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#बच्चे ने मां को डूबने से बचाया
newsdaliy · 2 years
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दौरे से पीड़ित मां को बचाने के लिए 10 साल के बच्चे ने पूल में छलांग लगाई
दौरे से पीड़ित मां को बचाने के लिए 10 साल के बच्चे ने पूल में छलांग लगाई
महान वीरता के प्रदर्शन में, 10 वर्षीय लड़के ने अपनी मां की जान बचाने में मदद की, जिसे स्विमिंग पूल में दौरा पड़ा था। घटना का वीडियो सुरक्षा कैमरों में कैद हो गया था और इसे मां लोरी कीनी ने खुद फेसबुक पर साझा किया था। वीडियो में, गेविन नाम के लड़के को पूल के बगल में सीढ़ी पर चढ़ते और फिर अपनी पीड़ित मां की मदद करने के लिए पानी में गोता लगाते हुए देखा जा सकता है। पूल में गोता लगाने के बाद, गेविन ने…
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manishkumarchandra8120 · 11 months
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कबीर साहेब द्वारा किये गए चमत्कार :-
कबीर साहेब जी लगभग 600 वर्ष पूर्व सन् 1398 में काशी शहर के लहरतारा तालाब में सशरीर प्रकट हुए और बचपन से ही अनेकों लीलाएँ करते हुए बड़े हुए तथा 120 वर्ष इस धरातल पर रहे। इस दौरान उन्होंने कई मुर्दों को जीवित किया, सिकंदर लोदी का जलन का रोग ठीक किया, रामानंद को जीवित किया, समुद्र में दामोदर सेठ के जहाज को डूबने से बचाया, जगन्नाथ मंदिर बनवाया आदि अनेकों चमत्कार परमेश्वर कबीर जी ने किए। परमेश्वर कबीर जी के ये सभी चमत्कार प्रमाण रूप में आज भी पवित्र शास्त्र कबीर सागर में तथा कुछ जीवित प्रमाण पृथ्वी पर भी मौजूद हैं। तो चलिए जानते हैं कबीर परमेश्वर द्वारा किये गए कुछ चमत्कार
शिशु रूपी कबीर साहेब का नामकरण
काशी के काजी कबीर साहेब के नामकरण में आये हुए थे। तब काजियों ने पूरी कुरान का निरीक्षण किया तो उनके द्वारा लाई गई कुरान शरीफ में सर्व अक्षर कबीर कबीर कबीर हो गए। तब कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले हे काशी के काजियों! मैं कबीर अल्लाह अर्थात अल्लाहु अकबर हूँ। मेरा नाम "कबीर" ही रहेगा। कबीर जी के इस चमत्कार को संत गरीबदास जी ने इस तरह चित्रित किया है -
गरीब, काजी गये कुरांन ले, धरि लरके का नाम।
अक्षर अक्षर में फुर्या, धंन कबीर बलिजांव।।
गरीब, सकल कुरान कबीर हैं, हरफ लिखे जो लेख।
काशी काजी कहैं, गई दीन की टेक।।
रामानंद जी की मन की बात बताना
रामानंद जी प्रतिदिन विष्णु जी की मानसिक मूर्ति बनाकर कर्म कांड करके पूजा करते थे। एक दिन उन्होंने भगवान विष्णु जी को स्नान कराकर मुकुट पहना दिया और गले में कंठी डालना भूल गए। मन ही मन बहुत दु:खी हुए की आज पूजा अधूरी रह गई। 5 वर्ष के बालक रूप में कबीर साहेब ने उनके मन की बात को जानकर कहा कि स्वामी जी माला की गांठ खोलकर माला पहना दो, फिर गांठ लगा दो। मुकुट नहीं उतारना पड़ेगा।
मृत गाय को जीवित करना
एक बार राजा सिकंदर लोधी ने एक गाय के तलवार से दो टुकडे कर दिए, गाय को गर्भ था तो बच्चे के भी दो टुकडे हो गए, तब सिकंदर लोधी राजा ने कहा कि कबीर यदि तू खुदा हैं तो इस गाय को जीवित कर दें अन्यथा तेरा सिर कलम कर दिया जाएगा। कबीर साहेब ने एक बार हाथ गाय के टुकड़ों को लगाया तथा दूसरी बार उसके बच्चे के टुकडों को लगाया उसी समय दोनों मां बेटा जीवित हो गए और कबीर साहेब ने गाय से दूध निकाल कर बहुत बड़ी बाल्टी दूध से भर दी थी। तथा परमेश्वर कबीर जी ने कहा -
मैं ही अलख अल्ला हूँ, कुतुब गोस और पीर।
गरीबदास खालिक धणी, मेरा नाम कबीर।।
गऊ अपनी अम्मा है, इस पर छुरी न बाह।
गरीबदास घी दूध को, सब ही आत्म खाय।।
सिकंदर लोदी का जलन का रोग ठीक करना और स्वामी रामानंद को जीवित करना
एक बार दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी को एक असाध्य जलन का रोग था। वह जलन का रोग किसी भी वैद्य, काजी, मुल्ला, नीम-हकीम की दवा और जंत्र-मंत्र से ठीक नहीं हुआ था। सिकंदर लोदी को किसी ने बताया कि काशी के कबीर साहेब यदि रजा कर दें तो राजन आपका रोग समाप्त हो सकता है। तभी सिकंदर लोदी रोग निवारण के उद्देश्य से काशी पहुंचा और काशी नरेश वीरदेव सिंह बघेल के साथ स्वामी रामानंद के आश्रम पहुंचा क्योंकि शाम के समय प्रतिदिन कबीर जी यहाँ आया करते थे। जहाँ दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी ने किसी कारणवश क्रोध में आकर कबीर साहेब के गुरुदेव स्वामी रामानंद जी की गर्दन तलवार से काट के हत्या कर दी थी। हत्या के बाद सिकन्दर लोदी बहुत पछताया और वहाँ से चलने लगा। तभी सामने से कबीर साहेब वहाँ पहुँच गए और सिकन्दर लोधी ने उनके चरणों में गिर पड़ा और क्षमा याचना करने लगा। कबीर परमेश्वर ने सिकन्दर लोधी को आशीर्वाद दिया और आशीर्वाद मात्र से ही सिकन्दर लोधी का जलन का असाध्य रोग समाप्त हो गया तथा डरते हुए सिकंदर लोदी ने कबीर परमेश्वर को पूरी घटना से अवगत कराया। तब अंदर जाकर कबीर साहेब जी ने देखा कि रामानंद जी का धड़ कहीं और सिर कहीं पर पड़ा था। तब कबीर साहेब ने मृत शरीर को प्रणाम किया और कहा कि उठो गुरुदेव आरती का समय हो गया, यह कहते ही सिर अपने आप उठकर धड़ पर लग गया और रामानंद जी जीवित हो गए।
मृत लड़के को जीवित करना
एक बार दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोधी के पीर शेखतकी ने कहा कि अगर यह कबीर अल्लाह है तो इसकी परीक्षा ली जाए, कोई मुर्दा जीवित करे तो मैं इन्हें अल्लाह मानूँगा। तब सर्वशक्तिमान कबीर परमात्मा ने दरिया में बहते आ रहे एक लड़के के शव को हजारों लोगों के सामने जीवित किया। उसका नाम कमाल रखा। कबीर परमेश्वर समर्थ भगवान हैं। जोकि मुर्दे को भी जीवित कर सकता है। जिसका प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 तथा सामवेद मंत्र संख्या 822 देता है।
शेखतकी की मृत लड़की को कब्र से निकालकर जिंदा करना
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी के मुस्लिम पीर शेखतकी की पुत्री जोकि मृत्यु के उपरांत कब्र में दफन कर रखी थी। शेखतकी ने ईर्ष्यावश कबीर परमेश्वर को नीचा दिखाने के उद्देश्य से अपनी मृत लड़की को जीवित करने को कहा। तब परमेश्वर कबीर जी ने उस लड़की को भी सैकड़ों लोगों के सामने कब्र से निकालकर जीवित कर दिया था। यह चमत्कार देख लोगों ने कहा, कमाल कर दिया कबीर साहेब ने। कबीर परमेश्वर ने उस लड़की का कमाली नाम रख दिया। जोकि परमेश्वर कबीर जी की मुँह बोली बेटी कहलाई।
कबीर जी द्वारा सेऊ को जीवित करना
भक्त सम्मन, उसकी पत्नी नेकी और उनका पुत्र सेऊ परमेश्वर कबीर जी के भक्त थे और इतने गरीब थे कि कई बार खाने के लिए घर में आटा भी नहीं होता था। तब भी भक्त सम्मन और नेकी ने सतगुरु कबीर परमेश्वर की सेवा में अपने पुत्र सेऊ की कुर्बानी देकर 3 सेर आटा का दान किया था। जिसके बदले कबीर परमात्मा ने उस मृत बालक सेऊ की कटी हुई गर्दन को जोड़कर पुनः जीवित किया और उन्हें अथाह धन देकर मोक्ष के भागी बनाया था।
आओ सेऊ जीम लो, यह प्रसाद प्रेम।
शीश कटत है चोरों के, साधों के नित्य क्षेम।।
गरीब, सेऊ धड़ पर शीश चढ़ा, बैठा पंगत मांही।
नहीं घरैरा गर्दन पर औह सेऊ अक नांही।।
गरीब, छप्पन भोग करे धनी, भये समन के ठाठ।
कहै कबीर कमाल से, चलौ फरीदा बाट।।
गरीब, अष्टसिद्धि नौनिद्धि आगनैं, अन्न धनदिये अनन्त।
सेऊ समन अमर कछ, नेकी पद बे अन्त।।
भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना
एक समय एक तोताद्रि नामक स्थान पर सत्संग था। वहां कबीर जी, स्वामी रामानंद जी के साथ गए। सभी पंडित सत्संग में तो छुआछूत न करने के उपदेश दे रहे थे किन्तु व्यवहार में अज्ञान भरा था। सत्संग के पश्चात भण्डारा शुरू हुआ। वहाँ उपस्थित पंडितों ने कबीर साहेब को देखकर कहा कि चार वेद मंत्र सुनाने वाले ब्राह्मण एक भंडारे में बैठेंगे व बाकी अन्य भंडारे में बैठेंगे। प्रत्येक व्यक्ति को वेद के चार मन्त्र बोलने पर प्रवेश मिल रहा था। जब कबीर जी की बारी आई तो कबीर साहेब ने थोड़ी सी दूरी पर घास चरते हुए भैंसे को पास बुलाया और भैंसें की कमर पर थपकी दी और कहा कि भैंसे इन पंडितों को वेद के चार मन्त्र सुना दे। परमेश्वर कबीर जी की शक्ति से भैंसे ने वेद के छः मन्त्र अर्थ सहित सुना दिए। इतना सुनकर सभी पंडित परमेश्वर कबीर जी के चरणों पर गिर गए, मांफी माँगी व नामदीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाया।
दामोदर सेठ के जहाज को समुद्र में डूबने से बचाना
दामोदर सेठ समुद्री जहाज से व्यापार करते थे। एक बार बहुत तेज समुद्री तूफान आया और जहाज डूबने लगा तो दामोदर सेठ ने अपने गुरु कबीर साहेब जी को याद किया। कबीर साहेब जी ने समुद्री तूफान को रोककर अपने भक्त दामोदर सेठ के जहाज को समुद्र में डूबने से बचाया। यह चमत्कार देख जहाज में बैठे अन्य सेठों ने भी परमेश्वर कबीर जी की शरण ग्रहण की।
दामोदर सेठ के होवें थे अकाज, अर्ज करी थी डूबता देख जहाज।
लाज मेरी रखियों गरीब निवाज, समुद्र से पार लंघाने वाले। धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।।
जगन्नाथ का मंदिर बनवाना
उड़ीसा प्रांत के राजा इंद्रदमन ने पाँच बार मंदिर बनवाया, समुद्र ने पांचों बार मंदिर तोड़ दिया, फिर कबीर साहेब जी साधु वेश में प्रकट हुए और अपनी परम शक्ति से समुद्र को रोककर जगन्नाथ का मंदिर बनवाया। प्रमाण के लिए आज भी जगन्नाथपुरी में वह कबीर चबूतरा (चौरा) विद्यमान है जहां बैठकर कबीर साहिब ने समुद्र को रोका था।
जगन्नाथ का मंदिर बचाया, जलधि ने करी चढ़ाई।
साहेब कबीर के तेज के आगे फीका पड़ गया भाई।
विप्र रूप धर देई दुहाई, मेरी नही पार बसाती है।
जगन्नाथ के पांडे का पैर जलने से बचाना
परमेश्वर कबीर जी, दिल्ली बादशाह सिकंदर लोदी और काशी नरेश वीरदेव सिंह बघेल एक समय राजदरबार में बैठे थे। तभी कबीर जी ने करमण्डल का जल अपने पैर पर डाला। जिसका कारण दोनों राजाओं ने पूंछा तो कबीर जी ने बताया कि जगन्नाथ पुरी में एक रामसहाय पाण्डा खिचड़ी का प्रसाद उतार रहा था। गर्म खिचड़ी उसके पैर पर गिर गई। उसके पैर पर ठंडा जल डाला हूँ अन्यथा उसका पैर जल जाता। जब इस घटना का सिकंदर लोदी ने काशी से जगन्नाथपुरी को दो सैनिक भेजकर पता कराया तो यह चमत्कार सत्य निकला कि कबीर परमेश्वर काशी में बैठे-बैठे जगन्नाथपुरी के पांडे के पैर को जलने से बचा दिया।
पग ऊपरि जल डालकर, हो गये खड़े कबीर।
गरीबदास पंडा जरया, तहां परया योह नीर।।
जगन्नाथ जगदीश का, जरत बुझाया पंड।
गरीबदास हर हर करत, मिट्या कलप सब दंड।।
तेरह गाड़ी कागजों को लिखना
एक समय दिल्ली के बादशाह ने कहा कि कबीर साहेब जी, मैं आपको अल्लाह तब मानूँगा जब आप 13 गाड़ी कागजों को ढ़ाई दिन में लिख दोगे, उसी समय परमेश्वर कबीर जी ने अपनी डण्डी को उन तेरह गाड़ियों में रखे कागजों पर घुमा दी। उसी समय सर्व कागजों में अमृतवाणी अर्थात सम्पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान लिख गया। राजा को विश्वास हो गया, परंतु अपने धर्म के व्यक्तियों के दवाब वश उन सर्व ग्रन्थों को दिल्ली में ही जमीन में गड़वा दिया।
मगहर से सशरीर सत्यलोक जाना
कबीर परमेश्वर मगहर से हजारों लोगों के सामने से विक्रमी संवत 1575 (सन् 1518) माघ मास शुक्ल पक्ष एकादशी को सशरीर सत्यलोक को चले गए थे। उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले थे। जिन्हें आधे-आधे बांटकर हिंदू व मुसलमानों ने 100-100 फुट की दूरी में मगहर में ही यादगार बना दी थी। आज भी इस घटना की यादगार मगहर यानि वर्तमान संत कबीर नगर जिले में मौजूद है, जोकि परमेश्वर कबीर जी का जीवित साक्ष्य है कि अविनाशी परमात्मा कबीर जी ही हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 तथा यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में भी यहीं बताया गया है कि कबीर परमात्मा सशरीर प्रकट होता है और सशरीर अपने निज लोक को चला जाता है। परमेश्वर कबीर जी अपने विषय में स्वयं बताते हैं -
हम ही अलख अल्लाह हैं, हमरा अमर शरीर।
अमर लोक से चलकर आए, काटन जम की जंजीर।।
ऐसे-ऐसे अनेकों चमत्कार पूर्ण परमात्मा कबीर जी ने 120 वर्ष किए और लोगों को सदोपदेश किया। जिनके जीवित प्रमाण आज भी गुजरात के द्वारिकापुरी में कबीर कोठा, भरूच में कबीर वट, उत्तरप्रदेश के काशी वनारस में कबीर चौरा और उड़ीसा के जगन्नाथपुरी में कबीर चबूतरा के रूप में मौजूद हैं। जो यह बताते हैं कि कबीर परमेश्वर सर्व शक्तिमान परमात्मा थे, वे जो चाहे सो कर सकते हैं।
कबीर परमेश्वर के 626वें प्रकट दिवस पर भव्य कार्यक्रम
उन्हीं सर्व सृष्टि रचनहार कबीर परमात्मा का इस साल 2, 3 व 4 जून को 626वें प्रकट दिवस पर संत रामपाल जी महाराज जी के तत्वावधान में विशाल समागम मनाया जा रहा है। जिसमें तीन दिन तक संत गरीबदास जी महाराज जी के अमरग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जायेगा। साथ ही रक्तदान शिविर, दहेज मुक्त विवाह के साथ-साथ निःशुल्क नामदान, निःशुल्क खुले भंडारे का आयोजन किया जायेगा। यह समागम विश्वभर के सभी 11 सतलोक आश्रमों में आयोजित हो रहा है। जिनमें सतलोक आश्रम रोहतक (हरियाणा), कुरुक्षेत्र (हरियाणा), भिवानी (हरियाणा), मुंडका (दिल्ली), शामली (उत्तर प्रदेश), खमाणों (पंजाब), धुरी (पंजाब), सोजत (राजस्थान), इंदौर (मध्य प्रदेश), बैतूल (मध्य प्रदेश) तथा जनकपुर (नेपाल) शामिल हैं। इस विशाल भव्य समागम में विश्व भर के सभी जाति, धर्म व मजहब के सभी लोग सादर आमंत्रित हैं। आप भी इस महासमागम में अपने परिवार और मित्रों सहित पधारें और कार्यक्रम की शोभा बढ़ाये।
#KabirPrakatDiwas #SantRampalJiMaharaj #KabirisGod
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jodhpurnews24 · 6 years
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दैनिक भास्कर ने ऊटी, तमिलनाडु में हाथी के बच्चे को बचाने की पुरानी तस्वीर केरल की बताकर छापी
23 अगस्त, 2018 को दैनिक भास्कर नई दिल्ली संस्करण द्वारा प्रकाशित एक लेख में हाथी के एक बच्चे की तस्वीर इस कैप्शन के साथ थी- “सेना केरल में बाढ़ में फंसे लोग के साथ जानवरों की भी मदद कर रही है। जवान ने हाथी के बच्चे को रेस्क्यू किया।” कैप्शन ने बताया कि केरल बाढ़ के दौरान सेना द्वारा हाथी के एक बच्चे को बचाया गया था।
उसी अख़बार के गुजराती संस्करण दिव्य भास्कर ने भी 23 अगस्त, 2018 को यह तस्वीर प्रकाशित की थी।
सोशल मीडिया
कई यूजर्स ने भी तस्वीर को प्रसारित किया है। एक फेसबुक उपयोगकर्ता जॉन मॉरिस ने 20 अगस्त, 2018 को यही तस्वीर पोस्ट की थी। यह लेख लिखे जाने तक इसे 4700 से अधिक बार शेयर किया गया है।
PHOTOGRAPH OF THE YEAR KERALA, FLOODS.
Posted by John Morris on Monday, 20 August 2018
आठ महीने पुरानी तस्वीर
मेट्टुपलायम, कोयंबटूर के पास तैनात 28 वर्षीय फारेस्ट गार्ड पलानिचमी सरथकुमार ने, 12 दिसंबर, 2017 को जब वह रात की शिफ्ट के बाद घर जा रहा था, एक कॉल प्राप्त किया। 29 दिसंबर, 2017 को बीबीसी द्वारा प्रकाशित एक लेख में सरथकुमार ने कहा था, “कॉलर ने मुझे बताया कि एक महिला हाथी वानभद्र कालियाम्मन मंदिर के पास सड़क को अवरुद्ध कर रही थी।” बीबीसी की रिपोर्ट आगे बताती है कि सरथकुमार और उसके सहयोगी पटाखे जलाकर हाथी को जंगल में वापस भेजने में कामयाब रहे। क्षेत्र में अन्य हाथियों की देखभाल के दौरान, टीम एक छोटे से नाले में फंसे एक हाथी का बच्चे के निकट आई। उन्होंने महसूस किया कि यह हाथी का बच्चा ही मादा हाथी के आफ़त का कारण था। वह बच्चा इतना कमजोर था कि चल भी नहीं सकता था।
आगे सरथकुमार को यह कहते हुए उद्धृत किया गया था, “हम इसे सड़क के दूसरी तरफ उसकी मां से मिलाने के लिए ले जाना चाहते थे। लेकिन उसके हमलावर होने का खतरा था क्योंकि वह अभी भी पास में थी। तो, हम सभी को जोखिम में डालने की बजाय मैंने खुद ही सड़क पर उस हाथी के बच्चे को ले जाने का फैसला किया।” (अनुवाद)
फोटो सौजन्य : बीबीसी
दैनिक भास्कर की गलती को पहली बार ट्वीटर उपयोगकर्ता स्नेह भावसार ने उजागर किया था।
13 अगस्त, 2018 को केरल के अथिरपल्ली, त्रिशूर के पास एक हाथी के बच्चे को बचाया गया था। हालांकि, दैनिक भास्कर की रिपोर्ट इसके बारे में नहीं थी। 16 अगस्त, 2018 को द न्यूज़ मिनट द्वारा प्रकाशित एक लेख में, बचाए गए हाथी की एक तस्वीर पेश की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, “दिल को छू लेने वाले एक बचाव अभियान में, केरल राज्य बिजली बोर्ड (केएसईबी) के अधिकारियों ने एक हाथी के बच्चे को जबरदस्त बहती नदी में डूबने से बचाने के लिए बांध के शटर बंद कर दिए।” (अनुवाद)
फोटो सौजन्य : द न्यूज़ मिनट
केरल बाढ़ की रिपोर्ट करते हुए कई प्रतिष्ठित मीडिया संगठनों में सावधानी बरतने की कमी देखी गई है। घटना से असंबद्ध स्थान के फ़ोटो और वीडियो को शामिल करना कई बार दोहराया गया है।
The post दैनिक भास्कर ने ऊटी, तमिलनाडु में हाथी के बच्चे को बचाने की पुरानी तस्वीर केरल की बताकर छापी appeared first on Alt News.
Hindi News Latest Hindi News
The Hindi News दैनिक भास्कर ने ऊटी, तमिलनाडु में हाथी के बच्चे को बचाने की पुरानी तस्वीर केरल की बताकर छापी appeared first on Hindi News.
source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/ajab-gajab-news/14802/
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topnews123 · 7 years
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तीन बच्चों समेत मां गंगा में डूबी, तीन बच्चों के निकाले गये शव , गोताखोरों ने मां को बचाया, नहाते समय मां को डूबता देख बचाने को कूदे थे बच्चे
तीन बच्चों समेत मां गंगा में डूबी, तीन बच्चों के निकाले गये शव , गोताखोरों ने मां को बचाया, नहाते समय मां को डूबता देख बचाने को कूदे थे बच्चे
कानपुर रिपोर्ट रोहित कुमार निगम :- शिवराजपुर के सरैया घाट पर तीन बच्चों के साथ आई महिला गंगा स्नान समय डूबने लगी। मां को बचाने के चक्कर में तीन बच्चे में कूद गये और डूब गये। इस बीच गोताखोरों ने महिला को तो निकाल लिया, लेकिन तीनों बच्चों की डूबने से मौत हो गई। सभी के शवों को निकालते हुए पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
शिवराजपुर के नरूआ ग्राम में रहने वाले सर्वेश पाल नमस्ते इंडिया में काम करते…
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