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gangaslsoftech · 2 years
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Digital Marketing In SEO 2022: SEO, क्या होते हैं कितने प्रक्रार से किया जाता है इसके फायदे?
दोस्तों आज के इस ब्लॉग मे हम जानने वाले है की डिजिटल मार्केटिंग सीखने के बाद युवा न्यूनतम 10,000 रुपए से लेकर प्रतिमाह 1 लाख रुपए तक कमा सकते हैं। भारत में ऐसी बहुत सी कंपनियां हैं जहां चीफ मार्केटिंग ऑफिसर को लाखों रुपये का सालाना वेतन दिया जाता है।
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एक वेबसाइट के लिए क्यों जरूरी है SEO
डिजिटल मार्केटिंग में एसईओ (SEO) का फुल फॉर्म ‘SearchEngine Optimization‘ होता है,जिसका हिन्दी में मतलब ‘सर्च इंजन अनुकूलन‘ है यानी अपने कॉन्टेंट को Google जैसे सर्च इंजन के लिए अनुकूल बनाना। एक वेबसाइट में किसी भी सर्च इंजन से अधिक से अधिक ट्रॉफिक लाने के लिए वेबसाइट के कॉटेंट को ऑप्टिमाइट करना होता है, जिससे Google search engine से free व unique, traffic लाया जा सके। यह दो तरह से किया जाता है। On-page SEO व Off - page SEO.
एसइओ क्या होता है? ( What Is SEO In Digital Marketing In Hindi? )
एसइओ ( SEO ) का फूलफोरम ( Full form ) सर्च इंजन आप्टमज़ैशन ( Search Engine Optimization ) होता है जिसके मतलब होता है की सर्च इंजन के अनुसार अपना ब्लॉग या वेबसाईट को आप्टमाइज़ करना जिसके कारण आपका ब्लॉग या वेबसाईट रैंक कर सके।
सर्च इंजन का मतलब होता है की आप किसी सवाल को इंटरनेट पर सर्च करते है तो और जिस वेबसाईट के द्वारा आप सर्च करते है जैसे की ( Bing, Google, Yahoo ) इत्यादि को सर्च इंजन कहते है और हर एक सर्च इंजन का अलग अलग मेथड है जिसके अनुसार वो आपके वेबसाईट का तुलना करता है और उसके बाद रैंक करता है।
हर एक वेबसाईट चाहे वो बिजनस वेबसाईट हो या फिर ब्लॉगिंग का वेबसाईट हो, सभी का सपना होता है की उनके वेबसाईट पर ढेर सारा लोग आए और वो उनका बिजनस के बारे मे जाने या फिर उनके लिखे हुए कंटेन्ट के बारे मे लोगो को सही से जानकारी हो।
ट्राफिक लाने के लिए सबसे ज्यादा इम्पॉर्टन्ट टर्म एसइओ ही है जिसके मदद से आप बिना पैसा लगाए अपना वेबसाईट पर ट्राफिक ला सकते है, ये अलग बात है की इसमे आपको थोड़ा समय लगता है लेकीन ये जरूरी है की अगर आपका कंटेन्ट या वेबसाईट अच्छा है तो वो जल्दी से रैंक करता है।
SEO कितने प्रकार के होते हैं? ( SEO Kitne Prakar Ke Hote Hain? )
एसइओ दो प्रकार के होते है जो की निम्नलिखित है –
ऑन पेज एसइओ ( On Page SEO )
ऑफ पेज एसइओ ( Off Page SEO )
ऑन पेज एसइओ ( On Page SEO )
ऑन पेज एसइओ का मतलब होता है की आप अपना ब्लॉग या वेबसाईट मे जो जो एसइओ अपने पेज पर कर सकते है उसको ही ऑन पेज एसइओ कहते है। जैसे की कीवर्ड सही से ऐड करना, टाइटल आप्टमाइज़ करना, पर्मालिंक मे फोकस कीवर्ड ऐड करना इत्यादि।
ऑफ पेज एसइओ ( Off Page SEO )
इसमे आप अपना ब्लॉग या वेबसाईट के बिना ओपन कीये जितना एसइओ करते है उसको ऑफ पेज एसइओ कहते है जैसे की बैकलिंक बनाना, इत्यादि कामों को ऑफ पेज एसइओ कहते है।
अब चलिए जानते है की Blog Ka SEO Kaise Karte Hai? ( ब्लॉग का एसइओ कैसे करे? ) –
Blog Ya Website Ka SEO Kaise Karte Hai? ( ब्लॉग या वेबसाईट का एसइओ कैसे करे? )
ब्लॉग का एसइओ करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखे और अपना ब्लॉग को जल्दी से रैंक करवाये। –
ब्लॉग का टाइटल सही से लिखना।
ब्लॉग का डिस्क्रिप्शन सही से लिखना।
पर्म��लिंक सही से लिखना।
ब्लॉग मे इमेज का उपयोग करना।
ब्लॉग मे कीवर्ड का उपयोग करना।
इन्टर्नल लिंकिंग करना।
इक्स्टर्नल लिंकिंग करना।
कीवर्ड रिसर्च करना।
पैराग्राफ छोटा लिखना।
हेडिंग का उपयोग करना।
सिम्पल भाषा मे लिखना।
ब्लॉग का स्पीड सही होना।
टॉपिक पर तुरंत बात करना।
ब्लॉग का टाइटल सही से लिखना।
इसका मतलब ये है की आप अपना ब्लॉग का टाइटल जो रखेंगे उसमे अपना मेन फोकस कीवर्ड को जरूर रखे और टाइटल को थोड़ा अट्रैक्टिव बनाए जिससे की जब यूजर आपके कीवर्ड को सर्च करे और उसके सामने आपका ब्लॉग नजर आए तो वो आपके टाइटल पर क्लिक कीये बिना रह नहीं पाए।
जैसे की आप अपना ब्लॉग के टाइटल मे नंबर का उपयोग कर सकते है, ब्रैकिट का उपयोग कर सकते है जिससे की थोड़ा और अट्रैक्टिव दिखे, और जब भी कोई यूजर इंटरनेट पर कुछ सर्च करता है तो उसके सामने सबसे पहले टाइटल और डिस्क्रिप्शन ही आता है।
ब्लॉग का डिस्क्रिप्शन सही से लिखना।
ब्लॉग का डिस्क्रिप्शन लिखने से मतलब ये है की आप अपना ब्लॉग के डिस्क्रिप्शन मे एक बार अपना फोकस कीवर्ड को जरूर ऐड करे जिससे की यूजर को जब दिखे तो वो जान सके की इस ब्लॉग मे हमारे सवाल के बारे मे बताया गया है और वो उसपर क्लिक जल्दी से करे।
टाइटल के बाद दूसरा दिखने वाला चीज डिस्क्रिप्शन ही है तो उसको बढ़िया से लिखिए ताकि जब यूजर को दिखे तो वो तुरंत से आपका ब्लॉग पर क्लिक करके ब्लॉग पर आ सके।
पर्मालिंक सही से लिखना ।
पर्मालिंक का मतलब होता है की आपके पोस्ट के यूआरएल, पोस्ट के यूआरएल मे आपको अपना फोकस कीवर्ड जरूर से ऐड करना है जिससे की जब सर्च इंजन आपके ब्लॉग या वेबसाईट को क्रॉल करने आए तो उसको मालूम चल सके की आपका ब्लॉग किस चीज पर लिखा गया है।
जब भी सर्च इंजन का बोट आपके ब्लॉग मे आएगा तो वो ऊपर से क्रॉल करना शुरू करेगा जैसे की टाइटल डिस्क्रिप्शन, यूआरएल इत्यादि, उसके अनुसार आपके यूआरएल मे भी फोकस कीवर्ड होना चाहिए जैसे की मेरे इस ब्लॉग मे फोकस कीवर्ड का यूआरएल बना हुआ है।
क्योंकि सर्च इंजन मे टाइटल और डिस्क्रिप्शन के बाद तीसरा दिखने वाला चीज पर्मालिंक ही है, हलाकि इसपर उतना कोई ध्यान नहीं देता है लेकीन क्रॉलर को तो ये बताना जरूरी है न की किस कीवर्ड पर हमारा ब्लॉग बना हुआ है या लिखा हुआ है।
ब्लॉग मे इमेज का उपयोग करना।
इसका मतलब ये है की टेक्स्ट से ज्यादा लोगो को इमेज मे इन्टरिस्ट होता है तो उस हिसाब से आपके अपने ब्लॉग मे एक दो इमेज का उपयोग जरूर करना चाहिए जिससे की आपका ब्लॉग का स्ट्रक्चर भी सही हो जाए और आपका ब्लॉग का एसइओ भी सही से हो जाए।
आप एक काम ये भी कर सकते है की जिस कीवर्ड पर आप काम कर रहे है उसको पहले इंटरनेट पर सर्च कर लीजिए और जो जो वेबसाईट रैंक कर रहे है उसको खोलकर देख लीजिए की किस ब्लॉग मे कितना इमेज का उपयोग किया गया है और उसके अकॉर्डिंग अपना ब्लॉग मे आप इमेज का उपयोग कीजिए।
मतलब की अगर कोई ब्लॉग 3 इमेज का उपयोग कर रहा है तो आप उससे 1 2 ज्यादा ही उपयोग कीजिए जैसे की 4 या 5 इमेज का उपयोग कीजिए जिससे की आपका ब्लॉग का एसइओ सही से हो जाए।
ब्लॉग मे कीवर्ड का उपयोग करना।
सबसे बड़ा चीज यही है की आप अपना ब्लॉग पोस्ट जो लिख रहे हो उसमे अपना फोकस कीवर्ड को जरूर ऐड करना होता है ताकि आपका वेबसाईट को क्रॉल करने आए तो उसको समझ मे आ जाए की इस कीवर्ड पर इस ब्लॉग को रैंक करना है और साथ मे आप अपना कीवर्ड के अलावा और लोग जो पूछ रहे है उसको भी ऐड कर दीजिएगा।
और उस कीवर्ड को बोल्ड भी कर दीजिएगा जिससे की आपका ब्लॉग मे कीवर्ड सामने से दिख जाए और ये क्रॉल को अट्रैक्ट कर सके।
इन्टर्नल लिंकिंग करना।
इन्टर्नल लिंकिंग का मतलब होता है की आपको एक ब्लॉग पोस्ट से दूसरे ब्लॉग पोस्ट को लिंक करना जिससे की जब एक पोस्ट रैंक करता है और आपके ब्लॉग पोस्ट मे ट्राफिक आता है तो दूसरे ब्लॉग भी रैंक होने लगेगा, और आप एक ब्लॉग मे 5 6 इन्टर्नल लिंकिंग आराम से कर सकते है।
इक्स्टर्नल लिंकिंग करना।
इक्स्टर्नल लिंकिंग करने का मतलब ये है की आप अपना ब्लॉग से दूसरे वेबसाईट को लिंक करना, जैसे की आप किसी ब्लॉग को लिख रहे है और उस ब्लॉग मे ऐसा कोई वर्ड है जिसके बारे मे किसी को जानना चाहिए तो उसको आप इंटरनेट पर सर्च करके उसको अपना ब्लॉग से लिंक कर दीजिए।
कीवर्ड रिसर्च करना।
कीवर्ड रिसर्च करने का मतलब ये है की आप अपना ब्लॉग पोस्ट के लिए ऐसा कीवर्ड को सिलेक्ट कीजिए जिसमे की सर्च वॉल्यूम ज्यादा हो और काम्पिटिशन कम हो जिससे की आपका ब्लॉग जल्दी से रैंक कर सके और आपका ब्लॉग पर ऑर्गैनिक ट्राफिक आ सके।
पैराग्राफ छोटा लिखना।
जब भी कोई यूजर आपके ब्लॉग पर आए तो उसको आपका ब्लॉग साफ दिखे उसके लिए आप छोटे छोटे पैराग्राफ लिखा कीजिए जैसे की इस ब्लॉग मे आपको देखने को मिल रहा होगा, जिससे की यूजर को ये बोझ न लगने लगे की हमे बहुत सारा चीज को पढ़ना है।
और इस कदर आपके ब्लॉग मे यूजर समय बिताएगा और जब समय बिताएगा तो सर्च इंजन को आपके ब्लॉग समझ मे आएगा की अच्छा लिखा हुआ है और आपका ब्लॉग जल्दी से रैंक करेगा। आप इस चीज को ध्यान मे रखिए की रैंकिंग के लिए 2 फैक्टर है पहला की CTR और दूसरा बाउन्स रेट।
CTR का मतलब हुआ की कितना इम्प्रेशन पर कितना क्लिक आया है और दूसरा बाउन्स रेट है जिसका मतलब ये है की आपके ब्लॉग मे जितना लोग समय बिताता है उसको बाउन्स रेट कहते है और जितना समय ज्यादा बिताएगा उतना बाउन्स रेट कम रहेगा और ऐसे मे आपका ब्लॉग रैंक करने लगेगा।
हेडिंग का उपयोग करना।
आप अपना ब्लॉग मे जितना हेडिंग का उपयोग करेंगे उतना बढ़िया है क्योंकि हर हेडिंग एक सवाल ही होगा और जितना सवाल आप अपना ब्लॉग मे कवर करेंगे और आपके ब्लॉग उतना ही कीवर्ड पर रैंक करेगा, इसलिए आप ज्यादा से ज्यादा हेडिंग का उपयोग करे और अपना ब्लॉग को रैंक करवाए।
सिम्पल भाषा मे लिखना।
इसका मतलब ये है की जब भी आप अपना ब्लॉग को लिखे तो उसको ऐसा भाषा मे लिखे की उसको अगर 10 साल के बच्चा भी पढे तो उसको समझ मे आ जाए, इसलिए आपको इस बात को ध्यान मे रखिएगा क्योंकि जब आप अपना ब्लॉग को सिम्पल भाषा मे लिखिएगा तो बाउन्स रेट कम हो जाएगा आपका।
ब्लॉग का स्पीड सही होना।
इसका मतलब ये है की अगर आप अपना ब्लॉग को वर्डप्रेस पर बनाते है तो उसमें वेबसाईट को होस्ट करने के लिए होस्टिंग की जरूरत पड़ती है और होस्टिंग मे आपको ऐसा होस्टिंग को सिलेक्ट करना होता है जिसका सर्विस ठीक हो और साथ मे लोडिंग स्पीड सही हो।
क्योंकि जब यूजर आपके ब्लॉग पर क्लिक करेगा और उसके सामने आपका वेबसाईट जल्दी से नही खुलेगा तो आपका ब्लॉग से बैक हो जाएगा और दूसरे ब्लॉग मे चला जाएगा जिससे की आपका ब्लॉग का बाउन्स रेट बढ़ जाएगा।
टॉपिक पर तुरंत बात करना।
इसका मतलब ये है की आपका ब्लॉग जिस टॉपिक पर हो उसके बारे मे तुरंत बात करने के कोशिश करे क्योंकि जब यूजर आता है तो इधर उधर के बात कीजिएगा तो वो बैक हो जाएगा और दूसरे ब्लॉग पर चल जाएगा, इसलिए 1 2 पैराग्राफ लिखकर डायरेक्ट टॉपिक पर आ जाइए।
Conclusions
दोस्तों आशा करता हूँ की आपको आज का ब्लॉग पसंद आया होगा जो की ( SEO, क्या होते हैं कितने प्रक्रार से किया जाता है इसके फायदे )  है और अगर इससे रिलेटेड किसी तरह के मन मे डाउट हो तो नीचे कमेन्ट जरूर करे।
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gangaslsoftech · 2 years
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Mobile का आविष्कार कब और किसने किया? जानिए
मन में ये खयाल तो अवश्य आता होगा की आखिर Mobile ka aviskar kisne kiya? अगर आप भी यही जानना चाहते हैं तो आज हम आपको इसी चीज के बारे में बताने वाले हैं।
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आज के समय में मोबाइल के बिना जी पाना असम्भव सा लगता है। Mobile ka आविष्कार इंसानों द्वारा की गई सबसे उपयोगी चीजों में से एक है। मोबाइल ने ना सिर्फ दूर बैठे लोगों को संचार के माध्यम से एक दूसरे से जोड़ा है बल्कि टेक्नोलॉजी की इस दुनिया में इंसानों के लिए और भी कई ऐसे रास्ते खोल दिए हैं जिससे लोगों की जिंदगी आसान हो गई है। आज के समय में व्यक्ति मोबाइल से बातचीत करने के साथ-साथ मोबाइल का इस्तेमाल कैमरे द्वारा फोटो खींचने के लिए, Maps द्वारा किसी रास्ते को ढूंढ़ने के लिए, फोन वॉलेट द्वारा पैसों के लेन देन के लिए और मनोरंजन आदि सभी चीजों के लिए करता है। सुबह आखें खोलने से लेकर रात को नींद लगने तक लोग अपना अधिकांश समय मोबाइल पर ही बिताते हैं। ऐसे में मन में ये खयाल तो अवश्य आता होगा की आखिर Mobile ka aviskar kisne kiya? अगर आप भी यही जानना चाहते हैं तो आज हम आपको इसी चीज के बारे में बताने वाले हैं।
मोबाइल का आविष्कार कब  हुआ ? और मार्टिन कूपर कौन  थे?
मोबाइल का आविष्कार 3 अप्रैल 1973 को  मार्टिन कूपर ने किया था। मार्टिन उस समय मोटोरोला कंपनी के एक शोधकर्ता और कार्यकारी थे। बता दें की मार्टिन ने इस मोबाइल फोन से पहला कॉल अपने प्रतिद्वंदी बैल लेबोरेटरी के इंजीनियर Dr. Joel S. Engel को लगाया था।
मोबाइल का पूरा नाम क्या हैं ?
मार्टिन कूपर द्वारा बनाये गये इस मोबाइल फोन का नाम Motorola Dyna TAC रखा गया था। विश्व का यह पहला मोबाइल फोन कोई छोटा मोटा फोन नहीं था बल्कि इसका आकर एक ईंट जितना बड़ा था। मोटोरोला के इस मोबाइल फोन की लम्बाई 9 इंच (लगभग 22.9 सेंटीमीटर) थी और वजन 1.1 किलोग्राम था। यह फोन सेलुलर नेटवर्क की तकनीक पर काम करता था। इस मोबाइल से फुल चार्ज करने के बाद लगभग 30 मिनट तक बात हो सकती थी, जबकि इसे फुल चार्ज करने में 10 घंटे का समय लगता था। इस फोन की लागत भी अत्यधिक थी। इस फोन में और भी कुछ खामियां थी जिससे की लोगों के बीच लाने से पहले लगभग एक दशक तक इस मोबाइल की खामियों को दूर करने और इसकी उत्पादन लागत को कम करने के ऊपर काम चलता रहा। इस बीच सेलुलर नेटवर्क को भी और सशक्त बनाया गया। तत्पश्चात सन 1983 में इसे बाजार में लोगों के लिए उपलब्ध कराया गया और इस मोबाइल का नाम Motorola DynaTAC 8000X रखा गया।
सन 1983 में आये मोटोरोला DynaTAC 8000X नामक इस मोबाइल की कीमत 3995 डॉलर (आज के समय में लगभग 2.80 लाख रूपए) थी। इस मोबाइल की बैटरी लगभग 6 घंटे तक चलती थी। जबकि इसे फुल चार्ज करने पर 30 मिनट तक बात कर सकते थे। इतना ही नहीं इस फोन में 30 लोगों के contact भी स्टोर करने का option उपलब्ध था।
मोबाइल के आविष्कारक की संक्षेप में बात की जाये तो बता दें की मोबाइल का आविष्कार करने वाले मार्टिन कूपर का जन्म 26 दिसंबर 1928 को शिकागो (अमेरिका) में हुआ था।
मार्टिन के माता पिता यूक्रेन देश के रहने वाले थे जो की बाद में अमेरिका रहने चले गए थे। अमेरिका में रहते हुए कूपर ने अपनी शिक्षा हासिल की जहाँ उन्होंने Illinois इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सन 1950 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की। स्नातक करने के बाद अमेरका और कोरिया युद्ध के दौरान कूपर को सबमरीन अफसर की नौकरी करने पड़ी।
युद्ध खत्म होने के बाद कूपर एक बार फिर पड़ने चले गए और उन्होंने सन 1957 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ़ साइंस की डिग्री भी हासिल कर ली। मास्टर डिग्री पूरी होने के बाद मार्टिन शिकागो की Teletype कारपोरेशन कंपनी में काम करने लगे। यहाँ से सन 1954 में स्तीफा देने के बाद मार्टिन ने मोटोरोला कंपनी ज्वाइन की। मोटोरोला में सीनियर डेवलपमेंट इंजीनियर रहते हुए ही कूपर ने सेलुलर नेटवर्क टेक्नोलॉजी पर काम करना शुरू किया और सन 1973 में एक टीम को लीड करते हुए मोबाइल फोन का आविष्कार किया।
भारत में  पहला मोबाइल फोन बाजार  आया ?
जैसा की अभी बताया गया की पहला मोबाइल फोन बाजार में सन 1983 में लांच किया गया था। परन्तु बात दें की यह सिर्फ अमेरिका के बाजार में उपलब्ध था। भारत में अगर बात करें तो  
पहली मोबाइल सर्विस भारत में सन 1995 में शुरू की गई थी। उस समय सर्वप्रथम भारत के केंद्रीय दूरसंचार मंत्री श्री सुख राम ने 31 जुलाई 1995 को वेस्ट बंगाल के मुख्यमंत्री श्री ज्योति बासु से मोबाइल पर बात की थी। भारत में हुआ यह पहला मोबाइल कॉल दिल्ली के संचार भवन से कलकत्ता की राइटर्स बिल्डिंग पर कनेक्ट हुआ था। इस सेलुलर कॉल के बाद से ही कलकत्ता में मोबाइल सेवा का संचालन शुरू हो गया था।
भारत में उपलब्ध इस पहली मोबाइल सर्विस को Modi Telstra’s MobileNet सर्विस द्वारा उपलब्ध कराया गया था। मोदी टेल्स्ट्रा भारत के मोदी समूह और ऑस्ट्रेलियाई टेलीकॉम दिग्गज कंपनी टेल्स्ट्रा का एक जॉइंट वेंचर था। टेल्स्ट्रा कंपनी उस समय भारत में सेलुलर सेवाएं प्रदान करने के लिए लाइसेंस प्राप्त आठ कंपनियों में से एक थी।
अब कितने लोग करते हैं मोबाइल का इस्तेमाल
अगर आज के समय में दुनिया भर में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले कुल लोगों की बात की जाए तो एकदम सटीक बता पाना बेहद मुश्किल होगा, क्युकी मोबाइल इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या आज दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। GSMA Intelligence की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक साल में ही मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 5.19 बिलियन (लगभग 519 करोड़) बड़ी है। मोबाइल इस्तेमाल करने वाले कुल लोगों की संख्या अगर आप देखना चाहें तो आप "https://www.gsmaintelligence.com/" की वेबसाइट पर जा कर देख सकते हैं।
भारत की अगर बात करें तो भारतीय दूरसंचार नेटवर्क, telephone users के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है। जहाँ 1.21 बिलियन लोग (लगभग 121 करोड़ लोग) mobile फोन का इस्तेमाल करते हैं। मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले इन सभी लोगों में से 446 मिलियन लोग (लगभग 44.6 करोड़ जनता) समर्टफोन का इस्तेमाल करती हैं। भारत में आज टेलीकॉम इंडस्ट्री के इतने बड़े मार्किट होने की वजह से ही टेलीकॉम कंपनियों में प्रतिस्पर्धा की होड़ बहुत है और यही वजह भी है की भारत उन देशों में शामिल हैं जहाँ सबसे कम काल दरें हैं।
कितने तरह के मोबाइल बाजार में उपलब्ध हैं ?
आज के समय में मुख्यता तीन प्रकार के मोबाइल फोन बाजार में उपलब्ध हैं जो की इस प्रकार हैं
1.सेल फोन:- सेल फोन शुरूआती दौर में आये मोबाइल फोन थे। इनमें कम एडवांस फीचर होते हैं तथा इनका इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है। इन फोन में मुख्या रूप से कॉल करना तथा टेक्स्ट मैसेज भेजना या किसी का मोबाइल नंबर save करना यही काम हो सकते थे। कम फीचर की वजह से इन फोन की कीमत बाजार में बहुत कम थी। अब नई तकनीक के मोबाइल आ जाने से cell phone की डिमांड बाजार में घट गई है। यही वजह है की अब यह फोन बाजार में कम ही देखने को मिलते हैं।
2.फीचर फोन:- फीचर फोन दिखने में सेल फोन की तरह ही होते हैं लेकिन ये स्मार्ट फोन के भी कुछ फीचर (विशेषताएं) प्रदान करते हैं। फीचर फोन में कॉल और टेक्स्ट मैसेज करने के अलावा कैमरे से फोटो खींचना, वीडियो बनाना, मोबाइल में गाने सुनना, इंटरनेट चलाना व मल्टीमीडिया के अन्य फंक्शन उपलप्ध रहते हैं। इनकी कीमत सेल फोन के मुकाबले ज्यादा रहती है परन्तु ये स्मार्ट फोन की अपेक्षा सस्ते होते हैं।
3.स्मार्ट फोन:- अब जो सभी सुविधाओं से परिपूर्ण मोबाइल फोन आ रहे हैं वे स्मार्टफोन कहलाते हैं। ये नई तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इसमें एडवांस ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जो मुख्यता चार प्रकार के होते हैं। जिसमें शामिल है एंड्राइड, एप्पल ios, ब्लैकबेरी और विंडो आधारित मोबाइल फोन। स्मार्टफोन टच स्क्रीन सुविधा प्रदान करते हैं और इसमें 4G इंटरनेट, Wifi कनेक्टिविटी, Hd कैमरा, Gps और ऐसे ही कई एडवांस फीचर होते हैं। यही फीचर इन्हे बाकी मोबाइल फोन से अलग बनाते हैं।
मोबाइल से जुड़े कुछ महत्व पूर्ण बातें !
1. अफ्रीका में पानी और बिजली के कनेक्शन से ज्यादा लोगों के पास मोबाइल फोन हैं।
2. दुनिया का पहला स्मार्टफोन Ericsson का GS88 “पेनेलोपे” मॉडल था। यह सन 1997 में आया था।
3. मोबाइल पर मालवारे के 99 प्रतिशत शिकार एंड्राइड यूजर होते हैं।
4. दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला मोबाइल फोन नोकिआ 1100 था। इस हैंडसेट की 250 मिलियन यूनिट बिकी थी।
5. आज के समय दुनिया में लोगो से ज्यादा मोबाइल फोन है। एक सर्वे के अनुसार दुनिया भर में 7500 मिलियन मोबाइल की लाइन्स मौजूद हैं जबकि विश्व की कुल जनसंख्या 7,350 मिलियन है।
6. वर्ष 2015 में लोग शार्क मछली के हमले से ज्यादा मोबाइल पर सेल्फी लेते हुए मरे हैं।
7. दुनिया का सबसे महंगा मोबाइल फाल्कन सुपरनोवा पिंक डाइमंड है। यह मुख्यता आईफोन 6 है जिसमें 18 कैरट गोल्ड का इस्तेमाल किया गया है। इसकी कुल कीमत 95.5 मिलियन डॉलर है।
8. मलेशिया में अपने पार्टनर को मोबाइल पर टेक्स्ट मैसेज करके तलाक देना कानूनी माना गया है।
9. फिनलैंड देश में मोबाइल फेंकने की एक विश्व प्रतियोगता आयोजित होती है। इसमें सबसे दूर मोबाइल फेंकने का रिकॉर्ड पुरुष का 97 मीटर जबकि महिला का 40 मीटर है।
10. एप्पल ने वर्ष 2018 में हर दिन लगभग 5 लाख 72 हजार मोबाइल फोन बेचे हैं।
11. आज के समय में मोबाइल फोन इंडस्ट्री दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली इंडस्ट्री है।
12. मोबाइल के रेडिएशन खतरनाक हैं। इसके ज्यादा इस्तेमाल से अनिद्रा और सिरदर्द होने की समस्या हो सकती है।
13. एक सर्वे के मुताबिक दुनिया के 70 प्रतिशत मोबाइल फोन का उत्पादन चीन में होता है।
14. चीन में मोबाइल पर इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या कंप्यूटर पर इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों से ज्यादा है।
15. औसतन एक इंसान एक दिन में करीब 110 बार अपने स्मार्टफोन को अनलॉक करता है।
तो दोस्तों ये थी मोबाइल से जुड़ी कुछ जानकारी हम आशा करते हैं कि अब आपको mobile ka aviskar kisne kiya याद रहेगा। अगर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के बीच शेयर जरूर करें !
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gangaslsoftech · 2 years
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MS Excel क्या है? MS Excel की पूरी जानकारी हिंदी में जानें
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यदि देखा जाये आज के समय में Ms Excel का उपयोग दुनियाँ के हर कंप्यूटर पर किया जा रहा है आज के समय दुनियाँ की प्रत्येक सरकार अपने कार्य विभाग से सम्बंधित कार्य Ms Excel के माध्यम से कर रही है आज के समय में हर कैलकुलेशन के क्षेत्र में Ms Excel का उपयोग भारी मात्रा में किया जा रहा है, क्योकि इसके माध्यम से बड़ी से बड़ी कैलकुलेशन आसानी से कुछ ही समय में पूर्ण हो जाती है कार्य करने में बिल्कुल भी समय नहीं लगता है. हिंदी में एमएस एक्सेल कोर्स का मुख्या उद्देश्य है स्टूडेंट्स को सरल व आसान तरीके से एक्सेल के थ्योरी और प्रैक्टिकल आस्पेक्ट्स से परिचै करवाना | इस कोर्स से स्टूडेंट्स एमएस एक्सेल के वह टेक्निक्स सीखेंगे जिससे उनके अपने रोज़मर्रा के बहुत से कामो में सहायता मिलेगी | इसके अलावा स्टूडेंट्स को फाइनेंसियल मॉडलिंग के द्वारा इंट्रिन्सिक वैल्यू के कैलकुलेशन को भी समझने में मदद मिलेगी।
What Is MS Excel/एमएस एक्सेल क्या है?
एमएस एक्सल दुनिया भर में साधारण तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक Electronic Spreadsheet Program है जिस पर आप Numerical Data अथवा किसी भी प्रकार का डाटा को Save और Analyses करने में इस्तेमाल किया जाता है. एम एस एक्स एल एक्स माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के अंदर का एक पॉपुलर प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर है. एमएक्सएक्सएल पर हम डाटा को टेबल के फॉर्मेट पर रिकॉर्ड और सेव करते हैं. एमएस एक्सल में किसी भी न्यूमेरिकल डाटा जैसे कि किसी भी स्कूल के छात्रों का रिजल्ट या उनकी बायोडाटा इत्यादि को सेव करना या एनालाइज करना बहुत आसान होता है.
हमने नीचे एक MS-Excel का स्प्रेडशीट का स्क्रीन शॉट दिया है जिससे आप देख सकते हैं कि कैसे एमएस एक्सल पर डाटा टेबल के फॉर्मेट पर सेव किया जा सकता है इसमें बहुत सारे रो और कॉलम होते हैं. और आप जो इंटरफेस देख रहे हैं इसको एक एक्सल स्प्रेडशीट बोला जाता है. जानने के लिए नीचे दिया गया चित्र को गौर से देखिए.
Features of MS Excel :-
तो फिर हमने ऊपर जो भी देखा और सीखा उसको आइए और भी अच्छे से पॉइंट के हिसाब से देख लेते हैं.
एमएस एक्सल इलेक्ट्रॉनिक स्प्रेडशीट प्रोग्राम है जिसमें हम डाटा को इलेक्ट्रॉनिकली स्टोर और एनालाइज कर सकते हैं
एम एस एक्सेल का पैरंट कंपनी का नाम है माइक्रोसॉफ्ट जोकि माइक्रोसॉफ्ट की एक पैकेट माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के अंदर आता है
एम एस एक्सेल में डाटा टेबुलेशन की फॉर्मेट में होते हैं
एम एस एक्सेल का होम पेज यानी एमएस एक्सल सॉफ्टवेयर को ओपन करते ही जो पे जाता है उसी को एक्सल स्प्रेडशीट बोला जाता है.
How To Open MS Excel/कंप्यूटर में एमएस एक्सल कैसे खोलें ?
कंप्यूटर में MS Excel खुलने के लिए नीचे दिए गए स्टेप को फॉलो करते जाइए.
पहले कंप्यूटर की स्टार्ट बटन पर क्लिक करें या कीबोर्ड में विंडोज की जो बटन होता है उस पर क्लिक करें
क्लिक करने के बाद all programs से एमएस एक्सल को सिलेक्ट कर सकते हैं यदि आपको वहीं पर किसी पर भी एम एस एक्सेल की ऑप्शन नहीं मिल रहा है तो स्टार्ट बटन के बगल में सर्च बॉक्स होते हैं उसी पर ms-excel सर्च कर सकते हैं. जहां पर आपको आसानी से एम एस एक्सेल का ऑप्शन दिख जाएगा.
Finally आप को ओपन कर लिए हैं और उस पर काम कर सकते हैं.
5 Uses Of MS Excel In Hindi/ एमएस एक्सल को इस्तेमाल क्यों करते हैं?
MS Excel का इस्तेमाल हम डाटा को स्टोर करने और एनालाइज करने के लिए के लिए करते हैं.
एम एस एक्सेल का इस्तेमाल हम Data Analysis और Interpretation करने के लिए करते हैं.
इसका इस्तेमाल Accounting और Budgeting के लिए भी किया जाता है.
किसी भी प्रकार के बिजनेस डाटा को कलेक्शन कर ले या फिर वेकेशन करने के लिए एम एस एक्सेल का इस्तेमाल किया जाता है.
किसी भी प्रकार का काम को ट्रैक करना या शेड्यूल करने के लिए एम एस एक्सेल का इस्तेमाल किया जाता है.
Features Of MS Excel
हमने अभी जान लिया है कि What is MS Excel, 5 Uses of MS excel. पर सवाल है याद आएगी एमएस एक्सल में ऐसा क्या फीचर है जिस लिए हम इसको इस्तेमाल करें. तो आइए देखते हैं MS Excel में क्या Features है.
Home and other function: एमएस एक्सल होम टैब पर बहुत सारे फंक्शन देखने को मिल जाएगा जैसे कि font size, font styles, font colour, background colour, alignment, formatting options and styles, insertion and deletion of cells and editing options
insert: एमएस एक्सल इंसर्ट टैब के अंदर कुछ भी चीजें इंसर्ट कर सकते हैं जैसे कि कोई भी इमेज, ग्राफ, चार्ट इत्यादि इंसर्ट कर सकते हैं.
Page Layout: एम एस एक्सेल के इसी टेबल आप एक सीट पर Margin, Page Layout जैसे कि Potrait और Landscape mode इत्यादि को सेट कर सकते हैं.
Formulas: एक्सेल के फार्मूला टैब पर आप बहुत सारे Mathematical equations तथा मैथमेटिकल फॉर्मूला के माध्यम से किसी भी तरह का प्रॉब्लम को आसानी से सॉल्व कर सकते हैं.
Data and others: एक्सेल के और जो भी और दूसरे टूल्स होते हैं उसमें आप किसी भी तरह का कोई भी कनेक्शन फोरकास्ट इत्यादि का फीचर्स होते हैं.
नोट्स :-
मुझे उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हुआ और जो भी चीजें हमने बताएं उसको अच्छे से समझ गए ��ोंगे. यदि आपको इसी विषय के ऊपर कोई भी शंका है तो आप हमें कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं. यदि हमने कुछ चीजें छोड़ दिया हो या गलत बोला हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से आप हमें Suggestion दे सकते हैं. धन्यवाद !
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gangaslsoftech · 2 years
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ऑनलाइन पैसा कमाना चाहते हैं, लेकिन नहीं जानते कि क्या करें? तो इस आर्टिकल को पढ़ें।
ऑनलाइन पैसा कमाना चाहते हैं, लेकिन नहीं जानते कि क्या करें? तो इस आर्टिकल को पढ़ें।
इंटरनेट ढेर सारी अपॉर्च्यूनिटीज से भरा पढ़ा है। आप यहां एक ऑप्शन ढूंढने जाते हैं और कई सारे आपको मिल जाते हैं। ऐसे लोग जो पैसा कमाना चाहते हैं, उनके लिए यहां कई अवसर हैं। ऐसे कई तरीके हैं, जिनके द्वारा पैसा कमाना आसान भी है, लेकिन आपको कड़ी मेहनत की जरूरत हर जगह पड़ती है।
आपको घर से बाहर निकलना नहीं पड़ता है और आप अपने कम्फर्ट में इन्हें पूरा कर सकते हैं। इसके लिए आपको चाहिए बस एक अच्छा इंटरनेट कनेक्शन, कंप्यूटर और जो चीजें करने के शौकीन आप हैं, उनकी थोड़ी-सी जानकारी। आइए इस आर्टिकल में हम जानें कि ऑनलाइन घर बैठे एक बिगिनर कैसे पैसा कमा सकता है।
1.ऑनलाइन ट्यूशन
कोरोना संकट के बाद से सामाजिक दूरी की एहतियात बरतते हुए आज भी कई युवा बच्चों के माता-पिता ऑनलाइन ट्यूशन पर ज्यादा भरोसा करते हैं। अगर आपको किसी विषय की खास जानकारी है और आपको बच्चे पसंद हैं, तो आप फुल टाइम या पार्ट टाइम ट्यूशन पढ़ा सकते हैं। इसमें अच्छी खासी इनकम भी है। बच्चों की क्लास के आधार पर ट्यूशन फीस तय करके आप महीने में 20-25 हजार रुपये कम से कम कमा सकते हैं।
2.वीडियो एडिटिंग
वीडियो एडिटिंग ऑनलाइन पैसे कमाने का एक और तरीका है। इसे आप आसानी से अपने घर में अपने कंप्यूटर या लैपटॉप में कर सकते हैं। लोग YouTube जैसे प्लेटफॉर्म पर लगातार वीडियो बनाकर अपलोड कर रहे हैं और उन्हें अपने वीडियोज को एडिट करने के लिए वीडियो एडिटर की तलाश होती है। यदि आपके पास एक वीडियो एडिटर के रूप में अनुभव है, तो एक्स्ट्रा इनकम के लिए पार्ट टाइम भी इसे किया जा सकता है। आपको बता दें कि एक एक्सपीरियंस वीडियो एडिटर प्रोजेक्ट के हिसाब से महीने में 40000-50000 रुपये तक कमा सकता है।
3.वॉइस ओवर आर्टिस्ट
यह एक अन्य तरीका है जिससे आप पैसा कमा सकते हैं। अगर आपको वॉइस ओवर करना पसंद है या आप इसके बारे में थोड़ी सी जानकारी भी रखते हैं, तो इसकी पूरी ट्रेनिंग लेकर अपना करियर वॉइस ओवर आर्टिस्ट के तौर पर शुरू कर सकते हैं। बड़े प्रोजेक्ट मिलना शुरू में थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन अपनी स्किल इंप्रूव करते-करते और समय के साथ आपको वो भी मिलना शुरू होंगे। निर्देशात्मक वीडियो, ऑडियोबुक, पॉडकास्ट, विज्ञापनों, वीडियो गेम आदि सहित विभिन्न चीजों के लिए वॉइस ओवर किया जा सकता है। इससे आप 10-15 हजार रुपये प्रोजेक्ट के हिसाब से कमा सकते हैं।
4.ग्राफिक डिजाइनर
ग्राफिक डिजाइनर लोगो, ब्रोशर, फ़्लायर्स, इनविटेशन कार्ड और बहुत कुछ जैसी चीज़ें बनाते हैं। एक ग्राफिक डिजाइनर के रूप में, आपको डिज़ाइन बनाने के लिए Adobe Photoshop, Adobe Illustrator और InDesign जैसे टूल का उपयोग करना आना चाहिए। ग्राफ़िक डिज़ाइनर प्रति घंटे या प्रति प्रोजेक्ट के हिसाब से आप अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं। आप जिस प्रकार के ग्राफिक डिज़ाइन कर रहे हैं और आपके पास किस प्रकार के क्लाइंट हैं, उसके आधार पर पैसा कमाना आसान है।
5.अपनी चीजों को किराए पर दें
ऐसी कई सारी वेबसाइट आपने देखी होगी जो कपड़े रेंट पर देती है। फर्निचर, गैजेट और तमाम चीजें अब लोग रेंट पर लेना पसंद करते हैं। यह खासतौर पर बैचलर्स के लिए काम आता है। अगर आपकी कोई ऐसी ड्रेस है जो आप नहीं पहनती, कोई ऐसी चीज है, जिसका इस्तेमाल आप न के बराबर करते हैं, तो आप उन्हें ऑनलाइन रेंट पर देकर भी पैसा कमा सकते हैं। आपका जो सामान जितने का हो आप उसे उस कीमत पर अपने बैचलर फ्रेंड्स को किराए पर दे सकते हैं। इसमें आप आराम से महीने का 20-25 हजार कमा सकते हैं।
इसे भी पढ़ें :बिना किसी निवेश के घर बैठे ऑनलाइन कर सकते हैं अच्छी कमाई
6.इंस्टाग्राम इंफ्लूएंसर बन सकते हैं
इंस्टाग्राम पर बड़ी संख्या में फॉलोइंग हासिल करके इंस्टाग्राम इंफ्लूएंसर ऑनलाइन पैसा कमाते हैं। वे ब्रैंड्स के साथ काम करते हैं, और उनके द्वारा बेचे जाने वाले उत्पादों का रिव्यू करके उनके बदले में पैसा कमा लेते हैं। अगर आप इसके साथ-साथ अपना ब्रैंड भी बनाना चाहें, तो वो भी इसके जरिए मुमकिन हो सकता है। आपके स्पॉनसरशिप होने से पहले इंस्टाग्राम (Instagram story बैकग्राउंड को एस्थेटिक बनाने के टिप्स ) पर अच्छे-खासे फॉलोअर्स होने चाहिए। साथ ही आपको अच्छे क्वालिटी के फोटोज और वीडियोज डालते रहने चाहिए।
इसके अलावा भी ब्लॉगिंग, फ्रीलांसिंग, ऑनलाइन सर्वे, आदि जैसे चीजों पर काम करके भी ऑनलाइन पैसा कैसे कमाए। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर करें और ऐसे ही आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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gangaslsoftech · 2 years
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जिओ 5G कब आ रहा है?Jio Phone Next कैसे आर्डर करें?
Reliance Jio 5G Services Launch: 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी (5G Spectrum Auctioning) में सभी 22 टेलीकॉम सर्किल के लिए बोली लगाने वाली रिलायंस जियो ( Reliance Jio) 15 अगस्त, 2022 को अपनी 5जी मोबाइल सर्विस ( 5G Mobile Services) को लॉन्च कर सकती है. माना जा रहा है कि सभी टेलीकॉम कंपनियां जिन्होंने 5जी स्पेक्ट्रम हासिल किया है उसमें सबसे पहले रिलायंस जियो 5जी मोबाइल सर्विस को लॉन्च करने की तैयारी में है.
15 अगस्त से रिलायंस जियो की 5जी सर्विस!
इसी हफ्ते रिलायंस इंफोकॉम के चेयरमैन अकाश अंबानी ने कहा था कि पूरे भारत में 5जी मोबाइल सर्विसेज के लॉन्च के साथ आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) मनाने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि रिलायंस जियो वर्ल्ड क्लास, अफोर्डेबल 5जी और 5जी इनेबल्ड सर्विसेज ऑफर करने जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि हम ऐसी सर्विसेज, प्लेटफॉर्म, सोल्युशन देने जा रहे हैं जो  शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, मैन्युफैकचरिंग और ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति को तेज करने का काम करेगा.
सबसे पहले जियो की 5जी सर्विस
रिलायंस जियो ने भी अपने बयान में कहा है कि जियो सबसे कम अवधि में 5जी मोबाइल सर्विसेज रोलआउट करने जा रहा है. जियो के मुताबिक उसका 5जी नेटवर्क अगली पीढ़ी के डिजिटल सोल्युशंस के जरिए भारत के आर्टिफइशियल इंटेलीजेंस की ओर बढ़ते कदम के चलते 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा.  
5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में कुल चार टेलीकॉम कंपनियों ने 1,50,173 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाई है. जिसमें अकेले रिलायंस जियो की हिस्सेदारी 59 फीसदी के करीब है. रिलायंस जियो ने  कुल 88,078 करोड़ रुपये के 5जी स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए बोली लगाई है. 700 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्म के लिए रिलायंस जियो सभी 22 सर्किल में टॉप बिडर रहा है. जियो ने कुल 24,740 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम हासिल किया है.
Jio Phone Next कैसे आर्डर करें?
वैसे हम आपको ये बता देना चाहते हैं की JioPhone Next बुक करने के मुख्य रूप से तीन उपाय अभी के समय में उपलब्ध हैं, चलिए उन्ही के विषय में जानते हैं।
JioMart Digital Retailer : visit करें निकटवर्ती Jio Mart Digital Retailer or
Online : visit www.jio.com/next or
Book Via Whatsapp :- whatsapp के ज़रिए – send ‘hi‘ to 70182-70182, एक बार confirmation पा लेने के बाद, आप visit कर सकते हैं nearby Jiomart retailer के पास और अपना Jiophone next, वहाँ से कलेक्ट कर सकते हैं।
ऑनलाइन Jio Phone Next कैसे खरीदें?
चलिए अब जानते हैं की कैसे आप ऑनलाइन Jiophone Next बुक कर सकते हैं, उस विषय में।
सबसे पहले आपको Visit करना होगा Jio Official Portal, Jio.com
वहाँ पर आपको Login करना होगा, वो भी अपने user name, password credentials के साथ।
अब आप वहाँ पर देख सकते हाँ सभी Jio products को उस page पर।
अब Select करें Jiophone Next Smartphone उसमें से।
अब आपको Fill up करना होगा अपना shipping address, phone number, और दूसरे ज़रूरी जानकारी।
फिर भुक्तान करना होगा दिए गए amount को वो भी अपने debit/credit card से।
अब JioPhone Next आपका book हो गया है सफलतापूर्वक।
आपके मोबाइल को भरे गए address पर कुछ दिनों के भीतर भेज दिया जाएगा।
WhatsApp के ज़रिए JioPhone Next कैसे बुक करें?
यदि आप Whatsapp के ज़रिए अपना JioPhone Next बुक करना चाहते हैं तब ऐसे में,
सबसे पहले आपको अपने फ़ोन पर whatsapp app खोलना होगा।
फिर उसमें 7018270182 वाले नम्बर पर “Hi” लिखकर भेजना है।
अब आपको आगे अपने jio फ़ोन की बुकिंग के लिए पूछा जाएगा।
फिर आप पेमेंट भी कर सकते हैं, यदि वहाँ पर निर्देशित किया जाए तब।
आख़िर में आपको एक confirmation message मिलेगा, जिससे आप अपना नया फ़ोन बताए गए जगह से collect कर सकते हैं।
Off-line Jio Phone Next बुक कैसे करें?
आप चाहें तो ऑफ़्लाइन यानी की निकटवर्ती जीयो फ़ोन के स्टोर से भी इसे ख़रीद सकते हैं।
इसके लिए आपको सबसे पहले अपने निकटवर्ती जीयो फ़ोन के स्टोर को जाना होगा।
वहाँ पर उन्हें इस फ़ोन के उपलब्धता के बारे में पूछना होगा।
यदि वहाँ पर हैं तब आप पैसों का भुक्तान कर उसे वहाँ से ले आ सकते हैं।
आप चाहें तो अपने लिए JioPhone Next ख़रीद सकते हैं वो भी बिना किसी financing option के इस्तमाल किए ही, बस आपको Rs 6,499 का भुक्तान करना होगा।
क्या JioPhone Next ऑनलाइन प्लाट्फ़ोर्म पर उपलब्ध है?
जी नहीं, अभी के समय में JioPhone Next ऑनलाइन प्लाट्फ़ोर्म पर उपलब्ध नहीं है। अभी तक Reliance ने कोई भी ऐसी घोषणा नहीं करी है जिससे की हमें ये पता चले की वो online platforms जैसे की Flipkart, Amazon, या Tata Cliq पर उपलब्ध हो। यदि ऐसी कोई जानकारी सामने आती है तब आपको हमारे इस ब्लॉग पोस्ट पर इसकी जानकारी ज़रूर से मिल जाएगी।
नोट्स
मुझे पूर्ण आशा है की मैंने आप लोगों को ( जिओ 5G कब आ रहा है?Jio Phone Next कैसे आर्डर करें? )  के बारे में पूरी जानकारी दी। और में आशा करता हूँ आप लोगों को ऑनलाइन Jiophone Next बुक करें के बारे में समझ आ गया होगा.
मेरा आप सभी पाठकों से गुजारिस है की आप लोग भी इस जानकारी को अपने आस-पड़ोस, रिश्तेदारों, अपने मित्रों में Share करें, जिससे की हमारे बिच जागरूकता होगी और इससे सबको बहुत लाभ होगा. मुझे आप लोगों की सहयोग की आवश्यकता है जिससे मैं और भी नयी जानकारी आप लोगों तक पहुंचा सकूँ.
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gangaslsoftech · 2 years
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PowerPoint क्या है और इसका उपयोग कैसे करें? - What is PowerPoint and how to use it?
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PowerPoint क्या है:- जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि चाहे हम स्टूडेंट हो या फिर कोई बिजनेस हो हमें कभी ना कभी प्रजेंटेशन देने का मौका मिलता ही है। प्रजेंटेशन के माध्यम से ही हम अपनी बात आसानी से और सरल भाषा में दूसरों तक पहुंचा सकते हैं। चलिए फिर आज हम आपको अपनी पोस्ट के माध्यम से आपको एक ऐसे प्रोग्राम के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं जिसकी सहायता से आप एक बहुत ही अच्छी प्रेजेंटेशन तैयार कर सकते हैं। यदि अगर अभी PowerPoint का उपयोग कर एक अच्छी प्रेजेंटेशन तैयार करना चाहते हैं तो हमारे इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें क्योंकि एक अच्छी प्रेजेंटेशन बनाने के लिए सबसे पहले आपको इस प्रोग्राम को अच्छे तरीके से समझना होगा।
PPT की फुलफॉर्म पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन होता है जिसका पूरा नाम माइक्रोसॉफ्ट पावर पॉइंट है। यह एक ऐसा प्रोग्राम है जिसकी सहायता से आप एक बहुत अच्छी पावरफुल और अट्रैक्टिव प्रेजेंटेशन तैयार कर सकते हैं। पॉवर पॉइंट को माइक्रोसॉफ्ट द्वारा डेवलप किया गया है। ये हमारे डाटा (Text, Audio) को स्लाइड के रूप में तैयार करने एवं उससे create, edit, format, share और present करने का काम करता है। पॉवर पॉइंट प्रोग्राम में आप एनिमेशन, फोटो गाने ग्रैफिक्स पीपीटी वीडियो बैकग्राउंड को जोड़ सकते हैं। इस प्रोग्राम मैं आपको कई प्रकार के अलग-अलग टूल्स मिलते हैं जिसकी सहायता से आप एक बहुत अच्छी प्रेजेंटेशन तैयार कर सकते हैं। इस प्रोग्राम के माध्यम से प्रेजेंटेशन तैयार करके आप दूसरों तक अपनी बात बहुत ही कम समय में ओर अच्छे तरीके से समझा सकते हैं।
PowerPoint में कितने View होते हैं?
पॉवरपॉइंट में उपलब्ध विभिन प्रकार के व्यू होते है जो इस प्रकार है:-
सामान्य व्यू (Normal View):- पावरप्वाइंट मैं उपलब्ध स्लाइड्स के कुछ भी होते हैं जिनमें से एक प्रकार है सामान्य व्यू। इस व्यू में विंडो को तीन भागों में बांटा जाता है। इस व्यू में सभी स्लाइड्स के नोट से जुड़ने के लिए आप दाएं और नीचे के बॉक्स में क्लिक कर सक्रिय कर सकते हैं।
स्लाइड व्यू (Slide View):- इस व्यू में आप एक बार स्लाइड देख सकते हैं। इस व्यू में रंग बैकग्राउंड शेड सभी चीजें देखी जा सकती हैं।
आउटलाइन व्यू (Outline View):- इस व्यू में हमें प्रस्तुतीकरण की रूपरेखा यह ढांचा दिखाई देता है। इसमें बाई की और एक टूलबॉक्स खुलता है जिसके बटन ओं कि उसे अनेक कार्य किए जा सकते हैं।
स्लाइड सॉर्टर व्यू (Slide Sorter View):- इस लाइन को सभी एक साथ छोटे रूप में देख सकते हैं और सभी टेक्स्ट या चित्र दिखाई देते हैं।
स्लाइड शो व्यू (Slide Show View):- इस व्यू में पावर पॉइंट सभी तथ्यों को गायब कर के एक ही बार फ्लाइट को पूरे रूप में दिखाता है और बाएं हाथ के कोने पर एक छोटा प्रतीक भी दिया जाता है।
Features Of MS PowerPoint
इसका उपयोग हम एम एस पावर प्वाइंट टूल को अन्य किसी ऑफिस टूल जैसे एमएस वर्ड तथा एम एस एक्सेल की तरह ही कर सकते हैं।
महज कुछ ही घंटों का अभ्यास करने के बाद हम इसके बेसिक सीख जाते हैं और धीरे-धीरे इसके एडवांस टुटोरिअल की सहायता से एनिमेशन ट्रांजिशन तथा स्पेशल इफेक्ट के जरिए अपनी प्रेजेंटेशन को अट्रैक्ट भी बनाना सीख जाते हैं।
ऑफिस सुइट प्रोग्राम का एक बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है जिसमें एमएस वर्ड तथा वन नोट के बाद पावर पॉइंट भी शामिल है।आप अन्य टूल्स का उपयोग करने के लिए दूसरा प्लान भी खरिद सकते है।
यह प्रोग्राम अब तक का सबसे ज्यादा भरोसेमंद और विश्वसनीय प्रोग्राम है।
आपको इस प्रोग्राम में दुनियाभर में मौजूद सभी प्रेजेंटेशन टूल्स की खासियत इस एक टूल में मिल जाएगी और यदि आपको कुछ समझ में नहीं आता है तो माइक्रोसॉफ्ट सपोर्ट 24 घंटे आपकी मदद के लिए तैयार होता है।
एम एस पावरपॉइंट में बिल्ट-इन एनिमेशन टूल आता है, जिसकी सहायता से आप एलिमेंट्स पर विभिन्न एनिमेशन इफेक्ट्स लगाकर उन्हे मजेदार बना सकते है।
इस प्रोग्राम के शुरुआती वर्जन में वीडियो एप्स पर की सुविधा नहीं थी लेकिन अब इसमें वीडियो की सुविधा भी जोड़ दी गई है जिस का सबसे बड़ा लाभ यह है कि आप अपनी स्लाइड को एक वीडियो में बदल सकते है और उसे वीडियो के रूप में डाउनलोड करके विभिन्न वीडियो प्लैटफॉर्म्स जैसे यूट्यूब, टिकटॉक, फेसबुक वीडियो आदि पर शेयर कर सकते है।
Powerpoint सीखने के बाद आप केवल प्रेजेंटेशन ही नहीं बल्कि नौकरी भी पा सकते हैं।
पावर पॉइंट का उपयोग
Powerpoint का उपयोग आप केवल ऑफिस वर्क ही नहीं बल्कि एनिमेशन बनाने के लिए भी कर सकते हैं।
स्लाइट्स एडिट करने, जोडने, हटाने, पिक्चर जोड़ने, एनिमेशन जोड़ना-हटाना, ट्रांजिशन आदि के लिए पावरपॉइंट का इस्तेमाल कर सकते है।
प्रेजेंटेशन के अलावा वीडियो बनाने, हैण्डआउट्स तैयार करने, प्रेजेंटेशन नोट्स बनाने, वक्ता नोट्स बनाने जैसे प्रमुख कामों के लिए भी किया जाता है।
ऑफिसों में अपनी परफॉर्मेंस दिखाने, फैक्ट्रीयों में नए टूल्स की जानकारी देने के लिए भी पावरपॉइंट का इस्तेमाल होता है।
पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन बनाने का तरीका
सबसे पहले आपको  पावर पॉइंट को खोले और इसके लिए स्टार्ट बटन पर क्लिक करके ऑल प्रोग्राम में जाए।
ऑल प्रोग्राम में आपको MS Office का ऑप्शन मिलेगा इसमें जाए और पावर पॉइंट को खोले।
अब आपको New Blank Presentation का ऑप्शन पर क्लिक करे।
होम टेब में आपको New Slide का ऑप्शन है वहाँ से आप जितनी भी चाहे Slide ले सकते है और Insert कर सकते है।
अब आप Text Box को Insert करके अपनी पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन बना सकते है।
आपने जो टैक्स्ट टाइप किया है उसका कलर, फोंट, साइज भी यहाँ से बदल सकते है।
अब Design की तब पर क्लिक करके स्लाइड को डिजाइन भी कर सकते है। इस आप्शन में आपको बहुत सी तरह की डिजाइन मिलेगी जो भी डिजाइन आपको अच्छी लग रही है उसे सिलेक्ट कर लीजिये।
इंसर्ट के टैब से वीडियो, ऑडियो और फ़ोटो भी Add करके लगा सकते है। इसके द्वारा आप बहुत से तरह के शेप भी लगा सकते है।
आप अपनी पावर पॉइंट स्लाइड को किस तरह से शो करवाना चाहते है इसे यहाँ से सिलेक्ट कर सकते है और Effect Apply कर सकते है।
अपने टैक्स्ट पर Effect देने के लिए एनीमेशन का प्रयोग कर सकते है जिस टेक्स्ट पर आप एनीमेशन इफ़ेक्ट देना चाहते है पहले उस Text को सिलेक्ट करना है और फिर Animation की Tab को क्लिक करके एनीमेशन Apply कर दीजिये।
प्रेजेंटेशन चेक करने के लिए Slideshow पर क्लिक करके PPT प्रेजेंटेशन चेक कर सकते है।
अब Presentation Save करने के लिये File Menu में जाकर अपनी Presentation Save कर लीजिये।
Conclusion :-
यह आर्टिकल में हमने
PowerPoint Kya Hai
?  की बेसिक जानकारी देने की कोसिस की है। आप हमारा MS PowerPoint का फुल कोर्स सिख सकते है हमसे जुड़े रहिये, यह आर्टिकल अच्छा लगा तो आपके दोस्तों के साथ शेयर कीजिये, धन्यवाद।PowerPoint क्या है और इसके उपयोग?
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gangaslsoftech · 2 years
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सर्च इंजन क्या है? और सर्च इंजन कैसे काम करता है ? - What is search engine? And how does search engine work?
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इन्टरनेट जो कि सूचनाओं का महासागर है, इस सूचनाओं के विशाल भंडार में से आपके द्वारा खोजी गयी जानकारी को पलक झपकते ही Search Engine आपके सामने ला देता है. पर क्या आप जानते हैं सर्च इंजन क्या है? सर्च इंजन कैसे काम करता है (Search Engine Kaise Kaam Karta Hai)? सर्च इंजन कितने प्रकार के होते हैं? इंडिया का सर्च इंजन कौन सा है? और दुनिया के सबसे लोकप्रिय सर्च इंजन कौन से हैं?
अगर आप इस प्रकार के सभी प्रश्नों का उत्तर जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़ें. इसमें आपको सर्च इंजन से सम्बंधित तमाम प्रश्नों के उत्तर जानने को मिलेंगे.
सर्च इंजन के बारे में एक इन्टरनेट यूजर और एक Blogger दोनों को जानना बहुत जरुरी है. एक यूजर के नजरिये से बात करें तो, आपके मन में यह सवाल कभी न कभी आता होगा कि हम सर्च इंजन (गूगल, याहू बिंग) में कुछ भी Query सर्च करते हैं तो वह सेकंड से पहले हमारे सामने सटीक जानकारी कैसे उपलब्ध करता है.
और अगर एक ब्लॉगर के नजरिये से बात करें तो आप भी जरुर सोचते होंगे कि जिस सर्च इंजन में अपनी वेबसाइट को रैंक करवाने के लिए हम इतना काम करते हैं आखिर वह काम कैसे करता है. एक ब्लॉगर के लिए यह जानना अति आवश्यक ���ो जाता है. चलिए शुरू करते हैं इस लेख को और शुरुवात से जानते हैं Search Engine के बारे में.
सर्च इंजन क्या है (What is Search Engine in Hindi)
सर्च इंजन एक विशेष प्रकार का कंप्यूटर सॉफ्टवेयर है जो किसी भी यूजर द्वारा सर्च की गयी Query को वर्ल्ड वाइड वेब (www) से ढूंड कर यूजर के सामने Search Engine Result Page (SERP) पर दिखाता है.
इन्टरनेट पर कोई भी यूजर जो Query करता है उसे Keyword कहते हैं. सर्च इंजन उस कीवर्ड से Match सारे वेबसाइट को इन्टरनेट के भंडार से खोज कर यूजर के सामने SERP पर दिखाता है.
सभी सर्च इंजन अपने अल्गोरिथम के आधार पर सबसे बेस्ट रिजल्ट यूजर को दिखाता है. जिससे यूजर को उसके Query का संतोषजनक जबाब मिल सके, और उसका सर्च इंजन पर भरोसा बना रहता है. जैसे – गूगल जो कि एक बहुत Popular Search Engine है.
सबसे ज्यादा प्रयोग किये जाने वाले सर्च इंजन (World Most Popular Search Engine)
वैसे दुनिया में बहुत अधिक सर्च इंजन हैं पर मैं आपको उन सर्च इंजन के बारे बताऊंगा जो बहुत अधिक प्रयोग किये जाते हैं.
Google
Bing ( Microsoft Product )
Yahoo
DuckDuckGo
Baidu
Yandex
Ask.com
SpiderWeb
Dogpile
Wolframalpha
भारतीय सर्च इंजन (Indian Search Engine)
भारत में बने कुछ प्रमुख सर्च इंजन निम्नलिखित हैं –
Epic Search
123Khoj
Guruji
Justdial
Rediff
सर्च इंजन कैसे काम करता है (How Does Search Engine Work in Hindi)
किसी भी सर्च इंजन के अपने अल्गोरिथम होते हैं, वह अपने अल्गोरिथम के आधार पर ही यूजर को सटीक जानकारी दे पाते हैं. सर्च इंजन की कार्य प्रणाली बहुत जटिल होती है, इसे समझना आम यूजर के लिए इतना आसान नहीं होता है पर सभी सर्च इंजन के काम करने के कुछ स्टेप होते हैं जो हम आपको बताने जा रहे हैं.
सर्च इंजन के काम करने के मुख्य रूप से 4 स्टेप होते हैं.
Discovery
Crawling
Indexing
Ranking
1 – Discovery (खोज करना)
जब वेबसाइट ओनर अपनी वेबसाइट में कोई नया पेज पब्लिश करते हैं तो सर्च इंजन के रोबोट्स सबसे पहले उस पेज को खोजते हैं. सर्च इंजन को पेज खोजने में आसानी हो इसलिए वेबसाइट ओनर Sitemap का इस्तेमाल करते हैं.
2 – Crawling (क्रॉल करना)
दूसरा स्टेप होता है Crawling का. जिन वेबसाइट या वेबपेजों को सर्च इंजन क्रॉलर खोज लेते हैं इसके बाद उन्हें क्रॉल करते हैं. Crawl का मतलब रेंगना होता है.
जब सर्च इंजन के क्रॉलर (इन्हें Bots, Spider भी कहते हैं) किसी भी वेबसाइट या वेबपेज को क्रॉल करते हैं तो वह उस वेबपेज को समझने की कोशिस करते हैं कि इस वेबपेज में किस विषय के बारे में बात की गयी है. सर्च इंजन के क्रॉलर किसी वेबपेज को निम्न कुछ बातों के आधार पर समझते हैं.
वेबपेज में प्रयोग किये गए कीवर्ड.
वेबपेज का यूआरएल (URL), डिस्क्रिप्शन, टाइटल की मदद से.
3 – Indexing (इंडेक्स करना)
तीसरा स्टेप आता है Indexing का. Indexing का मतलब होता है लिस्ट करना. सर्च इंजन के क्रॉलर Crawling करने के बाद वेबसाइट की Indexing करते हैं. सभी वेबसाइट को समझने के बाद क्रॉलर वेबसाइट की लिस्ट बना लेते हैं. और उन्हें अपने Main Server में स्टोर कर देते हैं.
Main Server में सभी वेबसाइट एक केटेगरी वाइज लिस्ट रहती है. मतलब न्यूज़ की वेबसाइट न्यूज़ की केटेगरी में, हेल्थ की वेबसाइट हेल्थ की केटेगरी में, इसी प्रकार Sports, Tech सभी वेबसाइट केटेगरी वाइज लिस्ट रहती हैं.
एक ब्लॉगर की जानकारी के लिए बता दूँ हम सर्च इंजन को directly यह नहीं कह सकते हैं कि हमारे वेबसाइट को इस केटेगरी में रखो. जैसे माना आपकी वेबसाइट हेल्थ से सम्बंधित है तो आप directly यह नहीं कह सकते हैं कि हमारी वेबसाइट को हेल्थ वाली केटेगरी में रखो.
सर्च इंजन अपने अल्गोरिथम के अनुसार जैसे किसी वेबसाइट को समझता है उसे वही केटेगरी देता है. हाँ हम सर्च इंजन को निर्देश जरुर दे सकते हैं (Meta Tag के प्रयोग द्वारा) कि हमारी वेबसाइट किस टॉपिक से आधारित है.
इसलिए आपने अधिकतर सुना होगा कि Single Niche वेबसाइट जल्दी रैंक कर जाता है, क्योकि Single Niche वेबसाइट को आसानी से केटेगरी मिल जाती है. और Multi Niche वेबसाइट में सर्च इंजन के बोट्स समझ नहीं पाते हैं कि इस वेबसाइट को कौन से केटेगरी में रखे इसलिए Multi Niche वेबसाइट को रैंक करने में अधिक समय लगता है.
4 – Ranking (रैंक करवाना)
सर्च इंजन की कार्य – प्रणाली में अंतिम स्टेप आता है Ranking का. इतना कुछ करने के बाद अब सर्च इंजन किसी भी यूजर की Query के अनुसार सबसे बेहतर रिजल्ट उसे SERP पर दिखाता है. जिस वेबसाइट में सबसे बेहतर जानकारी होती है सर्च इंजन उसे टॉप पर रखते हैं और इसी प्रकार यह क्रम चलते रहता है.
यह थी सर्च इंजन की कार्य प्रणाली, वैसे यह बहुत जटिल होती है लेकिन मैंने आपको सबसे आसान शब्दों में बताया है, जिससे आपको समझ में आ जाये कि Search Engine Kaise Kaam Karta Hai.
Search Engine के प्रकार (Types of Search Engine)
सर्च इंजन मुख्यतः पांच प्रकार के होते हैं.
1 – क्रॉल आधारित सर्च इंजन
इस प्रकार के सर्च इंजन मात्र क्रॉलर, Spider या बोट्स की मदद से चलते हैं. ये सभी एक Computer Program होते हैं. इनमे कोई Human नहीं होते हैं. जैसे – Ask.Com
2 – निर्देश आधार वाले सर्च इंजन
इस प्रकार के सर्च इंजन को कुछ व्यक्तियों की एक टीम निर्देशित करती हैं. इनमे केवल कुछ Selected वेबसाइट ही दिखाई जाती है. जैसे – dmoz.org
3 – Hybrid सर्च इंजन
वे सर्च इंजन जो क्रॉलर आधारित भी होते हैं और Human द्वारा भी निर्देशित किये जाते हैं, उन्हें Hybrid सर्च इंजन कहते हैं. जैसे – Google , Yahoo, Bing.
4 – Meta सर्च इंजन
वे सर्च इंजन जिनके पास खुद डाटा नहीं होता है, पर जब उनमे कुछ सर्च किया जाता है तो वे Google , Yahoo जैसे सर्च इंजन से डाटा लेकर अपने यूजर को दिखाते हैं उन्हें Meta Search Engine कहते हैं. जैसे – DuckDuckGo.
5 – विशेष प्रकार के सर्च इंजन
वे सर्च इंजन जो एक विशेष प्रकार के टॉपिक के लिए बने होते हैं या फिर किसी एक विशेष प्रकार के क्षेत्र के लिए बने होते हैं, विशेष प्रकार के सर्च इंजन कहलाते हैं. जैसे – Justdile , Shopping.yahoo.com.
सर्च इंजन का काम
इन्टरनेट जहाँ पर सूचनाओ का अथाह भंडार है , उससे हमारी पसंद या हमारे द्वारा खोजी गयी जानकारी तुरंत हमें लाकर देता है.
अपनी पसंद की जानकारी तक जल्दी पहुचने में हमारी मदद करता है जिससे हमारा समय बचता है और मेहनत कम लगती है.
सर्च इंजन इन्टरनेट पर सभी वेबसाइट की जानकारी को स्टोर करके रखते हैं, जिससे यूजर किसी भी प्रकार की जानकारी को सर्च इंजन में खोज सकता है.
Conclusion: –
उम्मीद करता हूँ कि अब आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि सर्च इंजन क्या है? और सर्च इंजन कैसे काम करता है ?  आपको मेरे द्वारा लिखा गया यह लेख कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं और इस लेख को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करना न भूलिए.
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gangaslsoftech · 2 years
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डिजिटल मार्केटिंग Sales Funnel क्या है? बिजनेस के लिए Sales Funnel क्यों जरुरी है?
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दोस्तों क्या आप जानते हैं डिजिटल मार्केटिंग
Sales Funnel क्या है?
बिजनेस के लिए Sales Funnel क्यों जरुरी है? और अपने बिज़नस के लिए
Sales Funnel कैसे बनायें?
अगर आपको सेल्स फनल के बारे में जानकारी नहीं है तो इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़िए.
डिजिटल मार्केटिंग के इस दौर में अनेक शब्दों से हमारा पाला पड़ता है जिसमें से एक Sales Funnel भी है. अभी के समय में बिजनेस में बिक्री को बढ़ाने के लिए Sales Funnel का उपयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जा रहा है, लगभग सभी बिज़नस और individual प्रोडक्ट की अधिक बिक्री के लिए सेल्स फनल का इस्तेमाल करते हैं. Sales Funnel प्रोडक्ट की बिक्री की संभवाना को काफी हद तक बढ़ा देता है.
Sales Funnel के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख को अंत तक पढना जरी रखें. तो चलिए शुरू करते हैं बिना किसी देरी के.
सेल्स फनल क्या है (What is Sales Funnel)
Sales Funnel एक ऐसी प्रोसेस है जिसके द्वारा संभावित कस्टमर किसी प्रोडक्ट या सर्विस को खरीदता है. सेल्स फनल को आमतौर पर Purchase Funnel भी कहा जाता है. सेल्स फनल प्रोडक्ट बेचने वाले कंपनी और कस्टमर के बीच एक मजबूत रिलेशन स्थापित करता है जिससे बिक्री की संभावना बढ़ जाती है.
सेल्स फनल यह दर्शाता है कि प्रत्येक बिक्री बड़ी संख्या में संभावित कस्टमर के साथ शुरू होती है और अंत में बहुत कम संख्या के साथ समाप्त होती है, क्योंकि अंत में वही लोग बच जाते हैं जो प्रोडक्ट की वास्तव में खरीददारी करते हैं.
सेल्स फनल के कई सारे स्टेज होते हैं जिन्हें आमतौर पर Top Funnel, Middle Funnel और Bottom Funnel के नाम से जाना जाता है. हालाँकि कंपनी की बिक्री मॉडल के आधार पर यह स्टेज भिन्न हो सकते हैं. कुल मिलाकर कहें तो सेल्स फनल दर्शाता है कि एक संभावित कस्टमर को प्रोडक्ट की खरीददारी करने तक किन स्टेज से गुजरना पड़ता है.
सेल्स फनल का मतलब क्या है?
Funnel को हिंदी में हम कीप कहते हैं. कीप को आपने देखी ही होगी जिसका उपरी भाग बहुत चौड़ा होता है और जैसे – जैसे यह नीचे की ओर बढ़ता है इसकी चौड़ाई घटती जाती है. इसी प्रकार से Sales Funnel में भी शुरुवाती स्टेज में बहुत अधिक संख्या में ऑडियंस होती है और जैसे – जैसे वह प्रोडक्ट खरीदने की तरफ बढती है तो उनकी संख्या कम हो जाती है.
Sales Funnel काम कैसे करता है?
Sales Funnel को अच्छी प्रकार से समझने के लिए हम यह समझने की कोशिस करते हैं कि आखिर यह सेल्स फनल काम कैसे करती है. सेल्स फनल 4 स्टेज में काम करती है जो कि इस प्रकार से हैं – Awareness, Interest, Desire और Action. इन्हें short फॉर्म में AIDA (ऐडा) भी कहते हैं.
#1 – Awareness (जागरूकता)
जब भी कोई कंपनी अपना नया प्रोडक्ट लांच करती है तो सबसे पहले वह विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर लोगों को अपने प्रोडक्ट के बारे में बताती है, यानि कि वह अपने प्रोडक्ट के बारे में लोगों को Aware करती हैं. Awareness के द्वारा कंपनी को Market Potential का पता चलता है मतलब कि उन्हें संभावित कितने कस्टमर मिल पायेंगें.
पहले के समय में कंपनियां अपने प्रोडक्ट की Awareness create करने के लिए टीवी विज्ञापनों, समाचार पत्रों, मार्केट ब���नर, pamphlet इत्यादि का इस्तेमाल करती थी. प्रोडक्ट को प्रमोट करने के ये ट्रेडिशनल तरीके आज भी बहुत अधिक मात्रा में इस्तेमाल होते हैं.
चूँकि आज का दौर डिजिटल मार्केटिंग का है इसलिए अधिकांश कंपनियां फेसबुक एड्स, गूगल एड्स, सोलो एड्स जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर विज्ञापन चलाकर अपने प्रोडक्ट को प्रमोट करती है. Awareness की स्टेज में ऑडियंस की संख्या बहुत अधिक होती है.
#2 – Interest (रूचि)
जब कंपनी अपने प्रोडक्ट की Awareness बनाती है तो उसमें से कई सारे लोग प्रोडक्ट में Interest दिखाते हैं, यानि उन्हें आपके प्रोडक्ट में रूचि है. जब भी आप अपने प्रोडक्ट की Awareness बना रहे हैं तो आपको अधिक से अधिक प्रोडक्ट का प्रचार करना चाहिए तभी जाकर लोग आप पर भरोसा करेंगें, और आपके प्रोडक्ट में interest दिखायेंगें.
जिस भी व्यक्ति को प्रोडक्ट में interest होता है वह विज्ञापन पर क्लिक करके कंपनी की वेबसाइट विजिट करता है, अपना नाम, नंबर या ईमेल एड्रेस को फॉर्म में सबमिट करता है, या कंपनी के Newsletter को सब्सक्राइब करता है. ट्रेडिशनल मार्केटिंग में ��िन लोगों को प्रोडक्ट में interest होता है वह कम्पनी से संपर्क करते हैं.
Awareness की स्टेज में ऑडियंस बहुत अधिक संख्या में होती है लेकिन Interest के स्टेज में यह ऑडियंस फ़िल्टर हो जाती है. उदाहरण के लिए माना आपने 10 लाख लोगों को अपने प्रोडक्ट की Ad दिखाई तो उसमें में केवल 4 लाख ही प्रोडक्ट में interest दिखाएंगें. आप प्रोडक्ट में Interest दिखाने वाले लोगों को अपना कस्टमर नहीं समझ सकते हैं, क्योंकि आपको पता नहीं है कि वे लोग आपके प्रोडक्ट को लेंगें या नहीं.
#3 – Desire (इच्छा)
Sales Funnel के अगले स्टेज में आता है Desire यानि कि इच्छा. चूँकि अब आपके पास प्रोडक्ट में Interest रखने वाले लोगों की Contact Detail है इसलिए आप लोगों के अन्दर Desire पैदा कर सकते हैं कि वह आपके प्रोडक्ट को खरीदें.
Desire पैदा करने के लिए आपको ऑडियंस से एक अच्छा Relation बनाना पड़ता है. आपको ऑडियंस को बताना पड़ेगा कि किस प्रकार से आपका प्रोडक्ट उनके लिए फायदेमंद है, क्यों उन्हें आपका प्रोडक्ट खरीदना चाहिए.
इसके अलावा आप ऑफर की जानकारी, प्रोडक्ट की अपडेट, स्पेशल डिस्काउंट आदि के बारे में भी ऑडियंस को बता सकते हैं. इससे लोगों का आप पर भरोसा बढेगा और प्रोडक्ट बिकने की संभावना बढेगी.
इस स्टेज में ऑडियंस और अधिक फ़िल्टर हो जाती है, जैसे 4 लाख लोगों ने प्रोडक्ट में Interest दिखाया तो इसमें से 1 लाख लोगों के अन्दर प्रोडक्ट खरीदने का desire पैदा होगा.
#4 – Action (कार्यवाही)
फनल के इस स्टेज में आते हैं आपके कस्टमर यानि जो लोग आपका प्रोडक्ट खरीदते हैं. जब आप मार्केटिंग में Awareness, Interest और Desire की स्टेज को कम्पलीट कर लेते हैं तो अंत में आपको अपने कस्टमर मिल जाते हैं. यहाँ पर फनल और छोटी हो जाती है. जैसे 1 लाख लोगों के अन्दर आपके Desire पैदा किया तो उसमें से केवल 30 हजार ही आपका प्रोडक्ट खरीदेंगें.
बाकी जो 70 हजार लोग हैं जिनके मन में आपने Desire पैदा किया था आप उन्हें भी Continue प्रोडक्ट की Ad दिखा सकते है या कंपनी के ऑफर, डिस्काउंट आदि के बारे में बता सकते हैं. इससे भविष्य में संभावना होगी कि उन 70 हजार में से 20 हजार कन्वर्ट हो जाये.
तो दोस्तों इस प्रकार से डिजिटल मार्केटिंग में Sales Funnel काम करती है. आपने ऊपर उदाहरण से देखा ही होगा कि किस प्रकार से लोग हर स्टेज में फ़िल्टर हो रहे हैं और एक फनल बना रहे हैं. अंत में आपके पास केवल वही लोग बचते हैं जो आपके संभावित कस्टमर बन सकते हैं.
Sales Funnel कैसे बनायें?
जैसा कि अभी तक इस लेख में आपना देखा कि Sales Funnel आपके बिज़नस के लिए कितना प्रभावी है, चलिए अब जानते हैं कि कैसे आप अपने बिज़नस के लिए एक सेल्स फनल बना सकते हैं.
सेल्स फनल बनाने के लिए आपको स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए कि आपका प्रोडक्ट किन लोगों के लिए है तभी आप सही Targeting कर पायेंगें, और अपने Potential ऑडियंस को ही अपने Ad दिखा सकेंगें. यहाँ हमने आपको तीन स्टेप में बिज़नस के लिए सेल्स फनल बनाने की प्रोसेस बताई है.
#1 – एक लैंडिंग पेज बनायें
सबसे पहले आपको अपने प्रोडक्ट के लिए एक लैंडिंग पेज बना लेना है, लैंडिंग पेज में आपके प्रोडक्ट की Information होती है. आप टेक्स्ट या विडियो फॉर्म में प्रोडक्ट की इनफार्मेशन लोगों को दे सकते हैं. जब आप ऑनलाइन विज्ञापन चलाते हैं तो आपको इस लैंडिंग पेज का इस्तेमाल करना है. यानि कि यूजर विज्ञापन पर क्लिक करके आपके लैंडिंग पेज तक पहुंचेंगें.
इसके साथ ही आप लैंडिंग पेज पर एक फॉर्म जरुर लगायें जिसमें लोग अपना नाम, नंबर और ईमेल सबमिट कर सकते हैं. जब आपके पास लोगों की Contact Detail आ जाती है तो आप उनसे लम्बे समय तक संवाद कर सकते हैं.
#2 – लीड जनरेट करें
जैसा कि ऊपर वाले पॉइंट में आपने पढ़ा कि लैंडिंग पेज में एक फॉर्म लगाना जरुरी है जिससे कि आप Lead Generate कर पायेंगें. आसानी से लीड जनरेट करने के लिए आप लोगों को कुछ वैल्यू प्रदान करें जिससे कि उनके फॉर्म को fill करने की संभावना बढ़ सके.
लीड जनरेट करने के लिए आप Lead Magnate का इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे आप उन लोगों के ईमेल एड्रेस पर एक फ्री eBook भेज सकते हैं जिन्होंने फॉर्म को fill किया है. या अगर आपका कोई सॉफ्टवेयर है तो आप कुछ दिनों का फ्री ट्रायल दे सकते हैं. अगर आप लोगों को कुछ वैल्यू प्रदान करेंगें तो आपको अधिक से अधिक Lead मिल पायेंगीं.
#3 – ऑडियंस से रिलेशन बनायें
जब आपके पास लीड आ जाती है फिर सबसे महत्वपूर्ण बिंदु आता है कि लीड को कस्टमर में बदलने का. चूँकि अब आपके पास अपने लक्षित ऑडियंस के ईमेल एड्रेस हैं तो आप प्रोडक्ट के ऑफर, डिस्काउंट इत्यादि की जानकारी उन्हें मेल कर सकते हैं. कहने का मतलब है आपको उनके मन में Desire पैदा करना है.
आपको नियमित रूप से ऑडियंस को ईमेल भेजने चाहिए ताकि आपका उनसे अच्छा रिलेशन बन पायें और वह वह आप पर भरोसा कर पायें. जितनी अच्छी तरह से आप लोगों को अपने प्रोडक्ट से कनेक्ट कर पायेंगें उतनी ही अधिक आपकी बिक्री होगी. तो इस प्रकार से आप भी अपने बिज़नस के लिए Sales Funnel बना सकते हैं और बिज़नस को Next Level पर ले जा सकते हैं.
Sales Funnel के फायदे
आपके बिज़नस के लिए Sales Funnel बहुत महत्वपूर्ण है, इसकी मदद से आप अपनी बिक्री को बढ़ा सकते हैं. सेल्स फनल के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं –
सेल्स फनल से आप अपनी Advertising Cost को कम कर सकते हैं, क्योंकि इसके हर स्टेज में ऑडियंस फ़िल्टर हो जाती है. इसलिए आप विज्ञापन केवल उन्हीं को दिखा सकते हैं जिन्होंने आपके प्रोडक्ट को interest है.
Sales Funnel से आपको अपने वास्तविक कस्टमर मिलते हैं.
आपको प्रोडक्ट के बारे में केवल उन्हीं लोगों को बताना पड़ेगा जो प्रोडक्ट खरीदने की इच्छा रखते हैं.
सेल्स फनल प्रोडक्ट की बिक्री को आसान बना देते हैं, जिससे प्रोडक्ट बिक्री की संभावना बढ़ जाती है.
Sales Funnel से आप एफिलिएट प्रोडक्ट में अच्छे कन्वर्शन प्राप्त कर सकते हैं.
Sales Funnel बनाने के लिए सॉफ्टवेयर
आर्टिकल को यहाँ तक पढने पर आप समझ गए होंगें कि Sales Funnel Kya Hai, चलिए अब सेल्स फनल बनाने वाले कुछ बेस्ट सॉफ्टवेयर के बारे में भी जान लेते हैं.
मार्केट में आपको ढेर सारे सॉफ्टवेयर मिल जायेंगे जिनकी मदद से आप एक आकर्षक Sales Funnel बना सकते हैं. इनमें से अधिकतर सॉफ्टवेयर पेड होते हैं लेकिन यहाँ पर आप कुछ फनल फ्री में बना सकते हैं और कई सॉफ्टवेयर आपको 14 दिन या 1 महीने का फ्री ट्रायल भी देते हैं.
सेल्स फनल बनाने के लिए कुछ बेस्ट सॉफ्टवेयर निम्नलिखित हैं –
ClickFunnel
GrooveFunnel
Get Response
Builderall
Systeme.io
Karta इत्यादि.
FAQ: Sales Funnel Kya HaiQ – डिजिटल मार्केटिंग में सेल्स फनल क्या है?
Sales Funnel एक मार्केटिंग टर्म है जो एक संभावित कस्टमर की प्रोडक्ट खरीदने तक की journey को दर्शाता है.
Q – सेल्स फनल की चार स्टेज क्या हैं?
सेल्स फनल की चार स्टेज Awareness, Interest, Desire तथा Action हैं जिन्हें हिंदी में क्रमशः जागरूकता, रूचि, इच्छा और कार्यवाही कहते हैं. Short फॉर्म में इसे AIDA कहा जाता है.
नोट्स :-
अगर अभी भी आपके मन में इस लेख से जुड़े कोई प्रश्न हैं तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं हम जल्दी ही आपके सवालों का जवाब देने की कोशिस करेंगें. अगर आपको यह लेख पसंद आया तो इसे आप सोशल मीडिया पर अपने दो��्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.
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gangaslsoftech · 2 years
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फुल स्टैक डेवलपर किसे कहा जाता है ? हिंदी में जानें
आप अगर सॉफ्टवेयर फील्ड से जुड़े हुए हो तो आप हमेशा ही full stack developer यह शब्द सुनते होंगे। लेकिन आपने कभी यह जानने की कोशिश  की full stack developer क्या होता है ? तो आज हम आपको full stack developer बारे में बताएंगे किसे कहा जाता है . वैसे तो सॉफ्टवेयर कंपनी में बहुत से डेवलपर काम करते है तो क्या वह सब फुल स्टैक डेवलपर होते है ? लेकिन यह गलत है डेवलपर भी कई  प्रकार होते है. जैसे  Backend Developer, Frontend Developer, Full stack Developer इत्यादि प्रकार प्रमुखता से होते है. मै खुद भी एक Full Stack Developer हु तो मुझे यह आपको समझाने में आसानी होगी.
Full Stack Developer किसे कहा जाता है ?
Full Stack Developer उस व्यक्ति या डेवलपर को कहा जाता है जो Backend, Frontend और अलग-अलग लेयर पर काम कर सकता है. जिसे की अच्छे से नॉलेज होती हैऔर वह सॉफ्टवेयर डेवलोपमेंट में माहिर होता है.
फुल स्टैक डेवलपर की मांग दिनों-दिन तेजी से बढ़ रही है जिसका मुख्य कारन है सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में आने वाला परिवर्तन और सॉफ्टवेयर इंजीनियर की बढ़ती संख्या. मार्किट में बहुत सारे सॉफ्टवेयर इंजीनियर हो गए है जिसके कारन सॉफ्टवेयर कंपनी उनमे से सबसे अच्छे सॉफ्टवेयर इंजीनियर को ढूंढती है और काम देती है.
तो ज्यादातर सॉफ्टवेयर कंपनी Full Stack Developer को ही ज्यादा महत्व देती है. क्योंकि Full Stack Developer एक ऐसा व्यक्ति होता है जो Frontend Developer, Backend Developer के काम अकेला ही कर सकता है. हमने यह तो जान लिया की Full Stack Developer किसे कहा जाता है. जिसमे हमने देखा की Full Stack Developer Frontend Developer और Backend developer दोनों का काम कर सकता है. जिसमे हमने Frontend Developer और Backend Developer देखा अब हम विस्तार से जानते है.
Frontend Developer क्या है ?
जो डेवलपर Frontend टेक्नोलॉजीस पर काम करता है उसे Frontend Developer कहा जाया है. Frontend Developer HTML, CSS और JavaScript जैसी Frontend टेक्नोलॉजीस पर काम करता है. फ्रॉंटेंड डेवलपर जो भी डिज़ाइन बनता है उससे सीधे यूजर का interaction होता है. Frontend Developer को क्लाइंट साइड डेवलपर भी कहा जाता है. क्योंकि वह क्लाइंट साइड टेक्नोलॉजी पर काम करता है.
Backend Developer क्या है ?
जो डेवलपर Backend टेक्नोलॉजीस पर काम करता है उसे Backend Developer कहा जाया है. Backend Developer PHP, .Net, Python, Java जैसी Backend टेक्नोलॉजीस पर काम करता है. बैकेंड डेवलपर जो भी कोड करता है उससे सीधे यूजर का interaction नहीं होता. यह कोड Frontend को डेटाबेस से कनेक्ट करता है। Backend Developer को सर्वर साइड डेवलपर भी कहा जाता है. क्योंकि वह सर्वर साइड टेक्नोलॉजी पर काम करता है.
Full Stack Developer क्या है ?
Frontend Developer और Backend Developer को मिला दे तो बन जाता है Full Stack Developer. जो Backend और Frontend दोने Developer’s के काम अकेला ही कर सकता है. जिसमे वह क्लाइंट साइड की HTML, CSS और JavaScript और सर्वर साइड की PHP, .Net, Python, Java Technologies पर अकेला ही काम करता है.
Full Stack Developer क्या काम करता है ?
हमने यह तो जान लिया की Full Stack Developer क्या होता है. लेकिन क्या आपको पता है की Full Stack Developer क्या काम करता है? अगर आपको नहीं पता तो अब हम जानते है की फुल स्टैक डेवलपर क्या काम करता है.
निचे दिए गए सभी काम Full Stack Developer को करने होते है. जिसमे उसे अनुभव की भी आवश्यकता होती है.
Frontend Work क्या काम करता है ?
किसी भी वेबसाइट या सॉफ्टवेयर की डिज़ाइन करना Full Stack Developer का सबसे पहला काम होता है. जिसमे वह क्लाइंट के लिए Frontend एप्लीकेशन बनता है. जिसमे वह HTML, CSS और JavaScript जैसी क्लाइंट साइड टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है और कोड लिखता है. किसी भी वेबसाइट या सॉफ्टवेयर की Frontend डिज़ाइन को उसका आयना कहा जाता है. क्योंकि Frontend से सीधा यूजर का संबंध आता है ,जिसमे वह सॉफ्टवेयर को इनपुट देता है और आउटपुट भी देखता है.
Frontend/Client Side Technologies –
HTML
CSS
JavaScript
Angular
Backend Work क्या काम करता है ?
जैसे की आपने देखा की Full Stack Developer को backend पर भी काम करना होता है. backend का काम ज्यादा आसान नहीं होता ,क्योंकि इसमें Frontend को डेटाबेस से कनेक्ट करना होता है. backend की कोडिंग करने के लिए सर्वर साइड टेक्नोलॉजीस का उपयोग किया जाता है. बैकेंड साइड की कोडिंग से ही हमे डेटाबेस की कनेक्टिविटी की कोडिंग भी करनी होती है. backend डेवलपर का काम Frontend डेवलपर की तुलना में काफी मुश्किल भरा होता है.
Backend/Server Side Technologies –
PHP
Java
C# / .Net
Ruby
C / C++
Python
Database क्या काम करता है ?
Full Stack Developer को डेटाबेस की थोड़ी बहुत नॉलेज की आवश्यकता होती है. क्योंकि Full Stack Developer Backend पर भी खुद काम करता है ,जिस कारन उसे Frontend को Backend / server साइड की कोडिंग की मदत से डेटाबेस से कनेक्ट करना होता है. इसी कारन उसका डेटाबेस से भी संबंध आता है. इस��� कारन Full Stack Developer को डेटाबेस के भी बेसिक नॉलेज की आवश्यकता होती है. कहिबार फुल स्टैक डेवलपर ही प्रोजेक्ट के लिए डेटाबेस भी बनता है. अगर प्रोजेक्ट छोटा हो तो वह डेटाबेस भी खुद से ही बनता है. इसी कारन फुल स्टैक डेवलपर को SQL और अन्य डेटाबेस जैसे की NoSql की भी थोड़ी बहुत नॉलेज होनी चाहिए।
Databases –
My SQL
Oracle
MsSQL
MongoDB (No SQL)
MariaDB
Full Stack Developer कैसे बने ?
जैसे की हमने पहले देखा की Full Stack Developer किसे कहा जाता है और वह क्या काम करता है ? यह सब जानने के बाद आपके भी मन में Full Stack Developer बनाने की इच्छा जरूर हुयी होगी. तो चलिए जानते है की आखिर Full Stack Developer कैसे बन सकते है.
आपका प्रोग्रामिंग स्किल अच्छा होना आवश्यक है.
आपको Frontend Technologies अच्छे से पता करनी चाहिए. जिसमे आपको HTML, CSS और JavaScript जैसी बेसिक Frontend टेक्नोलॉजी सीखनी होगी.
Full Stack Developer Backend Technologies पर भी काम करता है. तो आपको Frontend के बाद Backend Technologies भी अच्छे से सीखनी होगी.
जिसमे आप PHP, Java, C# / .Net, Ruby, C / C++, Python या अन्य सर्वर साइड language में से कोई भी एक सर्वर साइड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सिख सकते हो.
जैसे की Full Stack Developer को डेटाबेस से कनेक्टिविटी भी करनी होती है. इसी कारन आपको अलग-अलग डेटाबेस का बेसिक नॉलेज भी लेगा होगा. जिसमे आप प्रमुखता My SQL, Oracle, MsSQL, MongoDB (No SQL), MariaDB इन डेटाबेस की ओर ध्यान दे सकते है.
कही बार Full Stack Developer को अलग-अलग लेयर पर काम करना होता है. जिसमे कहिबार उसे सिक्योरिटी लेयर पर भी काम करना पड़ सकता है. इसीलिए आपको इसकी भी थोड़ी बहुत जानकारी होनी चाहिए.
निर्देश:-यदि फुल स्टैक डेवलपर किसे कहा जाता है?(
Who is known as Full Stack Developer
?) के बारे में अभी आपके मन में कोई सवाल है तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें.Full Stack Developer के बारे में जानकारी कैसा लगा कृपया
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gangaslsoftech · 2 years
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ग्राफिक डिजाइन क्या है? और इसका उपयोग किन किन क्षेत्रों में किया जाता है? -What is Graphic Design and in what fields is it used?
Tumblr media
ग्राफिक डिजाइन क्या हैं? (Graphic Design Kya Hai) ग्राफिक डिजाइन की सहायता से हम किसी वस्तु के आकार उस���े स्थान एवं उसकी संरचना में परिवर्तन कर सकते हैं। यह हमें एक उत्तम व्यवसाय प्रदान करने का कार्य करता हैं। जिसकी सहायता से हम घर बैठे या फिर नौकरी कर अच्छा खासा वेतन प्राप्त कर सकते हैं।
यह आधुनिक तकनीकी के क्षेत्र में सर्वोत्तम मांग हैं। प्रत्येक डिजिटल कंपनी या IT के क्षेत्र से जुड़ी कंपनिया एवं Advertisement से जुड़े क्षेत्रों में इस कौशल का उपयोग अधिक मात्रा मे किया जाता हैं।
ग्राफिक डिजाइनर क्या हैं?
Graphic Designer वह होते हैं, जो किसी दृश्य सामग्री के सिद्धांतों में परिवर्तन करते हैं और वह परिवर्तन उस दृश्य सामग्री के रेखा, आकार , रंग, स्थान, संतुलन आदि में किया जाता हैं। जैसे उसके Background में परिवर्तन करना एवं उस दृश्य सामग्री में अपनी आवश्यकता अनुसार अन्य सामग्रियों को जोड़ना।
यह दृश्य सामग्री मे Text जोड़ने एवं उस Text के साथ, रंग, आकार आदि में परिवर्तन करने का कार्य करते हैं। हम जिन वस्तुओं एवं ब्रांड Advertisement को TV, Mobile, Internet आदि में देखते हैं, उन समस्त सामग्रियों का निर्माण Graphic Designers द्वारा ही किया जाता हैं।
ग्राफिक डिजाइनर रुचि एवं कौशलों से युक्त व्यवसाय हैं, जो व्यक्ति को रचनात्मक शैली प्रदान करने एवं नई पहचान बनाने मे उसकी सहायता करता हैं। इनके माध्यम से हम अपने विचारों या सिद्धांतो को दृश्य रूप में परिवर्तित कर उसे अन्य लोगों के सम्मुख रख सकते हैं।
Graphic Designer को “Communication designers” के रूप में भी देखा जाता हैं, क्योंकि इसके माध्यम से वह अन्य लोगों तक अपनी बात ���वं योजनाओं को विशेष रूप से प्रकट कर पाते हैं।
ग्राफ़िक डिज़ाइन का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है?
अक्सर लोग ग्राफिक डिजाइन को एक ही फील्ड के रूप में देखते है। लेकिन वास्तव में इस एक ही क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की जॉब्स है। हालाँकि कुछ ग्राफिक डिजाइनर कई प्रकार के प्रोजेक्ट पर काम करते हैं, लेकिन ग्राफ़िक डिज़ाइन का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है :-
1. Logo Designerइस व्यवसाय के माध्यम से हम अनेकों कंपनियों, दुकानों, वेबसाइट आदि क्षेत्रों के Brand से संबंधित उनकी Identity निर्माण का कार्य करते हैं। इसके माध्यम से हम किसी व्यवसाय की Identity का निर्माण करते हैं।
2. Marketing Designerयह किसी क्षेत्र से संबंधित वस्तुओं का प्रचार-प्रसार करने का माध्यम हैं। इसके माध्यम से Graphic Design का उपयोग वस्तु की बिक्री बढ़ाने या
Brand
को प्रसिद्ध करने के लिए किया जाता हैं।
3. Video and Film Designerयह एक ऐसा व्यवसाय हैं जिसमें किसी चलती दृश्य सामग्री (Video) के Background, रंग, आकार या उसमें किसी भी अन्य प्रकार की सामग्री को जोड़ने आदि का कार्य करता हैं। यह Graphic Design से संबंधित एक उत्तम व्यवसाय का क्षेत्र हैं, जिसमे अपने कौशलों एवं अनुभवों का उपयोग किसी गतिशील दृश्य सामग्री को Audio और Visual रूप में परिवर्तन करने हेतु किया जाता हैं।
4. Creative Art Designerयह व्यवसाय पूर्ण रूप से अपनी रुचि पर निर्भर करता हैं। इसकी सहायता से व्यक्ति अपने कौशलों के आधार पर किसी दृश्य सामग्री का उपयोग कर उसको अपने द्वारा निर्धारित मूल्य पर बेचते हैं।
5. Packaging Designerइस Graphic Design के माध्यम से वस्तु के निर्यात में सुरक्षा प्रदान करने हेतु लेबल का निर्माण करा जाता हैं। इस प्रकार के व्यवसाय में कार्य करने हेतु ग्राफिक डिजाइनर्स को
CAD Software
की आवश्यकता पड़ती हैं। जिसकी सहायता से वह अपनी आवश्यकता अनुसार दृश्य की संरचना में परिवर्तन करते हैं।
6. Web Designerयह व्यवसाय ग्राफिक डिजाइनर्स को घर बैठे अपने कौशलों का उपयोग करने की अनुमति देता हैं। इसकी सहायता से वह विभिन्न प्रकार की
Websites
के पेज, लोगो एवं उसकी संरचना में परिवर्तन करने का कार्य करते हैं।
7. Multimedia Designerइस व्यवसाय का अधिक उपयोग फ़िल्म इंडस्ट्री और Advertisement से जुड़े क्षेत्रों के लिए किया जाता हैं। इसमे Animations की सहायता से दृश्य सामग्री की संरचना में बदलाव कर उसे आकर्षित बनाने का कार्य किया जाता हैं।
8. Advertising Designerयह डिज़ाइनर अपनी कला का उपयोग किसी कंपनी से जुड़े उत्पाद वस्तुओं का प्रचार-प्रसार करने उन्हें बेचने एवं लोगों का उस वस्तु की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए करते हैं। यह Graphic Design में सबसे अधिक आय का स्रोत प्रदान करने वाला मुख्य साधन हैं। इस व्यवसाय की मांग भी
Market
में अत्यधिक मात्रा में हैं।
Graphic Design के लिए आवश्यक Skills
Graphic Design या किसी कार्य को भी करने हेतु उस क्षेत्र से जुड़े विभिन्न प्रकार के कौशलों की आवश्यकता होती हैं। जो व्यक्ति को उस कार्य को अधिक समय तक करने एवं उस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने हेतु उसकी सहायता करती हैं। एक सफल Graphic Designer बनने के लिए निम्न कौशलों की आवश्यकता पड़ती हैं।
1.रचनात्मक कौशल (Creative skill)
– यह आपको अपने कार्य मे नए विचारों को सम्मिलित करने का कौशल प्रदान करता है। इसकी सहायता से आप अपने कार्य को दूसरे से भिन्न रूप से प्रदर्शित कर सकते हैं। यह आपको अपने कार्य मे सफल बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।
2.तकनीकी कौशल (Technical skill)
– इसके अंतर्गत आपके अंदर Coding, HTML और दृश्य सामग्री की संरचना में परिवर्तन हेतु सहायक software का ज्ञान होना और उसमें अपनी अच्छी पकड़ बनाना अत्यंत आवश्यक है। यह आपको अपने कार्य को उत्तम तरीके से करने में आपकी सहायता करता है। यह आपके समय की बचत करता है। इसकी सहायता से आप अपने विचारों और Ideas को जल्द मूर्त रूप प्रदान कर सकते हैं।
3.संचार कौशल (Communication skill)
– यह आपके कार्य मे विस्तार करने एवं अपने विचारों और योजनाओ को अपने ग्राहकों को उत्तम रूप से समझाने या प्रस्तुत करने में अपनी सहायता करता हैं। जिससे market में आपकी पहचान बढ़ती हैं और लोग अपना काम आपसे ही करवाने में तत्पर रहते हैं।
4.फोटोग्राफी (Photography)
– यह Advertisement के क्षेत्र में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका के रूप में कार्य करता हैं। इस कौशल की सहायता से आप किसी वस्तु या द्रश्य को अपने अनुरूप capture कर उसे आकर्षित रूप प्रदान कर सकते हैं।
5.योजना (Planning)
– यह आपके कार्य की सबसे बड़ी मांग हैं। आपकी योजना जितनी प्रभावशाली एवं आकर्षित होगी। आपकी योजना आपके कार्यो एवं अनुभवों को दर्शाने का कार्य करती हैं। आपकी योजना के अनुरूप लोग आपके कार्य करने के तरीकों को जान पाते हैं।
6.समस्या-समाधान कौशल (Problem solving skill)
– यह कौशल आपके कार्यो में उत्पन्न समस्याओ के समाधान हेतु अत्यंत आवश्यक हैं। इसकी सहायता से आप अपने कार्यों को सरलतापूर्वक सम्पन्न कर सकते हैं। यह प्रत्येक जटिल परिस्थिति से निपटने मे आपकी सहायता करता हैं।
7.अनुभव कौशल (Experience skill)
– यह आपको अपने कार्य मे दक्षता प्रदान करने का कार्य करता हैं। इसकी सहायता से आप अपने कार्य को कम समय एवं कम लागत में पूर्ण कर पाते हैं।
8.फोटोशॉप, इलस्ट्रेटर और इन-डिजाइन कौशल (Photoshop, Illustrator & In Design skill)
– यह सभी कौशल Graphic Design का कार्य उत्तम तरीके से करने का साधन हैं। इनकी सहायता से आप द्रश्य सामग्री के रंग, आकार, संरचना, रेखा, Background, Effeteness एवं अपने विचारों को द्रश्य रूप प्रदान करने में सहायक हैं।
Conclusion:-
तो दोस्तो आज आपने इस पोस्ट के माध्यम से जाना कि
ग्राफिक डिजाइनिंग
क्या है, और इसका उपयोग किन किन क्षेत्रों में किया जाता है? अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो हमें
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gangaslsoftech · 2 years
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ड्रीम 11 से पैसे कैसे कमाए 2022 {3000-4000 रूपए रोज } - How to earn money from dream 11 2022 {3000-4000 Rupees per day}
दोस्तो क्या आप गूगल पर सर्च करते हैं dream11 से पैसे कैसे कमाए? तो यह भी पोस्ट आपके लिए है लोग लाखों नहीं करोड़ों कमा रहे हैं तो आप लाखों तो कमा ही सकते हैं, dream11 se paise kaise kamaye 2022? एक बहुत ही बड़ा और एक अलग तरीका है पैसे कमाने का ज्यादा जानकारी के लिए पोस्ट को कंप्लीट पढ़ना जिससे आपको सही जानकारी मिलेगी लोग कैसे कमा रहे हैं। Dream11 Se Paise Kaise Kamaye के बारे में यदि आप विस्तार में जानना चाहते हैं, तब आप बिल्कुल सही साइट पर आए हैं। Dream11 एक बहुत ही लोकप्रिय पैसे कमाने वाला गेम है, और शायद आपने भी इस ऐप का Ads लगभग हर जगह देखा होगा चाहे टीवी हो या यूट्यूब वीडियो, परंतु क्या आप Dream11 से पैसे कैसे कमाए के बारे में विस्तार में जानना चाहते हैं, यदि हां तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
Dream 11 क्या होता है?
Dream11 अभी के समय में भारत का सबसे अच्छा और लोकप्रिय Fantacy Sports App है, यदि आपके पास क्रिकेट खेल का अच्छा जानकारी है, तब आप Dream11 खेल में भाग लेकर घर बैठे लाखों रुपए कमा सकते हैं। Dream11 Fantasy App के विज्ञापन पर आप लोगों ने भारत के पूर्व क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के साथ और भी कई बड़े-बड़े क्रिकेट प्लेयर को देखे होंगे और आप इसीसे अंदाजा लगा सकते हैं कि यह प्लेटफॉर्म कितना सुरक्षित है।
इस Dream11 गेम में आपको क्रिकेट खेल का प्रेडिक्शन करना  होता है, मान लीजिए कि RCB के साथ KKR का मैच चल रहा है, तब आपको इस ऐप में सर्वप्रथम कोई टीम का चयन करना होता है, कि कौन सा टीम इन दोनों टीम से जीतेगा, उसके बाद आपको प्लेयर को सिलेक्ट करना होता है, यदि आपके द्वारा सिलेक्ट किया गया प्लेयर अच्छा स्कोर करता है, तब आप इस Dream 11 App से पैसे जीत जाते हैं।
Dream11 से पैसे कैसे कमाएं ?
यदि आप सोच रहे हैं कि इस गेम को खेल कर आप लाखों रुपए कमा सकते हैं, तब आप गलत है क्योंकि इस गेम से आप लाखों रुपए तो नहीं, परंतु ₹1000 या ₹50,000 तो आसानी से कमा सकते ही है। आपके जानकारी के लिए बता दें कि इस खेल से पैसे कमाने के लिए आप लोगों को खुद से भी कुछ पैसे Invest करना पड़ता है।
इस Dream11 से आप पैसा जीत पाते हैं या नहीं यह केवल आपके क्रिकेट Team सिलेक्ट करने पर ही निर्भर करता है, क्योंकि यदि के द्वारा चयन किया गया टीम अच्छा रैंक करता है, केवल तभी आप इस खेल से पैसे जीत पाते हैं अन्यथा नहीं। Dream11 गेम के सहायता से आप Fantasy गेम खेलकर और Refer And Earn के मदद से पैसे कमा सकते हैं।  अब अगर Dream11 Se Paise Kaise Kamaye के तरीके के बारे में बताएं तो वह है -
Step 1:- यदि आप Dream11 से पैसे कमाना चाहते है, तब आपको सबसे पहले Dream11 के ऑफिशियल साइट से, Dream11 को डाउनलोड कर लेना होगा। आप चाहे तो नीचे Download के ऑप्शन पर क्लिक करके भी Dream11 ऐप को Download कर सकते हैं।
Download
Step 2:- Dream11 गेम को डाउनलोड कर लेने के बाद, आपको रजिस्टर के ऊपर क्लिक करना है, और फिर फोन नंबर और ईमेल आईडी को Dream11 पर Verify करके अकाउंट बना लेना होगा।    
Step 3:- Dream11 पर अकाउंट बना लेने के बाद तुरंत आपके अकाउंट पर कुछ बोनस प्वाइंट ऐड हो जाएगा, जिसका इस्तेमाल आप इस ऐप पर फेंटेसी गेम खेलने वक्त कर सकते हैं।
Step 4:- Dream11 से पैसे कमाने के लिए आपको Dream11 के ऐप को Open कर लेना होगा, फिर आपको बहुत सारा मैच देखने को मिल जाएगा आप जिस भी मैच में भाग लेना चाहते हैं, उस पर आपको क्लिक कर देना होगा।
Step 5:- Match पर क्लिक कर देने के बाद आपको टीम को Selected कर लेना होगा, जो टीम आपको लग रहा है कि जीतेगा। टीम का चयन कर लेने के बाद, आपको प्लेयर को भी चुन लेना होगा।
Step 6:- उसके बाद आपको कॉन्टेस्ट ज्वाइन पर क्लिक करना होगा, और फिर कॉन्टेस्ट का पैसे दे देना होगा, फेंटेसी गेम कॉन्टेस्ट का पैसा आप पेटीएम या फिर यूपीआई आईडी के द्वारा दे सकते हैं।  
Step 7:- कॉन्टेस्ट को ज्वाइन कर लेने के बाद यदि मैच में आपका टीम और प्लेयर्स अच्छा रैंक करता है, तब आप Dream11 से पैसे जीत जाएंगे।
Step 8:- और यह याद रखें कि जितना Winning पैसे आपको Dream11 में कहा गया है, उतना पैसे आपको नहीं मिलता बल्कि इस ऐप पर आपको आपके रैंकिंग के अनुसार पैसे मिलते हैं।  
ऊपर हमने आप सभी को Dream 11 Se Paise Kaise Kamaye के बारे में विस्तार में बताएं है, यदि आपको क्रिकेट प्लेयर और मैच के विषय में अच्छा जानकारी है तब आप Dream11 से बहुत ही आसानी काफी अच्छा पैसे कमा सकते हैं। Dream11 Game से आप जितना भी पैसे कमाते हैं, उसे आप डायरेक्ट अपने बैंक या फिर Paytm अकाउंट में निकाल भी सकते हैं।
Refer करके Dream11 Se Paise Kaise Kamaye
Dream11 गेम पर आप केबल Fantasy Game खेल कर ही नहीं, बल्कि आप Refer & Earn के मदद से अपने दोस्तों को इनवाइट कर के भी इस गेम से अच्छा पैसे कमा सकते हैं, कई बार तो दोस्तों को इनवाइट करने पर ₹200 तक का referral बोनस भी देखने को मिल जाता है। तो चलिए Dream11 पर Refer करके पैसे कमाए -
Step 1:- सर्वप्रथम आपको Dream11 ऐप को ओपन कर लेना होगा।
Step 2:- Dream11 App ओपन हो जाने के बाद, आपको Refer & Earn के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा।
Step 3:- Refer & Earn ऑप्शन पर क्लिक करने के बाद हम एक दूसरे पेज पर चले जाएंगे जहां पर हमें हमारा रेफरल लिंक और कोड देखने को मिल जायेगा।
Step 4:- रेफरल लिंक मिल जाने के बाद, हमें उस लिंक को अपने दोस्तों को शेयर करना होगा, और जब दोस्त हमारे रेफरल लिंक से कोई ऐप को डाउनलोड करेगा तब हम ₹200 से भी अधिक का बोनस अमाउंट  देखने को मिल जाएगा।
Dream11 Se Paise Kaise Kamaye (TIPS)
यह तो आप जानते होंगे कि Dream11 से पैसे कैसे कमाए परंतु क्या आप सच में Dream11 फेंटेसी गेम से पैसे कमाना चाहते हैं, यदि हां तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे -
♦ कोई भी टीम का चयन करने से पहले उस टीम के बारे में अच्छे से जान ले।
♦ इस खेल में आपको पैसे प्लेयर के रैंकिंग के अनुसार जिया जाता है, इस कारण आप जो भी प्लेयर को टीम में सिलेक्ट करें उसके पहले उस प्लेयर के परफॉर्मेंस के बारे में अच्छे से जांच कर ले।
♦ यदि आपके पास एक से अधिक कौन है तब आप अलग अलग करके टीम को सैल्यूट कर सकते हैं इससे आपके जीतने का संभावना बढ़ जाएगा।
♦ जो प्लेयर अच्छा परफॉर्म कर रहा है आप कोशिश करिएगा कि उनको ही टीम में ऐड करने का।
Dream11 गेम का रूल्स और पॉइंट्स सिस्टम
1) जब आप Dream11 मैं कोई कैप्टन का चयन करते हैं, तब उस कैप्टन का पॉइंट दुगना यानी 2x हो जाता है।
2) वाइस कैप्टन का पॉइंट 1½ है।
3) Dream11 के टीम में आपने जो बॉलर को लिया है, वह बॉलर यदि किसी बैट्समैन को आउट करता है, तो  10 पॉइंट मिलता है।
4) बैट्समैन जब 1 रन स्कोरर करता है तब आपको ½ पॉइंट्स देखने को मिल जाता है।
5) जब आपके टीम का फील्डर कैच करके किसी प्लेयर को आउट करता है तब उसे 4 पॉइंट मिलता है।  
6) क्रिकेट में 4 रन करने पर 0.5 points मिलता है और यदि कोई 6 रन करता है, तो उसे केवल 1 point मिलता है।
Conclusion -
उम्मीद करते हैं की, आज का यह Dream11 से पैसे कैसे कमाए के ऊपर आर्टिकल आप सभी को बहुत पसंद आया होगा। इस आर्टिकल पर हमने आप सभी को dream11  Se  Paise Kaise Kamaye के तरीके के बारे में विस्तार में बताया है यदि आपके पास क्रिकेट का अच्छा ज्ञान है तब आप इस आर्टिकल के द्वारा अच्छा पैसे कमा सकते हैं।
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gangaslsoftech · 2 years
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कोर्ट मैरिज करने से पहले जान लें ये जरूरी नियम और शर्तें नहीं तो हो सकती है जेल - Before doing court marriage, know these necessary terms and conditions, otherwise it may be jail..
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अगर आप अपने पार्टनर के साथ कोर्ट मैरिज करने का प्लान बना रहे हैं लेकिन इसके नियम और प्रकिया को लेकर थोड़े कंफ्यूज हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें। सबसे पहले तो यह बात समझ लें कि दो लोग कोर्ट मैरिज सामाजिक या किन्हीं पारिवारिक कारणों की वजह से करते हैं। ऐसे में कोर्ट मैरिज क्या है ,कोर्ट मैरिज के नियम क्या हैं, इन सब सवालों के जवाब आपके शादी करने से पहले ही आपके पास होने चाहिए। ताकि समय आने पर आप शर्मिंदा या परेशान होने से बच जाएं। आइे जानते हैं  कोर्ट मैरिज करने वाले कपल्स को शादी से पहले कोर्ट मैरिज से जुड़े किन नियमों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
Court Marriage कैसे करें ?
अगर आप भी अपने मनपसंद के लड़के/लड़की से शादी करना चाहते हैं और आपके परिवार वाले इस रिश्ते से खुश नही है और आप शादी कैसे करें इसके लिए परेशान हो जाते हैं। तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है इसका उपाय हम बताने वाले हैं।
आपके परिवार वाले पसंदीदा जीवनसाथी से पारंपरिक शादी नहीं करवाना चाह रहे हैं तो आप कोर्ट मैरिज का सहारा ले सकते हैं। कोर्ट के द्वारा लीगल शादी कराया जाता है जिसका सर्टिफिकेट निर्गत किया जाता है। कोर्ट मैरिज किसी भी धर्म, जाति, समुदाय के बीच हो सकती हैं।
लेकिन आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह कोर्ट मैरिज होता कैसे है तो आज हम इस पोस्ट में कोर्ट मैरिज कैसे करें, आवश्यक डॉक्यूमेंट, फीस इत्यादि के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
कोर्ट मैरिज क्या है ? (what is court marriage)
शादी की वैसी प्रक्रिया जो बिना किसी परंपरागत समारोह के मैरिज ऑफिसर के सामने कोर्ट में की जाती हो उसे कोर्ट मैरेज कहा जाता है। यह शादी भारतीय संविधान के स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत सम्पन्न होती है।
यह शादी किसी भी धर्म संप्रदाय के युवक-युवतियों के बीच होती है। हालांकि कोर्ट मैरिज के लिए भी नियम एवं शर्ते बनाया गया है।
कोर्ट मैरिज के लिए नियम एवं शर्तें (Terms and Conditions for Court Marriage)
अगर आप भी कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं तो आपको स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत बनाए गए नियम एवं शर्तों का पालन करना होगा वरना आपकी शादी नहीं हो सकती। कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक नियम एवं शर्ते नीचे दर्शाई गई है।
कोर्ट मैरिज के लिए युवक की उम्र 21 वर्ष और युवती की उम्र 18 वर्ष होना अनिवार्य है।
इससे पहले युवक युवती की शादी ना हुई हों।
शादी होने के बात जीवनसाथी मृत हो गया है तो मृत साबित करने के लिए डेथ सर्टिफिकेट दिखाकर दोबारा शादी हो सकती है।
शादी करने वाले दोनों दंपत्ति शारीरिक रूप से संतानोत्पत्ति के योग्य होना चाहिए।
युवक-युवती दोनों अपनी शादी के लिए सहमति प्रदान करने के लिए शारीरिक रूप से सक्षम हो। क्योंकि मैरिज ऑफिसर दोनों पक्षों को विवाह अपनी स्वेच्छा के अनुसार करवाता है।
कोर्ट मैरिज के फायदे
भारत में कोर्ट मैरिज का चलन बढ़ता जा रहा है क्यो��कि कोर्ट मैरिज के कई लाभ होते हैं। कोर्ट मैरिज के विभिन्न लाभ दर्शाया जा रहे हैं।
पारंपरिक शादी के मुकाबले कोर्ट मैरिज में बेहद कम खर्चा लगता है।
पारंपरिक शादी का समारोह कई दिनों तक चलता है जिसमें खाने की बर्बादी होती है कम समय में कोर्ट मैरिज हो जाता है इससे खाने की बर्बादी ना के बराबर होती है।
कोर्ट मैरिज करने के बाद सरकार पुरस्कार के रुप में पैसे भी देती है। अगर आप दूसरे जाति या समुदाय से शादी कोर्ट में रचा रहे हैं तो आपको अनुदान का फायदा मिलेगा।
पारंपरिक शादी में कई रीति रिवाज की वजह से तनाव उत्पन्न हो जाता है लेकिन कोर्ट मैरिज में किसी प्रकार का रीति रिवाज नहीं होता है।
कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट
कोर्ट मैरिज के लिए कई दस्तावेज लगते हैं। यह दस्तावेज युवक युवती की पहचान, उम्र साबित करने के लिए किया जाता है। क्योंकि कोर्ट मैरिज में युवक की उम्र 21 वर्ष और युवती की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए। कोर्ट मैरिज के दौरान लगने वाले डॉक्यूमेंट की लिस्ट नीचे दी गई है।शादी का फॉर्म और फीस
शादी करने वाले युवक युवती के चार पासपोर्ट साइज फोटो।
वर वधु की आधार कार्ड की फोटोकॉपी
युवक युवती की आवास और पहचान प्रमाण पत्र।
वर वधु के 10वीं या 12वीं के मार्कशीट (उम्र सिद्ध करने हेतु)
गवाह
सभी गवाह की फोटो और उनके पहचान पत्र
पैन कार्ड और ड्राइवरी लाइसेंस
शपथ पत्र (जिसमें वर वधू का किसी से अवैध संबंध ना हो)
कोर्ट मैरिज कैसे करें ?अगर आप कोर्ट से मैरिज करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए प्रक्रिया को अपनाकर आप सही तरीके से कोर्ट मैरिज कर सकते है।
स्टेप 1. रजिस्ट्रार के पास आवेदन करे।
सबसे पहले कोर्ट मैरिज के लिए अपने जिला के मैरिज ऑफिसर के पास जाकर एक आवेदन देना पड़ता है। जिसमें वर-बधु दोनों अपनी स्वेच्छा से शादी करने की बात को दर्शाया गया हों।
युवक युवती को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि जिस जिले में शादी करना चाहते हैं वहां कम से कम 30 दिन निवास करना होगा।
स्टेप 2. नोटिस जारी होना
शादी के लिए आवेदन देने के बाद संबंधित मैरिज ऑफिसर एक नोटिस जारी करता है। यह नोटिस संबंधित कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर लगाया जाता है। इसके अलावा इस नोटिस को जिले के स्थानीय न्यूज़पेपर में भी प्रकाशित करवाया जाता है।
हालांकि यह नोटिस व्यक्तिगत रूप से वर वधु के घरवालों को नहीं भेजा जाता है।
अगर इस नोटिस पर 30 दिनों के अंदर जिले का कोई भी व्यक्ति आपत्ति दर्ज करता है तो मैरिज ऑफिसर उस आपत्ति की जांच करता है। जांच में आपत्ती जायज निकलता है तो मैरिज ऑफिसर शादी की आवेदन को रिजेक्ट कर सकता है।
हालांकि वर वधु मैरिज ऑफिसर के द्वारा आपत्ति स्वीकार नही किए जाने के खिलाफ जिला कोर्ट में जाकर अपील दायर कर सकता है।
अगर 30 दिन के भीतर नोटिस के ऊपर आपत्ति दर्ज नहीं किया जाता है तो आपका शादी के लिए एप्लीकेशन स्वीकार कर लिया जाएगा और आगे की प्रक्रिया बढ़ाया जाएगा।
स्टेप 3. मैरिज फॉर्म भरे
नोटिस जारी होने के 30 दिन के भीतर आपत्ति दर्ज नहीं होता है तो एक मैरिज फॉर्म भरना होता है यह मरीज फॉर कोर्ट में वकील के पास या ऑनलाइन भी मिलता है।
स्टेप 4. मैरिज ऑफिस जाएं
मैरिज फॉर्म भरकर वर वधु दोनों को मैरिज ऑफिस जाना होता है।
इसके बाद मैरिज ऑफिसर अपनी मौजूदगी में सभी गवाहों के सामने शादी की कुछ रस्म पूरा करता है और तस्वीरें निकालता है। इसके लिए निर्धारित फीस भी देनी होती है।
विवाह अधिकारी एक घोषणा पत्र पर तीन गवाह और वर वधु का हस्ताक्षर करवाएंगे।
फाइनल स्टेप – सर्टिफिकेट निर्गत करना
शादी पूरा होने के बाद मैरिज ऑफीसर सारी डिटेल फील करके मैरिज सर्टिफिकेट निर्मित करता है। मैरिज सर्टिफिकेट हासिल करने के बाद आपका कोर्ट मैरिज मान्य हो जाएगा।
नोट
:- नोटिस प्रकाशित होने के 3 महीने के भीतर अगर शादी नहीं होती है तो युवक युवती को शादी के लिए फिर से आवेदन देना पड़ेगा। इस प्रक्रिया को पूरा करने में 30 से 40 दिन का समय भी लग सकता है।
जल्दी कोर्ट मैरिज कैसे करेंअगर आप जल्दी कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं तो सबसे पहले मंदिर में जाकर विवाह करें। मंदिर में अपनी विवाह का सर्टिफिकेट बना कर मैरिज ऑफिसर को मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन दे।
आपकी शादी को वेरीफाई करने के बाद मैरिज ऑफिसर आपको मैरिज सर्टिफिकेट बनाकर दे देगा। इस प्रक्रिया से आप की कोर्ट मैरिज बहुत जल्दी हो जाएगी।
कोर्ट मैरिज फीस और खर्चा ?
फीस के बारे में चर्चा करें तो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कोर्ट मैरिज फीस निर्धारित किया गया है। औसतन कोर्ट मैरिज फीस ₹500 से ₹1000 है। लेकिन अन्य कागजी कार्रवाई वकील से सहायता लेने में पैसे खर्च हो सकता है। कोर्ट मैरिज करने में आपको 10 हजार का खर्चा लग सकता है।
क्या कोर्ट मैरिज करने के बाद पैसे मिलते हैं?
जी हां अगर एक पक्ष दलित है और दूसरा पक्ष दूसरे समुदाय का है तो डॉक्टर अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज के तहत नव दंपति को ढाई लाख रुपए मिल सकता है। इसके लिए वर वधु को आवेदन फॉर्म जमा करना होता है।
उम्मीद हैं आपको कोर्ट मैरिज करने से पहले जान लें ये जरूरी
नियम और शर्तें
नहीं तो हो सकती है जेल ! जानकारी पसंद आयी होगी। यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर
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gangaslsoftech · 2 years
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MS Word क्या है और MS Word का उपयोग कैसे करे - What is MS Word and how to use MS Word
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इस ब्लॉग  में आप कंप्यूटर के सबसे महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर MS Word की जानकारी को पढ़कर समझेंगे और इसे कंप्यूटर में डाउनलोड करके उपयोग करना सीखेंगे।चलिए अब MS Word क्या है और MS Word का उपयोग कैसे करे आदि की जानकारी को पढ़कर समझते है।
Microsoft Word क्या है
MS Word अर्थात Microsoft Word, Microsoft Office Package का एक बहुत ही प्रसिद्ध Tool है, जिसका उपयोग हम डॉक्यूमेंट को लिखने के लिए करते हैं। इसे Word भी कहा जाता है और इसका इस्तेमाल Word Processing करने के लिए अर्थार्त कि डॉक्यूमेंट को बनाने के लिए किया जाता है।
इसका निर्माण माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने किया है यह एक तरह का सॉफ्टवेयर है और यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर है। इसका ज्यादा तर इस्तेमाल स्कूल, कॉलेज, सरकारी ऑफिस तथा प्राइवेट हॉस्पिटल में किया जाता है।
एमएस वर्ड का सबसे पहला वर्जन साल 1988 में आया था और उस समय इसका नाम एमएस वर्क या फिर माइक्रोसॉफ्ट वर्क रखा गया था और समय गुजरने के बाद इसके नाम में परिवर्तन करके इसे एमएस वर्ड नाम दे दिया गया और हर साल इसके नए वर्जन मार्केट में लॉन्च होते गए, जिसे लोगों ने काफी पसंद भी किया है।
MS Word को Open कैसे करें
MS Word को खोलना बहुत ही सरल है। एमएस वर्ड को खोलने के लिए सबसे पहले आपको अपने कंप्यूटर के स्टार्ट मैन्यू को खोलना होगा। स्टार्ट मेनू खोलने के बाद आपको अपने सामने एक सर्च बॉक्स दिखाई देगा। इसमें आपको वर्ड टाइप करना है।
इसके बाद आप को Start Menu में नीले कलर का एक आईकॉन दिखेगा। आपको उस पर क्लिक करना है। इतना करने के बाद ही आपके सामने एमएस वर्ड ओपन हो जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह मेथड विंडोज 7, 8 और 10 सभी पर काम करेगा।
चलिए अब हम आपको एमएस वर्ड के विंडो Elements के बारे में जानकारी देते हैं।
MS Words के Elements
1. Title Bar
यह एमएस वर्ड का सबसे ऊपर का भाग होता है और यहां पर हमें हमारी फाइल के नाम दिखाई देते हैं। इसके साथ ही इसमें पांच अलग-अलग बटन होती है, जिस में से सबसे पहला बटन हेल्प का होता है।
इस बटन को दबाने से हेल्प वाली विंडो खुल जाता है और इसमें एमएस ऑफिस की तरफ से आपकी मदद के लिए कई सारे कंटेंट पहले से ही दिए गए होते हैं। अगर आपको एमएस वर्ड में कुछ समझ नहीं आ रहा तब आप इस विंडो की सहायता ले सकते हैं।
इसमें दूसरा बटन मेनू बार और रिबन को हाइड और दिखाने के लिए होता है और उसके बाद वाला बटन मिनिमाइज का बटन होता है। इस button को दबाने पर हमारा एमएस वर्ड मिनिमाइज हो जाता है और टास्कबार में चला जाता है।
उसके बाद वाला बटन विंडो को Resize या छोटा बड़ा करने के लिए होता हो और पाँचवा बटन विंडो को क्लोज करने के लिए होता है।
2. Quick Access Toolbar
यह टाइटल बार का ही एक भाग होता है।इस विंडो में सबसे पहले एमएस वर्ड का एक आईकॉन होता है और उसके बाद की आइकॉन को हम अपने अनुसार Customize कर सकते हैं।
3. Menu Bar
Menu bar title bar के ठीक निचे होता है। इसमें बहुत सारे option दिए गए है जिनमे कई सारे features दिए गए है।
4. Ribbon
यह Menu Bar का ही एक भाग होता है Menu Bar से सेलेक्ट किये हुए Menu के अंदर के सारे आइटम्स बस ‘File’ Menu के Options को छोड़कर इस पर ही शो होते है।
5. Text Area
यह MS Word का सबसे ख़ास भाग होता है क्यूंकि हम अपना Document यही एडिट करते है। हमें अपने Document में जो भी लिखना होता है वो हमें यही पर लिखना पड़ता है।
6. Scroll Bar
यह Document को स्क्रॉल करने के लिए होता है।
7. Office Button या File Button
Office बटन MS Office के पुराने Version में पाया जाता था लेकिन आजकल इसकी जगह ‘File’ नाम के बटन ने ले ली है जो की इसकी तरह ही काम करती है। इसमें हमें कुछ Basic Features जैसे फाइल को सेव करना प्रिंट करना आदि के Option मिल जाते है।
एमएस वर्ड का इस्तेमाल और खोज
इसका इस्तेमाल बहुत जगह पर होता है। बड़ी-बड़ी कंपनियों में डाटा एंट्री करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा आपने यह भी देखा होगा कि जब आप अपना रिज्यूम बनाने के लिए साइबर कैफे जाते हैं।
तब वहां पर बैठा व्यक्ति भी एमएस वर्ड के अंदर ही आपका रिज्यूम बनाकर आपको देता है। इसके अलावा एग्जाम का रिजल्ट बनाने के लिए एग्जाम का सिलेबस बनाने के लिए तथा अन्य कई कामों के लिए एमएस वर्ड का इस्तेमाल किया जाता है।
दुनिया भर के अधिकतर ऑफिस में एमएस वर्ड का इस्तेमाल किया जाता है और यह आज तक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला सॉफ्टवेयर भी है।
साल 1981 में Microsoft का मालिक Bill Gates ने दो प्रोग्रामर Charles Simonyi और Richard Brodie को Hired करके MS Word को बनाया था।
परंतु उस समय एमएस वर्ड में इतनी सारी सुविधा नहीं थी लेकिन बाद में धीरे-धीरे माइक्रो से उसने इसके फीचर में सुधार किया और इसे और भी अच्छा बनाया।
जरूर पढ़िए :- मै उम्मीद करता हू | कि MS Word की जानकारी आपको पसंद आयी होगी। इस पोस्ट से संबंधित किसी भी प्रश्न के लिए कमेंट करे। MS Word की जानकारी पसंद आयी हो तो इसे दोस्तों को भी शेयर करे।
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gangaslsoftech · 2 years
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New Blog पर Traffic कैसे बढ़ाये | आसान तरीके सीखें - How to Increase Traffic on New Blog. learn the easy way
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gangaslsoftech · 2 years
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Free Online Digital Marketing Certification गूगल दे रहा है फ्री मार्केटिंग सर्टिफिकेट।
Free Digital Marketing Certification गूगल अपने लर्निंग पोर्टल पर अपने सबसे बेहतर डिजिटल मार्केटिंग कोर्स और सर्टिफिकेट फ्री ( Free Digital Marketing Certification Courses) दे रहा है। आप इन ऑनलाइन कोर्स में एडमिशन लेकर ट्यूटोरियल और ऑनलाइन कक्षाओं तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं। ये डिजिटल मार्केटिंग कोर्स आपको वास्तविक बिजनेस परिदृश्यों के लिए तैयार करेंगे। ये डिजिटल मार्केटिंग कोर्स सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO), सर्च विज्ञापनों का उपयोग, वेबसाइट ट्रैफिक का विश्लेषण आदि सहित विभिन्न डिजिटल मार्केटिंग कोर्स आपको आपके बिजनेस में मदद करेगी।
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गूगल डिजिटल मार्केटिंग कोर्स बिल्कुल मुफ्त हैं। इन कोर्स को करने में अधिकतम 1 - 40 घंटे की अवधि का समय लगेगा। गूगल द्वारा डिजिटल मार्केटिंग कोर्स में गूगल विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री है, जिन्हें डिजिटल मार्केटिंग में वर्षों का अनु��व है। गूगल के फ्री ऑनलाइन डिजिटल मार्केटिंग कोर्स आपके सीवी के लिए अच्छे हैं। वे शीर्ष नियोक्ताओं द्वारा विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं। आइए इन फ्री ऑनलाइन कोर्स के विषय में बात करते हैं। 1- फंडामेंटल ऑफ डिजिटल मार्केटिंगयह गूगल की ओर से फ्री इंटरएक्टिव, एडवरटाइजिंग ब्यूरो से मान्यता प्राप्त, डिजिटल मार्केटिंग कोर्स है। यह कोर्स प्रैक्टिकल एक्सरसाइज और रियल लाइफ उदाहरण के माध्यम से आपके नॉलेज को एक्शन में बदलने का कार्य करता है। कोर्स डिटेल मॉड्यूल- 26 अवधि - 40 घंटे कौशल स्तर - शुरुआती 2- गूगल एड डिस्प्ले सर्टिफिकेशनयह कोर्स स्किल शॉप पर उपलब्ध है। इस कोर्स के साथ, आप अपने प्रदर्शन विज्ञापन निवेश का अधिकतम लाभ उठाने के लिए गूगल डिस्प्ले का उपयोग करके अपनी विशेषज्ञता की पुष्टि कर सकते हैं। आप विशिष्ट मार्केटिंग लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रभावी प्रदर्शन नीतियों और अभियान विकसित करने में सक्षम होंगे। कोर्स डिटेल अवधि - 2.6 घंटे कौशल स्तर - शुरुआती 3- गूगल एड सर्च सर्टिफिकेशनगूगल खोज अभियान बनाने और अनुकूलित करने का तरीका जानें। आप स्मार्ट बिडिंग और ऑडियंस सॉल्यूशंस जैसे स्वचालित समाधानों का लाभ उठाना भी सीखेंगे। कोर्स डिटेल अवधि- 2.6 घंटे कौशल स्तर- शुरुआती 4- गूगल एड ऐप सर्टिफिकेशनइस कोर्स के माध्यम से गूगल ऐप कैंपेन बनाने में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं और ज्यादा से ज्यादा बिजनेस प्रभाव प्रदान करता है। कोर्स डिटेल अवधि- 2.8 घंटे कौशल स्तर- शुरुआती निष्कर्ष के तौर परफ्री ऑनलाइन डिजिटल मार्केटिंग कोर्स बहुत सी चीजों के लिए उपयोगी हैं।  नौकरियों की तलाश में या दूसरों को प्रभावित करने के लिए आप प्रमाणपत्र को अपने लिंक्डइन प्रोफाइल पर अपलोड कर सकते हैं।
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gangaslsoftech · 2 years
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कंप्यूटर प्रोग्रामिंग क्या हैं यह जानने के लिए 7 टिप्स - 7 Tips To Know What Computer Programming Is
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग क्या हैं Computer System में किसी भी प्रकार के सॉफ्टवेयर डिजाइन एंड डेवलप करने के लिए प्रोग्रामिंग करना पड़ता हैं.
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वैसे हम लोग अपने आम जीवन के बारे में भी उदाहरण के तौर पर ले तो किसी भी प्रकार के काम के लिए सबसे पहले हम लोग कहते हैं कि क्या प्रोग्राम हैं आगे का या फिर किस तरह का प्रोग्राम हम लोग बनाए हैं  अपने काम को करने के लिए उसी तरह Computer में भी किसी भी प्रकार के काम को यानी कि सॉफ्टवेयर डिजाइन एंड डेवलपमेंट प्रोसेस को करने के लिए प्रोग्रामिंग की आवश्यकता पड़ता हैं.
इस लेख में हम लोग कंप्यूटर प्रोग्रामिंग यानी Computer Program क्या हैं और किस तरह से किया जाता हैं और उससे क्या लाभ हैं. पूरी जानकारी हम लोग विस्तृत रूप से नीचे जानने वाले हैं.दुनिया में हम लोग जितने भी प्रकार के Computer में काम करने के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हैं
उसको किसी ना किसी प्रोग्राम के द्वारा तैयार किया गया हैं अलग-अलग तरह के सॉफ्टवेयर का डिजाइन एंड डेवलपमेंट अलग-अलग सॉफ्टवेयर के द्वारा किया जाता हैं इसलिए हम लोग कुछ सॉफ्टवेयर के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे जिसमें हम लोग प्रोग्रामिंग लैंगुएज का उपयोग करते हैं.
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग क्या हैं विस्तार से जानें
प्रोग्रामिंग को Computer के भाषा में सेट ऑफ इस्‍ट्रकस्‍न कहते हैं जिसमें प्रोग्राम और डेवलपर के द्वारा किसी भी प्रकार के डिजाइन एंड डेवलपमेंट के लिए जो कोडिंग किया जाता हैं उसको करने के लिए एक प्रोग्रामर की आवश्यकता होता हैं और प्रोग्राम उनके द्वारा Computer में प्रोग्रामिंग करने के लिए अलग-अलग प्रकार के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके प्रोग्रामिंग किया जाता हैं.
उदाहरण के लिए एक छोटे से किसी दुकान के लिए सॉफ्टवेयर यदि तैयार करना हो जिसमें उस दुकान के जितने भी सेल और परचेज होता हैं उसके डाटा को व्यवस्थित करना हो तो उसके लिए एक प्रोग्रामर के द्वारा सॉफ्टवेयर को तैयार किया जाता हैं.
जिसमें उस दुकान के जरूरत के हिसाब से कोडिंग प्रोग्रामिंग डिजाइनिंग किया जाता हैं. Computer में प्रोग्रामिंग के द्वारा जो भी सॉफ्टवेयर को डिजाइन एंड डेवलप किया जाता हैं उसमें जिस तरह का भी कोडिंग का उपयोग किया जाता है वह कोडिंग जितना ही अच्छा तरह से उसमे किया जाता हैं उतना ही बेहतर सॉफ्टवेयर और Computer काम को करता हैं.
प्रोग्रामिंग करने के लिए किसी भी प्रकार के सॉफ्टवेयर या प्रोग्रामिंग लैंगुएज का उपयोग किया जाता है और उसके द्वारा सॉफ्टवेयर या किसी प्रकार के Computer प्रोडक्ट को तैयार किया जाता हैं.
लैंगुएज  कितने प्रकार के होते हैं  
Machine language.
Assembly language.
High level language.
1.मशीन लैंगुएज  क्या हैंमशीन लैंगुएज  प्रोग्रामिंग लैंगुएज  हैं जो Computer के सबसे मुख्य भाषा के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं मशीन लैंगुएज  में मशीन कोड में लिखी गई भाषाओं के रूप में समझता हैं और इसमें जीरो और एक बायनरी नंबर का उपयोग किया जाता हैं.मशीन लैंगुएज  में किसी भी इंटरप्रेटर और ट्रांसलेटर की आवश्यकता नहीं होती हैं Computer मशीन लैंगुएज  में बहुत ही आसानी से स्वयं उस भाषा को समझ लेता हैं और उसको प्रोसेस करता हैं मशीन लैंगुएज को Computer के पहली पीढ़ी का भाषा कहा जाता है.2.असेंबली लैंगुएज क्या हैं  असेंबली लैंगुएज एक Computer के प्रोग्रामिंग का भाषा हैं जिसमें गणितीय संकेतों के स्थान पर निमोनिक्स कोड का इस्तेमाल किया जाता हैं और असेंबली लैंगुएज में डाटा को चेंज करने के लिए असेंबलर की आवश्यकता होता हैं.क्योंकि
असेंबली लैंगुएज, मशीन लैंगुएज
से अलग होता हैं इस लैंगुएज का उपयोग Computer के दूसरी पीढ़ी यानी कि सेकेंड जनरेशन ऑफ प्रोग्रामिंग लैंगुएज के लिए किया जाता हैं.
3.हाई लेवल लैंगुएज क्या हैं Computer जो हैं वह केवल मशीन लैंगुएज को ही समझता है मशीन लैंगुएज के अलावा जितने भी भाषा का उपयोग Computer के सिस्टम में किया जाता हैं उसको समझने के लिए Computer को एक इंटरप्रेटर और ट्रांसलेटर की मदद से उस भाषा को मशीन के भाषा में बदलना पड़ता हैं.हाई लेवल लैंगुएज का उपयोग अधिक से अधिक प्रोग्रामिंग लैंगुएज के लिए किया जाता हैं जिसमें सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट वेबसाइट डेवलपमेंट और अन्य डेवलपमेंट के कार्यों के लिए हाई लेवल लैंगुएज का उपयोग किया जाता हैं.
पॉपुलर प्रोग्रामिंग लैंगुएज  (Popular Programming languages)
Java programming language
C #
PHP language
C C++
JavaScript
1.जावा प्रोग्रामिंग लैंगुएज
:-
Java Programming Language
का उपयोग बड़े-बड़े आईटी कंपनियों में सॉफ्टवेयर को डिजाइन एंड डेवलप करने के लिए किया जाता है जावा एक बहुत ही हाई लेवल लैंग्वेज का सॉफ्टवेयर होता हैं जिसमें प्रोग्रामिंग करने के लिए प्रोग्रामिंग लैंगुएज का बहुत ही ज्‍यादा जानकारी होना चाहिए.जावा प्रोग्रामिंग लैंगुएज का उपयोग बड़े-बड़े आईटी कंपनियों का के द्वारा किया जाता हैं जो दुनिया के आईटी के हब के रूप में काम करते हैं.
2.सी#
:- C# डॉट नेट का Part हैं जिसको प्रोग्रामिंग लैंगुएज के लिए उपयोग किया जाता हैं जावा के तुलना में C# आप को समझना और उसका उपयोग करना आसान हैं
C#
प्रोग्रामिंग लैंगुएज के द्वारा सॉफ्टवेयर वेब एप्लीकेशन विंडोज एप्लीकेशन मल्टीपल विंडोज एप्लीकेशन वेबसाइट डेवलपमेंट किया जा सकता हैं.
3.पीएचपी लैंगुएज
:-
PHP language
एक बहुत ही पॉपुलर वेबसाइट डेवलपमेंट सॉफ्टवेयर हैं जिसके द्वारा आजकल अधिकतर वेबसाइट को डिजाइन एंड डेवलप किया जा रहा हैं पीएचपी सॉफ्टवेयर के द्वारा डायनेमिक और स्टैटिक दोनों तरह के वेब पेजेस तैयार किया जा सकता हैं पीएचपी का उपयोग बड़े-बड़े कंपनियों के द्वारा किया जा रहा हैं.पीएचपी का इस्तेमाल बड़े-बड़े प्रोफेशनल और इंडस्ट्रीज के लोग कर रहे हैं आईटी के और भी बड़ी-बड़ी जो कंपनियां और इंडस्ट्री हैं वह भी पीएचपी के द्वारा प्रोफेशनल सर्विस दे रही हैं साथ ही साथ हेल्थ केयर मैनेजमेंट फाइनेंस के लिए भी पीएचपी सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा हैं.
4.सी लैंगुएज
:- C languageका उपयोग जो Programming लैंगुएज सीखने वाले लोग होते हैं उनको प्रोग्रामिंग के बारे में बेसिक जानकारी  के लिए सबसे पहले सी लैंग्वेज को सिखाया जाता हैं सी लैंग्वेज एक सिस्टम एप्लीकेशन को डेवलप करने के लिए उपयोग किया जाता हैं.सी लैंगुएज का उपयोग विंडोज लाइनेक्स यूनिक्स के साथ-साथ embedded सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन में ग्रैफिक्स और वर्ड प्रोसेसर के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं.सी लैंगुएज Computer लैंगुएज का एक बहुत ही फंडामेंटल लैंगुएज होता हैं जिसको सीखने के बाद आप Programming लैंगुएज के बारे में आगे बहुत ही आसानी से Programming लैंगुएज को समझ सकते हैं.
5.सी प्लस प्लस
:-
C++
एक ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड Programming लैंगुएज होता है जो C लैंग्वेज को और भी मॉडर्न एवं एडवांस करके सी प्लस प्लस लैंगुएज को डेवलप किया गया था सी प्लस प्लस Programming लैंगुएज को बहुत ही आसानी से किया जा सकता हैं सी प्लस प्लस Programming लैंग्वेज का इस्तेमाल बड़े-बड़े प्रोग्राम और इंजीनियर सॉफ्टवेयर डेवलपर के द्वारा किया जाता हैं.सी प्लस प्लस का इस्तेमाल सिस्टम एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर ड्राइवर विंडोज एप्लीकेशन को तैयार करने के लिए भी किया जाता हैं सी प्लस प्लस सॉफ्टवेयर के द्वारा गेम ऑफिस के लिए एप्लीकेशन ग्रैफिक्स वीडियो आदि को डेवलप किया जा सकता हैं.
6.जावा स्क्रिप्ट
:- Programming लैंग्वेज का नाम हैं. लेकिन जावा स्क्रिप्ट का उपयोग एचटीएमएल या एसपी फाइल में किया जाता हैं जावा स्क्रिप्ट एक क्लाइंट साइड Programming लैंगुएज हैं जो कि क्लाइंट के ब्राउज़र में रन करता हैं जावा स्क्रिप्ट का उपयोग बड़े-बड़े कंपनियों में किया जाता हैं जैसे वर्डप्रेस लिंकडइन याहू आदि.
निर्देश:-
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what is computer programming
) के बारे में अभी आपके मन में कोई सवाल है तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें.
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gangaslsoftech · 2 years
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वेब पब्लिशिंग क्या है? होस्टिंग और पब्लिशिंग में क्या अंतर है? - What is web publishing? What is the difference between hosting and publishing?
वेब डेवलपमेंट के क्षेत्र में कई प्रकार के terms और शब्दों का उपयोग किया जाता है। इनमे से एक शब्द है web publishing, जिसके बारे में कई लोगों को नही पता होता की वेब पब्लिशिंग क्या होता है? या web publisher किसे कहते हैं?
Tumblr media
कुछ लोग वेब होस्टिंग और पब्लिशिंग को एक ही समझते हैं जबकि ये दोनों पूरी तरह से अलग हैं। आज हम इसी के बारे में विस्तार से समझाने वाले हैं।
वेब पब्लिशिंग क्या है? What is Web Publishing?
आसान शब्दों में अगर कहें तो किसी जानकारी या कंटेंट को इन्टरनेट पर प्रकाशित (publish) करना वेब पब्लिशिंग या
online publishing
कहलाता है।
इसमें कुछ इस प्रकार के काम किये जाते हैं:
वेबसाइट बनाना और अपलोड करना।
किसी वेब पेज को अपडेट करना।
ब्लॉग पोस्ट पब्लिश करना आदि।
पब्लिश होने वाले कंटेंट text, image, videos, pdf जैसे कई अलग-अलग प्रकार के फॉर्मेट में हो सकते हैं। यहाँ पर ध्यान देने वाली बात है की सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर आदि पर content publish करना web publishing नही कहलाता है।
Web Publishing के लिए किन-किन चीजों की जरुरत पड़ती है?
वेबसाइट पब्लिशिंग के लिए निचे दिए गये कुछ चीजों की आवश्यकता पड़ती है:
Web publishing tools
इंटरनेट कनेक्शन
डोमेन नेम
वेब होस्टिंग
चलिए इन तीनो को थोड़ा विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।
1.Web publishing tools:
इस काम को करने के लिए आपको कुछ टूल्स या software की आवश्यकता पड़ती है। ये टूल्स कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे यदि आप अपनी वेबसाइट खुद डिजाईन कर रहे हैं तो आपको कुछ design tools, code editor, image editor आदि की जरुरत पड़ेगी। यदि आप ब्लॉग लिख रहे हैं तो किसी online interface जैसे wordpress, blogger आदि का उपयोग कर सकते हैं।
2.इन्टरनेट कनेक्शन:
आप वेबसाइट डिजाइनिंग और कोडिंग जैसे कुछ काम offline रहकर भी कर सकते हैं लेकिन सारी चीजों को इंटरनेट पर अपलोड करने के लिए जाहिर सी बात है आपको इन्टरनेट कनेक्शन की जरुरत पड़ेगी ही। इन्टरनेट के जरिये ही आप अपने वेबसाइट के कंटेंट को वेब सर्वर पर अपलोड कर पाएंगे।
3.डोमेन नेम:
आपके द्वारा बनाये गये वेबसाइट या ब्लॉग के कंटेंट पूरे world wide में कोई भी देख सकता है लेकिन वो आपके वेबसाइट तक पहुंचेगा कैसे?
जाहिर सी बात है इसके लिए एक वेब एड्रेस की जरुरत पड़ेगी जिसके जरिये आपके वेबसाइट तक पहुंचा जा सकेगा। इसी वेब एड्रेस को ही डोमेन नाम कहा जाता है जैसे हमारी वेबसाइट का डोमेन नाम bestdigitalmarketinggroup.com है ठीक उसी तरह आपको भी एक डोमेन खरीदना होगा।
आप .com, .in, .net, .online, .co.in जैसे किसी भी extension के साथ अपने मनचाहे नाम से डोमेन ले सकते हैं बशर्ते उस डोमेन के साथ कोई दूसरी वेबसाइट पहले से बनी न हो। डोमेन के लिए आपको सालाना कुछ पैसे डोमेन रजिस्ट्रार को देने पड़ेंगे।
वेब होस्टिंग:
वेबसाइट बना लेने के बाद आपको इसे इन्टरनेट पर उपलब्ध कराने के लिए वेबसाइट के कंटेट को किसी वेब सर्वर पर अपलोड करना होगा।  
वेब सर्वर प्राप्त करने के लिए आपको किसी अच्छी वेब होस्टिंग कंपनी को चुनना होगा और अपने जरुरत के अनुसार storage space और अन्य सुविधाओं को ध्यान में रख कर एक web hosting package खरीदना होगा जिसके लिए आपको मासिक या सालाना तौर पर कुछ पैसे देने पड़ेंगे।  
वेब होस्टिंग सर्विस लेने के बाद आपको एक इंटरफ़ेस मिल जाता है जिसके जरिये आप अपने कंटेंट्स जैसे article, images, videos आदि को आसानी से अपलोड कर पायेंगे।   इसके बाद आपकी साईट या ब्लॉग इन्टरनेट पर उपलब्ध हो जाएगी।
वेब होस्टिंग और वेब पब्लिशिंग में क्या अंतर है? (Web hosting Vs. Web Publishing )
कई लोग वेब होस्टिंग और वेब पब्लिशिंग इन terms को लेकर confused रहते हैं की आखिर इनके बीच अंतर क्या होता है। चलिए इस confusion को दूर करते हैं:
वेब होस्टिंग आमतौर पर एक होस्टिंग सर्विस प्रदान करने वाली कंपनी को संदर्भित करता है जो विभिन्न प्रकार की वेबसाइटों के लिए सर्वर में होस्टिंग के लिए स्थान (hosting space) प्रदान करता है।
वेब पब्लिशिंग एक व्यक्ति या आर्गेनाइजेशन को संदर्भित करता है जो वेबसाइट और वेब कंटेंट को डिज़ाइन करता है और फिर होस्टिंग सर्वर पर पब्लिश करता है।
वेब होस्टिंग कंटेंट को रखने के लिए सर्वर पर एक स्थान प्रदान करता है।
वेब पब्लिशिंग के अंतर्गत कई सारे काम आते हैं जैसे वेबसाइट को बनाना, अपडेट करना, पब्लिश करना, मेन्टेन करना आदि।
कई सारी कंपनियां अपने ग्राहकों को वेब होस्टिंग और पब्लिशिंग दोनों की सुविधाएँ प्रदान करती हैं वे अपने client से निर्देश लेकर वेबसाइट डिजाईन करते हैं और उस पर information update करते हैं।
कुछ कंपनियां सिर्फ होस्टिंग की सुविधा देती हैं और पब्लिशिंग का काम ग्राहक को खुद या किसी professional (web publisher) की मदद से करनी होती है।
होस्टिंग और पब्लिशिंग दोनों बिलकुल अलग-अलग हैं इसलिए इन्हें लेकर confusion नही होना चाहिए।आपको वेब पब्लिशिंग के बारे में यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरुर बताएं। और अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करे !
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