गरीब, पतिव्रता तिन जानिये, नाहीं आन उपाव। एके मन एके दिसा, छांडै भगति न भाव ।।
भावार्थ :- पतिव्रता उसे मानो जो अपने ईष्ट को छोड़कर किसी अन्य प्रभु की उपाव यानि उपासना ईष्ट रूप में न करे। उसका मन एक अपने ईष्ट की ओर रहे और भक्ति भाव न छोड़े।
गरीब, नाम निहचल निरमला, अनंत लोक में गाज। निरगुण सिरगुण क्या कहै, प्रगटा संतों काज।।
जो सारनाम है, वह पवित्र तथा अविनाशी है। उसकी सत्ता की धाक (गाज आवाज की शक्ति) असँख्यों लोकों में है। उस परमात्मा को कोई निर्गुण कहता है, कोई सर्गुण। वह तो भक्तों को यथार्थ भक्ति ज्ञान बताकर मोक्ष करने के लिए प्रकट हुआ था।
पूर्ण परमात्मा ने ईसाजी की मृत्यु के बाद ईसाजी का रुप धारण करके प्रकट होकर ईसाइयों के विश्वास को प्रभु भक्ति पर दृढ़ रखा नहीं तो ईसाजी के पूर्व चमत्कारों को देखते हुए ईसाजी का अंत देखकर कोई भी व्यक्ति भक्ति नहीं करता नास्तिक हो जाते।
ईशा जी परमेश्वर नहीं थे उनके द्वारा किए गए चमत्कार भी पूर्व निर्धारित थे।हजरत ईसा मसीह के चमत्कारों में लिखा है कि एक प्रेत आत्मा से पीड़ित व्यक्ति को ठीक कर दिया यह काल स्वयं ही किसी प्रेत तथा पीतर को प्रेरित करके किसी के शरीर में प्रवेश करवा देता है।
ईसाई धर्म में सबसे बड़ा मिथक है कि यीशु को भगवान के रूप में देखा जाता है। यीशु इस पृथ्वी पर काल ब्रह्म द्वारा भेजे गए कुछ अलौकिक शक्तियों से युक्त एक नबी थे। उन्हें विष्णु लोक से भेजा गया था।
3:22. फिर यहोवा प्रभु ने (उत्पति अध्याय 3/22 तथा 17/1 तथा 18/1 से 5 तथा 16 से 23 तथा 26-29-32-33 में) कहा मनुष्य भले-बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है।
छः दिन में पूरा कार्य करके परमेश्वर ऊपर तख्त पर जा विराजा अर्थात विश्राम किया। ईश्वर ने प्रथम आदम बनाया फिर उसकी पसली निकाल कर नारी (हव्वा) बनाई तथा दोनों को एक वाटिका में छोड़कर तख्त पर जा बैठे।
काल प्रभु ने आदम और हव्वा को जीवन के वृक्ष वाला फल खाने की सज़ा दी और कहा कि अब तुम्हें पेट भरने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ेगा और औरत को श्राप दिया कि तू हमेशा आदमी के पराधीन रहेगी।