कुरआन ज्ञान दाता अपने से अन्य कादर अल्लाह की महिमा बताता है।
सूरः अस् सज्दा—32 आयत नं. 4 :— वह अल्लाह ही है जिसने आसमानों और जमीन को और उन सारी चीजों को जो इनके बीच है, छः दिन में पैदा किया और उसके बाद सिंहासन पर विराजमान हुआ। उसके सिवा न तुम्हारा कोई अपना है, न सहायक है और न कोई उसके आगे सिफारिश करने वाला है। फिर क्या तुम होश में न आओगे।
कुरआन ज्ञान दाता अपने से अन्य कादर अल्लाह की महिमा बताता है।
सूरः अस् सज्दा—32 आयत नं. 4 :— वह अल्लाह ही है जिसने आसमानों और जमीन को और उन सारी चीजों को जो इनके बीच है, छः दिन में पैदा किया और उसके बाद सिंहासन पर विराजमान हुआ। उसके सिवा न तुम्हारा कोई अपना है, न सहायक है और न कोई उसके आगे सिफारिश करने वाला है। फिर क्या तुम होश में न आओगे।
कादर अल्लाह यथार्थ ज्ञान बताता है। शैतान (काल’) गुप्त रहता है। गुप्त रूप से अज्ञान व ज्ञान का मिश्रण मानव को देता है जो अधूरा अध्यात्म ज्ञान है। समर्थ परमेश्वर संत व सतगुरू के रूप में प्रत्यक्ष प्रकट होकर यथार्थ संपूर्ण अध्यात्म ज्ञान अपने मुख से बोलकर बताता है। परंतु सर्व मानव ने एक बात की रट लगा रखी है कि प्रभु निराकार है जबकि सर्व धर्मों के पवित्र ग्रन्थों में प्रमाण है कि खुदा मानव जैसा साकार है।
संत गरीबदास जी को 10 वर्ष की उम्र में सन 1727 में फाल्गुन मास सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमेश्वर कबीर जी एक जिन्दा महात्मा के वेश में मिले। उन्हें अपने अविनाशी लोक सतलोक को दिखाया जहां सर्व सुख है। तब गरीबदास जी ने बताया कि सृष्टि का रचनहार कबीर परमेश्वर है।
10 वर्ष के बालक गरीबदास जी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहेब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए और गरीबदाज जी महाराज से मिले।
आदरणीय गरीबदास जी महाराज जी को 10 वर्ष की आयु में सन 1727 में परमात्मा कबीर साहेब जी मिले थे जिसके पश्चात उन्होंने गरीब दास जी महाराज जी को सतलोक दिखाया। इसका वर्णन "अमर ग्रंथ साहिब" में वर्णित है।
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है।
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है।
संत गरीबदास जी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है।
पूर्ण परमात्मा की तथा सतलोक की वास्तविक जानकारी को अपने मुख कमल से उच्चारण किया था, जिसका लेखन दादू पंथ से दीक्षित संत गोपालदास जी ने किया गया था। और सर्व मानव समाज को एक ऐसा अनमोल ग्रंथ दिया जिसे आज सद्ग्रन्थ साहिब के नाम से जाना जाता है।
पूर्ण परमात्मा की तथा सतलोक की वास्तविक जानकारी को अपने मुख कमल से उच्चारण किया था, जिसका लेखन दादू पंथ से दीक्षित संत गोपालदास जी ने किया गया था। और सर्व मानव समाज को एक ऐसा अनमोल ग्रंथ दिया जिसे आज सद्ग्रन्थ साहिब के नाम से जाना जाता है।
संत गरीबदास जी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है।
संत गरीबदास जी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है।