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#बुध संक्रमण प्रभाव
bhagyachakra · 2 years
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 29 जून 2022 सूर्योदय :- 05:44 सूर्यास्त :- 19:17 सूर्य राशि :- मिथुन चंद्र राशि :- मिथुन मास :- आषाढ़ तिथि :- अमावस्या ( अमावस्या तिथि प्रातः 08:23 तक तत्पश्चात प्रतिपदा ) वार :- बुधवार नक्षत्र :- आर्द्रा योग :- वृद्धि करण :- नाग अयन:- उत्तरायण पक्ष :- कृष्ण ऋतू :- ग्रीष्म लाभ :- 17:35 - 19:16 अमृत:- 07:25 - 09:07 शुभ :- 10:48 - 12:30 राहु काल :- 12:31 - 14:02 जय महाकाल महाराज :- *ग्रह दोष के पूर्व संकेत :-* ग्रह अपना शुभाशुभ प्रभाव गोचर एवं दशा-अन्तर्दशा-प्रत्यन्तर्दशा में देते हैं।जिस ग्रह की दशा के प्रभाव में हम होते हैं, उसकी स्थिति के अनुसार शुभाशुभ फल हमें मिलता है। जब भी कोई ग्रह अपना शुभ या अशुभ फल प्रबल रुप में देने वाला होता है, तो वह कुछ संकेत पहले से ही देने लगता है । ऐसे ही कुछ पूर्व संकेतों का विवरण यहाँ दृष्टव्य है। *बुध के अशुभ होने के पूर्व संकेत* व्यक्ति की विवेक शक्ति नष्ट हो जाती है अर्थात् वह अच्छे-बुरे का निर्णय करने में असमर्थ रहता है। सूँघने की शक्ति कम हो जाती है। काम-भावना कम हो जाती है। त्वचा के संक्रमण रोग उत्पन्न होते हैं। पुस्तकें, परीक्षा के कारण धन का व्यय होता है। शिक्षा में शिथिलता आती है । आज का मंत्र :- ""|| ॐ गं गणपतये नमः ॥ ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 29 जून 2022 ( बुधवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CfYAoG3o9lL/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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loksutra · 2 years
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बुध गोचर 2022: बुध प्रतिगामी झाला आहे, जूनपर्यंत या तीन राशींना मजबूत लाभ देईल
बुध गोचर 2022: बुध प्रतिगामी झाला आहे, जूनपर्यंत या तीन राशींना मजबूत लाभ देईल
या महिन्यात सूर्य, मंगळ आणि शुक्र आपल्या राशी बदलणार आहेत. दुसरीकडे, मंगळवारी बुधही मागे फिरला आहे. आता ते जूनपर्यंत अनेक राशींवर प्रभाव टाकतील. सिंह, मेष, वृषभ, धनु, मकर, मीन 3 जून पर्यंत.
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bharatlivenewsmedia · 2 years
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दोन दिवसात होणार बुध ग्रहाचे संक्रमण; ‘या’ तीन राशींच्या लोकांसाठी हा काळ ठरणार आर्थिकदृष्ट्या फायदेशीर
दोन दिवसात होणार बुध ग्रहाचे संक्रमण; ‘या’ तीन राशींच्या लोकांसाठी हा काळ ठरणार आर्थिकदृष्ट्या फायदेशीर
दोन दिवसात होणार बुध ग्रहाचे संक्रमण; ‘या’ तीन राशींच्या लोकांसाठी हा काळ ठरणार आर्थिकदृष्ट्या फायदेशीर ज्योतिष शास्त्रानुसार, ग्रह राशी बदलण्यासोबतच इतर ग्रहांशी देखील संवाद साधतात, आपला वेग बदलतात. या सर्व बदलांचा लोकांच्या जीवनावर मोठा प्रभाव पडतो. संपत्ती, बुद्धिमत्ता, व्यापार यांचा कारक ग्रह बुध येत्या १० मे रोजी वक्री होणार असून तो ३ जूनपर्यंत तसाच राहील. बुद्ध ग्रह वृषभ राशीत वक्री होणार…
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countryconnect · 2 years
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Astrology : 27 फरवरी को मकर राशि में प्रवेश करेंगे शुक्रदेव, जानिए किन राशियों पर होगा इसका प्रभाव
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वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को धन, संपदा, वैभव, सुख, प्रेम और सौंदर्य आदि का कारक माना गया है। शुक्र 27 फरवरी 2022 को सुबह 09:53 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे। इसके साथ ही इस गोचर का प्रभाव राष्ट्रव्यापी और वैश्विक स्तर पर देखने को मिलेगा। वहीं शुक्र के राशि परिवर्तन से जातकों के जीवन पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि जिन व्यक्तियों की कुंडली में शुक्र ग्रह शुभ और अच्छी स्थिति में होता है ऐसे जातक अपने दृष्टिकोण में आकर्षक होते हैं और स्वभाव में बेहद ही रोमांटिक होते हैं। इसके अलावा ऐसे जातकों का प्रेम और वैवाहिक जीवन बेहद सफल और सुखमय होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शुक्र प्रेम और सौंदर्यता का प्रतिनिधि करने वाला ग्रह है। यदि कुंडली में शुक्र ग्रह शुभ स्थिति में ना हो तो व्यक्ति के जीवन में शुभ कार्य में कमी देखने को मिल सकती है। किसी भी ग्रह के राशि परिवर्तन करने से उसका प्रभाव मनुष्य जीवन पर देखने को मिलता है। शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं जबकि सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शुक्र का पौराणिक कथाओं में प्रचलित नाम शुक्राचार्य है जिनके बाद संजीवनी विद्या थी और ये शिव के परम भक्त व महर्षि भृगु ऋषि के पुत्र हैं। सप्ताह में शुक्रवार का दिन शुक्र को समर्पित है। शुक्र के अच्छे फल के लिए महिलाओं का सम्मान करें। परशुराम की आराधना करने से भी शुक्र की कृपा प्राप्त होती है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख वैवाहिक सुख भोग-विलास शौहरत कला प्रतिभा सौन्दर्य रोमांस काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। शुक्र के पास अमृत संजीवनी भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अमृत संजीवनी के मालिक शुक्र पृथ्वी के साथ हैं और शुक्र के पास अमृत संजीवनी है। इस कारण कोरोना महामारी संक्रमण में कमी आयेगी। कोरोना महामारी संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर में कमी आएगी और कोरोना का असर न्यूनतम होगा। प्राकृतिक आपदा और अप्रिय घटनाएं जन शून्य स्थानों पर होने की संभावना अधिक है। शुक्र अमृत संजीवनी के कारण संक्रमण और दुर्घटना के शिकार लोगों को बचाने में सफल रहेंगे। शुक्र का शुभ-अशुभ प्रभाव भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शुक्र के राशि परिवर्तन से कोरोना महामारी से होने वाली मृत्यु दर में कमी आएगी और कोरोना का असर न्यूनतम होगा। भौतिक सुख और वैवाहिक सुख में वृद्धि होगी। कानूनी मामलों में वृद्धि होगी। देश की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ रहेगा। शुक्र के राशि बदलने से खाने की चीजों की कीमतें सामान्य रहेंगी। सब्जियां, तिलहन और दलहन की कीमतें कम होंगी। मशीनरी समान महंगे हो सकते हैं। व्यापार में तेजी रहेगी। सोने चांदी के भाव में वृद्धि होगी। दूध से बनी चीजों का उत्पादन बढ़ सकता है। सुख-सुविधाओं की चीजों में बढ़ोत्तरी भी हो सकती है। रोजगार के क्षेत्रों में वृद्धि होगी। आय में बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही राजनीति में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। शुक्र के अशुभ प्रभाव से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी होती है। शुक्र ग्रह के उपाय भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि लक्ष्मी माता की उपासना करें। सफेद वस्त्र दान करें। भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे और कुत्ते को दें। शुक्रवार का व्रत रखें और उस दिन खटाई न खाएं। चमकदार सफेद एवं गुलाबी रंग का प्रयोग करें। श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर के पंडित मदन शर्मा ने बताया कि श्री सूक्त का पाठ करें। शुक्रवार के दिन दही, खीर, ज्वार, इत्र, रंग-बिरंगे कपड़े, चांदी, चावल इत्यादि वस्तुएं दान करें। आइए भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास से जानते हैं कि शुक्र के गोचर से सभी राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। मेष राशि शुक्र आपके दसवें स्थान पर गोचर करेंगे। आपको करियर के क्षेत्र में सक्सेस मिलेगी। आपकी सफलता में पिता हमेशा आपके साथ रहेंगे। इसके अलावा आपके पिता को भी तरक्की के लिये बेहतरीन मौके मिलेंगे। वृष राशि शुक्र आपके नवें स्थान पर गोचर करेंगे  भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। इस दौरान आप जो चाहेंगे, वो अवश्य ही पूरा होगा। साथ ही आपको धन लाभ होगा और जीवन में संतान का सुख भी बना रहेगा। मिथुन राशि शुक्र आपके आठवें स्थान पर गोचर करेंगे। आपकी सेहत ठीक रहेगी। अगर आप अपने खान-पान का ध्यान रखेंगे, तो आपको सेहत संबंधी किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। आप इस दौरान अपने जीवनसाथी की हर बात मानेंगे। कर्क राशि शुक्र आपके सातवें स्थान पर गोचर करेंगे। समाज में सबके साथ अच्छे रिश्ते कायम करने में आपको मेहनत करनी पड़ेगी। आप अपने ऐशो आराम पर कुछ ज्यादा ही खर्चा कर सकते हैं। आपको थोड़ा ध्यान देकर चलने की जरूरत है। सिंह राशि शुक्र आपके छठे स्थान पर गोचर करेंगे। आपको संतान पक्ष से उम्मीद के अनुसार लाभ नहीं मिल पायेगा। हालांकि आर्थिक रूप से आपके साथ सब कुछ अच्छा रहेगा। आपके पास धन की कमी नहीं होगी। साथ ही आपको अपने दोस्तों का पूरा सहयोग मिलेगा। कन्या राशि शुक्र आपके पांचवें स्थान पर गोचर करेंगे। आपको घर-परिवार में किसी प्रकार की कमी नहीं होगी। आपके जीवन में संतान सुख बना रहेगा। परिवार के प्रति आपका प्यार बना रहेगा। आपके धन में बढ़ोत्तरी होगी। तुला राशि शुक्र आपके चौथे स्थान पर गोचर करेंगे। आर्थिक स्थिति अच्छी बनाये रखने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी आपके भौतिक सुख-साधनों में थोडा उतार-चढ़ाव आएगा। आपको माता का सहयोग पाने के लिये अधिक कोशिशें करनी पड़ सकती है। वृश्चिक राशि शुक्र आपके तीसरे स्थान पर गोचर करेंगे। आपके पास दूसरे लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करनी की क्षमता होगी। आप अपनी बातों से सबको इम्प्रेस कर लेंगे। किसी व्यक्ति से आपके अच्छे सम्पर्क बन सकते हैं। धनु राशि शुक्र आपके दूसरे स्थान पर गोचर करेंगे। आर्थिक रूप से बहुत स्ट्राँग रहेंगे। आपको पैसों के मामले में अच्छा मुनाफा होगा। आपको कमाई के कुछ नये साधन भी मिल सकते हैं। जीवन में सांसारिक सुख बना रहेगा। मकर राशि शुक्र आपके पहले स्थान पर गोचर करेंगे। आपको परिवार में किसी प्रकार की परेशानी महसूस हो सकती है। आपको अपने सगे-संबंधियों के साथ अच्छा व्यवहार बनाये रखना चाहिए। 31 मार्च तक आपको किसी भी चीज़ के प्रति बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं होना चाहिए। कुंभ राशि शुक्र आपके बारहवें स्थान पर गोचर करेंगे। आपको शैय्या सुख का पूरा लाभ मिलेगा। जीवनसाथी आपके हर कदम पर साथ रहेंगे। आप दोनों के बीच प्यार बना रहेगा। पैसों के मामले में भी स्थिति अच्छी रहेगी। मीन राशि शुक्र आपके ग्यारहवें स्थान पर गोचर करेंगे। धन का लाभ मिलेगा | आपकी आमदनी ठीक बनी रहेगी। इस दौरान आपकी इच्छाओं को मूरत रूप मिल सकता है, यानि आपकी कोई खास इच्छा पूरी हो सकती है। Read the full article
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bhaktigroupofficial · 3 years
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💐🌼🌺🛕[श्री भक्ति ग्रुप मंदिर]🛕🌺🌼💐
🌼🌄 #सुप्रभातम 🌄🌼
🗓 #आज_का_पञ्चाङ्ग 🗓
🌻#रविवार, ०३ #अक्टूबर २०२१🌻
सूर्योदय: 🌄 ०६:१६
सूर्यास्त: 🌅 ०६:०२
चन्द्रोदय: 🌝 २७:३९
चन्द्रास्त: 🌜१६:२६
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (राक्षस)
मास 👉 आश्विन
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 द्वादशी (२२:२९ तक)
नक्षत्र 👉 मघा (२७:२६ तक)
योग 👉 साध्य (१६:१८ तक)
प्रथम करण 👉 कौलव (१०:५५ तक)
द्वितीय करण 👉 तैतिल (२२:२९ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कन्या
चंद्र 🌟 सिंह
मंगल 🌟 कन्या (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 कन्या (अस्त, पूर्व, वक्री)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 वृश्चिक (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४२ से १२:२९
अमृत काल 👉 २५:०३ से २६:३८
विजय मुहूर्त 👉 १४:०४ से १४:५१
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:४८ से १८:१२
निशिता मुहूर्त 👉 २३:४१ से २४:३०
राहुकाल 👉 १६:३१ से १८:००
राहुवास 👉 उत्तर
यमगण्ड 👉 १२:०६ से १३:३४
होमाहुति 👉 केतु
दिशाशूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 आकाश
चन्द्रवास 👉 पूर्व
शिववास 👉 नन्दी पर (२२:२९ से भोजन में)
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☄चौघड़िया विचार☄
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ - उद्वेग २ - चर
३ - लाभ ४ - अमृत
५ - काल ६ - शुभ
७ - रोग ८ - उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ - शुभ २ - अमृत
३ - चर ४ - रोग
५ - काल ६ - लाभ
७ - उद्वेग ८ - शुभ
नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
पूर्व-उत्तर (पान का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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द्वादशी तिथि का श्राद्ध, सन्यासियों का श्राद्ध, बुध पश्चिम में अस्त ११:३१ से आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २७:२६ तक जन्मे शिशुओ का नाम
मघा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (मा, मी, मू, में) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमश (मो) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कन्या - २९:०२ से ०७:१९
तुला - ०७:१९ से ०९:४०
वृश्चिक - ०९:४० से १२:००
धनु - १२:०० से १४:०३
मकर - १४:०३ से १५:४४
कुम्भ - १५:४४ से १७:१०
मीन - १७:१० से १८:३४
मेष - १८:३४ से २०:०८
वृषभ - २०:०८ से २२:०२
मिथुन - २२:०२ से २४:१७
कर्क - २४:१७ से २६:३९
सिंह - २६:३९ से २८:५८
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पञ्चक रहित मुहूर्त
रोग पञ्चक - ०६:११ से ०७:१९
शुभ मुहूर्त - ०७:१९ से ०९:४०
मृत्यु पञ्चक - ०९:४० से १२:००
अग्नि पञ्चक - १२:०० से १४:०३
शुभ मुहूर्त - १४:०३ से १५:४४
रज पञ्चक - १५:४४ से १७:१०
शुभ मुहूर्त - १७:१० से १८:३४
शुभ मुहूर्त - १८:३४ से २०:०८
रज पञ्चक - २०:०८ से २२:०२
शुभ मुहूर्त - २२:०२ से २२:२९
चोर पञ्चक - २२:२९ से २४:१७
शुभ मुहूर्त - २४:१७ से २६:३९
रोग पञ्चक - २६:३९ से २७:२६
शुभ मुहूर्त - २७:२६ से २८:५८
मृत्यु पञ्चक - २८:५८ से ३०:१२
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
●▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬●
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन आपके स्वभाव में परिवर्तन देखने को मिलेगा लेकिन इसके पीछे भी कुछ ना कुछ स्वार्थ अवश्य छुपा रहेगा। दिन के आरंभिक भाग में विवेकपूर्ण आचरण कर घरवालो को आश्चर्य में डालेंगे लेकिन मन का भेद अधिक देर तक ना छुप पाने पर शीघ्र ही पोल खुल जाएगी आज आपके अंदर स्वार्थ सिद्धि की भावना होने पर भी किसी का अहित नही होने देंगे। कार्य क्षेत्र पर आज अनुकूल परिस्थितियां मिलने का जमकर लाभ उठाएंगे लेकिन जितना भी कमाएंगे उसका अधिकांश भाग तुरंत कही न कही लग जायेगा। दोपहर के बाद कार्य क्षेत्र पर व्यस्तता होने के बाद भी आपका ध्यान वर्जित कर्मो के प्रति भटकेगा संध्या बाद टालने पर भी कोई समाज विरुद्ध कार्य करने की संभावना है बाद में भाग्य और स्वयं को दोष देना पड़े इसलिये इससे बचे अन्यथा घर का सुखी वातावरण खराब भी हो सकता है। नेत्र ज्योति अथवा हड्डी में चोट और सरदर्द से तकलीफ हो सकती है।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आपका आचरण अन्य लोगो को पसंद नही आएगा। स्वभाव से धार्मिक होते हुए भी वाणी में मिठास की कमी रहेगी। मन मे भी किसी न किसी के प्रति रागद्वेष की भावना रहने से आज जल्दी से किसी से पटेगी नही फिर भी अपने मे।ही मस्त रह लेंगे। कार्य क्षेत्र पर उछाल रहने पर भी आशानुकूल लाभ नही कमा सकेंगे फिर भी दैनिक खर्च निकालने में परेशानी नही आएगी। नौकरी पेशाओ को कार्य क्षेत्र पर भार बढ़ने से असहजता होगी धीमी गति से कार्य करने पर किसी की डांट सुनने को मिलेगी। मध्यान बाद तेजी से कार्य करने में हानि हो सकती है लेकिन आज आप अपनी गलती पर भी बड़ी सफाई से लीपा पोती कर बच निकलने में।सफल रहेंगे। संध्या के समय धार्मिक क्षेत्र की यात्रा के प्रसंग बनेंगे। घरेलू वातावरण थोड़ा उथल पुथल रहेगा सब अपने कार्यो में व्यस्त रहेंगे सहायता की उम्मीद ना रखें।
अकस्मात बीमारियों का प्रकोप परेशान कर सकता है।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपको मिला जुला फल देगा। दिन के आरंभिक भाग में किसी परिजन से आपके गलत आचरण को लेकर बहस होगी लेकिन बात गंभीर होने से पहले ही सुधार कर लेंगे। कार्य क्षेत्र अथवा किसी अन्य जगह से अकस्मात लाभ या शुभ समाचार मिलने से उत्साहित होंगे लेकिन उत्साह ज्यादा देर नही टिकेगा लापरवाही अथवा भाग्य का साथ कम मिलने से बने बनाये कार्य बिगड़ने की संभावना है फिर भी आज धन की आमद थोड़ी थोड़ी मात्रा में कई बार होने से राहत मिलेगी लेकिन यह भी कुछ समय के लिये ही सुख दे पाएगी आज खर्च अन्य दिनों की तुलना में अधिक होने पर धन संचय नही कर पाएंगे ऊपर से उधारी वालो के कारण मन अस्थिर रहेगा। पैतृक एवं कुटुम्ब के कार्य आज झंझट जैसे लगेंगे फिर भी व्यवहारिकता के लिये मन मारकर करने ही पड़ेंगे। दाम्पत्य जीवन मे भी आज चंचलता अधिक रहेगी। सेहत ठीक रहने पर भी मन मे कोई ना कोई भय बना रहेगा। यात्रा से खर्च करने पर भी कुछ आशा ना रखें।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन व्यर्थ की उठापटक में बीतेगा जिस कार्य को करना चाहिये उसमे लापरवाही करेंगे नही करने वाले कार्यो को प्रसन्न होकर करेंगे जिससे सामाजिक।एव पारिवारिक सम्मान में कुछ कमी आएगी लेकिन आज आस पास के लोगो को आपकी हर प्रकार से मदद की आवश्यकता पड़ेगी जिसकारण कोई भी आपका प्रतिरोध करने से पहले एकबार अवश्य सोचेगा। कार्य क्षेत्र पर अपनी वाणी के प्रभाव से लोगो का दिल जीतेंगे फिर भी आर्थिक लाभ पाने के लिये अपने स्वाभिमान को त्यागना पड़ेगा। धन की आमद न्यून रहेगी लेकिन खर्च आकस्मिक होने से आर्थिक संतुलन गड़बड़ायेगा। आज पारिवारिक मामलों की अनदेखी करेंगे किसी सदस्य के नाराज होने पर मनाने की जगह उल्टा आरोप लगाएंगे। यात्रा की कामना मन मे रह जायेगी। सेहत आज ठी�� ही रहेगी।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन बीते दिनों की तुलना में शुभ फलदायक रहेगा। लेकिन आज आप मन ही मन जले भुने से रहेंगे। किसी कामना की पूर्ति ना होने पर भाग्य के साथ परिजन को भी दोष देंगे। मध्यान तक अंतर्द्वंद लगा रहेगा परिजनों के ऊपर अनैतिक दबाव बनाने के चक्कर मे घर की सुख शांति बिगड़ेगी। कार्य क्षेत्र पर आज अनुकूल व्यवरण मिलेगा लेकिन आपका टालमटोल का रवइया होने वाले लाभ में कमी लाएगा। आज घरेलू समस्या को घ में एवं व्यावसायिक उलझनों को कार्य क्षेत्र तक ही सीमित रखें अन्यथा दोनो ही जगह से निराश होना पड़ेगा। धन की आमद आज अवश्य होगी जल्दबाजी ना करे ना ही आज किसी से आवेश में आकर कोई वादा करें बाद में अवश्य ही वादाखिलाफी का आरोप लगेगा। घर का वातावरण शांत ही रहेगा आपमे धैर्य की कमी रहेगी इसलिये परिजनों की चोटी मोटी बातो को अनदेखा करें। टांगो में चोट अथवा कोई अन्य गंभीर शारीरिक समस्या का भय रहेगा।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आपकी आशाओं के विपरीत रहने वाला है दिन के आरंभिक भाग को छोड़ शेष भाग में कोई ना कोई परेशानी लगी रहेगी। आपका स्वभाव भी आज धार्मिक होते हुए भी अत्यंत स्वार्थी रहेगा जहां से कोई लाभ की उम्मीद रहेगी वहां अत्यंत मीठा व्यवहार करेंगे इसके विपरीत अन्य लोगो से बात करना भी पसंद नही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी आपका रूखा व्यवहार के कारण लाभ होते होते हाथ से निकल सकता है। धन लाभ के लिये इंतजार करना पड़ेगा विवशता में किसी विरोधी से भी सहयोग लेने की नौबत आ सकती है। घरेलू वातावरण मध्यान तक घर मे धार्मिक कार्य होने से शांत रहेगा लेकिन परिजनों के मध्य आज सहयोग और आपसी भावनाओ की कमी रहेगी परिजनों को शकि की दृष्टि से देखने पर आज धैर्य खो देने पर कलह हो सकती है। आर्थिक निवेश आज भूल कर भी ना करें। मूत्राशय अथवा गर्भाशय एवं हृदय संबंधित विकार उत्पन्न हो सकते है।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आपको घरेलू और सार्वजिनक कार्यो के लिये अपनी दिनचार्य एवं आवश्यक कार्यो में बदलाव करना पड़ेगा। दिन के आरंभ से मध्यान तक का समय शुभ कार्यो में सम्मिलित होने से आत्मबल मिलेगा लेकिन मन मे कोई न कोई उठापटक लगी ही रहेगी। सामाजिक क्षेत्र से आज भी धन और प्रतिष्ठा तो मिलेगी ही साथ ही बड़बोलेपन के चलते कोई नई समस्या भी बना लेंगे। स्वभाव में भावुकता कम रहेगी लेकिन अपने कार्य निकालने के लिये छोटा बनने में संकोच नही करेंगे। नए कार्य की तुलना में पैतृक कार्य से धन की आमद अधिक होगी। कार्य क्षेत्र एवं घर की व्यवस्था सुधारने पर खर्च भी करेंगे। नौकरी पेशा अपनी योग्यता के बल पर सम्मानित होंगे साथ ही नया कार्य भर भी बढ़ेगा। घर का वातावरण आज सुख की अनुभूति कराएगा। नेत्र रोग अत्यधिक थकान एवं कमर से नीचे के भाग संबंधित समस्या रहेगीं।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिये कार्य सफलता वाला रहेगा पिछले कुछ दिनों से किसी विशेष कार्य में सफल होने की संभावना अधिक है साथ ही आज सार्वजिक एवं सरकारी क्षेत्र के उच्च प्रतिष्ठित लोगो से निकटता बढ़ने का लाभ भी निकट भविष्य में शीघ्र ही देखने को मिलेगा। दिन के आरंभ से मध्यान तक कि दिनचार्य अव्यवस्थित रहेगी घरेलू कार्यो की अधिकता के चलते अन्य कार्यो में फेरबदल करना पड़ेगा। दोपहर बाद किसी परिचित से शुभ समाचार मिलने से उत्साह वृद्धि होगी। कार्य क्षेत्र पर आज किसी परिजन की व्यवहारिकता लाभ दिलाएगी। धन की आमद सोच से अधिक होगी लेकिन आज के दैनिक खर्च भी अधिक रहने से बचत नही कर पाएंगे। व्यावसायिक अथवा पर्यटन यात्रा की योजना बनेगी इसके अन्त समय मे टालने की संभावना भी रहेगी। दाम्पत्य जीवन मे कुछ समय के लिये कटुता का अनुभव होगा फिर भी तालमेल बिठा ही लेंगे। अत्यधिक थकान और लापरवाही के कारण चोटादि एवं फेफड़े में संक्रमण का भय है।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आपका चित धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत रहेगा। दिन का आरंभ अत्यंत सात्विक और सादगीपूर्ण रहेगा। घरेलू पूजा पाठ के साथ मित्र परिचितों के साथ धार्मिक क्षेत्र देवदर्शन के योग बनेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज अत्यधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा फिर भी अपने विवेक से आवश्यकता अनुसार लाभ अर्जित कर ही लेंगे धन के आने के साथ जाने के रास्ते भी स्वतः ही खुले रहने के कारण पैसे जोड़ने में मुश्किल होगी। आर्थिक अथवा सम्पति के कारणो से घर के ही किसी सदस्य से तीखी झड़प होने की संभावना है आप एकबार धैर्य विवेक से काम लेंगे लेकिन सामने वाला जबरदस्ती हावी होने पर अपना धैर्य भी खो सकते है समझदारी से काम ले अन्यथा उलझन सुलझने की जगह अधिक बढ़ सकती है। संध्या का समय अत्यंत थकान से भरा रहने के कारण कार्यो में उत्साह खत्म होगा। सर्दी जुखाम की शिकायत हो सकती है।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से आज का दिन प्रतिकूल रहेगा दिन के आरम्भ से ही शारीरिक शिथिलता मांसपेशियों में अकड़न रहने से दैनिक कार्यो को भी जबरदस्ती करना पड़ेगा साथ ही आज विशेष कर महिलाओ को घर मे किसी मांगलिक आयोजन के कारण अतिरिक्त भागदौड़ करनी पड़ेगी जिससे मध्यान बाद शारीरिक सामर्थ्य एकदम से घटेगा। कार्य क्षेत्र पर भी अनमने मन से काम करेंगे अधिकांश कार्य मे सहकर्मी अधीनस्थ के ऊपर निर्बहर रहना पड़ेगा जिसके फलस्वरूप गड़बड़ी होने की संभावना अधिक रहेगी और जितना मिले उसी से संतोष करना पड़ेगा। आज आप विरोधियो से हर क्षेत्र में आगे ही रहेंगे फिर भी आपकी कार्य आरंभ होते ही किसी न किसी उलझन में अवश्य पड़ेंगे। संतान अथवा किसी अन्य परिजन के कारण यात्रा हो सकती है संभव हो तो इसे टाले। वाहन से दुर्घटना अथवा अग्नि धारदार औजार से शारीरिक क्षति हो सकती है।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन भागदौड़ भरा रहेगा। दिन के आरंभ में घर मे किसी शुभ आयोजन के चलते कोई अन्य आवश्यक कार्य रद्द अथवा आगे सरकाना पड़ेगा। मध्यान के समय कार्य क्षेत्र पर काम कम होने पर भी किसी न किसी कारण से व्यस्तता रहेगी। आर्थिक रूप से संध्या का समय ठीक ठाक रहेगा। धन की आमद सहजता से हो जाएगी फिर भी मन अधिक पाने की लालसा में संतुष्ट नही होगा। आज दैनिक खर्च के अतिरिक्त खर्च आने से असहजता होगी। विदेश जाने के इच्छुक लोगों को सरकारी प्रक्रिया बढ़ने से निराश होना पड़ सकता है फिर भी थोड़े अधिक प्रयास से सफलता मिल जायेगी। आज घरेलू वातावरण आध्यात्मिक रहने से सकारत्मक ऊर्जा का संचार होगा फिर भी भाई बंधुओ में ईर्ष्या युक्त संबंध बने रहेंगे। माता अथवा ननिहाल पक्ष का सुख कम रहेगा इनसे संबंधित कोई अप्रिय समाचार मिल सकता है। रक्तचाप अथवा कमजोरी से घर का कोई न कोई सदस्य पीड़ित रहेगा।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
बीते दिन की अपेक्षा आज आपके स्वभाव में गंभीरता आएगी लेकिन पहले की लापरवाही आज कुछ ना कुछ अभाव अवश्य बनायेगीं। दिन की शुरुआत में जो भी योजना बनाएंगे उसे पूर्ण करने में धन अथवा अन्य किसी कारण से बाधा आएगी। कार्य क्षेत्र पर व्यवसाय उत्तम रहेगा परिश्रम करने पर धन की आमद संतोषजनक हो जाएगी फिर भी आज आपके मन मे कोई न कोई तिकडम लगी रहेगी कम समय मे ज्यादा लाभ पाने की योजना बनाएंगे। आज सट्टे लाटरी से अकस्मात लाभ हो सकता है। अपना हित साधने के लिये अन्य लोगो की अनदेखी करने में सं��ोच नही करेंगे स्वार्थी स्वभाव के चलते भाई बंधु के सुख में कमी रहेगी। माता से उत्तम सुख एवं लाभ मिलने की संभावना है। घर मे पूजा पाठ का आयोजन होगा धार्मिक और व्यावसायिक यात्रा के योग बन रहे है इससे ज्यादा लाभ की आशा न रखें। अकस्मात जलने चोट लगने का भय है महिलाए आज सेहत का विशेष खयाल रखें।
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🕉🍀 आपका दिन मंगलमय हो 🍀🕉
🦚🌈[ श्री भक्ति ग्रुप मंदिर ]🦚🌈
🙏🌹🙏जय श्री सूर्यदेव जी🙏🌹🙏
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kisansatta · 4 years
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कल है बुद्ध पूर्णिमा, इस तरह बनें पुण्य के भागी
बुद्ध पूर्णिमा 7 मई को है। हिंदू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा की काफी महिमा बताई गई है। वैशाख माह की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध का जन्मदिन हुआ था, इसलिए हर साल इस मौके पर बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।बुध पूर्णिमा का संबंध गौतम बुद्ध के साथ जोडा है। इस दिन गौतम बुद्ध जयंती भी मनाई जाती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं से युक्त होता है और इस दिन चंद्रमा की किरणों में बहुत अधिक एनर्जी होती है, जो व्यक्ति के मस्तिष्क पर प्रभाव डालती है। इसका एक कारण यह भी है, क्योंकि चंद्रमा को मन का कारण माना जाता है। मान्यता है कि भगवान बुद्ध श्री हरि विष्‍णु का अवतार हैं।
इस पूर्णिमा को सिद्ध विनायक पूर्णिमा या सत्‍य विनायक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ को लेकर कुछ विशेष नियम बताए गए हैं जिनका पालन न करने पर भक्तों को ईश्वर की कृपा नहीं मिलती है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन भी ईश्वर अराधना करते समय व्यक्ति को भूलकर भी ये काम नहीं करने चाहिए। हर साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन भक्त लाखों की संख्या में पवित्र नदियों पर स्नान करने जाते थे। लेकिन इस बार चूंकि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए हर जगह लॉकडाउन है ऐसे में गंगा स्नान करने बिल्कुल भी न जाएं। अपने घर में ही पवित्र गंगा का मन ही मन स्मरण करते हुए साफ पानी से स्नान करें। मन को शुद्ध रखें। इस बार की पूर्णिमा कई मायनों में बेहद ख़ास है, 205 सालों बाद पूर्णिमा पर शनि, राहु-केतु एक सीध में हैं। यह एक दुर्लभ योग है।
बुद्ध पूर्णिमा 2020 :- तिथि 7 मई 2020 (गुरुवार)
बुद्ध पूर्णिमा मुहूर्त 2020:- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 6 मई (सांयकाल 7।44 बजे से) पूर्णिमा तिथि समाप्त – 7 मई (सांयकाल 4।14 बजे तक)
बुद्ध पूर्णिमा के दिन भूलकर भी ना करें ये काम:-
बुद्ध पूर्णिमा के दिन मांस ना खाएं।
घर में किसी तरह का कोई कलह ना करें।
किसी को अपशब्द कहने से बचें।
आज के दिन झूठ बोलने से बचें।
ग्रहों का होगा योग:-
बौद्ध पूर्णिमा के दिन गुरु और शनि ग्रह मकर राशि में रहेंगे। वहीं मंगल कुंभ राशि में, राह��� मिथुन राशि में, केतु धनु राशि में रहेगा । गुरु नीच का है और यह मकर राशि में रहेगा। पूरे विश्व के लिए ग्रहों का यह प्रभाव लाभकारी सिद्ध हो सकता है। चंद्रमा और सूर्य एक दूसरे को देख रहे हैं। लोगों को बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है। हालांकि कहीं-कहीं ज्यादा उथल-पुथल का माहौल भी हो सकता है।
भगवान विष्णु के अवतार थे बुद्ध:-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान बुद्ध भगवान विष्णु के 9वें अवतार थे। बौद्ध धर्म की मान्यता है कि भगवान बुद्ध के एक मंत्र का जाप करने से काफी शक्ति मिलती है और परेशानियां अपने आप ही कम होने लगती हैं। आइए जानते हैं बौद्ध धर्म के इस चमत्कारी मंत्र के बारे में।।।
‘ॐ मणि पदमे हूम्‌’ बौद्ध धर्म के लोग इस मंत्र को काफी पवित्र और शक्तिशाली मानते हैं। बौद्ध धर्म की महायान शाखा में यह मंत्र विशेष रूप से जाप किया जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन करें ये काम:-
सबसे पहले सूर्य उदय से पहले उठकर घर की साफ-सफाई कर लें।
इसके बाद स्नान करके खुद पर गंगाजल का छिड़काव कर लें।
घर के मंदिर में विष्णु जी की प्रतिमा के सामने दीपक जलाकर उनकी पूजा करें।
घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर वहां गंगाजल छिड़क दें।
पूजा करने के बाद गरीबों को भोजन करवाकर उन्हें कपड़े दान करें।
अगर आपके घर में कोई पक्षी हो तो उसे बुद्ध पूर्णिमा के दिन आजाद कर दें।
इसके बाद शाम को उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें।
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parashmuni · 4 years
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*Coronavirus (कोरोना वायरस)*
आज के समय में एक ऐसी समस्या बनकर खड़ी हो गई है, जिससे विश्व का लगभग हर देश पीड़ित हो रहा है। हर रोज नए नए केस सामने आ रहे हैं और कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो रही है। आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं क्या है कोरोना वायरस और क्या है इसका ज्योतिषीय आधार तथा ज्योतिषीय उपाय।
*कोरोना वायरस (Coronavirus) क्या है ?*
कोरोना वायरस (coronavirus) एक वायरस (विषाणु) है, जो संक्रामक रोग का रूप लेता जा रहा है। इस वायरस के संक्रमण से चीन के अलावा लगभग 72 देश पीड़ित हो रहे हैं। यह तेजी से फैलता हुआ एक ऐसा वायरस है, जिसके बारे में कभी पहले पता नहीं लगा। शोधकर्ताओं के अनुसार कोरोना वायरस (coronavirus) वास्तव में विषाणुओं का एक समूह है, जो प्रत्यक्ष तौर पर शरीर को प्रभावित करता है। इंसानों के साथ-साथ यह जानवरों में भी फैल रहा है। यह दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ है और डब्लूएचओ (WHO) के मुताबिक अभी तक इस वायरस को रोकने के लिए कोई भी टीका ईजाद नहीं किया जा सका है।
कोरोना वायरस (novel coronavirus) का संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है और यह एक महामारी (पैनडेमिक) बनने की ओर अग्रसर है। अभी तक अनेक देशों में (जिसमें भारत भी शामिल है), कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रस एडॉनम के अनुसार यह जल्दी ही महामारी का रूप ले सकता है और आंकड़ों के अनुसार अभी तक विश्व भर में लगभग एक लाख लोग इस संक्रमण से ग्रसित पाए गए हैं।
*कोरोना वायरस के लक्षण* (Coronavirus Symptoms)
कोरोना वायरस के कुछ शुरुआती लक्षण बहुत ही सामान्य है, जिन्हें आसानी से पहचाना नहीं जा सकता। इनमें बुखार होना, जुकाम होना, गले में खराश होना, सांस लेने में तकलीफ़ होना भी शामिल हैं। इसलिए यदि आपको हल्का सा भी बुखार हो तो सबसे पहले मेडिकल टेस्ट कराना चाहिए ताकि इसके संक्रमण के बारे में समय रहते जाना जा सके।
*कोरोना वायरस का प्रकोप* (Coronavirus Outbreak)
यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल जाता है, इसलिए बहुत जल्दी लोग इसका शिकार हो रहे हैं। चूंकि अभी तक इसके लिए कोई दवा या वैक्सीन ईजाद नहीं हो पाई है, ऐसे में आपको अपना बचाव करना ही सबसे आवश्यक है। इस वायरस का संक्रमण काल लगभग चौदह दिन का होता है। ऐसे में बहुत तेजी से यह वायरस अपना प्रभाव दिखाता जा रहा है और चीन के बाद विश्व के कई देशों में भी इसने अपनी पुरजोर दस्तक दे दी है।
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*कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचाव के उपाय*
दिन में कम से कम पांच बार हाथ धोने चाहियें।
हाथ धोने के लिए किसी अच्छे साबुन अथवा अल्कोहल वाले हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना।
हाथ धोते समय नाखून के पौरूए भी साफ रखना आवश्यक है।
मुंह ढक कर खाँसना और छींकना चाहिए तथा टिशू पेपर, जिससे मुंह ढका हो, उसे अच्छे से फेंकना चाहिए ताकि कोई और व्यक्ति उसकी चपेट में ना आ जाए।
माँस और अंडे का सेवन करने से बचना चाहिए तथा संक्रमित व्यक्तियों से बच कर रहना चाहिए।
हाथों के जरिये यह बहुत जल्दी फैलता है, इसलिए हाथ मिलाने से बचना चाहिए।
जंगली जानवरों से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए।
गला सूखने न दें और आवश्यकतानुसार पानी पीते रहें।
वायरस (Coronavirus) और ज्योतिष
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जाहिर किया गया है कि कोरोनावायरस का प्रभाव सी-फूड से हुआ है यानि समुद्री उत्पादों से। ज्योतिष मानव जीवन को प्रभावित करने वाले पंचमहाभूतों में सामजस्य रखने पर जोर देता है। आइये जानते हैं कोरोना वायरस का ज्योतिषीय आधार:
कोई भी रोग किसी एक ग्रह के कारण नहीं होता अपितु अनेक ग्रहों के संयोजन और राशियों के प्रभाव के कारण होता है।
चंद्रमा का प्रभाव विशुद्ध रूप से इस रोग को फैलाने में शामिल है क्योंकि समुद्र और समुद्र से संबंधित उत्पादों पर चंद्रमा का आधिपत्य होता है।
इसके अलावा विषाणु जनित रोगों के लिए राहु केतु भी जिम्मेदार माने जाते हैं तथा बुध ग्रह पर शनि और मंगल का प्रभाव हो तो भी ऐसी ही परिस्थितियों का निर्माण होता है।
सूर्य आरोग्य का कारक है और यदि वह गोचर में कमजोर चल रहा हो तो भी रोग होने की संभावना बढ़ जाती।
वर्तमान में शनि की राशियों में जनवरी से सूर्य का गोचर हुआ है जोकि मध्य फरवरी तक मकर राशि में और उसके बाद मध्य मार्च तक कुंभ राशि में रहेगा। इस प्रकार शनि की राशि में होने से सूर्य कमजोर स्थिति में होता है।
कोरोना वायरस की विकट स्थिति निमोनिया जैसे लक्षण भी पैदा करती है, जिसके लिए बुध ग्रह भी जिम्मेदार माना जाता है।
बृहस्पति का काम है वृद्धि करना अर्थात बढ़ाना या प्रसार करना, तो इस रोग के फैलने में बृहस्पति भी मुख्य भूमिका निभा रहा है।
मिथुन राशि से गले के रोग देखे जाते हैं तथा कर्क राशि फेफड़े और जल संबंधित बीमारियों को दर्शाती है। कर्क और मिथुन राशि का पीड़ित होना भी आवश्यक है।
वर्तमान समय में राहु का गोचर मिथुन राशि में ही चल रहा है तथा मंगल भी बृहस्पति और केतु के साथ धनु राशि में बैठकर पूर्ण रूप से मिथुन और कर्क राशि को देख रहा है, ऐसी स्थिति में मिथुन और कर्क दोनों ही राशियाँ पीड़ित हैं।
भारत में कोरोना वायरस
सारी दुनिया को परेशान करने वाला कोरोना वायरस अब भारत में भी दस्तक दे चुका है और लगभग 29 लोगों में इसका संक्रमण पाया गया है। भारत में भी लोगों में यह संक्रमण बढ़ने की स्थिति दिखाई दे रही है। आइए स्वतंत्र भारत की कुंडली से इस पर थोड़ा विचार करते हैं:
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*India(स्वतंत्र भारत)*
स्वतंत्र भारत की कुंडली वृषभ लग्न और कर्क राशि की है तथा वर्तमान में चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा और शनि की प्रत्यंतर दशा चल रही है।
भारत की कुंडली में चंद्रमा तीसरे भाव का स्वामी होकर तीसरे भाव में शुक्र, बुध, सूर्य और शनि के साथ विराजमान है तथा शनि के नक्षत्र पुष्य में स्थित है।
शनि भारत की कुंडली के लिए नवें और दसवें भाव का स्वामी है तथा यह भी कर्क राशि में चंद्रमा के साथ अश्लेषा नक्षत्र (नक्षत्र स्वामी बुध) में स्थित है।
दिसंबर 2019 से कोरोना वायरस (coronavirus) फैलना शुरू हुआ है और भारत में इसकी दस्तक फरवरी 2020 के महीने में देखने को मिली है।
यदि गोचर पर नजर डाली जाए तो देव गुरु बृहस्पति अभी धनु राशि में विराजमान हैं जो भारत के लग्न से आठवें भाव की राशि तथा चंद्र राशि से छठे भाव की राशि है तथा शनि लग्न कुंडली से नवें तथा चंद्र कुंडली से सातवें भाव में विराजमान हैं।
हमने अपने पूर्व आर्टिकल में भी यह संभावना जाहिर की थी कि वर्ष 2020 में भारत तथा विश्व के कुछ प्रमुख देशों को किसी बड़ी आपदा या महामारी जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
छठा भाव बड़ी बीमारियों को तथा अष्टम भाव विशेष आपदाओं को भी बताता है तथा संकट के समय का द्योतक है। बृहस्पति का गोचर धनु राशि में भारत के लिए किसी भी दृष्टिकोण से अनुकूल नहीं था और बृहस्पति तथा शनि गोचर के अंत में परिणाम देने वाले मुख्य ग्रहों में से एक हैं। बृहस्पति (अष्टम भाव गत होकर) धनु राशि को छोड़कर मकर की ओर जा रहा है। ऐसे में बड़ी बीमारी फैलने की आशंका होती है।
30 जून को बृहस्पति वक्री अवस्था में एक बार फिर धनु राशि में प्रवेश करेगा और 20 नवंबर तक वहां स्थित रहेगा। ऐसी संभावना है कि मई से सितंबर के बीच में कोरोना वायरस जैसे संक्रामक रोग और अधिक बढ़ने की संभावना दिखाई दे रही है।
सबसे बड़ी बात यह है कि वर्तमान समय में मंगल और केतु भी गुरु के साथ धनु राशि में बैठे हैं जो कि इस स्थिति को गंभीर बना रहे हैं।
सितंबर के बाद जब बृहस्पति वक्री अवस्था से बाहर निकलेगा और नवंबर में मकर राशि में प्रवेश करेगा, उस समय तक इस रोग पर रोकथाम लग जाने की संभावना दिखाई देती है।
*कोरोना वायरस (Coronavirus) और ज्योतिषीय उपाय*
कोई भी विषाणु आप पर तभी आक्रमण कर सकता है, जब आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो। कोरोना वायरस (coronavirus) भी एक विषाणु है, जो आपको संक्रमित करता है, इसलिए आपको इसकी रोकथाम के कुछ उपाय करने चाहियें। ज्योतिष और आयुर्वेद का पुराना सम्बन्ध है और उसी के अनुसार कुछ विशेष उपाय बताये गए हैं:
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उपाय के रूप में सर्वप्रथम आपको अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार नींबू, हरी मिर्च, संतरा, लहसुन, दही खाने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
इसके अलावा संक्रामक रोगों से बचने के लिए विटामिन सी का सेवन करना चाहिए जो कि नींबू और आंवले में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
विटामिन डी प्राप्त करना भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे रोगों से लड़ने में सहायता मिलती है। विटामिन डी का मुख्य स्रोत सूर्य की रोशनी है।
इसके अलावा आपको इलायची, लौंग, काली मिर्च और जावित्री को मिलाकर अपने पास किसी पुड़िया में रखना चाहिए।
इसके अलावा आप अपने माथे पर शुद्ध सिंदूर का तिलक लगाएँ क्योंकि इसमें सीसा (लेड) पाया जाता है और आयुर्वेद के अनुसार सीसा की भस्म कई रोगों को दूर करने में सक्षम होती है और यह शरीर की कांति को बढ़ाने वाला होता है तथा कफ को दूर करता है।
इसके अलावा प्रतिदिन अपने घर में गाय के गोबर से बने उपले पर कपूर और गूगल तथा लोबान जलाकर पूरे घर में घुमाएं, जिससे विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं का नाश हो सके और वातावरण भी शुद्ध हो जाये।
आपको प्रतिदिन 3 – 4 बूँद गोमूत्र का सेवन करना चाहिए।
इनके अलावा ऊपर जिन जिन ग्रहों का वर्णन किया गया है, उन ग्रहों को मजबूत करने के उपाय भी आपको करनी चाहिए ताकि इनसे होने वाली समस्याओं में कमी आए।
हाल ही में होली का पर्व आ रहा है। ऐसे में होलिका दहन के समय कच्चा कपूर और इलायची को होलिका में दहन करना चाहिए जिससे वातावरण शुद्ध हो सके।
प्रतिदिन योग और व्यायाम करें, जिससे आपका शरीर मजबूत हो और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े तथा आप कोरोना वायरस की चपेट में आने से बच सकें।
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gethealthy18-blog · 5 years
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मिर्गी के लक्षण और इलाज – Epilepsy (Mirgi) Symptoms and Treatment in Hindi
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मिर्गी के लक्षण और इलाज – Epilepsy (Mirgi) Symptoms and Treatment in Hindi
Ankit Rastogi Hyderabd040-395603080 October 10, 2019
कुछ लोगों को काम करते-करते अचानक दौरे पड़ने शुरू हो जाते हैं, सुध-बुध खो बैठते हैं और शरीर अकड़ जाता है। आम भाषा में इसे मिर्गी के लक्षण कहा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसे वक्त में पीड़ित व्यक्ति के साथ क्या करना चाहिए? शायद आप में से कम ही लोगों को इसकी जानकारी होगी। दरअसल, इस बीमारी के कुछ आम लक्षणों से तो सभी अवगत हैं, लेकिन यह बीमारी असल में है क्या और इसके होने के कारण क्या हैं, यह बहुत कम लोग ही जानते हैं। लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने और इसके सही इलाज से अवगत कराने के उद्देश्य से ही हम स्टाइलक्रेज के माध्यम से इस विषय को उठा रहे हैं। आइए, इस बीमारी से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात को समझने का एक प्रयास करते हैं।
लेख में हम मिर्गी के प्रकार और मिर्गी के लक्षण तो जानेंगे ही, लेकिन उससे पहले इस बीमारी को अच्छी तरह से समझ लेते हैं।
मिर्गी क्या है? – What is Epilepsy in Hindi
मिर्गी एक प्रकार का मस्तिष्क विकार है, जिसमें तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) प्रभावित होता है। इस बीमारी में रोगी की तंत्रिका प्रणाली में अवरोध पैदा होता है। इस कारण दिमाग शरीर के अन्य भाग में सही संदेश नहीं भेज पाता। नतीजतन, उसकी संवेदनाएं और भावनाएं प्रकट करने की क्षमता कुछ समय के लिए खत्म हो जाती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अजीब व्यवहार करता है। मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है। बेहोशी आ सकती है। व्यक्ति को झटके भी महसूस हो सकते हैं। इसे ही मिर्गी का दौरा कहा जाता है (1)। यह मानव दिमाग में पैदा होने वाली ऐसी स्थिति हैं, जैसे किसी घर में शार्ट सर्किट की वजह से अचानक बिजली चली जाए।
मिर्गी क्या है, यह तो आपने जान लिया। आइए, अब हम मिर्गी के प्रकार भी जान लेते हैं।
मिर्गी के प्रकार – Types of Epilepsy in Hindi
मिर्गी के प्रकार की बात करें, तो मुख्य रूप से इसके दौरों को दो भागों में बांटा गया है। आइए, उनके बारे में थोड़ा विस्तार से जान लेते हैं (2)।
1. जनरलाइज्ड सीजर्स
यह मिर्गी के दौरे का एक अहम प्रकार है। इसमें दिमाग के दोनों भाग प्रभावित होते हैं। मिर्गी दौरे के इस प्रकार को दो भागों में बांटा गया है :
एब्सेंस सीजर्स- दौरे के इस प्रकार में रोगी कुछ समय के लिए अपनी सुध-बुध खो देता है और आकाश की ओर एक टक घूरने लगता है।
टॉनिक क्लोनिक सीजर्स- मिर्गी दौरे के इस प्रकार में चिल्लाना, बेहोशी आना, मांसपेशियों का अकड़ना और अचेत होकर जमीन पर गिरना जैसे लक्षण रोगी में दिखाई देते हैं। वहीं, दौरा खत्म होने के बाद रोगी को थकान महसूस हो सकती है। 
2. फोकल सीजर्स
मिर्गी दौरे का यह प्रकार केवल दिमाग के एक विशेष हिस्से को प्रभावित करता है। इसी कारण इसे आंशिक दौरे के नाम से भी जाना जाता है।
सिंपल फोकल सीजर्स- दौरे का यह प्रकार दिमाग के बहुत छोटे हिस्से को प्रभावित करता है। इस कारण यह दौरे जैसा बिलकुल भी प्रतीत नहीं होता। इसमें स्वाद और गंध में बदलाव के साथ शरीर में झनझनाहट जैसा अनुभव होता है।
कॉम्प्लेक्स फोकल सीजर्स- दौरे के इस प्रकार में रोगी में कुछ देर के लिए भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। वहीं, कुछ मामलों में उसकी सोचने-समझने की क्षमता खत्म हो सकती है।
सेकंडरी जनरलाइज्ड सीजर्स- मिर्गी दौरे के इस प्रकार में सबसे पहले रोगी के दिमाग का एक बहुत छोटा हिस्सा प्रभावित होता है। बाद में यह धीरे-धीरे दिमाग के दोनों हिस्सों तक फैल जाता है।
नोट- मिर्गी का दौरा कुछ मिनट के लिए भी हो सकता है और लंबे समय के लिए भी। दोनों ही स्थितियों में आपको अपने चिकित्सक से संपर्क जरूर करना चाहिए।
मिर्गी के प्रकार तो आपने जान लिए अब बारी है इसके कारणों को जानने की।
मिर्गी के कारण – Causes of Epilepsy in Hindi
मिर्गी की समस्या के कई कारण हो सकते हैं। इनमें कई बीमारियों के साथ किसी हादसे की वजह से लगने वाली दिमागी चोट भी शामिल है। आइए, इनमें से कुछ अहम कारणों के बारे में जानते हैं (3)।
ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक (दिमाग में खून के बहाव का रुकना) के कारण।
किसी हादसे में मानसिक क्षति होने के कारण।
गर्भ में ही किसी हादसे के कारण चोट लगने की वजह से।
जन्म के समय दिमागी विकास में कमी के कारण।
जन्म के समय उपापचय संबंधी विकार होने के कारण।
मस्तिष्क में असामान्य ब्लड वेसेल्स (रक्त वाहिकाएं) होने के कारण।
कारण जानने के बाद अब हम मिर्गी रोग के लक्षण के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
मिर्गी के लक्षण – Epilepsy Symptoms in Hindi
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मिर्गी के लक्षण की बात करें, तो हर रोगी में यह अलग-अलग तरह से प्रदर्शित ���ो सकते हैं। आइए, हम इसके कुछ आम लक्षणों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं (2) (3)।
सुध-बुध खोना
बेहोश होना
चक्कर आना
मांसपेशियों में अकड़न
स्वाद और गंध में बदलाव
त्वचा में झनझनाहट
सोचने-समझने की क्षमता का खत्म होना
मुंह से झाग आना
भ्रम की स्थिति पैदा होना
लेख के अगले भाग में हम मिर्गी के जोखिम कारकों की बात करेंगे।
मिर्गी रोग के जोखिम कारक – Risk Factors of Epilepsy in Hindi
मिर्गी के जोखिम कारकों को आप निम्न बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं (3)।
डिमेंशिया (मानसिक क्षमता का कमजोर होना) और अल्जाइमर (मानसिक कमजोरी के कारण भूलने की समस्या) की बीमारी की वजह से।
दिमागी संक्रमण, जैसे – दिमाग की नसों में सूजन व फोड़ा होने के कारण।
एड्स, जिसमें शरीर की प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है। यह भी मिर्गी के जोखिम कारणों में से एक है।
ब्रेन ट्यूमर भी इसका एक जोखिम कारक हो सकता है।
कोई अन्य बीमारी, जो दिमाग के टिश्यू को कमजोर करती हैं या नष्ट करती है।
आनुवंशिक यानी पारिवारिक इतिहास भी मिर्गी के जाेखिम कारणों में शामिल है।
मिर्गी के जोखिम कारकों के बाद अब हम आपको बताएंगे कि मिर्गी का उपचार करने के लिए डॉक्टर से सलाह कब लेनी चाहिए।
मिर्गी के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?
वैसे तो मिर्गी रोग के लक्षण पहली बार दिखाई देने पर ही आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, लेकिन यहां हम आपको कुछ स्थितियां बताने जा रहे हैं, जिनके होने पर आपको मिर्गी का उपचार करने में जरा भी देर नहीं करनी चाहिए (3)।
जब व्यक्ति को सामान्य से अधिक यानी लंबे समय तक मिर्गी का दौरा आए।
जब मिर्गी के दौरे जल्दी-जल्दी आने लगे।
कुछ मिनट के अंतराल में एक से अधिक बार मिर्गी का दौरा आना।
जब दौरे आने के साथ व्यक्ति की मानसिक स्थिति बिगड़ने लगे।
मिर्गी का उपचार होने से पूर्व इसका निदान बहुत जरूरी है। आइए, अब इससे संबंधित कुछ आवश्यक जानकारी भी हासिल कर लेते हैं।
मिर्गी रोग का निदान – Diagnosis of Epilepsy in Hindi
अगर आप मिर्गी की समस्या से परेशान हैं, तो डॉक्टर सबसे पहले आपकी शारीरिक जांच करेंगे। साथ ही वह आपसे बात करके यह जानने की कोशिश करेंगे कि आपको यह समस्या कब से है। वहीं, इस बीमारी के आनुवंशिक होने के बारे में पता लगाने के लिए आपके पारिवारिक इतिहास को खंगालने की कोशिश की जाएगी। इसके बावजूद, मिर्गी का मुख्य कारण नहीं पता चलने की स्थिति में आपको अन्य टेस्ट कराने की सलाह दी जाएगी (3)।
ईईजी – मिर्गी के निदान के लिए ईईजी (Electroencephalogram) टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। इस टेस्ट में रोगी को एक दिन या फिर एक हफ्ते के लिए ईईजी रिकॉर्डर पहनाया जाता है। यह दौरे के दौरान आपके मस्तिष्क में होने वाले बदलावों को रिकॉर्ड किया जाता है कि यह दिमाग के किस हिस्से को प्रभावित कर रहा है।
वीडियो ईईजी- कुछ मामलों में रोगी को कुछ दिनों के लिए हॉस्पिटल में ही रखा जाता है। यहां विशेष उपकरणों (जैसे – ईईजी रिकॉर्डर और कैमरा) की सहायता से दौरा पड़ने के समय दिमाग के साथ शारीरिक लक्षणों को बारीकी से परखा जाता है। मिर्गी रोग के निदान की इस प्रक्रिया को वीडियो ईईजी कहा जाता है।
यह तो हो गईं आम जांच, जिन्हें मिर्गी का उपचार करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। वहीं, कुछ मामलों में कई अन्य जांच भी कराई जाती हैं, जो मिर्गी के अन्य कारणों को पता लगाने में मददगार साबित होती हैं। आइए, उन पर भी डालते हैं एक नजर।
खून की जांच
ब्लड शुगर की जांच
कम्प्लीट ब्लड काउंट
किडनी फंक्शन टेस्ट
लिवर फंक्शन टेस्ट
रीढ़ की हड्डी की जांच
संक्रामक बीमारियों की जांच
सीटी स्कैन
एमआरआई स्कैन
इस रोग के निदान के बारे में जानने के बाद अब हम मिर्गी का इलाज कैसे किया जाए, इस बारे में जानकारी हासिल करेंगे।
मिर्गी का इलाज – Treatment of Epilepsy in Hindi
मिर्गी का इलाज कैसे किया जाए? अगर आपके मन में यह सवाल पनप रहा है, तो बता दें कि अधिकतर मामलों में इसे केवल नियंत्रित किया जा सकता है (1)। आइए, अब हम मिर्गी के इलाज के लिए अपनाए जाने वाले कुछ तरीकों पर नजर डालते हैं (3)।
शुरुआती दौर में मिर्गी को नियंत्रित करने के मिर्गी की दवाई का उपयोग किया जाता है। इसके लिए डॉक्टर एंटीकॉनवल्सेंट (Anticonvulsants, दिमागी क्षति को सुधारने वाली) दवा लेने की सलाह देते हैं। समय के हिसाब से इसकी मात्रा कम या ज्यादा की जा सकती है।
अगर ट्यूमर, एब्नार्मल ब्लड वेसेल्स (असामान्य रक्त वाहिकाएं) या फिर दिमाग में रक्त स्त्राव (खून बहना) के कारण मिर्गी की समस्या है, तो मिर्गी रोग का इलाज करने के लिए प्रभावित स्थान की सर्जरी कर इस समस्या को दूर किया जा सकता है।
कई मामलों में डॉक्टर मिर्गी रोग का इलाज करने के लिए एब्नार्मल ब्लड वेसेल्स (असामान्य रक्त वाहिकाएं) को ऑपरेट कर हटा भी सकते हैं।
दिमाग में वैगल नर्व स्टिमुलेटर (Vagal Nerve Stimulator) लगाया जा सकता है। वैगल नर्व स्टिमुलेटर हृदय में लगाए जाने वाले पेस मेकर की तरह एक कृत्रिम उपकरण है, जो मिर्गी के दौरों को नियंत्रित करता है।
वहीं, खासकर बच्चों के मामले में मिर्गी रोग का इलाज करने के लिए डॉक्टर कीटोजेनिक डाइट (अधिक वसा और प्रोटीन के साथ कम कार्बोहाइड्रेट वाला आहार) लेने की सलाह देते हैं।
मिर्गी की दवाई और मिर्गी रोग का उपचार जानने के बाद अब इससे संबंधित कुछ घरेलू उपाय जान लेते हैं।
मिर्गी रोग के घरेलू उपचार – Remedies for Epilepsy in Hindi
1. नारियल का तेल
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सामग्री :
नारियल का तेल (आवश्यकतानुसार)
कैसे इस्तेमाल करें :
खाना पकाने में रिफाइंड ऑयल की जगह नारियल तेल का इस्तेमाल करें।
आप सलाद म���ं भी इसका उपयोग कर सकते हैं।
कितनी बार इस्तेमाल करें :
आप इसे नियमित रूप से इस्तेमाल में ला सकते हैं।
कैसे है उपयोगी :
नारियल तेल में प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण के साथ-साथ फैटी एसिड भी मौजूद होता है। इन गुणों के कारण नारियल तेल को मिर्गी की समस्या को कम करने में सहायक माना जाता है (4)।
2. सीबीडी ऑयल
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सामग्री :
10 ग्राम दवा के रूप में उपलब्ध सीबीडी (Cannabidiol) ऑयल
कैसे इस्तेमाल करें :
10 ग्राम सीबीडी ऑयल को ड्रॉपर की मदद से जीभ के नीचे रखें और एक मिनट तक मुंह में रोकने के बाद इसे निगल लें।
ध्यान रहे कि इसे लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
कितनी बार इस्तेमाल करें :
इसे दिन में एक बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक सीबीडी ऑयल में एंटी-एपिलेप्टिक प्रभाव पाया जाता है, जो दिमाग की क्षति को दूर कर मिर्गी की समस्या को दूर करने में सहायक साबित हो सकता है (5)।
3. विटामिन
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मिर्गी की समस्या में सहायक विटामिन की बात की जाए, तो विटामिन बी-6, विटामिन ई, फोलिक एसिड (विटामिन बी-9), विटामिन डी, विटामिन के और बायोटिन (विटामिन बी-7) की कमी भी मिर्गी के दौरे का एक कारण हो सकती है। इस कारण पोषक तत्वों की कमी से होने वाले मिर्गी के दौरे को दूर करने के लिए इन विटामिन से युक्त खाद्य पदार्थों को लेने की सलाह दी जाती है (6)। आप चाहें तो इन विटामिन्स के सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
घरेलू उपचार जानने के बाद अब हम आपको इस समस्या में फायदेमंद और नुकसानदायक खाद्य पदार्थों के बारे में बताएंगे।
मिर्गी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए
मिर्गी की समस्या और इसके दौरों की संख्या में कमी के लिए अक्सर डायटीशियन कम कार्बोहाइड्रेट और अधिक वसा वाले आहार लेने की सलाह देते हैं। एक शोध के मुताबिक, एटकिन्स और कीटोजेनिक डाइट मिर्गी की समस्या में काफी हद तक राहत पहुंचाने में सहायक मानी गई है (7)।
खाए जाने वाले आहार
कम कार्बोहाइड्रेट और अधिक वसा और प्रोटीन वाले कुछ खाद्य पदार्थ निम्न हैं, जिनके सेवन से मिर्गी की समस्या को दूर करने में सहायता मिल सकती है (8)।
बीफ
चीज़
ब्रोकली
दूध
बादाम
ऑलिव ऑयल
सीसम (Sesame oil) ऑयल
आहार जिनसे रहें दूर 
मिर्गी की समस्या में मुख्य रूप से हाई ग्लाइसेमिक प्रभाव प्रदर्शित करने वाले आहार (जैसे:- पिज्जा, सॉफ्ट ड्रिंक्स, चावल, पास्ता और चिप्स) से दूर रहने की सलाह दी जाती है (9)।
वहीं, कुछ सब्जियां और फल भी हैं, जो हाई ग्लाइसेमिक प्रभाव प्रदर्शित करते हैं, जैसे :- आम, केला, किशमिश, खजूर और मसला हुआ आलू। आपको इन सभी से दूर रहने की सलाह दी जाती है (9)।
हालांकि, मिर्गी का आयुर्वेदिक इलाज करने में गिंको बिलोबा को हर्बल औषधि के रूप में इस्तेमाल किए जाने का जिक्र मिलता है, लेकिन कुछ मामलों में यह मिर्गी के दौरों को बढ़ाने का भी कारण साबित हुई है। इस कारण मिर्गी की समस्या में गिंको बिलोबा को न लेने की सलाह दी जाती है (10)।
वहीं, मिर्गी की समस्या में अल्कोहल का सेवन हानिकारक साबित हो सकता है, इस कारण मिर्गी में इसे न लेने की सलाह दी जाती है (3)।
लेख के अगले भाग में हम मिर्गी से बचाव के कुछ उपायों को जानने की कोशिश करेंगे।
मिर्गी के बचाव के उपाय – Prevention Tips for Epilepsy in Hindi
मिर्गी से बचाव की बात करें, तो इसका कोई भी विकल्प नहीं हैं, लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रख आप इसके जोखिमों को कम जरूर कर सकते हैं (3)।
संतुलित आहार लें।
पर्याप्त नींद लें।
नशीले पदार्थों (ड्रग्स) का उपयोग न करें।
गाड़ी चलाते वक्त हेलमेट का इस्तेमाल करें, ताकि एक्सीडेंट होने पर दिमागी चोट लगने का जोखिम कम रहे।
मिर्गी की समस्या इतनी जटिल है कि इसे पूरी तरह से समझा पाना आसान नहीं है। इसके बावजूद, लेख में हमने इसे बखूबी बताने का प्रयास किया है। लेख में हमने इसके कारण, लक्षण और घरेलू उपाय संबंधी कुछ जानकारियां भी दी हैं, जो इस बीमारी से राहत पाने में बड़ी काम आने वाली हैं। वहीं, लेख में सुझाए गए निदान और उपचार के तरीकों को अपनाकर भी आप इस समस्या में काफी लाभ पा सकते हैं। बशर्ते कोई भी कदम उठाने से पूर्व आप लेख में दी गई सभी जानकारियों को एक बार अच्छे से पढ़ लें। उसके बाद ही किसी उचित निष्कर्ष तक पहुंचे। आशा करते हैं कि यह लेख मिर्गी का इलाज ढूंढ रहे कई रोगियों के लिए मददगार साबित होगा। इस संबंध में कोई अन्य सुझाव या सवाल हों, तो आप उन्हें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं।
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Ankit Rastogi
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/mirgi-ke-karan-lakshan-aur-ilaj-in-hindi/
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bhaktigroupofficial · 3 years
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🕉ॐ नमो भगवते वासुदेवाय🕉
🌄#सुप्रभातम🌄
🗓#आज_का_पञ्चाङ्ग🗓
🌻#गुरुवार, १३ #मई २०२१🌻
सूर्योदय: 🌄 ०५:३६
सूर्यास्त: 🌅 ०६:५५
चन्द्रोदय: 🌝 ०६:१८
चन्द्रास्त: 🌜२०:३२
अयन 🌕 उत्तराणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🍁 ग्रीष्म
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (राक्षस)
मास 👉 वैशाख
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 द्वितीया (पूर्ण रात्रि)
नक्षत्र 👉 रोहिणी (पूर्ण रात्रि)
योग 👉 अतिगण्ड (२४:५१ तक)
प्रथम करण 👉 बालव (१६:२३ तक)
द्वितीय करण 👉 कौलव (पूर्ण रात्रि)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 मेष
चंद्र 🌟 वृष
मंगल 🌟 मिथुन (उदित, पूर्व, मार्गी)
बुध 🌟 वृष (उदित, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 वृष (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४६ से १२:४१
अमृत काल 👉 २६:०९ से २७:५७
विजय मुहूर्त 👉 १४:३० से १५:२४
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:४९ से १९:१३
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५२ से २४:३४
राहुकाल 👉 १३:५६ से १५:३८
राहुवास 👉 दक्षिण
यमगण्ड 👉 ०५:२५ से ०७:०७
होमाहुति 👉 सूर्य
दिशाशूल 👉 दक्षिण
नक्षत्र शूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 पृथ्वी
चन्द्रवास 👉 दक्षिण
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ - शुभ २ - रोग
३ - उद्वेग ४ - चर
५ - लाभ ६ - अमृत
७ - काल ८ - शुभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ - अमृत २ - चर
३ - रोग ४ - काल
५ - लाभ ६ - उद्वेग
७ - शुभ ८ - अमृत
नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
दक्षिण-पूर्व (दही का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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चंद्र दर्शन, ४१४ वी शिवाजी जयन्ती, विवाहादि मुहूर्त कुम्भ लग्न रात्रि ०१:१६ से ०२:४६ तक, उपनयन संस्कार+गृहप्रवेश+व्यवसाय आरम्भ मुहूर्त १०:४६ से १५:४४ तक, विधा एवं अक्षरारम्भ मुहूर्त प्रातः ०५:४४ से ०७:२२ तक आदि
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २९:३६ तक जन्मे शिशुओ का नाम
रोहिणी नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (ओ, वा, वी, वू) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
मेष - २८:०० से ०५:३४
वृषभ - ०५:३४ से ०७:२८
मिथुन - ०७:२८ से ०९:४३
कर्क - ०९:४३ से १२:०५
सिंह - १२:०५ से १४:२४
कन्या - १४:२४ से १६:४२
तुला - १६:४२ से १९:०३
वृश्चिक - १९:०३ से २१:२२
धनु - २१:२२ से २३:२६
मकर - २३:२६ से २५:०७
कुम्भ - २५:०७ से २६:३३
मीन - २६:३३ से २७:५६
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - ०५:२५ से ०५:३४
रज पञ्चक - ०५:३४ से ०७:२८
शुभ मुहूर्त - ०७:२८ से ०९:४३
चोर पञ्चक - ०९:४३ से १२:०५
शुभ मुहूर्त - १२:०५ से १४:२४
रोग पञ्चक - १४:२४ से १६:४२
शुभ मुहूर्त - १६:४२ से १९:०३
मृत्यु पञ्चक - १९:०३ से २१:२२
अग्नि पञ्चक - २१:२२ से २३:२६
शुभ मुहूर्त - २३:२६ से २५:०७
रज पञ्चक - २५:०७ से २६:३३
शुभ मुहूर्त - २६:३३ से २७:५६
शुभ मुहूर्त - २७:५६ से २९:२४
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन कुछ ना कुछ अभाव के बाद भी संतोषजनक रहेगा। लेकिन महिलाए किसी भी बात को लेकर घर का वातावरण अशान्त बनाएंगी। दिन के आरंभिक भाग के अलावा अन्य समय बाहर ही शांति अनुभव होगी। आज आप जल्दी से किसी के गलत आचरण का विरोध नही करेंगे लेकिन धैर्य सीमित ही रहेगा एक बार क्रोध आने पर शांत करना आपके वश में भी नही रहेगा जो लोग उद्दंडता कर रहे थे वो भी बचते नजर आएंगे। कार्य व्यवसाय में भी किसी कमी के कारण धन लाभ अल्प और विलंब से होगा। शेयर सट्टे में निवेश शीघ्र लाभ दिला सकता है इसके अतिरिक्त कार्यो में धन फसने की संभावना है। स्वास्थ्य में कमी आएगी।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आप अपनी ही धुन में रहेंगे। मन की ज्यादा सुनेंगे और करेंगे भी वैसा ही किसी का कार्यो में दखल देना कुछ ज्यादा ही अखरेगा जरासी बात पर नाराज हो जाएंगे जिससे मुख्य लक्ष्य से भटक सकते है। कार्य व्यवसाय आज अन्य दिन की तुलना में थोड़ा धीमा रहेगा इसका एक कारण आपका मानसिक रूप से तैयार ना होना भी रहेगा। लाभ हानि की परवाह किये बिना ही कार्य हाथ मे लेंगे बाद में ले देकर पूरा करने का प्रयास कुछ ना कुछ हानि ही कराएगा। घर में किसी ना किसी से व्यर्थ की बातों पर बहस कर समय खराब करेंगे। मानसिक रूप से बेचैनी अधिक रहने पर पूजा पाठ से भी विमुख रहेंगे एक साथ दो जगह मन भटकने के कारण आध्यात्मिकता का लाभ नही मिल सकेगा।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आपमे धैर्य की कमी रहेगी। किसी भी कार्यो को लेकर पहले लापरवाही करेंगे बाद में उसे जल्दबाजी में करने पर कुछ ना कुछ कमी रह जायेगी। धन संबंधित मामलों में जल्दबाजी ना करें अन्यथा आज के दिन का उचित लाभ लेने से वंचित रह जाएंगे कार्य व्यवसाय से आरंभ में ज्यादा आशा नही रहेगी लेकिन धीरे धीरे जमने पर अकस्मात धन के मार्ग खुलने से उत्साह बढेगा। दान-पुण्य के साथ किसी की सहायता पर खर्च करना पड़ेगा परोपकार की भावना के कारण अखरेगा नही। आज घर मे समय पर आवश्यकता पूर्ति ना करने पर विवाद हो सकता है। स्वास्थ्य आज सामान्य ही रहेगा। क्रोध से बचें।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आपके लिये आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा आज दिन का आरंभिक भाग परिवार में मतभेद के कारण थोड़ा उदासीन रहेगा इसके बाद का समय सार्वजिनक क्षेत्र पर आपकी नई पहचान बनने से जीवन को नई दिशा मिलेगी लेकिन इसके लिये स्वयं को भी दृढ़ संकल्पित रहना पड़ेगा। लक्ष्य बनाए कर कार्य करने पर ही आज के दिन से उचित लाभ पाया जा सकता है। स्वभाव में थोड़ी तल्खी रहने के कारण किसी को भी मन की बाते समझाने में परेशानी आएगी। कार्य व्यवसाय में पल पल में स्थिति बदलने से असमंजस की स्थिति रहेगी कम मुनाफे में व्यापार करना पड़ेगा। परिवार की अपेक्षा बाहर से अधिक सहयोग मिलेगा। उच्च रक्तचाप अथवा अन्य रक्त पित्त संबंधित समस्या हो सकती है।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिये सिद्धि दायक रहेगा कोई भी कार्य करने से पहले उसके विषय मे बारीकी से अध्ययन करें आज थोड़े से परिश्रम से बड़ा कार्य पूर्ण कर सकेंगे। पहले से चल रही किसी योजना के पूर्ण होनेपर भी लाभ मिलेगा लेकिन जल्दबाजी करने पर कुछ अभाव भी रह सकता है। कार्य व्यवसाय से धन की प्राप्ति निश्चित होगी लेकिन आज उधार के व्यवहार भी परेशानी में डालेंगे यथा सम्भव इनपर नियंत्रण रखें। पारिवारिक वातावरण में छोटी मोटी गलतफहमियां बनेगी आपसी तालमेल से इनपर विजय पा सकते है। महिलाए मामूली बातो का बतंगड़ बनाएंगी जिससे घर मे अशान्ति रहेगी। सेहत आज लगभग ठीक ही रहेगी।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन संभावनाओं पर ज्यादा केंद्रित रहेगा। परिश्रम करने में कमी नही रखेंगे फिर भी सफलता असफलता संपर्क में रहने वालों पर निर्भर रहेगी। मध्यान तक का समय उदासीनता में बीतेगा इसके बाद व्यस्तता बढ़ेगी कार्य व्यवसाय में गति आने से लाभ की संभावना जागेगी लेकिन धन प्राप्ति में विलंब होगा फिर भी आज के दिन से वृद्धि की आशा रख सकते है भले ही इसमें विलंब क्यो ना हो। सहकर्मी अपने मनमाने व्यवहार से कुछ समय के लिये परेशानी में डालेंगे लेकिन इससे बाहर भी स्वयं ही निकालेंगे। गृहस्थ में शांति रहेगी परन्तु आज किसी व्यक्ति विशेष का अभाव भी अनुभव करेंगे। सेहत को लेकर थोड़ी समस्या बनेगी पर प्रदर्शित नही करेंगे।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन भी शारिरिक दृष्टिकोण से विपरीत रहेगा दिनचार्य अस्त व्यस्त रहेगी सहयोग मिलने पर भी अधिकांश कार्य समय पर पूरा नही कर सकेंगे। काम-धंदे को लेकर मन अशांत रहेगा किसी से पूर्व में किया वादा पूरा ना करने का डर मन मे रहेगा जिसका प्रभाव मानसिक दबाव बढ़ाएगा। विरोधी आपके ऊपर दया भाव प्रदर्शित करेंगे लेकिन फिर भी सावधान रहें ये कुचक्र भी हो सकता है। जल्द पैसा कमाने की मानसिकता आज कुछ ना कुछ नुकसान ही कराएगी इससे बचकर रहें। धन की आमद मध्यान बाद होगी लेकिन अनर्गल खर्च रहने से आवश्यक कार्यो पर खर्च नही कर पाएंगे। घर के सदस्यों का स्वार्थी व्यवहार मन दुख का कारण बनेगा।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आपको दैनिक कार्यो के अतिरिक्त भाग दौड़ करनी पड़ेगा इसका कुछ न कुछ सकारात्मक परिणाम अवश्य मिलेगा। आज अधिकांश कार्य किसी अन्य पर निर्भर रहने के कारण अधूरे भी रह सकते है इसलिये स्वयं करने का प्रयत्न करें। कार्य व्यवसाय अथवा सरकारी क्षेत्र से शुभ समाचार मिलने या किसी घटना की संभावना मन को उत्साहित रखेगी। धन की आमद सीमित रहेगी लेकिन ख़र्च अनियंत्रित होने पर बजट प्रभावित होगा। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी अथवा अधिकारी वर्ग से गलतफहमी बनेगी फिर भी मामला गंभीर नही होने देंगे। परिवार के सदस्य से हानि हो सकती है धैर्य से काम लें। सेहत में अकस्मात नरमी आएगी। बुजुर्गो के प्रति आदर भाव बढेगा।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आपका व्यवहार पल-पल में बदलने से संपर्क में रहने वालों को परेशानी आएगी आप कहेंगे कुछ करेंगे उसके विपरीत ही। दिन का आरंभिक भाग आलस्य में खराब होगा किसी कार्य मे एक बार विलंब होने पर सारी दिनचार्य बदल जाएगी अधिकांश कार्य आज विलंब से ही पूर्ण होंगे अथवा अधूरे रह जाएंगे लेकिन फिर भी धन लाभ कही ना कहीं से अवश्य होगा आकस्मिक होने पर आश्चर्य में पड़ेंगे। कार्य व्यवसाय में उधारी के व्यवहार से बचें बाद में परेशानी बनेगी। धन को लेकर किसी से कलह हो सकती है। आज विवेक से काम लें अन्यथा मनोकामना पूर्ति सम्भव नही होगी। आरोग्य में कमी रहेगी।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन बौद्धिक कार्यो से सफलता दिलाएगा सामाजिक क्षेत्र अथवा गृहस्थ में आपके महत्त्वपूर्ण सुझाव मिलने से किसी ना किसी के जीवन को नई दिशा मिलेगी आपके प्रति लोगो का आदर भाव बढेगा परन्तु स्वयं के प्रति लापरवाह ही रहेंगे कार्य क्षेत्र पर धीमी गति से कार्य करने पर किसी के ताने सुनने पड़ेंगे फिर भी स्वभाव में परिवर्तन नही होगा। काम-धंधा कुछ समय के लिये ही फ��दायी रहेगा लापरवाही की तो आज खर्च चलाने के लिये भी किसी से उधार लेना पड़ सकता है। नौकरी वाले लोग व्यवसायियों की तुलना में बेहतर रहेंगे लेकिन धन संबंधित मामले आज सभी के लिये चिंता का विषय बनेंगे। छाती में संक्रमण होने की सम्भवना है तले भुने एवं ठंडे प्रदार्थ के सेवन से बचें।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आपके लिये कलहकारी रहेगा दिन के आरंभ से ही इससे बचने का प्रयास करेंगे लेकिन परिजन आज आपकी गलतिया खोज खोज कर गिनाएंगे आपने जो गलती की ही नही उसपर भी ताने सुनने को मिलेंगे। मौन धारण ही शांति का उत्तम उपाय है लेकिन ज्यादा देर तक धैर्य नही रखने पर मामला गंभीर होगा। कार्य क्षेत्र पर भी अधिकारी अथवा अन्य के साथ गरमा गरमी बढ़ने पर संबंध विच्छेद की संभावना है। नौकरी वाले लोग आज विशेष सतर्क रहें छोटी से भूल जीवन की दिशा बदल सकती है। धन लाभ कही ना कही से हो जाएगा लेकिन मानसिक उलझने यथावत रहेंगी। सेहत में उतार-चढ़ाव लगा रहेगा।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन लाभदायक रहेगा कार्य क्षेत्र पर आज आपसे प्रतिस्पर्धा करने वाले बहुत रहेंगे फिर भी अपने हिस्से का लाभ थोडे बौद्धिक परिश्रम से प्राप्त कर लेंगे। व्यवसायी वर्ग को दैनिक कार्यो की जगह आज जोखिम वाले कार्य से अधिक लाभ की संभावना है पूर्व में अथवा आज किया निवेश शीघ्र ही फलती होकर धन की आमद बढ़ाएगा। उधारी के व्यवहारों के कारण आज मन मे क्रोध भी रहेगा लेन देन को लेकर किसी से तीखी बहस हो सकती है धैर्य से काम लें अन्यथा आगे नुकसान हो सकता है। घर के सदस्यों पर नाजायज हुकुम चलाना नई समस्या को जन्म देगा परिजन आपके सामने ही उद्दंडता करेंगे। सेहत संध्या तक ठीक रहेगी इसके बाद कुछ विकार आ सकता है।
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bhaktigroupofficial · 3 years
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🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄#सुप्रभातम🌄
🗓#आज_का_पञ्चाङ्ग🗓
🌻#बुधवार, ३ #मार्च २०२१🌻
सूर्योदय: 🌄 ०६:५१
सूर्यास्त: 🌅 ०६:१८
चन्द्रोदय: 🌝 २२:४४
चन्द्रास्त: 🌜०९:२२
अयन 🌕 उत्तराणायने (दक्षिणगोलीय)
ऋतु: ❄️ शिशिर
शक सम्वत: 👉 १९४२ (शर्वरी)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७७ (प्रमादी)
मास 👉 फाल्गुन
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 पञ्चमी (२४:२१ तक)
नक्षत्र 👉 स्वाती (२५:३६ तक)
योग 👉 ध्रुव (२६:४१ तक)
प्रथम करण 👉 कौलव (१३:३८ तक)
द्वितीय करण 👉 तैतिल (२४:२१ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कुम्भ
चंद्र 🌟 तुला
मंगल 🌟 वृषभ (उदित, पूर्व, मार्गी)
बुध 🌟 मकर (उदित, पश्चिम, मार्गी)
गुरु 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 कुम्भ (अस्त, पूर्व, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
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अभिजित मुहूर्त 👉 ❌❌❌
अमृत काल 👉 १७:२९ से १८:५८
रवियोग 👉 २५:३६ से ३०:४०
विजय मुहूर्त 👉 १४:२५ से १५:११
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:०५ से १८:२९
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०४ से २४:५३
राहुकाल 👉 १२:२९ से १३:५६
राहुवास 👉 दक्षिण-पश्चिम
यमगण्ड 👉 ०८:०८ से ०९:३५
होमाहुति 👉 गुरु
दिशाशूल 👉 उत्तर
अग्निवास 👉 आकाश
चन्द्रवास 👉 पश्चिम
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ - लाभ २ - अमृत
३ - काल ४ - शुभ
५ - रोग ६ - उद्वेग
७ - चर ८ - लाभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ - उद्वेग २ - शुभ
३ - अमृत ४ - चर
५ - रोग ६ - काल
७ - लाभ ८ - उद्वेग
नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
पश्चिम-दक्षिण (गुड़ अथवा दूध का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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नींव खुदाई एवं गृहारम्भ मुहूर्त एवं वाहनादि क्रय मुहूर्त १०:१३ से १२:२० तक, पुरातन गृह प्रवेश मुहूर्त १०:१५ से, आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २५:३६ तक जन्मे शिशुओ का नाम
स्वाति नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय तृतीय एवं
चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (रू, रे, रो, ता) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमश (ती) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कुम्भ २९:५० से ०७:१६
मीन - ०७:१६ से ०८:३९
मेष - ०८:३९ से १०:१३
वृषभ - १०:१३ से १२:०८
मिथुन - १२:०८ से १४:२३
कर्क - १४:२३ से १६:४४
सिंह - १६:४४ से १९:०३
कन्या - १९:०३ से २१:२१
तुला - २१:२१ से २३:४२
वृश्चिक - २३:४२ से २६:०१
धनु - २६:०१ से २८:०५
मकर - २८:०५ से २९:४६
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - ०६:४१ से ०७:१६
चोर पञ्चक - ०७:१६ से ०८:३९
रज पञ्चक - ०८:३९ से १०:१३
शुभ मुहूर्त - १०:१३ से १२:०८
चोर पञ्चक - १२:०८ से १४:२३
शुभ मुहूर्त - १४:२३ से १६:४४
रोग पञ्चक - १६:४४ से १९:०३
शुभ मुहूर्त - १९:०३ से २१:२१
मृत्यु पञ्चक - २१:२१ से २३:४२
अग्नि पञ्चक - २३:४२ से २४:२१
शुभ मुहूर्त - २४:२१ से २५:३६
रज पञ्चक - २५:३६ से २६:०१
शुभ मुहूर्त - २६:०१ से २८:०५
चोर पञ्चक - २८:०५ से २९:४६
शुभ मुहूर्त - २९:४६ से ३०:४०
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन सेहत के दृष्टिकोण से लगभग ठीक ही रहेगा प्रातः काल के समय आलस्य अवश्य रह सकता है लेकिन आपके विचार और प्रवृति आज परोपकारी लेकिन अपने स्वार्थ के लिये धूर्त जैसी रहेगी। किसी भी कार्य मे मेहनत करने में आज कोई कसर नही रखेंगे कार्य क्षेत्र पर कुशलता का परिचय देंगे फिर भी आज जाने अनजाने में किसी न किसी से बेवजह उलझने पर स्वभाव में कुछ समय के लिये चिड़चिड़ापन आएगा । अपनी तरफ से विवाद को बढ़ावा ना दें अन्यथा बाद में दुख होगा। पिता अथवा पैतृक कार्यो में विरोधाभास होगा ना चाहते हुए भी परिस्थितिवश किसी का विरोध करना आज भारी पड़ सकता है। दाम्पत्य में छोटी मोटी बात का बतंगड़ बनने से अशांति फैलेगी। आज सामर्थ्य से अधिक की बाते ना करें अपमानित होना पड़ेगा। वात कफ का प्रकोप परेशान कर सकता है अनिच्छित यात्रा के योग भी है।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिये कम समय और परिश्रम में अधिक लाभ दिला सकता है लेकिन किसी भी कार्य एवं व्यवसाय में आपकी कार्य शैली अत्यंत धीमी रहने के कारण इसका पूरा लाभ उठा पाना संदिग्ध हो सकता है। आर्थिक लाभ के नए मार्ग स्वतः ही खुलेंगे फिर भी आज असंतोषी प्रवृति अनैत��क कार्यो की और आकर्षित करेगी इससे बचकर रहे अन्यथा निकट भविष्य में मान हानि हो सकती है आज भी व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा अधिक रहेगी। घर का माहौल स्वार्थ पूर्ण रहेगा बच्चे और बड़े भी कामना पूर्ति के लिये जिद पर अड़ परेशानी में डालेंगे। कुटुम्बिक सुख आज कम ही मिलेगा जरासी बात पर किसी से तनातनी हो सकती है। आस पड़ोसी ईर्ष्या में हानि पहुचा सकते है सतर्क रहें। संध्या के समय वाहन सावधानी से चलाए किसी अन्य की गलती आपको भारी पड़ सकती है। गले, छाती अथवा जननेन्द्रिय में संक्रमण होने की संभावना है।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आपका व्यवहार अत्यंत मधुर रहेगा लेकिन आज आप जैसा व्यवहार करेंगे अंदर से उसके एकदम विपरीत रहेंगे। अपना काम बनाने के लिये अत्यंत मीठे बन जाएंगे लेकिन अंदर ही अंदर सामने वाले को कोसेंगे जरूर आज मेहनत करने की जगह बैठकर काम करना अधिक पसंद करेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज प्रतिस्पर्धा अधिक रहेगी गुप्त शत्रु भी सर उठाएंगे लेकिन अपने काम पर ध्यान दे धन लाभ किसी ना किसी रूप में अवश्य होगा। नौकरी पेशाओ की समाज मे अच्छी पहचान रहने से सम्मान मिलेगा। पारिवारिक सुख में कमी रहेगी माता पिता कलसे किसी बात को लेकर मतभेद उभरेंगे दामपत्य में भी नीरसता ही रहेगी। कामवासना अधिक रहेगी लेकिन संबंधित सुख में भी कमी देखने को मिलेगी। चलते फिरते चोटादि का भय है सावधान रहें।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज दिन के पहले भाग को छोड़ शेष समय उठापटक में बीतेगा। सुख प्राप्ति की इच्छा प्रबल रहेगी लेकिन आपके पूर्व में किये व्यवहार से शत्रु वृद्धि होने एवं दिन भर आर्थिक कारणों से तनावग्रस्त रह सकते हैं। कार्य व्यवसाय में बनते कार्यो में रुकावट आएगी अथवा मेहनत का उचित फल नही मिलने से मन मे दुख होगा। धन की आमद के लिये किसी के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन आज किसी की सहायता लेना अहम को ठेस पहुचाने जैसा लगेगा परिणाम स्वरूप अल्प आय से संतोष करना पड़ेगा। धन के कारण संतान संबंधित उत्तरदायित्व की पूर्ति ना होने से मतभेद भी हो सकते हैं। घर का वातावरण भी प्रतिकूल रहेगा जीवन साथी को खुश नही कर पाएंगे। ननिहाल पक्ष से संबंधों में कड़वाहट आ सकती है। व्यावसायिक कारणों से यात्रा हो सकती है इसमे लाभ और खर्च बराबर ही रहेंगे। आंखों में जलन मूत्र संबंधित समस्या हो सकती है। आवश्यक कार्य दिन रहते कर ले कल से लाभ की सम्भवना न्यून रहेगी।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिये आर्थिक एवं व्यावसायिक रूप से शुभ फलदायी रहेगा। स्वभाव से लापरवाह रहेंगे लेकिन आज इसका भी नुकसान की जगह फायदा ही मिलेगा। कार्य व्यवसाय में मध्यान तक परिश्रम की अधिकता के बाद भी संतोषजनक फल ना मिलने पर मन मे नकारत्मक भाव आएंगे लेकिन धैर्य ना छोड़े देर से ही सही अपनी योजनाओं में अवश्य सफल होंगे। नौकरी पेशा अपने बुद्धि बल से अधिकारी वर्ग को प्रसन्न करने में कामयाब होंगे लेकिन मन मे अहम आने से सहकर्मियो से कम पटेगी। धन की आमद असमय अचानक होने से आश्चर्य में पड़ेंगे। घरेलू वातावण में छोटी मोटी कहासुनी के बाद भी आंनद बना रहेगा। सन्तानो के ऊपर नजर रखें कुछ उल्टा कर सकते है।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपको मनचाहा सुख मिलने से मानसिक संतोष होगा लेकिन इसके लिये इंतजार करना ही आज भारी पड़ेगा। पराक्रम बढ़ा रहेगा अपने आगे जल्दी से किसी की चलने नही देंगे जिससे घर एवं कार्य क्षेत्र पर भी कुछ समय के लिये बहसबाजी हो सकती है। सेहत में थोडी बहुत नरमी रहेगी फिर भी कार्य मे बाधक नही बनने देंगे। नौकरी पेशाओ को कार्य क्षेत्र से अतिरिक्त आय बनाने का अवसर मिलेगा लेकिन गलत मार्ग होने के कारण मन मे भय भी बना रहेगा। व्यवसायी वर्ग पैतृक कार्यो में निवेश कर सकते है शीघ्र ही लाभ मिलेगा आज आप गृहस्थ के साथ ही बाहरी संबंधों को अच्छी तरह से निभाने का प्रयास करेंगे लेकिन फिर भी किसी ना किसी की नाराजगी देखनी ही पड़ेगी। यात्रा में सामान की सुरक्षा निश्चित करें चोरी होने का भय है।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन लाभदायक रहने वाला है लेकिन अपने स्वभाव में परिवर्तन लाना भी आवश्यक है आज आप सुखोपभोग के लिए आवश्यक कार्यो की अनदेखी करेंगे। जिससे घर और कार्य क्षेत्र पर अव्यस्था फैल सकती है। नौकरी पेशा भी आज अपने कार्यो को कम समय देंगे जदबाजी में कार्य करने पर कोई गलती होने की संभावना है जिसका भुगतान आगे करना पड़ेगा। व्यवसायी वर्ग लाल रंग की दैनिक उपभोग की वस्तुओ में बेजीझक होकर निवेश करें लाभ मिलेगा। धन लाभ आज ठीक ठाक होने से मानसिक रूप से संतुष्ट रहेंगे आज मनोरंजन अथवा मौज शौक पर खर्च की योजना भी बनेगी साथ ही घर अथवा कार्य क्षेत्र पर तोड़ फोड़ पर भी खर्च करने की रूप रेखा बनाएंगे। दाम्पत्य एवं घर में थोड़ी बहुत जिद बहस लगी रहेगी। सेहत ��ीक रहेगी फिर भी अकस्मात शारीरिक चोटादि का भय है।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आपका व्यवहार बीते कल की तुलना में विपरीत रहेगा अपने मतलब की बातों पर ही ध्यान देंगे जहां खर्च अथवा निजी स्वार्थ नही होगा उन कामो की अनदेखी करेंगे। आज आप कई नए रहस्य की बातों को जानने के लिये उत्सुक भी रहेंगे इसके लिये अपना व्यस्त समय भी खराब करने में हिचकिचाएंगे नही। आध्यात्म में निष्ठा कम रहेगी लेकिन तंत्र मंत्र टाने टोटको में अधिक रुचि लेंगे। काम धंधे में अनिश्चितता रहेगी धन लाभ की जब भी संभावना बनेगी तभी कुछ न कुछ विघ्न आयेगा प्रतिस्पर्धी आपकी योजना को असफल बनाने का हर सम्भव प्रयास करेंगे फिर भी खर्च चलाने लायक आय सहज हो जाएगी। पिता अथवा अधिकारी वर्ग से मिलनसार व्यवहार रखें इसने अकस्मात लाभ होने अथवा भविष्य के लिये कोई शुभ समाचार मिल सकता है। जोड़ो अथवा कमर में दर्द की शिकायत एवं अकस्मात गिरने से चोटादि का भय है।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आपके व्यवहार एवं परोस्थितियो में काफी बदलाव आएगा। आपके व्यक्तित्त्व में विकास होगा सार्वजिनक क्षेत्र पर आपकी छवि सुधरेगी लेकिन अपनी बातों का अन्य लोगो पर प्रभाव डालने में असफल रहेंगे कुछ लोगो की नजर मे आप क्रोधी झगड़ालू जैसे भी दिखेंगे। काम काज को लेकर आज असमंजस की स्थिति रहेगी बाजार में व्यवसाय ठीक ठाक होने पर भी आपको धन लाभ में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा संध्या के आस पास आवश्यकता अनुसार हो भी जाएगा लेकिन आज दिन भर व्यर्थ के व्यवहारों पर खर्च अधिक रहने के कारण संतोष नही होगा। जोखिम वाले कार्यो में निवेश ना करें हानि ही होगी। घर का वातावरण शांत रहेगा लेकिन आपका असंतोषी व्यवहार किसी न किसी से व्यर्थ में उलझायेगा। नेत्र रोग, चोट घाव लगने की संभावना है सतर्क रहें।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन भी सामान्य से उत्तम रहेगा आज आपका मिलनसार व्यवहार अवश्य ही कुछ ना कुछ लाभ दिलाएगा। कार्य व्यवसाय से लाभ की उम्मीद दिन भर लगी रहेगी लेकिन मन मे अनजाना भय भी बना रहेगा जिस वजह से आर्थिक मामलों में जल्दी से निर्णय नही ले पाएंगे धन की आमद आज किसी न किसी मार्ग से अकस्मात होगी। मध्यान के समय सार्वजनिक क्षेत्र पर किसी उच्च प्रतिष्ठित व्यक्ति से अहम को लेकर तकरार हो सकती है। आज पैतृक व्यवसाय में किसी के दखल देने से कुछ समय के लिये मानसिक रूप से चिड़चिड़ा पन आएगा इस ���मय मौन रहने का प्रयास करें अन्यथा स्वयं की हानि कर लेंगे। घर का वातावरण भी जिद बहस और कार्य कलापो में नुक्स निकालने पर थोड़ी देर के लिये अशांत होगा स्वतः ठीक भी हो जाएगा। व्यावसायिक अथवा अन्य पर्यटक यात्रा की योजना बनेगी व्यावसायिक यात्रा में धन लाभ हो सकता है।परिजन की पुरानी बीमारी परेशानी बढ़ाएगी।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन लगभग सामान्य ही रहेगा आध्यात्मिक कार्यो में रुचि रहने से मानसिक रूप से सुदृढ़ रहेंगे किसी से धर्म को लेकर वाद विवाद हो सकता है यहाँ विवेक का परिचय दें आप के लिये ही हितकर रहेगा। आज आप घुमा फिराकर बोलने की जगह स्पष्ट बात करना पसंद करेंगे जिस कारण किसी प्रेमीजन से संबंधों में खटास आ सकती है। कार्य क्षेत्र पर आर्थिक लाभ पाने के लिये मेहनत में कमी नही लाएंगे भागीदारी के कार्यो की धीमी गति रहेगी नौकरी व्यवसाय
में चाहकर भी किसी अन्य के लचर व्यवहार के कारण फुर्ती से काम नही कर पाएंगे। जिस कारण धन लाभ के लिये प्रतीक्षा करनी पड़ेगी धन लाभ होगा अवश्य लेकिन व्यर्थ के कार्यो में खर्च होने पर संतुष्टि नही देगा। घरेलू मामलों में कम दिलचस्पी लेंगे लेकिन बाहरी लोगो को देख मन मे ईर्ष्या का भाव आएगा। दाम्पत्य में एक दूसरे की कमियां निकालेंगे।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिये विषम परिस्थितियों वाला रहेगा। सेहत में विकार रहने से दिन के आरम्भ से ही आपका स्वभाव उखड़ा हुआ सा रहेगा। मन मे विविध उलझने रहने से चिड़चिड़ापन आएगा परिजनों से छोटी छोटी बातों पर क्रोध करेंगे लेकिन आज परिजन आपकी मानसिकता को भली भाती जानकर विरोध नही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर आर्थिक मामले अधिक उलझने के कारण उदासीनता आएगी धन को लेकर किसी से जिद बहस करने से बचे अन्यथा डूब भी सकता है। धन की आमद नए व पुराने कार्यो से थोड़ी मात्रा में अवश्य होगी। घर मे सन्तानो का अनापेक्षित व्यवहार मतभेद रखेगा जानकर भी गलतियों को सहन करेंगे। सरकारी कार्य मे आज समय खराब होने की संभावना है इसका नतीजा आज मुश्किल ही मिलेगा। संध्या बाद का समय कुछ शांति प्रदान करेगा लेकिन थकान भी रहेगी।
🎪🛕 श्री भक्ति ग्रुप मंदिर 🛕🎪
🙏🌹🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏🌹
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●
‼️ #भक्ति_के_रंग, #भक्ति_ग्रुप_के_संग ‼️
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parashmuni · 6 years
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💯✔सूर्य सूर्य को समस्त जीवों की आत्मा, सब ग्रहों का महा अधिष्ठाता तथा सर्वशक्तिमान कहा गया है। वह अपनी राशियों द्वारा पृथ्वी, स्वर्ग तथा अन्तरिक्ष सभी को व्याप्त रखता है। इसी कारण इसे समस्त-जगत, का पोषक, आत्मा तथा स्वामी माना गया है। इसे काल-पुरूष की आत्मा कहा गया हैं इसके वर्ण, रूप, दिशा, प्रकृति, सत्वादि के विषय में निम्नानुसार समझना चाहिए। वर्ण - गुलाबी, अवस्था वृद्ध (50 वर्ष की आयु) लिंग- पुरूष जाति- क्षत्रिय, नेत्र-मधु, पिंगल-वर्ण, स्वरूप-स्थिर, धातु-स्वर्ण (मतान्तर से तांबा) वस्त्र-मोटा (स्थूलाम्बर) अधिदेवता अग्नि, दिशा- पूर्व, रस-तिक्त (मतान्तर से कटु) स्थान-पशु भूमि, ऋतु-ग्रीष्म, रत्न-माणिक्य, उदय भाग, पृष्ठ (शरीर का पिछला भाग), क्रीड़ा स्थल देवभूमि, काल समय-अयन, बलदायक- काल दिन, वेदाभ्याश- रूचि, विधाध्ययन- रूचि राजनीति, वाहन- अश्व, वार- रविवार, निसर्ग बल सभी ग्रहों से अधिक,प्रभाव- किसी भी ग्रह से नहीं संज्ञा- क्रूर, प्रतिनिधि - पशु लाल रंग की गाय। आधियत्य - सूर्य को आत्मा, नेत्र कलेजा, अस्थि (हड्डी), इड़ा-नाड़ी, शारीरिक गठन, शक्ति, आरोग्य प्रभाव, प्रताप, व्यक्तित्व, निजी आचरण, उच्च बौद्धिक - विकास राज्य, ऐश्वर्य प्रभुत्व, सिद्धि, महत्वाकांक्षा, सत्वगुण, राज-कृपा, आविष्कार अधिकार तथा सत्ता का अधिपति माना गया है। इसे लग्न, धर्म तथा कर्म (1, 9, 10) भाव का कारक भी माना जाता है तथा इनके द्वारा श्री लक्ष्मी एवं विशेष रूप में पिता के सम्बन्ध में विचार किया जाता है। यह चिकित्सा तथा पदार्थ विज्ञान से सम्बन्ध रखने वाला ग्रह है। यह मेरूदण्ड, स्नायु तथा उदर पर प्रभुत्व रखने के अतिरिक्त हृदय, मस्तिष्क, सिर, नेत्र, रक्त, फुफ्फुस तथा जठराग्नि को भी प्रभावित करता है। यह मन्दाग्नि, अजीर्ण, भगन्दर, अर्श, मधुमेह, हैजा, ज्वर, क्षय, अपेण्डिसाइटिस, सिर दर्द, नेत्र, विकार, अतिसार, अग्नि वृद्धि, अपस्मार, उदासीनता, खेद अपमान, कलह, चित विकार एवं मनोमालिन्य का भी प्रतिनिधि है। यह सूर्य, राजा, रईस, अधिकारी, सैनिक, कुलीन, ब्राहमण, ख्यातिलब्ध- व्यक्ति, नाटयकार, औषध विक्रेता, सुनार तथा जौहरी आदि का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसकी मुख्य धातु तांबा है, परन्तु यह स्वर्ण पर भी अधिकार रखता है इसके अतिरिक्त यह धान्य, लाल चन्दन, यश्मीने की वस्तुऐं, ऊन, तृण,मूंगफली, सरसों, नारियल, बादाम, लाल रंग, लाल रंग के पुष्प तथा लाल रंग की गौ का भी प्रतिनिधि है। ऊपर जिन व्यक्तियों, अंगो, पदार्थों कार्यों तथा विषयों का उल्लेख किया गया है। उनके सम्बन्ध में सूर्य के द्वारा विशेष विचार किया जाता है। 😷✋🏻गोंडल संप्रदाय के महामंत्र प्रभावक पू.जगदीशमुनि म.सा. के सुशिष्य क्रांतिकारी संत पू.पारसमुनि म.सा. 🔝 YouTube : https://goo.gl/oKmgzi Twitter:- https://goo.gl/OAvmB1 Google+ :- https://goo.gl/sCagM1 Facebook : https://goo.gl/HPYL7f Instagram :https://goo.gl/NN2AFf Tumblr : https://goo.gl/uVK9Qj Forward to all Friends 🔝📩 💯✔चन्द्रमा चन्द्रमा का काल पुरूष का मन कहा गया हैै। अत यह मन अर्थात अन्तःकरण का प्रतीक है। नवग्रहों में सूर्य तथा चन्द्रमा को राजा का पद दिया गया है। परन्तु ज्योतिष में चन्द्रमा को स्त्री ग्रह माना गया है, अतः इसे सूर्य की अद्धार्गिनी अर्थात रानी के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। फलित ज्योतिष में प्रयुक्त ��न्द्रमा भौगोलिक चन्द्रमा से सर्व��ा भिन्न है। ग्रहण में जो चन्द्रमा कारण स्वरूप बनता है वह नित्य षोडश कलात्मक है। वह चन्द्रमा अमावस्या को भी मृत नहीं होता। उस चन्द्रमा को पितृगणों का निवास स्थल माना गया है। ज्योतिष में जिस चन्द्रमा के सम्बन्ध में विचार किया जाता है उसे सूर्य का प्रतिबिम्ब मात्र ही कहा जा सकता है। कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तथा चतुदर्शी को चन्द्रमा ‘वृद्ध’ अमावस्या को मृत तथा शुक्ल प्रतिपदा को बाल स्वरूप माना जाता है। अतः ये चार तिथियां शुभ कर्मो के लिए त्याज्य कहीं गई है। पूर्णचन्द्र को सौम्य ग्रह तथा क्षीण चन्द्र को पाप-ग्रह माना जाता है। इसी प्रकार बली चन्द्रमा को शुभ तथा निर्बली को अशुभ ग्रह के रूप में स्वीकार किया जाता है। शुक्ल पक्ष की एकादशी से कृष्णपक्ष की पंचमी तक पूर्णचन्द्र कृष्णपक्ष की एकादशी से शुक्लीपक्ष की पंयमी तक क्षीण चन्द्र तथा कृष्णपक्ष की षष्ठी से कृष्ण पक्ष की दशमी तक तथा शुक्लपक्ष की षष्ठी से शुक्ल पक्ष की दशमी तक मध्य-चन्द्र माना जाता है। पूर्ण चन्द्र शुभ तथा क्षीण चन्द्र अशुभ है। इसके वर्ण, रूप, दिशा, प्रकृति तथा सत्वादि के विषय में निम्नानुसार समझना चाहिए। वर्ण-श्वेत (गौर), अवस्था - युवा (तरूणी) लिंग-स्त्री, जाति-वैश्य, नेत्र सुन्दर (शुभ दृष्टि सम्पन्न) स्वरूप सुन्दर, आकृति स्थूल (मतान्तर से लघु) पद सरीसृप, गुण सत्व, तत्व जल, प्रकृति कफ, स्वभाव चर (चंचल) धातु कास्य (मतान्तर से मणि), वस्त्र नवीन रमणीय, अधिदेवता जन (वरूण), दिशा वावव्य, रस-लवण, स्थान- आर्द्र जलाशय तट, काल (समय) क्षण (मुहूर्त) बलदायक काल पराह (रात्रि) वेदाभ्यास खर्च नहीं, विधाध्ययन रूचि ज्योतिष, वाहन-मृण, वार सोमवार, निसर्ग-शुक्र से अधिक बली। पराभव बुध से पराजित, संज्ञापूर्ण चन्द्र शत्रु, क्षीण चन्द्र, अशुभ- शुभ, दृष्ट, शुभ, अशुभ, दृष्ट अशुभ, प्रतिनिधि पशु श्वेत बैल। आधिपत्य - चन्द्रमा को मन, अन्तःकरण, मनोभाव मानसिक स्थिति, संवेदन, विनम्रता, कोमलता, दयालुता, ब्राह स्वभाव, हाव भाव, शारीरिक स्वास्थ्य मस्तिष्क, रक्त, सहानुभूति, देश-प्रेम, गृहस्थ-प्रेम कल्पना शक्ति, सौन्दर्य, राजा की प्रसन्नता माता-पिता की सम्पत्ति, सुख सम्पत्ति पास पड़ौस तथा ज्योतिष विधा का पूर्ण अधिपति माना जाता है। इसे जल, मोती, कृषि, श्वेत, वस्त्र, चांदी, पुष्प, चावल, मिश्री, गन्ना, मधु, नमक, स्त्री के आश्रय आदि से लाभ, माता, नेतृव्य व्यक्तिगत कार्य पारिवारिक जीवन, नाव��क, भ्रमणशील साहसी व्यक्ति, वाला तथा राजभक्ति का अधिपति भी माना जाता है। चन्द्रमा को चतुर्थ भाव का कारक माना गया है। बली चन्द्रमा ही चतुर्थ भाव में अपना पूर्ण फल देता है। मनुष्य शरीर में गले से हृदय तक, अण्डकोष तथा पिंगला नाड़ी पर इसका अधिकार क्षेत्र है। मस्तिष्क तथा उदर के सम्बन्ध में भी इसे विचार किया जाता है। चन्द्रमा स्त्री, वेश्या, दाई, परिचारिका, जलोत्पन्न वस्तुऐं, औषध, शराब विक्रेता, मधुए, नाविक, यात्री, व्यर्थ भ्रमण, नेत्र रोग, आलस्य पाण्डु-रोग, जल रोग, कफ रोग, पीनस-रोग, मानसिक विकार मूत्रकृच्छ, स्त्री-संसर्ग जन्य रोग तथा गांठ आदि रोगों का भी प्रतिनिधि है। चन्द्रमा की अशुभ स्थिति में इन रोग, दोष तथा विकारों का होना सम्भव रहता है। ऊपर जिन व्यक्तियों, अंगो, पदार्थो तथा विषयों का उल्लेख किया गया है, उनके सम्बन्ध में चन्द्रमा के द्वारा ही विशेष विचार किया जाता है। 😷✋🏻गोंडल संप्रदाय के महामंत्र प्रभावक पू.जगदीशमुनि म.सा. के सुशिष्य क्रांतिकारी संत पू.पारसमुनि म.सा. 🔝 YouTube : https://goo.gl/oKmgzi Twitter:- https://goo.gl/OAvmB1 Google+ :- https://goo.gl/sCagM1 Facebook : https://goo.gl/HPYL7f Instagram :https://goo.gl/NN2AFf Tumblr : https://goo.gl/uVK9Qj Forward to all Friends 🔝📩 💯✔मंगल मंगल को काल-पुरूष को पराक्रम माना गया है। अतः यह पराक्रम का प्रतीक है। ग्रह-मण्डल में इसे सेनापति का पद प्राप्त है। इसके वर्ण, रूप, दिशा, प्रकृति, सत्वादि के विषय में निम्नानुसार समझना चाहिए। वर्ण- लाल, अवस्था-युवा, लिंग-पुरूष, जाति-क्षत्रिय, नेत्र उध्र्व, दृष्टि स्वरूप कृश (क्षीण कटि), आकृति-चतष्कोण, पद-चतुष्पद, गुण तम, तत्व-अग्नि (तेज) प्रकृति-पित्त, स्वभाव उग्र- कामी, धातु तांबा, गेरू (मतान्तर से स्वर्ण), वस्त्र जले हुए (दग्ध), अधिदेवता-षडानन (कार्तिकेय) दिशा-दक्षिण, रस-कटु (मतान्तर से तिक्त), स्थान-पर्वत, अरण्य, ऋतु-ग्रीष्म, रत्न-प्रवाल (मंगा), उदय-पृष्ठचांग, स्थल-दग्ध रूचि-सामवेद, विधाध्यययन-रूचि- धनुर्विधा (शस्त्र-विद्या), वाहन-मेष (मेंढ़ा) वार-मंगलवार, निर्सग-वन शनि से अधिक बली, पराभव-शनि से पराजित, संज्ञा-पाप, प्रतिनिधि-पशु, लाल रंग का बैल। आधिपत्य - मंगल को पराक्रम, स्फूर्ति, साहस, आत्म विश्वास, धैर्य, सहिष्णुता, देश-प्रेम, बल, रक्त, दृढ़ता, मनोशिलाषा, खतरे उठाने की शक्ति, क्रोध, घृणा, उत्तेजना, झूठ तथा शस्त्र-विधा का अधिपति माना गया है। मनुष्य- शरीर में पेट से पीठ तक का भाग, नाक, कान, फेफडे तथा शारीरिक बल इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं। यह भाई-बहिन, रक्तवर्ण (लाल रंग) की वस्तुऐं, तांबा, स्वर्ण मिटटी, कृषि, मदिरा, प्रवाल (मूंगा), कस्तुरी, केशर, स्टील, शस्त्र, मैनसिल, हरताल, पारा, अग्नि-कर्म, युद्ध, उत्पाद, रक्त-स्त्राव, भूमि, जाति, दुराचरण, अनुशासन-प्रियता, शत्रु, प्रशासनिक-योग्यता राजनैतिक नेतृत्व, शस्त्र संचालन, दृढ व्यक्तित्व, वैज्ञानिक अध्ययन, अनुसन्धान, अधिकार, अभाव, चोर-कर्म, दुर्घटना, शस्त्र निर्माण, शल्योपचार, पुलिस, सेना तथा विधुत-शक्ति आदि विषयों एवं पदार्थों का अधिपति है। यह कफ, गर्मी, शास्त्राघात, अग्नि, भय, ऋण, क्षय, रक्तस्श्राव, रक्तविकार, ज्वर, पित्त, अण्ड-वृद्धि, व्रण, ग्रन्थि, चेचक, खसरा, प्लेग, महामारी एवं संक्रामक-रोगों का भी प्रतिनिधित्व करता है। मंगल के अशुभ होने पर इस रोगों के होने की सम्भावना रहती है। ऊपर जिन व्यक्तियों, अंगो, पदार्थों, कार्यों तथा विषयों का उल्लेख किया गया है, उनके सम्बन्ध में मंगल के द्वारा ही विशेष विचार किया जाता है। मंगल ग्रह सूर्य - चन्द्र की भांति सदैव मार्गों नहीं रहता, अपितु समय-समय पर मार्गों वक्री तथा अस्त, होता रहता है। इसकी स्वराशियां मेष एवं वृश्चिक है। यह (मकर राशि में उच्चस्थ, कर्क राशि में नीचस्थ तथा मेष राशि के 12 अंश तक इसकी त्रिकोणस्थ संज्ञाऐं हैं)। यह अपने वार (मंगलवार) नवांश, द्रेष्काण, वर्ग, तथा मीन, वृश्चिक। कुम्भ, मकर एवं मेष राशि, रात्रि-काल, दक्षिण दिशा, राशि के आदि भाग तथा दशम भाग में बलि होता है। सूर्य, चन्द्र तथा बृहस्पति ये तीनों मंगल के नैसर्गिक मित्र ह��। शुक्र और शनि से यह समभाव रखता है। बु0 राहु तथा केतु इसके शत्रु है। मंगल की गणना अशुभ पाप-ग्रहों में की जाती है। यह पूर्व दिशा में उदित तथा पश्चिम दिशा में अस्त होता है। इसे सत्व, बल तथा पराक्रम का प्रतीक माना गया है। यह दक्षिण दिशा में अस्त होता है इसे सत्व, बल तथा पराक्रम का प्रतीक माना गया है। यह दक्षिण दिशा का स्वामी है तथा लंका से कृष्णा नदी पर्यन्त इसका प्रभाव क्षेत्र माना गया है। यह भाई बहन का कारक है। देश प्रेम साहस, सहिष्णुता, कठिन परिस्थितियों एवं समस्याओं को हल करने की योग्यता, धैर्य, तथा विभिन्न प्रकार के खतरों का सामना करने में मंगल के बलाबल के आधार पर ही विचार किया जाता है। यह जातक के जीवन पर प्रायः 28 से 32 वर्ष की आयु में अपना शुभ अथवा अशुभ प्रभाव प्रकट करता है। गोचर में अपने राशि संक्रमण से 8 दिन पूर्व की फल देना आरम्भ कर देता है राशि संचरण के पहले 8 दिन ही इसके गोचर फल के माने गये हैं। मुकदमा झगड़ा आदि के मामलों में मंगल का बल ही प्रधान है। 😷✋🏻गोंडल संप्रदाय के महामंत्र प्रभावक पू.जगदीशमुनि म.सा. के सुशिष्य क्रांतिकारी संत पू.पारसमुनि म.सा. 🔝 YouTube : https://goo.gl/oKmgzi Twitter:- https://goo.gl/OAvmB1 Google+ :- https://goo.gl/sCagM1 Facebook : https://goo.gl/HPYL7f Instagram :https://goo.gl/NN2AFf Tumblr : https://goo.gl/uVK9Qj Forward to all Friends 🔝📩 💯✔बुध बुध को काल-पुरूष की ‘वाणी’ माना गया है। अतः यह वाणी विधा तथा बुद्धि का प्रतीक है। ग्रह मण्डल में इसे राजकुमार का पद प्राप्त है। इसके वर्ण, रूप, दिशा, प्रकृति, सत्यादि के विषय में निम्नानुसार समझना चाहिए। वर्ण-हरा (दूर्वा के समान) अवस्था-बाल, लिंग, नपुंसक, जाति-शूद्र (बुद्धि एवं मस्तिष्क से वणिक्) नेत्र-कटाक्ष दृष्टि, स्वरूप प्रसन्न (हास्य-व्यंग्य -प्रिय, स्पष्ट वक्ता), आकृति-गोल (क्षीण-शरीर), पद-पक्षी, गुण-रज, तत्व-पृथ्वी, प्रकृति-सम धातु, (वात, पित्त एवं कफ युक्त), स्वभाव -मिश्र, धातु-स्वर्ण (मतान्तर से रौम्य, काॅस्य), वस्त्र-सड़ें हुए (जलहत), अधिदेवता-हरि (विष्णु), दिशा-उत्तर, रस-कटु (मतान्तर से मिश्रित) स्थान-श्मशान, भूमि (मतान्तर से विद्वानों के घर या गांव) ऋतु-शरद्, रत्न-पन्ना, उदय भाग-शीर्ष, क्रीड़ा-स्थल क्रीड़ा भवन, काल-समय ऋतु, बलदायक - काल पूर्वाहन वेदाभ्यास- रूचि-अर्थव वेद, विघाध्यन रूचि, गणित, वाहन शुण्डयुक्त सिंह, वार-बुधवार निसर्गबल - मंगल से अधिबली, पराभव- शुक्र से पराजित, संज्ञा - अकेला होने पर शुभ तथा पाप-ग्रह से युक्त होने पर अशुभ। प्रतिनिधि पशु-हाथी। आधिपत्य - बुध को हाथ, पांव, त्वचा, विधा, बुद्धि, चातुर्य, वाणी, शिल्प, व्यवसाय तथा गणित का अधिपति माना गया है। मनुष्य के शरीर मं कन्धे से लेकर ग्रीवा तक इसका अधिकतर क्षेत्र है। यह कूटनीतिज्ञ, तार्किक, महान, प्रतिभाशाली, ज्योतिषी, लेखन, सम्पादक, प्रकाशक, युक्ति कुशल, पण्डित वैज्ञानिक गणिज्ञ, व्यवयायी, अध्यापक, चिकित्सक इंजीनियर, एकाउण्टेन्ट अभिनेता, खिलाड़ी, शिल्पी आदि बु0िजीवी वर्ग का अधिपति है। उच्च स्तरीय तर्क, प्रतिभा, मूर्ति कला, डाकतार विभाग तथा ठीमे का काम आदि इसी के अधीन माने गये है। यह मुख, नासिका, वाणी, स्नायु, जिह्वा, तालु नाड़ी कम्पन्न, रक्त - हीनता आदि का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अशुभ स्थिति में होने पर शरीर के इन अंगो से सम्बन्धित रोग तथा आलस्य श्वेत कुष्ठ, भूकत्व, मति-भ्रम, रक्ताल्पता, फुफफुस- विकास सिर-दर्द, दमा, उदर-रोग, वात-रोग, गुप्त रोग, संग्रहणी, मन्दाग्नि, शूल, वायु-विकार तथा नेत्र रोग आदि दोष उत्पन्न होते है। यह मुख्य रूप सें व्यवाय का प्रतिनिधि ग्रह है। सुगन्धित तेल, इत्र, खांड, कपूर, चांदी, मूंगा, हाथी-दांत, पन्ना, मिश्रित रस आदि पदार्थ। क्रीडा स्थल, साक्षी, कानून तथा चिकित्सा आदि के विषय में भी इसी के द्वारा विचार किया जाता है। ऊपर जिन व्यक्तियों, अंगो, पदार्थों, कार्यों तथा विषयों का उल्लेख किया गया है। उनके सम्बन्ध में बुध के द्वारा ही विशेष विचार किया जाता है। बुध भी सदैव मार्गों नहीं रहता, अपितु समय-समय पर मार्गों, वक्री तथा अस्त होता रहता है। इसकी स्व-राशियां मिथुन और कन्या है। यह कन्या राशि के 15 अंश तक परम उच्चस्थ, मीन-राशि में 15 अंश तक परम नीचस्थ तथा कन्या राशि के 26 अंश तक (मतान्तर से - 29.30 अंश तक) मूल त्रिकोणस्था माना जाता है। यह मिथुन, कन्या, और धनु राशि, बुधवार, अपने वर्ग तथा उत्तरायण में बली होता है। सूर्य, शुक्र, राहु तथा केतु ये चारों ग्रह बुध के नैसर्गिक मित्र है। यह मंगल गुरू तथा शनि से समभाव रखता है तथा चन्द्रमा से शत्रु भाव रखता है। स्मरणीय है। कि बुध चन्द्रमा का ही पुत्र है तथा चन्द्रमा इससे मित्र भाव रखता है। परन्तु यह उसमें शत्रु भाव रखता है। शुक्र के साथ इसका राजश्री तथा चन्द्रमा के साथ शत्रुवत् व्यवहार माना गया है। इसे चतुर्भाव तथा दशम भाव कारक माना गया है। तथा इसके द्वारा भाई, सुहृद, मामा, चाचा, भतीजा, विद्या, बुद्धि, चातुर्य आदि के सम्बन्ध मंे विशेष रूप से विचार किया जाता है। यह आश्लेषा, ज्येष्ठा, रोहिणी, हस्त एवं श्रवण नक्षत्रों पर शुभ फल देता है तथा आद्र्रा, स्वाति, पुण्य, अनुराधा, चित्रा, मधा एवं मूल नक्षत्र पर अशुभ फलकारक मिश्रित फल देता है। राहु केतु, सूर्य, शनि तथा मंगल के साथ होने पर अशुीा फल देता है। बुध यदि शुभ ग्रह से युक्त हो तो शुभ तथा पापग्रह से युक्त हो तो अशुभ माना जाता है में होने पर इन रोगों की उत्पत्ति होती है। यह अपनी दशा में कफ तथा चर्बी पर विशेष प्रभाव डालता है। 😷✋🏻गोंडल संप्रदाय के महामंत्र प्रभावक पू.जगदीशमुनि म.सा. के सुशिष्य क्रांतिकारी संत पू.पारसमुनि म.सा. 🔝 YouTube : https://goo.gl/oKmgzi Twitter:- https://goo.gl/OAvmB1 Google+ :- https://goo.gl/sCagM1 Facebook : https://goo.gl/HPYL7f Instagram :https://goo.gl/NN2AFf Tumblr : https://goo.gl/uVK9Qj Forward to all Friends 🔝📩 💯✔गुरू गुरू को काल - पुरूष का ज्ञान माना गया है अतः यह ज्ञान का प्रतीक है। ग्रह- मण्डल में इसे ’मन्त्री’ का पद प्राप्त है। इसके वर्ण, रूप, दिशा, प्रकृति, सत्वादि के विषय में निम्नानुसार समझना चाहिए वर्ण- पीत-गौर, अवस्था-वृद्ध, लिंग-पुरूष जाति-ब्राहमण, नेत्र-भूरे रंग के, स्वरूप-स्थूल (भूरे केशयुक्त), आकृति-गोल, पद- द्विपाद, गुण-सत्व, तत्व-आकाश, प्रकृति-समघात, स्वभाव-मृदु क्षिप, धातु-चाँदी (मतान्तर से - स्वर्ण), वस्त्र- मध्यम, अधिदेवता-इन्द्र, दिशा -ईमान, रस-मधुर, स्थान-ग्राम -भूमि, ऋतु-हेमन्त , रत्न-पुखराज। उदय-भाग-उभय-भाग, क्रीड़ा-स्थान-भण्डार-घर, काल-पूर्वाहन, वेदाभ्यास-रूचि-वेदान्त, व्याकरण, वाहन-हाथी, वार-गुरूवार, निर्सग-बल-बुध से अधिक बली पराभव- मंगल से पराहित, संज्ञा-शत्रु प्रतिनिधि-पशु - अश्व (घोड़ा)। आधिपत्त्य- गुरू को जीव, हृदय कोश, चर्बी तथा कफ का अधिपति माना गया है। मनुष्य - शरीर में कमर से जंघा तक इसका अधिकार-क्षेत्र है। यह विवेक, बुुद्धि, ज्ञान पारलौकिक-सुख स्वास्थ्य, आध्यात्मिक, उदारता, धर्म, न्याय, सिद्धान्तवादिता, उच्चाभिलाषा, शान्त-स्वभाव, राजनीतिज्ञता पुरोहित मन्त्रित्व, यश, सम्मान, पति का कल्याण, पवित्र व्यवहार आदि के अतिरिक्त धन, सन्तान तथा बड़े भाई का भी प्रतिनिधत्व है। यह काम तथा चर्बी की वृद्धि करता है। हृदय कोश सम्बन्धी रोग, क्षय, मूच्र्छा, गुल्म, शोध आदि का इसी से सम्बन्घ माना गया है। गुरू के अशुभ स्थिति में होने पर रोगों की उत्तपति होती है। यह अपनी में कफ तथा चर्बी पर विशेष प्रभाव डालता है। गुरू को स्वर्ण, काँस्य, चना गेंहू, जौ तथा पीले रंग के पुष्प, वस्त्र, फल हल्दी, धनियां, प्याज, ऊन तथा मोम आदि का भी प्रतिनिधि माना गया है। ऊपर जिन वयक्तियों, अगों पदार्थो, कार्यो तथा विषयों का उल्लेख किया गया है उनके सम्बन्ध में गुरू के द्वारा ही विशेष विचार किया जाता है। गुरू भी सदैव मार्गी नहीं रहता है अपितु समय-समय पर मार्गी, वक्री तथा अस्त होता रहता है, ��सकी स्व-राशियां धनु तथा मीन है। यह कर्क राशि के 5 अंश तक परम उच्चस्थ मकर राशि में 5 अंश तक परम नीचस्थ तथा धनु राशि के 10 अंश तक मूल त्रिकोणस्थ माना जाता है। यह कर्क, वृश्चिक, कुम्भ तथा तीन राशि, स्व-वर्ग गुरूवार उत्तरायण, लग्न में तथा रात्रि एवं दिन के मध्य भाग में अधिक बली होता है। इसकी गणना शुभग्रहों में की जाती है। सूर्य, चन्द्र तथा मंगल - ये तीनों ग्रह गुरू के नैसर्गिक मित्र है। बुध तथा शुक्र शत्रु है। शनि, राहु तथा केतु से यह समभाव रखता है। गुरू जनम कुण्डली के जिस भाव में बैठा होता है। वहां से तृतीय तथा दशम भाव को एकपाद दृष्टि से, पंचम तथा नवम भाव को द्विपाद दृष्टि से, चतुर्थ तथा अष्टम भाव त्रिपाद दृष्टि से तथा पंचम, सप्तम एवं नवम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है। गुरू का पंचम भाव का कारक माना गया है। इसके द्वारा सन्तान, विधा, धर्म, लाभ, यश, कीर्ति राज-सम्मान, पवित्रता, इन्द्रिय निग्रह ग्रह तथा पौत्र एवं गुल्म, शोथ आदि रोगों का विचार किया जाता है। यह लग्न में बली तथा चन्द्रमा के साथ रहने पर चेष्टा बली होता है। यह सूर्य के साथ सात्विक, चन्द्रमा के साथ राजस, मंगल के साथ तामस तथा बुध एवं शुक्र के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार सम्बन्ध रखता है। बृहस्पति पीत-गौर वर्ण, स्थूल-शरीर, बडे उदर, भूरे बाल तथा नेत्रों वाला कोमल मति, धर्म, नीति, विधि, न्याय, विज्ञान आदि का महापण्डित, परमार्थो, चतुर, क्षिप्त स्वभावी, सत्वगुण सम्पन्न, समदृष्टि, युक्त, सम्पत्तिदायक, मानवता का हितैषी, ब्राहमण वर्ण, अत्यधिक शुभ तथा समस्त ग्रहों में अत्यन्त बलशाली माना जाता है। यह प्रसन्नता सुख तथा समृद्धि का प्रतीक है। वक्री, अस्त अतिचारी गुरू अभीष्ट फल नहीं देता। उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषढ़ा, पुनर्वसु, पूर्वाभाद्र पाद तथा विशाखा नक्षत्रों में यह शुभ फलदायक होता है। तथा आद्रा।, स्वाति और शतीभाग नक्षत्रों में अशुभ फलदायक होता है। लग्नस्थ बृहस्पति को 1 लाख दोष दूर करने वाला कहा गया है। यही बात केन्द्रस्थ गुरू के विषय में भी कही जाती है। 😷✋🏻गोंडल संप्रदाय के महामंत्र प्रभावक पू.जगदीशमुनि म.सा. के सुशिष्य क्रांतिकारी संत पू.पारसमुनि म.सा. 🔝 YouTube : https://goo.gl/oKmgzi Twitter:- https://goo.gl/OAvmB1 Google+ :- https://goo.gl/sCagM1 Facebook : https://goo.gl/HPYL7f Instagram :https://goo.gl/NN2AFf Tumblr : https://goo.gl/uVK9Qj Forward to all Friends 🔝📩 💯✔शुक्र शुक्र को काल-पुरूष का ’ काम’ माना गया है। अतः यह ’कामेच्छा’ का प्रतीक है। ग्रह-मण्डल में इसे भी ’ मन्त्री’ का पद प्राप्त है। ग्रह मण्डल में चूँकि ग्रह मन्त्री का यह पद प्राप्त है। ग्रह मण्डल में चूंकि गृह मन्त्री है अतः स्त्री-ग्रह होने के कारण इसे ’मन्त्राणी’ भी कहा जा सकता है। इसके वर्ण, रूप, दिशा, प्रकृति, सत्वादि के विषय में निम्नानुसार समझना चाहि वर्ण-श्वेत (शुभ), अवस्था-युवा (किशोर), लिंग-स्त्री, जाति-ब्राहण नेत्र-सुन्दर (कटाक्ष दृष्टि), स्वरूप-तेजस्वी (घुघँराले श्याम केशयुक्त रूचिर शरीर), आकृति-खण्ड, पद-द्विपाद, गुण-रज, तत्व-जल, प्रकृति-कफ (मतान्तर से-वात तथा कफ) स्वभाव-लघु (मृदु), घातु-चाँदी, वस्त्र-दृढ, अधिदेवता- इन्द्राणी, दिशा-आग्नेय-कोण रस-अम्ल, ऋतु-बसन्त, रत्न-हीरा, उदयभाग-शीर्ष, कीड़ा-स्थान-शयन-कक्ष, काल-समय पक्ष, बलदायक काल-पराहन, वेदाभ्यास-रूचि-यजुर्वेद, विद्याध्यन-रूचि-संगीत (गायन-वादन) वाहन-अश्व, वार- शुक्रवार, निसर्ग-बल-गुरू से अधिक बली प्रभाव-चन्द्रमा से पराजित, संज्ञा-शुभ, अतिनिधि- पशु-हाथी, श्वेत अश्व। आधिपत्य- शुक्र को अण्डाशय, गुर्दा, कफ, वीर्य, नेत्र, विषय-वासना, निःस्वार्थ प्रेम, स्त्री, कामेच्छा, मनोरजंन, सांसारिक-सुख, कला, सौन्दर्य, रूप, आकर्षण, व्यवसाय, खेत अश्व, हाथी, राजमहिषी शैया तथा वाहन का अधिपति माना गया है। हीरा स्वर्ण, मणि, चाँदी, स्फटिक, आभूषण, रेशमी-वस्त्र, रूई, सुर्गान्धत-द्रव्य, श्वेत पुष्प, फल, मिश्री, चीनी, गहुँ चावल, अंजीर, श्रृगांर-प्रसाधन तथा कलात्मक वस्तुएं इसी के प्रभाव-क्षेत्र में आती है। धूत-क्रीड़ा, काव्य कला-प्रेम, छल-कपट धन, ऐश्वर्य, विवाह, पे्रम नौकरी, सिनग्धता तथा शरीरिक बल (काम-शक्ति) के सम्बन्ध में भी इसी से विचार किया जाता है। स्त्री-संसर्ग-जन्य रोग मूत्राशय के रोग प्रेमह मैथुनिक-रोग, मांस सम्बन्धी रोग- दोष आदि के विषय में भी इसी के द्वारा विचार करते है। यदि शुक्र अशुभ् स्थिति में हो तो जातक पूर्वाक्त रोगों का शिकार बनता है। कवि संगीतज्ञ, चित्रकार अभिनेता, नर्तक तथा अन्य ललित कलाओं से सम्बन्धित व्यक्ति, श्रृंगारिक वस्तुओं के निर्माता, हलवाई तथा होटल वाले भी इसी के प्रभाव-क्षेत्र में आते है। यह आनन्दवर्धक सुखदायक घटनाओं का घोतक मनोरंजक-व्यवसाय तथा भोग-विलास आदि साँसारि-सुखों का प्रतिनिधि है। पृथ्वी में गढ़े हुए धन के सम्बन्ध में भी शुक्र के द्वारा ही विचार करते है उपर जिन व्यक्तियों, अंगो, पदार्थो, कार्याे तथा विषयों का उल्लेख किया गया है। उनके सम्बन्ध में शुक्र के द्वारा ही विचार करते है। शुक्र सदैव मार्गो नहीं रहता। यह समय-समय पर मार्गो, वक्री तथा अस्त होता रहता है। इसकी स्व-राशियाँ वृष और तुला है। यह मीन राशि के 27 अंश तक परम उच्चस्थ कन्या राशि के अंश तक परम नीचस्थ तथा तुला राशि के 20 अंश तक इसकी मित्र राशियां है। कर्क तथा सिंह राशियों से यह शत्रुता रखता है। मिथुन, कन्या, मकर तथा कुम्भ लग्न में शुक्र योगकारक होता है। यह अपने वर्ग, उच्च राशि, वार (शुक्रवार तथा तृतीय, चतुर्थ, पण्ढ एवं द्वादश भाव तथा अपराहन-काल में शुभ (बली) माना जाता है। भाव में निष्फल तथा सांतवे भाव में अनिष्ठकर होता है। दिन में जन्म हुआ तो इसके द्वारा जातक की माता के सम्बन्घ में भी विचार किया जाता है। बुध, शनि, राहु तथा केतु-ये चारों शुक्र के नैसर्गिक-मित्र है। सूर्य और चन्द्रमा शत्रु है। मंगल एवं गुरू से यह सम-भाव रखता है। जन्म कुण्डली में शुक्र जिस भाव में बैठा हो, वहाँ से तृतीय तथा दशम भाव को एकपाद दृष्टि से पंचम तथा नवम् भावको द्विभाव दृष्टि में चतुर्थ तथा अष्टम भाव को त्रिपाद दृष्टि से तथा सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है। इस शुभ ग्रह माना जाता है। यह सप्तम भाव का कारक है यह बुद्ध के साथ सात्विक, शनि तथा राहु के साथ तमाम एवं सूर्य, चन्द्रमा तथा मंगल के साथ शत्रुता व्यवहार रखता है। शुक्र आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती, कृत्रिका, स्वाति तथा आद्रा नक्षत्रों पर शुभ फल देता है तथा मरणी पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषादा, मृगशिरा, चित्रा एवं घनिष्ठा नक्षत्रों पर अशुभ फल देता है। तुला राशि पर यह विशेष बली देता है। 😷✋🏻गोंडल संप्रदाय के महामंत्र प्रभावक पू.जगदीशमुनि म.सा. के सुशिष्य क्रांतिकारी संत पू.पारसमुनि म.सा. 🔝 YouTube : https://goo.gl/oKmgzi Twitter:- https://goo.gl/OAvmB1 Google+ :- https://goo.gl/sCagM1 Facebook : https://goo.gl/HPYL7f Instagram :https://goo.gl/NN2AFf Tumblr : https://goo.gl/uVK9Qj Forward to all Friends 🔝📩 💯✔शनि शनि को काल-पुरूष का ’दुःख’ माना गया है। ग्रहमण्डल में इसे ’सेवक’ का पद प्राप्त है। इसके वर्ण, रूप दिशा प्रकृति एंव सत्वादि के विषय मे निम्नानुसार समझना चाहिए। वर्ण-कृष्ण, अवस्था-वृद्ध, लिंग-नपुन्सक जाति- शुद्र, नेत्र- सुन्दर तथा कातर स्वरूप- आलसी (कशांग, रन्क्ष-केश, मोटे दाँत और नख), आकृति दीर्घ, पद पक्षी (मतान्तर से चतुष्पाद), गुण-तम, तत्व-वायु प्रकृति-वात (मतान्तर से कफ एवं वात) स्भाव-तीक्ष्ण दारूण, धातु-लोहा, वस्त्र-जीर्ण, आधि देवता, विरंचि (ब्रहना), दिशा-पश्चिम, रस-तिक्त, स्थान-ऊसर-भूमि, ऋतु-शिशिर, रत्न-नीलम, उदय-भाग-पृष्ठ भाग, क्रीड़ा-स्थल-कूड़ा-घर, काल (समय), वर्ष, बलदायक- काल-सन्ध्या (मतान्तर से रात्रि), वेदाभ्यास रूचि-नहीं, विधाध्ययन-रूचि- कूटनीति, दर्शन-शास्त्र कानून, वाहन-महिष (भैंसा) वार-शनिवार, निसर्ग-बल पराभव-सूर्य से पराजित, संज्ञा-पाप, प्रतिनि���ि-पशु-कृष्ण-अश्व (मतान्तर से-महिष, बकरी)। अधिपत्य- शनि का हड्डी पसली, मांस-पेशी, पिड़ंली, घुटने, स्नायु, नख तथा केशों पर अधिपत्य माना गया है। यह लोहा, नीलम, सीसा तैल, भैंस नाग, महिषी, तिल, नमक, उड़द तथा काले रंग की वस्तुओं का अधिपाति है। यह कारागार, पुलिस यातायात, ठेकेदारी अचल-सम्पति, जमीन, मजदूर, कल-कारखाने, मशीनरी, छोटे दुकानदार तथा स्थानीय-संस्थाओं के कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करता है। बलवान शनि-विशिष्टता, लोक-प्रियता, सार्वजनकि प्रसिद्धि एवं सम्मान को देने वाला भी होता है। इसके द्वारा वायु, शारिरिक-बल, उदारता, विपत्ति, दुःख, योगाभ्यास, धैर्य, परिश्रम, पराक्रम, मोटापा, चिन्ता, अन्याय बिलासता संकट, दुर्भाग्य व्यय प्रभुता, ऐश्वर्य, मोक्ष, ख्याति नौकरी, अंग्रेजी भाषा, इंजीनियरी लोहे से सम्बन्धित काम, साहस तथा मूच्र्छा आदि रोगों के सम्बन्ध में विचार किया जाता है। यह अतुलनीय दुःख एवं अधिव्यधियों का कारक है। शनि की ’साढेसाती’ तथा ’ढै��ा’ जिन्हें क्रमशः वहल्कत्याणी तथा ’लघु-कल्याणी’ कहा जाता है। यह पाप-ग्रह होते हुए भी मनुष्य को दुःख रूपी अग्नि में तपाकर, उसे कुन्दन की भांति निखारने तथा उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने का कार्य करता है। शनि सदैव मार्गो नही रहता, समय समय पर मार्गो तथा वक्री होता रहता है। शनि की स्वराशियां मकर तथा कुम्भ है। यह तुला राशि के 20 अंश तक परम उच्चस्थ, मेष राशि के 20 अंश् तक परम नीचस्थल तथा कुम्भ राशि के 20 अंश तक मूल त्रिकोणस्थ माना जाता है। लग्न में सातवे भाव में तथ तुला, मकर एवं कुम्भ राशि, दक्षिणायन् स्व- द्रेष्काण , राशियंत तथा शनिवार को एवं कृष्णापक्ष का वक्री शनि बलवान् माना जाता है । बुद्ध, शुक्र राहु तथा केतु इसके नैसिर्गिक मित्र है। सूर्य, चन्द्र तथा मंगल शत्रु है। गुरू के साथ यह समभाव रखता है। जन्म कुण्डली में शनि जिस भाव में बैठा होता है, वहाँ से तृतीय तथा दशम भाव को एकपाद दृष्टि से पंचम तथा नवम् भावकों द्विपाद दृष्टि से चतुर्थ तथा अष्टम भाव को त्रिपाद दृष्टि से तथा सप्तम्, तृतीय एवं दशम भाव की पूर्ण दृष्टि से देखता है। मतान्तर से इसकी एकपाद दृष्टि नहीं होती। यह बुध के साथ तथा शुक्र के साथ रासज राजस सम्बन्ध रखता है एवं सूर्य तथा चन्द्रमा के साथ शत्रुवत व्यवहार करता है इसकी गणना ग्रहों में की जाती है। इसे सब ग्रहों से अधिक बलवान् माना जाता है। शनि सप्तम स्थान में बली होता है तथा किसी वक्री-ग्रह अथवा चन्द्रमा के साथ रहने पर चेष्टा-बली होता है इसे कम तथा व्यय भाव का कारक माना जाता गया है। रात्रि में जन्म होने पर यह माता और पिता का भी कारक होता है। गंगा से हिमालय तक का प्रदेश इसका अधिकार-क्षेत्र माना गया है। 😷✋🏻गोंडल संप्रदाय के महामंत्र प्रभावक पू.जगदीशमुनि म.सा. के सुशिष्य क्रांतिकारी संत पू.पारसमुनि म.सा. 🔝 YouTube : https://goo.gl/oKmgzi Twitter:- https://goo.gl/OAvmB1 Google+ :- https://goo.gl/sCagM1 Facebook : https://goo.gl/HPYL7f Instagram :https://goo.gl/NN2AFf Tumblr : https://goo.gl/uVK9Qj Forward to all Friends 🔝📩 💯✔राहु राहु को काल-पुरूष का ’दुःख’ माना गया है। अतः यह दुःख शोक का प्रतीक है ग्रह मण्डल में इसे कोई पद प्राप्त नहीं है। इसके वर्ण, रूप, दिशा, प्रकृति, सत्वादि के विषय में निम्मनानुसार समझना चाहिए। वर्ण-नील, अवस्था-बद्ध, लिंग-स्त्री, जाति-म्लेच्छा (अन्त्यज), नेत्र-शनि के समान, स्वरूप-मलिन (तीव्र बुद्धि परन्तु आलसी,) आकृति-दीर्घ, पद-पादहीन (सर्प), गुण-तम, तत्व-वायु (मतान्तर से जल, वायु), प्रकृति-वात, स्वभाव-तीक्ष्ण, (दारूण) धातु-सीसा, वस्त्र-कम्बल, (ऊनी वस्त्र), अधिदेवता-राक्षस, दिशा- मैर्ऋृल्स, रस-तिक्त, स्थान-ऊसर-भूमि (मतान्तर से-वन, पर्वत), रत्न-गोमेद, उदय भाग पृष्ठभाग, क्रीड़ा-स्थल गाँव का अन्तिम स्थान। काल- समय -ग , बददायक-काल-रात्रि, वेदाभ्यास-रूचि -ग, विधाध्ययन - रूचि-गारूड़ी-विधा (सर्प विधा) वाहन-व्याघ्र (मतान्तर से-माजीर) वार-कोई नहीं निसर्ग-बल- ग संज्ञा-अशुभ, अतिनिधि-पशु घोड़ा, ऊँट, सर्प! अधिपत्य- राहु का पाँवों पर अधिकार माना गया है। इसके द्वारा शारीरिक-शक्ति, पारिश्रम, साहस, मोटापा, पाप-कर्म, दुर्भाग्य, चिन्ता, शत्रुता, संकट, दुर्घटना, दुःख, शोक विलासिता, आक्रमणात्मक एवं विध्वसात्मक प्रवृत्ति, राजनीति, सर्प-विधा, यात्रा, अनुसन्धान, वैधक, मघपान धूत-क्रीड़ा शिकार, जासूसी, नौचालन, दुर्गुण तथा पितामह के सम्बन्ध में विचार किया जाता है। नीले रंग की वस्तुओं-सीसा, लोहा, सीमेण्ट, गोमेद, सरसों, तिल, कम्बल, तलवार, घोड़ा, ऊँट, सर्प, चमड़ा, सर्बी, हड्डी, मशीन कारखाने, मुद्रण-कार्य, फाटोग्राफी निन्धकर्म, वैधव्य तथा चित्रकारी आदि कार्यो से इसका सम्बन्ध माना गया है। ऊपर जिन व्यक्तियों, अंगो, पदार्थो, कार्यो तथा विषयों का उल्लेख किया गया है, उनके सम्बन्ध में राहु के द्वारा ही विशेष विचार किया जाता है। ग्रह मण्डल में राहु का कोई स्थान नहीं है इसकी अपनी कोई राशि भी नहीं हैं। परन्तु कुछ विद्वान बुध की ’कन्या’ राशि पर इसका भी अधिपत्य मानते है। कुछ विद्वान इसे मिथुन राशि के 15 अंश तक (मतान्तर में 20 अंश तक) परम उच्चस्थ तथा धनु राशि के 15 अंश तक (मतान्तर से 20 अंश तक) परम नीचस्थ मानते है। प्राचीन शास्त्रों में इसे वृष राशि में उच्चस्थ तथा वृश्चिक राशि में नीचस्थ् मानते है। प्राचीन शास्त्रों में इसके मूल त्रिकोणस्थ का उल्लेख नहीं हैं। तथापि कतिपय विद्वान इसे कुम्भ राशि के 3 अंश तक मूल त्रिकोस्थ मानते है, तो कुछ कर्क राशि पर मूल त्रिकोस्थ मानते है। यह तीसरे छटे तथा नवे भावों में स्थित होने पर प्रकार के दोषों का नाश करता है। अन्य भागों मेें शुभ फल नहीं देता। राहु के बुध, शुक्र तथा शनि नेसग्र्कि-मित्र है। सूर्य, चन्द्र, तथा मंगल शत्रु है! गुरू में यह समभाव रखता है (मतान्तर से - ’बुध’ भी मित्र न होकर ’सम’ है)। मेष, वृष, मिथुन, कर्क, कन्या, वृश्चिक, तथा कुम्भ राशि एवं दशम भाव में इसे बलवान् माना गया है। जन्म कुण्डली में राहु जिस भाव में स्थित होता है, वहा से तृतीय तथा पष्ठम भाव को एकपाद दृष्टि से, दिूतिया तथा दशम भाव को द्विपाद दृष्टि से तथा पंचम, सप्तम, नवम एवं द्वादश-इन भावों को पूर्ण दृष्टि से देखता है। इसकी द्विपाद दृष्टि ’अन्ध’ मानी गयी है। सामान्यता, यह जिस भाव में बैठता है वहां की उन्नति को रोकता है वृष तथा तुला लग्न में इसे योगकारक माना गया है। आद्रा, स्वति तथा शतभिषा नक्षत्रों पर शुभ फल देता है। इसकी गणना अशुभ तथा क्रूर ग्रह के रूप में की जाती है। साथ ही, इसे अत्यन्त बलवान ग्रह भी माना गया ह यह मलिन-स्वरूप, दारूण-स्वभाव विनाश-वृत्ति, अन्त्मज-जाति का, आलसी, परन्तु तीव्र बुद्धि वाला ग्रह है। इसे कलयुग मेें प्रत्यक्ष प्रभाव देने वाला कहा गया है। 😷✋🏻गोंडल संप्रदाय के महामंत्र प्रभावक पू.जगदीशमुनि म.सा. के सुशिष्य क्रांतिकारी संत पू.पारसमुनि म.सा. 🔝 YouTube : https://goo.gl/oKmgzi Twitter:- https://goo.gl/OAvmB1 Google+ :- https://goo.gl/sCagM1 Facebook : https://goo.gl/HPYL7f Instagram :https://goo.gl/NN2AFf Tumblr : https://goo.gl/uVK9Qj Forward to all Friends 🔝📩 💯✔केतु केतु को भी काल-पुरूष का ’दुःख’ माना गया है, अतः यह ’दुःख शोक’ का प्रतीक है। ग्रह मण्डल में इसे कोई पद प्राप्त नहीं है। इसके वर्ण रूप, दिशा प्रकृति, सत्वादि के विषय में निम्नानुसार समझना चाहिए- वर्ण-कृष्ण, काजल के समान (मतान्तर से धूम्रवत्), अवस्था-बद्ध, लिंग-स्त्री, जाति-लेच्छा (वर्ण शंकर), नेत्र-ग, स्वरूप-मलिन, आकृति-हस्त, पद-पक्षी, गुण-तम, तत्व-वायु (मतान्तर से-आकाश, तेज), प्रकृति-वात, स्वभाव-तीक्षण, वात-लोहा, वस्त्र-छिद्रयुक्त, अधिदेवता- ग, दिशा-नैर्ऋस, रस-वैदूर्य (त्लहसुनियाँ) उदय भाग-पृष्ठभाग क्रीड़ा-स्थान, श्मशान-भूमि, काल (समय)- ग, बलदायक काल-रात्रि, वेदाभ्यास-रूचि- ग, विधाध्य्यन-रूुचि-तन्त्र-मन्त्र विधा, वाहन-जल-जल-जीव, वार- ��, निसर्ग-बल- ग, पराभव - ग,संज्ञा- अशुभ, पाप(मतान्तर में-शुभ, प्रविनिधि-पशु-बकरा) अधिपत्य- केतु का अधिकार पाँव के तलवों पर माना गया है यह शस्त्र बकरा, व वैदॅर्य घूम्रवर्ण के वस्त्र तथा अन्य वस्तुओ का अधिपति है इसके द्वारा माता ग्रह (नाना), हाथ, पाँव एवं सुधा-जनित कष्ट, चर्म-रोग, अदभुत प्रकार के स्वप्न, मृत्यु कारावास) दुर्घटना, अशुभ विषय, दुःख, शोक, कुष्ठ- रोग, सन्धि-रोग, कण्डू स्नायु सम्बन्धी विकार तथा षड़यन्त्र आदि के सम्बन्ध मे ज्ञान प्राप्त किया जाता है। ग्रह मण्डल में ’केतु’ को कोई स्थान प्राप्त नहीं है। इसकी अपनी कोई राशि नहीं है। परन्तु कुछ विद्वान गुरू की मीन राशि (मतान्तर से बुध की कन्या राशि) पर इसका भी अधिकार मानते है कुछ आचार्य इसे धनराशि के 6 अंश तक परम उच्चस्थ, मीन राशि के 6 अंश तक परम नीचस्थ तथा सिंह राशि के 6 अंश तक मूल त्रिकोणस्थ् मानते है। तो कुछ विद्वान इसे वृश्चिक राशि पर उच्चस्थ तथा वृष राशि पर नीचस्थ एवं कर्क राशि पर मूल त्रिकोणस्थ मानते है। एक अन्य मत के अनुसार केतु मीन राशि मंे उच्चस्थ तथा मिथुन राशि में नीचस्थ होता है। इसका मूल त्रिकोण सिंह राशि हे। यह वृष, धनु तथा मीन राशि में बलवान होता है। सप्तम भावस्थ वृश्चिक मिथुन मं भी इसे सुखकारी माना गया है। मिथुन कन्या, धनु, मकर तथा मीन इसकी मित्र राशियाँ है तथा कर्क एवं सिंह शत्रु राशियाँ है। अश्वनी मघा तथा मूल इसके अपने नक्षत्र कहे गये है यह गुरू के साथ सात्विक तथा सूर्य एवं चन्द्र के साथ शत्रुवत व्यवहार रखता है। बुध, शुक्र तथा शनि इसके नैसर्गिक मित्र है। सूर्य चन्द्र तथा मंगल शत्रु है। गुरू से यह समभाव रखता है। (मातान्तर से-बुध के साथ भी समभाव रखता है) राहु तथा केतु ए ही शरीर के दो भण होने के कारण परस्पर मित्र माने जाते है । राहु के समान ही यह भी भावों को फल देता है। 😷✋🏻गोंडल संप्रदाय के महामंत्र प्रभावक पू.जगदीशमुनि म.सा. के सुशिष्य क्रांतिकारी संत पू.पारसमुनि म.सा. 🔝 YouTube : https://goo.gl/oKmgzi Twitter:- https://goo.gl/OAvmB1 Google+ :- https://goo.gl/sCagM1 Facebook : https://goo.gl/HPYL7f Instagram :https://goo.gl/NN2AFf Tumblr : https://goo.gl/uVK9Qj Forward to all Friends 🔝📩
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