💥पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब (कविर्देव) वास्तव में अविनाशी है।💥
आज तक हम जिनसे भी सुने यही सुना कि कबीर जी एक भक्त थे जिन्होंने समाज में फैली पाखंडवादी कुरुतियों का खंडन किया वह कविताओं के माध्यम से वाणीयों के माध्यम से ज्ञान बताते थे। हमने यह भी सुना कि कबीर जी ने मां के गर्भ से जन्म लिया, आहार किया, विवाह किया तथा संतान उत्पत्ति की।
जबकि सच्चाई कुछ और ही है!
परमेश्वर जी ने अपनी वाणियों में स्पष्ट किया है कि वे सशरीर आते हैं और सशरीर ही जाते हैं। उनका जन्म मरण नहीं होता। वह अविनाशी परमात्मा हैं।
प्रमाण 👇👇
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17
मंत्र 17 में कहा है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् ही है।
ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहां जुलाहै ने पाया।।
मात-पिता मेरे कछु नाहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहै का सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
परमात्मा कबीर जी ने इन वाणियों से स्पष्ट कर दिया कि उनके कोई माता पिता नहीं थे। उन्होंने विवाह नहीं किया और ना ही संतान उत्पन्न की।
ऋग्वेद मण्डल नं 9 सुक्त 20 मंत्र 1
ऋग्वेद मण्डल नं 9 सुक्त 96 मंत्र 18 में कहा है कि जो Supreme God Kabir है जिज्ञासुओं को यथार्थ ज्ञान देता है, उनकी ज्ञान से तृप्ति करता है वह ऊपर तीसरे मुक्ति धाम में विराजमान है। ( सोम:तंतीयम् धामं विराजम् )
अथर्ववेद कांड नं 4 अनुवाद नं 1 मंत्र 7 में कबीर परमेश्वर द्वारा की गई सृष्टि रचना का प्रमाण है :- भक्तों का वास्तविक साथी विधिवत साधक को सतलोक ले जाने वाले सर्व ब्रह्मांड की रचना करने वाले काल की तरह धोखा न देने वाले आप कविर्देव है।
परमेश्वर कबीर साहेब जी संत गरीबदास जी को 1727 में सतलोक से आकर मिले।
अपना तत्वज्ञान कराया, नाम दिया तथा सतलोक दर्शन करवाया।
संत गरीबदास जी ने वाणी में कहा है:-
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद न पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।
आदरणीय दादू साहेब भी कबीर परमेश्वर के साक्षी हुए
पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में दादू साहेब को 7 वर्ष की आयु में मिले तथा सत्यलोक ले गए।
दादू साहेब जी की अमृतवाणी में कबीर साहेब का वर्णन-
जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार।
दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजन हार।।
मंडल 9 सुक्त 86 के मंत्र 26 में स्पष्ट लिखा है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब है जो कि घोर से घोर पापों को काटकर अपने साधक को पूर्ण मोक्ष प्रदान करते हैं।
वेदों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि कबीर साहेब जी ही पूर्ण परमात्मा हैं, सर्व सृष्टि के रचनहार हैं।
और वो ही अविनाशी परमात्मा हैं।
और इनकी शास्त्र अनुकूल सतभक्ति करने से ही हमारा पूर्ण मोक्ष होना संभव है।
परमेश्वर कबीर जी द्वारा भैंसे से वेद मन्त्र बुलवाना
एक समय एक तोताद्री नाम के स्थान पर सत्संग था। स्वामी रामानन्द जी भी परमेश्वर कबीर जी के साथ वहां पहुँचे।
सत्संग के पश्चात् भोजन-भण्डारा शुरू हुआ। प्रमुख पाण्डे को पता चला कि स्वामी रामानन्द जी के साथ कबीर जुलाहा शुद्र आया है।
यदि मना करेंगे तो रामानन्द जी नाराज हो जाऐंगे। इसलिए युक्ति से काम लिया। कहा कि जो ब्राह्मणों वाले भण्डारे में भोजन करने आएगा, उसे वेद के चार मन्त्र सुनाने पर ही प्रवेश मिलेगा। सर्व ब्राह्मण चार-चार वेद मन्त्र सुना कर प्रवेश पा रहे थे। जब परमेश्वर कबीर जी की बारी आई तो उन से भी कहा कि चार वेद मन्त्र सुनाओ। तब परमेश्वर ने देखा कि थोड़ी-सी दूरी पर एक भैंसा (झोटा) घास चर रहा था। परमेश्वर कबीर जी ने मूल मन्त्र (हुर्र-हुर्र) से पुकारा, भैंसा दौड़ा-दौड़ा आया। तब कबीर जी ने उस भैंसे की कमर पर थपकी हाथ से लगाई और कहा कि भैंसा जी इन पंडितों को वेद के चार मन्त्र सुना दे। भैंसे ने छः मन्त्र सुना दिए।
परमेश्वर कबीर जी द्वारा भैंसे से वेद मन्त्र बुलवाना
एक समय एक तोताद्री नाम के स्थान पर सत्संग था। स्वामी रामानन्द जी भी परमेश्वर कबीर जी के साथ वहां पहुँचे।
सत्संग के पश्चात् भोजन-भण्डारा शुरू हुआ। प्रमुख पाण्डे को पता चला कि स्वामी रामानन्द जी के साथ कबीर जुलाहा शुद्र आया है।
यदि मना करेंगे तो रामानन्द जी नाराज हो जाऐंगे। इसलिए युक्ति से काम लिया। कहा कि जो ब्राह्मणों वाले भण्डारे में भोजन करने आएगा, उसे वेद के चार मन्त्र सुनाने पर ही प्रवेश मिलेगा। सर्व ब्राह्मण चार-चार वेद मन्त्र सुना कर प्रवेश पा रहे थे। जब परमेश्वर कबीर जी की बारी आई तो उन से भी कहा कि चार वेद मन्त्र सुनाओ। तब परमेश्वर ने देखा कि थोड़ी-सी दूरी पर एक भैंसा (झोटा) घास चर रहा था। परमेश्वर कबीर जी ने मूल मन्त्र (हुर्र-हुर्र) से पुकारा, भैंसा दौड़ा-दौड़ा आया। तब कबीर जी ने उस भैंसे की कमर पर थपकी हाथ से लगाई और कहा कि भैंसा जी इन पंडितों को वेद के चार मन्त्र सुना दे। भैंसे ने छः मन्त्र सुना दिए।
कबीर साहेब जी ने ही सर्व प्रथम विस्तार से बताया कि, शेरांवाली माता दुर्गा का पति काल ब्रह्म है। जिसे ज्योति निरंजन, काल, ब्रह्म भी कहते हैं। जो आज तक कोई भी नकली संत नहीं बता पाए।