क्या आप भी परेशान हे घर के कलेश से - Bhoomika kalaam www.astrobhoomi.com
Vastu Tips: घर में हमेशा रहती है कलह? वास्तु के इन उपायों से घर में आती है सुख-शांती
घर में सुख-शांति के लिए वास्तु टिप्स
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Vastu Tips For Home: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में रखी हर एक चीज में ऊर्जा होती है. इसका प्रभाव घर के सदस्यों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से पड़ता है. हमारी कुछ गलतियों की वजह से घर में वास्तु दोष बढ़ता है. इस वास्तु दोष की वजह से घर में हमेशा कलह रहता है, घर में आर्थिक समस्या बनी रहती है. वास्तु दोष की वजह से घर में आए दिन लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं या फिर परिवार का कोई ना कोई सदस्य बीमार रहता है. वास्तु के कुछ उपायों को करना से घर का कलेश दूर होता है. इन्हें करने से घर में सुख-शांति आती है. आइए जानते हैं वास्तु से जुड़े इन उपायों के बारे में.
कलह दूर करने के वास्तु उपाय
वास्तु दोष के समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए घर के मुख्य द्वार पर कुछ उपाय करने चाहिए. घर का वास्तु सही रहे इसके लिए हर दिन सुबह घर के मंदिर में धूप जलाएं.
थोड़े से जल में हल्दी मिलाकर घर के मुख्य द्वार पर इस पानी के छींटें मारें. इसके बाद द्वार के दोनों तरफ साफ जल प्रवाहित करें. ऐसा करने से घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
मुख्य द्वार पर हल्दी के पानी का छिड़काव करने से वास्तु दोष से छुटकारा मिलता है. घर को हमेशा साफ-सुथरा रखें. जिस घर में गंदगी होती है वहां लक्ष्मी माता कभी नहीं टिकती हैं.
घर में अक्सर लड़ाई-झगड़ा होता है तो रात को सोने से पहले किसी पीतल के बर्तन में कपूर जलाएं और इसे पूरे घर में दिखाएं. कपूर के इस उपाय से गृह क्लेश का नाश होता है और घर में शांति बनी रहती है.
पति-पत्नी में क्लेश बना रहता है तो रात को सोते समय तकिये के नीचे कपूर रख सोएं और सुबह उसे जला दें. इसके बाद इसके राख को बहते हुए पानी में प्रवाहित कर दें. इस उपाय को करने से आपस में शांति बनी रहती है और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है.
घर की कलह दूर करने के लिए गृह स्वामी को पीपल के पेड़ की सेवा करनी चाहिए. घर के पास पीपल का पौधा लगातकर उसकी निरंतर देखभाल करनी चाहिए. इससे घर के सदस्यों पर देवताओं की कृपा बनी रहती है
अगर घर में पारिवारिक शांति न मिले, घर में लोगों के आपस में रिश्ते अच्छे न हों, पारिवारिक सदस्यों में हमेशा मतभेद होता हो, लोग एक-दूसरे से उखडे़-उखड़े रहते हो, हर बात में विवाद होता हो तो यह सब गृह कलेश के कारण होता है। जब आपस में बात करने पर झगडे़ हों, एक-दूसरे की बात की विरोध करने की आदत बन जाए। जब पारिवारिक सदस्यों में विशेषकर जो घर का मुखिया होता है उसे ग्रह विश्लेषण जरुर करवाना चाहिए। घरेलू शांति बहुत आवश्यक है। सुख-समृद्धि के साथ-साथ रिश्तों में प्यार और समझदारी भी बहुत जरुरी है। अगर यह सब नहीं होता है तो हम दूसरों में अपनापन ढूंढने लगते हैं। इससे पारिवारिक रिश्ते और कमजोर पड़ जाते हैं। जरुरी है कि परिवार में शांति और भाईचारा बना रहें।
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गृह कलेश के उपाय
अगर शुक्र राहु से आक्रांत हो जाए तब धन को लेकर एक-दूसरे की अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं। जब गुरु हो तो लगता है कि मेरा मान कम हो रहा है। इस तरह से एक-दूसरे की तुलना करना अशांति का कारण बन जाता है। अगर धन ओर स्वास्थ्य अच्छा हो पारिवारिक कलह बढ़ रहा हो तब कुंडली दिखाकर ग्रह शांति जरुर करवाना चाहिए। साथ ही पहली रोटी गाय के लिए निकालें। पूजा घर में सदैव जल का कलश भरकर रखें। सभी प्रकार की सुख-समृद्धि के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। वैभव लक्ष्मी का व्रत करें। चना गुड़ का भोग लगाकर गाय को खिलाएं, इस प्रकार सात शुक्रवार व्रत कर उद्यापन करने से सुख और शांति आती है।
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टूटा हुआ कांच क्या संकेत देता है।- Bhoomika kalam www.astrobhoomi.com
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टूटा हुआ शीशा इस बात का संकेत देता है कि आने वाला संकट टल गया है और आपका परिवार अब पूरी तरह से सुरक्षित है
कांच या शीशे के चटकने और टूटने को लेकर तमाम मान्यताएं पुराने समय से चली आ रही हैं. कुछ लोग इन्हें सच मानकर इनके नियमों को फॉलो करते हैं, वहीं कुछ लोग इस तरह की बातों को फिजूल मानते हैं. यहां जानिए इन मान्यताओं को लेकर धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताओं के बारे में.
कांच या शीशे का टूटना अशुभ है या शुभ, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं !
कांच या शीशा टूटना
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देखा जाए तो कांच का टूटना एक सामान्य घटना है, ठीक वैसे ही, जैसे असावधानी बरतने पर अन्य चीजें टूट जाती हैं, कांच भी एक वस्तु है जो टूट सकती है. लेकिन पुरानी मान्यताओं के अनुसार लोग कांच या शीशे के टूटने को अशुभ घटना मानते हैं और इसे आने वाले समय में बुरे समाचार से जोड़ते हैं.
लेकिन वास्तु के हिसाब से देखा जाए तो कांच या शीशे का टूटना अशुभ नहीं होता, बल्कि शुभ होता है. लेकिन टूटे कांच को घर में रखना जरूर अशुभ हो सकता है. यहां जानिए कांच और शीशे के टूटने को लेकर वास्तु शास्त्र में क्या कहा गया है और इस मामले में विज्ञान क्या कहता है?
शुभ होता है कांच या शीशे का टूटना
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर पर पड़ी कांच की कोई चीज या शीशा अगर किसी कारणवश टूट जाए, तो इसका मतलब है कि आपके घर पर कोई बड़ा संकट आने वाला था, जिसे कांच या शीशे ने अपने ऊपर ले लिया है. यानी अब मुसीबत टल चुकी है और आपका परिवार सुरक्षित हो गया है. इसके अलावा अचानक कांच या शीशे के टूटने का मतलब ये भी होता है कि आपके घर का कोई पुराना मसला अब समाप्त हो गया है. कुछ लोग कांच को लोगों की सेहत से भी जोड़ते हैं, ऐसे में कांच का चटकना या टूटना सेहत ठीक होने का संकेत हो सकता है. इन सभी बातों पर गौर किया जाए तो कांच या शीशे का टूटना एक शुभ संकेत माना जाना चाहिए.
घर में रखना अशुभ
कांच का टूटना बेशक शुभ संकेत है, लेकिन टूटे या चटके कांच या शीशे को घर में रखना वास्तु के अनुसार अशुभ माना जाता है. ठीक उसी तरह जैसे टूटे बर्तनों में भोजन न करने की सलाह दी जाती है. मान्यता है कि टूटे कांच से सकारात्मक ऊर्जा का ह्रास होता है और घर में नकारात्मकता फैलने लगती है. ऐसे में तमाम परेशानियां घर में आती हैं. इसलिए अब कि बार घर में कभी अचानक से कांच टूट जाए तो बिना शोरशराबा किए, उस कांच को चुपचाप घर से बाहर फेंक दें.
क्यों माना गया अशुभ जानिए वैज्ञानिक वजह
कांच बहुत नाजुक होता है और शुरुआती समय में इसे दूर देशों से मंगाया जाता था. तब ये बहुत महंगा हुआ करता था. इसकी उपलब्धता के लिए काफी रकम खर्च करनी होती थी और इसे मंगाने में समय भी अधिक लगता था. ऐसे में कांच को लोग संभालकर रखें और इसकी देखरेख में सावधानी बरतें, इसलिए इसके टूटने को लेकर तमाम तथ्यों को धर्म और सेहत से जोड़ दिया गया. चूंकि धर्म को लेकर लोगों के मन में हमेशा से ही आस्था रही है और सेहत के प्रति तब लोग काफी सजग हुआ करते थे, इसलिए वे इन तथ्यों में विश्वास करने लगे और समय के साथ ये विश्वास और मजबूत हो गया.
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क्या जरूरी है कुण्डली मिलान - BHOOMIKA KALAM www.astrobhoomi.com
कुंडली मिलान बहुत जरूरी है--
सनातन संस्कृति की नींव षोडश संस्कारों में निहित है। इन षोडश संस्कारों में 'विवाह' का महत्वपूर्ण स्थान है। बच्चों के युवा होते ही माता-पिता को उनके विवाह की चिंता सताने लगती है। विवाह का विचार मन में आते ही जो सबसे बड़ी चिंता माता-पिता के समक्ष होती है, वह है अपने पुत्र या पुत्री के लिए योग्य जीवनसाथी की तलाश। इस तलाश के पूरी होते ही एक दूसरी चिंता सामने आ खड़ी होती है, वह है भावी दंपति की कुंडलियों का मिलान जिसे ज्योतिष की भाषा में 'मेलापक' कहा जाता है।
प्राचीन समय में कुंडली मिलान अत्यावश्यक माना जाता था। वर्तमान सूचना और प्रौद्योगिकी के दौर में मेलापक केवल एक रस्म-अदायगी बनकर रह गया है। ज्योतिष शास्त्र ने मेलापक में विलग-विलग आधार पर गुणों की कुल संख्या 36 निर्धारित की गई है जिसमें 18 या अधिक गुणों का मिलान विवाह और दांपत्य सुख के लिए उत्तम माना जाता है।
मेरे देखे गुणों की संख्या के आधार पर दांपत्य सुख का निश्चय कर लेना उचित नहीं है। अधिकतर देखने में आया है कि 18 की अपेक्षा कहीं अधिक गुणों का मिलान होने पर भी दंपतियों के मध्य दांपत्य सुख का अभाव पाया गया है। इसका मुख्य कारण है मेलापक को मात्र गुण आधारित प्रक्रिया समझना, जैसे कोई परीक्षा हो जिसमें न्यूनतम अंक पाने पर विद्यार्थी उत्तीर्ण अथवा 1-2 अंक कम आने से अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया जाता है। ज्योतिष इतना सरल व संक्षिप्त नहीं है। गुणों पर आधारित मेलापक की यह विधि पूर्णतया कारगर नहीं है।
हमारे अनुसार विवाह में कुंडलियों का मिलान करते समय गुणों के अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण बातों का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए, भले ही गुण निर्धारित संख्या की अपेक्षा कम मिले हों। परंतु दांपत्य सुख के अन्य कारकों से यदि दांपत्य सुख की सुनिश्चितता होती है, तो विवाह करने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। आइए, जानते हैं कि मेलापक (कुंडली मिलान) करते या करवाते समय गुणों के अतिरिक्त किन विशेष बातों का ध्यान रखा जाता आवश्यक है?
मेलापक के समय ध्यान देने योग्य बातें : विवाह का उद्देश्य गृहस्थ आश्रम में पदार्पण के साथ ही वंशवृद्धि और उत्तम दांपत्य सुख प्राप्त करना होता है। प्रेम व सामंजस्य से परिपूर्ण परिवार ही इस संसार में स्वर्ग के समान होता है। इन उद्देश्यों की पूर्ति की संभावनाओं के ज्ञान के लिए मनुष्य की जन्म कुंडली में कुछ महत्वपूर्ण कारक होते हैं। ये कारक हैं- सप्तम भाव एवं सप्तमेश, द्वादश भाव एवं द्वादशेश, द्वितीय भाव एवं द्वितीयेश, पंचम भाव एवं पंचमेश, अष्टम भाव एवं अष्टमेश के अतिरिक्त दांपत्य का नैसर्गिक कारक ग्रह शुक्र (पुरुषों के लिए) व गुरु (स्त्रियों के लिए)।
सप्तम भाव एवं सप्तमेश : दांपत्य सुख प्राप्ति के लिए सप्तम भाव का विशेष महत्व होता है। सप्तम भाव ही साझेदारी का भी होता है। विवाह में साझेदारी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। अत: सप्तम भाव पर कोई पाप ग्रह का प्रभाव नहीं होना चाहिए। सप्तम भाव के अधिपति को सप्तमेश कहा जाता है। सप्तम भाव की तरह ही सप्तमेश पर कोई पाप प्रभाव नहीं होना चाहिए और न ही सप्तमेश किसी अशुभ भाव में स्थित होना चाहिए।
द्वादश भाव एवं द्वादशेश : सप्तम भाव के ही सदृश द्वादश भाव भी दांपत्य सुख के लिए अहम माना गया है। द्वादश भाव को शैया सुख का अर्थात यौन सुख प्राप्ति का भाव माना गया है। अत: द्वादश भाव एवं इसके अधिपति द्वादशेश पर किसी भी प्रकार के पाप ग्रहों का प्रभाव दांपत्य सुख की हानि कर सकता है।
द्वितीय भाव एवं द्वितीयेश : विवाह का अर्थ है एक नवीन परिवार की शुरुआत। द्वितीय भाव को धन एवं कुटुम्ब भाव कहते हैं। द्वितीय भाव से पारिवारिक सुख का पता चलता है। अत: द्वितीय भाव एवं द्वितीय भाव के स्वामी पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव दंपति को पारिवारिक सुख से वंचित करता है।
पंचम भाव एवं पंचमेश : शास्त्रानुसार जब मनुष्य जन्म लेता है, तब जन्म लेने के साथ ही वह ऋणी हो जाता है। इन्हीं जन्मजात ऋणों में से एक है 'पितृ ऋण' जिससे संतानोत्पत्ति के द्वारा मुक्त हुआ जाता है। पंचम भाव से संतान सुख का ज्ञान होता है। पंचम भाव एवं इसके अधिपति पंचमेश पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव दंपति को संतान सुख से वंचित करता है।
अष्टम भाव एवं अष्टमेश : विवाहोपरांत विधुर या वैधव्य भोग किसी आपदा के सदृश है। अत: भावी दंपति की आयु का भलीभांति परीक्षण आवश्यक है। अष्टम भाव एवं अष्टमेश से आयु का विचार किया जाता है। अष्टम भाव एवं अष्टमेश पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव दंपति की आयु क्षीण करता है।
नैसर्गिक कारक : इन कारकों के अतिरिक्त दांपत्य सुख से नैसर्गिक कारकों, जो वर की कुंडली में शुक्र एवं कन्या की कुंडली में गुरु होता है, पाप प्रभाव नहीं होना चाहिए। यदि वर अथवा कन्या की कुंडली में दांपत्य सुख के नैसर्गिक कारक शुक्र व गुरु पाप प्रभाव से पीड़ित हैं या अशुभ भावों में स्थित है तो दांपत्य सुख की हानि कर सकते हैं।
विंशोत्तरी दशा भी है महत्वपूर्ण : उपरोक्त महत्वपूर्ण कारकों के अतिरिक्त वर अथवा कन्या की महादशा एवं अंतरदशाओं की भी कुंडली मिलान में महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसकी अक्सर ज्योतिषी उपेक्षा कर देते हैं। हमारे अनुसार वर अथवा कन्या दोनों ही पर पाप व अनिष्ट ग्रहों की महादशा/ अंतरदशा का एक ही समय में आना भी दांपत्य सुख के लिए हानिकारक है। अत: उपरोक्त कारकों के मिलान एवं परीक्षण के उपरांत महादशा एवं अंतरदशा का परीक्षण परिणाम में सटीकता लाता है।
जिन लोगों की कुंडली नहीं मिलती और फिर भी शादी कर लेते हैं तो रिश्ते में क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं?
बिना गुण मिलाए शादी करने पर हो सकती हैं ऐसी दिक्कतें
हालांकि, प्रेम विवाह के मामलों में लड़का और लड़की गुण मिलान पर ज्यादा भरोसा नहीं करते हैं. वे बिना गुण मिलान कराए ही शादी कर लेते हैं. कुछ मामलों में गुण मिलाए भी जाते हैं लेकिन 18 से कम गुण मिलने पर भी शादी कर लेते हैं. ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक जिन लोगों के 18 गुण से कम मिलते हैं, उनका वैवाहिक जीवन काफी कष्ट में गुजरता है. ऐसे लोगों को अपने वैवाहिक जीवन में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार तो प्रेम विवाह के कुछ समय बाद वर और वधू के बीच मतभेद और मनभेद हो जाते हैं. ऐसे में उनका वैवाहिक जीवन बर्बाद हो जाता है. इतना ही नहीं, कुछ मामलों में तो बात इतनी बिगड़ जाती है कि तलाक तक की नौबत आ जाती है. यही वजह है कि बड़े-बुजुर्ग गुण मिलाने के बाद ही शादी करने की सलाह देते हैं.
गुणों के बेहतर मिलान के बाद भी टूट जाते हैं रिश्ते
मान्यताओं के मुताबिक कुंडली मिलान के बिना की गई शादी के बाद वर और वधू का केवल वैवाहिक जीवन ही नहीं बल्कि निजी जीवन भी बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है. वर और वधू के बीच छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा होने लगता है. इस झगड़े की वजह से दोनों पक्ष के परिवारों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. हालांकि, इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि गुण मिलने के बाद भी कई लोगों की शादियां बर्बाद हो जाती हैं और रिश्ता टूट जाता है. आज भी हमारे समाज में ऐसी कई शादियां टूटते हुए देखी गई हैं जिनमें वर और वधू की कुंडली में गुणों का बेहतर मिलान किया गया था लेकिन शादी के बाद उनके वैवाहिक जीवन में कलह हावी हो गया. हालांकि, ऐसे मामलों ���ें वर और वधू की कुंडली के ग्रह भी जिम्मेदार हो सकते हैं.
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Bhoomika kalam - Introduction
Bhoomika Kalam is a tarot card reader, Astro analyst, and writer. After reaching the standards of success in the field of journalism and writing, Bhoomika chose the path of karma and Meditation
Her spiritual journey began in the early years of childhood. Bhoomika has gained knowledge of Astrology, Tantra, Mantra Vigyan, Yantra, Yoga & meditation from the Guru Parampara. She specializes in many spiritual healing disciplines such as Sri Vidya, Tarot, Astrology, Palmistry, Numerology, Vastu Science, and Reiki. With this knowledge, She is serving to Mankind from her The platform called "AstroBhoomika- The luck Changer".
Over the past several years, There have been many positive changes in people’s lives after applying her practical remedies & solutions.
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Astrobhoomi - Mantra chanting
Ganpati Mantra
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
Saraswati mantra
ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः
Kalila mantra / Siddh kunjika mantra
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।''
Mahamrityunjay mantra
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि�� पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
Vishnu Gayatri Mahamantra
विष्णु गायत्री महामंत्र-
ऊं नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
Lakshami manta
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
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SARV GARH SHANTI/ सर्व ग्रह शांति अनुष्ठान
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RIN MOCHAK MANGAL STOTRA PATH /ऋण मोचक मंगल स्तोत्र पाठ
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Healing- Bhoomika Kalam
Guided Meditation Bundle for Reiki Healing, Chakra Balancing and Energy Healing with Mindfulness Meditation by “AstroBhoomika – The Luck Changer”
Amazing Benefits of Meditation & Healing
· Decreases Depression and Anxiety
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कालसर्प दोष निवारण के लिए श्रवण माह सबसे उत्तम- Bhoomika Kalam
कुंडली में कालसर्प दोष सुनते ही हम डरने लगते हैं क्योंकि ये दोष वाकई में जीवन में हमारी सफलता के रास्ते में बहुत बढ़ाएं बना देता है.
बहुत मेहनत करने के बाद भी फल नहीं मिलता और रिश्ते भी ख़राब हो जाते हैं
काल सर्प दोष को समझते हैं की है क्या ?
कुंडली में 9 ग्रह और बारह घर होते हैं जहाँ ग्रह राशियों के साथ बैठे होते हैं और जीवन भर हमें उसके अनुसार फल देते हैं.
जब सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति(गुरु), शुक्र और शनि ये सभी सातों ग्रह राहु और केतु के मध्य आ जाते है और कुंडली में संतुलन बिगड़ जाता है तब काल सर्प दोष निर्मित होता है.
राहु और केतु के अलग अलग घरों में अलग अलग प्रभाव के कारण कालसर्प दोष १२ प्रकार के होते हैं और हर दोष के निवारण के लिए अलग समाधान है.
सावन का माह भगवान शिव का बहुत ही प्रिय समय है इसलिए जीवन में कालसर्प दोष कितना भी खतरनाक हो स्वयं के महीने में शिव आराधना करने से जीवन में सुख शांति समृद्धि की प्राप्ति होती है. जन्म कुंडली में राहु और केतु ग्रह एक-दूसरे के सामने स्थित होते हैं तब ये दोनों ग्रह किसी भी काम में रुकावट डालते है। ये ग्रह कुंडली के जिस भाव में बैठते हैं और उस भाव से संबंधित रुकावट डालते हैं। इसे कालसर्प योग भी कहा जाता है।
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How Tarot Card and Astrology is helpful for your business, career and Relationship goals
How Tarot Card and Astrology is helpful for your business, career and Relationship goals -
In horoscope reading an astrologer will follow a strict method to locate the position of the Sun, Moon and other planets to define the meaning. Although, intuition is not needed to predict the future however with intuition the greater accuracy can be brought in predictions.
Technology has advanced a lot over the time which has significantly improved ways of astrology as more data can be calculated and collected online from online astrology services. Through the process of grouping, the card Tarot readers can also give accurate Tarot readings.
The method of Tarot involves picking a deck that a reader personally connects with, practising the art of tarot, identifying the questions and answering them correctly, and being approachable to patrons comment.
While anyone can read the Tarot cards, there are some selected few who can easily connect with psychic abilities, who have an innate connection with the art. A person who has a good sense of intuition can easily manage to predict the accurate readings.
When you see an astrologer for the first time, you may not know what to do. Do you just want to know what your zodiac sign says about you? Learn comprehensive forecasts by leading astrologer, AstroBhoomi. Here you will get a 100% satisfactory horoscope and prediction. A highly recommended horoscope report will be given to you without any risky deadlock. With which you will be able to know your activities and plan related to them without risky deadlock.
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रुद्राभिषेक क्या होता है उसके क्या लाभ होते हे – Bhoomika kalam
ज्योतिर्लिंग क्षेत्र एवं तीर्थस्थान तथा शिवरात्रि प्रदोष, श्रावण के सोमवार आदि पर्वों में शिववास का विचार किए बिना भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है। वस्तुत: शिव��िंग का अभिषेक आशुतोष शिव को शीघ्र प्रसन्न करके साधक को उनका कृपापात्र बना देता है और उनकी सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं। अत: हम यह कह सकते हैं कि रुद्राभिषेक से मनुष्य के सारे पाप-ताप धुल जाते हैं।
स्वयं सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने भी कहा है कि जब हम अभिषेक करते हैं तो स्वयं महादेव साक्षात उस अभिषेक को ग्रहण करते हैं। संसार में ऐसी कोई वस्तु, वैभव, सुख नहीं है, जो हमें रुद्राभिषेक करने या करवाने से प्राप्त नहीं हो सकता है।
Rudrabhishek can be done even without thinking of Shivavas in Jyotirlinga areas and pilgrimage places and on festivals like Shivratri Pradosh, Monday of Shravan etc. In fact, the Abhishek of Shivalinga quickly pleases Ashutosh Shiva and makes the devotee blessed by him and all his problems automatically get resolved. Hence, we can say that by Rudrabhishek all the sins of a person are washed away.
Creator Brahma himself has also said that when we do Abhishek, Mahadev himself personally accepts that Abhishek. There is no such thing, glory or happiness in the world which we cannot get by doing Rudrabhishek or getting it done.
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