लिए दंडित किया जा सकता है?सामान्यतः बच्चों के माता-पिता /अभिभावकों को अपने बच्चों को इस कानून के विरुद्ध काम करने की अनुमति देने के लिए सज़ा नहीं दी जा सकती है परन्तु यदि किसी १४ वर्ष से कम आयु के बच्चे को व्यावसायिक उद्देश्य से काम करवाया जाता है या फिर किसी १४-१८ वर्ष की आयु केबच्चे को किसी खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया में काम करवाया जाता है तो यह प्रतिरक्षा लागू नहीं होती और उन्हें सज़ा दी जा सकती है l क़ानून उन्हें अपनी भूल सुधारने का एक अवसर देता है, यदि वह ऐसा करते हुए पहली बार पकड़े जाते हैं तो वह इसे समाधान/समझौते की प्रक्रिया से निपटा सकते हैं, पर यदि वह फिर से अपने बच्चे को इस क़ानून का उल्लंघन करते हुए काम करवाते हैं तो उन्हें १०,००० रूपए तक का जुर्माना हो सकता है lबाल मजदूरी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवालभारत में बाल मजदूरी का मुद्दा कितना महत्वपूर्ण है ?उत्तर-दुनिया में जितने बाल श्रमिक हैं, उनमें सबसे ज्यादा बाल श्रमिक भारत में हैं। अनुमान है कि दुनिया के बाल श्रमिकों का एक तिहाई हिस्सा भारत में है। इस स्थिति का परिणाम बहुत व्यापक है। इसका मतलब यह है कि इस देश के करीब 50 प्रतिशत बच्चे बचपन के अधिकारों से वंचित हैं और वे अनपढ़ कामगार ही बने रहेंगे और उन्हें अपनी सच्ची क्षमताएँ हासिल करने का कोई मौका नहीं मिलेगा। ऐसी स्थिति में कोई भी देश कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने की उम्मीद नहीं कर सकता।भारत में अनुमानत: कितने बाल मजदूर हैं ?उत्तर-यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप बाल श्रम को किस प्रकार परिभाषित करते हैं। ऐसा अनुमान है कि करीब 2 करोड़ बच्चे खतरनाक कहे जाने वाले उद्योगों में काम कर रहे हैं। यदि हम बाल श्रम को सिर्फ मजदूरी कमाने वाले काम के रूप में परिभाषित करें तो सरकारी अनुमान के अनुसार भारत में बाल श्रमिकों की संख्या1 करोड़ 70 लाख है। स्वतंत्र रूप से किये गये अनुमान, जो मोटे तौर पर यही परिभाषा स्वीकार करते हैं, मानते हैं कि यह संख्या 4 करोड़ है। लेकिन यदि स्कूल से बाहर के सभी बच्चों को बाल श्रमिक माना जाये तो यह संख्या करीब 10 करोड़ होगी।बाल मजदूरी पहलू की उपेक्षा क्यों हुई है ?उत्तर-इसके कई कारण है। मुख्य कारण यह हैकि जब ‘गरीब’ माता-पिता के बच्चों की बात आती है तब नीति बनाने वालों की सोच यह होती है कि बच्चों द्वारा काम किया जाना तो अनिवार्य है। उनका मानना है कि बच्चा इसलिये काम कर रहा है कि परिवार की जीविका उसकी आमदनी पर ही निर्भर है। उनका मानना है कि अगर बच्चे को काम से हटा दिया जायेगा तो परिवार भूखा मर जायेगा। उनके मत के अनुसार बाल श्रम एक‘कठोर सच्चाई’ है। यह मान्यता कि बाल श्रम अपरिहार्य है और उसके बारे में कुछ नहीं किया जा सकता, भारत में बाल श्रम की नीति के सभी पहलुओं को प्रभावित करती है। यह बात ही मुख्य रूप से इस दृष्टिकोणके लिये जिम्मेदार है कि सबसे अच्छा तरीका यह है कि बाल श्रम के सबसे ज्यादा शोषक तरीकों पर पहले आघात किया जाये। विभिन्न ‘खतरनाक’ उद्योगों में काम पर लगे बच्चों का ही सबसे ज्यादा शोषण होता है। वे ही बाल श्रमिक के रूप में सबसे स्पष्ट रूप से नजर आते हैं। परिणाम यह हुआ है कि इन उद्योगों के बाल श्रमिकों पर ही जोर रहा है और बाल श्रम के अन्य रूपों को छोड़ दिया गया है। कृषि क्षेत्र के बाल श्रमिकों की तो खासतौर पर उपेक्षा हुई है।इस पहलू की उपेक्षा क्यों की गयी है, इसकाअन्य कारण यह है कि नीति बनाने वाले और कार्यक्रमों को लागू करने वाले लोग संख्या के जाल में फंस जाते है। कृषि के क्षेत्र में बाल श्रमिकों की भारी तादादसे वे पूरी तरह डर जाते है। वे सोचते हैं कि “क्या होगा जब खेती के काम में लगे सभीबच्चे काम करना बन्द कर देंगे ?’’ परिणाम यह होता है कि इस क्षेत्र के बाल-श्रम को उचित बताने के लिये या तो कहा जाता है कि कृषि के क्षेत्र में बाल श्रम है ही नहीं,या फिर उसे बाल श्रम माना ही नहीं जाता, बल्कि कहा जाता है कि यह बच्चों का ऐसा काम है जो बच्चे की सेहत के लिये अच्छा होता है।जीवन-यापन हेतु गरीब परिवार के बच्चों का काम पर जाने में गलत क्या है ?उत्तर-यह एक बढ़िया ‘‘गरीबी दलील’’ है। इस सवाल का जवाब इस बात पर निर्भर है कि आप सवाल को क्या रूप देते हैं। यदि सवाल यह है कि “यह सच नहीं है कि यदि परिवार बेहद गरीब है और बहुत संकट में है, तब माता-पिता को अपने बच्चे को काम पर तो भेजना ही होगा ?’’ तब उत्तर सचमुच ’हां’ मेंहोगा। लेकिन, यदि सवाल यह है कि ’’क्या वे सभी परिवार जो अभी अपने बच्चों को काम केलिये भेजते हैं इतने गरीब हैं कि उन्हें जीवित रहने के लिये बच्चे की आय की जरूरतहै ?’’ तब उत्तर निश्चय ही ‘नहीं’ होगा। इस देश में बाल श्रम की स्थिति की विडम्बना यह है कि यह मान ही लिया जाता है कि हर मजदूर इसलिये काम कर रहा है कि यह उसके परिवार के जिन्दा रहने का मामला है। लेकिन यह गरीबी की दलील का अत्यन्त कपटपूर्ण पहलू है। सचाई से इतना दूर और कुछ हो ही नहीं सकता। गरीबी को लेकर दी जाने वाली दलील तर्कपूर्ण दिखने पर भी पूरी तरह से छलावा है। रोचक बात यह है कि इसे सिद्ध करना भी आसान नहीं है। यदि इसमें सच्चाई होती तो हर गांव में सबसे पहले गरीब बच्चे को पहले स्कूल छोड़ देना चाहिये और मजदूरी के बाजार में दाखिल हो जाना चाहिये। लेकिन, ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत गरीब परिवारों के ऐसे कई बच्चे हैं जो स्कूल में हैं, जबकि उनसे कुछ बेहतर स्थिति वाले बच्चे काम कर रहे हैं। ऐसे कई तत्व है जिनका इस स्थिति के अर्थशास्त्र से कोई लेना देनानहीं है, जैसे परम्परा, अनपढ़ पालकों की अज्ञानता, विकल्पों की कमी, संवेदनहीन प्रशासन और अन्य कई तत्व ऐसे हैं जो परिवार के इस निर्णय पर प्रभाव डालते हैं कि वह बच्चे को काम के लिये भेजें या स्कूल भेजें। गरीबी की दलील इन सभी पहलुओं की उपेक्षा करती है और हर बात को आर्थिक फैसले के रूप में लेती है।बाल मजदूरी और औपचारिक स्कूली शिक्षा केबीच क्या संबंध है ?उत्तर-जैसा कि हमने पहले ही कहा है बाल श्रम को देखने के कई तरीके हैं और अलग-अलग लोगों की समझ अलग-अलग है। कुछ लोग यह मानते हैं कि बच्चों के द्वारा मजदूरी कमाने के काम को ही बाल श्रम मानना चाहिये। दूसरे, लोग खतरनाक धन्धों में लगे बाल श्रम पर जोर देते है जैसे गलीचा बुनाई, माचिस कारखाने, कांच कारखानें आदि और वे दूसरे कामगार बच्चोंकी चिन्ता नहीं करते। कुछ ऐसे लोग भी हैंजो इसबात पर जोर देते हैं कि बच्चों के लिये कुछ किस्म के काम करना सिर्फ बुरा ही नहीं होता, बल्कि वह तब निश्चित तौर परअच्छा होता है जब ऐसा काम पारिवारिक वातावरण में किया जाता है। इसे बाल श्रम न कहकर, बच्चों के लिए अच्छा काम कहा जाताहै। बच्चों का काम, बाल श्रम और खतरनाक काम आदि में फर्क करने से मुद्दा धुंधला ही बनता है। क्या हस्तकरघे पर काम करना, किसी भूस्वामी के अन्तर्गत बंधुआ मजदूरी से कम खतरनाक होता है ? यदि बच्चा मवेशी चराता है तो अपने खुद के परिवार केलिये ऐसा करने पर उसे क्या बच्चों का कामकहा जायेगा ? किन्तु मजदूरी करने पर उसे क्या बाल श्रम कहा जायेगा? मान लीजिये मजदूरी की दर ज्यादा है और काम की स्थितियां अच्छी हैं तो यह कौन तय करेगा कि कौन सा काम बेहतर है।घरेलू काम, जैसे पानी भरना, शिशुओं की देखभाल करना आदि को किस वर्ग में रखा जायेगा? क���या इसे काम कहा भी जायेगा या नहीं? कई लोग तो इस काम को बाल श्रम के अन्तर्गत ही नहीं मानते। परिणाम यह होताहै कि वे यह मान बैठते हैं कि बच्चों का ऐसा वर्ग भी है जो न तो काम पर हैं और न स्कूल में। कभी-कभी इन्हें ‘कहीं के नहीं’वर्ग के बच्चें कह दिया जाता है। एम.वी.एफमॉडल यह मानता है कि बच्चे द्वारा किये गये काम का वर्गीकरण करना पूरी तरह बनावटी है और यह हल प्रस्तुत न करके ज्यादा जटिलताएं पैदा करता है। यह इस पर भी जोर देता है कि ग्रामीण भारत के संदर्भ में ऐसा कहीं नहीं है कि स्कूल न जाने वाला बच्चा कुछ नहीं करता। जो भी बच्चा स्कूल में नहीं है कभी न कभी, काम में लगा ही दिया जाता है। इस मॉडल में बच्चों के सिर्फ दो ही वर्ग होते हैं, वे जो काम पर जाते हैं, जैसे बाल मजदूर और वे जो दिन भर लगने वाले औपचारिक स्कूल में पूरे समय के लिये जाते है। डटथ् की ‘समझौता न होने योग्य’ ; यह मूल मंत्र है कि हर बच्चा जो स्कूल के बाहर है, बाल श्रमिक है।डटथ् का यह विश्वास है कि हर बच्चे को बचपन का और अपनी क्षमता तक विकसित होने का अधिकार है और बच्चे के द्वारा किया जारहा हर काम उसके इस अधिकार में हस्तक्षेप करता है। उसका यह भी मानना है कि जो बच्चे पूरे समय छात्र हैं वे ही काम से दूर रखे जा सकते हैं और यह भी उसकाविश्वास है कि बच्चे का बचपन वाला अधिकार तभी पूरा होगा जब वह पूरे समय के लिये छात्र बनेगा। इसलिये डटथ् मॉडल मेंबच्चे का बचपन का अधिकार सुरक्षित करना, बाल श्रम खत्म करना और शिक्षा का सार्वभौमीकरण करना, ये सभी एक ही प्रक्रिया के हिस्से हैं। यदि अन्य बातों का ध्यान रखे बिना किसी एक पर ध्यान दिया जाता है तो दूसरी बात जरूर असफल होगी।
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jayveer18330 · 7 years
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जब पता चला कि हिटलर की मौत हुई ही नही थी !!!???
लेखकों ने फोटो प्रिंट करने की अनुमति के लिए ओटावा में रक्षा विभाग से संपर्क किया। फ़ाइल लापता थी और यह सूचना दी गई थी कि कोई भी निशान कुछ भी, नकारात्मक या प्रिंट के नहीं मिल सकता है। इसलिए यह बड़ा सवाल छोड़ देता है कि क्यों नहीं मियते के तश्तरी उड़ गए? या यह उड़ गया और हमें सच बता नहीं पाया? या, क्या पहले ही वर्णित जर्मन नीति का शिकार होने वाला एक व्यक्ति मियतहे को केवल एक व्यक्ति को अपने काम को पूरा करने के लिए जानना ज़रूरी जानना चाहता था? न कम और न ज्यादा! क्या उन्होंने जानबूझकर अमेरिकन फ़्लाइंग सॉसर को तोड़ दिया? अधिक महत्व का, आज आज Miethe कहाँ है? मुझे संदेह है कि हम कभी पता करेंगे ए.वी. रो विमानन कंपनी 1 9 58 में कनाडा के तत्कालीन प्रधान मंत्री जॉन डीफेनबेकर द्वारा दिवालिया होने में संचालित हुई थी। हजारों शीर्ष उड़ान वैज्ञानिक काम से बाहर थे और बोईंग, जनरल डायनेमिक्स और अन्य लोगों ने उनकी क्रीम जल्दी से भर्ती की थी। Miethe और उड़ान तश्तरी वह बनाने में मदद की एक ट्रेस बिना गायब हो गया है! सोवियत संघ ने 50 के दशक के आखिर और 60 के दशक के अंत में उफौ उन्माद की ऊंचाई के दौरान इस अधिनियम में शामिल हो गए। चूंकि कम्युनिस्टों ने रूस पर शासन किया है, इसलिए उन्होंने सबकुछ का आविष्कार किया है या सब कुछ पुन: प्राप्त किया है, बारूद से स्पेसफाइट तक! यह आश्वस्त करने के लिए कि जहां क्रेडिट की जाती है, वहां सोवियत उड़न तश्तरी को यहां पुनर्निर्मित किया गया है। एक कैनवास की एक खराब तस्वीर, परिपत्र के आकार वाले पंख रहित विमान को कवर करती है, जर्मनी के प्रकार लगभग 1 9 35 के साथ प्रयोग किया गया था और संयुक्त राज्य अमेरिका के सभी विंग बॉम्बर के समान अवधारणा में। निश्चित रूप से, अगर सोवियत ने कब्जा कर लिया था, जैसा कि कुछ समय के लिए डर था, जर्मन यूएफओ टीमों और उनके कारखानों, वे थोड़ा बेहतर कुछ के साथ आ सकता है! और फिर, हमें यह निष्कर्ष निकालना होगा कि एक लापता लिंक है। अब उड़न तश्तरी टीम कहां हैं? या फिर भी बेहतर, जर्मनी छोड़ने के बाद वे कहाँ गए? यह लगभग निश्चित है कि उन्होंने जर्मनी छोड़ दिया था कई संभावनाएं हैं, लेकिन दक्षिणी गोलार्ध की सामान्य दिशा में सभी बिंदु हैं।मूल रूप से, बार सोहर माइकल एक्स और मटनेर की पुष्टि करते हैं। जब बर्लिन में लड़ाई समाप्त हो गई, रूसी पांचवें सेना के कुछ पुरुष स्पेंडौ में एक जला हुआ टैंक में आए, और उसके पास झूठ बोलते हुए एक लंबे चमड़े की जैकेट पहने हुए एक आदमी का शरीर जैकेट जेब में से एक में उन्होंने एक छोटी सी किताब पाई मार्टिन बोर्नमैन की डायरी, फूएरर के डिप्टी और नाजी पार्टी के नेताओं के सबसे चतुराई में से एक है। मृत आदमी बोनन नहीं था - यह बहुत जल्द ही सत्यापित किया गया था- लेकिन बॉनन के हस्तलेखन में, डायरी में एक प्रविष्टि ने कहा, "मई, मैं बाहर तोड़ने का प्रयास करता हूं।" एक टेलीग्राम जो रीचस्लीटर को नष्ट करने की उपेक्षा की गई थी, उसके कार्यालय में पाया गया: "22 अप्रैल, 1 9 45. दक्षिणी में फैलाव के प्रस्ताव के साथ सहमति सागर से परे क्षेत्र हस्ताक्षर किए, बोर्नमैन। "ये दो वाक्यों ने स्पष्ट रूप से बोर्नमैन के इरादों को पलायन करने के लिए बताया दक्षिण अमेरिका और दिखाया कि उन्होंने 1 मई को अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए शुरू कर दिया था। अर्जेंटीना में सत्ता में पेरोन, हिटलर के प्रशंसक थे। यह एक अच्छी बात है कि नाजी पैसे और हितों द्वारा जमीन के बड़े इलाकों को खरीदा गया था, एक दिलचस्प बात यह है कि जर्मनी के शीर्ष सेनानी बॉम्बर पायलट हिटलर की पसंदीदा, (2,500 से अधिक स्टार्स और 500 से अधिक टैंक और 140 विमानों को अपने क्रेडिट के लिए), हंस उलरिच रुडेल, युद्ध के बाद जुआन पेरोन के लिए गुप्त विमान विकास योजनाओं पर काम किया। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कई अवसरों पर पेरोन से मुलाकात की और रुडेल, टैंक और हॉर्टन के आसपास के दल ने अर्जेंटीना के लिए एक बहुत तेज़ जेट लड़ाकू विमान का उत्पादन किया। तस्वीरें देखें इस तथ्य से यह घटाना संभव है कि दोनों सुविधाएं और प्रतिभा उपलब्ध थीं और बेकार नहीं रखीं। Rudel जिस तरह से उसके बाद से दक्षिण अमेरिका में 75 से अधिक यात्राएं हुई हैं !!! किस लिए? तो हमने बर्लिन में गिरावट देखी है हमने आत्महत्या के नाटक में देखा है, हमने देखा है कि हिटलर डेनमार्क और नॉर्वे के लिए बर्लिन छोड़ रहा है। हमने हर कोण को हर बार जांच लिया है, यहां तक ​​कि हिटलर के दिमाग और प्रेरणा भी। हमने अपनी सोच वापस 1 9 45 तक 1 9 45 तक शुरू की और अपनी पुस्तक "मीन काम्पी" से बनीं औ��� बर्लिन के आखिरी दिनों तक अपने विभिन्न भाषणों में से और सभी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि हैं, जिस पर प्रत्यक्ष असर यूएफओ रहस्य के समाधान अब हमें यू बोट के काफिले का पालन करना चाहिए, जिसमें कथित रूप से हिटलर और ईवा ब्रौन पर अपने गुप्त पानी के नीचे की यात्रा पर कहाँ जाना चाहिए? क्या इस्पात की अंगूठी से बाहर तोड़ना संभव होगा और प्रतीत होता है कि सभी जीतने वाली दलों ने तीसरे रैच के चारों ओर फेंक दिया है? पहला संकेत ब्रिटिश नौसेना के कप्तान से आते हैं। उनका क्रूजर एक बड़े सहयोगी दल का हिस्सा था जो फ़ूहर के काफिले को युद्ध में ले गया था। सहयोगी दलों को इस विशेष काफिले के महत्व के बारे में पता नहीं था, लेकिन तेजी से डूबने वाले जर्मनी से शीर्ष राजनीतिक और सैन्य नेताओं के एक समूह के प्रयासों से कुछ अलग-अलग ब्रेक आउट प्रयासों की अपेक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने पूरे उत्तर सागर के चारों ओर एक आभासी नाकाबंदी को फेंक दिया, जो ध्रुवीय क्षेत्र से नीचे स्पेनिश तट तक फैला था। फ़ूहरर काफिला का पता लगाया गया था और सामान्य क्षेत्र में सभी उपलब्ध इकाइयों द्वारा तुरंत लगी हुई थी, और अप्रत्याशित और विनाशकारी परिणाम के साथ, यह प्रतीत होता है कि गुप्त हथियार, जो गोबेल ने इस तरह के चमकदार शब्दों में केवल कुछ दिन पहले ही बोलते थे, अब थे एक वास्तविक लड़ाई की स्थिति में पहली बार उपयोग करने के लिए डाल दिया। नतीजतन, ब्रिटिश विनाशक से एकमात्र उत्तरजीवी था और यह इस कप्तान से था, कि शब्द कहा गया था: "मई भगवान मेरी मदद करें, क्या मैं फिर कभी ऐसी ताकत का सामना नहीं करूँगा" कप्तान के शब्दों की रिपोर्ट, एल मर्कुरियो, सैंटियागो, चिली में और अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में रह रहे निर्वासित जर्मनों द्वारा प्रकाशित एक पत्र में "डेर वेग" में हुई थी। माइकल एक्स में "हम आपको हिटलर जीवित हैं" का उल्लेख है कि महान मध्यकालीन द्रष्टा और भविष्यद्वक्ता, नॉस्ट्रादैमस ने जर्मनी से हिटलर के पलायन और एक पनडुब्बी में भविष्यवाणी की थी, और हमने उसे इस प्रकार बताया: "जो नेता अनंत लोगों की अगुवाई करेंगे, उनके घर से बहुत दूर अजीब व्यवहार और भाषा के लिए, कैंडिया में पांच हजार और थिसली समाप्त हो गए, बच निकलने वाला नेता, समुद्र पर एक खलिहान में सुरक्षित होगा "। लेकिन एक और कविता है, और भी स्पष्ट है, एक "लोहे के पिंजरे" का उल्लेख करते हुए एक पनडुब्बी का स्पष्ट संदर्भ भूख के लिए जंगली जानवरों नदियों पर तैर जाएगा, प्रभावित अधिकांश भूमि डेन्यूब के पास होगी लोहे के पिंजरे में वह महान व्यक्ति को खींचा जाना चाहिए जब जर्मनी का बच्चा " जंगली जानवर स्पष्ट रूप से बलात्कार हैं, सभी गले हुए मित्र राष्ट्रों, नीस, एल्बे, राइन मोल्डाऊ, डेन्यूब, को छोड़कर, जहां यह सब अप्रैल 1 9 45 में समाप्त हो गया था। या ऐसा किया? माइकल एक्स में डोनिज़ और जर्मन पनडुब्बी बेड़े भी शामिल थे, और लैटिन अमेरिका में एक सामरिक ओएसिस के बारे में बात करते हैं। हिटलर और ईवा ब्रौन के पनडुब्बी से बचने के और भी अधिक गंभीर सबूत हैं 10 जुलाई, 1 9 45 को एक सनसनीखेज समाचार रिपोर्ट ने दुनिया भर की सुर्खियां (एक ऐसी दुनिया जो पॉट्सडैम के बेचने वाले सम्मेलन के लिए तैयार हो रही थी, जहां बोल्शेविक सेनाओं को अनुमोदन का अंतिम टिकट दिया गया था, उन्हें ओडेर नीस लाइन के बाहर लाखों जर्मन, बलात्कार, लूट और उनके पैतृक घरों से ड्राइव करने की अनुमति दी गई थी अब जर्मन सैनिकों, पीटा, निहत्थे और भूख से इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका में अवैतनिक गुलामों के काम कर रहे थे क्योंकि रक्षाहीन थे। सोवियत तरीके अन्य सहयोगियों के मुकाबले अधिक अवज्ञा थे।) नवीनतम डिजाइन के एक जर्मन पनडुब्बी, "यू 530", ने खुद अर्जेंटीना के अधिकारियों को दिया था, लेकिन बोर्ड के सभी वैज्ञानिक उपकरणों और हथियारों को नष्ट करने से पहले नहीं किया गया था। उबोट शांतिपूर्वक रियो डी ला प्लाटा के बंदरगाह में फिसल गया था। कमांडर का नाम ओट्टो वर्माउट था दुनिया दंग रह गई और विद्युतीकरण की गई! युद्ध की औपचारिक रूप से समाप्त होने के दो महीने बाद दक्षिण अमेरिका में एक जर्मन पनडुब्बी ने क्या किया था? वे पहले क्यों नहीं आत्मसमर्पण कर चुके थे? अमेरिका। सरकार ने निरंतर और संयुक्त राज्य अमेरिका के पूरे चालक दल के प्रत्यर्पण की मांग की। सामान्य रूप से दक्षिण अमेरिका के साथ याकी के लेन-देन में, औपनिवेशिक गुरु whistled और लैटिन कुत्ते को अपनी पूंछ घूमना पड़ा। चेहरे को बचाने के लिए अर्जेंटीना के अधिकारियों ने अधिकारियों और चालक दल के सवाल का "अध्ययन" करने के लिए लंबे समय से पर्याप्त रूप से पर्याप्त सवाल पूछे हैं कि वे और उनके समर्पण कहां से असामान्य हैं। वॉशिंगटन बहुत आग्रहपूर्ण होने के बाद, कैदियों को अमेरिकी अधिकारियों के पास दिया गया। विमानों को अर्जेंटीना भेज दिया गया था और पुरुषों को पूछताछ के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका भेज दिया गया था। एक बर्फीले चुप्पी प्राप्त परिणामों पर बसे और चालक दल के बारे में भी। अफवाहें हैं कि पूरे चालक दल ने उन सभी सवालों के जवाब उन सभी के साथ समान जवाब इसलिए है कि छाप बनी हुई है कि वे इस स्थिति के लिए तैयार हैं। स्पष्ट रूप से अधिकारियों और चालक दल से उनके यू बोट के अंतिम उद्देश्य और अंतिम गंतव्य के बारे में थोड़ा उपयोगी जानकारी प्राप्त की गई थी। हालांकि, अर्जेंटीना के जांचकर्ताओं ने यह पाया कि यू 530 एक बड़ा पनडुब्बी का हिस्सा था जो पूरी तरह से पानी के नीचे यात्रा कर रहा था और सख्त निरपेक्ष रेडियो चुप्पी रखने के लिए आदेश, एक उपाय जो आमतौर पर बेहद संवेदनशील और अति गुप्त अभियानों के दौरान ही कार्यरत होता है, इस प्रकार के आंदोलन के लिए काफिले के एकीकरण के नुकसान का खतरा होता है और इसलिए यू नौकाओं और कर्मचारियों के संभवतः सतर्क शत्रु को नुकसान पहुंचाता है। जाहिर है, जिसने इस मिशन की योजना बनाई थी वह कुछ नौकाओं को खोने के लिए तैयार और सक्षम था। अंतिम गंतव्य के रहस्य को सुरक्षित रखने के लिए किए गए सावधानियां असाधारण हैं। बाद में एक समाचार रिपोर्ट में यह पता चला कि जेम्स फोरेस्टल, फिर अमेरिका नौसेना के सचिव (वाल्टर रीड आर्मी हॉस्पिटल में जबकि बाद में माना जाता है कि 13 वीं मंजिला खिड़की से उनकी मौत हो गई) ने कहा था कि यू 530 मुख्य रूप से एक परिवहन पनडुब्बी था और केवल कुछ टॉरपीडों को ही ले लिया था। वे "टारपीडो अर्ना" या "स्पाइडर टारपीडो" नामक एक नए प्रकार के होते थे। असल में, वे तार निर्देशित पानी के नीचे मिसाइल और रिमोट नियंत्रित थे और उन्होंने अपने लक्ष्य कभी नहीं छोड़े। काफिले द्वारा किए गए गुप्त हथियारों की विनाशकारी प्रभावशीलता के कारण, वहां काफ़ी में कुछ हमला यू-नौका थे। हालांकि, दो चीजों ने पूछताछ के संदेह को जगाया। यू 530 ने 54 लोगों के चालक दल को ले जाया। सामान्य जर्मन दल का आकार केवल 18 पुरुष था बोर्ड पर असाधारण बड़े खाद्य स्टॉक भी थे। हालांकि, असली आश्चर्य था 540 बड़े टिन के डिब्बे या बैरल, सभी भली भांति बंद सील और खोलने पर सिगरेट के अलावा कुछ भी नहीं पाया गया। यह विशेष रूप से असामान्य था क्योंकि सभी चालक दल के सदस्यों ने गैर धूम्रपान करने वाले लोगों को त्याग दिया था। अब युद्ध के अंत के दो महीने बाद, दक्षिण अमेरिकी जल के चारों ओर घूमने वाले, बहुत ही नवीनतम और बहुत बड़े डिजाइन के एक जर्मन यू नाव क्या था? और एक ट्रिपल ताकत चालक दल के साथ; सिगरेट के अलावा कुछ भी कार्गो नहीं ले जा रहा है?उन 54 पुरुषों की औसत उम्र 25 साल से कम हो गई थी, जो कि 32 वर्ष की आयु के निर्माता के अपवाद के साथ थी। कमांडर खुद केवल 25 साल का था, और दूसरा अ��िकारी अविश्वसनीय रूप से 22 साल का युवा था। (फोटोग्राफ चालक दल के चरम युवाओं को दिखाता है। उनके साथ दिखाया गया है पनडुब्बी के ड���क पर टिन के डिब्बे।) चेहरे के चेहरे स्पष्ट रूप से प्रकट करते हैं कि वे कितने युवा हैं अधिक विवरण के लिए फ़ोटो को बंद करें I आयु और नाम-सूची 0! यू -530 में चालक दल ओम्स्कर्स: कैप्लालन ओटो वर्माउट (25 जेहरे), कार्ल फेलिक्स स्कुबर्ट (22), कार्ल लेन्ज (22) पेट्री लेफ्लेर (22) ग्रेगर श्लुटर (32)। उप-ओल्ल्सर्स: ज्युर्केन फिशर (27), हंस सेत्ली (26), जोहान्स विलकेंस (पॉल हान (45), जॉर्ज रीडर (27), कर्ट वार्थ (24), हेन्ज रेहम (24), रुजल श्लिच (26) , रॉल्फ पेट्सस्क (26), अर्न्स्ट ज्लक्लर (24), जॉर्ज मित्टेलस्टेड (2, रॉबर्ट गर्लेंजर (24), विक्टर वालिसिक (27), गियेंटर गुड़िया (2)), रूडोल्फ बोक (7, वर्नर रोनेंगेगन (24), एमी क्रूस (25), कार्ल कौरपा (25)।) चालक दल के सदस्यहथर्ट पाट्सनल (22), सिगिसमंड कोलकिन्सकी (22), फ्रेडरिक मिइफ डिक (23), आर्थर जॉर्डन (21), एडुआर्ड कौलबैच (23), रुडोल्फ मिजल्बाउ (2 'फ्रांज हॉटटर (22), हैरी कोलाकोस्की (2), फ्रांज रोहलेनबउशर (22), जोहरफ ओल्सस्चलागर (20), विली श्ल्लेट ( 2 |), हेन्स हेलमैन (20), हिस पैटज़ोल्ड (एल गेरहार्ड नेलेन (20), अर्न्स्ट लिवहाल्ड (2), रेनिहार्ड कार्स्टेन (22), हंस वुल्फ; हॉफमन (22), आर्थर एंगेलकेन (22), हंस सर्टेल ( 2 |), एर्हर्ट पिस्नाक (मैं जोचिम क्रट्जलग (20), एरहार्ट मथ (25), फ्रेडरिक ओरेज़ (2)), वर्नर 29 '(20), एरहार्ट शावान (20), ह्यूगो ट्रैट (20), एंगल्बर्ग रॉक (20 ), फ्रांज जेट रेट्ज़क्ल (23), जॉर्ज विडेमैन (2), गिनीथर फिशर (2 9), जॉर्ज गोएल (24: अमेरिकी और अर्जेंटीनी द्वारा व्यापक जांच और क्रॉस चेक आयोजित किए गए थे किएल में जर्मन नौसेना मुख्यालय की फाइलों के अधिकारियों और एक अन्य रहस्य को प्रकाश में लाया गया, ओटो वर्माउट के नाम से यू-नाव 530 के कमांडर के रूप में एक कप्तान का कोई रिकॉर्ड नहीं था; वह यू 530 के कई अन्य लोगों के साथ उनके आसपास के समान रहस्य थे। ओटो वॉर्मटाट और उनके दल के सदस्यों द्वारा दिए गए सहयोगियों द्वारा पूछताछ की एक ही प्रतिक्रिया "हम अकेले हैं हमारे पास कोई जीवित परिवार संबंध नहीं है ", जाहिर है, उनकी पत्नियां, माता-पिता, भाई, बहनों और प्रेमी हवाई हमलों में मारे गए थे या युद्ध के दौरान किसी और तरीके से मारे गए थे या कोई अन्य। जल्द ही यू 530 और इसके भाग्य के बारे में भूल गया और रियर एडमिरल कार्ल डोनिट्स की अचानक गिरफ्तारी के बारे में रेडियो रिपोर्टों को सुनने में व्यस्त था, जिसे हिटलर जर्मनी के सैन्य नेता के रूप में अपने उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया गया था, काफी नए फ़ूहरर के रूप में नहीं बल्कि सैन्य नेता के रूप में जर्मनी का डोनट्स को गिरफ्तार कर लिया गया था और युद्ध शिविर परीक्षणों के लिए न्यूर्मबर्ग में अपने पूरे कैबिनेट को भेज दिया गया था। इस प्रकार जर्मनी अपने संपूर्ण सरकार के साथ सलाखों के पीछे एक देश बन गया। इस बीच, मित्र देशों की नौसेना खुफिया इकाइयां हिटलर की राक्षस पनडुब्बियों का पता लगाने के प्रयास में लगी हुई थीं, जिन्हें हिटलर के आग्रह पर बनाया गया था और जिनकी सफलता ने उन्हें एक बार टिप्पणी करने के लिए प्रेरित किया "मुझे लगता है कि सभी सतह जहाजों को स्क्रैप करने का अच्छा मकसद है भविष्य पनडुब्बी "। एक भी परिचालन पनडुब्बी नहीं मिली। यह जापान के आत्मसमर्पण तक नहीं था कि अमेरिकियों को एक संख्या बदल दी गई। कभी-कभी, रहस्यमय पनडुब्बियों की उपस्थिति और गायब होने के बारे में कहानियां सुनाई जाती हैं, जो ज्यादातर सोवियत मूल के होने का आरोप है या अधिक बार अज्ञात पहचान का। 1 9 अगस्त, 1 9 45 को पांच हफ्ते बाद, एक और सनसनीखेज पनडुब्बी आत्मसमर्पण हुआ और फिर रियो डी ला प्लाटा में। कमांडर I-I के तहत एक जर्मन यू नाव, यू 977 स्फ़ाफ़ ने स्वयं को अर्जेंटीना के अधिकारियों तक पहुंचा दिया, और यह, जर्मनी में युद्ध के अंत के तीन महीने बाद इस समय चालक दल में केवल 32 पुरुष शामिल थे, लेकिन यह औसत चालक दल के नंबर से ऊपर चौदह था। यह जल्द ही यह पता चला कि एक और 16 पुरुष, उन सभी ने शादी की और जर्मनी में परिवारों के साथ, नॉर्वे के तट पर, "आदेशों" से हटा दिया गया था। यह निश्चित रूप से ऐसा प्रतीत होता है कि जो भी इस ऑपरेशन के प्रभारी था वह पूरी तरह से नियंत्रण में था और व्यक्तिगत क्रू सदस्य के परिवार और वैवाहिक स्थिति के लिए सबसे छोटा विवरण जानता था। दोनों पनडुब्बियों के लॉग से, यू 530 और यू 9 77, यह पाया गया कि उनके पास था । दो) क्रिस्टियसंड, नॉर्वे, 2 मई 1 9 45 को; बर्लिन से प्रस्थान के बाद फूहरर की पिछली रिपोर्टों के बारे में बताए गए सटीक स्थान से कोई और नहीं था। आयु और नाम सूची ओएल क्रू ओटी यू-971 ओल्लिकर्स: सीबीप्लालन हेनज श्फार (24), कार्ल रायसर (22), अल्बर्ट कान (23 इंजिनल डिट्रिच विसे (30), उप-तेलकार: हंस क्रेब्स (26), लियो क्ल््नकर (28), एरीच ड्यूडेक (23 ), क्रो मेम्बेरे: गेरहार्ड मेएर (23), कार्ल कुल्लक (21), विल्फ्रेड हुस्मान (20 हेनरिक लेमनैन (21), रुडोल्फ श्नेनीच (2), वाल्टर मायर (आई 9) रुडोल्फ ना मिरर (20), हंस बूमेल (7) , हरमन हेनज हेप्ट (2), हर्मन रीका (2!), जोहान्स प्लांटास्च (20), हेन्ज ब्लास्लस (21), एलोइस क्रॉस (20), कु निटरनर (2), हेज़ रौटर (20), हेल्डफ्रिड वर्कर हेल ​​हंसेल (1 9), हेलमुथ मैन '(20), एलोयस नोबलोच (1 9), कार्ल होमोरेक (एल 9), हेनज फ्रैंक (21), हेलस वेशकेक (20) एडेंडर बेलर (1 9) तथ्य यह है कि कैप्टन शैफ़र ने खुद को उसी तरीके से पेश करने के पांच सप्ताह पहले और यू 530 के बिल्कुल उसी स्थान पर इंतजार किया था, जिसका मतलब यह हो सकता है कि उन्हें उम्मीद है कि उन्हें खोज पार्टी द्वारा उठाया जाना था । उन्हें यू 530 के भाग्य का पता होना चाहिए क्योंकि रेडियो रिपोर्ट नियमित रूप से निगरानी रखी गई थीं। कप्तान शैफ़र ने "यू-9 77" नामक उनके अनुभवों के बारे में एक पुस्तक लिखी जिसमें उन्होंने इन विवरणों को प्रदान किया। "हम बहुत जल्दबाजी के साथ अर्जेंटीना से बाहर ले जाया गया हालांकि, यू बोट के हर वर्ग इंच के पहले नहीं, यहां तक ​​कि फर्श बोर्डों, दीवारों और कोनों को गहनता से जांच की गई थी और फूहरर के निशान के लिए जांच की गई थी कि स्पष्ट ज्ञान में कि फ़ूहरर अभी भी जीवित था "। कम अच्छी तरह से जाना जाता है, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है, यह माना जाता है कि ब्रिटिश एडमिराल्टी के साथ आरंभ होने वाली रिपोर्ट 5 जून 1 9 45 को यू 530 के आत्मसमर्पण के पांच हफ्ते पहले एक जर्मन पनडुब्बी के 47 चालक दल के सदस्यों ने अपने भारी क्षतिग्रस्त पनडुब्बी को खत्म करने के बाद, लीक्सोस के विपरीत, पुर्तगाली अधिकारियों को आत्मसमर्पण कर दिया था। एक निश्चित रूप से यह मान सकता है कि यह पनडुब्बी भी फूहर काफिले का था। समय और दिशा निश्चित रूप से मेल खाते हैं। शायद अवरुद्ध नाकाबंदी बल हमले के दौरान जो पनडुब्बी को छोड़ दिया गया था उसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया था? 
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abhay121996-blog · 3 years
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BSEB 10th परीक्षा परिणाम घोषित, 78.17 प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण Divya Sandesh
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BSEB 10th परीक्षा परिणाम घोषित, 78.17 प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण
पटना। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) की 10वीं (मैट्रिक) के परीक्षा परिणाम सोमवार को घोषित कर दिए गए। इस वर्ष करीब 78 प्रतिशत परीक्षार्थी सफल घोषित किए गए हैं। बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी और बीएसईबी के अध्यक्ष आनंद किशोर ने परीक्षा परिणाम जारी किए। इस मौके पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार भी उपस्थित थे।
इस वर्ष 78.17 प्रतिशत यानी 12.93 लाख से ज्यादा परीक्षार्थी सफल हुए हैं। उत्तीर्ण होने वाले परीक्षार्थियों में 6,76518 छात्र शामिल हैं।
इस साल पहले स्थान पर तीन परीक्षार्थियों ने कब्जा जमाया है, जिसमें दो छात्राएं हैं। सिमुलतला आवासीय विद्यालय की छात्रा पूजा कुमारी और शुभदर्शनी तथा बलदेव हाई स्कूल, दिनारा, रोहतास के छात्र संदीप कुमार ने 484 अंकों के साथ पहला रैंक हासिल किया है।
यह खबर भी पढ़ें: आखिर क्या हैं मिस्र देश की रानियों की खूबसूरती का राज, जिसकी वजह से रहती थी हमेशा जवान
टॉप 10 इस बार सिमुलतला स्कूल से 13 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। सात परीक्षार्थी 483 अंक लाकर दूसरे स्थान पर हैं।
इस वर्ष कोरोना वायरस को लेकर परीक्षा का परिणाम ऑनलाइन जारी किया गया है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा इस वर्ष 17 से 24 फरवरी के बीच परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में करीब 16.84 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे।
परीक्षा परिणाम जारी करते हुए शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि देश में बिहार पहला राज्य है, जहां इंटरमीडिएट (12 वीं) और 10 वीं के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। उन्होंने विभाग और बीएसईबी के अधिाकरियों, शिक्षकों की तारीफ करते हुए कहा कि कोरोना काल में यह एक चुनौतीपूण्र कार्य था, लेकिन सफलतापूर्वक यह कार्य किया गया है।
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sandhyabakshi · 4 years
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बिहार बोर्ड १० थ रिजल्ट २०२०: बिहार बोर्ड २०१ ९ मैट्रिक परिणाम देखें १० बातें
बिहार बोर्ड १० थ रिजल्ट २०२०: बिहार बोर्ड २०१ ९ मैट्रिक परिणाम देखें १० बातें
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बिहार बोर्ड 10 वीं परिणाम 2020; बिहार बोर्ड 10 वीं का रिजल्ट अब से कुछ घंटे बाद जारी होने जा रहा है। इस वर्ष छात्रों के रिजल्ट पर कोरोना परिस्थिति और लॉकडाउन का क्या असर होगा यह देखना होगा। हालांकि विहार बोर्ड 10 वीं की परीक्षाएं लॉकडाउन शुरू होने से पहले ही हो चुकी थीं ऐसे में रिजल्ट अनंत होने की आशंका ही थी। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस साल बिहार बोर्ड अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ पाएगा…
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