Tumgik
dainiksamachar · 24 days
Text
गाड़ी, बंगला, कैश... जिन AAP सांसद संजय सिंह को शराब घोटाले में मिली बेल, उनकी नेटवर्थ क‍ितनी?
नई दिल्‍ली: आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्‍हें जमानत दे दी है। दिल्‍ली शराब घोटाला मामले में वह 6 महीने से जेल में थे। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने संजय सिंह को 4 अक्‍टूबर को अरेस्‍ट किया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि संजय सिंह राजनीतिक गतिविधयों में हिस्‍सा ले सकेंगे। लोकसभा चुनाव से पहले संजय सिंह को बेल मिलना AAP के लिए भी बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत है। संजय सिंह आप के कद्दावर नेताओं में हैं। आइए, यहां उनकी नेटवर्थ के बारे में जानते हैं। संजय सिंह को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का बेहद करीबी माना जाता है। वह यूपी के सुल्‍तानपुर से ताल्‍लुक रखते हैं। उनका जन्म 23 मार्च 1972 को इसी जिले में हुआ था। संजय सिंह की नेटवर्थ कितनी? साल 2018 में वह पहली बार AAP से राज्यसभा के लिए चुने गए थे। अपने चुनावी हलफनामे में उन्‍होंने अपनी संपत्ति का जिक्र किया था। उस समय संजय सिंह के पास 59,499 रुपये की चल संपत्ति थी। उन्‍होंने अपने पास तब तीन बैंक अकाउंट होने की बात कही थी। इनमें सिर्फ 16,100 रुपये जमा थे। इसके अलावा उनके हलफनामे में बताया गया था कि उनके पास 4,27,000 रुपये का सोना है। संजय सिंह ने अपनी कुल संपत्ति 6,60,513 रुपये बताई थी। इसमें एक रुपये की भी अचल संपत्ति न होने की बात कही थी। हलफनामे के मुताबिक, संजय सिंह पर मानहानि समेत 4 केस और 13 एफआईआर दर्ज थे। कब हुए थे गिरफ्तार? ईडी ने संजय सिंह को पिछले साल 4 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। हाईकोर्ट में ईडी ने आप सांसद की जमानत याचिका का विरोध किया था। इसी के बाद संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली संजय सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। तीन जजों की बेंच को संजय के वकील ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग की पुष्टि नहीं हुई है। मनी ट्रेल का भी अब तक पता नहीं चला है। इसके बावजूद संजय सिंह 6 महीने से जेल में है। इसे बेंच ने रिकॉर्ड में लिया। http://dlvr.it/T4yBP4
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
गोधरा कांड पर नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू के कारण SP से निकाले गए थे शाहिद, अब जयंत से दूरियां, इनसाइड स्टोरी
अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 में सभी की नजरें मुस्लिम वोटरों पर गड़ी हुई हैं। यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मुसलमानों की ठीकठाक आबादी है। अकेले यूपी में 20 फीसदी के करीब मुसलमान वोटर हैं। साथ ही 29 लोकसभा सीट ऐसी हैं, जिन पर मुस्लिम वोटर जीत-हार की निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इसी क्रम में NDA का हिस्सा बनते ही एक बड़े मुस्लिम नेता ने राष्ट्रीय लोकदल का साथ छोड़ दिया है। RLD के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा कि मैं खामोशी से देश के लोकतांत्रिक ढांचे को समाप्त होते नहीं देख सकता हूं। मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी से भी आहत हूं। इसके साथ ही उन्होंने माफिया मुख्तार अंसारी की मौत मामले में जांच की मांग की थी। गुजरात के गोधराकांड के बाद तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू करने पर सपा ने उन्हें निष्कासित कर दिया था। आज हमला देश के संवैधानिक ढांचों पर है- शाहिद सिद्दीकी शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि उन्होंने RLD मुखिया जयंत चौधरी को अपना इस्तीफा भेज दिया है। उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल की सदस्यता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से अपना त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने कहा कि आज देश के संवैधानिक ढांचों और लोकतंत्र के ऊपर हमला है। ऐसे में किसी का चुप रहना पाप ���ै। शाहिद ने कहा कि बीजेपी नेताओं से अपील करता हूं कि उन्हें अटल जी के रास्ते को अपनाना चाहिए और राजधर्म निभाने की बात करनी चाहिए। आज जिस तरीके से मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। नेताओं के 15-15 साल पुराने मुकदमे निकाले जा रहे हैं। चुनाव के ठीक समय ऐसा होना ये राजधर्म नहीं है। बीजेपी नेताओं से ये की अपील इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता जो अटल जी और बीजेपी की नीति में विश्वास करते हैं, उन्हें भी इसका विरोध करना चाहिए। सभी राजनीतिक दलों के लीडरों से अपील है कि भारत का लोकतंत्र सबसे महत्वपूर्ण है। सत्ता आती जाती रहती है। इमरजेंसी का हमने विरोध किया था। हमने जेल काटी थी। ये इसलिए नहीं किया कि हम इंदिरा गांधी या कांग्रेस के विरोधी थे। हम देश के हित में खड़े होना चाहते थे। आज भी हम देश के हित में खड़े होना चाहते हैं। सवाल इस समय बीजेपी, आरएलडी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का नहीं है। सवाल हिंदुस्तान और लोकतंत्र का है। पूरी दुनिया में हमारी पहचान हमारे लोकतंत्र की वजह से है। इस पहचान और इज्जत को आगे बढ़ाना है। मुख्तार अंसारी की मौत पर कही थी ये बात मऊ से 5 बार के विधायक माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर भी आरएलडी के उपाध्यक्ष रहे शाहिद सिद्दीकी ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। शाहिद ने इस मामले में जांच की मांग की थी। उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी महान स्वतंत्रता सेनानी और महात्मा गांधी के सहयोगी डॉ. एम.ए. अंसारी के परिवार से आते हैं। स्थानीय माफिया द्वारा उनके परिवार पर किए गए हमलों के कारण वो (मुख्तार अंसारी) आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गए थे। उनकी मौत की पूरी जांच होनी चाहिए, क्योंकि यह संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है। मायावती के खिलाफ बोलने पर बसपा ने किया था निष्कासित पूर्व राज्यसभा सांसद शहीद सिद्दीकी राष्ट्रीय लोकदल में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे। शाहिद पत्रकार होने के साथ ही नई दिल्ली से प्रकाशित उर्दू साप्ताहिक पत्रिका के मुख्य संपादक भी हैं। शाहिद सिद्दीकी का जन्म 1951 में पत्रकारों और लेखकों के परिवार में हुआ था। उनके पिता मौलाना अब्दुल वहीद सिद्दीकी एक पत्रकार और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे। शाहिद सिद्दीकी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की थी। 1997-99 तक कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख रह चुके हैं। बाद में शाहिद सपा में शामिल हो गए थे। 2002 से 2008 तक सपा में उन्हें राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वो राज्यसभा सांसद रहे चुके हैं। जुलाई 2008 में बसपा में शामिल हो गए थे, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ बोलने के कारण उन्हें 2009 में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। गोधरा कांड के बाद पीएम मोदी का इंटरव्यू करने पर सपा ने किया था निष्कासित पेशे से पत्रकार शाहिद सिद्दीकी को गोधरा कांड के बाद अल्पसंख्यक विरोधी दंगों पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का साक्षात्कार लेने के लिए उन्हें जुलाई 2012 में समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। उस इंटरव्यू में मोदी ने कहा था कि अगर मैं दोषी हूं तो मुझे फांसी दे दो। कवर-पेज साक्षात्कार छह पृष्ठों का था और इसमें गुजरात में मुसलमानों की स्थिति, गोधरा के बाद के दंगे और अन्य संवेदनशील मुद्दे शामिल थे। सिद्दीकी ने उन्हें अस्वीकार करने के समाजवादी पार्टी के रुख को महज एक मजाक करार देते हुए कहा था कि मैं मुलायम सिंह यादव सहित समाजवादी पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं की उपस्थिति में पार्टी में… http://dlvr.it/T4yBNz
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
IPL में क्या है स्लो ओवर रेट पेनल्टी, कब और कैसे लगता है जुर्माना? जानें सबकुछ
नई दिल्ली: इंडियन प्रीमियर लीग को सुचारू रूप से चलाने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने तमाम नियम कानून बनाए हुए हैं। मैच समय से खत्म हो इसके लिए विशेष रूप से स्लो ओवर रेट के लिए सख्त नियम है। समय से निर्धारित 20 ओवर खत्म नहीं कर पाने वाली टीम और उसके कप्तान को कड़ी सजा मिलती है। आईपीएल 2024 में अब तक केवल दो कप्तानों (शुभमन गिल और ऋषभ पंत) पर 12-12 लाख रुपये का जुर्माना लग चुका है। आइए समझते हैं कि यह नियम किस तरह से लागू होता है और किस तरह से सजा तय होती है...IPL में स्लो ओवर रेट का नियम क्या कहता है?प्रत्येक टीम से एक पारी (गेंदबाजी करते हुए) 90 मिनट या डेढ़ घंटे में पूरी करने की अपेक्षा की जाती है। इसमें ढाई-ढाई मिनट के दो रणनीतिक टाइम-आउट शामिल हैं। इन 90 मिनटों में डीआरएस समीक्षा/अंपायर समीक्षा और खिलाड़ी की चोटों के लिए लिया गया समय शामिल नहीं है।स्लो ओवर रेट मामले में पाए जाने पर पहला एक्शन क्या होता है?पहली बार अगर किसी टीम ऐसा करती है तो उसके कप्तान पर 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। टीम के किसी अन्य खिलाड़ी को दंडित नहीं किया जाता है। यही कारण है कि दिल्ली के कप्तान ऋषभ पंत और गुजरात टाइटंस के कप्तान शुभमन गिल पर ही अभी जुर्माना लगा है।स्लो ओवर रेट में दूसरी बार दोषी जाने पर क्या मिलती है सजा?जब कोई टीम एक ही सीजन में दूसरी बार धीमी ओवर गति का दोषी पाई जाती है तो टीम के कप्तान पर 24 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। इस बार कप्तान के साथ-साथ टीम के बाकी खिलाड़ियों पर भी जुर्माना लगाया जाता है। कप्तान पर 24 लाख रुपये के अलावा इम्पैक्ट सब्स्टीट्यूट सहित टीम के अन्य सदस्यों पर 6 लाख रुपये या उनकी मैच फीस का 25% (जो भी कम हो) जुर्माना लगाया जाता है।स्लो ओवर रेट में तीसरी बार दोषी जाने पर क्या मिलती है सजा?जब किसी टीम को एक ही सीजन में तीसरी बार धीमी ओवर गति बनाए रखने का दोषी पाया जाता है तो टीम के कप्तान पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है और एक मैच का प्रतिबंध लगाया जाता है। इसके साथ ही टीम के बाकी सदस्यों (कप्तान को छोड़कर) पर 12 लाख रुपये या उनकी मैच फीस का 50% (जो भी कम हो) जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बाद इस अपराध के लिए सजा जमान रहती है। यदि कोई कप्तान संभावित प्रतिबंध से बचने के लिए कप्तानी की जिम्मेदारियां किसी और को सौंपता है तो प्रतिबंध तब तक उस पर लागू होंगे, जब तक कि बीसीसीआई को कप्तानी में औपचारिक बदलाव के बारे में लिखित रूप में सूचित नहीं किया जाता है। कहने की जरूरत नहीं है कि नियम काफी सख्त हैं और तीसरे अपराध के लिए कप्तान पर एक मैच के प्रतिबंध की संभावना के साथ कोई भी टीम इस अपराध को दोहराना नहीं चाहेगी। http://dlvr.it/T4yBNr
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
बदल गया आईपीएल का शेड्यूल, जानें किन-किन मुकाबलों की तारीखों में किया गया फेरबदल
नई दिल्ली: इंडियन प्रीमियर लीग का 17वां सीजन अपनी रफ्तार पकड़ चुका है। सभी टीम ने लगभग तीन-तीन मैच खेल लिया है, लेकिन इसी बीच बीसीसीआई ��े आईपीएल 2024 के शेड्यूल में बदलाव की घोषणा कर दी है। हालांकि बोर्ड ने लीग के सिर्फ दो मुकाबलों के लिए तारीख में बदलाव किया है। शेड्यूल में बदलाव का कारण इसी महीने होने वाले लोकसभा चुनाव है। चुनाव के कारण सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए दो मैचों तारीख को आगे-पीछे किया गया है।शेड्यूल में किया गया पहला बदलाव कोलकाता नाइट राइडर्स और राजस्थान रॉयल्स के मैच का है। दोनों टीमों के बीच यह मुकाबला पहले 17 अप्रैल को खेला जाना था। मैच का आयोजन ईडन गार्डन्स होना कोलकाता में होना था, लेकिन अब ये मैच एक दिन पहले यानी 16 अप्रैल को खेला जाएगा।दिल्ली और गुजरात के मैच में भी हुआ बदलावकेकेआर और राजस्थान रॉयल्स के अलावा दिल्ली कैपिटल्स और गुजरात टाइटंस के बीच मुकाबले में भी बदलाव किया गया है। दोनों टीमों के बीच यह मुकाबला अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में होना था। यह मैच पहले 16 अप्रैल को खेला जाना था, लेकिन अब ये मैच 17 अप्रैल को खेला जाएगा। शेड्यूल को लेकर पहले ही यह बताया गया था कि चुनाव को ध्यान में रखते हुए इसमें बदवाल की पूरी संभावना है और ऐसा ही हुआ।26 मई को खेला जाएगा फाइनल मुकाबलादुनिया की सबसे बड़ी टी20 में से एक इंडियन प्रीमियर लीग के 17वें सीजन का फाइनल मुकाबला 26 मई को खेला जाएगा। लीग की शुरुआत पिछले महीने 22 मार्च से हुई थी। लीग में कुल 10 टीमें हिस्सा ले रही है। इस तरह फैंस इस रंगारंग क्रिकेट लीग आईपीएल का दो महीने से भी अधिक लुत्फ उठाएंगे http://dlvr.it/T4yBMH
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
ऐसी भयावहता हमें भोपाल में नहीं, फिल्मों में दिखती... दहशत में है मंत्री के बेटे की 'गुंडागर्दी' से पीड़ित परिवार
भोपाल: मंत्री ��रेंद्र शिवाजी पटेल के बेटे अभियान पटेल पर रेस्टोरेंट संचालक के साथ मारपीट का आरोप है। रेस्टोरेंट संचालक ने पिटाई खा रहे एक स्कूटर सवार को बचाने की कोशिश की थी। इस दौरान मंत्री के बेटे और उसके दोस्तों ने रेस्टोरेंट संचालक की पिटाई की। घटना के बाद दंपती आहत है लेकिन न्याय पाने के लिए दृढ़ हैं। महिला अलीशा सक्सेना ने सोमवार को हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से रोते हुए बोली कि हमलोग योग्य होने के बावजूद पुणे में अपनी नौकरी छोड़कर पति डेनिस मार्टिन के साथ भोपाल में रेस्टोरेंट शुरू करने का फैसला किया। ताकि हम अधिक समय बिता सकें और बेटे का ख्याल रख सकें। अब मंत्री और उनके परिवार के इलाके में रहने से डर है कि हमें अपना कारोबार बंद करना पड़ सकता है। अभी तक नहीं आई है मेडिकल रिपोर्ट वहीं, मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के बेटे अभिज्ञान के साथ कथित तौर पर मारपीट करने के आरोप में चार पुलिसकर्मियों के निलंबन से वे शॉक्ड हैं। अलीशा ने कहा कि पुलिस भारी दबाव में थी। पुलिसकर्मियों को निलंबित नहीं किया जाना चाहिए था। आरोपियों ने पुलिस के सामने हमें धमकाया लेकिन रसूखदार लोगों के सामने पुलिसकर्मी बेबस दिखे। हमें अभी तक हमारी मेडिकल रिपोर्ट नहीं दी गई है। फिल्मों में देखी है ऐसी भयावहता अलीशा ने कहा कि हम अभी भी सदमे में हैं। अलीशा ने कहा कि हमने बैडलैंड्स के बारे में फिल्मों में ऐसी भयावहता देखी है। भोपाल में ऐसी उम्मीद नहीं थी। मेरे पति और मुझे पुलिस स्टेशन के बाहर एक पुलिस वैन में आरोपियों से छिपाकर बैठाया गया। वे लोग पुलिस स्टेशन में हंगामा कर रहे थे। हमले में घायल हमारे कर्मचारी को पुलिस ने एक मेज के नीचे छिपा दिया था। उस समय आरोपी पुलिस से हाथापाई कर रहे थे। आरोपियों ने की थी पत्रकार की पिटाई रेस्टोरेंट संचालक दंपति ने कहा कि आरोपियों ने एक एसयूवी से उतरकर स्कूटी सवार पत्रकार विवेक सिंह की पिटाई की थी। उनलोगों ने हमारे रेस्तरां क��� सामने उस पर हमला करना शुरू कर दिया। हमने परिसर में खड़े होकर विरोध किया। इससे आरोपी नाराज हो गए और उन्होंने मुझे गालियां देनी शुरू कर दीं। हमारे साथ हमारा छह साल का बेटा भी था, जो ऑटिज्म से पीड़ित है। मेरे पति ने हस्तक्षेप किया तो आरोपियों ने उन पर छड़ों से हमला किया और गमला फेंक दिया। हमारे कर्मचारी सीताराम के साथ भी मारपीट की और मेरे साथ भी हाथापाई की। मारकर भाग गए आरोपी अलीशा ने कहा कि मेरे पति मजबूत कद-काठी के हैं, नहीं तो कोई और भी बेहोश हो जाता। हमें मारने के बाद आरोपी भाग गए। जब हम शिकायत दर्ज कराने पुलिस स्टेशन गए तो उन्होंने हमारा पीछा किया और पुलिस के सामने गालियां देनी शुरू कर दीं। उनलोगों ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार भी किया। पुलिस हमारे रसोइये को दो घंटे तक उनके डर से मेज के अंदर छिपाकर रखी। डेनिस ने कहा कि हम मेडिकल जांच के बाद पुलिस स्टेशन लौट रहे थे, तो हमें एक घंटे से अधिक समय तक बाहर पुलिस वैन में बैठाए रखा गया क्योंकि आरोपी और मंत्री पुलिस स्टेशन के अंदर थे। हत्या की कोशिश का मामला दर्ज नहीं किया वहीं, अलीशा ने कहा कि पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज नहीं किया या उसके साथ दुर्व्यहार के लिए धाराएं नहीं जोड़ीं। उन्होंने कहा कि अभी तक पत्रकार विवेक सिंह की एफआईआर दर्ज नहीं की है। पुलिस को मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार डीसीपी जोन-1 प्रियंका शुक्ला ने कहा कि पुलिस मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, जिसके आधार धाराएं जोड़ी जा सकती हैं। डीसीपी ने कहा कि महिला ने रिपोर्ट दर्ज कराते समय छेड़छाड़ का जिक्र नहीं किया था। http://dlvr.it/T4xpDC
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
अभी तो बस ये ट्रेलर है... उत्तराखंड की चुनावी रैली में PM मोदी ने तीसरे टर्म का ऐक्शन प्लान बता दिया
रुद्रपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM ) ने उत्तराखंड के रुद्रपुर में लोकसभा चुनाव के तहत रैली करते हुए शंखनाद किया है। PM ने कहा कि मोदी की गारंटी यानी कि गारंटी के भी पूरा होने की गारंटी। ये दशक उत्तराखंड का दशक होने वाला है। उन्होंने देवभूमि को नमन करते हुए अपने तीसरे टर्म का ऐक्शन प्लान भी बता दिया। उन्होंने बिजली से लेकर सोलर पैनल तक की स्कीम का जिक्र करते हुए इसके फायदे भी गिना डाले। पीएम मोदी ने मंगलवार को रुद्रपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, 'मैं जब भी उत्तराखंड की पवित्र धरती पर आता हूं, खुद को बहुत धन्य महसूस करता हूं। इसलिए मेरे दिल की गहराई से एक बात निकली थी-देवभूमि के ध्यान से ही मैं सदा धन्य हो जाता हूं, है भाग्य मेरा सौभाग्य मेरा, मैं तुमको शीश नवाता हूं।' 'तीसरे टर्म का ऐक्शन प्लान' प्रधानमंत्री ने तीसरे टर्म का ऐक्शन प्लान बताते हुए कहा कि तीसरे टर्म में आपका ये बेटा एक और बड़ा काम करने जा रहा है। सोलर पैनल लगाने के लिए सरकार मदद दे रही है। इससे पंखे, एसी, इलेक्ट्रिक वीइकल में 300 यूनिट बिजली की खपत होती है। 'आखिर ये मोदी थकता क्यों नहीं'उन्होंने कहा, 'आप भी सोचते होंगे कि आखिर ये मोदी थकता क्यों नहीं है। मोदी मौज नहीं, बल्कि मेहनत करने के लिए पैदा हुआ है। ये 10 साल में जो विकास हुआ है ना वो तो सिर्फ ट्रेलर है। अभी तो बहुत कुछ करना है। अभी देश को बहुत आगे लेकर जाना है। और तब तक ना रुकना है और ना थकना है।' रुद्रपुर में पीएम मोदी ने कहा,'मोदी ने भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनाने की गारंटी दी है। तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत का मतलब है- लोगों की कमाई बढ़ेगी। नौकरी के अवसर बढ़ेंगे। गांव-शहर में सुविधा बढ़ेगी।' कांग्रेस पर जमकर साधा निशाना पीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, '60 साल सत्ता में रहने वाले 10 साल सत्ता से बाहर क्या रह गए, अब वे आग लगाने की बात कर रहे हैं। क्या ये उचित है। क्या देश में आग लगाने की बात उचित है। इमर्जेंसी की मानसिकता वाली कांग्रेस का भरोसा लोकतंत्र में नहीं रहा है। कांग्रेस देश को अराजकता की तरफ झोंकना चाहती है।' http://dlvr.it/T4xpDB
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
इंदिरा जी आप भी यहां, मैं भी यहीं... जब सुषमा ने चुनाव में खींच दी बड़ी लकीर, फतेहपुर लोकसभा का किस्‍सा
इरशाद अहमद, फतेहपुर: उत्तर प्रदेश की फतेहपुर लोकसभा सीट का राजनैतिक इतिहास बड़ा ही रोचक है। इस लोकसभा सीट ने देश को वीपी सिंह के रूप में प्रधानमंत्री दिया है। किस्सा सन 1978 का है, इस लोकसभा सीट पर 1978 का उपचुनाव चल रहा था। प्रदेश में जनता पार��टी का कब्जा था। वहीं केंद्र में भी जनता पार्टी की हुकूमत थी। इस लोकसभा सीट पर 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी से बशीर अहमद सांसद चुने गए थे। इसके बाद कार्यकाल के दौरान 2 मार्च 1978 को उनका असामयिक निधन हो गया। फतेहपुर लोकसभा की रिक्त सीट पर 5 दिसंबर 1978 को उपचुनाव की घोषणा हुई थी। इस चुनाव में कांग्रेस ने प्रेमदत्त तिवारी को उम्मीदवार बनाया था। वहीं केंद्र सरकार में तत्कालीन सत्तारूढ़ जनता पार्टी की ओर से सैय्यद लियाकत हुसैन चुनावी मैदान में थे। इस चुनाव में देश की पूर्व प्रधानमंत्री और आयरन लेडी ने जिले में दो दिन रुक कर अपने प्रत्याशी प्रेमदत्त तिवारी के लिए लोकसभा क्षेत्र में 45 जनसभाएं कीं। हरियाणा की तत्कालीन मंत्री थीं सुषमा स्वराज वहीं, तत्कालीन जनता पार्टी के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार में देश की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री 25 वर्षीय सुषमा स्वराज ने भी जिले में तीन दिन के लिए डेरा डाल दिया था। सुषमा स्वराज ने जनता पार्टी के उम्मीदवार लियाकत हुसैन के समर्थन में लोकसभा क्षेत्र में कई जनसभाएं कीं। इस दौरान इंदिरा गांधी लोकसभा क्षेत्र के बिंदकी विधानसभा के ठठराही में आखरी जनसभा को मंच से संबोधित कर रही थीं। महिला मतदाताओं पर विशेष फोकस रहा तभी सुषमा स्वराज मंच पर पहुंचीं और जनसभा में मौजूद जनता के सामने ही इंदिरा गांधी को अपने सवालों का जवाब देने की चुनौती दे दी थी। सुषमा स्वराज ने कहा था, 'इंदिरा जी आप भी यहां हैं, मैं भी यहीं हूं और जनता भी है। आप मेरे सवालों का जवाब दे दीजिए। मैं आपके सवालों का जवाब दे दूंगी, फैसला यहीं हो जाएगा।' इंदिरा गांधी इस पर मुस्कुरा कर चली गई थीं। जिले में जनसभाओं के दौरान इंदिरा गांधी महिला मतदाताओं पर विशेष फोकस कर रही थीं। 'काम करने आई हूं, आराम करने नहीं' जिला उद्योग कार्यालय के रिटायर्ड हेड क्लर्क सराफत अली ने बताया कि सुषमा स्वराज शहर के सैय्यदवाड़ा स्थित जनता पार्टी के प्रत्याशी सैय्यद लियाकत हुसैन के कार्यालय पहुंचीं। इसके बाद उन्होंने सबसे पहले लोकसभा क्षेत्र में कहां-कहां जनसभा करनी है इसकी जानकारी ली। इस पर लोकसभा सीट के चुनाव प्रभारी रहे सिंचाई राज्यमंत्री छोटेलाल यादव ने उनसे थोड़ी देर आराम करने को कहा था। इसपर उन्होंने दो टूक जवाब दिया था। मैं यहां काम करने आई हूं, आराम करने नहीं। इसके बाद सुषमा स्वराज जिले में हर उस जगह गईं, जहां-जहां इंदिरा गांधी ने जनसभाएं की थी। लियाकत हुसैन बने थे सांसद सुषमा स्वराज यहां तीन दिन तक सर्किट हाउस में रुकी रहीं और इस दौरान उन्होंने लोकसभा क्षेत्र के खजुहा, खागा, अमौली और बिंदकी में कई जनसभाएं कीं। वहीं लोकसभा क्षेत्र के मलवां की जनसभा में सुषमा ने महिलाओं से कहा था कि इंदिरा गांधी महिला होने के नाते महिलाओं से समर्थन मांग रही हैं, जबकि इमरजेंसी लगाकर उन्होंने देशभर की माताओं के बच्चों को जेल भिजवा दिया था। सुषमा स्वराज की तर्कसंगत बातों और उनके ओजस्वी विचारों का ऐसा प्रभाव हुआ कि उस दौर की आयरन लेडी के रूप में जानी जाने वाली इंदिरा गांधी अपने प्रत्याशी को सफलता नहीं दिला पाईं थीं। फलस्‍वरूप, कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमदत्त तिवारी को जनता पार्टी के उम्मीदवार लियाकत हुसैन शिकस्त देकर देश के उच्च सदन में पहुंचे थे। http://dlvr.it/T4xpD6
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
UP के इस अफसर का बिहार में जलवा, 'कड़क' IAS केके पाठक का प्रयागराज से क्‍या है नाता?
बलिया: बिहार में एक IAS अफसर का इन दिनों खूब जलवा है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्‍य सचिव केके पाठक को बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ी जिम्‍मेदारी सौंपी है। वे अपने कार्यशैली को लेकर लगातार सुर्खियों में रहते हैं। केके पाठक का जन्‍म 1968 में यूपी में हुआ था। 1990 बैच के अधिकारी पाठक ने अपनी पढ़ाई-लिखाई प्रयागराज से की है। उनका परिवार मूलरूप से बलिया का रहने वाला बताया जाता है। वर्ष 2021 में फेम इंडिया मैगजीन ने देश के 50 असरदार ब्‍यूरोक्रेट्स की सूची जारी की थी, जिसमें केके पाठक का नाम भी शामिल था। 1990 में केके पाठक को पहली नियुक्ति बिहार के कटिहार जिले में मिली थी। इसके बाद वह गिरिडीह में एसडीओ रहे। इसके बाद वह बेगूसराय, शेखपुरा और बाढ़ में भी एसडीओ पर तैनात रहे। 1996 में पहली बार केके पाठक डीएम बने और उन्‍हें गिरिडीह में नियुक्‍त किया गया। जब राबड़ी देवी बिहार की मुख्‍यमंत्री थीं, तब पाठक को लालू यादव के गृह जिले गोपालगंज की जिम्‍मेदारी भी मिली। इसी दौरान पहली बार पाठक चर्चा में आए क्‍योंकि उन्‍होंने गोपालगंज में एमपी फंड से बने एक अस्‍पताल का शुभारंभ एक सफाईकर्मी से करवा दिया था। यह फंड गोपालगंज के तत्‍कालीन सांसद और राबड़ी देवी के भाई साधु यादव ने दिया था। केके पाठक के इस फैसले से बिहार में काफी बवाल मचा था। इसके बाद उन्‍हें डीएम के पद से हटाकर वापस सचिवालय बुला लिया गया था। नीतीश कुमार के खास अफसरों में शुमार कहा जाता है कि केके पाठक मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के चहेते अफसरों शामिल हैं। 2005 में नीतीश की सरकार बनने पर केके पाठक को बड़ा पद मिला। उन्‍हें बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण का प्रबंध निदेशक बनाया गया। नीतीश के करीबी अफसर अरुण कुमार के निधन के बाद पाठक को शिक्षा विभाग की जिम्‍मेदारी दी गई। 2010 में केके पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे। महागठबंधन की सरकार बनने पर नीतीश कुमार ने पाठक को 2015 में दिल्‍ली से वापस बिहार बुला लिया था। 2017 में एक बार फिर पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्‍ली भेजे गए। फिर 2021 में वह प्रमोशन के साथ बिहार वापस लौटे। बिहार में शराबबंदी लागू करने की कमान उन्हें ही सौंपी गई। दागदार भी रहा है करियर केके पाठक जहां एक तरफ अपने कड़क फैसलों के लिए जाने जाते हैं, दूसरी तरफ उनका करियर दागदार भी रहा है। 2018 में पटना हाईकोर्ट ने केके पाठक पर 1.75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। SBI के सात बैंक मैनेजरों ने उन पर मनमानी का आरोप लगाया था। स्टैंप ड्यूटी देर से जमा करने से जुड़े इस मामले में कोर्ट ने आरोप सही पाए थे। पटना हाईकोर्ट में हाजिरी ना लगाने को लेकर वॉरंट से लेकर विभागीय बैठक में अपशब्दों के कथित इस्तेमाल तक केके पाठक के खिलाफ आरोपों की लंबी फेहरिस्त है। http://dlvr.it/T4xpD3
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
कौन हैं कांग्रेस के विकास ठाकरे, क्या नागपुर में तुड़वा पाएंगे नितिन गडकरी की प्रतिज्ञा
मुंबई: की से जीत की हैट्रिक लगाने उतरे केंद्रीय मंत्री के खिलाफ कांग्रेस ने विकास ठाकरे को मैदान में उतारा है। 2019 लोकसभा चुनावों में नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष नाना पटोले को शिकस्त दी थी। उस चुनाव में गडकरी जीते थे लेकिन उनकी जीत का मार्जिन 2014 की तुलना में घट गया था। गडकरी 2.16 लाख वोटों के अंतर से जीते थे। महाराष्ट्र के नागपुर से ही अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करने वाली कांग्रेस ने इस बार नए चेहरे पर दांव खेला है। पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा के मौजूदा विधायक विकास ठाकरे को गडकरी के सामने उतारकर चुनौती पेश की है। गडकरी के सामने जहां लगातार चौथी बार न सिर्फ जीत की चुनौती है बल्कि अंतर भी बढ़ाने का दबाव है, तो वहीं कांग्रेस की कोशिश है कि कुछ उलटफेर किया जाएगा। कांग्रेस पार्टी आखिरी बार नागरपुर सीट पर 2009 में जीती थी। नितिन गडकरी ने इस बार चुनावों में पांच लाख वोटों से जीत का लक्ष्य रखा है। उन्होंने यह भी कहा था कि मैं चुनावों में पोस्टर नहीं लगवाऊंगा, न ही रिश्वत दूंगा। मजबूत है बीजेपी की स्थिति? नागपुर सीट पर वैसे तो बीजेपी की स्थिति काफी मजबूत है। लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें नागपुर साउथ वेस्ट से राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद विधायक हैं। नागपुर साउथ, नागपुर ईस्ट, नागपुर सेंट्रल सीटों पर भी बीजेपी का कब्जा है। कांग्रेस के पास दो सीटें हैं। इनमें नागपुर वेस्ट से खुद विकास ठाकरे जीते थे। नागपुर नार्थ सीट से कांग्रेस नेता नितिन राउत विधायक हैं। ऐसे में छह में चार विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है और दो सीटें कांग्रेस के पास हैं। विकास ठाकरे पर क्यों खेला दांव?कांग्रेस पार्टी ने नितिन गडकरी के सामने के विकास ठाकरे को उतार कर चुनौती पेश की है। विकास ठाकरे नागपुर से आते हैं। पार्टी को उम्मीद है कि एनसीपी के साथ शिवसेना उद्धव गुट के समर्थन के चलते पार्टी करीबी टक्कर दे सकती है। ठाकरे पूर्व में नागपुर के मेयर भी रह चुके हैं। ऐसे में स्थानीय स्तर पर वे अपरिचित नहीं हैं। उन्हें शहर में लोग जानते हैं। इतना ही नहीं विकास ठाकरे नागपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के भी प्रमुख हैं। नितिन गडकरी पहली बार 2014 में चुने गए तब ऐसा माना गया था कि मोदी लहर के चलते उन्होंने कांग्रेस के नेता विलास मुत्तेमवार काे हराया। महाराष्ट्र में बदले समीकरणों में कांग्रेस की कोशिश है कि बीजेपी के हैवीवेट नेता को घेरा जाएग। तीन बार ही मिली है जीत नागपुर सीट पर बीजेपी को अभी तक तीन बार ही जीत मिली है। यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। नितिन गडकरी ने 2014 के चुनावों में कांग्रेस के चार बार से सांसद विलास मुत्तेमवार के हराया था। इससे पहले पार्टी को 1996 में जीत मिली थी। तब यहां से बनवारीलाल पुरोहित चुने गए थे, लेकिन 1998 के चुनावों में कांग्रेस ने वापसी कर ली थी। बाकी 13 बार कांग्रेस को जीत मिली है। पीएम मोदी की कैबिनेट में सर्वाधिक सफल मंंत्री के तौर पर छवि बनाने वाले नितिन गडकरी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे चुनावों के ज्यादा पोस्टर नहीं लगवाएंगे, लेकिन कांग्रेस के ठाकरे दांव के बाद फिलहाल नितिन गडकरी नागपुर में रोड शो कर रहे हैं। ? विकास पांडुरंग ठाकरे मूलरूप से नागपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने बीकॉम तक की पढ़ाई की है। उन्होंने अपनी शिक्षा नागपुर धामपेठ कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय से ली है। पेश से बिजनेसमैन विकास ठाकरे के बेटे केतन ठाकरे भी राजनीति में सक्रिय हैं। वे कांग्रेस की युवा शाखा में नेता हैं। विकास ठाकरे की पत्नी का नाम वृंदा ठाकरे है। विकास ठाकरे नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (एनआईटी) के अध्यक्ष भी हैं। http://dlvr.it/T4xpCt
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
चिड़चिड़े से रहते हैं आप, अचानक ऑफ हो जाता है मूड? दिल्लीवालो, बड़ा कसूर इसका है
नई दिल्ली: क्या आप बातचीत में ज्यादा पेशेंस नहीं रख पाते हैं और तुरंत चिढ़ जाते हैं? क्या आपको सामने वाले का ज्यादा तर्क-वितर्क पसंद नहीं आता और आप च���हते हैं कि कोई बहस नहीं करे, बस आपकी बात तुरंत मान ले? ऐसा नहीं होने पर आप तुरंत भड़क जाते हैं? क्या अचानक मूड ऑफ हो जाता है? अगर आप लंबे समय से दिल्ली में रह रहे हैं और ऐसा हो रहा है तो खुद को कोसने के बजाय असली कसूरवार को जान लीजिए। यह जरूर है कि हमें अपने व्यवहार पर नियंत्रण रखना चाहिए, लेकिन कई बार स्थितियां ऐसी होती हैं कि चाहते हुए भी खुद का नियंत्रण ही छूट जाता है। दिल्ली में एक ऐसी ही स्थिति है प्रदूषण की। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने माना है कि प्रदूषण के कारण लोग चिड़चिड़े और मानसिक अवसाद के शिकार हो रहे हैं। प्रदूषण का इतना गंभीर परिणाम! स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिससे तनाव और अन्य समस्याएं होती हैं, लेकिन भारत में प्रदूषण के असर पर विशेष स्टडी होनी चाहिए। सरकार ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) को सौंपे गए एक उत्तर में यह बात कही है। दरअसल, हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) ने अक्टूबर 2023 में Feeling anxious? Toxic air could be to blame (तनाव महसूस कर रहे हैं? जहरीली हवा का है दोष) हेडिंग से एक रिपोर्ट प्रकाशित थी। ने इसी रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेकर सरकार से जवाब मांगा। दिल्ली सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कई स्टडी रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है, इस पर भारत विशेष अनुसंधान की आवश्यकता है।दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और परिवार विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी ने कहा, 'भारत में जब तेजी से औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण प्रदूषण बढ़ा है, मानसिक स्वास्थ्य के निहितार्थों को समझना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है... वायु प्रदूषकों, भारी धातुओं और ध्वनि प्रदूषण सहित विभिन्न (प्रकार के) पर्यावरण प्रदूषण के संपर्क में आने से मानसिक स्वास्थ्य विकार में वृद्धि होती है, जैसे कि तनाव, मनोदशा और मानसिक विकार आदि।' तरह-तरह की मानसिक समस्याओं की जड़ है प्रदूषण रिपोर्ट में विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित कई अध्ययनों का हवाला दिया गया है जहां निष्कर्ष बताते हैं कि गंभीर वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में अवसाद महसूस होने की आशंका दोगुनी है। अध्ययन बताते हैं कि ऐसे इलाके को लोगों में चिंता, चिड़चिड़ापन और बेचैनी के लक्षणों का अनुभव होने की बहुत ज्यादा आशंका होती है।रिपोर्ट कहती है, '... वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से तनाव पैदा करने वाले हार्मोन का स्तर बढ़ सकता है... सोचने, याद रखने और सीखने में समस्याएं हो सकती हैं... पर्यावरण से संबंधित एक पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी कहती है कि गंभीर वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में मनोविकृति (साइकोसिस) का लक्षण पाया जाना आम है। साइकोसिस एक मानसिक विकार है जिसके शिकार लोग वास्तविकता से संपर्क खोने लगते हैं।' इसमें कहा गया है कि ऊंची इमारतों में रहना, खराब गुणवत्ता वाले आवास और तेज बाहरी शोर जैसे कारक मनोवैज्ञानिक संकट को बढ़ा सकते हैं और मानसिक स्वास्थ्य को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकते हैं।इसमें कहा गया है कि वायु प्रदूषण से लोगों में घबराहट, अवसाद और बेचैनी की आशंका बढ़ जाती है। गंदी हवा के संपर्क में आने से कई न्यूरोबायोलॉजिकल परिवर्तन होते हैं जैसे कि सूजन की समस्या, न्यूरो डीजेनरेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस। भारत आधारित विशेष शोध की जरूरत सरकार ने एनजीटी दिए जवाब में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। इसमें कहा गया है कि 'प्रदूषण के संपर्क में आने वाले मनुष्यों... को मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में परिवर्तन का अनुभव होता है जो भावनाओं को नियंत्रित करते हैं...' एक अन्य शोध के अनुसार, प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले बच्चों और किशोरों में अवसाद के लक्षण दिखते हैं और कई बार उनमें 'आत्महत्या करने की चाहत' पैदा होती है।सरकार ने कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में पर्यावरण खराब करने वाले, विशेष रूप से हवा को गंदा करने वाले कारक 'मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं के कारण बनते हैं'। इसमें कहा गया है कि 'ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी का मौसम आर्थिक तनाव के कारण मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते है। सरकार ने कहा कि भारत आधारित अध्ययन की आवश्यकता है क्योंकि अभी उपलब्ध ज्यादातर स्टडी रिपोर्ट्स पश्चिमी देशों के हैं। http://dlvr.it/T4xpCm
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
हमारी छवि बहुत खराब... ब्रह्मोस, पिनाका जैसे हथियार बेचकर मालामाल हुआ भारत तो पाकिस्तान‍ियों का छलका दर्द
इस्लामाबाद: भारत ने रक्षा निर्यात में नया रिकॉर्ड बनाते हुए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 21,083 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट किया है। ये बीते साल के मुकाबले में 32.5 फीसदी ज्यादा है। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा निर्यात में इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि निजी क्षेत्र और डीपीएसयू सहित हमारे रक्षा उद्योगों ने शानदार प्रदर्शन किया है। भारत फिलहाल 85 से ज्यादा देशों को हथियार प्रणालियों का निर्यात कर रहा है। भारत की रक्षा निर्यात में इस कामयाबी की पाकिस्तान में भी चर्चा हो रही है। पाकिस्तान के यूट्यूबर सुहेब चौधरी ने भारत का हथियारों का निर्यात बढ़ने पर पाकिस्तान के लोगों से बात की है। सुहेब ने लोगों से ये जानना चाहा कि पाकिस्तान क्यों अपनी चीजें बनाने में पिछड़ रहा है जबकि भारत हथियारों के निर्माण में तेजी से बढ़ा है। सुहेब से बात करते हुए मियां यासीन ने कहा कि पाकिस्तान में काफी सारी चीजें अच्छी बन रही हैं लेकिन रक्षा में जरूर भारत से पिछड़ रहा है। इसकी एक बड़ी वजह ये है कि रिसर्च में पाकिस्तान का बजट कम है, ऐसे में अक्सर तकनीक से प्यार करने वाले स्टूडेंट विदेश चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्पोर्ट्स के आयटम खासतौर से पाकिस्तान में बन रहे हैं और दुनियाभर में ये जा रहे हैं लेकिन कहीं ना कहीं पाकिस्तान की छवि दुनिया में अच्छी नहीं है। इससे भी देश को नुकसान हो रहा है। 'पाकिस्तान को दुनिया में अहमियत नहीं मिल रही' आदिल हुसैन नकवी ने कहा, "पाकिस्तान के बारे में दुनिया के कई देशों में ये माना जाता है कि ये दो नंबरी लोग हैं। पाकिस्तान के चावल दुनियाभर में जा रहे हैं लेकिन बहुत से देशों में हमारे चावल को इंडिय का बताकर बेचा जा रहा है। ये बहुत जरूरी है कि दुनिया में हमारी छवि को बेहतर किया जाए, जिससे लोगों का भरोसा बने। पाकिस्तान में टैलेंट की कोई कमी नहीं है। सब जगह अच्छे लोग हैं लेकिन उनको अपने मुल्क में काम ही नहीं मिल रहा है।राणा इदरीश ने पाकिस्तान के हालात पर कहा कि तकनीक या हथियार एक्सपोर्ट के लिए माहौल जरूरी है। हमारे यहां इस तरह का माहौल नहीं कि लोग खुलकर ईमानदारी से काम कर सकें। लोगों को पाकिस्तान में भविष्य सुरक्षित नहीं लगता तो वो बहुत लंबा इन्वेस्ट ही नहीं करना चाहते। जो अच्छी समझ के होशयार लोग हैं, वो लंदन या अमेरिका चले जाते हैं। ऐसे में कैसे पाकिस्तान आगे बढ़ेगा। पाकिस्तान में एक भरोसे का माहौल बनेगा तभी यहां तकनीक को बढ़ावा मिलेगा। मोहम्मद मोईन ने सुहेब से बात करते हुए कहा, "हम खुद पाकिस्तान के मुकाबले दूसरे देशों के प्रोडक्ट को तरजीह देते हैं। हमें लगता है कि हमारे प्रोडक्ट अच्छे नहीं है। अगर भारत की बात की जाए तो उनकी विदेश नीति की वजह से उनको निर्यात में फायदा मिलता है। भारत की सरकार भी आगे बढ़कर सपोर्ट करती है, सब्सिडी के जरिए मदद करती है। इससे कंपनियों को आसानी होती है। पाकिस्तान में इस तरह का माहौल नहीं है।" http://dlvr.it/T4xpCG
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
कल रात दो घंटे तक मंथन, इस बार चुनावी घोषणापत्र में क्या-क्या वादे करने वाली है बीजेपी, जानिए
नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। इस बार चुनावी रण में एनडीए को टक्कर देने के लिए नया विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' है। पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए 400 पार का टार्गेट सेट कर चुका है वहीं, विपक्ष का कहना है कि सत्ताधारी दल को 200 सीटें भी नसीब नहीं हो रही हैं। दोनों के अपने-अपने दावे हैं जिसका फैसला 4 जून को आएगा। उससे पहले भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार रात खूब मंथन किया। मंथन चुनावी घोषणापत्र को लेकर हुआ। इस बार के मेनिफेस्टो में बीजेपी का ध्यान गरीबों और किसानों के कल्याण वाले वादों और महिलाओं-युवाओं के लिए नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करने पर है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली 27 सदस्यीय चुनाव घोषणापत्र समिति की बैठक में लोगों से ली गई राय के आधार पर चर्चा हुई। भाजपा की चुनाव घोषणापत्र समिति की पहली बैठक में सरकार के 'विकसित भारत' एजेंडे के लिए रोडमैप ने केंद्र में जगह बनाई है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने संकेत दिया कि घोषणापत्र 'मोदी की गारंटी' और 'विकसित भारत' के इर्द-गिर्द हो सकता है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भाजपा को अपनी मिस्ड कॉल सेवा के माध्यम से 3.75 लाख से अधिक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐप पर लगभग 1.70 लाख सुझाव प्राप्त हुए हैं।लोगों ने मेनिफेस्टो के लिए दिए खूब सुझाव बीजेपी ने देशभर से आए लोगों के सुझाव को ध्यान में रखते हुए रात में करीब दो घंटे तक मंथन किया। लोगों ने मिलकर सरकार को जनकल्याण के सुझाव दिए हैं। दिल्ली में सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीयूष गोयल ने बताया कि समिति की बैठक में 2047 तक विकसित भारत के लिए रोडमैप पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि हमारे घोषणा पत्र के लिए लोगों की उत्साहपूर्ण भागीदारी, प्रधानमंत्री पर उनके विश्वास और उनसे उनकी उम्मीदों को दर्शाती है। गोयल ने बताया कि 35 दिन के अभियान के दौरान जानकारी इकट्ठी की गई। 300 से ज्यादा चुनाव क्षेत्रों में 916 वीडियो वैन भेजी गईं। उन्होंने बताया कि व्यापार और उद्योग संघों से भी सुझाव मिले।समिति में कौन-कौन लोग शामिल? भाजपा ने 30 मार्च को 27 सदस्यों वाली समिति की घोषणा की थी, जिसमें एक-एक मुस्लिम, सिख और ईसाई नेता भी शामिल थे। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसकी संयोजक हैं और इसके अलावा कई अन्य केंद्रीय मंत्री, गुजरात, असम और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के मुख्यमंत्री और शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे जैसे अनुभवी नेता भी इसके सदस्य हैं। कई दशकों में शायद यह पहली बार है जब इसके चुनावी घोषणापत्र में मुख्य वैचारिक वादों का उल्लेख नहीं किया गया है। इसने इस बारे में आम जिज्ञासा को बढ़ा दिया है कि इस बार सत्तारूढ़ दल की चुनावी प्रतिज्ञाओं के मुख्य आकर्षण क्या होंगे। घोषणा पत्र समिति की अगली बैठक 4 अप्रैल को होने की संभावना है। लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून के बीच होने हैं। http://dlvr.it/T4xpBz
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
IPL: डरा दिया भाई... मस्ती में मगन थे रोहित शर्मा, अचानक मैदान पर आ धमका फैन और घबरा गए हिटमैन
मुंबई: आईपीएल 2024 में बीती रात राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मैच में मुंबई इंडियंस के पूर्व कप्तान रोहित शर्मा से मिलने के लिए एक फैन वानखेड़े स्टेडियम की फेंसिंग कूदकर ग्राउंड में आ धमका। सिक्योरिटी को तोड़ते हुए जब वह फैन रोहित शर्मा के पीछे भागते हुए पहुंता तो अपनी मस्ती में मगन रोहित बुरी तरह डर गए, लेकिन बाद में उन्होंने उसे गले लगा लिया। सुरक्षा अधिकारियों द्वारा पकड़े जाने से पहले उस प्रशंसक ने विकेटकीपर ईशान किशन को भी 'जादू की झप्पी' दी। यह घटना मैच की दूसरी पारी में पावरप्ले के दौरान हुई, जब राजस्थान रॉयल्स की पारी 126 रन का पीछा करने के लिए सरपट भाग रही थी।इस घटना के कारण खेल में रुकावट आई, जो खिलाड़ियों को ज्यादा रास नहीं आई क्योंकि इससे मोमेंटम टूट जाता है। ऐसे में स्लिप कॉर्डन में मुस्तैद रोहित शर्मा सफेद टी-शर्ट और ब्लू जींस पहने फैन से गले मिलने से थोड़ा असहज लग रहे थे, लेकिन दर्शकों के लिए यह उपलब्धि का क्षण लग रहा था क्योंकि अपने आदर्श से मिलने के बाद उन्होंने अपनी बाहें हवा में उठा रखी थीं। जब सुरक्षा अधिकारी उसे पकड़ने के लिए दौड़े तो उसने भागने की कोशिश भी नहीं की। आईपीएल 2024 में यह दूसरा मामला था जब किसी फैन ने इस तरह मैच में घुसकर सिक्योरिटी प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया हो। पिछले हफ्ते एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और पंजाब किंग्स के बीच मैच के दौरान एक फैन विराट कोहली से मिलने के लिए मैदान में घुस आया था। बाद में सोशल मीडिया पर एक वीडियो से पता चला कि मैदान से बाहर ले जाने के बाद सुरक्षा अधिकारियों ने उसकी जमकर पिटाई की थी। मैच की बात करें तो 1 अप्रैल की रात कप्तान हार्दिक पंड्या की लगातार हूटिंग के बीच मुंबई को सीजन में लगातार तीसरी हार का सामना करना पड़ा, क्योंकि रियान पराग ने एक और अर्धशतक बनाकर राजस्थान रॉयल्स को छह विकेट से जीत दिलाई। पहले बल्लेबाजी करते हुए मुंबई 20 ओवर्स में नौ विकेट पर 125 रन ही बना सकी। लक्ष्य का पीछा करने उतरी राजस्थान की शुरुआत भी अच्छी नहीं रही। अंतत: पराग की नाबाद 39 गेंदों में 54 रन की पारी राजस्थान के लिए 27 गेंद रहते जीत हासिल करने के लिए पर्याप्त थी। http://dlvr.it/T4xpBY
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
जेल से कैसे सरकार चलाएं केजरीवाल? आप के वकीलों ने आखिर ढूंढ लिया कानून का वो नुक्स
निधि शर्मा, नई दिल्ली: ने जेल जाकर भी दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ा है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) केजरीवाल को उनके ही पुराने बयानों की याद दिलाकर नैतिकता की दुहाई दे रही है, लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) का कहना है कि दिल्ली की जनता जो चाहती है, वही होगा। आप के मुताबिक, उसकी तरफ से कराए गए सर्वे में जनता के बहुमत ने राय दी थी कि केजरीवाल अगर जेल जाएं तो उन्हें वहीं से दिल्ली की सरकार चलानी चाहिए, इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन यह पार्टी को अच्छे से पता है कि इस्तीफे का मुद्दा अगर अदालत में उठा तो फिर यह सर्वे रिजल्ट किसी काम का नहीं होगा। वहां तो वही दलीलें चलेंगी जो कानूनी पैमाने पर खरा उतरे। इसलिए पार्टी के वकील ऐसे ठोस दलील गढ़ने में जुट गए जो अदालत को संतुष्ट कर सके कि केजरीवाल चला सकते हैं। जानिए अदालत में कौन सी दलील देगी आप आप के वकील अदालत में यह दलील देने की योजना बना रहे हैं कि तिहाड़ सेंट्रल जेल परिसर के एक हिस्से को 'प्रिजन' घोषित किया जाए ताकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और चलाने के लिए दफ्तर जैसी अन्य आवश्यक सुविधाएं मिल ��कें। आप के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पार्टी की कानूनी टीम अदालत में याचिका दायर करने के लिए जमीनी कार्य कर रही है, जिसमें उन मिसालों का हवाला दिया जाएगा जब विचाराधीन कैदियों को तिहाड़ जेल के अंदर से अपने ऑफिस रन करने की अनुमति दी गई थी।आप के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने हमारे सहयोगी अखबार द इकनॉमिक टाइम्स (ET) को नाम गुप्त रखने की शर्त पर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'सबसे हाई-प्रोफाइल मिसाल सहारा समूह के सुब्रत रॉय की है, जिन्हें अदालत से तिहाड़ जेल के अंदर ऑफिस की सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति मिली थी ताकि अपनी जमानत राशि जुटाने के लिए न्यूयॉर्क और लंदन में अपने लग्जरी होटलों की बिक्री को लेकर बातचीत की जा सके। तिहाड़ जेल के महानिदेशक ने 2014 में विशेष अदालत परिसर को कैदखाना (प्रिजन) घोषित किया था।' आप ने उदाहरण देकर उठाया सवाल पदाधिकारी ने कहा कि यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा और अजय चंद्रा भी तिहाड़ जेल से अवैध रूप से कार्यालय संचालित करते पाए गए थे। उन्होंने कहा, 'अगर वे लोग जिन्होंने लोगों का पैसा हड़पा है, अपने कार्यालय चला सकते हैं, तो अदालत को एक निर्वाचित मुख्यमंत्री के समान सुविधाओं के अनुरोध को स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।' जेल अधिनियम के तहत, महानिदेशक (जेल) या उपराज्यपाल के पास सुरक्षा कारणों या संचालन में आसानी के लिए किसी भी जगह को 'कैदखाना' (प्रिजन) घोषित करने की शक्ति होती है। जेल में कैदियों को मिलते हैं सिर्फ ये 10 अधिकार जेल जाकर भी पद छोड़ने से इनकार के कारण इतिहास में पहली बार एक अभूतपूर्व स्थिति पैदा हो गई है, जहां एक सीएम सलाखों के पीछे से सरकार चलाने पर जोर दे रहा है। जेल मैनुअल के नियम 1349 के अनुसार, एक विचाराधीन कैदी को केवल 10 सुविधाएं दी जाती हैं - कानूनी बचाव, वकीलों या परिवार के सदस्यों के साथ मुलाकात (कानूनी उद्देश्यों के लिए), वकालतनामा पर हस्ताक्षर करना, पावर ऑफ अटॉर्नी का देना, वसीयत का काम निपटाना, नियमों के अनुसार आवश्यक धार्मिक आवश्यकताएं, कानून क��� प्रावधानों के अनुसार सरकारी खर्च पर कानूनी सहायता के लिए अदालतों में आवेदन, अदालतों में अन्य आवेदन, मुफ्त कानूनी सहायता के लिए कानूनी सहायता देने वाली संस्थाओं में आवेदन और ऐसी अन्य सुविधाएं जो सरकार से स्वीकृत हैं। इनमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं या फाइलों पर हस्ताक्षर करने की छूट जैसी सुविधाएं शामिल नहीं हैं। http://dlvr.it/T4xp7f
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
80 की उम्र में कोर्ट मैरिज, नाती-पोता खेलाने की उम्र में 'बाबा' लेकर आए 34 की दुल्हन; मध्य प्रदेश में गजब हो गया!
आगर मालवा: अजब मध्य प्रदेश में एक बार फिर से गजब हो गया है। आगर मालवा जिले में एक 80 साल के बुजुर्ग ने 34 साल की महिला से कोर्ट मैरिज की है। इसके बाद दोनों ने मंदिर में जाकर शादी की है। इस शादी की चर्चा पूरे प्रदेश में है। वहीं, खास बात यह है कि दोनों की पहचान सोशल मीडिया के जरिए हुई थी। इसके बाद दोनों का प्यारा परवान चढ़ता गया है। यह पूरा मामला आगर मालवा जिले के सुसनेर का है। दोनों ने हिंदू रीति-रिवाज से हनुमान मंदिर में शादी की है। सोशल मीडिया पर हुई दोस्ती दरअसल, प्यार में उम्र का कोई बंधन नहीं होता है। यही मगरिया निवासी बालू सिंह के साथ हुआ है। बालू सिंह 80 की उम्र में दूल्हा बने हैं। वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। इसी दौरान उन्हें महाराष्ट्र के रहने वाली शीला बाई इंगले से पहचान हुई थी। शीला अभी 34 साल की है। वह मूल रूप से अमरावती की रहने वाली हैं। सोशल मीडिया पर पहचान के बाद दोनों में बातचीत आगे बढ़ी है। दोनों ने रचाई शादी बातचीत बढ़ने के बाद दोनों ने साथ रहने के लिए शादी करने का फैसला किया। इसके बाद बालू बागरी और शीला बाई ने शादी रचा ली है। दोनों ने अपने परिवार और न्यायालय के कर्मचारियों की मौजूदगी में यह शादी रचाई है। इसके बाद बालू बागरी अपनी दुल्हन शीला को लेकर घर गए हैं। कोर्ट के बाद मंदिर में दोनों ने सात फेरे लिए हैं। उम्र में 46 साल का फासला होने के बावजूद दोनों ने बहुत खुश हैं। मैं अपनी मर्जी से कर रही हूं शादी वहीं, कोर्ट में दिए हलफनामे में शीला ने लिखा है कि मैं बालिग हूं और अपनी मर्जी से शादी कर रही हूं। शीला का जन्म एक जनवरी 1989 को हुआ है। वहीं, बालूराम का जन्म एक जनवरी 1944 को हुआ है। http://dlvr.it/T4xTfV
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
बाप रे बाप! ऑटो में 10 मिनट की सवारी का 1 करोड़, अब बेंगलुरु में भी 'उबर' ने थमाया भारी भरकम बिल
हैदराबाद: ऑटो पर 10 मिनट की सवारी का बिला 1 करोड़ रुपये, सुनकर चौंक गए ना। बेंगलुरु में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां ऑटो बुक कर जा रहे एक शख्स को उबर ने एक करोड़ से अधिक का बिल भेजा है। दरअसल हैदराबाद के श्रीराज नीलेश के साथ बेंगलुरु में ऐसा मामला सामने आया है। जहां उन्होंने टिन फैक्ट्री, केआर पुरम से कोरमंगला के लिए उबर ऐप के जरिए ऑटो बुक किया था। उन्हें 10 मिनट की इस जर्नी का किराया 207 रुपये दिखाया गया था। लेकिन डेस्टिनेशन पर पहुंचने के बाद जब उन्होंने क्यूआर कोड के जरिए पेमेंट का प्रयास किया तो बिल बढ़कर 1,03,11,055 रुपये हो गया। ये बिल देख उनके होश उड़ गए। ऑटो चालक भी बिल देख हैरान रह गया।श्रीराजन ने इस पूरी घटना का वीडियो बना लिया। इस वीडियो को उसने अपने इंस्टाग्राम पेज पर भी शेयर किया है। जिसमें वो कह रहा है कि यह किस तरीके की टेक्निकल समस्या है। कस्टमर केयर को बार-बार फोन और मैसेज करने पर मुझे किसी तरफ से भी जबाव नहीं दिया जा रहा है। इसलिए सुबूत के तौर पर यह वीडियो बना रहा हूं।नोएडा के युवक को थमाया था करोड़ों का बिलबता दें कि कुछ दिन पहले नोएडा में भी इसी तरह की घटना घटी थी। जहां दीपक तेनगुरिया ने एक ऑटो सवारी बुक की थी। जब उसने सवारी बुक की तो किराया सिर्फ 62 रुपये दिखाया गया था। लेकिन जैसे ही वो अपने गंतव्य पर पहुंचा तो ऐप में 7 करोड़ से ज्यादा का बिल मिला। जिसके बाद उसने अपने एक्स अकाउंट पर वीडियो बना कर सांझा की थी। उबर इंडिया कस्टमर सपोर्ट ने उनकी पोस्ट पर जवाब देते हुए माफी मांगी थी। http://dlvr.it/T4xTfF
0 notes
dainiksamachar · 24 days
Text
भारत में CAA लागू होते ही पाक से सब कुछ छोड़ भाग रहे हिंदू, सामने आया सबूत, जिन्‍ना का देश होगा खाली?
इस्लामाबाद: भारत में नागरिकता संसोधन अधिनियम (सीएए) लागू होने से पाकिस्तान यूं ही नहीं तिलमिलाया हुआ था। सीएए लागू होने के बाद से पाकिस्तान में बड़ी संख्या में सताए गए हिंदू अब पलायन का मन बना रहे हैं। ऐसा होगा तो पहले ही अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के लिए बदनाम जिन्ना का देश हिंदुओं से पूरी तरह खाली हो जाएगा। पाकिस्तान से ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं कि वहां पर हिंदू समुदाय के लोग अपना सब कुछ छोड़कर भारत के लिए रवाना हो रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि जल्द ही पाकिस्तान से हिंदुओं का पूरी तरह से पलायन हो जाएगा।पाकिस्तान से पलायन कर भाग रहे हिंदूपाकिस्तान से हिंदुओं के पलायन का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक परिवार अपना सामान समेटकर जाते हुए दिखाया गया है। इस वीडियो में एक शख्स की आवाज ये कहते सुनी जा सकती है कि हम अपनी जन्मभूमि छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए इंडिया रवाना हो रहे हैं। हिंदू परिवार के पलायन का ये कथित वीडियो खुद को पाकिस्तानी पत्रकार बताने वाले दिलीप कुमार खत्री ने अपने एक्स हैंडल से अपलोड किया है। वीडियो के साथ कैप्शन में सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि जल्द ही पाकिस्तान से हिंदुओं का पलायन हो जाएगा। पोस्ट में लिखा गया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत के करीब रह गई है, क्योंकि कट्टरपंथियों के उत्पीड़न के चलते हिंदू पाकिस्तान से भाग रहे हैं। भारत में सीएए के आने को हिंदू अपने लिए बड़ी सुरक्षा के तौर पर देख रहे हैं। उनका (हिंदुओं का) जाना पाकिस्तान के भविष्य के लिए गहरी चिंता जाहिर करता है। भारत सरकार ने लागू किया है सीएएभारत सरकार बीती 11 मार्च में नागरिकता संसोधन अधिनियम को लागू कर दिया था। सीएए के नियम के अुसार, भारत सरकार 31 दिसम्बर, 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रताड़ित इन गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देगी। इन गैर-मुस्लिमों में हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं। पाकिस्तान ने इसे भारत में मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला कानून बताया था। हालांकि, भारत ने ऐसी किसी आशंका को खारिज कर दिया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए लागू करने को जायज ठहराया था। उन्होंने कहा था कि आजादी के बाद कांग्रेस और हमारे संविधान निर्माताओं का वादा था कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर सताए गए लोगों को भारत आने पर नागरिकता प्रदान की जाएगी, लेकिन वोट बैंक की राजनीति के कारण ये नहीं हो पाया था। http://dlvr.it/T4xTf6
0 notes