UPSRTC: घर बैठे बुक कर सकते हैं रोडवेज बस का टिकट, जानिए तरीका तो मिल सकती है मनपसंद सीट । patrikahindi.com
यूपीएसआरटीसी रोडवेज बस बुक करें: आपको किसी न किसी काम से कभी न कभी यात्रा करनी पड़ेगी। कभी ऑफिस के काम से, कभी किसी रिश्तेदार के यहां, कभी घूमने आदि के लिए। ऐसे में लोग अलग-अलग वाहनों से सफर करना पसंद करते हैं। कोई हवाई जहाज से, कोई ट्रेन से, कोई अपनी कार आदि से यात्रा करता है, लेकिन कभी-कभी लोगों को बस से भी यात्रा करनी पड़ती है। ऐसे में अगर आपको कभी बस से सफर करना पड़े तो आप घर बैठे ही ऑनलाइन…
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अधिकतम मूल्य वाला गेमिंग टेलीफोन खरीदने का सही तरीका: 5 बातों का ध्यान रखें
अधिकतम मूल्य वाला गेमिंग टेलीफोन खरीदने का सही तरीका: 5 बातों का ध्यान रखें
सबसे अच्छी कीमत वाला गेमिंग फोन कैसे खरीदें: अगर आप गेमिंग फोन या सिर्फ खरीदना चाह रहे हैं। एक बात याद रखें, जब वीडियो गेम की बात आती है तो एक फोन उचित से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। आप विभिन्न विकल्पों के साथ कई गेमिंग फोन उपलब्ध देख सकते हैं। Apple के iPhone आमतौर पर गेमिंग कार्यों के लिए नहीं होते हैं। इन iPhones में अत्यधिक संपर्क प्रतिक्रिया, खराब शीतलन प्रणाली और कम ताज़ा दर नहीं है। यहां…
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Issue of Kashmir: तुर्की ने उठाया कश्मीर का मुद्दा, भारत ने दबाई तुर्की की दर्दनाक नस और बंद कर दी बात
Issue of Kashmir: तुर्की ने उठाया कश्मीर का मुद्दा, भारत ने दबाई तुर्की की दर्दनाक नस और बंद कर दी बात
Issue of Kashmir: तुर्की के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाया। फिर क्या हुआ, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया और तुर्की के बारे में बात करना बंद कर दिया।
Issue of Kashmir: तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाया, जिसके बाद भारत ने भी तुर्की की कमजोर नस दबा दी,…
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सीरम चेहरे के लिए क्यों उपयोगी है? जानिए घर पर फेस सीरम बनाने का तरीका - पंजाब न्यूज़ लेटेस्ट पंजाबी न्यूज़ अपडेट आज
सीरम चेहरे के लिए क्यों उपयोगी है? जानिए घर पर फेस सीरम बनाने का तरीका – पंजाब न्यूज़ लेटेस्ट पंजाबी न्यूज़ अपडेट आज
चमकता चेहरा: अगर आप त्वचा को हाइड्रेट रखना चाहते हैं और त्वचा को लंबे समय तक जवां बनाए रखना चाहते हैं, तो आपको अपने चेहरे पर सीरम जरूर लगाना चाहिए। रोजाना सीरम लगाने से त्वचा में नमी बनी रहती है और त्वचा डिहाइड्रेशन से भी बचती है। बाजार में आपको तरह-तरह के सीरम आसानी से मिल जाएंगे।
विटामिन ई और विटामिन सीरम के लाभ
विटामिन ई और सी सीरम बनाने के लिए सामग्री
सीरम बनाने के लिए आपको विटामिन सी के 2…
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ओलंपिक तैराक रयान मर्फी एक्जिमा के साथ रहने के बारे में खुलते हैं
ओलंपिक तैराक रयान मर्फी एक्जिमा के साथ रहने के बारे में खुलते हैं
Pinterest पर साझा करेंओलंपिक तैराक रयान मर्फी (ऊपर चित्रित) को कम उम्र में एटोपिक डार्माटाइटिस (एडी) का निदान किया गया था। GettyImages के माध्यम से केना बेतनकुर / एएफपी
ओलंपिक तैराक रयान मर्फी और पेशेवर सर्फर कोको हो एटोपिक डार्माटाइटिस (एडी) के साथ रहने के बारे में बात कर रहे हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में AD 9.6 मिलियन से अधिक बच्चों और लगभग 16.5 मिलियन वयस्कों को प्रभावित करता है।
जबकि एडी का…
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अपने फ़ोन को अपना कंप्यूटर बनाने के शीर्ष 5 तरीके
अपने फ़ोन को अपना कंप्यूटर बनाने के शीर्ष 5 तरीके
जब आप लगभग हर चीज के लिए अपने फोन का उपयोग कर सकते हैं तो भारी लैपटॉप ले जाने से क्यों परेशान हैं?
छवि: A_B_C/एडोब स्टॉक
बहुत समय पहले, कंप्यूटर शारीरिक रूप से विशाल थे। प्रौद्योगिकी में विशाल छलांग के लिए धन्यवाद, वे दिन पर दिन छोटे होते जा रहे हैं। लैपटॉप महान हैं, लेकिन क्या होगा यदि आप अपने फोन का उपयोग हर चीज के लिए कर सकते हैं? अपने फोन को अपने कंप्यूटर में बदलने के पांच शीर्ष तरीके यहां…
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बिन ही मुख सारंग राग सुन, बिन ही तंती तार। बिना सुर अलगोजे बजैं, नगर नांच घुमार।।
घण्टा बाजै ताल नग, मंजीरे डफ झांझ। मूरली मधुर सुहावनी, निसबासर और सांझ।।
बीन बिहंगम बाजहिं, तरक तम्बूरे तीर। राग खण्ड नहीं होत है, बंध्या रहत समीर।।
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100+ तीन अक्षर वाले शब्द
Three Letter Words: मित्रों, आज हम आपके लिऐ तीन अक्षर वाले शब्द पर एक लेख लिखा है। सभी छोटी कक्षाओं में पडह ने वाले बच्चों को यह शब्द सिखाया जाता है। सभी बच्चों को इन शब्दों को सिखना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इन शब्दों की सहायता से ही बच्चे वाक्य बनाना सिख सकते हैं।
हमने इस लेख में 100 से अधिक Teen Akshar Wale Shabd Hindi Mein लिखे हैं, इन शब्दों को ध्यान से सीख सकें।
अन्य मात्रा वाले शब्द
तीन मात्रा वाले शब्द
कहर
गठन
खनन
पतन
लहर
शपत
तरक
लखन
रहम
पकड़
कहर
गदर
नगर
नकद
दशक
पहल
महक
समर
चरण
महल
गरज
छलक
जहर
बटन
कटक
गरम
मखन
कमर
वज��
परक
तखत
पकड़
भरत
नमन
ठहर
दमक
गमन
इधर
शहर
कमल
शहद
उधर
यमन
गगन
समय
बदन
बहन
दीपक
चलन
तलब
सबक
लखन
अलग
तमक
नजर
भगत
परम
भरण
सड़क
वचन
नयन
रमन
हवन
कलर
अरब
खरब
झलक
भवन
लचक
करण
पवन
सफर
भजन
कड़क
रमक
चमक
सनम
ऋषभ
मटर
कसम
लपक
कमल
नमक
भगत
कटक
शरद
इधर
शहर
कमल
शहद
बहस
दमन
मगर
बटन
चरण
कहर
कलश
जगह
अजय
असर
अगर
पठन
कदर
अक्षर
अकड़
हरम
पलट
उलट
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अनादि काल से ही मानव परम शांति, सुख व अमृत्व की खोज में लगा हुआ है। वह अपने सामथ्र्य के अनुसार प्रयत्न करता आ रहा है लेकिन उसकी यह चाहत कभी पूर्ण नहीं हो पा रही है। ऐसा इसलिए है कि उसे इस चाहत को प्राप्त करने के मार्ग का पूर्ण ज्ञान नहीं है। सभी प्राणी चाहते हैं कि कोई कार्य न करना पड़े, खाने को स्वादिष्ट भोजन मिले, पहनने को सुन्दर वस्त्रा मिलें, रहने को आलीशान भवन हों, घूमने के लिए सुन्दर पार्क हों, मनोरंजन करने के लिए मधुर-2 संगीत हों, नांचे-गांए, खेलें-कूदें, मौज-मस्ती मनांए और कभी बीमार न हों, कभी बूढ़े न हों और कभी मृत्यु न होवे आदि-2, परंतु जिस संसार में हम रह रहे हैं यहां न तो ऐसा कहीं पर नजर आता है और न ही ऐसा संभव है। क्योंकि यह लोक नाशवान है, इस लोक की हर वस्तु भी नाशवान है और इस लोक का राजा ब्रह्म काल है जो एक लाख मानव सूक्ष्म शरीर खाता है। उसने सब प्राणियों को कर्म-भर्म व पाप-पुण्य रूपी जाल में उलझा कर तीन लोक के पिंजरे में कैद किए हुए है। कबीर साहेब कहते हैं कि:--
कबीर, तीन लोक पिंजरा भया, पाप पुण्य दो जाल। सभी जीव भोजन भये, एक खाने वाला काल।।
गरीब, एक पापी एक पुन्यी आया, एक है सूम दलेल रे।
बिना भजन कोई काम नहीं आवै, सब है जम की जेल रे।।
वह नहीं चाहता कि कोई प्राणी इस पिंजरे रूपी कैद से बाहर निकल जाए। वह यह भी नहीं चाहता कि जीव आत्मा को अपने निज घर सतलोक का पता चले। इसलिए वह अपनी त्रिगुणी माया से हर जीव को भ्रमित किए हुए है। फिर मानव को ये उपरोक्त चाहत कहां से उत्पन्न हुई है ? यहां ऐसा कुछ भी नहीं है। यहां हम सबने मरना है, सब दुःखी व अशांत हैं। जिस स्थिति को हम यहां प्राप्त करना चाहते हैं ऐसी स्थिति में हम अपने निज घर सतलोक में रहते थे। काल ब्रह्म के लोक में स्व इच्छा से आकर फंस गए और अपने निज घर का रास्ता भूल गए। कबीर साहेब कहते हैं कि --
इच्छा रूपी खेलन आया, तातैं सुख सागर नहीं पाया।
इस काल ब्रह्म के लोक में शांति व सुख का नामोनिशान भी नहीं है। त्रिगुणी माया से उत्पन्न काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, राग-द्वेष, हर्ष-शोक, लाभ-हानि, मान-बड़ाई रूपी अवगुण हर जीव को परेशान किए हुए हैं। यहां एक जीव दूसरे जीव को मार कर खा जाता है, शोषण करता है, ईज्जत लूट लेता है, धन लूट लेता है, शांति छीन लेता है। यहां पर चारों तरफ आग लगी है। यदि आप शांति से रहना चाहोगे तो दूसरे आपको नहीं रहने देंगे। आपके न चाहते हुए भी चोर चोरी कर ले जाता है, डाकू डाका डाल ले जाता है, दुर्घटना घट जाती है, किसान की फसल खराब हो जाती है, व्यापारी का व्यापार ठप्प हो जाता है, राजा का राज छीन लिया जाता है, स्वस्थ शरीर में बीमारी लग जाती है अर्थात् यहां पर कोई भी वस्तु सुरक्षित नहीं। राजाओं के राज, ईज्जतदार की ईज्जत, धनवान का धन, ताकतवर की ताकत और यहां तक की हम सभी के शरीर भी अचानक छीन लिए जाते हैं। माता-पिता के सामने जवान बेटा-बेटी मर जाते हैं, दूध पीते बच्चों को रोते-बिलखते छोड़ कर मात-पिता मर जाते हैं, जवान बहनें विधवा हो जाती हैं और पहाड़ से दुःखों को भोगने को मजबूर होते हैं। विचार करें कि क्या यह स्थान रहने के लायक है ? लेकिन हम मजबूरी वश यहां रह रहे हैं क्योंकि इस काल के पिंजरे से बाहर निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आता और हमें दूसरों को दुःखी करने की व दुःख सहने की आदत सी बन गई। यदि आप जी को इस लोक में होने वाले दुःखों से बचाव करना है तो यहां के प्रभु काल से परम शक्ति युक्त परमेश्वर (परम अक्षर ब्रह्म) की शरण लेनी पड़ेगी। जिस परमेश्वर का खौफ काल प्रभु को भी है। जिस के डर से यह उपरोक्त कष्ट उस जीव को नहीं दे सकता जो पूर्ण परमात्मा अर्थात् परम अक्षर ब्रह्म 1⁄4सत्य पुरूष1⁄2 की शरण पूर्ण सन्त के बताए मार्ग से ग्रहण करता है। वह जब तक संसार में भक्ति करता रहेगा, उसको उपरोक्त कष्ट आजीवन नहीं होते। जो व्यक्ति इस पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा’’ को पढ़ेगा उसको ज्ञान हो जाएगा कि हम अपने निज घर को भूल गए हैं। वह परम शांति व सुख यहां न होकर निज घर सतलोक में है जहां पर न जन्म है, न मृत्यु है, न बुढ़ापा, न दुःख, न कोई लड़ाई-झगड़ा है, न कोई बिमारी है, न पैसे का कोई लेन-देन है, न मनोरंजन के साधन खरीदना है। वहां पर सब परमात्मा द्वारा निःशुल्क व अखण्ड है। बन्दी छोड़ गरीबदास जी महाराज की वाणी में प्रमाण है कि:--
बिन ही मुख सारंग राग सुन, बिन ही तंती तार। बिना सुर अलगोजे बजैं, नगर नांच घुमार।।
घण्टा बाजै ताल नग, मंजीरे डफ झांझ। मूरली मधुर सुहावनी, निसबासर और सांझ।।
बीन बिहंगम बाजहिं, तरक तम्बूरे तीर। राग खण्ड नहीं होत है, बंध्या रहत समीर।।
तरक नहीं तोरा नहीं, नांही कशीस कबाब। अमृत प्याले मध पीवैं, ज्यों भाटी चवैं शराब।।
मतवाले मस्तानपुर, गली-2 गुलजार। संख शराबी फिरत हैं, चलो तास बजार।।
संख-संख पत्नी नाचैं, गावैं शब्द सुभान। चंद्र बदन सूरजमुखी, नांही मान गुमान।।
संख हिंडोले नूर नग, झूलैं संत हजूर। तख्त धनी के पास कर, ऐसा मुलक जहूर।।
नदी नाव नाले बगैं, छूटैं फुहारे सुन्न। भरे होद सरवर सदा, नहीं पाप नहीं पुण्य।।
ना कोई भिक्षुक दान दे, ना कोई हार व्यवहार। ना कोई जन्मे मरे, ऐसा देश हमार।।
जहां संखों लहर मेहर की उपजैं, कहर जहां नहीं कोई। दासगरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।।
सतलोक में केवल एक रस परम शांति व सुख है। जब तक हम सतलोक में नहीं जाएंगे तब तक हम परमशांति, सुख व अमृत्व को प्राप्त नहीं कर सकते। सतलोक में जाना तभी संभव है जब हम पूर्ण संत से उपदेश लेकर पूर्ण परमात्मा की आजीवन भक्ति करते रहें। इस पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा’’ के माध्यम से जो हम संदेश देना चाहते हैं उसमें किसी देवी-देवता व धर्म की बुराई न करके सर्व पवित्रा धर्म ग्रंथों में छुपे गूढ रहस्य को उजागर करके यथार्थ भक्ति मार्ग बताना चाहा है जो कि वर्तमान के सर्व संत, महंत व आचार्य गुरु साहेबान शास्त्रों में छिपे गूढ रहस्य को समझ नहीं पाए। परम पूज्य कबीर साहेब अपनी वाणी में कहते हैं कि - ‘वेद कतेब झूठे ना भाई, झूठे हैं सो समझे नांही।
जिस कारण भक्त समाज को अपार हानि हो रही है। सब अपने अनुमान से व झूठे गुरुओं द्वारा बताई गई शास्त्रा विरूद्ध साधना करते हैं। जिससे न मानसिक शांति मिलती है और न ही शारीरिक सुख, न ही घर व कारोबार में लाभ होता है और न ही परमेश्वर का साक्षात्कार होता है और न ही मोक्ष प्राप्ति होती है। यह सब सुख कैसे मिले तथा यह जानने के लिए कि मैं कौन हूं, कहां से आया हूं, क्यों जन्म लेता हूं, क्यों मरता हूं और क्यों दुःख भोगता हूं ? आखिर यह सब कौन करवा रहा है और परमेश्वर कौन है, कैसा है, कहां है तथा कैसे मिलेगा और ब्रह्मा, विष्णु और शिव के माता-पिता कौन हैं और किस प्रकार से काल ब्रह्म की जेल से छुटकारा पाकर अपने निज घर (सतलोक) में वापिस जा सकते हैं। यह सब इस पुस्तक के माध्यम से दर्शाया गया है ताकि इसे पढ़कर आम भक्तात्मा का कल्याण संभव हो सके। यह पुस्तक सतगुरु रामपाल जी महाराज के प्रवचनों का संग्रह है जो कि सद्ग्रन्थों में लिखे तथ्यों पर आधारित है। हमें पूर्ण विश्वास है कि जो पाठकजन रूची व निष्पक्ष भाव से पढ़ कर अनुसरण करेगा। उसका कल्याण संभव है:-
”आत्म प्राण उद्धार ही, ऐसा धर्म नहीं और। कोटि अश्वमेघ यज्ञ, सकल समाना भौर।।“
जीव उद्धार परम पुण्य, ऐसा कर्म नहीं और। मरूस्थल के मृग ज्यों, सब मर गये दौर-दौर।।
भावार्थ:-- यदि एक आत्मा को सतभक्ति मार्ग पर लगाकर उसका आत्म कल्याण करवा दिया जाए तो करोड़ अवश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है और उसके बराबर कोई भी धर्म नहीं है। जीवात्मा के उद्धार के लिए किए गए कार्य अर्थात् सेवा से श्रेष्ठ कोई भी कार्य नहीं है। अपने पेट भरने के लिए तो पशु-पक्षी भी सारा दिन भ्रमते हैं। उसी तरह वह व्यक्ति है, जो परमार्थी कार्य नहीं करता, परमार्थी कर्म सर्वश्रेष्ठ सेवा जीव कल्याण के लिए किया कर्म है। जीव कल्याण का कार्य न करके सर्व मानव मरूस्थल के हिरण की तरह दौड़-2 कर मर जाते हैं। जिसे कुछ दूरी पर जल ही जल दिखाई देता है और वहां दौड़ कर जाने पर थल ही प्राप्त होता है। फिर कुछ दूरी पर थल का जल दिखाई देता है अन्त में उस हिरण की प्यास से ही मृत्यु हो जाती है। ठीक इसी प्रकार जो प्राणी इस काल लोक में जहां हम रह रहे है। वे उस हिरण के समान सुख की आशा करते हैं जैसे निःसन्तान सोचता है सन्तान होने पर सुखी हो जाऊँगा। सन्तान वालों से पूछें तो उनकी अनेकों समस्याऐं सुनने को मिलेंगी। निर्धन व्यक्ति सोचता है कि धन हो जाए तो में सुखी हो जाऊं। जब धनवानों की कुशल जानने के लिए प्रश्न करोगे तो ढेर सारी परेशानियाँ सुनने को मिलेंगी। कोई राज्य प्राप्ति से सुख मानता है, यह उसकी महाभूल है। राजा (मन्त्राी, मुख्यमन्त्राी, प्रधानमन्त्राी, राष्टंपति) को स्वपन में भी सुख नहीं होता। जैसे चार-पांच सदस्यों के परिवार का मुखिया अपने परिवार के प्रबन्ध में कितना परेशान रहता है। राजा तो एक क्षेत्र का मुखिया होता है। उसके प्रबन्ध में सुख स्वपन में भी नहीं होता। राजा लोग शराब पीकर कुछ गम भुलाते हैं। माया इकट्ठा करने के लिए जनता से कर लेते हैं फिर अगले जन्मों में जो राजा सत्यभक्ति नहीं करते, पशु योनियों को प्राप्त होकर प्रत्येक व्यक्ति से वसूले कर को उनके पशु बनकर लौटाते हैं। जो व्यक्ति मनमुखी होकर तथा झूठे गुरुओं से दिक्षित होकर भक्ति तथा धर्म करते हैं। वे सोचते हैं कि भविष्य में सुख होगा लेकिन इसके विपरित दुःख ही प्राप्त होता है। कबीर साहेब कहते हैं कि मेरा यह ज्ञान ऐसा है कि यदि ज्ञानी पुरुष होगा तो इसे सुनकर हृदय में बसा लेगा और यदि मूर्ख होगा तो उसकी समझ से बाहर है।
“कबीर, ज्ञानी हो तो हृदय लगाई, मूर्ख हो तो गम ना पाई“
अधिक जानकारी के लिए कृप्या प्रवेश करें इस पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा’’ में। इस पुस्तक को पढ़कर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ट अधिवक्ता श्री सुरेश चन्द्र ने कहा ‘‘इस पुस्तक का नाम तो ‘‘ज्ञान सागर’’ होना चाहिए।।
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बिन ही मुख सारंग राग सुन, बिन ही तंती तार। बिना सुर अलगोजे बजैं, नगर नांच घुमार।।
घण्टा बाजै ताल नग, मंजीरे डफ झांझ। मूरली मधुर सुहावनी, निसबासर और सांझ।।
बीन बिहंगम बाजहिं, तरक तम्बूरे तीर। राग खण्ड नहीं होत है, बंध्या रहत समीर।।
तरक नहीं तोरा नहीं, नांही कशीस कबाब। अमृत प्याले मध पीवैं, ज्यों भाटी चवैं शराब।।
मतवाले मस्तानपुर, गली-2 गुलजार। संख शराबी फिरत हैं, चलो तास बजार।।
संख-संख पत्नी नाचैं, गावैं शब्द सुभान। चंद्र बदन सूरजमुखी, नांही मान गुमान।।
संख हिंडोले नूर नग, झूलैं संत हजूर। तख्त धनी के पास कर, ऐसा मुलक जहूर।।
नदी नाव नाले बगैं, छूटैं फुहारे सुन्न। भरे होद सरवर सदा, नहीं पाप नहीं पुण्य।।
ना कोई भिक्षुक दान दे, ना कोई हार व्यवहार। ना कोई जन्मे मरे, ऐसा देश हमार।।
जहां संखों लहर मेहर की उपजैं, कहर जहां नहीं कोई।
दासगरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।।
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#Satlok_Vs_Earth
सतलोक VS पृथ्वी लोक d सतलोक में अन्तर-
सतलोक में दूध की नदियां बहती है ।
जबकि पृथ्वी पर चारों तरक गंदगी के ढेर लगें है।
Sant Rampal Ji Maharaj
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स्वस्थ तरीके से वजन कम करना है तो रुजुता दिवेकर के इन पांच नियमों को ध्यान में रखें - पंजाब न्यूज़ लेटेस्ट पंजाबी न्यूज़ अपडेट टुडे
स्वस्थ तरीके से वजन कम करना है तो रुजुता दिवेकर के इन पांच नियमों को ध्यान में रखें – पंजाब न्यूज़ लेटेस्ट पंजाबी न्यूज़ अपडेट टुडे
अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो हमेशा अपनी भूख के अनुसार ही खाएं। कुछ लोगों की आदत होती है कि जब वे भूखे नहीं होते तब भी खाना शुरू कर देते हैं या जब वे अपना पसंदीदा खाना देखते हैं तो वे ज्यादा खा लेते हैं।
वजन घटाना आजकल किसी बड़े काम से कम नहीं है। बहुत से लोग अपना वजन कम करने लगते हैं, लेकिन अपनी यात्रा बीच में ही छोड़ देते हैं। लेकिन वजन घटाने के लिए कंसिस्टेंसी बहुत जरूरी है। कभी-कभी कुछ…
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Lyrics of Rani Padmini Gora Badal Poem by Narendra Mishr
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी
जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी
रावल रत्न सिंह को छल से कैद किया खिलजी ने
काल गई मित्रों से मिलकर दाग किया खिलजी ने
खिलजी का चित्तोड़ दुर्ग में एक संदेशा आया
जिसको सुनकर शक्ति शौर्य पर फिर अँधियारा छाया
दस दिन के भीतर न पद्मिनी का डोला यदि आया
यदि ना रूप की रानी को तुमने दिल्ली पहुँचाया
तो फिर राणा रत्न सिंह का शीश कटा पाओगे
शाही शर्त ना मानी तो पीछे पछताओगे
दारुन संवाद लहर सा दौड़ गया रण भर में
यह बिजली की तरक छितर से फैल गया अम्बर में
महारानी हिल गयीं शक्ति का सिंघासन डोला था
था सतीत्व मजबूर जुल्म विजयी स्वर में बोला था
रुष्ट हुए बैठे थे सेनापति गोरा रणधीर
जिनसे रण में भय कहती थी खिलजी की शमशीर
अन्य अनेको मेवाड़ी योद्धा रण छोड़ गए थे
रत्न सिंह के संध नींद से नाता तोड़ गए थे
पर रानी ने प्रथम वीर गोरा को खोज निकाला
वन वन भटक रहा था मन में तिरस्कार की ज्वाला
गोरा से पद्मिनी ने खिलजी का पैगाम सुनाया
मगर वीरता का अपमानित ज्वार नही मिट पाया
बोला मैं तो बहुत तुच्छ हू राजनीती क्या जानू
निर्वासित हूँ राज मुकुट की हठ कैसे पहचानू
बोली पद्मिनी समय नही है वीर क्रोध करने का
अगर धरा की आन मिट गयी घाव नही भरने का
दिल्ली गयी पद्मिनी तो पीछे पछताओगे
जीतेजी राजपूती कुल को दाग लगा जाओगे
राणा ने को कहा किया वो माफ़ करो सेनानी
यह कह कर गोरा के क़दमों पर झुकी पद्मिनी रानी
यह क्या करती हो गोरा पीछे हट बोला
और राजपूती गरिमा का फिर धधक उठा था शोला
महारानी हो तुम सिसोदिया कुल की जगदम्बा हो
प्राण प्रतिष्ठा एक लिंग की ज्योति अग्निगंधा हो
जब तक गोरा के कंधे पर दुर्जय शीश रहेगा
महाकाल से भी राणा का मस्तक नहीँ कटेगा
तुम निश्चिन्त रहो महलो में देखो समर भवानी
और खिलजी देखेगा केसरिया तलवारो का पानी
राणा के शकुशल आने तक गोरा नहीँ मरेगा
एक पहर तक सर काटने पर धड़ युद्ध करेगा
एक लिंग की शपथ महाराणा वापस आएंगे
महा प्रलय के घोर प्रबन्जन भी न रोक पाएंगे
शब्द शब्द मेवाड़ी सेनापति का था तूफानी
शंकर के डमरू में जैसे जाएगी वीर भवानी
जिसके कारण मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी
खिलजी मचला था पानी में आग लगा देने को
पर पानी प्यास बैठा था ज्वाला पी लेने को
गोरा का आदेश हुआ सज गए सात सौ डोले
और बाँकुरे बदल से गोरा सेनापति बोले
खबर भेज दो खिलजी पर पद्मिनी स्वयं आती है
अन्य सात सौ सखियाँ भी वो साथ लिए आती है
स्वयं पद्मिनी ने बादल का कुमकुम तिलक किया था
दिल पर पत्थर रख कर भीगी आँखों से विदा किया था
और सात सौ सैनिक जो यम से भी भीड़ सकते थे
हर सैनिक सेनापति था लाखो से लड़ सकते थे
एक एक कर बैठ गए सज गयी डोलियां पल में
मर मिटने की होड़ लग गयी थी मेवाड़ी दल में
हर डोली में एक वीर था चार उठाने वाले
पांचो ही शंकर के गण की तरह समर मतवाले
बज कूच शंख सैनिकों ने जयकार लगाई
हर हर महादेव की ध्वनि से दशो दिशा लहराई
गोरा बादल के अंतस में जगी जोत की रेखा
मातृ भूमि चित्तोड़ दुर्ग को फिर जी भरकर देखा
कर प्रणाम चढ़े घोड़ो पर सुभग अभिमानी
देश भक्ति की निकल पड़े लिखने वो अमर कहानी
जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी
जा पहुंचे डोलियां एक दिन खिलजी के सरहद में
उधर दूत भी जा पहुं��� खिलजी के रंग महल में
बोला शहंशाह पद्मिनी मल्लिका बनने आयी है
रानी अपने साथ हुस्न की कलियाँ भी लायी है
एक मगर फ़रियाद उसकी फकत पूरी करवा दो
राणा रत्न सिंह से एक बार मिलवा दो
खिलजी उछल पड़ा कह फ़ौरन यह हुक्म दिया था
बड़े शौख से मिलने का शाही फरमान दिया था
वह शाही फरमान दूत ने गोरा तक पहुँचाया
गोरा झूम उठे छन बादल को पास बुलाया
बोले बेटा वक़्त आ गया अब काट मरने का
मातृ भूमि मेवाड़ धरा का दूध सफल करने का
यह लोहार पद्मिनी भेष में बंदी गृह जायेगा
केवल दस डोलियां लिए गोरा पीछे ढायेगा
यह बंधन काटेगा हम राणा को मुख्त करेंगे
घुड़सवार उधर आगे को तैयार रहेंगे
जैसे ही राणा आएं वो सब आंधी बन जाएँ
और उन्हें चित्तोड़ दुर्ग पर वो शकुशल पहुंचाएं
अगर भेद खुल गया वीर तो पल की देर न करना
और शाही सेना पहुंचे तो बढ़ कर रण करना
राणा जाएँ जिधर शत्रु को उधर न बढ़ने देना
और एक यवन को भी उस पथ पावँ ना धरने देना
मेरे लाल लाडले बादल आन न जाने पाए
तिल तिल कट मरना मेवाड़ी मान न जाने पाए
ऐसा ही होगा काका राजपूती अमर रहेगी
बादल की मिट्टी में भी गौरव की गंध रहेगी
तो फिर आ बेटा बादल सीने से तुझे लगा लू
हो ना सके शायद अब मिलन अंतिम लाड लड़ा लू
यह कह बाँहों में भर कर बादल को गले लगाया
धरती काँप गयी अम्बर का अंतर मन भर आया
सावधान कह पुन्ह पथ पर बढे गोरा सैनानी
पोंछ लिया झट से बढ़ कर के बूढी आँखों का पानी
जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी
गोरा की चातुरी चली राणा के बंधन काटे
छांट छांट कर शाही पहरेदारो के सर काटे
लिपट गए गोरा से राणा गलती पर पछताए
सेना पति की नमकहलाली देख नयन भर आये
पर खिलजी का सेनापति पहले से ही शंकित था
वह मेवाड़ी चट्टानी वीरो से आतंकित था
जब उसने लिया समझ पद्मिनी नहीँ आयी है
मेवाड़ी सेना खिलजी की मौत साथ लायी है
पहले से तैयार सैन्य दल को उसने ललकारा
निकल पड़ा तिधि दल का बजने लगा नगाड़ा
दृष्टि फिरि गोरा की राणा को समझाया
रण मतवाले को रोका जबरन चित्तोड़ पठाया
राणा चले तभी शाही सेना लहरा कर आयी
खिलजी की लाखो नंगी तलवारें पड़ी दिखाई
खिलजी ललकारा दुश्मन को भाग न जाने देना
रत्न सिंह का शीश काट कर ही वीरों दम लेना
टूट पड़ों मेवाड़ी शेरों बादल सिंह ललकारा
हर हर महादेव का गरजा नभ भेदी जयकारा
निकल डोलियों से मेवाड़ी बिजली लगी चमकने
काली का खप्पर भरने तलवारें लगी खटकने
राणा के पथ पर शाही सेना तनिक बढ़ा था
पर उसपर तो गोरा हिमगिरि सा अड़ा खड़ा था
कहा ज़फर से एक कदम भी आगे बढ़ न सकोगे
यदि आदेश न माना तो कुत्ते की मौत मरोगे
रत्न सिंह तो दूर ना उनकी छाया तुझे मिलेगी
दिल्ली की भीषण सेना की होली अभी जलेगी
यह कह के महाकाल बन गोरा रण में हुंकारा
लगा काटने शीश बही समर में रक्त की धारा
खिलजी की असंख्य सेना से गोरा घिरे हुए थे
लेकिन मानो वे रण में मृत्युंजय बने हुए थे
पुण्य प्रकाशित होता है जैसे अगणित पापों से
फूल खिला रहता असंख्य काटों के संतापों से
वो मेवाड़ी शेर अकेला लाखों से लड़ता था
बढ़ा जिस तरफ वीर उधर ही विजय मंत्र बढ़ता था
इस भीषण रण से दहली थी दिल्ली की दीवारें
गोरा से टकरा कर टूटी खिलजी की तलवारें
मगर क़यामत देख अंत में छल से काम लिया था
गोरा की जंघा पर अरि ने छिप कर वार किया था
वहीँ गिरे वीर वर गोरा जफ़र सामने आया
शीश उतार दिया धोखा देकर मन में हर्षाया
मगर वाह रे मेवाड़ी गोरा का धड़ भी दौड़ा
किया जफ़र पर वार की जैसे सर पर गिरा हथोड़ा
एक बार में ही शाही सेना पति चीर दिया था
जफ़र मोहम्मद को केवल धड़ ने निर्जीव किया था
ज्यों ही जफ़र कटा शाही सेना का साहस लरज़ा
काका का धड़ लख बादल सिंह महारुद्र सा गरजा
अरे कायरो नीच बाँगड़ों छल में रण करते हो
किस बुते पर जवान मर्द बनने का दम भरते हो
यह कह कर बादल उस छन बिजली बन करके टुटा था
मनो धरती पर अम्बर से अग्नि शिरा छुटा था
ज्वाला मुखी फहत हो जैसे दरिया हो तूफानी
सदियों दोहराएंगी बादल की रण रंग कहानी
अरि का भाला लगा पेट में आंते निकल पड़ी थीं
जख्मी बादल पर लाखो तलवारें खिंची खड़ी थी
कसकर बाँध लिया आँतों को केशरिया पगड़ी से
रण चक डिगा न वो प्रलयंकर सम्मुख मृत्यु खड़ी से
अब बादल तूफ़ान बन गया शक्ति बनी फौलादी
मानो खप्पर लेकर रण में लड़ती हो आजादी
उधर वीरवर गोरा का धड़ आर्दाल काट रहा था
और इधर बादल लाशों से भूदल पाट रहा था
आगे पीछे दाएं बाएं जम कर लड़ी लड़ाई
उस दिन समर भूमि में लाखों बादल पड़े दिखाई
मगर हुआ परिणाम वही की जो होना था
उनको तो कण कण अरियों के सोन तामे धोना था
अपने सीमा में बादल शकुशल पहुच गए थे
गारो बादल तिल तिल कर रण में खेत गए थे
एक एक कर मिटे सभी मेवाड़ी वीर सिपाही
रत्न सिंह पर लेकिन रंचक आँच न आने पायी
गोरा बादल के शव पर भारत माता रोई थी
उसने अपनी दो प्यारी ज्वलंत मनियां खोयी थी
धन्य धरा मेवाड़ धन्य गोरा बादल अभिमानी
जिनके बल से रहा पद्मिनी का सतीत्व अभिमानी
जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी
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तुर्की में अलग-अलग हादसों में आपातकालीन कर्मियों समेत 32 लोगों की मौत...
तुर्की में अलग-अलग हादसों में आपातकालीन कर्मियों समेत 32 लोगों की मौत…
अधिकारियों ने कहा कि दक्षिणपूर्वी तुर्की में शनिवार को कम से कम 32 लोग मारे गए, जब वाहन पहले की दुर्घटनाओं में भाग लेने वाले पहले उत्तरदाताओं से टकरा गए।
दक्षिण-पूर्वी प्रांत गाजियांटेप के क्षेत्रीय गवर्नर दावुत गुल ने कहा कि बस के दुर्घटनास्थल से टकराने से आपातकालीन कर्मियों और पत्रकारों सहित 16 लोगों की मौत हो गई। अन्य 20 लोग घायल हो गए और उनका इलाज चल रहा है।
गाजियांट���प के पूर्व में एक सड़क पर…
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