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#Dr. A.N Mukherjee
trenetralaya · 2 months
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Best Orthopaedic Doctor in Kolkata - Dr. A.N Mukherjee
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If you're seeking the finest orthopaedic care in Kolkata, look no further than Dr. A.N Mukherjee, renowned as the Best Orthopaedic Doctor in Kolkata. With a stellar reputation built upon years of dedicated service and exceptional patient outcomes, Dr. Mukherjee stands as a beacon of excellence in the field of orthopaedics.
Dr. A.N. Mukherjee's expertise spans a wide range of orthopaedic specialties, making him the top choice for individuals seeking superior treatment for musculoskeletal issues. Whether it's addressing fractures, joint pains, spinal disorders, or sports injuries, patients can trust in Dr. Mukherjee's unparalleled skill and knowledge. As the Best Orthopaedic Doctor in Kolkata, he employs cutting-edge techniques and evidence-based practices to deliver optimal results for each patient under his care.
One of the key factors that set Dr. A.N Mukherjee apart as the Best Orthopaedic Doctor in Kolkata is his unwavering commitment to personalized patient care. He takes the time to thoroughly assess each patient's condition, listening attentively to their concerns and crafting individualized treatment plans tailored to their specific needs. This patient-centric approach fosters trust and confidence, ensuring that every individual receives the highest standard of care.
Furthermore, Dr. Mukherjee's dedication to continuous learning and advancement in the field of orthopaedics ensures that his patients benefit from the latest innovations and advancements in medical technology. Whether it involves minimally invasive procedures, advanced rehabilitation techniques, or state-of-the-art surgical interventions, Dr. A.N Mukherjee remains at the forefront of orthopaedic excellence.
Beyond his clinical expertise, Dr. Mukherjee is known for his compassionate bedside manner and genuine concern for his patients' well-being. He takes the time to educate patients about their conditions and treatment options, empowering them to make informed decisions about their healthcare journey.
In Kolkata's competitive medical landscape, Dr. A.N Mukherjee's track record of excellence and commitment to patient-centred care truly sets him apart as the Best Orthopaedic Doctor in Kolkata. For those in search of top-tier orthopaedic treatment delivered with compassion and expertise, Dr. Mukherjee remains the premier choice for orthopaedic care in the region.
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orthotv · 4 months
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🔰 IOA-IORA Orthopaedic Rheumatology Academic Session 2023-24 - Webinar - 3
🔵 A to Z Webinar on Spondyloarthropathies
📅 Date: 18th February, Sunday ⏰ Time: 4.30 pm
🔆 Click here to Watch: https://tinyurl.com/OrthoTV-IORA-8
👨‍🏫 Topics & Speakers:
Prof. Manish Khanna, Lucknow - Approaching Spine ortho rheumatology
Prof. Rajesh Gupta, Jammu - Epidemiology, Genetics and pathogenesis
Dr Vishnu Senthil, Chennai - Classification criteria Radiology Lab investigations
Prof. Alok Agrawal, Raipur - Disease Assessment and clinical features
Prof. Sanjay Keshkar, Kolkata - Other SpA-Reactive Enteropathic Juvenile Undifferentiated
Prof. S.S. Jha, Patna - IORA Guidelines of Management of SpA
👩‍🏫 Moderator: Dr Arti Dewan (Amritsar)
🎤 Panelists:
Prof. Manish Khanna
Prof. S.S. Jha
Prof. Rajesh Gupta
Prof. S. Lahakar
Prof. Chinmoy Das
Dr. A.N. Mukherjee
Prof. Sanjay Keshkar
Dr. Rameshwar Gupta
🤝 OrthoTV Team: Dr. Ashok Shyam, Dr. Neeraj Bijlani
📺 Streaming Live on OrthoTV Global
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pk25ng · 4 years
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Judiciary system of India part 2 (न्यायिक प्रक्रिया भाग-2 की)
                    न्यायिक प्रक्रिया भाग-2 की
#. सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया अप्रैल 2015 यह मामला में इसे चुनौती दी गई 
 #. J. S केहर संविधान पीठ के अध्यक्ष थे 16 अक्टूबर 2015 को 99 संविधान संशोधन आधारभूत संरचना के उल्लंघन के कारण रद्द कर दिया गया और इसे फोर्थ जज केस कहा जा रहा है हिंदुस्तान इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने पूरा संविधान संशोधन रद्द कर दी थी 5 लोगों के संवैधानिक पीठ में क्या वजह थी 99 संविधान संशोधन के रद्द होने का चलिए देखते हैं
99 संविधान संशोधन रद्द होने का कारण इसमें बोला गया कि NJAS जिसमें 6 सदस्य होते हैं  
 यदि NJAS द्वारा निर्धारित किसी व्यक्ति को न्यायाधीश पद के लिए सिफारिश बतौर राष्ट्रपति के पास सिफारिश के लिए भेजा जाएगा राष्ट्रपति मंत्री परिषद के सलाह पर एक बार इसे पुनर्विचार के लिए भेज सकता है अब यह बिल सर्व सहमति से दोबारा राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा तीन बहुमत के साथ तब राष्ट्रपति को यह  स्वीकार करना ही होगा
लेकिन इसमें एक सदस्य विधि मंत्री भी है यह बात हमें नहीं भूलना चाहिए यदि राष्ट्रपति मंत्री परिषद के साथ विचार-विमर्श करता है तो यहां एनजेएसी के 6 सदस्यों में से एक मेंबर जो की विधि मंत्री हैं 
वह बोलेगा मैं भी तो एक मंत्री परिषद का सदस्य हूं आप नाम दोबारा  भेज दीजिए NJAS  यहाँ एक सदस्य में भी हूं मैं अपनी सहमति दूंगा ही नहीं तो यहां आपको नहीं लगता कि आधारभूत संरचना का उल्लंघन है और यही एक मात्र कारण था जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने 99 वा संविधान संशोधन रद्द कर दिया सरकार इस बिल के बारे में अभी तक दोबारा सोचा ही नहीं इसी कारण इसी वजह से इस बाद में कॉलेजियम व्यवस्था को पुनः स्थापित कर दिया गया 
 मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के संदर्भ में 
इस के संदर्भ में संविधान अभी मौन हैं सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज के सेवानिवृत्ति के बाद  दूसरे नंबर के  न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश बनाया जा सकता है और यह एक परंपरा है हालांकि इसका दो बार उल्लंघन किया जा चुका है 
1973 अजीत नाथ रे और 1977 मोहम्मद हमीदुल्लाह बे
 पहले इसे समझते हैं 24 अप्रैल 1973 अजीत नाथ रे केसवानंद भारती वर्सेस केरल रा��्य के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया जब 13 न्यायाधीशों के संवैधानिक पीठ थी 7 , 6 से निर्णय लिया गया था उस समय सीकरी चीफ जस्टिस थे
 इस पीठ के अध्यक्ष भी थे देश की परंपरा यह कहती है कि नंबर दो को चीफ जस्टिस  बनाया जाना चाहिए लेकिन 
नंबर 3 पर होबर गोबर 
चौथे नंबर पर हेगड़े
 पांचवे नंबर पर अजीत नाथ रे थे 
यह तीनों साथ बहुमत वाले  मैं से थे लेकिन चीफ जस्टिस उसे बनाया गया जो बहुमत में से नहीं थी अजीत नाथ रे
1973 में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की 13 न्यायाधीशों की पीठ ने अपने संवैधानिक रुख में संशोधन करते हुए कहा कि संविधान संशोधन के अधिकार पर एकमात्र प्रतिबंध यह है कि इसके माध्यम से संविधान के मूल ढांचे को क्षति नहीं पहुंचनी चाहिए। अपने तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद यह सिद्धांत अभी भी कायम है और जल्दबाजी में किए जाने वाले संशोधनों पर अंकुश के रूप में कार्य कर रहा है। केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में 68 दिन तक सुनवाई हुई, यह तर्क वितर्क 31 अक्टूबर 1972 को शुरू होकर 23 मार्च 1973 को खत्म हुआ। 24 अप्रैल 1973 को, चीफ जस्टिस सीकरी और उच्चतम न्यायालय के 12 अन्य न्यायाधीशों ने न्यायिक इतिहास का यह सबसे महत्वपूर्ण निर्णय दिया।
संविधान सरंचना के कुछ प्रमुख मूलभूत तत्व जिनमे अनुछेद 368 के तहत संसोधन नही किया जा सकता है निम्नलिखित है 1 संविधान की सर्वोच्चता 2 विधायिका,कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के बीच शक्ति का बंटवारा 3 गणराज्यात्मक एवं लोकतांत्रिक स्वरूप वाली सरकार 4 संविधान का धर्मनिरपेक्ष चरित्र 5 राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता 6 संसदीय प्रणाली 7 व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं गरिमा 8 मौलिक अधिकारों और नीति निदेशक तत्वों के बीच सौहार्द और संतुलन 9 न्याय तक प्रभावकारी पहुँच 10 एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का जनादेश
सभी प्रयास सिर्फ इस एक मुख्य सवाल के जवाब के लिए थे कि क्या संसद की शक्ति संविधान का असीमित संशोधन करने के लिए थी? दूसरे शब्दों में, क्या संसद संविधान के किसी भी हिस्से को रद्द, संशोधित और बदल सकती है चाहे वो सभी मौलिक अधिकार छीन लेने का ही क्यों ना हो? अनुच्छेद 368 में, उसको साधारण रूप से पढ़ने पर, संविधान के किसी भी भाग में संशोधन के लिए संसद की शक्ति पर कोई सीमा नहीं थी इस अनुच्छेद में ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे संसद को एक नागरिक के भाषण की स्वतंत्रता या उसकी धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार छीन लेने से रोका जा सके। 703 पृष्ठ का यह फैसला अत्यंत विभाजित मतो वाला था और अंत में 7:6 के मामूली बहुमत से यह माना गया कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन उस हद तक ही कर सकती है जहाँ तक कि वो संसोधन संविधान के बुनियादी ढांचे और आवश्यक विशेषताओं में परिवर्तन या संशोधन नहीं करे
1977 के दूसरे मामला मोहम्मद हमीदुल्लाह   एडीएम जबलपुर वर्सेस भारत संघ 
1975 में नेशनल इमरजेंसी के दौरान बहुत सारे लोगों को सरकार के खिलाफ बोलने पर अवैध रूप से जेल में डाल दिया गया बहुत सारे लोग हाई कोर्ट में इसके खिलाफ अपील की अवैध रूप से गिरफ्तार कर लेने पर छुड़वाने के लिए जो याचिका जारी की जाती है उसे हैबियस कार्पस  कहते हैं 
हाई कोर्ट ने इस गिरफ्तारी को अवैध पाया उस समय 12 हाई कोर्ट थे सरकार ने 12 हाई कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया एडीएम जबलपुर बाद के नाम से जानते हैं इस बाद में सुनवाई के लिए 5 लोगों के संवैधानिक पीठ बैठी इनकी अध्यक्ष अजीत नाथ रे थे 4:1 से निर्णय लिया गया सुप्रीम कोर्ट ने कहा हाई कोर्ट के निर्णय खारिज किया जाता है और कहा हैबियस कार्पस Emergency में नहीं मिलेगी  है 
एक व्यक्ति इस बात के खिलाफ में निर्णय दिया वह व्यक्ति 02 नंबर पर थे
 3,4 में से एक थे हमीदुल्लाह 1977 में चीफ जस्टिस भी बने
 2018 के मामले की
 सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को छोड़कर चार अन्य न्यायाधीशों थे 02.जे बलायम
 03.रंजन गोगोई
04.कुरियन जोसेफ 
05.न मदन वी लोको 
 यह चारों जज बाहर आए और प्रेस कॉन्फ्रेंस किए  और सिटी के कार्यशैली पर प्रश्न खड़े की हिंदुस्तान इतिहास में पहली बार था कि जज प्रेस कॉन्फ्��ेंस कर रहे थे
 जे बलायम अक्टूबर 2018 से पहले सेवानिवृत्त होने वाले थे इस वजह से इस कारण अब जीरो टू पर रंजन गोगोई आ गए और यही चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट के बने
 वी चंद्रचूड़ सबसे ज्यादा समय तक 7 वर्ष तक चीफ जस्टिस रहे थे कमल नारायण सिंह सबसे कम समय 17 दिन तक चीफ जस्टिस बतौर काम की
KS हेगड़े सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश रह चुके हैं पहले यह राज्यसभा में सांसद थे कर्नाटक से थे 1973 में न्यायाधीश से इस्तीफा भी दे दी और बाद में कर्नाटक से चुनाव लड़ कर लोकसभा में दोबारा आए और लोकसभा के अध्यक्ष भी बनाए गए
वी सदाशिवम एकमात्र मुख्य न्यायाधीश है जो सेवानिवृत्ति के बाद कर्नाटक राज्य के राज्यपाल बने 
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की शपथ की
 आर्टिकल 124 के तहत राष्ट्रपति और उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति द्वारा शपथ दिलाई जाती है व्यवहार में मुख्य न्यायाधीश को राष्ट्रपति द्वारा एवं अन्य न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश द्वारा शपथ दिलाया जाता है सभी न्यायाधीश संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं 
 इसका उल्लेख अनुसूचित 3 में है 
 वेतन एवं पेंशन की 
संचित निधि से दिए जाते हैं सभी न्यायाधीश को भारत की संचित निधि से वेतन प्राप्त होता है जो कि भारित होता है भारित  वह है जिस पर संसद में बहस तो हो सकती है लेकिन मतदान नहीं होता इसलिए नहीं होता क्योंकि व्यवस्थापिका कार्यपालिका न्यायपालिका को स्वतंत्र रखना चाहते हैं राष्ट्रपति इन की नीति के संदर्भ में वारंट जारी करते हैं आफ्टर रिटायरमेंट पद पर रहते हुए उनके वेतन में किसी प्रकार का हानिकारक परिवर्तन नहीं किया जा सकता सेवानिवृत्ति के बाद भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ नहीं ले सकते हैं तथा ना ही किसी न्यायालय में वकील के रूप में सेवाएं दे सकते हैं सर्वोच्च न्यायालय से संबंधित आर्टिकल भाग 5 में उल्लेखित है जिसमें शामिल है 124 126 27 28 29 30 31 143 143 145 146
 दीवानी मामला जमीन विवाद तलाक आदि मामले
 फौजदारी मामले क्रिमिनल इश्यूज
List of All the Chief Justice of India is;
NAMEDATE OF APPOINTMENT AS C.J.I.HELD OFFICE TILL1. Hon’ble Mr. Justice Harilal Jekisundas Kania26/01/195006/11/19512. Hon’ble Mr. Justice M. Patanjali Sastri7/11/19513/1/19543. Hon’ble Mr. Justice Mehr Chand Mahajan4/1/195422/12/19544. Hon’ble Mr. Justice Bijan Kumar Mukherjea23/12/195431/01/19565. Hon’ble Mr. Justice Sudhi Ranjan Das1/2/195630/09/19596. Hon’ble Mr. Justice Bhuvneshwar Prasad Sinha1/10/195931/01/19647. Hon’ble Mr. Justice P.B. Gajendragadkar1/2/196415/03/19668. Hon’ble Mr. Justice A.K. Sarkar16/03/196629/06/19669. Hon’ble Mr. Justice K. Subba Rao30/06/196611/04/196710.Hon’ble Mr. Justice K.N. Wanchoo12/4/196724/02/196811. Hon’ble Mr. Justice M. Hidayatullah25/02/196816/12/197012. Hon’ble Mr. Justice J.C. Shah17/12/197021/01/197113. Hon’ble Mr. Justice S.M. Sikri22/01/197125/04/197314. Hon’ble Mr. Justice A.N. Ray26/04/197328/01/197715. Hon’ble Mr. Justice M. Hameedullah Beg29/01/197721/02/197816. Hon’ble Mr. Justice Y.V. Chandrachud22/02/197811/7/198517. Hon’ble Mr. Justice P.N. Bhagwati12/7/198520/12/198618. Hon’ble Mr. Justice R.S. Pathak21/12/198618/06/198919. Hon’ble Mr. Justice E.S. Venkataramiah19/06/198917/12/198920. Hon’ble Mr. Justice Sabyasachi Mukherjee18/12/198925/09/199021. Hon’ble Mr. Justice Ranganath Misra25/09/199024/11/199122. Hon’ble Mr. Justice K.N. Singh25/11/199112/12/199123. Hon’ble Mr. Justice M.H. Kania13/12/199117/11/199224. Hon’ble Mr. Justice L.M. Sharma18/11/199211/2/199325. Hon’ble Mr. Justice M.N. Venkatachaliah12/2/199324/10/199426. Hon’ble Mr. Justice A.M. Ahmadi25/10/199424/03/199727. Hon’ble Mr. Justice J.S. Verma25/03/199717/01/199828. Hon’ble Mr. Justice M.M. Punchhi18/01/19989/10/199829. Hon’ble Dr. Justice A.S. Anand10/10/199831/10/200130. Hon’ble Mr. Justice S.P. Bharucha1/11/20015/5/200231. Hon’ble Mr. Justice B.N. Kirpal6/5/20027/11/200232. Hon’ble Mr. Justice G.B. Pattanaik8/11/200218/12/200233. Hon’ble Mr. Justice V.N. Khare19/12/200201/05/200434. Hon’ble Mr. Justice S. Rajendra Babu2/5/200431/05/200435. Hon’ble Mr. Justice R.C. Lahoti1/6/200431/10/200536. Hon’ble Mr. Justice Y.K. Sabharwal1/11/200513/01/200737. Hon'ble Mr. Justice K.G. Balakrishnan14/01/200711/5/201038. Hon'ble Mr. Justice S.H. Kapadia12/5/201028/09/201239. Hon'ble Mr. Justice Altamas Kabir29/09/201218/07/201340. Hon'ble Mr. Justice P. Sathasivam19/07/201326/04/201441. Hon'ble Mr. Justice R. M. Lodha27/04/201427/09/201442. Hon'ble Mr. Justice H.L. Dattu28/09/201402/12/201543. Hon'ble Mr. T. S. Thakur 03/12/201503/01/201744. Hon'ble Mr. Jagdish Singh Khehar04/01/201727 August 201745.  Hon'ble Mr. Justice Dipak Misra 28 August 2017 2 October 201846. Hon'ble Mr. Ranjan Gogoi3 October 2018 17 November 201947.  Hon'ble Mr. Sharad Arvind Bobde  (incumbent)18 November 2019 23 April 2021
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 आज हमने न्यायिक प्रक्रिया के दोनों भाग को पूरा किया इसके अगले अध्याय में हम भारत के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के बारे में चर्चा करेंगे तब तक आप सब अपना ख्याल रखिए धन्यवाद
Emogi :
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trenetralaya · 6 months
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