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#विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ
mwsnewshindi · 1 year
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विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों की सूची: 5 खाद्य पदार्थ जो आपको इस सर्दी में अपने विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने के लिए खाने चाहिए - जांचें
विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों की सूची: 5 खाद्य पदार्थ जो आपको इस सर्दी में अपने विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने के लिए खाने चाहिए – जांचें
एक उष्णकटिबंधीय देश में रहने के बावजूद, पिछले कुछ वर्षों में भारतीयों में विटामिन डी की कमी की रिपोर्ट करने वाले लोगों की संख्या में बड़ी वृद्धि देखी गई है। जबकि जीवनशैली काफी हद तक जिम्मेदार है, सर्दियों में जब सूरज की रोशनी कम होती है तो समस्या और बढ़ जाती है। सही खाद्य पदार्थों का चयन करना महत्वपूर्ण है जो आपके विटामिन डी के स्तर को बढ़ाएंगे। आइए सर्दियों के कुछ अद्भुत खाद्य पदार्थों को देखें…
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गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक भोजन
डॉक्टर द्वारा महिलाओं के गर्भावस्था के दौरान बहुत खास ख्याल रखने के लिए कहा जाता है महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य दोनों के बारे में ख्याल रखना होता है इसके लिए महिलाओं को रहन-सहन और स्वस्थ भोजन करने की सलाह दी जाती है महिला को गर्भावस्था के दौरान अपने खानपान का खास तौर से ध्यान रखना होता है क्योंकि खान-पान का असर उसके बच्चे पर पड़ता है और उसका शारीरिक विकास में सुधार होता है सही खान-पान के नहीं होने से बच्चे की शारीरिक विकास पर असर पड़ सकता है।
इसके लिए महिलाओं को सभी उपयोगी और पोषक तत्व वाली चीजों का सेवन करना चाहिए।  महिलाओं को समय-समय पर खानपान में बदलाव करना चाहिए और उन्हें जरूरत वाली चीजों का सेवन करना चाहिए जिसमें बदाम प्रोटीन वाली चीजें दाल दूध वाली चीजें हैं। सब्जियां फल-फूल आदि का सेवन करना चाहिए। जो महिलाएं गर्भावस्था के समय अपना ख्याल नहीं रख पाते हैं, उसका परिणाम उसके बच्चे को भुगतना पड़ता है और प्रसव के दौरान बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है।
गर्भावस्था में स्वस्थ भोजन क्या है?
गर्भावस्था के दौरान महिला और बच्चे के लिए शारीरिक विकास और मानसिक विकास के लिए मां को स्वस्थ भोजन करने की आवश्यकता होती है। स्वस्थ भोजन के अंदर विटामिन सी विटामिन डी कैल्शियम पोटेशियम वसा कार्बोहाइड्रेट आदि सभी प्रचुर मात्रा में दी जाती है ताकि बच्चा और मां दोनों स्वस्थ रहें और प्रसव के दौरान किसी की परेशानी का सामना ना करना पड़े।
इसके लिए महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन करने की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था के दौरान महिला को स्वस्थ भोजन करना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन
गर्भावस्था के समय महिला को अपने होने वाले बच्चे के खास खयाल के लिए स्वस्थ भोजन करने की आवश्यकता होती है इससे उसके बच्चे को अच्छा पोषण मिलता है ताकि वह हष्ट पुष्ट पैदा हो। गर्भावस्था के दौरान यदि महिला द्वारा स्वस्थ भोजन का ध्यान नहीं रखा जाता है तो महिला को आयरन कैल्शियम जैसे बहुत से पोषक तत्व की कमी हो जाती है।
जिससे बच्चे की शारीरिक विकास में बाधा आती है। हमने नीचे कुछ चीजों का उल्लेख किया है जिसमें बताया गया है कि गर्भावस्था के समय महिला को क्या-क्या खाना चाहिए।
दूध से बनी चीजें
महिला के प्रेग्नेंट होने पर गर्भावस्था के समय महिला को ज्यादा से ज्यादा दूध से बनी चीजों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। दूध से बनी चीजें से दही इसके अंदर प्रोटीन विटामिन कैल्शियम आदि के अच्छे स्रोत पाए जाते हैं महिला गर्भावस्था के दौरान पनीर का सेवन भी कर सकती है क्योंकि इसके अंदर बड़ी मात्रा में कैल्शियम होते हैं जो मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत ही जरूरी है इसे बच्चे का शारीरिक विकास होने में मदद मिलती है।
दालें
दाल शरीर के लिए बहुत ही जरूरी चीज है क्योंकि इसके अंदर प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है और एक गर्भावस्था के दौरान प्रोटीन की सही मात्रा मिलना जरूरी है जो महिला शाकाहारी है उन्हें ��ांसाहारी चीजों से दूर रहना चाहिए उसके लिए दालों का सेवन कर सकती है, क्योंकि इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन मिलता है खासकर महिला मसूर की दाल का भरपूर सेवन कर सकती है।  यह बच्चे और महिला के लिए अच्छा है।
मांस और मछली
जो महिलाएं मांस और मछली जैसी चीजों का सेवन करती है वह मांस और मछली का सेवन कर सकती है यह प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है जिस महिलाओं को दालों से प्रोटीन कब मिलता है वह मांस मछली खा सकती है।
अंडा सफेद होने के कारण इससे सफेदी प्रोटीन अच्छी मात्रा में मिल जाता है जबकि मटन के अंदर आयरन किसकी मात्रा होती है दो शिशु के लिए बहुत ही जरूरी है मछली का सेवन करने से बच्चे का शारीरिक विकास होता है।
बादाम
गर्भावस्था के दौरान महिला को स्वस्थ भोजन के अंदर मेवा और बादाम खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसके अंदर प्रोटीन की मात्रा होती है महिलाएं गर्भावस्था के दौरान मेले के साथ में बादाम पैसा खर्च आदि का सेवन कर सकती है यह बच्चे के लिए भी गुणकारी है।
सब्जियां
मनुष्य को शरीर में उर्जा प्रदान करने के लिए सब्जियों की बहुत जरूरत है क्योंकि सबसे के अंदर आयरन विटामिन बी विटामिन सी विटामिन फोलिक एसिड जैसे बहुत से तत्व पाए जाते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिला को हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसके अंदर बहुत से पोषक तत्व होते हैं।
महिला को खासतौर से पालक का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसके अंदर आयरन की प्रचुर मात्रा होती है इसके अलावा विटामिन बी होता जो बच्चे के लिए अच्छा होता है। गर्भावस्था के दौरान महिला को टमाटर का सेवन करना चाहिए क्योंकि टमाटर के अंदर विटामिन सी होता है और साथ ही साथ मटर रोड डोकली जैसी चीजों का भी सेवन नंबर चाहिए हरे सलाद का सेवन महिलाएं कर सकती है क्योंकि इसके अंदर आयरन पोटेशियम कैल्शियम फाइबर आदि की प्रचुर मात्रा होती है जो शरीर के विकास के लिए बहुत ही जरूरी होती है।
फल फूल
शरीर में कमजोरी को दूर करने के लिए व्यक्ति फलों का सेवन करता है यहां तक कि फलों के जूस का भी इस्तेमाल करता है।  गर्भवती महिलाओं को कब्ज की समस्या हो जाती है इसके लिए महिला को फाइबर युक्त फलों का सेवन करना चाहिए जिससे एक कब्ज से परेशानी का सामना किया जा सकता है। इसके अलावा फलों के अंदर बहुत से खनिज तत्व पाए जाते हैं और विटामिन पाए जाते हैं महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान तरबूज का सेवन जरूर करना चाहिए क्योंकि इसके अंदर मॉर्निंग सिकनेस जैसी समस्याओं को लड़ने की ताकत होती है आम संतरे नींबू जैसे फलों का सेवन करना चाहिए जिसके अंदर विटामिन सी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है विटामिन सी के लिए पोषक तत्व है।
तरल पदार्थ
गर्भवती महिला को समय-समय पर जूस पीना चाहिए जो उसके अंदर महिलाओं को खनिज और विटामिन की प्रचुर मात्रा मिल जाती है महिलाएं ज्यादा पानी पीती है इससे महिलाओं हाइड्रेटेड जैसी परेशानी से लड़ लेती है।
फलों को अक्सर भिगोकर उसका पानी पीना चाहिए यह हाइड्रेटेड रहने का एक सबसे बेहतरीन तरीका है। इससे पानी का स्वाद भी कहीं हद तक बदल जाता हैं। ध्यान रहे महिलाओं को डिब्बाबंद फलों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके अंदर उच्च मात्रा में अप्राकृतिक मिठास होती है जो बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
वसा
गर्भवती महिला को आहार के अंदर वसा युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए यह बच्चे की विकास के लिए बहुत ही जरूरी है और प्रसव अच्छे से हो सके उसके लिए भी बहुत जरूरी है यह महिलाओं को प्रसव के लिए तैयार करने में मदद करता है। गर्भवती महिला को वनस्पति तेल जैसे वसायुक्त तत्वों का इस्तेमाल करना चाहिए महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मक्खन और घी जैसी चीजों से दूर रहना चाहिए यह अतिरिक्त वसा पैदा कर सकता है जो गर्भावस्था के समय परेशानी पैदा कर सकता है।
गर्भावस्था के दौरान क्या नहीं खाना चाहिए?
गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर द्वारा महिलाओं को कुछ चीजें के लिए मना किया जाता है क्योंकि यह महिला और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक होते हैं। महिलाओं को पता होना चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान किन चीजों को खाने से बचना चाहिए। क्योंकि कुछ खाते बताता है ऐसे होते हैं जो महिला को गर्भ अवस्था के दौरान परेशानी पैदा कर सकते हैं।
महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बैंगन खाने से बचना चाहिए क्योंकि यह है मासिक धर्म उत्तेजित करने का काम करता है और महिला को कच्चे अंडे नहीं खाने चाहिए क्योंकि इससे सालमोनेला नामक संक्रमण पैदा हो जाता है और  आंत पर प्रभाव पड़ता है जिससे महिलाओं को दस्त बुखार पेट दर्द जैसी परेशानियां हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान महिला को कुछ खाद्य पदार्थ जैसे तिल के बीज सॉफ और मेथी  आदि चीजों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके अंदर फाइटोएस्ट्रोजन पाया जाता है जो गर्भाशय को खत्म कर सकता है।
गर्भावस्था के दौरान जरूरी विटामिन कौन से हैं?
गर्भवती महिला को गर्भावस्था के समय विटामिन की बहुत जरूरत होती है एक हष्ट पुष्ट बच्चे के लिए विटामिन की सही मात्रा होना जरूरी है सभी जानते हैं कौन-कौन से विटामिन जरूरी होते हैं।
गर्भवती महिला को विटामिन बी या फॉलिक एसिड जैसे महत्वपूर्ण विटामिन तत्वों की आवश्यकता होती है यह गर्भधान से पहले बहुत जरूरी होती है महिलाओं में विटामिन बी की कमी से बच्चे में न्यूरल ट्यूब का दोष हो सकता है।
गर्भवती महिलाओं को प्रचुर मात्रा में विटामिन डी और कैल्शियम की आवश्यकता होती है इसकी कमी के कारण बच्चे की कंकाल प्रणाली मैं परेशानी आ सकती है और बच्चे और महा दोनों को खतरा हो सकता है।
गर्भवती महिलाओं को विटामिन सी की प्रचुर मात्रा लेनी जरूरी है क्योंकि यह आयरन को अवशोषित कर लेता है और शरीर में खनिज तत्वों की कमी को पूरी करता है यह महिला के मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत जरूरी है।
गर्भावस्था के समय सावधानियां
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को वह सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि यह इसके बच्चे के जीवन का सवाल में हो सकता है महिलाओं को  गर्भावस्था के समय कुछ विशेष बातों को ध्यान रखना चाहिए हमने यह विशेष बातें नीचे एक ही करके बताइए चलिए जानते हैं।
धूम्रपान
गर्भवती महिला को धूम्रपान का सेवन नहीं करना चाहिए यह महिला और उसके बच्चे दोनों को चौकी में डाल सकता है और बच्चे का आंतरिक संरचना पर प्रभाव पड़ सकता है और इससे उसकी मृत्यु हो सकती है।
शराब
गर्भवती महिला यदि शराब का सेवन करती है तो उसका असर बच्चे भी पड़ता है और बच्चे की कोशिकाएं का विकास रुक जाता है जिससे बच्चे की मृत्यु हो सकती है इसलिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के समय शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
ज्यादा खाना
गर्भवती महिला को ज्यादा खाने से भी परेशानी हो सकती है महिला को अपना संतुलन बनाए रखने के लिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह खाने की मात्रा को निश्चित करें क्योंकि डिलीवरी के दौरान महिला का वजन सही होना चाहिए। ज्यादा खाने से गर्भवती महिला को डायबिटीज की परेशानी हो सकती है जिसका असर महिला और बच्चे पर पड़ता है।
कच्चे मांस का सेवन
गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान कच्चे मांस खाने से बचना चाहिए क्योंकि इसके अंदर परजीवी  होते हैं जो बच्चे के शारीरिक विकास को रोकने का काम करते हैं और भोजन में विष का कारण बन सकते हैं।
मछली का सेवन
महिलाओं के पास मांस और मछली का सेवन करने का विकल्प होता है परंतु इसके अंदर झींगा और कैंडल लाइट पूर्णा बहुत ही अच्छी फूड है महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि मछलियों के अंदर भी अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती है जो गर्भावस्था के दौरान नहीं खानी चाहिए। महिलाओं को प्रतिदिन फिश लिवर ऑयल कैप्सूल का सेवन करना चाहिए यह महिला के गर्भ अवस्था के दौरान एक अच्छी खुराक है।
वजन
गर्भावस्था के दौरान महिला का वजन बढ़ जाता है जिसके कारण अशोक के दौरान परेशानी का सामना करना पड़ता है महिला को अपने व्यवस्था के दौरान वजन को एक सही मात्रा में रखना चाहिए ताकि उसे किसी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े।
Calcium का सेवन
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कैल्शियम वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए यह अंतिम दो तिमाही में बच्चे की विकास को अच्छे से करने में मदद करता है। इसके बाद यह ओस्टियोपोरोसिस विकसित होने वाली जैसी परेशानी से लड़ने के लिए भी फायदेमंद है।
जिस प्रकार एक स्वस्थ व्यक्ति को जीने के लिए एक स्वस्थ भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार एक गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन की आवश्यकता होती है।  यह उसके और उसके बच्चे के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।  महिला और अपने बच्चे के शारीरिक विकास हेतु महिला को स्वस्थ भोजन प्रणाली को अपनाना चाहिए। महिला को गर्भावस्था के दौरान बहुत ही सावधान रहना चाहिए क्योंकि यह मां और बच्चे दोनों का सवाल होता है।
Reference : https://www.ghareluayurvedicupay.com/paushtik-bhojan-for-pregnancy/
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quickyblog · 4 years
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विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस: 5 विटामिन डी और कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ मजबूत हड्डियों के लिए https://tinyurl.com/y2hye5bm #ऑसटयपरसस #और #क #कलशयम #खदय #ड #दवस #पदरथ #मजबत #यकत #लए #वटमन #वशव #हडडय
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theindiapost · 5 years
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चिकित्सा में गाय के दूध का महत्व : गोविंद शरण
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(शुद्ध जल की तुलना किस से की जाए अर्थात शुद्ध जल कैसा होता है या होना चाहिए तो एक जबाब देशी गौमाता के दूध जैसा अर्थात सम्पूर्ण ब्रह्मांड में शुद्ध जल की परिभाषा है भारतीय देशी गौमाता का दूध) (नवजात शिशु को किसी कारणवश मातृदुध नहीं मिल पाता है तो उसका सर्वोत्तम विकल्प एक मात्र है देशी गौमाता का दूध) भारतवर्ष में गाय के दूध का औषधीय गुण अति प्राचीनतम काल से जाना जाता है। चिकित्सकीय दृष्टिकोण से दूध बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह शरीरके लिये उच्च श्रेणीका खाद्य पदार्थ है। भोज्य पदार्थ के रूप में दूध एक महत्त्वपूर्ण आहार का विलक्षण समुच्चय है। दूध प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट्स, खनिज, वसा, इन्जाइम तथा आयरन से युक्त होता है। दूध में प्रोटीन और कैल्सियम तत्त्वों का प्रसार होने से यह (दूधिया) अद्वितीय, अपारदर्शी होता है। मानव-जाति के लिये यह सम्पूर्ण भोजन है। चिकित्सक सभी आयु-वर्ग के लिये इसे पौष्टिक भोजन के रूपमें निम्न कारणों से सेवन करनेका सुझाव देते हैं – १- प्रकृति में उपलब्ध द्रव्यों-पदार्थों में केवल दूध में शुगर लैक्टोज (दुग्ध-शर्करा) निहित होता है। २- प्राणियों में नाडी-मण्डल एवं बुद्धि के विकास के लिये दुग्ध-शर्करा बहुत आवश्यक है। ३- ऊर्जस्वी गतिशील शारीरिक क्रिया-कलापों के लिये कार्बोहाइड्रेट आवश्यक होता है। ४- शरीर में लाल रक्त कोशिकाके संश्लेषण (समन्वय) एवं शारीरिक शक्ति के सुधारके लिये आयरन (लौह तत्त्व) आवश्यक होता है। ५- कैल्सियम और फॉस्फोरस दाँतों और अस्थियों को मजबूत रखने में सहायक होते हैं। ६- विटामिन ‘ए’ आँख की रोशनी और त्वचा को स्वस्थ रखता है एवं कम्पन-रोग को हटाता है। ७- विटामिन ‘बी’ नाडी-मण्डल एवं शरीर के विकास के लिये आवश्यक है। ८- विटामिन ‘सी’ शारीरिक रोगों के प्रति प्रतिरोधक शक्ति पैदा करता है। ९- विटामिन ‘डी’ सुखण्डी-रोग से सुरक्षा प्रदान करता है। १0- रात्रि में सोने से पहले एक कप दूध का सेवन रक्त के नव-निर्माण में सहायक होता है एवं विषैले पदार्थों को निष्क्रिय करता है। ११- प्रात:काल हलके गरम दूध का सेवन पाचन क्रिया को संयोजित करने में सहायता करता है। १२- गरम दूध में मिस्री और काली मिर्च मिलाकर लेनेसे सर्दी-जुकाम ठीक हो जाता है। १३- दूध में सबसे कम कोलेस्ट्रॉल (१४ मि०ग्रा०/ १०० ग्रा०) होनेके कारण मधुमेह के रोगियों को वसा रहित दूध-सेवन की सलाह दी जाती है। १४- उच्च रक्तचाप से पीडित व्यक्ति को प्रतिदिन २०० मि०ली० दूध (सिर्फ द्रव्य, पेय के रूप में) पीने की सलाह दी जाती है। १५- अग्निवर्धक व्रण (Peptic Ulcer)-के रोगियों के लिये दूध एक आदर्श आहार है। ५० मि०ली० ठंडे दूध में एक चम्मच चने का सत्तू दो-दो घंटे पर देनेसे अल्सर में शीघ्र ही लाभ हो जाता है। १६- दुग्ध-सेवन से सात्त्विक विचार, मानसिक शुद्धि एवं बौद्धिक विकास होता है। जय गौमाता वंदेमातरम जयहिंद Read the full article
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duniyakelog · 4 years
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क्रिस क्युमो ने पत्नी क्रिस्टीना के कोरोनोवायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है: 'यह सिर्फ मेरा दिल तोड़ता है'
क्रिस कोरोमो ने उपन्यास कोरोनावायरस (COVID-19) के लिए सकारात्मक परीक्षण किए जाने के दो सप्ताह से अधिक समय बाद, सीएनएन होस्ट की पत्नी क्रिस्टीना ने भी अत्यधिक संक्रामक बीमारी का अनुबंध किया है।
समाचार एंकर, 49, ने बुधवार को Cuomo Prime Time पर अपने भाई, न्यूयॉर्क सरकार के साथ एक आभासी साक्षात्कार में समाचार साझा किया। एंड्रयू क्युमो।
“क्रिस्टीना के पास अब COVID है। वह अब सकारात्मक है, और यह सिर्फ मेरा दिल तोड़ता है, ”क्रिस ने कहा। "यह एक ऐसी चीज है जिसकी मैं उम्मीद कर रहा था कि यह नहीं होगा और अब यह है।"
क्रिस ने कहा कि उसकी पत्नी वायरस को पकड़ने के बारे में "परेशान नहीं है", यह समझाते हुए कि वह उस व्यक्ति का प्रकार है जो "सब कुछ स्ट्राइड में लेता है।"
"उसने गंध और स्वाद की अपनी भावना खो दी," उसने अपने लक्षणों के बारे में कहा। "अनायास, जिन मामलों को मैं सुनता हूं वे अधिक हल्के होते हैं।"
टेलीविजन पत्रकार ने ट्विटर पर अपनी पत्नी की स्थिति के बारे में भी लिखा, "सभी परिवार हमारे परिवार के चेहरे की वास्तविकता को जानते हैं: कुछ एक मामला है और किया जाता है। इतना ज़रूर है, क्रिस्टीना अब कोविद है। बच्चे अभी भी स्वस्थ हैं लेकिन इसने हमें हमारे शाब्दिक मूल में हिला दिया। सभी कदम बढ़ा रहे हैं। इस बुखार को झकझोरने के लिए इंतजार नहीं कर सकता इसलिए मैं उसकी मदद कर सकता हूं क्योंकि उसने मेरी मदद की। बेकार है। "
सभी परिवार हमारे परिवार के चेहरे की वास्तविकता को जानते हैं: कुछ एक मामले हैं और किए गए हैं। इतना ज़रूर है, क्रिस्टीना अब कोविद है। बच्चे अभी भी स्वस्थ हैं लेकिन इसने हमें हमारे शाब्दिक मूल में हिला दिया। सभी कदम बढ़ा रहे हैं। इस बुखार को झकझोरने के लिए इंतजार नहीं कर सकता इसलिए मैं उसकी मदद कर सकता हूं क्योंकि उसने मेरी मदद की। बेकार है। pic.twitter.com/ncyoQ3saWc
- क्रिस्टोफर सी। क्यूओमो (@ChrisCuomo) 16 अप्रैल, 2020
https://platform.twitter.com/widgets.js
संबंधित: क्रिस Cuomo कहते हैं कि वह 'बीमार होने की बीमारी है' पत्नी के रूप में अपने कोरोनोवायरस लड़ाई के बारे में खुलता है
क्रिस और क्रिस्टीना की शादी को 19 साल से ज्यादा हो चुके हैं। वे तीन बच्चों को साझा करते हैं: बेला, 17, मारियो, 14 और कैरोलिना, 11।
इस हफ्ते की शुरुआत में, क्रिस्टीना - जो एक वेलनेस वेबसाइट चलाती हैं, द पर्पिस्ट - ने एक्स्ट्रा बिली बुश के बारे में बताते हुए बता��ा कि वह अपने पति को स्वास्थ्य के लिए कैसे वापस लाती है , मैं सीढ़ियों के शीर्ष पर खड़ा हूं और वहां लैंडिंग कर रहा हूं। मैंने एक फूड ट्रे नीचे रखी ... मेरे पास मेरे दस्ताने और मास्क हैं। "
"वह सीढ़ियों पर आता है और हम बाहर लटकते हैं," उसने कहा।
उस समय तीनों की मां ने कहा कि वह अपने परिवार के लिए स्वस्थ भोजन तैयार करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
"भोजन दवा है, इसलिए, हमारा पूरा प्रयास अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को वापस बनाने का था," उसने कहा। "हमने उन चीजों को एकीकृत किया जो उनके डॉक्टरों ने टायलेनोल और एलेग्रा-डी की तरह सुझाए, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि यह अच्छा खाद्य पदार्थ और जड़ी-बूटियां थीं, ऑक्सीजन युक्त जड़ी-बूटियां। और जाहिर है कि विटामिन इसके लिए महत्वपूर्ण थे और अभी आवश्यक हैं। "
उन्होंने कहा, '' मैंने एक साफ-सुथरे आहार का इस्तेमाल किया, जिसने उनके लीवर पर तनाव नहीं डाला, और मैं उनके शारीरिक कार्यों पर कर नहीं लगाना चाहता था, ताकि सारी ऊर्जा वसायुक्त खाद्य पदार्थों को पचाने पर केंद्रित हो। '' "तो, आपको सूप, मसूर सूप, चिकन सूप, फलियां, सब्जी सूप की बहुत आवश्यकता है, जो किसी के बीमार होने पर हमेशा अच्छे होते हैं।"
संबंधित: क्रिस Cuomo कहते हैं Coronavirus बुखार मिल गया तो बुरा वह अपने दाँत काट लिया और 'मतिभ्रम' था
क्रिस ने अपने शो के सोमवार के प्रसारण के दौरान अपनी पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया के बारे में स्पष्ट किया , यह मानते हुए कि वह अपने निदान के दो सप्ताह बाद कोरोनोवायरस के सुस्त लक्षणों से निराश है।
“मुझे इससे डर लगता है। मुझे इसकी संभावना से डर लगता है, और यह मुझे निराश करता है क्योंकि मैं इस तहखाने से बाहर नहीं निकल सकता, ”उन्होंने कहा। “मुझे अभी भी यह निम्न श्रेणी का बुखार है। मैं इसे हिला नहीं सकता। और मुझे पता है कि हर कोई मुझे बताता है कि यह धीरे-धीरे है, इसमें समय लगता है, यह दो से साढ़े तीन सप्ताह के बीच कहीं भी है - लेकिन यह पागल है। यह थोड़ा, बेवकूफ बुखार है।
"और मैं देश के लिए एक रूपक हूं," उन्होंने जारी रखा। “मैं तहखाने से बाहर निकलने के लिए तैयार हूं। मैं बीमार होने से बीमार हूं। मेरे पास है, मैं काम पर वापस जाना चाहता हूं। लेकिन मैं तैयार नहीं हूं। और मेरे पास तैयार होने की कोई योजना नहीं है। हम अभी वहीं हैं। "
एपिसोड के दौरान, उन्होंने उस मनोवैज्ञानिक प्रभाव को भी साझा किया, जिस पर वायरस का प्रभाव पड़ा है।
संबंधित वीडियो: क्रिस कुओमो कहते हैं कि कोरोवायरस से 3 दिनों में उन्होंने 13 पाउंड खो दिए हैं
“यह वायरस भावनात्मक बीमारी पैदा करता है और मनोवैज्ञानिक बीमारी पैदा करता है। मैं आपको बता रहा हूं, यह मेरे दिमाग में है। "केवल आलंकारिक रूप से नहीं, आपके साथ खिलवाड़ करने के संदर्भ में क्योंकि आप लंबे समय से बीमार हैं - यह लोगों को अवसाद पैदा कर रहा है और यह मस्तिष्क कोहरे का निर्माण कर रहा है और यह लोगों में edginess पैदा कर रहा है। ... मैं यह अनुभव कर रहा हूँ।
“यह आपके सिर, इस वायरस के साथ खिलवाड़ करता है। और मुझे नहीं पता कि यह आपको बाद में कहाँ छोड़ता है। "और, मैं जिन विशेषज्ञों से बात कर रहा हूं, वे मुझे बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे हैं, 'हां, हमने देखा है। लेकिन आप इसे कैसे मानते हैं और इसका क्या मतलब है? हम नहीं जानते। ''
संबंधित: क्रिस कुओमो ने कहा कि वह 'लिटिल डिप्रेस्ड' है, जबकि बैटलिंग कोरोनावायरस
"हम बहुत सी चीजें सीखने जा रहे हैं," उन्होंने चेतावनी दी। "और यह सुनिश्चित करने के लिए और भी अधिक कारण है कि हम कम से कम लोगों को इसे प्राप्त करने से रोकते हैं।"
द न्यू यॉर्क टाइम्स के अनुसार, 15 अप्रैल तक, संयुक्त राज्य अमेरिका में सीओवीआईडी ​​-19 के कम से कम 633,267 मामलों की पुष्टि हुई है, जिसमें कोरोनोवायरस से संबंधित बीमारी से 28,278 मौतें हुई हैं।
दुनिया भर में, कोरोनावायरस के 2,013,000 से अधिक पुष्ट मामले और कम से कम 130,620 मौतें हैं।
कोरोनावायरस महामारी के बारे में जानकारी तेजी से बदलती है, PEOPLE हमारे कवरेज में सबसे हालिया डेटा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस कहानी की कुछ जानकारी प्रकाशन के बाद बदल गई होगी। सीओवीआईडी ​​-19 पर नवीनतम के लिए, पाठकों को सीडीसी , डब्ल्यूएचओ और स्थानीय सार्वजनिक स्वास्थ्य विभागों से ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। जीवन रक्षक चिकित्सा संसाधनों के साथ डॉक्टरों और नर्सों को आगे की तर्ज पर सहायता प्रदान करने के लिए, यहां सीधे राहत के लिए दान करें ।
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gethealthy18-blog · 4 years
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पीसीओएस (पीसीओडी) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Polycystic Ovary Syndrome (PCOS/PCOD) in hindi
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पीसीओएस (पीसीओडी) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Polycystic Ovary Syndrome (PCOS/PCOD) in hindi
महिलाओं के हार्मोनल स्तर में बदलाव होना सामान्य है। ऐसे में हार्मोनल परिवर्तन से संबंधित कई जोखिम भी उत्पन्न हो सकते हैं। उनमें से एक पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) भी है। इसे पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओडी) के नाम से भी जाना जाता है। एक मेडिकल रिसर्च की माने, तो महिला जनसंख्या में से 6-10 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या का शिकार होती हैं (1)। अगर किसी महिला को यह समस्या है, तो उन्हें बिना किसी झिझक के इस बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए। स्टाइलक्रेज का यह आर्टिकल आपको पीसीओएस से जुड़ी हर तरह की जानकारी देगा। हम बताएंगे कि पीसीओडी के कारण क्या हो सकते हैं और पीसीओएस के लक्षण किस तरह से नजर आ सकते हैं। इसके अलावा, पीसीओएस के लिए घरेलू उपाय पर विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे।
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इस आर्टिकल में सबसे पहले पीसीओएस क्या है, इसकी जानकारी दी जा रही हैं।
विषय सूची
पीसीओएस क्या है? – What is PCOS in Hindi
यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब हार्मोंस असंतुलित हो जाएं व मेटाबॉलिज्म की समस्या होने लगे। हार्मोंस असंतुलित होने से मासिक धर्म चक्र पर असर पड़ता है। आमतौर पर प्रति माह मासिक धर्म चक्र में ओवरी (अंडाशय) में अंडाणु बनते हैं और बाहर निकलते हैं, लेकिन पीसीओएस होने पर अंडाणु विकसित नहीं हो पाते हैं। साथ ही बाहर नहीं निकल पाते हैं (2)।
इसके अलावा, महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का विकास होने पर भी पीसीओएस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। महिलाओं में इस हार्मोन की वृद्धि के परिणामस्वरूप कई समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं, जिनमें मासिक धर्म की अनियमितता, बांझपन (Infertility) और त्वचा की समस्याएं जैसे मुंहासे और बालों का बढ़ना शामिल हैं (3)। आगे हम आपको बताएंगे कि महिलाओं के शरीर में किन कारणों से पीसीओएस को बढ़ावा मिल सकता है।
पीसीओएस क्या है, यह जानने के बाद अब पीसीओएस के कारण पर चर्चा करते हैं।
पीसीओएस के कारण – Causes of PCOS in Hindi
पीसीओएस का मुख्य कारण हार्मोन के स्तर में परिवर्तन होना है, जिस कारण ओवरी में अंडाणु पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते और उनका ओवरी से बाहर निकलना भी कठिन हो जाता है। हालांकि, वैज्ञानिक तौर पर सटीक रूप से यह कहना मुश्किल है कि पीसीओएस किस कारण से होता है, लेकिन इसे लेकर आम धारणाएं इस प्रकार हैं (3):
आनुवंशिक कारण: कुछ महिलाओं में पीसीओएस की समस्या आनुवंशिक हो सकती है। यह समस्या एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी की महिला को हो सकती है। हालांकि, इस संबंध में वैज्ञानिक शोध का अभाव है, लेकिन जिनकी मां को यह समस्या रही हो, उन्हें अधिक सावधानी बरतनी चाहिए (4)।
पुरुष हार्मोन की वृद्धि: कई बार महिलाओं की ओवरी अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का उत्पादन करने लगती है। पुरुष हार्मोन के ज्यादा मात्रा में उत्पादन होने पर ओव्यूलेशन प्रक्रिया के समय अंडाणु को बाहर निकलने में मुश्किल होती है। इस अवस्था को मेडिकल भाषा में हाइपरएंड्रोजनिसम कहा जाता है (5)।
इंसुलिन असंतुलन: शरीर में पाया जाने वाला इंसुलिन हार्मोन भी पीसीओएस कारण बन सकता है। दरअसल, हार्मोन आहार में पाए जाने वाले शुगर और स्टार्च को ऊर्जा में बदलने का काम करते हैं। वहीं, जब इंसुलिन का संतुलन बिगड़ जाता है, तो एंड्रोजन हार्मोन की वृद्धि होने लगती है। इससे ओव्यूलेशन प्रक्रिया पर प्रभाव पढ़ने लगता है और महिलाओं में पीसीओएस की समस्या उत्पन्न हो जाती है (6)।
खराब जीवनशैली : खराब जीवनशैली के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। जंक फूड का सेवन ज्यादा करने से शरीर को पर्याप्त पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं। साथ ही नशीले पदार्थों और सिगरेट का सेवन करना भी इस बीमारी का एक कारण है।
ऊपर आपने पीसीओएस के कारण पढ़े, आगे हम पीसीओएस के लक्षण बता रहे हैं।
पीसीओएस के लक्षण – Symptoms of PCOS in Hindi
पीसीओएस का सबसे प्रमुख लक्षण मासिक धर्म चक्र में परिवर्तन शामिल है, इसके अलावा अन्य लक्षण इस प्रकार हैं (3):
युवावस्था के दौरान सामान्य रूप से पीरियड शुरू होने के बाद उनका बंद हो जाना। इसे सेकंडरी एमेनोरिया कहा जाता है।
अनियमित पीरियड का आना और बंद हो जाना।
पीसीओएस के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
शरीर के कई हिस्सों में बालों का उगना, जैसे छाती, पेट, चेहरे व निपल्स।
चेहरे, छाती या पीठ पर मुंहासे होना।
त्वचा में परिवर्तन, जैसे कि त्वचा पर काले निशान नजर आना। खासकर बगल, कमर, गर्दन और स्तनों के आसपास।
पीसीओएस के कारण और लक्षण की जानकारी देने के बाद, अब हम पीसीओएस के लिए घरेलू उपाय बता रहे हैं।
पॉलीसायस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) in Hindi
पॉलीसायस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक ऐसी समस्या है, जिसे घरेलू उपचार के मदद से दूर करना पूरी तरह संभव नहीं है, लेकिन घरेलू उपचार की मदद से इसके लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। आइए, इन घरेलू उपचारों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
1. विटामिन डी
सामग्री:
विटामिन-डी कैप्सूल
उपयोग करने का तरीका:
इसे सीधे सेवन किया जा सकता है।
इसे डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए।
कैप्सूल की जगह विटामिन-डी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे टूना, सैल्मन, मैकेरल मछली, पनीर, अंडे का पीला भाग और मशरूम भी लिए जा सकते हैं (7)।
कैसे है लाभदायक:
एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि विटामिन डी का उपयोग पीसीओएस से राहत पाने में सहायक हो सकता है। इस शोध के मुताबिक विटामिन-डी असामान्य रूप से बढ़ रहे सीरम एंटी-मुलरियन हार्मोन (एएमएच) के स्तर को कम करने का काम कर सकता है। एएमएच एक तरह का हार्मोन है, जिसके बढ़ने पर पीसीओएस की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, पीसीओएस वाली महिलाओं में मेटफार्मिन थेरेपी (मधुमेह के इलाज लिए अपनाई जाने वाली थेरेपी) के साथ-साथ विटामिन-डी और कैल्शियम की खुराक देने पर मासिक धर्म को नियमित करना और ओव्यूलेशन प्रक्रिया को सही करने में मदद मिलती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि विटामिन-डी के सेवन से पीसीओएस के लक्षणों को दूर किया जा सकता है (8)।
2. सेब का सिरका
सामग्री:
दो चम्मच सेब का सिरका
एक गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी को हल्का गर्म कर लें।
फिर उसमें सेब के सिरके डाल लें और अच्छे से मिक्स करें।
फिर इसे पी लें।
कैसे है लाभदायक:
सेब के सिरके का सेवन पीसीओएस से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। इस विषय पर एक शोध किया गया है। शोध के तहत पीसीओएस में हार्मोनल और ओव्यूलेटरी फंक्शन पर सिरके के प्रभाव जानने के लिए सात रोगियों को 90-110 दिन तक रोजाना 15 ग्राम सेब के सिरका दिया गया। इससे यह साबित हुआ कि सेब के सिरके के सेवन से इस समस्या के इलाज में कुछ हद मदद मिल सकती हैं। शोध के अनुसार ऐसा इसलिए संभव है, क्योंकि सिरके के सेवन से पीसीओएस से प्रभावित रोगी में इंसुलिन संवेदनशीलता बेहतर होती है (9)।
3. नारियल तेल
सामग्री:
एक चम्मच नारियल तेल
उपयोग करने का तरीका:
नारियल तेल का सीधे सेवन किया जा सकता है या इसे स्मूदी में मिलाकर पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
नारियल के तेल का उपयोग करने पर पीसीओएस के उपचार में मदद मिल सकती है। इस संबंध में किए गए एक वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि डेकोनिक एसिड युक्त आहार के सेवन से एंड्रोजन के उत्पादन को कम करके पीसीओएस की समस्या को कुछ कम किया जा सकता है। डेकोनिक एसिड एक तरह का नॉन-टॉक्सिक फैटी एसिड होता है, जिसमें 10 कार्बन अणु होते हैं। वहीं, नारियल तेल में डेकोनिक एसिड प्राकृतिक रूप से पाया जाता है (10)। फिलहाल, इस पर और शोध किए जाने की जरूरत है, ताकि पता चल सके कि यह किस तरह काम करता है।
4. इवनिंग प्रिमरोज ऑयल
सामग्री:
ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल कैप्सूल
उपयोग करने का तरीका:
इस कैप्सूल को सीधे सेवन किया जा सकता है।
प्रतिदिन एक कैप्सूल लिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
एनसीबीआई में पब्लिश एक शोध के मुताबिक ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल के उपयोग से पीसीओएस के इलाज में मदद मिल सकती है। इस शोध में कुछ महिलाओं को 12 हफ्ते तक विटामिन-डी और ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल दिया गया। इससे उनमें ट्राइग्लीसेराइड (एक तरह का फैट), वेरी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (वीएलडीएल) के स्तर में सुधार पाया गया। साथ ही ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में भी कमी आई, जिस कारण मरीज को पीसीओएस के लक्षणों से कुछ राहत मिली (11)।
5. ग्रीन टी
सामग्री:
एक चम्मच ग्रीन टी पाउडर
एक कप पानी
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी में ग्रीन टी पाउडर को मिलाएं और कुछ देर तक गर्म करें।
कुछ मिनट गर्म होने के बाद इस चाय को छान कर कप में डाल लें।
फिर ऊपर से शहद डाल लें और चाय के स्वाद का आनंद लें।
इसे दिन में दो से तीन बार तक पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
एक अध्ययन के अनुसार, ग्रीन टी के सेवन से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को कम किया जा सकता है, जिससे पीसीओएस के लक्षण को दूर किया जा सकता है। यह इंसुलिन को भी कम करने में मदद कर सकता है। जैसा कि ऊपर लेख में बताया गया है कि इंसुलिन की असंतुलित मात्रा पीसीओएस का कारण बन सकती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि पीसीओएस में ग्रीन टी का उपयोग सहायक हो सकता है। यह जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध में दी गई है (12)।
6. रॉयल जेली
सामग्री:
दो चम्मच रॉयल जेली
उपयोग करने का तरीका:
इसे सामान्य तरीके से सेवन किया जाता है।
प्रतिदिन सुबह कुछ मात्रा में लिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
रॉयल जेली एक तरह का शहद होती है। वहीं, पीसीओएस एक हार्मोन से संबंधित समस्या होती है, जिसके इलाज में रॉयल जेली के सेवन की सलाह दी जा सकती है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर रॉयल जेली के 200 से 400 मिलीग्राम के सेवन से सीरम एस्ट्राडियोल (फीमेल हार्मोन) के स्तर में वृद्धि हो सकती है। यह मासिक धर्म चक्र को रेगुलेट करने का काम करता है। साथ ही रॉयल जेली सीरम प्रोजेस्टेरोन (महिलाओं से संबंधित एक तरह का हार्मोन) के स्तर में वृद्धि कर सकता है। प्रोजेस्टेरोन में वृद्धि होने से मासिक धर्म चक्र नियमित हो सकता है, जिससे पीसीओएस के उपचार में मदद मिल सकती है। यह सब रॉयल जेली में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एस्ट्रोजेनिक प्रभाव के कारण होता है, जिसका प्रभाव प्रजनन प्रणाली (रिप्रोडक्टिव सिस्टम) पर होता है (13)।
7. एलोवेरा जूस
सामग्री:
एक गिलास एलोवेरा जूस
उपयोग करने का तरीका:
ताजा एलोवेरा जूस को सुबह खाली पेट पिएं।
इसे प्रत्येक सुबह पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
पीसीओएस के इलाज में एलोवेरा जूस का उपयोग किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि एलोवेरा जेल में पीसीओएस से बचाने की क्षमता होती है। इस अध्ययन के अनुसार, एलोवेरा जेल पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं में हाइपरग्लाइसेमिक (उच्च रक्त शुगर) स्थिति को सामान्य करने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि एलोवेरा जेल में हाइपोग्लाइसेमिक यानी रक्तचाप को कम करने का प्रभाव होता है। साथ ही एलोवेरा में फाइटोस्टेरॉल (एक तरह का प्लांट स्टेरॉल) और फाइटो-फिनोल होता है। यह जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद है (14)।
8. आंवला जूस
सामग्री:
एक चम्मच आंवले का रस
एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
आंवले के रस को पानी में अच्छे से घोल लें।
फिर इस मिश्रण को पी लें।
इसे दिन में एक बार पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
पीसीओएस के मरीज को कई खाद्य पदार्थ से दूर रखा जाता है और कई खाद्य पदार्थ उनके आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है। जिन खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जाता है, वो पीसीओएस के लक्षण को कम करने में मदद कर सकते हैं। ऐसे में जिन खाद्य पदार्थ को पीसीओएस के मरीज की दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है, उनमें आंवला का जूस भी शामिल है (15)। अभी इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है कि यह किस गुण के कारण पीसीओएस में लाभदायक होता है।
9. जीरा पानी
सामग्री:
आधा चम्मच जीरा पाउडर
एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी को हल्का गर्म करें।
फिर उसमें जीरा पाउडर को मिलाएं और कुछ देर तक गुनगुना होने दें।
पानी के गुनगुना होने पर इसे कप में निकाल कर पिएं।
इसे दिन में दो बार पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
कई समस्याओं से निपटने के लिए हर्बल उपचारों का सहारा लिया जाता है। वैसे ही पीसीओएस के इलाज में जीरा का उपयोग किया जा सकता है। यह शरीर में हार्मोन के स्तर को सामान्य बनाने का काम कर सकता है और वजन कम करने में भी सहायता कर सकता है। इससे मासिक चक्र के अनियमित होने की समस्या कम हो सकती है। इसके अलावा, जीरे में हाइपोग्लाइसेमिक और एंटी-ओबेसिटी गतिविधि भी होती हैं, जो ब्लड शुगर और मोटापे को सामान्य करने का काम कर सकती है (16)। ध्यान रहे कि कम रक्त शुगर वाले इसका अधिक मात्रा में सेवन न करें, इसमें हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है, जो रक्त में शुगर की मात्रा को जरूरत से ज्याद कम कर सकता है।
10. सीड्स
कलौंजी के बीज
सामग्री:
एक चम्मच कलौंजी के बीज
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
दोनों सामग्रियों को मिलाएं और इस मिश्रण का सेवन करें।
इसे प्रतिदिन सुबह खाया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
एनसीबीआई की ओर से प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, कलौंजी के अर्क का उपयोग टाइप-2 मधुमेह रोगियों पर हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव के लिए किया जाता है। इसमें एंटी-डायबिटिक गतिविधि होती है। इसके अलावा, यह प्रजनन प्रणाली (रिप्रोडक्टिव सिस्टम) पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। साथ ही कलौंजी में थाइमोक्विनोन (एक तरह का यौगिक) पाया जाता है, जो पीसीओएस से संबंधित लक्षणों को रोकने के साथ-साथ कम करने और ओव्यूलेशन प्रक्रिया को बेहतर करने का काम कर सकता है (17)।
चिया बीज
सामग्री:
आधा चम्मच चिया बीज
एक गिलास दूध
उपयोग करने का तरीका:
दूध को हल्का गर्म करें और उसमें चिया बीज को मिलाएं।
फिर इस मिश्रण का सेवन कर लें।
कैसे है लाभदायक:
चिया बीज के सेवन से पीसीओएस की समस्या को दूर रखा जा सकता है। दरअसल, यह हार्मोन को संतुलित रखने का काम कर सकता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से वजन भी घट सकता है, जिससे मासिक चक्र को सामान्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इससे पीसीओएस की समस्या कुछ कम हो सकती है (16)। अभी इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध की जरूरत है, जिससे कि पीसीओएस पर इसका असर पूरी तरह से स्पष्ट हो सके।
मेथी के बीज
सामग्री:
दो चम्मच मेथी बीज
आधा कप पानी
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
मेथी के बीज को रात भर पानी में भिगोकर रखें।
फिर भीगे हुए मेथी के बीज को शहद में मिलाकर खाएं।
इसका सेवन रोज सुबह किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
मेथी के बीज को लेकर एक वैज्ञानिक शोध किया गया, जिसका उद्देश्य पीसीओएस पर मेथी का प्रभाव जानना था। इस शोध में 50 पूर्व-रजोनिवृत्त (प्रीमीनोपॉज) महिलाओं को लिया गया है, जिनकी उम्र 18 से 45 वर्ष थी। इनमें से 42 महिलाओं को पीसीओएस की समस्या थी। शोध से प्राप्त हुए परिणामों से पता चला है कि मेथी के बीज का अर्क ओवेरियन वॉल्यूम यानी साइज में कमी ला सकता है। कुछ हद तक डॉक्टर पीसीओएस का निदान ओवेरियन वॉल्यूम से ही करते हैं। इसके अलावा, यह लुटेइनीजिंग हार्मोन और फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (महिलाओं से संबंधित हार्मोन) के स्तर को भी बढ़ा सकता है। साथ ही मेथी के बीज का अर्क पीसीओएस के लक्षणों को कम करने के लिए प्रभावी हो सकता है (18) (19)।
सामग्री:
एक चम्मच तिल
एक गिलास पानी
गुड़ का छोटा टुकड़ा
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी में तिल के बीज को मिलाएं और कुछ देर तक उबालें।
फिर इसमें स्वाद के लिए गुड़ को मिलाएं और कप में निकाल लें।
अब इस काढ़े का सेवन कर लें।
इसे प्रतिदिन एक से दो कप तक पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
तिल के बीज के सेवन से पीसीओएस को दूर रख सकता है। दरअसल, तिल के बीज के उपयोग से ओलिगोमेनोरिया का इलाज किया जा सकता है। ओलिगोमेनोरिया ऐसी स्थिति है, जिसमें मासिक धर्म प्रवाह में कमी आ जाती है (20)। इसलिए, ओलिगोमेनोरिया की समस्या में अक्सर पीसीओएस का जोखिम उत्पन्न हो जाता है (21)। ऐसे में ओलिगोमेनोरिया का इलाज होने पर पीसीओएस के जोखिम से बचा जा सकता है।
सौंफ
सामग्री:
दो चम्मच सौंफ
एक गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका:
सौंफ को रातभर आधा गिलास पानी में भिगोकर रखें।
फिर सुबह इसमें आधा गिलास पानी और डालें।
उसके बाद इसे लगभग 5 मिनट के लिए गर्म करें।
फिर इसे छानकर पी लें।
इसे प्रतिदिन सुबह खाली पेट पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
सौंफ के उपयोग से पीसीओएस की समस्या में कुछ हद तक सुधार हो सकता है। दरअसल, सौंफ में रीनोप्रोटेक्टिव प्रभाव पाए जाते हैं, जो पीसीओएस के इलाज में मदद कर सकते हैं। पीसीओएस की समस्या को कम करने के लिए सौंफ का सेवन करने से इस समस्या में कुछ हद तक सुधार हो सकता है (18)।
कद्दू के बीज
सामग्री:
5 से 10 कद्दू के बीज
उपयोग करने का तरीका:
कद्दू के बीज को छिल लें और इसका सेवन कर लें।
इसे कुछ ड्राई फ्रूट के साथ मिलाकर भी खाया जा सकता है।
प्रतिदिन कद्दू के कुछ बीज लिए जा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
कद्दू के बीज में एसें��ियल फैटी एसिड (EFA) पाया जाता है, जो शरीर के लिए जरूरी होते हैं। ईएफए हार्मोन की प्रक्रिया को संतुलित करने में मदद कर सकता है। साथ ही यह इंसुलिन के नियंत्रित करके रक्त शर्करा को संतुलित करता है और पीरियड्स को नियमित कर सकता है (22)। इससे पीसीओएस जैसी समस्या को दूर रखा जा सकता है।
11. दालचीनी
सामग्री:
एक चम्मच दालचीनी पाउडर
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले दोनों सामग्रिया को आपस में अच्छी तरह से मिला लें।
फिर इसका सेवन कर लें।
इसका दिन में एक बार सेवन किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
एक वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक दालचीनी के उपयोग से शरीर में इंसुलिन के स्तर को कम किया जा सकता है। वहीं, 40 दिन तक दालचीनी का प्रतिदिन सेवन करने पर मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को भी कम किया जा सकता है। दालचीनी को 8 हफ्ते तक रोज उपयोग करने से पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध कम हो जाता है। साथ ही पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में पीरियड्स को नियमित रूप से बनाए रखने में भी मदद मिल सकती है (23)।
12. मुलेठी की जड़
सामग्री:
एक चम्मच मुलेठी की जड़ का पाउडर
एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी को गर्म करें और उसमें मुलेठी पाउडर को डालें।
कुछ देर तक पानी को गर्म होने दें।
फिर इसे छान कर एक कप में डाल लें।
इसे ताजा ही पिएं।
इसे दिन में दो बार पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
मुलेठी के उपयोग से भी पीसीओएस की समस्या को कम किया जा सकता है। इस संबंध में प्रकाशित एक मेडिकल शोध में बताया गया है कि मुलेठी के अर्क असंतुलित हार्मोनल स्तर और अनियमित ओवेरियन फॉलिकल को रेगुलेट करते हैं, जिससे पीसीओएस के लक्षणों को दूर किया जा सकता है (24)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि पीसीओडी के लिए घरेलू उपाय में मुलेठी को भी शामिल किया जा सकता है।
13. चेस्टबेरी
सामग्री:
चेस्टबेरी सप्लीमेंट
उपयोग करने का तरीका:
डॉक्टर की सलाह पर इसका सेवन करें।
कैसे है लाभदायक:
एक क्लिनिकल शोध में बताया गया है कि चेस्टबेरी के इस्तेमाल से प्रोलैक्टिन (एक तरह का हार्मोन) कम हो सकता है। प्रोलैक्टिन का स्तर ज्यादा होने से मासिक धर्म व प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। इसके अलावा, चेस्टबेरी से मासिक धर्म की अनियमितता और बांझपन में भी सुधार हो सकता है (25)। इससे पीसीओएस की समस्या को पनपने से रोका जा सकता है।
और जानकारी के लिए लेख को पढ़ते रहें
चलिए, अब जानते हैं कि पीसीओएस का इलाज कैसे किया जा सकता है।
पीसीओएस का इलाज – Treatment of PCOS in Hindi
पीसीओएस का संपूर्ण इलाज संभव नहीं है। दवाइयों के माध्यम से सिर्फ इसके लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इसके लक्षणों को दूर करने के लिए डॉक्टर नीचे बताए जा रही दवाइयां दे सकते हैं (2): 
हार्मोनल बर्थ कंट्रोल (जो गर्भवती नहीं होना चाहती):
यह मासिक धर्म को नियमित कर सकता है।
एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकता है।
मुंहासे में सुधार कर सकता है और चेहरे व शरीर के अन्य अंगों पर आए अतिरिक्त बालों को कम करने में मदद कर सकता है।
एंटी-एंड्रोजन दवाई: यह दवाई एंड्रोजन के प्रभाव को कम करती है, जिससे सिर के बाल झड़ने की समस्या कम हो सकती है और चेहरे व शरीर के बालों के विकास में कमी आ सकती है। साथ ही मुंहासे को कम करने में भी मदद मिल सकती हैं। फिलहाल, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने दवा को अनुमति नहीं दी है, क्योंकि यह दवाई गर्भावस्था के दौरान समस्या पैदा कर सकती हैं।
मेटफॉर्मिन: इस दवाई का उपयोग टाइप 2 मधुमेह के इलाज और कुछ महिलाओं में पीसीओएस के लक्षणों को दूर करने में किया जाता है। यह दवाई इंसुलिन में सुधार कर रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को कम कर सकती है। साथ ही यह इंसुलिन और एंड्रोजन दोनों के स्तर को भी कम कर सकती है, जिससे पीसीओएस की समस्या दूर हो सकती है।
अन्य जानकारी के लिए पढ़ें नीचे
इस लेख के अगले भाग में हम पीसीओएस से बचने के उपाय बता रहे हैं।
पीसीओएस से बचने के उपाय – Prevention Tips for PCOS in Hindi
पीसीओएस की समस्या आनुवंशिक भी हो सकती है। ऐसे में इस समस्या से बचना आसान नहीं है, लेकिन इन सावधानियों को ध्यान में रखने से इस समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है।
नियमित रूप से योग व्यायाम करने पर शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है, जिससे कई समस्याएं दूर रह सकती हैं।
नियमित रूप से डॉक्टरी चेकअप कराएं, ताकि किसी भी समस्या का समय रहते पता चल सके और उसका इलाज किया जा सके। इससे पीसीओएस की समस्या को उत्पन्न होने से रोकने में मदद मिल सकती है।
कई बार वजन का अधिक बढ़ना या कम होने पर कुछ समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसे में वजन को नियंत्रित रख कर उन समस्याओं को उत्पन्न होने से रोका जा सकता है।
अगर किसी के पीरियड्स लंबे समय से नियमित समय पर नहीं आ रहे हैं, तो ऐसे में उन्हें इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अगर किसी को अधिक तनाव की समस्या है, तो इससे भी पीसीओएस की समस्या हो सकती है। ऐसे में तनाव मुक्त रहने पर कई समस्याओं से बचा जा सकता है।
यह बात भलीभांती समझ आ गई कि पीसीओएस किस तरह की समस्या है। अगर किसी महिला में ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो वो एक बार इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर करें। इसके लक्षण को अनदेखा करना गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। आप इस आर्टिकल को अपने परिवार व अन्य महिलाओं के साथ शेयर कर सकते हैं, ताकि वो भी इस बीमारी के प्रति जागरूक हो सकें। हम उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल में दिए गए जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
लंबे समय तक अनुपचारित पीसीओएस का प्रभाव?
लंबे समय तक पीसीओएस का इ��ाज नहीं करने पर एंडोमेट्रियल कैंसर का जोखिम उत्पन्न हो सकता है (26)।
अगर मुझे पीसीओएस है, तो मुझे क्या खाना चाहिए?
अगर आपको पीसीओएस की समस्या है, तो आप इन्हें आहार में शामिल कर सकती हैं (15):
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले अनाज
कम कैलोरी वाले भोजन
साबुत अनाज
फलियां (legumes)
पीसीओएस गर्भावस्था क्या है और पीसीओएस गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करता है?
पीसीओएस के कारण महिलाओं के शरीर में कई बदलाव हाेते हैं। इस कारण गर्भधारण करने में समस्या आती है, लेकिन कुछ उपचार की मदद से गर्भधारण किया जा सकता है। इसके बावजूद पीसीओएस के चलते गर्भावस्था में कई समस्याएं हो सकती है, जिनमें गर्भपात, गर्भावधि मधुमेह और गर्भवस्था में उच्च रक्तचाप (pre-eclampsia) आदि शामिल है। यहां तक कि इसके कारण सी-सेक्शन यानी सिजेरियन डिलीवरी की आशंका पैदा हो सकती है (2)।
क्या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम खतरनाक है?
वैसे तो पीसीओएस सामान्य स्थिति में खतरनाक नहीं होता है, लंबे समय तक इलाज न करवाने पर गंभीर रूप जरूर ले सकता है।
आप कैसे जान सकते हैं कि आपको पीसीओएस है या नहीं?
पीसीओएस की समस्या को जानना आसान हो सकता है। इसके लिए आपको इसके लक्षण का पता होना जरूरी है। हमने ऊपर लेख में इसके लक्षण बताए हैं, जो पीसीओएस के बारे में अंदाजा लगाने में मदद कर सकते हैं।
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भूपेंद्र वर्मा ने सेंट थॉमस कॉलेज से बीजेएमसी और एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी से एमजेएमसी किया है। भूपेंद्र को लेखक के तौर पर फ्रीलांसिंग में काम करते 2 साल हो गए हैं। इनकी लिखी हुई कविताएं, गाने और रैप हर किसी को पसंद आते हैं। यह अपने लेखन और रैप करने के अनोखे स्टाइल की वजह से जाने जाते हैं। इन्होंने कुछ डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्टोरी और डायलॉग्स भी लिखे हैं। इन्हें संगीत सुनना, फिल्में देखना और घूमना पसंद है।
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जब स्वास्थ्य और पोषण की बात आती है तो भ्रमित होना आसान है। यहां तक ​​कि योग्य विशेषज्ञ अक्सर विरोधी राय रखने लगते हैं। फिर भी, तमाम असहमतियों के बावजूद, कई तरह के वेलनेस टिप्स अच्छी तरह से शोध द्वारा समर्थित हैं। यहां 25 स्वास्थ्य और पोषण युक्तियां दी गई हैं जो वास्तव में अच्छे विज्ञान पर आधारित हैं। 1. चीनी कैलोरी नहीं पीते हैं सुगन्धित पेय आपके शरीर में डाले जाने वाले सबसे अधिक चर्बीयुक्त पदार्थों में से हैं। इसका कारण यह है कि आपका मस्तिष्क तरल चीनी से कैलोरी को मापता नहीं है जिस तरह से यह ठोस भोजन के लिए करता है (1 विश्वसनीय स्रोत)। इसलिए, जब आप सोडा पीते हैं, तो आप अधिक कुल कैलोरी खाते हैं (2 विश्वसनीय स्रोत, 3 विश्वसनीय स्रोत)। सुगन्धित पेय मोटापे, टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग, और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से दृढ़ता से जुड़े हुए हैं (4 विश्वसनीय स्रोत, 5 विश्वसनीय स्रोत, 6 विश्वसनीय स्रोत, 7 विश्वसनीय स्रोत)। ध्यान रखें कि कुछ फलों का रस इस संबंध में सोडा जितना ही खराब हो सकता है, क्योंकि इनमें कभी-कभी बस उतना ही चीनी होता है। एंटीऑक्सिडेंट की उनकी छोटी मात्रा चीनी के हानिकारक प्रभावों की उपेक्षा नहीं करती है (8 विश्वसनीय स्रोत)। 2. मेवे खाएं वसा में उच्च होने के बावजूद , पागल अविश्वसनीय रूप से पौष्टिक और स्वस्थ होते हैं। वे मैग्नीशियम, विटामिन ई, फाइबर और विभिन्न अन्य पोषक तत्वों ( 9 ) से भरे हुए हैं । अध्ययनों से पता चलता है कि पागल वजन कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं और टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग से लड़ने में मदद कर सकते हैं (10 विश्वसनीय स्रोत, 11 विश्वसनीय स्रोत, 12 विश्वसनीय स्रोत)। इसके अतिरिक्त, आपका शरीर नट्स में कैलोरी का 10-15% अवशोषित नहीं करता है। कुछ सबूत यह भी बताते हैं कि यह भोजन चयापचय को बढ़ावा दे सकता है (13 विश्वसनीय स्रोत)। एक अध्ययन में, कॉम्प्लेक्स कार्ब्स की तुलना में बादाम को 62% तक वजन घटाने के लिए दिखाया गया था (14 विश्वसनीय स्रोत)। 3. प्रोसेस्ड जंक फूड से बचें (इसके बजाय असली खाना खाएं) प्रोसेस्ड जंक फूड अविश्वसनीय रूप से अस्वास्थ्यकर है। इन खाद्य पदार्थों को आपके आनंद केंद्रों को ट्रिगर करने के लिए इंजीनियर किया गया है, इसलिए वे आपके मस्तिष्क को अधिक से अधिक खाने में प्रवृत्त करते हैं - यहां तक ​​कि कुछ लोगों में भोजन की लत को भी बढ़ावा देते हैं (15 विश्वसनीय स्रोत)। वे आम तौर पर फाइबर, प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्वों में कम होते हैं, लेकिन चीनी और परिष्कृत अनाज जैसे अस्वास्थ्यकर तत्वों में उच्च होते हैं । इस प्रकार, वे ज्यादातर खाली कैलोरी प्रदान करते हैं। 4. कॉफी से मत डरिए कॉफी बहुत सेहतमंद है । यह एंटीऑक्सिडेंट में उच्च है, और अध्ययनों ने कॉफी का सेवन दीर्घायु और टाइप 2 मधुमेह, पार्किंसंस और अल्जाइमर रोगों के जोखिम को कम किया है, और कई अन्य बीमारियां (16 विश्वसनीय स्रोत, 17 विश्वसनीय स्रोत, 18 विश्वसनीय स्रोत, 19 , 20 ,21 विश्वसनीय स्रोत)। 5. वसायुक्त मछली का सेवन करें मछली उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन और स्वस्थ वसा का एक बड़ा स्रोत है। यह विशेष रूप से वसायुक्त मछली के बारे में सच है, जैसे कि सामन , जो ओमेगा -3 फैटी एसिड और विभिन्न अन्य पोषक तत्वों ( 22 ) के साथ भरी हुई है । अध्ययन से पता चलता ह�� कि जो लोग सबसे अधिक मछली खाते हैं, उनमें हृदय रोग, मनोभ्रंश और अवसाद सहित कई स्थितियों का जोखिम कम होता है23 विश्वसनीय स्रोत, 24 विश्वसनीय स्रोत, 25 )। 6. पर्याप्त नींद लें पर्याप्त गुणवत्ता नींद प्राप्त करने के महत्व को कम नहीं किया जा सकता है। खराब नींद इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ा सकती है, आपके भूख के हार्मोन को बाधित कर सकती है और आपके शारीरिक और मानसिक प्रदर्शन को कम कर सकती है (26 विश्वसनीय स्रोत, 27 विश्वसनीय स्रोत, 28 विश्वसनीय स्रोत, 29 विश्वसनीय स्रोत)। क्या अधिक है, गरीब नींद वजन बढ़ाने और मोटापे के लिए सबसे मजबूत व्यक्तिगत जोखिम कारकों में से एक है। एक अध्ययन ने अपर्याप्त नींद को क्रमशः 89% और 55% बच्चों और वयस्कों में मोटापे के खतरे को बढ़ा दिया, (30 विश्वसनीय स्रोत)। 7. प्रोबायोटिक्स और फाइबर के साथ अपने पेट के स्वास्थ्य का ख्याल रखें आपके आंत में बैक्टीरिया, जिसे सामूहिक रूप से आंत माइक्रोबायोटा कहा जाता है , समग्र स्वास्थ्य के लिए अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण हैं। पेट के बैक्टीरिया में व्यवधान मोटापा (सहित दुनिया के सबसे गंभीर पुराने रोगों, में से कुछ से जुड़ा हुआ है 31 ,32 विश्वसनीय स्रोत)। आंत के स्वास्थ्य में सुधार के अच्छे तरीकों में प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ जैसे दही और सौकरौट, प्रोबायोटिक की खुराक लेना और फाइबर युक्त भोजन करना शामिल है। विशेष रूप से, फाइबर आपके आंत बैक्टीरिया के लिए ईंधन के रूप में कार्य करता है (33 विश्वसनीय स्रोत, 34 विश्वसनीय स्रोत)। 8. कुछ पानी पीएं, खासकर भोजन से पहले पर्याप्त पानी पीने के कई फायदे हो सकते हैं । आश्चर्यजनक रूप से, यह आपके द्वारा जलाई जाने वाली कैलोरी की संख्या को बढ़ा सकता है। दो अध्ययनों ने ध्यान दिया कि यह 1-1.5 घंटों में चयापचय को 24-30% बढ़ा सकता है। यदि आप प्रति दिन 8.4 कप (2 लीटर) पानी पीते हैं तो 96 अतिरिक्त कैलोरी जल सकती है (35 विश्वसनीय स्रोत, 36 विश्वसनीय स्रोत)। इसे पीने का इष्टतम समय भोजन से पहले है। एक अध्ययन से पता चला है कि प्रत्येक भोजन से 30 मिनट पहले 2.1 कप (500 मिलीलीटर) पानी पीने से वजन में 44% की वृद्धि हुई37 विश्वसनीय स्रोत)। 10. सोने से पहले तेज रोशनी से बचें जब आप शाम को चमकदार रोशनी के संपर्क में आते हैं, तो यह आपके नींद हार्मोन मेलाटोनिन के उत्पादन को बाधित कर सकता है (39 विश्वसनीय स्रोत, 40 विश्वसनीय स्रोत)। एक रणनीति एम्बर-टिंटेड चश्मे की एक जोड़ी का उपयोग करना है जो शाम को आपकी आंखों में प्रवेश करने से नीली रोशनी को अवरुद्ध करता है। यह मेलाटोनिन का उत्पादन करने की अनुमति देता है जैसे कि यह पूरी तरह से अंधेरा था, जिससे आपको बेहतर नींद आती है (41 विश्वसनीय स्रोत)। 11. अगर आपको ज्यादा धूप नहीं मिलती है तो विटामिन डी 3 लें सूर्य का प्रकाश विटामिन डी का एक बड़ा स्रोत है। फिर भी, ज्यादातर लोगों को पर्याप्त सूरज नहीं मिलता है । वास्तव में, अमेरिका की आबादी का लगभग 41.6% इस महत्वपूर्ण विटामिन में कमी है (42 विश्वसनीय स्रोत)। यदि आप पर्याप्त सूर्य के संपर्क में आने में असमर्थ हैं, तो विटामिन डी की खुराक एक अच्छा विकल्प है। उनके लाभों में अस्थि स्वास्थ्य में सुधार, शक्ति में वृद्धि, अवसाद के लक्षणों में कमी और कैंसर का कम जोखिम शामिल है। विटामिन डी आपको लंबे समय तक जीने में मदद कर सकता है (43 विश्वसनीय स्रोत, 44 विश्वसनीय स्रोत, 45 विश्वसनीय स्रोत, 46 विश्वसनीय स्रोत, 47 विश्वसनीय स्रोत, 48 विश्वसनीय स्रोत, 49 विश्वसनीय स्रोत)। 12. सब्जियां और फल खाएं सब्जियां और फल प्रीबायोटिक फाइबर, विटामिन, खनिज और कई एंटीऑक्सिडेंट से भरे होते हैं, जिनमें से कुछ में शक्तिशाली जैविक प्रभाव होते हैं। अध्ययन बताते हैं कि जो लोग सबसे अधिक सब्जियां और फल खाते हैं वे लंबे समय तक जीवित रहते हैं और हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह, मोटापा और अन्य बीमारियों ( 50 , 51 ) का खतरा कम होता है । 13. पर्याप्त प्रोटीन खाना सुनिश्चित करें भोजन पर्याप्त प्रोटीन इष्टतम स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। क्या अधिक है, यह पोषक तत्व वजन घटाने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है (52 विश्वस्त स्रोत)। उच्च प्रोटीन का सेवन चयापचय को काफी बढ़ावा दे सकता है, जबकि आप कम कैलोरी खाने के लिए स्वचालित रूप से पर्याप्त महसूस करते हैं। यह भी कम कर सकते हैं cravings को रात में देर से नाश्ता करने के लिए और अपनी इच्छा (53 विश्वस्त स्रोत, 54 विश्वसनीय स्रोत, 55 विश्वसनीय स्रोत, 56 विश्वसनीय स्रोत)। पर्याप्त प्रोटीन का सेवन रक्त शर्करा और रक्तचाप के स्तर को कम करने के लिए दिखाया गया है (57 विश्वसनीय स्रोत, 58 विश्वसनीय स्रोत)। 14. कुछ कार्डियो करो एरोबिक व्यायाम करना, जिसे कार्डियो भी कहा जाता है , आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छी चीजों में से एक है। यह पेट की चर्बी को कम करने में विशेष रूप से प्रभावी है, हानिकारक प्रकार का वसा जो आपके अंगों के आसपास बनाता है। पेट की चर्बी कम होने से चयापचय स्वास्थ्य में बड़े सुधार होने चाहिए (59 विश्वसनीय स्रोत, 60 विश्वसनीय स्रोत, 61 विश्वसनीय स्रोत)। 15. धूम्रपान न करें या ड्रग्स न करें, और केवल मॉडरेशन में पीएं यदि आप धूम्रपान करते हैं या दवाओं का दुरुपयोग करते हैं, तो पहले उन समस्याओं से निपटें। आहार और व्यायाम की प्रतीक्षा कर सकते हैं। यदि आप शराब पीते हैं , तो मॉडरेशन में ऐसा करें और यदि आप बहुत अधिक शराब पीते हैं तो इसे पूरी तरह से टालने पर विचार करें। 16. अतिरिक्त कुंवारी जैतून का तेल का उपयोग करें अतिरिक्त कुंवारी जैतून का तेल स्वास्थ्यप्रद वनस्पति तेलों में से एक है। यह हृदय-स्वस्थ मोनोअनसैचुरेटेड वसा और शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट से भरा हुआ है जो सूजन से लड़ सकता है ( 62 )63 विश्वसनीय स्रोत, 64 विश्वसनीय स्रोत)। अतिरिक्त कुंवारी जैतून का तेल हृदय स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है , क्योंकि जो लोग इसका सेवन करते हैं उन्हें दिल के दौरे और स्ट्रोक से मरने का खतरा बहुत कम होता है (65 विश्वसनीय स्रोत, 66 )। 17. अपनी चीनी का सेवन कम से कम करें जोड़ा गया चीनी आधुनिक आहार में सबसे खराब सामग्रियों में से एक है, क्योंकि बड़ी मात्रा में आपके चयापचय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है (67 विश्वसनीय स्रोत)। उच्च शर्करा का सेवन कई बीमारियों से जुड़ा हुआ है, जिसमें मोटापा, टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर के कई रूप हैं (68 विश्वसनीय स्रोत, 69 विश्वसनीय स्रोत, 70 विश्वसनीय स्रोत, 71 विश्वसनीय स्रोत, 72 विश्वसनीय स्रोत)। 18. बहुत से परिष्कृत कार्ब्स न खाएं सभी कार्ब्स समान नहीं बनाए जाते हैं। उनके फाइबर को हटाने के लिए परिष्कृत कार्ब्स को अत्यधिक संसाधित किया गया है । वे पोषक तत्वों में अपेक्षाकृत कम हैं और अधिक मात्रा में खाने पर आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि परिष्कृत कार्ब्स अधिक भोजन और कई चयापचय रोगों से जुड़े होते हैं (73 विश्वसनीय स्रोत, 74 ,75 विश्वसनीय स्रोत, 76 विश्वसनीय स्रोत, 77 )। 19. संतृप्त वसा से डरें नहीं संतृप्त वसा विवादास्पद रही है। हालांकि यह सच है कि संतृप्त वसा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है , यह एचडीएल (अच्छा) कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ाता है और आपके एलडीएल (खराब) कणों को सिकोड़ता है, जो हृदय रोग के कम जोखिम से जुड़ा हुआ है (78 विश्वसनीय स्रोत, 79 विश्वस्त स्रोत, 80 विश्वसनीय स्रोत, 81 विश्वसनीय स्रोत)। सैकड़ों हजारों लोगों में नए अध्ययन ने संतृप्त वसा के सेवन और हृदय रोग के बीच संबंध पर सवाल उठाया है (82 विश्वसनीय स्रोत, 83 विश्वस्त सूत्र)। 20. भारी चीजें उठाएं वजन उठाना सबसे अच्छी चीजों में से एक है जो आप अपनी मांसपेशियों को मजबूत करने और अपने ��रीर की संरचना में सुधार करने के लिए कर सकते हैं । यह इंसुलिन संवेदनशीलता ( 84 , 85 ) सहित चयापचय स्वास्थ्य में बड़े पैमाने पर सुधार भी करता है । सबसे अच्छा तरीका वजन उठाना है, लेकिन बॉडीवेट व्यायाम करना उतना ही प्रभावी हो सकता है। 21. कृत्रिम ट्रांस वसा से बचें कृत्रिम ट्रांस वसा हानिकारक, मानव निर्मित वसा है जो दृढ़ता से सूजन और हृदय रोग से जुड़ी होती है (86 विश्वसनीय स्रोत, 87 विश्वसनीय स्रोत, 88 विश्वस्त स्रोत, 89 )। हालांकि ट्रांस वसा को संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य जगहों पर बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित किया गया है, अमेरिकी प्रतिबंध पूरी तरह से लागू नहीं हुआ है - और कुछ खाद्य पदार्थों में अभी भी शामिल हैं। 22. जड़ी-बूटियों और मसालों का भरपूर उपयोग करें कई अविश्वसनीय रूप से स्वस्थ जड़ी-बूटियाँ और मसाले मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, अदरक और हल्दी दोनों में शक्तिशाली विरोधी भड़काऊ और एंटीऑक्सिडेंट प्रभाव होते हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए अग्रणी है (90 विश्वसनीय स्रोत, 91 विश्वसनीय स्रोत, 92 विश्वसनीय स्रोत, 93 विश्वसनीय स्रोत)। उनके शक्तिशाली लाभों के कारण, आपको अपने आहार में अधिक से अधिक जड़ी बूटियों और मसालों को शामिल करने का प्रयास करना चाहिए। 23. अपने रिश्तों का ख्याल रखें सामाजिक संबंध न केवल आपकी मानसिक भलाई के लिए बल्कि आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि जिन लोगों के पास घनिष्ठ मित्र और परिवार हैं वे स्वस्थ हैं और उन लोगों की तुलना में अधिक समय तक जीवित हैं जो ( 94 , 95 , 96 ) नहीं हैं। 24. अपने भोजन का सेवन हर हाल में करें यह जानने का एकमात्र तरीका है कि आप कितनी कैलोरी खाते हैं, अपने भोजन का वजन करते हैं और एक पोषण ट्रैकर का उपयोग करते हैं । यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि आपको पर्याप्त प्रोटीन, फाइबर और सूक्ष्म पोषक तत्व मिल रहे हैं । अध्ययनों से पता चलता है कि जो लोग अपने भोजन के सेवन को ट्रैक करते हैं वे वजन कम करने और एक स्वस्थ आहार से चिपके रहने में अधिक सफल होते हैं (97 विश्वस्त सूत्र)। 25. यदि आपके पेट की चर्बी अधिक है, तो इससे छुटकारा पाएं बेली फैट विशेष रूप से हानिकारक है। यह आपके अंगों के आसपास जम जाता है और दृढ़ता से चयापचय रोग से जुड़ा होता है (98 विश्वसनीय स्रोत, 99 )। इस कारण से, आपके कमर का आकार आपके वजन की तुलना में आपके स्वास्थ्य के लिए अधिक मजबूत मार्कर हो सकता है। पेट की चर्बी से छुटकारा पाने के लिए कार्ब्स काटना और अधिक प्रोटीन और फाइबर खाना सभी बेहतरीन तरीके हैं ( 100 ,101 विश्वसनीय स्रोत, 102 ,103 विश्वसनीय स्रोत)।
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Download 150 Biology Single Liner Questions HSSC-HTET-CTET-REET-UPTET PDF. मानव में गुर्दे का रोग किसके प्रदूषण से होता है? - कैडमियम बी.सी.जी. का टीका निम्न में से किस बीमारी से बचाव के लिए लगाया जाता है? - क्षय रोग प्रकाश संश्लेषण के दौरान पैदा होने वाली ऑक्सीजन का स्रोत क्या है? - जल पौधे का कौन-सा भाग श्वसन क्रिया करता है? - पत्ती कच्चे फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए किस गैस का प्रयोग किया जाता है? - एसिटिलीन नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में निम्न में से कौन-सी फ़सल सहायक है? - फली   निम्नलिखित में से कौन-सी बीमारी जीवाणुओं के द्वारा होती है? - कुष्ठ   सूक्ष्म जीवाणुओं युक्त पदार्थ का शीतिकरण एक प्रक्रिया है, जिसका कार्य है -जीवाणुओं को निष्क्रिय करना   दूध के दही के रूप में जमने का कारण है - लैक्टोबैसिलस   वृक्षों की छालों पर उगने वाले कवकों को क्या कहते हैं? - कार्टीकोल्स मानव शरीर में सबसे अधिक मात्रा में कौन-सा तत्व पाया जाता है? - ऑक्सीजन किस प्रकार के ऊतक शरीर के सुरक्षा कवच का कार्य करते हैं? - एपिथीलियम ऊतक   हल्दी के पौधे का खाने योग्य हिस्सा कौन-सा है? - प्रकन्द   निम्नलिखित में से कौन-सा रूपांतरिक तना है? 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लालिमा रथ पोरसा विकास खण्ड के आधा दर्जन गांव में पहुंचा
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लालिमा रथ पोरसा विकास खण्ड के आधा दर्जन गांव में पहुंचा
मुरैना। समुदाय को एनीमिया व पंचवटी से पोषण के प्रति जागरूक करने के मकसद से सरकार द्वारा चलाये जा रहे लालिमा रथ का भ्रमण जिले में किया जा रहा है। यह रथ अभी तक पोरसा विकास खण्ड के लगभग आधा दर्जन गांवों में पहुँचकर लोगों को जागरूक कर चुका है। गत दिवस रथ पोरसा परियोजना के ग्राम सैथरा बाढ़ई, रामचंद का पुरा, सेंथरा अहीर, धर्मगढ़, छत्तरपुरा  ग्रामों में आयोजित नुक्कड सभाओं के माध्यम से एनीमियां के प्रति लोगों को जागरूक किया। नुक्कड सभा के दौरान महिला बाल विकास विभाग एवं एकीकृत बाल विकास सेवा चम्बल संभाग के संयुक्त संचालक श्री डी के सिद्धार्थ ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुये कहा कि शरीर में हीमोग्लोविन या खून की कमी को एनीमिया कहा जाता है। हथेली व तलवे में फीकापन, चक्कर आना, थकान, सुस्ती, जल्दी ही सांस फूल जाना एनीमिया के लक्षण है खून की जांच में यदि हीमोग्लोविन 11 से कम निकलता है तो यह एनीमियां को प्रदर्शित करता है। उन्होने पंचवटी से पोषण को जोड़ते हुए ग्रामीणों से कहा कि इसके तहत कुपोषण जहां है उन घरों में विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थो का उपयोग हो घर घर में नीबू, सुरजना, ऑवला, अमरूद, बेर, करोंदा के पौधों को भी लगाये। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री गौतम ने कहा कि एनीमिया से बचने के लिए 6 माह से 5 वर्ष के बच्चे 1 एम एल आयरन सीरप लें, 5 से 10 वर्ष के बच्चे प्रत्येक मंगलवार को आयरन की गुलाबी गोली, 10 से 19 वर्ष के बालक बालिकायें आयरन की नीली गोली प्रत्येक मंगलवार को तथा गर्भवती व धात्री महिलायें प्रतिदिन आयरन की एक लाल गोली 6 माह तक लें। साथ ही आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ बाजरा, खजूर, गुड, अंकुरित दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां पालक, मैथी, बथुआ, अण्डा, मांस, मछली आदि का सेवन प्रतिदिन अपने आहार में लें। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जनपद पंचायत अध्यक्ष श्री प्रेम सिंह बघेल ने एनीमिया के प्रति लोगों को जागरूक रहने का आगाह किया। कार्यक्रम में विशिष्टि अतिथि जनपद उपाध्यक्ष श्री मोहन सिंह तोमर ने कहा कि लालिमा रथ का हम स्वागत करते है इस रथ के द्वारा दिये जाने वाले संदेश से निश्चित रूप से समुदाय में जागरूकता आयेगी और जनता आयरन युक्त पोषण आहार का सेवन करेगी। कार्यक्रम का संचालन करते हुये परियोजना अधिकारी पोरसा डॉ. मनोज गुप्ता ने कहा कि लालिमा रथ के माध्यम से लालिमा योजना के द्वारा एनीमिया पर नियंत्रण हेतु यह शासन की सराहनीय पहल है। रथ के माध्यम से मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान व महिला एवं बाल विकास मंत्री के संदेश का फिल्म के द्वारा प्रसारण किया जा रहा है। नुक्कड सभाओं में हितग्राहियों के रक्त का परीक्षण कर आयरन की गोलियां वितरित की गयी। सभा स्थलों पर महिलाओं की अपार भीड एकत्रित हुई।
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gethealthy18-blog · 4 years
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कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और कम करने के घरेलू उपाय – Cholesterol Symptoms and Remedies in Hindi
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कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और कम करने के घरेलू उपाय – Cholesterol Symptoms and Remedies in Hindi
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और कम करने के घरेलू उपाय – Cholesterol Symptoms and Remedies in Hindi Saral Jain Hyderabd040-395603080 November 29, 2019
व्यस्त दिनचर्या और खराब खान-पान की वजह से शरीर कई परेशानियों की चपेट में आ जाता है। कोलेस्ट्रॉल का स्तर अंसतुलित होना भी इसमें शामिल है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर में गड़बड़ी होने से हृदय रोग व रक्तचाप जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। यूं तो कोलेस्ट्रॉल को घटाने के लिए डॉक्टर कई तरह की दवाएं देते हैं, लेकिन अगर दिनचर्या में कुछ बदलाव किए जाएं व कोलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू उपाय को इस्तेमाल में लाया जाए, तो इस समस्या से बचा जा सकता है। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम कोलेस्ट्राॅल के बारे में विस्तार से बताएंगे। इस लेख में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और इसे कम करने के घरेलू उपायों की जानकारी देंगे।
लेख में सबसे पहले हम बता रहे हैं कि कोलेस्ट्रॉल क्या है।
विषय सूची
कोलेस्ट्रॉल क्या है? – What is Cholesterol in Hindi 
अक्सर लोगों के जहन में यह सवाल आता है कि कोलेस्ट्रॉल क्या है? दरअसल, शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं में पाए जाने वाले मोम जैसे फैटी पदार्थ को कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। इसे हाइपरकोलेस्ट्रॉलमिया (Hypercholesterolemia), हाइपरलिपिडिमिया (Hyperlipidemia) और हाइपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) के नाम से भी जाना जाता है। कोलेस्ट्रॉल शरीर में हार्मोन, विटामिन-डी व अन्य प्रकार के पदार्थ का निर्माण करने में मदद करता है, जिससे भोजन को पचाना आसान हो जाता है। वहीं, रक्त में अधिक कोलेस्ट्रॉल होने पर आर्टरी (धमनियों) से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है (1) (2)।
कोलेस्ट्रॉल क्या है, यह तो आप जान गए हैं। चलिए, अब कोलेस्ट्रॉल के प्रकार के बारे में जान लेते हैं।
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार – Types of Cholesterol in Hindi 
वैसे तो कोलेस्ट्रॉल के दो ही प्रकार माने गए हैं, लेकिन यहां हम कोलेस्ट्रॉल के सभी प्रकारों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं (2) (3): 
लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL): इसे खराब या फिर हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के नाम से भी जाना जाता है। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है। यह कोलेस्ट्रॉल का प्रकार धमनियों को ब्लॉक करने का मुख्य स्रोत होता है। इसकी वजह से कई अन्य परेशानियां और बीमारियों का खतरा भी बना रहता है।
हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL): इस कोलेस्ट्रॉल को अच्छा कोलेस्ट्रॉल जाना जाता है। एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य रहने से हृदय रोग और अन्य समस्याओं से निजात पाने में मदद मिल सकती है।
कुल (टोटल) कोलेस्ट्रॉल: यह रक्त में मौजूद कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बताता है। इसमें कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल और उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल दोनों शामिल होते हैं।
ट्राइग्लिसराइड्स: यह रक्त में पाया जाने वाला एक प्रकार का वसा है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, ट्राइग्लिसराइड्स के उच्च स्तर से महिलाओं में हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।
वेरी लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (VLDL): बहुत कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन यानी VLDL एक और प्रकार का खराब कोलेस्ट्रॉल है। वीएलडीएल का उच्च स्तर होने पर धमनियों पर प्लाग बनने लगता है।
नॉन-एचडीएल: यह बहुत कम घनत्व वाला कोलेस्ट्रॉल होता है। इसमें एचडीएल के अलावा सभी अन्य कोलेस्ट्रॉल शामिल होते हैं। 
आगे लेख में हम कोलेस्ट्रॉल के कारण के बारे में बता रहे हैं। 
कोलेस्ट्रॉल के कारण – Causes of Cholesterol in Hindi 
उच्च कोलेस्ट्रॉल का सबसे आम कारण अव्यवस्थित और खराब जीवनशैली है। कोलेस्ट्राॅल बढ़ने के इसके अलावा भी कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं (1):
खराब खानपान: ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना, जिसमें वसा की मात्रा अधिक होती है, जैसे – मांस, तले हुए खाद्य पदार्थ, डेयरी उत्पाद व चॉकलेट आदि। वसा युक्त इन पदार्थों को खाने से एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है।
शारीरिक गतिविधि का अभाव: रोजमर्रा की जीवनशैली में शारीरिक गतिविधियों, योग और व्यायाम के अभाव से भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। इस प्रकार की जीवनशैली एचडीएल (अच्छे) कोलेस्ट्रॉल को कम करती है।
धूम्रपान करने से: धूम्रपान से एचडीएल (अच्छा) कोलेस्ट्रॉल कम और एलडीएल (हानिकारक) कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि होती है। स्मोकिंग की वजह से यह समस्या खासकर महिलाओं में देखी जाती है।
आनुवंशिक कारण: जेनेटिक्स के कारण भी लोगों को उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या होती है। फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रॉलेमिया (Familial Hypercholesterolemia) आनुवंशिक व विरासत में मिले हुए उच्च कोलेस्ट्रॉल का एक प्रकार है।
चलिए, अब कोलेस्ट्रॉल के लक्षण पर एक नजर डाल लेते हैं। 
कोलेस्ट्रॉल के लक्षण – Cholesterol Symptoms in Hindi
कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कितनी है, यह कोलेस्ट्रॉल टेस्ट से ही स्पष्ट हो सकती है, क्योंकि उच्च कोलेस्ट्रॉल की वजह से किसी तरह के लक्षण सामने नहीं आते। अगर किसी को लंबे समय से उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो उसे हृदय रोग – जैसे एनजाइना (Angina – सीने में दर्द), दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा ज्यादा हो जाता है। कुछ मामलों में व्यक्तियों को स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ने के बाद ही उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर के बारे में पता चलता है। इसलिए, लोगों को समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल टेस्ट के लिए रक्त परीक्षण कराने की सलाह दी जाती है (1) (4)।
कोलेस्ट्रॉल के लक्षण जानने के बाद यहां हम जानेंगे कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल लेवल कितना होना चाहिए? – Cholesterol Levels in Hindi
कोलेस्ट्रॉल के बारे में इतना कुछ जानने के बाद जहन में ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए? नीचे हम उम्र और लिंग के आधार पर कोलेस्ट्रॉल के स्वस्थ स्तर के बारे में बता रहे हैं। कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए इससे पहले यह जान लीजिए कि कोलेस्ट्रॉल टेस्ट के दौरान कोलेस्ट्रॉल को मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिलीग्राम/डीएल) में मापा जाता है (2):
आयु कुल कोलेस्ट्रॉल एलडीएल एचडीएल नॉन – एचडीएल 19 वर्ष व उससे कम 170 मिलीग्राम / डीएल से कम 100 मिलीग्राम / डीएल से कम 45 मिलीग्राम / डीएल से अधिक 120 मिलीग्राम / डीएल से कम 20 व उससे अधिक उम्र के पुरुष 125 से 200 मिलीग्राम / डीएल से कम 100 मिलीग्राम / डीएल से कम 40 मिलीग्राम / डीएल से अधिक 130 मिलीग्राम / डीएल से कम 19 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं 125 से 200 मिलीग्राम / डीएल से कम 100 मिलीग्राम / डीएल से कम 50 मिलीग्राम / डीएल से अधिक 130 मिलीग्राम / डीएल से कम
 कोलेस्ट्रॉल के बारे में तमाम जा���कारी के बाद यहां हम बता रहे हैं इससे बचने के कुछ घरेलू उपाय।
कोलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू उपाय – Home Remedies for Cholesterol in Hindi
कोलेस्ट्रॉल का इलाज यूं तो डॉक्टरों की दवाई से ही संभव है, लेकिन घरेलू उपचार की मदद से कोलेस्ट्रॉल को कम या फिर नियंत्रित किया जा सकता है। नीचे हम आपको कॉलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू उपाय के बारे में बता रहे हैं।
1. नारियल का तेल 
कोलेस्ट्रॉल कम  करने के लिए वर्जिन नारियल के तेल का सेवन फायदेमंद हो सकता है। इसमें लोरिक एसिड (lauric acid) की मात्रा पाई जाती है। यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल को बढ़ाने में मदद कर सकता है (5)। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि नारियल का तेल कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। इसे खाना बनाते समय अन्य तेल की जगह उपयोग कर सकते हैं।
2. आंवला
आंवले का सेवन करने से कई बीमारियों को दूर करने के साथ ही कोलेस्ट्राॅल काे नियंत्रित रखने में भी मदद मिल सकती है। आंवले में भरपूर विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा, आंवले के रस में हाइपोलिपिडेमिक गुण भी होते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन) में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, आंवले के ये सभी गुण खराब कोलेस्ट्राॅल व टोटल कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। साथ ही अच्छे कॉलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (6)। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए इसके जूस और चूर्ण का सेवन किया जा सकता है।
3. प्याज
प्याज का इस्तेमाल भोजन के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए भी किया जा सकता है। प्याज एंटीऑक्सीडेंट और हाइपोलिपिडेमिक गुण से भरपूर होता है (7)। ये गुण अच्छे काेलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाकर खराब कोलेस्ट्रॉल को कम व नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए लाल रंग के प्याज का सेवन भी किया जा सकता है (8)। सूखे हुए प्याज में भी हाइपोलिपिडेमिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकते हैं (9)। प्याज का उपयोग सलाद के रूप में या फिर सब्जी बनाते समय उसमें किया जा सकता है।
4. संतरे का रस
आयुर्वेद में कोलेस्ट्रॉल का इलाज करने के लिए संतरे के रस का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। दरअसल, संतरे में मौजूद विटामिन-सी और फोलेट में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इनके साथ संतरे का रस हाइपोलिपिडेमिक गुणों से भी संपन्न होता है। संतरे में पाए जाने वाले ये गुण और फ्लेवोनोइड्स कंपाउंड रक्त में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा काे कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (10)। संतरे के रस का उपयोग नाश्ते में किया जा सकता है। कोलेस्ट्रॉल से बचे रहने का यह बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
5. सेब का सिरका
कोलेस्ट्रॉल दूर करने के लिए सेब के सिरके का उपयोग भी फायदेमंद माना जाता है। सेब के सिरके में एसेटिक एसिड होता है, जो बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को सामान्य करने में मदद कर सकता है। माना जाता है कि इसे आहार में शामिल करने वालों में हृदय रोग की समस्या में भी कमी आ सकती है। हालांकि, सेब का सिरका कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित कर सकता है या नहीं, इसे स्पष्ट करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है (11) (12)। सेब का सिरका पानी में मिलाकर आप भोजन के पहले सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, इसे सलाद पर भी डाला जा सकता है। ध्यान रहे कि इसे सीमित मात्रा में ही अपनी डाइट में शामिल करें।
6. धनिया पाउडर
धनिया पाउडर खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही स्वास्थ्य का भी ख्याल रख सकता है। इसमें मौजूद हाइपोलिपिडेमिक, एंटीहाइपोकोलेस्ट्रॉलमिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण रक्त में मौजूद हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकते हैं। जानवरों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि धनिया के अर्क को इस्तेमाल करने से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिल सकती है (13)। सब्जियों और सलाद में इसका उपयोग स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है।
7. मछली का तेल
मछली के तेल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। मछली के तेल में पाया जाने वाला ओमेगा-3 पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल का इलाज करने में मदद भी कर सकता है (14)। मछली के तेल को भोजन बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। संभव है कि कुछ लोगों को इसका स्वाद पसंद न आए, तो ऐसे में बाजार में उपलब्ध इसके कैप्सूल का भी सेवन किया जा सकता है। बेहतर यही होगा कि इसे उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ली जाए।
8. लहसुन 
वैसे तो लहसुन का उपयोग आमतौर पर सब्जी या फिर चटनी बनाने के काम आता है, लेकिन लहसुन के अर्क में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण के साथ ही कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले गुण भी पाए जाते हैं, जो बढ़ते हुए कोलेस्ट्राॅल में फायदेमंद हो सकते हैं (15)। ये टोटल कोलेस्ट्रॉल और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (हानिकारक) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में फायदेमंद हो सकते हैं। माना जाता है कि लहुसन का इस्तेमाल कोलेस्ट्रॉल रोगी विकल्प के तौर पर कर सकते हैं (16)। इसे चटनी बनाने या फिर सब्जी बनाते समय इस्तेमाल किया जा सकता है।
9. ग्रीन टी
कई लोग कोलेस्ट्रॉल का इलाज करने के लिए ग्रीन टी का उपयोग करते हैं। दरअसल, इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। ये गुण रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। एंटीऑक्सीडेंट अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में सहायक माना गया है (17)। कोलेस्ट्रॉल से बचने के लिए दिनभर में करीब दो कप ग्रीन टी का सेवन किया जा सकता है। रोज इसकी कितनी मात्रा लेनी चाहिए, इस बारे में एक बार आहार विशेषज्ञ से सलाह ली जा सकती है।
10. नींबू का जूस
पोषक तत्वों से भरपूर नींबू के रस में भी कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता पाई जाती है। नींबू जैसे खट्टे फलों में फ्लेवोनोइड नामक यौगिक पाया जाता है। ये फ्लेवोनोइड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को कम करने में मदद कर सकते हैं (18)। अगर नींबू के रस को शहद के साथ पानी में मिक्स करके पिया जाए, तो शरीर का वजन कम करने में मदद मिल सकती है। वजन कम होने से कोलेस्ट्रॉल को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसा इसलिए संभव है, क्योंकि नींबू के रस में विटामिन-सी और शहद में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है (19)।
11. अलसी के बीज
अलसी के बीज का सेवन कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है। अलसी के बीज में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसमें मौजूद फाइबर टोटल कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल (हानिकारक) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है (20)। कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए इसके पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है। अलसी के बीज से बने पाउडर को सलाद की ड्रेसिंग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
12. अंगूर का रस
अंगूर के जूस का सेवन कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के खतरे को कम कर सकता है। दरअसल, इसमें रेसवेरेट्रॉल (resveratrol), फेनोलिक एसिड (phenolic acids), एन्थॉकायनिन (anthocyanins) और फ्लेवोनोइड (flavonoids) जैसे पॉलीफेनोल्स (polyphenol) कंपाउंड होते हैं। ये बतौर एंटीऑक्सीडेंट शरीर में काम करते हैं। इसलिए, इनकी मदद से अंगूर का रस हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है (21)। इसे जूस के रूप में दोपहर या शाम को ले सकते हैं। संभव है कि कुछ लोगोंं को अंगूर का रस सूट न करे, इसलिए यह रस पीने से पहले आहार विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित रहेगा।
13. अनार का रस
अनार का रस कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर सकता है। इसमें पॉलीफेनोलिक, टैनिन और एंथोसायनिन (Anthocyanin) जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। ये अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने और हानिकारक यानी एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं (22)। अनार के रस का सेवन सीधे या फिर अन्य जूस में मिक्स करके पी सकते हैं।
14. दही 
दही में लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस (Lactobacillus acidophilus) और बिफिदोबैक्टीरियम लैक्टिस (Bifidobacterium lactis) घटक मौजूद होते हैं। ये दोनों घटक रक्त में मौजूद हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए फायदेमंद माने जाते हैं (23)। इसलिए, कोलेस्ट्रॉल के इलाज में दही को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है। आप दिनभर में दही की एक कटोरी खा सकते हैं।
15. चिया सीड्स
चिया के बीज का उपयोग कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर हृदय संबंधी कई बीमारियों से छुटकारा दिला सकता है। चिया के बीज में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। ये रक्त में मौजूद हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सक्षम माने जाते हैं। साथ ही ये अच्छे कोलेस्ट्रॅल के स्तर को भी बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (24)। चिया के बीज, पाउडर और तेल का उपयोग कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग पानी में भिगोकर, दही के साथ या फिर इसका पाउडर बना कर सकते हैं।
16. सेलेरी (Celery) जूस
सेलेरी के जूस का उपयोग कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए भी किया जा सकता है। इसमें एंटीआक्सीडेंट के साथ ही फाइबर की मात्रा भरपूर होती है। ये गुण रक्त में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (25)। इसका सेवन सलाद, जूस या फिर सूप किसी भी रूप में कर सकते हैं।
17. ओट्स 
कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने के लिए ओट्स का सेवन फायदेमंद हो सकता है। ओट्स में बीटा- ग्लूकन (β-glucan) नामक घटक पाया जाता है। प्रतिदिन कम से कम 3 ग्राम बीटा-ग्लूकन का सेवन हानिकारक (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। साथ ही यह अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ावा देने में भी लाभदायक माना जाता है (26)। इसका उपयोग दूध के साथ नाश्ते में, सूप के रूप में या फिर दलिया बनाकर कर सकते हैं।
18. एसेंशियल ऑयल
ऐसे कई तेल बाजार में उपलब्ध हैं, जिनके सेवन से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे ही कुछ खास एसेंशियल ऑयल के बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं:
जैतून का तेल: स्वाद और पौष्टिकता दोनों के लिए जैतून के तेल को उपयोग में लाया जा सकता है। इसमें मौजूद पॉलीफेनोल्स लिपोप्रोटीन से संबंधित ऑक्सीडेटिव डैमेज को रोकते हैं। इससे हानिकारक (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड (एक तरह का वसा) का स्तर कम हो सकता है। साथ ही शरीर में अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने में मदद मिल सकती है (27)। 
पाम ऑयल: पाम ऑयल भी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसमें पाया जाने वाला टोकोट्रिनॉल (tocotrienol) यौगिक कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। ये (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल पर बिना कोई प्रभाव डाले हानिकारक (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है (28)।
स्पियरमिंट ऑयल: इस तेल का उपयोग करके कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, स्पियरमिंट के पत्तों से तैयार अर्क में फेनोलिक यौगिक होता है। जब इस यौगिक का चूहों पर प्रयोग किया गया, तो इसने शरीर में एंटीऑक्सीडेंट प्रक्रिया को बढ़ा दिया। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने के साथ-साथ रक्त में मौजूद हानिकारक ग्लूकोज और कोलेस्ट्राॅल को कम करने में भी मदद मिली (29)। 
नीम का तेल: नीम के फूल के अर्क (तेल, पाउडर, रस) में कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले प्रभाव होते हैं। ये आंतों में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को रोकते हैं। साथ ही कोलेस्ट्रॉल को बनने से भी रोकने में मदद करते हैं। दरअसल, नीम में मौजूद हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक (Hypocholesterolemic) गुण की वजह से इसे कोलस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकने में सहायक माना जाता है (30)। 
लेमन ऑयल: कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए लेमन ऑयल का भी उपयोग किया जा सकता है। लेमन ऑयल में लाइमोनीन (Limonene), एंटीऑक्सीडेंट और गामा टरपीन (γ-terpinene) कंपाउंड पाए जाते हैं। ये गुण रक्त में मौजूद एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके एचडील को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (31)। 
बादाम का तेल: इसमें पाया जाने वाला मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड शरीर में हानिकारक (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल, टोटल कोलेस्ट्रॉल और प्लाज्मा ट्राइग्लिसराइड को कम कर सकता है। साथ ही यह फैटी एसिड अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर में भी वृद्धि करने में लाभदायक हो सकता है (32)। 
19. विटामिन
ऊपर बताई सामग्रियों के अलावा विटामिन को भी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, विटामिन-बी की उच्च खुराक को शरीर में मौजूद कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड (Triglyceride) लिपिड के स्तर को संतुलित करने में सहायक माना गया है।
वहीं, विटामिन-बी यानी नियासिन (Niacin) में एंटी-एथेरोस्क्लोरोटिक गुण होता है। यह गुण उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) को बढ़ाने में लाभदायक माना जाता है। साथ ही विटामिन-ई को भी इस मामले में जरूरी माना गया है। यह कोलेस्ट्रॉल की वजह से आर्टरी (धमनी) में जमने वाले प्लाग को कम करने और कोलेस्ट्रॉल की वजह से होने वाली धमनी से संबंधित बीमारियों को दूर करने में मदद करता है (33)। ध्यान रखें कि डॉक्टर की सलाह के बिना विटामिन के सप्लीमेंट्स का सेवन न करें।
नोट: लेख में ऊपर बताए गए शोध में से कुछ इंसानों पर, तो कुछ जानवरों पर किए गए हैं। 
कोलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू उपाय जानने के बाद यहां हम इससे बचने के लिए जरूरी डाइट के बारे में बता रहे हैं। 
कोलेस्ट्रॉल में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए 
चाहे कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखना हो या फिर बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करना, दोनों ही स्थिति में डाइट अहम भूमिका निभाती है। इसलिए, नीचे हम विस्तार से बता रहे हैं कि कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने के लिए क्या खाना चाहिए और क्या नहीं (34)।
फाइबर युक्त आहार का सेवन करें: घुलनशील फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। यह कोलेस्ट्रॉल को अवशोषित होने से रोकते हैं। कोलेस्ट्रॉल कम करने में फाइबर से समृद्ध साबूत अनाज, दलिया और जई मदद कर सकते हैं। इनके अलावा, फलों में सेब, केला, संतरा, नाशपाती और सूखे बेर का सेवन करके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ने से रोका जा सकता है। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में किडनी बीन्स, दाल, छोले, काले मटर और लिमा बीन्स भी लाभदायक हो सकते हैं।
सब्जियों और फल को करें सेवन: फल के साथ ही सब्जियां भी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती हैं। ये शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले कंपाउंड को बढ़ाने में मदद करती हैं। दरअसल, इनमें स्टैनोल या स्टेरोल यौगिक मौजूद होते हैं, जो घुलनशील फाइबर की तरह शरीर में काम करते हैं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य का सेवन करें: ओमेगा-3 फैटी एसिड हानिकारक (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के साथ ही अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड के लिए मछली का तेल, चिया सीड्स, अलसी का तेल, अखरोट, कनोला तेल, सोया तेल, सोयाबीन और टोफू अच्छे स्रोत हो सकते हैं (35)। 
कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों से बचें: एक दिन में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 200 मिलीग्राम से कम होना चाहिए। साथ ही स्तर के बारे में हमने लेख के शुरुआत में विस्तार से बताया है। मांस में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा पाई जाती है। इसके अलावा, अंडे की जर्दी, झींगा मछली और डेयरी उत्पादों में कोलेस्ट्रॉल अधिक हो सकता है। इसलिए, इनका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।
अल्कोहल का सेवन न करें : अल्कोहल का सेवन शरीर में अतिरिक्त कैलोरी बढ़ा सकता है। इसकी वजह से वजन बढ़ता है और वजन बढ़ने पर एलडीएल का स्तर भी बढ़ने लगता है। साथ ही बढ़ता वजन अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। अल्कोहल का सेवन कोलेस्ट्रॉल के साथ ही हृदय संबंधित बीमारियों का खतरा भी बढ़ा सकता है।
नमक की मात्रा सीमित करें: नमक मतलब सोडियम की मात्रा को सीमित करने की कोशिश करनी चाहिए। एक दिन में 2,300 मिलीग्राम (लगभग 1 चम्मच नमक) से अधिक नहीं खाना चाहिए। नमक सीमित करने से कोलेस्ट्रॉल कम नहीं होगा, लेकिन यह रक्तचाप को कम करके हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकता है। 
चलिए, अब बढ़ते कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बचने के लिए कुछ टिप्स भी जान लेते हैं।
कोलेस्ट्रॉल से बचाव – Prevention Tips for Cholesterol in Hindi 
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए नीचे दिए कुछ टिप्स की मदद ली जा सकती है (36) (37)।
वजन को नियंत्रित करें: कोलेस्ट्राॅल की समस्या से बचने के लिए बढ़ते हुए वजन को नियंत्रित करना जरूरी है, क्योंकि मोटापा कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण में से एक हो सकता है। इससे बचने के लिए अतिरिक्त वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करना चाहिए।
व्यायाम और योग: रोजमर्रा की जिंदगी में योग और व्यायाम के साथ ही शारीरिक गतिविधियों की ओर ध्यान देना भी जरूरी है। ये न सिर्फ मोटापे को कम करेंगे, बल्कि कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के साथ ही इससे संबंधित समस्याओं को दूर करने में भी मदद कर सकते हैं।
धूम्रपान से दूर रहें: धूम्रपान करने से स्वस्थ रक्त कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है। साथ ही यह बढ़ते कोलेस्ट्रॉल का एक कारण भी बन सकता है। इसलिए, कोलेस्ट्रॉल और इससे जुड़ी हुई समस्याओं से बचने के लिए धूम्रपान से बचने की कोशिश करें।
कोलेस्ट्रॉल टेस्ट: शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कितना है, यह जानने के लिए समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल टेस्ट करवाना भी जरूरी है। 
कोलेस्ट्रॉल के इस आर्टिकल में हम बता चुके हैं कि यह समस्या नहीं, बल्कि एक ऐसी स्थिति है, जिसकी वजह से अन्य बीमारियां घेर सकती हैं। इसलिए, लेख में दिए हुए घरेलू उपचारों का उपयोग करके कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम किया जा सकता है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए पूरी तरह से घरेलू उपचार पर निर्भर रहना सही नहीं है। गंभीर अवस्था में चिकित्सकीय परामर्श भी जरूर है। अगर आप कोलेस्ट्रॉल के संबंध में कोई अन्य जानकारी चाहते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से उसे हम तक पहुंचा सकते हैं।
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Saral Jain
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से पत्रकारिता में बीए किया है। सरल को इलेक्ट्रानिक मीडिया का लगभग 8 वर्षों का एवं प्रिंट मीडिया का एक साल का अनुभव है। इन्होंने 3 साल तक टीवी चैनल के कई कार्यक्रमों में एंकर की भूमिका भी निभाई है। इन्हें फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, एडवंचर व वाइल्ड लाइफ शूट, कैंपिंग व घूमना पसंद है। सरल जैन संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी व कन्नड़ भाषाओं के जानकार हैं।
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एडिमा (सूजन) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Edema Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi
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एडिमा (सूजन) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Edema Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi
एडिमा (सूजन) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Edema Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi vinita pangeni Hyderabd040-395603080 November 28, 2019
आए दिन हम लोग कई तरह की शारीरिक समस्याओं से गुजरते हैं। ऐसी ही एक समस्या सूजन भी है। हम इसे आम समस्या समझकर अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह कुछ गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। अगर सूजन एक दिन से ज्यादा है या फिर सूजन वाली जगह काफी टाइट और त्वचा का रंग चमकीला हो गया है, तो तुरंत इसको लेकर सतर्क हो जाना चाहिए। सूजन के कारण होने वाली समस्याओं को कम करने के लिए आप इस लेख में दिए गए उपाय को अपना सकते हैं। सूजन जिसे चिकित्सकीय भाषा में एडिमा कहा जाता है, इससे बचने का सबसे बेहतर तरीका यही है कि पहले एडिमा के लक्षण, कारण और अन्य बातों के बारे में जानकारी हासिल की जाएं। स्टाइलक्रेज के इस लेख में आपको सूजन व एडिमा से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी मिलेगी, जिसकी मदद से आप एडिमा से खुद को बचा सकते हैं।
चलिए, लेख में सबसे पहले यह जान लेते हैं कि एडिमा व सूजन कहते किसे हैं।
विषय सूची
एडिमा (सूजन) क्या है? – What is Edema in Hindi
शरीर के किसी हिस्से में द्रव व तरल पदार्थ के इकट्ठा होने के कारण होने वाली सूजन को एडिमा कहा जाता है। वहीं, एडिमा से प्रभावित किसी भी अंग को एडेमेट्स कहा जाता है। एडिमा सबसे आम रूप से पैरों और हाथों में होता है। एडिमा कई बार गंभीर बीमारी का संकेत हो  सकता है (1)।
एडिमा के प्रकार – Types of Edema in Hindi
एडिमा क्या है यह जानने के बाद अब हम एडिमा के प्रकार बता रहे हैं, जो निम्न प्रकार के हो सकते हैं (1):
पेरिफेरल एडिमा (Peripheral edema) : यह अधिकतर शरीर के निचले अंगों पर होता है। इसमें पैर व टखनों पर सूजन आती है। ऐसा हार्ट और लिवर फेल होने और कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण भी हो सकता है।
पेडल एडिमा (Pedal edema) : यह पैरों के पंजे, तलवे व पैर के निचले हिस्सों में तरल पदार्थ के जमा होने की वजह से होता है।
पलमोनरी एडिमा (Pulmonary edema) : फेफड़ों में अतिरिक्त तरल पदार्थ के जमा होने के कारण ऐसा होता है। यह तरल पदार्थ फेफड़ों में मौजूद वायु थैली (Air sac) में इकट्ठा हो जाता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। इसकी वजह से रेस्पिरेटरी फेलियर होने का खतरा हो जाता है।
सेरेब्रल एडिमा (Cerebral Edema) : सेरेब्रल एडिमा आमतौर पर तब होता है, जब आपके मस्तिष्क में द्रव के प्रवाह में रुकावट होती है और यह एक जगह इकट्ठा हो जाता है। यह स्थिति सिर में/पर चोट लगने, स्ट्रोक, कैंसर व संक्रमण के कारण हो सकती है।
एंजियोडीमा (Angioedema) : ऐसा अधिकतर एलर्जी की वजह से होता है। इस दौरान सूजन त्वचा पर होने के बजाए त्वचा की आंतरिक सतह पर होती है। यह एडिमा चेहरे पर होता है।
पापिलएडिमा (Papilledema) : इस एडिमा के दौरान आंख के ऑप्टिक तंत्रिका (नर्व) में सूजन होती है। इसका निदान नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा किया जाता है।
मैक्यूलर एडिमा (Macular edema) : आंखों के रेटिना में द्रव पदार्थ के जमाव की वजह से मैक्यूलर एडिमा होता है। इस दौरान आंखों के आंतरिक हिस्से में सूजन हो जाती है।
एडिमा शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। आगे लेख में हम एडिमा के कारण के बारे में बता रहे हैं।
एडिमा के कारण – Causes of Edema in Hindi
एडिमा व सूजन के प्रकार के बाद हम आपको एडिमा के कारण बता रहे हैं। सूजन के कारण कुछ इस प्रकार हैं (2) (3) (4):
नमक का ज्यादा सेवन
सनबर्न
ह्रदय घात (हार्ट फेल)
गुर्दे (किडनी) की बीमारी
सिरोसिस की वजह से होने वाली लीवर की समस्या
गर्भावस्था
लिम्फ नोड्स (शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा) से जुड़ी समस्याएं, विशेष रूप से मास्टेक्टॉमी के बाद
गर्म मौसम में बहुत देर तक खड़े रहना या चलना
ब्लड क्लॉट
इंफेक्शन
बुढ़ापा
कुछ दवाएं (एंटीडिप्रेसेंट्स ब्लड प्रेशर की दवाएं, गर्भ निरोधक गोलियों में मौजूद एस्ट्रोजन)
वेनस इंसफिशिएंसी (Venous insufficiency)
कैंसर
कीमोथेरेपी
अधिक वजन
रक्त संचार में कमी
एडिमा के कारण जानने के बाद एडिमा यानी सूजन के लक्षण पर एक नजर डाल लेते हैं।
एडिमा के लक्षण – Symptoms of Edema in Hindi
एडिमा के लक्षण आमतौर पर इसके प्रकार और इससे प्रभावित हिस्से पर निर्भर करते हैं। हालांकि, दर्द, सूजन और प्रभावित क्षेत्र में जकड़न आमतौर पर सभी प्रकार के एडिमा के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं, लेकिन इसके अलावा भी एडिमा के अन्य लक्षण हैं, जो इस प्रकार हैं (1):
चमकीली त्वचा
त्वचा में खिंचावट
हाथ लगाने पर त्वचा पर गड्ढा पड़ना
प्रभावित क्षेत्र में अकड़न
प्लस (नाड़ी) रेट का बढ़ना
पेट का आकार बढ़ना
शरीर के अंगों में दर्द होना
वजन का घटना व बढ़ना
सांस लेने में कठिनाई व खांसी
सीने में दर्द
हाथ और गर्दन में नसें फूल जाना
पेट में दर्द
लेख के अगले हिस्से में एडिमा होम रेमेडिज के बारे में हम विस्तार से बता रहे हैं।
एडिमा के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Edema in Hindi 
1. ग्रीन टी 
सामग्री:
1 चम्मच ग्रीन टी
1 कप पानी
शहद (वैकल्पिक)
उपयोग का तरीका:
पानी में ग्रीन टी डालकर कुछ देर उबाल लें।
अब इसे छानकर एक कप में निकाल लें।
स्वाद के लिए इसमें शहद भी मिलाया जा सकता है।
रोजाना 2 से 3 बार ग्रीन टी का सेवन किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
ग्रीन टी में मौजूद कैफीन शरीर में मौजूद अधिक तरल पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करता है। दरअसल, कैफीन को ड्यूरेटिक यानी मूत्रवर्धक गुण के लिए जाना जाता है। ड्यूरेटिक शरीर में मौजूद अतिरिक्त द्रव के चयापचय में मदद कर एडिमा के इलाज में सहायता कर सकता है (5) (6)।
2. अनानास जूस
सामग्री:
1/4 अनानास
1 कप पानी 
उपयोग का तरीका:
अनानास को छिलकर इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
अब इसमें आवश्कतानुसार पानी डालकर मिक्सी में ब्लेंड कर लें।
ब्लेंड करने के बाद इसका जूस निकालर तुरंत पी लें।
रोजाना एक बार पाइन एप्पल के जूस का सेवन किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
पाइनएप्पल (अनानास) में ब्रोमेलैन नामक एंजाइम पाया जाता है। यह एंजाइम शरीर में बतौर इम्युनोमोड्यूलेटर  काम करता है। इसकी वजह से अनानास में एंटी-एडेमेट्स, एंटी-थ्रोम्बोटिक और एंटी-इंफ्लेमेटीर गुण होते हैं। यह क्रमश: एडिमा से बचाव, एडिमा की वजह से होने वाले ब्लड क्लॉट और सूजन से बचाने में मदद कर सकते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी) में प्रकाशित चूहों पर किए गए एक शोध के मुताबिक अनानास के अर्क का सेवन करने से एडिमा से बचा जा सकता है (7)।
3. मसाज थेरेपी 
सामग्री:
एसेंशियल ऑयल की 5-6 बूंदें (अंगूर और जुनिपर ऑयल)
नारियल तेल 30 एमएल 
उपयोग का तरीका:
एसेंशियल ऑयल व नारियल तेल को आपस में मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाकर मसाज करें।
फिर 5 से 10 मिनट तक हल्के हाथों से मालिश की जा सकती है।
रोजाना दो बार इस प्रक्रिया को दोहराया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
एडिमा की वजह से होने वाली सूजन को कम करने के घरेलू उपाय में मालिश भी शामिल है। प्रभावित हिस्से की मालिश करना एडिमा को कम करने के घरेलू उपाय के रूप में काफी प्रचलित है। मालिश रक्त संचार को बेहतर करता है, जिससे एडिमा के उपचार में मदद मिल सकती है (8) (9)। इसकी मदद से सूजन के कारण होने वाला दर्द भी कम हो सकता है।
4. अंगूर के बीज का अर्क (Grape Seed Extract) 
सामग्री:
अंगूर के बीज का अर्क (100 से 400mg)
उपयोग का तरीका:
आहार में ��ंगूर के बीज के अर्क के सप्लीमेंट को रोजाना इस्तेमाल करें।
इस सप्‍लीमेंट का सेवन रोजाना दो बार किया जा सकता है। 
कैसे लाभदायक है:
अंगूर के बीज के अर्क में प्रोएंथोसाइनिडिन (Proanthocyanidin) नामक पॉलीफेनोलिक यौगिक होता है। इसकी वजह से अंगूर के बीज के अर्क में एंटीऑक्सीडेंट व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। माना जाता है कि इसका प्रोएंथोसाइनिडिन कंपाउंड गुण खुजली, भारीपन और दर्द को कम करने के साथ-साथ सूजन से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (10)। इसलिए, इसे सूजन के लक्षण को ठीक करने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
5. हल्दी 
सामग्री:
1 चम्मच हल्दी पाउडर
1 गिलास दूध या पानी
उपयोग का तरीका:
एक गिलास गर्म पानी या गर्म दूध में हल्दी डालें।
इस मिश्रण को अच्छे से मिलाकर इसका इसका सेवन कर लें।
इसके अलावा, आप पानी की कुछ बूंदों में एक चम्मच हल्दी डालकर पेस्ट तैयार कर सकते हैं।
फिर इसको एडिमा प्रभावित वाली जगह पर लगा सकते हैं।
इस उपाय को रोज सुबह और रात को किया जा सकता है। 
कैसे लाभदायक है:
हल्दी का इस्तेमाल एडिमा के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। चूहों पर हुए एक शोध में भी हल्दी को एडिमा के खिलाफ प्रभावी पाया गया है (11)। वहीं, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, हल्दी में मौजूद करक्यूमिन को दिमाग में लगी चोट की वजह से होने वाले एडिमा से उबरने में लाभदायक पाया गया है (12)।
6. सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar) 
सामग्री:
2 कप सेब का सिरका
2 कप गर्म पानी
उपयोग का तरीका:
एक कटोरे में सेब का सिरका और गर्म पानी मिलाएं।
मिश्रण में एक साफ तौलिया भिगोकर सूजन वाले हिस्से पर लपेट दें।
5 मिनट के बाद तौलिया हटाकर यही प्रक्रिया ठंडे पानी के साथ दोहराएं।
सूजन ठीक न होने तक इसे रोजाना दो बार किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
सेब के सिरका को लेकर हुए एक प्रयोग में सामने आया है कि यह एडिमा में राहत दिलाने में मदद कर सकता है। सेब के सिरके में प्रीबायोटिक व एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। दरअसल, एप्पल साइडर विनेगर को वैरिकोज वेन्स (नसों का फूलकर बड़ा होना) से प्रभावित रोगियों पर इस्तेमाल किया गया। परिणामस्वरूप वैरिकोज वेन्स की वजह से होने वाले दर्द व खुजली से कुछ राहत पाई गई। साथ ही सूजन में भी कमी देखी गई। ऐसे में कहा जा सकता है कि सेब के सिरके का इस्तेमाल सूजन को कम करने के घरेलू उपाय और अन्य एडिमा के लक्षण को कम करने में किया जा सकता है (10)।
7. मल्टीविटामिन 
सामग्री:
मल्टीविटामिन सप्लीमेंट (विटामिन ए, सी, ई)
बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन
मैग्नीशियम, कैल्शियम, सेलेनियम व जिंक जैसे मिनरल
उपयोग का तरीका: 
आहार में उपरोक्त विटामिन और खनिजों से युक्त एक मल्टीविटामिन शामिल करें।
रोजाना एक बार इसका सेवन किया जा सकता है। 
कैसे लाभदायक है:
अगर पोषक तत्वों की कमी की वजह से किसी को एडिमा हुआ है, तो डॉक्टर की सलाह पर मल्टीविटामिन्स के सप्लीमेंट्स का सेवन किया जा सकता है। दरअसल, विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स जिसमें विटामिन-बी6 और बी5 शामिल हैं, उनकी कमी से शरीर में द्रव के इकट्ठा होने की आशंका बढ़ जाती है। ये दोनों विटामिन के साथ ही कैल्शियम और विटामिन-डी शरीर में जमा अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं। इन पोषक तत्वों को सेवन खाद्य पदार्थों के सेवन से ग्रहण किया जा सकता है। ध्यान रखें कि सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें (1) ()।
8. हॉट एंड कोल्ड कंप्रेस 
सामग्री:
ठंडा पानी
गर्म पानी
एक साफ तौलिया 
उपयोग का तरीका:
एक साफ तौलिये को गर्म पानी में भिगो दें।
अब शरीर के सूजे हुए क्षेत्र के चारों ओर इस तौलिये को लपेट लें।
5 मिनट बाद तौलिये को खोल लें।
फिर ठंडे पानी में तौलिये को भिगोकर इस प्रक्रिया को दोहराएं।
इसे रोजाना दो बार किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
एडिमा को कम करने के घरेलू उपाय के रूप में ठंडे और गर्म पानी की सिकाई का प्रयोग लंबे समय से किया जा रहा है। गर्म और ठंडे पानी से बारी-बारी एडिमा प्रभावित हिस्से की सिकाई करने से शरीर में स्वाभाविक रूप से रक्त का प्रवाह बढ़ता है। इसलिए, माना जाता है कि गर्म और ठंडे पानी से सिकाई करने या नहाने से एडिमा से राहत मिल सकती है। यह थेरेपी सूजन के कारण मांसपेशियों में होने वाले दर्द को भी कम करने में मदद कर सकती है (13)। एक ओर गर्म पानी दर्द को कम करने में मदद करता है और रक्त संचार को बेहतर कर एडिमा की वजह से जोड़ों में होने वाले अकड़न को कम कर सकता है। वहीं, ठंडा पानी और बर्फ शरीर के तापमान को कम करता है, जो आंतरिक सूजन से राहत दे सकता है।
9. सरसों का तेल 
सामग्री:
आधा कप सरसों का तेल
उपयोग का तरीका:
सरसों के तेल को हल्का गर्म करें।
अब प्रभावित क्षेत्र की हल्के हाथों से मालिश करें।
रोजाना दो बार इस प्रक्रिया को दोहराया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
सरसों के तेल में सेलेनियम और मैग्नीशियम की उच्च मात्रा पाई जाती है, जिसकी वजह से यह तेल एंटीइंफ्लेमेटरी गुण प्रदर्शित करता है। पारंपरिक रूप से इसका इस्तेमाल दर्द से राहत दिलाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग चिकित्सकीय मालिश के लिए भी होता है (14)। जैसा कि ऊपर बताया गया हैं कि मालिश से शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है, जिसकी मदद से एडिमा का इलाज किया जाता है (9), क्योंकि एडिमा होने का एक कारण रक्त संचार में रुकावट आना भी है (16)। ऐसे में माना जाता है कि यह तेल सूजन के लक्षण को ठीक करने में मदद कर सकता है। 
10. धनिया के बीज 
सामग्री:
3 चम्मच धनिया के बीज
1 कप पानी 
उपयोग का तरीका:
एक सॉस पैन में धनिया के बीज और पानी डालकर उबाल लें।
जब पानी आधा रह जाए, तो मिश्रण को बर्तन से निकालर छान लें।
अब इसका तुरंत सेवन कर लें।
रोजाना दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
सूजन को कम करने के घरेलू उपाय के रूप में धनिया के बीज का भी इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल, धनिया के बीज के अर्क में ड्यूरेटिक (Diuretic) और सैल्यूटिक (Saluretic) गतिविधि पाई जाती है। ड्यूरेटिक गतिविधि की मदद से शरीर में जमा अतिरिक्त तरल पदार्थ पेशाब के जरिए बाहर निकल जाता है। वहीं, सैल्यूटिक गतिविधि शरीर में जमा अतिरिक्त नमक को पेशाब के रास्ते बाहर निकलने में मदद करता है। दरअसल, शरीर में जमा अतिरिक्त नमक और पानी एडिमा का कारण हो सकता है। इसलिए, माना जाता है कि धनिया इन दोनों गतिविधियों की मदद से एडिमा को ठीक करने में मदद कर सकता है (17) (6)। इसके अलावा, धनिया के अर्क में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण भी होते हैं, जो एडिमा के लक्षण, जैसे – सूजन व दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं (18)।
11. टी-ट्री ऑयल 
सामग्री:
टी ट्री एसेंशियल ऑयल की 4-5 बूंदें
उपयोग का तरीका:
टी ट्री ऑयल की बूंदों को रूई पर डालें।
अब इस रूई को सूजन वाले क्षेत्र पर धीरे-धीरे लगाएं।
इसे प्रक्रिया को रोजाना दो बार किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है: 
एडिमा को कम करने के घरेलू उपाय के रूप में टी-ट्री ऑयल को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है। टी ट्री ऑयल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। यह गुण एडिमा से संबंधित सूजन और दर्द को दूर करने में मदद कर सकता है (19)। साथ ही एक अन्य शोध के मुताबिक, टी-ट्री ऑयल में टेरपिनन-4-ऑल नामक केमिकल पाया जाता है, जो त्वचा की सूजन को कम करके एडिमा से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (20)।
12. अजमोद (पार्सले) 
सामग्री:
1/2 से 1 कप अजमोद (पार्सले) के पत्ते
आधा लीटर उबला हुआ पानी
उपयोग का तरीका:
अजमोद के पत्तों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पानी में भिगो दें।
10 मिनट बाद पानी को छान लें।
अब शहद मिलाकर इसे पी लें।
रोजाना अजमोद चाय का सेवन एक से दो बार किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
आयुर्वेद में पार्सले का उपयोग औषधि के रूप से किया जाता है। इसमें मौजूद एंटी-एडेमा गुण की वजह से यह एडिमा के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है (21)। अजमोद को प्राकृतिक मूत्रवर्धक (नैचुरल ड्यूरेटिक) के रूप में भी जाना जाता है। यह शरीर से मौजूद अतिरिक्त तरल पदार्थ को पेशाब के रास्ते बाहर निकालने में मदद करता है। इसलिए, पार्सले का उपयोग एडिमा के इलाज व सूजन को कम करने के घरेलू उपाय के तौर पर किया जा सकता है (22) (23) (6)।
13. अरंडी का तेल (Castor Oil) 
सामग्री:
अरंडी के तेल की कुछ बूंदें
उपयोग का तरीका:
अरंडी के तेल को सूजन वाले क्षेत्रों पर लगाकर मालिश करें।
ऐसा रोजाना दो बार किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
अरंडी का तेल एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुणों से भरपूर होता है। इसलिए, माना जाता है कि यह एडिमा की वजह से होने वाली सूजन और दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (24)। जैसा कि हम आपको ऊपर बता ही चुके हैं कि एडिम का एक कारण रक्त का परिसंचरण न होना भी होता है (16)। ऐसे में इससे प्रभावित जगह की मालिश करने पर रक्त का प्रवाह बढ़ता है और एडिमा से कुछ राहत मिल सकती है।
14. सेंधा नमक (Epsom Salt) 
सामग्री:
1 कप सेंधा (एप्सम) नमक
पानी
 उपयोग का तरीका:
नहाने के पानी में एप्सम सॉल्ट मिलाएं।
15 से 20 मिनट के लिए सूजन वाले हिस्से को पानी में डूबोकर रखें।
वैकल्पिक रूप से, बाथ टब या बाल्टी में सेंधा नमक डालकर स्नान भी कर सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
सेंधा नमक को दर्द और सूजन को कम करने के लिए जाना जाता है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम सल्फेट एडिमा से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। इसका इस्तेमाल करने से सूजन के साथ-साथ खुजली को भी कुछ कम किया जा सकता है (26)।
15. अलसी 
सामग्री: 
एक चम्मच अलसी के बीज का पाउडर या कुछ बूंद तेल
एक गिलास गर्म पानी
उपयोग का तरीका: 
एक गिलास गर्म पानी में फ्लैक्स सीड्स का पाउडर या तेल डालें।
इसे अच्छे से मिलाकर तुरंत पी लें।
रोजाना दो बार इसका सेवन किया जा सकता है। 
कैसे लाभदायक है:
अलसी के तेल में मौजूद अल्फा लिनोलेनिक एसिड (ALA) की वजह से यह जोड़ों में होने वाले एडिमा को रोकने में मदद कर सकता है (27)। कैरेजेनन और एराकिडोनिक (Carrageenan and Arachidonic) एसिड की वजह से होने वाले एडिमा को ठीक करने में भी फ्लैक्स सीड मदद कर सकता है। माना जाता है कि अलसी फेफड़े में होने वाले एडिमा से भी राहत दिलाने में सहायक हो सकती है (28) (29)।
एडिमा के घरेलू उपाय के बाद हम इससे बचाव के कुछ जरूरी टिप्स बता रहे हैं।
एडिमा से बचाव  – Prevention Tips for  Edema in Hindi
सूजन को कम करने के घरेलू उपाय के साथ ही कुछ टिप्स की मदद से आप एडिमा से राहत पा सकते हैं। सूजन व एडिमा को कम करने वाले कुछ सुझाव व टिप्स इस प्रकार हैं (2) (3):
लेटते समय अपने पैरों को ऊपर की ओर रखें। आप तकिए पैरों को तकिये पर रख सकते हैं और समय-समय पर ऊपर उठा सकते हैं।
पैरों का व्यायाम करें। यह पैरों में जमा तरल पदार्थ को वापस पंप करने में मदद कर सकता है।
कम नमक वाले आहार का सेवन करें। इससे सूजन और तरल पदार्थ बनने में कमी आ सकती है।
आप आरामदायक मोजे व स्टॉकिंग्स पहन सकते हैं
यात्रा करते समय सिर्फ बैठे न रहें। बीच-बीच में कुछ देर के लिए टहलें जरूर।
अपनी जांघों के आसपास टाइट कपड़े पहनने से बचें।
जरूरत पड़ने पर वजन कम करें।
बैठते समय भी अपने पैरों को ऊपर रखें
एडिमा व सूजन से बचाव के लिए आप इस लेख में दिए गए उपाय को अपना सकते हैं। यह लेख आपको एडिमा से बचाव करने और इसके लक्षणों को ठीक करने में मदद कर सकता है। वहीं, अगर एडिमा किसी गंभीर बीमारी की वजह से हुआ है, तो सूजन को कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है। यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताएं। साथ ही अगर एडिमा व सूजन से जुड़ी कोई अन्य जानकारी आप चाहते हैं, तो आप अपने सवाल हम तक पहुंचा सकते हैं।
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vinita pangeni
विनिता पंगेनी ने एनएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में बीए ऑनर्स और एमए किया है। टेलीविजन और डिजिटल मीडिया में काम करते हुए इन्हें करीब चार साल हो गए हैं। इन्हें उत्तराखंड के कई पॉलिटिकल लीडर और लोकल कलाकारों के इंटरव्यू लेना और लेखन का अनुभव है। विशेष कर इन्हें आम लोगों से जुड़ी रिपोर्ट्स करना और उस पर लेख लिखना पसंद है। इसके अलावा, इन्हें बाइक चलाना, नई जगह घूमना और नए लोगों से मिलकर उनके जीवन के अनुभव जानना अच्छा लगता है।
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सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Schizophrenia Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi
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सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Schizophrenia Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi
सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Schizophrenia Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 October 19, 2019
सामाजिक, पारिवारिक और ऑफिस की जिम्मेदारियों का बोझ किसी को भी मानसिक रोगी बना सकता है। वहीं, आज के आधुनिक दौर में भी मानसिक रोग को पागलपन से जोड़कर देखा जाता है, जबकि ऐसा नहीं है। दरअसल, शारीरिक समस्याओं के साथ-साथ मानसिक समस्या का इलाज भी जरूरी है। कुछ मामलों में मानसिक विकार गंभीर रूप तक ले लेता है, जिसे मेडिकल भाषा में सिजोफ्रेनिया कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता), दिमाग से जुड़ी एक बीमारी है जिससे दुनियाभर में लगभग 2.1 करोड़ लोग पीड़ित हैं। इसके बावजूद, सिजोफ्रेनिया के कारण पीड़ित लगभग 50 प्रतिशत लोगों को सही इलाज नहीं मिल पाता है (1)। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम सिजोफ्रेनिया के कारण से ले कर सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय और बचाव के बारे में बताएंगे।
आइए, सबसे पहले आपको बता दें कि सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) क्या होता है।
विषय सूची
सिजोफ्रेनिया क्या है? – What is Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) एक मानसिक विकार है, जो पीड़ित व्यक्ति के सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित करता है। इस दौरान व्यक्ति एक काल्पनिक दुनिया जीने लगता है। उसे ऐसे आवाजें सुनाई देती हैं, जो वास्तव में होती ही नहीं हैं। सिजोफ्रेनिया के चलते व्यक्ति को बात करने में भी समस्या होने लगती है (2)। इसका असर उसके पूरे जीवन पर पड़ता है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति को अपने जीवन सभी काम जैसे – पढ़ाई, नौकरी व परिवार की जिम्मेदारियां आदि का ध्यान रखने में समस्या होने लगती है (3)। आपको बता दें कि हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
लेख के अगले भाग में सिजोफ्रेनिया के प्रकार के बारे में जानिए।
सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) के प्रकार – Types of Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया के पांच प्रकार बताए गए हैं, जो इस प्रकार हैं (4):
कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया
डिसआर्गेनाइज्ड सिजोफ्रेनिया
पैरानॉयड सिजोफ्रेनिया
अन्डिफरेन्शिएटिड सिजोफ्रेनिया
रेसिडुअल सिजोफ्रेनिया
आइए, अब आपको सिजोफ्रेनिया के चरण के बारे में बताते हैं।
सिजोफ्रेनिया के चरण – Stages of Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) को चार चरण में बांटा जा सकता है, जो इस प्रकार हैं (5):
पहला चरण : इसे प्रीमॉर्बिड स्टेट कहा जाता है। इस दौरान सोचने समझने की क्षमता में कमी की अनुभूति होने लगती है।
दूसरा चरण : इसे प्रोड्रोम स्टेज कहा जाता है। इस दौरान कुछ सायकोटिक लक्षण जैसे हैलुसिनेशन (जो न हो उसका दिखाई या सुनाई देना) का अहसास होने लगता है (6), लेकिन ये गंभीर नहीं होते हैं।
तीसरा चरण : इस दौरान सभी सायकोटिक लक्षण साफ दिखने लगते हैं। इस चरण तक पहुंचने के बाद सिजोफ्रेनिया का इलाज होने की संभावना 25 प्रतिशत रह जाती है।
चौथा चरण : यह सिजोफ्रेनिया का आखिरी चरण होता है। इस चरण तक आते-आते व्यक्ति पूरी तरह से बीमार हो जाता है। साथ ही अपने सोचने-समझने की और रोजमर्रा के काम को ठीक से करने की क्षमता पूरी तरह से खो देता है।
यह जानने के बाद कि इसके प्रकार और चरण क्या है, आइए आपको बताते हैं कि सिजोफ्रेनिया के कारण क्या हो सकते हैं।
सिजोफ्रेनिया के कारण – Causes of Schizophrenia in Hindi
यह कहना मुश्किल होगा कि सिजोफ्रेनिया के पीछे कोई एक कारण काम करता है। जहां यह कारण महिला और पुरुष, दोनों को प्रभावित करता है। इसके अलावा, यह महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को जल्दी प्रभावित करता है। नीचे हमने प्रमुख सिजोफ्रेनिया के कारण बताए हैं (7) :
आनुवंशिक : अगर किसी के माता-पिता या दोनों में से किसी एक को भी सिजोफ्रेनिया है, तो 10 प्रतिशत तक आशंका होती है कि उनका बच्चा भी इसका शिकार हो सकता है।
बायोकेमिकल कारक : दिमाग में मौजूद कुछ बायोकेमिकल, खासकर डोपामाइन नामक एक न्यूरोट्रांसमीटर (दिमाग से सिग्नल ले जाने वाले केमिकल) के असंतुलित होने से सिजोफ्रेनिया हो सकता है। इस रासायनिक असंतुलन का कारण आनुवंशिक, जन्म दोष या गर्भावस्था के दौरान कुछ प्रकार की जटिलताओं का होना भी हो सकता है।
तनाव : माना जाता है कि तनाव सिजोफ्रेनिया के कारण में शामिल हो सकता है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को अक्सर कहीं भी ध्यान केंद्रित करने में समस्या होती है, जिस वजह से वो चिंतित और चिड़चिड़े होने लगते हैं। इसके अलावा, इस स्थिति में परिवार और स्वयं पर ध्यान न दे पाना आदि भी स्ट्रेस का कारण बनता है। यहां पर यह कह पाना मुश्किल है कि तनाव के कारण सिजोफ्रेनिया हो रहा है या सिजोफ्रेनिया के कारण तनाव हो रहा है।
इस बीमारी के कारण बताने के बाद, आइए अब आपको बताते हैं कि सिजोफ्रेनिया के लक्षण क्या होते हैं।
सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) के लक्षण – Symptoms of Schizophrenia in Hindi
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सिजोफ्रेनिया के लक्षण कुछ दुर्लभ स्थितियों में बच्चों में दिखना शुरू होते हैं। इन्हें तीन भागों में बांटा जा सकता है, जिनके बारे में नीचे बताया गया है (8):
पॉजिटिव लक्षण : इसमें पीड़ित के मनोवैज्ञानिक व्यवहार में बदलाव होने लगता है, जो आम व्यक्ति में नजर नहीं आता। इन लक्षणों के चलते व्यक्ति वास्तविकता से दूर होने लगता है। ये बदलाव कुछ इस तरह से होते हैं :
हैलुसिनेशन (जो न हो उसका दिखाई या सुनाई देना)
भ्रम
सोचने समझने में समस्या होना
शारीरिक गतिविधियां करने में समस्या होना
नेगेटिव लक्षण : इन लक्षणों में पीड़ित व्यक्ति के सामान्य व्यवहार और भावनाओं में परिवर्तन आने लगते हैं, जैसे :
चेहरे या आवाज में कोई भाव न होना
रोजमर्रा के जीवन में भावनाओं का महसूस न होना
कम बोलना
कोई भी नया काम शुरू करने या पुराने को जारी रखने में समस्या
कॉग्निटिव लक्षण : कुछ मरीजों में सिजोफ्रेनिया के ये लक्षण बहुत हल्के होते हैं, लेकिन कुछ के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं, जैसे :
बातों को समझ कर निर्णय लेने में समस्या होना
ध्यान केंद्रित करने में समस्या होना
याददाश्त कम होना
सिजोफ्रेनिया के कारण, उसके लक्षण और प्रकार बताने के बाद, लेख के अगले भाग में जानिए सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय के बारे में।
सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies For Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया एक मानसिक रोग है और इसके उपचार के लिए डॉक्टर से सही दवा व थेरेपी लेना जरूरी है। नीचे बताए गए कुछ घरेलू नुस्खे इलाज के प्रभाव को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। ये उपाय सिजोफ्रेनिया के लक्षण को कम करने में भी लाभकारी साबित हो सकते हैं। नीचे जानिए सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय।
1. हरी इलाइची
Shutterstock
सामग्री :
एक छोटा चम्मच इलाइची पाउडर
एक गिलास गर्म पानी
शहद
विधि :
एक गिलास गर्म पानी में एक छोटा चम्मच इलाइची पाउडर मिला लें।
अच्छी तरह मिलाने के बाद इस घोल को 10 मिनट के लिए छोड़ दें।
10 मिनट बाद इस घोल को छान लें और पानी अलग कर लें।
आखिरी में इस पानी में शहद मिला लें और गुनगुना सेवन करें।
इस घोल का सेवन दिन में दो बार कर सकते हैं।
कैसे काम करता है :
सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय में आप हरी इलाइची का उपयोग कर सकते हैं। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करती है और सिजोफ्रेनिया के लक्षण को कम कर सकती है (9)।
2. विटामिन
विटामिन बी6 (चिकन, अंडे, मछली व स्टार्च भरी सब्जियां)
विटामिन बी12 (मीट व डेयरी उत्पाद)
विटामिन ए (डेयरी उत्पाद व हरी सब्जियां)
विटामिन सी (साइट्रस फल, आलू व पालक)
विटामिन ई (वेजिटेबल ऑइल व अंडे)
विटामिन डी (मछली, अंडे की जर्दी व दूध)
विटामिन सप्लीमेंट्स
कैसे काम करता है :
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति में कई विटामिन की कमी हो जाती है। इनमें से कुछ विटामिन जैसे विटामिन डी की कमी सिजोफ्रेनिया के कारण में शामिल में हो सकती है। ऐसे में विभिन्न विटामिन से समृद्ध खाद्य पदार्थ या सप्लीमेंट्स लेने से सिजोफ्रेनिया के लक्षण में कमी आ सकती है (10)। लेख के आने वाले भागों में आप जानेंगे कि किन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से इन विटामिन की कमी पूरी हो सकती है।
3. तुलसी की पत्तियां
Shutterstock
सामग्री:
तुलसी की पत्तियां
सेज हर्ब
पानी
विधि :
एक कप पानी में चार से पांच तुलसी की पत्तियां और आधा चम्मच सेज हर्ब डाल कर उबाल लें।
कुछ मिनट उबालने के बाद पानी को छान लें।
जब पानी हल्का गुनगुना हो जाए, तो इसका सेवन करें।
आ जल्द परिणाम के लिए इसका सेवन दिन में दो बार कर सकते हैं।
कैसे काम करता है :
तुलसी की पत्तियों में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो सिजोफ्रेनिया का इलाज करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, तुलसी की पत्तियां मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को ठीक से काम करने में मदद करती हैं, जिससे सिजोफ्रेनिया के लक्षण से आराम मिल सकता है (9)। इसके अलावा, इसमें एंटी-स्ट्रेस गुण होते हैं, जो सिजोफ्रेनिया के कारण होने वाले तनाव को कम करने में भी मदद करते हैं (11)।
4. जिनसेंग
सामग्री :
सूखा जिनसेंग पाउडर
पानी
विधि :
एक गिलास पानी में एक छोटा चम्मच जिनसेंग पाउडर डालकर उबाल लें।
लगभग 10 मिनट उबलने के बाद पानी को छान कर अलग कर लें।
फिर पानी के गुनगुना होने पर सेवन करें।
इस घोल का सेवन लगभग छह महीने तक दिन में एक बार किया जा सकता है।
कैसे काम करता है :
जिनसेंग के फायदे सिजोफ्रेनिया के लक्षण से आराम पाने में मदद कर सकते हैं। यह प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट करता है, जिससे दिमाग से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है (12)।ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होने से सिजोफ्रेनिया का इलाज करने में मदद मिल सकती है। साथ ही जिनसेंग में न्यूरो प्रोटेक्टिव गुण होते हैं, जो दिमाग में न्यूरोन्स को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं (9) (13)।
5. ओमेगा-3 (फिश ऑयल)
सामग्री :
ओमेगा 3 सप्लीमेंट्स
विधि :
डॉक्टर से परामर्श कर ओमेगा-3 सप्लीमेंट्स का सेवन करें।
ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ जैसे मछली, सोया, अखरोट, अंडे व दही आदि का सेवन भी किया जा सकता है (14)।
कैसे काम करता है :
शोध में पाया गया है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड सिजोफ्रेनिया के लक्षण को रोकने में मदद कर सकता है। खासकर, कॉग्निटिव लक्षणों को रोकने में यह मददगार साबित हो सकता है। यह पीड़ित व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन लाने में मदद कर सकता है, लेकिन इस पर अभी और शोध होना बाकी है (15)।
6. ब्राह्मी
Shutterstock
सामग्री :
ब्राह्मी सप्लीमेंट
विधि :
डॉक्टर से परामर्श कर ब्राह्मी सप्लीमेंट्स का सेवन करें।
कैसे काम करता है :
सदियों से ब्राह्मी का उपयोग आयुर्वेद में किया जा रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सिजोफ्रेनिया का इलाज करने के लिए ब्राह्मी को एक प्रभावशाली दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। ब्राह्मी सप्लीमेंट का सेवन सिजोफ्रेनिया के पॉजिटिव लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होता है, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित हो सकता है (15)।
7. अश्वगंधा
सामग्री:
अश्वगंधा सप्लीमेंट्स
विधि :
डॉक्टर से परामर्श कर अश्वगंधा सप्लीमेंट्स का सेवन करें।
कैसे काम करता है :
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति के लिए अश्वगंधा का उपयोग करना फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके अर्क के एंटी इन्फ्लेमेटरी और इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रखने वाले गुण सिजोफ्रेनिया के लक्षण, खासकर नेगेटिव लक्षण और तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि अश्वगंधा सिजोफ्रेनिया का इलाज करने में मदद कर सकता है (16)।
8. कैमोमाइल
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सामग्री :
एक छोटा चम्मच सूखी कैमोमाइल
एक कप पानी
विधि :
एक कप पानी में एक छोटा चम्मच कैमोमाइल डालकर अच्छी तरह से उबाल लें।
अच्छी तरह से उबाल जाने के बाद पानी (कैमोमाइल टी) को छान लें।
फिर गुनगुने कैमोमाइल टी का सेवन करें।
दिन में दो बार इस चाय का सेवन करें
कैसे काम करता है :
मिनरल
शरीर में पोटैशियम की कमी को हाइपोकैलीमिया कहा जाता है। यह भी सिजोफ्रेनिया के लक्षणों का एक कारण हो सकती है, जिसे सायकोसिस कहा जाता है (17)। इस परिस्थिति में कैमोमाइल टी का सेवन करने से फायदे मिल सकते हैं। इसमें पोटैशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो पोटैशियम की कमी को पूरा कर सकती है (18)
9. आंवला
सामग्री :
आंवला पाउडर
एक गिलास गर्म पानी
विधि :
आंवले को सुखाकर, उसे बारीक पीस कर पाउडर बना लें।
रोज एक चम्मच आंवला पाउडर का एक गिलास गर्म पानी के साथ सेवन करें।
मरीज चाहे तो साबूत आंवला के फल का सेवन भी कर सकता है।
कैसे काम करता है :
आंवले को एक प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में कारगर साबित हो सकता है (19)। जैसा कि हम लेख में पहले भी बता चुके हैं कि एंटीऑक्सीडेंट गुण सिजोफ्रेनिया के लक्षण को कम करने में मदद करता है (13)। साथ ही आंवला रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे सिजोफ्रेनिया से लड़ने में मदद मिलती है (9)।
10. लिकोरिस (मुलेठी) पाउडर
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सामग्री :
दो चम्मच मुलेठी पाउडर
दो कप पानी
विधि :
दो कप पानी में दो चम्मच मुलेठी पाउडर को अच्छी तरह से मिला लें।
इस घोल को एक पैन में डाल कर, तब तक उबालें जब तक कि इसकी मात्रा आधी न रह जाए।
आधा हो जाने के बाद, इसे छान लें।
फिर इसे ठंडा करके पिएं।
इस घोल का सेवन रोज सुबह नाश्ते से एक घंटा पहले कर सकते हैं।
कैसे काम करता है :
सिजोफ्रेनिया के बचाव के लिए मुलेठी का सेवन किया जा सकता है। यह दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाता है, ताकि मस्तिष्क ठीक से काम कर सके। इसके अलावा, यह दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर (दिमाग से सिग्नल ले जाने वाले केमिकल) और सिजोफ्रेनिया के कारण कम होने वाली याददाश्त को बढ़ाने में भी मदद करता है। खासकर, यह सिजोफ्रेनिया के कॉग्निटिव लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (20)।
11. गाजर
सामग्री :
दो से तीन गाजर
आधा कप पानी
विधि :
गाजर के छोटे-छोटे टुकड़े करके ब्लेंडर में डाल लें।
अब इसमें लगभग आधा कप पानी मिलाकर अच्छी तरह से पीस लें।
अच्छी तरह पिस जाने के बाद, इस जूस को छानकर गिलास में डाल लें।
आप दिन में दो बार इस जूस का सेवन करें।
आप गाजर को सलाद की तरह भी खा सकते हैं।
कैसे काम करता है :
गाजर का उपयोग सिजोफ्रेनिया का उपचार करने के लिए किया जा सकता है। गाजर में नियासिन (विटामिन बी3) पाया जाता है (21)। शोध में पाया गया है कि नियासिन की कमी भी सिजोफ्रेनिया के लक्षण में शामिल है। साथ ही न्यूरोन्स की कमी और हैलुसिनेशन में भी वृद्धि हो सकती है। इस परिस्थिति में नियासिन से समृद्ध खाद्य पदार्थ जैसे गाजर का सेवन करने से सिजोफ्रेनिया के लक्षण जैसे हैलुसिनेशन और भ्रम (psychotic features) को कम करने में मदद मिल सकती है (22)।
12. जिन्कगो बिलोबा
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सामग्री :
जिन्कगो बिलोबा सप्लीमेंट्स
विधि :
डॉक्टर से परामर्श कर जिन्कगो बिलोबा सप्लीमेंट्स का सेवन करें।
कैसे काम करता है :
सिजोफ्रेनिया के कारण में फ्री रेडिकल्स या ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का प्रभाव भी शामिल। ऐसे में एक प्रभावशाली एंटी-ऑक्सीडेंट जैसे जिन्कगो बिलोबा इस कारण को कम करने में मदद कर सकता है। यह सिजोफ्रेनिया के पॉजिटिव लक्षण को कम करने में मदद करता है और एंटी-सायकोटिक दवाइयों (मनोविकार के प्रति प्रभावकारी दवा) के प्रभाव को बढ़ाने में मदद करता है (23)। 13. पालक
सामग्री :
पालक की सब्जी
विधि :
आप घर में पालक की सब्जी बना सकते हैं।
पालक को सलाद के साथ मिला कर भी खाया जा सकता है।
कैसे काम करता है :
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति में अक्सर फोलेट (विटामिन बी9) की कमी हो जाती है, खासकर प्लाज्मा फोलेट का स्तर ज्यादा कम हो जाता है। फोलेट की यह कमी उनके लिए सिजोफ्रेनिया से जल्द उबरने में बाधा बन सकती है (24)। ऐसे में पालक का सेवन सिजोफ्रेनिया का उपचार होने की दर बढ़ाने में मददगार हो सकता है। पालक में भरपूर मात्रा में फोलेट पाया जाता है, जिससे उसकी कमी को पूरा किया जा सकता है (25)।
14. कावा कावा
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सामग्री :
एक बड़ा चम्मच कावा कावा पाउडर
एक गिलास पानी
विधि :
एक गिलास पानी में कावा पाउडर अच्छी तरह से मिला लें।
पाउडर को लगभग 10 मिनट तक पानी में अच्छी तरह मिलाएं।
पूरी तरह मिल जाने के बाद पानी को छान लें और उसका सेवन करें।
इसका सेवन दिन में एक बार किया जा सकता है।
नोट : कावा कावा का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी हैं, क्योंकि इसका सेवन सिजोफ्रेनिया की अन्य दवाइयों पर प्रभाव डाल सकता है।
कैसे काम करता है :
कावा के गुण सिजोफ्रेनिया के पॉजिटिव और नेगेटिव लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही यह सिजोफ्रेनिया के सायकोटिक ��क्षण जैसे हैलुसिनेशन और भ्रम को कम करने में भी मदद कर सकता है। फिलहाल, यह कहना मुश्किल होगा कि सिजोफ्रेनिया के लक्षण कम करने में कावा कावा के कौन-से गुण काम करते हैं (26)।
नोट : सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय क्या-क्या हैं, यह तो आप जान ही चुके हैं। साथ ही ध्यान रहे कि ये सभी उपाय सिजोफ्रेनिया के लक्षण को कम करने में सिर्फ मदद कर सकते हैं। साथ ही, ये मरीज के ठीक होने की गति को भी बढ़ा सकते हैं, लेकिन स्पष्ट तौर पर यह कहना मुश्किल है कि ये सिजोफ्रेनिया का उपचार करने में कितने लाभकारी हैं।
सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय जानने के बाद, लेख के अगले भाग में जानिए कि सिजोफ्रेनिया के जोखिम कारक क्या हो सकते हैं।
सिजोफ्रेनिया के जोखिम कारक – Risk Factors of Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया के कारण के अलावा कुछ और जोखिम कारक भी हैं, जो सिजोफ्रेनिया होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं, जैसे (7) (8) :
शराब और दूसरे नशों का सेवन
कुछ प्रकार के वायरस से संपर्क
जन्म के समय कुपोषण
जन्म दोष
मनोसामाजिक कारक
लेख के द्वारा सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय बताने के बाद, आइए अब आपको बता दें कि दवा और थेरेपी से सिजोफ्रेनिया का इलाज कैसे किया जा सकता है।
सिजोफ्रेनिया का इलाज – Treatment of Schizophrenia in Hindi
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लेख के इस भाग की शुरुआत करने से पहले हम आपको एक बार फिर बता दें कि सिजोफ्रेनिया का इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं है। नीचे बताई जाने वाली दवाइयां और थेरेपी सिर्फ सिजोफ्रेनिया के लक्षण को कम कर सकती हैं (8)।
एंटीसायकोटिक ट्रीटमेंट : एंटीसायकोटिक का मतलब होता है सायकोटिक लक्षण जैसे हैलुसिनेशन और भ्रम को कम करने वाली दवाइयां (27)। इस ट्रीटमेंट को टेबलेट या सिरप के रूप में दिया जाता है। कुछ स्थितियों में एंटीसायकोटिक दवाइयों के इंजेक्शन भी लगते हैं। शुरुआत में इस ट्रीटमेंट के कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन वो कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं।
साइकोसोशल ट्रीटमेंट : यह एक प्रकार की थेरेपी होती है, जिसकी शुरुआत मरीज के लिए सही दवा मिल जाने के बाद की जाती है। यहां हम बता दें कि सभी मरीजों के लिए सभी दवाइयां काम नहीं करती हैं। इसलिए, डॉक्टर पहले चेक करते हैं कि मरीज को कौन-सी दवा फायदा करेगी। साइकोसोशल ट्रीटमेंट में डॉक्टर मरीज को रोजमर्रा के काम जैसे ऑफिस जाना व पढ़ाई करना आदि में ध्यान लगाने में मदद करते हैं।
कॉर्डिनेट स्पेशयलिटी केयर (Coordinated Specialty Care) : इस ट्रीटमेंट में दवाइयां, थेरेपी, परिवार की मदद लेना, पढ़ाई और काम में ध्यान लगाने की थेरेपी आदि सब शामिल होता है। इसमें सभी लक्षणों को कम करने और रोजमर्रा के कम करने के लिए प्रेरित करने पर जोर दिया जाता है।
आइए, अब आपको बताते हैं कि जब सिजोफ्रेनिया का इलाज चल रहा हो, तब क्या खाना चाहिए।
सिजोफ्रेनिया में क्या खाना चाहिए – What to eat during Schizophrenia in Hindi
जैसा कि हम लेख में पहले बता चुके हैं कि कुछ पोषक तत्वों की कमी सिजोफ्रेनिया का इलाज होने की दर में कमी ला सकती हैं (10)। ऐसे में उन सभी खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है, जो इन पोषक तत्वों की कमी पूरा कर सके।
विटामिन-बी6 के लिए चिकन, अंडे, मछली, स्टार्च भरी सब्जियां जैसे आलू, मटर, हरे केले, कॉर्न का सेवन किया जा सकता है (10) (28)।
विटामिन-बी12 के लिए मीट, डेयरी उत्पाद व सिरियल्स आदि का सेवन किया जा सकता है (10)।
विटामिन-ए के लिए अंडे, डेयरी उत्पाद व हरी सब्जियां का सेवन किया जा सकता है (10)।
विटामिन-सी के लिए साइट्रस फल, लाल और पीली बेल पेप्पर, टमाटर व ब्रोकली का सेवन किया जा सकता है (29)।
विटामिन-ई के लिए वेजिटेबल ऑयल जैसे सूरजमुखी, सोयाबीन, कॉर्न का तेल, बादाम, मूंगफली, हेज़लनट, पालक व ब्रोकली का सेवन किया जा सकता है (30)।
विटामिन-डी के लिए मछली, अंडे की जर्दी व दूध का सेवन किया जा सकता है (10)।
गाजर के साथ आप फोलेट से समृद्ध अन्य खाद्य पदार्थ भी खा सकते हैं, जैसे चिकन, अंडे, मशरूम, साबुत अनाज व बीन्स आदि (31)।
यह जानने के साथ कि सिजोफ्रेनिया में क्या खाना चाहिए, यह भी जानना जरूरी है कि क्या नहीं खाना चाहिए। इस बारे में जानिये लेख के अगले भाग में।
सिजोफ्रेनिया में परहेज – What to Avoid During Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति को नीचे बताई गई बातों से परहेज रखने की सलाह दी जाती है।
सबसे पहले तो उन सभी पदार्थों का सेवन करने से बचना जरूरी है, जिनकी वजह से सिजोफ्रेनिया के लक्षण बढ़ सकते हैं, जैसे शराब और अन्य नशीले पदार्थ (7)।
जैसा कि हम बता चुके हैं कि तनाव भी सिजोफ्रेनिया का एक कारण हो सकता है (7)। ऐसे में चिंता करने से बचना सिजोफ्रेनिया के बचाव की तरह काम कर सकता है।
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को धूम्रपान करने से भी बचना चाहिए (32)।
सिजोफ्रेनिया के मरीज को नींद न आने की समस्या होती है, लेकिन उन्हें भरपूर नींद लेना जरूरी है (33)। ऐसे में उन सभी पदार्थों का सेवन करने से बचें, जो नींद में अड़चन पैदा कर सकते हैं, जैसे रात में चाय या कॉफी पीना आदि।
लेख के अगले भाग में जानिए कि सिजोफ्रेनिया के बचाव क्या होते हैं।
सिजोफ्रेनिया से बचने के उपाय – Prevention Tips for Schizophrenia in Hindi
जैसा कि कहा जाता है उपचार से बेहतर बचाव है और सिजोफ्रेनिया का तो कोई उपचार भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उससे बचना ही समझदारी होगी। नीचे बताए गए कुछ टिप्स सिजोफ्रेनिया के बचाव में मदद कर सकते हैं :
शराब, धूम्रपान और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
सिजोफ्रेनिया के शुरूआती लक्षण महसूस होते ही डॉक्टर से परामर्श करें।
भरपूर नींद लें।
योग और व्यायाम करें, ताकि आपका मन शांत रहे और आप चिंता से दूर रहें।
साधारण डॉक्टर की तरह ही, नियमित रूप से साइकोलोजिस्ट से मिलें और चेकअप करवाएं।
अपने मानसिक स्वास्थ को नजरअंदाज न करें, फिर चाहे वह मानसिक थकान और तनाव ही क्यों न हो।
अब आप सिजोफ्रेनिया के बारे में लगभग सब समझ गए होंगे और इसके लक्षण जानने के बाद आपको यह भी समझ आ गया होगा कि यह कितनी खतरनाक बीमारी है। सिजोफ्रेनिया के लक्षण जैसे उन चीजों का दिखना या सुनाई देना जो नहीं हैं, इस पर आमतौर पर लोग आसानी से यकीन नहीं करते। कई बार इसे भूत-प्रेत की बाधा से भी जोड़ दिया जाता है और सिजोफ्रेनिया के कारण पीड़ित व्यक्ति अपना आत्मविश्वास खोने लगता है। उसे अक्सर ऐसा महसूस होने लगता है कि कोई उस पर भरोसा नहीं करता। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति के परिवार और दोस्तों को यह ध्यान रखना जरूरी है कि वो उस पर भरोसा करें और उसे सिजोफ्रेनिया का इलाज करवाने में मदद करें। सिजोफ्रेनिया के बचाव और उपचार के लिए कई सहयोग ग्रुप बने हुए हैं, जिनकी मदद से पीड़ित व्यक्ति को आम जीवन जीने में मदद मिल सकती है। अगर अब भी आपके मन में सिजोफ्रेनिया से जुड़ा कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स के जरिए हमसे पूछ सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या सिजोफ्रेनिया आनुवंशिक है?
कुछ मामलों में सिजोफ्रेनिया आनुवंशिक हो सकता है। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि अगर किसी के माता-पिता या दोनों में से किसी एक को भी सिजोफ्रेनिया है, तो 10 प्रतिशत आशंका है कि उनका बच्चा भी इसका शिकार हो सकता है (7)।
अगर सिजोफ्रेनिया का उपचार न किया जाए तो क्या होगा?
अगर समय रहते सिजोफ्रेनिया का उपचार शुरू न किया जाए, तो उसके चरण बढ़ने लगते हैं और लक्षण गंभीर होने लगते हैं। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति के भ्रम और हैलुसिनेशन बढ़ सकती हैं और अत्यंत बुरे मामलों में व्यक्ति आत्महत्या कर सकता है (34)।
क्या सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोग खतरनाक होते हैं?
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित ज्यादातर लोग खतरनाक नहीं होते है। हां, कुछ स्थितियों में मरीज को यह भ्रम होने लगता है कि आसपास के लोग उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। ऐसे में आत्मरक्षा के चलते वो दूसरे को नुकसान पहुंचा सकते हैं (2)।
सिजोफ्रेनिया को नियंत्रित करने में कितना समय लगता है?
इस बारे में कहना मुश्किल है कि सिजोफ्रेनिया को नियंत्रित करने में कितना समय लग सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज सिजोफ्रेनिया के कौन-से चरण पर है। कई मामलों में मरीज को पूरी जिंदगी एंटीसायकोटिक लेने की जरूरत पड़ सकती है। जैसा कि हम लेख में पहले भी बता चुके हैं कि सिजोफ्रेनिया का पूरी तरह उपचार करना मुमकिन नहीं है। फिर इसके लक्षणों को ही नियंत्रित किया जा सकता है।
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सौम्या व्यास ने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बीएससी किया है और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया, बेंगलुरु से टेलीविजन मीडिया में पीजी किया है। सौम्या एक प्रशिक्षित डांसर हैं। साथ ही इन्हें कविताएं लिखने का भी शौक है। इनके सबसे पसंदीदा कवि फैज़ अहमद फैज़, गुलज़ार और रूमी हैं। साथ ही ये हैरी पॉटर की भी बड़ी प्रशंसक हैं। अपने खाली समय में सौम्या पढ़ना और फिल्मे देखना पसंद करती हैं।
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बादाम दूध के फायदे, उपयोग और नुकसान – Almond Milk Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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बादाम दूध के फायदे, उपयोग और नुकसान – Almond Milk Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
बादाम दूध के फायदे, उपयोग और नुकसान – Almond Milk Benefits, Uses and Side Effects in Hindi Saral Jain Hyderabd040-395603080 October 11, 2019
बादाम का उपयोग इसके गुणों और स्वाद के कारण हम किसी न किसी रूप में करते ही रहते हैं। यह एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है, जो शरीर को कई तरीके से लाभ पहुंचाता है। बादाम से अलग अगर इसके दूध की बात की जाए, तो पोषण के मामले में यह भी कम नहीं है। आपको जानकर हैरानी होगी कि बादाम दूध पाचन सुधारने के साथ-साथ कैंसर और हृदय संबंधी बीमारियों से बचाव कर सकता है। यह न सिर्फ सेहत, बल्कि त्वचा और बालों के लिए भी लाभकारी हो सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम बात करेंगे बादाम दूध के फायदे, उपयोग और नुकसान के बारे में। साथ ही हम आपको बादाम दूध बनाने की विधि के बारे में भी जानकारी देंगे।
यहां हम आपको बता रहे हैं कि बादाम का दूध आपकी सेहत के लिए अच्छा कैसे है।
विषय सूची
बादाम दूध पीना आपके सेहत के लिए क्यों अच्छा है?
बादाम के दूध का इस्तेमाल खाद्य पदार्थों के साथ-साथ प्रोटीन ड्रिंक में भी किया जाता है। बादाम के दूध में कोलेस्ट्रॉल और सैचुरेटेड फैट नहीं होता है और यह लैक्टोज मुक्त होता है। कम कैलोरी के कारण यह वजन कम करने का एक शानदार तरीका हो सकता है। बादाम का दूध आयरन, विटामिन-ई और मैग्नीशियम प्रदान करता है, जो आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। बादाम के दूध में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण कई बीमारियों को दूर करने के मदद कर सकते हैं।
इसका सेवन करने से खून के थक्के जमने का डर नहीं होता। इसके अलावा, यह प्रतिरक्षा प्रणाली में वृद्धि करने में भी कारगर हो सकता है। बादाम दूध में मौजूद राइबोफ्लेविन (Riboflavin), कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में परिवर्तित करके पाचन में सहायता कर सकता है। इसमें आयरन पाया जाता है, जो एनीमिया से बचाव कर सकता है। इस तरह आपने देखा कि बादाम के दूध के एक नहीं कई फायदे हो सकते हैं (1)।
बादाम दूध के प्रमुख फायदों को आर्टिकल के इस हिस्से में विस्तार से बताया जा रहा है।
बादाम दूध पीने के फायदे – Benefits of Almond Milk in Hindi
जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कि बादाम के दूध का सेवन कई प्रकार से फायदेमंद हो सकता है। यहां हम आपको इसका सेवन करने से होने वाले प्रमुख फायदों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
1. हृदय के लिए बादाम दूध के फायदे
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बादाम का दूध हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकता है। दरअसल, बादाम का दूध विटामिन-ए और विटामिन-ई का अच्छा स्रोत है (2)। ये पोषक तत्व कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकते हैं, जो हृदय समस्याओं का कारण बन सकते हैं (1) (3) (4)।
2. हड्डियों के लिए बादाम दूध पीने के फायदे
अगर हम कहें कि बादाम के दूध का सेवन आपकी हड्डियों के लिए फायदेमंद हो सकता है, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। बड़ों के साथ ही बच्चों को भी मजबूत हड्डियों के निर्माण के लिए विटामिन-डी और कैल्शियम की आवश्यकता होती है (5)। बादाम के दूध में विटामिन-डी और कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के साथ ही इनके विकास में मदद करेंगे (2)।
3. प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए
बादाम का दूध आपकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर आपको रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान कर सकता है। इसमें विटामिन-डी और विटामिन-ई की अच्छी मात्रा पाई जाती है (2) और अन्य पोषक तत्वों के साथ ये दोनों विटामिन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इन पोषक तत्वों में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो बीमारियों के साथ त्वचा की सूजन को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं (6) (7)।
4. आंखों के लिए बादाम दूध पीने के फायदे
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अगर आप आंखों की समस्या से परेशान हैं, तो बादाम का दूध आपके लिए एक कारगर औषधि के रूप में काम कर सकता है। जैसे बादाम के सेवन से आंखों की परेशानी को दूर किया जाता सकता है, वैसे ही बादाम के दूध का सेवन भी आपकी आंखों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें राइबोफ्लेविन के साथ ही विटामिन-ए और विटमिन-डी की मात्रा पाई जाती है (2)। राइबोफ्लेविन मोतियाबिंद जैसी आंखों की समस्या को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है (8)। इसके अलावा, इसमें मौजूद विटामिन-डी और विटामिन-ई आंखों की कई समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं। जैसे कि कम दिखाई देना या फिर एक ही वस्तु के दो प्रतिबिम्ब दिखाई देना (9)।
5. मांसपेशियों के लिए बादाम दूध के फायदे
मजबूत मांसपेशियों के लिए भी बादाम का दूध कारगर हो सकता है। अगर आप जिम जाते हैं या फिर मांसपेशियों की कमजोरी से परेशान हैं, तो बादाम का दूध आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। बादाम के दूध में मांसपेशियों को बनाने और उन्हें मजबूती प्रदान करने वाले प्रोटीन और मैग्नीशियम पाए जाते हैं (2)। प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने के साथ ही सहनशक्ति को बढ़ावा देने का काम करते हैं (10)। वहीं, मैग्नीशियम मांसपेशियों की कार्य प्रणाली में सुधार कर ज्यादा देर तक कार्य करने की क्षमता प्रदान करते हैं (11)।
6. कैंसर की रोकथाम के लिए बादाम दूध पीने के फायदे
बादाम के दूध का सेवन कैंसर की बीमारी से बचाने में कारगर हो सकता है। जैसा कि हमने आपको बताया कि इसमें कई सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं (2), इन्हीं में से एक है विटामिन-ई। बादाम के दूध में विटामिन-ई की अच्छी मात्रा पाई जाती है और विटामिन-ई कैंसर की समस्या को दूर करने के लिए अच्छा एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है। इसमें पाया जाने वाला टोकोट्रिनोल (Tocotrienols) नाम का घटक कैंसर से बचाव का काम कर सकता है। साथ ही इसके एंटी-ट्यूमर गुण के कारण ये कैंसर को बढ़ाने वाले ट्यूमर को पनपने से भी राेकता है (12)।
7. वजन कम करने के लिए बादाम दूध के फायदे
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अगर आप वजन कम करना है, तो बादाम का दूध आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि इसमें कैलोरी की मात्रा कम पाई जाती है। 240 मिली बादाम दूध में मात्र 30 से 50 कैलोरी होती है, वहीं डेयरी मिल्क में 146 कैलोरी होती है। मतलब बादाम के दूध में डेयरी के दूध की अपेक्षा 65 से 80 प्रतिशत तक कम कैलोरी होती है और कम कैलोरी आपके वजन काे बढ़ने नहीं देती। आप दिनभर में दो से तीन बार डेयरी मिल्क की जगह बादाम दूध का सेवन कर सकते हैं। इससे आप प्रतिदिन 348 कैलोरी को कम कर सकते हैं (13)। इसके अलावा, इसमें पाया जाने वाला प्रोटीन भी वजन को नियंत्रित रखने में कारगर हो सकता है (14)।
8. रक्त में मौजूद शुगर के लिए
खाद्य पदार्थों में मौजुद शुगर डायबिटीज की समस्या को और जटिल बना सकती है। ऐसे में बादाम के दूध का सेवन काफी फायदेमंद हो सकता है। इसमें शुगर और कार्बोहाइड्रेट की कम मात्रा पाई जाती है। साथ ही इसमें पाया जाने वाला फाइबर रक्त शर्करा यानी ब्लड शुगर को नियंत्रित करने का काम कर सकता है (2) (15)।
9. अच्छे पाचन के लिए बादाम दूध पीने के फायदे
क्या आपका पेट खराब रहता या फिर खाना ठीक से नहीं पचता है? तो फिर समझ लीजिए कि आपको पाचन की समस्या हो सकती है। इस दौरान फाइबर युक्त बादाम का दूध आपके पाचन के लिए लाभदायक हो सकता है (2)। फाइबर आपके पाचन तंत्र में सुधार कर सकता है। यह कब्ज जैसी पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के साथ ही अपच को ठीक करने का काम करता है। फाइबर मल त्याग को आसान करता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं काफी हद तक कम हो जाती हैं (16)।
 10. अनिद्रा को दूर करने के लिए बादाम दूध के फायदे
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नींद नहीं आने की स्थिति को अनिद्रा कहते हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए बादाम का दूध आपके लिए प्रकृति का अच्छा उपहार हाे सकता है। बादाम दूध में ट्रिप्टोफैन (Tryptophan) नामक यौगिक पाया जाता है, जो आपकी नींद न आने की समस्या को दूर करने में कारगर हो सकता है (17)। शोध के अनुसार, ट्रिप्टोफैन (Tryptophan) अनिद्रा जैसी स्थिति को दूर कर नींद के समय को बढ़ाने में मदद करता है और आपको एक स्वस्थ नींद प्रदान करने में मदद करता है (18)।
11. त्वचा के लिए
बादाम का दूध त्वचा के लिए भी लाभदायक है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व त्वचा की कई समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं। इसमें खास तौर से विटामिन-डी और विटामिन-ई की अच्छी मात्रा पाई जाती है (2)। विटामिन-डी त्वचा को यूवी सुरक्षा देने के साथ-साथ हानिकारक बैक्टीरिया से भी बचाता है। वहीं विटामिन-ई लिपिड पेरोक्सीडेशन (त्वचा की कोशिकाओं की क्षति की एक वजह) के प्रभावों से बचाने के लिए त्वचा को एक सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं। कोलेजन क्रॉस लिंकिंग और लिपिड पेरोक्सीडेशन के प्रभाव में आने पर त्वचा पर समय से पहले झुर्रियां पड़नी शुरू हो जाती हैं। विटामिन-ई इनके प्रभावों को दूर कर त्वचा को फिर से आकर्षक बनाने में मदद करता है (19)।
12. बालों के लिए
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बादाम का दूध न सिर्फ सेहत और त्वचा के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसके उपयोग से आप अपने बालों को भी मजबूत, चमकदार और आकर्षक बना सकते हैं। जैसा कि आपको पहले ही बता चुके हैं कि बादाम के दूध में प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, साथ ही इसमें आयरन भी पाया जाता है (2)। बादाम में पाए जाने वाले ये दोनों पोषक तत्व आपके बालों के लिए कई प्रकार से फायदेमंद होते हैं। जहां प्रोटीन आपके बालों की मजबूती और विकास में फायदेमंद होता है, वहीं दूसरी ओर आयरन बालों की जड़ों को पोषण देकर उन्हें मजबूत बनाता है। साथ ही आयरन बालों को झड़ने से रोकता है और उन्हें आकर्षक बनाने के एक लिए एक अच्छा पोषक तत्व हो सकता है (20)।
बादाम दूध के फायदों के बाद यहां हम आपको बता रहे हैं, इसमें पाये जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में।
बादाम दूध के पौष्टिक तत्व – Almond Milk Nutritional Value in Hindi
बादाम दूध के इतने सब फायदे उसमें मौजूद पोषक तत्वों की वजह से हैं। तो फिर जानते हैं कि आखिर बादाम दूध में वो कौन-से पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इसे सेहत के लिए इतना फायदेमंद बनाते हैं (2)
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम पानी 96.54 ग्राम ऊर्जा 15 kcal प्रोटीन 0.4 ग्राम फैट 0.96 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 1.31 ग्राम फाइबर 0.2 ग्राम शुगर 0.81 ग्राम मिनरल कैल्शियम 184 मिलीग्राम आयरन 0.28 मिलीग्राम मैग्नीशियम 6 मिलीग्राम फास्फोरस 9 मिलीग्राम पोटैशियम 67 मिलीग्राम सोडियम 72 मिलीग्राम जिंक 0.06 मिलीग्राम कॉपर 0.02 मिलीग्राम मैंगनीज 0.04 मिलीग्राम सेलेनियम 0.1 यूजी विटामिन राइबोफ्लेविन 0.010 मिलीग्राम नियासिन 0.07 मिलीग्राम पैंटोथैनिकएसिड 0.01 मिलीग्राम फोलेट 1 माइक्रोग्राम कोलीन 3.1 मिलीग्राम विटामिन-ई (अल्फा-टोकोफेरॉल) 6.33 मिलीग्राम विटामिन-ई 6.33 मिलीग्राम टोकोफेरोल, बीटा 0.12 मिलीग्राम टोकोफेरोल, गामा 0.32 मिलीग्राम टोकोफेरोल, डेल्टा 0.13 मिलीग्राम विटामिन-डी (डी 2+डी 3) 1 यूजी विटामिन-डी 3 1 यूजी विटामिन-डी 41 यूजी लिपिड फैटीएसिडटोटलसैचुरेटेड 0.08 ग्राम फैटीएसिडटोटलमोनोअनसैचुरेटेड 0.59 ग्राम फैटीएसिडटोटलपॉलीअनसैचुरेटेड 0.24 ग्राम
बादाम दूध के पोषक तत्वों के बाद जानते हैं घर में बादाम दूध बनाने की विधि के बारे।
घर में बादाम दूध कैसे बनाएं?
जरूरी नहीं कि आप बादाम दूध को बाजार से ही खरीद कर लाएं। आप इसे घर में भी बना सकते हैं। यहां हम आपको घर में बादाम दूध बनाने की आसान विधि बता रहे हैं।
सामग्री:
1 कप कच्चे बादाम 2 कप पानी मिठास के लिए शहद या चीनी
विधि:
सबसे पहले बादाम को रात भर भिगो कर रखें।
अगले दिन भीगे हुए बादामों धो ��ें और छिलकों को अलग कर दें।
बादाम को ब्लेंडर में एक कप पानी के साथ डालकर कुछ मिनट तक अच्छी तरह ब्लेंड कर लें।
अब इसे अच्छी तरह छान कर रख लें, ताकि बादाम का दूध अच्छी तरह अलग हो जाए।
फिर दूसरे बर्तन में आप दूध को निकाल लें और मिठास के लिए स्वादानुसार शहद या चीनी मिला लें।
बादाम दूध उपयोग करने के लिए तैयार है।
बादाम दूध बनाने की विधि के बाद जानते हैं कि बादाम दूध का उपयोग कब, कैसे और कितनी मात्रा में कर सकते हैं।
बादाम दूध का उपयोग – How to Use Almond Milk in Hindi
जैसा कि हमने आपको बताया कि बादाम का दूध शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन तब जब आप इसे दिन में एक कप यानी लगभग 240 मिली ही सेवन करें। बादाम दूध का उपयोग आप कई प्रकार से कर सकते हैं।
आप इसका उपयोग गाय के दूध के स्थान पर पीने के लिए कर सकते हैं।
डेयरी मिल्क के स्थान पर आप इसका उपयोग करके आइसक्रीम या हल्वा आदि मिष्ठान बना सकते हैं।
जिम करने के बाद अच्छे प्रोटीन की पूर्ति के लिए और मसल्स बनाने के लिए आप इसे एनर्जी ड्रिंक के रूप में ले सकते हैं।
आप इसका उपयोग सेब और केले जैसे फलों के साथ मिलाकर स्मूदी के रूप मे भी कर सकते हैं।
गर्मी के मौसम में आप इसे ठंडा करके ठंडाई के रूप में पी सकते हैं।
किन्हीं परिस्थितियों में बादाम के दूध के नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। आइए देखते हैं।
बादाम दूध के नुकसान – Side Effects of Almond Milk in Hindi
बादाम का दूध यूं तो फायदेमंद होता है, लेकिन कभी-कभी ऐसी परिस्थिति भी बन जाती है, जब यह नुकसानदायक हो सकता है। जैसे:
बादाम के दूध की तासीर गरम होती है, इसे अधिक मात्रा में पीने से आपको पेट की समस्याएं हो सकती हैं।
जिन्हें बादाम से एलर्जी होती है, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इसके परिणाम हानिकारक हो सकते हैं (21)।
बादाम के दूध में पोटैशियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है (2)। पोटैशियम के ज्यादा सेवन से आपको पेट खराब, उल्टी और दस्त की समस्या हो सकती है (22)।
तो दोस्तों, आपने इस लेख से जाना कि बादाम का दूध आपके लिए किस प्रकार से फायदेमंद हो सकता है। अगर इसे सीमित मात्रा में लिया जाए, तो यह औषधि का काम करता है। वहीं, अधिक मात्रा में इसका सेवन कई समस्याओं का कारण भी बन सकता है। सबसे अच्छी बात यह है कि अगर आपको अन्य दूध पसंद नहीं है, तो बादाम के दूध का सेवन आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। बादाम दूध के सारे फायदे आपने ऊपर पढ़ ही लिए हैं, तो देर किस बात की, अच्छी सेहत के लिए जल्द ही इसे अपनी डाइट में शामिल करें। बादाम दूध पर लिखा यह लेख आपको कैसा लगा, हमें नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। इसके अलावा, अन्य जानकारी के लिए आप हमसे अपने सवाल भी पूछ सकते हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/badam-dudh-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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केल (काले) के 16 फायदे, उपयोग और नुकसान – Benefits and Uses of Kale in Hindi
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केल (काले) के 16 फायदे, उपयोग और नुकसान – Benefits and Uses of Kale in Hindi
Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 September 13, 2019
कई बार हंसी-मजाक में शाकाहारी लोगों को यह जरूर सुनना पड़ा होगा कि पनीर के अलावा वेजीटेरियन और खा ही क्या सकते हैं। अगर आपको भी कभी कोई ऐसा कहे, तो आप उन्हें कह सकते हैं कि शाकाहारी लोगों के लिए हरी सब्जियों की कमी नहीं है। पालक, पत्तागोभी, बीन्स, करेला जैसी आम सब्जियों के अलावा भी कई अन्य सब्जियां भी बाजार में मौजूद हैं, जिनके विषय में लोग ज्यादा नहीं जानते, जैसे केल। संभव है कि आप इसका नाम पहली बार सुन रहे होंगे और सोच रहे होंगे कि ‘केल क्या है? तो इस लेख के जरिए हम इसी सब्जी के बारे में आपको जानकारी देंगे कि काले खाने के फायदे क्या-क्या हैं और इसे कैसे उपयोग किया जा सकता है।
सबसे पहले लेख के इस भाग में यह जानते हैं कि केल क्या है?
विषय सूची
 केल क्या है – What is Kale in Hindi
केल एक हरी पत्तेदार सब्जी है, जिसे लीफ कैबेज (leaf cabbage) भी कहते हैं। यह सिर्फ हरा ही नहीं, बल्कि बैंगनी रंग में भी पाया जाता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है, साथ ही इसका स्वाद भी काफी अच्छा होता है। यह ब्रोकली, पत्तागोभी और फूलगोभी के ही परिवार का है (1)।
लेख के आगे के भाग में हम आपको सेहत के लिए केल क्यों फायदेमंद है इस बारे में जानकारी देंगे।
केल (काले) आपके सेहत के लिए क्यों अच्छा है?
केल पौष्टिक खाद्य पदार्थों में से एक है। इसमें विटामिन (ए, सी, के), कैल्शियम, पोटैशियम, फाइबर और कई अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो आपको स्वस्थ रखने का काम कर सकते हैं। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर की कोशिकाओं की क्षति का बचाव कर कैंसर के जोखिम को कर सकते हैं (1)।
लेख के आगे के भाग में हम काले के फायदे विस्तार से बताएंगे।
केल के फायदे – Benefits of Kale in Hindi
केल का सेवन करने के कई फायदे हैं, जिनमें से कुछ के बारे में हम नीचे विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
1. हृदय के लिए केल के फायदे
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हृदय स्वस्थ तो आप स्वस्थ, लेकिन भागादौड़ भरी दिनचर्या में दिल को सेहतमंद रखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। वैसे अगर आप सही डाइट लेते हैं, तो ��ृदय को स्वस्थ रखा जा सकता है। अब जब डाइट की बात आई है, तो आप अपनी आहार में केल को शामिल कर सकते हैं। यह न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट है, बल्कि यह आपके दिल को स्वस्थ रखने का काम कर सकता है (1)।
2. पाचन के लिए काले के फायदे
पाचन संबंधी समस्या आम हो चुकी है और लगभग हर कोई इससे परेशान रहता है। ऐसे में खाने का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। पोषक तत्वों में फाइबर पाचन को सही रखने में मददगार साबित होता है। फाइबर के सेवन से न सिर्फ पाचन क्रिया सही होगी, बल्कि कब्ज की समस्या से भी राहत मिलेगी (2)। इस स्थिति में केल को आप अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं, क्योंकि केल फाइबर से समृद्ध होता है (3)।
3. हड्डियों के लिए केल के लाभ
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उम्र के साथ हड्डियों की बीमारी होना सामान्य है, लेकिन हड्डियों की समस्याएं उम्र से पहले होने लगे, तो यह एक चिंता का विषय है। हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम सबसे जरूरी पोषक तत्व है, जिसकी पूर्ति केल के जरिए की जा सकती है। केल कैल्शियम से भरपूर होता है, जो आपकी हड्डियों को मजबूत और उनके विकास में मदद करेगा (4)।
4. मधुमेह के लिए केल के फायदे
डायबिटीज एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जिससे एक बड़ी आबादी ग्रसित है। अगर आप इस गंभीर बीमारी से बचना चाहते हैं, तो केल को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। यह एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है, जो एंटी-डायबिटिक गुण से समृद्ध होता है, जो मधुमेह के जोखिम से आपको बचा सकता है (5)।
5. डिप्रेशन के लिए काले के फायदे
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इस भागदौड़ के दौर में लोगों के पास खुद के लिए भी वक्त नहीं है, साथ ही साथ घर और काम की चिंता लगभग हर किसी को है। ऐसे में कई लोगों को तनाव की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में अगर आप खुद को डिप्रेशन से बचाना चाहते हैं, तो केल के सेवन का लाभ उठा सकते हैं। केल एंटी डिप्रेसेंट (Antidepressant) गुणों से समृद्ध होता है, जो तनाव से आपको राहत देने का काम कर सकता है (6)।
6. कैंसर के लिए केल के फायदे
केल कई पौष्टिक तत्व जैसे – कैल्शियम, पोटैशियम व फाइबर से भरपूर होता है। इतना ही नहीं इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है, साथ ही यह कैंसर जैसी घातक बीमारी के जोखिम को कम कर सकता है (1)।
7. एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी
एंटीऑक्सीडेंट शरीर के लिए आवश्यक माना जाता है और यह कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। इसके अलावा, एंटीऑक्सीडेंट अन्य शारीरिक तकलीफों से भी छुटकारा दिला सकता है। शरीर में इसकी पूर्ति के लिए आप केल का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि यह बाकी जरूरी पोषक तत्वों के साथ एंटीऑक्सीडेंट से भी भरपूर होता है। एंटीऑक्सीडेंट के साथ केल एंटी-इफ्लेमेटरी गुणों से भी समृद्ध होता है, जो सूजन की समस्या से आपको आराम दिलाने का काम कर सकता है (1) (7)।
8. आंखों के लिए केल के लाभ
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आंखों की कमजोरी एक आम समस्या बनती जा रही है, जिसका सबसे बड़ा कारण शरीर में सही पोषण की कमी होना है। ऐसे में केल का सेवन फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह आंखों को स्वस्थ रखने का काम करता है (8)। इसके अलावा, यह विटामिन-ए से भी समृद्ध होता है, जो दृष्टि में सुधार के साथ-साथ कम रोशनी में देखने की क्षमता का विकास करता है (3) (9)।
9. रोग प्रतिरोधक शक्ति के लिए केल
शरीर को स्वस्थ रखना है, तो व्यक्ति का इम्यून सिस्टम मजबूत होना जरूरी है। जिन व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, वे जल्दी बीमार पड़ते हैं। मौसम में हल्के बदलाव से भी उन्हें सर्दी-जुकाम और बुखार की समस्या हो सकती है। ऐसे में इम्यून सिस्टम को बेहतर करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन जरूरी हो जाता है। रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए आहार में केल को शामिल किया जा सकता है। केल कई पौष्टिक तत्वों और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो आपको स्वस्थ रहने में मदद कर सकता है (1)(10)।
10. मोटापे के लिए केल
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आज लगभग हर दूसरा व्यक्ति बढ़ते वजन से परेशान है। कई लोग मोटापे को कम करने के लिए व्यायाम या योग का सहारा लेते हैं, जो कि सही है, लेकिन इसका असर तब और ज्यादा होगा जब व्यक्ति अपनी डाइट पर भी ध्यान दे। डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल कर आप मोटापे की समस्या से धीरे-धीरे ही सही, लेकिन छुटकारा पा सकते हैं। उन्हीं सब्जियों में से एक है केल। इसे सुपरफूड भी कहा जा सकता है। यह कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है और मोटापे से बचाव का काम कर सकता है (11)।
11. थकान दूर करने के लिए केल
कई बार लोगों को पर्याप्त खाने के बाद भी थकान महसूस होती है, जिसके पीछे भोजन में सही पोषक तत्वों का न होना हो सकता है। एनर्जेटिक बने रहने के लिए भोजन में सही पोषण का होना बहुत जरूरी है। यहां केल एक चमत्कारी भूमिका निभा सकता है, क्योंकि यह कैलोरी के साथ विटामिन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और प्रोटीन से भरपूर होता है, जो थकान को दूर कर आपको ऊर्जावान बनाने का काम करेंगे (3)।
12. गर्भावस्था के दौरान केल
गर्भावस्था के दौरान खान-पान का खास ख्याल रखा जाता है। अगर बात करें केल की, तो गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन किया जा सकता है। इसमें फाइबर मौजूद होता है, जो प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (3) (12)। साथ ही इसमें कैल्शियम भी होता है, जो गर्भवती महिला और उसके होने वाले शिशु की हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है (13)। हालांकि, इसे कितना खाना है, इस बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
13. लिवर के लिए
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केल लिवर के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, यह कोलेस्ट्रॉल और फैट को कम करता है, जिससे लिवर स्वस्थ रहता है (14)। अगर शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, तो लिवर के आसपास फैट जमने लगता है, जो फैटी लिवर का कारण बन सकता है। ��से में केल के सेवन से इस समस्या से बचा जा सकता है। इसके अलावा, केल में फाइबर मौजूद होता है (3) जिससे कब्ज जैसी समस्या से भी राहत मिल सकती है(1)। जब पेट साफ रहेगा तो शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाएंगे और व्यक्ति स्वस्थ रहेगा।
14. यूरिनरी हेल्थ के लिए केल
केल यूरिनरी हेल्थ के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (urinary tract infection-UTI) में यूरिनरी सिस्टम के किसी भी हिस्से में संक्रमण हो सकता है। कई बार यह दर्दनाक भी हो सकता है। ऐसे में विटामिन-सी युक्त केल के सेवन से इसका समाधान किया जा सकता है, क्योंकि विटामिन-सी संक्रमण से लड़ने का काम करता है (15)।
15. विटामिन, फाइबर, कैल्शियम व आयरन से भरपूर केल
केल में विटामिन, फाइबर, आयरन व कैल्शियम जैसे पौष्टिक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं (3), जो आपको स्वस्थ रहने में मदद करते हैं। जहां विटामिन-ए और कैल्शियम त्वचा, मस्तिष्क, हड्डियों व दांतों के लिए लाभदायक होते हैं (16) (17), वहीं आयरन एनीमिया से बचाव कर सकता है (18)। इसमें मौजूद फाइबर कब्ज और पेट संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (19)।
16. त्वचा और बालों के लिए केल
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केल न सिर्फ आपके स्वास्थ्य के लिए, बल्कि आपके बालों और त्वचा के लिए भी बहुत लाभदायक हो सकता है। केल में नियासिन और विटामिन-सी मौजूद होता है, जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं (3) (20)। साथ ही इसमें फोलेट मौजूद होता है, जो बालों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। केल के सेवन से मेनोपॉज के बाद होने वाली बालों की समस्या से बचाव हो सकता है (21)। इतना ही नहीं इसमें कई अन्य पौष्टिक तत्व भी मौजूद होते हैं, जो आपके त्वचा और बालों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।
आगे जानिए केल में कौन-कौन से पोष्टिक तत्व मौजूद होते हैं।
केल के पौष्टिक तत्व – Kale Nutritional Value in Hindi
नीचे हम आपके साथ एक सूची शेयर कर रहे हैं, जिसमें केल में मौजूद पौष्टिक तत्वों के बारे में जानकारी दी गई है (3)।
 पोषक तत्व  प्रति 100 ग्राम पानी 89.63 ग्राम एनर्जी 35 केसीएल प्रोटीन 2.92 ग्राम टोटल लिपिड (फैट) 1.49 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 4.42 ग्राम फाइबर, टोटल डायटरी 4.1 ग्राम शुगर, टोटल  0.99 ग्राम मिनरल कैल्शियम 254 मिलीग्राम आयरन 1.60 मिलीग्राम मैग्नीशियम  33 मिलीग्राम फास्फोरस 55 मिलीग्राम पोटैशियम 348 मिलीग्राम सोडियम 53 मिलीग्राम जिंक 0.39 मिलीग्राम विटामिन विटामिन सी 93.4 मिलीग्राम थायमिन 0.113 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन 0.347 मिलीग्राम नियासिन 1.180 मिलीग्राम विटामिन बी-6 0.147 मिलीग्राम फोलेट 62 माइक्रोग्राम विटामिन बी-12 0.00 माइक्रोग्राम विटामिन ए, आरएई 241माइक्रोग्राम विटामिन ए, आईयू 4812 आईयू (IU) विटामिन ई 0.66 मिलीग्राम विटामिन डी (डी2 + डी3) 0.0 माइक्रोग्राम विटामिन डी 0 आईयू (IU) विटामिन के 389.6 माइक्रोग्राम लिपिड फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड  0.178 ग्राम फैटी एसिड, टोटल मोनोअनसैचुरेटेड 0.104 ग्राम  फैटी एसिड, टोटल पोलीअनसैचुरेटेड  0.673 ग्राम फैटी एसिड, टोटल ट्रांस 0.000 ग्राम कोलेस्ट्रॉल  0 मिलीग्राम अन्य कैफीन 0 मिलीग्राम
केल के फायदे तब और असरदार होंगे जब आप इसका सेवन सही तरीके से करेंगे। इसलिए, नीचे हम आपको केल को सही तरीके से खाने की जानकारी देंगे।
केल (काले) खाने का सही तरीका – How to Use Kale in Hindi
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अगर आप इस दुविधा में हैं कि केल को कैसे खाना है, तो अब आपको उलझन में रहने की जरूरत नहीं, नीचे जानिए इसे खाने के विभिन्न तरीके।
आप केल को उबालकर सलाद के साथ खा सकते हैं।
आप केल का सूप बनाकर पी सकते हैं या केल को अन्य सूप में भी मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
आप केल की स्मूदी बना सकते हैं या अन्य स्मूदी में केल के पत्ते मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
आप केल के चिप्स बनाकर सेवन कर सकते हैं।
आप केल का जूस भी पी सकते हैं।
अब बारी आती है यह जानने की कि केल कहां से खरीदें, तो नीचे हम इसकी जानकारी भी दे रहे हैं।
केल कहां से खरीदें? – Where to Buy Kale in Hindi
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इस लेख में काले खाने के फायदे से लेकर इसे खरीदने तक की जानकारी आपको मिलेगी। नीचे पढ़ें कि आप केल कहां से खरीद सकते हैं।
आप अपने नजदीकी सुपर मार्केट से केल खरीद सकते हैं।
इसके अलावा, आप केल पाउडर को ऑनलाइन खरीद सकते हैं।
अब जब आप केल खरीदने के लिए सुपर मार्केट जाने का प्लान बना चुके हैं, तो उसे कैसे चुनें उसके बारे में भी जान लें।
केल (काले) का चयन और सुरक्षित रखने का सही तरीका
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नीचे जानिए कि काले के फायदे पाने के लिए सही केल का चुनाव कैसे करें और उसे कैसे ज्यादा दिनों तक स्टोर करके रखें।
उन केल का चुनाव करें, जिसकी पत्तियां गहरे रंग और छोटे से मध्यम आकार की हों।
नम, कुरकुरा और बिना कटे हुए केल के पत्तों का चुनाव करें।
उन पत्तों का चुनाव करें, जिसमें छेद न हो। अगर पत्तों में छेद है, तो समझ जाएं कि उनमें कीड़े हो सकते हैं।
पीले या भूरे रंग के पत्तों वाले केल का चुनाव न करें।
केल के तने भी खाने योग्य होते हैं, इसलिए सुनिश्चित करें कि वे भी ताजे हों।
अगर बात करें केल को स्टोर करने की, तो एक प्लास्टिक की थैली में या फ्रीजर के अंदर केल को स्टोर करके रख सकते हैं।
केल के फायदे के साथ-साथ उसके कुछ नुकसान भी हैं, जिनके बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे हैं।
केल के नुकसान – Side Effects of Kale in Hindi
हम इसके नुकसान के बारे में इसलिए बता रहे हैं, ताकि आपको इसका लाभ अधिक से अधिक मिल सके।
अगर केल का सही तरीके से पकाकर सेवन न किया जाए, तो इससे गोइटर (Goitre, थायराइड ग्लैंड का बढ़ना और इसमें सूजन होना) जैसी बीमारी की समस्या हो सकती है (22)।
केल में पोटैशियम मौजूद होता है (3) और इसके अधिक सेवन से किडनी की समस्या हो सकती है (23)।
गर्भवती महिलाओं के लिए केल अच्छा आहार ��ै, लेकिन फिर भी अगर आप पहली बार इसका सेवन कर रही हैं, तो एक बार डॉक्टर से इस बारे में परामर्श लें।
अगर अब तक आपने केल को अपने आहार में शामिल नहीं किया है, तो आशा करते हैं कि इस लेख में काले खाने के फायदे जानने के बाद आप इसका सेवन जरूर शुरू कर देंगे। इसके नियमित सेवन से आपको केल के लाभ अपने शरीर में दिखने लगेंगे। अगर आपको ऊपर बताए केल के फायदे के अलावा कुछ अन्य केल के फायदे पता हैं, तो उन्हें हमारे साथ कमेंट बॉक्स में शेयर कर सकते हैं। इसके अलावा, अगर आपके मन में काले के फायदे से जुड़े सवाल हैं, तो उसे भी हमारे साथ साझा कर सकते हैं।
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फोलिक एसिड क्या है, इसके फायदे और खाद्य सामग्री – Folic Acid Benefits in Hindi
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फोलिक एसिड क्या है, इसके फायदे और खाद्य सामग्री – Folic Acid Benefits in Hindi
Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 August 21, 2019
शरीर एक मशीन की तरह होता है और इस मशीन को लगातार काम करने के लिए सही पोषण मिलना जरूरी है। शरीर को स्वस्थ रहने और बीमारियों से लड़ने के लिए कई पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जिनमें फोलिक एसिड भी एक अहम भूमिका निभाता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हमारे इस लेख का विषय क्या है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको न सिर्फ फोलिक एसिड क्या है यह बताएंगे, बल्कि फोलिक एसिड के उपयोग और उसकी कमी से होने वाली समस्याओं के बारे में भी जानकारी देंगे। इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए आगे पढ़िए ये लेख।
सबसे पहले जानते हैं कि फोलिक एसिड क्या है?
फोलिक एसिड क्या है और आपके शरीर में इसकी भूमिका क्या है?
फोलिक एसिड के फायदे जानने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि फोलिक एसिड क्या है और यह हमारे शरीर के लिए क्यों जरूरी है? बता दें फोलेट एक प्राकृतिक विटामिन-बी है, जो स्वाभाविक रूप से कुछ खाद्य पदार्थ (हरी पत्तेदार सब्जियों, खट्टे फल और फलियों) में पाया जाता है। वहीं, फोलिक एसिड एक अप्राकृतिक (synthetic) फोलेट है, जिसका इस्तेमाल एक सप्लीमेंट के रूप में फोलेट की कमी को पूरा करने के लिए किया जाता है। फोलिक एसिड को विटामिन बी -9, फोलासीन या फोलेट के रूप में भी जाना जाता है। यह शरीर में नए रेड ब्लड सेल यानी लाल रक्त कोशिकाओं को बनने में मदद करता है। शरीर में इसकी कमी के कारण मेगालोब्लास्टिक एनीमिया (megaloblastic anemia- इसमें लाल रक्त कोशिकाएं जरूरत से ज्यादा बड़ी हो जाती हैं) हो सकता है (1) (2) (3)।
फोलिक एसिड गर्भवती महिला या जो महिला गर्भवती होना चाहती है, उसके लिए बहुत ही आवश्यक होता है। यह भ्रूण को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के साथ-साथ जन्म दोष से भी बचाव कर सकता है (4)।
लेख के आगे के भाग में जानिए फोलिक एसिड के फायदे।
विषय सूची
फोलिक एसिड के फायदे – Benefits of Folic Acid in Hindi
वैसे तो फोलिक एसिड के फायदे अनेक हैं, जिनमें से कुछ के बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे हैं।
1. ह्रदय के लिए फोलिक एसिड
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अनियंत्रित जीवनशैली की वजह से दिल से संबंधित बीमारियां दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में फोलिक एसिड एक कारगर भूमिका निभा सकता है। एक वैज्ञानिक शोध से इस बात का पता चला है कि फोलिक एसिड सप्लीमेंट दिल के दौरे के साथ-साथ स्ट्रोक के जोखिम से बचाव का काम कर सकता है (5)। साथ ही फोलिक एसिड ह्रदय स्वास्थ्य को बरकरार रखने का काम कर सकता है (6)।
2. कैंसर के लिए फोलिक एसिड
कैंसर जैसी घातक बीमारी में भी फोलिक एसिड के लाभकारी प्रभाव देखे जा सकते हैं। डाइट में फोलिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो सकता है। हालांकि, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है (7)(8)।
3. चिंता-तनाव के लिए फोलिक एसिड
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बच्चों से लेकर बूढ़े तक को तनाव और चिंता की समस्या हो सकती है। कई बार लोग समझ ही नहीं पाते कि उन्हें तनाव की समस्या है। इन समस्याओं से बचने के लिए पोषक तत्व एक अहम भूमिका निभाते हैं, क्योंकि पोषक तत्वों की कमी के कारण तनाव हो सकता है और फोलेट उन्हीं में से एक है (9)। फोलिक एसिड के सप्लीमेंट से तनाव की समस्या कम हो सकती है, लेकिन इसके मिले-जुले परिणाम है (10) (11)। सिर्फ फोलिक एसिड ही नहीं, बल्कि इसके साथ विटामिन बी 12 के सेवन से भी तनाव की समस्या से राहत मिल सकती है (12)।
4. नवजात में न्यूरल ट्यूब दोष के जोखिम को कम करने के लिए
गर्भवती महिलाओं को फोलिक एसिड की ज्यादा जरूरत होती है। यह नवजात में होने वाले जन्म दोष या नवजात में न्यूरल ट्यूब दोष (Neural Tube Defects) के जोखिम को कम करने का काम कर सकता है। इसमें शिशु के दिमाग और रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ता है। शिशु को इस स्थिति से बचाने के लिए महिला को पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड लेने की जरूरत होती है। महिला को हर दिन 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड लेने की सलाह दी जाती है (13) (14) (15)। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान फोलेट की दैनिक मात्रा कितनी होनी चाहिए यह जानकारी डॉक्टर सही दे सकता है।
5. एनीमिया के लिए फोलिक एसिड
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सिर्फ आयरन की कमी से ही नहीं, बल्कि फोलिक एसिड डेफिशियेंसी से भी एनीमिया होने का खतरा होता है (16)। इस स्थिति से उबरने के लिए में मरीज को तीन से छह महीने का वक्त लग सकता है। फोलिक एसिड की कमी से होने वाले एनीमिया के लिए मरीज को फोलिक एसिड सप्लीमेंट या ज्यादा से ज्यादा फोलिक एसिड युक्त आहार देने की जरूरत होती है (17) (18)।
6. पीसीओएस (PCOS) के लिए फोलिक एसिड
पीसीओएस (PCOS- Polcystic ovary syndrome) महिलाओं में होने वाली एक ऐसी अवस्था, जिसमें उन्हें अनियमित पीरियड्स, मोटापा, कील-मुहांसे और यहां तक कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा रहता है। ऐसे में डाइट का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। पीसीओएस के मरीजों की डाइट थेरेपी में विटामिन-डी और विटामिन-सी के साथ-साथ फोलिक एसिड की भी भरपूर मात्रा की जरूरत होती है (19)। इसके अलावा, फोलिक एसिड पीसीओएस की अवस्था में होमोसिस्टीन (Homocysteine) जोकि एक एमिनो एसिड है, उसकी मात्रा को संतुलित करने का काम भी कर सकता है (20)।
7. गर्भावस्था में फोलिक एसिड
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गर्भावस्था के दौरान मां और शिशु दोनों को ही अधिक से अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इन्हीं में से एक है फोलिक एसिड। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि गर्भावस्था के दौरान फोलिक एसिड के सेवन से नवजात शिशु में न्यूरल ट्यूब दोष (Neural Tube Defects) का खतरा कम हो सकता है। गर्भवती महिला को प्रतिदिन 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड लेने की आवश्यकता होती है (13)।
8. किडनी के लिए फोलिक एसिड
किडनी की समस्या से राहत पाने के लिए भी फोलिक एसिड मददगार साबित हो सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, गंभीर किडनी की समस्या से जूझ रहे लोगों में होमोसिस्टीन (homocysteine) की उच्च मात्रा पाई जाती है और होमोसिस्टीन एमिनो एसिड की उच्च मात्रा ह्रदय रोग और स्ट्रोक का कारण बन सकती है। ऐसे में फोलिक एसिड की एक अहम भूमिका देखी जा सकती है, क्योंकि फोलिक एसिड गंभीर किडनी की समस्या से जूझ रहे लोगों में होमोसिस्टीन से स्तर को कम कर सकता है (8)।
9. पुरुषों में इनफर्टिलिटी के लिए फोलिक एसिड
पुरुषों में होने वाली इनफर्टिलिटी के उपचार में जिंक सल्फेट के साथ फोलिक एसिड एक प्रभावी भूमिका निभा सकता है। हालांकि, यह कितना असरदार है, उसके लिए अभी और शोध की जरूरत है (21) (8)।
10. त्वचा के लिए फोलिक एसिड
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प्रदूषण, धूप व कॉस्मेटिक का उपयोग और देखभाल की कमी के कारण त्वचा संबंधी समस्याएं आम हो गई हैं। ऐसे में कील-मुहांसों और सफेद दाग जैसी परेशानियों से निजात पाने में फोलिक एसिड के फायदे देखे जा सकते हैं। फोलिक एसिड में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेशन गुण मुहांसों पर प्रभावी रूप से काम कर सकते हैं (8)।
11. बालों के लिए फोलिक एसिड
खूबसूरत और घने बालों की चाहत लगभग हर किसी को होती है, लेकिन देखभाल के अभाव के कारण बाल रूखे व बेजान होकर झड़ने लगते हैं। कई बार तो सही डाइट न लेने के वजह से भी बाल झड़ने की समस्या हो सकती है। ऐसे में फोलिक एसिड डाइट बालों के लिए फायदेमंद हो सकता है। बता दें कि शरीर को नई कोशिकाओं जैसे – त्वचा, बाल व नाखून के निर्माण के लिए फोलिक एसिड की जरूरत होती है (13)।
लेख के आगे के भाग में जानिए फोलिक एसिड के उपयोग के लिए खाद्य पदार्थ।
फोलिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थ – Folic Acid Rich Foods in Hindi
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वैसे तो कई खाद्य पदार्थ हैं, जिसमें फोलिक एसिड मौजूद होते हैं, लेकिन उनमें से कुछ के नाम हम आपके साथ नीचे शेयर कर रहे हैं (22) (23) (24) (25) :
हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे – पालक, सलाद पत्ता और ब्रोकली
बीन्स
मूंगफली
सूरजमुखी के बीज
साबुत अनाज
सी फूड
अंडा
मटर
सिट्रस फल
इस लेख के आगे के भाग में जानिए, क्यों होती है फोलिक ��सिड की कमी।
शरीर में फोलिक एसिड की कमी होने के कारण – Causes of Folic Acid Deficiency in Hindi
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फोलिक एसिड कम होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ के बारे आप लेख के इस भाग में पढ़ें (26)।
अल्कोहल का सेवन
आहार में पोषक तत्व कमी से
जरूरत से ज्यादा सब्जी या फलों को पकाकर खाना
कुछ खास तरह की दवाइयों का दुष्प्रभाव
हेमोलिटिक एनीमिया (Hemolytic anemia)
ज्यादा इधर-उधर की चीजें खाना, जिसमें कुछ खास पोषक तत्व मौजूद न हों।
आगे जानिए फोलिक एसिड की कमी के क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं।
फोलिक एसिड की कमी के लक्षण – Symptoms of Folic Acid Deficiency in Hindi
फोलिक एसिड के बारे में जानने के बाद आपको लग रहा होगा कि कैसे समझेंगे कि शरीर में फोलिक एसिड की कमी है। इसलिए, नीचे हम आपको फोलिक एसिड की कमी के कुछ लक्षणों के बारे में जानकारी दे रहे हैं (23) (26) (27) (28)।
वजन का घटना
थकावट महसूस होना
चिड़चिड़ापन
सफेद बाल
डायरिया
कमजोरी
किसी चीज पर ध्यान लगाने में परेशानी
सिरदर्द
आगे जानिए अगर आपके शरीर में फोलिक एसिड की कमी हो तो क्या-क्या हो सकता है।
शरीर में फोलिक एसिड की कमी से होने से क्या होता है?
शरीर में फोलिक एसिड की कमी से निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं (26) (28) :
अगर गर्भवती महिला को फोलिक एसिड की कमी हो, तो उसके शिशु में जन्म दोष हो सकता है।
फोलिक एसिड की कमी से आपको एनीमिया हो सकता है।
इससे गर्भवती महिला को वक्त से पहले प्रसव की समस्या भी हो सकती है।
नवजात शिशु कमजोर और कम वजन वाला हो सकता है।
मुंह में घाव की समस्या भी हो सकती है।
प्लेटलेट में कमी हो सकती है।
नीचे जानिए आप एक दिन में कितने फोलिक एसिड का सेवन कर सकते हैं।
आपको फोलिक एसिड की कितनी आवश्यकता है? यह मात्रा व्यक्ति दर व्यक्ति और उम्र के अनुसार बदल सकती है। हालांकि, महिलाओं को हर दिन में करीब 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड लेने की जरूरत होती है (1) (13)। वहीं, गर्भावस्था के दौरान पहली तिमाही के बाद यह मात्रा बढ़ सकती है।
आयु पुरुष स्त्री गर्भावस्था स्तनपान जन्म से लेकर 6 महीने तक 65 mcg DFE* 65 mcg DFE*  –  – 7–12 महीने 80 mcg DFE* 80 mcg DFE*  –  – 1–3 साल 150 mcg DFE 150 mcg DFE  –  – 4–8 साल 200 mcg DFE 200 mcg DFE  –  – 9–13 साल 300 mcg DFE 300 mcg DFE  –  – 14–18 साल 400 mcg DFE 400 mcg DFE 600 mcg DFE 500 mcg DFE 19 सेज्यादा 400 mcg DFE 400 mcg DFE 600 mcg DFE 500 mcg DFE
नोट : इस संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए बेहतर होगा कि आप एक बार इस बारे में डॉक्टर की राय लें।
अगर जरूरत से ज्यादा किसी भी चीज का सेवन किया जाए, तो वो नुकसानदायक हो सकता है, वैसे ही अगर फोलिक एसिड का भी अत्यधिक सेवन किया जाए, तो फोलिक एसिड के नुकसान हो सकते हैं। नीचे हम इसी के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं।
जरूरत से ज्यादा फोलिक एसिड लेने से नुकसान – Side Effects of Folic Acid in Hindi
फोलिक एसिड के नुकसान से घबराने की बात नहीं है, बल्कि हम यह बताकर आपको इसका सावधानी से सेवन करने की सलाह दे रहे हैं। नीचे जानिए फोलिक एसिड के नुकसान (8)।
पेट की समस्या
सोने में परेशानी
त्वचा संबंधी समस्या
एलर्जी
लंग्स या प्रोस्टेट कैंसर
ह्रदय संबंधी समस्या
फोलिक एसिड के नुकसान से डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अगर लोग संतुलित मात्रा में फोलिक एसिड के उपयोग करते हैं, तो यह फायदेमंद हो सकता है। फोलिक एसिड की कमी से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए संतुलित मात्रा में फोलिक एसिड युक्त आहार का सेवन करें। अगर आप पहले से ही फोलिक एसिड का सेवन कर रही हैं और आपको पहले की तुलना में फर्क महसूस कर रही हैं, तो उसे हमारे साथ नीचे कमेंट बॉक्स में शेयर कर सकते हैं। साथ ही अगर आपके मन में फोलिक एसिड से जुड़े कुछ सवाल हैं, तो उसे भी नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे पूछ सकते हैं।
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किवी फल के 19 फायदे, उपयोग और नुकसान – Kiwi Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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किवी फल के 19 फायदे, उपयोग और नुकसान – Kiwi Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
Bhupendra Verma Hyderabd040-395603080 August 14, 2019
जब स्वास्थ्य को ठीक रखने की बात होती है, तो सभी विशेषज्ञ फल खाने की सलाह देते हैं। बेशक गुणकारी फलों की कमी नहीं है, लेकिन हम इस लेख में सिर्फ की��ी की बात करेंगे। इसे चाइनीज गूजबेरी के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम एक्टिनिडिया डेलिसिओसा है। इसके उत्पादन की शुरुआत चीन में हुई और अब लगभग सभी देशों में यह पाया जाता है। इसमें कई तरह के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं, जो आपको स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने का काम करते हैं। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम कीवी फल खाने का तरीका और कीवी फल के फायदे के बारे में जानकारी देंगे।
विषय सूची
कीवी फल क्या हैं – What is Kiwi Fruit in Hindi
कीवी फल बाहर से भूरा और अंदर से मुलायम व हरे रंग का होता है। इसके अंदर काले रंग के छोटे-छोटे बीज होते हैं, जिन्हें खाया जा सकता है। इसका स्वाद मीठा होता है। यह फल बाजार में आसानी से उपलब्ध होता है। कम दाम में पोषण पाने का यह एक बेहतर विकल्प है। इसके नियमित सेवन का असर स्वास्थ्य पर सीधे तौर पर देखा जा सकता है।
इस लेख के आगे भाग में हम कीवी फल के फायदे के बारे में बताएंगे।
किवी फल के फायदे – Benefits of Kiwi in Hindi
कीवी फल पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसका सेवन आपके लिए कई तरह से फायदेमंद साबित हो सकता है। साथ ही यह कई रोगों को दूर रखने में भी सहायता करता है। आइए, जानते हैं कैसे :
1. ह्रदय के लिए
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एक शोध से पता चलता है कि कीवी फ्रूट ह्रदय रोग की समस्या को रोकने के लिए फायदेमंद हो सकता है। अगर आप इस फल का 28 दिन तक सेवन करते हैं, तो प्लाज्मा, लिपिड व रक्तचाप को कम करने में मदद मिल सकती है। अगर ये तीनों चीजें ठीक रहेंगी, तो ह्रदय भी ठीक प्रकार से काम करेगा। इस प्रकार कहा जा सकता है कि कीवी का उपयोग ह्रदय स्वास्थ्य के लिए मददगार साबित हो सकता है (1)।
2. पाचन के लिए कीवी के फायदे
वैज्ञानिकों के रिसर्च से यह साबित हो गया है कि कीवी फल में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है। फाइबर भोजन को पचाने में मुख्य भूमिका निभाता है। इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि कीवी फल आपके पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होता है (2)।
3. वजन कम करने के लिए
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एक वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि कीवी फल फाइबर का अच्छा स्रोत है (2)। वजन को कम करने के लिए फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ लाभदायक होता है। फाइबर भोजन को पचाने में मदद करता है। साथ ही भूख को भी शांत रखता है, जिससे वजन को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि कीवी फल वजन को कम करने में सहायक होता है (3)।
4. मधुमेह के लिए किवी के फायदे
मधुमेह का रोग रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ने से होता है। एक शोध में देखा गया कि कीवी फ्रूट में मौजूद विटामिन सी इंसुलिन को कम करता है और रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने का काम करता है। इसलिए, यह मधुमेह की समस्या को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है (4)।
5. इम्युनिटी सिस्टम के लिए
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एक वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया है कि किवी फल में विटामिन सी, कैरोटिनॉइड, पॉलीफेनोल और फाइबर पाए जाते हैं, जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने में मदद कर सकते हैं। इस कारण ऐसा कहा जा सकता है कि कीवी का सेवन इम्यून सिस्टम के साथ-साथ कई तरह के रोगों को दूर रखने में आपकी सहायता कर सकता है (5)।
6. रक्तचाप के लिए कीवी फल के फायदे
विशेषज्ञों के अनुसार, किवी फ्रूट में बायोएक्टिव पदार्थ होते हैं, जो रक्तचाप को कम करने का काम करते हैं। साथ ही एंडोथेलियल फंक्शन (दिल से संबंधित एक क्रिया) को बेहतर करने का काम कर सकते हैं (6)। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि किवी फल का सेवन आपके रक्तचाप की समस्या को दूर करने का काम कर सकता है।
7. नींद के लिए किवी के फायदे
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किवी फल के फायदे की बात हो रही हो और नींद का जिक्र न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। जी हां, कीवी फल आपको सुकून की नींद दिलाने में मददगार हो सकता है। इस संबंध में किए गए मेडिकल रिसर्च में साबित हुआ है कि कम वसा और कम कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं, जो अच्छी नींद लाने में मदद करते हैं। उन खाद्य पदार्थों की सूची में फलों को वरीयता देने की बात कही गई है और इनमें कीवी भी शामिल है, लेकिन इस संबंध में अभी और अध्ययन की जरूरत है (7)।
8. गर्भावस्था के लिए
गर्भवस्था के दौरान खान-पान का ध्यान रखना जरूरी होता है। गर्भावस्था में कैल्शियम, आयरन, विटामिन सी और जिंक युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए (8)। किवी फल में इन पोषक तत्वों की मात्रा देखी गई है (9)। इसलिए, कीवी के फायदे में गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन भी शामिल है। फिर भी इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
9. दमा (अस्थमा) के लिए किवी के फायदे
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विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन से श्वास प्रणाली को फायदा पहुंचता है, जिससे दमा (अस्थमा) की समस्या से काफी हद तक राहत मिल सकती है। कीवी फल में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इस कारण ऐसा कहा जा सकता है कि अस्थमा की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कीवी का उपयोग लाभदायक साबित हो सकता है (10)।
10. अल्सर के लिए
कीवी जैसे कई फलों में बीटा-कैरोटीन की मात्रा पाई जाती है। जब यह तत्व शरीर में जाता है, तो विटामिन-ए और सी में बदल जाता है, जो अल्सर से बचाने में मदद करते हैं। वैज्ञानिक रिसर्च में भी कहा गया है कि कीवी के सेवन से अल्सर से उबरने में मदद मिलती है। साथ ही भविष्य में आंतों के खराब होने की आशंका भी कम हो जाती है (11)।
11. कैंसर के लिए
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वैज्ञानिक शोध के अनुसार, कुछ खाद्य पदार्थों में कैंसर-रोधी गुण पाए जाते हैं। बताया जाता है कि कुछ फलों में सल्फोराफेन, आइसोसाइनेट और इंडोल्स होते हैं, जो कार्सिनोजेन्स (कैंसर पैदा करने वाले यौगिकों) की क्रिया को रोकने का काम कर सकते हैं। ऐसे फलों की लिस्ट में कीवी फल भी शामिल है (12)।
12. आंखों के लिए
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एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, किवीफ्रूट में ल्यूटिन जैसे फाइटोकेमिकल्स पाए जाते हैं। ल्यूटिन को रेटिना के लिए अच्छा माना जाता है। बता दें कि ल्यूटिन एक कैरोटीनॉयड विटामिन है, जो उम्र के साथ होने वाले अंधेपन की समस्या को दूर रखने का काम कर सकता है (13) ।
13. एंटीइंफ्लेमेटरी
किवी फल के फायदे में से एक सूजन को कम करना भी हो सकता है। बता दें कि इसमें एंटी-एलर्जिक, एंटी-ऑक्सीडेंट के साथ-साथ एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव भी पाए जाते हैं। इस एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव होने के कारण ही यह शरीर में सूजन की समस्या को रोकने का काम कर सकता है (14)।
14. लिवर के लिए
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एक रिसर्च से यह साबित हुआ है कि कीवी फल का सेवन लिवर से संबंधित समस्याओं को रोकने में सहायक हो सकता है। कीवी फ्रूट में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने का काम कर सकते हैं। इससे लिवर के जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है (15)।
15. कोलेस्ट्रॉल के लिए
स्वस्थ आहार के रूप में फल को अच्छा माना जाता है। कीवी फल में फाइबर, सोडियम और पोटैशियम संतुलित मात्रा में पाए जाते हैं। इन प्रमुख तत्वों के कारण कीवी फल उच्च कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम कर सकता है। अगर कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहेगा, तो ह्रदय संबंधित बीमारियों को भी दूर रखने में मदद मिल सकती है (16)।
16. खून के थक्के
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वैज्ञानिक शोध के अनुसार, विटामिन-के का सेवन करने से शरीर मे खून के थक्के बनते हैं। इससे चोट लगने या शरीर पर कट लग जाने पर अधिक खून नहीं निकलता है। वहीं, कीवी फल में विटामिन-के अच्छी मात्रा में पाया जाता है (9)। इसलिए, कीवी फल को खून के थक्के जमाने में मददगार माना जा सकता है (17)।
17. मुंहासों में किवी के फायदे
एक मेडिकल रिसर्च में साबित हुआ है कि मुंहासों से राहत दिलाने के लिए विटामिन सी सहायक हो सकता है (18)। कीवी फल में विटामिन सी की मात्रा पाई जाती है (9)। इसलिए, यह कहना गलत नहीं है कि मुंहासों में भी किवी फल के फायदे देखे जा सकते हैं।
18. त्वचा के लिए
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खाद्य आहार में पाए जाने वाला विटामिन सी त्वचा के लिए सबसे अधिक लाभदायक होता है। विटामिन सी त्वचा को स्वस्थ रखने, नमी बनाए रखने, मुंहासों को दूर करने, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और त्वचा को सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचाने में सहायक हो सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, कीवी फल में विटामिन सी की अधिकता देखी गई है, जो त्वचा को लाभ पहुंचाने का काम कर सकता है (18) (9)।
19. बालों के लिए
जब बात बालों की मजबूती की आती है, तो इसके लिए विटामिन्स की बात की जाती है। बता दें कि बालों के लिए विटामिन सी, बी और ए बहुत जरूरी होता है (19)। वहीं, एक अध्ययन के जरिए यह साबित हो गया है कि कीवी फल में विटामिन सी, बी-6 और ए की प्रचुर मात्रा पाई जाती है (9)। इसलिए, कहा जा सकता है कि किवी फल के फायदे में बालों की देखभाल को भी शामिल किया जा सकता है।
आगे लेख में हम कीवी फल के पौष्टिक तत्वों के बारे में बताएंगे।
कीवी फल के पौष्टिक तत्व – Kiwi Nutritional Value in Hindi
कीवी फल में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वाें और उनकी मात्रा को एक चार्ट के जरिए समझा रहे हैं (9)।
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 g पानी 83.07 g ऊर्जा 61 kcal प्रोटीन 1.14 g टोटल लिपिड (फैट) 0.52 g कार्बोहाइड्रेट 14.66 g फाइबर , टोटल  डाइटरी 3.0 g शुगर, टोटल 8.99 g मिनरल्स कैल्शियम ,Ca 34 gm आयरन ,Fe 0.31 mg मैग्नीशियम , Mg  17 mg फास्फोरस ,P 34 mg पोटैशियम ,K 312 mg सोडियम ,Na 3  mg जिंक ,Zn 0.14 mg विटामिन्स विटामिन सी , टोटल एस्कॉर्बिक एसिड 92.7 mg थाइमिन 0.027 mg राइबोफ्लेविन 0.025 mg नियासिन 0.341 mg विटामिन बी -6 0.063 mg फोलेट DFE 25 µg विटामिन बी-12 0. 00 µg विटामिन ए ,RAE 4 µg विटमिन ए ,।U 87 ।U विटामिन ई (अल्फा-टोकोफ़ेरॉल) 1.46 mg विटामिन डी (D2 +D3) 0. 0 µg विटामिन डी 0 ।U विटामिन के (पिल्लोक्विनोने ) 40.3 µg लिपिड फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड 0.029 g फैटी एसिड, टोटल मोनोसैचुरेटेड 0.047 g फैटी एसिड, टोटल पॉलीसैचुरेटेड 0.287 g फैटी एसिड, टोटल ट्रांस 0. 000 g कोलेस्ट्रॉल 0 mg
चलिए अब जानते हैं कि कीवी फल को किस तरह से उपयोग किया जा सकता है।
कीवी फ्रूट का उपयोग – How to Use Kiwi in Hindi
कीवी फल खाने का तरीका और इसकी सही मात्रा के बारे में निम्न बिन्दुओं के माध्यम से जाना जा सकता है।
कीवी फल को सामान्य फल की तरह खाया जा सकता है।
कीवी फल का जूस बनाकर पिया जा सकता है।
कीवी फल को सलाद की तरह भी खाया जा सकता है।
कब खाएं :
कीवी फल को खाने का कोई निर्धारित समय नहीं होता है। फिर भी इसे सुबह या शाम को नाश्ते के समय लिया जा सकता है।
कितना खाएं :
एक स्वस्थ व्यक्ति प्रतिदिन 2 कीवी फल खा सकता है।
आहार में कैसे शामिल करें :
इसे अन्य फलों के साथ मिलाकर फ्रूट चाट के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
इसे भोजन के साथ सालाद के तौर पर खाया जा सकता है।
किवी फल का चयन कैसे करें और लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखें?
खरीदते समय ध्यान दें कि कीवी फल पर किसी प्रकार का दाग न हो।
इसका छिलका बाहर से कटा-फटा न हो।
दबा कर देखने से जल्दी पिचके न।
आप इसे मंडी से, सुपर बाजार से या फिर ऑनलाइन ले सकते हैं।
सुरक्षित कैसे रखें :
कीवी फल को फ्रीज में कुछ दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
इसे कम तापमान वाले रूम में भी रख सकते हैं।
इस लेख के आगे के भाग में आप कीवी फल से होने वाले नुकसान के बारे में जानेंगे।
कीवी फ्रूट के नुकसान – Side Effects of Kiwi in Hindi
जिन लोगों को एलर्जी की अधिक शिकायत होती है, उन्हें कीवी फल से दूर रहना चाहिए, क्योंकि यह उनके लिए एलर्जी का कारण बन सकता है (20)।
कीवी फल में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है (9), इसलिए इसका अधिक मात्रा में सेवन दस्त, गैस व पेट दर्द का कारण बन सकता है (21)।
अब तो आप किवी फल के उपयोग और फायदों के बारे में अच्छे से जान ही गए होंगे। साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा कि यह किन बीमारियों में लाभकारी साबित हो सकता है। वहीं, आपको लेख के माध्यम से इसके सेवन और ली जाने वाली संतुलित मात्रा के बारे में भी अच्छे से समझ आ गया होगा। अगर आप भी कीवी फल को अपने नियमित आहार में शामिल करने के बारे में सोच रहे हैं, तो बेहतर होगा कि लेख में दी गई इससे संबंधित जानकारियों को अच्छी तरह से पढ़ लें। फिर इसका इस्तेमाल शुरू करें। अगर आपके पास कीवी फल से जुड़ी कोई अन्य जानकारी है, तो उसे नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमारे साथ साझा कर सकते हैं।
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Bhupendra Verma
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/kiwi-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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