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jamshedpur mitra healthy humanity : मित्र हेल्दी ह्यूमैनिटी ने गांव के बच्चों के साथ मनायी दिवाली, बांटी खुशियां
जमशेदपुर : सामाजिक संस्था मित्र हेल्दी ह्यूमैनिटी ने शनिवार को छोटी दिपावली का त्योहार अपने गोद लिये गांव सनातनपुर (गोविंदपुर, जमशेदपुर) में मनायी. वहां रहने वाले परिवार और बच्चों के साथ खुशियां बांटी और उनके बीच उपहार का वितरण किया. इस मौके पर अतिथि के रूप में गोविंदपुर के थाना प्रभारी अमित कुमार सिंह, जिला परिषद पारितोष सिंह मौजूद थे. इस मौके पर सभी परिवार को दीपावली का गिफ्ट, मिठाईयां दी गयी.…
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जैन मिलन बड़ौत ने धूमधाम के साथ मनाया दीपावली महोत्सव
बागपत, उत्तर प्रदेश। जैन मिलन नगर बड़ौत द्वारा बिजरौल रोड़ स्थित शगुन फार्म हाउस में पारिवारिक दीपावली आनंद महोत्सव बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान महावीर जी की प्रार्थना के साथ प्रारम्भ हुआ। महोत्सव में भगवान महावीर जी के चित्र का अनावरण वीरेंद्र जैन पिंटी द्वारा और दीप प्रज्वलन सुनील जैन करनावल वालों के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में भारतीय जैन मिलन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनोद जैन सोनीपत वालों ने मुख्य अतिथि के रूप में शिकरत की। महोत्सव की अध्यक्षता आशीष जैन सीए द्वारा की गई। महोत्सव में आये समस्त अतिथियों का अध्यक्ष मुकेश जैन, जैन टेंट हाउस द्वारा उपहार भेंट कर स्वागत किया गया।
महोत्सव में जैन मिलन की सभी शाखों के अध्यक्ष व मंत्री उपस्थित थे। इस अवसर पर वीर योगेश जैन द्वारा कपल गेम कराया गया, जिसे विशेष रूप से सराहा गया। वीर मनोज जैन द्वारा सिंगल वीर के लिए बैलून गेम कराया गया।
वीर जितेंद्र जैन द्वारा तंबोला गेम कराया गया और विजेताओं को गिफ्ट वितरित किए। महोत्सव का संचालन वरदान जैन द्वारा किया गया। भारतीय जैन मिलन के संरक्षक वीर नरेंद्र जैन राजकमल एवं वीर राजेश जैन भारती ने महोत्सव में पधारे सभी लोगों का आभार व्यक्त किया और दीपावली की शुभकामनाएं दी। महोत्सव में 200 से अधिक वीर बंधु उपस्थित हुए। अरिहंत जय-जय की स्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
कार्यक्रम में जैन मिलन नगर बड़ौत के अध्यक्ष सुनील जैन सिग्नेटवाले, मंत्री विनय जैन, मुकेश जैन, प्रशांत जैन, प्रोफेसर महेंद्र सिंह जैन, राजेंद्र जैन दिगंबर, सुरेश जैन, सुमन जैन, डॉक्टर राकेश जैन, संतोष जैन एडवोकेट, मनोज जैन मसाले वाले, आदिश जैन, सिद्धार्थ जैन सहित सैंकड़ों लोग उपस्थित थे।
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आंखो में आंसु आ गए पढ़ कर
एक दिन एक बुजुर्ग डाकिये ने एक घर के दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा..."चिट्ठी ले लीजिये।"
आवाज़ सुनते ही तुरंत अंदर से एक लड़की की आवाज गूंजी..." अभी आ रही हूँ...ठहरो।"
लेकिन लगभग पांच मिनट तक जब कोई न आया तब डाकिये ने फिर कहा.."अरे भाई! कोई है क्या, अपनी चिट्ठी ले लो...मुझें औऱ बहुत जगह जाना है..मैं ज्यादा देर इंतज़ार नहीं कर सकता....।"
लड़की की फिर आवाज आई...," डाकिया चाचा , अगर आपको जल्दी है तो दरवाजे के नीचे से चिट्ठी अंदर डाल दीजिए,मैं आ रही हूँ कुछ देर औऱ लगेगा ।
" अब बूढ़े डाकिये ने झल्लाकर कहा,"नहीं,मैं खड़ा हूँ,रजिस्टर्ड चिट्ठी है,किसी का हस्ताक्षर भी चाहिये।"
तकरीबन दस मिनट बाद दरवाजा खुला।
डाकिया इस देरी के लिए ख़ूब झल्लाया हुआ तो था ही,अब उस लड़की पर चिल्लाने ही वाला था लेकिन, दरवाजा खुलते ही वह चौंक गया औऱ उसकी आँखें खुली की खुली रह गई।उसका सारा गुस्सा पल भर में फुर्र हो गया।
उसके सामने एक नन्ही सी अपाहिज कन्या जिसके एक पैर नहीं थे, खड़ी थी।
लडक़ी ने बेहद मासूमियत से डाकिये की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाया औऱ कहा...दो मेरी चिट्ठी...।
डाकिया चुपचाप डाक देकर और उसके हस्ताक्षर लेकर वहाँ से चला गया।
वो अपाहिज लड़की अक्सर अपने घर में अकेली ही रहती थी। उसकी माँ इस दुनिया में नहीं थी और पिता कहीं बाहर नौकरी के सिलसिले में आते जाते रहते थे।
उस लड़की की देखभाल के लिए एक कामवाली बाई सुबह शाम उसके साथ घर में रहती थी लेकिन परिस्थितिवश दिन के समय वह अपने घर में बिलकुल अकेली ही रहती थी।
समय निकलता गया।
महीने ,दो महीने में जब कभी उस लड़की के लिए कोई डाक आती, डाकिया एक आवाज देता और जब तक वह लड़की दरवाजे तक न आती तब तक इत्मीनान से डाकिया दरवाजे पर खड़ा रहता।
धीरे धीरे दिनों के बीच मेलजोल औऱ भावनात्मक लगाव बढ़ता गया।
एक दिन उस लड़की ने बहुत ग़ौर से डाकिये को देखा तो उसने पाया कि डाकिये के पैर में जूते नहीं हैं।वह हमेशा नंगे पैर ही डाक देने आता था ।
बरसात का मौसम आया।
फ़िर एक दिन जब डाकिया डाक देकर चला गया, तब उस लड़की ने,जहां गीली मिट्टी में डाकिये के पाँव के निशान बने थे,उन पर काग़ज़ रख कर उन पाँवों का चित्र उतार लिया।
अगले दिन उसने अपने यहाँ काम करने वाली बाई से उस नाप के जूते मंगवाकर घर में रख लिए ।
जब दीपावली आने वाली थी उससे पहले डाकिये ने मुहल्ले के सब लोगों से त्योहार पर बकसीस चाही ।
लेकिन छोटी लड़की के बारे में उसने सोचा कि बच्ची से क्या उपहार मांगना पर गली में आया हूँ तो उससे मिल ही लूँ।
साथ ही साथ डाकिया ये भी सोंचने लगा कि त्योहार के समय छोटी बच्ची से खाली हाथ मिलना ठीक नहीं रहेगा।बहुत सोच विचार कर उसने लड़की के लिए पाँच रुपए के चॉकलेट ले लिए।
उसके बाद उसने लड़की के घर का दरवाजा खटखटाया।
अंदर से आवाज आई...." कौन?
" मैं हूं गुड़िया...तुम्हारा डाकिया चाचा ".. उत्तर मिला।
लड़की ने आकर दरवाजा खोला तो बूढ़े डाकिये ने उसे चॉकलेट थमा दी औऱ कहा.." ले बेटी अपने ग़रीब चाचा के तरफ़ से "....
लड़की बहुत खुश हो गई औऱ उसने कुछ देर डाकिये को वहीं इंतजार करने के लिए कहा..
उसके बाद उसने अपने घर के एक कमरे से एक बड़ा सा डब्बा लाया औऱ उसे डाकिये के हाथ में देते हुए कहा , " चाचा..मेरी तरफ से दीपावली पर आपको यह भेंट है।
डब्बा देखकर ड���किया बहुत आश्चर्य में पड़ गया।उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे।
कुछ देर सोचकर उसने कहा," तुम तो मेरे लिए बेटी के समान हो, तुमसे मैं कोई उपहार कैसे ले लूँ बिटिया रानी ?
"लड़की ने उससे आग्रह किया कि " चाचा मेरी इस गिफ्ट के लिए मना मत करना, नहीं तो मैं उदास हो जाऊंगी " ।
"ठीक है , कहते हुए बूढ़े डाकिये ने पैकेट ले लिया औऱ बड़े प्रेम से लड़की के सिर पर अपना हाथ फेरा मानो उसको आशीर्वाद दे रहा हो ।
बालिका ने कहा, " चाचा इस पैकेट को अपने घर ले जाकर खोलना।
घर जाकर जब उस डाकिये ने पैकेट खोला तो वह आश्चर्यचकित रह गया, क्योंकि उसमें एक जोड़ी जूते थे। उसकी आँखें डबडबा गई ।
डाकिये को यक़ीन नहीं हो रहा था कि एक छोटी सी लड़की उसके लिए इतना फ़िक्रमंद हो सकती है।
अगले दिन डाकिया अपने डाकघर पहुंचा और उसने पोस्टमास्टर से फरियाद की कि उसका तबादला फ़ौरन दूसरे इलाक़े में कर दिया जाए।
पोस्टमास्टर ने जब इसका कारण पूछा, तो डाकिये ने वे जूते टेबल पर रखते हुए सारी कहानी सुनाई और भीगी आँखों और रुंधे गले से कहा, " सर..आज के बाद मैं उस गली में नहीं जा सकूँगा। उस छोटी अपाहिज बच्ची ने मेरे नंगे पाँवों को तो जूते दे दिये पर मैं उसे पाँव कैसे दे पाऊँगा ?"
इतना कहकर डाकिया फूटफूट कर रोने लगा ।
........
😥😥😥.... Suvichar....S Kumar Skumar
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#NewWayOfLivingOnDiwali
आपके लिए दीपावली पर गिफ्ट है कि आप पुस्तक जीने की राह निशुल्क एस एम एस करके निशुल्क मंगा सकते हैं इस पुस्तक की ऑडियो ऑफिशियल ऐप संत रामपालजी महाराज डाउनलोड करें प्ले स्टोर से वर्तमान में सत भक्ति केवल संतरामपालजी महाराज ही दे रहे हैं उनसे नाम दीक्षा लें
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500 करोड़ जारी: CM नीतीश ने किसानों को दिया दिवाली गिफ्ट, छठ से पहले खाते में आ जाएंगे पैसे
500 करोड़ जारी: CM नीतीश ने किसानों को दिया दिवाली गिफ्ट, छठ से पहले खाते में आ जाएंगे पैसे
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और वित्त मंत्री विजय चौधरी, मुख्य सचिव अमीर सुभानी के अलावा कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. मंच से संबोधित करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि इस साल भी बिहार में सूखे से किसान परेशान थे.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो).
Image Credit source: tv9 bharatvarsh
बिहार के किसानों को दीपावली से पहले सरकार ने डबल गिफ्ट दे दिया. पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र…
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पटना /दीपावली के अवसर पर "समाज" को बड़ा गिफ्ट -"इंसान बनिए"- डॉ रंजीत कुमार सिंह, IAS
पटना /दीपावली के अवसर पर “समाज” को बड़ा गिफ्ट -“इंसान बनिए”- डॉ रंजीत कुमार सिंह, IAS
कौशलेन्द्र पाराशर -पटना /दीपावली के अवसर पर समाज को बड़ा गिफ्ट -“इंसान बनिए”- डॉ रंजीत कुमार सिंह, IAS के फेसबुक वॉल से , इस लेख को जरूर पढ़ें.पटना में एक आईएएस अफसर रहने के लिये आये। जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुये थे ? ये अफसर हैरान-परेशान से रोज शाम को पास के पार्क में टहलते हुये अन्य लोगों को तिरस्कार भरी नज़रों से देखते थे और किसी से भी बात नहीं करते थे ? एक दिन एक बुज़ुर्ग के पास गुफ़्तगू के…
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उत्तराखंड: विधायक का जगब अंदाज, अधिकारी, फैक्ट्री वाले और ठेकेदार दीपावली पर गिफ्ट लेकर ना आएं, दी ये सलाह
उत्तराखंड: विधायक का जगब अंदाज, अधिकारी, फैक्ट्री वाले और ठेकेदार दीपावली पर गिफ्ट लेकर ना आएं, दी ये सलाह
देहरादून: इन दिनों दीपावली की तैयारियां जोरों पर हैं। लोग अपने घरों और संस्थानों को सजाने में जुटे हैं। इस दौरान लोग एक-दूसरे को दीपावली का गिफ्ट भी देते हैं। लोगों को इस त्योहार का इंतजार रहता है। आम लोग हों या फिर नेता। आमतौर पर नेता अधिकारी, फैक्ट्री वालों और ठेकेदारों से बड़े गिफ्ट की उम्मीद करते हैं। कई बार गिफ्ट मंगाए भी जाते हैं।
लेकिन, क्या आप सोच सकते हैं कि किसी नेता ने उनको बधाई देने के…
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उत्तराखंड: विधायक का जगब अंदाज, अधिकारी, फैक्ट्री वाले और ठेकेदार दीपावली पर गिफ्ट लेकर ना आएं, दी ये सलाह
उत्तराखंड: विधायक का जगब अंदाज, अधिकारी, फैक्ट्री वाले और ठेकेदार दीपावली पर गिफ्ट लेकर ना आएं, दी ये सलाह
देहरादून: इन दिनों दीपावली की तैयारियां जोरों पर हैं। लोग अपने घरों और संस्थानों को सजाने में जुटे हैं। इस दौरान लोग एक-दूसरे को दीपावली का गिफ्ट भी देते हैं। लोगों को इस त्योहार का इंतजार रहता है। आम लोग हों या फिर नेता। आमतौर पर नेता अधिकारी, फैक्ट्री वालों और ठेकेदारों से बड़े गिफ्ट की उम्मीद करते हैं। कई बार गिफ्ट मंगाए भी जाते हैं।
लेकिन, क्या आप सोच सकते हैं कि किसी नेता ने उनको बधाई देने के…
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Jamshedpur-Arpan : अर्पण ने सुदूर ग्रामीणों के संग मनाई दीपावली की खुशियां / परमात्मा का आशीर्वाद अर्पण परिवार पर बना रहें : काले
Jamshedpur-Arpan : अर्पण ने सुदूर ग्रामीणों के संग मनाई दीपावली की खुशियां / परमात्मा का आशीर्वाद अर्पण परिवार पर बना रहें : काले
जमशेदपुर : प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी अर्पण परिवार अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए बोड़ाम प्रखंड के ब्रृजपुर गांव एवं बागबेड़ा क्षेत्र के ग्रामीण परिवारों में दीपावली की खुशीयां बांटने हुए उपहार प्रदान किया। इन क्षेत्रों के परिवारों के लिए दीपावली एवं काली पूजा हेतु पूजन सामग्री एवं बच्चों के लिए नये गर्म कपड़े, पटाखे, खिलौने, मिठाईयां एवं कई प्रकार के सामानों के गिफ्ट पैकेट सौंपकर…
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इस दीवाली सीएम योगी चुनिंदा लोगों को भेजेंगे ODOP का 'खास गिफ्ट'
इस दीवाली सीएम योगी चुनिंदा लोगों को भेजेंगे ODOP का ‘खास गिफ्ट’
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गोरखपुर का नायाब टेराकोटा, खुशबू और स्वाद में बेमिसाल सिद्धार्थनगर का कालानमक चावल, वाराणसी के मशहूर सिल्क का स्टॉल, विश्व विख्यात लखनवी चिकन का कुर्ता, मुजफ्फरनगर के गुड़ की सौंधी मिठास, सहारनपुर का बेमिसाल वुडन क्राफ्ट, इत्र नगरी कन्नौज का इत्र, प्रतापगढ़ का औषधीय गुणों वाला आंवला, चंदौली की जरी जरदोजी, मुरादाबाद का ब्रास बाउल, प्रयागराज का बास्केट। इनसे सजा ओडीओपी का गिफ्ट हैंपर इस…
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दीपावली - बदलते आयाम
दिनांक - ३०/अक्तूबर/२०१९
दीपावली - दीपों का त्यौहार, खुशियों का त्यौहार, उत्साह और प्रकाश का पर्व ।
हमारे धर्म में हर पर्व, हर रीति और हर आवश्यकता को बड़े ही सहज और सरल तरीके से धार्मिक पर्व से जोड़ दिया गया ताकि उसका लाभ और आनंद समाज का हर वर्ग लेे सके ।
बात जब दीपावली की हो तो मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की अधर्म पर विजय के पश्चात गृहनगर आगमन पर कार्तिक मास की अमावस्या को दिए जलाकर, अच्छे मन से मिठाईयां बनाकर और बांटकर, हर बुराई और अधर्म से प्रभु से सीख लेकर धर्म की सीमा में रहते हुए विजय पाने की प्रेरणा लेकर मनाया गया और शायद यही परंपरा आगे भी बढ़ चली । हर एक छोटी से छोटी बात और रीति के पीछे एक भावना, एक समर्पण और एक विश्वास था ।
आज शांति से बैठे हुए जब वर्णित युग और आज की दीपावली की तुलना की तो पाया कि ना आज कोई आनंद है, ना विश्वास है ना समर्पण है तो फिर त्यौहार क्यों ? और चिंतन किया तो मन बड़ा विचलित हो चला ये पाकर कि दीपावली तो अंग्रेजी और अपभ्रंश का शिकार होकर दिवाली हो गई है और वाकई दिवाला ही निकलेगी ।
घरों में जलाए जाने वाले तेल / घी के दिए, जो प्रकाश के साथ वैज्ञानिक तौर पर वातावरण को शुद्ध भी करते हैं ( छोटे छोटे विषाणुओं को मारते हैं), बल्बों की झालर ( छोटे छोटे उड़ने वाले कीड़ों को आकर्षित करती है) से बदल गए हैं । घर की गृहिणियां पूरी शुद्धता के साथ नाना प्रकार के नमकीन, मीठे पकवान बनाती थीं और उसी प्रेम और सम्मान के साथ बांटकर और खिलाकर खाती थीं। नहा धोकर, शुद्धता और विश्वास के साथ विघ्नहर्ता श्री गणेश जी, विष्णु पत्नी माता लक्ष्मी जी और विद्यादायिनी मां सरस्वती का पूजन किया जाता था , पूजन के बाद हर छोटा अपने बड़े के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेता और बड़े हर छोटे को आशीर्वाद के साथ साथ कोई भी भेंट, धनराशि, उपहार ( त्यौहार के उत्साह को बढ़ाने के लिए) दिया करते थे । इसके बाद घर के बने व्यंजन संयुक्त परिवार के सभी सदस्य मिलकर ( परिवार के वरिष्ठों को खिलाने के पश्चात - छोटे बच्चों के लिए इस तरह की कोई पाबंदी नहीं मानी गई है) खाते थे । साथ ही साथ इन पकवानों को परिवार और समाज से जुड़े हर व्यक्ति / वर्ग जैसे की ब्राह्मण ( अर्थात मंदिर के पुजारी), धोबी, जमादार इत्यादि को भी बांटा जाता था ताकि सारा समाज इस पर्व में साथ और आनंदित हो ।
त्यौहार के बदलते आयामों ने इस विरासत, इस संस्कृति में उथल पुथल मचा दी है, मिट्टी के दिये, बल्ब की झालरों ( अब ये चीनी झालरें हो गईं हैं, और एक कदम आगे) से बदल गए । घर में प्रेम और भाव से बनने वाले स्वादिष्ट पकवान अब प्रगतिवादी नारियों को एक उबाऊ और निरर्थक कार्य लगने लगा है और इन्हें बाज़ार की मिठाईयां ने बड़ी सफलता से बदल दिया है और बदला भी ऐसा कि जिससे काम है उसे काजू की बढ़िया मिठाई, घर के वो रिश्तेदार जो बड़प्पन को अपनाते हुए, धीर गंभीर रहते हुए संबंध को निभाए रहते हैं उन्हें मजबूरी वाली ज़्यादा एम आर पी लेकिन बड़े डिस्काउंट वाली नाम की मिठाई, परिवार के अदृश्य किन्तु अभिन्न अंग जैसे धोबी, जमादार इत्यादि को यहां वहां से आई हुई हल्की मिठाई ( जैसे कि गठबंधन की मिली जुली मजबूरी वाले सरकार) जिसे घर में कोई ना खाना पसंद करे और वो भी ३-४ दिन घर में रखकर खराब हो जाने से ठीक पहले ( ईश्वर जाने जिन्हें मिलती है, उनके दिल पर क्या बीतती होगी, क्या उनके बच्चे खुश होते होंगे ?)। और ऊपर से नया खेल मिठाई के साथ या अलावा उपहारों का विनिमय । उफ्फ लगता है कि त्यौहार के प्रेम को बाजारवाद ने बदल दिया है । डिब्बा बड़े से बड़ा होना चाहिए चाहे अंदर माल कैसा भी हो, MRP ज़्यादा से ज़्यादा चाहिए, अगर हमने किसी को दिया है तो उसके पास से भी आना चाहिए और किसी करोड़पति छोटे भाई ने अपने हजारपती भाई को १००० रू का गिफ्ट दिया और बदले में हज़ारपती भाई ने अपनी हैसियत ना होते हुए भी संबंध और लोकलाज के लिए ५०० रू का गिफ्ट दिया, तो बस ...संबंध खतरे में है जनाब । इतने मुह बुराइयां, मुंह फूलना और तानेबाजी होगी कि हज़ारपती भाई अपने हज़ारपति होने पर कई वर्ष या आजीवन पछताएगा । त्यौहार पर हैसियत से बढ़ कर या किन्हीं खर्चों में समझौता करके दिलवाए नए कपड़ों में अब परिवार को पिता या पति का परिवार प्रेम नजर नहीं आता, पिता या पति खुद कुछ ना लेे तो ये नजर नहीं आता कि उनकी अब और खर्च की गुंजाइश नहीं है बल्कि ये सोचा जाता है कि इनके पास काफी कपड़े हैं, इन्हें कहां है इस समय ज़रूरत। श्री गणेश जी, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती के पूजन को नासमझों और लालची लोगों की फौज ने मां लक्ष्मी जी के पूजन पर केंद्रित कर दिया है , इन अतिशिक्षित किन्तु विक्षिप्त सज्जनों को कौन समझाए कि भाई तीनों देवी देवता पूज्यनीय हैं और तीनों साथ ही कृपा करेंगे, एक साथ पूजन यही संदेश देता है । पूजन के बाद बड़ों के चरण स्पर्श अब छोटों की शान के खिलाफ है और दकियानूसी है । पूजन के बाद बड़ों द्वारा छोटों को दी जाने वाली भेंट अब बड़ों का प्रेम नहीं, हैसियत और उनकी नियत दिखती है, कैसा लालच है ये ? बिगड़े या गलतफहमी के शिकार संबंध इस दिन फिर जुड़ जाते थे, धनतेरस के बहाने, दीपावली मिलन के बहाने, गोवर्धन पूजा के बहाने, भाई दूज के बहाने किन्तु ये बाजारवाद, उपहारवाद क्या ये होने दे रहे है ? और अंत में जेठानी देवरानी ये कह कर विदा लेती हैं कि अगली बार माताजी पिताजी को तुम लेे जाना, हम भी वहीं आ जाएंगे, बच्चों का ज़रा मन भी बदल जाएगा ।
क्या यही त्यौहार है जिसका हमारे ग्रंथों में उल्लेख है, जो हमारी वसुधैव कुटुंबकम् की संस्कृति का परिचायक है ।
विचार अवश्य कीजिएगा कि क्या हम सही दिशा में जा रहे हैं ?
आपका अपना
दिव्यांश रस्तोगी
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जरूरतमंद परिवारों के बच्चों के चेहरे पर खुशी की दीपावली
जरूरतमंद परिवारों के बच्चों के चेहरे पर खुशी की दीपावली
उज्जैन। निस्वार्थ सेवा संस्था का इस दीपावली पर्व पर छोटा सा प्रयास बच्चों के चहरे पर खुशियां लाने का, जो आर्थिक कमजोरी से जूझने के कारण त्योहार नहीं मना पाते। ऐसे जरूरत मंद परिवारों को दीपावली गिफ्ट दिए
और यह गिफ्ट उज्जैन, नागदा, देवास जहां-जहां से फोन आए, वहां तक वितरण किए।300 परिवारों के लिए संस्था द्वारा लक्ष्मीजी का पाना, पूजन सामग्री, मिठाई, नमकीन, दीये, तेल, बत्ती, अगर बत्ती के साथ साथ…
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पटना /बिहार की जनता को दीपावली पर मुख्यमंत्री नीतीश ने डबल राहत दी,अब पेट्रोल 8.20 रुपये और डीजल 13.90 रुपये सस्ता मिलेगा
पटना /बिहार की जनता को दीपावली पर मुख्यमंत्री नीतीश ने डबल राहत दी,अब पेट्रोल 8.20 रुपये और डीजल 13.90 रुपये सस्ता मिलेगा
विकास कुमार सिंह, सब चीफ एडिटर की रिपोर्ट पटना से :PM मोदी सरकार द्वारा लोगों को दीपावली पर पेट्रोल डीजल के दामों में राहत देने के फैसले के बाद अब बिहार सरकार ने भी लोगों को दिवाली गिफ्ट दे दिया है. नीतीश सरकार ने राज्य स्तर पर वैट की दरों में कमी कर लोगों के लिए डीजल में 3.90 रूपये और पेट्रोल में 3.20 रूपये प्रति-लीटर राहत देने का बड़ा फैसला किया है.नीतीश सरकार के इस बड़े फैसले के बाद बिहार के…
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