मेरी यादें
बीती यादों में खो जाता हूं
हर पल उन लम्हों में गुम हो जाता हूं
एक दौर ऐसा था जो जिंदगी
पंख फैलाकर नीले आकाश में
मदमस्त उड़ान भरती थी
ऐसा महसूस होता था सारी कायनात
अपने मुट्ठी में कैद है ।
हकीकत की चट्टान से टकराकर
जब हसरतें बिखरती हैं तो
एहसास होता है जिंदगी
परिश्रम और सब्र का परिणाम है ।।
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दर्द से रिश्ता
दर्द से रिश्ता कुछ ऐसा जुड़ गया
जिंदगी हर पल तन्हा हो गया
ना चल सकता दो कदम भी
ख्वाहिशें जिंदा रहते मर गया
वैसे तो हर सांस चल रही अक्सर
पर जिस्म मुर्दा बन बिस्तर से सिमट गया
किस्मत के चक्रव्यूह में उलझा सोचता
क्या यही अंजाम मेरे जीवन का
जिंदगी तन्हाई का मेहमा रह गया ।।
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अहंकार
इंसान है जीता हुआ
फिर मौन क्यों मुर्दा हुआ
हर कोई जुल्म का हिस्सेदार ना बन
इंसानियत के हैवानियत का किरदार ना बन ।
तुम तुम्हारी दौलत शोहरत का गुरूर है
जिंदगी आज है कल नहीं होगी जरूर है
एक हिचकी की हैसियत तेरी
सांस टूटते ही ना कोई वजूद की शोहरत तेरी
फिर क्यों इतना अहंकार अपने आप से
चंद सांसों की हैसियत जनाब की ।।
फिर सब कुछ यहीं रह जायेगी दौलत तेरी ।
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जीने की जुफ्तजू
मुश्किलें लाख हों मगर जीने की
जुफ्तजु हर हाल में कायम रहती है
इंसान जिंदगी से हार मान लेना गवारा
नहीं करता,
वक्त की कितनी भी बेरुखी हो
जीने की ख्वाहिश सदा बनी रहती है ।
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मैं निराश हूं
मैं निराश हूं फिर भी आश हूं
शायद ईश्वर की इनायत हो जाए
फिर से जिंदगी खुशगवार हो जाए
जिंदगी आशा की एक पुंज है
जिसमें जिंदगी की अनेकों खुशबू है
कभी खुशी कभी गम
कभी जीने की का संगम
इसी खट्टी मीठी यादों में जिंदगी
जीत हैं हम सब ।।
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जिंदगी की मशरूफियां
जिंदगी की मशरूफियों के भंवर जाल में उलझा
हुआ इंसान हूं
जितना निकलने की कोशिश कर रहा उसमे उलझ
परेशान हूं
रोज रोज हर रोज नई मुसीबतों में उलझ जाता हूं
जिस्म बेजान है फिर भी हिम्मत जुटाता हूं
जिंदगी एक बेजान सफर का काफिला है
सांसों के बीच जीवन का सिलसिला है ।
कब टूट जायेगी इस अनजान मंजिल का सफर
जीवन अपने अंतिम लक्ष्य का करेगा सफर ।।
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नियत का खेल
नियत ने जो खेल खेला है
जिंदगी को मजबूर बना के छोड़ा है
इन हंसते खेलते जीवन को
आंसुओं के गम में ढकेला है
किस्मत भी क्या क्या रंग दिखाती है
जो कभी आसमान में उड़ने की
ख्वाहिश रखते थे जमीन पर रेंगने को
तरसते हैं
वक्त के इस आंख मिचौली में
मजबूर एक एक पल कट रहा
यह एक हादसा है या चिराग बुझने
का संकेत ।।
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गिरकर उठ
गिर गिर कर उठ
उठकर चल
तुझे चलना होगा
वक्त की बेरुखी से लड़ना होगा
जब तलक जिस्म में सांस की अंतिम कड़ी है
हिम्मत करना होगा,
हारकर जीवन को जीत सकता नहीं
मन में विश्वास कर तुम भी स्वीकार कर
धूप छांव जिंदगी का एहसास कर
हौसला कर गिरकर उठ चल
सफर में बढ़कर चल मंजिल तेरी रहगुजार ।।
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इंतजार
सांसे चल रही मगर जिस्म बेकार
जिंदा हूं मगर मुर्दा के समान
रोज रोज इंतजार है मगर
ना सांसे छूट रही ना सेहत में सुधार
किस्मत ने ऐसे मोड़ पर लाकर
खड़ा किया
ना जीने दे रही ना मुर्दा बना दिया ।।
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जिंदगी मिली है
जिंदगी मिली है तो कुछ करके दिखाना होगा
वक्त खराब है तो बदल कर दिखाना होगा
हर इंसान अपने जिंदगी को बेहतर बनाने
का प्रयास करता है
पर कभी कभी किस्मत उसे अलग दिशा में
मोड़ देती है
जिंदगी कभी सीधी चलती नहीं
इसके रास्ते बहुत टेढ़े मेढे होते है
जिनपर चलते हुए कभी पल भर
की सफलता तो कभी टूटते सपनों की
अंधेरी गुफा उसमें रोशनी तलाश करना ही
जिंदगी की हकीकत है ।।
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चोट
कहते हैं रात गई बात गई
यह कहने की बाते हैं
दिल पर लगी बातों की चोट
को भूलने में इंसान की पूरी
जिंदगी गुजर जाती है
पर वो जख्म कभी भरते नहीं ।
किसी से उम्मीद उतना ही रखो
की टूटने पर कांच के टूटने किरांचे
की चुभन आपको सदा लहूलुहान
ना करता रहे ।।
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मोदी
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रिश्ते
उम्मीदें नीलाम हो गई हैं वक्त बदल जाने से
नकाब उतर गया है अपने कहे जानो के
जिंदगी हर वक्त खुशगवार होती नहीं ऐ दोस्त
धागे बिखरने ना दो अपने रिश्ते निभाने को ।।
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फिर खुशियां आयेंगी
जिंदगी थम गई है कुछ पल के लिए
विश्वास है एक दिन तो चल पड़ेगी
सांसे चल रही ह जब तक तन में
विश्वास है एक दिन उठकर चल पड़ेगी ।
हारा नहीं वक्त की सियासत से
लड़कर जीत जाऊंगा
जज्बा आज भी जिंदा है
हर बाधाओं से निकल मुस्कराऊंगा ।।
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महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि की ढेर सारी शुभकामनाएं ।।
काशी नगरी शिव जी का धाम
देश विदेश से आते दर्शन करने
शिव भक्त तमाम
शिव जी सृष्टि के पालक हैं
शिव जी हैं देव महान
गले में सांपों की माला
जटा से गंगा की अविरल धारा
चंद्र सुशोभित जटा में ऐसे मणि भाल में
जगमग जैसे
डमरू त्रिशूल हाथों में सोहे
नीलकंठ की छवि मोहे
ऐसे हैं मेरे इष्ट महान ।।
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इंसान की उलझन
मैने देखा है परिंदो को जाल में
उलझते हुए
इंसान तो उलझा है जिंदगी की
रुसवाइयों में
सारी ख्वाहिशें सारी उम्मीद के सहारे
काट���ा है अपने एक एक दिन
फिर भी कोई रोशनी की झलक दिखती नहीं
हर दिन रात गमों में उलझा है फिर भी
गम की शाम कम नहीं ।
कभी कभी जिंदगी ऐसी मुश्किलों
में उलझ जाती है की एक परिंदे की तरह
फड़फड़ाने के सिवा कुछ भी नहीं ।।
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तेज रफ्तार
ए जिंदगी बड़ी तेज रफ्तार है तेरी
थोड़ा आहिस्ता चल
समझने तो दे जो आया है पड़ाव है
या मंजिल मेरी ।
जिंदगी सदैव गतिशील है हर दिन हर पल
नए नए पड़ाव आते हैं
कभी खुशी के या कभी गम के
जिंदगी की रफ्तार को हम समझ पाते
तब तक कारवां आगे बढ़ जाता है ।
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