#BhandaraInvitationToTheWorld
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[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर, हरियाणा में सन् 1717 (विक्रमी संवत् 1774) में हुआ। सन् 1727 फाल्गुन सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमात्मा गरीबदास जी को नला नामक खेत में मिले सर्व ज्ञान कराया सतलोक लेकर गए और पृथ्वी पर वापस छोड़ा। तब गरीबदास जी ने बताया कि काशी में जो 120 वर्ष कबीर जुलाहा की भूमिका करके गए वह स्वयं परमात्मा हैं।
जिस कूं कहते कबीर जुलाहा । सब गति पूर्ण अगम अगाहा।।
[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️संत गरीबदास जी को 10 वर्ष की उम्र में फाल्गुन मास सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमेश्वर कबीर जी जिन्दा महात्मा के वेश में मिले। उन्हें अपने अविनाशी लोक सतलोक दिखाया जहां सर्व सुख है और उनका ज्ञान योग खोला। तब गरीबदास जी ने दिव्य दृष्टि से देखकर सम्पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान एवं कबीर परमेश्वर जी की सर्व लीलाओं का वर्णन "अमर ग्रंथ साहिब" में लिपिबद्ध किया तथा बताया कि सृष्टि का रचनहार कुल मालिक कबीर परमेश्वर है।
अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रती नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सिरजन हार।।
[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️आदरणीय संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर, हरियाणा में सन् 1717 (विक्रमी संवत् 1774) में हुआ। सन् 1727 फाल्गुन सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमेश्वर कबीर जी गरीबदास जी को नला नामक खेत में मिले सर्व ज्ञान कराया सतलोक लेकर गए और पृथ्वी पर वापस छोड़ा। तब गरीबदास जी महाराज ने सतलोक का वर्णन आंखों देखा किया। उन्होंने अपनी वाणी में कहा है –
गरीब, हम देखा सो साच है और सकल प्रपंच।
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[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️संत गरीबदास जी को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी सतलोक से आकर 10 वर्ष की आयु में मिले। उसके बाद उन्हें सतलोक दिखाया। जिसका वर्णन गरीब दास जी ने सत्यग्रन्थ साहिब में कलम तोड़ किया है।
अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रति नही भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सिरजन हार।।
[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️फाल्गुन शुद्धि द्वादसी जिस दिन गरीबदास जी को (कविर्देव) कबीर परमेश्वर स्वयं सत्यलोक से आकर नाम उपदेश देकर गए थे।
उसी पावन दिवस (बोध दिवस) के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय सतसंग तथा अमृत वाणी का पाठ करते हैं।
[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️गरीबदास जी महाराज का 61 वर्ष की आयु में सतलोक गमन
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है ।
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[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️संत गरीबदास जी ने कबीर परमात्मा से प्राप्त तत्त्वज्ञान, आंखों देखा हाल वाणी रुप में बोला तथा संत गोपाल दास जी ने लिखा। लगभग छः महीनों तक यह कार्य किया गया। फिर जब किसी से वार्ता होती तो संत गरीबदास जी वाणी बोला करते थे तो अन्य व्यक्ति भी लिख लिया करते थे। जिन सबको मिलाकर एक ग्रन्थ रुप में हाथ से लिखा गया था।
[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️परमेश्वर कबीर साहेब जी द्वारा संत गरीबदास जी को शरण में लेना ।
परमेश्वर कबीर साहेब जी संत गरीबदास जी को 1727 में सतलोक से आकर मिले। अपना तत्वज्ञान कराया, नाम दिया तथा सतलोक दर्शन करवाया। गरीबदास जी ने वाणी में कहा है-
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद न पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।
[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️परमेश्वर कबीर साहेब जी संत गरीबदास जी को बताते हुए अपना परिचय दे रहे हैं कि मैं पूर्ण परमात्मा हूँ।
हम ही अलख अल्लाह है, कुतुब गोस और पीर।
गरीब दास खालिक धनी, हमारा नाम कबीर।।
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[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️परमेश्वर कबीर साहेब जी संत गरीबदास जी को बताते हुए अपना परिचय दे रहे हैं कि मैं पूर्ण परमात्मा हूँ।
हम ही अलख अल्लाह है, कुतुब गोस और पीर।
गरीब दास खालिक धनी, हमारा नाम कबीर।।
[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️गरीबदास जी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चराने जाते थे।कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदास जी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे 1727 में अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहेब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए और गरीबदाज जी महाराज से मिले।
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[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️गरीबदास जी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चराने जाते थे।कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदास जी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे 1727 में अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहेब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए और गरीबदाज जी महाराज से मिले।
[3/17, 4:50 PM] naginasahani179: ⚡️कबीर परमात्मा सन् 1727 में गरीबदास जी को मिले व अपने यथार्थ ज्ञान से व यथार्थ स्थान (सतलोक) से परिचित करवाया। इसके बाद गरीबदास जी ने उस पूर्ण परमात्मा की तथा सतलोक की वास्तविक जानकारी को अपने मुख कमल से उच्चारण किया था, जिसका लेखन दादू पंथ से दीक्षित संत गोपालदास जी ने किया गया था। और सर्व मानव समाज को एक ऐसा अनमोल ग्रंथ दिया जिसे आज सद्ग्रन्थ साहिब के नाम से जाना जाता है।
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⚡️संत गरीबदास जी महाराज का 61 वर्ष की आयु में सतलोक गमन
संत गरीबदास जी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है।
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⚡️आदरणीय गरीबदास जी महाराज जी को 10 वर्ष की आयु में सन 1727 में परमात्मा कबीर साहेब जी मिले थे जिसके पश्चात उन्होंने गरीब दास जी महाराज जी को सतलोक दिखाया। इसका वर्णन "अमर ग्रंथ साहिब" में वर्णित है।
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