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#अज़ान का जवाब
dai-ilallah · 6 months
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aijaz3130 · 1 year
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एक बार पूरा जरूर पढ़ें 👇
कादरी साहब चेहरे पर बेतहाशा गुस्से की हालत में घर में दाखिल हुए...
चिल्ला कर बेगम को आवाज़ दी..
बेग़म बेचारी घबराके आई..
सब ठीक तो है..??
क्या हो गया ..??
तुम शेख साहब के घर गई थी ..?
कादरी साहब ने अपने जिगरी और गहरे दोस्त के नाम के हवाले से पूछा..
और तुमने, तुमने उनसे कहा कि वो मुझसे कहे कि मैं तुम्हें शॉपिंग के लिए पैसे दूं ..??
हां गई थी ...और कहा भी था..
बेग़म ने हाँ में जवाब दिया..
कादरी साहब तकरीबन दहाड़ते हुए बोले शायद उनको बेग़म से इंकार तवक्क़ो थी ...
क्या मैं घर में नहीं था..??
काम से मेरी वापसी नहीं होनी थी.. ?
मैं मर गया था ..??
मुझसे डायरेक्ट क्यों नहीं मांगे पैसे ..??
शेख से क्यों मांगे ..??
बेग़म : अल्लाह न करे, मांगे तो आप ही से हैं बस एक साहब आपके इतने करीबी दोस्त हैं तो उनसे जाकर बोल दिया कि आप से कहें कि आप मुझे पैसे दे दें ...बेगम ने मासूमियत से जवाब दिया ....
कादरी साहब को गुस्सा सवा नेज़े पर पहुंच गया ...
दिमाग़ दुरुस्त है तुम्हारा...??
घर में मौजूद अपने शौहर को छोड़कर तुम घर से निकली ...दूसरे इलाके में मौजूद मेरे दोस्त के पास जा कर कह रही हो वह मुझे बोले ...
मुझसे तुमने क्यों नहीं कहा...??
बेग़म : अरे, वो कितना करीबी दोस्त हैं, उनकी बात की अहमियत भी ज्यादा होगी आपकी नज़र में बेगम ने कादरी साहब के गुस्से को गोया हवा में उड़ा कर बदस्तूर नरम और मासूम लेहज़े में कहा ...
कादरी साहब ने ख़ुद को अपने बाल नोचने से बड़ी मुश्किल से रोका ..
और गुर्राते हुए बोले दोस्ती की बात की अहमियत उसकी अपनी बातों के लिए है ...
इसका यह मतलब नहीं कि ..
मेरी बीवी, मेरे बच्चे, मेरे वालीदेन या बहनें..अपनी ज़रूरत के लिए मुझसे कहने के बजाय जा-जा के मेरे दोस्तों को बोलेंगे...
तब मैं सुनूंगा वरना नहीं सुनूंगा...
अरे, जो मेरे अपने हैं वह अपनी ज़रूरत मुझसे नहीं बोलेंगे तो किससे बोलेंगे, दोस्त जितना भी क़रीबी हो...
क्या मैंने तुमसे कहा तुम लोगों के पास जाकर अपनी ज़रूरत मेरे दोस्त से बोलो .. ??
क्या मेरे किसी दोस्त ने कहा तुमसे कि मेरे पास आए और अपनी ज़रूरत और मसाइल हमें बताएं ..???
क्या आज तक मैंने तुम लोगों की ज़रूरत पूरी करने में कोई कोताही की..??
जो तुम दोस्त के पास चली गईं ...
बोलो जवाब दो ...
ज़लील करवा दिया तुमने आज मुझे मेरे दोस्त के सामने...
क्या सोचता होगा वो मेरे बारे में. .??
कादरी साहब बोलते-बोलते रोने वाले हो गए ...
बेग़म ने इस बार बड़ी संजीदगी से कहा माफी चाहती हूं ...
एक छोटे से खानदान का सरबराह होकर आपका गुस्सा इतना ऊपर पहुंचा हुआ है ..
आपके खानदान के एक फर्द यानी मैंने किसी ग़ैर से नहीं बल्कि आपके ही एक दोस्त से सिफारिश क्यों करवाई...???
जबकि आपका रोज का मामूल है कि आप खुद खालीक़े कायनात की मखलुक़ होते हुए ...आप कभी दामाद-ए-रसूल ﷺ से मुश्किल कुशाई करवाना चाहते हैं ...
कभी बाबा फरीद के दर पर कारोबार की तरक्की करवाना चाहते हैं ...
तो कभी शेख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रहिमहुल्लाह को पुकारते हैं..
तो कभी ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती रहिमहुल्लाह के पास बिगड़ी बनवाने जाते हो...
मना किया जाए तो जवाब मिलता है, मांग तो हम अल्लाह सुबहान व तआ़ला ही से रहे हैं मगर उसके सच्चे दोस्तों के वसीले से ...
क्यों दोस्तों से क्यों ..??
क्या अल्लाह तआ़ला डायरेक्ट नहीं सुनता ??
मस्जिद या घर में पांच वक़्त की अज़ान में हमारा रब हमें "फलाह यानी कामयाबी " की तरफ बुला रहा है ...
आप जाते क्यों नहीं हो..???
मस्जिद में जाते हैं तो क्या नमाज़ में उसे अपनी ज़रूरत नहीं बता सकते हो, अल्लाह तआ़ला से नहीं मांग सकते अपनी तमाम जरूरतें ...??
चलो अगर आपने जब अपनी हाजत अपने रब को बता दी तो क्या ज़रूरत रह जाती है दूसरें बुज़ुर्गों के दर के चक्कर लगाए जाए ...??
क्या उन बुज़ुर्ग़हस्तियों ने कहा...???
कि अल्लाह ने हमें तुम्हारी मुश्किलें दूर करने का हक दिया हुआ है ..??
क्या अल्लाह ने कहा कि मुझे मेरे दोस्तों के ज़रिए से पुकारोगे तो सुनूंगा..??
जब आपको अपनी मामुली सरबराही में अपने अज़ीज़ तरीन दोस्त की शुमुलियत गवारा नहीं तो खालीक़े कायनात से उसकी उम्मीद क्यों रखते हैं ...???
गा़लीबन समझ गए होंगे आप कि मैं आपके दोस्त के पास क्यों गई थी...???
बेग़म ने बात ख़त्म की और कमरे से निकल गई ....
कादरी साहब एसी ऑन कर के पसीना सूखाने लगे
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newsuniversal-in · 2 years
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ईद मिलादुन्नबी पर्व अदब, अकीदत व एहतराम के साथ मनाया जाएगा
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गोरखपुर, उत्तर प्रदेश। ईद मिलादुन्नबी पर्व अदब, अकीदत व एहतराम के साथ मनाया जाएगा। मुस्लिम समाज की तैयारियां जारी है। मस्जिद, मदरसा व घरों पर इस्लामी झंडे लग गए हैं। इस्लामी माह रबीउल अव्वल शरीफ पर मस्जिदों में ईद मिलादुन्नबी पर तकरीर हुई। पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान व फज़ीलत में क़सीदा पढ़ा गया। मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ़्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पूरी दुनिया के लिए आइडियल हैं। सारी मखलूक़ अल्लाह की रज़ा चाहती है और अल्लाह पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की रज़ा चाहता है और आप पर दरूदो-सलाम भेजता है। अल्लाह ने अपने नाम के साथ आपका नाम रखा, कलमा, अज़ान, नमाज़, क़ुरआन में, बल्कि हर जगह अल्लाह के नाम के साथ पैग़ंबर-ए-आज़म का नाम है। आपकी मोहब्बत के बग़ैर कोई मुसलमान नहीं हो सकता, क्योंकि आपकी मोहब्बत ईमान की शर्त है। अक्सा मस्जिद शाहिदाबाद में मौलाना तफज़्ज़ुल हुसैन रज़वी ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म दुनिया के लिए रहमत, नूर आला नूर हैं। कयामत के दिन आप ही सबसे पहले उम्मत की शफ़ाअत फरमायेंगे, बंदों के गुनाह माफ करायेंगे, दर्जे बुलंद कराएंगे, इसके अलावा पैग़ंबर-ए-आज़म की और बहुत सी खुसूसियत है जिनकी तफ़सील क़ुरआन, हदीस व उलमा-ए-अहले सुन्नत की किताबों में मौजूद है। बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में मौलाना अली अहमद ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म की तालीमात पर अमल करके हम दीन व दुनिया की कामयाबी हासिल कर सकते हैं। क़ुरआन व शरीअत के बताये रास्ते पर चलें। हर बुराई से दूर रहने के लिए नमाज़ की पाबंदी करें। मदरसे इल्म का मरकज़ है। तालीम खुद भी हासिल करें और बच्चों को भी तालीम दिलाएं। गुलरिया जामा मस्जिद में मौलाना शेर मोहम्मद ने कहा कि क़ुरआन फरमा रहा है कि अगर कामयाबी चाहिए तो पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का कल्चर अपनाओ, पैग़ंबर-ए-आज़म का बताया हुआ रास्ता अपनाओ। पैगंबर-ए-आज़म ने फरमाया कि ऐ लोगों! याद रखो, मेरे बाद कोई पैग़ंबर नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना। प्रतिदिन पांचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना। हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञा पालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म की फरमाबरदारी और पैरवी करो। जो अल्लाह और उसके पैग़ंबर की फरमाबरदारी करेगा उसे सिर्फ कामयाबी ही नहीं ब्लकि अज़ीम कामयाबी मिलेगी। सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह में मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि अल्लाह ने पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को तमाम कायनात से पहले अपने नूर की तजल्ली (प्रकाश) से पैदा फ़रमाया। अल्लाह ने तमाम पैग़ंबर, फरिश्ते, जमीन व आसमान, अर्श व कुर्सी तमाम जहान को पैग़ंबर-ए-आज़म अलैहिस्सलाम के नूर की झलक से पैदा फ़रमाया। सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार में हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने कहा कि जब अरब जगत में आडंबर, सामाजिक बुराइयों, औरतों के खिलाफ हिंसा और नवजात बच्चियों की हत्या का दौर था। अरब की सरजमीं पर मौजूद इन बुराइयों के खिलाफ पैग़ंबर-ए-आज़म ने आवाज़ उठाई तो उनकी राह में तरह-तरह की मुश्किलें पैदा की गईं, लेकिन अल्लाह के पैग़ंबर आगे बढ़ते चले गए। तमाम बुराईयों को खत्म कर दिया, इसीलिए आज पूरी दुनिया मोहसिन-ए-इंसानियत पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सलाम करती नज़र आ रही है। ग़ौसिया मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कहा कि इंसानियत और एक अल्लाह की इबादत का संदेश देने वाले पैगंबर-ए-आज़म समाज में औरतों को सम्मान एवं अधिकार दिए जाने की हमेशा पैरोकार रहे। शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह में हाफ़िज़ आफताब ने कहा कि अल्लाह ने अपनी जात के बाद हर खूबी और कमाल का जामे पैग़ंबर-ए-आज़म को बनाया। अल्लाह ने अपने तमाम खजानों की कुंजियां पैग़ंबर-ए-आज़म को अता फरमा दीं। दीन व दुनिया की तमाम नेमतों का देने वाला अल्लाह है और बांटने वाले पैग़ंबर-ए-आज़म हैं। नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में मौलाना मो. असलम रज़वी ने कहा क़ुरआन-ए-पाक अल्लाह का कलाम है। यह एक मात्र किताब है जो सारी किताबों की सरताज है। यहां तक कि कयामत तक पैदा होने सारे सवालों का जवाब क़ुरआन-ए-पाक में है। दीन-ए-इस्लाम ने इस किताब के जरिए जो कानून अता किए हैं उनसे इंसानियत की हिफ़ाजत होती है और आदमियत का वकार बढ़ता है। बेलाल मस्जिद इमामबाड़ा अलहदादपुर में कारी शराफत हुसैन क़ादरी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम पूरी इंसानी बिरादरी की हिफ़ाजत की बात करता है। पैग़ंबर-ए-आज़म की रहमत महज इंसानों के लिए ही नहीं है बल्कि बेजुबान जानवरों, परिंदों के हक में भी सरापा रहमत है। Read the full article
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specialcoveragenews · 7 years
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सोनू निगम के 'अज़ान' वाले ट्वीट पर आजम खां का करारा जवाब
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सोनू निगम को राजीव शर्मा का जवाब – ‘शराब के नशे में सोने वाले क्या जानें अज़ान क्या है’ जब गर्मियों का मौसम आता है तो मैं रात को खुले आसमान के नीचे सोना पसंद करता हूं। मीलों-मीलों तक फैला आसमान, उसमें चमकते ढेरों सितारे और खूबसूरत चांद देखकर मैं हर रोज सोचता हूं कि यह कायनात इतनी बड़ी है तो इसे बनाने वाला कितना बड़ा होगा! उसकी ताकत कितनी होगी! यही सोचते कब आंख लग जाती है, मालूम ही नहीं होता। सुबह सूरज की रोशनी मुझे मजबूर कर देती है कि आंखें खोलूं। सूरज हर रोज अपने ठीक वक्त पर आ जाता है। अगर सूर्योदय के बाद भी मैं सोता रहूं और यह सोचकर दिल को दिलासा देता रहूं कि सो जा राजीव, अभी तो रात बहुत बाकी है! तो इसमें दोष मेरा है, सूरज का नहीं। वह हर रोज अपने वक्त पर आता रहेगा, अपने रास्ते चलता रहेगा। उसे परवाह नहीं कि किसकी नींद टूटती है और किसकी जारी रहती है। उसे आपके और मेरे हुक्म की जरूरत नहीं है। मुझे याद है, आज से करीब 20 साल पहले हर सुबह मेरी आंखें अज़ान सुनकर खुलती थीं। यह सिलसिला करीब एक साल तक चला। सुबह-सुबह अज़ान दिलो-दिमाग को ऊर्जा से भर देती। अज़ान के बाद आरती की बारी आती। मंदिर से धूप और दीपक की सुगंध आरती को और मधुर एवं असरदार बना देती। मेरा न कभी आरती से वैर रहा और न ही अज़ान से कोई दुश्मनी। मुझे दोनों ही बहुत प्रिय हैं। अज़ान मेरे दिल का सुकून और आरती मेरे मन की ताकत। रोज की तरह आज सुबह जब मैं नींद से उठा तो एक खास खबर ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा। संगीत की दुनिया के एक बहुत बड़े नाम सोनू निगम अज़ान से सख्त खफा हैं। उनका कहना है कि सुबह-सुबह उनकी नींद खराब न की जाए। निगम साहब ने आगे फरमाया है कि यह तो साफ-साफ गुंडागर्दी है। उन्हीं के शब्दों में, जब मुहम्मद ने इस्लाम बनाया तो उस दौर में बिजली नहीं थी। फिर यह शोर-शराबा क्यों? सोनू निगम ने जो कहा, ये उनके निजी विचार हैं। लोकतंत्र में उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है लेकिन वे कई गलतियां कर गए। पहली बात तो यह कि हजरत मुहम्मद (सल्ल.) ने इस्लाम नहीं बनाया था। इस्लाम अल्लाह का दीन है जिसके वे पैगम्बर हैं और पैगम्बर भी आखिरी। निगम साहब को दिक्कत इस बात को लेकर है कि अज़ान से उनकी नींद में बाधा आती है। मेरा मानना है कि मंदिर हो या मस्जिद, उसके लाउड स्पीकर की आवाज सिर्फ इतनी होनी चाहिए कि दूसरे आसानी से सुन सकें, उन्हें परेशानी न हो। आमतौर पर मस्जिदों में इस बात का खास ध्यान रखा जाता है। मस्जिदों में लाउड स्पीकर की ध्वनि का स्तर साधारण ही होता है। अब बात करते हैं नींद में रुकावट की। मुंबई में फज्र की प्रार्थना का समय सुबह 5.05 बजे है। यह ऐसा वक्त नहीं होता कि लोग गहरी नींद में सोए हों और प्रार्थना भी कितनी देर के लिए! मुश्किल से तीन-चार मिनट। माना कि निगम साहब इस दौरान गहरी नींद में सोए हों, लेकिन यह भी संभव है कि उसी दौरान उस इलाके में हजारों लोग ऐसे हों जिनके लिए अज़ान नींद से ज्यादा महत्वपूर्ण हो। निगम साहब बहुत बड़े और दौलतमंद शख्स हैं। सुकून से नर्म बिस्तर पर सोते होंगे, लेकिन इस दुनिया में ऐसे भी गरीब लोग हैं जो चटाई को बिछौना और हथेलियों को तकिया बनाकर सोते हैं। हर सुबह उनकी आंखें अज़ान सुनकर ही खुलती हैं। इसके बाद वे जल्दी-जल्दी अपने काम-धंधे में जुट जाते हैं। अज़ान उनके लिए किसी अलार्म से कम नहीं है। ऐसा अलार्म जिस पर भरोसा किया जा सकता है। इसलिए निगम साहब को मेरा सुझाव है कि वे अपने आलीशान बंगले के बेडरूम में साउंड प्रूफ सिस्टम लगवा लें, क्योंकि उनकी खुशी के लिए अज़ान का वक्त तो बदलने वाला नहीं। चलते-चलते निगम साहब से मेरा एक सवाल। माना कि हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के जमाने में बिजली नहीं थी, लाउड स्पीकर नहीं थे और भी कई चीजें नहीं थीं। वह जमाना और था, ये जमाना और है। लेकिन हुजूर, हमने सुना है कि भारत में संगीत की जड़ें सामवेद से जुड़ी हैं। संगीत का पहला सुर सा सामवेद ने दिया था। शिव के डमरू, कृष्ण की मुरली, नटराज की मुद्राओं से होता हुआ संगीत आज आपके युग में पहुंचा है। मैं आपसे पूछता हूं, ये ह���ाई जहाज, स्मार्टफोन, गाड़ी, ट्विटर, फेसबुक वगैरह उस जमाने में तो नहीं थे। फिर आप इस जमाने में इन्हें क्यों ढो रहे हैं? जींस-टी शर्ट छोड़कर धोती पहना करें। क्यों नहीं इन्हें छोड़कर उसी सदियों पुराने जमाने में लौट जाते? आज ही अपना स्मार्टफोन दीवार पर दे मारें या किसी गरीब को दान कर दें। बॉलीवुड के बड़े लोग रात को पार्टियां करें और दिनभर नींद में खोए रहें तो यह आम लोगों की जिम्मेदारी नहीं कि वे उनकी नींद की हिफाजत करें। कसूर अज़ान का नहीं, आपका है। कृपया वक्त पर सोया करें। शराब के नशे में सोने वाले क्या जानें अज़ान क्या है! - राजीव शर्मा (कोलसिया) -
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