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#महान सरकार
studycarewithgsbrar · 2 years
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कोविड -19 - टाइम्स ऑफ इंडिया के कारण माता-पिता को खोने वाले कॉलेज के छात्रों के शिक्षा खर्च को वहन करने के लिए महा सरकार
कोविड -19 – टाइम्स ऑफ इंडिया के कारण माता-पिता को खोने वाले कॉलेज के छात्रों के शिक्षा खर्च को वहन करने के लिए महा सरकार
मुंबई, 22 अगस्त (पीटी)-महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रकांत पाटिली सोमवार को कहा कि राज्य सरकार उन कॉलेज छात्रों की शिक्षा का खर्च वहन करेगी जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है कोविड-19 महामारी. राज्य के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री ने विधानसभा के पटल पर कांग्रेस विधायक शिरीष चौधरी के एक सवाल का जवाब देते हुए यह घोषणा की। “931 स्नातक और 228” स्नातकोत्तर छात्र कोविड -19 महामारी के कारण विभिन्न…
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helputrust · 10 months
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YouTube Link : https://youtu.be/AL-lr3N00O4
माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास" मंत्र की प्रेरणा से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पदम श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी की 76वीं जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा "दास्तान गोई, साज-ए-गजल तथा सेमिनार" का आयोजन कैफी आज़मी अकादमी, निशातगंज, लखनऊ में किया गया | कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय डॉ दिनेश शर्मा, पूर्व उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार की गरिमामई उपस्थिति रही |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा मुख्य अतिथि माननीय डॉ दिनेश शर्मा जी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी के परिवार के सदस्यों शाहरयार जलालपुरी, शाहकार जलालपुरी, डॉ जानिसार आलम तथा ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों ने दीप प्रज्वलन करके किया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी के परिवार के सदस्यों शहरयार जलालपुरी, शाहकार जलालपुरी, डॉ जानिसार आलम तथा ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों ने प्रतीक चिन्ह, पुष्प गुच्छ तथा अंग वस्त्र से माननीय मुख्य अतिथि डॉ दिनेश शर्मा जी का स्वागत एवं सम्मान किया | तत्पश्चात मुख्य अतिथि माननीय डॉ दिनेश शर्मा ने अपने कर कमलों से कार्यक्रम "दास्तान गोई, साज-ए-गजल तथा सेमिनार" के प्रतिभागियों का सम्मान किया |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभागार में उपस्थित सभी लोगों का अभिवादन करते हुए कहा कि, "आज के कार्यक्रम के माध्यम से हमारा उद्देश्य राष्ट्रीय एकीकरण की भावना को प्रबल करना है और माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र "सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास" को जन-जन तक पहुंचा कर, आम जनमानस को देश हित में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है |
पदम श्री अनवर जलालपुरी वास्तव में मोहब्बत के सफ़ीर थे | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ उनका बहुत गहरा नाता था | उसी नाते हमारे बीच अनवर जी के तीनो बेटे शहरयार जलालपुरी, शाहकार जलालपुरी तथा डॉ जानिसार आलम उपस्थित है | अनवर जी ने भगवत गीता को उर्दू में अनुवादित करके पूरे विश्व को भाईचारे और सौहार्द्र का संदेश दिया और इसकी जीती जागती मिसाल अनवर जी द्वारा लिखित पुस्तक “उर्दू शायरी में गीता” का महान संत परम श्रद्धेय मुरारी बापू द्वारा विमोचन है | मुरारी बापू कहते है अनवर जलालपुरी ने सम्पूर्ण गीता को बेहद आकर्षक ढंग से पाठको के लिए प्रस्तुत किया है | मेरा यकीन है कि “उर्दू शायरी में गीता” मदीने को काशी और काशी को मदीने तक ले जाएगी | मै कहता हूँ कि श्लोक को लोक तक जाना चाहिए | अनवर जलालपुरी ने इसी काम की शुरुआत की है |
यह हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का सौभाग्य है कि हमें उर्दू शायरी में गीता के विमोचन कार्यक्रम रूहानी संगम को आयोजित करने का अवसर प्राप्त हुआ | रूहानी संगम कार्यक्रम में, आज के हमारे मुख्य अतिथि परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पद्मभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज जी उपस्थित थे |
पद्मभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज जी कहते है कि मैंने गीता के हिंदी और अंग्रेजी भाषाओ के कई अनुवाद पढ़े है लेकिन जैसा अनुवाद अनवर जलालपुरी ने किया है वैसा मुझे अन्य कही देखने को नहीं मिला |
परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी का आशीर्वाद हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट को ट्रस्ट की स्थापना से पूर्व से निरंतर प्राप्त है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की उपलब्धियां परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी के मार्गदर्शन का नतीजा है | आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट जो भी जन सेवा कर रहा है उसका श्रेय परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी को जाता है | यह परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी का ही आशीर्वाद था जिसके कारण पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी जी के साहित्य कार्यो से माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी अवगत हुए |
माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से अनवर जलालपुरी जी द्वारा रचित “उर्दू शायरी में गीता” के ऑडियो संस्करण पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि श्री अनूप जलोटा जी के स्वर में सजने वाला यह संस्करण निश्चय ही कर्णप्रिय और मनोहारी होगा | माननीय प्रधानमंत्री परम आदर��ीय श्री नरेन्द्र मोदी जी कहते है श्रीमद् भगवतगीता मनुष्य को सत्य के मार्ग पर चलने की सीख देती है | विपरीत परिस्थितियो में भी मन व मस्तिस्क को नियंत्रित करके सफलता पाने का अचूक मन्त्र देती है श्रीमद् भगवतगीता |
स्वयं पदम श्री अनवर जलालपुरी जी कहते है कि है योग वाले कृष्णा जहां, जहां पर है अर्जुन के तीरों कमा, वही फतहमंदी, मसर्रत वही, सभी के लिए शानो शौकत वही |
आपकी जानकारी में लाना है कि “उर्दू शायरी में गीता” का ऑडियो हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के Youtube Channel पर उपलब्ध है |
पदम श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी के सुपुत्र डॉ जानिसार आलम ने कहा कि, "आज हमारे वालिद मरहूम पद्मश्री अनवर जलालपुरी के 76वें जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है | मैं ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल का बहुत शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने इस कार्यक्रम को आयोजित करने में हमारा मार्गदर्शन किया तथा मैं आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय डॉ दिनेश शर्मा जी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार का तहे दिल से स्वागत करता हूं और आप सभी विद्वानों एवं श्रोताओं का भी स्वागत करता हूं |"
मुख्य अतिथि माननीय दिनेश शर्मा पूर्व उपमुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि, "अनवर जलालपुरी से मेरा हृदय का संबंध था और मैं हर्ष वर्धन अग्रवाल को एवं उनके ट्रस्ट को साधुवाद देता हूं कि उन्होंने उनके तमाम कार्यक्रम कराए और उन तमाम कार्यक्रम में मुझे जाने का अवसर मिला l मुझे याद है अनवर साहब ने जब गीता को उर्दू शायरी में लिखने की बात की तो सबसे पहले मेरे साथ भेंट हुई | उस समय मेरे मन में यह आशंका थी कि इतनी अच्छी उर्दू बोलने वाला व्यक्ति, अरबी का ज्ञाता व्यक्ति जिसकी जुबान पर उर्दू शायरी बसी हुई हो, वह संस्कृत के श्लोकों का अर्थ कैसे करेगा और उसके भावार्थ को अपनी जुबान में जनमानस को कैसे समझाएगा l अनवर साहब ने मेरी यह आशंका तुरंत दूर कर दी तो मुझे लगा कि यह व्यक्ति आम जनमानस की भावनाओं को समझने की क्षमता रखने वाला व्यक्ति है | श्रीमद्भगवद्गीता को अनवर साहब इंसानियत का सबसे बड़ा ग्रंथ मानते थे जो भटके हुए व्यक्ति को सही राह दिखा सकती है | आज इस कार्यक्रम में मैं यही कहना चाहूंगा कि सभी लोग अपनी परंपरा का पूरा सम्मान करते हुए आगे बढ़े | अगर हम हिंदू हैं तो हम खूब पूजा पाठ, जो कुछ भी कर सकते हैं, उसमें अडिग रहे | अगर हम मुस्लिम है तो पांचों वक्त की जो अजान करते हैं वह करें, उस पर कोई रोक टोक नहीं होनी चाहिए | लेकिन यह जो प्रोग्रेसिव नेचर है जो अनवर जलालपुरी साहब का था कि सबके साथ साथ युवाओं का सुनहरा भविष्य कहां से आए इस पर हमें चिंतन करना है | अभी जो हर्ष वर्धन अग्रवाल जी कह रहे थे "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास" | इसका मतलब है जितने लोग हैं सब मिलकर इस मुल्क की तरक्की के लिए काम करें और उसके लिए यह जरूरी है कि हम, जो भी कुरीतियां हैं चाहे जिस धर्म की हो, उस पर विचार करते हुए क्या संशोधन कर सकते हैं और साथ में दूसरे धर्म ग्रंथ चाहे वह बाइबल हो चाहे गुरु ग्रंथ साहब चाहे कुरान हो चाहे गीता या रामायण हो, हम सब के बारे में अच्छाइयों को पढ़ें तो निश्चय ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा | आज अनवर जलालपुरी जैसे लोगो की बहुत जरूरत है | अनवर साहब जैसे व्यक्तित्व को कभी भुलाया नहीं जा सकता वह हमारी अंत: चेतना में हमेशा जीवित रहेंगे |
दास्तान गो शुजाउर रहमान तथा शाजिया खान ने दास्तान गोई (दास्तान-ए-गीता) की प्रस्तुतीकरण किया जिसके अंतर्गत उन्होंने पदम श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी जी की अनुवादित पुस्तक उर्दू शायरी में गीता के श्लोकों को कहानी और शायरी के अनोखे मिश्रण से प्रस्तुत किया |
साज-ए-गजल में पदम श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी जी की मशहूर गजलों को गजल गायक प्रदीप अली तथा आकांक्षा सिंह ने अपनी कर्णप्रिय आवाज में प्रस्तुत किया | प्रदीप अली ने "मैंकदे से देर से काबा से रुखसत हो गए", "हवा हो तेज तो शाखों से पत्ते टूट जाते हैं" तथा आकांक्षा सिंह ने "हम्द ना यह दिन ना यह रात बाकी रहेगी " गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया तथा अनवर साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की |
अनवर जलालपुरी: मोहब्बत के सफीर विषयक सेमिनार में सम्मानित वक्ता गणों ने पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला |
जाने माने उर्दू शायर जनाब वासिफ फारुकी ने अनवर जलालपुरी की शायरी और अदबी ख़िदमात व उनकी शख्सियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि, "अनवर जलालपुरी साहब उच्च कोटि के साहित्यकार, मानवता के पैरोकार, शायर और नाजिम-ए-मुशायरा थे।"
जनाब मनीष शुक्ला ने कहा कि, "पद्मश्री अनवर जलालपुरी साहब अपने आप में मुशायरों की निज़ामत का एक अलग और अज़ीम स्कूल थे |"
मौलाना आज़ाद विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ इशरत नाहीद ने कहा कि, "अनवर जलालपुरी ने राष्ट्रीय एकता को मजबूती देने अपना एक अहम किरदार निभाया है | वह आधुनिक दौर के शुद्ध हिन्दुस्तानी संत थे | वह एक ऐसे संत थे जिनकी वाणी ने लोगों के दिलों को आकर्षित ही नहीं किया बल्कि राष्ट्रीयता और मानव प्रेम की भावना को लोगों में जागृत किया | उन्होंने राष्ट्रीय एकता के साथ साथ धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का भी भरपूर प्रयास करते हुए पवित्र क़ुरआन शरीफ़ और श्रीमद् भगवत गीता का उर्दू में काव्यात्मक अनुवाद करके एक दूसरे को समझाने का प्रयास किया |"
अमेरिकन सेंटर लखनऊ के निदेशक डॉक्टर एहतेशाम अहमद खान ने बताया कि, "लेखनी भाषा का एक अहम और बहुत ही खास हिस्सा है | एक सफल लेखक और एक कामयाब शायर अपनी लेखनी या तहरीर में भाषा से चित्रकारी का काम लेता है | लेकिन अपनी आवाज़ से हयात व् कायनात की तस्वीर बनाने का फ़न अगर किसी को क़ुदरत ने निहायत ख़ूबसूरती के साथ बख्शा था तो वह यक़ीनन पदमश्री अनवर जलालपुरी थे |
मुशायरे की दुनिया में अपनी पुरकैफ़ आवाज़ से श्रोताओं की समाअत में सुरूर घोलने का फ़न पद्मश्री अनवर जलालपुरी से बेहतर नहीं मिलता है | वह अंतर्राष्टीय ख्याति प्राप्त उर्दू कवि एवं शायर, मंच संचालक, बेहतरीन वक्ता, टीवी सीरियल संवाद एवं गीत लेखक, शिक्षाविद, बुद्धिजीवी और सबसे बढ़कर एक बेहतरीन इंसान थे | आज जब हमारे समाज में हर इंसान अपनी ज़ात और धर्म के हिसार में क़ैद होता जा रहा है, आपसी सौहार्द और मुहब्बत समाप्त होती जा रही है ऐसे में हमें पदमश्री अनवर जलालपुरी की शिक्षा को याद करना बेहद अहम है:
मेरी बस्ती के लोगो! अब न रोको रास्ता मेरा
मैं सब कुछ छोड़कर जाता हूँ देखो हौसला मेरा |"
जनाब आतिफ हनीफ ने कहा कि, "गंगा जमुनी तहज़ीब के अलंबरदार अनवर जलालपुरी | अनवर जलालपुरी ने अपनी शायरी के जरिए हिंदुस्तानी तहजीब, संस्कृति एवं राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने की भरपूर कोशिश की है | वह भारत के ऐसे अनूठे साहित्यकार हैं जिन्होंने श्रीमद भगवत गीता के संस्कृत श्लोकों को उर्दू शायरी का लिबास पहनाया, और इसके जरिए धार्मिक और भाषाई एकता का प्रतीक बन गए | आज के समय में पद्मश्री अनवर जलालपुरी की रचनाओं की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है |"
जनाब अतहर हुसैन सिद्दीकी ने अनवर जलालपुरी जी की जो शख्सियत है वह वाकई काबिले तारीफ है | उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक का उर्दू में अनुवाद किया तथा गीता के भावार्थ को मुल्क के कोने-कोने तक पहुंचाया | यह अनवर साहब ही थे जिन्हें हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू हर विषय में महारत हासिल थी | जैसा कि आज की सेमिनार का विषय है अनवर जलालपुरी : मोहब्बत के सफीर, मैं मानता हूं कि अनवर साहब वास्तव में मोहब्बत के सफीर थे और उन्होंने उर्दू शायरी में गीता के माध्यम से संपूर्ण देश में अमन व भाईचारे की भावना को फैलाया | आज उनकी 76वी जन्म जयंती के अवसर पर मैं उन्हें सलाम करता हूं |
डॉ मसीहुद्दीन खान ने अनवर जलालपुरी साहब की शख्सियत और उनकी शायरी की अहमियत पर रोशनी डाली |
शहरयार जलालपुरी ने सभी का आभार व्यक्त किया |
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर मसीहुद्दीन खान ने किया |
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ramsinghbhadoria · 1 year
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*🌴सच्चे संत का मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य और कठिन संघर्ष🌴*
दोस्तों हम बात कर रहे हैं, महान संत रामपाल जी महाराज जी की जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में एक जाट किसान के घर हुआ। संत रामपाल जी महाराज जी की माता का नाम- इंद्रोदेवी, पिता का नाम- नंदराम है तथा संत रामपाल जी महाराज जी की चार संतान है दो पुत्र तथा दो पुत्री।
संत रामपाल जी महाराज जी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष तक कार्यरत रहे। 37 वर्ष की आयु में 17 फरवरी सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को रात्रि में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा ली। जिसे संत भाषा में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है।
और सक्रिय होकर भक्ति मार्ग पर चलकर परमात्मा का साक्षात्कार किया।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज जी को सत्संग करने की आज्ञा दी और 1994 में नामदीक्षा देने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई की सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और अपने परिवार को भगवान भरोसे छोड़कर मानव कल्याण के एक अद्भुत मिशन पर चल पड़े। जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सन् 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर घर, शहर शहर जाकर सत्संग किए। शास्त्र प्रमाणित ज्ञान देखकर बहु संख्या में अनुयाई होते गए। और साथ ही साथ ज्ञानहीन नक़ली संतों का विरोध भी बढ़ता ही गया।
इसके बाद सन् 1999 में गांव करौंथा, जिला रोहतक (हरियाणा) में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना की। और प्रत्येक पूर्णिमा को तीन दिवसीय सत्संग प्रारंभ किया। जिससे चंद ही दिनों में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। जब ज्ञानहीन नकली संत-धर्मगुरुओं के अनुयाई संत रामपाल जी महाराज के शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को आंखों देखकर संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर दीक्षा लेकर उनके अनुयाई बनने लगे। और उन नकली धर्मगुरुओं से प्रश्न करने लगे की आप सारा ज्ञान सदग्रंथों के विपरित बता रहे हो। तब उन नकली धर्मगुरुओं ने अपने अज्ञान का पर्दाफाश होने के डर से संत रामपाल जी महाराज को बदनाम करने के लिए बहुत बड़ी साजिश रची और करौंथा के आस पास के गांवों में संत रामपाल जी महाराज के बारे में दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया और फिर 12-7-2006 को संत रामपाल जी महाराज को जान से मारने के उद्देश्य से सतलोक आश्रम करौंथा पर आक्रमण कर दिया। संत रामपाल जी महाराज और उनके कुछ अनुयायियों पर झूठे मुकदमे बनाकर जेल में डाल दिया। नास्त्रेदमस के अनुसार संत रामपाल जी महाराज सन् 2006 में विख्यात हुए, भले ही आरोप थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी निर्दोष थे।
इसी कड़ी में सन् 2014 में नकली धर्मगुरुओं ने सरकार के साथ मिलकर बरवाला कांड़ कराया और संत रामपाल जी महाराज जी पर झूठा देशद्रोह का केस बनाकर जेल में डाल दिया।
अनेकों अत्याचार सहते हुए, झूठे मुकदमे झेलते हुए, अपना किमती समय जेल में बिताते हुए अनेकों पुस्तकें लिखकर फ्री में जनता तक पहुंचा कर उन्होंने अपने तत्वज्ञान के बलबूते एक सतयुग जैसे स्वच्छ समाज का निर्माण कर रहे हैं। जिससे विश्व में अमन चैन फिर से कायम हो रहा है। राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर भी उनके सत्संग चलने लगे, सत्य ज्ञान को आंखों देख कर लोग उनके ज्ञान को समझकर जुड़ रहे हैं। देशभर में गांव गांव, शहर शहर में उनके सत्संग होते हैं, जहां लोग शास्त्र प्रमाणित ज्ञान को देखते और सुनते हैं। और आज़ संत जी के सत्य ज्ञान का ही परिणाम है कि भारतवर्ष के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों में भी श्रद्धालु नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति कर रहे हैं। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें मंगवा कर तथा ऑनलाइन भी पढ रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज ही वह पूर्ण संत है जिनका ज्ञान आज पूरे विश्व के हर कोने में अपनी ही एक आध्यात्मिक लहर से मानव जीवन को नई दिशा निर्देश दिखा रहे है। जिनका आध्यात्मिक ज्ञान शास्त्रों में प्रमाणित हैं। जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा में सभी धर्म गुरुओं को आमंत्रित भी किया और शास्त्रार्थ में सभी को पराजित भी किया। जिनके आध्यात्मिक ज्ञान से समाज में व्याप्त उन तमाम बुराइयों का अंत हो रहा है जैसे कि दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, भ्रष्टाचार, चोरी, बेईमानी, ठगी आदि आदि।
इतना ही नहीं संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि विश्व के समस्त मानव पूर्ण परमात्मा कबीर जी को पहचान कर सतभक्ति करके अपना जीवन सफल बनाएं अर्थात मोक्ष प्राप्त करें। साथ ही समाज में फैली हुई कुरीतियों और पाखंडवाद जड़ से खत्म हो, इसके लिए वह दिन रात प्रयत्न कर रहे हैं। और इसी का परिणाम है कि आज़ उनसे जुड़े हुए करोड़ों लोग नशा, दहेज, अंधविश्वास, चोरी, बेईमानी आदि तमाम बुराईयों से दूर होकर सतभक्ति करते हुए मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। साथ ही रक्तदान तथा देहदान कर रहे हैं।
समस्त मानव समाज से प्रार्थना है कि, एक बार संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को जरूर सुनें। वह धरती पर अवतरित सच्चे संत हैं, मानव कल्याण के लिए उनके कठिन संघर्ष और बलिदान को व्यर्थ ना होने देना है।
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
#SantRampalJiMaharaj
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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digitalchahat · 1 month
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कर्नाटक के 10 राजनेता
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किसी भी राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सबसे बड़ा कारक जो भूमिका निभाता है, वह है सरकार। कर्नाटक मंदिरों, बड़ी कंपनियों, कॉलेजों, बड़े मॉल और अन्य चीजों से समृद्ध है। इन सभी सुविधाओं के साथ कर्नाटक ने कुछ महान राजनेताओं को चुना है जिनकी बुद्धि और महान नीतियों ने पूरे राज्य को व्यवस्थित तरीके से बनाए रखने में मदद की है। और अधिक जान ने के लिए लिंक पर क्लिक करे -https://jugaadinnews.com/10-politicians-of-karnataka/
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prakhar-pravakta · 2 months
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विज्ञान मानव जीवन का अनिवार्य अंगविजय गर्ग
आधुनिक युग विज्ञान की आश्चर्यजनक प्रगति का युग है। विज्ञान मानव जीवन का अनिवार्य अंग बन गया है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी को नोबेल पुरस्कार से विभूषित महान वैज्ञानिक डॉ. चन्द्रशेखर वेंकट रमन के विज्ञान के क्षेत्र में ‘रमन प्रभाव’ की खोज के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य विज्ञान के प्रयोग द्वारा समाज में लोगों का जीवन स्तर सुधार कर उसे खुशहाल बनाना है। भारत सरकार ने 18 फरवरी 1986…
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airnews-arngbad · 2 months
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date: 28 February 2024
Time: 01.00 to 01.05 PM
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक: २८ फेब्रुवारी २०२४ दुपारी १.०० वा.
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विधानसभेत आज कामकाज सुरु होताच विरोधी पक्षनेते विजय वडेट्टीवार यांनी, राज्यात परवा गारपिटीमुळे झालेल्या नुकसानीचा मुद्दा उपस्थित केला. अवकाळी पाऊस आणि गारपिटीमुळे नुकसान झालेल्या क्षेत्राचा अहवाल मागवला असून, तातडीने मदत दिली जाईल, असं आश्वासन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी यावेळी दिलं.
मुंबईच्या विविध प्रश्नांसंदर्भात भाजपचे आशिष शेलात यांनी नियम २९३ अन्वये चर्चा उपस्थित केली. मुंबईत झालेल्या विविध विकास कामांवर श्वेतपत्रिका काढण्याची त्यांनी मागणी केली.
दरम्यान, शेतपिकांना योग्य भाव द्या, अशी मागणी करत सरकारने हमीभाव कमी करून शेतकऱ्यांची फसवणूक केली आहे, अशी टीका करत विरोधी पक्षातल्या नेत्यांनी विधिमंडळाच्या पायऱ्यांवर आंदोलन केलं.
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पंतप्रधान नरेंद्र मोदी तामिळनाडुच्या दौऱ्यावर असून, तुतुकुडी इथं इथं सुमारे १७ हजार ३०० कोटी रुपयांच्या विविध विकास प्रकल्पांचं उद्घाटन आणि पायाभरणी त्यांच्या हस्ते करण्यात आली. देशातल्या दहा राज्यं आणि केंद्रशासित प्रदेशातल्या ७५ दीपगृहांच्या ठिकाणी उभारण्यात आलेल्या पर्यटन सुविधांचं लोकार्पण, तसंच भारतातल्या पहिल्या स्वदेशी हरित हायड्रोजन इंधनावरील देशांतर्गत प्रवासी जहाजाचं उद्घाटनही त्यांनी यावेळी केलं.
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दरम्यान, पंतप्रधान मोदी आज यवतमाळ दौऱ्यावर येत आहेत. महाराष्ट्रातल्या चार हजार नऊशे कोटी रुपयांहून जास्त खर्चाच्या रेल्वे, रस्ते आणि सिंचन संबंधित विविध पायाभूत सुविधा आणि प्रकल्पांचं उद्घाटन तसंच लोकार्पण त्यांच्या हस्ते होणार आहे. यामध्ये वर्धा-कळंब ब्रॉडगेज रेल्वे मार्ग, नवीन आष्टी - अमळनेर ब्रॉडगेज रेल्वे मार्ग, यांचा समावेश आहे. या मार्गांवरच्या दोन रेल्वे गाड्यांनाही पंतप्रधान हिरवा झेंडा दाखवतील. 
राज्यातल्या सुमारे साडेपाच लाख महिला बचत गटांना आठशे पंचवीस कोटी रुपये फिरता निधी वितरण, आणि एक कोटी आयुष्मान कार्ड वितरणासह, ओबीसी प्रवर्गातल्या लाभार्थ्यांसाठी मोदी आवास घरकुल योजनेचा शुभारंभही पंतप्रधान करणार आहेत. प्रधानमंत्री किसान सन्मान निधी योजनेचा सोळावा हप्ता तर नमो शेतकरी महासन्मान निधी योजनेचा दुसरा आणि तिसरा हप्ता ते आज जारी करतील.
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भारतीय नौदल, अंमली पदार्थ नियंत्रण पथक, आणि गुजरात दहशतवाद विरोधी पथकानं संयुक्तरित्या केलेल्या कारवाईत गुजरातच्या पोरबंदरमधून अंमली पदार्थांची मोठी खेप जप्त करण्यात आलीआहे. तब्बल तीन हजार शंभर किलोचा हा अंमली पदार्थांचा साठा असून ही भारतीय उपखंडातली अंमली पदार्थांची आतापर्यंतची सर्वात मोठी जप्ती आहे. याप्रकरणी चार आरोपींना ताब्यात घेण्यात आलं आहे.
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निवडणुकांमधे युवकांचा सहभाग वाढवण्यासाठी केंद्र सरकार आजपासून देशभरातल्या उच्च शिक्षण संस्थांमधे मेरा पहला वोट देश के लिए हा कार्यक्रम आयोजित करत आहे. राष्ट्राच्या व्यापक हितासाठी मतदानाचं महत्त्व बिंबवणं आणि तरुण मतदारांना मतदानासाठी प्रोत्साहित करणं, हा कार्यक्रमामागचा उद्देश आहे. येत्या ६ मार्चपर्यंत हा कार्यक्रम चालू राहील.
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छत्रपती संभाजीनगर महानगरपालिका क्षेत्रात आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजनेअंतर्गत लाभार्थ्यांच्या कार्डांचं ई केवायसी करण्याचं काम सुरू आहे. शहरात चार लाख पासष्ट हजार सहाशे पंधरा लाभार्थ्यांना या योजनेची कार्डस् देण्याचं उद्दिष्ट निर्धारित आहे. आतापर्यंत चौऱ्याहत्तर हजार एकशे एक कार्डांचं ई केवायसी काम पूर्ण केल्याची माहिती महानगरपालिकेचे आरोग्य अधिकारी डॉक्टर पारस मंडलेचा यांनी दिली आहे.
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सोलापूर इथं आज मतदार जनजागृतीसाठी सायकल रॅली काढण्यात आली. उपजिल्हाधिकारी आमृत नाटेकर यांच्या हस्ते हिरवा झेंडा दाखवून या रॅलीला सुरुवात झाली. यावेळी सहायक्क निवडणूक निर्णय अधिकारी सदाशिव पडदुणे यांनी उपस्थितांना निर्भय आणि निर्भिडपणे मतदान करण्याची शपथ दिली. नागरीकांनी या रॅलीत उस्फुर्तपणे सहभाग घेतला होता.
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अकोला जिल्ह्यात बार्शीटाकळी तालुक्यातल्या महान आणि लगतच्या परिसरात परवा झालेल्या अवकाळी पाऊस आणि गारपिटीमुळे ज्वारी, गहू, हरभरा आणि कांदा या पिकांचं अतोनात नुकसान झालं आहे. या नुकसानाकडे शासनाने लक्ष देऊन शेतकऱ्यांना भरीव मदत द्यावी अशी मागणी महान परिसरातल्या शेतकऱ्यांनी केली आहे.
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लातूर जिल्ह्यात औसा इथला पशुधन विकास अधिकारी हिरालाल निंबाळकर आणि उंबडगाव ग्रामपंचायत कार्यालयातला संगणक परिचालक माधव संग्राम येवतीकर यांना एक हजार रुपयांची लाच घेताना काल पकडण्यात आलं. महाराष्ट्र ग्रामीण रोजगार हमी योजनेंतर्गत पशुधन गोठ्याचा प्रस्ताव पुढे पाठवण्यासाठी आणि त्याचे पैसे मंजूर करण्यासाठी त्यांनी ही लाच मागितली होती.
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परभणीच्या बालविकास प्रकल्प कार्यालयाकडून लेक लाडकी, ही योजना राबवण्यात येत आहे. जिल्ह्यातल्या १ एप्रिल २०२३ नंतर जन्मलेल्या मुलींच्या पालकांनी विहित नमुन्यातले अर्ज जवळच्या अंगणवाडी केंद्रात सादर करावेत, असं आवाहन प्रशासनानं केलं आहे.
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bandhandas · 2 months
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दिव्य संयोग: कबीर साहेब निर्वाण दिवस और संत रामपाल जी महाराज बोध दिवस
किसी भी व्यक्ति के लिए बोध दिवस बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ये वह दिन है जब उसे गुरु दीक्षा प्राप्त होती है और इस दिन वह व्यक्ति मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होता है। वहीं ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, 17 फरवरी के दिन को दुनिया के मुक्तिदाता सतगुरु रामपाल जी महाराज के बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। हरियाणा सरकार में जूनियर इंजीनियर की नौकरी करने वाले संत रामपाल जी ने 37 वर्ष की आयु में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज के तत्वज्ञान से प्रभावित होकर 17 फरवरी 1988 को अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की थी। उस दिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने की अमावस्या थी।
🌱 संत रामपाल जी महाराज का जीवन परिचय और आध्यात्मिक यात्रा
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को हरियाणा के सोनीपत जिले के धनाना गांव में हुआ। उन्होंने 1973 में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और फिर हरियाणा सरकार में जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया। वर्ष 1988 में 17 फरवरी के दिन संत रामपाल जी ने स्वामी रामदेवानंद जी से दीक्षा ली और भगवद् गीता, कबीर सागर, गरीबदास जी द्वारा रचित सतग्रंथ साहेब और सभी पुराणों सहित विभिन्न धर्मों की आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन किया और फिर संत रामपाल जी ने सत्यज्ञान को शास्त्रों के साथ प्रमाण सहित हम सब के सामने प्रस्तुत किया।
🍀 संत रामपाल जी का आध्यात्मिक संघर्ष और साधना
1993 में स्वामी रामदेवानंद जी ने संत रामपाल जी को उपदेश देने का आदेश दिया और उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुना। प्रारंभ में 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी ने हरियाणा के गांव-गांव, नगर-नगर में घर-घर जाकर आध्यात्मिक प्रवचनों के माध्यम से सत्संग किया और जनता के लिए सच्चा भक्ति मार्ग चलाया। 1995 में उन्होंने जूनियर इंजीनियर के रूप में अपनी नौकरी छोड़ी और पूर्णकालिक रूप से आध्यात्मिक कार्य में लग गए।
संत रामपाल जी महाराज ने अपने जीवन के दौरान बुराइयों के खिलाफ एक महान युद्ध लड़ा है और लोगों को सत्य की ओर प्रेरित किया है। उनका उद्देश्य समाज में सतभक्ति का प्रचार-प्रसार करना है।
🌺 संत रामपाल जी के साथ नकली संतों का विवाद
संत रामपाल जी की बढ़ती लोकप्रियता से चिढ़कर नकली संतों ने उनके ज्ञान को अपनाने की जगह उल्टे उन पर कई आरोप लगाए। सन् 2006 में आर्य समाज के द्वारा भड़काई गई भीड़ ने संत रामपाल जी महाराज द्वारा संचालित सतलोक आश्रम करौंथा, हरियाणा पर अचानक हमला कर दिया जिसकी सुरक्षा के लिए बुलाई गई पुलिस और भीड़ के बीच हुई झड़प के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई। इस मामले में दर्ज किए गए झूठे मुक़दमे में अंततः सन् 2022 में न्यायालय ने संत रामपाल जी महाराज को पूर्ण रूप से निर्दोष साबित करते हुए बरी कर दिया।
🍁 संत रामपाल जी महाराज के अद्भुत ज्ञान से सत ज्ञान रूपी मोती प्राप्त होते हैं
परमेश्वर कबीर साहेब के प्रतिरूप तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से सत ज्ञान के अनमोल मोती प्राप्त होते हैं। उनके सत्संग में अनेक मार्मिक उद्धरण हैं जो सीधा बुद्धि पर प्रहार करते हैं। संत रामपाल जी महाराज वहीं तत्वदर्शी संत हैं जिन्होंने अंधेरे में लोकवेद के अनुसार चलने वाले साधकों को दीपक हाथ दे दिया है।
परमेश्वर कबीर जी कहते है कि :
कबीर, पीछे लाग्या जाऊं था, मैं लोक वेद के साथ।
रस्ते में सतगुरू मिले, दीपक दीन्हा हाथ।।
मनुष्य जीवन का मिलना अत्यंत दुर्लभ है। वृक्ष से टूटे हुए पत्ते के समान यह होता है जो पुनः नहीं लग सकता। यह प्राप्त हो जाए तो इसका सदुपयोग करना चाहिए। संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान के अनुसार सच्चा सद्गुरु ही मोक्ष प्राप्त करवा सकता है।
कबीर, मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार |
जैसे तरुवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डार ||
🔰 संत रामपाल जी महाराज ने कबीर साहेब को भगवान सिद्ध किया
संत रामपाल जी महाराज ने सभी धर्मग्रंथों से कबीर साहेब को अजर, अमर, सर्वोच्च, कुल मालिक, सर्व सृष्टि के रचनहार, एकमात्र सर्व शक्तिमान, दयालु और सबका पालन पोषण करने वाला परमात्मा सिद्ध किया है। संत रामपाल जी महाराज ने कबीर साहेब और मोक्ष प्राप्ति के लिए गुरु के महत्व को समझाया है तथा बताया कि बिना गुरु के मुक्ति प्राप्त नहीं हो सकती।
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोनों निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
कबीर, गुरू बिन काहु न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छडे़ मूढ़ किसाना।
कबीर, गुरू बिन वेद पढै़ जो प्राणी, समझै न सार रहे अज्ञानी।।
🍀 कबीर साहेब का निर्वाण दिवस
पाठकों, कबीर साहेब के विषय में यह निर्विवाद है कि न तो उनका जन्म हुआ और न ही मृत्यु। कबीर साहेब सशरीर इस पृथ्वी पर अवतरित हुए और हज़ारों लोगों की उपस्थिति में सशरीर सतलोक गए। आज से लगभग 506 वर्ष पूर्व (माघ मास की शुक्ल पक्ष, तिथि एकादशी वि. स. 1575 सन् 1518 को) परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी काशी उत्तरप्रदेश से चलकर मगहर गए और वहां से उन्होंने सशरीर सतलोक गमन किया। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार कबीर साहेब का निर्वाण दिवस इस वर्ष दिनांक 20 फरवरी 2024 को है।
संयोग है कि ठीक इसी समय पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की शिष्य प्रणाली के अंतर्गत वर्तमान के पूर्णसंत सतगुरु रामपाल जी महाराज का बोध दिवस 17 फरवरी को है। इसलिए दोनों दिवस संत रामपाल जी महाराज के सान्निध्य में एक साथ मनाये जा रहे हैं। इस अवसर पर इस साल 10 सतलोक आश्रमों में दिनाँक 17, 18, 19 तथा 20 फरवरी 2024 को 4 दिवसीय खुले पाठ एवं विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। आइए जानते हैं कबीर साहेब के सशरीर सतलोक जाने की लीला की जानकारी।
🌱 कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं
वेदों में बताया गया है कि पूर्ण परमात्मा प्रत्येक युग में आते हैं। सतयुग में वे सत सुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के नाम से, द्वापरयुग में करुणामय के नाम से तथा कलियुग में अपने वास्तविक नाम कबीर से प्रकट होते हैं।
कबीर साहेब जब आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में काशी के लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर प्रकट हुए थे तब स्वामी रामानंद जी के एक शिष्य ऋषि अष्टानंद जी इस दृश्य के प्रत्���क्ष दृष्टा थे। तत्पश्चात नीरू और नीमा नाम के ब्राह्मण दंपत्ति शिशु रूप में कबीर साहेब को पाकर प्रसन्न हुए और उन्हें अपने साथ ले गए। वेदों में प्रमाण है (ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 4 मंत्र 3) कि परमात्मा माता के गर्भ से जन्म नहीं लेते हैं तथा उनका पालन पोषण कुंवारी गायों से होता है (ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9)।
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
🍁 परमात्मा कबीर साहेब की पृथ्वी पर भूमिका
कबीर साहेब कमल के फूल पर एक शिशु रूप में प्रकट हुए और उन्हें एक जुलाहे दंपति नीरू और नीमा अपने घर ले गए। भगवान ने प्यारी आत्माओं को तत्वज्ञान से परिचित कराकर शास्त्रों के आधार पर सत्यभक्ति प्रदान की। हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगों को अपना शिष्य बनाया। उन्होंने कई चमत्कार किए और समाज में तत्वज्ञान, सत्यभक्ति और गुरु की भूमिका स्पष्ट की। उनके द्वारा बताए गए दोहे और साखियाँ समाज में सद्भाव और एकता का संदेश दे रहे हैं। समाज द्वारा दी गई प्रताड़नाओं के बावजूद उन्होंने किसी को बुरा भला नहीं कहा और 120 वर्ष की लीला के उपरांत मगहर जाकर सशरीर अपने शाश्वत लोक सतलोक को गमन कर गए।
काशी तज गुरु मगहर आये, दोनों दीन के पीर।
कोई गाड़े कोई अग्नि जरावे, ढुंढा ना पाया शरीर।।
🌺 कबीर साहेब का मगहर प्रस्थान और वहां सूखी पड़ी आमी नदी को फिर से बहाना
कबीर साहेब ने अंधविश्वास और रूढ़ियों का खंडन किया और धार्मिक भ्रम को दूर किया। उन्होंने काशी और मगहर के धार्मिक भ्रांतियों को समाप्त किया और लोगों को सच्चे भक्ति मार्ग की ओर प्रेरित किया।
‘काशी में मरने से स्वर्ग मिलता है’ इसका खंडन करने के लिए कबीर साहेब अपनी लीला के अंत में अपने शिष्यों के साथ काशी से मगहर गए। वहां कबीर साहेब ने अपनी अद्भुत शक्तियों का प्रदर्शन किया और आमी नदी को पुनः बहाया जो कि शिव जी के श्राप से सूख गई थी। उन्होंने लोगों को प्रेम से रहने की सीख दी और उन्हें भक्ति करने के लिए प्रेरित किया। कबीर साहेब ने हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगों को आपसी भाईचारे और एकता का महत्व समझाया और उन्हें एक साथ रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने लोगों को धार्मिक भेदभावों को छोड़कर मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना।
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।।
🍀 कबीर साहेब का सतलोक गमन
जब कबीर साहेब लीला के अंत में मगहर पहुँचे तो वहाँ बीरदेव सिंह बघेल और बिजली खां पठान अपनी अपनी सेना लेकर पहुँच गए थे। उनका लक्ष्य था कि कबीर साहेब का अंतिम संस्कार अपने अपने रीति रिवाजों से करना। चाहे उसके लिए उन्हें युद्ध ही क्यों ना करना पड़े वे उसके लिए भी तैयार थे। लेकिन कबीर साहेब के अंतिम संस्कार के समय एक अद्भुत घटना घटी, जिसमें उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित पुष्प मिले। उसी दिन के उपलक्ष्य में कबीर साहेब निर्वाण दिवस मनाया जा रहा हैं। इस चमत्कार ने साबित कर दिया कि पूर्ण परमेश्वर सशरीर आते हैं और सशरीर संसार से सतलोक को गमन करते हैं।
आदरणीय गरीबदास जी महाराज की वाणी में कबीर साहेब के सतलोक गमन की घटना कुछ इस प्रकार बताई गई है -
तहां कबीर कही एक भाषा, शस्त्रा करै सो ताहीं तलाका।
शस्त्रा करै सो हमरा द्रोही, जा की पैज पिछोड़ी होई।।
सुन बिजली खां बात हमारी, हम हैं शब्द रूप निर्विकारी।
बीर सिंह बघेला विनती करि है, हे सतगुरू तुम किस विधि मरि है।।
तहां वहां चादर फूल बिछाये, सिज्या छाड़ी पदहि समाये।
दो चादर दहूँ दी�� उठाई, ताके मध्य कबीर न पाई।।
तहां वहां अबिगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चैरा काशी।
अबिगत रूप अलख निरवाणी, तहां वहां नीर क्षीर दिया छांनी।।
🌀 निर्वाण दिवस और बोध दिवस समारोह 2024
इस साल 17 फरवरी से 20 फरवरी 2024 तक, जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के 37वें बोध दिवस और कबीर साहेब के 506वें निर्वाण दिवस के अवसर पर एक विशेष समागम का आयोजन हो रहा है।
• निःशुल्क भंडारा: सभी आगंतुकों के लिए 17 से 20 फरवरी 2024 तक निःशुल्क भंडारे का आयोजन होगा।
• निःशुल्क नाम दीक्षा: इस अद्वितीय अवसर पर संत रामपाल जी महाराज से निःशुल्क नाम दीक्षा प्राप्त की जा सकती हैं।
• 4 दिवसीय खुले पाठ: 17 से 20 फरवरी 2024 तक, 4 दिनों तक खुले पाठ का आयोजन होगा।
• विशेष सत्संग प्रसारण: 20 फरवरी को संत रामपाल जी महाराज के सत्संग का विशेष प्रसारण साधना टीवी चैनल पर सुबह 9:15 बजे (IST) पर होगा।
• सोशल मीडिया प्रसारण: इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण निम्नलिखित सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर भी उपलब्ध होगा:
Facebook page:- Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj
YouTube:- Sant Rampal Ji Maharaj
Twitter:- @SaintRampalJiM
आप सभी इस महान अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करें और आध्यात्मिक आयोजन का लाभ उठाएं। वहीं इस कार्यक्रम में आने के लिए आप निम्न स्थानों पर आ सकते हैं:
1. सतलोक आश्रम धनाना धाम, सोनीपत हरियाणा
2. सतलोक आश्रम मुण्डका दिल्ली
3. सतलोक आश्रम धुरी पंजाब
4. सतलोक आश्रम सोजत राजस्थान
5. सतलोक आश्रम शामली उत्तर प्रदेश
6. सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र हरियाणा
7. सतलोक आश्रम भिवानी हरियाणा
8. सतलोक आश्रम खमानो पंजाब
9. सतलोक आश्रम धनुषा नेपाल
10. सतलोक आश्रम बैतूल मध्य प्रदेश
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें ⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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leenakumbhkar · 2 months
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17 फरवरी 2024 : संत रामपाल जी महाराज का बोध दिवस
सर्वशक्तिमान परमेश्वर समय-समय पर अमर लोक से आकर इस मृत्युलोक में अवतरित होते हैं। वर्तमान वे महान संत रामपाल जी महाराज के रूप में दिव्य लीला कर रहे हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 17 फरवरी का दिन सतगुरु रामपाल जी महाराज के बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरकारी नौकरी करने वाले संत रामपाल जी के जीवन में 37 वर्ष की आयु में एक ऐसा मोड़ आया कि एक महान संत ने उनकी राह बदल दी। जी हाँ स्वामी रामदेवानंद जी महाराज के तत्वज्ञान से प्रभावित होकर 17 फरवरी 1988 को संत रामपाल जी ने अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की। यह हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने की अमावस्या का दिन था।
सतगुरू मिलै तो इच्छा मेटैं, पद मिल पदै समाना।
चल हँसा उस लोक पठाऊँ, जो आदि अमर अस्थाना।।
बोध दिवस का महत्व:-🌼
संतमत में बोध दिवस भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन होता है। परमेश्वर कबीर साहेब कहते हैं, वह दिन शुभ है जब एक साधक ने सतगुरु को पाया और नाम-दीक्षा ली, क्योंकि दीक्षा से पहले जीवन के सभी दिन व्यर्थ थे।
कबीर, जा दिन सतगुरु भेटियां, सो दिन लेखे जान।
बाकी समय गंवा दिया, बिना गुरु के ज्ञान।।
जब कोई साधक सतगुरु की शरण में आता है, तो वह उनके ज्ञान को ग्रहण कर मनुष्य के स्थान पर देवता बनने की राह में लग जाता है। वह दिन उसके जीवन का विशेष दिन होता है क्योंकि उस दिन साधक को जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझ में आता है। मानव जन्म की सच्ची अनुभूति होने के कारण इस दिन को बोध दिवस कहा जाता है।
बोध के लिए सतगुरु क्यों जरूरी हैं?
परमेश्वर कबीर साहेब ने कहा है:
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोनों निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरु के बिना यदि नाम जाप की माला फिराते (नाम का जाप) हैं और दान देते हैं, वे दोनों व्यर्थ हैं। यदि आपको संदेह हो तो वेदों और पुराणों में प्रमाण देखें।
• श्री राम और श्री कृष्ण तीनों लोकों के मालिक थे, उन्होंने भी गुरु बनाकर भक्ति की और मानव जीवन सार्थक किया।
• पुराणों में प्रमाण है कि श्री रामचन्द्र जी ने ऋषि वशिष्ठ जी से नाम दीक्षा ली थी और अपने घर व राज-काज में गुरू वशिष्ठ जी की आज्ञा लेकर कार्य करते थे। श्री कृष्ण जी ने ऋषि संदीपनि जी से अक्षर ज्ञान प्राप्त किया तथा श्री कृष्ण जी के आध्यात्मिक गुरू श्री दुर्वासा ऋषि जी थे।
लोकवेद के आधार पर शास्त्रविरूद्ध भक्ति व्यर्थ हैं!
कबीर, पीछे लाग्या जाऊं था, मैं लोक वेद के साथ।
रास्ते में सतगुरू मिले, दीपक दीन्हा हाथ।।
गुरु के बिना देखा-देखी कही-सुनी भक्ति को लोकवेद कहते हैं। यह शास्त्रविरूद्ध ज्ञान होता है जैसे कि:
• हनुमान जी की भक्ति: मंगलवार का व्रत, बूंदी का प्रसाद, ओम् नाम का जाप, आदि।
• शिव जी की भक्ति: ओम् नमो शिवायः मंत्र का जाप।
• विष्णु जी की भक्ति: ओम् भगवते वासुदेवायः नमः मंत्र का जाप।
सतगुरु शास्त्रविधि अनुसार शास्त्र प्रमाणित साधना रूपी दीपक देकर जीवन को नष्ट होने से बचाते हैं। सतगुरु की शरण में जाने से पहले उपरोक्त साधना संत रामपाल दास किया करते थे तथा पूरा हिन्दू समाज कर रहा है, जोकि गीता-वेदों में वर्णित न होने से शास्त्र विरूद्ध साधना हैं यानी व्यर्थ है।
कबीर, गुरू बिन काहु न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छडे़ मूढ़ किसाना।
कबीर, गुरू बिन वेद पढै़ जो प्राणी, समझै न सार रहे अज्ञानी।।
इसलिए सतगुरु का महत्व है। गुरु से शास्त्रानुकूल भक्ति की साधना करके मानव जीवन धन्य हो जाता है।
संत रामपाल जी महाराज का जीवन परिचय:-🌼
संत रामपाल जी महाराज समस्त सतलोक आश्रमों के संचालक हैं जो पवित्र शास्त्रों के अनुसार कबीर भगवान का सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर रहे हैं। नास्त्रेदमस जी ने अपनी भविष्यवाणी में लिखा है कि स्वतंत्रता के 4 वर्ष बाद 1951 में भारत में एक महान संत का जन्म होगा जो पूरे विश्व को नये आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित कराएगा। उन्होंने 1994 से 1998 तक गांव-गांव, नगर-नगर में घर-घर जाकर आध्यात्मिक प्रवचनों के माध्यम से सत्संग किया। 1999 में हरियाणा के रोहतक जिले के करौंथा में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना कर उन्होंने प्रत्येक महीने की पूर्ण मासी और अमावस्या को आश्रम में सत्संग समारोह करना प्रारंभ कर दिया।
संत रामपाल जी महाराज का आरंभिक जीवन और शिक्षा:- 📓
रामपाल जी का जन्म 8 सितंबर 1951 को हरियाणा के सोनीपत जिले के धनाना गांव में हुआ था। उन्होंने 1973 में सिविलइंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और हरियाणा सरकार में जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया।
संत रामपाल जी की आध्यात्मिक यात्रा :-
• 1988 में संत रामपाल जी ने स्वामी रामदेवानंद से दीक्षा ली और आध्यात्मिकता में रुचि लेने लगे।
• उन्होंने भगवत् गीता, कबीर सागर, गरीबदास जी रचित सत ग्रंथ, और सभी पुराणों सहित कई आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन किया।
• संत रामपाल जी ने सतज्ञान को शास्त्रों के प्रमाण सहित प्रस्तुत किया।
संत रामपाल जी महाराज को नाम दीक्षा देने का आदेश
• 1993 में स्वामी रामदेवानंद ने संत रामपाल जी को उपदेश देना शुरू करने के लिए कहा।
• 1994 में स्वामी रामदेवानंद ने संत रामपाल जी को अपना उत्तराधिकारी चुना।
• संत रामपाल जी ने हरियाणा के विभिन्न गांवों और शहरों में भ्रमण करके सत ज्ञान जन जन तक पहुंचाकर लोकप्रियता प्राप्त की।
• 1995 में उन्होंने जूनियर इंजीनियर के रूप में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूर्णकालिक रूप से आध्यात्मिक कार्य में जुड़ गए।
• आज सन्त रामपाल जी महाराज के लाखों अनुयायी हैं जो भारत और दुनिया भर में फैले हुए हैं।
संत रामपाल जी के साथ हुए अनर्गल विवाद:-
• संत रामपाल जी की बढ़ती लोकप्रियता से चिढ़कर नकली संतो ने उनके ज्ञान को अपनाने की जगह उल्टे उन पर कई आरोप लगाए, जिनमें धार्मिक भावनाओं को आहत करना जैसे आरोप शामिल हैं।
• 2014 में उनके अनुयायियों पर पुलिस ने हमला कर दिया, जिसमें कई लोग घायल हु��� और पुलिस की आँसू गैस से छह लोगों की मौत हो गई।
• संत रामपाल जी 2014 से ही जेल लीला में हैं पर जेल में रहकर भी वे सतज्ञान का संचार कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान और बुराइयों का समूल नाश
आज पूरी दुनिया में बुराइयाँ बड़े स्तर पर फैली हुई हैं। नशा, दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, रिश्वतखोरी, चोरी, ठगी, परस्त्री गमन, भ्रष्टाचार, जातीय भेदभाव, धार्मिक भेदभाव, हिंसा, लड़ाई झगड़े आदि बुराइयाँ समाज को कैंसर की तरह खोखला कर रही हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान इन बुराइयों का समूल नाश करने में सक्षम है। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर लाखों लोग इन बुराइयों को त्यागकर सदाचारी जीवन जी रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज धार्मिक ग्रंथों से सच्चे ज्ञान का प्रचार कर रहें हैं। वे बताते हैं कि इन बुराइयों से बचने का एकमात्र तरीका है परमेश्वर की सच्ची भक्ति करना। सच्ची भक्ति केवल नाम दीक्षा से प्राप्त होती है। नाम दीक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति को परमेश्वर का नाम दिया जाता है। परमेश्वर का नाम जपने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक विचार आते हैं और वह बुराइयों से दूर रहता है और उसके पुण्यों में वृद्धि होती हैं।
संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से समाज में सकारात्मक बदलाव आ रहे है। लोग सदाचारी जीवन जीने लगे हैं और समाज में शांति और प्रेम का माहौल बन रहा है। यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं जो साबित करते हैं कि कैसे संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान बुराइयों का समूल नाश कर रहा है:
• नशा: संत रामपाल जी महाराज नशे के खिलाफ सख्त हैं। वे कहते हैं कि नशा एक बहुत बड़ी बुराई है जो व्यक्ति के जीवन को तबाह कर देता है। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर लाखों लोगों ने नशा छोड़ दिया है।
• दहेज प्रथा: दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है जो लड़कियों और उनके परिवारों पर बहुत दबाव डालती है। संत रामपाल जी महाराज दहेज प्रथा के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि दहेज प्रथा एक अपराध है और इसे समाज से मिटाना चाहिए। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर कई लोगों ने दहेज प्रथा को त्याग दिया है।
• भ्रूण हत्या: भ्रूण हत्या एक बहुत बड़ा पाप है। संत रामपाल जी महाराज भ्रूण हत्या के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि भ्रूण हत्या एक हत्या है और इसे किसी भी कीमत पर ख़त्म किया जाना चाहिए। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर कई लोगों ने भ्रूण हत्या करने का विचार त्याग दिया है।
• रिश्वतखोरी: रिश्वतखोरी एक सामाजिक बुराई है जो समाज को कमजोर करती है। संत रामपाल जी महाराज रिश्वतखोरी के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि रिश्वतखोरी एक अपराध है और इसे समाज से मिटाना चाहिए। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर कई लोगों ने रिश्वत लेने और देने से मना कर दिया है।
यहां केवल कुछ उदाहरण मात्र हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान सभी बुराइयों का समूल नाश करने में सक्षम है और कर रहा है। यदि आप भी इन बुराइयों से मुक्ति चाहते हैं, तो आपको संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और उनसे नामदीक्षा लेकर अपना कल्याण कराना चाहिए। संत रामपाल जी महाराज कलयुग में फिर से सतयुग जैसा माहौल खड़ा करने में प्रयासरत हैं।
उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम, फिरता दाने दाने नू।
सर्व कलां सतगुरु साहेब की, हरि आए हरियाणे नू।।
बोध दिवस समारोह 2024 :-
इस साल 17, 18, 19, 20 फरवरी 2024 को जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का बोध दिवस मनाया जा रहा है। इस पावन अवसर पर निःशुल्क विशाल भंडारा, निःशुल्क नाम दीक्षा व 17 से 20 फरवरी तक 4 दिवसीय खुले पाठ का आयोजन किया जा रहा है। साथ ही, 20 फरवरी को संत रामपाल जी महाराज के सत्संग का विशेष प्रसारण साधना टीवी चैनल पर सुबह 9:15 बजे (IST) पर अवश्य देखें। वहीं इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आप हमारे निम्न सोशल मीडिया Platform पर भी देख सकते हैं
Facebook page:- Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj
YouTube:- Sant Rampal Ji Maharaj
Twitter:- @SaintRampalJiM
आयोजन स्थल हैं :
1. Satlok Ashram Dhanana Dham, Sonipat (Haryana)
2. Satlok Ashram Mundka (Delhi)
3. Satlok Ashram Dhuri (Punjab)
4. Satlok Ashram Sojat (Rajasthan)
5. Satlok Ashram Shamli (Uttar Pradesh)
6. Satlok Ashram Kurukshetra (Haryana)
7. Satlok Ashram Bhiwani (Haryana)
8. Satlok Ashram Khamano (Punjab)
9. Satlok Ashram Dhanusha (Nepal)
10. Satlok Ashram Betul (Madhya Pradesh)
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें ⬇️
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anitajangra340 · 2 months
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17 फरवरी 2024 : संत रामपाल जी महाराज का बोध दिवस
सर्वशक्तिमान परमेश्वर समय-समय पर अमर लोक से आकर इस मृत्युलोक में अवतरित होते हैं। वर्तमान वे महान संत रामपाल जी महाराज के रूप में दिव्य लीला कर रहे हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 17 फरवरी का दिन सतगुरु रामपाल जी महाराज के बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरकारी नौकरी करने वाले संत रामपाल जी के जीवन में 37 वर्ष की आयु में एक ऐसा मोड़ आया कि एक महान संत ने उनकी राह बदल दी। जी हाँ स्वामी रामदेवानंद जी महाराज के तत्वज्ञान से प्रभावित होकर 17 फरवरी 1988 को संत रामपाल जी ने अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की। यह हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने की अमावस्या का दिन था।
सतगुरू मिलै तो इच्छा मेटैं, पद मिल पदै समाना।
चल हँसा उस लोक पठाऊँ, जो आदि अमर अस्थाना।।
बोध दिवस का महत्व:-🌼
संतमत में बोध दिवस भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन होता है। परमेश्वर कबीर साहेब कहते हैं, वह दिन शुभ है जब एक साधक ने सतगुरु को पाया और नाम-दीक्षा ली, क्योंकि दीक्षा से पहले जीवन के सभी दिन व्यर्थ थे।
कबीर, जा दिन सतगुरु भेटियां, सो दिन लेखे जान।
बाकी समय गंवा दिया, बिना गुरु के ज्ञान।।
जब कोई साधक सतगुरु की शरण में आता है, तो वह उनके ज्ञान को ग्रहण कर मनुष्य के स्थान पर देवता बनने की राह में लग जाता है। वह दिन उसके जीवन का विशेष दिन होता है क्योंकि उस दिन साधक को जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझ में आता है। मानव जन्म की सच्ची अनुभूति होने के कारण इस दिन को बोध दिवस कहा जाता है।
बोध के लिए सतगुरु क्यों जरूरी हैं?
परमेश्वर कबीर साहेब ने कहा है:
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोनों निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरु के बिना यदि नाम जाप की माला फिराते (नाम का जाप) हैं और दान देते हैं, वे दोनों व्यर्थ हैं। यदि आपको संदेह हो तो वेदों और पुराणों में प्रमाण देखें।
• श्री राम और श्री कृष्ण तीनों लोकों के मालिक थे, उन्होंने भी गुरु बनाकर भक्ति की और मानव जीवन सार्थक किया।
• पुराणों में प्रमाण है कि श्री रामचन्द्र जी ने ऋषि वशिष्ठ जी से नाम दीक्षा ली थी और अपने घर व राज-काज में गुरू वशिष्ठ जी की आज्ञा लेकर कार्य करते थे। श्री कृष्ण जी ने ऋषि संदीपनि जी से अक्षर ज्ञान प्राप्त किया तथा श्री कृष्ण जी के आध्यात्मिक गुरू श्री दुर्वासा ऋषि जी थे।
लोकवेद के आधार पर शास्त्रविरूद्ध भक्ति व्यर्थ हैं!
कबीर, पीछे लाग्या जाऊं था, मैं लोक वेद के साथ।
रास्ते में सतगुरू मिले, दीपक दीन्हा हाथ।।
गुरु के बिना देखा-देखी कही-सुनी भक्ति को लोकवेद कहते हैं। यह शास्त्रविरूद्ध ज्ञान होता है जैसे कि:
• हनुमान जी की भक्ति: मंगलवार का व्रत, बूंदी का प्रसाद, ओम् नाम का जाप, आदि।
• शिव जी की भक्ति: ओम् नमो शिवायः मंत्र का जाप।
• विष्णु जी की भक्ति: ओम् भगवते वासुदेवायः नमः मंत्र का जाप।
सतगुरु शास्त्रविधि अनुसार शास्त्र प्रमाणित साधना रूपी दीपक देकर जीवन को नष्ट होने से बचाते हैं। सतगुरु की शरण में जाने से पहले उपरोक्त साधना संत रामपाल दास किया करते थे तथा पूरा हिन्दू समाज कर रहा है, जोकि गीता-वेदों में वर्णित न होने से शास्त्र विरूद्ध साधना हैं यानी व्यर्थ है।
कबीर, गुरू बिन काहु न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छडे़ मूढ़ किसाना।
कबीर, गुरू बिन वेद पढै़ जो प्राणी, समझै न सार रहे अज्ञानी।।
इसलिए सतगुरु का महत्व है। गुरु से शास्त्रानुकूल भक्ति की साधना करके मानव जीवन धन्य हो जाता है।
संत रामपाल जी महाराज का जीवन परिचय:-🌼
संत रामपाल जी महाराज समस्त सतलोक आश्रमों के संचालक हैं जो पवित्र शास्त्रों के अनुसार कबीर भगवान का सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर रहे हैं। नास्त्रेदमस जी ने अपनी भविष्यवाणी में लिखा है कि स्वतंत्रता के 4 वर्ष बाद 1951 में भारत में एक महान संत का जन्म होगा जो पूरे विश्व को नये आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित कराएगा। उन्होंने 1994 से 1998 तक गांव-गांव, नगर-नगर में घर-घर जाकर आध्यात्मिक प्रवचनों के माध्यम से सत्संग किया। 1999 में हरियाणा के रोहतक जिले के करौंथा में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना कर उन्होंने प्रत्येक महीने की पूर्ण मासी और अमावस्या को आश्रम में सत्संग समारोह करना प्रारंभ कर दिया।
संत रामपाल जी महाराज का आरंभिक जीवन और शिक्षा:- 📓
रामपाल जी का जन्म 8 सितंबर 1951 को हरियाणा के सोनीपत जिले के धनाना गांव में हुआ था। उन्होंने 1973 में सिविलइंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और हरियाणा सरकार में जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया।
संत रामपाल जी की आध्यात्मिक यात्रा :-
• 1988 में संत रामपाल जी ने स्वामी रामदेवानंद से दीक्षा ली और आध्यात्मिकता में रुचि लेने लगे।
• उन्होंने भगवत् गीता, कबीर सागर, गरीबदास जी रचित सत ग्रंथ, और सभी पुराणों सहित कई आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन किया।
• संत रामपाल जी ने सतज्ञान को शास्त्रों के प्रमाण सहित प्रस्तुत किया।
संत रामपाल जी महाराज को नाम दीक्षा देने का आदेश
• 1993 में स्वामी रामदेवानंद ने संत रामपाल जी को उपदेश देना शुरू करने के लिए कहा।
• 1994 में स्वामी रामदेवानंद ने संत रामपाल जी को अपना उत्तराधिकारी चुना।
• संत रामपाल जी ने हरियाणा के विभिन्न गांवों और शहरों में भ्रमण करके सत ज्ञान जन जन तक पहुंचाकर लोकप्रियता प्राप्त की।
• 1995 में उन्होंने जूनियर इंजीनियर के रूप में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूर्णकालिक रूप से आध्यात्मिक कार्य में जुड़ गए।
• आज सन्त रामपाल जी महाराज के लाखों अनुयायी हैं जो भारत और दुनिया भर में फैले हुए हैं।
संत रामपाल जी के साथ हुए अनर्गल विवाद:-
• संत रामपाल जी की बढ़ती लोकप्रियता से चिढ़कर नकली संतो ने ���नके ज्ञान को अपनाने की जगह उल्टे उन पर कई आरोप लगाए, जिनमें धार्मिक भावनाओं को आहत करना जैसे आरोप शामिल हैं।
• 2014 में उनके अनुयायियों पर पुलिस ने हमला कर दिया, जिसमें कई लोग घायल हुए और पुलिस की आँसू गैस से छह लोगों की मौत हो गई।
• संत रामपाल जी 2014 से ही जेल लीला में हैं पर जेल में रहकर भी वे सतज्ञान का संचार कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान और बुराइयों का समूल नाश
आज पूरी दुनिया में बुराइयाँ बड़े स्तर पर फैली हुई हैं। नशा, दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, रिश्वतखोरी, चोरी, ठगी, परस्त्री गमन, भ्रष्टाचार, जातीय भेदभाव, धार्मिक भेदभाव, हिंसा, लड़ाई झगड़े आदि बुराइयाँ समाज को कैंसर की तरह खोखला कर रही हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान इन बुराइयों का समूल नाश करने में सक्षम है। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर लाखों लोग इन बुराइयों को त्यागकर सदाचारी जीवन जी रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज धार्मिक ग्रंथों से सच्चे ज्ञान का प्रचार कर रहें हैं। वे बताते हैं कि इन बुराइयों से बचने का एकमात्र तरीका है परमेश्वर की सच्ची भक्ति करना। सच्ची भक्ति केवल नाम दीक्षा से प्राप्त होती है। नाम दीक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति को परमेश्वर का नाम दिया जाता है। परमेश्वर का नाम जपने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक विचार आते हैं और वह बुराइयों से दूर रहता है और उसके पुण्यों में वृद्धि होती हैं।
संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से समाज में सकारात्मक बदलाव आ रहे है। लोग सदाचारी जीवन जीने लगे हैं और समाज में शांति और प्रेम का माहौल बन रहा है। यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं जो साबित करते हैं कि कैसे संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान बुराइयों का समूल नाश कर रहा है:
• नशा: संत रामपाल जी महाराज नशे के खिलाफ सख्त हैं। वे कहते हैं कि नशा एक बहुत बड़ी बुराई है जो व्यक्ति के जीवन को तबाह कर देता है। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर लाखों लोगों ने नशा छोड़ दिया है।
• दहेज प्रथा: दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है जो लड़कियों और उनके परिवारों पर बहुत दबाव डालती है। संत रामपाल जी महाराज दहेज प्रथा के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि दहेज प्रथा एक अपराध है और इसे समाज से मिटाना चाहिए। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर कई लोगों ने दहेज प्रथा को त्याग दिया है।
• भ्रूण हत्या: भ्रूण हत्या एक बहुत बड़ा पाप है। संत रामपाल जी महाराज भ्रूण हत्या के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि भ्रूण हत्या एक हत्या है और इसे किसी भी कीमत पर ख़त्म किया जाना चाहिए। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर कई लोगों ने भ्रूण हत्या करने का विचार त्याग दिया है।
• रिश्वतखोरी: रिश्वतखोरी एक सामाजिक बुराई है जो समाज को कमजोर करती है। संत रामपाल जी महाराज रिश्वतखोरी के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि रिश्वतखोरी एक अपराध है और इसे समाज से मिटाना चाहिए। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर कई लोगों ने रिश्वत लेने और देने से मना कर दिया है।
यहां केवल कुछ उदाहरण मात्र हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान सभी बुराइयों का समूल नाश करने में सक्षम है और कर रहा है। यदि आप भी इन बुराइयों से मुक्ति चाहते हैं, तो आपको संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और उनसे नामदीक्षा लेकर अपना कल्याण कराना चाहिए। संत रामपाल जी महाराज कलयुग में फिर से सतयुग जैसा माहौल खड़ा करने में प्रयासरत हैं।
उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम, फिरता दाने दाने नू।
सर्व कलां सतगुरु साहेब की, हरि आए हरियाणे नू।।
बोध दिवस समारोह 2024 :-
इस साल 17, 18, 19, 20 फरवरी 2024 को जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का बोध दिवस मनाया जा रहा है। इस पावन अवसर पर निःशुल्क विशाल भंडारा, निःशुल्क नाम दीक्षा व 17 से 20 फरवरी तक 4 दिवसीय खुले पाठ का आयोजन किया जा रहा है। साथ ही, 20 फरवरी को संत रामपाल जी महाराज के सत्संग का विशेष प्रसारण साधना टीवी चैनल पर सुबह 9:15 बजे (IST) पर अवश्य देखें। वहीं इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आप हमारे निम्न सोशल मीडिया Platform पर भी देख सकते हैं
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1. Satlok Ashram Dhanana Dham, Sonipat (Haryana)
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3. Satlok Ashram Dhuri (Punjab)
4. Satlok Ashram Sojat (Rajasthan)
5. Satlok Ashram Shamli (Uttar Pradesh)
6. Satlok Ashram Kurukshetra (Haryana)
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dharmarajdas · 3 months
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🔸️संत रामपाल जी महाराज जी का संघर्ष🔸️
8 सितंबर 1951 को भारत की पावन धरती पर अवतरित हुए एक ऐसे संत जिन्होंने हम जीवों के उद्धार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। सतज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने अपनी जान हथेली पर रख दी, नौकरी, घर परिवार सब कुछ त्याग दिया। ऐसे महान संत, जो परमार्थ के लिए अपना सर्वस्व वार दें, इस धरा पर यदा कदा ही प्रकट होते हैं। हम बात कर रहे हैं जगत गुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जिन्हे परमार्थ के मार्ग पर कदम रखने के बाद अनेकों संघर्षों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
संत रामपाल जी को नाम दीक्षा 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को रात्रि में प्राप्त हुई। उस समय संत रामपाल जी महाराज की आयु 37 वर्ष थी l
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज को सत्संग करने की आज्ञा दी और
सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की।
गुरु पद प्राप्त करने के बाद संत रामपाल जी महाराज ने सत्संग व पाठ करना शुरू किया। लेकिन धीरे-धीरे गुरु पद की जिम्मेदारियां इतनी बढ़ गईं कि संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई. की पोस्ट से त्यागपत्र दे दिया जो हरियाणा सरकार द्वारा 16.5.2000 को पत्र क्रमांक 3492-3500, तिथि 16.5.2000 के तहत स्वीकृत है।
जब संत रामपाल जी महाराज ने नौकरी छोड़ी तब वह नौकरी ही उनके परिवार के निर्वाह का एकमात्र साधन थी पर अपने सतगुरु के आदेश का पालन करने के लिए और परमात्मा के बच्चों के उद्धार के लिए उन्होंने नौकरी त्याग दी। उन्होंने अपने परिवार तथा बच्चों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया और परमात्मा के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया।
संत रामपाल जी महाराज ने समाज का कल्याण करने के लिए गांव-गांव जाकर तत्वज्ञान का प्रचार किया।
घर त्याग देने के बाद संत रामपाल जी कभी मुड़कर घर वापस नहीं गए। उन्होंने अपने कुछ भक्तों के सहयोग से गाँव-गाँव, नगर-नगर जाकर सतज्ञान का प्रचार किया। सर्व धर्मों के शास्त्रों का अध्ययन किया और उनमें से परमात्मा का सच्चा ज्ञान निकालकर भक्त समाज के सामने रख दिया। दिन रात सत्संग किये, पुस्तकें लिखी। 20-20 घंटे लगातार काम किया। समाज में व्यापत कुरीतियों तथा नकली संतो द्वारा फैलाये गए गलत ज्ञान पर दृढ़ लोगों ने परम संत और उनके द्वारा दिये गए ज्ञान का बहुत विरोध किया पर सतगुरु जी द्वारा दिया गया परमेश्वर कबीर साहेब का ज्ञान ऐसा था जैसे तोप का गोला हो जिसके आगे कोई टिक नहीं सका।
कबीर - और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोप का करता चले मैदान।।
इस पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी ही पूर्ण संत हैं फिर चाहे वे जेल में ही क्यों न हों। परमार्थ के लिए, हम जीवों के उद्धार के लिए ही उनको जेल जाना पड़ा है। इस तत्वज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया है, उसे समझकर संत जी से नाम उपदेश लेना हमारा परम कर्तव्य बनता है क्योंकि मोक्ष प्राप्त करना ही इस मानव जीवन का प्रथम कर्तव्य है। उनके त्याग और बलिदान को हमें व्यर्थ नहीं होने देना है क्योंकि संत रामपाल जी महाराज हमारे लिए ही वे इस पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं।
#SantRampalJiBodhDiwas
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#TheMission_Of_SantRampalJi
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helputrust · 9 months
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देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों की जयंती पर हर शिक्षण संस्थानों और कार्यालयों मे भव्य कार्यक्रम आयोजित किये जायें - हर्ष वर्धन अग्रवाल
लखनऊ 23.07.2023 | महान समाज सुधारक, विचारक और स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी की 167वीं जन्म जयंती तथा महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद जी की 117वीं जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रामायण पार्क, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में “श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि” कार्यक्रम का आयोजन किया गया | इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, सेक्टर 25 के निवासीगणों श्री केपी शर्मा, श्री एनएल खरे, श्री श्याम बिहारी, श्री संजय पांडे व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी तथा चंद्रशेखर आजाद जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी |
ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, "लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में गौरवपूर्ण नाम है । उनके साहस, दृढ़ता, और अद्भुत विचारधारा ने भारतीयों को स्वतंत्रता के लिए जागृत किया I लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी ने सिर्फ स्वतंत्रता के लिए लड़ाई नहीं लड़ी, बल्कि शिक्षा, समाजसेवा, और समाज में सुधार के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया। उनके जीवनदर्शन से हम यह सीख सकते हैं कि शिक्षा और ज्ञान का महत्व जीवन में कितना है । आज हमें उनके साहस और समर्पण से प्रेरित होना चाहिए और दृढ़ विश्वास के साथ हमें अपने राष्ट्रीय कर्तव्य के प्रति समर्पित होना चाहिए ।"
स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद ने भारतीयों के मान-सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा करने के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए । चंद्रशेखर आजाद ने युवाओं को राष्ट्रीय उत्थान के मार्ग पर प्रेरित किया और उनमें सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । आज इन महान स्वतंत्रता सेनानियों की जन्म जयंती के अवसर पर हम वर्तमान सरकार से यह अपील करते हैं कि देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले इन वीर सपूतों की जयंती पर हर विद्यालय एवं कार्यालय में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियां हमारे गौरवपूर्ण इतिहास के बारे में अधिक से अधिक जान सके |"
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डा० रूपल अग्रवाल, सेक्टर 25 के निवासीगणों तथा स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही |
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lalitasahu · 3 months
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🔸️संत रामपाल जी महाराज जी का संघर्ष🔸️
8 सितंबर 1951 को भारत की पावन धरती पर अवतरित हुए एक ऐसे संत जिन्होंने हम जीवों के उद्धार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। सतज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने अपनी जान हथेली पर रख दी, नौकरी, घर परिवार सब कुछ त्याग दिया। ऐसे महान संत, जो परमार्थ के लिए अपना सर्वस्व वार दें, इस धरा पर यदा कदा ही प्रकट होते हैं। हम बात कर रहे हैं जगत गुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जिन्हे परमार्थ के मार्ग पर कदम रखने के बाद अनेकों संघर्षों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
संत रामपाल जी को नाम दीक्षा 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को रात्रि में प्राप्त हुई। उस समय संत रामपाल जी महाराज की आयु 37 वर्ष थी l
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज को सत्संग करने की आज्ञा दी और
सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की।
गुरु पद प्राप्त करने के बाद संत रामपाल जी महाराज ने स��्संग व पाठ करना शुरू किया। लेकिन धीरे-धीरे गुरु पद की जिम्मेदारियां इतनी बढ़ गईं कि संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई. की पोस्ट से त्यागपत्र दे दिया जो हरियाणा सरकार द्वारा 16.5.2000 को पत्र क्रमांक 3492-3500, तिथि 16.5.2000 के तहत स्वीकृत है।
जब संत रामपाल जी महाराज ने नौकरी छोड़ी तब वह नौकरी ही उनके परिवार के निर्वाह का एकमात्र साधन थी पर अपने सतगुरु के आदेश का पालन करने के लिए और परमात्मा के बच्चों के उद्धार के लिए उन्होंने नौकरी त्याग दी। उन्होंने अपने परिवार तथा बच्चों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया और परमात्मा के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया।
संत रामपाल जी महाराज ने समाज का कल्याण करने के लिए गांव-गांव जाकर तत्वज्ञान का प्रचार किया।
घर त्याग देने के बाद संत रामपाल जी कभी मुड़कर घर वापस नहीं गए। उन्होंने अपने कुछ भक्तों के सहयोग से गाँव-गाँव, नगर-नगर जाकर सतज्ञान का प्रचार किया। सर्व धर्मों के शास्त्रों का अध्ययन किया और उनमें से परमात्मा का सच्चा ज्ञान निकालकर भक्त समाज के सामने रख दिया। दिन रात सत्संग किये, पुस्तकें लिखी। 20-20 घंटे लगातार काम किया। समाज में व्यापत कुरीतियों तथा नकली संतो द्वारा फैलाये गए गलत ज्ञान पर दृढ़ लोगों ने परम संत और उनके द्वारा दिये गए ज्ञान का बहुत विरोध किया पर सतगुरु जी द्वारा दिया गया परमेश्वर कबीर साहेब का ज्ञान ऐसा था जैसे तोप का गोला हो जिसके आगे कोई टिक नहीं सका।
कबीर - और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोप का करता चले मैदान।।
इस पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी ही पूर्ण संत हैं फिर चाहे वे जेल में ही क्यों न हों। परमार्थ के लिए, हम जीवों के उद्धार के लिए ही उनको जेल जाना पड़ा है। इस तत्वज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया है, उसे समझकर संत जी से नाम उपदेश लेना हमारा परम कर्तव्य बनता है क्योंकि मोक्ष प्राप्त करना ही इस मानव जीवन का प्रथम कर्तव्य है। उनके त्याग और बलिदान को हमें व्यर्थ नहीं होने देना है क्योंकि संत रामपाल जी महाराज हमारे लिए ही वे इस पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं।
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inasince1987 · 3 months
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digitalchahat · 2 months
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कर्नाटक के 10 राजनेता
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किसी भी राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सबसे बड़ा कारक जो भूमिका निभाता है, वह है सरकार। कर्नाटक मंदिरों, बड़ी कंपनियों, कॉलेजों, बड़े मॉल और अन्य चीजों से समृद्ध है। इन सभी सुविधाओं के साथ कर्नाटक ने कुछ महान राजनेताओं को चुना है जिनकी बुद्धि और महान नीतियों ने पूरे राज्य को व्यवस्थित तरीके से बनाए रखने में मदद की है। और अधिक जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें https://jugaadinnews.com/10-politicians-of-karnataka/
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vikaskumarsposts · 3 months
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#संत_रामपालजी_के_उद्देश्य
दहेज प्रथा का समाधान हरियाणा के प्रसिद्ध संत रामपाल जी महाराज को छोड़कर हर सरकार और संगठनों या धार्मिक संप्रदायों की पहुंच से बाहर लगता है। संत रामपाल जी ने रमैनी नामक दहेज मुक्त विवाह की एक शानदार पहल की है जो दहेज के किसी भी आदान-प्रदान को स्वीकार नहीं करती है। इस दहेज विरोधी आंदोलन की सफलता की कहानी संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों द्वारा उनके नेतृत्व में दहेज के आदान-प्रदान पर रोक लगाने के अनुशासन पर आधारित है। ये अपने आप में अनोखा है। इस तरह का दहेज विरोधी आंदोलन समाज से ऐसे अभिशाप को खत्म करने में उपयोगी हो सकता है जिसने कई मासूम महिलाओं की जान ले ली है।
एक ओर जहां पूरी दुनिया दहेज लेकर या देकर अपनी और अपनी बेटियों की दुर्दशा बढ़ा रही है, वहीं संत रामपाल जी महाराज के शिष्य रमैनी के जरिए शादी कर दहेज प्रथा को खत्म करने में अपना सहयोग दे रहे हैं। दुनिया भर में संत रामपाल जी महाराज के सभी आश्रमों में हर दिन सैकड़ों लोग रमैनी द्वारा विवाह करते है���
17 फरवरी को उस महान संत सतगुरु रामपाल जी महाराज का बोध दिवस है जिन्होंने समाज कल्याण के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।
6Days Left For Bodh Diwas
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aadarshsstuff · 3 months
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🔸️संत रामपाल जी महाराज जी का संघर्ष🔸️
8 सितंबर 1951 को भारत की पावन धरती पर अवतरित हुए एक ऐसे संत जिन्होंने हम जीवों के उद्धार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। सतज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने अपनी जान हथेली पर रख दी, नौकरी, घर परिवार सब कुछ त्याग दिया। ऐसे महान संत, जो परमार्थ के लिए अपना सर्वस्व वार दें, इस धरा पर यदा कदा ही प्रकट होते हैं। हम बात कर रहे हैं जगत गुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जिन्हे परमार्थ के मार्ग पर कदम रखने के बाद अनेकों संघर्षों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
संत रामपाल जी को नाम दीक्षा 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को रात्रि में प्राप्त हुई। उस समय संत रामपाल जी महाराज की आयु 37 वर्ष थी l
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज को सत्संग करने की आज्ञा दी और
सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की।
गुरु पद प्राप्त करने के बाद संत रामपाल जी महाराज ने सत्संग व पाठ करना शुरू किया। लेकिन धीरे-धीरे गुरु पद की जिम्मेदारियां इतनी बढ़ गईं कि संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई. की पोस्ट से त्यागपत्र दे दिया जो हरियाणा सरकार द्वारा 16.5.2000 को पत्र क्रमांक 3492-3500, तिथि 16.5.2000 के तहत स्वीकृत है।
जब संत रामपाल जी महाराज ने नौकरी छोड़ी तब वह नौकरी ही उनके परिवार के निर्वाह का एकमात्र साधन थी पर अपने सतगुरु के आदेश का पालन करने के लिए और परमात्मा के बच्चों के उद्धार के लिए उन्होंने नौकरी त्याग दी। उन्होंने अपने परिवार तथा बच्चों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया और परमात्मा के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया।
संत रामपाल जी महाराज ने समाज का कल्याण करने के लिए गांव-गांव जाकर तत्वज्ञान का प्रचार किया।
घर त्याग देने के बाद संत रामपाल जी कभी मुड़कर घर वापस नहीं गए। उन्होंने अपने कुछ भक्तों के सहयोग से गाँव-गाँव, नगर-नगर जाकर सतज्ञान का प्रचार किया। सर्व धर्मों के शास्त्रों का अध्ययन किया और उनमें से परमात्मा का सच्चा ज्ञान निकालकर भक्त समाज के सामने रख दिया। दिन रात सत्संग किये, पुस्तकें लिखी। 20-20 घंटे लगातार काम किया। समाज में व्यापत कुरीतियों तथा नकली संतो द्वारा फैलाये गए गलत ज्ञान पर दृढ़ लोगों ने परम संत और उनके द्वारा दिये गए ज्ञान का बहुत विरोध किया पर सतगुरु जी द्वारा दिया गया परमेश्वर कबीर साहेब का ज्ञान ऐसा था जैसे तोप का गोला हो जिसके आगे कोई टिक नहीं सका।
कबीर - और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोप का करता चले मैदान।।
इस पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी ही पूर्ण संत हैं फिर चाहे वे जेल में ही क्यों न हों। परमार्थ के लिए, हम जीवों के उद्धार के लिए ही उनको जेल जाना पड़ा है। इस तत्वज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया है, उसे समझकर संत जी से नाम उपदेश लेना हमारा परम कर्तव्य बनता है क्योंकि मोक्ष प्राप्त करना ही इस मानव जीवन का प्रथम कर्तव्य है। उनके त्याग और बलिदान को हमें व्यर्थ नहीं होने देना है क्योंकि संत रामपाल जी महाराज हमारे लिए ही वे इस पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं।
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𒊹︎︎︎• शास्त्रो में छुपे रहस्य को जानने के लिए पढ़े पवित्र पुस्तक 📘"ज्ञान गंगा"।
इस पुस्तक को निःशुल्क मंगवाने तथा सत्संग से सम्बन्धित अनमोल ज्ञान की बातें संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक "ज्ञान गंगा" बिल्कुल निःशुल्क प्राप्त करके पढ़ सकते हैँ।
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