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#राम नाम सत्य है क्यों बोला हैं
amitgopal390 · 1 year
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राम नाम सत्य है क्यों बोला जाता है?
राम नाम सत्य है क्यों बोला जाता है? इस नश्वर संसार में कोई भी इंसान अमर नहीं है। हर जन्म लेने वाले प्राणी को आखिरकार इस दुनिया से विदा लेना पड़ता है। जब किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है तो आपने देखा होगा कि शव यात्रा के दौरान साथ में चलने वाले लोग राम नाम सत्य है बोलते हैं। ऐसा लोग क्यों करते हैं और इसके पीछे की वजह क्या है, आइए जानते हैं। राम नाम सत्य हैं क्यों कहा जाता हैं? हमारे हिंदू धर्म में…
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jyotishwithakshayg · 5 months
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शव यात्रा के पीछे राम नाम बोलने की कहानी
एक समय कि बात है, जब तुलसीदास अपने गांव में रहते थे। वह हमेशा राम की भक्ति में लिप्त रहते थे। उनको घर वालों ने और गांव गाँव वालों ने ढोंगी कह कर घर से बाहर निकाल दिया, तो तुलसीदास गंगा जी के घाट पर रहने लगे। वही प्रभु की भक्ति करने लगे।
जब तुलसीदास रामचरितमानस की रचना शुरू कर रहे थे, उसी दिन उसके गांव में एक लडके की शादी हुई, और वो लडका अपनी नववधु को लेकर अपने घर आया। रात को किसी कारण वश उस लडके की मृत्यु हो गई। लडके के घर वाले रोने लगे। सुबह होने पर सब लोग लडके को अर्थी पर सजाकर शमशान घाट ले जाने लगे, तो उस लडके की पत्नी भी सती होने की इच्छा से अपने पति की अर्थी के पीछे पीछे जाने लगी। लोग उसी रास्ते से जा रहे थे, जिस रास्ते में तुलसीदास जी रहते थे। लोग जा रहे थे तो लडके की पत्नी की नजर तुलसीदास जी पर पडी।उस नववधु ने सोचा अपने पति के साथ सती होने जा रही हूँ, एक बार इस ब्राह्मण देवता को प्रणाम कर लेती हूँ वह नववधु नहीं जानती थी, कि ये तुलसीदास जी है।
उसने तुरंत तुलसीदास को पैर छुकर प्रणाम किया तुलसीदास ने उसे अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया तब सब लोग हँसने लगे, और बोले - तुलसीदास हम तो सोचते थे, तुम पाखंडी हो, लेकिन तुम तो बहुत बडे मूर्ख भी हो इस लडकी का पति मर चुका है। यह अखण्ड सौभाग्यवती कैसे हो सकती है……सब बोलने लगे, तू भी झुठा, तेरा राम भी झुठा।
तुलसीदास जी बोले, हम झुठे हो सकते हैं, लेकिन मेरे राम कभी भी नहीं झुठे हो सकते है। सबने बोला :- तब प्रमाण दो।
तुलसीदास जी ने अर्थी को रखवाया, और उस मरे हुये लडके के पास जाकर उसके कान में बोला -राम नाम सत्य है। ऐसा एक बार बोला तो लडका हिलने लगा। दूसरी बार फिर बोला तुलसीदास जी ने लडके के कान में - राम नाम सत्य है लडका थोडा सचेत हुआ। तुलसीदास जी ने फिर तीसरी बार उस लडके के कान में बोला- राम नाम सत्य है तो मृतक लडका अर्थी से नीचे उठ कर बैठ गया।
सभी को बहुत आश्चर्य हुआ, कि मृतक कैसे जीवित हो सकता है। सबने तुलसी दास को सिद्ध सन्त मान लिया। तुलसीदास जी के चरणों में दण्डवत प्रणाम करके माफी मांगने लगे।
तुलसीदास जी बोले, अगर आप लोग यहाँ इस रास्ते से नहीं जाते, तो मेरे राम के नाम को सत्य होने का प्रमाण कैसे मिलता ये तो सब हमारे राम की लीला है उसी दिन से मृतक के पीछे राम नाम सत्य है बोलने की प्रथा चल पड़ी..!!
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इस वाणी को कबीर साहेब जी ने
वर्तमान समय के लिए बोला था, आज स्वंय कबीर साहेब जी ही संत रामपाल जी महाराज के रूप में धरती पर आकर अपनी वाणी को सच कर रहे हैं
🛸04 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कबीर परमेश्वर का हिन्दू- मुस्लिम, सभी धर्मों को विशेष संदेश🛸
कबीर साहेब जी को जनसाधारण, एक संत, कवि मानता है जब कि वे वास्तव में पूर्ण परमात्मा हैं
जो अपने ऋतधाम (सतलोक) से आकर, अपने सत्य ज्ञान का प्रचार शब्दों, दोहों, साखियों, कविताओं के माध्यम से करते हैं।
परमेश्वर कबीर साहेब सशरीर गुरु, संत या अवतार (संदेशवाहक) के रूप में आते हैं तथा कुछ समय संसार में मानव जैसा जीवन जीकर दिखाते हैं। उस समय चल रहे कुभक्ति मार्ग को अपने ज्ञान शब्द-साखियों के माध्यम से प्रमाणित करते हैं।
कबीर परमेश्वर सभी धर्मों के लोगों को संदेश देते हुए कहते हैं,
हिंदू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, आपस में सब भाई-भाई। आर्य-जैनी और बिश्नोई, एक प्रभु के बच्चे सोई।।
कबीर परमेश्वर ने कहा है कि, आप हिंदू-मुस्लिम, सिक्‍ख-ईसाई, आर्य- बिश्नोई, जैनी आदि-आदि धर्मों में बंटे हुए हो। लेकिन सच तो यह है कि आप सब एक ही परमात्मा के बच्चे हो।
हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना।
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।।
भावार्थ: परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि हिन्दू, राम के भक्त हैं और तुर्क (मुस्लिम) को रहमान प्यारा है। इसी बात पर दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा पहुंचे, तब भी दोनों में से कोई सच को न जान पाया।
हिन्दू मुस्लिम दोनों भुलाने, खटपट मांय रिया अटकी |
जोगी जंगम शेख सेवड़ा, लालच मांय रिया भटकी।।
भावार्थ- हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही आज ईश्वर-पथ से भटक गए हैं, क्योंकि इन्हें कोई सही रास्ता बताने वाला नहीं है। पंडित, मौलवी, योगी और फ़क़ीर सब सांसारिक मोह-माया और धन के लालच में फंसे हुए हैं। वास्तविक ��श्वर-पथ का ज्ञान जब उन्हें खुद ही नहीं है तो वो आम लोगों को क्या कराएंगे।
जब कि वास्तव में,
"जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा,
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।"
हम सभी की जीव जाति है यानी हम सभी परमात्मा की प्यारी जीव आत्माएं है और सर्व प्रथम हमारा मानव धर्म ही सबसे बड़ा धर्म है। चाहे आज हम तत्वज्ञान के अभाव में अज्ञानता वश किसी भी जाति या धर्म में क्यों ना बंटे हुए हो। वास्तव में हम सभी एक ही परमात्मा के बच्चे हैं।
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manish1008 · 1 year
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🍂 #राम_नाम_सत्य_है🔥🙏🏽 राम नाम सत्य है ये बोलना कब से शुरू हुआ मुरदे के पिछे राम नाम सत्य है ऐसा क्यों बोला जाता है एक समय कि बात जब तुलसीदास अपने गांव में रहते थे वो हमेशा राम कि भक्ति मे लिन रहते थे उनको घरवाले ने और गांव वाले ने ढोंगी कह कर घर से बाहर निकाल दिया तो तुलसीदास गंगा जी के घाट पर रहने लगे वही प्रभु की भक्ति करने लगे जब तुलसीदास रामचरितमानस की रचना शुरू कर रहे थे उसी दिन उसके गांव में एक लडके की शादी हुई और वो लडका अपनी दुल्हन को लेकर घर अपने घर आया और रात को किसी कारण वश उस लडके कि मृत्यु हो गई लडके के घर वाले रोने लगे सुबह होने पर सब लोग लडके को अर्थी पर सजाकर शमशान घाट ले जाने लगे तो उस लडके कि दुलहन भी सती होने कि इच्छा से अपने पति के अर्थी के पीछे पीछे जाने लगे लोग उसी रास्ते से जा रहे थे जिस रास्ते में तुलसीदास जी रहते थे लोग जा रहे थे तो जो लडके की दुल्हन की नजर तुलसीदास पर पडी तो उस दुल्हन से सोची अपने पति के साथ सती होने जा रही हुँ एक बार इस ब्राह्मण देवता को प्रणाम कर लेती हुँ वो दुल्हन नहीं जानती थी कि ये तुलसीदास है उसने तुरंत तुलसीदास को पैर छुकर प्रणाम किया तो तुलसीदास ने उसे अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया तो सब लोग हँसने लगे और बोला रे तुलसीदास हम तो सोचते थे तुम पाखंडी हो लेकिन तुम तो बहुत बडे मूर्ख भी हो इस लडकी की पति मर चुका है ये अखण्ड सौभाग्यवती कैसे हो सकती है सब बोलने लगे तुम भी झुठा तेरा राम भी झुठा तुलसीदास जी बोले हम झुठे हो सकते हैं लेकिन मेरे राम कभी भी नहीं झुठा हो सकता है तो सबने बोला प्रमाण दो तो तुलसीदास जी ने अर्थी को रखवाया और उस मरे हुये लडके के पास जाकर उसके कान में बोला राम नाम सत्य है ऐसा एक बार बोला तो लडका हिलने लगा दुसरा बार फिर तुलसीदास ने लडके के कान में बोला राम नाम सत्य है लडका को थोडा अचेत और आया तुलसीदास फिर तीसरी बार उस लडके के कान में बोला राम नाम सत्य है और वो लडका अर्थी से निचे उठ कर बैठ गया सभी को बहुत आश्चर्य हुआ कि मरा हुआ कैसे जीवित हो सकता है सबने मान लिया और तुलसीदास के चरणों में दण्डवत प्रणाम करके माफी मांगने लगा तो तुलसीदास जी बोले अगर आपलोग यहाँ इस रास्ते से नहीं जाते तो मेरे राम के नाम को सत्य होने का प्रमाण कैसे मिलता ये तो सब हमारे राम कि लिला है उसी दिन से ये प्रथा चालु हो की मुर्दे के पिछे राम नाम सत्य है जय सियाराम 🙏🙏 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 https://www.instagram.com/p/CoAa-l3vomz/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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manojdasblog · 2 years
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🪔कबीर साहेब की मगहर लीला🪔
कबीर, राम रटत कोढ़ी भलो, चू-चू पड़े जो चाम।
सुंदर देहि किस काम की, जा मुख नाहीं नाम।।
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं जो हर युग में आते रहे हैं जिसकी गवाही हमारे धर्म ग्रंथ भी देते हैं। उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, पाखंड, मूर्ति पूजा, छुआछूत तथा हिंसा का विरोध किया। साथ ही हिन्दू -मुस्लिम में भेदभाव का पुरजो़र खंडन किया। इसी तरह इस अंधविश्वास को मिटाने के लिए कि आखिरी समय में मगहर (Maghar) में प्राण त्यागने वाला नरक जाएगा, अपने अंत समय में काशी से चलकर मगहर आए। जिसके बाद सबकी धारणा बदल गई।
कबीर साहिब जी ताउम्र काशी में रहे। परंतु 120 वर्ष की आयु में काशी से अपने अनुयायियों के साथ मगहर के लिए चल पड़े। 120 वर्ष के होते हुए भी उन्होंने 3 दिन में काशी से मगहर का सफर तय कर लिया। उन दिनों काशी के कर्मकांडी पंडितों ने यह धारणा फैला रखी थी कि जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा और जो काशी में मरेगा वह सीधा स्वर्ग जाएगा।
मगहर पहुंचने पर कबीर साहिब जी ने बिजली खाँ पठान से कहा कि , “मैं स्नान करूंगा”। इस पर बिजली खाँ पठान ने कहा “आपके लिए स्वच्छ जल ला रखा है गुरूवर”, परंतु कबीर जी ने कहा कि मैं बहते पानी (दरिया) में स्नान करूंगा।
बिजली खाँ पठान ने बताया कि यहां पास ही ‘आमी नदी’ है जो भगवान शिव के श्राप से सूखी पड़ी है। परमेश्वर कबीर जी ने नदी की और चलने का इशारा किया और नदी में पानी पूरे वेग से बहने लगा। वहां पर खड़े सब लोगों ने “सतगुरु देव की जय के जयकारे” लगाने शुरू कर दिए। आज भी मगहर में वह आमी नदी बहती है।  
परमेश्वर कबीर साहब ने दो चादर मंगवाई और आदेश दिया कि एक चादर नीचे बिछाओ और दूसरी चादर साथ में रख दो। उसे मैं अपने ऊपर ओढूँगा।
परमेश्वर कबीर साहब ने बिजली खाँ पठान और बीर सिंह बघेल से पूछा, आप दोनों यहाँ अपनी अपनी सेनाएं क्यों लेकर आए हैं? इस पर दोनों शर्मसार हो गए और गर्दन नीची कर ली। जो कबीर साहेब से दीक्षित नहीं थे उन्होनें कहा कि, हम आपके शरीर छोड़ने के बाद आपके शरीर का अंतिम संस्कार हमारे धर्म के अनुसार क���ेंगे चाहे इसके लिए हमें लड़ाई ही क्यों ना करनी पड़े।
इस पर परमेश्वर कबीर साहिब ने सबको डांटते हुए बोला कि इतने दिनों में तुमको मैंने यहीं शिक्षा दी है। साथ ही समझाया कि दफनाने और जलाने में कोई अंतर नहीं है। मरने के बाद ये शरीर मिट्टी है जो मिट्टी में ही मिल जाएगा।
कबीर परमात्मा का शरीर नहीं बल्कि वहां सुगन्धित फूल मिले, जिसको दोनों राजाओं ने आधा-आधा बांट लिया। दोनों धर्मों के लोग आपस में गले लग कर खूब रोए। परमात्मा कबीर जी ने इस लीला से दोनों धर्मों का वैरभाव समाप्त किया।
वर्तमान समय में मगहर में कबीर जी की याद में मुस्लिम लोगों ने मज़ार और हिंदुओं ने समाधि बनाई हुई है। जिसमें मात्र सौ फीट की दूरी का अंतर है। समाधि के भवन की दीवारों पर कबीर के दोहे उकेरे गए हैं। इस समाधि के पास ही एक मंदिर भी है। इसके इलावा कुछ फूल लाकर एक चौरा (चबूतरा) जहां बैठकर कबीर साहेब सत्संग किया करते थे वहां काशी-चौरा नाम से यादगार बनाई गई है जहां अब बहुत बड़ा आश्रम है।
कबीर जी की याद में बने मंदिर तथा मस्जिद एक बहुत बड़े उदाहरण हैं। आज भी यहां के हिंदू तथा मुस्लिम एक दूसरे के साथ बहुत प्रेम से रहते हैं तथा कबीर जी के बताए मार्ग पर चलते हैं।
आज के समय में संत रामपाल जी महाराज जी ही कबीर जी द्वारा बताई हुई सत्य साधना हमारे धर्म ग्रंथों से प्रमाणित करके बताते हैं। संत रामपाल जी महाराज ने कलयुग में कबीर जी को परमेश्वर सिद्ध कर दिया है। हमारे सभी धर्म ग्रंथ भी इसकी गवाही देते हैं कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी ही हैं जिनकी भक्ति करने से मोक्ष प्राप्ति संभव है। इसलिए अपना और समय व्यर्थ ना गवांकर संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा प्राप्त करें तथा अपना कल्याण करवाएं।
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veritywhoopers-blog · 5 years
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"बाबा राम रहीम और आस्था: एक सामाजिक विश्लेषण" सत्य घटना पर आधारित #BabaRamRahim #Conviction #Panchkula
बैंगलोर में कार्यरत गंगानगर निवासी निमिष छुट्टियाँ मनाने घर आया हुआ था। अपनां के बीच कुछ वक्त बिताकर दो दिन बाद फ्लाइट से वापसी की तैयारी थी। सारा परिवार एक साथ हॉल में टेलीविज़न देखने में मसरूफ था, तभी न्यूज़ चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज़ फ्लैश करने लगी "गंगानगर इलाके में कर्फ्यू" -- वजह थी डेरा सच्चा सौदा के सन्त राम रहीम को जेल होने के बाद भड़की हिंसा। निमिष के मुँह के भाव एकदम बदल गए और वह गुस्से से लाल हो गया और अनाप शनाप कहने लगा कि बाबा की वजह से समाज को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आखिर क्यों ये सन्त समाज के लिए जरूरी हैं? बाबा के पीछे लोग इतने अंधभक्त कैसे हो सकते हैं? क्या वाकई ये सन्त हमारे समाज को अच्छी दिशा देने का काम कर रहे हैं? और भी न जाने क्या क्या.. एक दिन और गुज़रा... प्रशासन द्वारा कर्फ्यू में थोड़ी ढील दे दी गई। निमिष सुकून महसूस कर रहा था कि चलो समयानुसार वापसी सम्भव हो पाएगी। पर संतों की समाज में आवश्यकता और तमाम विवादों के बावजूद उनकी स्वीकार्यता के विचार अब भी उसके जहन में गूंजे जा रहे थे कि आखिर क्या कारण रहा होगा लाखों लोग बाबा का साथ छोड़ने को तैयार नही हैं? वापसी का दिन भी आ गया... निमिष ने घर वालों से विदा लेकर एयरपोर्ट के लिए बस पकड़ी। बीच रास्ते में उसकी बराबर की सीट पर एक व्यक्ति आकर बैठा जो चहरे से काफी मायूस सा नज़र आ रहा था और तभी कोई छोटा मोटा नशा खरीदकर उसे लेने के लिए ऐसे उत्सुक था मानो अरसे से कोई नशा न ले पाया हो। निमिष एक जिज्ञासु स्वभाव का नौजवान था। उससे रहा नही गया और वह उससे मायूसी का कारण पूछ बैठा। आँखों में नमी लिए अधेड़ उम्र का वह व्यक्ति निमिष का सवाल सुनकर एक पल के लिए चौंका और फिर कांपते हुए हाथों से अपने आंसू पोंछते हुए बोला कि कुछ समय पहले मज़दूरी के सिलसिले में डेरा सच्चा सौदा आना हुआ था और उस माहौल में रहकर दो महीने पहले उसने गुरुजी से गुरुमंत्र लेकर उसका जाप करना शुरू किया। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में उसका नशा और बाकी सब बुराइयाँ अपने आप ही दूर होती गईं। जिंदगी पटरी पर आने लगी थी और वह अब पहले से ज्यादा शांति, सुकून और संतुष्टि महसूस करने लगा था। आत्मविश्वास का बीज जमने लगा था और वह जिंदगी में पहली बार आईने में खुद की छवि में एक नेक इंसान देख पा रहा था। लेकिन तभी दो दिन पहले चढ़ते सूरज की तरह तरक्की करने वाले डेरे में सब कुछ थम सा गया। मजबूरीवश उसे भी कुछ सही राह नज़र न आने के कारण किसी दूसरे रोज़गार की तलाश में प्रस्थान करना पड़ा। आज वह उस जन्नत जैसे से माहौल से बाहर निकला तो नशे की तलब जाग उठी और सब कुछ दोबारा शून्य हो गया। उसने बताया कि वो ऐसा अकेला नही है, बल्कि बाबा अपने हर सत्संग में उसके जैसे हज़ारों लाखों लोगों को बुराइयों से दूर रहने और एक आदर्श जीवन अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे। नशा व्यापारी, धर्म के नाम पर पैसा लूटने वाले ठग, फिल्मो में अश्लीलता परोसकर समाज को गलत दिशा देने वाले भारतीय सभ्यता के दुश्मन, वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देने वाले बिचौलिए और भी न जाने कितने बुराईयों के ठेकेदारों से दुश्मनी मोल ले चुके थे। उसकी उदासी ने साफ बयां किया कि अब कुछ समय के लिए ही सही, कम से कम जब तक ऊपरी अदालतों से सच सामने नहीं आ जाता, समाज फिर से बुराई में लिप्त हो जाएगा। अब तक निमिष को समझ आ चुका था कि संत समाज के लिए क्यूँ जरूरी हैं? आखिर वो ही तो समाज को जोड़े रखने की कड़ी होते हैं। उनके कारण ही समाज सही राह पर चलता है। वो ही आम सरकारों द्वारा लागू न कराए जा सकने वाले भले कार्यों को बड़ी आसानी से बड़ी संख्या में लोगों द्वारा मनवा सकने में सक्षम होते हैं। किसी ने कहा भी है कि आग लगी आकाश में, झर झर पड़त अंगार.. संत न होते जगत में तो जल मरता संसार... (उपरोक्त संस्मरण सत्य घटना पर आधारित है) -- @VerityWhoopers #RoohKiAwaaj #TruthUnheard #TruthBeyondVision #TruthThatMatters
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ഹിന്ദുമതത്തിൽ, രാമ നാമം ഒരു വിത്ത് അക്ഷരമായി കണക്കാക്കപ്പെടുന്നു. ഈ മന്ത്രം ജപിച്ചാൽ പാപങ്ങളിൽനിന്നും ദുഷ്കർമങ്ങളിൽനിന്നും മോചനം ലഭിക്കും. കലിയുഗത്തിൽ ശ്രീരാമനാമമാണ് ജീവിതത്തിന്റെ അടിസ്ഥാനം, ശ്രീരാമനാമം ശ്രവിക്കുകയും ജപിക്കുകയും ചെയ്താൽ മാത്രമേ കലിയുഗത്തിൽ അസ്തിത്വത്തിന്റെ സമുദ്രം കടന്ന് ഇറങ്ങാൻ കഴിയൂ, രാമനാമം സത്യമാണ്." അത് മറ്റൊന്നിൽ പറയുന്നില്ല. സന്ദർഭങ്ങൾ അല്ലെങ്കിൽ സന്ദർഭങ്ങൾ, എന്നാൽ ശവസംസ്കാര വേളയിൽ മാത്രം, എന്തുകൊണ്ടാണ് ഇത് സംഭവിക്കുന്നത് എന്ന് പലപ്പോഴും നിങ്ങളുടെ മനസ്സിൽ വന്നിട്ടുണ്ടാകണം, അതിനാൽ അതിനെക്കുറിച്ച് വിശദമായി നോക്കാം, എന്തുകൊണ്ടാണ് ഇതിനെ അവസാന യാത്ര എന്ന് വിളിക്കുന്നത്, രാമനാമത്തിന്റെ സമയത്ത് സത്യമാണ് | രാം നാം സത്യ ഹേ, സംസ്‌കാര കഥകൾ, ഗരുഡ പുരാണം #SanskarTales #RamNaamSatyaHai #AntimYatra #AntimSanskar#GarudPuran #Hindikahaniya #हिन्दू धर्म में राम का नाम एक बीज अक्षर माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से पापों और बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है। कलयुग में भगवान राम का नाम ही जीवन का आधार है, श्री राम नाम सुनने और जपने से ही कलयुग में भवसागर के पार उतरा जा सकता है राम नाम सत्य है" इस वाक्य में राम का नाम आता है पर फिर भी इस वाक्य को किसी भी अन्य मौके या अवसर पर नहीं कहा जाता बल्कि केवल अंतिम संस्कार के समय ही इसे बोला जाता है। आपके दिमाग में भी कई बार यह आया होगा कि आखिर ऐसा क्यों होता है तो आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं क्यों बोला जाता है अंतिम यात्रा के समय राम नाम सत्य है | Ram Naam Satya Hai | Sanskar Tales | गरुड़ पुराण #SanskarTales #RamNaamSatyaHai #AntimYatra #AntimSanskar #GarudPuran #Hindikahaniya #BedTimeStory
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sabkuchgyan · 3 years
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शव को शमशान ले जाते क्यों बोला जाता है 'राम नाम सत्य है', आप भी नहीं जानते होगे
शव को शमशान ले जाते क्यों बोला जाता है 'राम नाम सत्य है', आप भी नहीं जानते होगे #Lifestyle
प्राचीन समय से हम देखते और सुनते आ रहे हैं कि जब भी कोई मरता है तो उसके शव को श्मशान ले जाते वक्त उसके परिजन आदि ‘राम नाम सत्य है’ बोलते हुए उसे लेकर जाते हैं। लेकिन इस बोलने के पीछे का असल उद्देश्य कुछ ही लोगों का पता होगा कि आखिर मृत्क के शव यात्रा के समय एेसा क्यों कहा जाता है। इसके बारे में महाभारत के मुख्य पात्र व पांडवों के सबसे बड़े भाई धर्मराज युधिष्ठिर ने एक श्लोक के बारे में बताया है…
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vsplusonline · 4 years
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मध्य प्रदेश: होटल में विधायक और सांसत में कमलनाथ सरकार - Madhya pradesh hotel politics congress alleges poaching of mla by bjp
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मध्य प्रदेश: होटल में विधायक और सांसत में कमलनाथ सरकार - Madhya pradesh hotel politics congress alleges poaching of mla by bjp
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बीजेपी और कांग्रेस का एक दूसरे पर आरोप
कांग्रेस का आरोप- BJP ले गई उसके 8 MLA
मध्य प्रदेश में मंगलवार रात को उस वक्त सरकार पर खतरा मंडराने लगा जब 10 विधायकों के बीजेपी खेमे में जाने की बात आई लेकिन बुधवार को उनके लिए राहत की खबर यह आई कि बस चार विधायक ही बाहर हैं. बाकी सब लौट गए हैं और लौटने वाले विधायकों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से जाकर मुलाकात की.
सरकार को अस्थिर करने के मकसद से विधायकों की खरीद-फरोख्त की साजिश भले ही कामयाब न हुई हो और कांग्रेस को राहत मिल गई हो, मगर अभी इस पर से पर्दा उठना बाकी है कि आखिर इस साजिश के पीछे कौन है. सत्तापक्ष कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस पूरे मामले के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. कांग्रेस आरोप लगा रही है बीजेपी ने कमलनाथ सरकार को गिराने की साजिश रची, जिसे वक्त रहते नाकाम कर दिया गया.
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस का आरोप है कि उसके 8 विधायकों को बीजेपी जबरन ले गई. इनमें से एक बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) विधायक राम बाई भी थीं जिनको मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के दो-दो मंत्रियों जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह ने होटल से निकाला. इस दौरान सादे कपड़ों में हरियाणा पुलिस के अधिकारी से हाथापाई की नौबत भी आ गई.
बता दें, मंगलवार की रात कमलनाथ की नींद तब उड़ गई जब उनकी सरकार को झटका देने के लिए दस विधायक बीजेपी के संपर्क में आ गए. कमलनाथ के सामने चुनौती ये थी कि कैसे बीजेपी के ऑपरेशन कमल को नाकाम करें. इन विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिशों पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर बेहद संगीन आरोप मढ़ दिया.
ये भी पढ़ें: गढ़ में लग गई सेंध, लेकिन ऑपरेशन लोटस से बेपरवाह ज्योतिरादित्य सिंधिया?
कर्नाटक शिफ्ट हुए विधायक?
बीजेपी के संपर्क में चले गए विधायकों में 6 कांग्रेस के, दो बीएसपी के, एक निर्दलीय और एक समाजवादी पार्टी के हैं. कांग्रेस का दावा है कि 6 विधायक उनके पाले में आ गए हैं. यानी बच गए चार जिनमें 3 कांग्रेस के और एक निर्दलीय विधायक हैं. इनके बारे में कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी ने बंधक बना रखा है.
खबर ये भी है कि कुछ विधायकों को कर्नाटक में शिफ्ट कर दिया गया है, जहां बीजेपी की सरकार है. मध्य प्रदेश में यह सियासी उठापटक क्यों है, इसे जानने के लिए मध्य प्रदेश विधानसभा का समीकरण समझना जरूरी है.
विधानसभा में विधायकों की संख्या 230 है. इनमें दो विधायकों की मौत के कारण इस वक्त 228 सदस्यों वाली विधानसभा है जिसमें बहुमत के लिए 115 विधायक चाहिए. कांग्रेस के पास इस वक्त 114 विधायक हैं जबकि बीएसपी के दो, समाजवादी पार्टी का एक और 4 निर्दयील विधायकों का समर्थन है. यानी कुल 121 सदस्य हैं. अगर इनमें से 4 विधायकों को कम भी कर दें तो कमलनाथ सरकार के पास 117 विधायक बचते हैं यानी बहुमत का आंकड़ा कायम रहेगा.
सरकार गिराने की बात
वैसे कमलनाथ सरकार बनने के बाद से ही बीजेपी के प्रदेश स्तर के नेता सरकार गिराने की बात करते रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने 24 जुलाई को विधानसभा में कहा था कि ‘हमारे ऊपर वाले नंबर एक या दो का आदेश हुआ तो 24 घंटे भी आपकी (कमलनाथ) सरकार नहीं चलेगी.’
अब सवाल है कि इस वक्त कांग्रेस पर मंडराते इस सियासत के पीछे कौन से कारण काम कर रहे हैं. क्या बीजेपी जोड़ तोड़ से मध्य प्रदेश में सत्ता में आना चाहती है? क्या राज्यसभा चुनाव का मामला है जिसमें कांग्रेस अपनी मौजूदा ताकत से दो लोगों को राज्यसभा में भेज सकती है? क्या कांग्रेस की अंदरुनी लड़ाई ही कमलनाथ सरकार को स्थिर कर रही है?
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कांग्रेस की अंदरुनी लड़ाई
कांग्रेस की अंदरुनी लड़ाई को आप इस बात से समझ सकते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले महीने अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की धमकी दे दी थी. इस पर कमलनाथ का जवाब ये बताने के लिए काफी था कि सिंधिया की धमकियों की कोई क्षमता वे नहीं देखते.
कमलनाथ ने यह भी कहा कि बीजेपी माफिया के साथ मिलकर प्रदेश कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने का असफल प्रयास पिछले कई दिनों से कर रही है. राज्य में ये सभी माफिया बीजेपी के संरक्षण में पिछले 15 साल में पनपे हैं. इसी के साथ कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक ट्वीट में बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि सविंधान को रौंदना बीजेपी का चरित्र बन गया है. जहां जोड़ से बात नहीं बनती वहां तोड़ अपनाने लगते हैं. यह बात हजम नहीं होती कि जनता ने सत्ता से दूर रहने का आदेश दिया है. मध्य प्रदेश में जनादेश के अपहरण का भाजपाई षड्यंत्र कभी सफल नहीं होगा. सत्य परेशा�� हो सकता है पराजित नहीं.
कांग्रेस के इस हमले का बीजेपी ने भी जवाब दिया. बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष वी.डी. शर्मा का कहना है कि इस घटनाक्रम से बीजेपी का कोई लेनादेना नहीं है. ये सब कांग्रेस के अंर्तकलह का नतीजा है और इसका जवाब मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दें. वर्तमान की सरकार ब्लैकमेल सरकार है जो जोड़तोड़ से बनी थी.
निशाने पर राज्यसभा चुनाव
बीजेपी और कांग्रेस इस पूरे घटनाक्रम के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं कमलनाथ सरकार के वनमंत्री उमंग सिंघार के ट्वीट ने अपने ही नेता को घेर लिया है. सिंघार ने ट्वीट कर सरकार को तो सुरक्षित बताया है, मगर अपने ही दल के नेता पर हमला बोला है. यह हमला भी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर होता दिख रहा है.
सिंघार ने ट्वीट कर कहा, “कमलनाथ जी की सरकार पूर्ण रूप से सुरक्षित है, यह राज्यसभा में जाने की लड़ाई है, बाकी आप सब समझदार हैं.” बता दें, मौजूदा सांसद दिग्विजय सिंह का कार्यकाल खत्म हो रहा है. वे दोबारा एक मौका अपने लिए चाहेंगे. दूसरे दावेदार खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं जो पिछले लोकसभा चुनाव में अपने गढ़ में ही हार गए. तीसरा नाम कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ही प्रियंका गांधी का उछाला है. अब देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस का आपसी झगड़ा कहां जाकर रुकता है.
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swamigyan · 5 years
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🔆  क्रांतिबीज़ -91 🔆 दोपहर ढलने को है। आकाश अभी खुला था, फिर जोर की हवाएं आयीं और अब काली बदलियों में वह ढंका जा रहा है। सूरज छिप गया है और हवाओं में ठंडक है। एक फकीर द्वार पर आया है। उसके हाथ में एक तोता है। पिंजरा नहीं है, पर दिखता है कि तोता उड़ना भूल चुका है। आते ही फकीर नहीं, तोता ही बोला है, ' राम कहो, राम कहो, राम... राम... राम। ' मैंने कहा, ' तोता तो अच्छा बोलता है। ' फकीर बोला, ' महाराज, यह तोता बड़ा पंडित है। ' यह सुन मुझे हंसी आ गयी। मैंने कहा, ' होना ही चाहिए, क्योंकि सभी पंडित तोते ही होते हैं। ' यह मुझे बहुत स्पष्ट दिखता है कि ज्ञान सीखने से नहीं आता है और जो सीखने से आता है, वह ज्ञान नहीं है। ज्ञान बुद्धि की उपलब्धि नहीं है। बुद्धि स्मृति है। और स्मृति से नहीं, स्मृति के हट जाने से ज्ञान आता है। जो सीखा जाता है, वह तोता बनाता है। इस तोता-रटन का नाम पांडित्य है ज्ञान के मार्ग में इससे बड़ी और कोई बाधा नहीं है। पांडित्य मृत तथ्यों का संग्रह है। ये तथ्य सब उधार हैं। अनुभूति में इनकी कोई जड़ें नहीं होती हैं। इन मृत तथ्यों से घिरा चित्त, उसके दर्शन नहीं कर पाता है, जो कि ' है ' ! ये तथ्य परदा बन जाते हैं। इस परदे को हटाने पर अज्ञात का उद्घाटन होता है। यह दर्शन ही ज्ञान है। सीखना नहीं --- दर्शन ही ज्ञान है। ग्रन्थ नहीं, तथ्य नहीं --- सत्य-दृष्टि उस उपलब्धि का मार्ग है। सत्य-दर्शन जब होता है, तब पाया जाता है कि ज्ञान तो था ही, केवल उसे देख पाने की दृष्टि हमारे पास नहीं थी। और, इस दृष्टि को पांडित्य के संग्रह से नहीं पाया जा सकता था। इससे आत्म-प्रवंचना भर हो सकती थी। और कुछ भी नहीं। बिना जाने ही यह अहं-तृप्ति हो सकती थी, कि मैं जानता हूं। इसलिए कहा है कि यह जानना कि ' मैं जानता हूं', अज्ञान है। क्यों ? क्योंकि जानने पर पाया जाता है कि मैं हूं ही नहीं। केवल ज्ञान है --- न ज्ञाता है, न ज्ञेय है। यह अद्वैत दर्शन तब होता है, जब सब छोड़कर मैं शून्य हो जाता हूं। सदगुरू ओशो क्रांतिबीज़ - 91 https://www.instagram.com/p/B1jtO-Dl_E6/?igshid=80gt5npcbz39
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ddpkshrma · 5 years
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काल्पनिक कह सकते हो लेकिन हकीकत है ...🙏🙏
राम और श्याम दोनों गहरे दोस्त थे एक दिन राम अपने शहर के जन प्रतिनिधि के पास अपने क्षेत्र की कुछ समस्याएं लेकर गया और बहुत ही खुशी खुशी वापस आया और बोला कि हमारी सभी समस्याओं का समाधान हो गया है श्याम भी बहुत खुश हुआ और उसने उत्सुकता वश उससे पूछा अच्छा तो यह बताओ १.हमारी यह सड़क कब तक बन जायेगी ...कब मिलेगी निजात इन बड़े बडे खड्डों से जबाब:-वह तो नहीं पता परन्तु अब हम सरकारी बसों में मुफ़्त यात्रा कर सकेंगे २. हमारे क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या कब तक दूर हो जायेगी जिससे हम बीमारियों से बच सकें.....? जबाब:-वह तो नहीं पता परन्तु जल्द ही क्षेत्र में छोटे छोटे चिकित्सालय खोले जाएंगे वहाँ हमें मुफ़्त चिकित्सा और दवाइयाँ भी दी जायेगीं ३. विद्यालयों में उचित शिक्षकों की व्यवस्था कब तक हो जायेगी जबाब:-वह तो पता नहीं परन्तु छात्रों की फीस माफ कर दी जायेगी ४. अच्छा अब ये बता बिजली-पानी की आपूर्ति ठीक प्रकार से कब तक सुनिश्चित हो जायेगी जबाब:-वह तो नहीं पता परन्तु बिजली-पानी का बिल काफी हद तक माफ कर दिया जायेगा श्याम:- गुस्से में राम पर बरस पड़ता है और कहता है कि यह नहीं पता वह नहीं पता तो पता क्या है गोबर गणेश बस मुफ़्त का लौलीपौप मिला तो लार टपकाता हुआ वापस आ गया राम:- और में क्या करता, उसमें नुकसान भी क्या है। श्याम:- अगर तेरे घर में कोई बीमार हो जाये या किसी प्रकार की कोई दुर्घटना हो जाये तब भी क्या तू सरकारी बस में जायेगा और सरकारी बसें हैं कितनी, क्या वह रात में भी चलती रहती हैं और वैसे भी खड्डों की वजह से ३० मिनट का सफर २ घण्टे में तय होता है यानी बड़े अस्पताल पहुँचने से पहले ही मरीज का राम नाम सत्य... और तो और इन खराब सड़कों की वजह से प्रतिदिन कोई न कोई मरता है दूसरा दवाई और चिकित्सा मुफ़्त ....अरे कौन अपनी खुशी से बीमार होना चाहता था हम इसलिए बीमार पड़ते हैं कि वातावरण में गंदगी और प्रदूषण है...ये माना चिकित्सा और दवाई मुफ़्त है परन्तु भाई बार-बार बीमार पड़ने से अत्यधिक दवाइयों के सेवन से शारीरिक शक्ति क्षीण होती जाती है जिसकी भरपाई किसी भी प्रकार नहीं की जा सकती तीसरा फीस मुफ़्त....जब विद्यालय में शिक्षक ही नहीं है तो कौन अपने बच्चों को वहाँ भेजेगा और तुझे पता है शिक्षकों का वेतन नहीं दिया जाता समय पर इस वजह से अधिकतर शिक्षक अनुपस्थित रहते हैं अरे अगर बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल रही हो तो अभिभावक कहीं न कहीं से फीस का इंतजाम कर ही लेते हैं। अंत में बिजली- पानी के बिल में माफी....अरे जब माह में कुल मिलाकर सात दिन के हिसाब से बिजली-पानी मिला हो तो बिल ही कितना आयेगा सरकारी पैसे का मतलब पता है तुझे क्या होता है, नहीं पता होगा मैं बताता हूँ " जनता का पैसा जनता के प्रतिनिधियों द्वारा जनता के विकास कार्यों के लिये " मुफ़्त का कहीं कोई प्रावधान नहीं है, हाँ अच्छी और सस्ती सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं। हम जिन लोगों को चुनते है उनका काम ही यह की हमारी समस्याओं को समझकर उसका निवारण करना परन्तु इस तरह का लोभ देकर यह उन समस्याओं से अपना दामन छुड़ा लेते हैं क्योंकि इन्होंने यह धारणा बना रखी है कि अगर सभी समस्याओं का समाधान हो गया तो हमें पूछेगा कौन। राम:- इसमें अपना क्या नुकसान है। श्याम:- भाई मेरे नुकसान तो बहुत हैं परंतु लोभवश हम उनको समझ नहीं पाते....आज की दौड़-भाग भरी जिंदगी में हर व्यक्ति की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं पहली स्वास्थ्य और दूसरी समय.... क्योंकि अगर मनुष्य स्वस्थ है तो वह एक अच्छा जीवन जी सकता है और अगर वह अपना समय बचाने में सक्षम है तो कुछ समय व्यायाम के लिए, कुछ अपने परिवार के लिये और कुछ अपने निजी मनोरंजन के लिये निकाल सकता है और यह तो पूरा विश्व मानता है कि देश की प्रमुख सम्पत्ति उसके नागरिक होते हैं " स्वस्थ नागरिक स्वस्थ नगर स्वस्थ नगर स्वस्थ राज्य स्वस्थ राज्य स्वस्थ देश " अच्छा यह बता तू अपने व्यायाम, परिवार और निजी मनोरंजन को कितना समय दे पाता है राम:- रविवार के सिवा इन सब कामों के लिये मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं है और उस भी दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने में चला जाता है। श्याम:- क्यों तेरा कारखाना तो यहाँ से बीस किलोमीटर दूर है और नौ घंटे काम करने के मान लें तो कुल मिलाकर दस घंटे तू घर से बाहर रहता है बाकी १४ घंटे कहाँ गये भाई क्योंकि दो साल पहले तूने ही कहा था कि तू आधे घंटे में कारखाने पहुँच जाता है। राम:- भाई वो तब की बात है जब सड़क बिल्कुल सही थी तब मेरे पास काफी वक्त बचता था और मेरा स्वास्थ्य भी ठीक रहता था परंतु जैसे जैसे सड़क खराब होती गई यात्रा में ज्यादा समय जाने लगा जो यात्रा पहले ३० मिनट की थी अब वह २:३० मिनट की हो गई है और अब तो स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता और सफर में ही इतनी थकान हो जाती है कि कारखाने में भी सही तरह से काम नहीं हो पाता, छुट्टियों भी बहुत लेनी पड़ती हैं। श्याम:- तेरी स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है फिर भी तुझे खराब सड़कों का नुकसान समझ नहीं आया भाई मेरे खराब सड़कों ने तेरा समय खा लिया और गंदगी और प्रदूषण ने तेरा स्वास्थ्य अब तू ३५ की उम्र में ही ४५ का लगता है....ये मुफ़्त की यात्रा न तो तुझे तेरा समय दे सकती है और न ये मुफ़्त की दवा तुझे स्वास्थ्य और अधिक छुट्टियों की वजह से जो पैसा वेतन से कटा है वह भी नहीं लौटने वाला ... यही समस्या हमारे बच्चों के साथ भी है जब हमारे बच्चों को यहाँ पर अच्छी शिक्षा नहीं मिलेगी तब हमें उन्हें मजबूरन दूसरे शहर भेजना पडेगा इस प्रकार समय और स्वास्थ्य की समस्या उनके साथ भी बनी रहेगी....जब बच्चों का स्वास्थ्य ही सही नहीं रहेगा तो वह किस प्रकार अपना ध्यान शिक्षा पर केंद्रित कर पायेंगे और रात्रि में बिजली न होने की वजह से भी तो उनकी शिक्षा में व्यवधान उत्पन्न होना निश्चित है। मरता क्या न करता फिर बच्चों के अच्छे भविष्य और अच्छे स्वास्थ्य के लिये हमें कैसे भी करके एक ऐसे शहर भेजना पडे़गा जहाँ इस प्रकार का वातावरण हो कि बच्चों की शिक्षा में किसी प्रकार का विघ्न न उत्पन्न हो लेकिन इस व्यवस्था के लिये जो राशि ��र्च होगी वह तो हमें अपने पास से खर्च करनी होगी तो अब बताओ राम मुफ़्त अच्छा है या समस्या का सही निवारण ....वास्तविक स्थिति में मुफ़्त अधिक मंहगा होता है बस हम उस समय इसका आकलन नहीं कर पाते राम:- अब हम कर भी क्या सकते हैं अगर वो लाख कहने पर भी काम न करना चाहें वह इसी तरह की राजनीति करते ही रहेंगे .....मुफ़्त बाँटो और राज करो....बस यही है अलग तरह की राजनीति श्याम:- ज्यादा कुछ नहीं करना बस बदलना होगा " सोच को, समाज को और सरकार को "।............. 🙏🙏
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