अब कॉलेजों को यूनिवर्सिटी से नहीं लेनी होगी मान्यता, रख सकेंगे अपना सिलेबस और अपनी डिग्री
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. नई शिक्षा नीति-2020 (National Education Policy 2020) को जनवरी में कैबिनेट बैठक में लाने की तैयारी है। इसके लिए सभी तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं। मानव संसाधन मंत्रालय के अफसरों ने बताया कि, यह देश की तीसरी शिक्षा नीति होगी, जो अगले 20 साल तक लागू रहेगी। इसमें 30 देशों की शिक्षा नीति के कुछ अंश शामिल किए गए हैं।
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दैनिक भास्कर अखबार में छपी खबर के मुताबिक, इस नीति को अंतिम रूप देने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि, इस नीति का कैबिनेट नोट अंतिम चरण में है। शिक्षा नीति ड्राफ्ट-2019’ बनने के बाद करीब दो लाख सुझाव मिले थे। उनमें से भी कई बातें नई नीति में शामिल की गई हैं।
कॉलेज को यूनिवर्सिटी से नहीं लेनी होगी मान्यता
कैबिनेट नोट के मुताबिक, नीति में जो सबसे बड़ा बदलाव है वो कॉलेजों की कार्यप्रणाली को लेकर है। इस नीति के लागू हो जाने के बाद सरकारी और निजी कॉलेजों को किसी यूनिवर्सिटी से मान्यता लेने की जरूरत नहीं होगी। जी हां... इतना ही नहीं बल्कि इसके लागू हो जाने के बाद कॉलेज छात्रों को डिग्री भी खुद ही दे सकेंगे। आने वाले समय में चार संस्थाएं फंडिंग, स्टैंडर्ड सेटिंग, एक्रिडेशन और रेगुलेशन के काम देखेंगी। ये संस्थाएं एक-दूसरे के काम में दखल नहीं दे सकेंगी।
ये होंगे बड़े बदलाव
खत्म होगा यूनिवर्सिटी से मान्यता का सिस्टम
शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद यूनिवर्सिटी से मान्यता का सिस्टम खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही सभी कॉलेज अपना-अपना सिलेबस और करिकुलम खुद ही तय कर सकेंगे। हालांकि, गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए नई गाइडलाइन बनाई जाएंगी। कॉलेज छात्रों को खुद ही डिग्री दे सकेंगे। कॉलोजों को अर्थिक मदद सरकार से मिलती रहेगी।
मेडिकल और इंजीनियरिंग के छात्र भी पढ़ सकेंगे आर्ट्स
नई नीति के लागू होने के बाद मेडिकल और इंजीनियरिंग के छात्र इतिहास और अर्थशास्त्र जैसे विषय भी पढ़ सकेंगे। यह काॅम्बो सिलेबस होगा जिसे 'लिबरल आर्ट' डिग्री कहा जाएगा। हालांकि, यह अनिवार्य नहीं होगा। खास बात यह है कि अन्य विषयों की पढ़ाई को किसी भी साल ड्रॉप किया जा सकता है। यही नहीं बल्कि यदि मेडिकल या इंजीनियरिंग छात्र लिबरल आर्ट की डिग्री पूरी कर लेते हैं, तो वे इनमें पीएचडी भी कर सकते हैं।
स्कूलों की फीस तय करने के लिए बनेगी अथॉरिटी
नई शिक्षा नीति में न सिर्फ कॉलेज और युनिवर्सिटी बल्कि स्कूली शिक्षा में भी बदलाव का जिक्र है। स्कूलों में फीस बढ़ाने संबंधी अहम फैसले लेने के लिए राज्य स्तरीय अथॉरिटी बनाई जाएगी। इसके अलावा करिकुलर, को-करिकुलर और एक्स्ट्रा करिकुलर में अंतर नहीं रहेगा और इन तीनों चीजों को मर्ज किया जाएगा। करिकुलर यानी पढ़ाना,को-केरिकुलर यानी प्रोजेक्ट आदि बनाना और एक्स्ट्रा करिकुलर यानी खेलना, संगीत सीखना आदि।
ग्रेजुएशन के साथ ही कर सकेंगे बीएड
नई शिक्षा नीति के अंतर्गत सामान्य कॉलेज से ही बीएड की डिग्री भी दी जाएगी। अब अलग से बीएड कराने वाले कॉलेजों की जरूरत नहीं पड़ेगी। यानी जिन भी छात्रों को शिक्षक बनना है वह पढ़ाई के साथ-साथ बीएड की डिग्री भी ले पाएंगे। अब से बीएड का कोर्स चार साल का होगा।
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