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studycarewithgsbrar · 2 years
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'कॉफी विद करण': गौरी खान कहती हैं कि शाहरुख की पत्नी होने के नाते वह 50% समय के खिलाफ काम करती हैं
‘कॉफी विद करण’: गौरी खान कहती हैं कि शाहरुख की पत्नी होने के नाते वह 50% समय के खिलाफ काम करती हैं
नई दिल्ली: ‘कॉफी विद करण सीजन 7’ के आने वाले एपिसोड में सोफे पर एक नई तिकड़ी देखने को मिलेगी। इस बार शो के होस्ट करण जौहर ने गौरी खान का स्वागत किया है, जो 17 साल बाद सोफे पर लौटी हैं। जैसे ही वे शो में अपनी शुरुआत कर रहे हैं, उनके करीबी दोस्त महीप कपूर और भावना पांडे शामिल हो गए हैं। एपिसोड में गौरी खान ने कहा कि शाहरुख खान की पत्नी होने के नाते अक्सर उन्हें फायदा पहुंचाने के बजाय उनके खिलाफ काम…
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newsdaliy · 2 years
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विक्रम वेधा: ऋतिक रोशन, सैफ अली खान ने एक भीषण बॉलीवुड फिल्म का वादा करते हुए अपनी बंदूकें खींच लीं
विक्रम वेधा: ऋतिक रोशन, सैफ अली खान ने एक भीषण बॉलीवुड फिल्म का वादा करते हुए अपनी बंदूकें खींच लीं
छवि स्रोत: इंस्टाग्राम / ऋतिक रोशन विक्रम वेधा विक्रम वेधा: ऋतिक रोशन और सैफ अली खान अपने हालिया प्रदर्शन से दांव पर लगा है। जहां ऋतिक वॉर और सुपर 30 के साथ दर्शकों को प्रभावित करने में कामयाब रहे, वहीं सैफ ने अपने वेब शो तांडव के साथ एक छाप छोड़ना सुनिश्चित किया। अब, जब बॉलीवुड के दो सितारे विक्रम वेधा में आ रहे हैं, तो उनके प्रशंसक इसे एक दिलचस्प घड़ी होने का अनुमान लगा रहे हैं। इसका टीजर…
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dailyhantnews · 2 years
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'रणवीर वर्सेज वाइल्ड विद बेयर ग्रिल्स' दो और सीज...
‘रणवीर वर्सेज वाइल्ड विद बेयर ग्रिल्स’ दो और सीज…
के माध्यम से आईएएनएस मुंबई: स्ट्रीमिंग नॉन-फिक्शन शो ‘रणवीर बनाम वाइल्ड विद बेयर ग्रिल्स’ की सफलता को देखते हुए, निर्माताओं ने दो और सीज़न के लिए मंजूरी दे दी है। पिछले महीने नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुए इस शो को दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली क्योंकि रणवीर को अपनी महिला प्रेम के लिए एक विशेष फूल की तलाश करते हुए देखा गया था। इसने एक मेम फेस्ट भी शुरू किया क्योंकि रणवीर के शो से एक भालू के गाल…
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apricitycanvas · 2 years
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Song of the lord's Queens
महिष्य ऊचुः
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कुररि विलपसि त्वं वीतनिद्रा न शेषे स्वपिति जगति रात्र्यामीश्वरो गुप्तबोधः।
वयमिव सखि कच्चिद्गाढनिर्भिन्नचेता नलिननयनहासोदारलीलेक्षितेन ॥ १५॥
The queens said 'Oh kurari, you are lamenting! Deprived of sleep you can't rest, while the Controller tonight is sleeping somewhere in the world at an unknown place. Can it be that your heart, just like ours, oh friend, was deeply pierced by His smiling & the munificent, playful glance of His lotus eyes?
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नेत्रे निमीलयसि नक्तमदृष्टबन्धु- स्त्वं रोरवीषि करुणं बत चक्रवाकि।
दास्यं गता वयमिवाच्युतपादजुष्टां किं वा स्रजं स्पृहयसे कबरेण वोढुम्॥ १६॥
Oh cakravaki, having closed your eyes for the night, you nevertheless are crying pitifully for your unseen friend. Or do you perhaps, after having attained the servitude, just like us desire to carry in your braided hair the garland that was honored by Acyuta's feet?
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भो भोः सदा निष्टनसे उदन्व- न्नलब्धनिद्रोऽधिगतप्रजागरः।
किं वा मुकुन्दापहृतात्मलाञ्छनः प्राप्तां दशां त्वं च गतो दुरत्ययाम् ॥ १७॥
Oh dear, dear ocean, you are always making such a noise, never getting any sleep. Are you suffering from sleeplessness? Or were, maybe, your personal qualities stolen by Mukunda, so that you also ended up in this hard to cure [diseased] condition?
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त्वं यक्ष्मणा बलवतासि गृहीत इन्दो क्षीणस्तमो न निजदीधितिभिः क्षिणोषि।
कच्चिन्मुकुन्दगदितानि यथा वयं त्वं विस्मृत्य भोः स्थगितगीरुपलक्ष्यसे नः॥ १८॥
Oh moon, are you, in the grip of the fell disease of consumption, so emaciated that you can't dispel the darkness with your rays? Or are you maybe dumbstruck, oh dearest, because you, just like us, can't remember what Mukunda all said?
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किन्त्वाचरितमस्माभिर्मलयानिल तेऽप्रियम्।
गोविन्दापाङ्गनिर्भिन्ने हृदीरयसि नः स्मरम् ॥ १९॥
Oh wind from the Malaya mountains, what have we done that displeased you, so that our hearts are led by Cupid, hearts that are already torn apart by Govinda's sidelong glances?
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मेघ श्रीमंस्त्वमसि दयितो यादवेन्द्रस्य नूनं श्रीवत्साङ्कं वयमिव भवान् ध्यायति प्रेमबद्धः।
अत्युत्कण्ठः शबलहृदयोऽस्मद्विधो बाष्पधाराः स्मृत्वा स्मृत्वा विसृजसि मुहुर्दुःखदस्तत्प्रसङ्गः॥ २०॥
Oh honorable cloud, you surely are a friend most dear to the Chief of the Yadavas with the Srivatsa on His chest. We are, in our meditation on pure love, just as bound to Him as your good self is. Your most eager heart is just as distraught as ours. We, just like you, remember Him over & over. And that results in torrents of rain with you, just as it time & again makes us shed streams of tears. It can be so hurtful to associate with Him!
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प्रियरावपदानि भाषसे मृतसञ्जीविकयानया गिरा।
करवाणि किमद्य ते प्रियं वद मे वल्गितकण्ठ कोकिल॥ २१॥
Oh sweet-throated cuckoo, please tell me what I should do to please you, who vibrate His so very dear sounds, in this voice that is capable of reviving the dead.
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न चलसि न वदस्युदारबुद्धे क्षितिधर चिन्तयसे महान्तमर्थम्।
अपि बत वसुदेवनन्दनाङ्घ्रिं वयमिव कामयसे स्तनैर्विधर्तुम् ॥ २२॥
Oh mountain with your broad-minded intelligence, you don't move or speak. Are you preoccupied with great matters, or do you maybe, just like us, desire to hold on your breasts the feet of the darling son of Vasudeva?
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शुष्यद्ध्रदाः कर्शिता बत सिन्धुपत्न्यः सम्प्रत्यपास्तकमलश्रिय इष्टभर्तुः।
यद्वद्वयं मधुपतेः प्रणयावलोक- मप्राप्य मुष्टहृदयाः पुरुकर्शिताः स्म॥ २३॥
Oh [rivers] wives of the ocean, your lakes have alas lost their wealth of lotuses that shriveled away now that they dried up, just like us, who became very thin because of not obtaining the loving glance of our beloved husband, the Lord of Madhu, who so often stole our hearts.
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हंस स्वागतमास्यतां पिब पयो ब्रूह्यङ्ग शौरेः कथां दूतं त्वां नु विदाम कच्चिदजितः स्वस्त्यास्त उक्तं पुरा।
किं वा नश्चलसौहृदः स्मरति तं कस्माद्भजामो वयं क्षौद्रालापय कामदं श्रियमृते सैवैकनिष्ठा स्त्रियाम्॥ २४॥
Oh swan, be welcome & sit down, please drink some milk & tell us the news, oh dear one, for we know you to be a messenger of Sauri. Is the Unconquerable One all well? Does He, who is so fickle in His friendship, still remember that He talked to us a long time ago? Why should we [run after Him to] be of worship, oh servant of the campaka? Tell Him who raises the desire, to visit us without the goddess of fortune. Why should that woman have the exclusive right of devotion?
इतीदृशेन भावेन कृष्णे योगेश्वरेश्वरे। क्रियमाणेन माधव्यो लेभिरे परमां गतिम् ॥ २५॥
श्रुतमात्रोऽपि यः स्त्रीणां प्रसह्याकर्षते मनः। उरुगायोरुगीतो वा पश्यन्तीनां कुतः पुनः॥ २६॥
Speaking and acting with such ecstatic love for Krishna, the Master of  Yoga masters, the wives of Lord Madhava attained the ultimate goal. He, who in numerous songs is glorified in numerous ways, attracts with force the mind of any woman who but heard about Him. And how much more attractive would He then be to those who directly see Him?
- Ch 90, Canto 10, Srimad Bhagwatam
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Chant Rakhumai Rakhumai <3
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thegenjutsu · 1 month
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सत्यं वद; धर्मं चर; स्वाध्यायान्मा प्रमदः।
A beautiful reminder: Speak the truth; Walk the path of righteousness; Do not neglect self-study.
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jyotishwithakshayg · 3 months
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Maa Saraswati Mantra In Sanskrit: परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए विद्यार्थी प्रतिदिन करें सरस्वती जी के इन मंत्रों का जाप: Maa Saraswati Mantra In Sanskrit: बसंत पंचमी पर देखें छात्रों के लिए शक्तिशाली सरस्वती मंत्र
Maa saraswati mantra: मां सरस्वती बुद्धि, विद्या और ज्ञान की देवी मानी जाती हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में बुद्धि का संचरण होता है। जहां मां सरस्वती विराजमान रहती हैं। उस जगह मां लक्ष्मी अवश्य वास करती हैं। दैविक काल में सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण जी ने मां शारदे की पूजा आराधना की थी। इन्हें संगीत की देवी भी कहा जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार, माघ महीने में वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा मनाई जाती है। इस दिन मां शारदे का आह्वान किया जाता है। खासकर विद्यार्थी सरस्वती पूजा को उत्सव की तरह मनाते हैं। विद्यार्थी वर्ग को सफलता प्राप्त करने के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए- यहां हम मां सरस्वती के कुछ ऐसे शक्तिशाली मंत्र बताने जा रहे हैं जिनके जाप से आप मां की विशेष कृपा तुरंत ही प्राप्त कर पाएंगे।
मां सरस्वती के मंत्र (Maa Saraswati Ke Mantra)
‘ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय।’
सरस्वती गायत्री मंत्र : ‘ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌।’
नमस्ते शारदे देवी, काश्मीरपुर वासिनी, त्वामहं प्रार्थये नित्यं, विद्या दानं च देहि में,
कंबू कंठी सुताम्रोष्ठी सर्वाभरणंभूषिता, महासरस्वती देवी, जिव्हाग्रे सन्नी विश्यताम् ।।
शारदायै नमस्तुभ्यं , मम ह्रदय प्रवेशिनी, परीक्षायां समुत्तीर्णं, सर्व विषय नाम यथा।।
सरस्वती ध्यान मंत्र
ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम् । हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ ।।
सरस्वती बीज मंत्र- ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः
सरस्वती मंत्र बिद्यार्थियों के लिए-
सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि । विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥
महासरस्वती मंत्र
ॐ ऐं महासरस्वत्यै नमः |
सरस्वती मंत्र बुद्धि वृद्धि के लिए
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः ।
सरस्वती मंत्र धन और बुद्धि के लिए
ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम् कारी वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा।
ज्ञान बढ़ाने के लिए सरस्वती मंत्र
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने ।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते ॥
सरस्वती पुराणोक्ता मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
विद्यार्थी परीक्षा में सफलता के लिए प्रतिदिन करें सरस्वती जी के इन मंत्रों का जाप
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manju84 · 6 months
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🌺 #GodMorningThursday. 🌺
#हिन्दूसाहेबान_नहीं_समझे गीता वेद पुराण
पवित्र हिंदू( सनातन) धर्मग्रंथ पवित्र गीता,वद, पुराणों की अच्छी बातें को न ही हैं?
जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें।
Sant Rampal Ji Maharaj App
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sabkuchgyan · 6 months
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वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के दौरान करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप
दैनिक पंचांग के अनुसार वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी हर वर्ष असो वद चतुर्थी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस साल वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी 1 नवंबर को है। इस शुभ तिथि पर करवा चौथ भी किया जाता है। इस दिन शिव परिवार द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के सभी प्रकार के दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा सभी प्रकार के शुभ…
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ritadasi1984 · 10 months
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कबीर परमात्मा स्वयं प्रकट होकर अपना ज्ञान देते हैं
वद
ऋग्वेद
ऋग्वेद मण्डल सूक्त ६६ मंत्र १७ शिशुम् जज्ञानम् हर्य तम् मृजन्ति शुम्भन्ति वहिमरूतः गणेन । कविर्गीर्भि काव्येना कर्वि सन्त् सोमः पवित्रम अत्येति रेभन् ।।
विलक्षण मनुष्य के बच्चे के रूप में प्रकट होकर पूर्ण परमात्मा कविर्देव अपने वास्तविक ज्ञान को अपनी कविर्गिभिः अर्थात् कबीर बाणी द्वारा पुण्यात्मा अनुयायियों को कवि रूप में कविताओं, लोकोक्तियों के द्वारा वर्णन करता है। वह स्वयं सतपुरुष कबीर ही होता है।
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arethatechs · 11 months
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Centuries ago one of the most popular Sanskrit poets Bhartrhari, while highlighting the specialty of Yoga, said:
धैर्यं यस्य पिता क्षमा च जननी शान्तिश्चिरं गेहिनी
सत्यं सूनुरयं दया च भगिनी भ्राता मनः संयमः।
शय्या भूमितलं दिशोSपि वसनं ज्ञानामृतं भोजनं
एते यस्य कुटिम्बिनः वद सखे कस्माद् भयं योगिनः।।
Meaning that by regularly practising Yoga, a person can imbibe some very good qualities like courage which protects like a father, forgiveness as possessed by a mother & mental peace which becomes a permanent friend. Through regular practise of Yoga truth becomes our child, mercy our sister, self-control our brother, the earth becomes our bed & knowledge satiates our hunger.
The International Yoga Day 2023 will be celebrated on the official theme, “Yoga for Vasudhaiva Kutumbakam”, which also represents as “One Earth, One Family, One Future.” This theme emphasises the healthy being of every individual irrespective of any discrimination with the regular practice of Yoga.
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studycarewithgsbrar · 2 years
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करण जौहर ने सामंथा रूथ प्रभु की कॉफ़ी विद करण की शुरुआत की, अक्षय कुमार के साथ उनके एपिसोड को 'दंगल' कहा
करण जौहर ने सामंथा रूथ प्रभु की कॉफ़ी विद करण की शुरुआत की, अक्षय कुमार के साथ उनके एपिसोड को ‘दंगल’ कहा
आखिरी अपड���ट: 14 जुलाई 2022, 16:11 IST कॉफ़ी विद करण सीजन 7 के सेट पर अक्षय कुमार और सामंथा रुथ प्रभु (छवि: YouTube स्क्रीन ग्रैब / डिज़नी प्लस हॉटस्टार) समांथा रूथ प्रभु इस साल ‘कॉफी विद करण’ से डेब्यू करने जा रही हैं। वह अक्षय कुमार के साथ नजर आएंगी। कॉफ़ी विद करण का नया सीज़न सिर्फ एक एपिसोड पुराना है लेकिन यह निश्चित रूप से बी-टाउन में धूम मचा रहा है। रणवीर सिंह की अब की मशहूर मिमिक्री से…
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newsdaliy · 2 years
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सिद्धार्थ शुक्ला पुण्यतिथि: विंदू दारा सिंह, पवित्रा पुनिया और अन्य सेलेब्स ने अभिनेता को किया याद
सिद्धार्थ शुक्ला पुण्यतिथि: विंदू दारा सिंह, पवित्रा पुनिया और अन्य सेलेब्स ने अभिनेता को किया याद
छवि स्रोत: INSTAGRAM/REALSIDHARTHSHUKLA सेलेब्स ने सिद्धार्थ शुक्ला को पुण्यतिथि पर याद किया सिद्धार्थ शुक्ला पुण्यतिथि: टेलीविजन उद्योग में सबसे प्रमुख सेलेब्स में से एक सिद्धार्थ शुक्ला का 2 सितंबर, 2021 को कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। बिग बॉस 13 के विजेता के आकस्मिक निधन ने देश को सदमे की स्थिति में छोड़ दिया। अभिनेता का परिवार और उनकी बिग बॉस 13 की सह-प्रतियोगी, शहनाज़ गिल, उनके निधन…
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dailyhantnews · 2 years
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'रणवीर वर्सेज वाइल्ड विद बेयर ग्रिल्स' दो और सीज...
‘रणवीर वर्सेज वाइल्ड विद बेयर ग्रिल्स’ दो और सीज…
के माध्यम से आईएएनएस मुंबई: स्ट्रीमिंग नॉन-फिक्शन शो ‘रणवीर बनाम वाइल्ड विद बेयर ग्रिल्स’ की सफलता को देखते हुए, निर्माताओं ने दो और सीज़न के लिए मंजूरी दे दी है। पिछले महीने नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुए इस शो को दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली क्योंकि रणवीर को अपनी महिला प्रेम के लिए एक विशेष फूल की तलाश करते हुए देखा गया था। इसने एक मेम फेस्ट भी शुरू किया क्योंकि रणवीर के शो से एक भालू के गाल…
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nationalnewsindia · 11 months
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pradeepdasblog · 1 year
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#गहरीनजरगीता_में_Part_107 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#गहरीनजरगीता_में_part_108
हम पढ़ रहे है पुस्तक "गहरी नजर गीता में"
पेज नंबर 205-206
।।तीसरे अध्याय के अनुवाद सहित श्लोक।।
◆ अध्याय 3 का श्लोक 1 (अजुर्न उवाच)
ज्यायसी, चेत्, कमर्णः, ते, मता, बुद्धिः, जनादर्न,
तत्, किम्, कमर्णि, घोरे, माम्, नियोजयसि, केशव।।1।।
अनुवाद: (जनादर्न) हे जनादर्न! (चेत्) यदि (ते) आपको (कमर्णः) कमर्की अपेक्षा (बुद्धिः) तत्वदर्शी द्वारा दिया ज्ञान (ज्यायसी) श्रेष्ठ (मता) मान्य है (तत्) तो फिर (केशव) हे केशव! (माम्) मुझे एक स्थान पर बैठ कर इन्द्रियों को रोक कर, गदर्न व सिर को सीधा रख कर गीता अध्याय 6 श्लोक 10 से 15 तक वणिर्त (घोरे) तथा युद्ध करने जैसे भयंकर (कमर्णि) तुच्छ कमर्में (किम्) क्यों (नियोजयसि) लगाते हैं। (1)
◆ अध्याय 3 का श्लोक 2
व्यामिश्रेण, इव, वाक्येन, बुद्धिम्, मोहयसि, इव, मे,
तत्, एकम्, वद, निश्चित्य, येन, श्रेयः, अहम्, आप्नुयाम्।।2।।
अनुवाद: (व्यामिश्रेण,इव) इस प्रकार आप मिले हुए से अथार्त् दो तरफा (वाक्येन) वचनोंसे (मे) मेरी (बुद्धिम्) बुद्धि (मोहयसि,इव) भ्रमित हो रही है इसलिए (तत्) उस (एकम्) एक बातको (निश्चित्य) निश्चित करके (वद) कहिये (येन) जिससे (अहम्) मैं (श्रेयः) कल्याणको (आप्नुयाम्) प्राप्त हो जाऊँ। (2)
◆ अध्याय 3 का श्लोक 3 (श्री भगवान उवाच)
लोके, अस्मिन्, द्विविधा, निष्ठा, पुरा, प्रोक्ता, मया, अनघ,
ज्ञानयोगेन, साङ्ख्यानाम्, कमर्योगेन, योगिनाम्।।3।।
अनुवाद: (अनघ) हे निष्पाप! (अस्मिन्) इस (लोके) लोकमें (द्विविधा) दो प्रकारकी (निष्ठा)
निष्ठा (माया) मेरे द्वारा (पुरा) पहले (प्रोक्ता) कही गयी है उनमेंसे (साङ्ख्यानाम्) ज्ञानियों की निष्ठा तो (ज्ञानयोगेन) ज्ञानयोग अथार्त् अपनी ही सूझ-बूझ से निकाले भक्ति विधि के निष्कर्ष में और (योगिनाम्) योगियोंकी निष्ठा (कमर्योगेन) कमर्योग से अथार्त् सांसारिक कायर् करते हुए साधना करने में होती है। (3)
◆ अध्याय 3 का श्लोक 4
न, कमर्णाम्, अनारम्भात्, नैष्कम्यर्म्, पुरुषः, अश्नुते,
न, च, सयसनात्, एव, सिद्धिम्, समधिगच्छति।।4।।
अनुवाद: (न) न तो (कमर्णाम्) कमोर्ंका (अनारम्भात्) आरम्भ किये बिना (नैष्कम्यर्म्) शास्त्रों में वणिर्त शास्त्र अनुकुल साधना जो संसारिक कर्म करते-करते करने से पूर्ण मुक्ति होती है वह गति अथार्त् (पुरूषः) परमात्मा (अश्नुते) प्राप्त होता है जैसे किसी ने एक एकड़ गेहूँ की फसल
काटनी है तो वह काटना प्रारम्भ करने से ही कटेगी। फिर काटने वाला कर्म शेष नही रहेगा (च) और (एव) इसलिए (सयसनात्) कर्मों के केवल त्यागमात्र से एक स्थान पर बैठ कर विशेष आसन पर बैठ कर संसारिक कर्म त्यागकर हठ योग से (सिद्धिम्) सिद्धि (न समधिगच्छति) प्राप्त नहीं
होती है। (4)
◆ अध्याय 3 का श्लोक 5
न, हि, कश्चित्, क्षणम्, अपि, जातु, तिष्ठति, अकमर्कृत्,
कायर्ते, हि, अवशः, कमर्, सवर्ः, प्रकृतिजैः, गुणैः।।5।।
अनुवाद: (हि) निःसन्देह (कश्चित्) कोई भी मनुष्य (जातु) किसी भी काल में (क्षणम्) क्षणमात्र (अपि) भी (अकमर्कृत्) बिना कर्म किये (न) नहीं (तिष्ठति) रहता (हि) क्योंकि (सवर्ः)
सारा मनुष्य समुदाय (प्रकृतिजैः) प्रकृति अथार्त् दुर्गा जनित (गुणैः) रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु,
तमगुण शिव जी गुणोंद्वारा (अवशः) परवश हुआ (कमर्) कमर् करनेके लिये (कायर्ते) बाध्य किया जाता है। (5)(इसी का प्रमाण अध्याय 14 श्लोक 3 से 5 में भी है।)
◆ अध्याय 3 का श्लोक 6
कमेर्न्द्रियाणि, संयम्य, यः, आस्ते, मनसा, स्मरन्,
इन्द्रियाथार्न्, विमूढात्मा, मिथ्याचारः, सः, उच्यते।।6।।
अनुवाद: (यः) जो (विमूढात्मा) महामूखर् मनुष्य (कमरेन्द्रियाणि) समस्त कमर् इन्द्रियोंको हठपूवर्क ऊपरसे (संयम्य) रोककर (मनसा) मनसे उन (इन्द्रियाथार्न्) ज्ञान इन्द्रियों के विषयों का (स्मरन्) चिन्तन करता (आस्ते) रहता है, (सः) वह (मिथ्याचारः) मिथ्याचारी अथार्त् दम्भी
(उच्यते) कहा जाता है(6)(इसी का विस्तृत वणर्न गीता अध्याय 17 श्लोक 19 में है।)
◆ अध्याय 3 का श्लोक 7
यः, तु, इन्द्रियाणि, मनसा, नियम्य, आरभते, अजुर्न,
कमेर्न्द्रियैः, कमर्योगम्, असक्तः, सः, विशिष्यते।।7।।
अनुवाद: (तु) किंतु (अजुर्न) हे अजुर्न! (यः) जो पुरुष (मनसा) मनसे (इन्द्रियाणि) इन्द्रियोंको (नियम्य) नियन्त्रिात अथार्त् वशमें करके (असक्तः) अनासक्त हुआ (कमेर्न्द्रियैः) समस्त कर्म इन्द्रियों द्वारा (कमर्योगम्) शास्त्रा विधि अनुसार संसारी कायर् करते-करते भक्ति कर्म अथार्त्
कमर्योगका (आरभते) आचरण करता है (सः) वही (विशिष्यते) श्रेष्ठ है। (7)
विशेष:- उपरोक्त न करने वाले हठयोग को गीता अध्याय 6 श्लोक 10 से 15 में करने को कहा है। इसलिए अर्जुन इसी अध्याय 3 के श्लोक 2 में कह रहा है कि आप की दोगली बातें मुझे भ्रम
में डाल रही हैं
( अब आगे अगले भाग में)
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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#ThursdayThoughtsकबीर परमात्मा स्वयं प्रकट होकर अपना ज्ञान देते हैं
वद ऋग्वेद
ऋग्वेद मण्डल सूक्त ६६ मंत्र १७ शिशुम् जज्ञानम् हर्य तम् मृजन्ति शुम्भन्ति वहिमरूतः गणेन कविर्गीर्भि काव्येना कर्वि सन्त् सोमः पवित्रम अत्येति अधिक जानकारी के लिए पढ़ें ज्ञान गंगा पुस्तक 🙏👇
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