'क्लीन स्वीप करेंगे', आंध्र में NDA की सीट शेयरिंग फाइनल होने पर बोले नायडू, किसे कितनी सीटें?
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर आंध्र प्रदेश में भी एनडीए गठबंधन में सीट शेयरिंग पर बात बन चुकी है. चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण ने अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो चुका है. लगभग 50 मिनट तक चली इस बैठक में टीडीपी, बीजेपी जनसेना सीट समायोजन पर चर्चा हुई और यह चर्चा सार्थक रही.
बीजेपी और जनसेना को 8 लोकसभा और 30 विधानसभा…
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पवन कल्याण की पूर्व पत्नी रेणु देसाई की नवीनतम इंस्टाग्राम पोस्ट 'आत्मा साथी की तलाश' पर वायरल | घड़ी
पवन कल्याण की पूर्व पत्नी रेणु देसाई की नवीनतम इंस्टाग्राम पोस्ट ‘आत्मा साथी की तलाश’ पर वायरल | घड़ी
छवि स्रोत: इंस्टाग्राम / रेणु देसाई रेणु देसाई
पवन कल्याण साउथ इंडस्ट्री के सबसे लोकप्रिय अभिनेताओं में से एक है। अपनी फिल्मों और एक्टिंग स्किल्स के अलावा पवन की पर्सनल लाइफ भी उतनी ही दिलचस्प और चर्चित है. पवन और पूर्व पत्नी रेणु देसाई के साथ उनके संबंधों ने लोगों का खूब ध्यान खींचा। उन्होंने 2009 में शादी के बंधन में बंधे और बेटे अकीरा नंदन और बेटी आध्या के माता-पिता हैं। 2012 में दोनों का…
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चिरंजीवी ने पवन कल्याण को उनके 51वें जन्मदिन पर बधाई दी
चिरंजीवी ने पवन कल्याण को उनके 51वें जन्मदिन पर बधाई दी
नई दिल्ली: मेगास्टार चिरंजीवी अपने छोटे भाई, अभिनेता पवन कल्याण, जो शुक्रवार को 51 साल के हो गए, को जन्मदिन की बधाई देने के लिए तेलुगु फिल्म उद्योग के कई अन्य सितारों में शामिल हुए।
ट्विटर पर लेते हुए, चिरंजीवी ने तेलुगु में जन्मदिन की शुभकामनाएं पोस्ट की, जिसका अनुवाद किया गया, “उनकी आशा और इच्छा हमेशा सार्वजनिक हित है। उन्होंने हमेशा उस सिद्धांत के लिए ईमानदारी और अखंडता के साथ काम किया है…
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#अयोध्यासे_जानेकेबाद_हनुमानको मिले पूर्ण परमात्मा
क्या आप जानते हैं ?
हनुमान जी को त्रेतायुग में ऋषि मुनीन्द्र रूप में स्वयं
कबीर परमेश्वर जी मिले थे। जिन्होंने हनुमान जी को
तत्वज्ञान प्रदान किया था। जिसके बाद हनुमान जी ने
मुनींद्र ऋषि को अपना गुरु बनाकर, उनके द्वारा बताई
सतभक्ति करके अपना आत्म कल्याण करवाया।
कबीर सागर के पृष्ठ 113 पर 12वां अध्याय "हनुमान बोध"
है। कबीर सागर के इस अध्याय में पवन सुत हनुमान जी
को पूर्ण परमात्मा द्वारा शरण में लेने का प्रकरण है।
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मिले पूर्ण परमात्मा
क्या आप जानते हैं ?
हनुमान जी को त्रेतायुग में ऋषि मुनीन्द्र रूप में स्वयं
कबीर परमेश्वर जी मिले थे। जिन्होंने हनुमान जी को
तत्वज्ञान प्रदान किया था। जिसके बाद हनुमान जी ने
मुनींद्र ऋषि को अपना गुरु बनाकर, उनके द्वारा बताई
सतभक्ति करके अपना आत्म कल्याण करवाया।
कबीर सागर के पृष्ठ 113 पर 12वां अध्याय "हनुमान बोध"
है। कबीर सागर के इस अध्याय में पवन सुत हनुमान जी
को पूर्ण परमात्मा द्वारा शरण में लेने का प्रकरण है।
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मिले पूर्ण परमात्मा
क्या आप जानते हैं ?
हनुमान जी को त्रेतायुग में ऋषि मुनीन्द्र रूप में स्वयं
कबीर परमेश्वर जी मिले थे। जिन्होंने हनुमान जी को
तत्वज्ञान प्रदान किया था। जिसके बाद हनुमान जी ने
मुनींद्र ऋषि को अपना गुरु बनाकर, उनके द्वारा बताई
सतभक्ति करके अपना आत्म कल्याण करवाया।
कबीर सागर के पृष्ठ 113 पर 12वां अध्याय "हनुमान बोध"
है। कबीर सागर के इस अध्याय में पवन सुत हनुमान जी
को पूर्ण परमात्मा द्वारा शरण में लेने का प्रकरण है।
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मिले पूर्ण परमात्मा
क्या आप जानते हैं ?
हनुमान जी को त्रेतायुग में ऋषि मुनीन्द्र रूप में स्वयं
कबीर परमेश्वर जी मिले थे। जिन्होंने हनुमान जी को
तत्वज्ञान प्रदान किया था। जिसके बाद हनुमान जी ने
मुनींद्र ऋषि को अपना गुरु बनाकर, उनके द्वारा बताई
सतभक्ति करके अपना आत्म कल्याण करवाया।
कबीर सागर के पृष्ठ 113 पर 12वां अध्याय "हनुमान बोध"
है। कबीर सागर के इस अध्याय में पवन सुत हनुमान जी
को पूर्ण परमात्मा द्वारा शरण में लेने का प्रकरण है।
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क्या आप जानते हैं ?
हनुमान जी को त्रेतायुग में ऋषि मुनीन्द्र रूप में स्वयं कबीर परमेश्वर जी मिले थे। जिन्होंने हनुमान जी को तत्वज्ञान प्रदान किया था। जिसके बाद हनुमान जी ने मुनींद्र ऋषि को अपना गुरु बनाकर, उनके द्वारा बताई सतभक्ति करके अपना आत्म कल्याण करवाया। कबीर सागर के पृष्ठ 113 पर 12वां अध्याय "हनुमान बोध" है। कबीर सागर के इस अध्याय में पवन सुत हनुमान जी को पूर्ण परमात्मा द्वारा शरण में लेने का प्रकरण है।
#अयोध्यासे_जानेकेबाद_हनुमानको मिले पूर्ण परमात्मा
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Jamshedpur adivasi sanskriti evam kala Kendra : सलगाझुड़ी आदिवासी सांस्कृतिक एवं कला केंद्र में भगवान बिरसा की मूर्ति का हुआ अनावरण, जिला परिषद् अध्यक्ष बारी मुर्मू के साथ अन्य अतिथियों ने प्रतिमा का अनावरण किया
जमशेदपुर : स्थानीय सलगाझुड़ी स्थित बिरसा मुंडा आदिवासी कल्याण ट्रस्ट की ओर से आदिवासी कला केंद्र में भगवान बिरसा मुंडा की मूर्ति का अनावरण हुआ. जिला परिषद अध्यक्ष बारी मुर्मू, जिला परिषद के उपाध्यक्ष पंकज सिन्हा, भाजपा जमशेदपुर महानगर जिलाध्यक्ष सुधांशु ओझा, सांसद प्रतिनिधि संजीव कुमार, जिला परिषद के पूर्व सदस्य गणेश सोलंकी, गोविंदपुर मंडल अध्यक्ष पवन सिंह आदि ने प्रतिमा का विधिवत अनावरण किया.…
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खेल एवं युवा कल्याण तथा सहकारिता मंत्री श्री वि-रु39यवास कैला-रु39या सारंग ने खेड़ापति हनुमान मंदिर में की सफाई सेवाकार्य
भोपाल
खेल एवं युवा कल्याण व सहकारिता मंत्री श्री वि-रु39यवास कैला-रु39या सारंग ने
रविवार को खेड़ापति हनुमान मंदिर पहुंचकर मंदिर की स्वच्छता हेतु
धुलाई, सफाई, पोछा आदि कार्य किया। उक्त अभियान में नगर निगम
भोपाल के अपर आयुक्त श्री पवन सिंह एवं निगम के अन्य अधिकारियों व
श्रद्धालुजन ने भी स्वच्छता हेतु श्रमदान किया। निगम द्वारा वि-रु39यो-ुनवजया
व्यवस्था के तहत निर्माल्य सामग्री का एकत्रीकरण भी किया…
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( #MuktiBodh_Part123 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part124
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 242-243
◆ जो मेरा (अजीज) प्रिय भक्त है, मैं उसके सदा साथ रहता हूँ। (गेल-गेल) पीछे-पीछे लगा रहता हूँ। जब तक धरती तथा आकाश है।
◆ नारद जी साधना करने वन में गए थे। बारह वर्ष साधना करके लौटे तो अपने पिता ब्रह्मा से कहा कि मैंने अपनी इंद्रियों पर काबू पा लिया है। ब्रह्मा जी ने कहा कि अच्छी बात
है। परंतु अपनी उपलब्धि को बताना नहीं चाहिए। आप श्री विष्णु जी से तो ये बात बिल्कुल ना कहना। नारद जी तो उमंग से भरा था। श्री विष्णु जी के पास गए। उनको अपनी साधना
की सफलता बताई कि मैंने अपनी इन्द्रियों पर काबू पा लिया है। यह कहकर कुछ देर बाद चल पड़े। श्री विष्णु जी ने एक मायावी शहर बसाया। उसमें राजा की लड़की का विवाह का
स्वयंवर रचा। मनमोहक माहौल था। नारद ने सुने विवाह के गीत। नारद विवाह कराने के लिए अत्यधिक प्रेरित हुआ। रूप के लिए भगवान विष्णु से उसका रूप माँगा। भगवान ने बंदर का मुख नारद को लगा दिया। लड़की ने श्री विष्णु जी को वरमाला डाल दी जो
स्वयंवर में आया था। नारद को पता चला कि मेरे साथ विष्णु ने धोखा किया है तो श्राप दे दिया कि आप भी मेरे की तरह एक जीवन स्त्री के लिए तड़फ-तड़फ कर मरोगे। श्री रामचन्द्र के रूप में विष्णु जी का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के घर हुआ। फिर वनवास हुआ। सीता पत्नी श्रीराम भी साथ में वन में गई। सीता का अपहरण हुआ। श्री राम ने सारा जीवन पत्नी के वियोग में बिताया।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 193-194 :-
गरीब, गण गंधर्व और मुनीजन, तेतीसौं तत्त्व सार।
अपने जन कै कारणै, उतरे बारमबार।।193।।
गरीब, अनंत कोटि औतार है, नौ चितवै बुधि नाश।
खालिक खेलै खलक में, छै ऋतु बारहमास।।194।।
◆ सरलार्थ :- जितने भी देव, गण, मुनिजन, तेतीस करोड़ देवता हैं। ये परमात्मा की भक्ति करके इस पद को पाए हुए हैं। यदि इनके साथ भी कोई शरारत करके हानि पहुँचाता है तो उसकी रक्षा के लिए भी परमात्मा कबीर जी ही सहायता करने ऊपर से आते हैं। अवतरित होते हैं। (अवतार धारण करते हैं।) वे परमात्मा अपने जन (भक्त जन) के कारण बार-बार अवतार लेते हैं। जैसे प्रहलाद भक्त की रक्षा के लिए नरसिंह रूप धारण करके
अचानक आए और अपना कार्य करके चले गए। तत्वज्ञानहीन प्रचारक जिनकी बुद्धि का नाश हो चुका है, वे केवल नौ अवतार मानते हैं। (खालिक) मालिक तो (खलक) संसार में
(छःऋतु-बारह मास) सदा (खेलै) लीला करता रहता है। जैसे श्री नानक जी ने भी कहा है कि ‘‘अंधुला नीच जाति प्रदेशी मेरा छिन आवै तिल जावै। जाकी संगत नानक रहंदा क्योंकर मोंहडा पावै।।’’ अर्थात् जुलाहा जाति में प्रकट मेरा प्रदेशी परमात्मा कबीर एक पल में पृथ्वी पर दिखाई देता है। दूसरे क्षण में ऊपर सचखण्ड में होता है। उस समर्थ परमात्मा कबीर जी की शरण में मैं (नानक जी) रहता हूँ। उसकी थाह उसका (मोहंड़ा) अंत कैसे पाया जा सकता है?
◆ भावार्थ है कि परमात्मा के तो अनंत अवतार हो चुके हैं। वह तो एक पल में पृथ्वी पर, दूसरे पल (क्षण) में सतलोक में आता-जाता रहता है यानी कभी भी प्रकट हो जाता है।
◆पारख के अंग की वाणी नं. 195-199 :-
गरीब, पीछै पीछै हरि फिरैं, आगै संत सुजान।
संत करैं सोई साच है, च्यारि जुग प्रवान।।195।।
गरीब, सांई सरीखे साधू हैं, इन समतुल नहीं और।
संत करैं सो होत है, साहिब अपनी ठौर।।196।।
गरीब, संतौं कारण सब रच्या, सकल जमी असमान।
चंद सूर पानी पवन, यज्ञ तीर्थ और दान।।197।।
गरीब, ज्यौं बच्छा गऊ की नजर में, यौं सांई अरु संत।
हरिजन के पीछै फिरैं, भक्ति बच्छल भगवंत।।198।।
गरीब, धारी मे���े संत की, मुझ सें मिटै न अंश।
बुरी भली बांचै नहीं, सोई हमरा बंश।।199।।
◆ सरलार्थ :- अपने सच्चे भक्त के साथ-साथ पीछे-पीछे परमात्मा रहता है। संत जो करते हैं, सच्चा कार्य करते हैं यानि सही करते हैं। कभी किसी का अहित नहीं करते। चारों युगों में प्रमाण रहा है कि संत सही क्रिया करते हैं। भलाई के शुभ कर्म करते हैं।(195)
◆ सच्चे साधक परमात्मा के समान आदरणीय हैं। इनके समान अन्य की तुलना नहीं की जा सकती। परमात्मा अपने सच्चे भक्त को अपनी शक्ति प्रदान कर देते हैं। परमात्मा कबीर जी कहते हैं कि मेरी बजाय इन संतों से माँगो। संत परमात्मा से प्राप्त शक्ति से अपने अनुयाईयों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। उनकी रक्षा करते हैं। परमात्मा कबीर जी उनके बीच में कोई दखल नहीं देते।(196) इसलिए कहा है कि :-
संत करें सो होत है, साहिब अपनी ठौर।
परमात्मा ने भक्तों के लिए पृथ्वी तथा इसके सहयोगी सूर्य, आकाश, हवा, व जल अन्य ग्रह बनाए हैं ताकि वे भक्ति करके अपना कल्याण करवा सकें। तीर्थ स्थान भी भक्तों का साधना स्थल है। दान की परंपरा भी भक्ति में अति सहयोगी है। परंतु दान संत (गुरू) को दिया जाए। कुपात्र को दिया दान तो रण-रेह (अन उपजाऊ) भूमि में बीज डालकर खराब करने के समान है।(197)
◆ परमात्मा कबीर जी ने कहा है कि :-
कबीर, गुरू बिना माला फेरते, गुरू बिना देते दान।
गुरू बिन दोनों निष्फल है, भावें देखो वेद पुराण।।
अर्थात् साधक को चाहिए कि पहले पूर्ण गुरू से दीक्षा ले। फिर उनको दान करे। उनके बताए मंत्रों का जाप (स्मरण) करे। गुरूजी से दीक्षा लिए बिना भक्ति के मंत्रों के जाप की माला फेरना तथा दान करना व्यर्थ है। गुरू बनाना अति आवश्यक है। प्रमाण :-
कबीर राम-कृष्ण से कौन बड़ा, उन्हों भी गुरू कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी, गुरू आगे आधीन।।
अर्थात् पृथ्वी के मानव (स्त्रा-पुरूष) श्री राम तथा श्री कृष्ण से बड़ा देवता किसी को नहीं मानते। उन दोनों ने भी गुरू जी से दीक्षा ली। तीन लोक के (धनी) मालिक होते हुए भी उन्होंने गुरू बनाए। श्री कृष्ण जी ने ऋषि दुर्वासा जी को अध्यात्म गुरू बनाया। (ऋषि संदीपनी उनके शिक्षक गुरू थे।) श्री रामचन्द्र जी ने ऋषि वशिष्ठ जी को गुरू बनाया। वे दोनों त्रिलोक नाथ होते हुए भी अपने-अपने गुरूजी के आगे आधीन भाव से पेश होते थे। परमात्मा अपने भक्त पर निरंतर दृष्टि रखते हैं कि
कहीं कोई देव, भूत, पितर, प्रेत, गण, गंधर्व, राक्षस, यक्ष, यमदूत मेरे भक्त को हानि न कर दे। जैसे गाय अपने बच्चे (बछड़ी-बछड़े) पर निरंतर दृष्टि रखती है। चारा चरते समय भी एक आँख बच्चे पर ही लगी रहती है। यदि कोई अन्य पशु उसके बच्चे के निकट आता है तो वह यदि खुली होती है तो
दौड़कर उस गैर पशु को टक्कर मारने दौड़ती है। यदि रस्से से बँधी होती है तो भी अपनी प्रतिक्रिया दिखाती है। जहाँ तक उसका रस्सा जाने देता है, वहाँ तक उस अन्य पशु को टक्कर मारने दौड़ती है। परमात्मा भक्त वच्छल हैं। भक्तों के रक्षक व प्रिय हैं। वे (हरिजनों)
भक्तों के पीछे-पीछे फिरते रहते हैं।(198)
क्रमशः________________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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मी अद्यापही एनडीएमध्येच आहे : पवन कल्याण
https://bharatlive.news/?p=159061
मी अद्यापही एनडीएमध्येच आहे : पवन कल्याण
पुढारी ऑनलाईन डेस्क : अभिनेता ...
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पवन कल्याण के 42वें जन्मदिन पर रिलीज होगी हरि हर वीरा मल्लू की पहली झलक
पवन कल्याण के 42वें जन्मदिन पर रिलीज होगी हरि हर वीरा मल्लू की पहली झलक
पवन कल्याण का दक्षिण फिल्म उद्योग में सबसे बड़ा प्रशंसक आधार है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पवन कल्याण का 42वां जन्मदिन उनके प्रशंसकों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। वर्तमान में, पवन कल्याण के कट्टर प्रशंसक उनकी आगामी फिल्म हरि हर वीरा मल्लू का इंतजार कर रहे हैं।
पवन कल्याण के 42वें जन्मदिन के अवसर पर, फिल्म के निर्माताओं ने घोषणा की कि महान कृति की पहली झलक 2 सितंबर को…
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मार्शल आर्ट पर आधारित 10 टॉलीवुड फिल्में जिनमें लिगर भी शामिल है
मार्शल आर्ट पर आधारित 10 टॉलीवुड फिल्में जिनमें लिगर भी शामिल है
आइए 10 तेलुगु फिल्मों पर एक नजर डालते हैं जो मार्शल आर्ट की अवधारणा पर आधारित थीं
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गिरफ्तारी के 24 घंटे बाद चंद्रबाबू नायडू की कोर्ट में पेशी, हिरासत में लिए गए पवन कल्याण - Aaj Tak
http://dlvr.it/Svv9gl
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पवन कल्याण का जन्मदिन मनाना: एक मेगास्टार को श्रद्धांजलि
पवन कल्याण का जन्मदिन एक वार्षिक उत्सव है जो तेलुगु सिनेमा के करिश्माई मेगास्टार के अनगिनत प्रशंसकों, प्रशंसकों और शुभचिंतकों द्वारा मनाया जाता है। 2 सितंबर, 1971 को कोनिडेला कल्याण बाबू के रूप में जन्मे पवन कल्याण ने न केवल खुद को एक पावरहाउस अभिनेता के रूप में स्थापित किया है, बल्कि भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में एक प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति के रूप में भी स्थापित किया है।
स्टारडम का उदय
पवन कल्याण, जिन्हें उनके प्रशंसकों द्वारा "पावर स्टार" के नाम से जाना जाता है, तेलुगु फिल्म उद्योग में प्रतिष्ठित कोनिडेला परिवार का हिस्सा हैं। उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1996 में फिल्म "अक्कदा अम्मयी इक्कदा अब्बायी" से की। हालाँकि, यह 1998 की फिल्म "थोली प्रेमा" में उनका सफल प्रदर्शन था जिसने उन्हें स्टारडम तक पहुँचाया और उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का नंदी पुरस्कार दिलाया।
एक बहुमुखी अभिनेता
पवन कल्याण को एक अभिनेता के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाना जाता है। उनके अभिनय का भंडार विभिन्न शैलियों में फैला हुआ है, जिसमें "गब्बर सिंह" जैसी एक्शन से भरपूर ब्लॉकबस्टर से लेकर "अटारिंटिकी डेरेडी" जैसी सामाजिक रूप से प्रासंगिक फिल्में शामिल हैं। उनकी अनूठी शैली, गहन स्क्रीन उपस्थिति और करिश्माई प्रदर्शन ने उन्हें बड़े पैमाने पर प्रशंसक बना दिया है।
धर्मार्थ प्रयास
पवन कल्याण का जन्मदिन सिर्फ प्रशंसकों के जश्न मनाने का दिन नहीं है, बल्कि अभिनेता के लिए परोपकारी गतिविधियों में शामिल होने का भी समय है। वह सामाजिक कार्यों के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते हैं और अक्सर अपने जन्मदिन को समाज को वापस लौटाने के अवसर के रूप में उपयोग करते हैं। उनके धर्मार्थ कार्यों में आपदा राहत, स्वास्थ्य देखभाल पहल और शैक्षिक कार्यक्रमों में योगदान शामिल है।
राजनीतिक यात्रा
अपने अभिनय करियर से परे, पवन कल्याण ने राजनीति में कदम रखा और मार्च 2014 में जन सेना पार्टी की स्थापना की। उनकी राजनीतिक यात्रा को लोगों के कल्याण की वकालत और कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे मुद्दों के बारे में चिंताओं द्वारा चिह्नित किया गया है। उनका जन्मदिन उनके राजनीतिक समर्थकों के साथ जुड़ने और क्षेत्र के लिए उनके दृष्टिकोण को संप्रेषित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
प्रशंसकों द्वारा जश्न
पवन कल्याण का जन्मदिन उनके प्रशंसकों के लिए एक भव्य अवसर है। वे इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं और अपने प्यार और प्रशंसा को व्यक्त करने के लिए कई तरह की गतिविधियों का आयोजन करते हैं। इन समारोहों में अक्सर शामिल होते हैं:
विशेष स्क्रीनिंग: प्रशंसक बड़े पर्दे पर उनके प्रतिष्ठित प्रदर्शन को फिर से जीवंत करते हुए, सिनेमाघरों में उनकी ब्लॉकबस्टर फिल्मों की स्क्रीनिंग आयोजित करते हैं।
धर्मार्थ पहल: पवन कल्याण की परोपकारी भावना के अनुरूप, उनके प्रशंसक अक्सर रक्तदान अभियान, जरूरतमंदों को भोजन वितरण और चिकित्सा शिविर जैसी धर्मार्थ गतिविधियों में संलग्न रहते हैं।
सोशल मीडिया बज़: सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म अभिनेता-राजनेता को समर्पित जन्मदिन की शुभकामनाओं, हैशटैग और रचनात्मक कलाकृतियों से भरे हुए हैं।
रैलियाँ और जुलूस: प्रशंसक रैलियाँ, बाइक रैलियाँ और जुलूस आयोजित करते हैं, जिससे शहरों और कस्बों में उत्सव का माहौल बन जाता है।
निष्कर्ष के तौर पर
पवन कल्याण का जन्मदिन सिर्फ एक व्यक्तिगत मील का पत्थर नहीं है; यह उनके प्रशंसकों और अनुयायियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण दिन है। यह सिनेमा की दुनिया में उनके योगदान का जश्न मनाने, उनके परोपकारी प्रयासों को स्वीकार करने और उनकी राजनीतिक आकांक्षाओं के पीछे एकजुट होने का समय है। पावर स्टार का जन्मदिन उनकी स्थायी लोकप्रियता, प्रभाव और तेलुगु भाषी क्षेत्रों और उससे बाहर के लाखों लोगों से मिले प्यार का प्रतिबिंब है।
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