Tumgik
#दर्द भरी शायरी हिन्दी मे
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क्यूँ ढूंढ़ते हो एक नया लिबास :
" माना की, कुछ आदतें मुजमे एसी भी है, 
जो आपको कभी राज़ नहीं आती, 
लेकीन फिर भी मुजे, तो आप यूँ ही रेहने दो, 
मेरा ये लिबास भी तो उस मालिक के हिसाब से ही मिला है, 
फिर क्यूँ ढूंढ़ते हो एक नया लिबास, 
मैं जैसा भी हूँ, मुजे तो आप वैसा ही रहने दो। "
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aloksingraul-blog · 5 years
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वो छत वाली लड़की
Post-T-007
वैसे दिखने में तो मैं डार्क और हैंडसम हुँ……(जहाँ तक मैं समझता हुँ),पर उसके लिए किसी भैरव बाबा से कम नही ,लंबी दाढ़ी,तनी मूँछे, बड़ी आंखे और सराफत तो मतलब जैसे सकल से टपकती थी ,खुद के हिसाब से मैं सरीफों का देवता और उसके लिए जैसे गुनाहों का देवता था ।“वो” जिसके कारण मैं आज ये दास्ताँ या यूं कहें कि रहस्यमय कहानी लिख रहा ,वो मेरे सामने वाले घर मे रहती थी ,नाम पता नही है पर जब वह छत पे आती तो उसके दीदार जरूर होते । हाँ छत पे आने का समय  फिक्स था “रात्रि 8 से 9 । और हमारा खाना बनाने का समय भी वही 8 से 9 या यूं कहें "हमारे खाना बनाने का समय सीधे सीधे उसके छत में आने से संबंधित था ।
समय के साथ समय चलता रहा और यह छत पर आने व खाना बनाने का सिलसिला भी चलता रहा ,इसके साथ कुछ महीनों बाद भोले दादा का मौसम आया यानी कि सावन आया । सावन आया मतलब यह भी निश्चित हुआ कि सावन सोमवार भी आएगा ,और इसी के साथ एक आस ये भी जगी की शायद इस सावन सोमवार भोले दादा प्रसन्न हो कोई लड़की दादा के पास जाए और शायद है कि दादा हमारा नाम उसे सपनो में जाके सजेस्ट करे ,फिर वो लड़की हमारे लिए सावन सोमवार का व्रत रखेगी और कई वर्षों से चला आ रहा हमारा एकांतवास खत्म होगा । इसी आस व विस्वास के साथ दादा का प्रसाद ले के मैं सपनों की दुनिया मे चला गया जहां मैं वास्तविकता से उलट  सलमान सी हुड़ हुड़ दबंग वाली बॉडी व ऋतिक सा सेक्सी लुक लिए ,लड़कियों से चारो तरफ से घिरा अपने आप को  शाहरुख से कम नही समझता था ।
उठो भोसडी के 9 बज गए साला 9 बजे लैला की बाहों से बाहर आएगा 10 बजे चाय बनती है ,एक मधुर आवाज के साथ एक पुरी ताकत से मारा गया लात मेरे पिछले हिस्से को चूमता हुआ गुजरा और मेरी आँख खुली
यह आवाज थी हमारे मित्र व रूम के पार्टनर मिश्रा जी की । मिश्रा जी का पूरा नाम अभिषेक मिश्रा था ,अपने दुबले पतले बदन ,तेज तर्राट स्वभाव , सर में बालों के बांझपन व सुरीली आवाज के कारण सबके सम्माननीय हो चुके थे और सब बड़े सम्मान व आदर से उन्हें मिश्रा जी कह के पुकारते थे ।मिश्रा जी की एक खास बात थी उन्हें लड़कियों से बड़ी नफरत थी या ऐसा वो दिखाते थे क्यों कि उनकी कोई सेटिंग अभी तक सेट नही हो पाई थी ।
दूध ले के आये भोसड़ी के की बस लात मारने को हो गए …मैंने अपना सुनहरा सपना जिसमे मैं अभी शादी का वरमाला पहनाने वाला था टूटने पर मिश्रा को गुस्से से देख के बोला
हा ले आये और जिसे तुम अभी अपनी बाहों में लेने के ख्वाब देख रहे थे वो किसी और की गाड़ी की शोभा बढ़ाते हुए निकल गई मैंने अपनी इन्ही आंखों से देखा है ..मिश्रा जी ने अपने दांये हाथ के अंगूठे के बगल की दोनों उंगलियो को अपनी अपनी आंख की तरफ करके कहा
क्या बात कर रहे मिश्रा जी सुबह सुबह ऐसा न बोलो मैं लगभग चौक कर बैठ गया ।
अबे सुनो मजनू के बाप हमने खुद देखा किसी पल्सर वाले साथ निकल ली और दोनों के बीच मे बस इतनी जगह थी कि हवा भी निकलने के लिए बड़ी मसक्कत करेगी
राम राम राम राम क्या बोल रहे सावन में ऐसा पाप भोले दादा दया करे हम पर ,लग रहा साला ये साल भी अकेला ही गुजरेगा ..मैंने उदास होते हुए कहा
अकेले कैसे हम है न बाबू आओ तुम्हारे सब दुख दर्द मिटा दे ..मिश्रा जी ने जोर का ठहाका लगाते हुए कहा
अबे दूर हटो बे नवाबी सौख नही पालते हम साला इसी लिए तुम्हे लड़कियों से नफरत है लगता है
अरे वो त��� दुनिया को दिखाने के लिए करते है असलियत में कोई मिलति ही नही तो का करे बाबू …मिश्रा जी ने उदास होते हुए कहा
आई आई रे बड़ा कष्ट है इस जीवन मे मैंने मिश्रा जी के चिर परिचित तरीके से उन्हें छेड़ते हुए कहा और उठ कर चला गया ।
दोपहर 2 बजे तय समय मे हम दोनों रूम से निकल कर बस स्टॉप मे आ गए , हम दोनों ही साथ मे ssc की कोचिंग करते थे जहां वो भी जाती थी , जो इस वक़्त हमसे महज 5 कदम की दूरी मे बस के इंतजार मे खड़ी थी।
अबे देख देख देख बे वो भी खड़ी है ... मिश्रा जी ने देख देख को ज़ोर लगा कर बोला
कौन वो..
अरे वही तुम्हारी वाली जिसके इश्क़ मे पागल हुए फिर रहे हो भोसडी के
अरि साला ये भी उसी क्लास मे जाने लगी क्या बे??? साला हमारा तो पूरा फोकस ही हिल जाएगा बे! मैंने खुसी और आश्चर्य दोनों वाला लुक देते हुए मिश्रा से कहा
अब देखो कवि जी ऐसा है (मेरी  हिन्दी शेरो शायरी की आदत के कारण मिश्रा जी मुझे कवि जी कहने लगे थे ) की आज जब फुल टॉस बाल मिल ही गई है तो छक्का न सही चौका तो मार ही देते है ,चलो उससे उसका नाम तो पुंछ ही लेते है फिर थोड़ी मेहनत कर के insta या fb मे ढूंढ ही लेंगे .... मिश्रा जी ने एक उचित सलाह देते हुए कहा
हा तो जाइए फिर नेक काम मे देर किस बात का वैसे भी आप से बड़ा गबरू जवान यहा कोई है नही और आप को तो मना भी नही करेगी दोस्त समझ के नही तो बड़ा भैया समझ के तो बता ही देगी .... मैंने मिश्रा जी की टांग खींचते हुए कहा ।
अरे तुम क्या बात कर रहे हम  डरते थोड़ी है ये लो फौरन गए तुरंत आए ,मज़ाक मे ले लिए तुम हमे बे ,साले जानते नही हो का की ज़ीरो फिगर मे लड़कियां मरती है मिश्रा जी ने शेख़ी बघारते हुए कहा और भगवान का नाम ले के धरती को हांथ लगा के ऐसे पाव पड़े जैसे किसी युद्ध मे जा रहे हों ।
Boys स्कूल के लड़को के लिए लड़कियो से सफलता पूर्वक बात कर के उसके नाम व नंबर का पता लगा लेना किसी कठिन मिशन को पूर्ण कर लेने के समान होता है और उपर से हम दोनों सरस्वती स्कूल के पढे हुए थे जहा लड़को को लड़कियो से राखी बँधवा दी जाती थी तो हमारे लिए तो ये किसी खतरनाक मिशन से कम नही था । मिश्रा जी अपने कहे अनुसार नाम पूछने के लिए जिस रफ्तार से आंगे बड़े थे उसके दुगनी रफ्तार से वापस आ गए ।
क्या हुआ गदाधारी भीम वापस आ गए ,पुंछ आए नाम क्या बताई no भी दे दिया होगा आप को तो??मैने एक मज़ाकिया सवाल करते हुए कहा
अरे नही बे बड़ा खतरा है भाई उसके बगल मे 4 पहलवान टाइप लड़कियां खड़ी हैं कहीं ऊंच नीच हुई तो हम बहुत पेले जाएँगे लोटा लोटा के मारेंगी भाई और दौड़ाएंगी अलग और उनमे से एक साली अगर धोखे से हमारे उपर गिर विर गई मारने के चक्कर मे तो हम तो पापड़ बन जाएंगे बे ... मिश्रा जी ने सभी संभावित घटनाओ की रुप रेखा खींचते हुए कहा
तो क्या हुआ मिश्रा जी इश्क़ मे सब लाज़मी है अगर सब आसानी से मिल जाए तो मजा ही क्या ???
तो बेटा ऐसा है की इश्क़ तुम्हारा है तुम मरो हमे काहे बली का बकरा बना रहे …
हम कहाँ बलि का बकरा बना रहे आप ही को कुर्बानी देने का सौख चढ़ा है , आप ही की जवानी उबाल मार रही थी ,उछल उछल के बाहर आ रही थी खैर छोड़िए चलिये बस आ गई चलते है क्लास मे देखा जाएगा ...
हा भैया अंदर घुसते चलो थोड़ा थोड़ा ...  कंडक्टर ने भारी आवाज मे कहा !
कहा घुस जाएँ भाई???
जगह भी है यहा की बस घुसते चलो साला घुसते घुसते इतना घुस गए की पता नही कभी जीवन मे निकल पाएंगे भी या नही।  पहले इंजीन्यरिंग मे घुसे फिर वहाँ से जैसे तैसे निकले तो ssc मे जा घुसे अब वहा घुसे ही है की बस मे भी घुसे एक टाइम मे कहा कहां घुसे भाई ! मिश्रा  जी ने अपना सारा दर्द व भड़ास निकालते हुए कहा ......
ऐसा है ज्यादा कलेक्टर न बनो थोड़ा दब के खड़े हो और भी लोग हैं पीछे ! कंडक्टर ने मुस्कान व गुस्से का सम्मलित भाव दिखाते हुए कहा
आई आई रे कहा दब जाये भोसडी के दबते दबते इतना दब गए है की शरीर मे मांस की जगह  अब हड्डियाँ ही बची है , दरअसल मिश्रा जी अपने दुबलेपन का कारण इसी अतरिक्त द्वाब को मानते थे ,जो की उनके उपर बचपन से ही डाला जाने लगा था एक तो एकलौते होने के कारण ज़िम्मेदारी का दवाब ,इंजीन्यरिंग मे आए तो एक बार मे एसी होने का दवाब ,घर से आए पैसो को महीने के आखरी तक चलाने का दवाब ,दोस्तो के साथ ��ार्टी मूवी मे  अपना हिस्सा स्वयम देने का दवाब ,उसके बाद एसएससी मे आए तो उसे क्लियर करने का दवाब ऐसे न जाने कितने दवाब मिश्रा जी के उपर थे, उपर से बस मे दब के खड़े होने का दवाब । इतने अच्छे खासे दवाब मे तो अंबानी जी दब जाए फिर तो ये हमारे मिश्रा जी थे ।
अरे रोको रे बस वो भैंकड़ा पर्स चुरा के भाग रहा ,अरे रोको रे रोक ना भोसडीके...... सुनाई नही दे रहा का, कान मे तेल डाल के बस चला रहा भेंचो , मिश्रा जी की सुरीली आवाज बस के कोने कोने तक पहुँच चुकी थी और बहोत हद तक मिश्रा जी ने अंजाने मे ही सही पर बस की लगभग सभी लड़कियो को अपनी सुरीली आवाज से अपनी ओर एक बार देखने के लिए मजबूर कर दिया था ।  बस 100 मीटर चल कर ही रुक गई थी ,मिश्रा जी अभिमन्यु से भी तेज बस की भीड़ के चक्र्व्यूह तोड़ते हुए बाहर निकले और उस लड़के की तरफ भागे लेकिन तब तक वह गायब हो चुका था। 
क्या हुआ मिश्रा मिला ??? मैने नीचे उतरते हुए पूंछा
कहा मिला साला भाग लिया , चलो बैठो बस मे अब मिलने से रहा
आज कल कहीं कोई सुरक्षित नहीं ,कितने पैसे थे बेटा ?? एक बुजुर्ग ने सहानुभूति दिखाते हुए कहा
काहे जान जाएँगे तो आप देंगे हमे ,बताइये तो बता दूँ ?? मिश्रा ने गुस्से से कहा
अरे मै तो ऐसे ही पुंछ रहा .....
अरे ऐसे कैसे ???? बोलिए देंगे पैसे बोलिए , बोलिए अरे बोलिए न काहे चुप हो गए ,साला एक तो इस देश मे मजे लेने वालो की कमी नही है ,खास कर ये अंकल प्रजाति, कहीं भी मजे लेना चालू कर देते ,कितने पाते ,कितने कमाते ,कितने आए कितने गए ! अरे आप लोगो को का करना है भाई कोई और काम नही है का, अभी मै बता दूँ की कितने पाइए थे तो बोलेंगे इतना तुम्हारे पास कैसे आए सकल से तो गरीब दिखते हो काही ऐसा तो नहीं की तुमने चुराये हो मिश्रा जी ने अपना पूरा गुस्सा उस अंकल के सर मढ़ते हुए कहा । पाँच हजार थे ,देना हो तो बोलिए ! मिश्रा जी ने एक शानदार झूठ बोलते हुए आस पास की लड़कियो का ध्यान एक बार फिर अपनी तरफ खींच लिया ।
क्या बात कर रहे मिश्रा जी इतने पैसे सही कहा से आए आप के पास ? मैंने शक भरी नजरों से उन्हे देखते हुए धीरे से कहा …
अरे वो तो मै , हा गदाधारी भीम कहा जाओगे पूरी बस को सर मे उठा के रखा है , कंडक्टर ने मिश्रा जी को बीच मे टोकते हुए कहा ?
एक तो हम इस भोसडी वाले से परेसान हो गए ,तुम्हारी ससुराल जाएँगे ले चलो गे भोसड़ी के जब देखो साला टांग अड़ाता रहता है ,ज्यादा न उछलो नही सारी कंडक्टरी यही घुसेड़ देंगे हमसे ज्यादा नेता न बनो, एक काम करो ससुराल बाद मे चल देंगे अभी तुम बोर्ड आफिस का टिकिट बना दो ,इतना कह कर मिश्रा जी ने बैग के अंदर से अपना पर्स निकाला और एक पाँच सौ का नोट दो  उँगलियो के बीच मे फंसा के रहीसो जैसे कंडक्टर  के मुह के सामने रख दिये
अरे अभी तो बोल रहे थे पर्स चोरी हो गया अब ये पैसे ???
ऐसा है भोसडी के ज्���ादा थानेदार न बनो लेना है तो लो नहीं आंगे जाओ ।
हमारे मिश्रा जी दुनिया के पहले आदमी थे जो ये जानते थे की भोपाल मे पर्स चोरो से कैसे निपटा जाता है ,और उनके लिए वो हमेशा तैयार रहते थे । वो हमेशा दो पर्स ले के चलते थे ,एक मे दस बीस रूपय और एक गालियो से भरा कागज डाल मे रखते थे जिसमे माताओ बहनो के साथ चुराने वाले के पूरे खानदान  व उसकी सात पुसतों तक को गालियो की नई नई उयाधियों से नवाज दिया जाता था इसी क्रम मे मिश्रा जी ने कई नई नई गालियों की खोज कर डाली थी ,निकट भविष्य के इतिहास मे मिश्रा जी का नाम नई गालियो के खोजकर्ता के रूप मे स्वर्ण अक्षरो मे लिखा जाएगा और दुशरे पार्श मे अन्य उपयोगी सामान जैसे एटीएम पैसा इत्यादि ।
हा तो मै क्या बोल रहा था पैसे तो सिर्फ 21 रूपये  थे पर साला कागज मे आज गालियां कम लिखे थे उसका गम है पहले वाले मे तो उसके मामा बुआ को भी लपेटे मे लिए रहे और चिर परिचित अंदाज मे ठहाका लगा दिये और एक बार फिर लड़कियो का ध्यान खींचने मे सफल रहे । हम दोनों बस से उतर कर कोचिंग आ चुके थे क्लास चालू होने ही वाली थी ।
गुड आफ्टरनून क्लास की आवाज के साथ रीज़निंग वाले सर अंदर आए और रीज़निंग मे दिशा और दूरी पढ़ाना चालू कर दिये ,मै उस लड़की के ठीक पीछे बैठा था और मिश्रा मुझे बार बार कोहनी मार के नाम पुंछने को बोल रहा था ।
excuse me,एक पेन मिलेगी क्या वो बस की धक्का मुक्की मे टूट गई मेरी क्लास के बाद वापस कर दूंगा ,मैंने लड़की से पेन मांगते हुए कहा
जी जरूर कह कर लड़की पेन देने ही वाली थी की सर ने हम दोनों को बात करते हुए देख लिया ,क्या  हुआ अपेक्षा ?? सर ने उंगली को हवा की ओर इशारा करते हुए कहा
कुछ नही सर बस पेन दे रही थी...अपेक्षा नें सर को जवाब देते है कहा
कोचिंग वाले टीचर अक्सर लड़कियों को आवश्यकता से अधिक ध्यान दे के पढ़ाते है ।
अरे भाईसाहब अपेक्षा नाम है इसका ,हमे इस बात की बिलकुल अपेक्षा नहीं थी बे। मिश्रा ने खुसी व मज़ाक दोनों को मिश्रित करते हुए कहा
क्या ???बताओ ये कोचिंग आते है पेन तक नही ले के आते ,आंगे से ध्यान रखना ,इतना कह कर वो फिर पढ़ाने लगे ।
 मेरी और मिश्रा की खुसी का ठिकाना नही था ,हमे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे हमने अपने मिशन का महत्वपूर्ण पड़ाव पार कर लिया हो ।
हा तो कवि जी नाम पता तो चल गया आईये अब मिशन अपेक्षा को अंजाम तक पहुंचाया जाए ,लगभग दो घंटे की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार मिश्रा जी ने उसकी insta और fb दोनों id ढूंढ डाली ।
अरे इसमे तो उसी पल्सर वाले के साथ फोटो डली है ,हमे उससे ऐसी अपेक्षा तो बिलकुल नहीं थी...मिश्रा जी ने  मेरी टांग खींचते हुए कहा
हा हो सकता है भाई हो ! इतना कह कर मैंने उसे एक hi का sms भेज दिया लगभग एक घंटे इंतजार  बाद उसका भी रिप्लाइ आया hey । हम दोनों  की बातें शुरू हुई और हम दोनो जल्द ही अच्छे दोस्त बन गए ,माफ करिए मिश्रा जी भी उसके अच्छे दोस्त बन चुके थे ,कोचिंग साथ मे जाते समय मिश्रा जी बड़ी होसियारी से  दो दम पीछे चला करते थे ।
और कवि जी आज कल आप का श्रंगार रस बड़ा हिलोरे मार रहा हम देख रहे कई दिनों से,एक बात याद रखना कवि जी कब संयोग श्रृंगार रस का कवि वियोग श्रृंगार लिखने लगे आज कल पता नही चलता और भोसडी के ये न भूल जाना की id हमने ढूँढी थी ,मिश्रा क्लास मे मुझसे बात कर रहा था उसकी आवाज तेज होने के कारण सर तक पहुँच गई ।
You blck cap standup सर ने मिश्रा  की ओर इशारा करते हुए कहा ,लगता है भोसडी वाला देख लिया साला जब इससे डाउट पूंछों तो कभी नही सुनता वैसे सब सुन लेगा
Yes sir??
क्या नाम है तुम्हारा ?
अभिषेक ...अभिषेक मिश्रा sir
हा तो अभिषेक ये बताओ अगर सूरज उत्तर से चलना शुरू करता है और 5 km चल कर पश्चिम की ओड़ मूड जाता है
सर सर क्वेस्चन मे फ़ैक्ट गलत है सूरज उत्तर से नही पूरब से चलता  है.... मिश्रा ने मज़ाकिया अंदाजमे कहा पूरी क्लास ठहाके लगाने लगी 
लेकिन यहा तो उत्तर से ही चलगा ! सर ने गुस्स होते कहा
लेकिन सर सूरज की दिशा क्यू बदलना इससे गलत प्रभाव पड़ेगा ...मिश्रा ने फिर मज़ाकिया अंदाजमे कहा
You get out  from my class …सर ने अंगूठे की बगल वाली उंगली हवा मे दिखाते हुए कहा
Sorry sir आपने कुछ कहा ??.... मिश्रा ने न सुनने के ढंग से कहा
I said get out सर ने ज़ोर से कहा 
मिश्रा बैग उठा के बाहर आ गया
हमारी  अपेक्षा से  दोस्ती को लगभग 4 महीने हो चुके थे,  वो हमारे साथ ही पूरा दिन बिताती ,कभी कभी उसका पल्सर वाला दोस्त दिख जाता ,मिश्रा की हँसी मजाक की आदत उसे बड़ा पसन्द  थी ।
 एक बात बताओ तुम्हारी कोई gf है ?? उसने मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा
मेरी gf होती तो पूरा टाइम तुम्हारे साथ थोडी बिताता
वैसे भी इसे कोई घास नही डालती ..मिश्रा ने मुझे बीच मे टोकते हुए कहा
अच्छा ये बताओ तुम क्या बनना चाहते हो?? उसने मुझसे पूंछा 
मैं??? मैं बुद्ध होना चाहता हु,मैं चाहता हु की किसी नीम के पेड़ के नीचे मुझे ज्ञान की प्राप्ति हो और मैं वह ज्ञान पूरी दुनिया मे फैलाऊं ,हर शहर में घूमूँ लोग मुझे बुलाये और ज्ञान प्राप्त करे।
हैँ ,पर बुद्ध को ज्ञान तो बोध गया वृक्ष  के नीचे प्राप्त हुआ था ????
हा और मुझे नीम के पेड़ के नीचे मिलेगा तभी तो बुद्ध द्वितीय कहलाऊंगा, इतना कह कर मैंने और मिश्रा ने जोर से ठहाका लगाया ।
हाहाहा अच्छा चलोअब चलते है रात हो गई ,यह कह कर उसने एक कागज मुझे दिया और कहा अकेले में पढ़ लेना । हम तीनों अपने अपने रूम आ गए ।
रात में मैने कागज खोला और उसे पढ़ा जो कुछ इस प्रकार था
"सुनो ,
         ये लव लेटर नही न ही मुझे वो लिखना आता इस लिए सीधा सीधा लिख रही ,मैं जानती हो तुम मुझे प्यार  करते हो और ऐसा नही है कि मैं तुम्हे पसन्द नही करती मैं भी तुम्हे पसन्द करती हूं ,पर पसन्द और प्यार में फर्क होता है ,पता नही मुझे तुमसे प्यार है या नही पर हा तुम्हारी कहानी कविताये पसन्द है ,तुम्हारे साथ होना मुझे अच्छा लगता है ,तुमसे शाम को दूर जाते समय ऐसा लगता है कि यह समय इतना जल्दी क्यों गुजर जाता है ,मिश्रा की भी हँसी ठिठोली पसन्द हैं तुम लोग बेस्ट हो अपने आप मे, पर पता नही क्यों मुझे एक डर सा लगा रहता है ,तुमसे दूर जाने का तुम्हे खोने का ,अब समझ भी नही आ रहा कि क्या लिखूं और क्या लिख दी बस जो दिल किया लिख दिया ।"
ये क्या था बे लव लेटर?? मिश्रा ने उसे देख के कहा
पता नही पर उसके लिखे शब्दो के अनुसार वह लव लेटर नही ! मैंने जवाब देते हुए कहा
हमे उससे यह अपेक्षा नहीं थी कि लव लेटर दे के कहे यह लव लेटर नही ...मिश्रा ने माहौल को हसनुमा बनाते हुए कहा
हाहाहा चलो जो होगा देखा जाएगा ! मैंने जवाब देते हुए कहा और दोनों सोने चले गए।
ये क्या था तुमने तो पूरा लव लेटर ही लिख दिया था और कह रही थी कि लव लेटर नही है ये ,हा ये लव लेटर नही था लेकिन पता नही क्यों मैंने तुम्हें लिखा शायद मुझे तुमसे प्यार हो रहा ,पर मैं ये नही कर सकती ये गलत है ,रिश्ते की शुरुआत ही धोखे से करना  गलत है ।
किस रिश्ते की शुरुआत और तुम क्या बात कर रही हो???
तुमने पल्सर वाले लड़के को देखा है ?? हा कई बार देखा है पर क्यों
मेरी उससे शादी तय हुई है वो मेरा होने वाला पति है और मैं तुमसे प्यार कर के उसे धोखा दे रही ,इतना कह के वह सिसकने लगी।
अरे तुमने मुझे कभी बताया नही और प्लीज रो मत ,तुम उसे कोई धोखा नही दे रही तुमने तो कहा न कि तुम्हे मुझसे प्यार नही फिर कैसा धोखा ।
पर मुझे ऐसा लग रहा....
ऐसा कुछ नही तुम घर जाओ कल मिलते है,हम दोनों अपने अपने रूम आ गए।
मैंने पूरी बात मिश्रा को बताई ,सबकुछ जानकर अनजान बनना कितना मुश्किल होता है काश यह सिगरेट जलाकर उसको धुएँ में उड़ाने की तरह आसान हो पाता ,तो सुनि हुई बातो को धुंए में उड़ा कर उसे खत्म किया जा सकता हैं,पर यह सब इतना आसान नही होता ।
अब क्या करोगे ,जाने दो भाइ उसकी लाइफ है अब तो शादी भी तय हो गई ,और ऊपर से उसे भी डर लगता है एक बार अगर वो सपोर्ट में होती तो आगे कुछ सोचते ,अपने को दोस्त तक सीमित कर लो तुम प्यार करो और उसे फोर्स न करो कही दोस्ती भी न चली जाए ...मिश्रा ने मुझे समझाते हुए कहा और ऐसे ही बात करते करते दोनो सो गए ।
अच्छा सुनो तुम मुझसे प्यार मत करो मैं तुम्हे फ़ोर्स नही करूँगा पर दोस्त तो है न तो तुम दोस्त समझो और मैं प्यार ऐसे में न तुम्हे धोखे का डर रहेगा और न मुझे तुम्हे खोने का ...उसने एक मुस्कान दी और हा में सर हिला दिया।
एकतरफा प्रेम की सबसे खूबसूरत बात यह होती है कि वह हर शर्त में राजी होता है उसे अपनी प्रेमिका /प्रेमी के साथ होना ऐसे ही अच्छा लगता है जैसे मोर को सावन के होने से ,वो पंख फैला के अपने साथी के साथ नाचना चाहते है समय बिताना चाहते है पर होता तो एक तरफा प्रेम ही है तकलीफ तो होना तय ही रहता है।
कई दिनों तक ऐसा चलते रहने के बाद एक दिन मेरी अपेक्षा से प्यार को लेके लड़ाई हुई मैं उसे यह यकींन दिलाना चाहता था कि वो मुझसे प्यार करती है पर वह नाराज हो गईं और वहां से गुस्से में उठ के चली गई अगले दिन वह कोचिंग नही आई ,मैंने उसे काल किया मोबाइल ऑफ आया,उस दिन वह छत के सामने भी नही दिखाइ दी, अगले दिन वह फिर नहीं आई ,अब मेरी परेसानी बढने लगी,मैं हर रोज उसे फोन लगाता पर या तो बन्द आता या कोई जवाब न आता ।
भाई उसकी शादी हो गई होगी या होने वाली होगी तुम्हे बताना नही चाहती होगी इसलिए बिना बताये चली गई होगी.....मिश्रा जी ने संभावित घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा।
अरे तो बता तो जाती भाई कौन सा हम उसकी शादी में पनीर खाने चले जाते ....मैंने अपने आंख में आये आंसुओ को मजाक में छुपाते हुए कहा। 
बात तो सही कह रहे कवि जी आप प्यार अपनी जगह पनीर अपनी जगह मिश्रा ने फिर एक बार मजाकिया अंदाज में कहा और हम दोनों ही खाना खा के सो गए।
पिछले 3 महीनों में हर दिन मैं अपेक्षा को फोन लगाता रहा ,इसी आश में की शायद कभी बात हो जाये पहले कुछ महीनों तक तो फोन लगता रहा फिर बन्द बताने लगा
कुछ कहानियां अधूरी होके भी पूर्ण होती है और कुछ पूर्ण हो के भी अधूरी ,कुछ कहानियां का अधूरा रह जाना ही अच्छा होता है उनका पूरा हो जाना उनका एक भय छोड़ जाता है ,मेरी कहानी का अधूरा रहना भी आवश्यक था।
एक दिन अचानक अपेक्षा के no से फ़ोन आया ??
हेलो क्या आप रवि बोल रहे ????
फोन के दुसरी तरफ जो आवाज थी वह पहचानी हुई नही थी ,पर ये तो अपेक्षा का फोन है इसके पास कहां से आया ऐसे कई सवाल मेरे दिमाक में घूमने लगे थे ,हा रवि बोल रहा आप कौन???
मैं अपेक्षा की छोटी बहन ,इतना कह के वह रोने लगी 
अरे रो क्यो रही हुआ क्या ????मैंने आश्चार्य से पूंछा!
जिस दिन दीदी भोपाल से आ रही थी उस दिन उनका एक्सीडेंट हो गया था ,उन्होंने हॉस्पिटल में आपके बारे में हमे सब बताया था ,और ये भी की वो गुस्से में ड्राइव कर रही थी जिस कारण उनका एक्सीडेंट हुआ ,एक महीने पहले उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली और हमेशा के लिए हमे अकेला छोड़ के चली गई उनकी डायरी से मुझे आपका no मिला और वह फिर रोने लगी!
इस बार रोने कि बारी मेरी थी पर मैं रो न सका ,मैं रोना चाहता था ,चिल्ला चिल्ला के रोना चाहता था पर मेरे मुह से शब्द नही निकल रहे थे मैं उसे चुप कराना चाहता था पर कुछ कह नही पा रहा था मैंने फोन काट दिया और एक कोने में अपने घुटनों के बीच अपने सर को छुपा लिया,मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी सांसे धीमी हो रही थी तभी मिश्रा जी ने पीछे कंधे में हाँथ रखा और पूंछा क्या हुआ किसका फोन था ??
मैं अचानक से चौंक पड़ा और मिश्रा को पकड़ कर जी भर रोया इतना चीखा की गला जवाब दे गया ।
मुझे मेरी की गई हरकते ,उसका चेहरा ,उसकी बातें सब एक एक कर मेरे आंखों के सामने आने लगी मैं किसी भी हाल में यह सत्य स्वीकार करने की स्थित में नही था ।अगर मैने उस दिन उससे लड़ाई न कि होती तो न ही वह गुस्सा होती न ही वह जाती ,मुझे  अपने किये पर पछतावा हो रहा था पर अब कुछ नही हो सकता था ,वो मुझे बस एक यादों का झोला दे के चली गई थी।
मेरी उठती  महत्वाकांक्षा अब शांत होने लगी थी ,मैं जड़ हो चुका था मेरे अंदर पश्चाताप की अग्नि जल रही थी ,मुझे अब कुछ यह शहर रास नही आता था ,मैं घण्टो शहर के बाहर किसी सुनसान जंगल मे उसकी यादो के साथ बात करते हुए बिता दिया करता था ,अब मैं बुद्ध नही अपने अंतर्मन के द्वंद से ऊपर उठ कर पश्चाताप कर के शुद्ध होना चाहता था ।
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