कोविड के प्रकोप के बावजूद चीन ने तिब्बत में शीतकालीन पर्यटन अभियान शुरू किया है
कोविड के प्रकोप के बावजूद चीन ने तिब्बत में शीतकालीन पर्यटन अभियान शुरू किया है
में भारी उठापटक के बावजूद COVID-19 संक्रमण तिब्बत राइट्स कलेक्टिव की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे चीन में, बीजिंग ने अवैध रूप से कब्जे वाले तिब्बत में शीतकालीन पर्यटन अभियान शुरू किया। चीन ने घोषणा की है कि तिब्बत की राजधानी ल्हासा में “प्रतिष्ठित पोटाला पैलेस” फिर से खुल जाएगा पर्यटन चार महीने से अधिक समय तक बंद रहने के बाद। ल्हासा और उसके आसपास के कई अन्य प्रमुख धार्मिक पर्यटक आकर्षणों को भी फिर से…
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Uttarakhand:जोशीमठ आपदा से शीतकालीन पर्यटन को लगा झटका, बाहरी राज्यों के पर्यटक रद्द कर रहे बुकिंग - Uttarakhand Winter Tourism: Tourists From Outside States Canceling Bookings After Joshimath Disaster
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज
– फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
विस्तार
जोशीमठ आपदा से शीतकालीन पर्यटन को झटका लगा है। बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटक होटलों में एडवांस बुकिंग को रद कर रहे हैं। उधर, नृसिंह मंदिर में शीतकालीन प्रवास के दौरान बदरीनाथ जी के दर्शन के लिए श्रद्धालु नहीं आ रहे हैं।
Joshimath: तोड़े जा रहे PWD के गेस्ट हाउस के पास के घरों में भी आई बड़ी दरारें, अब टूटेंगे असुरक्षित हुए 21…
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महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की ���ौगातसतपुली में 352.53 लाख कार पार्किंग, 281.06 लाख के बहुमंजिला शॉपिंग कॉपलेक्स व व्यास घाट में 476.57 लाख के पर्यटक आवास की सौगात
सतपुली (पौड़ी): प्रदेश सरकार शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास कर रही है। टूरिज्म के क्षेत्र में उत्तराखंड को बेस्ट टूरिज्म का अवार्ड मिला है जो कि हमारे लिए गर्व की बात है। इस वर्ष चार धाम…
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महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
सतपुली में 352.53 लाख कार पार्किंग, 281.06 लाख के बहुमंजिला शॉपिंग कॉपलेक्स व व्यास घाट में 476.57 लाख के पर्यटक आवास की सौगात
सतपुली (पौड़ी): प्रदेश सरकार शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास कर रही है। टूरिज्म के क्षेत्र में उत्तराखंड को बेस्ट टूरिज्म का अवार्ड मिला है जो कि हमारे लिए गर्व की बात है। इस वर्ष चार धाम…
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महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
सतपुली में 352.53 लाख कार पार्किंग, 281.06 लाख के बहुमंजिला शॉपिंग कॉपलेक्स व व्यास घाट में 476.57 लाख के पर्यटक आवास की सौगात
सतपुली (पौड़ी): प्रदेश सरकार शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास कर रही है। टूरिज्म के क्षेत्र में उत्तराखंड को बेस्ट टूरिज्म का अवार्ड मिला है जो कि हमारे लिए गर्व की बात है। इस वर्ष चार धाम…
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महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
सतपुली में 352.53 लाख कार पार्किंग, 281.06 लाख के बहुमंजिला शॉपिंग कॉपलेक्स व व्यास घाट में 476.57 लाख के पर्यटक आवास की सौगात
सतपुली (पौड़ी): प्रदेश सरकार शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास कर रही है। टूरिज्म के क्षेत्र में उत्तराखंड को बेस्ट टूरिज्म का अवार्ड मिला है जो कि हमारे लिए गर्व की बात है। इस वर्ष चार धाम…
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जिम कॉर्बेट पार्क घूमने के लिए अपनी यात्रा का प्रबंध कैसे करे
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय अभयारण्य रामनगर नैनीताल की प्राकृतिक सुंदरता के दर्शन करना न भूलेयदि आप अपने बच्चो के साथ कही घूमने का कार्यक्रम बना रहे है और आपके मन में जिम कॉर्बेट नाशनक पार्क के बारे में जानने की इच्छा है तो हम आपको सुझाव देंगे की आप अपने बच्चो को इस पार्क कर प्राकृतिक सुंदरता और बन्य जीवो से रूबरू जरूर कराये और उन्हें प्रकृति के प्रति जागरूक करे ताकि आने वाले भविस्य में आपके बच्चे भी इस प्रकृति व बन्य जीवो के संरक्षण के लिए कार्य कर सके क्यों की मनुष्य जीवन के लिए इसका बचे रहना बहुत जरुरी है आइये हम आपको इसके बारे में कुछ बताते हैजिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय पार्क है और १९३६ में लुप्तप्राय बंगाल बाघ की रक्षा के लिए हैंली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित किया गया था। यह उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में स्थित है और इसका नाम जिम कॉर्बेट के नाम पर रखा गया था जिन्होंने इसकी स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बाघ परियोजना पहल के तहत आने वाला यह पहला पार्क था। यह एक गौरवशाली पशु विहार है। यह रामगंगा की पातलीदून घाटी में १३१८.५४ वर्ग किलोमीटर में बसा हुआ है जिसके अंतर्गत ८२१.९९ वर्ग किलोमीटर का जिम कॉर्बेट व्याघ्र संरक्षित क्षेत्र भी आता है।
पार्क में उप-हिमालयन बेल्ट की भौगोलिक और पारिस्थितिक विशेषताएं हैं। यह एक इकोटोरिज़्म गंतव्य भी है और यहाँ पौधों की 488 प्रजातियां और जीवों की एक विविधता है। पर्यटन की गतिविधियों में वृद्धि और अन्य समस्याएं पार्क के पारिस्थितिक संतुलन के लिए एक गंभीर चुनौती पेश कर रहीं हैं।
कॉर्बेट एक लंबे समय के लिए पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए अड्डा रहा है। कोर्बेट टाइगर रिजर्व के चयनित क्षेत्रों में ही पर्यटन गतिविधि को अनुमति दी जाती है ताकि लोगों को इसके शानदार परिदृश्य और विविध वन्यजीव देखने का मौका मिले। हाल के वर्षों में यहां आने वाले लोगों की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। वर्तमान में, हर मौसम में 100000 से अधिक आगंतुक पार्क में आते हैं।कॉर्बेट नेशनल पार्क में ५२०.८ वर्ग किमी (२०१.१ वर्ग मील) में पहाड़ी, नदी के बेल्ट, दलदलीय गड्ढे, घास के मैदान और एक बड़ी झील शामिल है। ऊंचाई १,३०० से 4,००० फीट (४०० से १,२२० मीटर) तक होती है। यहाँ शीतकालीन रातें ठंडी होती हैं लेकिन दिन धूपदार और गरम होते हैं। यहाँ जुलाई से सितंबर तक बारिश होती है।
घने नम पर्णपाती वन में मुख्य रूप से साल, हल्दु, पीपल, रोहिनी और आम के पेड़ होते हैं। जंगल पार्क का लगभग 73% हिस्सा घेरते हैं, इस क्षेत्र में 10% घास के मैदान होते हैं। यहाँ ११० पेड़ की पप्रजातियाँ, ५० स्तनधारियों की प्रजातियाँ, ५८० पक्षी प्रजातियां और २५ सरीसृप प्रजातियां हैं।पशुपार्कयहाँ पर शेर, हाथी, भालू, बाघ, सुअर, हिरन, चीतल, साँभर, पांडा, काकड़, नीलगाय, घुरल और चीता आदि 'वन्य प्राणी' अधिक संख्या में मिलते हैं। इसी तरह इस वन में अजगर तथा कई प्रकार के साँप भी निवास करते हैं। जहाँ इस वन्य पशु विहार में अनेक प्रकार के भयानक जन्तु पाये जाते हैं, वहाँ इस पार्क में लगभग ६०० रंग - बिरंगे पक्षियों की जातियाँ भी दिखाई देती हैं। यह देश एक ऐसा अभयारण है जिसमें वन्य जन्तुओं की अनेक जातियाँ - प्रजातियों के साथ पक्षियों का भी आधिक्य रहता है। आज विश्व का ऐसा कोई कोना नहीं है, जहाँ के पर्यटक इस पार्क को देखने नहीं आते हों।
अंग्रेज वन्य जन्तुओं की रक्षा करने के भी शौकीन थे। सन् १९३५ में रामगंगा के इस अंचल को वन्य पशुओं के रक्षार्थ सुरक्षित किया गया। उस समय के गवर्नर मालकम हेली के नाम पर इस पार्क का नाम 'हेली नेशनल पार्क' रखा गया। स्वतंत्रता मिलने के बाद इस पार्क का नाम 'रामगंगा नेशनल पार्क' रख दिया गया। स्वतंत्रता के बाद विश्व में जिम कार्बेट नाम एक प्रसिद्ध शिकारी के रूप में फैल गया था। जिम कार्बेट जहाँ अचूक निशानेबाज थे वहीं वन्य पशुओं के प्रिय साथी भी थे। कुमाऊँ के कई आदमखोर शेरों को उन्होंने मारकर सैकड़ों लोगों की जानें बचायी थी। हजारों को भय से मुक्त करवाया था। गढ़वाल में भी एक आदमखोर शेर ने कई लोगों की जानें ले ली थी। उस आदमखोर को भी जिम कार्बेट ने ही मारा था। वह आदमखोर गढ़वाल के रुद्र प्रयाग के आस-पास कई लोगों को मार चुका था। जिम कार्बेट ने 'द मैन ईटर आॅफ रुद्र प्रयाग' नाम की पुस्तकें लिखीं।
भारत सरकार ने जब जिम कार्बेट की लोकप्रियता को समझा और यह अनुभव किया कि उनका कार्यक्षेत्र बी यही अंचल था तो सन् १९५७ में इस पार्क का नाम 'जिम कार्बेट नेशनल पार्क' रख दिया गया और जिम कार्बेट नेशनल पार्क जाने वाले पर्यटक इसी मार्ग से जाते हैं। नैनीताल से आनेवाले पर्यटक इस संग्रहालय को देखकर ही आगे बढ़ते हैं।
जिम कार्बेट
जिम कार्बेट का पूरा नाम जेम्स एडवर्ड कार्बेट था। इनका जन्म २५ जुलाई १८७५ ई. में हुआ था। जिम कार्बेट बचपन से ही बहुत
मेहनती और नीडर व्यक्ति थे। उन्होंने कई काम किये। इन्होंने ड्राइवरी, स्टेशन मास्टरी तथा सेना में भी काम किया और अनेत में ट्रान्सपोर्ट अधिकारी तक बने परन्तु उन्हें वन्य पशुओं का प्रेम अपनी ओर आकर्षित करता रहा। जब भी उन्हें समय मिलता, वे कुमाऊँ के वनों में घूमने निकल जाते थे। वन्य पशुओं को बहुत प्यार करते। जो वन्य जन्तु मनुष्य का दुश्मन हो जाता - उसे वे मार देते थे।
जिम कार्बेट के पिता 'मैथ्यू एण्ड सन्स' नामक भवन बनाने वाली कम्पनी में हिस्सेदारा थे। गर्मियों में जिम कार्बेट का परिवार अयायरपाटा स्थित 'गुर्नी हाऊस' में रहता था। वे उस मकान में १९४५ तक रहे। ठंडियों में कार्बेट परिवार कालढूँगी वाले अपने मकान में आ जाते थे। १९४७ में जिम कार्बेट अपनी बहन के साथ केनिया चले गये थे। वे वहीं बस गये थे। केनिया में ही अस्सी वर्ष की अवस्था में उनका देहान्त हो गया।जिम कॉर्बेट पार्क घूमने के लिए अपनी यात्रा का प्रबंध कैसे करे
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क घूमने का आनंद आप वैसे तो साल भर ले सकते है किन्तु नवंबर से जुलाई के महीनो में भीड़ भाड़ ज्यादा रहती है
जिम कॉर्बेट पार्क घूमने के लिए वैसे तो देश भर में हर शहर में ट्रेवल एजेंट है और ऑनलाइन बुकिंग पोर्टल भी काम कर रहे है किन्तु आप सीधे होटल या स्थानीय टूर गाइड से संपर्क करके अपना समय व पैसा बचा सकते है
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क पहुंचने के लिए दिल्ली से रामनगर रेलगाड़ी मोटर मार्ग से 5 घंटे में पंहुचा जा सकता है और हवाई मार्ग से दिल्ली से पंतनगर और वह से टैक्सी से पहुँचा जा सकता है कॉर्बेट पार्क ढिकाला के लिए ऑनलाइन बुकिंग होती है जो की बहुत पहले करनी होती है और ज्यादा डिमांड के चलते सभी को यहाँ रहने का सौभाग्य नहीं मिल पता है अतः जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे हुए भूभाग जैसे ढिकुली गर्जिया मोहन क्षेत्र में कई रिसोर्ट उपलब्ध है जिसमे रहने के लिए आप सीधे संपर्क कर बुकिंग कर सकते है तथा जंगल जीप सफारी और एलीफैंट सफारी का आनंद लेना चाहे तो इसकी बुकिंग भी इन्ही होटल रिसोर्ट से ही करना बेहतर व सुरक्षित तरीका हो सकता है तथा होटल रिसोर्ट या टूर गाइड के माध्यम से की गई बुकिंग से आपको समय व पैसे की बचत के साथ साथ घूमने के लिए भी ठीक मार्गदर्शन मिलेगा और स्थानीय स्तर पर सहयोग भी मिलेगा. जबकि जब आप अपने शहर के एजेंट या ट्रेवल पोर्टल से बुकिंग करते है तो आपको एक तो एजेंट या ट्रेवल पोर्टल का कमीशन भी देना होता है जिसका आपको पता नहीं चल पाता है और फिर आपको हर बुकिंग पर अलग अलग कमीशन देना होता है इसे यु समझ सकते है की तेल तो तिल से ही निकलता है कोई भी फ्री में काम करने नहीं बैठा है इसीलिए आपको सीधे रिसोर्ट के माध्यम से बुकिंग करने की सलाह दी जा रही है बाध्यता नहीं है केवल मार्गदर्शन के लिए सुझाव है होटल रिसोर्ट बुक करने हेतु आप निम्न पते पर संपर्क कर सकते है
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अटल सुरंग के खुलने से लाहौल घाटी में साहसिक खेल द्वार खुलते हैं
अटल सुरंग के खुलने से लाहौल घाटी में साहसिक खेल द्वार खुलते हैं
नाला में बर्फ पर चढ़ने वाले कीलोंग के कमांडर
अटल सुरंग रोहतांग के खुलने के बाद लाहौल घाटी में शीतकालीन साहसिक खेलों और गतिविधियों की संभावनाएं बढ़ गई हैं। बर्फ पर चढ़ने के साथ, आइस हॉकी स्कीइंग, स्लेजिंग, विंटर कैपिंग के लिए उपयुक्त है। भविष्य में, साहसिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले पर्यटक गाँवों में रहेंगे, जिससे गाँव में पर्यटन बढ़ेगा और युवाओं को भी प्रेरणा मिलेगी।
न्यूज 18
आखरी अपडेट:2…
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बर्फवारी के बाद पर्यटकों से गुलजार हुई औली
बर्फवारी के बाद पर्यटकों से गुलजार हुई औली
विश्व प्रसिद्ध हिमक्रीड़ा स्थली औली में बर्फवारी के बाद मौसम खुशगवार हो गया है। जिसके बाद औली पर्यटकों से गुलजार हो गयी है। लगभग आधा फीट बर्फ में पर्यटक खूब लुत्फ उठा रहे हैं।
स्कीइंग के लिए सबसे मुफीद माने जाने वाली औली इन दिनों पर्यटकों से गुलजार है। उत्तराखण्ड की खूबसूरत शीतकालीन पर्यटन स्थली औली में जहां तहां पर्यटक बर्फ से खेलते हुए दिखाई देते हैं। पिछले दिनों पहाड़ों में काफी बारिश और…
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मनाली में पर्यटक ले रहे 'इग्लू' का मजा, खाने-पीने से लेकर सोने तक की सुविधाएं उपलब्ध
चैतन्य भारत न्यूज
मनाली. इन दिनों पूरे उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ठंड के कारण लोगों की दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो गई है। ठंड का कहर इस कदर है कि घर से बाहर निकलने पर भी लोग सोचने पर मजबूर हो रहे हैं। लेकिन इसी कड़ाके की ठंड में लोग बर्फ से बने घर यानी इग्लू में रहने का लुत्फ उठा रहे हैं और वो भी हजारों रुपए देकर।
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जी हां... हिमाचल प्रदेश के मशहूर हिल स्टेशन मनाली में इन दिनों बर्फबारी हो रही है, जिसका मजा लेने हजारों की संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं। सैलानी यहां बर्फ के साथ खेलने का आनंद उठाते हैं। साथ ही लोग इग्लू में रात बिताने का आनंद भी ले रहे हैं। दरअसल, मनाली में ही कुछ युवा मिलकर इग्लू बनाकर शीतकालीन पर्यटन को तो बढ़ावा दे ही रहे हैं और साथ ही वे पर्यटकों को भी विदेशों का अहसास अपने देश में करवा रहे हैं।
मनाली के दो स्थानीय युवाओं ने यूट्यूब पर देखकर इग्लू बनाना सीखा। बता दें इग्लू भारी बर्फ वाली जगहों में रहने के लिए बर्फ से बनाए घर होते हैं और इनमें रहने वाले लोगों को एस्किमो कहा जाता है। मनाली से करीब 15 किमी दूर 9000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हमता में इन दोनों युवा ने चार साल पहले इग्लू बनाना एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर शुरू किया था।
स्थानीय युवा ताशी और विकास ने लगातार चौथे साल यह इग्लू बनाए और अब यह इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि पूरे सीजन पर्यटक इनका लुत्फ उठाने आते हैं। इन इग्लू में रहने के लिए लोगों को एडवांस बुकिंग करवानी पड़ती है। जानकारी के मुताबिक, एक इग्लू के अंदर दो लोग रह सकते हैं और एक रात का किराया 5,500 रुपए है।
इन इग्लू में ठहरने से लेकर खाने व सोने तक की तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। इग्लू के अंदर तरह-तरह की लाइट्स भी लगी हैं जो खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा देती है। दिन के वक्त लोग स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग करते हैं जबकि शाम को अलाव का मजा लेते हैं।
ऐसे हुआ इग्लू का अविष्कार
साइबेरिया, अलास्का और ग्रीनलैंड जैसे कई ठंडे देशों में रहने वाले एस्कीमो (बर्फ में रहने वाले लोग) जो सिर्फ शिकार करके अपना जीवन यापन करते हैं, वह इग्लू में रहते हैं। दरअसल बर्फीली जगहों पर घर बनाने के लिए लकड़ी या अन्य कोई भी सामान उपलब्ध नहीं था तो लोगों ने पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध बर्फ से ही घर बनाना सीख लिया।
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26 से 28 फरवरी के बीच होगी औली में राष्ट्रीय अल्पाइन स्कीइंग औली। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा 26 से 28 फरवरी के बीच औली में राष्ट्रीय अल्पाइन स्कीइंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा. भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन ने इस पर अपनी सहमति प्रदान कर दी है. जिसके अंतर्गत पुरुषों तथा महिलाओं के लिए नॉर्डिक स्कींइंग, क्रॉस कंट्री स्कीइंग, अल्पाइन स्कीइंग सुपर- जी तथा स्नोबोर्ड पैरलल जायंट स्लेलम स्पर्धाएं आयोजित की जाएंगी. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने आशा प्रकट की है कि इस आयोजन के माध्यम से औली को शीतकालीन खेलों के एक आदर्श गंतव्य के रूप में राष्ट्रीय परिदृश्य में एक नई पहचान मिलेगी. उन्होंने कहा कि साहसिक खेलो के आयोजन के लिए उत्तराखंड में आदर्श परिस्थितियां मौजूद हैं और पर्यटन विभाग द्वारा राज्य के साहसिक महत्व वाले पर्यटक स्थलों के विकास के उद्देश्य से इस प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय संस्कृति, स्थानीय पर्यटन तथा स्थानीय रोजगार में वृद्धि होगी. सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि औली में आयोजित होने वाली स्कींग प्रतियोगिता की मेजबानी उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा गढ़वाल मंडल विकास निगम के सहयोग से की जाएगी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन द्वारा इस आयोजन को संभव बनाने के लिए पूरा सहयोग प्रदान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग की मंशा स्थानीय पर्यावरण तथा जैव विविधता को बगैर क्षति पहुंचाए उत्साहियों को साहसिक खेलों के रोमांच से रूबरू कराने की है. इसके साथ ही उन्होंने स्थानीय जनता से सहयोग की अपील की. ज्ञातव्य है कि शीतकालीन खेलों को संभव बनाने के उद्देश्य से पर्यटन विभाग द्वारा औली में कई महीने पहले से कृत्रिम बर्फ बनाने का कार्य आरंभ कर दिया गया था. रात्रि में जब तापमान शून्य से नीचे चला जाता है, उसके बाद कृत्रिम बर्फ बनाने का कार्य किया जा रहा है. मशीन के मेंटेनेंस के लिए दिसंबर माह में फ्रांस की प्रमुख कंपनी पोमा के कांट्रेक्टर भी औली आए थे. साथ ही इस वर्ष पड़ी रही कड़ाके की सर्दी और बर्फबारी ने भी इस आयोजन की मेजबानी के दावे को सफल बनाने में अपना पूरा योगदान दिया है. आवेदक उत्तरांचल ओलंपिक एसोसिएशन की ईमेल आईडी पर इन गतिविधियों में भाग लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं.
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महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
महाराज ने तीन दिन में अपने विधानसभा क्षेत्र को दी 36 करोड की सौगात
सतपुली में 352.53 लाख कार पार्किंग, 281.06 लाख के बहुमंजिला शॉपिंग कॉपलेक्स व व्यास घाट में 476.57 लाख के पर्यटक आवास की सौगात
सतपुली (पौड़ी): प्रदेश सरकार शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास कर रही है। टूरिज्म के क्षेत्र में उत्तराखंड को बेस्ट टूरिज्म का अवार्ड मिला है जो कि हमारे लिए गर्व की बात है। इस वर्ष चार धाम…
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भारत का स्वर्ग है कश्मीर ।
भारत का स्वर्ग है कश्मीर ।
suketdedhia / Pixabay
भारत का सबसे सुन्दर राज्य जम्मू-कश्मीर भारत के उत्तरी भाग में स्तिथ है। यह भारत की ओर से उत्तर में चीन और अफगानिस्तान, पूर्व में चीन, और दक्षिण में हिमाचल प्रदेश और पंजाब से घिरा है। हिमालय की गोद में बसा, जम्मू और कश्मीर अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए दुनिया भर में अपना एक ख़ास मुकाम रखता है। अनेक जातियों, संस्कृतियों व भाषाओं का संगम बना यह प्रदेश एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है।
जम्मू और कश्मीर एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है जिससे अपनी छुट्टी बिताने के लिए पर्यटक साल में कभी भी यहां आ सकते हैं। तवी नदी के खूबसूरत किनारों पर स्थित जम्मू-कश्मीर राज्य का यह मुख्य प्रवेश द्वार है। साथ ही प्रतिवर्ष वैष्णो देवी जाने के लिए यहां लाखों तीर्थयात्री आते हैं। यहां स्थित अनगिनत मंदिरों के कारण इसे मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है। कला, संस्कृति तथा ऐतिहासिकता की दृष्टि से भी जम्मू का महत्वपूर्ण स्थान है। यह शहर व्यापार का एक प्रमुख केंद्र भी है। जम्मू के पर्वत पर्वतारोहण करने वालों के मध्य काफी लोकप्रिय हैं।
जम्मू एवं कश्मीर जिसमें श्रीनगर को ग्रीष्मकालीन राजधानी और जम्मू को शीतकालीन राजधानी माना जाता है। पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला और शक्तिशाली हिमालय का सेट राज्य की शोभा, में चार चाँद लगा देता है साथ ही ये जगह साहसिक उत्साही, प्रकृति प्रेमियों, और तीर्थयात्रियों के लिए मस्ट टू गो प्लेस है।
यह जगह प्रकृति के प्रेमियों के अलावा साहसिक गतिविधियों में लिप्त उत्साही लोगों के दिल में एक खास मुकाम रखती है। वैसे पर्यटक वर्ष के किसी भी महीने में जम्मू का कार्यक्रम बना सकते हैं, पर बरसात में घूमने-फिरने में होने वाली दिक्कतों के कारण वहां न जाना ही उचित है!
जम्मू – कश्मीर के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थान :-
१ वैष्णो देवी मंदिर
वैष्णो देवी मंदिर, शक्ति को समर्पित एक पवित्रतम हिंदू मंदिर है, जो भारत के जम्मू और कश्मीर में वैष्णो देवी की पहाड़ी पर स्थित है। मदिर, जम्मू और कश्मीर राज्य के जम्मू जिले में कटरा नगर के समीप अवस्थित है। यह उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है। मंदिर, 5,200 फ़ीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर स्थित है। हर साल लाखों तीर्थयात्री मंदिर का दर्शन करते हैं और यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थ-स्थल है।
२ . श्रीनगर
श्रीनगर का जम्मू और कश्मीर के पर्यटन स्थलों में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। कश्मीर घाटी के मध्य में बसा श्रीनगर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। श्रीनगर एक ओर जहाँ डल झील के लिए प्रसिद्ध है वहीं दूसरी ओर विभिन्न मंदिरों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। स्वच्छ झील और ऊँचे पर्वतों के बीच बसे श्रीनगर की अर्थव्यवस्था का आधार लम्बे समय से मुख्यतः पर्यटन है। शहर से होकर नदी के प्रवाह पर सात पुल बने हुए हैं। इससे लगे विभिन्न नहरों एवं जलमार्गों में शिकारे भरे पड़े हैं। श्रीनगर अपने मन्दिरों और मस्जिदों के लिए प्रसिद्ध है। शहर के पास ही गुलमर्ग, फुलों की घाटी 2,590 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं। जहाँ से हिमालय के उच्चतम शिखरों में से एक, नंगा पर्वत (ऊँचाई 8,126 मीटर) और कश्मीर घाटी का नयनाभिराम दृश्य दिखाई देता है।
३ लेह
लेह नगर, पूर्वी जम्मू-कश्मीर राज्य के उत्तरी भारत में स्थित है। यह नगर 3,520 मीटर की ऊँचाई तक उठे अत्तुंग पर्वतीय क्षेत्र पर स्थित है, जिसे ‘दुनिया की छत’ कहा जाता है। इसके चारों ओर इससे अधिक ऊँचे पर्वतों का घेरा है। लेह स्थायी आबादी वाले दुनिया के सबसे ऊँचे नगरों में से एक है।
४ गुलमर्ग
गुलमर्ग जम्मू और कश्मीर का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। इसकी सुंदरता के कारण इसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। यह देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक हैं। फूलों के प्रदेश के नाम से मशहूर यह स्थान बारामूला ज़िले में स्थित है। यहाँ के हरे भरे ढलान सैलानियों को अपनी ओर खींचते हैं। समुद्र तल से 2730 मी. की ऊँचाई पर बसे गुलमर्ग में सर्दी के मौसम के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
५ . पहलगाम
पहलगाम धरती पर स्वर्ग माने जाने वाले कश्मीर के सबसे ख़ूबसूरत हिल स्टेशनों में एक है। समुद्र तल से 2130 मीटर की ऊँचाई पर स्थित पहलगाम लिद्दर नदी और शेषनाग झील के मुहाने पर बसा है। अनंतनाग ज़िले में चारों ओर बर्फ़ से ढकी चोटियों, चमकते ग्लेशियर और छलछल करती नदी के बीच बसा पहलगाम सैलानियों के मन में अमिट छाप छोड़ता है।
६ कटरा
कटरा जम्मू और कश्मीर में एक छोटा सा शहर है। इसे कटरा वैश्णो देवी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ से वैष्णो देवी की यात्रा शुरु होती है। यह ऊधमपुर जिले का एक भाग है और जम्मू शहर से 42 किलोमीटर की दूरी पर त्रिकुटा पर्वत की तलहटी में बसा हुआ है।
७ जम्मू
जम्मू शहर, जिसे आधिकारिक रूप से जम्मू-तवी भी कहते हैं, इस प्रभाग का सबसे बड़ा नगर है और जम्मू एवं कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी भी है। नगर के बीच से तवी नदी निकलती है, जिसके कारण इस नगर को यह आधिकारिक नाम मिला है। जम्मू नगर को “मन्दिरों का शहर” भी कहा जाता है, क्योंकि यहां ढेरों मन्दिर एवं तीर्थ हैं जिनके चमकते शिखर एवं दमकते कलश नगर की क्षितिजरेखा पर सुवर्ण बिन्दुओं जैसे दिखाई देते हैं और एक पवित्र एवं शांतिपूर्ण हिन्दू नगर का वातावरण प्रस्तुत करते हैं।
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चारधाम की यात्रा सहित पर्यटक स्थलों को और अधिक सुगम बनाया जाय : महाराज पर्यटन मंत्री ने सतपाल महाराज ने पर्यटन योजनाओं की समीक्षा की चारधाम योजना को और अधिक सुगम बनाने को अवस्थापना सुविधाओं के विस्तार पर दिया जोर देहरादून । प्रदेश के पर्यटन व तीर्थाटन मंत्री सतपाल महाराज ने पर्यटन निदेशालय में पर्यटन विभाग में संचालित योजनाओं की समीक्षा की। बैठक में पर्यटन मंत्री चारधाम की यात्रा और अधिक सुगम बनाने के लिए अवस्थापना सुविधाओं को विस्तार करने पर जोर दिया। उन्होंने बद्रीनाथ में प्रस्तावित आस्था पथ में अक्षम लोगों के लिए व्हीलचीयर का भी प्रस्ताव योजना में रखने के निर्देश दिये तथा चारधाम में पहुँच से सम्बन्धित जानकारी का भी अधिकाधिक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिये। उन्होंने उत्तराखण्ड के प्राकृतिक उपजों व स्थानीय हस्तशिल्प उत्पादों को आर्थिकी का मुख्य श्रोत बनाने हेतु कार्य योजना बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने चारों धाम में प्रसाद में चौलाई के साथ-साथ झंगोरा का भी व्यवसायिक उपयोग करने हेतु कार्ययोजना तैयार करने को कहा। उन्होंने केदारनाथ धाम के लिए बस स्टैंड, गौरीकुण्ड को नाकाफी बताते हुए पार्किंग स्थल विकसित करने के निर्देश दिये तथा गौरीकुण्ड में पी.ए. सिस्टम लगाने के निर्देश, जहां से यात्रियों की आवश्यकता के अनुसार वाहन को बुलाया जा सके। वर्तमान में गौरीकुण्ड में पार्किंग स्थल छोटा होने के कारण तीर्थयात्रियों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। पर्यटन मंत्री ने ढाबों की सूची फोन सहित तैयार करने के निर्देश दिये तथा ढाबों की ग्रेडिंग करने तथा अच्छे ढाबों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिये। उन्होंने साहसिक पर्यटन सर्किट में महत्वपूर्ण स्थलों को चिन्हित करने के निर्देश दिये तथा केन्द्र को प्रस्तावित की जाने वाली हैरिटेज सर्किट विकास योजना में महाभारत सर्किट योजना से जुड़े घटना स्थलों यथा राजसूय यज्ञ, वृक्ष जहॉ पाण्डवों ने वनवास के दौरान अस्त्र-शस्त्र छिपाए, लाक्षागृह आदि स्थलों को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने का प्रस्ताव योजना में शामिल करने के निर्देश दिये उन्होंने कुमाऊँ मण्डल के भी विभिन्न स्थलों को हैरिटेज सर्किट में शामिल करने के निर्देश देते हुए देहरादून स्थित महाराणाप्रताप स्टेडियम में शीतकालीन खेल यथा स्केटिंग प्रतियोगिताएॅ आयोजन हेतु कार्य योजना बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने ऐसे पर्यटन स्थल जहॉं पर चढ़ाई हो, में रोपवे प्रस्तावित करने के भी निर्देश दिये। पर्यटन मंत्री ने पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम से पर्यटन स्वरोजगार योजना का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश देते हुए इसे होमस्टे योजना से जोड़ते हुए, शर्तो में शिथिलता प्रदान करने के निर्देश दिये तथा योजना में अनुदान सहित कम ब्याजदर पर ऋण देने के प्रस्ताव योजना में शामिल करने के निर्देश दिये। उन्होंने नन्दा देवी राजजात में वाण से जात्रा में शामिल होने वाले भगवान लाटू देवता के निवास को धाम के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये। उन्होंने पण्डित दीनदयाल ग्रामीण पर्यटन उत्थान योजना का भी प्रस्ताव केन्द्र को भेजने के निर्देश दिये तथा ग्रामीण पर्यटन में पहाड़ी व्यंजनों का अधिकाधिक इस्तेमाल को प्रोत्साहन एवं इसका प्रचार-प्रसार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम भी करने के निर्देश दिये। उन्होंने देश के विभिन्न स्थानों में पहाड़ी व्यंजनों के फूड फेस्टिवल आयोजन के निर्देश दिये तथा पूर्व में संचालित हुनर से रोजगार योजना में पर्वतारोहण प्रशिक्षण को भी योजना में शामिल करने के निर्देश दिये। उन्होंने धार्मिक स्थलों यथा सुरकण्डा देवी, हेमकुण्ड साहब, पूर्णागिरी रोपवे निर्माण हेतु निवेशकों का शीघ्र चयन करने के निर्देश दिये। उन्होंने महत्वपूर्ण स्थलों यथा वाण से बेदनी बुग्याल, मॉ बूंगी देवी से हल्दूखाल, डीडीहाट से श्रीकोट मन्दिर, धारचूला से धारचूला कोट, गोयी बरनाला से दयारा बुग्याल, रानीबाग से नैनीताल, कालाढूंगी से नैनीताल, आली बुग्याल, खलियाटॉप से मुन्सयारी, पंचकोटी से न��ी टिहरी, पुरूकुल हाथी पांव में रोपवे की टी0ई0एफ0एस0 (तकनीकि आर्थिक उपादेयता अध्ययन) का कार्य शीघ्र पूरा कराने के निर्देश दिये। बैठक में सचिव पर्यटन शैलेश बगोली, अपर सचिव सुश्री ईवा श्रीवास्तव, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी निदेशक संस्कृति विभाग बीना भट्ट सहित पर्यटन एवं संस्कृति से जुड़े अधिकारी मौजूद रहे।
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नैनीताल: रूसी बाईपास, नारायण नगर, चारखेत में पार्किंग की तलाश
नैनीताल: रूसी बाईपास, नारायण नगर, चारखेत में पार्किंग की तलाश
नैनीताल:शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन व क्रिसमस डे एवं नव वर्ष के अवसरों पर पर्यटन नगरी में पर्यटकों की आवक बड़ी संख्या में होती है। देश व दुनिया के पर्यटकों के साथ ही नैनीताल के आस-पास के शहरों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। ऐंसे में नैनीताल में पार्किंग की समस्या खड़ी हो जाती है। इस समस्या के फौरी निदान के लिए जिलाधिकारी श्री बंसल ने मंगलवार की सुबह रूसी बाईपास तथा नारायण नगर,…
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राष्ट्रीय जूनियर स्कीइंग प्रतियोगिता के आयोजन की तैयारियां शुरू, नेचुरल बर्फ बनाने की मशीन तैयार देहरादून। उत्तराखण्ड में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने विंटर डेस्टिनेशन औली में स्कीइंग कोर्स व राष्ट्रीय जूनियर स्कीइंग प्रतियोगिता के आयोजन के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए बर्फ बनाने की मशीन की मरम्मत करा ली गई है और कृत्रिम बर्फ बनाने का कार्य शुरू हो गया है। बता दें कि राज्य में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने विश्वविख्यात विंटर डेस्टिनेशन औली में स्कीइंग कोर्स तथा राष्ट्रीय जूनियर स्कीइंग प्रतियोगिता के आयोजन हेतु आवश्यक कार्यवाही आरंभ कर दी है। इसके लिए बर्फ बनाने की मशीन का जरूरी रिपेयर करवा लिया गया है और कृतिम बर्फ बनाने का कार्य शुरू हो गया है। गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा सोशल मीडिया और वेबसाइट के माध्यम से आकर्षक स्किंग पैकेजों का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। वहीं सचिव पर्यटन श्री दिलीप जावलकर ने बताया कि स्नो मेकिंग मशीन के माध्यम से बर्फ बनाने का काम शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि स्नो मेकिंग मशीन के लिए समुचित रखरखाव को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट के जाने का प्रस्ताव है। जिसके क्रम में 17 दिसंबर को फ्रांस से पोमा कंपनी के इंजीनियर मेंटेनेंस कांटेक्ट पर हस्ताक्षर करने के लिए भारत आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जूनियर वर्ग की राष्ट्रीय स्कीइंग प्रतियोगिता की आयोजन की स्वीकृति प्राप्त हो गई है और फरवरी ���े प्रथम सप्ताह से इस प्रतियोगिता को आरंभ किए जाने की योजना है। साथ ही उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष में दक्षिण एशियाई स्कींग प्रतियोगिता के आयोजन हेतु प्रयास किए जा रहे हैं और इसकी अनुमति अभी तक विचाराधीन है। उन्होंने पर्यटन और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करने पर बल देते हुए कहा कि सर्दियों में सामान्यतः घूमने के प्रयोजन से जाने वाले पर्यटक स्कीइंग स्लोप मैं गंदगी फैला देते हैं, जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। इस पर नियंत्रण लगाने के उद्देश्य से स्कीइंग स्लोप पर जाने वाले पर्यटकों के लिए एक अनिवार्य न्यूनतम शुल्क की व्यवस्था शीघ्र ही आरंभ की जाएगी। गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा प्रतिवर्ष औली में स्कीइंग कोर्सेज आयोजित करवाए जाते हैं। गढ़वाल मंडल विकास निगम के महाप्रबंधक श्री बीएल राणा ने बताया कि इस वर्ष सात दिवसीय तथा 14 दिवसीय स्कीइंग कोर्स आयोजित करवाए जा रहे हैं। सात दिवसीय कोर्स के लिए 30 सीटें जबकि 14 दिवसीय कोर्स के लिए 10 सीटें रखी गई हैं. स्किन कोर्सेज का आरंभ जनवरी माह के प्रथम सप्ताह से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि निगम द्वारा स्कीइंग के सफल संचालन के लिए सभी आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं। जिस तरह से दिसंबर माह में ही मौसम ने करवट बदली है। उसे देखते हुए लगता है कि इस बार सर्दियों में जमकर बर्फबारी होगी और एडवेंचर प्रेमी स्कीइंग का भरपूर लुत्फ उठा सकेंगे। यदि ऐसा होता है तो यह राज्य के पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छी खबर होगी। - कमल किशोर जोशी
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