अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने मेमोइर (जीवनी) में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी का जिक्र किया है। ओबामा का कहना है, "राहुल उस स्टूडेंट की तरह हैं जो टीचर को इम्प्रेस करने के लिए तो उत्सुक है, लेकिन सब्जेक्ट का मास्टर होने के मामले में योग्यता या जुनून की कमी है। यह राहुल की कमजोरी है।" ओबामा जब सत्ता में थे तब, राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे। ओबामा की पिछली भारत यात्रा के वक्त राहुल उनसे मिले थे।
ओबामा ने मनमोहन सिंह को शांत और ईमानदार बताया है। मनमोहन सिंह के कार्यकाल वाली UPA सरकार के समय ओबामा अमेरिका के प्रेसिडेंट रहे थे। नवंबर 2009 में ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल भारत दौर पर आए थे, तब मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरुशरण कौर ने ओबामा परिवार के लिए डिनर भी रखा था।
ओबामा ने अपनी किताब में दूसरे देशों के नेताओं के बारे में भी लिखा है। रूस के प्रेसिडेंट ब्लादिमीर पुतिन को शारीरिक रूप से साधारण बताया है। अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन के बारे में लिखा है कि वे सज्जन, ईमानदार और वफादार हैं। बाइडेन को लगे तो उन्हें तवज्जो नहीं मिल रही, तो वे गुस्सा हो सकते हैं, यह ऐसी क्वालिटी है जो किसी युवा से डील करते वक्त माहौल बिगाड़ सकती है।
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बराक ओबामा जब भारत आए थे, तब राहुल उनसे मिले थे।- फाइल फोटो।
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दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा शुक्रवार सुबह 5.30 करोड़ के पार हो गया। 3 करोड़ 71 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 12 लाख 98 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका में संक्रमण की रफ्तार कम होने का नाम नहीं ले रही है। यहां गुरुवार को एक ही दिन में एक लाख 40 हजार मामले सामने आए। वहीं, फ्रांस में लॉकडाउन से कम होते मामलों के बाद सरकार इसे दो हफ्ते बढ़ाने पर विचार कर रही है।
अमेरिका में फिर रिकॉर्ड
अमेरिका में लगातार दूसरे दिन एक लाख 35 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। गुरुवार को यहां एक लाख 40 हजार मामले सामने आए। इसके एक दिन पहले यानी बुधवार को एक लाख 35 हजार मामले सामने आए थे। कुल मिलाकर एक हफ्ते में 10 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इस बीच, कोरोनावायरस टास्क फोर्स में शामिल और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सलाहकार डॉक्टर एंथोनी फौसी ने कहा है कि अमेरिका में किसी लॉकडाउन की जरूरत नहीं है। डॉक्टर फौसी ने कहा- अगर हम मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें तो लॉकडाउन जैसे सख्त उपायों की जरूरत नहीं होगी। फौसी ने माना कि अमेरिका में मामले बहुत ज्यादा हैं, लेकिन उम्मीद जताई कि वैक्सीन भी जल्द आने वाली है। उनके मुताबिक, अप्रैल और मई तक हालात काबू में होंगे।
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शिकागो में गुरुवार को एक स्टैच्यू के सामने से गुजरती महिला। अमेरिका में गुरुवार को फिर एक लाख से ज्यादा मामले सामने आए। गुरुवार को यहां कुल एक लाख 40 हजार मामले सामने आए।
इटली में अप्रेल के बाद सबसे ज्यादा मौतें
इटली में संक्रमण की दूसरी लहर खतरनाक साबित हो रही है। गुरुवार को यहां 636 संक्रमितों की मौत हो गई। यह 6 अप्रैल के बाद एक दिन में होने वाली सबसे ज्यादा मौतें हैं। इसके अलावा एक ही दिन में यहां 5 हजार नए मामले सामने आए। पहली लहर यानी नवंबर के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित शहर लोम्बार्डी में हालात फिर खतरनाक होने लगे हैं। यहां के अस्पतालों में भर्ती होने वाले गंभीर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। हालांकि, इटली सरकार ने साफ कर दिया है कि वो लॉकडाउन नहीं करेगी।
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वैक्सीन से खत्म होगी महामारी
जर्मन कंपनी बायोएनटेक के चीफ एग्जीक्यूटिव उगुर सेहिन ने कहा है कि कोविड-19 का वैक्सीन आने के बाद महामारी पूरी तरह खत्म हो जाएगी। एक इंटरव्यू में सेहिन ने कहा- इस महामारी ने पूरी दुनिया को बंधक बना लिया है। हमें उम्मीद है कि वैक्सीन आने के बाद दुनिया आजाद होगी। क्लीनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं। हमें उम्मीद है कि बहुत जल्द और बहुत बेहतर नतीजे सामने आएंगे। बायोएनटेक और फाइजर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। जिन रोगियों में लक्षण साफ तौर पर दिखाई दे रहे हैं, उनके लिए तो यह बहुत इफेक्टिव होगी। हम बस इतना जानते हैं कि इस वैक्सीन से वायरस खत्म हो जाएगा।
फोटो जर्मन कंपनी बायोएनटेक के चीफ एग्जीक्यूटिव उगुर सेहिन की है। गुरुवार को एक इंटरव्यू में सेहिन ने कहा- कोविड-19 का वैक्सीन आने के बाद महामारी पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
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फ्रांस के पेरिस शहर में गुरुवार को एक गंभीर मरीज को हेलिकॉप्टर से हॉस्पिटल लाया गया। फ्रांस सरकार ने देश में लॉकडाउन दो हफ्ते बढ़ाने ��ा फैसला किया है।
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने मेमोइर (जीवनी) में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी का जिक्र किया है। ओबामा का कहना है, "राहुल उस स्टूडेंट की तरह हैं जो टीचर को इम्प्रेस करने के लिए तो उत्सुक है, लेकिन सब्जेक्ट का मास्टर होने के मामले में योग्यता या जुनून की कमी है। यह राहुल की कमजोरी है।" ओबामा जब सत्ता में थे तब, राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे। ओबामा की पिछली भारत यात्रा के वक्त राहुल उनसे मिले थे।
ओबामा ने मनमोहन सिंह को शांत और ईमानदार बताया है। मनमोहन सिंह के कार्यकाल वाली UPA सरकार के समय ओबामा अमेरिका के प्रेसिडेंट रहे थे। नवंबर 2009 में ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल भारत दौर पर आए थे, तब मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरुशरण कौर ने ओबामा परिवार के लिए डिनर भी रखा था।
ओबामा ने अपनी किताब में दूसरे देशों के नेताओं के बारे में भी लिखा है। रूस के प्रेसिडेंट ब्लादिमीर पुतिन को शारीरिक रूप से साधारण बताया है। अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन के बारे में लिखा है कि वे सज्जन, ईमानदार और वफादार हैं। बाइडेन को लगे तो उन्हें तवज्जो नहीं मिल रही, तो वे गुस्सा हो सकते हैं, यह ऐसी क्वालिटी है जो किसी युवा से डील करते वक्त माहौल बिगाड़ सकती है।
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बराक ओबामा जब भारत आए थे, तब राहुल उनसे मिले थे।- फाइल फोटो।
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बीते हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन की जीत का जश्न दुनियाभर में मना। इसके पीछे ज्यादातर यह राहत थी कि आत्ममुग्ध और अस्थिर डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस से चले जाएंगे। लेकिन अब पूरी दुनिया बड़ी उम्मीदें लगाए बैठी है। बाइडेन खुद कह चुके हैं कि यह समय उनके देश में हो चुके बड़े विभाजन को ठीक करने, राजनीति से जहरीले ध्रुवीकरण को खत्म करने का है।
वास्तव में अमेरिकी भी अब उस सामान्य जीवन की ओर लौटना चाहते हैं, जहां हमेशा राजनीति के बारे में न सोचना पड़े या गुस्से में ट्वीट करने वाले राष्ट्रपति को लेकर चिंता न हो। लेकिन भारत सहित, दुनिया के तमाम देशों में सवाल है कि बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के उनके देश के लिए क्या मायने हैं।
सबसे स्वाभाविक बदलाव ट्रम्प के तहत शुरू हुए अमेरिकी अलगाववाद के दौर के खत्म होने की उम्मीद है, जिसने कई सहयोगियों को किनारे कर दिया। ज्यादातर मुद्दों पर अमेरिका के वैश्विक रुख में अन्य देशों की सलाह या चिंताओं को शामिल नहीं किया गया और अमेरिका पुराने अंतरराष्ट्रीयवादी राष्ट्रपतियों की सुरक्षा संबंधी प्रतिबद्धताओं से पीछे हट गया।
अब वाशिंगटन से उम्मीद है कि वह सहयोगात्मक वैश्विक नेतृत्व की अमेरिका की पारंपरिक इच्छा को फिर अपनाएगा। इसी से सीमाओं के परे से आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी बहुपक्षवाद की पुन: पुष्टि भी जुड़ी है।
ट्रम्प पैरिस जलयवायु समझौते से, ईरान परमाणु समझौते से पीछे हट गए और महामारी के चरम पर विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर हो गए। बाइडेन ने इशारा किया है कि वे इन तीनों स्थितियों को बदलेंगे।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने दोस्तों व विरोधियों के साथ व्यापार युद्ध शुरू किए थे, पर अब आर्थिक कूटनीति की ज्यादा सहयोगी शैली को उनकी जगह लेनी चाहिए।
अभी वैश्विक अर्थव्यवस्था को इसकी जरूरत है और उम्मीद है कि बाइडेन इसे पूरा करेंगे। भारत भी इन बदलावों का स्वागत करेगा, भले ही ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी के बीच ‘ब्रोमांस’ ने भारत-अमेरिका संबंधों को अनावश्यक रूप से निजी रंग दे दिया। हालांकि कई कारणों से भारत-अमेरिका संबंध मजबूत हैं और सरकारें बदलने से ये अप्रभावित ही रहते हैं। दोनों देशों में रणनीतिक या आर्थिक मुद्दों पर खास मतभेद नहीं हैं।
भारतीयों से संबंधित चिंता का एक क्षेत्र यह है कि क्या भारतीय टेकीज को अमेरिका में काम का मौका देने वाले एच1-बी वर्क वीजा पर ट्रम्प का प्रतिरोधी रवैया बाइडेन-हैरिस प्रशासन में बदलेगा। दोनों डेमोक्रेट्स उम्मीदवार ज्यादा खुली प्रवासी नीति के समर्थक रहे हैं। करीब 40 लाख भारतीय अमेरिकियों के समुदाय का अमेरिका की राजनीतिक में प्रभाव बढ़ा है।
लेकिन कुछ मोदी समर्थक इसे लेकर चिंतित हैं कि डेमोक्रेट्स पारंपरिक रूप से लोकतंत्र व मानव अधिकारों के समर्थक रहे हैं और इसका मौजूदा भारत सरकार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। कमला मोदी सरकार के कुछ कार्यों से असहमत हो सकती हैं। वे ऐसे मुद्दों पर कड़ा रुख अपना सकती हैं, जिससे समुदाय नाराज होते हैं।
बाइडेन प्रशासन के लिए विदेश नीति में चीन मुख्य चुनौती बना रहेगा। डेमोक्रेट्स को भी लगता है कि उसके ‘शांतिपूर्ण उदय’ के प्रति क्षेत्र में कड़ा रुख जरूरी है। अब अमेरिका उत्पादन व सप्लाई चेन के लिए चीन पर निर्भरता कम करना चाहता है। भारत को इसका लाभ मिल सकता है। अमेरिका-भारत के सैन्य संबंध भी लगातार मजबूत हुए हैं।
भारत अमेरिका की ‘इंडो-पैसिफिक’ धारणा का मर्थन करता रहा है और क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का समूह) को लेकर भी अपने संकोच लगातार दूर कर रहा है। क्वाड भारत की चीन से जुड़ी सभी सुरक्षा संबंधी चिंताओं की दवा है। हालांकि, अमेरिका का उद्देश्य उसके वैश्विक प्रभुत्व को चीन से मिल रही भूराजनैतिक चुनौती का सामना करना है।
बाइडेन प्रशासन को वहां संभलकर काम करना होगा, जहां ट्रम्प जल्दबाजी करते नजर आए। उसे मध्य पूर्व में सावधान रहना होगा, जहां ट्रम्प ने ऐसे कदम उठाए, जिन्हें वापस लेना मुश्किल होगा। यूएई और बहरीन ने सऊदी के समर्थन के साथ हाल ही में जिस ‘अब्राहम समझौता’ के तहत इजराइल को मान्यता दी है, उसे अब बदला नहीं जा सकता।
फिर भले ही बाइडेन नेतन्याहू द्वारा इजराइल के विस्तार के प्रति कम सहानुभूति रखें। नया उभरता हुआ खाड़ी अरब गठबंधन भी बाइडेन द्वारा ईरान पर ओबामा वाली नीति फिर अपनाने का शायद ही स्वागत करे। इसीलिए पश्चिम एशिया में सीधे ट्रम्पवाद से हट जाना संभव नहीं होगा।
हालांकि भौगोलिक स्थितियों से परे विचारधाराएं होती हैं। जो बाइडेन ने बतौर उम्मीदवार अपने कार्यकाल के शुरुआती महीनों में ही वैश्विक लोकतंत्र समिट रखने की बात कही थी। विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत की निश्चित रूप से इसमें बड़ी भूमिका होगी। आने वाले वर्षों में बाइडेन के तत्वाधान में भारत, ऑस्ट्रेलिया और साऊथ कोरिया समेत जी-7 देश लोकतंत्रों के एक उभरते हुए समूह के रूप में एक बड़ी लोकतांत्रिक ताकत बनकर उभर सकते हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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What will the world and India expect from Joe Biden?
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छात्र था, तो विश्वविद्यालय में एक नारा सुना, ‘जीना है तो मरना सीखो’। 74 जेपी आंदोलन के दिन थे। पर जीवन के संदर्भ में मौत की बात, लोक अनुभव में जानी। भला, मौत का पूरा मर्म जीते जी कौन जान सका है? बेंजामिन ने कहा, हम कल्पना में मौत का ज्ञान तलाशते हैं। सुकरात ने कहा, दर्शन का मर्म, जीवन को मौत के लिए तैयार करना है। बाद में मौत पर साहित्य पढ़ना शगल बना।
इन दिनों अरुण शौरी की ताजा किताब ‘प्रिपेयरिंग फॉर डेथ’ (पेंगुइन प्रकाशन) की गूंज है। उनकी हर किताब की तरह यह किताब भी छाप छोड़ती है। एक पंक्ति में कहें, तो जो नारे नासमझ छात्र दिनों में कानों में गूंजे, उसका मर्म इस पुस्तक में है। जीवन जीने के लिए मौत को जानना आवश्यक है। कोविड के दौर में यह बताने की जरूरत है? अब तक दुनिया में 12.7 लाख लोग इससे मरे। यह है, मौत के बीच जीना।
भारत अनूठी धरती है। यहां बचपन से ‘श्मशान वैराग्य’ का बोध होता है। काशी मेंे ‘मणिकर्णिका’ जैसा महाश्मशान है, जहां संहार के देवता शंकर रहते हैं, यह मान्यता है। धरती होने के बाद जो चिता यहां जली, अब तक जल रही है। गांव में, बचपन में गरुड़ पुराण का पाठ कानों में गूंजा। ईसा से 700 वर्ष पहले जहां कठोपनिषद लिखा गया। यम और बालक नचिकेता के बीच संवाद का अद्भुत उपनिषद। मृत्यु देवता यम से नचिकेता मौत का मर्म जानना चाहता है। यम, तीसरे वरदान के प्रतिदान में अलभ्य लौकिक चीजें बालक नचिकेता को देना चाहते हैं, पर मृत्यु का रहस्य नहीं बताना चाहते। इसी मुल्क में ययाति जैसे पात्र की कथा है।
चक्रवर्ती ययाति को शाप है। असमय वृद्ध होते हैं। वरदान है वृद्धत्व बेटे को देकर युवापन पाने का। वे यह करते हैं। युवा बनकर संसार भोगते हैं। अंततः निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि संसार के सभी भोग पदार्थ, संपदा और स्त्री सौंदर्य, एक इंसान की तृष्णा को संतुष्ट नहीं कर सकते। अंत में ज्ञान पाते हैं कि अति वर्जित है। भोग छोड़ संन्यास लेते हैं। रामकृष्ण मठ के स्वामी विवेकानंद या स्वामी अभेदानंद (1866-1939) ने भी मौत का मर्म जानने की कोशिश की। दशकों पहले तिब्बत की बहुचर्चित पुस्तक पढ़ी, सोग्याल रिनपोछे लिखित ‘द तिब्बत बुक ऑफ लिविंग एंड डाइंग’। तिब्बत में मौत को जानने और मौत के लिए पहले से तैयार होने के लिए समृद्ध और पुरानी परंपरा है।
युवा दिनों में ही रुचि जागी कि महान नायकों के अंतिम दिन कैसे रहे? गांधी, लेनिन, स्टालिन, माओ, लोहिया, जेपी, पं. नेहरू के अंतिम दिनों पर खोजा, पढ़ा। फिर कृष्ण से राम तक के जुड़े अंतिम प्रसंग, जो मिले। इस विषय में आकर्षण है। जिन लोगों ने इतिहास बदला, नियति बदली, उनके खुद का अंतिम दौर बहुत सुखकर नहीं रहा। इसी क्रम में 2008 के आसपास पढ़ी ‘द लास्ट लेक्चर’। कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय में कंप्यूटर के प्रतिभाशाली प्रो. रैंडी पॉश की किताब। 47 वर्ष की उम्र में प्रो. पॉश को अचानक पता चला, कैंसर है।
उन्होंने कार्नेगी मेलन में 18 सितंबर 2007 को अपना ‘फाइनल टॉक’ दिया था। यह पढ़ते हुए युवा दिनों में देखी गई कुछ फिल्में बार-बार याद आईं। ‘मिली’, ‘सफर’, ‘आनंद’ और ‘सत्यकाम’ वगैरह। जेपी नहीं रहे, तो उन पर दार्शनिक प्रोफेसर कृष्णनाथ का व्याख्यान पढ़ा जिसमें इंसान की नियति समझने के लिए मार्मिक प्रसंग हंै।
‘गांधीजी ने स्वराज की लड़ाई लड़ी। जब स्वराज आया तो वे कारगर न रहे। जयप्रकाश जी ने दूसरी बार सत्ता में ��ब्दीली की। किंतु उसके बाद रोग के कारण जरा-जीर्ण रहे। यहूदियों के पैगंबर मौसेज मिसर उन्हें दासता से निकाल कर ले आए। उन्हें प्रायः 40 वर्षों बाद वह जमीन दीखी, जो उनकी होने वाली थी, जो दूध और शहद से भरी-पूरी थी। किंतु उसमें वे न जा सके। ऐसी ‘ट्रेजेडी’ मनुष्य और कौम के जीवन में बार-बार क्यों होती है? क्यों बार-बार जीवन में प्रकाश आता है, किंतु क्यों हम बार-बार अंधकार का वरण करते हैं? क्यों अंधकार के छा जाने पर हम फिर-फिर प्रकाश का स्मरण करते हैं?’ शायद यह मानव नियति है।
संसद की अनूठी परंपरा है। सत्र चलता है, तो प्रायः उस दिन या लंबे अवकाश के बाद जब मिलता है, तो बीते दिनों में जो पूर्व सांसद या मौजूदा सांसद, भौतिक काया में नहीं रहते, उन्हें शुरू में श्रद्धांजलि दी जाती है। तब मुझे युधिष्ठिर-यक्ष संवाद याद आता है। यक्ष, युधिष्ठिर से पूछते हैं, जीवन का सबसे बड़ा आश्चर्य क्य��� है? युधिष्ठिर उत्तर देते हैं, हम रोज शव कंधों पर लेकर श्मशान जाते हैं, पर हमें नहीं लगता कि हमारी भी यही परिणति है। शायद यही जीवन है। इस जीवन को बेहतर समझने के लिए अरुण शौरी की पुस्तक संपन्न दृष्टि देती है।
इसमें व्यावहारिक सुझाव हैं, ताकि मस्तिष्क शांतिपूर्ण ढंग से विसर्जन की ओर बढ़े। इसमें बुद्ध, रामकृष्ण परमहंस, रमण महर्षि, महात्मा गांधी, विनोबा भावे आदि के अंतिम दिनों के विचार संपन्न विवरण हैं। धर्म जिन बड़े सवालों को हमारे सामने छोड़ता है, उनका विवरण है। क्या आत्मा है? है तो क्या अजन्मी है या अमर? मृत्यु के बाद जीवन है? या पुनर्जन्म है? भगवान है? सच क्या है, माया क्या है? महान ऋषियों और संतों के इस पर अलग-अलग अनुभव हैं। इन सब के बीच हम अपना संसार कैसे गढ़ें? यह दृष्टि देती है, किताब।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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हरिवंश, राज्यसभा के उपसभापति
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नमस्कार!
बिहार में चुनाव नतीजे आ चुके हैं, मगर हालात अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जैसे हैं। मतलब बहुमत NDA को मिला है, पर राजद हार मानने को तैयार ही नहीं। तेजस्वी बोल रहे हैं कि जनादेश महागठबंधन को ही मिला है, पर चुनाव आयोग का नतीजा NDA के पक्ष में गया। बहरहाल, शुरू करते हैं आज का मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है…
BSE का मार्केट कैप 167 लाख करोड़ रुपए रहा। BSE पर करीब 53% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
2,886 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,550 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,146 कंपनियों के शेयर गिरे।
आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर
बिहार में NDA की बैठक होगी। मुख्यमंत्री को लेकर हो सकता है फैसला। चुनाव नतीजे आने के बाद पहली बार चारों घटक दल के नेता साथ बैठेंगे।
महाराष्ट्र में एक्टर अर्जुन रामपाल की मुंबई के NCB ऑफिस में सुबह 11 बजे पेशी।
राजस्थान के कोटा में मेडिकल कॉलेज के 23 विभागों में असिस्टेंट प्रोफेसर, सीनियर डेमोंस्ट्रेटर, सीनियर रेजीडेंट समेत कुछ पदों के लिए इंटरव्यू होंगे।
देश-विदेश
एक्टर आसिफ बसरा ने की आत्महत्या
पिछले दिनों आई वेब सीरीज पाताललोक में काम कर चुके एक्टर आसिफ बसरा (53) ने धर्मशाला के मैक्लोडगंज स्थित अपार्टमेंट में खुदकुशी कर ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह डिप्रेशन में थे। उन्होंने पालतू कुत्ते के पट्टे से फंदा लगाकर जान दे दी।
ममता के मंत्री कैबिनेट मीटिंग से नदारद
पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले तृणमूल चीफ ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ने की खबर है। सरकार में परिवहन मंत्री सुवेंदु अधिकारी बुधवार को ममता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में नहीं पहुंचे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पांच मंत्री कैबिनेट मीटिंग में नहीं पहुंचे।
घर खरीदारों और डेवलपर्स के लिए राहत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घर खरीदारों और डेवलपर्स के लिए बड़ी राहत दी। सर्कल रेट और एग्रीमेंट वैल्यू के बीच का जो अंतर है, उस पर अब इनकम टैक्स में 20% की राहत दी जाएगी। पहले यह 10% थी। यह स्कीम रेसीडेंशियल यूनिट की प्राइमरी बिक्री पर लागू होगी।
मोदी ने JNU में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया
नेहरू के नाम पर बनी और लेफ्ट का गढ़ कही जाने वाली JNU में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली पहुंचे। उन्होंने यहां स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया, जो कैम्पस में 2018 से ढंककर रखी हुई थी। प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा- अब स्वामीजी की प्रतिमा की छत्रछाया में डिबेट कीजिएगा।
राष्ट्रपति ट्रम्प के आगे अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट मजबूर
जो बाइडेन अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन, डोनाल्ड ट्रम्प अब भी हार मानने को तैयार नहीं है। हालात ये हैं कि दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्ष बाइडेन को जो बधाई संदेश भेज रहे हैं, वे बाइडेन के पास पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। वजह है स्टेट डिपार्टमेंट की मजबूरी।
डीबी ओरिजिनल
भूखे बुजुर्ग को ASI ने खाना खिलाया, सुसाइड से रोका
सूरत के पुलिस सुसाइड प्रिवेंशन हेल्पलाइन के नंबर पर 8 अक्टूबर को एक बुजुर्ग ने फोन किया और कहा, 'मैं जिंदगी से तंग आ गया हूं, दो टाइम का खाना तक नहीं मिल रहा। मुझे आत्महत्या करने का विचार आ रहा है।' ASI ने बुजुर्ग के लिए खाने की व्यवस्था की। उनको सुसाइड से रोका।
पढ़ें पूरी खबर...
भास्कर एक्सप्लेनर
प्रदूषण के लिए दिवाली के पटाखे कितने जिम्मेदार?
एयर पॉल्यूशन बढ़ते देख नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी NGT ने दिल्ली-एनसीआर में 9 से 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। न सिर्फ दिल्ली, बल्कि देश के जिन-जिन राज्यों में एयर क्वालिटी खराब है, वहां पटाखे नहीं बेचे जाएंगे, लेकिन क्या पॉल्यूशन के लिए दिवाली के पटाखे ही जिम्मेदार हैं?
पढ़ें पूरी खबर...
सुर्खियों में और क्या है...
कंगना रनौट के भाई अक्षत ने रितु सागवान के साथ उदयपुर में शादी की। कंगना ने भाई की शादी में 6 करोड़ खर्च किए, 45 लाख की ज्वेलरी और 18 लाख की ड्रेस पहनी।
देश में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बताया कि ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनिका की कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड के चार करोड़ डोज तैयार कर लिए गए हैं।
LAC पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच डिसइंगेजमेंट प्लान बन गया है। पूर्वी लद्दाख में पैगॉन्ग झील के आसपास बने स्ट्रक्चर तोड़े जाएंगे। पेट्रोलिंग पर भी रोक लगाई जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को 17वीं आसियान (ASEAN) समिट में कहा कि कोरोना के कारण फैमिली फोटो नहीं ले पा रहे, पर हमारे बीच दूरियां कम हो रही हैं। समिट में सभी 10 सदस्य देश शामिल हुए थे।
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Bollywood Suicide: Indian Government News Updates| Kangana Ranaut News | Chirag Paswan Nitish Kumar; Dainik Bhaskar Top News Morning Briefing Today
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कार्तिक महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को रूप चतुर्दशी या नरक चौदस के रूप में मनाया जाता है। स्कंद पुराण के मुताबिक, इस तिथि में शाम को यमराज के लिए दीपदान देने से अकाल मृत्यु नहीं होती। वहीं, भविष्य और पद्म पुराण का कहना है कि चतुर्दशी तिथि में सूर्योदय से पहले उठकर अभ्यंग यानी तेल मालिश कर के औषधि स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से बीमारियां खत्म होती हैं और उम्र बढ़ती हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि चतुर्दशी तिथि 13 नवंबर को दोपहर करीब 3 बजे से शुरू होकर 14 की दोपहर 2 तक रहेगी। इसलिए यम दीपदान शुक्रवार की शाम को करना चाहिए और औषधि स्नान 14 नवंबर को सूर्योदय से पहले करना शुभ रहेगा।
दीपदान और यम पूजन:
कार्तिक महीने की चतुर्दशी तिथि पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए सूर्यास्त के बाद दक्षिण दिशा में दीपदान करने से कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है और जाने-अनजाने में किए गए हर तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं। प्रसन्न होकर यम आरोग्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद देते हैं। इससे परिवार में किसी भी तरह की परेशानी नहीं आती।
अभ्यंग और औषधि स्नान:
भविष्यपुराण के मुताबिक, कार्तिक महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को नहाने से पहले तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए। तिल के तेल में लक्ष्मीजी और जल में गंगाजी का निवास माना गया है। इससे रूप बढ़ता है और सेहत अच्छी रहती है। पद्मपुराण में लिखा है कि जो सूर्योदय से पहले नहाता है, वो यमलोक नहीं जाता। इसलिए इस दिन सूरज उदय होने से पहले औषधियों से नहाना चाहिए।
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Diwali 2020: Naraka Chaturdashi; Roop Chaudas Shubh Muhurat, Yamaraja Deepdaan Puja Vidhi
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कहानी - जून 1902 में स्वामी विवेकानंद ने अपने एक शिष्य को पत्र लिखा था। उसमें अपनी सेहत को लेकर बात की थी। स्वामीजी ने लिखा था कि मेरा किस्सा पूरा भया, नटे पौधा ढहा यानी अब इस जीवन को समेटने का समय आ गया है।
अंतिम समय में स्वामीजी ने अपने शिष्यों से कहा था कि एक के बाद एक कई बीमारियां मेरे शरीर में उतर आई हैं। मेरी सेहत तेजी से टूट रही है। बीमारियों की वजह से कभी-कभी गुस्सा भी आ जाता है, लेकिन तुरंत मैं अपने आप को शांत भी कर लेता हूं।
स्वामी विवेकानंद ने जिस शरीर से पूरी दुनिया नापी थी, पूरी दुनिया को मानवता की सीख दी, वही शरीर अंतिम समय में इतना लाचार हो गया था। उन्हें सांस लेने में असहनीय तकलीफ होने लगी थी। वे कई तकियों को इकट्ठा करके अपनी छाती के आगे लगा लेते थे और आगे की तरफ झुककर बड़ी तकलीफ से सांस ले पा रहे थे।
स्वामीजी अंतिम दिनों में कहा करते थे कि चलो मृत्यु आ भी गई तो क्या फर्क पड़ता है? मैं जो देकर जा रहा हूं, वह डेढ़ हजार वर्षों की खुराक है। गुरु महाराज का मैं ऋणी था। मैंने अपना काम कर दिया है। अब आगे की व्यवस्था तुम लोग संभालो।
सीख - जाते-जाते स्वामी विवेकानंद हमें समझा गए कि इस शरीर का भी ध्यान रखना है। बीमारियां किसी को भी हो सकती हैं, शरीर को सुरक्षित रखने के लिए हर रोज व्यायाम जरूर करें, क्योंकि ये शरीर एक दिन अपनी कीमत जरूर वसूलता है।
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एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी में आता है कुंभरवाड़ा। कुंभर यानी कुम्हार और वाड़ा यानी कॉलोनी। इस तरह कुम्हारों की बसाहट के बाद कुंभरवाड़ा बना। 100 साल से भी ज्यादा समय से यहां मिट्टी के बर्तन बनाने का काम चल रहा है। कुंभरवाड़ा दीयों का कितना बड़ा मार्केट है, इसका अंदाज इस बात से लगा सकते हैं कि सालभर में यहां करीब 10 करोड़ दीये बनाए जाते हैं। यहां घरों के बाहर भट्टी और घरों के अंदर मिट्टी के बर्तन सजे होते हैं।
दिवाली इन लोगों के लिए बिजनेस का सबसे बड़ा मौका होता है, लेकिन इस बार हालात खराब हैं। कोरोना के चलते न माल एक्सपोर्ट हुआ है और न ही लोकल ग्राहकी अच्छी हो रही है। कोरोना ने इस पॉटरी विलेज की दीपावली फीकी कर दी है।
कुंभरवाड़ा मुंबई का मिट्टी के बर्तनों का सबसे बड़ा बाजार है।
5 हजार दीये खराब हो गए, बिके अभी तक 10 हजार ही
राकेश भाई 90 फीट रोड पर ही मिट्टी के बर्तनों की दुकान लगाते हैं। कहते हैं, 'पहली बार ऐसा हो रहा है कि हमें भट्टी जलाने के लिए वेस्ट मटेरियल भी महंगा मिल रहा है और माल भी नहीं बिक रहा। वेस्ट मटेरियल महंगा क्यों हो गया? इस पर बोले, 'भैया धारावी में कपड़े की हजारों फैक्ट्रियां हैं। उनकी जो बची हुई कतरन होती है, वही हम खरीदते हैं और उससे भट्टी जलाते हैं। इस बार फैक्ट्रियां ही बंद पड़ी थीं। चुनिंदा फैक्ट्रियों ने ही कतरन बेची तो जो माल 80 रुपए में मिलता था वो 220 में मिला।'
राकेश ने दीपावली के लिए 20 हजार दीये रखे थे। इसमें से 5 हजार तो खराब ही हो गए, क्योंकि वो काली मिट्टी से बने थे। गुजरात से जो मिट्टी आती है, वो आ नहीं पाई थी। ऐसे में काली मिट्टी से दीये बनाने पड़े। 15 हजार दीये बचे थे, उसमें से करीब 10 हजार ही बिक पाए हैं। पिछली दिवाली तक तो एक झटके में ही इतना माल निकल जाता था। कहते हैं कि कुछ दिनों पहले मेरे पिताजी की डेथ हुई है। हमें मिठाई, कपड़े कुछ नहीं खरीदना। खरीदना होता तो इस बार कुछ खरीद भी नहीं पाते।
कुंभरवाड़ा के राकेश कहते हैं कि पिछली दिवाली तक तो इतनी भीड़ होती थी कि खाने का भी टाइम नहीं मिल पाता था, अब तो सब मंदा है।
दरअसल, कुंभरवाड़ा के कुम्हार हर साल मार्च-अप्रैल से दीये बनाना शुरू कर देते हैं। यह काम अक्टूबर तक चलता है, फिर दीपावली पर ग्राहकी होती है। छोटे लेवल पर काम करने वाले भी दिवाली पर लाख-दो लाख कमा लेते हैं। यह कमाई चार-पांच महीने की मेहनत की होती है। इस बार कोरोना के चलते मार्च-अप्रैल में कोई काम हो ही नहीं सका। दीयों के लिए मिट्टी गुजरात से आती है, वो भी इस बार नहीं आई। जून के बाद कुछ गाड़ियां आईं, लेकिन माल इतना महंगा बिका कि छोटे लेवल पर काम करने वाले खरीद नहीं सके। अब ये लोग वो माल बेच रहे हैं, जो पहले से बना रखा हुआ है।
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पीढ़ियों से यही काम कर रहे, इस बार ग्राहकी आधी हो गई
हंसमुख भाई परमार कहते हैं, 'हम पीढ़ियों से यही काम करते आ रहे हैं। कुंभरवाड़ा में तैयार होने वाले दीये यूएस, दुबई और लंदन तक जाते हैं। कुछ माल पानी के जहाज से जाता है तो कुछ हवाई जहाज से जाता है। हालांकि, बाहर माल भेजने का काम कुछ बड़े लोग ही करते हैं। छोटे व्यापारी तो यहीं के भरोसे होते हैं। मुंबई में अभी लोकल सभी के लिए शुरू नहीं हुई इसलिए शहर के ग्राहक भी इधर नहीं आ रहे।'
वो कहते हैं कि बेरोजगारी और कामधंधा मंदा होने के कारण भी लोग परेशान हैं इसलिए दीपावली पर बहुत ज्यादा खरीदारी नहीं कर रहे। हंसमुख भाई ने पिछले 20 सालों में पहली बार दिवाली पर इतनी फीकी ग्राहकी देखी है। कहने लगे कि बिजनेस सीधे-सीधे 50 टका कम हो गया। पहले दिवाली पर 4 से 5 लाख रुपए का बिजनेस होता था, इस बार तो लाख में बात पहुंची ही नहीं।
हसमुख कहते हैं कि पिछले 20 सालों में पहली बार दीपावली पर इतना मंदा बाजार देखा है।
50 लाख दीये विदेश जाते हैं
कुंभरवाडा में मिट्टी के बर्तनों का छोटे लेवल पर बिजनेस करने वाला कुम्हार परिवार भी सालभर में औसतन 1 लाख दीये बनाता है। इससे महीने में 15 से 20 हजार रुपए की कमाई हो जाती है। सालभर में करीब 10 करोड़ दीये बनते हैं। कारोबारियों के मुताबिक, 50 लाख दीये तो विदेशों में एक्सपोर्ट हो जाते हैं। दीये के साथ ही मिट्टी के कई आइटम यहां बनाए जाते हैं।
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कुंभरवाड़ा में ढेरों छोटे-छोटे कारोबारी हैं, जिनके लिए दीवाली कमाने का बड़ा मौका होता है। पूरा परिवार इस काम में लग जाता है, लेकिन इस बार सब मंदा है।
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सूरत जिले के पुलिस सुसाइड प्रिवेंशन हेल्पलाइन के नंबर पर 8 अक्टूबर को एक बुजुर्ग ने फोन किया और कहा, 'मैं जिंदगी से तंग आ गया हूं, दो टाइम का खाना तक नहीं मिल रहा। डायबिटीज और बीपी की समस्या से भी परेशान हूं, दवा खरीदने के पैसे नहीं। पैरों में सूजन आ गई है, बाथरूम नहीं जा पाता। मेरा कोई नहीं और अब दर्द सहन नहीं होता। मुझे आत्महत्या का विचार आ रहा है।' बुजुर्ग का ये कॉल हेल्पलाइन के एसीपी चंद्रराज सिंह जाडेजा ने रिसीव किया था।
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चंद्रराज सिंह जाडेजा फोन पर बुजुर्ग से बातचीत करते रहे और बातों-बातों में घर का पता पूछ लिया। इसी दौरान उन्होंने डिंडोली पुलिस थाने के पीआई से संपर्क किया और एक जवान नवीन को बुजुर्ग के घर भेजकर उन्हें सुसाइड करने से रोक लिया। ASI नवीन ने खुद ही इन बुजुर्ग की देखभाल करने का फैसला किया। लगातार 14 दिनों तक नवीन ने पिता की तरह बुजुर्ग की देखभाल की। खाने और दवा का खर्च उठाया और बुजुर्ग की जान बचा ली।
बुजुर्ग का फोन एसीपी चंद्रराज सिंह जाडेजा ने रिसीव किया था। उन्होंने अपनी बातों में व्यस्त रखते हुए बुजुर्ग से उनके घर का पता पूछ लिया।
बुजुर्ग के दो बेटे वल्लभ विद्यानगर आश्रम में पढ़ाई करते हैं
ASI नवीन चौधरी ने भास्कर से बातचीत में बताया कि एसीपी जाडेजा ने बुजुर्ग को अपनी बातों में लगाए रहते हुए ही मुझसे संपर्क किया। मैं टीम के साथ तुरंत ही उनके घर की ओर रवाना हो गया। घर जाकर देखा तो फोन करने वाले बुजुर्ग बहुत कमजोर नजर आ रहे थे। उन्होंने अपना नाम जयवदन पुरोहित बताया। उन्होंने बताया कि 2019 में पत्नी की मौत के बाद से वे अकेले ही रह रहे थे। दो बेटे हैं, लेकिन वे वल्लभ विद्यानगर आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। एक बेटा टी-वाई और दूसरा 11वीं में पढ़ता है। दोनों आश्रम में रहकर कामकाज करते हुए अपना खर्च निकालते हैं।
जयवदन ने बताया, 'मुझे शुगर के साथ-साथ बीपी की भी समस्या है। पैसों की तंगी और उस पर लॉकडाउन के दौरान तो हालत खस्ताहाल हो गई। दवा की बात तो दूर, खाने तक के लिए पैसे नहीं बचे। कोई मदद करने तैयार नहीं था। बेटों की हालत भी ऐसी नहीं कि उनसे पैसे मांगे जा सकें। कई दिनों से ठीक से खाना न मिलने के चलते पै��ों में सूजन आ गई, जिससे दो कदम चलने तक को मोहताज हो गया हूं।'
नवीन बताते हैं, 'उनकी हालत देखकर और उनकी बातें सुनने के बाद मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे। मैंने तुरंत पास की एक होटल से उनके लिए खाना मंगवाया और फिर उनके खाना खा लेने तक इंतजार किया। उसके बाद कहा कि आप आत्महत्या का ख्याल अपने दिमाग से निकाल दीजिए। अब मैं आपकी जिम्मेदारी उठाऊंगा। आपको मंजूर है? मेरी बात सुनने के बाद वे मेरी ओर देखते ही रह गए और उनके चेहरे पर खुशी के हल्के भाव दिखे। इसके बाद मैं उनकी तमाम दवाएं लेकर आया। वे काफी भावुक हो गए तो मेरी आंखों में भी आंसू आ गए।'
इसी घर में बुजुर्ग जयवदन पुरोहित रहते हैं। पिछले साल उनकी पत्नी की मौत हो गई थी, तब से वो अकेले ही रहते हैं।
14 दिनों में उनके मन में फिर कभी भी सुसाइड का विचार नहीं आया
नवीन ने बताया, 'मैंने तय कर लिया था कि अब उनकी देखभाल मैं ही करूंगा। इसके बाद लगातार 14 दिनों तक एक NGO की महिला की मदद से बुजुर्ग को दोनों समय का भोजन पहुंचाता और रोजाना उनसे मिलने जाता था। खुशी की बात तो ये थी कि इन 14 दिनों में उनके मन में दोबारा कभी भी आत्महत्या का विचार नहीं आया। इसके बाद मैंने उनके बेटों से फोन पर संपर्क किया। एक बेटा उन्हें अपने साथ रखने के लिए तैयार था। मेरी बातें सुनने के बाद बेटा तुरंत सूरत चला आया और जब पिता से उसकी मुलाकात हुई तो बुजुर्ग की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि उनके लिए ये पल किसी उत्सव से कम नहीं था। मैंने खुद ये नजारा अपनी आंखों से देखा।'
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बेटा पिता को अपने साथ ले गया
नवीन ने बताया कि बेटे को अपने सामने देखकर पिता चौंक उठे थे। हालांकि, बेटे ने उन्हें इस बात का जरा सा भी अहसास नहीं होने दिया कि उसे बुलाया गया है। उसने पिता से कहा कि आपकी बहुत याद आ रही थी इसीलिए आपको साथ में ले जाने आ गया। यह सुनकर पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सुनने वाले और लोगों के लिए भले ही यह एक छोटी सी घटना हो सकती है, लेकिन एक बुजुर्ग व लाचार पिता को बेटे का सहारा मिलने की खुशी का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। फिलहाल जयवदन बेटे के साथ आराम से रह रहे हैं।
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ASI नवीन चौधरी जिन्होंने बुजुर्ग के घर पहुंचकर उनकी जान बचाई और सुसाइड करने से रोका।
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सरकार एक बार फिर राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, दिवाली से पहले सरकार देश को 1.5 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का तोहफा दे सकती है। इस पर आज दोपहर वित्त मंत्री सीतारमण प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगी। इससे पहले बुधवार को सरकार प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव्स (PLI) के तहत 1.46 लाख करोड़ रुपए देने का ऐलान कर चुकी है।
मुश्किल वाले सेक्टर्स पर होगा फोकस
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार मुश्किल वाले सेक्टर्स पर फोकस करेगी। इसके जरिए वह अर्थव्यवस्था को उबारने की कोशिश करेगी। कैबिनेट ने बुधवार को ही बैठक में 10 सेक्टर्स में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव्स (PLI) लागू करने की मंजूरी दे दी है। PLI के तहत अगले 5 सालों में 1.46 लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, 57 हजार करोड़ रुपए की अधिकतम इंसेंटिव हासिल करने वाले सेक्टर्स में ऑटो कंपोनेंट्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर्स हो सकते हैं।
वित्त मंत्री ने कहा- देश की GDP ग्रोथ निगेटिव जोन में या जीरो के करीब रह सकती है
इसके अलावा, जिन सेक्टर्स को इसका फायदा होगा, उनमें एडवांस सेल केमिस्ट्री, बैटरी, फार्मा, फूड प्रोडक्ट्स और व्हाइट गुड्स शामिल हैं। इस स्कीम के तहत केंद्र सरकार एक्स्ट्रा प्रोडक्शन पर कंपनियों को इंसेंटिव्स और उन्हें एक्सपोर्ट करने की भी मंजूरी देगी। पिछले महीने नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने ऐलान किया था कि सरकार प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव्स लेकर आएगी ताकि घरेलू मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स को सपोर्ट किया जा सके।
उन्होंने कहा था कि PLI स्कीम का मकसद देश में पैसा लगाने वाले निवेशकों को इनसेंटिव्स देना है, ताकि घरेलू कंपनियों को भी दुनिया के बराबर लाया जा सके।
दो मुद्दों पर होगा फोकस
अगले राहत पैकेज में दो मुद्दों पर फोकस रहने वाला है। पहला है ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार कैसे दिया जाए, इस पर इस राहत पैकेज में फोकस हो सकता है। इसके लिए सरकार PF (प्रॉविडेंड फंड) के जरिए 10 फीसदी सब्सिडी देने का ऐलान कर सकती है।
दूसरे कदम के तहत सरकार केवी कामत कमेटी द्वारा पहचाने गए दबाव और परेशानी से गुजर रहे सभी 26 सेक्टरों के लिए इमरजेंसी क्रेडिट की व्यवस्था कर सकती है। अलग-अलग सेक्टर के लिए अलग-अलग राहत दी जा सकती है।
घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 10 सेक्टरों में लागू होगी PLI स्कीम, 5 साल में 2 लाख करोड़ दिए जाएंगे
कर्मचारी के पीएफ का 10% हिस्सा सरकार देगी
जो नए कर्मचारी होंगे, उनके पीएफ का 10% हिस्सा सरकार देगी और कर्मचारी के लिए जो एम्प्लॉयर का योगदान होता है, उसमें भी सरकार 10% हिस्सा देगी। इसको सरकार प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत नए रूप में पेश कर सकती है।
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अगले राहत पैकेज में दो मुद्दों पर फोकस रहने वाला है। पहला मुद्दा है रोजगार। ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार कैसे दिया जाए, इस पर इस राहत पैकेज में फोकस हो सकता है।
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एक्टर अर्जुन रामपाल की गर्लफ्रेंड गैब्रिएला डेमेट्रिएडिस से गुरुवार लगातार दूसरे दिन नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो फिर से पूछताछ करेगा। गैब्रिएला एनसीबी ऑफिस पहुंच चुकी हैं। उनसे पूछताछ खत्म हो जाने के बाद एनसीबी अर्जुन रामपाल को शुक्रवार या शनिवार को समन देकर बुलाएगा। गुरुवार को गैब्रिएला अपने घर से एनसीबी ऑफिस जाने के लिए अर्जुन रामपाल के साथ निकली थीं लेकिन एनसीबी ऑफिस वे अकेले पहुंचीं। फिलहाल उनसे एनसीबी अधिकारियों की पूछताछ जारी है।
एनसीबी ऑफिसर समीर वानखेड़े ने बताया कि गैब्रिएला को दोबारा बुलाया है। क्योंकि जांच अभी पूरी नहीं हुई। NCB सूत्रों के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस से मिले सुराग के बाद टीम गैब्रिएला तक पहुंचीं। इससे पहले गैब्रिएला को बुधवार सुबह 11 बजे एनसीबी ऑफिस में बुलाया था, लेकिन वह करीब 12.30 के एनसीबी ऑफिस पहुंचीं। उनसे शाम को करीब 6 बजे तक पूछताछ हुई। सूत्र बताते हैं कि एनसीबी को उनकी ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिले थे, इसलिए गुरुवार को उन्हें फिर बुलाया गया है। एनसीबी के हाथ इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस रिपोर्ट भी आ गई है, इसी को दिखाकर गैब्रिएला से सवाल किए जाएंगे।
घर से निकलने के दौरान अर्जुन रामपाल भी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ थे।
छापेमारी में मिली थीं प्रतिबंधित दवाएं
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अर्जुन रामपाल के घर पर छापेमारी के दौरान कुछ प्रतिबंधित दवाएं मिली थीं। एनसीबी के अधिकारियों का कहना है कि अर्जुन और गैब्रिएला को यह जवाब देना होगा कि उनके पास ये दवाएं कहां से आई हैं और क्या इसके लिए उनके पास कोई लीगल प्रिस्क्रिप्शन है या नहीं। इसके अलावा उनके घर से कुछ मोबाइल फोन और लैपटॉप सीज किए गए हैं।
जांच एजेंसी ने सोमवार को रामपाल के ड्राइवर को भी हिरासत में लेकर कई घंटे तक पूछताछ की थी। अभिनेता के घर सोमवार सुबह छापा मारा गया था।
NCB ने पिछले महीने गैब्रिएला डेमेट्रियड्स के भाई अगिसिलाओस को गिरफ्तार किया था। अगिसिलाओस के पास चरस और अल्प्राजोलम टैबलेट मिली थी। NCB ने उसे लोनावाला से गिरफ्तार किया था। उससे मिले सुराग के आधार पर अब अर्जुन रामपाल के घर पर छापा मारा। दैनिक भास्कर ने 1 अक्टूबर को ही अर्जुन रामपाल के ड्रग्स कनेक्शन के बारे में बता दिया था।
पढ़ें, उस दिन की पूरी खबर जिसमें हमने एनसीबी अधिकारी के हवाले से बताया था कि शाहरुख खान के घर ड्रग्स लेकर जाते थे अर्जुन रामपाल...।
NCB ने ड्रग पैडलर्स की चेन ट्रैक की
जांच एजेंसी के मुताबिक, अगिसिलाओस ड्रग्स सप्लाई करता था। बताया जा रहा है कि जांच एजेंसी ने उसकी सप्लाई चेन से जुड़े सबूत भी जुटाए हैं। इस चेन में शामिल दूसरे ड्रग पैडलर्स को भी आरोपी बनाया गया है। बता दें कि ड्रग्स के केस में अब तक रिया चक्रवर्ती समेत लगभग 26 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। रिया चक्रवर्ती को अक्टूबर के महीने में कोर्ट से जमानत मिली थी। उन्होंने 28 दिन न्यायिक हिरासत में गुजारे। रिया से पहले उनके भाई शोविक चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया गया था। वे अभी भी कस्टडी में हैं और उनकी बेल अर्जी एक बार फिर से खारिज कर दी गई है।
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गैब्रिएला डेमेट्रिएडिस अपने वकील के साथ एनसीबी ऑफिस में पूछताछ के लिए पहुंची हैं।
from Dainik Bhaskar /local/maharashtra/mumbai/news/arjun-rampal-girlfriend-gabriella-demetriades-summoned-by-ncb-today-in-drugs-related-case-127908160.html
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मुंबई के मझगांव डॉक पर स्कॉर्पीन क्लास की 5वीं पनडुब्बी वागीर गुरुवार को नौसेना में शामिल हुई। रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका लोकार्पण कराया। भारत प्रोजेक्ट-75 के तहत स्कॉर्पीन क्लास की पांच पनडुब्बी तैयार कर चुका है। छठी पनडुब्बी आईएनएस वागशीर पर काम एडवांस स्टेज में पहुंच चुका है।
#WATCH Maharashtra: MoS Defence Shripad Naik launches 5th scorpene class submarine 'Vagir' of Project 75 in Arabian sea waters at Mazagaon Dock, Mumbai through video conferencing. pic.twitter.com/EdK8JWqGKP
— ANI (@ANI) November 12, 2020
मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड और फ्रांस की कंपनी नेवल ग्रुप (डीसीएनएस) के सहयोग से स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन के प्रॉजेक्ट पर काम चल रहा है। दोनों कंपनियों के बीच 6 सबमरीन तैयार करने लिए 2005 में करार हुआ था।
सबमरीन की खासियत
इन सबमरीन से नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी। यह सभी स्कॉर्पीन सबमरीन एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, खुफिया जानकारी जुटाना, माइन बिछाने और एरिया सर्विलांस का काम कर सकती हैं।
शाही अंदाज में पनडुब्बी को नौसेना में शामिल किया गया।
पहली सबमरीन 3 साल पहले मिली थी
दिसंबर 2017 में नौसेना को पहली स्कॉर्पीन क्लास की सबमरीन मिली थी। इस सीरीज की पहली पनडुब्बी का नाम INS कलवरी है। INS खंडेरी (जनवरी 2017) और INS करंज (31 जनवरी 2018) पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल हो चुकी हैं। यह दोनों एडवांस स्टेज की सबमरीन हैं।
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Vagir Launch, 5th submarine of Scorpene class, five of six submarines have been found
from Dainik Bhaskar /national/news/5th-scorpene-class-submarine-vagir-of-project-75-in-arabian-sea-in-mumbai-127908130.html
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देश के कुछ राज्यों में एक्टिव केस में हो रही बढ़ोतरी चिंता का सबब बन गया है। बुधवार को देश में 4 हजार 988 एक्टिव केस बढ़े, इनमें से अकेले महाराष्ट्र में ही 4 हजार 351 मरीज कम हुए। 17 राज्यों में एक्टिव केस कम हुए हैं तो 16 राज्यों में बढ़े हैं। सबसे ज्यादा 1244 मरीज दिल्ली में बढ़े हैं।
बुधवार को देश में कुल 48 हजार 285 केस आए, 52 हजार 704 मरीज ठीक हो गए, 550 की म���त हो गई। अब तक कुल 86.84 लाख केस आ चुके हैं। 80.64 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं, 1.28 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 4.89 लाख का इलाज चल रहा है।
कोरोना अपडेट्स
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए बुधवार को बड़ा फैसला किया। यहां 2021 में 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स बिना परीक्षा पास किए जाएंगे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने लोगों के जमावड़े और ट्रांसपोर्ट से जुड़ी पाबंदियों में ढील देने पर केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने सरकार से पिछले दो हफ्ते में कोरोना की रोकथाम के लिए किए गए उपायों पर स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर ज्यादा दिन तक चल सकती है। इसमें पिछली बार से ज्यादा केस आ सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भी प्रदेश सरकार से पूछा है कि राज्य में कोरोना से बिगड़ रहे हालात पर आप क्या कदम उठा रहे हैं? जवाब शुक्रवार को दाखिल करना है।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में बुधवार को 883 कोरोना मरीज मिले। 691 लोग रिकवर हुए और 13 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 79 हजार 951 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 8328 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 68 हजार 568 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 3055 मरीजों की मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
बुधवार को राज्य में 2080 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। इसी के साथ मरीजों का आंकड़ा अब 2 लाख 17 हजार 151 हो गया है। इनमें 16 हजार 993 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 98 हजार 139 लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक संक्रमण के चलते 2019 मरीजों की मौत हो चुकी है।
3. बिहार
पिछले 24 घंटे के अंदर 702 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। इसी के साथ मरीजों का आंकड़ा अब 2 लाख 24 हजार 977 हो गया है। इनमें 6392 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 17 हजार 422 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 1162 हो गई है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में बुधवार को 4907 नए मरीज मिले। 9164 लोग रिकवर हुए और 125 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक राज्य में 17 लाख 31 हजार 833 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 88 हजार 70 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 15 लाख 97 हजार 255 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से अब तक 45 हजार 560 लोगों की मौत हो चुकी है।
5. उत्तरप्रदेश
राज्य में बुधवार को संक्रमण के 1848 नए केस आए। 2112 मरीज ठीक हुए और 20 की मौत हो गई। अब तक 5 लाख 3 हजार 159 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 22 हजार 562 मरीजों का इलाज चल रहा है। 4 लाख 73 हजार 316 संक्रमित ठीक हो चुके हैं, जबकि 7281 की मौत हो चुकी है।
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देश के कुछ राज्यों में एक्टिव केस में हो रही बढ़ोतरी चिंता का सबब बन गया है। बुधवार को देश में 4 हजार 988 एक्टिव केस बढ़े, इनमें से अकेले महाराष्ट्र में ही 4 हजार 351 मरीज कम हुए। 17 राज्यों में एक्टिव केस कम हुए हैं तो 16 राज्यों में बढ़े हैं। सबसे ज्यादा 1244 मरीज दिल्ली में बढ़े हैं।
बुधवार को देश में कुल 48 हजार 285 केस आए, 52 हजार 704 मरीज ठीक हो गए, 550 की मौत हो गई। अब तक कुल 86.84 लाख केस आ चुके हैं। 80.64 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं, 1.28 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 4.89 लाख का इलाज चल रहा है।
कोरोना अपडेट्स
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए बुधवार को बड़ा फैसला किया। यहां 2021 में 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स बिना परीक्षा पास किए जाएंगे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने लोगों के जमावड़े और ट्रांसपोर्ट से जुड़ी पाबंदियों में ढील देने पर केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने सरकार से पिछले दो हफ्ते में कोरोना की रोकथाम के लिए किए गए उपायों पर स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर ज्यादा दिन तक चल सकती है। इसमें पिछली बार से ज्यादा केस आ सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भी प्रदेश सरकार से पूछा है कि राज्य में कोरोना से बिगड़ रहे हालात पर आप क्या कदम उठा रहे हैं? जवाब शुक्रवार को दाखिल करना है।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में बुधवार को 883 कोरोना मरीज मिले। 691 लोग रिकवर हुए और 13 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 79 हजार 951 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 8328 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 68 हजार 568 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 3055 मरीजों की मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
बुधवार को राज्य में 2080 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। इसी के साथ मरीजों का आंकड़ा अब 2 लाख 17 हजार 151 हो गया है। इनमें 16 हजार 993 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 98 हजार 139 लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक संक्रमण के चलते 2019 मरीजों की मौत हो चुकी है।
3. बिहार
पिछले 24 घंटे के अंदर 702 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। इसी के साथ मरीजों का आंकड़ा अब 2 लाख 24 हजार 977 हो गया है। इनमें 6392 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 17 हजार 422 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 1162 हो गई है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में बुधवार को 4907 नए मरीज मिले। 9164 लोग रिकवर हुए और 125 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक राज्य में 17 लाख 31 हजार 833 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 88 हजार 70 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 15 लाख 97 हजार 255 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से अब तक 45 हजार 560 लोगों की मौत हो चुकी है।
5. उत्तरप्रदेश
राज्य में बुधवार को संक्रमण के 1848 नए केस आए। 2112 मरीज ठीक हुए और 20 की मौत हो गई। अब तक 5 लाख 3 हजार 159 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 22 हजार 562 मरीजों का इलाज चल रहा है। 4 लाख 73 हजार 316 संक्रमित ठीक हो चुके हैं, जबकि 7281 की मौत हो चुकी है।
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दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा मंगलवार को 5.24 करोड़ के पार हो गया। 3 करोड़ 66 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 12 लाख 88 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं।
अमेरिका में संक्रमण बेहद तेजी से बढ़ रहा है। बुधवार को यहां नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। एक दिन में एक लाख 36 हजार मामले सामने आए। बीते 10 दिन में अमेरिका में 10 लाख से ज्यादा (11,29,463) मामले सामने आए। चीन में कुछ दिनों की राहत के बाद गुरुवार को फिर 15 नए मामले सामने आए।
न्यूयॉर्क में प्रतिबंध
अमेरिका में एक दिन में एक लाख 36 हजार नए मामले सामने आए। कुल मरीजों की संख्या कुछ दिन पहले ही एक करोड़ पार कर चुकी है। खास बात ये है कि 10 दिन से लगातार यहां हर रोज एक लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच, न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रू कूमो ने राज्य में नए प्रतिबंधों का ऐलान कर दिया। कूमो ने कहा- ऐसा किए बिना हम संक्रमण को कम नहीं कर सकते। अब यहां प्राईवेट पार्टियां नहीं की जा सकेंगी। बिजनेस को लेकर भी आज नई गाइडलाइन्स जारी की जा सकती हैं। अकेले न्यूयॉर्क में गुरुवार को 1628 मामले सामने आए। 21 लोगों की मौत हुई।
इटली में भी राहत नहीं
इटली दुनिया का 10वां देश बन गया है जहां 10 लाख से ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। यहां अब तक 42 हजार 953 लोगों की मौत हो चुकी हैं। यहां सरकार की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि अस्पताल लगातार फुल हो रहे हैं और यही हालात रहे तो नए मरीजों को जल्द ही पड़ोसी देशों के अस्पतालों में शिफ्ट करना पड़ेगा। इस बारे में यूरोपीय देश पिछले महीने समझौता कर चुके हैं। यूरोपीय देशों में इटली पहला ऐसा देश है, जहां संक्रमण सबसे पहले पहुंचा। डॉक्टरों ने कहा है कि अगर सख्त कदम नहीं उठाए गए तो मरने वालों का आंकड़ा एक महीने में 10 हजार तक बढ़ सकता है।
बुधवार को इटली के कूमो शहर में मौजूद एक हेल्थ वर्कर। देश में कुल संक्रमितों का आंकड़ा 10 लाख से ज्यादा हो चुका है।
चीन में नए केस
चीन में कुछ दिन की राहत के बाद एक बार फिर नए मामले सामने आने लगे हैं। बुधवार को यहां 15 नए मामले सामने आए। इसके एक दिन पहले यानी मंगलवार को 17 केस सामने आए थे। सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि कुछ इलाकों की पहचान कर ली गई है, जहां से संक्रमण के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। यहां प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। हालांकि, इसके पहले टेस्टिंग बढ़ाई जा रही है। चीन में अब तक 86 हजार 299 केस सामने आ चुके हैं।
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रूस ने कहा- हमारी दवा 92% से ज्यादा असरदार
कोरोना वैक्सीन को लेकर अमेरिका के बाद रूस से गुड न्यूज है। वैक्सीन ''स्पूतनिक वी'' तैयार करने वाले नेशनल रिसर्च सेंटर RDIF ने दावा किया कि उनकी वैक्सीन मरीजों पर 92% से ज्यादा असरदार है। सेंटर ने फेज-3 का ट्रायल पूरा कर लिया है। इसके पहले अमेरिकी कंपनी फाइजर ने भी दावा किया था कि उनकी वैक्सीन 90% से ज्यादा असरदार है। रूसी वैक्सीन के ट्रायल में 40 हजार वॉलंटियर को शामिल किया गया था। इनमें से 16 हजार को वैक्सीन लगाई गई। इसके बाद 21 दिन तक उसका असर देखा गया। 20 कन्फर्म केस में वैक्सीन के दूसरे डोज ने 92% तक असर दिखाया। यह ट्रायल बेलारूस, यूएई, वेनेजुएला के अलावा भारत में दूसरे और तीसरे फेज में चल रहा है।
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अमेरिका के टेक्सास में बुधवार को एक हाईवे टेस्टिंग के बाहर मौजूद हेल्थ वर्कर। अमेरिका में बुधवार को एक दिन में 1.36 लाख रिकॉर्ड संक्रमितों की पहचान हुई।
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हमारे प्रधानमंत्री और हाल ही चुनाव हारे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प में कुछ रोचक समानताएं हैं। यही समानताएं उन्हें एक बार साथ लाई थीं, जिसने भारत-अमेरिका संबंधों को कुछ बेहतर किया। लेकिन ट्रम्प को बेहतर शब्द पसंद नहीं है। इसलिए उन्होंने ऐसी चीजें भी कीं जो अमेरिका में रह रहे भारतीयों की जिंदगी मुश्किल बना दे।
बतौर राष्ट्रपति ट्रम्प ने हर चीज को व्यापार के चश्मे से देखा क्योंकि वे वास्तव में बिजनेसमैन ही थे। जब उन्हें ईरान या चीन को सजा देनी थी तो उन पर व्यापार प्रतिबंध लगा दिए। जब दोस्तों की मदद करनी थी तो कॉर्पोरेट टैक्स घटा दिए। मोदी गुजरात से हैं और गुजरातियों को व्यापार समुदाय मानते हैं। इसलिए वे भी व्यापार को राजनीति के आधार की तरह देखते हैं। वे उसे विकास कहते हैं।
वे अन्य जरूरी चीजों की कीमत पर भारत के भविष्य को विकास के चश्मे से देखते हैं। इसलिए उनकी नए भारत की योजना में नोटबंदी और जीएसटी जैसी चीजें आती हैं, जो आम आदमी और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाती हैं। उनके 6 साल के कार्यकाल में अमीर और अमीर हो गए और छोटे व्यापार नष्ट होते गए।
मोदी यह नहीं समझ पाए कि जो काला धन पैदा करते हैं, वे आम मध्यमवर्गीय लोग नहीं, बल्कि अमीर हैं। और अमीर नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक किसी को भी हरा सकते हैं। ट्रम्प और मोदी में एक और समानता है। वे दोनों मजबूत बहुसंख्यक वोटों के बल पर सत्ता में आए। मोदी दक्षिणपंथी हिन्दू वोट के साथ अतिवादी तत्वों के समर्थन से और ट्रम्प दक्षिणपंथी श्वेत वोट व कुछ लोगों के अनुसार रूस के समर्थन से (शायद यही कारण है कि पुतिन दुनिया के उन कुछ नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने जो बाइडेन को जीत की बधाई नहीं दी)। न भारत और न ही अमेरिका यह समझ पाया कि यह रूढ़िवादी वोट बैंक कितना मजबूत था, जबकि हम इस बहकावे में थे कि आखिरकार उदारवादी मत और मुखर मीडिया ही राष्ट्रीय रातनीति का नतीजा तय करती है।
इसमें आश्चर्य नहीं कि 2017 में हिलेरी क्लिंटन को 30 लाख पॉपुलर वोट्स ज्यादा मिलने के बावजूद ट्रम्प जीते। दूसरी तरफ मोदी, जिनका चुनाव अभियान तब तेज हुआ जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार के घोटाले सामने आए थे, वे आसानी से सत्ता में आ गए क्योंकि लोगों को बदलाव चाहिए था।
अमेरिका में वोटर यह समझ गए कि उदारवादी कितने भी कमजोर क्यों न लगते हों, वे झूठे, आडंबरपूर्ण और किसी भी मामले में सलाह न मानने वाले ट्रम्प से तो बेहतर ही होंगे। हालांकि ट्रम्प होशियार थे। उनकी प्रेसिडेंसी आसानी से गंवाने की कोई योजना नहीं थी। वे अब भी बाइडेन को कानूनी तरीकों से रोकने के सारे तरीके आजमा रहे हैं।
आखिर ट्रम्प ने एक महाभियोग, 26 यौनिक दुराचार के आरोपों और करीब 4000 मुकदमों से खुद को बचाया है। उन्होंने अपने टैक्स रिटर्न सार्वजनिक करने से भी इनकार कर दिया था। रोचक यह है कि उन्होंने अमेरिका से ज्यादा आयकर चीन में चुकाया है।
दूसरी तरफ मोदी ने दोनों चुनाव आसानी से जीते। फिर भी उनकी समस्याएं कुछ समान हैं। ट्रम्प की तरह उनकी टीम में भी हुनर की ज्यादा कीमत नहीं है। मोदी के प्रशंसक चाहे ऐसा मानते हों, लेकिन वे न तो होशियार अर्थशास्त्री हैं और न ही महामारी विशेषज्ञ। उन्हें सौम्य शक्ति व संस्कृति का महत्व भी ज्यादा समझ नहीं आता, जिसमें भारत अच्छा है।
इसलिए वे किसी अच्छे गुजराती व्यापारी की तरह केवल विकास की बात करते हैं, जैसे भारत की सभी समस्याओं का हल यही हो। लेकिन विकास अकेले नहीं हो सकता। इसके निरुपण के लिए उन्हें अच्छे विचारकों और विश्लेषकों की जरूरत है।
जी हां, मोदी चुनाव जिता सकते हैं। जैसे अभी बिहार में किया। लेकिन इसका क्या फायदा। लोग अब भी उन सुधारों का इंतजार कर रहे हैं, जिसका उन्होंने वादा किया था। अगर कांग्रेस वाकई नाकारा थी तो भाजपा शासन के 6 वर्षों में आपके और मेरे जीवन में कोई वास्तविक अंतर क्यों नहीं दिखता?
डिजिटल हो जाना हर समस्या का हल नहीं हो सकता। नोटबंदी ने भ्रष्टाचार खत्म नहीं किया। जीएसटी ने करोड़ों छोटे व्यापारियों का जीवन दयनीय बना दिया। सच यह है कि सख्त शासन का पालन कमजोरों को ही परेशान करता है। एकाधिकार बढ़ रहे हैं। बैंकों को बड़े बिजनेस घराने लूट रहे हैं।
वास्तविक बदलाव आम आदमी की जिंदगी को आसान बनाने से आता है। और यह तब होगा जब सरकार हर चीज में दखलअंदाजी बंद करे। हम साम्यवादी देश नहीं हैं। हमें सरकार से डरने की जरूरत नहीं है। मोदी ने खुद कम शासन का वादा किया था। लेकिन आज सरकार हमारे जीवन के हर पहलू में दखलअंदाजी करती है।
हम अभी बुरी स्थिति में हैं। महामारी और अर्थव्यवस्था की स्थिति पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। यह मोदी का अच्छा वक्त है कि वे दि���ाएं कि उनमें दोनों को संभालने का कौशल है। बाकी चीजें इंतजार कर लेंगी। नई संसद इमारत, बुलेट ट्रेन में किसी की रुचि नहीं है। हमें अभी नौकरी और वैक्सीन चाहिए। ताकि हम सामान्य जीवन की ओर लौट सकें।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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प्रीतीश नंदी, वरिष्ठ पत्रकार व फिल्म निर्माता
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