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नीता अंबानी को लगा एक और बड़ा झटका, कैमरून ग्रीन के बाद यह स्टार खिलाड़ी भी हुआ घायल...
नीता अंबानी को लगा एक और बड़ा झटका, कैमरून ग्रीन के बाद यह स्टार खिलाड़ी भी हुआ घायल…
एक तरफ जहां दुनिया की तमाम टीमें आने वाले वनडे वर्ल्ड कप की तैयारियों में जुटी हैं, वहीं दूसरी तरफ इंडियन प्रीमियर लीग के 16वें सीजन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। कुछ समय पहले मिनी ऑक्शन का भी आयोजन किया गया था। प्रत्येक फ्रेंचाइजी ने बड़ी बोली लगाकर खिलाड़ियों को खरीदा भी। हाल ही में मुंबई इंडियंस के लिए एक बुरी खबर आई है। मुंबई इंडियंस की टीम अब तक पांच ट्रॉफी जीत चुकी है लेकिन पिछला सीजन उसके…
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sabkuchgyan · 2 years
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पूर्व पीएम शिंजो आबे के अंतिम संस्कार में पीएम मोदी समेत दुनिया के कई नेता शामिल हुए
पूर्व पीएम शिंजो आबे के अंतिम संस्कार में पीएम मोदी समेत दुनिया के कई नेता शामिल हुए
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का अंतिम संस्कार टोक्यो के निप्पॉन बुडोकन कम्युनिटी सेंटर में किया जा रहा है। जिसमें पीएम मोदी समेत दुनिया के 700 से ज्यादा नेता मौजूद हैं. आठ जुलाई को चुनाव प्रचार के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए 67 वर्षीय आबे की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. भारत ने भी आबे के सम्मान में 9 जुलाई को राष्ट्रीय शोक दिवस की घोषणा की। शिंजो का 15 जुलाई को परिवार के सदस्य…
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studycarewithgsbrar · 2 years
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रणबीर कपूर ने खुलासा किया कि कैसे उन्होंने नीतू कपूर की पहली सैलरी के बाद उन्हें इमोशनल कर दिया था
रणबीर कपूर ने खुलासा किया कि कैसे उन्होंने नीतू कपूर की पहली सैलरी के बाद उन्हें इमोशनल कर दिया था
आखिरी अपडेट: 26 जून 2022, 11:04 IST रणबीर कपूर का कहना है कि उन्होंने अपना पहला वेतन 250 रुपये का चेक अपनी मां नीतू कपूर को सौंपा। रणबीर कपूर ने खुलासा किया कि उन्होंने अपने 250 रुपये के पहले वेतन के साथ क्या किया, जो उन्होंने 1996 में फिल्म प्रेम ग्रंथ में अपने पिता की सहायता करने के बाद अर्जित किया था। बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर असल जिंदगी में भी उतने ही फिल्मी हैं जितने बड़े पर्दे पर हैं।…
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पहली फिल्म में नजर आएंगे नीतू कपूर और सनी कौशल
पहली फिल्म में नजर आएंगे नीतू कपूर और सनी कौशल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। दिग्गज बॉलीवुड अभिनेत्री नीतू कपूर लायंसगेट इंडिया स्टूडियोज की पहली फीचर फिल्म में अभिनेता सनी कौशल और श्रद्धा श्रीनाथ के साथ स्क्रीन स्पेस साझा करती नजर आएंगी। फिल्म में एक मां और उसके बेटे के बीच के खूबसूरत और भरोसेमंद रिश्ते के पहलुओं को दिखाया जाएगा। नीतू कपूर ने कहा, जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी तो मुझे बहुत अच्छी लगी। यह ठेठ मां-बेटे की कहानी से परे है और एक अलग पक्ष की खोज…
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newsdaliy · 2 years
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कैसी ये यारियां 4: पार्थ समथान, नीति टेलर, किश्वर मर्चेंट ने सीजन रैप की तस्वीरों से प्रशंसकों को छेड़ा
कैसी ये यारियां 4: पार्थ समथान, नीति टेलर, किश्वर मर्चेंट ने सीजन रैप की तस्वीरों से प्रशंसकों को छेड़ा
छवि स्रोत: INSTAGRAM / KISHWERSMERCHANTT पार्थ, नीति, किश्वर की कैसी ये यारियां 4 की शूटिंग पूरी पार्थ समथान और नीति टेलर स्टारर शो का पहली बार 2014 में प्रीमियर हुआ था और यह आज तक प्यार बटोर रहा है। युवा-आधारित शो ने तीन सीज़न का सफल प्रदर्शन किया है, और एक बड़े प्रशंसक के साथ, और अब यह शो लोकप्रिय मांग पर अपने नए सीज़न के साथ वापसी करने के लिए तैयार है। अभिनेताओं ने हाल ही में नए सीज़न की…
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dailyhantnews · 2 years
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ज़ेलेंस्की संयुक्त राष्ट्र प्रमुख, तुर्की नेता के साथ लविवि वार्ता की मेजबानी करेंगे
ज़ेलेंस्की संयुक्त राष्ट्र प्रमुख, तुर्की नेता के साथ लविवि वार्ता की मेजबानी करेंगे
LVIV, यूक्रेन (AP) – यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख और तुर्की के नेता के साथ बातचीत करेंगे। अनाज निर्यात फिर से शुरू करने के लिए यूक्रेन का हालिया समझौताअस्थिर स्थितियां ए रूस के कब्जे वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्र और इसे खत्म करने में मदद करने की कोशिश करें लगभग छह महीने पुराना युद्ध. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस बुधवार को यूक्रेन के साथ…
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rajasthanilyrics · 7 months
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करता हूं मैं वंदना नत सिर बारंबार भजन लिरिक्स | Karta Hoon Main Bandana Nat Sir Barambar Bhajan Lyrics
करता हूं मैं वंदना नत सिर बारंबार भजन लिरिक्स, Karta Hoon Main Bandana Nat Sir Barambar Bhajan Lyrics ~ करता हु में वंदना ~ करता हु में वंदना, नत सिर बारम्बार। तुझे देव परमात्मन , मंगल शिव शुभकार। अंजलि पर मस्तक किये , विनय भक्ति के साथ। नमस्कार मेरा तुझे , होवे जग के नाथ। दोनों कर को जोड़ कर , मस्तक घुटने टेक। तुझको हो प्रणाम मम , शत शत कोटि अनेक। पाप हरण मंगल करण , चरण शरण का ध्यान। धार करू…
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swarn005 · 6 months
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Bhaktamar Stotra Hindi
श्री प. हेमराज जी
आदिपुरुष आदीश जिन, आदि स���विधि करतार। धरम-धुरंधर परमगुरु, नमों आदि अवतार॥
सुर-नत-मुकुट रतन-छवि करैं, अंतर पाप-तिमिर सब हरैं। जिनपद बंदों मन वच काय, भव-जल-पतित उधरन-सहाय॥1॥
श्रुत-पारग इंद्रादिक देव, जाकी थुति कीनी कर सेव। शब्द मनोहर अरथ विशाल, तिस प्रभु की वरनों गुन-माल॥2॥
विबुध-वंद्य-पद मैं मति-हीन, हो निलज्ज थुति-मनसा कीन। जल-प्रतिबिंब बुद्ध को गहै, शशि-मंडल बालक ही चहै॥3॥
गुन-समुद्र तुम गुन अविकार, कहत न सुर-गुरु पावै पार। प्रलय-पवन-उद्धत जल-जन्तु, जलधि तिरै को भुज बलवन्तु॥4॥
सो मैं शक्ति-हीन थुति करूँ, भक्ति-भाव-वश कछु नहिं डरूँ। ज्यों मृगि निज-सुत पालन हेतु, मृगपति सन्मुख जाय अचेत॥5॥
मैं शठ सुधी हँसन को धाम, मुझ तव भक्ति बुलावै राम। ज्यों पिक अंब-कली परभाव, मधु-ऋतु मधुर करै आराव॥6॥
तुम जस जंपत जन छिनमाहिं, जनम-जनम के पाप नशाहिं। ज्यों रवि उगै फटै तत्काल, अलिवत नील निशा-तम-जाल॥7॥
तव प्रभावतैं कहूँ विचार, होसी यह थुति जन-मन-हार। ज्यों जल-कमल पत्रपै परै, मुक्ताफल की द्युति विस्तरै॥8॥
तुम गुन-महिमा हत-दुख-दोष, सो तो दूर रहो सुख-पोष। पाप-विनाशक है तुम नाम, कमल-विकाशी ज्यों रवि-धाम॥9॥
नहिं अचंभ जो होहिं तुरंत, तुमसे तुम गुण वरणत संत। जो अधीन को आप समान, करै न सो निंदित धनवान॥10॥
इकटक जन तुमको अविलोय, अवर-विषैं रति करै न सोय। को करि क्षीर-जलधि जल पान, क्षार नीर पीवै मतिमान॥11॥
प्रभु तुम वीतराग गुण-लीन, जिन परमाणु देह तुम कीन। हैं तितने ही ते परमाणु, यातैं तुम सम रूप न आनु॥12॥
कहँ तुम मुख अनुपम अविकार, सुर-नर-नाग-नयन-मनहार। कहाँ चंद्र-मंडल-सकलंक, दिन में ढाक-पत्र सम रंक॥13॥
पूरन चंद्र-ज्योति छबिवंत, तुम गुन तीन जगत लंघंत। एक नाथ त्रिभुवन आधार, तिन विचरत को करै निवार॥14॥
जो सुर-तिय विभ्रम आरंभ, मन न डिग्यो तुम तौ न अचंभ। अचल चलावै प्रलय समीर, मेरु-शिखर डगमगै न धीर॥15॥
धूमरहित बाती गत नेह, परकाशै त्रिभुवन-घर एह। बात-गम्य नाहीं परचण्ड, अपर दीप तुम बलो अखंड॥16॥
छिपहु न लुपहु राहु की छांहि, जग परकाशक हो छिनमांहि। घन अनवर्त दाह विनिवार, रवितैं अधिक धरो गुणसार॥17॥
सदा उदित विदलित मनमोह, विघटित मेघ राहु अविरोह। तुम मुख-कमल अपूरव चंद, जगत-विकाशी जोति अमंद॥18॥
निश-दिन शशि रवि को नहिं काम, तुम मुख-चंद हरै तम-धाम। जो स्वभावतैं उपजै नाज, सजल मेघ तैं कौनहु काज॥19॥
जो सुबोध सोहै तुम माहिं, हरि हर आदिक में सो नाहिं। जो द्युति महा-रतन में होय, काच-खंड पावै नहिं सोय॥20॥
(हिन्दी में) नाराच छन्द : सराग देव देख मैं भला विशेष मानिया। स्वरूप जाहि देख वीतराग तू पिछानिया॥ कछू न तोहि देखके जहाँ तुही विशेखिया। मनोग चित-चोर और भूल हू न पेखिया॥21॥
अनेक पुत्रवंतिनी नितंबिनी सपूत हैं। न तो समान पुत्र और माततैं प्रसूत हैं॥ दिशा धरंत तारिका अनेक कोटि को गिनै। दिनेश तेजवंत एक पूर्व ही दिशा जनै॥22॥
पुरान हो पुमान हो पुनीत पुण्यवान हो। कहें मुनीश अंधकार-नाश को सुभान हो॥ महंत तोहि जानके न होय वश्य कालके। न और मोहि मोखपंथ देय तोहि टालके॥23॥
अनन्त नित्य चित्त की अगम्य रम्य आदि हो। असंख्य सर्वव्यापि विष्णु ब्रह्म हो अनादि हो॥ महेश कामकेतु योग ईश योग ज्ञान हो। अनेक एक ज्ञानरूप शुद्ध संतमान हो॥24॥
तुही जिनेश बुद्ध है सुबुद्धि के प्रमानतैं। तुही जिनेश शंकरो जगत्त्रये विधानतैं॥ तुही विधात है सही सुमोखपंथ धारतैं। नरोत्तमो तुही प्रसिद्ध अर्थ के विचारतैं॥25॥
नमो करूँ जिनेश तोहि आपदा निवार हो। नमो करूँ सुभूरि-भूमि लोकके सिंगार हो॥ नमो करूँ भवाब्धि-नीर-राशि-शोष-हेतु हो। नमो करूँ महेश तोहि मोखपंथ देतु हो॥26॥
चौपाई तुम जिन पूरन गुन-गन भरे, दोष गर्वकरि तुम परिहरे। और देव-गण आश्रय पाय, स्वप्न न देखे तुम फिर आय॥27॥
तरु अशोक-तर किरन उदार, तुम तन शोभित है अविकार। मेघ निकट ज्यों तेज फुरंत, दिनकर दिपै तिमिर निहनंत॥28॥
सिंहासन मणि-किरण-विचित्र, तापर कंचन-वरन पवित्र। तुम तन शोभित किरन विथार, ज्यों उदयाचल रवि तम-हार॥29॥
कुंद-पुहुप-सित-चमर ढुरंत, कनक-वरन तुम तन शोभंत। ज्यों सुमेरु-तट निर्मल कांति, झरना झरै नीर उमगांति ॥30॥
ऊँचे रहैं सूर दुति लोप, तीन छत्र तुम दिपैं अगोप। तीन लोक की प्रभुता कहैं, मोती-झालरसों छवि लहैं॥31॥
दुंदुभि-शब्द गहर गंभीर, चहुँ दिशि होय तुम्हारे धीर। त्रिभुवन-जन शिव-संगम करै, मानूँ जय जय रव उच्चरै॥32॥
मंद पवन गंधोदक इष्ट, विविध कल्पतरु पुहुप-सुवृष्ट। देव करैं विकसित दल सार, मानों द्विज-पंकति अवतार॥33॥
तुम तन-भामंडल जिनचन्द, सब दुतिवंत करत है मन्द। कोटि शंख रवि तेज छिपाय, शशि निर्मल निशि करे अछाय॥34॥
स्वर्ग-मोख-मारग-संकेत, परम-धरम उपदेशन हेत। दिव्य वचन तुम खिरें अगाध, सब भाषा-गर्भित हित साध॥35॥
दोहा : विकसित-सुवरन-कमल-दुति, नख-दुति मिलि चमकाहिं। तुम पद पदवी जहं धरो, तहं सुर कमल रचाहिं॥36॥
ऐसी महिमा तुम विषै, और धरै नहिं कोय। सूरज में जो जोत है, नहिं तारा-गण होय॥37॥
(हिन्दी में) षट्पद : मद-अवलिप्त-कपोल-मूल अलि-कुल झंकारें। तिन सुन शब्द प्रचंड क्रोध उद्धत अति धारैं॥ काल-वरन विकराल, कालवत सनमुख आवै। ऐरावत सो प्रबल सकल जन भय उपजावै॥ देखि गयंद न भय करै तुम पद-महिमा लीन। विपति-रहित संपति-सहित वरतैं भक्त अदीन॥38॥
अति मद-मत्त-गयंद कुंभ-थल नखन विदारै। मोती रक्त समेत डारि भूतल सिंगारै॥ बांकी दाढ़ विशाल वदन में रसना लोलै। भीम भयानक रूप देख जन थरहर डोलै॥ ऐसे मृग-पति पग-तलैं जो नर आयो होय। शरण गये तुम चरण की बाधा करै न सोय॥39॥
प्रलय-पवनकर उठी आग जो तास पटंतर। बमैं फुलिंग शिखा उतंग परजलैं निरंतर॥ जगत समस्त निगल्ल भस्म करहैगी मानों। तडतडाट दव-अनल जोर चहुँ-दिशा उठानों॥ सो इक छिन में उपशमैं नाम-नीर तुम लेत। होय सरोवर परिन मैं विकसित कमल समेत॥40॥
कोकिल-कंठ-समान श्याम-तन क्रोध जलन्ता। रक्त-नयन फुंकार मार विष-कण उगलंता॥ फण को ऊँचा करे वेग ही सन्मुख धाया। तब जन होय निशंक देख फणपतिको आया॥ जो चांपै निज पगतलैं व्यापै विष न लगार। नाग-दमनि तुम नामकी है जिनके आधार॥41॥
जिस रन-माहिं भयानक रव कर रहे तुरंगम। घन से गज गरजाहिं मत्त मानों गिरि जंगम॥ अति कोलाहल माहिं बात जहँ नाहिं सुनीजै। राजन को परचंड, देख बल धीरज छीजै॥ नाथ तिहारे नामतैं सो छिनमांहि पलाय। ज्यों दिनकर परकाशतैं अन्धकार विनशाय॥42॥
मारै जहाँ गयंद कुंभ हथियार विदारै। उमगै रुधिर प्रवाह वेग जलसम विस्तारै॥ होयतिरन असमर्थ महाजोधा बलपूरे। तिस रनमें जिन तोर भक्त जे हैं नर सूरे॥ दुर्जय अरिकुल जीतके जय पावैं निकलंक। तुम पद पंकज मन बसैं ते नर सदा निशंक॥43॥
नक्र चक्र मगरादि मच्छकरि भय उपजावै। जामैं बड़वा अग्नि दाहतैं नीर जलावै॥ पार न पावैं जास थाह नहिं लहिये जाकी। गरजै अतिगंभीर, लहर की गिनति न ताकी॥ सुखसों तिरैं समुद्र को, जे तुम गुन सुमराहिं। लोल कलोलन के शिखर, पार यान ले जाहिं॥44॥
महा जलोदर रोग, भार पीड़ित नर जे हैं। वात पित्त कफ कुष्ट, आदि जो रोग गहै हैं॥ सोचत रहें उदास, नाहिं जीवन की आशा। अति घिनावनी देह, धरैं दुर्गंध निवासा॥ तुम पद-पंकज-धूल को, जो लावैं निज अंग। ते नीरोग शरीर लहि, छिनमें होय अनंग॥45॥
पांव कंठतें जकर बांध, सांकल अति भारी। गाढी बेडी पैर मांहि, जिन जांघ बिदारी॥ भूख प्यास चिंता शरीर दुख जे विललाने। सरन नाहिं जिन कोय भूपके बंदीखाने॥ तुम सुमरत स्वयमेव ही बंधन सब खुल जाहिं। छिनमें ते संपति लहैं, चिंता भय विनसाहिं॥46॥
महामत गजराज और मृगराज दवानल। फणपति रण परचंड नीरनिधि रोग महाबल॥ बंधन ये भय आठ डरपकर मानों नाशै। तुम सुमरत छिनमाहिं अभय थानक परकाशै॥ इस अपार संसार में शरन नाहिं प्रभु कोय। यातैं तुम पदभक्त को भक्ति सहाई होय॥47॥
यह गुनमाल विशाल नाथ तुम गुनन सँवारी। विविधवर्णमय पुहुपगूंथ मैं भक्ति विथारी॥ जे नर पहिरें कंठ भावना मन में भावैं। मानतुंग ते निजाधीन शिवलक्ष्मी पावैं॥ भाषा भक्तामर कियो, हेमराज हित हेत। जे नर पढ़ैं, सुभावसों, ते पावैं शिवखेत॥48॥
*****
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jayshriram2947 · 1 year
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नाम रामायणम्
॥ बालकांडः ॥
शुद्धब्रह्मपरात्पर राम ।
कालात्मकपरमेश्वर राम ।
शेषतल्पसुखनिद्रित राम ।
ब्रह्माद्यमरप्रार्थित राम ।
चंडकिरणकुलमंडन राम ।
श्रीमद्दशरथनंदन राम ।
कौसल्यासुखवर्धन राम ।
विश्वामित्रप्रियधन राम ।
घोरताटकाघातक राम ।
मारीचादिनिपातक राम । 10 ।
कौशिकमखसंरक्षक राम ।
श्रीमदहल्योद्धारक राम ।
गौतममुनिसंपूजित राम ।
सुरमुनिवरगणसंस्तुत राम ।
नाविकधाविकमृदुपद राम ।
मिथिलापुरजनमोहक राम ।
विदेहमानसरंजक राम ।
त्र्यंबककार्मुखभंजक राम ।
सीतार्पितवरमालिक राम ।
कृतवैवाहिककौतुक राम । 20 ।
भार्गवदर्पविनाशक राम ।
श्रीमदयोध्यापालक राम ॥
राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥
॥ अयोध्याकांडः ॥
अगणितगुणगणभूषित राम ।
अवनीतनयाकामित राम ।
राकाचंद्रसमानन राम ।
पितृवाक्याश्रितकानन राम ।
प्रियगुहविनिवेदितपद राम ।
तत्क्षालितनिजमृदुपद राम ।
भरद्वाजमुखानंदक राम ।
चित्रकूटाद्रिनिकेतन राम । 30 ।
दशरथसंततचिंतित राम ।
कैकेयीतनयार्पित राम । (तनयार्थित)
विरचितनिजपितृकर्मक राम ।
भरतार्पितनिजपादुक राम ॥
राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥
॥ अरण्यकांडः ॥
दंडकावनजनपावन राम ।
दुष्टविराधविनाशन राम ।
शरभंगसुतीक्ष्णार्चित राम ।
अगस्त्यानुग्रहवर्दित राम ।
गृध्राधिपसंसेवित राम ।
पंचवटीतटसुस्थित राम । 40 ।
शूर्पणखार्त्तिविधायक राम ।
खरदूषणमुखसूदक राम ।
सीताप्रियहरिणानुग राम ।
मारीचार्तिकृताशुग राम ।
विनष्टसीतान्वेषक राम ।
गृध्राधिपगतिदायक राम ।
शबरीदत्तफलाशन राम ।
कबंधबाहुच्छेदन राम ॥
राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥
॥ किष्किंधाकांडः ॥
हनुमत्सेवितनिजपद राम ।
नतसुग्रीवाभीष्टद राम । 50 ।
गर्वितवालिसंहारक राम ।
वानरदूतप्रेषक राम ।
हितकरलक्ष्मणसंयुत राम ।
राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ।
॥ सुंदरकांडः ॥
कपिवरसंततसंस्मृत राम ।
तद्गतिविघ्नध्वंसक राम ।
सीताप्राणाधारक राम ।
दुष्टदशाननदूषित राम ।
शिष्टहनूमद्भूषित राम ।
सीतावेदितकाकावन राम ।
कृतचूडामणिदर्शन राम । 60 ।
कपिवरवचनाश्वासित राम ॥
राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥
॥ युद्धकांडः ॥
रावणनिधनप्रस्थित राम ।
वानरसैन्यसमावृत राम ।
शोषितशरदीशार्त्तित राम ।
विभीष्णाभयदायक राम ।
पर्वतसेतुनिबंधक राम ।
कुंभकर्णशिरश्छेदक राम ।
राक्षससंघविमर्धक राम ।
अहिमहिरावणचारण राम ।
संहृतदशमुखरावण राम । 70 ।
विधिभवमुखसुरसंस्तुत राम ।
खःस्थितदशरथवीक्षित राम ।
सीतादर्शनमोदित राम ।
अभिषिक्तविभीषणनुत राम । (नत)
पुष्पकयानारोहण राम ।
भरद्वाजादिनिषेवण राम ।
भरतप्राणप्रियकर राम ।
साकेतपुरीभूषण राम ।
सकलस्वीयसमानत राम ।
रत्नलसत्पीठास्थित राम । 80 ।
पट्टाभिषेकालंकृत राम ।
पार्थिवकुलसम्मानित राम ।
विभीषणार्पितरंगक राम ।
कीशकुलानुग्रहकर राम ।
सकलजीवसंरक्षक राम ।
समस्तलोकोद्धारक राम ॥ (लोकाधारक)
राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥
॥ उत्तरकांडः ॥
आगत मुनिगण संस्तुत राम ।
विश्रुतदशकंठोद्भव राम ।
सीतालिंगननिर्वृत राम ।
नीतिसुरक्षितजनपद राम । 90 ।
विपिनत्याजितजनकज राम ।
कारितलवणासुरवध राम ।
स्वर्गतशंबुक संस्तुत राम ।
स्वतनयकुशलवनंदित राम ।
अश्वमेधक्रतुदीक्षित राम ।
कालावेदितसुरपद राम ।
आयोध्यकजनमुक्तित राम ।
विधिमुखविभुदानंदक राम ।
तेजोमयनिजरूपक राम ।
संसृतिबंधविमोचक राम । 100 ।
धर्मस्थापनतत्पर राम ।
भक्तिपरायणमुक्तिद राम ।
सर्वचराचरपालक राम ।
सर्वभवामयवारक राम ।
वैकुंठालयसंस्तित राम ।
नित्यनंदपदस्तित राम ॥
राम राम जय राजा राम ॥
राम राम जय सीता राम ॥ 108 ॥
इति श्रीलक्ष्मणाचार्यविरचितं नामरामायणं संपूर्णम्
जय सीताराम🏹ᕫ🚩🙏
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jyoti000 · 2 years
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🎈कबीर साहेब की वास्तविक पहचान🎈
कलयुग में अनेक लोक देवता आये जिनकी पूजा हो रही है, द्वापर में श्रीकृष्ण जी आये, त्रेता में श्रीमचन्द्र जी आये तथा उनसे पूर्ण ब्रह्मा जी विष्णु जी शिव दुर्गा जी जी ब्रह्म व परब्रह्म हुए है। लेकिन वास्तम में पूर्ण परमात्मा कौन है जो पूजा के योग्य है। तथा सदा ही रहते है अर्थात अविनाशी है और जिनकी भक्ति से अक्षय मोक्ष प्राप्त होता है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब चारों युगों में आते है, दृढ़ भगतों को मिलते है। सद्भक्ति बताकर काल जाल से पार कराते है।
सतयुग में सत्सुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनिन्द्र मेरा।
द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया।।
चारों युग में मेरे संत पुकारे, कूक कहा हम हेल रे।
हीरे माणिक मोती बरसें, यह जग चुगता ढेल रे।।
सतयुग में परमात्मा का प्राकट्य:-
सतयुग में मनु समझाया, काल वश रहा मार्ग नहीं पाया।
उल्टा दोष मोही पर लगाया, वामदेव मेरा नाम धराया।।
पूर्ण प्रभु कबीर जी (कविर्देव) सतयुग में सतसुकृत नाम से स्वयं प्रकट हुए थे। उस समय गरुड़ जी, ब्रह्मा जी, विष्णु जी, शिव जी आदि को सतज्ञान समझाया था। श्री मनु महर्षि जी को भी तत्वज्ञान समझाना चाहा था। परन्तु श्री मनु जी ने परमेश्वर के ज्ञान को सत न जानकर अपने द्वारा निकाले वेदों के निष्कर्ष पर ही आरूढ़ रहे। इसके विपरीत परमेश्वर "सतसुकृत" जी का उपहास करने लगे कि आप तो सर्व विपरीत ज्ञान कह रहे हो। इसलिए परमेश्वर सतसुकृत का उर्फ नाम "वामदेव" निकाल लिया (वाम का अर्थ होता है उल्टा, विपरीत)
त्रेता युग का प्रमाण :
त्रेता में नल नील चेताया, लंका में चन्द्र विजय समझाया।
सीख मन्दोदरी रानी मानी, समझा नहीं रावण अभिमानी।।
विभिषण किन्ही सेव हमारी, तातें हुआ लंका छत्तरधारी।
हार गए थे जब त्रिभुवन राया, समुद्र पर सेतु मैं ही बनवाया।।
तीन दिवस राम अर्ज लगाई, समुद्र प्रकट्या युक्ति बताई।
मैं किन्हें हल्के वे पत्थर भारी, सेतु बांध रघुवर सेना तारी।
लीन्हें चरण राम जब मोरे, लक्ष्मण ने दोहों कर जोरे।।
दोनों बोले एक बिचार, ऋषिवर तुम्हरी शक्ति अपार।
हनुमान नत मस्तक होया, अंगद सुग्रीव ने माना लोहा।।
त्रेतायुग मे कबीर परमेश्वर मुनींद्र नाम से आये थे। चन्द्रविजय का पूरा परिवार, मन्दोत्री, विभीषण, हनुमानजी, नल नील इत्यादि को दीक्षा दी। मुनींद्र ऋषि ने श्रीमचन्द्र जी की सहायता की। मुनींद्र जी के आशीर्वाद से ही समुद्र में पत्थर तेरे थे।
द्वापर युग का प्रमाण:
ऊवाबाई बकें ब्रह्मज्ञानी, तत्वज्ञान की सार न जानी।
द्वापर पाण्डव यज्ञ पूर्ण किन्हीं, हो गई थी सबन की हीनि।।
संहस अठासी बैठे ऋषि जन, सब ही खा लिया था भोजन।
तेतीस कोटि देवता सारे, संख नहीं बजा रहे सब हारे।।
बाजा संख अखण्ड धुन लाई, पूरी पृथ्वी पर आवाज सुनाई।।
तीनों लोकों में सुनि संख आवाज, तुम सुदर्शन सन्तन सिर ताज।
ताको सतभक्ति समझाई, अपनी महिमा आप बताई।।
मेरे गुरू करूणामय तत्वज्ञानी, ये सब ऋषि देव है अभिमानी।
उनसे दीक्षा लो चल सब भाई, तातें तुमरा कल्याण हो जाई।।
माने नहीं मती के हीना, कृष्ण बोले बचन अधीना।
हम पर कृपा तुम बहु किन्ही, हमरी लज्जा रख तुम लिन्हीं।।
कृष्ण कह तुझे स्थान पहुँचाऊँ, रथ-घोड़े जोड़ शीघ्र मंगाऊं।
एता कष्ट ना करो सुजाना, तब हम हुए अन्तर्धाना।
सुदर्शन रूप परमात्मा के भोजन खाने से अखंड संख बजा तब पांडवों की यज्ञ सफल हुई। परमात्मा ने वहाँ सत्संग किया अपनी महिमा आप बताई और अंत में अंतर्ध्यान होकर कुटिया पर आ गये।
द्रोपती चिर बढ़ाकर उसकी इज्जत की रक्षा कबीर साहेब ने ही की थी।
एक लीर के कारणे, बढ़ गए चीर अनंत अपार ।
जो मैं पहले जानती, तो सर्वस देती वार ।।
कलयुग का प्रमाण:-
गरीब,हम सुल्तानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद ना पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।
गरीब दास जी ने इस वाणी में स्पष्ट किया है कि परमेश्वर कबीर जी ने हम सबको(गरीबदास) दादू जी, नानक देव जी इब्राहिम सुल्तान इत्यादि को पार किया। वह परमात्मा काशी शहर में जुलाहा नाम से प्रसिद्ध हुआ है। वह अनन्त कोटि ब्रह्मण्डों का सृजनहार है।
पूर्ण परमात्मा एक है वह सब युगों में रहता है। तत्वज्ञान का प्रचार करता है। अच्छी आत्माएं तत्वज्ञान समझकर पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर की शरण ग्रहण करती हैं।
#कबीरसाहेब_की_पहचान
#SantRampalJiMaharaj
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
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नीता अंबानी को लगा तगड़ा झटका, करोड़ों में खरीदा गया ये विस्फोटक खिलाड़ी हो सकता है IPL 2023 से बाहर...
नीता अंबानी को लगा तगड़ा झटका, करोड़ों में खरीदा गया ये विस्फोटक खिलाड़ी हो सकता है IPL 2023 से बाहर…
एक तरफ जहां सभी टीमें आने वाले वनडे वर्ल्ड कप की तैयारियों में जुटी हैं, वहीं दूसरी तरफ आईपीएल 2023 की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. सीजन 20 मार्च से शुरू होना है और इसका फाइनल मैच 28 मई को खेला जाएगा। इससे पहले हाल ही में केरल में मिनी ऑक्शन का आयोजन किया गया था। जिसमें सभी टीमों ने बड़ी बोली लगाकर खिलाड़ियों को खरीदा। मुंबई इंडियंस की बात करें तो उसने अब तक सबसे ज्यादा पांच ट्रॉफी जीती हैं लेकिन…
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sabkuchgyan · 2 years
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अंकिता भंडारी हत्याकांड भाजपा नेता के रिजॉर्ट में लगाई आग
अंकिता भंडारी हत्याकांड भाजपा नेता के रिजॉर्ट में लगाई आग
अंकिता भंडारी हत्याकांड ने उत्तराखंड में गर्माहट ला दी है। गंगा भोजपुर के वनंतरा रिजॉर्ट में गुस्साई भीड़ ने आग लगा दी। रिजॉर्ट अंकिता हत्याकांड के मुख्य आरोपी भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य का है। आंदोलनकारियों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और मौत की सजा की मांग की है। शनिवार की सुबह एसडीआरएफ की टीम ने चिल्ला बिजली हादसे की शक्तिनगर नहर से अंकिता का शव भी बरामद किया.…
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studycarewithgsbrar · 2 years
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'कॉफी विद करण': गौरी खान कहती हैं कि शाहरुख की पत्नी होने के नाते वह 50% समय के खिलाफ काम करती हैं
‘कॉफी विद करण’: गौरी खान कहती हैं कि शाहरुख की पत्नी होने के नाते वह 50% समय के खिलाफ काम करती हैं
नई दिल्ली: ‘कॉफी विद करण सीजन 7’ के आने वाले एपिसोड में सोफे पर एक नई तिकड़ी देखने को मिलेगी। इस बार शो के होस्ट करण जौहर ने गौरी खान का स्वागत किया है, जो 17 साल बाद सोफे पर लौटी हैं। जैसे ही वे शो में अपनी शुरुआत कर रहे हैं, उनके करीबी दोस्त महीप कपूर और भावना पांडे शामिल हो गए हैं। एपिसोड में गौरी खान ने कहा कि शाहरुख खान की पत्नी होने के नाते अक्सर उन्हें फायदा पहुंचाने के बजाय उनके खिलाफ काम…
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🎈कबीर साहेब की वास्तविक पहचान🎈
कलयुग में अनेक लोक देवता आये जिनकी पूजा हो रही है, द्वापर में श्रीकृष्ण जी आये, त्रेता में श्रीमचन्द्र जी आये तथा उनसे पूर्ण ब्रह्मा जी विष्णु जी शिव दुर्गा जी जी ब्रह्म व परब्रह्म हुए है। लेकिन वास्तम में पूर्ण परमात्मा कौन है जो पूजा के योग्य है। तथा सदा ही रहते है अर्थात अविनाशी है और जिनकी भक्ति से अक्षय मोक्ष प्राप्त होता है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब चारों युगों में आते है, दृढ़ भगतों को मिलते है। सद्भक्ति बताकर काल जाल से पार कराते है।
सतयुग में सत्सुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनिन्द्र मेरा।
द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया।।
चारों युग में मेरे संत पुकारे, कूक कहा हम हेल रे।
हीरे माणिक मोती बरसें, यह जग चुगता ढेल रे।।
सतयुग में परमात्मा का प्राकट्य:-
सतयुग में मनु समझाया, काल वश रहा मार्ग नहीं पाया।
उल्टा दोष मोही पर लगाया, वामदेव मेरा नाम धराया।।
पूर्ण प्रभु कबीर जी (कविर्देव) सतयुग में सतसुकृत नाम से स्वयं प्रकट हुए थे। उस समय गरुड़ जी, ब्रह्मा जी, विष्णु जी, शिव जी आदि को सतज्ञान समझाया था। श्री मनु महर्षि जी को भी तत्वज्ञान समझाना चाहा था। परन्तु श्री मनु जी ने परमेश्वर के ज्ञान को सत न जानकर अपने द्वारा निकाले वेदों के निष्कर्ष पर ही आरूढ़ रहे। इसके विपरीत परमेश्वर "सतसुकृत" जी का उपहास करने लगे कि आप तो सर्व विपरीत ज्ञान कह रहे हो। इसलिए परमेश्वर सतसुकृत का उर्फ नाम "वामदेव" निकाल लिया (वाम का अर्थ होता है उल्टा, विपरीत)
त्रेता युग का प्रमाण :
त्रेता में नल नील चेताया, लंका में चन्द्र विजय समझाया।
सीख मन्दोदरी रानी मानी, समझा नहीं रावण अभिमानी।।
विभिषण किन्ही सेव हमारी, तातें हुआ लंका छत्तरधारी।
हार गए थे जब त्रिभुवन राया, समुद्र पर सेतु मैं ही बनवाया।।
तीन दिवस राम अर्ज लगाई, समुद्र प्रकट्या युक्ति बताई।
मैं किन्हें हल्के वे पत्थर भारी, सेतु बांध रघुवर सेना तारी।
लीन्हें चरण राम जब मोरे, लक्ष्मण ने दोहों कर जोरे।।
दोनों बोले एक बिचार, ऋषिवर तुम्हरी शक्ति अपार।
हनुमान नत मस्तक होया, अंगद सुग्रीव ने माना लोहा।।
त्रेतायुग मे कबीर परमेश्वर मुनींद्र नाम से आये थे। चन्द्रविजय का पूरा परिवार, मन्दोत्री, विभीषण, हनुमानजी, नल नील इत्यादि को दीक्षा दी। मुनींद्र ऋषि ने श्रीमचन्द्र जी की सहायता की। मुनींद्र जी के आशीर्वाद से ही समुद्र में पत्थर तेरे थे।
द्वापर युग का प्रमाण:
ऊवाबाई बकें ब्रह्मज्ञानी, तत्वज्ञान की सार न जानी।
द्वापर पाण्डव यज्ञ पूर्ण किन्हीं, हो गई थी सबन की हीनि।।
संहस अठासी बैठे ऋषि जन, सब ही खा लिया था भोजन।
तेतीस कोटि देवता सारे, संख नहीं बजा रहे सब हारे।।
बाजा संख अखण्ड धुन लाई, पूरी पृथ्वी पर आवाज सुनाई।।
तीनों लोकों में सुनि संख आवाज, तुम सुदर्शन सन्तन सिर ताज।
ताको सतभक्ति समझाई, अपनी महिमा आप बताई।।
मेरे गुरू करूणामय तत्वज्ञानी, ये सब ऋषि देव है अभिमानी।
उनसे दीक्षा लो चल सब भाई, तातें तुमरा कल्याण हो जाई।।
माने नहीं मती के हीना, कृष्ण बोले बचन अधीना।
हम पर कृपा तुम बहु किन्ही, हमरी लज्जा रख तुम लिन्हीं।।
कृष्ण कह तुझे स्थान पहुँचाऊँ, रथ-घोड़े जोड़ शीघ्र मंगाऊं।
एता कष्ट ना करो सुजाना, तब हम हुए अन्तर्धाना।
सुदर्शन रूप परमात्मा के भोजन खाने से अखंड संख बजा तब पांडवों की यज्ञ सफल हुई। परमात्मा ने वहाँ सत्संग किया अपनी महिमा आप बताई और अंत में अंतर्ध्यान होकर कुटिया पर आ गये।
द्रोपती चिर बढ़ाकर उसकी इज्जत की रक्षा कबीर साहेब ने ही की थी।
एक लीर के कारणे, बढ़ गए चीर अनंत अपार ।
जो मैं पहले जानती, तो सर्वस देती वार ।।
कलयुग का प्रमाण:-
गरीब,हम सुल्तानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद ना पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।
गरीब दास जी ने इस वाणी में स्पष्ट किया है कि परमेश्वर कबीर जी ने हम सबको(गरीबदास) दादू जी, नानक देव जी इब्राहिम सुल्तान इत्यादि को पार किया। वह परमात्मा काशी शहर में जुलाहा नाम से प्रसिद्ध हुआ है। वह अनन्त कोटि ब्रह्मण्डों का सृजनहार है।
पूर्ण परमात्मा एक है वह सब युगों में रहता है। तत्वज्ञान का प्रचार करता है। अच्छी आत्माएं तत्वज्ञान समझकर पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर की शरण ग्रहण करती हैं।
#कबीरसाहेब_की_पहचान
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dailyhantnews · 2 years
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राष्ट्रमंडल खेल: मुक्केबाज निकहत जरीन, नीतू गंगस, मोहम्मद हुसामुदी...
राष्ट्रमंडल खेल: मुक्केबाज निकहत जरीन, नीतू गंगस, मोहम्मद हुसामुदी…
निकहत जरीन सहित तीन भारतीय पहलवानों ने रोमांचक जीत के साथ अपने-अपने स्पर्धाओं के सेमीफाइनल में प्रवेश किया, जबकि लवलीना बोरगोहेन बुधवार को राष्ट्रमंडल खेलों में अंतिम आठ में से बाहर हो गईं। जरीन (50 किग्रा), नीतू गंगास (48 किग्रा) और मोहम्मद हुसमुद्दीन (57 किग्रा) ने अपनी जीत के साथ भारत को तीन मुक्केबाजी पदक दिलाए। दूसरी ओर, ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बोर्गोहेन को पिछले संस्करण के रजत पदक विजेता…
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sharpbharat · 2 months
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Jamshedpur rural carrom tournament : घाटशिला मजदूर यूनियन कार्यालय में कैरम टूर्नामेंट का हुआ आयोजन, जिला बीस सूत्री समिति सदस्य काल्टू चक्रवर्ती ने किया खेल का उद्घाटन
घाटशिला : घाटशिला के मऊभंडार स्थित मजदूर यूनियन कार्यालय में गुरुवार को कैरम टूर्नामेंट का आयोजन किया गया. इस मौके पर मुख्य रूप से उपस्थित झारखंड प्रदेश कांग्रेस के सचिव सह पूर्वी सिंहभूम जिला बीस सूत्री समिति के सदस्य नत कालटू चक्रवर्ती ने शॉट लगाकर टूर्नामेंट का शुभारंभ किया. इस अवसर पर श्री चक्रवर्ती ने कहा कि कैरम टूर्नामेंट इनडोर गेम्स के अंतर्गत आता है. इसमें बड़े मैदान की जरूरत भी नहीं…
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