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#मटर
khutkhuta · 1 year
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क्या पकाते वक़्त मटर पड़ जाती है पीली; अपनाएं यह ट्रिक
हरी मटर की सब्जी किसे पसंद नहीं, खासकर सर्दियों में? मटर पनीर हो या मटर पुलाव या मटर का निमोना, मिक्स वेज, मटर की कचोरी या परांठा और ना जाने कितनी चीज़ें जिनमें हरी हरी मटर बहुत स्वादिष्ट लगती है। लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि पकाते वक़्त मटर का रंग पीला पड जाता है। क्या आपके साथ भी होता है ऐसा? अगर हाँ तो आपको एक ऐसी ट्रिक बताते हैं जिससे पकने के बाद भी मटर के दाने एकदम हरे रहेंगे। मटर को एक प्रेशर…
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BBL 2022: 103 मीटर लंबा तूफानी छक्का डग लगाकर जड़ दिया गेंद, देखें VIDEO
BBL 2022: 103 मीटर लंबा तूफानी छक्का डग लगाकर जड़ दिया गेंद, देखें VIDEO
बीबीएल 2022: सिडनी थंडर बनाम होबार्ट हरीकेन्स बिग बैश लीग के 22वें मुकाबले में टीमें आमने-सामने हैं। इस मैच में सिडनी थंडर ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 20 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 228 रन बनाए। एलेक्स हेल्स ने 77 रन बनाए जबकि ओलिवर डेविस ने 65 रन की तूफानी पारी खेली। वाह। एलेक्स रॉस ने मैदान से 103 मीटर छक्का लगाकर राक्षस को लॉन्च किया! #बीबीएल12 #हाहाटफीलिंग…
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hindie24bollywood · 1 year
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चोखा रेसिपी: लिट्टी से बनाएं हरी मटर का यह खास चोखा, स्वाद दोगुना हो सकता है
चोखा रेसिपी: लिट्टी से बनाएं हरी मटर का यह खास चोखा, स्वाद दोगुना हो सकता है
चोखा पकाने की विधि: सर्दी के मौसम में हरी मटर आसानी से मिल जाती है। फिर आप इसकी सब्जी जरूर बनाएं या कुछ और, इसका स्वाद सबसे अलग होता है. ऐसे में अगर हम इसे अपनी डेली डिशेज में शामिल कर लें तो फिर क्या फायदा। सर्दियों में भी खाने से चीजों का मजा कई गुना बढ़ जाता है. ऐसे में अगर आप भी हरे मटर से बनी आसान रेसिपी ट्राई करना चाहते हैं तो यह लेख आपके काम आ सकता है। स्वादिष्ट आलू मटर का चोखा सिर्फ 5…
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sabkuchgyan · 2 years
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Save Electricity Bill: आधा होगा बिजली का बिल, बस इस सस्ते उपकरण को मीटर के पीछे फिट करें
Save Electricity Bill: आधा होगा बिजली का बिल, बस इस सस्ते उपकरण को मीटर के पीछे फिट करें
Save Electricity Bill: मानसून के मौसम में बाहर की हवा ठंडी होती है, लेकिन घरों में नमी बनी रहती है। नमी के कारण एसी और कूलर का ज्यादा इस्तेमाल होता है। ऐसे में बिजली का बिल ज्यादा आता है। आज हम आपको एक ऐसे डिवाइस के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपके बिजली बिल को आधा कर देगा। इसे लगाने से कई फायदे होंगे। शॉर्ट सर्किट नहीं होगा और बिजली के उपकरण क्षतिग्रस्त नहीं होंगे। आइए जानते हैं इस डिवाइस के…
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studycarewithgsbrar · 2 years
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पंजाबी अंदाज में बनाएं मटर कुलचा, जानिए स्वादिष्ट रेसिपी - Punjab News Latest Punjabi News Update Today
पंजाबी अंदाज में बनाएं मटर कुलचा, जानिए स्वादिष्ट रेसिपी – Punjab News Latest Punjabi News Update Today
मटर-कुलचा रेसिपी: पंजाबी लोगों को खाने का बहुत शौक होता है छोले उनकी फेवरेट डिश है. छोले के साथ भटूरे या कुलचे की क्या बात है? ऐसे में अगर आप भी छोटा कुलचा खाना चाहते हैं और कुलचे के साथ कोई नई डिश ट्राई करना चाहते हैं तो मटर कुलचा खा सकते हैं. हालांकि कई लोगों की शिकायत होती है कि बाजार जैसे मटर के कुलचे घर में नहीं बनते हैं। तो आज हम आपको मटर कुलचे बनाने की एक ऐसी रेसिपी के बारे में बताने जा…
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dailyhantnews · 2 years
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क्या मेट्रो डेट्रॉइट में एक और कारवां वेंडिंग मशीन आ रही है?
क्या मेट्रो डेट्रॉइट में एक और कारवां वेंडिंग मशीन आ रही है?
ऑबर्न हिल्स, डेट्रॉइट के उत्तरी उपनगरों में से एक, “कार वेंडिंग मशीन” के लिए राज्य में संभावित दूसरे स्थान के रूप में चुना गया है। कारवां कंपनी. फीनिक्स-आधारित यूज्ड कार ई-कॉमर्स कंपनी, जो इस वर्ष के अधिकांश समय के लिए पैसे खो रही है, ने एक 12-मंजिला स्टील-और-ग्लास टॉवर बनाने के लिए एक विकास आवेदन प्रस्तुत किया है जो इस्तेमाल की गई कारों का प्रदर्शन करेगा। औबर्न हिल्स शहर के सामुदायिक विकास विभाग…
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mwsnewshindi · 2 years
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पोषण विशेषज्ञ अपने दैनिक आहार में फाइबर जोड़ने के आसान तरीके सुझाते हैं
पोषण विशेषज्ञ अपने दैनिक आहार में फाइबर जोड़ने के आसान तरीके सुझाते हैं
अधिक खाना फाइबर दैनिक आधार पर लंबे समय में एक स्वस्थ बना सकते हैं। रक्त शर्करा में वृद्धि को रोकने से लेकर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने तक, एक उच्च फाइबर आहार कई जीवन शैली की बीमारियों का प्रबंधन और रोकथाम भी कर सकता है। फाइबर हमारे आंत माइक्रोबायोम के लिए एकदम सही पोषक तत्व है और हर दिन इसका 30 ग्राम सेवन करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, हम में से अधिकांश लोग अपने दैनिक आहार में इतना…
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foodwada · 3 months
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अगर सर्दियों में रहना हैं सेहतमंद तो जरूर ट्राई करें ये पांच सूप
अगर सर्दियों में रहना हैं सेहतमंद तो जरूर ट्राई करें ये पांच सूप
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pratimamaurya · 5 months
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उत्तर प्रदेश का स्पेशल हरा भरा चूरा मटर रेसिपी / Chura Matar Recipe
पोहा रेसिपी पूरे भारत में आम तौर पर नाश्ते के व्यंजनों को बनाने के लिए उपयोग किया जाता हैं। सबसे बड़ी खासियत यह की पोहा या चूरा से बनने वाली जितनी भी रेसिपी है बहुत जल्दी से बन जाती है मुश्किल से १/२ घंटे में रेसिपी बन के तैयार. साथ में चूरा हमारी हेल्थ के लिए भी अच्छा होता है मुख्या रूप से शुगर पेशेंट के लिए . आज की हराभरा चूरा मटर रेसिपी उन्ही में से एक है। हराभरा चूरा मटर उत्तर भारत में सर्दियों में बनने वाली पॉपुलर रेसिपी में से एक है सर्दियों में जब हरी मटर आसानी से उपलब्ध रहता है हरे मसाले से बनाई हुए यह रेसिपी बहुत पसंद की जाती है इसलिए यह रेसिपी सर्दियों में ज्यादा बनाई जाती है इसे लोकप्रिय रूप से बनारसी पोहा या चूड़ा मटर पोहा के रूप में भी जाना जाता है और आमतौर पर स्ट्रीट फूड के रूप में परोसा जाता है।
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sanjayiglesias · 1 year
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यदि आप घर पर मटर पनीर बनाना चाहते हैं तो इस आसान रेसिपी के अनुसार बनाएं। हमारी हिंदी में Matar Paneer Recipe in Hindi से जानें इसे कैसे बनाएं।
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aushadhiauryog1 · 1 year
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गाबा के बाहर क्रिस लिन के 117 मीटर के छक्के का वीडियो वायरल हो रहा है
गाबा के बाहर क्रिस लिन के 117 मीटर के छक्के का वीडियो वायरल हो रहा है
क्रिस लिन का 117 मीटर का छक्का: जिस तरह भारतीय आईपीएल के दीवाने हैं, उसी तरह आस्ट्रेलियाई भी बिग बैश लीग के लिए दीवाने हैं, जहां हर मैच देखने के लिए क्रिकेट प्रशंसक स्टेडियम में उमड़ते हैं। बिग बैश लीग के कई पुराने वीडियो वायरल होते हैं इनमें क्रिस लिन का एक ऐसा ही वीडियो ट्रेंड में है। लिन ने गाबा की गेंद पर 117 मीटर लंबा छक्का जड़ा बिग बैश लीग के मैचों का रोमांच अब क्रिकेट प्रेमियों के सिर…
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trendingwatch · 1 year
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नियमित पराठा से ऊब गए हैं? मटर पराठा की इस आसान मटर की रेसिपी को देखें
नियमित पराठा से ऊब गए हैं? मटर पराठा की इस आसान मटर की रेसिपी को देखें
भारतीय व्यंजन, यहाँ तक कि नियमित सब्ज़ी, दाल और करी भी, आपको विभिन्न खाद्य संयोजनों के साथ प्रयोग करने की आज़ादी देते हैं। और पराठे अलग नहीं हैं। वे फ्लैटब्रेड के सबसे सरल रूपों में से एक हैं, और दुनिया भर में लगभग हर संस्कृति का अपना संस्करण है। रैप्स और सैंडविच से लेकर सोपिंग सूप और स्ट्य�� तक, फ्लैटब्रेड आपके सभी भोजन के लिए एक सर्व-उद्देश्यीय संगत है। साधारण चपाती और रुमाली से लेकर मिस्सी रोटी…
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merikheti · 2 years
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परती खेत में करें इन सब्जियों की बुवाई, होगी अच्छी कमाई
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सितंबर महीने में अपने परती पड़े खेत में करें इन फली या सब्जियों की बुवाई
भारत के खेतों में मानसून की शुरुआत में बोयी गयी खरीफ की फसलों को अक्टूबर महीने की शुरुआत में काटना शुरू कर दिया जाता है, पर यदि किसी कारणवश आपने खरीफ की फसल की बुवाई नहीं की है और जुलाई या अगस्त महीने के बीत जाने के बाद सितंबर में किसी फसल के उत्पादन के बारे में सोच रहे हैं, तो आप कुछ फसलों का उत्पादन कर सकते है, जिन्हें मुख्यतः सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
मानसून में बदलाव :
सितंबर महीने के पहले या दूसरे सप्ताह में भारत के लगभग सभी हिस्सों से मानसून लौटना शुरू हो जाता है और इसके बाद मौसम ज्यादा गर्म भी नहीं रहता और ना ही ज्यादा ठंडा रहता है। इस मौसम में किसी भी सीमित पानी की आवश्यकता वाली फसल की पौध को वृद्धि करने के लिए एक बहुत ही अच्छी जलवायु मिल सकती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में इस्तेमाल आने वाली सब्जियों की बुवाई मुख्यतः अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह या फिर सितंबर में की जाती है।ये भी पढ़ें: भारत मौसम विज्ञान विभाग ने दी किसानों को सलाह, कैसे करें मानसून में फसलों और जानवरों की देखभाल
कृषि क्षेत्र से जुड़ी इसी संस्थान की एडवाइजरी के अनुसार, भारत के किसान नीचे बताइए गई किसी भी फली या सब्जियों का उत्पादन कर सितंबर महीने में भी अपने परती पड़े खेत से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
मटर की खेती
 15 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में के साथ 400 मिलीमीटर की बारिश में तैयार होने वाली यह सब्जी दोमट और बलुई दोमट मिट्टी में उगाई जा सकती है।
मानसून के समय अच्छी तरीके से पानी मिली हुई मिट्टी इसके उत्पादन को काफी बढ़ा सकती है।अपने खेत में दो से तीन बार जुताई करने के बाद इसके बीज को जमीन से 2 से 3 सेंटीमीटर के अंदर दबाकर उगाया जा सकता है।मटर की खेती से संबंधित पूरी जानकारी और बीमारियों से इलाज के लिए यह भी देखें : जानिए मटर की बुआई और देखभाल कैसे करें
पालक की खेती
वर्तमान में उत्तरी भारत में पालक के लगभग सभी किसानों के द्वारा हाइब्रिड यानी कि संकर बीज का इस्तेमाल किया जाता है।
40 से 50 दिन में पूरी तरह से तैयार होने वाली यह सब्जी किसी भी प्रकार की मिट्टी में आसानी से उगाई जा सकती है, हालांकि इसकी पौध लगाने से पहले किसानों को मिट्टी की अम्लता की जांच जरूर कर लेनी चाहिए।
25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य बेहतर उत्पादन देने वाली यह सब्जी पतझड़ के मौसम में सर्वाधिक वृद्धि दिखाती है।
प्रति हेक्टेयर 20 से 30 किलोग्राम बीज की मात्रा से बुवाई करने के तुरंत बाद खेत की सिंचाई कर देनी चाहिए।पालक की खेती के दौरान खेत को तैयार करने की विधि और इस फसल में लगने वाले रोगों से निदान के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए, यह भी देखें :पालक की खेती की सम्पूर्ण जानकारी
पत्ता गोभी की खेती
सितंबर महीने के पहले या दूसरे सप्ताह में शुरुआत में नर्सरी में पौध उगाकर 20 से 40 दिन में खेत में पौध को स्थानांतरित कर उगायी जा सकने वाली यह सब्जी भारत में लगभग पूरे वर्ष भर इस्तेमाल की जाती है। 70 से 80 दिनों के अंतर्गत पूरी तरह तैयार होने वाली यह फसल पोषक तत्वों से भरपूर और अच्छी सिंचाई वाली मिट्टी में आसानी से बेहतरीन उत्पादकता प्रदान कर सकती है।
ड्रिप सिंचाई विधि तथा उर्वरकों के सीमित इस्तेमाल से इस फसल की पत्तियों की ग्रोथ काफी तेजी से बढ़ती है।
15 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में तैयार होने वाली यह सब्जी की फसल जब तक कुछ पत्तियां नहीं निकालती है, अच्छी मात्रा में पानी की मांग करती है।
इस फसल की खास बात यह है कि इससे बहुत ही कम जगह में अधिक पैदावार की जा सकती है, क्योंकि इसके दो पौध के मध्य की दूरी 30 सेंटीमीटर तक रखनी होती है, इस वजह से एक हेक्टेयर में लगभग 20 हज़ार से 40 हज़ार छोटी पौध लगायी जा सकती है।पत्ता गोभी फसल तैयार करने की संपूर्ण जानकारी और इसकी वृद्धि के दौरान होने वाले रोगों के निदान के लिए, यह भी देखें : पत्ता गोभी की खेती की सम्पूर्ण जानकारी
बैंगन की खेती
भारत में अलग-अलग नामों से उगाई जाने वाली यह सब्जी 15 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान के मध्य अच्छी उत्पादकता प्रदान करती है। हालांकि, इस सब्जी की खेती खरीफ और रबी की फसल के अलावा पतझड़ के समय भी की जाती है। अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में उगने वाली यह फसल अम्लीय मिट्टी में सर्वाधिक प्रभावी साबित होती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार एक हेक्टेयर क्षेत्र में बैंगन उत्पादित करने के लिए लगभग 400 से 500 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इन बीजों को पहले नर्सरी में तैयार किया जाता है और उसके बाद खेत को अच्छी तरीके से तैयार कर 50 सेंटीमीटर की दूरी रखते हुए बुवाई जाती है।
ऑर्गेनिक खाद और रासायनिक उर्वरकों के सीमित इस्तेमाल से 8 से 10 दिन के अंतराल पर बेहतरीन सिंचाई की मदद से भारत के किसान काफी मुनाफा कमा रहे है।बैंगन की फसल से जुड़ी हुई अलग-अलग किस्म और वैज्ञानिकों के द्वारा जारी की गई नई विधियों की संपूर्ण जानकारी के लिए, यह भी देखें : बैंगन की खेती साल भर दे पैसा
मूली की खेती
सितंबर से लेकर अक्टूबर के महीनों में उगाई जाने वाली यह सब्जी बहुत ही जल्दी तैयार हो सकती है। पिछले कुछ समय में बाजार में बढ़ती मांग की वजह से इस फसल का उत्पादन करने वाले किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे है।
15 से 20 सेंटीग्रेड के तापमान में अच्छी उत्पादकता देने वाली यह फसल उपजाऊ बलुई दोमट मिट्टी में अपनी अलग-अलग किस्मों के अनुसार प्रभावी साबित होती है। किसान भाई कृषि विज्ञान केंद्र से अपनी खेत की मिट्टी की अम्लीयत या क्षारीयता की जांच अवश्य कराएं, क्योंकि इस फसल के उत्पादन के लिए खेत की पीएच लगभग 6.5 से 7.5 के मध्य होनी चाहिए।
सितंबर के महीने में अच्छी तरीके से खेत को तैयार करने के बाद गोबर की खाद का इस्तेमाल कर, 10 से 12 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज की बुवाई करते हुए उचित सिंचाई प्रबंधन के साथ अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है।मूली की फसल में लगने वाले कई प्रकार के रोग और इसकी अलग-अलग किस्मों की जलवायु के साथ उत्पादकता का पता लगाने के लिए, यह भी देखें :मूली की खेती (Radish cultivation in hindi)
लहसुन की खेती
ऊटी 1 और सिंगापुर रेड तथा मद्रासी नाम की अलग-अलग किस्म के साथ उगाई जाने वाली लहसुन की फसल लगभग 12 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में बोयी जाती है। पोषक तत्वों से भरपूर और अच्छी तरह से सिंचाई की हुई मिट्टी इस फसल की उत्पादकता के लिए सर्वश्रेष्ठ साबित होती है।
प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में 500 से 600 किलोग्राम बीज के साथ उगाई जाने वाली यह खेती कई प्रकार के रोगों के खिलाफ स्वतः ही कीटाणुनाशक की तरह बर्ताव कर सकती है।
बलुई और दोमट मिट्टी में प्रभावी साबित होने वाली यह फसल भारत में आंध्र प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के अलावा गुजरात राज्य में उगाई जाती है।
वर्तमान में भारतीय किसानों के द्वारा लहसुन की गोदावरी और श्वेता किस्मों को काफी पसंद किया जा रहा है। इस फसल का उत्पादन जुताई और बिना जुताई वाले खेतों में किया जा सकता है।
पहाड़ी क्षेत्र वाले इलाकों में सितंबर के महीने को लहसुन की बुवाई के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, जबकि समतल मैदानों में इसकी बुवाई अक्टूबर और नवंबर महीने में की जाती है।लहसुन की फसल से जुड़ी हुई अलग-अलग किस्म और जलवायु के साथ उनकी प्रभावी उत्पादकता को जानने के अलावा, इस फसल में लगने वाले रोगों के निदान के लिए यह भी देखें : लहसुन को कीट रोगों से बचाएं
अरुगुला सब्जी की खेती
भारत के किसान भाई इस फसल के बारे में कम ही जानकारी रखते है, परंतु अरुगुला (Arugula) सब्जी से होने वाली उत्पादकता से कम समय में काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसे भारत में गारगीर (Gargeer) के नाम से जाना जाता है।यह एक तरीके से पालक के जैसे ही दिखने वाली सब्जी की फसल होती ह��� जो कि कई प्रकार के विटामिन की कमी को दूर कर सकती है। पिछले कुछ समय से उत्तरी भारत के कुछ राज्यों में इस सब्जी की डिमांड बढ़ने की वजह से कई युवा किसान इसका उत्पादन कर रहे है।
सितंबर महीने के दूसरे सप्ताह में बोई जाने वाली यह सब्जी वैसे तो किसी भी प्रकार की मिट्टी में अच्छा उत्पादन दे सकती है, परंतु यदि मिट्टी की ph 7 से अधिक हो तो यह अधिक प्रभावी साबित होती है।
पानी के सीमित इस्तेमाल और जैविक खाद की मदद से इस फसल की वृद्धि दर को काफी तेजी से बढ़ाया जा सकता है।
इस सब्जी की फसल की छोटी पौध 7 से 10 दिन में अंकुरित होना शुरू हो जाती है।
बहुत ही कम खर्चे पर तैयार होने वाली यह फसल 30 दिन में पूरी तरीके से तैयार हो सकती है।
दक्षिण भारत के राज्यों में इसकी बुवाई सितंबर महीने के दूसरे सप्ताह में शुरू हो जाती है, जबकि उत्तरी भारत में यह अक्टूबर महीने के पहले सप्ताह में बोयी जाती है।
इस फसल के उत्पादन में बहुत ही कम सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है परंतु फिर भी नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम के सीमित इस्तेमाल से उत्पादकता को 50% तक बढ़ाया जा सकता है।ये भी पढ़ें: अगस्त में ऐसे लगाएं गोभी-पालक-शलजम, जाड़े में होगी बंपर कमाई, नहीं होगा कोई गम
आशा करते हैं कि Merikheti.com के द्वारा किसान भाइयों को सितंबर महीने में बुवाई कर उत्पादित की जा सकने वाली फसलों के बारे में दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी और यदि आप भी किसी कारणवश खरीफ की फसल का उत्पादन नहीं कर पाए है तो खाली पड़ी हुई जमीन में इन सब्जी की फसलों का उत्पादन कर कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकेंगे।
Source परती खेत में करें इन सब्जियों की बुवाई, होगी अच्छी कमाई
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studycarewithgsbrar · 2 years
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घर पर खाएं मटर मशरूम का मसाला, चाटेंगी उंगलियां - Punjab News Latest Punjabi News Update Today
घर पर खाएं मटर मशरूम का मसाला, चाटेंगी उंगलियां – Punjab News Latest Punjabi News Update Today
मटर मशरूम मसाला: मशरूम और मटर कई पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इन दोनों सब्जियों को मिलाकर एक बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किया जा सकता है। मटर मशरूम मसाला आपने बाहर किसी होटल या रेस्टोरेंट में खाया होगा, लेकिन क्या आपने कभी घर पर यह रेसिपी ट्राई की है? अगर नहीं तो इस नुस्खे को एक बार घर पर जरूर ट्राई करें। आइए जानते हैं मटर मशरूम का मसाला घर पर कैसे बनाते हैं? मटर मशरूम मसाला कैसे बनाते…
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dailyhantnews · 2 years
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सुबारू का त्रैमासिक लाभ उत्पादन मीटर के रूप में...
सुबारू का त्रैमासिक लाभ उत्पादन मीटर के रूप में…
टोक्यो – सुबारू नवीनतम तिमाही में मुनाफे में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई क्योंकि जापानी कार निर्माता ने खोए हुए उत्पादन को पुनः प्राप्त किया, बिक्री को बढ़ावा दिया और अनुकूल विनिमय दरों को भुनाया। CFOKatsuyuki मिज़ुमा अमेरिका की उभरती मंदी के बारे में चिंता एक तरफ, सुबारू वाहनों की अमेरिकी मांग मजबूत बनी हुई है, और कंपनी वहां लगभग 50,000 बैक ऑर्डर भरने के लिए दौड़ रही है। सीमित उत्पादन…
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