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#पीसीओडी के लक्षण
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गर्भावस्थाऔरपीसीओडी (Pregnancy and Pcod)
गर्भवती होने की कोशिश कर रही महिलाओं के लिए दवाएं उपलब्ध हैं। इन्हें कई चक्रों के लिए मासिक धर्म चक्र की शुरुआत में लिया जा सकता है।
यदि ये मदद नहीं करते हैं, तो हम आईवीएफ IVF ट्रीटमेंट की सिफारिश कर सकते हैं।
पीसीओडी से पीड़ित अधिकांश महिलाएं सही उपचार और जीवनशैली में बदलाव के साथ गर्भधारण करने में सक्षम हैं।
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mwsnewshindi · 2 years
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EXCLUSIVE: क्या पीसीओडी और पीसीओएस अलग हैं? कारण, लक्षण, उपचार - डॉक्टर क्या कहते हैं
EXCLUSIVE: क्या पीसीओडी और पीसीओएस अलग हैं? कारण, लक्षण, उपचार – डॉक्टर क्या कहते हैं
पीसीओडी बनाम पीसीओएस: जैसा कि हम में से बहुत से लोग अब जानते हैं, पॉलीसिस्टिक अंडाशय आज महिलाओं में आम हैं और जीवनशैली को अक्सर इसके पीछे का कारण माना जाता है। पॉलीसिस्टिक अंडाशय होने का अर्थ है हार्मोन का असंतुलन, मासिक धर्म में देरी या मिस्ड पीरियड्स, मोटापा, चेहरे के बालों का बढ़ना और सबसे बड़ी, बांझपन। लेकिन फिर हमने पीसीओडी और पीसीओएस दोनों के इस्तेमाल के बारे में सुना है। जबकि पहला…
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क्या है पीसीओडी के मुख्य लक्षण? और जाने उपचार (PCOD Symptoms In Hindi)
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पीसीओडी क्या होता है? (What is PCOD?)
क्या आपने कभी पीसीओडी के बारे में सुना है? अगर नहीं, तो आज हम इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे। पीसीओडी, यानी बहुत्विक अंडाशय रोग, एक सामान्य हार्मोनल समस्या है जो बहुत सी महिलाओं को प्रभावित करती है। इसका प्रभाव महिला के प्रजनन अंगों पर पड़ता है, जिससे कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। पीसीओडी के लक्षणों में पीरियड्स ना आना या अनियमित मासिक चक्र, गर्भधारण में कठिनाई, Mood Swings, चेहरे पर अनचाहे बाल, बाल झड़ना और पतला होना, वजन बढ़ना, त्वचा में परिवर्तन, मुंहासे, पेल्विक दर्द शामिल है और इन बीमारियों मे टाइप 2 डायबिटीज, हृदय की बीमारी, मोटापा और एंडोमेट्रियल कैंसर भी हो सकता है।
पीसीओडी का पूरा नाम हिंदी में (Full Form of PCOD in Hindi)
पीसीओडी का पूरा नाम या फिर full form “Polycystic Ovary Disease” है, जिसे हिंदी में “बहुत्विक अंडाशय व्याधि कहा जाता है। इसे ‘पीसीओडी” के नाम से अधिक जाना जाता है, और यह महिलाओं में बहुत पाया जाता है।
पीसीओडी के कारण (Why PCOD Occurs?)
अब आप सोच रहे होंगे, पीसीओडी आखिर होता कैसे है? चलिए, इसे और अधिक विस्तार से समझते हैं।
पीसीओडी कैसे होता है?
पीसीओडी तब होता है जब अंडाशय में अनेक छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं। ये सिस्ट वास्तव में अंडाणु होते हैं जो सही तरह से परिपक्व नहीं हो पाते हैं।
पीसीओडी क्यों होता है?
इसका मुख्य कारण हार्मोन्स का असंतुलन होता है। जब एक महिला के शरीर में विशेष प्रकार का हार्मोन अधिक मात्रा में उत्पन्न होता है, तो यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
पीसीओडी के लक्षण (Symptoms of PCOD)
पीसीओडी या पॉलीसिस्टिक ओवरी रोग अंडाशय हार्मोन का एक विकार है जो प्रजनन आयु की महिलाओं में आम है। इस बीमारी का पता लगाने के लिए ऐसे लक्षण हैं जो किसी भी महिला में दिखाई दे सकते हैं।
पीसीओडी के प्रमुख लक्षण (Main Symptoms of PCOD)
अनियमित मासिक धर्म: मासिक धर्म चक्र में लंबे समय तक रुकावट या इसमें देरी।
ओवर हेयर: पीठ, पेट और चेहरे पर प्रचुर मात्रा में बाल।
 वजन बढ़ना: अचानक वजन बढ़ना या वजन घटाने में कठिनाई।
त्वचा समस्याएँ: मुँहासे और चेहरे पर तेलीयपन।
अधिक थकान महसूस होना: बिना किसी कारण के थकान महसूस करना।
पीसीओडी महिलाओं में कैसे पहचानें (Identifying PCOD in Females)
यह सवाल लगभक सभी महिलाओं के मन में आता है की, “क्या मुझे पीसीओडी है हुआ है?” तो आइए जानते हैं ऐसे कुछ लक्षण जिनसे आप इस समस्या को जान सकते हैं।
जानिए पीसीओडी की समस्या और उसके लक्षण (Know PCOD Issues and Their Indications)
•                  उल्टी की भावना: बहुत बार उल्टी आने जैसा feel हो सकता हैं।
•                  सीने में जलन होना: भोजन के बाद सीने में जलन होना ये भी कई बार हो सकता है।
•                  बालों का झड़ना या फिर कम होना: इसमे बालों का झड़ना, कम होना और पतला होना ये भी शामिल है।
•                  अधिक थकान याफिर नींद की भावना: रोज के दिनकर्म में भी अधिक थकान जैसा लगना या फिर नींद जैसा feel होना।
पीसीओडी और पीसीओएस में अंतर (Difference between PCOD and PCOS)
अधिकतर लोग पीसीओडी और पीसीओएस को एक ही समस्या मानते हैं, लेकिन ये दोनों अलग होते हैं। पीसीओडी (Polycystic Ovary Disease) एक स्थिति है जहां अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट होते हैं। पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) एक अधिक गंभीर विकार है, जिसमें हार्मोनल असंतुलन, मेटाबोलिक समस्याएं, और प्रजनन संबंधी जटिलताएं शामिल होती हैं।
उपचार और सलाह (Treatment and Advice)
पीसीओडी का समय पर इलाज और सही सलाह से प्रबंधन संभव है। अगर आपको पीसीओडी के लक्षण महसूस होते हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर: पीसीओडी और प्रजनन संबंधी अन्य समस्याओं के लिए सही परामर्श और उपचार के लिए, नवी मुंबई के यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर से संपर्क करें। यहां के विशेषज्ञ डॉक्टर आपको उचित मार्गदर्शन और देखभाल प्रदान करेंगे। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 8655442184.
पीसीओडी का परीक्षण (PCOD Testing)
स्वस्थ जीवन की कुंजी है सही जानकारी और सही समय पर उचित उपचार। पीसीओडी, जो महिलाओं में होने वाली एक सामान्य समस्या है, का पता लगाने के लिए परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जानिए PCOD परीक्षण कैसे होता है? (Know How is PCOD Testing Done?)
जब आप इस समस्या के लिए डॉक्टर के पास जाती हैं, तो वह कुछ प्रकार की जाँचें की सलाह देते है:
•                  अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): इसमें डॉक्टर आपके अंडाशय की स्थिति की जाँच करते हैं और सिस्ट्स  है या नही ये को जांच करते हैं।
•                  रक्त परीक्षण (Blood test): इससे डॉक्टर अंडा उत्सर्जन संबंधित हार्मोन्स की मात्रा की जाँच करते है।
•                  शारीरिक परीक्षण: इसमें डॉक्टर आपके शरीर के सारे हिस्सों, जैसे त्वचा, बाल आदि की जाँच करते है।
जानिए क्या है PCOD परीक्षण में ध्यान देने योग्य बातें (Know Things to Consider in PCOD Testing)
जब आप डॉक्टर के पास PCOD के परीक्षण के लिए जाती हैं, तो कुछ बातों का हमे अच्छे से ध्यान रखना चाहिए:
•                  डॉक्टर से सलाह: अच्छे डॉक्टर से सलाह लेने से आपको अच्छे से सहायता मिलती है।
•                  परीक्षण का समय: डॉक्टर से सलाह ले की किस महीने मे परीक्षण या जांच करनी है।
•                  जाँच की सटीकता: अगर आपको पहिली जांच मै कुछ गडबड जैसा लगा तो आप दुबारा जांच कर सकते हैं
क्या है पीसीओडी का इलाज (What is Treatment for PCOD)
पीसीओडी समस्या की पहचान होने के बाद आवश्यक हैं की उसका जल्द से जल्द इलाज किया जाए।
जानिए पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज का उपचार (Polycystic Ovarian Disease Treatment)
•                  हार्मोन थेरेपी: इसमें डॉक्टर हार्मोन्स की मात्रा को संतुलित करते है।
•                  औषधियां: कुछ प्रकार की दवाओं से हार्मोन असंतुलन को दूर किया जा सकता है।
•                  लाइफस्टाइल परिवर्तन: संतुलित आहार और व्यायाम से भी PCOD पर नियंत्रण पाया जाता है।
जानिए PCOD की समस्या का समाधान या निवारण क्या है (Solution to PCOD Problem)
PCOD  ऐसी समस्या है जिसका निवारण या समाधान सिर्फ और सिर्फ औषधियों में नहीं है  हमे अपने जीवनशैली में सुधार करना चाहिए, संतुलित आहार लेना चाहिए और नियमित व्यायाम करना चाहिए, तो हम PCOD से मुक्ति पा सकते हैं।
हमारे की विशेषज्ञ सहायता प्राप्त करें (Seek Our Expert Help)
आज के टाईम मै महिलाओं में पीसीओडी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। अगर इसका सही समय पर और सही तरीके से इलाज नहीं होता, तो ये समस्या और भी बढ़ सकती है या जटिल हो सकती है। इसके लिए हमारे आईवीएफ और विशेषज्ञों की सलाह ले और सही उपचार जल्द ही करे।यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर
यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर पीसीओडी और प्रजनन संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए Best IVF Centre In Navi Mumbai माना जाता है। यहां के अनुभवी डॉक्टर आपको सही मार्गदर्शन और देखभाल प्रदान करते हैं। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 8655442184.
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sushainwellness · 4 months
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पीसीओडी कितने दिन में ठीक होता है?: PCOD का इलाज समय लेता है और इसमें रोगी की स्थिति की निगरानी, आयुर्वेदिक चिकित्सा, और स्वस्थ जीवनशैली का पालन शामिल होता है। सही दिशा में इलाज के लिए स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
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gaudiumivf · 5 months
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पीसीओडी: कारण, लक्षण और उपचार
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जानिए पीसीओडी (PCOD) क्या है? पीसीओ इलाज संभव है या नहीं । गौडियम आईवीएफ के साथ पाईये पीसीओडी के पूरी जानकारी - पीसीओडी कारण और लक्षण
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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) और पॉलीसिस्टिक अंडाशय रोग (पीसीओडी) ऐसी स्थितियां हैं जो हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकती हैं और अनियमित पीरियड्स, वजन बढ़ना, मुंहासे और बालों के झड़ने जैसे विभिन्न लक्षण पैदा कर सकती हैं। योग इन स्थितियों को प्रबंधित करने का एक शानदार तरीका हो सकता है क्योंकि यह तनाव को कम करने और समग्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है। Best IVF Doctors in Delhi के द्वारा यहां पांच योग मुद्राएं हैं जो पीसीओएस और पीसीओडी में मदद कर सकती हैं. visit our website https://www.babyjoyivf.com/ivf-doctors-delhi/ or call us at 8800001978.
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sabkuchgyan · 2 years
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PCOD PCOS Health Tips: पीसीओडी और पीसीओएस का अचूक इलाज, कोई साइड इफेक्ट नहीं
PCOD PCOS Health Tips: पीसीओडी और पीसीओएस का अचूक इलाज, कोई साइड इफेक्ट नहीं
PCOD PCOS Health Tips: पीसीओडी और पीसीओएस महिलाएं आज जीवन की सबसे बड़ी बीमारी है इससे न तो पीरियड्स ठीक से आते हैं और न ही गर्भधारण हो पाता है। आज 5 में से 2 महिलाएं इस बीमारी से जूझ रही हैं हालांकि इसके लक्षण हर महिला में अलग-अलग होते हैं जैसे: किसी के चेहरे और शरीर पर अधिक बाल आने लगते हैं, किसी के अधिक बाल झड़ने लगते हैं। शरीर सुस्त महसूस करता है। पिंपल्स दिखने लगते हैं और स्वभाव में जलन होने…
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ओवुलेशन के लक्षण
शादी के कुछ सालों बाद हर महिला मां बनना चाहती है। मां बनना प्रकृति की अनुपम सौगात है, जो स्त्री को पूर्णता की ओर ले जाती हैं। किसी कारणवश महिला मां नहीं बन पाती तो कई प्रकार की उलझनें घर करने लगती हैं। ऐसी स्थिति में अपने ओवुलेशन पीरियड पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी तभी सफलता भी मिल पाएगी।
ओवुलेशन क्या है | Ovulation Kya Hai
किसी भी महिला के जीवन में महत्वपूर्ण प्रक्रिया मासिक चक्र की होती है। मासिक चक्र की प्रक्रिया के तहत ही एक महिला मां बनने में सक्षम होती है। मां बनने के लिए ओवुलेशन को समझना भी अनिवार्य है।
ओवुलेशन को मासिक धर्म का हिस्सा भी समझा जा सकता है। हर मासिक धर्म के समय ओवरी में एग रिलीज होते हैं और वही समय ओवुलेशन होता है। यदि एग ओवरी में आ जाए तो वह स्पर्म से मिल ही जाते हैं और किसी स्थिति में वह मिलने से बच भी जाते हैं। इस दौरान महिला का एग किसी गर्भाशय में आकर वृद्धि करने लगे तो प्रेगनेंसी शुरू हो जाती है लेकिन यह जरूरी नहीं होता कि हर बार ऐसा हो जब कभी एग फर्टिलाइज ना हो सके तो एक टूट भी सकते हैं।
ओवुलेशन की शुरुआत
महिलाओं का मासिक चक्र 28 से 30 दिनों का होता है। विषम परिस्थिति में यह चक्र का समय कम या ज्यादा भी हो सकता है। ज��� भी मासिक चक्र की शुरुआत हो तो मध्य के 4 दिन पहले और बाद में ओवुलेशन शुरू हो जाता है। जब शरीर में एसएचएच हार्मोन रिलीज होता है। यह प्रक्रिया मासिक चक्र के 6 से 14 दिन के बीच होते हैं जो एलएच की उपस्थिति के कारण होते हैं। जैसे ही शरीर में एलएच का स्तर बढ़ने लगता है तो 28 से 36 घंटे के बाद ओवुलेशन शुरू हो जाता है।
ओवुलेशन नियमित होना है जरूरी
ओवुलेशन पीरियड मासिक धर्म के दौरान ही आते हैं और उनका नियमित होना भी जरूरी है। इसके वजह से कहीं ना कहीं प्रेग्नेंसी के चांस बढ़ जाते हैं। अगर किसी कारणवश नियमित रूप से पीरियड ना आ रहे हैं ऐसे में ओवुलेशन अनियमित हो सकता है और प्रेगनेंसी मे देर हो सकती है। ऐसे में आप चिकित्सक से सलाह लेना ना भूलें।
ओवुलेशन के लक्षण | Ovulation Ke Lakshan in Hindi
अगर आप सही से आपने ओवुलेशन के लक्षण समझ सके तो यह आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो जाएगा।
1) शरीर का तापमान परिवर्तित होना
शरीर के तापमान के बढ़ने पर बुखार के लक्षण ही माना जाता है लेकिन अगर पिछले कुछ दिनों से शरीर का तापमान में परिवर्तन देखा गया है तो अब ओवुलेशन का लक्षण हो सकता है जो कि प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के कारण होता है। यह हार्मोन अंडाशय से मुक्त होने पर स्थित होते हैं और अपनी मुख्य भूमिका निभाते हैं।
2) पेट में दर्द होना
कभी-कभी पेट के निचले हिस्से में अजीब सा दर्द होता है, जो कुछ समय में ही खत्म हो जाता है। लेकिन महिलाएं अपने काम के कारण इस दर्द को ध्यान नहीं दे पाती। यह दर्द भी ओवुलेशन का लक्षण हो सकता है।
3) सिर दर्द होना
कुछ महिलाओं में ओवुलेशन के समय सिर दर्द भी देखा गया है। यह सेक्स हार्मोन के अत्यधिक बढ़ जाने के कारण होता है।
4) होने वाले स्त्राव में परिवर्तन
मासिक धर्म के समाप्त होने के बाद एक अलग स्त्राव होता है जिसमें परिवर्तन ही देखा जा सकता है। योनि में मिलने वाला म्यूकस पतला और चिपचिपा हो जाता है।
5) स्तन संवेदनशील होना
ओवुलेशन का यह लक्षण महिलाओं को कम ही समझ आता है पर स्तनों का संवेदनशील होना ओवुलेशन को दर्शाता है। ओवुलेशन के समय सारी कोशिकाएं सक्रिय होकर संवेदनशील हो जाती है और ओवुलेशन की पुष्टि होती है।
ओवुलेशन टेस्ट कैसे करें | Ovulation Test Kaise Kare
अगर आपको ओवुलेशन के लक्षण समझ आ गए हो,तो इसके टेस्ट को घर में भी किया जा सकता है। जो आसान भी है साथ ही साथ यह भी समझा जा सकता है कि वह ओवुलेशन सही से हो रहा है या नहीं।
1) बेसल बाडी टेंपरेचर
इसके माध्यम से सही ओवुलेशन पता लगाया जा सकता है। मासिक चक्र के दौरान थर्मामीटर में तापमान लिया जाता है। ऐसा देखा जा सकता है कि शरीर का तापमान तीन-चार दिनों तक ज्यादा रहे तो इस बात की पुष्टि होती है कि ओवुलेशन हुआ है।
2) ओवुलेशन किट | Ovulation Kit
इस किट के माध्यम से सुबह के मूत्र से आज की उपस्थिति के द्वारा पता लगाया जा सकता है जो ओवुलेशन की सही जानकारी भी देगा।
Ovulation के बारे में जाननें के तरीके
ओवुलेशन दर्द क्या है | Ovulation Dard Kya Hai
ओवुलेशन का होना सामान्य सी बात है लेकिन कई बार महिलाओं को इस ओवुलेशन के समय दर्द का अनुभव होता है। शुरू में तो वे इस बारे में समझ नहीं पाती पर धीरे-धीरे दर्द की वजह समझ आती है। कभी-कभी तो यह दर्द ज्यादा हो जाता है ,तो थोड़ा आराम कर लेने पर ठीक भी हो जाता है। हर महिला में ओवुलेशन अलग-अलग प्रकार का होता है। कई बार यह दर्द एक जगह भी नहीं टिकता जगह-जगह बदलता रहता है।
क्या हो सकते हैं ओवुलेशन दर्द के कारणओवुलेशन दर्द के कई प्रकार के कारण हो सकते हैं
1) जब भी कभी ओवुलेशन के समय अचानक एग बाहर निकले तो ऐसे में दर्द का होना लाजमी है। 2) जब भी कभी ओवुलेशन होने लगता है, तो उसके बाद फेलोपियन ट्यूब एग के लिए सिकुडती है और इस वजह से भी दर्द का अनुभव होता है। 3) कई बार ओवुलेशन के समय आसपास की मांसपेशियों में खिंचाव होने पर भी दर्द की स्थिति बन सकती है। 4) कभी-कभी  ओवुलेशन के दोनों ओर फॉलिकल्स के प्रभावी और परिपक्व होने पर भी दर्द का अनुभव होता है।
ओवुलेशन दर्द का इलाज | Ovulation Dard Ka Ilaj In Hindi
अगर ओवुलेशन के समय दर्द हो तो इसका इलाज भी संभव है।
1) अगर ज्यादा तकलीफ हो रही है, तो चिकित्सक से जरूर सलाह ले। 2) इसके लिए  एंटी इन्फ्लेमेटरी का उपयोग किया जा सकता है। 3) अपने चिकित्सक से बात कर हारमोंस गर्भनिरोधक गोली भी लिया जा सकता है। 4) आप थोड़ा आराम करें और किसी काम से दूर ही रहे। 5) अगर आप गुनगुने पानी में अजवाइन डालकर पिए तो भी फायदा होगा।
ओवुलेशन ना होने का क्या है कारण | Ovulation Na Hone Ka Kya Hai Karan In Hindi
अगर आप पिछले कुछ दिनों से प्रेग्नेंट होना चाहती हैं पर हो नहीं पा रही है तो इसके पीछे भी कारण ओवुलेशन का ना होना ही पाया गया है। ओवुलेशन ना होने पर बच्चे के जन्म में देर हो सकती है।
ओवुलेशन होने की स्थिति में एग सही तरीके से विकसित नहीं हो पाते हैं ऐसा उस समय भी देखा जाता है जब अंडाशय के द्वारा एग नहीं बन पाता। जब ओवुलेशन की प्रक्रिया बंद हो जाए वह अनओवुलेशन कहलाता है। कभी-कभी पीरियड नियमित ना हो पाए ऐसी स्थिति में भी ओवुलेशन नहीं हो पाता है।
1) एस्ट्रोजन का कम होना
ओवरी पर्याप्त मात्रा में एस्ट्रोजन पैदा करती है अगर सीमित मात्रा से कम एस्ट्रोजन उत्पन्न करें तो भी ओवुलेशन में समस्या आने लगती है।
2) मेल हार्मोन बढ़ना
यदि किसी भी कारणवश आपके शरीर में मेल हार्मोन टेस्टोस्टेरोन स्वता ही बढ़ गया हो तो इससे भी ओवुलेशन नहीं हो पाता है।
3) सही खानपान जरूरी
प्रेगनेंसी के लिए बहुत सी सावधानियां रखनी होती है जिनमें सही खान-पान भी आवश्यक है। अगर आपने ऐसा कुछ खा लिया हो जो आप के ओवुलेशन के लिए सही नहीं हो, तो उसे तुरंत छोड़ दें। इस कड़ी में जंक फूड का नाम आता है अगर आप जल्द ही प्रेग्नेंट होना चाहती हैं, तो जंक फूड से से दूरी बना ले।
4) तनाव ना करें
किसी भी प्रकार का तनाव आपको नहीं लेना है। ज्यादा तनाव लेने से पीरियड भी नियमित नहीं रहते और ओवुलेशन में भी दिक्कत आ जाती है।
5) पीसीओडी की समस्या
कई सारी महिलाओं को पीसीओडी की समस्या होती है। इस समस्या के कारण प्रेगनेंसी में समस्या उत्पन्न होती है और ओवुलेशन में दिक्कत आती है अतः पहले अपनी पीसीओडी की समस्या को दूर करने की कोशिश करें।
6)  प्रोलेक्टिन का बढ़ना
प्रोलैक्टिन हार्मोन का ज्यादा बढ़ जाना भी ओवुलेशन में दिक्कत लाता है। जो भी हार्मोन ओवुलेशन सहायक है वे प्रोलैक्टिन के बढ़ने में कम होने लगते हैं इसलिए बेहतर होगा यदि प्रोलेक्टिन ना बढ़ने पाए।
ओवुलेशन को नियमित करने के प्राकृतिक तरीके
ओवुलेशन की दिक्कत होने पर कई प्रकार के मनोभाव मन में आने लगते हैं, जो कि स्वभाविक भी है। आप अगर नियमित रूप से प्राकृतिक तरीके अपनाएं तो निश्चित रूप से आराम प्राप्त होगा।
1) एक्सरसाइज करें
अगर आप प्रतिदिन सुबह कम से कम आधा घंटा एक्सरसाइज करें तो इससे आपको फायदा होगा। एक्सरसाइज से ओवुलेशन को सही किया जा सकता है और आप चाहे तो विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं।
2) तनाव से बचें
तनाव ऐसी समस्य��� है जिससे शरीर बहुत ज्यादा प्रभावित होता है। स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल हार्मोन को रोकता है और यह वजह भी हो सकती है कि जब ओवुलेशन में दिक्कत आती है अतः किसी प्रकार के तनाव से बचे।
3) धूम्रपान से बचें
अगर आप खुद में ओवुलेशन की समस्या नहीं चाहती हो, तो धूम्रपान से दूर ही रहे। धूम्रपान कहीं ना कहीं ये ओवुलेशन में बाधक है। जल्दी प्रेग्नेंट होने के लिए भी धूम्रपान से दूर होना ही बेहतर है।
4) भरपूर नींद लें
रात रात भर जाग कर कोई काम नहीं करें। भरपूर नींद लेने से सभी हार्मोन सही तरीके से कार्य कर पाते हैं और ओवुलेशन में दिक्कत नहीं आ पाती है।
5) अपना वजन बढ़ाएं
ओवुलेशन को नियमित करने के लिए अपना वजन बढ़ाएं इसके लिए आप ज्यादा कैलोरी युक्त भोजन ले।
धैर्य रखें
ऐसा देखा जाता है कि जब प्रेगनेंसी ना हो, तो महिलाएं अपना धैर्य खोने लगती हैं। उनके मन में बेचैनी व डर हो जाता है ऐसे में धैर्य बनाए रखें और सही समय का इंतजार करें। अपना खानपान और सही जीवन शैली से आप अपनी ओवुलेशन संबंधित समस्या को भी दूर कर सकेंगी बस हौसला रखें और खुश रहिए।
निष्कर्ष
एक प्यारे से बच्चे का जीवन में आगमन होना हर्ष और उल्लास का विषय है। इस लेख में हमने ओवुलेशन संबंधी दिक्कतों को दूर करने का प्रयत्न किया है उम्मीद है आपके काम आएंगे। जीवन में उलझनों को कम करना हमारे हाथ में है जरूरत है तो हिम्मत ना हारने की। खुश रहिए और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े।
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kisansatta · 4 years
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जानें सेक्स के बाद क्यों बढ़ता है वजन.....
शादी के बाद अक्सर लोगों का वज़न बढ़ जाता है | आपने भी शायद ध्यान दिया होगा कि शादी के 3 से 6 महीने के भीतर ही आपका भी थोड़ा वज़न बढ़ा था और दोस्तों ने इसका कारण सेक्स बताया था |आपने उनकी बात पर विश्‍वास कर लिया था, लेकिन उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुए थे | तो इसके पीछे क्या है सही कारण और कौन है ज़िम्मेदार सेक्स या कुछ और आइए जानते हैं|
अगर आप सोचते हैं कि सेक्स के कारण वज़न बढ़ता है, तो यह बिल्कुल ग़लत है | यह एक बहुत बड़ा भ्रम है | वज़न बढ़ने का सेक्स से कोई कनेक्शन नहीं है, पर आपके सेक्स हार्मोंस से है | सेक्स हार्मोंस में असंतुलन के कारण ही वज़न बढ़ता है | क्योंकि सेक्स अपने आप में एक बेहतरीन वर्कआउट है | इससे कैलोरीज़ बर्न होती हैं, इसलिए इसका आपके वज़न बढ़ने से कोई संबंध नहीं |
क्यों असंतुलित होते हैं हार्मोंस?
हार्मोंस के असंतुलन के कई कारण हो सकते हैं, जैसे- जेनेटिक्स, स्ट्रेस, डायट, लाइफस्टाइल, अन्य हार्मोंस आदि | सेक्स हार्मोंस एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरॉन, टेस्टोस्टेरॉन और डीएचइए आदि | इसके अलावा महिलाओं में बढ़ते वज़न का कारण पीसीओडी या प्रीमैच्योर पेरीमेनोपॉज़ भी हो सकता है |
जानें सेक्स हार्मोंस के बारे में…….
डीएचइए: यह एक ऐसा हार्मोन है, जो महिलाओं व पुरुषों के सेक्स हार्मोंस के लिए बहुत ज़रूरी माना जाता है | इसकी कमी के कारण भी वज़न बढ़ता है |
एस्ट्रोजन: महिलाओं की ओवरीज़ और एड्रेनल ग्लैंड से मिलनेवाले इस हार्मोन के कारण भी महिलाओं का वज़न बढ़ता है |
प्रोजेस्टेरॉन: यह भी एस्ट्रोजन की तरह ही काम करता है. महिलाओं की सेक्सुअल मैच्योरिटी को बढ़ाने के साथ ही यह प्रेग्नेंसी के लिए महिलाओं के शरीर को मज़बूत बनाता है |अगर शरीर में प्रोजेस्टेरॉन की कमी है, तो एस्ट्रोजन अनियंत्रित हो जाता है, जिसके कारण वज़न बढ़ना है |
हार्मोंस असंतुलित होेने के लक्षण
– कमर और जांघों के पास फैट्स जमा होना – पीरियड्स की डेट का आगे-पीछे होना – हॉॅट फ्लैशेज़ – वेजाइना का ड्राई होना – नींद न आना – मूड स्विंग्स – सेक्स ड्राइव में कमी आना – एंज़ायटी या डिप्रेशन
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onlyhindinewstoday · 4 years
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Hormone Balance Can Disturber In PCOD, Try To Be Happy - पीसीओडी में हार्मोन का संतुलन बिगड़ता, खुश रहें व तनाव से बचें
Hormone Balance Can Disturber In PCOD, Try To Be Happy – पीसीओडी में हार्मोन का संतुलन बिगड़ता, खुश रहें व तनाव से बचें
सवाल-कुछ समय से बदबूदार डिस्चार्ज हो रहा है। पेट में हल्का दर्द भी रहता है। इलाज भी बताइए? कई महिला पाठक
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पीसीओडी में हार्मोन का संतुलन बिगड़ता, खुश रहें व तनाव से बचें
सवाल-कुछ समय से बदबूदार डिस्चार्ज हो रहा है। पेट में हल्का दर्द भी रहता है। इलाज भी बताइए? कई महिला पाठक जवाब-संभवत: ये पैल्विक इंफेक्शन के लक्षण हैं। इसे पैल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज कहते हैं। इसमें हाइजीन का विशेष ध्यान…
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पीसीओडीकेलक्षण (Symptoms of PCOD)
पीसीओडी एक एंडोक्रिनोलॉजिकल स्थिति है जो मासिक धर्म, प्रजनन क्षमता और आपके समग्र रूप को प्रभावित करती है। यह हार्मोन की शिथिलता के कारण होने वाली एक आनुवंशिक स्थिति है। भारत में, 5 में से 1 महिला PCOD से प्रभावित है।
महिलाओं को अन्य लक्षणों का अनुभव हो सकता है जिनमें तैलीय त्वचा या मुहांसे, बालों का पतला होना, या गर्भवती होने में कठिनाई ऐसी समस्याएं शामिल हैं।
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merisahelimagazine · 4 years
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पीसीओडी (PCOD)/पीसीओएस (PCOS) से घर बैठे छुटकारा पाने के लिए करें ये 4 योगासन (4 Effective Yoga Poses To Treat PCOD/PCOS At Home)
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पीसीओडी (PCOD) यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसीज़ या सिंड्रोम. यह महिलाओं में पाया जानेवाला बहुत ही सामान्य रोग है और बहुत बड़ी संख्या में (लगभग 90 लाख) युवा महिलाएं इससे पीड़ित हैं. हैरानी की बात यह है कि इनमें से भी 60% को यह पता नहीं रहता कि उन्हें यह रोग है. एक व़क्त था जब यह मिडल एज डिसीज़ मानी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा. इस रोग में महिलाओं में सेक्स हार्मोंस के असंतुलन के चलते ओवरी में सिस्ट यानी गांठें बन जाती हैं, जिस वजह से गर्भधारण में समस्या होती है. ग़लत खानपान, तनाव, मोटापा, डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर आदि के कारण भी पीसीओडी की समस्या हो जाती है. लेकिन योग के ज़रिए आप इस समस्या से निजात पा सकती हैं. योग से आपके पीरियड्स व हार्मोंस संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी. इस वीडियो में 4 योगासन बताए गए हैं- पश्‍चिमोत्तानासन, धनुरासन, सर्वांगासन और हलासन, ये 4 योगासन करके आप पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) से आसानी से छुटकारा पा सकती हैं.
कम उम्र की लड़कियों को भी हो रहा है पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) आज की भागदौड़ भरी और तनाव भरी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा हमारी सेहत प्रभावित हो रही है. जो रोग पहले 40-50 की उम्र में होते थे, वो रोग अब बच्चों को भी होने लगे हैं. महिलाओं में भी बड़ी उम्र में पाया जानेवाला रोग पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) अब कम उम्र की लड़कियों में भी दिखाई देने लगा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है ग़लत लाइफस्टाइल, गलत खानपान, तनाव, मोटापा आदि.
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पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) के लक्षण 1) अनियमित पीरियड्स यानी मासिक धर्म समय पर न आना 2) चेहरे, छाती, पेट, पीठ पर अधिक बाल उगना 3) अचानक वज़न बढ़ जाना 4) मां न बन पाना 5) इमोशनल इंबैलेंस यानी बेवजह चिंता, तनाव, चिड़चिड़ापन, भावुक हो जाना आदि 6) स्किन ऑयली हो जाना, चेहरे पर पिंपल्स, दाग-धब्बे हो जाना, बार-बार डैंड्रफ हो जाना 7) कई महिलाओं को ओवरी में सिस्ट भी हो जाता है
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पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) को नज़रअंदाज़ करना ठीक नहीं है. पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) के बारे में पता चलते ही इसका इलाज ज़रूर कराएं. साथ ही अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर आप पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) से जल्दी ही छुटकारा पा सकती हैं.
1) हेल्दी खाना खाएं और जंक फूड से परहेज करें. 2) नियमित रूप से योग, ध्यान और एक्सरसाइज़ करें. 3) रात में जल्दी सोएं और सुबह जल्दी उठें. 4) तनाव से दूर रहें. 5) अच्छी किताबें पढ़ें, अच्छा संगीत सुनें, अपने शौक के लिए समय निकालें. 6) मोटापा न बढ़ने दें. 7) पीसीओडी (PCOD) / पीसीओएस (PCOS) के बारे में पता चलते ही अपना इलाज कराएं.
पीसीओडी से घर बैठे छुटकारा पाने के लिए करें ये 4 योगासन, देखें वीडियो:
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पीसीओएस क्यों और कैसे होता है? जानिए विस्तार मै (PCOS kya hai in Hindi)
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पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) तब होता है जब आपके अंडाशय, आपके शरीर का वह हिस्सा जो अंडे बनाता है, बहुत अधिक हार्मोन द्वारा अवरुद्ध हो जाता है। सामान्य महिला हार्मोन के बजाय, आपका शरीर अधिक पुरुष हार्मोन (एण्ड्रोजन) बनाने लगता है, जिससे आपके अंडाशय में छोटे तरल पदार्थ से भरी थैली, जिन्हें सिस्ट कहा जाता है, बनने लगती हैं। इससे आपके हार्मोन का संतुलन गड़बड़ा जाता है और गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है। हालाँकि, पीसीओएस केवल अंडाशय के बारे में नहीं है; इसका चयापचय स्वास्थ्य, प्रजनन क्षमता और मनोवैज्ञानिक कल्याण पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।
पीसीओएस का अर्थ (The Meaning of PCOS)
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक ऐसी स्थिति है जो एक महिला के हार्मोन के स्तर को प्रभावित करती है, जिससे मासिक धर्म चक्र में अनियमितताएं और डिम्बग्रंथि अल्सर सहित कई अन्य लक्षण हो सकते हैं। सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन शीघ्र निदान और उपचार, साथ ही वजन घटाने से टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग जैसी दीर्घकालिक जटिलताओं के जोखिम को कम किया जा सकता है।
पीसीओएस अंडाशय और हार्मोन को कैसे प्रभावित करता है (How PCOS affects ovaries and hormones)
पीसीओएस क्या होता है ये तो अभी आपने जान ही लिया है तो अब इस स्थिति की विशेषता अंडाशय पर कई छोटे रोमों की वृद्धि है। यह हार्मोन असंतुलन का कारण बनता है, जिससे कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे अनियमित मासिक धर्म, मुँहासा और हिर्सुटिज़्म (शरीर पर अत्यधिक बाल)।
पीसीओएस के लक्षण (Symptoms of PCOS)
पीसीओएस के लक्षण अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं:
•        मासिक धर्म की अनियमितता या अनुपस्थिति
•        ओव्यूलेशन की कमी या अनियमित ओव्यूलेशन के कारण गर्भवती होने में कठिनाई
•        चेहरे या शरीर पर अत्यधिक बाल उगना, जिसे हिर्सुटिज़्म कहा जाता है
•        वजन बढ़ना
•        बालों का पतला होना और सिर के बालों का झड़ना
•        मुँहासे और तैलीय त्वचा
•        अवसाद, चिंता और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो चिकित्सकीय सलाह लेना महत्वपूर्ण है। किफायती उपचार विकल्पों के लिए नवी मुंबई के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र best IVF centre in Navi Mumbai पर जाएँ।
संभावित भावनात्मक लक्षण (Possible Emotional Symptoms)
पीसीओएस सिर्फ एक प्रजनन स्वास्थ्य समस्या नहीं है; यह किसी महिला की भावनात्मक भलाई पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। पीसीओएस से पीड़ित कई महिलाएं अवसाद, कम आत्मसम्मान, चिंता और खाने संबंधी विकारों का अनुभव करती हैं।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? (When to See a Doctor)
आपको डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? यदि आप ऐसे लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं जो पीसीओएस का संकेत दे सकते हैं, तो चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण है। शीघ्र निदान और इलाज कराने से लक्षणों को प्रबंधित करने और मधुमेह और हृदय रोग जैसी संभावित दीर्घकालिक समस्याओं से बचने में बड़ा अंतर आ सकता है। साथ ही जाने पीसीओडी क्या है और कैसे होता है। यदि अनियमित मासिक धर्म, बालों का अत्यधिक बढ़ना या गर्भधारण करने में कठिनाई जैसे लक्षण आपके दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से मिलने में संकोच न करें। बेहतर उपचार विकल्पों के लिए, नवी मुंबई में हमारे विशेषज्ञ आईवीएफ विशेषज्ञों (IVF specialists in Navi Mumbai) से परामर्श करने पर विचार करें।
पीसीओएस के कारण (Causes of PCOS)
पीसीओएस का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन कई कारक इसमें भूमिका निभा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
•        अतिरिक्त इंसुलिन: इंसुलिन वह हार्मोन है जो अग्न्याशय द्वारा स्रावित होता है और कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए चीनी का उपयोग करने की अनुमति देता है; जाहिर तौर पर आपने यह पहले भी सुना होगा, लेकिन वास्तव में इसका मतलब क्या है? आनुवंशिकता: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि शायद पीसीओएस का विकास आनुवंशिक कारकों पर आधारित है। जब इंसुलिन कोशिकाओं में ठीक से काम नहीं कर पाता है, तो रक्त शर्करा के साथ-साथ इंसुलिन का उत्पादन भी बढ़ सकता है। इंसुलिन का असामान्य उत्पादन तब एण्ड्रोजन का उत्पादन भी शुरू कर सकता है, जो संभवतः ओव्यूलेशन समस्या में योगदान दे सकता है।
•        निम्न-श्रेणी की सूजन: यह तब होता है जब श्वेत रक्त कोशिकाएं संक्रमण से लड़ने के लिए पदार्थों का उत्पादन करती हैं। यह सूजन एण्ड्रोजन के स्तर को बढ़ाने में योगदान कर सकती है।
•        आनुवंशिकता: अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ विशेष जीन पीसीओएस का कारण बन सकते हैं।
पीसीओएस का निदान और उपचार (Diagnosis and treatment of PCOS)
पीसीओएस का निदान करने के लिए, डॉक्टरों को अन्य स्थितियों को बाहर करने की आवश्यकता होती है जो समान लक्षण पैदा कर सकती हैं। यह आमतौर पर मासिक धर्म चक्र और लक्षणों सहित एक विस्तृत चिकित्सा इतिहास लेने और पीसीओएस के लक्षणों, जैसे शरीर पर अतिरिक्त बाल और उच्च रक्तचाप, को देखने के लिए एक शारीरिक परीक्षा करके किया जाता है। तो, यदि आप नवी मुंबई में हैं और सर्वोत्तम देखभाल की तलाश में हैं, तो शहर में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र की जांच करने पर विचार क्यों न करें? हमारा यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर बिल्कुल वही हो सकता है जिसकी आपको विशेषज्ञ मार्गदर्शन और सहायता के लिए आवश्यकता है।
सामान्य उपचार दृष्टिकोण (General Treatment Approach)
हालाँकि पीसीओएस (PCOS) का कोई इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। उपचार व्यक्ति की चिंताओं के आधार पर भिन्न हो सकता है, जैसे कि बांझपन, बालों का झड़ना, मुँहासा, या मोटापा। सामान्य उपचारों में शामिल हैं:
•        मासिक धर्म को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं
•        एण्ड्रोजन स्तर को कम करने के लिए जन्म नियंत्रण गोलियाँ
•        त्वचा पर एण्ड्रोजन के प्रभाव को रोकने के लिए एंटी-एण्ड्रोजन दवाएं
•        इंसुलिन के स्तर को प्रबंधित करने के लिए मेटफॉर्मिन
•        यदि गर्भावस्था वांछित हो तो प्रजनन उपचार
•        आहार और व्यायाम सहित जीवनशैली में संशोधन
पीसीओएस के लिए प्रतिबंध रणनीतियाँ (Prevention Strategies for PCOS)
हालाँकि आप पीसीओएस को रोकने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, लेकिन आप पीसीओएस के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद के लिए कदम उठा सकते हैं। उदाहरण के लिए:
•        हृदय-स्वस्थ आहार लें
•        नियमित व्यायाम की आदत लगाए और स्वस्थ वजन पर स्थित रहे
•        धूम्रपान से बचें
•        अपने स्वास्थ्य पर नज़र रखने के लिए नियमित जांच कराते रहें
•        जोखिम कारकों को शीघ्र पहचानें और उनका उपचार करें
पीसीओएस के प्रकार (Types of PCOS)
पीसीओएस क्या है और पीसीओएस कई प्रकार के होते हैं, और ये विविधताएं लक्षणों और उपचार विकल्पों को प्रभावित कर सकती हैं। यह समझने से कि आपकी स्थिति किस प्रकार की हो सकती है, आपकी स्थिति को प्रबंधित करने के लिए अधिक अनुकूलित दृष्टिकोण में मदद मिल सकती है:
•        इंसुलिन प्रतिरोधी पीसीओएस
•        अधिवृक्क पीसीओएस
•        सूजन संबंधी पीसीओएस
पीसीओएस विविधताएँ लक्षणों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं (How PCOS variations can affect traits)
पीसीओएस से पीड़ित कुछ महिलाओं में इस स्थिति का पारिवारिक इतिहास होता है, जो आनुवंशिक प्रवृत्ति का संकेत देता है। कुछ लोगों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम या इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है, जिससे अन्य स्थितियों के अलावा मधुमेह और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
पीसीओएस और आहार (PCOS and Diet)
अच्छा पोषण पीसीओएस के प्रबंधन में बड़ी भूमिका निभा सकता है। एक स्वस्थ आहार इंसुलिन के नियमन में सुधार कर सकता है और वजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। नियमित शारीरिक गतिविधि के साथ-साथ फलों, सब्जियों और दुबले प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार फायदेमंद होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
निष्कर्ष में पीसीओएस (PCOS) सामान्य होने के साथ-साथ बहुत जटिल स्थिति है जो महिलाओं के जीवन पर भारी प्रभाव डाल सकती है। इस गाइड में साझा की गई जानकारी पीसीओएस को समझने और उससे प्रबंधन की शुरुआत मात्र है। यदि आपको लगता है कि आपको पीसीओएस हो सकता है, तो व्यक्तिगत योजना के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
अतिरिक्त सहायता और संसाधनों के लिए, अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करें या पीसीओएस समुदाय से जुड़ें। याद रखें, आप इस यात्रा में अकेले नहीं हैं, और सही ज्ञान और समर्थन के साथ, पीसीओएस का प्रबंधन संभव है।
इसके अलावा, किफायती उपचार और विशेषज्ञ देखभाल चाहने वालों के लिए, नवी मुंबई में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF centre in Navi Mumbai) के रूप में मान्यता प्राप्त यशोदा आईवीएफ सेंटर का दौरा करने पर विचार करें। डॉक्टरों की हमारी विशेष और अनुभवी टीम आपको पीसीओएस में चुनौतियों से उबरने और प्रजनन के संबंध में अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करेगी।
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jagdishivf · 4 years
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mp3lyricsstuff · 4 years
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Easy And Quick Weight Loss Diet Tips in Hindi | Diabetes and Weight Loss | Vajan Kaise Kam Kare | How To Lose Weight Fast | Eat These Foods for Breakfast to Lose Weight Faster
Easy And Quick Weight Loss Tips: अगर आप भी तेजी से वजन कम करना चाह रहे हैं, लेकिन वजन कम करने के लिए भोजन (Weight Loss Diet) में खूब सारे बदलाव करने के बाद भी आप वजन कम करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं, तो यकीनन आप वजन कम करने के लिए घरेलू नुस्‍खे (Home Remedies) या उपाय तलाशने लगे होंगे. तेजी से वजन कम (Lose Weight Fast) करने का लक्ष्‍य उस समय और भी मुश्‍किल हो जाता है जब आप ब्‍लड शुगर (Blood Sugar) से जुड़ी समस्‍या यानी की डायबिटीज से (Diabetes) जूझ रहे हों. डायबिटीज को कंट्रोल (Control Diabetes) करने और वजन घटाने (How To Lose Weight) के लिए अगर आप भी संघर्ष कर रहे हैं, तो यहां है एक ऐसा उपाय, ज‍िसे अपनाकर आप तेजी से वजन भी घटा पाएंगे और ब्‍लड शुगर लेवल भी कंट्रोल (Control Blood Sugar Level) रहेगा. 
What Is PCOD, PCOS: क्या है पीसीओडी या पीसीओएस, प्रकार, लक्षण और कारण
Attention Girls! ये हैं वो 6 काम जो पीरियड्स में नहीं करने चाहिए…
तेजी से वजन कम करने और ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए कैसा हो नाश्‍ता और डिनर ( For Weight Loss and Better Glucose Control Eat a Big Breakfast)
यदि आप रात में भरपेट खाना करने के बजाए इसे हल्का करें और सुबह हल्का नाश्ता करने के बजाए अगर इसे भरपेट करें, तो आप वजन कम (Weight Loss) करने के साथ-साथ हाई ब्लड शुगर (High Blood Sugar) को भी नियंत्रित कर सकते हैं. एक नए शोध में यह बात सामने आई है. जर्मनी स्थित लुबेक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि रात्रि के स्थान पर सुबह शरीर खाना अच्छे से पचाने में मदद करता है. यह शोध द जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉ��िज्म में प्रकाशित हुआ है.
शोधकर्ताओं के अनुसार, जब हम एब्जॉर्पशन, डाइजेशन, ट्रांस्पोट और पोषक तत्वों के भंडारण के लिए भोजन पचाते हैं तब हमारा शरीर ऊर्जा का विस्तार करता है.
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छह महीने के बच्चे को कोरोनावायरस, तस्‍वीरें हो रहीं Viral, पिता हैं विदेश में, मां भी संक्रमित…
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Weight Loss and Better Glucose Control: तेजी से वजन कम करने और ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए खाएं हेवी ब्रेकफास्‍ट.
डाइट-इंड्यूस्ड थर्मोजेनेसिस (डीआईटी) के रूप में चर्चित इस प्रक्रिया में इस बात का माप होता है कि हमारा चयापचय कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है और कैसे यह भोजन के आधार पर भिन्न हो सकता है.
लुबेक विश्वविद्यालय की कॉरेस्पोंडेंस लेखक जूलियन रिचटर ने कहा, “हमारे परिणामों से पता चलता है कि नाश्ते में खाया जाने वाला भोजन, इसमें मौजूद कैलोरी की मात्रा की परवाह किए बिना, डिनर में किए गए भोजन की तुलना में दो बार उच्च आहार-प्रेरित थर्मोजेनेसिस बनाता है.”
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उन्होंने कहा, “इस शोध से अच्छे से नाश्ता करने के महत्व का पता चलता है.”
तेजी से वजन कम करने के लिए नाश्‍ते में क्‍या खाएं (Eat These Foods for Breakfast to Lose Weight Faster)
1. तेजी से वजन घटाने के लिए अपने आहार में दालों को शामिल करें. दालों में कोलेस्ट्रॉल और वसा भी कम या न के बराबर हैं. इनमें फाइबर और प्रोटीन होता है जो वजन कम करने में मददगार है. 
2. वजन घटाने और मोटापा करने के लिए अपनी डाइट में फलों को जगह दें. वजन कम करने के लिए आहार में फलों को शामिल किया जा सकता है. फलों में कम फैट होता है या फिर बिलकुल ही फैट नहीं होता. यह आपकी वेट लॉस डाइट में बहुत अच्‍छी तरह फ‍िट हो सकते हैं.
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3. तेजी से वजन कम करने के लिए भोजन में शामिल करें सब्‍ज‍ियां. हरी पत्तेदार सब्जियां में वसा नहीं होती और यह आयरन व फाइबर से भरपूर होती हैं. जो पेट भरा रहने का अहसास कराते हैं. यह ब्रेकफास्‍ट और लंच के बीच क्रेविंग को कंटोल करने मे मदद करते हैं. 
(इनुपट-आईएएनएस) 
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ankurpandit96-blog · 5 years
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पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या “पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर” एक ऐसी आरोग्य स्थिति है जो आमतौर पर रिप्रोडक्टिव उम्र  कीमहिलाओं में हॉर्मोनल असंतुलन के कारण पाई जाती है । पीसीओडी में अंडाशय की बाहरी दीवार पर गाँठ बन जाती है जिसकी वज़ह से महिलाके हॉर्मोन स्तर में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है | इस हार्मोनल असंतुलन की वज़ह से महिला अनियमित या अत्यधिक  माहवारी जैसी  परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है | पीसीओडी के अन्य कुछ लक्षण है चेहरे पर बाल आना, मुहांसे और तैलीय त्वचा, बालो का झड़ना इत्यादि | इसके अलावा उच्च  रक्तचाप, मधुमेह दूसरे हॉर्मोन्स का असंतुलन भी इसके बढ़ने पर हो सकते हैं।
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