Tumgik
#कच्चा पालक खाने से क्या होता है
letsdiskuss-sep · 2 years
Text
0 notes
lifestylechacha · 2 years
Text
Pregnancy में क्या खाएं? | Pregnancy Food in Hindi
Tumblr media
Pregnancy Food in Hindi :  नमस्कार दोस्तों, मैं आपको बताने वाली हूँ, कि Pregnancy में क्या खाएं?  हर औरत का सपना होता है। कि उसका बच्चा दुनिया मे आए, तो वह हेल्थी और स्ट्रोंग हो। महिलाएं जब Pregnant होती है। तो वह अपने बेबी के हेल्थी होने के लिए न जाने कितने नुस्खे ढूंढती है। ना जाने क्या-क्या खाती है। फिर भी उनका बेबी हेल्थी नही होता। और इस वजह से वह टेंशन भी बहुत ज्यादा लेती है। जबकि Pregnancy में महिलाओं को खुश रहना चाहिए। और खुद का और अपने बेबी का अच्छे से ख्याल रखना चाहिए। एक Pregnant महिला के लिए पौष्टिक आहार लेना बहुत जरूरी है। क्योंकि बच्चे और माँ दोनो की हेल्थ पर बुरा असर न पड़े।   आइये दोस्तों, मैं आपको बताती हूँ। कि आप Pregnancy में क्या खाएं? जिससे आपका बेबी हेल्थी हो।    Pregnancy में फल खाएं। Pregnency में हर महिला को पूरे दिन में अपने खाने में फल जरूर शामिल करने चाहिए। कम से कम 5 तरह के फल खाने चाहिए। अनार, सेब, केला, नाशपाती, संतरा। आप चाहे तो फलो का जूस भी पी सकती हैं। इससे आपका बेबी हेल्थी होगा। और आप भी हेल्थी रहोगी।   सूखे मेवे खाए। Pregnancy के दौरान हर महिला को पूरे दिन में अलग अलग तरह के सूखे मेवे खाने चाहिए। जैसे काजू, किशमिश, बादाम, खजूर आदि। सूखे मेवे में पोषक तत्व अधिक मात्रा में मौजूद होते है। इनमे विटामिन्स, मिनिरल्स, आयरन इत्यादि होते है। जो आपके शिशु और आपके लिए बहुत फायदेमंद है। इससे आपका खून भी बढ़ेगा। और आपके बेबी और आपकी हड्डियां मजबूत होगी।    हरी पत्तेदार सब्जियां खाए। Pregnancy में बच्चे की हेल्थ व माँ दोनो के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां बहुत जरूरी होती है। हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, फली, बिन्स आदि खाएं। क्योंकि इनमें विटामिन, केल्शियम, पोटेशियम, आयरन, फाइवर, प्रोटीन भरपूर मात्रा में मिलते है। जो बच्चे और माँ दोनो के लिए जरूरी है। बच्चे के विकास के लिए उसकी हड्डियों की मजबूती के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां प्रेग्नेंट महिला के आहार में जरूर शामिल करें।   Pregnancy में दाल खाएं। Pregnancy  के दौरान महिला को अपने भोजन में अलग-अलग तरह की दालों को शामिल करना चाहिए। जैसे मूंग दाल, मसूर दाल, अरहर की दाल ,दालों से बनी खिचड़ी, राजमा, छोले आदि अपने भोजन में जरूर शामिल करनी चाहिए। क्योंकि इनमें भरपूर मात्रा में फाइवर केल्शियम आयरन प्रोटीन आदि पाए जाते है। जो कि बच्चे के हेल्थ के लिए जरूरी है। और इससे महिला व बच्चे में रोगो की समस्या दूर रहती है।    दूध व अंडा खाएं। Pregnancy में महिला को प्रतिदिन अंडा और दूध अपने आहार में जरूर शामिल करने चाहिए। क्योंकि इनमें प्रोटीन कैलोरी पोषक तत्व वसा विटामिन खनिज लवण शामिल होते है। जो कि Pregnancy में बहुत लाभदायक होते है।    Pregnancy में सबूत अनाज खाए। Pregnancy में महिला को दूसरे तीसरे माह में अपने आहार में साबुत अनाज जैसे ओट्स, भूरे चावल, किनोआ आदि जरूर शामिल करना चाहिए। क्योंकि इनमें अधिक मात्रा में कैलोरी, विटामिन बी, मैग्नीशियम प्रोटीन आदि भरपूर मात्रा में मिलते है। जो कि बच्चे के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।   शुद्ध जल का सेवन करे। Pregnancy के दौरान महिला को शुद्ध जल का सेवन करना चाहिए। इससे उसके गर्भ में परेशानी नहीं होती। बच्चा भी गर्भ में सही से रहता है। और जल को उबाल कर पीना चाहिए। पूरे दिन में थोड़े-थोड़े अंतराल में पानी का सेवन करना चाहिए। इससे आपको डिलीवरी के टाइम परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। और पानी की कमी भी नही होगी।   बिना वसायुक्त मांस खाएं। प्रेगनेंट महिला को बिना वसा युक्त मास का सेवन जरूर करना चाहिए। क्योंकि इनमें प्रचुरमात्रा में आयरन जिंक लोह तत्व विटामिन बी आदि पाए जाते है। जो कि हीमोगलिबिन व आयरन की कमी को दूर करता है। क्योंकि आमतौर पर Pregnant महिलाओं में ये कमी हो जाती है। इसलिए अपने आहार मे वसायुक्त मास जरूर शामिल करें।   प्रेगनेंसी में ये चीजें भूल कर भी न खाए।  * कच्चा पपीता न खाएं।  *नशीले पदार्थ से दूर रहे।  * जंक फूड से बचे।  *ज्यादा तेल मसाले वाले पदार्थ न खाए।  *अंगूर, अनानास न खाए।  *ब्लैक टी, कॉफी न पिए।  *कच्चे अंडे, कच्चा मास न खाएं।  * मिट्टी चोक भी न खाएं।  – जेनब खान   Read the full article
0 notes
gethealthy18-blog · 4 years
Text
विटामिन ई के स्रोत और स्वास्थ्य लाभ – Vitamin E Rich Foods in Hindi
New Post has been published on https://healingawerness.com/getting-healthy/getting-healthy-women/%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%9f%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%a8-%e0%a4%88-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%a4-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%be/
विटामिन ई के स्रोत और स्वास्थ्य लाभ – Vitamin E Rich Foods in Hindi
विटामिन ई के स्रोत और स्वास्थ्य लाभ – Vitamin E Rich Foods in Hindi Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 December 18, 2019
शरीर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाए रखने के लिए कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है। विटामिन ई भी उन्हीं पोषक तत्वों में से एक है। शरीर में अगर विटामिन ई की कमी हो जाए, तो कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम न सिर्फ विटामिन ई के फायदे बताएंगे, बल्कि विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ की भी जानकारी देंगे। ध्यान रहे कि विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं। साथ ही अगर कोई बीमार है, तो विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ उसके लक्षणों को कुछ कम कर सकते हैं। वहीं, अगर किसी की अवस्था गंभीर है, तो मेडिकल ट्रीटमेंट जरूरी है।
इससे पहले कि विटामिन-ई के फायदे जानें, विटामिन-ई क्या है यह जान लेते हैं।
विषय सूची
विटामिन ई क्या है?
विटामिन-ई एक फैट सॉल्युबल विटामिन है। यह एक कारगर एंटीऑक्सीडेंट भी है। विटामिन-ई शरीर के टिश्यू को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है। फ्री रेडिकल्स कोशिकाओं, टिश्यू और अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। शरीर की इम्युनिटी के लिए भी विटामिन-ई की आवश्यकता होती है। यह शरीर को वायरस और बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण से भी बचा सकता है (1) (2)। लेख में नीचे आपको इस विषय में जरूरी जानकारी दी जाएगी।
लेख के आगे के भाग में जानिए विटामिन ई के फायदे।
विटामिन ई के लाभ – Vitamin E Benefits In Hindi
इससे पहले कि आप विटामिन-ई के स्रोत के बारे में जानें, आपका यह जानना जरूरी है कि विटामिन-ई के फायदे क्या-क्या हैं।
कैंसर : एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, विटामिन-ई में एंटी-कैंसर गुण मौजूद होते हैं (3) (1)। वहीं, कुछ शोध में यह भी पाया गया है कि विटामिन-ई कैंसर से बचाव करने में कोई भूमिका नहीं निभाता (4)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि विटामिन-ई कैंसर से पूरी तरह बचाव कर सकता है या नहीं यह अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। इस संबंध में अभी और शोध किए जाने की जरूरत है।
हृदय के लिए : विटामिन-ई हृदय रोग के लिए लाभकारी हो सकता है। कुछ शोध के अनुसार विटामिन-ई का सेवन हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम कम कर सकता है। इसके बावजूद, विटामिन-ई के इस लाभ को लेकर संशय बना हुआ है। सटीक वैज्ञानिक प्रमाण के अभाव में यह कहना थोड़ा मुश्किल होगा कि विटामिन-ई हृदय के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है (4)। हृदय के लिए विटामिन-ई सप्लीमेंट लेने से पहले अच्छा होगा कि एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
आंखों के विकार के लिए : बढ़ती उम्र के साथ कुछ नेत्र संबंधी विकार जैसे एज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन (Age-related macular degeneration-AMD) और मोतियाबिंद अंधेपन का कारण बन सकते हैं। यहां विटामिन-ई के लाभ देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि एंटीऑक्सीडेंट, जिंक और कॉपर के साथ विटामिन-ई के सप्लीमेंट एएमडी से पीड़ित व्यक्तियों में अंधेपन के जोखिम को कम कर सकते हैं (4)। वहीं, दूसरी ओर एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में मोतियाबिंद पर विटामिन-ई के प्रभाव को संशयात्मक माना गया है (3)। ऐसे में आंखों के लिए किसी भी प्रकार के विटामिन-ई के सप्लीमेंट लेने से पहले संबंधित डॉक्टर से परामर्श लेना उचित विकल्प रहेगा।
त्वचा के लिए : विटामिन-ई त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है। कई कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में विटामिन-ई का उपयोग किया जाता है। कुछ शोध के अनुसार, यह त्वचा की समस्या जैसे – जेरोसिस (Xerosis) यानी त्वचा के रूखेपन की समस्या, एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopic Dermatitis) यानी त्वचा पर खुजली व सूजन की समस्या और अल्सर जैसी परेशानियों से राहत दिला सकता है (5) (6)। फिलहाल, इस संबंध में अभी और शोध की आवश्यकता है (7)। इसके लिए डॉक्टरी सलाह पर विटामिन-ई युक्त तेल या क्रीम का उपयोग किया जा सकता है।
इम्युनिटी के लिए : विटामिन-ई रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है। यह वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव करने में मदद कर सकता है (1)। खासकर, वृद्धों के लिए यह काफी लाभकारी हो सकता है। इम्युनिटी के लिए विटामिन-ई एक एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है (8)।
अब जब विटामिन-ई के फायदे जान गए हैं, तो अब बारी आती है विटामिन ई के स्रोत के बारे में जानने की। लेख के इस भाग में हम विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ – Vitamin E Rich Foods in Hindi
विटामिन ई के फायदे जानने के बाद इसे आहार में शामिल करना तो बनता है। वैसे तो विटामिन ई के कैप्सूल बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन बेहतर है कि विटामिन ई के स्रोत के लिए प्राकृतिक चीजों का उपयोग किया जाए। इसलिए, नीचे हम विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ की जानकारी दे रहे हैं, जो प्राकृतिक रूप से विटामिन ई के स्रोत हैं।
1. गेहूं के बीज का तेल (Wheat Germ Oil)
कुछ लोगों के लिए यह सामग्री नई हो सकती है। गेहूं के बीज के तेल में भी विटामिन-ई मौजूद होता है। आप सलाद, पास्ता और कई खाने के चीजों में इसे टॉपिंग की तरह उपयोग कर सकते हैं।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 149.40 मिलीग्राम (9)।
2. बादाम
बादाम भी विटामिन-ई का अच्छा स्रोत है। बादाम को आहार में शामिल कर इसके फायदों का लुत्फ उठाया जा सकता है। इसके अलावा, बादाम तेल या दूध का भी सेवन किया जा सकता है। बालों और त्वचा के लिए बादाम तेल को लगा भी सकते हैं।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 25.63 मिलीग्राम (10)।
3. एवोकाडो
एवोकाडो में भी विटामिन-ई मौजूद होता है। एवोकाडो पोषक तत्वों से भरा फल होता है और इसे कई तरीकों से खाया जा सकता है। अपने आहार में विटामिन-ई को शामिल करने के लिए एवोकाडो का सेवन एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
सेवन का तरीका:
एवोकाडो को छीलकर और उसका बीज निकालकर सीधे खाया जा सकता है।
सैंडविच पर बटर के बदले एवोकाडो को मैश करके खा सकते हैं।
एवोकाडो की स्मूदी का सेवन भी किया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 2.07 मिलीग्राम (11)।
4. सूरजमुखी के बीज
सूरजमुखी के बीज भी विटामिन-ई के अच्छे स्रोत हैं। सूरजमुखी के बीज के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, हालांकि ध्यान रहे कि छिलका पूरी तरह से हटा दें। छिलके के साथ सेवन करने से पेट दर्द और उल्टी की समस्या हो सकती है (12)।
सेवन का तरीका:
बीज के छिलके हटाकर कच्चा सेवन किया जा सकता है।
इसे भूनकर स्नैक्स की तरह सेवन किया जा सकता है।
इसे सैंडविच, पास्ता और अन्य खाद्य पदार्थों के साथ भी खाया जा सकता है।
विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 35.17 मिलीग्राम (13) ।
आप अधिक जानकारी के लिए हमारे सूरजमुखी के बीज पर लिखे गए लेख को पढ़ सकते हैं।
5. पालक
विटामिन-ई के लिए हरी सब्जियों का सेवन भी लाभकारी हो सकता है। कई हरी सब्जियों में विटामिन-ई होता है और पालक उन्हीं में से एक है। पालक न सिर्फ विटामिन-ई का बल्कि कई अन्य पोषक तत्व जैसे – प्रोटीन, मैग्नीशियम और कैल्शियम का भी स्रोत है। पालक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है।
सेवन का तरीका:
आलू-पालक की सब्जी का सेवन किया जा सकता है।
पालक का सूप या जूस पी सकते हैं।
पनीर के साथ पालक की सब्जी बनाकर सेवन किया जा सकता है।
पालक का साग बनाकर खा सकते हैं।
पालक को दाल के साथ बनाकर सेवन किया जा सकता है।
पालक का पराठा भी खा सकते हैं।
विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 2.03 मिलीग्राम (14)।
6. पीनट बटर
अगर किसी को विटामिन-ई का सेवन बिना मेहनत किए करना है, तो पीनट बटर अच्छा विकल्प है। हालांकि, इसमें कैलोरी भी होती है, इसलिए इसका सीमित रूप से सेवन लाभकारी हो सकता है।
सेवन का तरीका:
पीनट बटर को ब्रेड में लगाकर सेवन किया जा सकता है।
पीनट बटर को रोटी के साथ भी खाया जा सकता है।
पीनट बटर को ऐसे भी खाया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 9.1मिलीग्राम (15)
7. हेजलनट
विटामिन ई के लिए हेजलनट का भी सेवन किया जा सकता है। यह न सिर्फ विटामिन-ई बल्कि कई अन्य पोषक तत्व जैसे – प्रोटीन, फाइबर और कैल्शियम का भी अच्छा स्रोत है। हेजलनट शरीर को स्वस्थ रखने में मददगार साबित हो सकता है।
सेवन का तरीका:
हेजलनट को ऐसे भी खाया जा सकता है।
इसे भूनकर भी खाया जा सकता है।
इसे स्मूदी या शेक में मिलाकर भी खाया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 17.5 मिलीग्राम (16)।
8. पाइन नट्स
पाइन नट्स को चिलगोजा भी कहा जाता है। इसमें विटामिन-ई के साथ आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन जैसे जरूरी पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। अन्य नट्स की तरह ही यह भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।
सेवन का तरीका:
इसे कच्चा खाया जा सकता है।
इसे भूनकर भी सेवन किया जा सकता है।
सलाद या स्मूदी में डालकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 9.33 मिलीग्राम (17)।
9. सूखे खुबानी (Dried Apricots)
सूखे खुबानी में फाइबर के साथ-साथ कई आवश्यक विटामिन होते हैं, जिनमें विटामिन-ई भी शामिल है (18)। जहां फाइबर पाचन में मदद कर सकता है (19)। वहीं, विटामिन-ई सेहत के साथ-साथ त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है (20)।
सेवन का तरीका:
सूखे खुबानी का सेवन सीधे किया जा सकता है।
इसे सलाद के साथ भी खाया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 4.33 मिलीग्राम।
10. कीवी
कीवी में विटामिन-ई तो होता ही है, साथ ही यह विटामिन-सी का भी अच्छा स्रोत है (21)। कीवी में मौजूद विटामिन-सी इम्युनिटी के लिए भी लाभकारी हो सकता है।
सेवन का तरीका:
कीवी को ऐसे ही छीलकर खाया जा सकता है।
कीवी के जूस का भी सेवन किया जा सकता है।
फ्रूट सलाद में कीवी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कीवी की स्मूदी का भी सेवन कर सकते हैं।
कीवी की आइसक्रीम भी खा सकते हैं।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 1.46 मिलीग्राम (22)।
11. ब्रोकली
सब्जियों की बात करें, तो ब्रोकली भी स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थों में से एक है। हालांकि, अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में ब्रोकली में विटामिन-ई की मात्रा कम होती है, लेकिन इसमें विटामिन-सी, फाइबर और पोटैशियम जैसे जरूरी पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं (23)।
सेवन का तरीका:
ब्रोकली की सब्जी बनाकर खाई जा सकती है।
ब्रोकली का सेवन सूप में डालकर भी किया जा सकता है।
ब्रोकली को फ्राई करके भी खाया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 0.78 मिलीग्राम (24)।
12. टमाटर
टमाटर किसी भी सब्जी का स्वाद बढ़ा सकता है। स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है। टमाटर में विटामिन-ए और विटामिन-सी के साथ-साथ लायसोपीन (lycopene) नामक एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होता है (25)। साथ ही इसमें विटामिन-ई भी मौजूद है, लेकिन काफी कम मात्रा में।
सेवन का तरीका:
टमाटर को सब्जी में डालकर सेवन किया जा सकता है।
टमाटर का इस्तेमाल सलाद और सैंडविच में किया जा सकता है।
टमाटर की चटनी का भी सेवन किया जा सकता है।
टमाटर का सूप भी पी सकते हैं।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 0.54 मिलीग्राम (26)।
13. अजमोद/ अजवायन
अजमोद में भी विटामिन-ई मौजूद होता है, लेकिन अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में कम। इसके अलावा, इसमें विटामिन ए, सी, के और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं (27)।
सेवन का तरीका:
अजमोद को सलाद के साथ खाया जा सकता है।
अजमोद का सेवन पीनट बटर, चीज़ डिप या सॉस के साथ किया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 0.75 मिलीग्राम (28)।
14. ओर्गेनो
विटामिन-ई के लिए ओर्गेनो का सेवन भी किया जा सकता है। खाने में विटामिन ई को शामिल करने के आसान विकल्पों में से एक आसान विकल्प ये भी हो सकता है।
सेवन का तरीका:
इसे सलाद और सैंडविच के साथ सेवन किया जा सकता है।
विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 18.26 मिलीग्राम (29)।
15. ऑलिव या जैतून
जैतून के तेल के साथ जैतून भी लाभकारी हो सकता है। इसमें विटामिन-ई मौजूद होता है, इसलिए यह सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है।
सेवन का तरीका:
इसे सैंडविच या पिज्जा के साथ खाया जा सकता है।
जैतून के तेल को खाना बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
जैतून के अचार का सेवन किया जा सकता है।
जैतून के तेल को त्वचा और बालों के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 3.81 मिलीग्राम (30)।
नोट : ऊपर बताए गए किसी भी खाद्य पदार्थ से अगर किसी को एलर्जी हो, तो उस खाद्य पदार्थ का सेवन न करें। अगर किसी को विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन के बाद असहजता महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर कोई व्यक्ति किसी विशेष प्रकार की दवाई का सेवन कर रहा है, तो विटामिन ई के कैप्सूल या विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन से पहले भी डॉक्टर की राय लें।
ये थे कुछ विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ। अब बारी आती है यह जानने की कि शरीर में अगर विटामिन ई की कमी हो, तो क्या बीमारियां हो सकती हैं।
विटामिन ई की कमी से होने वाले रोग
नीचे पढ़ें विटामिन ई की कमी से हो��े वाले रोगों के बारे में (4)।
क्रोन रोग ( Crohn’s Disease) – इसमें पाचन तंत्र में सूजन की समस्या हो सकती है। इसके लक्षणों में दस्त, बुखार और वजन घटना शामिल है (31)।
सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis) – यह फेफड़ों की बीमारी होती है। यह वंशानुगत है और अगर परिवार के किसी सदस्य को यह समस्या है, तो उसी परिवार के किसी दूसरे व्यक्ति को भी यह हो सकती है। इसमें विटामिन (ए, ई, के और डी) के सप्लीमेंट दिए जा सकते हैं (32)।
तंत्रिका और मांसपेशियों की समस्या भी हो सकती है।
देखने की क्षमता में कमी आ सकती है।
विटामिन ई की कमी से प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो सकती है।
लेख के आगे के भाग में जानिए शरीर को कितने विटामिन ई की जरूरत होती है।
आपको विटामिन ई की कितनी आवश्यकता है?
प्रत्येक दिन आवश्यक विटामिन ई की मात्रा व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करती है। नीचे हम उसके बारे में एक सूची साझा कर रहे हैं (1) (4)।
वर्ग बच्चे और वयस्क मात्रा प्रति दिन जन्म से लेकर 6 महीने तक 4 मिलीग्राम 7–12 महीने तक के बच्चे  5 मिलीग्राम 1 से 3 साल तक के बच्चे  6 मिलीग्राम 4 से 8 साल तक के बच्चे 7 मिलीग्राम 9–13 साल तक के बच्चे 11 मिलीग्राम 14-18 साल तक के किशोर  15 मिलीग्राम वयस्क 15 मिलीग्राम गर्भवती महिला 15 मिलीग्राम स्तनपान कराने वाली महिला 19 मिलीग्राम
नोट : विटामिन-ई की मात्रा के बारे में एक बार डॉक्टर से भी सलाह जरूर लें। डॉक्टर व्यक्ति के स्वास्थ्य के अनुसार इसके सेवन के बारे में जानकारी देंगे।
लेख के आगे के भाग में पढ़ें कि विटामिन की कमी से बचाव कैसे किया जा सकता है।
विटामिन ई की कमी से बचने के उपाय – Prevention Tips for Vitamin E Deficiency in Hindi
विटामिन-ई की कमी से बचाव के लिए विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थों जैसे – सब्जियों और फलों का सेवन करें।
विटामिन-ई युक्त ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें।
डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन ई के कैप्सूल का सेवन भी कर सकते हैं।
विटामिन ई के फायदे शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए हो सकते हैं। साथ ही ध्यान रहे कि जरूरत से ज्यादा सेवन करने से नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए, सही तरीके से और डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन ई का सेवन करें। अगर किसी भी विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ से किसी व्यक्ति को एलर्जी हो, तो उस विशेष खाद्य पदार्थ का सेवन न करें। ध्यान रहे विटामिन ई कुछ बीमारियों से बचाव कर सकता है, न कि उन्हें ठीक कर सकता है। किसी भी गंभीर बीमारी के लिए डॉक्टरी इलाज आवश्यक है। इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति विटामिन ई के कैप्सूल का सेवन करना चाहता है, तो डॉक्टरी सलाह जरूरी है। अगर आप इस विषय के संबंध में कोई सवाल या सुझाव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हमें संपर्क करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या विटामिन ई में रक्त को पतला करने के गुण मौजूद होते हैं?
हां, विटामिन-ई में रक्त को पतला करने के गुण मौजूद हैं (33)। इसके इस गुण के कारण दिल के दौरे का जोखिम कम हो सकता है। ध्यान रहे कि अगर आप पहले से खून को पतला करने की किसी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो विटामिन-ई के सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
क्या विटामिन ई पानी में घुलनशील है?
नहीं, यह वसा में घुलनशील है (1)।
विटामिन ई के कुछ तथ्य क्या हैं?
विटामिन ई की खोज 1922 में डॉ. हर्बर्ट इवांस और कैथरीन बिशप ने की थी (34)।
विटामिन ई की कमी आमतौर पर असामान्य है। ऐसा आनुवंशिक विकार, कुपोषित बच्चे और शिशु के समय पहले जन्म लेने जैसी अवस्था में ही हो सकता है (4)।
विटामिन ई का सबसे अच्छा रूप क्या है?
अल्फा टोकोफेरॉल (alpha-tocopherol) प्राकृतिक रूप से खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला विटामिन ई है (35)। ये खाद्य पदार्थों और सप्लीमेंट में मौजूद होता है।
विटामिन ई के 8 रूप क्या हैं?
विटामिन ई आठ यौगिकों का एक समूह है, जिसमें चार टोकोफेरोल्स (अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा) और चार टोकोट्रिऑनोल (अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा) शामिल है (3)।
The following two tabs change content below.
Latest posts by Arpita Biswas (see all)
Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
संबंधित आलेख
Source: https://www.stylecraze.com/hindi/vitamin-e-ke-srot-aur-fayde-in-hindi/
0 notes
gethealthy18-blog · 5 years
Text
डायरिया के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Diarrhea Symptoms and Home Remedies in Hindi
New Post has been published on http://healingawerness.com/getting-healthy/getting-healthy-women/%e0%a4%a1%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a3-%e0%a4%b2%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%a3-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%98/
डायरिया के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Diarrhea Symptoms and Home Remedies in Hindi
Arpita Biswas May 1, 2019
सर्दी-जुकाम और बुखार की तरह डायरिया भी आम, लेकिन गंभीर समस्या है। गर्मी और बरसात के मौसम में इसका प्रकोप सबसे ज्यादा होता है। इसके पीछे अहम कारण गंदगी है। लगभग हर किसी ने अपने जीवन में कभी न कभी डायरिया का सामना किया ही होगा। जिन्हें डायरिया हुआ है, उन्हें पता होगा कि पेट में ऐंठन और सूजन कितनी तकलीफदेय होती है। बार-बार उल्टी और दस्त होना डायरिया के लक्षण हैं। अगर डायरिया का इलाज सही वक्त पर न किया जाए, तो इससे जान भी जा सकती है। आपको इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस लेख में हम आपको डायरिया के घरेलू उपाय बताएंगे। हमारे साथ जानिए डायरिया के लक्षण और डायरिया से बचाव के उपाय।
विषय सूची
डायरिया क्या होता है?- What is Diarrhea in Hindi
अगर किसी व्यक्ति को लूज मोशन या पानी की तरह दस्त हों और साथ ही में लगातार उल्टी हो रही हो, तो यह डायरिया है। नोरोवायरस व संक्रमण दस्त के कारणों में से एक है। आपको जानकर हैरानी होगी कि विकासशील देशों में यह 2 लाख से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार है (1)। स्वच्छता का पालन करके डायरिया से बचाव आसानी से किया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। यूं तो दस्त की समस्या सिर्फ कुछ दिन तक ही रहती है, लेकिन कुछ मामलों में दस्त जान के लिए खतरा भी बन सकता है।
डायरिया की परिभाषा समझने के बाद, अब इसके प्रकारों के बारे में जान लेते हैं।
डायरिया के प्रकार – Types of Diarrhea in Hindi
डायरिया तीन प्रकार के होते हैं, जिनके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं (2)।
पानी जैसा दस्त (Acute Watery Diarrhea) : यह कई घंटों या दिनों तक रह सकता है। यह कॉलेरा संक्रमण (cholera infection) के कारण भी हो सकता है ।
दस्त में खून (Acute Bloody Diarrhea) : इसमें पानी जैसा मल आता है, लेकिन मल के साथ खून भी आता है। इसे पेचिश भी कहा जाता है।
लगातार होने वाले दस्त (Persistent Diarrhea) : यह 14 दिन या उससे अधिक दिनों तक रहते हैं।
आर्टिकल के इस भाग में जानिए कि यह समस्या किन-किन कारणों से हो सकती है।
डायरिया के कारण – Causes of Diarrhea Hindi
डायरिया के कारण कई हैं, जिनके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
दस्त की अधिकांश वजह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (gastrointestinal tract) में संक्रमण होता है।
दूषित पानी या भोजन का सेवन करने से।
ज्यादा यात्रा करने से और इधर-उधर का खाना खाने से।
दवाइयां जैसे – एंटीबायोटिक या पेट साफ करने की दवा।
5. अधा पका या कच्चा मीट का सेवन करने से।
वंशानुगत या आनुवंशिक स्थिति, जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस या एंजाइम की कमी।
पेट या पित्ताशय की थैली की सर्जरी कराने के बाद।
पेट से संबंधित समस्या जैसे – इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome – IBS), माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस (microscopic colitis) के कारण।
बच्चों में रोटावायरस (rotavirus) की वजह से डायरिया हो सकता है।
स्विमिंग के दौरान दूषित पानी के पेट में चले जाने से।
ज्यादा गर्म या नमी वाले मौसम से भी दस्त लग सकते हैं।
जब शिशुओं के दांत निकलते हैं, तो उन्हें डायरिया हो सकता है। उस वक्त उनके मसूड़ों में खुजली होती है, तो वो कुछ भी उठाकर चबाने लगते हैं, जिस कारण उन्हें पेट संबंधी समस्याएं होने लगती हैं।
अब हम उन लक्षणों की बात कर लेते हैं, जिनके कारण डायरिया होता है।
डायरिया के लक्षण – Symptoms of Diarrhea in Hindi
कई बार दस्त बिना इलाज के अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में चिकित्सा की जरूरत होती है। बेहतर है कि वक्त रहते इस पर ध्यान दिया जाए। अगर डायरिया का इलाज सही तरीके से करना है, तो पहले डायरिया के लक्षण जानने जरूरी हैं, ताकि इसका सटीक इलाज हो सके। डायरिया के कारण बताने के बाद अब हम आपको डायरिया के लक्षण बता रहे हैं।
पेट दर्द
सूजन
पेट में मरोड़
वजन घटना
बुखार
मल में रक्त आना
लगातार उल्टी होना
लगातार लूज मोशन होना
शरीर में दर्द
बार-बार प्यास लगना
डिहाइड्रेशन
सिरदर्द
आर्टिकल के इस अहम भाग में हम उन घरेलू उपायों की बात करेंगे, जिनसे डायरिया को ठीक किया जा सकता है।
डायरिया का घरेलू इलाज – Home Remedies for Diarrhea in Hindi
1. ओआरएस (ORS)
Shutterstock
सामग्री :
छह चम्मच चीनी
एक चम्मच नमक
एक लीटर उबला हुआ पानी
बनाने और उपयोग करने की विधि :
चीनी को पानी में मिलाएं।
जब चीनी अच्छी तरह घुल जाए, तो इसमें नमक मिलाएं।
फिर इस मिश्रण का सेवन करें।
इसका सेवन कब करें?
आप हर कुछ देर में या जितनी बार भी आपको लूज मोशन हो उसके बाद इसका सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है?
बाजार में कई तरह के इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स उपलब्ध हैं, लेकिन अगर घर में किसी को अचानक डायरिया हो जाए, तो तुरंत इलाज के लिए घर में बना ओआरएस लाभकारी होता है। इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स या ओआरएस का सेवन काफी वक्त से लोग करते आ रहे हैं। डायरिया के दौरान डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है, जिस कारण कमजोरी होने लगती है। इस स्थिति में ओआरएस के सेवन से न सिर्फ कमजोरी दूर होगी, बल्कि डायरिया का असर भी कम हो सकता है (3) (4)।
2. नारियल पानी
Shutterstock
सामग्री :
एक गिलास ताजा नारियल पानी
क्या करें
रोजाना एक गिलास ताजा नारियल पानी पिएं।
कब इसका सेवन करें?
आप रोजाना इसका सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है?
जिनको हल्के दस्त की शिकायत है, वह नारियल पानी का उपयोग रिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी के स्तर को संतुलित बनाए रखने के लिए कर सकते हैं। साथ ही डायरिया के बाद होने वाली रिकवरी के दौ���ान, जो खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं (रीफिडिंग- refeeding) उसके साथ भी आप इसका सेवन कर सकते हैं (5) (6)।
सावधानी – गंभीर डिहाइड्रेशन या दस्त के लक्षणों के उपचार के लिए इसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। कॉलेरा या किडनी की समस्या में भी इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
3. चावल का पानी
Shutterstock
सामग्री :
आधा गिलास चावल का पानी
क्या करें?
पके हुए चावल के पानी को छान लें।
जब भी आपको डायरिया के दौरान लूज मोशन हों, उसके तुरंत बाद आधा गिलास चावल का पानी पिएं।
यह उपचार छोटे बच्चों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।
इसका सेवन कब करें?
आप दो से तीन बार या उससे ज्यादा बार भी इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
चावल का पानी आपके स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव डाले बिना मल की संख्या में कटौती कर सकता है। यह बच्चों में इन्फेंटाइल गैस्ट्रोएन्टेराइटिस (infantile gastroenteritis) के कारण होने वाले डायरिया को रोकने में मदद कर सकता है। आप इसे हल्के खाद्य पदार्थ और ओआरएस के साथ ले सकते हैं। यह हल्के से लेकर सामान्य दस्त में ज्यादा असरदार होता है (7) (8)।
4. शहद
Shutterstock
सामग्री :
शहद
पानी
बनाने और उपयोग करने की विधि :
लूज मोशन होने पर आप दिनभर में एक से दो चम्मच शहद का सेवन कर सकते हैं।
इसके अलावा, आप गर्म पानी में एक से दो चम्मच शहद मिलाकर उसे ठंडा करके पी सकते हैं।
कब इसका सेवन करें?
आप एक से दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
शहद में एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद हैं, जो गैस्ट्रोएन्टेराइटिस (gastroenteritis) के कारण होने वाले डायरिया को कम करने में मदद करते हैं। अगर शहद को ओआरएस के साथ लिया जाए, तो इससे भी बैक्टीरियल डायरिया की अवधि कम हो सकती है (9)।
5. अदरक
Shutterstock
सामग्री :
अदरक के कुछ छोटे टुकड़े
एक कप पानी
बनाने और उपयोग करने की विधि :
एक कप पानी में एक इंच या दो अदरक के टुकड़े डालें।
अब इस मिश्रण को उबालें।
जब यह उबाल जाए, तो इसे छानकर इसका सेवन करें।
कब इसका सेवन करें?
आप दिनभर में एक से दो बार इसका सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है?
जापान की एक फार्मास्युटिकल सोसायटी के जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अदरक में मौजूद एसीटोन एक्सट्रैक्ट सेरोटोनिन (मस्तिष्क में प्राकृतिक रूप से बनने वाला केमिकल) से दस्त को रोकने में मदद मिल सकती है (10)। इतना ही नहीं, अदरक पेट संबंधी अन्य समस्यायों जैसे – गैस, पेट दर्द, पेट फूलना, सीने में जलन व भूख न लगने से भी राहत दिलाता है (11)।
6. दही
Shutterstock
सामग्री :
कैसे उपयोग करें ?
आप एक कटोरी दही ऐसे ही खा सकते हैं।
आप चावल के साथ भी दही का सेवन कर सकते हैं।
इसका सेवन कब करें?
आप एक दिन में दो से तीन बार दही का सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
प्रोबायोटिक पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अगर सामान्य खाद्य पदार्थ की बात करें जिसमें प्रोबायोटिक मौजूद है, तो वह दही है। दही न सिर्फ ठंडा होता है, बल्कि डायरिया के दौरान इसका सेवन बहुत लाभकारी होता है। इससे डायरिया की अवधि कम हो सकती है और जल्द छुटकारा भी मिल सकता है (12) (13) (14) (15)।
7. ग्रीन या कच्चा केला
Shutterstock
सामग्री :
एक कच्चा केला
नमक (स्वादानुसार)
नींबू (वैकल्पिक)
बनाने और उपयोग करने की विधि :
आप कच्चे केले को उबाल लें।
इसे अच्छे से मैश यानी कुचल लें।
फिर इसमें स्वादानुसार नमक और थोड़ा नींबू का रस निचोड़कर मिला लें।
फिर इसका सेवन करें।
आप उबले हुए चावल के साथ भी इसका सेवन कर सकते हैं।
इसका सेवन कब करें?
आप दिनभर में एक से दो बार इसका सेवन करें।
कैसे फायदेमंद है?
केले में पेक्टिन नामक तत्व होता है, जो डायरिया की समस्या को कम कर सकता है। अगर डायरिया में उबला हुआ केला दिया जाए, तो यह बहुत लाभकारी हो सकता है। अगर डायरिया के घरेलू उपाय की बात करें, तो यह अच्छा विकल्प है (16) (17)।
8. ग्रीन टी
Shutterstock
सामग्री :
एक चम्मच या एक ग्रीन टी बैग
एक कप गर्म पानी
बनाने और उपयोग करने की विधि :
एक चम्मच या एक ग्रीन टी बैग को एक कप गर्म पानी में पांच से छह मिनट के लिए भिगोकर रखें।
फिर इसे छानकर इस चाय का सेवन करें।
इसका सेवन कब करें?
आप दिनभर में एक से दो बार पी सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
ग्रीन टी में अधिक मात्रा में कैटेकिन होता है, जो रेडियोथेरेपी से होने वाले डायरिया को कम करने में मदद कर सकता है। जो मरीज पेल्विक या पेट के निचले हिस्से में रेडियोथेरेपी करा चुके हैं और अगर डायरिया व उल्टी से पीड़ित हैं, तो उनके लिए हर रोज 450 मिलीग्राम (450 mg/day) ग्रीन टी सुरक्षित है। फिर भी इसे लेने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें (18)।
9. विटामिन-ए
Shutterstock
सामग्री :
विटामिन-ए युक्त खाद्य पदार्थ या सप्लीमेंट्स
उपयोग करने की विधि :
अपने आहार में विटामिन-ए युक्त खाद्य पदार्थ जैसे – गाजर, शक्करकंद व पालक का सेवन करें।
इसके अलावा, आप अपने डॉक्टर से पूछकर विटामिन-ए के सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
कब इसका सेवन करें?
आप अपने आहार में विटामिन-ए युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
कई बार विटामिन-ए की कमी से भी डायरिया हो सकता है। ऐसे में विटामिन-ए युक्त खाद्य पदार्थ या सप्लीमेंट्स डायरिया से बचाव कर सकते हैं। हल्के डायरिया के दौरान विटामिन-ए के सेवन से भी इसके लक्षण कम हो सकते हैं। कुछ हद तक कहा जा सकता है कि विटामिन-ए की कमी और डायरिया के बीच संबंध है (19) (20) (21)।
10. कैमोमाइल टी (Chamomile tea)
Shutterstock
सामग्री :
एक कैमोमाइल टी बैग या एक चम्मच सूखे कैमोमाइल फूल
एक कप गर्म पानी
दो से तीन पुदीने के पत्ते (वैकल्पिक)
उपयोग करने की विधि :
एक कप गर्म पानी में कैमोमाइल टी बैग या एक चम्मच सूखे कैमोमाइल फूल को थोड़ी देर भिगोकर रखें।
अब आप इस गरमा गर्म काढ़े में पुदीने के पत्ते मिला दें।
फिर इसका सेवन करें।
कब इसका सेवन करें?
डायरिया के दौरान आप दो से तीन कप कैमोमाइल टी का सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
कैमोमाइल चाय डायरिया के दौरान काफी आराम दिला सकती है। यह डायरिया की अवधि को कम कर सकती है। इसमें एंटी-डायरियल और एंटीस्पैस्मोडिक गुण मौजूद हैं। यह बच्चों में पेट दर्द की परेशानी से भी राहत दिला सकती है (22) (23) (24)।
दस्त लगने पर खान-पान का ध्यान रखना भी जरूरी है।
डायरिया में क्या खाना चाहिए – Foods to Eat for Diarrhea in Hindi
यहां हम आपको बता रहे हैं कि डायरिया होने पर क्या खाना चाहिए।
केला
दही
सेब
उबले चावल
खिचड़ी
उबला आलू
खूब सारा पानी पिएं
एक बार में ज्यादा खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा करके कुछ-कुछ अंतराल में हल्की चीजें खाएं।
डायरिया में क्या न खाएं – Foods to avoid during Diarrhea in Hindi
आपने ऊपर जाना कि डायरिया के दौरान क्या खाना चाहिए। इसी के साथ आपके लिए यह जानना भी उतना ही जरूरी है कि डायरिया में क्या नहीं खाना चाहिए। नीचे हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं।
मसालेदार खाद्य पदार्थ
तैलीय चीजें
बाहरी खाना या जंक फूड
डिब्बेबंद खाद्य पदार्थ
ड्राई फ्रूट्स
शराब
डेयरी प्रोडक्ट्स
कच्ची सब्जियां
साइट्रस फ्रूट्स
कैफीन
इसके अलावा, ज्यादा भारी खाद्य पदार्थ जैसे – चिकन, मीट व अंडा इनके सेवन से बचें। ये आपके पेट के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।
डायरिया से बचाव – Prevention Tips for Diarrhea in Hindi
Shutterstock
डायरिया के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय जानने के बाद अब वक्त आता है डायरिया से बचाव जानने का। नीचे हम आपको कुछ आसान और सामान्य टिप्स दे रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने आप को काफी हद तक डायरिया से बचा सकते हैं।
हमेशा बाहर से आने के बाद, शौच से आने के बाद और खाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से साबुन व पानी से धोएं।
किसी भी जानवर चाहे वो पालतू ही क्यों न हो, उसे छूने के बाद हाथों को धोएं।
अगर आप ऐसी जगह हैं, जहां पानी नहीं है, तो अपने साथ सैनिटाइजर रखें और उसका उपयोग करें।
जब आप कहीं यात्रा कर रहे हैं, तो कहीं भी कुछ भी न खा लें या कहीं का भी पानी न पिएं।
हमेशा बाहर ऐसी जगह से खाएं जहां सफाई हो।
ज्यादा चाय-कॉफी का सेवन न करें।
कच्चे या आधे उबले अंडे का सेवन न करें।
खाना बनाने के पहले सब्जियों को अच्छी तरह से धो लें।
फलों को खाने से पहले अच्छे से धो लें।
बासी खाना या फ्रिज में ज्यादा दिनों तक रखा खाना न खाएं।
डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए – When To See A Doctor in Hindi
डायरिया के घरेलू उपाय हमने आपको बताएं, लेकिन उनके उपयोग से भी आपको कोई सुधार नहीं दिख रहा है, तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
अगर आपके शिशु को 24 घंटों में छह से ज्यादा बार पानी जैसा लूज मोशन हो या तीन से ज्यादा बार उल्टी हो, तो बिना देर करते हुए डॉक्टर की सलाह लें।
एक साल से ऊपर के बच्चे को भी 24 घंटे में छह बार से ज्यादा बार लूज मोशन हो, तो उसे जल्द डॉक्टर के पास ले जाएं।
इसके अलावा, अगर आपको नीचे दिए गए कुछ लक्षण दिखते हैं, तो भी आप तुरंत डॉक्टर की सलाह लें –
लगातार लूज मोशन हो
कमजोरी हो
लगातार वजन कम हो रहा हो
लगातार उल्टी हो रही हो
मल में खून आए
लगातार पेट दर्द हो
डिहाइड्रेशन हो
बुखार हो या चक्कर आए
अगर डायरिया पर वक्त रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह गंभीर रूप ले सकता है। हालांकि, ऊपर दिए गए डायरिया के घरेलू उपाय आपको इसके लक्षणों से राहत दिला सकता हैं, लेकिन सिर्फ घरेलू उपाय ही नहीं, इस स्थिति में खाना-पीना भी बहुत मायने रखता है। अगर आप सही खान-पान के साथ इन उपायों को आजमाएंगे, तो हो सकता है कि आपकी परेशानी जल्द ठीक हो जाए। घरेलू उपायों के बाद भी डायरिया के लक्षण ठीक होते नहीं दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर डायरिया का इलाज कराएं। डायरिया ऐसी स्थिति है, जो आपके दिन-प्रतिदिन की स्वच्छता की आदतों पर भी निर्भर करती है। इसलिए, डायरिया से बचाव के लिए आप अपनी जीवनशैली और आदतों में बदलाव लाएं। अगर आपके पास भी डायरिया से बचाव के कुछ घरेलू उपाय हैं, तो हमारे साथ नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें।
The following two tabs change content below.
Latest posts by Arpita Biswas (see all)
डायरिया के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Diarrhea Symptoms and Home Remedies in Hindi – May 1, 2019
त्रिफला चूर्ण के फायदे, उपयोग और नुकसान – Triphala Churna Benefits, Uses and Side Effects in Hindi – May 1, 2019
सेंधा नमक के फायदे, उपयोग और नुकसान – Epsom Salt (Sendha Namak) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi – May 1, 2019
जायफल के 17 फायदे, उपयोग और नुकसान – Nutmeg Benefits, Uses and Side Effects in Hindi – April 30, 2019
जीरा के 19 फायदे, उपयोग और नुकसान – Cumin (Jeera) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi – April 29, 2019
Arpita Biswas
संबंधित आलेख
Source: https://www.stylecraze.com/hindi/diarrhea-ke-karan-lakshan-gharelu-ilaj-in-hindi/
0 notes