Tumgik
#आरडीबर्मनजन्मदिन
chaitanyabharatnews · 3 years
Text
पुण्यतिथि विशेष: चुटकी में सुपरहिट गाने की धुन बनाने वाले पंचम दा अपने अंतिम समय में रह गए थे अकेले
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज अपनी मदमस्त धुनों पर लोगों को इतने सालों बाद भी थिरकने पर मजबूर कर देने वाले बॉलीवुड के महान संगीतकार राहुल देव बर्मन यानी 'पंचम दा' की आज पुण्यतिथि है। आरडी बर्मन साहब गायक के साथ साथ संगीत निर्देशक और निर्माता भी थे। आइए जानते हैं उनके बारे में खास बातें- ऐसे पड़ा नाम 'पंचम दा' पंचम दा का जन्म 27 जून 1939 को कोलकाता (Kolkata) में हुआ था। आरडी बर्मन मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन के इकलौते संतान थे। जब आर डी बर्मन का जन्म हुआ था तो उस दौर के बड़े बॉलीवुड अभिनेता अशोक कुमार अपने दोस्त सचिन देव बर्मन को बधाई देने उनके घर पहुंचे। तब सचिन ने अपने बच्चे का नाम 'तबलू' रखा था। जब अशोक कुमार वहां मौजूद थे तो आरडी बर्मन को रोता देख उन्होंने मजाक में कहा, 'अरे, यह बच्चा तो रोता भी पांचवे सुर में है।' बस तभी से आरडी बर्मन हो गए 'पंचम'। आज भी पूरी फिल्म इंडस्ट्री उन्हें पंचम दा नाम से पुकारती है।
Tumblr media
9 साल की उम्र में दिया पहला संगीत महज 9 साल की उम्र में पंचम दा ने अपना पहला संगीत “ऐ मेरी टोपी पलट के” को दिया, जिसे फिल्म 'फ़ंटूश' में उनके पिता ने इस्तेमाल किया। आर डी बर्मन को फिल्मों में पहला ब्रेक महमूद की फिल्म 'छोटे नवाब' में। पंचम दा ने महमूद की फिल्म 'भूत बंगला' में एक्टिंग भी की थी। आर डी बर्मन को मिर्ची खाने का शौक था और वह अपने नर्सरी गार्डन में अलग-अलग तरह की मिर्ची उगाते थे। इन फिल्मों में दिया संगीत 1972 में ‘सीता और गीता', ‘रामपुर का लक्ष्मण’, ‘बोम्बे टू गोवा’, ‘अपना देश’, ‘परिचय’ जैसी फिल्मों में हिट संगीत दिया। इसके बाद 1973 में ‘यादों की बारात’, 1974 में ‘आप की कसम’, 1975 में ‘शोले’ और ‘आंधी’, 1978 में ‘कसमें वादे’, 1978 में ‘घर’, 1979 में ‘गोलमाल’, 1980 में ‘खूबसूरत’, 1981 में ‘सनम तेरी कसम’ जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला, ‘रॉकी’, ‘मासूम’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘लव स्टोरी’ जैसी फिल्मों में भी पंचम दा ने अपने संगीत का जलवा बिखेरा। पंचम दा संगीत को लेकर इतने डूबे हुए होते थे कि उन्होंने अपने गानों में म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट के अलावा भी कई सामान्य चीजों का इस्तेमाल कर धुनें तैयार की हैं। उन्हें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में माउथ ऑर्गन इस्तेमाल करने का क्रेडिट दिया जाता है।
Tumblr media
आशा भोसले से की दूसरी शादी पंचम की शादी रीता पटेल से 1966 में हुई थी। रीता और पंचम की मुलाकात दार्जिलिंग में हुई थी। बताते हैं कि रीता ने अपनी सहेलियों से यह शर्त लगाई थी कि वह पंचम के साथ फिल्म देखने जाएंगी। रीता इसमें सफल हो गईं और दोनों के दिल मिल गए। हालांकि इनकी शादी ज्यादा लंबे समय तक नहीं चल पाई 1971 में दोनों का तलाक हो गया। बाद में साथ काम करते हुए सिंगर आशा भोसले के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ गईं और 1980 में दोनों ने शादी कर ली। अंतिम समय में हो गई थी पैसे की तंगी 80 के दशक के अंत में एक ऐसा दौर आया जबकि फिल्मकारों ने नए म्यूजिक डायरेक्टरों के आने के बाद पंचम से दूरी बनानी शुरू कर दी। इसी बीच उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह अपने अंतिम समय में अस्पताल पहुंच गए। हालांकि अस्पताल में होने के बाद भी पंचम का म्यूजिक से नाता नहीं टूटा और वह वहीं से गानों की धुनें बनाते रहते थे। पंचम की आखिरी फिल्म '1942 अ लव स्टोरी' उनके देहांत के बाद रिलीज हुई थी लेकिन इस फिल्म के बेहतरीन म्यूजिक के लिए उन्हें मरणोपरांत फिल्मफेयर के बेस्ट म्यूजिशन का अवॉर्ड मिला था। जिंदगी के अंतिम दिनों में पंचम दा को पैसे की तंगी हो गई थी। 4 जनवरी 1994 को उनकी मृत्यु हो गई थी।
Tumblr media
Read the full article
0 notes
chaitanyabharatnews · 4 years
Text
जयंती विशेष: चुटकी में सुपरहिट गाने की धुन बनाने वाले पंचम दा अपने अंतिम समय में रह गए थे अकेले
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज अपनी मदमस्त धुनों पर लोगों को इतने सालों बाद भी थिरकने पर मजबूर कर देने वाले बॉलीवुड के महान संगीतकार राहुल देव बर्मन यानी 'पंचम दा' की आज जयंती है। आरडी बर्मन का जन्म 27 जून 1939 को कोलकाता (Kolkata) में हुआ था। बर्मन साहब गायक के साथ साथ संगीत निर्देशक और निर्माता भी थे। आइए जानते हैं उनके बारे में खास बातें- ऐसे पड़ा नाम 'पंचम दा' आरडी बर्मन मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन के इकलौते संतान थे। जब आर डी बर्मन का जन्म हुआ था तो उस दौर के बड़े बॉलीवुड अभिनेता अशोक कुमार अपने दोस्त सचिन देव बर्मन को बधाई देने उनके घर पहुंचे। तब सचिन ने अपने बच्चे का नाम 'तबलू' रखा था। जब अशोक कुमार वहां मौजूद थे तो आरडी बर्मन को रोता देख उन्होंने मजाक में कहा, 'अरे, यह बच्चा तो रोता भी पांचवे सुर में है।' बस तभी से आरडी बर्मन हो गए 'पंचम'। आज भी पूरी फिल्म इंडस्ट्री उन्हें पंचम दा नाम से पुकारती है।
Tumblr media
9 साल की उम्र में दिया पहला संगीत महज 9 साल की उम्र में पंचम दा ने अपना पहला संगीत “ऐ मेरी टोपी पलट के” को दिया, जिसे फिल्म 'फ़ंटूश' में उनके पिता ने इस्तेमाल किया। आर डी बर्मन को फिल्मों में पहला ब्रेक महमूद की फिल्म 'छोटे नवाब' में। पंचम दा ने महमूद की फिल्म 'भूत बंगला' में एक्टिंग भी की थी। आर डी बर्मन को मिर्ची खाने का शौक था और वह अपने नर्सरी गार्डन में अलग-अलग तरह की मिर्ची उगाते थे। इन फिल्मों में दिया संगीत 1972 में ‘सीता और गीता', ‘रामपुर का लक्ष्मण’, ‘बोम्बे टू गोवा’, ‘अपना देश’, ‘परिचय’ जैसी फिल्मों में हिट संगीत दिया। इसके बाद 1973 में ‘यादों की बारात’, 1974 में ‘आप की कसम’, 1975 में ‘शोले’ और ‘आंधी’, 1978 में ‘कसमें वादे’, 1978 में ‘घर’, 1979 में ‘गोलमाल’, 1980 में ‘खूबसूरत’, 1981 में ‘सनम तेरी कसम’ जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला, ‘रॉकी’, ‘मासूम’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘लव स्टोरी’ जैसी फिल्मों में भी पंचम दा ने अपने संगीत का जलवा बिखेरा। पंचम दा संगीत को लेकर इतने डूबे हुए होते थे कि उन्होंने अपने गानों में म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट के अलावा भी कई सामान्य चीजों का इस्तेमाल कर धुनें तैयार की हैं। उन्हें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में माउथ ऑर्गन इस्तेमाल करने का क्रेडिट दिया जाता है।
Tumblr media
आशा भोसले से की दूसरी शादी पंचम की शादी रीता पटेल से 1966 में हुई थी। रीता और पंचम की मुलाकात दार्जिलिंग में हुई थी। बताते हैं कि रीता ने अपनी सहेलियों से यह शर्त लगाई थी कि वह पंचम के साथ फिल्म देखने जाएंगी। रीता इसमें सफल हो गईं और दोनों के दिल मिल गए। हालांकि इनकी शादी ज्यादा लंबे समय तक नहीं चल पाई 1971 में दोनों का तलाक हो गया। बाद में साथ काम करते हुए सिंगर आशा भोसले के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ गईं और 1980 में दोनों ने शादी कर ली। अंतिम समय में हो गई थी पैसे की तंगी 80 के दशक के अंत में एक ऐसा दौर आया जबकि फिल्मकारों ने नए म्यूजिक डायरेक्टरों के आने के बाद पंचम से दूरी बनानी शुरू कर दी। इसी बीच उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह अपने अंतिम समय में अस्पताल पहुंच गए। हालांकि अस्पताल में होने के बाद भी पंचम का म्यूजिक से नाता नहीं टूटा और वह वहीं से गानों की धुनें बनाते रहते थे। पंचम की आखिरी फिल्म '1942 अ लव स्टोरी' उनके देहांत के बाद रिलीज हुई थी लेकिन इस फिल्म के बेहतरीन म्यूजिक के लिए उन्हें मरणोपरांत फिल्मफेयर के बेस्ट म्यूजिशन का अवॉर्ड मिला था। जिंदगी के अंतिम दिनों में पंचम दा को पैसे की तंगी हो गई थी। 4 जनवरी 1994 को उनकी मृत्यु हो गई थी।
Tumblr media
Read the full article
0 notes