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#पालक खाने के फायदे और नुकसान
letsdiskuss-sep · 2 years
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desifayde · 3 years
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jasus007 · 2 years
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हर रोज पालक खाने के क्या हो सकते हैं फायदे और क्या हो सकता है नुकसान, आप भी जानिए
हर रोज पालक खाने के क्या हो सकते हैं फायदे और क्या हो सकता है नुकसान, आप भी जानिए
  मुंबई, 22 मार्च, पालक एक लोकप्रिय खाद्य पदार्थ है, एक हरी पत्तेदार सब्जी है जिसे आहार विशेषज्ञ अपने दैनिक आहार में शामिल करने पर जोर देते हैं। यह स्वास्थ्य लाभ से भरा हुआ है, और इसके नियमित सेवन से आपकी आयरन सामग्री, प्रोटीन और आपकी प्रतिरक्षा को भी बढ़ावा मिल सकता है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप रोजाना पालक खाने से आपके शरीर का क्या होता है? आहार विशेषज्ञ और पोषण विशेषज्ञ गरिमा गोयल…
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omthedevinename · 3 years
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Diabetes के मरीजों के लिए कौन से ड्रिंक्स माने जाते हैं रामबाण और किससे हो सकता है नुकसान, जानें Diabetes Diet Tips: कोकोनट ऑयल न्यूट्रिशनल वैल्यूज से परिपूर्ण होते हैं। इसमें पाया जाने वाला एंटी-ऑक्सीडेंट्स शरीर को संक्रमण से दूर रखता है। Drinks for Blood Sugar: डायबिटीज वो बीमारी है जिसमें ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। खराब जीवनशैली और गलत खानपान डायबिटीज होने का मुख्य कारण हैं। चीनी की मात्रा शरीर में ज्यादा होने से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा अधिक हो जाती है। इन्सुलिन वो हार्मोन है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित कर खाने को ऊर्जा में बदलता है। इन्सुलिन का स्तर लगातार बढ़ने पर खून में ग्लूकोज यानी चीनी की मात्रा बढ़ने लगती है। डायबिटीज, इन्सुलिन प्रतिरोध का अगला स्तर है। मधुमेह रोगी ब्लड शुगर के स्तर को संतुलित बनाए रखने के लिए कई उपाय करते हैं। खानपान को लेकर सावधानी बरतने से भी रक्त शर्करा के स्तर पर काबू किया जा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि कुछ पेय पदार्थ इसके स्तर को कंट्रोल करने में मददगार हैं, जबकि कुछ ड्रिंक्स ब्लड शुगर लेवल बढ़ाने का काम करते हैं। किन ड्रिंक्स का सेवन है फायदेमंद:  करेले का जूस – कड़वा करेला हमें मीठे के कारण होनेवाली बीमारी डायबिटीज से बचाता है। डायबिटीज टाइप 1 और टाइप 2 दोनों के मरीजों के लिए करेले का जूस फायदेमंद होता है। करेले में डायबिटीज कंट्रोल करने वाले इंसुलिन प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं। इसमें पाए जाने वाले प्रॉपर्टीज डायबिटीज को नियंत्रित करने का काम करते हैं। दिन भर मे आपको करेला का जूस कितनी मात्रा में लेना चाहिए, यह आपके ब्लड शुगर लेवल और बॉडी कंडीशंस पर निर्भर करता हैं। इनके बारे में आप डाक्टर से जरूर सलाह ले लें। इसके अलावा, जहां तक अन्य सब्जियों के जूस की बात है, तो इसके सेवन से मरीजों को कई तरह के फायदे हो सकते हैं। गाजर का जूस, चुकंदर का जूस और पालक का जूस डायबिटीज पेशेंट्स के लिए बेहतरीन विकल्प है। नारियल पानी – कोकोनट ऑयल न्यूट्रिशनल वैल्यूज से परिपूर्ण होते हैं। इसमें पाया जाने वाला एंटी-ऑक्सीडेंट्स शरीर को संक्रमण से दूर रखता है। इसमें मैग्नीशियम सॉल्ट पाया जाता है जो ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करता है। पालक जूस: पालक उन खाद्य पदार्थों में शामिल है जो ब्लड शुगर को प्रभावित किये बगैर सम्पूर्ण सेहत को लाभ पहुंचाता है। आयरन और विटामिन सी युक्त पालक के रस को पीने से डायबिटीज के साथ ही अन्य बीमारियों से भी बचाव होता है। इन ड्रिंक्स से रहें दूर:  फ्रूट जूस – बात जब डायबिटीज की हो तो फलों के जूस से किनारा कर (at Prayagraj - the Sangam City) https://www.instagram.com/p/CLMywQtMKDM/?igshid=1s2wk75hfbdfo
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chaitanyabharatnews · 5 years
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बासी रोटी खाने से शरीर को नुकसान नहीं बल्कि होते हैं ये 5 फायदे
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चैतन्य भारत न्य��ज आम धारणा है कि बासी रोटी खाने से शरीर को नुकसान होता है। यही वजह है कि सभी लोग ताजी रोटी खाने की सलाह देते हैं। कहा जाता है कि बासी या 12 घंटे से ज्यादा पुराना खाना खाने से दस्त, फूड पॉइजनिंग, एसिडिटी जैसी और भी कई समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन आप शायद ही जानते होंगे कि बासी रोटी खाने से सेहत को कई लाभ भी होते हैं।
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बासी रोटी सुबह नाश्ते में खाने के लिए बेहद सुरक्षित और लाभदायक है। बासी रोटी में ज्यादा मात्रा में पौष्ट‍िक तत्व, न्यूट्रिंयस और प्रोटीन होते हैं। बासी रोटी से शरीर को एनर्जी भी मिलती है। तो आइए जानते हैं बासी रोटी खाने से और कौन-कौन से लाभ होते हैं।
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ये हैं बासी रोटी खाने के फायदे- डायबिटिज के मरीजों के लिए बासी रोटी बहुत फायदेमंद होती है। इसे खाने से उनके खून में ग्लूकोज का स्तर नियंत्रण में रहता है। बासी रोटी को दूध में खाने से ब्लड प्रेशर का स्तर नियंत्रित रहता है। अगर आपको ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या है तो सुबह ठंडे दूध के साथ बासी रोटी खाएं। बासी रोटी खाने से पेट की समस्याएं भी दूर होती हैं। दरअसल बासी रोटी में फाइबर होता है, जो कि खाने को पचाता है और पाचन तंत्र की समस्याओं को दूर करता है। बासी रोटी शरीर के तापमान को भी संतुलित बनाए रखने में मददगार है। दुबलेपन की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप सुबह दूध के साथ और रात के भोजन में एक बासी रोटी जरूर शामिल करें। विशेषज्ञों का मानना है कि, ताजी रोटी की अपेक्षा बासी रोटी अधिक पौष्ट‍िक होती है। बता दें रोटी बनने के 12-15 घंटों के अंदर ही रोटी खाना फायदेमंद है। इससे ज्यादा बासी रोटी नुकसान करती है। ये भी पढ़े... हरी सब्जी से कई गुना ज्यादा गुणकारी होती है अरबी, जानिए इसके बेहतरीन फायदे रोजाना पिएं पालक का जूस, शरीर को होंगे ये जबरदस्त फायदे इन बातों पर देंगे ध्यान, तो रात में देर से भोजन करने पर भी नहीं बढ़ेगा मोटापा   Read the full article
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gethealthy18-blog · 4 years
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गुस्से (क्रोध) को कम करने के उपाय – How to Control Anger in Hindi
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गुस्से (क्रोध) को कम करने के उपाय – How to Control Anger in Hindi
गुस्से (क्रोध) को कम करने के उपाय – How to Control Anger in Hindi Ankit Rastogi Hyderabd040-395603080 January 9, 2020
विषय सूची
अधिक क्रोध आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक क्यों है?
गुस्सा आना आम है। यह एक भावनात्मक प्रवृत्ति है। किसी को यह कम आता है तो किसी को ज्यादा। क्या आप जानते हैं कि जल्दी गुस्सा होना या गुस्सा अधिक आना एक समस्या है, जो मानसिक और शारीरिक क्षति का कारण बन सकती है (1)। ऐसे में जरूरी है, गुस्से पर काबू पाना। हालांकि, यह बात सभी जानते हैं कि जब इंसान गुस्से की चपेट में आता है तो वह खुद पर नियंत्रण खो देता है। दिमाग की सोचने समझने की क्षमता कम हो जाती है। यही कारण है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको गुस्सा कम करने के उपाय बताने जा रहे हैं। ये उपाय क्रोध को शांत करने में सहायक भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा, लेख में आपको गुस्सा क्यों आता है और क्रोध क्या है, इस बारे में भी विस्तार से बताया जाएगा।
लेख में हम गुस्सा कम करने के उपाय तो जानेंगे ही लेकिन उससे पहले आइए क्रोध क्या है? जरा इस सवाल का जवाब हासिल कर लेते हैं।
गुस्सा क्या है – What is Anger in Hindi
गुस्सा एक भावनात्मक स्थिति हैं। इसमें किसी भावनात्मक ठेस या जलन के कारण मन में नकारात्मक भाव जन्म लेते हैं। जब भी मनुष्य पर यह हावी होता है, उसकी शारीरिक अभिव्यक्ति में बदलाव दिखने लगता है। इस स्थिति में मनुष्य शारीरिक हाव-भाव से, बोलकर, चिल्लाकर या शारीरिक हमले के द्वारा अपने गुस्से को प्रकट करने का प्रयास करता है (1)। यही कारण है कि दूसरों के साथ-साथ खुद के लिए भी यह स्थिति नुकसानदायक साबित हो सकती है।
क्रोध क्या है जानने के बाद अब हम लेख के अगले भाग में गुस्से के कारण जानने का प्रयास करेंगे।
गुस्से के कारण – Causes of Anger in Hindi
हम आपको लेख में पहले ही बता चुके हैं कि गुस्सा एक भावनात्मक स्थिति हैं। इसमें व्यक्ति के मन में नकारात्मक भाव पैदा होते हैं, जो कुछ विशेष स्थितियों में प्रबल होकर व्यक्ति को प्रभावित करते हैं। तो आइए, हम उन स्थितियों पर एक नजर डाल लेते हैं, जो गुस्सा आने का कारण बनती हैं (2)।
नकारात्मक भाव पैदा करने वाली स्थिति।
किसी व्यक्ति के प्रति मन में घृणा।
पुरानी यादें जो नकारात्मक भाव पैदा करें।
परिवार में झगड़े की स्थिति बनना।
जब सहकर्मी खुद को श्रेष्ट व्यक्त करते हुए काम में दखल दे।
गुस्सा आने के कारण जानने के बाद अब हम आपको गुस्सा कम कैसे करें बताने जा रहे हैं।
गुस्से को कम करने के उपाय – Tips to Control Anger in Hindi
1. उल्टी गिनती करें
उल्टा गिनना एक बेहतरीन विकल्प है, जिसे क्रोध कम करने के उपाय के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाता है। इसके माध्यम से गुस्से की तीव्रता को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है (3)। इसलिए, गुस्से में कुछ भी बोलने से पहले 10 से 1 तक उल्टी गिनती गिने और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें। इससे गुस्सा तो नियंत्रित होगा ही साथ ही सोचने का भी समय मिलेगा, जिससे दी जाने वाली प्रतिक्रिया के प्रभावों के बारे में व्यक्ति अच्छे से विचार कर पाएगा।
2. थोड़ा टहल लें
गुस्सा कम करने के उपाय में टहलना भी शामिल है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित ‘जर्नल ऑफ एक्सरसाइज रिहैबिलिटेशन’ के शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि टहल कर गुस्से को नियंत्रण में किया जा सकता है। खास यह है कि गुस्से को नियंत्रित करने के लिए आपको अपने दिमाग को शांत रखकर टहलते समय अपने चले गए कदमों को गिनना होगा। इससे स्थान परिवर्तन के साथ परिस्थिति में बदलाव आएगा और गुस्से की तीव्रता को कम करने में मदद मिलेगी (4)। इसलिए, जब कभी भी गुस्सा आए तो बेहतर होगा कि बिना अधिक बात किए उस स्थान से उठकर थोड़ी देर टहलने निकल जाएं।
3. मेडिटेशन करें
विषय विशेषज्ञों के मुताबिक गुस्से पर काबू पाने में माइंडफुलनेस मेडिटेशन मददगार साबित हो सकता है (5)। मेडिटेशन के इस प्रकार में मन मस्तिष्क को शांत कर किसी एक बिंदु या खुशी देने वाले पलों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है (6)। क्रोध कम करने के उपाय में मेडिटेशन को शामिल करने से व्यक्ति धीरे-धीरे गुस्से पर नियंत्रण करना सीख जाता है। वहीं त्वरित रूप से यह गुस्से को कुछ हद तक कम करने में भी मदद कर सकता है।
4. गहरी सांस लें
गुस्सा कम कैसे करें, इस सवाल का जवाब आपकी सांस लेने की प्रक्रिया में छिपा हुआ है। दरअसल, अगर ध्यान केंद्रित करते हुए कुछ मिनट तक धीरे-धीरे गहरी सांस ली जाए तो इससे भी गुस्से को नियंत्रित किया जा सकता है (3)। दरअसल, यह प्रक्रिया मेडिटेशन की ही तरह मन को शांत करने में मदद करती है और गुस्से के कारण दी जाने वाली प्रतिक्रिया के अच्छे व खराब परिणामों के बारे में सोचने की क्षमता विकसित करती है।
5. गाने सुनें
गुस्सा शांत करने का उपाय के तौर पर मधुर संगीत को शामिल किया जा सकता है। दरअसल, मन को सुकून देने वाले गाने सुनने से गुस्से को खुद पर हावी होने से रोका जा सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर इस विषय से जुड़ा एक शोध उपलब्ध है। शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि म्यूजिक थेरेपी मन में पनपने वाले नकारात्मक भावों को दूर करने में मदद करती है, जिससे गुस्से को नियंत्रित किया जा सकता है (7)।
6. मांसपेशियों को आराम दें
मांसपेशियों को आराम देकर गुस्से को नियंत्रित किया जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसके लिए व्यक्ति को सबसे पहले अपने गुस्से को अपनी मांसपेशियों में तनाव पैदा करने के लिए इस्तेमाल करना होगा। ऐसे में भुजा या फिर जांघों की मांसपेशियों को एक हाथ से कुछ देर दबाएं और फिर कुछ समय के बाद छोड़ दें। वहीं आप जमीन पर पैरों से जोर देते हुए भी मांसपेशियों में तनाव पैदा कर सकते हैं। ऐसा करने के बाद, कुछ देर के लिए शरीर को अच्छी तरह आराम देने के लिए थोड़ी देर शांति से लेट जाएं। इस प्रक्रिया को अपनाकर काफी हद तक गुस्से को नियंत्रित करने में सफलता मिल सकती है (8)।
7. कुछ भी न बोलें
गुस्सा शांत करने का उपाय एक यह भी है कि आप कुछ भी न बोलें। यह गुस्से को नियंत्रित करने का सबसे बेहतर और आसान विकल्प ��ाना जाता है। गुस्से की स्थिति पैदा होने पर कुछ समय तक खुद को शांत रखने का प्रयास करें और कुछ भी न बोलें। इससे दूसरे को सुनने और समझने का मौका मिलेगा। वहीं गुस्से को नियंत्रित करने के साथ-साथ बेहतर और स्पष्ट प्रतिक्रिया देने में भी मदद मिलेगी (2)।
8. अच्छी नींद लें
हृदय धमनी से संबंधित रोगियों पर किए गए एक शोध में पाया गया कि पर्याप्त नींद न लेने की स्थिति में रोगियों में त्वरित गुस्सा आने की समस्या देखी जाती है (9)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अपर्याप्त नींद की वजह से भी लोग अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं रख पाते। ऐसे में अगर गुस्से को कम करने के उपाय में सोने के नियत समय पर ध्यान दिया जाए और उसमें सुधार किया जाए तो मुमकिन है कि गुस्से की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
गुस्सा कम कैसे करें जानने के बाद अब हम आपको गुस्से से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बता��ंगे।
अधिक क्रोध आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक क्यों है?
अधिक क्रोध कुछ गंभीर समस्याओं के जोखिम को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ाने का काम कर सकता है। इसलिए, इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। आइए निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से जानते हैं कि किन समस्याओं के होने या उन्हें प्रभावित करने में गुस्सा मुख्य भूमिका निभाता है (1)।
हृदय धमनी रोग।
बुलिमिक बिहेवियर (बिगड़ी मनोदशा के चलते सामान्य से अधिक खाने की प्रवृत्ति)।
डायबिटीज।
तेज रफ्तार में गाड़ी चलाना। (बिगड़ी मनोदशा के चलते तेज रफ्तार में वाहन चलाने से दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है)
शराब और सिगरेट जैसी नशीली वस्तुओं के प्रति आकर्षण।
आलस की अधिकता और शारीरिक कार्यक्षमता में कमी।
क्रोध क्या है और गुस्सा क्यों आता है, इन सवालों के जवाब तो अब आपको मिल ही गए होंगे। साथ ही आपको गुस्से पर काबू पाने में सहायक कुछ आसान उपायों के बारे में भी जानकारी हासिल हो गई होगी। वहीं लेख में दिए गए गुस्से के कारणों को पहचान कर गुस्सा पैदा करने वाली स्थितियों से निपटने और उसे नियंत्रित करने में भी मदद मिल सकती है। फिर देर किस बात की, लेख में दिए गए गुस्से को कम करने के उपाय अपना कर अपनी या इस समस्या से ग्रस्त किसी मित्र की मदद करें और एक सुखी और खुशहाल जिंदगी का आनंद उ��ाएं। इस विषय से जुड़ा कोई अन्य सवाल हो तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से उसे हम तक जरूर पहुंचाएं।
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Ankit Rastogi
अंकित रस्तोगी ने साल 2013 में हिसार यूनिवर्सिटी, हरियाणा से एमए मास कॉम की डिग्री हासिल की है। वहीं, इन्होंने अपने स्नातक के पहले वर्ष में कदम रखते ही टीवी और प्रिंट मीडिया का अनुभव लेना शुरू कर दिया था। वहीं, प्रोफेसनल तौर पर इन्हें इस फील्ड में करीब 6 सालों का अनुभव है। प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में इन्होंने संपादन का काम किया है। कई डिजिटल वेबसाइट पर इनके राजनीतिक, स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल से संबंधित कई लेख प्रकाशित हुए हैं। इनकी मुख्य रुचि फीचर लेखन में है। इन्हें गीत सुनने और गाने के साथ-साथ कई तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाने का शौक भी हैं।
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हरे रंग की पत्तेदार सब्जियों में आपने कभी न कभी पालक का स्वाद जरूर चखा होगा। भारत में पालक का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है।
Source: https://www.stylecraze.com/hindi/gussa-kam-karne-ke-upay-in-hindi/
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suryasamachar1 · 5 years
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जानिए ऐसे फ़ूड आइटम्स के बारे में, जो दुबारा गरम करके खाने पर आपको बीमार कर सकते हैं.
खाने पीने की चीजों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इसका सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है. अक्सर घर में सबके खाना खाने के बाद थोड़ा सा खाना बच जाता है जिसे हम फ्रिज में रख देते है और सोचते है की इसे बाद में गर्म करके खाएंगे जानिए ऐसे फ़ूड आइटम्स के बारे में, जो दुबारा गरम करके खाने पर आपको बीमार कर सकते हैं..
कुछ लोग आजकल अपनी लाइफ में इतना बिजी रहते हैं कि आलस में दिन भर का खाना एक बार मे ही पकाकर फ्रीज में रख लेते हैं और जब जरूरत पड़ती है तब इसे गर्म करके खाते हैं. ज्यादातर महिलाएं ऐसा करती हैं क्योंकि स्टोर करने से उनका समय भी बचता है और मेहनत भी.
लेकिन आपको बता दे कि खाने को दोबारा गर्म करके खाना सेहत के लिए सही नहीं रहता हैं. दरअसल खाने को जितनी बार गर्म किया जाता है वो अपनी न्यूट्रीश्नल वैल्यू उतनी ही कम करने लगते हैं. कुछ ऐसे फ़ूड आइटम्स होते है जिन्हें दोबारा गर्म करके कही नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं.
पालक को दोबारा गर्म न करें
पालक शरीर के लिये बहुत फायदेमंद होती है. इसमें भरपूर मात्रा में आयरन होता है. लेकिन पालक को अगर दोबारा गर्म करके खाया जाए तो यह हमारे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है, क्योंकि इसमें नाइट्रेट की मात्रा पाई जाती है जो गर्म करने पर खतरनाक है. इसलिए इसे हमेशा ताजा ही खाना चाहिए.
अंडे को दोबारा न उबाले
अंडे में प्रोटीन होता है और कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है. अगर इन्हे अधिक देर तक ज्यादा हीट पर उबाला जाए या दोबारा उबाला जाए तो ये किसी फायदे के नहीं रहते हैं.
आलू को दोबारा न उबाले
आलू को दोबारा उबालकर खाने से शरीर को नुकसान पहुंचता है. अगर आप आलू उबालने के बाद तुरंत खाते हैं तो वो नुकसान नहीं करता है. लेकिन अगर आप आलू को उबालकर रख देते है और इसे कुछ दिनों बाद इस्‍तेमाल करते है या फ्रिज से निकालकर दोबारा गर्म करते  है तो यह आपकी हेल्‍थ को नुकसान पहुंचा सकता हैं.
मशरूम को दोबारा गर्म न करें
मशरूम को दोबारा गर्म न करें मशरूम हमारे शरीर के लिये बहुत फायदेमंद होता है. लेकिन इसे जितना कम हो सके उतना कम गर्म करना चाहिए. जब भी मशरूम खाएं इसे दोबारा गर्म न करे. क्योंकि ये जितना फायदेमंद होता है दोबारा गर्म करने पर उतना ही नुकसानदायक भी होता है.
तेल को दोबारा गर्म न करें
कभी भी तेल को दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ये सेहत के लिए हानिकारक होता है. तेल को एक से अधिक बार गर्म करने पर उसमें मौजूद हानिकारक तत्व शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं जानिए ऐसे फ़ूड आइटम्स के बारे में, जो दुबारा गरम करके खाने पर आपको बीमार कर सकते हैं .
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bisaria · 6 years
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सनस्‍क्रीन, धूप में बाहर निकलने, हैट पहनने और सनग्‍लास लगाकर आंखों और त्‍वचा को धूप के हानिकारक प्रभाव से बचाया जा सकता है। लेकिन इसके अलावा सही आहार लेकर भी आप यूवी किरणों से बच सकते हैं। खाने और पोषण से त्‍वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से लड़ने में मदद मिलती है इसलिए आपको ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए जो सूर्य से त्‍वचा की रक्षा करे और हमारे शरीर को फायदा पहुंचाए।
धूप में बाहर निकलने से शरीर को विटामिन डी मिलता है जोकि मेटाबोलिक क्रिया और नाखूनों एवं हड्डी के लिए बहुत जरूरी होता है। हालांकि, धूप में बिना किसी सुरक्षा के निकलने की वजह से त्‍वचा का कैंसर, एजिंग और कई तरह के त्‍वचा विकारों का खतरा रहता है।
सनस्‍क्रीन के साथ-साथ अपने आहार में कुछ ऐसी चीज़ों को भी शामिल करें जो आपको धूप और सूर्य की हानिकारक किरणों से बचा सके। तो चलिए जानते हैं उन चीज़ों के बारे में जो आपकी त्‍वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचा सकती हैं।
बीटा कैरोटीन फूड
नारंगी और पीले रंग की सब्जियां और फल इस कैटिगरी में आते हैं। इनमें बीटा कैरोटीन और एंटीऑक्‍सीडेंट और विटामिंस प्रचुर मात्रा में होते हैं जोकि आंखों और त्‍वचा को सूर्य से बचाते हैं। बीटा कैरोटीन युक्‍त फूड जैसे आम, खरबूजा और शकरकंद आदि से सूर्य की किरणों से सुरक्षा पाई जा सकती है। अपनी पसंदीदा प्रोटीन और वैजीज़ में खरबूजे और आम के कुछ स्‍लाइस डालकर खा सकते हैं।
टमाटर
टमाटर में लाइकोपीन और फ्लेवेनॉल्‍स प्रचुर मात्रा में होते हैं और इस वजह से टमाटर सूर्य से सुरक्षा प्रदान करता है। बैंगन, ब्‍लैक बींस और टमाटर फ्लेवेनॉल्‍स से युक्‍त होते हैं जोकि सूर्य से त्‍वचा को बचाने में मदद करते हैं। आप टमाटर का रस या इसे सैंडविच या सलाद में लगाकर अपनी त्‍वचा को सुरक्षित और खूबसूरत रख सकते हैं।
ऑलिव ऑयल
ऑलिव ऑयल में कई तरह के हैल्‍दी फैट होते हैं जो त्‍वचा को क्षतिग्रस्‍त होने और जलन से बचाते हैं। इसमें हैल्‍दी ओमेगा 3 भी होता है और विटामिन ई से युक्‍त ऑलिव ऑयल त्‍वचा को सुरक्षित रखता है। ऑलिव ऑयल में साबुत अनाज और व्‍हीट ब्रेड को डिप करके खाएं। होलव्‍हीट में विटामिन ई की मात्रा बहुत ज्‍यादा होती है। होलव्‍हीट और ऑलिव ऑयल में 100 प्रतिशत विटामिन ई होता है जिसका संबंध सूर्य से त्‍वचा की रक्षा से होता है। आप ताजी ऑलिव भी खा सकते हैं, इससे भी एक समान ही लाभ मिलता है।
सोया
सोया उत्‍पादों जैसे टोफू, एदामेम, सोया मिल्‍क और टेंपेह आदि में आइसोफ्लेवोंस होते हैं जोकि त्‍वचा में कोलाजन के उत्‍पादन को बढ़ाते हैं और झुर्रियों को कम करते हैं और त्‍वचा कैंसर से बचने में मदद करते हैं। सोया से प्रचुर उत्‍पादों को खाने पर कैंसर और अन्‍य रोगों का खतरा कम हो जाता है जोकि त्‍वचा कैंसर से बचाने और कोशिकाओं को स्‍वस्‍थ रखने में फायदेमंद रहता है।
चॉकलेट
डार्क चॉकलेट ना केवल त्‍वचा को सूर्य की किरणों से बचाती है बल्कि ये एंटीऑक्‍सीडेंट्स से युक्‍त होती है जो दिमाग की शक्‍ति को बढ़ाकर तनाव को कम करने में मदद करती है। चॉकलेट में फ्लेवेनॉएड्स जैसे एपिकाटेचिन, कैटेचिन, प्रोसियांदिंस होते हैं। ये फ्लेवेनॉएड्स एंटीऑक्‍सीडेंट की तरह काम करते हैं और सूर्य से त्‍वचा की रक्षा करने में मददगार साबित होते हैं।
हरी सब्जियां
हरी सब्जियां जैसे पालक, केल और स्विस चार्ड में ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं जो सूर्य से रक्षा करते हैं। सब्‍जी का रंग जितना ज्‍यादा गहरा हरा होगा उसका फायदा आपको उतना ही ज्‍यादा मिलेगा क्‍योंकि इनमें फ्री रेडिकल एंटीऑक्‍सीडेंट उतने ही ज्‍यादा होंगें। गर्मी के मौसम में आप हरी सब्जियों का सलाद बनाकर उस पर नीबू निचोड़कर कर और ऑलिव ऑयल की ड्रेसिंग कर अपनी त्‍वचा को खूबसूरत और चमकदार बना सकते हैं। साथ ही इससे सूर्य की हानिकारक किरणों से बचने में भी मदद मिलती है।
उच्‍च विटामिन सी युक्‍त आहार
स्‍टडी में खुलासा हुआ है कि विटामिन सी शरीर में बनने वाली कैंसर कोशिकाओं को रोकता है और त्‍वचा में कोलाजन के उत्‍पादन को बढ़ाता है। इससे एजिंग के लक्षण भी कम हो जाते हैं। स्‍ट्रॉबेरी, संतरा और कीवी में विटामिन सी सबसे ज्‍यादा होता है। एक आउंस कीवी में किसी भी अन्‍य फल के मुकाबले सबसे ज्‍यादा विटामिन सी होता है।
ग्रीन टी
ग्रीन टी और ब्‍लैक टी में उच्‍च मात्रा में पॉलीफेनॉल्‍स होते हैं जो यूवी रेडिएशन से त्‍वचा की रक्षा करते हैं। एक कप ग्रीन टी या सिट्रस और फलों के साथ आईस टी पीने से कैंसर से लड़ने में मददगार एंटीऑक्‍सीडेंट्स पाए जा सकते हैं और ये त्‍वचा को एजिंग से भी बचाते हैं और उसे स्‍वस्‍थ और खूबसूरत बनाए रखने में मदद करते हैं। रोजाना दो या इससे ज्‍यादा कप ग्रीन टी पीने से त्‍वचा कैंसर का खतरा 30 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
ब्रोकली
ब्रोकली और इसके जैसी अन्‍य सब्जियों जैसे बंदगोभी, ब्रूसेल्‍स स्‍प्राउट्स, फूलगोभी और गोक चोय आदि में सल्‍फोरोफेन मौजूद होता है और ये बात सामने आई है कि ये सभी चीज़ें कैंसर से बचाने में मददगार साबित होती हैं और त्‍वचा की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल बनाती हैं और सूर्य से होने वाली क्षति से सुरक्षा प्रदान करती हैं। नाश्‍ते में मछली या ऑमलेट के साथ ब्रोकली खा सकते हैं।
ओमेगा 3 युक्‍त आहार
त्‍वचा को ओमेगा 3 फैटी एसिड के बहुत फायदे होते हैं। ये त्‍वचा में कसाव लाने के साथ-साथ उसे चमकदार और एक्‍ने मुक्‍त बनाता है। साथ ही ये सूर्य से भी त्‍वचा की रक्षा करता है। स्‍टडी में सामने आया है कि ओमेगा 3 का सेवन करने से खासतौर पर फिश ऑयल सप्‍लीमेंट के रूप में इसे लेने से त्‍वचा कैंसर का खतरा कम होता है और त्‍वचा सूर्य से सुरक्षित रहती है। साल्‍मन, अखरोट, हेंप, फ्लैक्‍स और चिया के बीजों में ओमेगा 3 प्रचुर मात्रा में होता है।
लाल सेब
रोज़ एक सेब खाने से त्‍वचा को स्‍वस्‍थ और सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाकर रखा जा सकता है। हालांकि, आपको सेब छिलके के साथ खाना होगा। रिसर्च में सामने आया है कि सेब में ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं जो त्‍वचा में कैंसर कोशिकाओं को ब्‍लॉक कर देते हैं और इस बीमारी को बढ़ने से रोकते हैं। लाल साबुत सेब खा सकते हैं या फिर इसे स्‍मूदी भी में भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं।
तरबूज
गर्मी में तरबूज ना केवल शरीर में पानी की कमी को दूर करता है बल्कि ये विटामिन सी और ए से भी युक्‍त होता है और इसमें लाइकोपिन भी होता है। तरबूज का सेवन करने से यूवी रेडिएशन से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। एक कप तरबूज खाने से आपको प्रचुर मात्रा में विटामिन सी और विटामिन ए मिलता है। इसके अलावा तरबूज में लाइकोपिन नामक एंटीऑक्‍सीडेंट भी होता है जोकि कोशिकाओं को क्षतिग्रस्‍त होने से बचाता है।
बादाम
नट्स और बीजों जैसे बादाम, सूरजमुखी के बीज और पिस्‍ता आदि में विटामिन ई प्रचुर मात्रा में होता है जोकि सूर्य की किरणों से कोशिकाओं को बचाता है और त्‍वचा को मुलायम, साफ बनाता है और दाग-धब्‍बों से दूर रखता है। बादाम में हैल्‍दी मोनोअनसैचुरेटेड फैट भी पाया जाता है जोकि त्‍वचा में जलन नहीं होने देता और त्‍वचा पर पड़ने वाली बारीक रेखाओं और झुर्रियों को दूर करता है। मुट्ठीभर बादाम खाने से एजिंग की प्रक्रिया को काफी हद तक धीमा किया जा सकता है।
ऐसा नहीं है कि आप इन चीज़ों को अपने आहार में शामिल करने के बाद बाहर धूप में निकलने से पहले सनस्‍क्रीन ना लगाएं। इन खाद्य पदार्थों से त्‍वचा सुंदर दिखती है और कोशिकाएं स्‍वस्‍थ और मजबूत रहती हैं। त्‍वचा को सूर्य से होने वाली क्षति को कम कर त्‍वचा कैंसर से भी बचा जा सकता है।
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rajatgarg79 · 7 years
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मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान - Indian Diet Plan to Lose Weight in Hindi
आप मोटापा कम करने के लिए प्रतिज्ञा लेते हैं कि आज तो डाइटिंग करके ही रहेंगे और उतना ही कैलोरी का सेवन करेंगे जितने मेरे शरीर को ज़रुरत होगी लेकिन बाहर निकलते ही या घर पर खाली बैठते ही आपका मन बाहर के खाने की तरफ भागता है जो आपके शरीर के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं हैं, इससे सिर्फ और सिर्फ आप ही का वज़न बढ़ेगा। अगर अपना वज़न सच में घटाना चाहते हैं तो सबसे पहले खानपान में बदलाव लाएं और अपने नज़रिये में सकरात्मकता लेकर आएं इससे वज़न जल्दी घटा पाएंगे।
अगर कम कैलोरी वाला आहार अपनी सूची में जोड़ते हैं तो ये आप ही के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होगा साथ ही हृदय को भी स्वस्थ रखेगा। आज हम आपको मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान के बारे मे बताएंगे जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन का एक संयोजन होगा।
1. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का पहला भोजन - सुबह उठने के तुरंत बाद 
अगर आपने अभी तक ये आदत नहीं डाली है तो अब डाल लीजिये। सुबह उठकर खाली पेट पानी का सेवन करना आपके शरीर के लिए सबसे ज़्यादा लाभदायक है क्यूंकि शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ निकल जाते हैं जिससे खून भी साफ होता है और खून के साफ हो जाने से त्वचा पर भी चमक आती है। वज़न घटाने के लिए तो जितना जल्दी हो सके खाली पेट पानी को पियें। अगर आप गुनगुने पानी के साथ सिर्फ निम्बू डालकर पियेंगे तो आपका पेट साफ़ होने के साथ ही स्वस्थ भी रहेगा। जिन्हें शुगर है वो चीनी के साथ निम्बू पानी को नज़रअंदाज़ करें और जिन्हे उच्च रक्तचाप की शिकायत है वो नमक के साथ निम्बू पानी का सेवन न करें। (और पढ़ें - नींबू के फायदे और नुकसान) 
खाली पेट नींबू पानी पीने के फायदे 
नींबू पानी शरीर का मोटापा कम करने का सबसे अच्छा तरीका है।
नींबू में विटामिन सी होता है साथ ही कई ऐसे पदार्थ होते हैं जो कि आपके शरीर को रोगों से लड़ने में मदद मिलती है। इससे सांस से जुड़े रोग, सर्दी-जुकाम, खाँसी होने का खतरा भी कम हो जाता है।
नींबू पानी पीने से डायबिटीज से जुडी बीमारियां दूर होती है। नींबू पानी को खासतौर पर हाई शुगर वाले जूस व ड्रिंक का बेहतर विकल्प माना जाता है।
नींबू पानी मोटापे को ही कम नहीं करता, बल्कि ये लिवर को भी ठीक रखता है। नींबू में साइट्रिक एसिड होता है जिससे शरीर के एन्जाइम्स को सही तरीके से काम करने में मदद मिलती है। इससे आपके लिवर को अधिक लाभ मिलता है।
नींबू पानी में फ्लेवनॉयड्स होते हैं जो पाचन तंत्र को अच्छा रखते हैं। यही वजह है कि पेट जब खराब होता है तो नींबू पानी पिलाया जाता ह��। रोज सुबह नींबू पानी पीने से खाना हजम करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही ये एसिडिटी से भी राहत दिलाता है। (और पढ़ें - नींबू पानी के फायदे और नुकसान)
2. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का दूसरा भोजन - नाश्ता
सुबह उठकर खाली पेट नींबू पानी पीने के दो घंटे बाद नाश्ता करें। नाश्ते में हमेशा पोषक तत्व लें क्यूंकि एक नए दिन के साथ आपके शरीर को भी नया पोषण चाहिए होता है। चाय के साथ बिस्कुट नमकीन ले लेना कोई नाश्ता नहीं होता और न ही पोषण भरा होता है। नाश्ते में पोषक तत्वों को लेने से शरीर का फैट कम होता है और साथ ही इसके सेवन से आपके दिन की शुरुआत एक नयी ऊर्जा के साथ होगी। 
नाश्ते में क्या लें 
2 अंडे, उबली सब्जियां जैसे पत्ता गोबी (कम कैलोरी, फाइबर विटामिन सी), फूलगोबी (विटामिन सी, विटामिन के, फाइबर), साग (विटामिन ए, विटामिन के, फाइबर, आयरन), चुकुन्दर, टमाटर आदि। बिन मलाई वाला एक गिलास दूध। या फिर दाल चीला या बेसन का चीला ले सकते हैं इसके साथ बिन मलाई वाला दूध लें।
नाश्ते में इन आहार के फायदे
अंडे में विटामिन, प्रोटीन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत पाया जाता है। अंडा न केवल पोषक तत्व का एक स्त्रोत है बल्कि वज़न को कम करने के लिए भी मदद करता है। अगर आप और व्यंजनों को अंडे के साथ लेते हैं तो इससे शरीर में कार्बोहाइड्रेट की खपत सीमित हो जाएगी। अंडा खुद में ही वज़न को कम करने में पर्याप्त है। अंडा वज़न कम करने के साथ-साथ हड्डियों, बालों, गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद ही गुणकारी है। (और पढ़ें - अंडे के फायदे और नुकसान)
अगर आप शरीर में इम्युनिटी बढ़ाना चाहते हैं तो सब्ज़ियों को उबाल लीजिये। खाने में ये टेस्टी लगने के साथ ही शरीर को भी अंदर से फिट कर देगा। उबली हुई सब्जियों को खाने से हमारा फैट बढ़ता नहीं है और धीरे-धीरे बढ़ा हुआ वजन कंट्रोल हो जाता है क्यूंकि उबली हुई सब्ज़ियों मे से पोषक तत्व खत्म नहीं होते और तेल मसालों से आप दूर रहते हैं। उबली हुई सब्ज़ियां खाने से सिर्फ वज़न ही कम नहीं होता बल्कि बिमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। उबालकर खाने से सब्ज़ियों की सारी गंदगी नष्ट हो जाती हैं जिस कारण हम कई बीमारियों से बचे रहते हैं जैसे हार्ट अटैक, कैंसर आदि। अगर आप अपने शरीर में एंटी-ऑक्सीडेंट बढ़ाना चाहते हैं तो आप उबली हुई सब्जियों का सेवन भरपूर मात्रा में करें। इससे शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद मिलती है।
वज़न कम करने के लिए जितना हो सके वसा से जुडी चीज़ो से दूर रहें। अगर आप दूध पीते हैं तो बिन मलाई वाला पिए इससे आपके शरीर में वसा की मात्रा नहीं बढ़ेगी और आप कोलेस्ट्रॉल की बीमारियों से भी बचे रहेंगे। (और पढ़ें - दूध के फायदे और नुकसान) 
3. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का तीसरा भोजन - नाश्ते के 3-4 घंटे बाद 
मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का तीसरा भाग है नाश्ते के 3-4 घंटे बाद (तकरीबन 12 बजे) एक पेय पदार्थ लेना। आप कोई पेय पदार्थ लें जिससे आपके शरीर में ऊर्जा बनी रहेगी। 
नाश्ते के 3-4 घंटे बाद क्या लें
ग्रीन टी या नारियल पानी पियें। 
नाश्ते के बाद इन आहार के फायदे
मोटापे को कम करने में ग्रीन टी बेहतरीन घरेलू उपाय है। खाना खाने के बाद अगर आप ग्रीन टी को पीते हैं तो यह आपकी पाचन शक्ति को बढ़ायेगा और इसमे शामिल पोषक तत्व वजन कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
ग्रीन टी को अगर आप खाना खाने के 1 घंटा पहले पीतें हैं तो यह आपके वजन को कम करता है और आपकी भूख पर नियंत्रण भी रखता है।
ग्रीन टी पूरी तरह से एंटीआक्सीडेंट होता है। साथ ही ग्रीन टी में बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है। ग्रीन टी को दिन में 2 से 3 बार पीने से आपका शरीर रोगमुक्त रहेगा। (और पढ़ें - ग्रीन टी के फायदे और नुकसान, बनाने की विधि और पीने का सही समय)
नारियल पानी वज़न घटाने में सबसे अच्छा पेय पदार्थ है। यह कैलोरी में कम होता है और पचाने में आसान होता है। नारियल पानी पीने से हमारी शरीर का मेटाबोलिज्म रेट बढ़ जाता है जिसके फलस्वरूप हमारी शरीर का शुगर बर्न होने लगता है और शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम होने लगती है। (और पढ़ें - नारियल पानी के फायदे और नुकसान) 
नारियल का पानी रक्तचाप को संतुलित रखता है, पानी की कमी को पूरा करता है, हड्डियों को मजबूत रखता है और चेहरे पर चमक लाता है। (और पढ़ें - नारियल पानी के फायदे और नुकसान)
4. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का चौथा भोजन - दोपहर का खाना 
मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का अगला हिस्सा है दोपहर का खाना। इसे आप दोपहर के एक या 2 बजे करें। इसमें ज़रूरी है कि बस खाली सब्ज़ी, रोटी न खाएं बल्कि और भी कई पोषक आहार लें जिससे आपके शरीर को पोषक तत्व मिलते रहें और साथ ही आपका वज़न भी नियंत्रण में रहे।
दोपहर के खाने में क्या लें
आप कई तरह के सलाद ले सकते हैं जैसे हरी पत्तेदार सब्ज़ियों का सलाद (हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, गोबी या पत्ता गोभी, खीरा, ककड़ी और मिर्च आदि से बनता है, ग्रीन सलाद में विटामिन बी12 का अच्छा स्रोत होता है), वेजिटेबल सलाद (हरे रंग की सब्जियों के अलावा दूसरे रंगों की सब्जियां जैसे खीरा, मिर्च, टमाटर, मशरूम, प्याज, मूली, गाजर आदि), आप ऐसे ही कई तरह के सलाद ले सकते हैं। खाने में थोड़ी सी दाल लें और इसे सिर्फ 1 चम्मच तेल में ही बनाएं इससे आपका वज़न संतुलित रहेगा या फिर आप ब्राउन चावल और उसके साथ एक कटोरी खीरे का रायता भी ले सकते हैं। 
दोपहर के आहार को खाने के फायदे
जिन लोगों को ज़्यादा भूख लगती है उन्हें सलाद खाना चाहिए। इसमें मौजूद फइबर भूख को शांत रखता है, जिससे हमारा पेट भरा-भरा रहता है जिसकी वजह से हमारा वज़न कंट्रोल में रहता है और मोटापा ब��ता नहीं है। सलाद में फाइबर पाया जाता है। इसके सेवन से शरीर में फाइबर की कमी पूरी हो जाती है। सलाद खाने से वज़न कम होता है और पाचन शक्ति भी सुधरती है। यह दिल के लिए भी फायदेमंद होता है और शरीर को कैंसर जैसी गंभीर बिमारियों से बचाता है। (और पढ़ें - सलाद पत्ते के फायदे और नुकसान) 
दाल को खाने का जो सबसे बड़ा फायदा है वो है इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स का भरपूर मात्रा में पाया जाना। अरहर, मुंग, मसूर, चना, उड़द इन सभी दालों में प्रोटीन बहुत ही ज़्यादा मात्रा में पाया जाता है। इनमे फैट और कैलोरी बहुत ही कम होती हैं। अगर आप एक कप दाल खाते है तो जल्दी भूख बिलकुल भी नहीं लगेगी और वज़न कम करने में मदद होगी। (और पढ़ें - दालों के फायदे)
ब्राउन राइस में फाइबर की मात्रा ज़्यादा पायी जाती है जो कि बेहतर पाचन में मदद करता है। काफी भारी होने की वजह से दुबारा भूख का लगना नामुमकिन होता है। ब्राउन राइस खाने से पेट काफी भरा रहता है और स्वास्थ के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। खीरे में पानी अधिक होता है और कैलोरी भी कम होती है, इसलिए वजन कम करने के लिए खीरा अच्छा विकल्प होता है।
5. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का पांचवा भोजन - दोपहर क��� खाने के दो घंटे बाद ग्रीन टी 
दोपहर के खाने के बाद ज़रूरी है ग्रीन टी लें इससे आपकी पाचन शक्ति बढ़ेगी और इसमे शामिल पोषक तत्व आपका वजन कम करने में मदद करेंगे। ग्रीन टी से जुड़े सभी लाभ ऊपर देखें।
6. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का छठा भोजन - शाम का नाश्ता 
दोपहर के खाने के 4-5 घंटे बाद शाम के नाश्ते को भी ज़रूर लें लेकिन उसमे पोषक तत्व भी होने ज़रूरी हैं। 
शाम के नाश्ते में क्या लें 
मुरमुरे को खूब सारी सब्ज़ियों के साथ इसका सेवन करें इसमें आप नींबू भी डालें जिससे आपको विटामिन सी की मात्रा मिलती रहें या फिर फल या अंकुरित दाल भी ले सकते हैं। 
शाम के नाश्ते को खाने के फायदे
शाम को भारी खाने की ज़रुरत नहीं होती इसलिए आप सब्ज़ियों को मुरमुरे के साथ कुछ टेस्टी बनाकर खा सकते हैं इससे आपको ज़रूरी पोषित आहार भी मिलेंगे साथ ही वज़न बढ़ने का डर भी नहीं होगा।
फल खाने से आपकी विटामिन की मात्रा पूरी होगी और कई बीमारियां को दूर करने में मदद मिलेगी।
अंकुरित दाल के खाने से आपकी हड्डिया मजबूत होती है साथ ही मोटापा भी कम होता है। (और पढ़ें - अंकुरित अनाज के फायदे)
7. मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का सातवाँ भोजन - रात का खाना 
मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान का अंतिम भाग है रात का खाना। आमतौर पर लोग नाश्‍ता कम खाते हैं और रात का भोजन हैवी करते हैं जबकि होना इसका उल्‍टा चाहिए। अगर आपको वज़न कम करना है तो रात में कम कैलोरी वाला खाना खाना चाहिए।
रात को खाने में क्या लें 
आप रात के खाने में भी कई तरह के सलाद ले सकते हैं हरी पत्तेदार सब्ज़ियों का सलाद, वेजिटेबल सलाद लें। रात में चिकन या फिर दाल ले सकते हैं लेकिन जो लोग मांसाहारी नहीं है वो दाल का विकल्प ले सकते हैं। 
रात को खाने में आहार के फायदे
सलाद से आपके शरीर को फाइबर मिलेगा साथ ही फाइबर मिलने से भूख भी कम लगेगी।
रात के खाने में चिकन खाने से वज़न कम होता है क्यूंकि चिकन प्रोटीन से भरपूर होता है और हमारी शरीर को प्रोटीन मिलने से वज़न नियंत्रित रहता है। (और पढ़ें - चिकन के फायदे और नुकसान)
और अगर आप एक कप दाल खाते है तो जल्दी भूख भी नहीं लगेगी और वज़न कम करने में मदद मिलेगी। 
                        from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via http://www.myupchar.com/weightloss/motapa-kam-karne-ke-liye-diet-plan-in-hindi
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gethealthy18-blog · 4 years
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क्या कीटो डाइट आसानी से वजन घटाने में मदद करती है? – Keto Diet in Hindi
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क्या कीटो डाइट आसानी से वजन घटाने में मदद करती है? – Keto Diet in Hindi
क्या कीटो डाइट आसानी से वजन घटाने में मदद करती है? – Keto Diet in Hindi Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 December 30, 2019
आजकल लोग वजन घटाने या खुद को फिट रखने के लिए कई तरीके आजमाते हैं। कोई जिम जाता है, कोई योग करता है, तो कोई डाइट पर ध्यान देता है। लगभग हर व्यक्ति खुद को स्वस्थ रखने के लिए अपने आहार पर ध्यान देता है। अगर डाइट प्लान की बात करें, तो अभी के जमाने में कई तरह की डाइटिंग चलन में हैं। उन्हीं में से एक है कीटो डाइट, जिसे कीटोजेनिक डाइट भी कहा जाता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम कीटो डाइट संबंधी सभी जरूरी जानकारी जैसे – कीटो डाइट प्लान क्या है, कीटो डाइट चार्ट में कौन सी चीजें हो सकती है, कीटो डाइट के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं आदि के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। इतना ही नहीं अगर कीटो डाइट के नुकसान हैं, तो हम उस बारे में भी बात करेंगे। इसलिए, कीटो डाइट प्लान से संबंधित सभी जानकारियों के लिए इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें।
सबसे पहले जानते हैं कि कीटो डाइट क्या है।
विषय सूची
कीटो डाइट प्लान क्या है? – What Is Keto Diet In Hindi
कीटोजेनिक आहार में लोग प्रतिदिन कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, एक मध्यम मात्रा में प्रोटीन और उच्च मात्रा में वसायुक्त आहार का सेवन करते हैं। इसका मतलब यह है कि शरीर एनर्जी के लिए फैट को अधिक बर्न करता है। फिर केटोसिस नामक एक प्रक्रिया में इसे ‘कीटोन बॉडीज’ या कीटोन में तोड़ता है। कीटोजेनिक आहार में लोग आमतौर पर प्रतिदिन केवल 20 से 50 ग्राम कार्बोहाइड्रेट खाते हैं। उदाहरण के रूप में ब्रेड के 2 स्लाइस और एक केले का सेवन मतलब 50 ग्राम कार्बोहाइड्रेट लेना है (1)।
कीटोजेनिक डाइट 4 प्रकार के होते हैं (2): 
स्टैंडर्ड कीटोजेनिक डाइट (Standard ketogenic diet-SKD)- इसमें कम कार्बोहाइड्रेट, मध्यम मात्रा में प्रोटीन और उच्च मात्रा में फैट लिया जाता है। इसमें आमतौर पर 70 प्रतिशत वसा, 20 प्रतिशत प्रोटीन और केवल 10 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट लिया जाता है।
साइक्लिकल कीटोजेनिक डाइट (Cyclical ketogenic diet-CKD) – इसमें कीटोजेनिक डाइट साइकिल के बीच उच्च कार्बोहाइड्रेट का सेवन भी शामिल है। उदाहरण के लिए हफ्ते में 5 दिन कीटोजेनिक डाइट और दो दिन उच्च कार्बोहाइड्रेट डाइट।
टार्गेटेड कीटोजेनिक डाइट (Targeted ketogenic diet -TKD)- इसमें एक्सरसाइज के साथ-साथ अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट का सेवन किया जा सकता है।
हाई प्रोटीन कीटोजेनिक डाइट (High-protein ketogenic diet-HPKD)- इसमें प्रोटीन का सेवन अधिक किया जाता है। लगभग 60 प्रतिशत फैट, 35 प्रतिशत प्रोटीन और 5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट शामिल हैं। इसके बावजूद यह अधिक फैट वाली डाइट है।
नोट : स्टैंडर्ड कीटोजेनिक डाइट (SKD) और हाई प्रोटीन कीटोजेनिक डाइट (HPKD) का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। साइक्लिकल कीटोजेनिक डाइट (CKD) और टार्गेटेड कीटोजेनिक डाइट (TKD) हाल ही में चर्चा में आई हैं। इन्हें ज्यादातर बॉडीबिल्डर या फिर एथलीट अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं।
अब बारी आती है कीटो डाइट के फायदे जानने की।
कीटो डाइट प्लान के फायदे – Keto Diet Benefits In Hindi
लेख के इस भाग में हम कीटो डाइट के फायदे के बारे में जानकारी दे रहे हैं। नीचे पढ़ें कीटो डाइट प्लान के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं (1) (2) (3) (4)।
वजन कम करने में मददगार हो सकती है।
टाइप 2 डायबिटीज के लिए लाभकारी हो सकती है।
कोलेस्ट्रॉल में सुधार करने में सहायक हो सकती है।
कैंसर के जोखिम को कम करने या कैंसर के उपचार के लिए लाभकारी हो सकती है।
अल्जाइमर से बचाव के लिए मददगार हो सकती है।
मिर्गी के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकती है।
लेख के आगे के भाग में जानिए कीटो डाइट फॉर वेट लॉस के लिए कीटो डाइट प्लान।
4 हफ्ते का नमूना कीटो डाइट प्लान – Sample Keto Diet Plan in Hindi 
ध्यान रहे कि यहां कीटो डाइट चार्ट को एक नमूने के तौर पर तैयार किया गया है। इसमें मौजूद सामग्रियों व उसकी मात्रा में आहार विशेषज्ञ की सलाह और व्यक्ति के उम्र, जरूरत व स्वास्थ्य के अनुसार बदलाव किया जा सकता है। हर व्यक्ति का शरीर और खाने की पसंद एक जैसी नहीं होती है, इसलिए इन कीटो डाइट चार्ट में बदलाव संभव है।
पहला सप्ताह:
समय डाइट सुबह 7 बजे ●     गर्म या गुनगुने पानी के साथ नींबू
या फिर
●     गर्म या गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच त्रिफला चूर्ण
नाश्ता सुबह 8:30 बजे ●     1 उबला अंडा + केल स्मूदी
या फिर
●     नारियल का दूध, चिया हलवा या पुडिंग थोड़े से नारियल और अखरोट के साथ
या फिर
●     बादाम दूध, हरी सब्जियां, बादाम मक्खन के साथ बनाई गई स्मूदी
दोपहर का भोजन 12:30 बजे ●     सब्जियों का सूप
या फिर
●     मशरूम और सलाद पत्तों का सलाद उच्च वसा के ड्रेसिंग के साथ
या फिर
●     हाई फैट ड्रेसिंग के साथ चिकन, गाजर, शिमला मिर्च और हरी बीन्स की सलाद
दोपहर के भोजन के बाद 2:30 बजे ●     1 कप ग्रीक योगर्ट और 2 बादाम शाम के स्नैक्स 5:00 बजे ●      1 कप ग्रीन टी में थोड़ा नींबू का रस रात का खाना 7:30 बजे ●     झींगा और जूड्ल्स (एक प्रकार का नूडल्स)
या फिर
●     एवोकैडो और उबली हुई ब्रोकली साथ में थोड़ा ओलिव ऑयल
या फिर
●     मशरूम और क्रीम सूप
कैसे लाभकारी हो सकती है?
कीटो डाइट प्लान के पहले हफ्ते में वजन में ज्यादा कमी हो सकती है, क्योंकि कम कार्ब वाला आहार खाने से शरीर से अतिरिक्त पानी बाहर निकल जाता है। इतना ही नहीं लिवर से अतिरिक्त सोडियम भी निकलता है। इससे तेजी से वजन कम होने में मदद मिल सकती है। शरीर में उत्पादित अतिरिक्त कीटोन्स जमा नहीं होते हैं, बल्कि मूत्र के जरिए बाहर निकल जाते हैं। चयापचय को बढ़ावा देने और फैट को बर्न करने के लिए हर रोज खूब सारा प्रोटीन युक्त और अच्छे फैट वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करें। पूरे दिन में 6 मील लें। जैसे कि इस डाइट में कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थों के बारे में बताया गया है। शरीर को पोषण देने के लिए आहार में हरी सब्जियां, फल और नट्स को शामिल किया जा सकता है। एक हफ्ते के लिए तैयार किए गए इस कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस से शरीर को ऊर्जा मिल सकती है।
दूसरा सप्ताह:
समय  डाइट प्रातः सुबह 7 बजे गुनगुने या गर्म पानी के साथ एक चम्मच सेब का सिरका नाश्ता सुबह 8:30 बजे ●     गुनगुने या गर्म पानी के साथ एक चम्मच सेब का सिरका
या फिर
●     कार्बनिक मेपल सिरप के साथ 1 कप हर्बल टी + 1 क्रीम चीज़ पैनकेक
या फिर
●     एक पूरा उबला हुआ अंडा और एक गिलास दूध या सोया दूध
या फिर
●     1 कप बुलेटप्रूफ कॉफी + क्रिस्पी फूलगोभी के पकौड़े
दोपहर का भोजन 12:30 बजे ●     एवोकैडो और टमाटर के साथ सलाद पत्तों का टैको (मकई या गेहूं से बनी एक प्रकार की रोटी, जिसमें वेज या नॉन-वेज की फिलिंग हो सकती है)
या फिर
●     भूना हुआ चिकन और सब्जियां
या फिर
●     ब्रोकली और हरी बीन्स के साथ ग्रील्ड चिकन के साथ अच्छा उच्च फैट सॉस
दोपहर के भोजन के बाद 2:30 बजे ●     1 छोटी कटोरी फ्लेवर्ड दही शाम के स्नैक्स 5:00 बजे ●     2 अलसी की कूकीज + 1 कप मसालेदार चाय या हर्बल टी रात का खाना 7:30 बजे ●     गाजर और हरी सब्जियों के साथ ग्रील्ड मछली
या फिर
●     ताजा क्रीम के साथ बटरनट (अखरोट) स्क्वैश सूप
●     लौकी और फूलगोभी के साथ दाल का सूप
कैसे फायदेमंद हो सकती है?
पहले हफ्ते की तरह ही दूसरे हफ्ते में भी 6 मील खाने की आवश्यकता है। साथ ही दिन में दो बार हर्बल टी का सेवन करें। ध्यान रहे कि सही मात्रा में प्रोटीन का भी सेवन किया जाना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट की न्यूनतम मात्रा भी आवश्यक है, इसलिए सब्जियों का सेवन भी सही तरीके से करना जरूरी है। हर्बल टी के बजाय बुलेटप्रूफ कॉफी (मक्खन वाली कॉफी) भी ली जा सकती है। ��ामान्य ब्लैक कॉफी में मक्खन, नारियल तेल और क्रीम को मिलाकर बुलेटप्रूफ कॉफी बनाई जाती है। इससे शरीर को ऊर्जा प्राप्त हो सकती है।
तीसरा सप्ताह:
प्रातः सुबह 7 बजे ●     नींबू और आर्गेनिक शहद के 1 बड़े चम्मच के साथ गर्म या गुनगुना पानी नाश्ता सुबह 8:30 बजे ●     1 कप ग्रीन टी + 1 उबला अंडा + पालक की स्मूदी
या फिर
●     1 मध्यम कटोरे में क्विनोआ घी में पकाई गई सब्जियां
दोपहर का भोजन 12:30 बजे ●     2 बादाम या 1 कप ग्रीक योगर्ट शाम के स्नैक्स 5:00 बजे ●     1 कप ग्रीन टी रात का खाना 7 बजे ●     ग्रील्ड चिकन सलाद अच्छी उच्च वसा ड्रेसिंग के साथ
●     सोया चंक रैप (गेहूं के फ्लैट ब्रेड का उपयोग करें)
कैसे फायदेमंद हो सकती है?
तीसरा हफ्ता पहले दो हफ्ते के ही समान होता है, लेकिन सेवन की जाने वाली कैलोरी की संख्या के आधार पर यह काफी अलग होता है। इस हफ्ते में दोपहर के खाने के बाद छोटे मील को हटाया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शरीर भारी नाश्ते से मिली ऊर्जा का उपयोग करे और खाने को पचने में भी आसानी हो। इसके बाद प्रोटीन युक्त डिनर से शरीर को फिर से एनर्जी मिल सकती है।
चौथा सप्ताह:
प्रातः सुबह 7 बजे ●     नींबू पानी के साथ अलसी बीज का चूर्ण नाश्ता सुबह 8:30 बजे ●     1 कप ग्रीन टी या ब्लैक कॉफी दोपहर का भोजन 12:30 बजे ●     1 सेब या 1 गिलास छाछ रात का खाना 7 बजे ●     चिकन सूप + फ्रूट कस्टर्ड
या फिर
●     पालक, लहसुन, खट्टा क्रीम और पारमेसन चीज़ + फ्लेवर्ड दही के साथ मसली हुई गोभी
या फिर
●     स्मोक्ड चिकन + हरी सब्जियां + 1 मध्यम आकार की चॉकलेट ब्राउनी
कैसे फायदेमंद हो सकती है?
कीटो डाइट प्लान के चौथे सप्ताह में हाई फैट, उच्च प्रोटीन और कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थ खाने की आवश्यकता होती है। इस हफ्ते में काफी हद तक वजन कम हो सकता है, क्योंकि किटोसिस फैट को बर्न करने में मदद कर सकता है। यह वह सप्ताह है, जब कीटो डाइट प्लान के साथ नियमित व्यायाम करने वालों को सबसे अधिक फायदा हो सकता है।
ये तो थे हफ्ते के अनुसार कीटो डाइट चार्ट के नमूने। अब बारी आती है यह जानने की कि कीटो डाइट में और क्‍या-क्या खा सकते हैं।
कीटो डाइट में क्‍या खाएं – Foods to Eat on the Keto Diet In Hindi
नीचे हम कीटो डाइट प्लान में खाए जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थों की सूची शेयर कर रहे हैं (2) (5) (6)।
हरी सब्जियां जैसे – पालक, खीरा, ब्रोकली, स्प्राउट्स, शिमला मिर्च, मशरूम, गोभी
चिकन
साबुत अनाज
नट्स जैसे – बादाम, अखरोट
बीज
जैतून का तेल
तरह-तरह के फल
खूब सारा पानी
लेख के अगले भाग में जानिए कि कीटो डाइट प्लान में किन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
कीटो डाइट में क्‍या न खाएं – Foods to Avoid on the Keto Diet In Hindi
कीटो डाइट फॉर वेट लॉस के लिए नीचे बताए गए खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें (7)।
शराब का सेवन न करें।
सॉफ्ट ड्रिंक या सोडायुक्त पेय पदार्थों से दूर रहें।
तले-भुने खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
बाहर का खाना या जंक फूड का सेवन न करें।
ज्यादा मसाले वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
ज्यादा सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
प्रोसेस्ड मीट का सेवन न करें।
नोट : अगर कीटो डाइट चार्ट में मौजूद किसी खाद्य पदार्थ से किसी व्यक्ति को एलर्जी है, तो उसका सेवन न करें। कीटो डाइट प्लान के बारे में आहार विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें। कीटो डाइट प्लान की कई चीजें व्यक्ति के उम्र और स्वास्थ्य पर भी निर्भर करती है। इसलिए, बेहतर है कि कीटो डाइट प्लान शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
लेख के आगे के भाग में जानिए कीटो डाइट फॉर वेट लॉस के लिए किस तरह की एक्सरसाइज और योग फायदेमंद हो सकते हैं।
वजन घटाने के लिए कीटो डाइट के साथ कुछ व्यायाम और योगासन
कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस में अगर व्यायाम या योग को शामिल कर लिया जाए, तो उसका प्रभाव और जल्दी दिख सकता है। साथ ही इन्हें सही प्रकार से करना भी जरूरी है। व्यायाम या योग न सिर्फ मोटापे को कम करने में मदद कर सकते हैं, बल्कि अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी बचाव करने में मदद कर सकते हैं (8) (9) (10) (11) (12)।
नीचे हम चार हफ्तों में किए जाने वाले कुछ ��सान व्यायाम व योग के बारे में जानकारी दे रहे हैं। पहले तीन हफ्ते मुश्किल व्यायाम किए जा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि चौथे सप्ताह में हल्के-फुल्के स्ट्रेचिंग योगासन का सहारा लें, क्योंकि चौथे सप्ताह में व्यक्ति लिक्विड डाइट पर रहता है।
पहला हफ्ता – वॉर्मअप + जॉगिंग + रनिंग + जंपिंग जैक + रस्सी कूदना
दूसरा हफ्ता – वॉर्मअप + रस्सी कूदना + स्क्वाट + पुश अप + एरोबिक्स
तीसरा हफ्ता – वॉर्मअप + सीढ़ी चढ़ना + पुश अप + कार्डियो
चौथा हफ्ता – वॉर्मअप + योग + चलना + ध्यान लगाना या मेडिटेट करना
नोट : कोई भी एक्सरसाइज या योगासन करने से पहले किसी विशेषज्ञ द्वारा राय जरूर लें। साथ ही किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें। साथ ही व्यक्ति अपने उम्र और स्वास्थ्य के अनुसार व्यायाम या योग के बारे में विशेषज्ञ की सलाह ले सकता है।
कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस कुछ लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसलिए, लेख के इस भाग में हम कीटो डाइट प्लान से संबंधित कुछ टिप्स दे रहे हैं।
कीटो डाइट के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Keto Diet in Hindi
कीटो डाइट प्लान के शुरुआत में कुछ परेशानियां हो सकती है। पसंद की चीजें खाने का मन हो सकता है। ऐसे में इधर-उधर की चीजों में मन लगाकर ध्यान भटकाने का प्रयास करें।
कीटो डाइट प्लान का प्रभाव और अच्छा हो, उसके लिए नियमित व्यायाम व योग करें। चाहें तो जिम या योग सेंटर भी जॉइन कर सकते हैं।
नियमित रूप से पानी पिएं।
कीटो डाइट प्लान के साथ शरीर को आराम भी दें।
कीटो डाइट प्लान के साथ जीवनशैली में भी बदलाव किया जा सकता है। बाहर खाने की जगह ब��हतर है कि घर में ही बना खाना खाएं।
एक कप कॉफी और सैंडविच के लिए कॉफी शॉप जाने की जगह घर में ही कॉफी बनाए और साथ में अंडे या हरी सब्जियों का सैंडविच बनाकर खाएं।
सही वक्त पर खाना खाएं।
कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस के शुरुआत से ही हर दिन या हर हफ्ते वजन चेक करें और उसे लिखते जाएं। इससे पता चलेगा कि कीटो डाइट फॉर वेट लॉस का कितना असर हो रहा है।
सही वक्त पर सोएं और सुबह उठें। ध्यान रहे कि नींद पूरी करें।
कीटो डाइट प्लान हर किसी के लिए आसान नहीं है, क्योंकि इसमें कई चीजों को खाने में रोक लगी होती है। ऐसे में इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जिसके बारे में लेख के इस भाग में जानकारी दी जा रही है।
कीटो डाइट प्लान के नुकसान – Keto Diet Plan Side Effect In Hindi
हर चीज के दो पहलू होते हैं एक फायदा और एक नुकसान। उसी तरह कीटो डाइट के फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी हैं। नीचे पढ़ें कीटो डाइट के नुकसान (6) (7)।
पोषक तत्वों की कमी
मतली या उल्टी
सिरदर्द
थकान
मूड स्विंग्स या चिड़चड़ापन
चक्कर आना
थकान
कब्ज
अनिद्रा
कीटो डाइट के फायदे जानने के बाद कई लोग इसे फॉलो करना चाहेंगे। उससे पहले कीटो डाइट प्लान को आजमाने के लिए कीटो डाइट चार्ट के बारे में आहार विशेषज्ञ से सलाह लें। साथ ही कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस को अगर सही तरीके से किया जाए, तो इसका असर शरीर पर कुछ ही वक्त में दिख सकता है। ध्यान रहे कि कीटो डाइट के साथ सावधानी जरूरी है, क्योंकि कीटो डाइट के नुकसान भी हैं। इसलिए, डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार कीटो डाइट प्लान को फॉलो करें। अगर डाइट के दौरान कोई भी असुविधा महसूस हो, तो तुरंत विशेषज्ञ से इस बारे में बात करें। कीटो डाइट प्लान को फॉलो कर आप अपने अनुभव नीचे दिए कमेंट बॉक्स की मदद से हमारे साथ जरूर शेयर करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या कीटो डाइट सुरक्षित है?
हां, कीटो डाइट सुरक्षित है (5)। हालांकि, यह व्यक्ति के उम्र और स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है कि उसके लिए कीटो डाइट सुरक्षित है या नहीं। इसलिए, बेहतर है कि इस बारे में अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
कीटो डाइट का पालन कर मैं कितना वजन कम कर सकता हूं?
अगर कीटो डाइट प्लान को सही तरीके से फॉलो किया जाए और साथ में व्यायाम किया जाए, तो पहले दो हफ्ते में 4.5 किलो तक वजन कम हो सकता है (7)।
मैं तीन सप्ताह के लिए कीटो डाइट पर हूं, लेकिन मेरा वजन कम नहीं हुआ है । कृपया मदद करे।
कम कार्ब आहार पर वजन कम न होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे एक दिन में कम कार्ब के खाद्य पदार्थों का सेवन करना, बहुत से फल खाना, पर्याप्त व्यायाम न करना, बहुत अधिक या बहुत कम प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ खाना, हर हफ्ते बहुत से चीटमील खाना, बहुत ज्यादा फैट युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन। इतना ही नहीं तनाव, हार्मोनल असंतुलन और पर्याप्त नींद नहीं लेना भी कारण हो सकता है। इसलिए, कम से कम तीन दिन तक आप अपनी दिनचर्या, पूरे दिन किन खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं और ऐसी ही अन्य छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बातों को एक जगह नोट करते जाएं। इसके अलावा, आप अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से इस बारे में बात कर सकते हैं।
क्या मिर्गी रोगी कीटो डाइट कर सकते हैं ?
कभी-कभी जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं, तो मिर्गी रोग से ग्रस्त बच्चों को डॉक्टर कीटो डाइट की सलाह देते हैं (7)। अगर किसी भी व्यक्ति के घर में कोई मिर्गी रोगी है, तो उसे कीटो डाइट का पालन कराने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें ।
बॉडी बिल्डिंग के लिए एक सही किटोजेनिक डाइट प्लान क्या है?
अगर कोई व्यक्ति बॉडी बिल्डिंग में रुचि रखता है, तो सबसे पहले उसे शरीर से फैट कम करना होगा। ऊपर बताए गए कीटो डाइट प्लान में कम कार्ब, उच्च फैट और मध्यम मात्रा में प्रोटीन लेने की सलाह दी गई है। फैट को कम करने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले 5-सप्ताह केटोजेनिक आहार योजना से शुरुआत करनी होगी। एक बार जब शरीर का फैट बर्न होने लगता है और काफी फैट कम हो चुका होता है, तब बारी आती है विटामिन, खनिज और प्रोटीन सप्लीमेंट (यदि आवश्यक हो) के साथ उच्च प्रोटीन आहार लेने की। फिर भी हम यही सुझाव देंगे कि पहले अपने डॉक्टर, डायटीशियन या जिम ट्रेनर से मिलकर इस बारे में बात की जाए। वो व्यक्ति के स्वास्थ्य के अनुसार बेहतर जानकारी दे सकते हैं।
क्या मैं बच्चे के जन्म के बाद वजन कम करने के लिए कीटो डाइट प्लान को फॉलो कर सकती हूं?
नहीं, डिलीवरी के ठीक बाद आपके बच्चे को पोषण की आवश्यकता होगी। आप जो पौष्टिक और पूर्ण आहार लेंगी वही आपके शिशु को मिलेगा। ऐसे में अगर आप सही और पोषक तत्व युक्त आहार नहीं लेंगी, तो उसका प्रभाव आपके बच्चे पर हो सकता है। इसलिए, पर्याप्त प्रोटीन, वसा और कार्ब्स खाएं, ताकि आपका शिशु स्वस्थ रहे। डिलवरी के कुछ महीनों बाद आप डॉक्टर से परामर्श लें कि कीटोजेनिक डाइट आपके लिए सही है या नहीं। फिर डॉक्टर के कहे अनुसार ही डाइट का चुनाव करें।
क्या ज्यादा फैट युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से फैट बर्न हो सकता है?
हां, कीटो डाइट प्लान में अच्छे वसा शामिल हैं। इसमें ऐसे फैट शामिल हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं, जैसे – मोनोअनसैचुरेटेड फैट (1) (2)। इसके अलावा, दैनिक आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड को शामिल करें। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है (13)।
क्या कीटो डाइट प्लान के दौरान शराब का सेवन किया जा सकता है ?
सप्ताह में सिर्फ एक बार एक छोटा गिलास वाइन का सेवन कर सकते हैं, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसलिए, बेहतर है कि आहार विशेषज्ञ या डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें। स्टाइलक्रेज अल्कोहल सेवन को बढ़ावा नहीं देता है।
क्या मुझे सप्लीमेंट लेने की भी जरूरत है?
यदि आप पहली बार कीटो डाइट कर रहे हैं या कम कार्ब आहार के लिए नए हैं, तो आप कमजोरी महसूस कर सकते हैं। आपके मांसपेशियों में ऐंठन महसूस हो सकती है। ऐसे में आपको सप्लीमेंट की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन सप्लीमेंट के सेवन से पहले न्यूट्रिशनिस्ट या डॉक्टर से बात जरूर करें (1)।
मुझे कब्ज की शिकायत हो रही है। कृपया मदद करें।
आपको अधिक तरल पदार्थ (पानी, ताजे फलों जैसे – बेरीज) का सेवन करना चाहिए (5) (6)। ज्य��दा से ज्यादा फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। फाइबर न सिर्फ पाचन क्रिया में सुधार करने में मदद कर सकता है, बल्कि कब्ज की परेशानी से भी राहत दिला सकता है (14) (15)। अगर समस्या ज्यादा बढ़े या ज्यादा दिन से है, तो डॉक्टर से सलाह लें।
कीटोन्स को कैसे मापा जा सकता है?
कीटोन्स को मापने के लिए बाजार में कई उपकरण हैं, जैसे कि कीटोस्टिक्स (Ketostix)। आप उन्हें ऑनलाइन या मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं। इसका उपयोग करने से पहले पैकेट पर दिए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।
कीटोसिस चरण में प्रवेश करने में कितने दिन लगेंगे?
कम कार्ब वाले आहार के सेवन के साथ अगर रोज व्यायाम भी किया जाए, तो कुछ ही दिनों में आप कीटोसिस चरण में प्रवेश कर जाएंगे। कीटो डाइट प्लान को अगर सही तरीके से फॉलो किया जाए, तो पहले ही दो हफ्तों में 4.5 (10 lbs) किलो वजन कम किया जा सकता है (7)। यह काफी हद तक व्यक्ति की दिनचर्या और वो किन चीजों का सेवन कर रहा है, उस पर भी निर्भर करता है। जब शरीर में जमा वसा ऊर्जा में परिवर्तित होने लगती है, तो कीटोन निकलने शुरू हो जाते हैं। इसे ही कीटोसिस चरण कहा जाता है।
मुझे घर में खाना बनाने का वक्त नहीं मिलता है। ऐसे में लो कार्ब डाइट को कैसे फॉलो किया जा सकता है?
आप नीचे बताए गए तरीकों को फॉलो कर सकते हैं (16) (17):
हाई कार्ब फूड्स जैसे कूकीज, केक, पेस्ट्री, पास्ता व ब्रेड से दूर रहें।
डिब्बा बंद व सोडा युक्त पेय पदार्थों का सेवन न करें।
अगर आप कहीं बाहर खाने जा रहे हैं, तो वेटर या शेफ से बात करें और अपने खाने की जरूरतों को समझाएं।
सहकर्मियों या दोस्तों के साथ डिनर या लंच के लिए बाहर जाते समय, कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थों जैसे – चिकन, हरी सब्जियां व फलों के रस आदि को ऑर्डर करें।
ज्यादा मसाले वाले आहार से दूर रहें।
अंत में हमारा सुझाव है कि आप हरी सब्जियां, फल खरीदें। हर दिन बाहर या ऑफिस जाने से पहले उन्हें धोएं और काटकर जिपलॉक बैग में रख लें। बाहर के खाने से दूरी बनाएं और भूख लगने पर हरी सब्जियों की सलाद या फलों का सेवन करें। इसके अलावा, आप फ्रीज में भी एक दिन के लिए सब्जियां काटकर रख सकते हैं और जब आप घर आएं, तो उन पर जैतून का तेल और नींबू का रस मिलाकर उनका सेवन कर सकते हैं। आप अंडे उबालकर भी रख सकते हैं। इन चीजों से आप अपना काम आसान कर सकते हैं।
क्या कीटो डाइट प्लान में अच्छी मात्रा में प्रोटीन का सेवन किया जा सकता है?
कीटो डाइट प्लान में सीमित मात्रा में प्रोटीन के सेवन की सलाह दी जाती है (1)। उच्च प्रोटीन वाले आहार से बचें, क्योंकि प्रोटीन का अधिक सेवन शरीर को कीटोसिस स्टेट में जाने से बाधित कर सकता है (18)।
क्या कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस के दौरान बहुत अधिक पेशाब आना सामान्य है?
हां, कीटो डाइट के दौरान यह सामान्य बात है। इसमें ड्यूरेटिक यानी मूत्रवर्धक गुण होता है। इस डाइट में पहले हफ्ते में पेशाब बार-बार आता है, जिससे वजन कम हो सकता है (7)। बार-बार पेशाब जाना केटोसिस का संकेत हो सकता है, मतलब कि आपका शरीर केटोसिस स्टेट में प्रवेश कर चुका है। इसलिए, ध्यान रहे कि आप खूब पानी या अन्य पेय पदार्थों का सेवन करें, ताकि आपके शरीर में पानी की कमी न हो।
कीटो डाइट फॉर वेट लॉस के दौरान इलेक्ट्रोलाइट्स की भरपाई कैसे करें?
कीटो डाइट के दौरान व्यक्ति के शरीर से पानी और इलेक्ट्रोलाइट निकलते हैं, तो ऐसे में उनकी भरपाई भी जरूरी है। इस स्थिति में व्यक्ति मैग्नीशियम और पोटैशियम की खुराक व मल्टीविटामिन की खुराक ले सकता हैं। रोजाना दो कप सूप पिएं, अपने पीने के पानी या डिटॉक्स ड्रिंक में एक चुटकीभर नमक मिलाएं। ध्यान रहे कि अगर कोई व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी या डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो नमक का उपयोग न करें। इसके अलावा, बाजार में उपलब्ध लो-सोडियम साल्ट जैसे लाइट साल्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कीटो फ्लू क्या है?
कीटो फ्लू शरीर में कीटोसिस का एक विशेष संकेत है। कीटो फ्लू कीटो डाइट प्लान शुरू करने के दो से सात दिन बाद दिखाई दे सकता है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार है (19):
सिरदर्द
नींद न आना
कब्ज
थकान
उल्टी या मतली
चिड़चिड़ापन
ऐसा अचानक डाइट में होने वाले परिवर्तन के कारण हो सकता है।
भोजन में कार्ब्स की गणना कैसे कर सकते हैं?
आप न्यूट्रीशन डेटा वेबसाइट पर ऑनलाइन जांच कर सकते हैं या ऑनलाइन टूल जैसे फिटनेस पाल टू कैलकुलेट दी टोटल कार्ब्स (fitness pal to calculate the total carbs) का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, विकल्प के तौर पर आप कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थों के बारे में जानकर अपनी डाइट में कम कार्ब वाली सामग्रियों का चुनाव कर सकते हैं।
कीटो डाइट प्लान के लिए स्वस्थ फैट क्या है?
नीचे हम कुछ स्वस्थ फैट युक्त खाद्य पदार्थों की जानकारी दे रहे हैं, जिनका सेवन आप कर सकते हैं। स्वस्थ फैट में मोनो-अनसैचुरेटेड और पोलीअनसैचुरेटेड फैट मौजूद है। इसका सेवन हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है (20) (21)।
जैतून का तेल
अलसी के बीज
सूरजमुखी के बीज का तेल
सोया
मकई
मछली
एवोकैडो
नट्स
कीटो डाइट प्लान में वजन घटाने के चरण क्या हैं?
अगर बात करें कीटो डाइट प्लान में वजन घटाने के चरण की, तो लोगों के अनुभव के अनुसार आमतौर पर कीटो डाइट प्लान में वजन घटाने के तीन चरण होते हैं। ध्यान रहे कि इनके बारे में कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। इसलिए, हम लोगों के अनुभव के आधार पर इस बारे में बता रहे हैं।
तीन स्टेजेस कुछ इस प्रकार हैं :
रैपिड वेट लॉस स्टेज (Rapid weight loss stage) – इस चरण में व्यक्ति के शरीर से अधिक से अधिक पानी का वजन कम होगा। इसे कीटो डाइट प्लान का पहला चरण कहा जा सकता है।
कीटो अडैप्शन स्टेज (Keto-adaptation stage) – इस चरण में व्यक्ति का वजन घटना स्थिर हो सकता है। हालांकि, इस स्टेज में व्यक���ति का वजन बढ़ भी सकता है। इस स्टेज में शरीर नए ऊर्जा स्रोत और ऊर्जा के रूप में शुगर की कमी का अनुभव कर सकता है। यह लगभग एक सप्ताह तक चल सकता है।
कम्पलीट कीटो अडैप्शन स्टेज (Complete keto-adaptation stage) – इस स्टेज में शरीर मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में कीटोन्स का उपयोग करना सीख जाता है। इस स्टेज में शरीर ज्यादा फैट बर्न कर सकता है। यह स्टेज तीसरे सप्ताह के मध्य से शुरू हो सकता है और चौथे सप्ताह तक रह सकता है। इस दौरान कुछ लोग वजन बढ़ने का या वजन न घटने का भी अनुभव कर सकते हैं, लेकिन इसमें कोई चिंता की बात नहीं है। यह वजन बढ़ाने या वजन कम न करने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। ध्यान रहे कि आप सही तरीके से डाइट का पालन करें और नियमित रूप से व्यायाम या योग करते रहें, ताकि वजन संतुलित रहे।
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Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
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विटामिन ई के स्रोत और स्वास्थ्य लाभ – Vitamin E Rich Foods in Hindi
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विटामिन ई के स्रोत और स्वास्थ्य लाभ – Vitamin E Rich Foods in Hindi
विटामिन ई के स्रोत और स्वास्थ्य लाभ – Vitamin E Rich Foods in Hindi Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 December 18, 2019
शरीर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाए रखने के लिए कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है। विटामिन ई भी उन्हीं पोषक तत्वों में से एक है। शरीर में अगर विटामिन ई की कमी हो जाए, तो कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम न सिर्फ विटामिन ई के फायदे बताएंगे, बल्कि विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ की भी जानकारी देंगे। ध्यान रहे कि विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं। साथ ही अगर कोई बीमार है, तो विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ उसके लक्षणों को कुछ कम कर सकते हैं। वहीं, अगर किसी की अवस्था गंभीर है, तो मेडिकल ट्रीटमेंट जरूरी है।
इससे पहले कि विटामिन-ई के फायदे जानें, विटामिन-ई क्या है यह जान लेते हैं।
विषय सूची
विटामिन ई क्या है?
विटामिन-ई एक फैट सॉल्युबल विटामिन है। यह एक कारगर एंटीऑक्सीडेंट भी है। विटामिन-ई शरीर के टिश्यू को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है। फ्री रेडिकल्स कोशिकाओं, टिश्यू और अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। शरीर की इम्युनिटी के लिए भी विटामिन-ई की आवश्यकता होती है। यह शरीर को वायरस और बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण से भी बचा सकता है (1) (2)। लेख में नीचे आपको इस विषय में जरूरी जानकारी दी जाएगी।
लेख के आगे के भाग में जानिए विटामिन ई के फायदे।
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इससे पहले कि आप विटामिन-ई के स्रोत के बारे में जानें, आपका यह जानना जरूरी है कि विटामिन-ई के फायदे क्या-क्या हैं।
कैंसर : एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, विटामिन-ई में एंटी-कैंसर गुण मौज���द होते हैं (3) (1)। वहीं, कुछ शोध में यह भी पाया गया है कि विटामिन-ई कैंसर से बचाव करने में कोई भूमिका नहीं निभाता (4)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि विटामिन-ई कैंसर से पूरी तरह बचाव कर सकता है या नहीं यह अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। इस संबंध में अभी और शोध किए जाने की जरूरत है।
हृदय के लिए : विटामिन-ई हृदय रोग के लिए लाभकारी हो सकता है। कुछ शोध के अनुसार विटामिन-ई का सेवन हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम कम कर सकता है। इसके बावजूद, विटामिन-ई के इस लाभ को लेकर संशय बना हुआ है। सटीक वैज्ञानिक प्रमाण के अभाव में यह कहना थोड़ा मुश्किल होगा कि विटामिन-ई हृदय के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है (4)। हृदय के लिए विटामिन-ई सप्लीमेंट लेने से पहले अच्छा होगा कि एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
आंखों के विकार के लिए : बढ़ती उम्र के साथ कुछ नेत्र संबंधी विकार जैसे एज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन (Age-related macular degeneration-AMD) और मोतियाबिंद अंधेपन का कारण बन सकते हैं। यहां विटामिन-ई के लाभ देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि एंटीऑक्सीडेंट, जिंक और कॉपर के साथ विटामिन-ई के सप्लीमेंट एएमडी से पीड़ित व्यक्तियों में अंधेपन के जोखिम को कम कर सकते हैं (4)। वहीं, दूसरी ओर एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में मोतियाबिंद पर विटामिन-ई के प्रभाव को संशयात्मक माना गया है (3)। ऐसे में आंखों के लिए किसी भी प्रकार के विटामिन-ई के सप्लीमेंट लेने से पहले संबंधित डॉक्टर से परामर्श लेना उचित विकल्प रहेगा।
त्वचा के लिए : विटामिन-ई त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है। कई कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में विटामिन-ई का उपयोग किया जाता है। कुछ शोध के अनुसार, यह त्वचा की समस्या जैसे – जेरोसिस (Xerosis) यानी त्वचा के रूखेपन की समस्या, एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopic Dermatitis) यानी त्वचा पर खुजली व सूजन की समस्या और अल्सर जैसी परेशानियों से राहत दिला सकता है (5) (6)। फिलहाल, इस संबंध में अभी और शोध की आवश्यकता है (7)। इसके लिए डॉक्टरी सलाह पर विटामिन-ई युक्त तेल या क्रीम का उपयोग किया जा सकता है।
इम्युनिटी के लिए : विटामिन-ई रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है। यह वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव करने में मदद कर सकता है (1)। खासकर, वृद्धों के लिए यह काफी लाभकारी हो सकता है। इम्युनिटी के लिए विटामिन-ई एक एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है (8)।
अब जब विटामिन-ई के फायदे जान गए हैं, तो अब बारी आती है विटामिन ई के स्रोत के बारे में जानने की। लेख के इस भाग में हम विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ – Vitamin E Rich Foods in Hindi
विटामिन ई के फायदे जानने के बाद इसे आहार में शामिल करना तो बनता है। वैसे तो विटामिन ई के कैप्सूल बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन बेहतर है कि विटामिन ई के स्रोत के लिए प्राकृतिक चीजों का उपयोग किया जाए। इसलिए, नीचे हम विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ की जानकारी दे रहे हैं, जो प्राकृतिक रूप से विटामिन ई के स्रोत हैं।
1. गेहूं के बीज का तेल (Wheat Germ Oil)
कुछ लोगों के लिए यह सामग्री नई हो सकती है। गेहूं के बीज के तेल में भी विटामिन-ई मौजूद होता है। आप सलाद, पास्ता और कई खाने के चीजों में इसे टॉपिंग की तरह उपयोग कर सकते हैं।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 149.40 मिलीग्राम (9)।
2. बादाम
बादाम भी विटामिन-ई का अच्छा स्रोत है। बादाम को आहार में शामिल कर इसके फायदों का लुत्फ उठाया जा सकता है। इसके अलावा, बादाम तेल या दूध का भी सेवन किया जा सकता है। बालों और त्वचा के लिए बादाम तेल को लगा भी सकते हैं।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 25.63 मिलीग्राम (10)।
3. एवोकाडो
एवोकाडो में भी विटामिन-ई मौजूद होता है। एवोकाडो पोषक तत्वों से भरा फल होता है और इसे कई तरीकों से खाया जा सकता है। अपने आहार में विटामिन-ई को शामिल करने के लिए एवोकाडो का सेवन एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
सेवन का तरीका:
एवोकाडो को छीलकर और उसका बीज निकालकर सीधे खाया जा सकता है।
सैंडविच पर बटर के बदले एवोकाडो को मैश करके खा सकते हैं।
एवोकाडो की स्मूदी का सेवन भी किया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 2.07 मिलीग्राम (11)।
4. सूरजमुखी के बीज
सूरजमुखी के बीज भी विटामिन-ई के अच्छे स्रोत हैं। सूरजमुखी के बीज के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, हालांकि ध्यान रहे कि छिलका पूरी तरह से हटा दें। छिलके के साथ सेवन करने से पेट दर्द और उल्टी की समस्या हो सकती है (12)।
सेवन का तरीका:
बीज के छिलके हटाकर कच्चा सेवन किया जा सकता है।
इसे भूनकर स्नैक्स की तरह सेवन किया जा सकता है।
इसे सैंडविच, पास्ता और अन्य खाद्य पदार्थों के साथ भी खाया जा सकता है।
विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 35.17 मिलीग्राम (13) ।
आप अधिक जानकारी के लिए हमारे सूरजमुखी के बीज पर लिखे गए लेख को पढ़ सकते हैं।
5. पालक
विटामिन-ई के लिए हरी सब्जियों का सेवन भी लाभकारी हो सकता है। कई हरी सब्जियों में विटामिन-ई होता है और पालक उन्हीं में से एक है। पालक न सिर्फ विटामिन-ई का बल्कि कई अन्य पोषक तत्व जैसे – प्रोटीन, मैग्नीशियम और कैल���शियम का भी स्रोत है। पालक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है।
सेवन का तरीका:
आलू-पालक की सब्जी का सेवन किया जा सकता है।
पालक का सूप या जूस पी सकते हैं।
पनीर के साथ पालक की सब्जी बनाकर सेवन किया जा सकता है।
पालक का साग बनाकर खा सकते हैं।
पालक को दाल के साथ बनाकर सेवन किया जा सकता है।
पालक का पराठा भी खा सकते हैं।
विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 2.03 मिलीग्राम (14)।
6. पीनट बटर
अगर किसी को विटामिन-ई का सेवन बिना मेहनत किए करना है, तो पीनट बटर अच्छा विकल्प है। हालांकि, इसमें कैलोरी भी होती है, इसलिए इसका सीमित रूप से सेवन लाभकारी हो सकता है।
सेवन का तरीका:
पीनट बटर को ब्रेड में लगाकर सेवन किया जा सकता है।
पीनट बटर को रोटी के साथ भी खाया जा सकता है।
पीनट बटर को ऐसे भी खाया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 9.1मिलीग्राम (15)
7. हेजलनट
विटामिन ई के लिए हेजलनट का भी सेवन किया जा सकता है। यह न सिर्फ विटामिन-ई बल्कि कई अन्य पोषक तत्व जैसे – प्रोटीन, फाइबर और कैल्शियम का भी अच्छा स्रोत है। हेजलनट शरीर को स्वस्थ रखने में मददगार साबित हो सकता है।
सेवन का तरीका:
हेजलनट को ऐसे भी खाया जा सकता है।
इसे भूनकर भी खाया जा सकता है।
इसे स्मूदी या शेक में मिलाकर भी खाया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 17.5 मिलीग्राम (16)।
8. पाइन नट्स
पाइन नट्स को चिलगोजा भी कहा जाता है। इसमें विटामिन-ई के साथ आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन जैसे जरूरी पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। अन्य नट्स की तरह ही यह भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।
सेवन का तरीका:
इसे कच्चा खाया जा सकता है।
इसे भूनकर भी सेवन किया जा सकता है।
सलाद या स्मूदी में डालकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 9.33 मिलीग्राम (17)।
9. सूखे खुबानी (Dried Apricots)
सूखे खुबानी में फाइबर के साथ-साथ कई आवश्यक विटामिन होते हैं, जिनमें विटामिन-ई भी शामिल है (18)। जहां फाइबर पाचन में मदद कर सकता है (19)। वहीं, विटामिन-ई सेहत के साथ-साथ त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है (20)।
सेवन का तरीका:
सूखे खुबानी का सेवन सीधे किया जा सकता है।
इसे सलाद के साथ भी खाया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 4.33 मिलीग्राम।
10. कीवी
कीवी में विटामिन-ई तो होता ही है, साथ ही यह विटामिन-सी का भी अच्छा स्रोत है (21)। कीवी में मौजूद विटामिन-सी इम्युनिटी के लिए भी लाभकारी हो सकता है।
सेवन का तरीका:
कीवी को ऐसे ही छीलकर खाया जा सकता है।
कीवी के जूस का भी सेवन किया जा सकता है।
फ्रूट सलाद में कीवी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कीवी की स्मूदी का भी सेवन कर सकते हैं।
कीवी की आइसक्रीम भी खा सकते हैं।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 1.46 मिलीग्राम (22)।
11. ब्रोकली
सब्जियों की बात करें, तो ब्रोकली भी स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थों में से एक है। हालांकि, अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में ब्रोकली में विटामिन-ई की मात्रा कम होती है, लेकिन इसमें विटामिन-सी, फाइबर और पोटैशियम जैसे जरूरी पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं (23)।
सेवन का तरीका:
ब्रोकली की सब्जी बनाकर खाई जा सकती है।
ब्रोकली का सेवन सूप में डालकर भी किया जा सकता है।
ब्रोकली को फ्राई करके भी खाया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 0.78 मिलीग्राम (24)।
12. टमाटर
टमाटर किसी भी सब्जी का स्वाद बढ़ा सकता है। स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है। टमाटर में विटामिन-ए और विटामिन-सी के साथ-साथ लायसोपीन (lycopene) नामक एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होता है (25)। साथ ही इसमें विटामिन-ई भी मौजूद है, लेकिन काफी कम मात्रा में।
सेवन का तरीका:
टमाटर को सब्जी में डालकर सेवन किया जा सकता है।
टमाटर का इस्तेमाल सलाद और सैंडविच में किया जा सकता है।
टमाटर की चटनी का भी सेवन किया जा सकता है।
टमाटर का सूप भी पी सकते हैं।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 0.54 मिलीग्राम (26)।
13. अजमोद/ अजवायन
अजमोद में भी विटामिन-ई मौजूद होता है, लेकिन अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में कम। इसके अलावा, इसमें विटामिन ए, सी, के और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं (27)।
सेवन का तरीका:
अजमोद को सलाद के साथ खाया जा सकता है।
अजमोद का सेवन पीनट बटर, चीज़ डिप या सॉस के साथ किया जा सकता है।
विटामिन ई की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 0.75 मिलीग्राम (28)।
14. ओर्गेनो
विटामिन-ई के लिए ओर्गेनो का सेवन भी किया जा सकता है। खाने में विटामिन ई को शामिल करने के आसान विकल्पों में से एक आसान विकल्प ये भी हो सकता है।
सेवन का तरीका:
इसे सलाद और सैंडविच के साथ सेवन किया जा सकता है।
विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 18.26 मिलीग्राम (29)।
15. ऑलिव या जैतून
जैतून के तेल के साथ जैतून भी लाभकारी हो सकता है। इसमें विटामिन-ई मौजूद होता है, इसलिए यह सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है।
सेवन का तरीका:
इसे सैंडविच या पिज्जा के साथ खाया जा सकता है।
जैतून के तेल को खाना बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
जैतून के अचार का सेवन किया जा सकता है।
जैतून के तेल को त्वचा और बालों के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 3.81 मिलीग्राम (30)।
नोट : ऊपर बताए गए किसी भी खाद्य पदार्थ से अगर किसी को एलर्जी हो, तो उस खाद्य पदार्थ का सेवन न करें। अगर किसी को विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन के बाद असहजता महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर कोई व्यक्ति किसी विशेष प्रकार की दवाई का सेवन कर रहा है, तो विटामिन ई के कैप्सूल या विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन से पहले भी डॉक्टर की राय लें।
ये थे कुछ विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ। अब बारी आती है यह जानने की कि शरीर में अगर विटामिन ई की कमी हो, तो क्या बीमारियां हो सकती हैं।
विटामिन ई की कमी से होने वाले रोग
नीचे पढ़ें विटामिन ई की कमी से होने वाले रोगों के बारे में (4)।
क्रोन रोग ( Crohn’s Disease) – इसमें पाचन तंत्र में सूजन की समस्या हो सकती है। इसके लक्षणों में दस्त, बुखार और वजन घटना शामिल है (31)।
सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis) – यह फेफड़ों की बीमारी होती है। यह वंशानुगत है और अगर परिवार के किसी सदस्य को यह समस्या है, तो उसी परिवार के किसी दूसरे व्यक्ति को भी यह हो सकती है। इसमें विटामिन (ए, ई, के और डी) के सप्लीमेंट दिए जा सकते हैं (32)।
तंत्रिका और मांसपेशियों की समस्या भी हो सकती है।
देखने की क्षमता में कमी आ सकती है।
विटामिन ई की कमी से प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो सकती है।
लेख के आगे के भाग में जानिए शरीर को कितने विटामिन ई की जरूरत होती है।
आपको विटामिन ई की कितनी आवश्यकता है?
प्रत्येक दिन आवश्यक विटामिन ई की मात्रा व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करती है। नीचे हम उसके बारे में एक सूची साझा कर रहे हैं (1) (4)।
वर्ग बच्चे और वयस्क मात्रा प्रति दिन जन्म से लेकर 6 महीने तक 4 मिलीग्राम 7–12 महीने तक के बच्चे  5 मिलीग्राम 1 से 3 साल तक के बच्चे  6 मिलीग्राम 4 से 8 साल तक के बच्चे 7 मिलीग्राम 9–13 साल तक के बच्चे 11 मिलीग्राम 14-18 साल तक के किशोर  15 मिलीग्राम वयस्क 15 मिलीग्राम गर्भवती ��हिला 15 मिलीग्राम स्तनपान कराने वाली महिला 19 मिलीग्राम
नोट : विटामिन-ई की मात्रा के बारे में एक बार डॉक्टर से भी सलाह जरूर लें। डॉक्टर व्यक्ति के स्वास्थ्य के अनुसार इसके सेवन के बारे में जानकारी देंगे।
लेख के आगे के भाग में पढ़ें कि विटामिन की कमी से बचाव कैसे किया जा सकता है।
विटामिन ई की कमी से बचने के उपाय – Prevention Tips for Vitamin E Deficiency in Hindi
विटामिन-ई की कमी से बचाव के लिए विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थों जैसे – सब्जियों और फलों का सेवन करें।
विटामिन-ई युक्त ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें।
डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन ई के कैप्सूल का सेवन भी कर सकते हैं।
विटामिन ई के फायदे शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए हो सकते हैं। साथ ही ध्यान रहे कि जरूरत से ज्यादा सेवन करने से नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए, सही तरीके से और डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन ई का सेवन करें। अगर किसी भी विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ से किसी व्यक्ति को एलर्जी हो, तो उस विशेष खाद्य पदार्थ का सेवन न करें। ध्यान रहे विटामिन ई कुछ बीमारियों से बचाव कर सकता है, न कि उन्हें ठीक कर सकता है। किसी भी गंभीर बीमारी के लिए डॉक्टरी इलाज आवश्यक है। इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति विटामिन ई के कैप्सूल का सेवन करना चाहता है, तो डॉक्टरी सलाह जरूरी है। अगर आप इस विषय के संबंध में कोई सवाल या सुझाव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हमें संपर्क करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या विटामिन ई में रक्त को पतला करने के गुण मौजूद होते हैं?
हां, विटामिन-ई में रक्त को पतला करने के गुण मौजूद हैं (33)। इसके इस गुण के कारण दिल के दौरे का जोखिम कम हो सकता है। ध्यान रहे कि अगर आप पहले से खून को पतला करने की किसी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो विटामिन-ई के सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
क्या विटामिन ई पानी में घुलनशील है?
नहीं, यह वसा में घुलनशील है (1)।
विटामिन ई के कुछ तथ्य क्या हैं?
विटामिन ई की खोज 1922 में डॉ. हर्बर्ट इवांस और कैथरीन बिशप ने की थी (34)।
विटामिन ई की कमी आमतौर पर असामान्य है। ऐसा आनुवंशिक विकार, कुपोषित बच्चे और शिशु के समय पहले जन्म लेने जैसी अवस्था में ही हो सकता है (4)।
विटामिन ई का सबसे अच्छा रूप क्या है?
अल्फा टोकोफेरॉल (alpha-tocopherol) प्राकृतिक रूप से खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला विटामिन ई है (35)। ये खाद्य पदार्थों और सप्लीमेंट में मौजूद होता है।
विटामिन ई के 8 रूप क्या हैं?
विटामिन ई आठ यौगिकों का एक समूह है, जिसमें चार टोकोफेरोल्स (अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा) और चार टोकोट्रिऑनोल (अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा) शामिल है (3)।
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Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/vitamin-e-ke-srot-aur-fayde-in-hindi/
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हीमोग्लोबिन बढ़ाने के आहार – Foods To Increase Hemoglobin Levels in Hindi
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हीमोग्लोबिन बढ़ाने के आहार – Foods To Increase Hemoglobin Levels in Hindi
हीमोग्लोबिन बढ़ाने के आहार – Foods To Increase Hemoglobin Levels in Hindi Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 November 28, 2019
हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाए जाने वाला एक तरह का प्रोटीन है, जिसका काम शरीर की अन्य कोशिकाओं तक ऑक्सीजन का संचार करना होता है। कुछ परिस्थितियों में शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो सकता है और ऐसी अवस्था को एनीमिया कहा जाता है (1)। इस अवस्था में सही समय पर ध्यान न देने पर व्यक्ति की सेहत बिगड़ सकती है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए आहार के बारे में बताएंगे। साथ ही बताएंगे कि हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए आहार में किन-किन खाद्य पदार्थों को शामिल किया जा सकता है। हीमोग्लोबिन कम होने की स्थिति में सही आहार के साथ-साथ डॉक्टरी परामर्श भी जरूरी है।
लेख के पहले भाग में जानिए कि हीमोग्लोबिन कम होने के लक्षण क्या हो सकते हैं।
विषय सूची
हीमोग्लोबिन कम होने के लक्षण – Symptoms of Low Hemoglobin in Hindi
जैसा कि शुरुआत में बताया गया है कि हीमोग्लोबिन की कम होने से एनीमिया हो सकता है। इस समस्या का अंदाजा उसके कुछ लक्षणों की मदद से लगाया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं (2):
दिल की धड़कन तेज होना
शरीर में दर्द
चक्कर या बेहोशी आना
थकान लगना
सांस लेने में तकलीफ होना
त्वचा में पीलापन
नोट : शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को आहार में आयरन की पर्याप्त मात्रा से ठीक किया जाता है, लेकिन शरीर में आयरन को अवशोषित (absorb) करने के लिए अन्य खनिज जैसे विटामिन-बी12, विटामिन-बी6, फोलिक, कॉपर व विटामिन-सी को भी शामिल करना जरूरी होता है (3)।
लेख के अगले भाग में जानिए हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए आहार के बारे में।
हीमोग्लोबिन बढ़ाने के आहार – Foods To Increase Hemoglobin in Hindi
शरीर में एक निश्चित मात्रा में हीमोग्लोबिन की आवश्यकता होती है, जो पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग होती है। पुरुषों में यह मात्रा 14 से 18 ग्राम प्रति डेसीलिटर (g/dl) और महिलाओं में 12 से 16 ग्राम प्रति डेसीलिटर (g/dl) होती है। शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर इस मात्रा से कम होने की समस्या को एनीमिया कहा जाता है (1)। नीचे जानिए हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाने आहार में किन खाद्य पदार्थों को शामिल करने से फायदा मिल सकता है।
1. अंडा
अंडे में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है (4)। वहीं, एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की एक रिसर्च के अनुसार, अंडे का सफेद भाग एनीमिया से उबरने में मदद कर सकता है। वहीं अंडे के पीले हिस्सा का सेवन करने से एनीमिया से उबरने की दर में कमी आ सकती है (5)। इसलिए, हम यही सलाह देंगे कि एनीमिया के दौरान अंडे का सेवन डॉक्टर से परामर्श करके ही किया जाना चाहिए।
2. मीट
मीट को आयरन का एक समृद्ध स्रोत माना जाता है। लाल मीट का सेवन करने से आयरन की कमी को पूरा किया जा सकता है, जिससे एनीमिया की समस्या से आराम मिल सकता है। प्रतिदिन 80 से 90 ग्राम मीट आहार में शामिल करने से एनीमिया की समस्या से आराम मिल सकता है (6)। वहीं, मीट का अधिक सेवन करने से उसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे टाइप 2 डायबिटीज, हृदयरोग व कैंसर आदि (7)।
हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए आहार में आप चिकन या बकरे के लिवर का सेवन कर सकते हैं। इसके 85 ग्राम में लगभग 70 माइक्रोग्राम विटामिन-बी12 होता है। आप चिकन ब्रेस्ट का भी सेवन कर सकते हैं (8)।
3. लेगम्स (फलियों वाले अनाज)
यह तो आपने सुना ही होगा कि एक संतुलित आहार में साबुत अनाज शामिल करने की सलाह दी जाती है। ऐसे कुछ लेगम्स (फली वाले अनाज) भी होते हैं, जिन्हें हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाने आहार में शामिल जा सकता है। इनमें सोयाबीन, सफेद राजमा और चने का नाम शामिल है। एनीमिक व्यक्ति के लिए सोयाबीन अच्छा स्रोत हो सकता है (9)। लाल राजमा की तुलना में सफेद राजमा आयरन का बेहतर स्रोत होता है, जिसका सेवन करने से आयरन की कमी पूरी हो सकती है (10)। चने में आयरन के साथ-साथ कॉपर, विटामिन-बी6, विटामिन-बी12 और फोलेट भी पाया जाता है, जो एनीमिया से आराम पाने में मदद कर सकता है (11)।
4. स्टार्च और अनाज
स्टार्च स्रोत जैसे केले में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है। इस वजह से हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाने आहार में इसे शामिल किया जा सकता है (12)। हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए आहार में आप विटामिन बी12 से समृद्ध सीरिअल (अनाज) भी शामिल कर सकते हैं। इसके लिए आप डिब्बाबंद ब्रेकफास्ट सीरिअल का सेवन कर सकते हैं (13)।
एक अन्य शोध में यह भी पाया गया है कि आहार में सिर्फ अनाज या लेगम्स से भरी डाइट का सेवन करने से भी आयरन की कमी हो सकती है। इसलिए, इनके साथ आयरन को शरीर में अवशोषित करने वाले पोषक तत्वों की भी जरूरत होती है (3) (14)।
5. बड़ी सीप (क्लैम्स)
बड़ी सीप (क्लैम्स) भी विटामिन बी12 का अच्छा स्रोत होते हैं। पके हुए 85 ग्राम क्लैम्स में 84 माइक्रोग्राम विटामिन-बी12 पाया जाता है (14)। हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाने आहार में विटामिन-बी12 को शामिल करने से आयरन को बेहतर तरीके से अवशोषित (absorb) करने में मदद मिल सकती है (3)।
6. हर्ब्स
एनीमिया से ग्रसित लोगों को कुछ प्रकार की हर्ब्स और उनसे बने पेय पदार्थों का सेवन करने का सुझाव दिया जाता है। इन हर्ब्स में एनीस (anise) पुदीना (mint), बड़ा जीरा (caraway), जीरा (cumin) लिंडन (tilia), लोकोरिस (liquorice) से बने पेय पदार्थ शामिल हैं। ये सभी आयरन से भरपूर होते हैं और हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (15)। इन सभी के अलावा, एनीमिया से आराम पाने के लिए काला जीरा और थाइम से बने पेय पदार्थों का भी उपयोग किया जा सकता है (16)।
7. फल
प्रतिदिन फलों का सेवन करने से आप कई तरह की समस्याओं से बच सकते हैं और उन्हीं में से एक एनीमिया है। शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ाने के लिए सेब, केले और अनार का सेवन किया जा सकता है। सेब और केले में समृद्ध मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (12) (17)। अनार का जूस लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है, जिससे हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद मिल सकती है (18)।
इनके साथ, आप साइट्रस फल जैसे संतरे, नींबू व ग्रेपफ्रूट आदि का भी सेवन कर सकते हैं। साइट्रस फल एस्कॉर्बिक एसिड यानी विटामिन-सी से भरपूर होते हैं, जो शरीर में आयरन को अवशोषित करने में मदद करते हैं (19)। हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाने आहार में आप विटामिन-सी से समृद्ध अन्य फलों को भी शामिल कर सकते हैं, जैसे स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, शहतूत, आम, कीवी, पपीता व अनानास आदि (20)।
8. सब्जियां
जैसा कि लेख में बता चुके हैं कि शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी आयरन के अलावा अन्य पोषक तत्वों की कमी से भी हो सकती है, जैसे फोलेट (21)। ऐसे में शरीर में फोलेट की कमी को पूरा करने के लिए टमाटर, गाजर, लाल/पीली शिमला मिर्च, एवोकाडो, मूली और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक खाने की सलाह दी जाती है (22)। इनके साथ, हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए आहार में विटामिन-सी समृद्ध सब्जियां शामिल करने से भी फायदा मिल सकता है, जैसे – ब्रोकली, टमाटर, फूलगोभी, आलू व पत्तागोभी आदि (20)।
9. नट्स
अलग-अलग प्रकार के नट्स में अलग-अलग मात्रा में आयरन पाया जाता है, जैसे काजू में 6.68 मिलीग्राम आयरन पाया जाता है (23)। वहीं, बादाम में 3.71 मिलीग्राम और पिस्ता में 3.92 मिलीग्राम आयरन पाया जाता है (24) (25)। इन सभी में आयरन होने के बावजूद इस बात पर कोई पुख्ता शोध उपलब्ध नहीं है, जिसके आधार पर यह कहा जा सकते कि ये हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। वहीं, एक शोध में पाया गया है कि नट्स का सेवन आयरन अवशोषण की प्रक्रिया में बाधा बन सकता है (26)। इसलिए, हम यही सलाह देंगे कि एनीमिया से बचने के लिए इनका सेवन करना सही है या नहीं, इस बारे में एक बार डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।
10. डार्क चॉकलेट
डार्क चॉकलेट को कोको से बनाया जाता है और कोको को कई तरह की समस्याओं, जैसे थकान, अपच व डिप्रेशन आदि के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। डार्क चॉकलेट में लगभग 80 प्रतिशत कोको होता है, जो आयरन से समृद्ध होता है (27)। वहीं, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक मेडिकल रिसर्च के अनुसार, शोध में यह भी पाया गया है कि कोको पाउडर आयरन को अवशोषित करने और एनीमिया से आराम पाने में भी मदद कर सकता है (28)।
11. मछली
मछली में भी आयरन पाया जाता है, जिस वजह से शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने के लिए मछली का सेवन भी किया जा सकता है (29)। खासकर, साल्मन मछली खाने से अधिक फायदा मिल सकता है। एक रिसर्च के अनुसार, सालमन मछली शरीर में आयरन का अवशोषण बढ़ाने में मदद करती है, जिससे आयरन की कमी को पूरा करने में मदद मिल सकती है (30)।
अब आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि डाइट में किन खाद्य पदार्थों को शामिल करने से हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ा सकते हैं। ध्यान रखें कि लेख के बताए गए हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाने आहार हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। साथ ही अगर किसी को मेडिकल ट्र��टमेंट चल रहा है, तो डॉक्टरी इलाज व दवा के प्रभाव को बढ़ा सकते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए आहार और चिकित्सकीय देखरेख के साथ शरीर में हीमोग्लोबिन का सही स्तर बनाए रखने में मदद मिल सकती है। अगर आपके मन में हीमोग्लोबिन व एनीमिया से के जुड़ा कोई अन्य सवाल या सुझाव है, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के जरिए हम तक पहुंचा सकते हैं।
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सौम्या व्यास ने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बीएससी किया है और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया, बेंगलुरु से टेलीविजन मीडिया में पीजी किया है। सौम्या एक प्रशिक्षित डांसर हैं। साथ ही इन्हें कविताएं लिखने का भी शौक है। इनके सबसे पसंदीदा कवि फैज़ अहमद फैज़, गुलज़ार और रूमी हैं। साथ ही ये हैरी पॉटर की भी बड़ी प्रशंसक हैं। अपने खाली समय में सौम्या पढ़ना और फिल्मे देखना पसंद करती हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/hemoglobin-badhane-ke-aahar-in-hindi/
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सीताफल के 10 फायदे और नुकसान – Custard Apple (Sitafal) Benefits and Side Effects in Hindi
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सीताफल के 10 फायदे और नुकसान – Custard Apple (Sitafal) Benefits and Side Effects in Hindi
सीताफल के 10 फायदे और नुकसान – Custard Apple (Sitafal) Benefits and Side Effects in Hindi Somendra Singh Hyderabd040-395603080 November 15, 2019
हमारे आसपास कई प्रकार के फल पाए जाते हैं, जिनमें से सीताफल भी प्रमुख है। सीताफल का सेवन व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य में होने वाली कई खामियों में कुछ हद तक सुधार कर सकता है, लेकिन यह लेख में बताई जा रही स्वास्थ्य समस्याओं का सटीक उपचार नहीं है। हां, यह आपको बीमार होने से बचा जरूर सकता है। स्टाइलक्रेज का यह लेख, सीताफल से होने वाले संभावित स्वास्थ्य लाभ के बारे में है। सीताफल खाने के फायदे के अलावा इसके कुछ नुकसान भी हैं। इस लेख में सीताफल खाने के फायदे के साथ आपको सीताफल खाने के नुकसान के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
आइए सबसे पहले जानते हैं कि सीताफल क्या है।
विषय सूची
सीताफल क्‍या है? – What is Custard Apple in Hindi
सीताफल एक स्वादिष्ट फल है, जो आसानी से फलों की दुकान में मिल जाएगा। इसकी बाहरी त्वचा हरे रंग की होती है, जो एक आवरण की तरह फल के अंदर मौजूद गूदे को ढककर रखती है। सीताफल को शुगर एप्पल और शरीफा के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम एनोना स्क्वैमोसा (Annona squamosa) है। यह फल जब पक जाता है, तब इसे खाने के इस्तेमाल किया जाता है। सीताफल खाने के फायदे नीचे बताए जा रहा हैं। आप यहां दी गई जानकारी को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
सीताफल के फायदे – Benefits of Custard Apple (Sitafal) in Hindi
स्वास्थ्य के लिए सीताफल के फायदे कुछ इस प्रकार हैं।
1. स्वस्थ वजन के लिए
अगर कोई अपने वजन से परेशान है, तो इस स्थिति में सीताफल मदद कर सकता है। दरअसल, कम वजन होने का एक कारण यह भी है कि शरीर को जितनी ऊर्जा प्राप्त होती है, उससे कहीं ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है। वहीं, सीताफल को एक बेहतर ऊर्जा स्रोत वाले फल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जो वजन बढ़ाने में मदद कर सकता है (1), (2)। ध्यान रहे कि सीताफल के साथ-साथ अन्य डाइट व नियमित व्यायाम पर ध्यान देना भी जरूरी है।
2. अस्थमा के लिए
अस्थमा ऐसी मेडिकल कंडीशन है, जो इन्फ्लेमेशन (फेफड़ों के रास्ते में सूजन) के कारण होती है (3)। यहां सीताफल के प्रयोग से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। यह एक बेहतरीन एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण वाला फल है (4)। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, एंटी-इंफ्लेमेटरी क्रिया अस्थमा के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है (5)। इसके लिए सीताफल के अर्क का सेवन किया जा सकता है।
3. हार्ट अटैक के खतरे को रोकने के लिए
हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के लिए भी सीताफल का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, सीताफल में विटामिन-बी6 की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है (6)। एक डॉक्टरी रिसर्च के अनुसार, विटामिन-बी6 का सेवन, हृदय रोग के खतरे को कम कर सकता है (7)। इसमें हार्ट अटैक भी शामिल है।
4. पाचन स्वास्थ्य के लिए
अगर कोई पाचन प्रक्रिया को बेहतर रखना चाहता है, तो इस स्थिति में भी सीताफल काम आ सकता है। सीताफल खाने के फायदे में फाइबर की पूर्ति भी शामिल है (1)। वहीं, फाइबर की पूर्ति शरीर की पाचन क्रिया में भी सुधार करती है और साथ ही यह कब्ज की समस्या से भी लोगों को छुटकारा दिल���ती है (8)।
5. डायबिटीज के उपचार में
डायबिटीज की स्थिति में सीताफल के लाभ उपयोग में लिए जा सकते हैं। दरअसल, सीताफल में एंटी-डायबिटिक गुण पाया जाता है। यह ब्लड ग्लूकोज के स्तर में सुधार करता है और डायबिटीज के लिए जिम्मेदार विभिन्न जोखिम को भी रोकने में प्रभावी रूप से कार्य कर सकता है (9)। इसके लिए सीताफल के गूदे की स्मूदी का सेवन किया जा सकता है। डायबिटीज में सीताफल लक्षणों को कम कर सकता है, उपचार नहीं कर सकता। बेहतर उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
6. ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए
ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने के लिए भी सीताफल का उपयोग किया जा सकता है। सीताफल में कुछ मात्रा मैग्नीशियम की होती है (1)। अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो सीताफल में मौजूद मैग्नीशियम के सेवन के जरिए उसे कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है। यह हाई ब्लड प्रेशर के कारण हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे को भी कम कर सकता है (10)।
7. कोलेस्ट्रोल को कम करने में
अगर कोलेस्ट्रोल के स्तर में अनावश्यक रूप से बढ़ोत्तरी हो जाए, तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। कोलेस्ट्रोल के स्तर को संतुलित बनाए रखने के लिए सीताफल को इस्तेमाल में ला सकते हैं। दरअसल, इसमें नियासिन विटामिन की मात्रा पाई जाती है (1)। नियासिन विटामिन का सेवन कोलेस्ट्रोल स्तर को संतुलित करके हृदय रोग, स्ट्रोक और हार्ट अटैक से बचाए रखने में लोगों की मदद कर सकता है (11)। ध्यान रहे कि आप कोलेस्ट्रोल की समस्या से पीड़ित हैं, तो घरेलू उपचार के साथ डॉक्टरी उपचार जरूर करवाएं।
8. एनीमिया को ठीक करने में
एनीमिया से बचने के लिए भी सीताफल खाने के लाभ देखे जा सकते हैं। एनीमिया एक मेडिकल कंडीशन है, जिसमें शरीर में रेड ब्लड सेल्स की कमी हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति के शरीर के सभी हिस्सों में खून के साथ ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा पहुंचने में परेशानी होती है। वहीं, सीताफल में आयरन व फोलेट की भी पर्याप्त मात्रा पाई जाती है और एनीमिया में आयरन व फोलेट की सबसे ज्यादा जरूरत होती है (1), (12)। इस प्रकार सीताफल के प्रयोग से एनीमिया के कुछ लक्षणों को कम किया जा सकता है। वहीं, अगर आप स्वस्थ हैं, तो एनीमिया से बचे रहे सकते हैं।
9. प्रेगनेंसी में सीताफल का सेवन
प्रेगनेंसी की स्थिति में भी सीताफल में मौजूद पोषक तत्व के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, सीताफल में आयरन व फोलेट की मात्रा पाई जाती है (1)। ये पोषक तत्व गर्भावस्था में एनीमिया को रोकने और न्यूरल ट्यूब दोष (Neural tube defect – बच्चों की रीढ़ और मस्तिष्क में जन्म के समय होने वाला दोष) से मां को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं (12), (13)। हालांकि, गर्भावस्था में सीताफल का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें, क्योंकि गर्भावस्था में इसके सेवन को लेकर अभी पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
10. स्वस्थ त्वचा और बालों के लिए
त्वचा को निखार देने के लिए भी सीताफल का सेवन काम आ सकता है। सीताफल में विटामिन-सी की मात्रा पाई जाती है (1)। विटामिन-सी त्वचा को सूर्य की हानिकारक पैराबैंगनी किरणों से बचाने में मदद कर सकता है (14)। साथ ही सीताफल में जिंक, आयरन, कैल्शियम व मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो बालों के लिए लाभदायक हो सकते हैं (15)। बेहतर होगा कि आप त्वचा विशेषज्ञ की सलाह पर ही इसका प्रयोग करें।
सीताफल के फायदे जानने के बाद अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि सीताफल में कौन-कौन से पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
सीताफल के पौष्टिक तत्व – Custard Apple Nutritional Value in Hindi
सीताफल में निम्नलिखित पोषक तत्व पाए जाते हैं (1)।
पौष्टिक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम जल 73.23g ऊर्जा 94kcal ऊर्जा 393kJ प्रोटीन 2.06g टोटल लिपिड 0.29g ऐश (Ash) 0.78g कार्बोहाइड्रेट 23.64g फाइबर, कुल डाइटरी 4.4g मिनरल कैल्शियम 24mg आयरन 0.6mg मैग्नीशियम 21mg फास्फोरस 32mg पोटैशियम 247mg सोडियम 9mg  जिंक 0.1mg कॉपर 0.086mg सेलेनियम 0.6μg विटामिन  विटामिन सी, कुल एस्कॉर्बिक एसिड 36.3mg थायमिन 0.11mg राइबोफ्लेविन 0.113mg नियासिन 0.883mg पैंटोथैनिक एसिड 0.226mg विटामिन बी-6 0.2mg फोलेट (कुल,डीएफई,फूड) 14μg विटामिन ए, आईयू 6IU लिपिड फैटी एसिड टोटल, सैचुरेटेड 0.048g फैटी एसिड, टोटल मोनोअनसैचुरेटेड 0.114g फैटी एसिड, टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड 0.04g ट्रिपटोफन 0.01g लाईसीन 0.005g मेथियोनीन 0.007g
लेख के अगले भाग में जानते हैं कि सीताफल को कैसे उपयोग किया जा सकता है।
सीताफल का उपयोग – How to Use Custard Apple (Sugar Apple) in Hindi
सीताफल को निम्न प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है-
सीताफल के अर्क का सेवन किया जा सकता है।
सीताफल के गूदे से बीज को निकालकर, इसकी स्मूदी बनाई जा सकती है।
सीताफल की सब्जी बनाकर खाई जा सकती है।
मिल्क शेक के जरिए भी सीताफल का सेवन कर सकते हैं(16)।
सीताफल खाने के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जिसके बारे में लेख के अगले भाग में जानकारी दी जा रही है।
सीताफल के नुकसान – Side Effects of Custard Apple (Sitafal) in Hindi
सीताफल के कुछ खास दुष्प्रभाव नहीं हैं और इस संबंध में अभी रिसर्च भी कम हुई है। अभी तक की उपलब्ध जानकारी के अनुसार अधिक मात्रा में सीताफल खाने से निम्न प्रकार के नुकसान हो सकते हैं:
सीताफल में मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है, जिसका अधिक सेवन मतली और पेट दर्द का कारण बन सकती है(1), (10)।
सीताफल खाते समय इसके बीज को निकाल लें, नहीं तो यह गले में फंस सकता है, जिससे दम भी घुट सकता है।
सीताफल का सेवन करने से पहले यह देख लें कि यह किसी भी प्रकार से चिड़ियां या किसी कीट से संक्रमित न हो। सीताफल का सेवन ऊपर बताई गई स्वास्थ्य समस्या का पुख्ता इलाज नहीं है, बल्कि यह उसे ठीक करने में और उसके खतरे को कम करने में मदद कर सकता है। सीताफल को अपनी डाइट में शामिल करने के लिए लोग ऊपर बताई गई विधि का इस्तेमाल कर सक���े हैं। सीताफल के लाभ या सेवन से जुड़ा अगर कोई सवाल आप हमसे पूछना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के जरिए हम तक अपनी बात अवश्य पहुंचाएं। साथ ही अगर कोई गंभीर बीमारी का उपचार करा रहा है, तो उस स्थिति में इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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सोमेंद्र ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 2019 में बी.वोक इन मीडिया स्टडीज की है। पढ़ाई के दौरान ही इन्होंने पढ़ाई से अतिरिक्त समय बचाकर काम करना शुरू कर दिया था। इस दौरान सोमेंद्र ने 5 वेबसाइट पर समाचार लेखन से लेकर इन्हें पब्लिश करने का काम भी किया। यह मुख्य रूप से राजनीति, मनोरंजन और लाइफस्टइल पर लिखना पसंद करते हैं। सोमेंद्र को फोटोग्राफी का भी शौक है और इन्होंने इस क्षेत्र में कई पुरस्कार भी जीते हैं। सोमेंद्र को वीडियो एडिटिंग की भी अच्छी जानकारी है। इन्हें एक्शन और डिटेक्टिव टाइप की फिल्में देखना और घूमना पसंद है।
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सलाद खाने के 10 फायदे, तरीका और नुकसान – Salad Benefits and Side Effects in Hindi
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सलाद खाने के 10 फायदे, तरीका और नुकसान – Salad Benefits and Side Effects in Hindi
सलाद खाने के 10 फायदे, तरीका और नुकसान – Salad Benefits and Side Effects in Hindi Saral Jain Hyderabd040-395603080 October 21, 2019
अच्छी सेहत के लिए योग और व्यायाम के साथ-साथ खान-पान पर ध्यान देना भी जरूरी है। खान-पान ऐसा होना चाहिए, जिसमें विटामिन और मिनरल के रूप में पर्याप्त पोषक तत्व मौजूद हों। हमारी सेहत के लिए फायदेमंद हेल्दी फूड में सलाद का भी विशेष स्थान है। यह न सिर्फ हमें कई बीमारियों से बचाता है, बल्कि हमारी त्वचा, आंखों और बालों के लिए भी फायदेमंद है। वैसे सलाद का सेवन सभी करते हैं, लेकिन सलाद खाने के फायदे के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। इसकी जानकारी और फायदों के लिए स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे। साथ इसके फायदों और इससे होने वाले नुकसान के बारे में जानेंगे।
आर्टिकल में सबसे पहले यह जान लेते हैं कि सलाद कहते किसे हैं।
विषय सूची
सलाद क्‍या है? – What is Salad in Hindi
अलग-अलग स्थानों पर सलाद बनाने की विधि अगल-अलग है और इसे बड़े ही चाव से खाया भी जाता है। सलाद को विटामिन और खनिज का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसके अलावा, इसमें फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि सभी सलाद स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक नहीं होते। यइ इस पर निर्भर करता है कि सलाद में क्या-क्या सामग्री मिलाई गई है। इसमें कम मात्रा में ड्रेसिंग और टॉपिंग मिलाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन अगर आप इसे अधिक मात्रा में मिलाते हैं, तो सलाद कैलोरी और वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है (1)।
आइए, अब सलाद से होने वाले प्रमुख फायदों के बारे में जान लेते हैं।
सलाद के फायदे – Benefits of Salad in Hindi
जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कि सलाद में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इन फायदों के बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं।
1. वजन कम करने के लिए
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अधिक वजन और मोटापा आज एक आम समस्या बन गया है। मोटे लोग इससे कैसे भी करके पीछे छुड़ाना चाहते हैं। मोटापे से छुटकारा पाने के लिए और वजन को नियंत्रित करने के लिए सलाद अच्छा आहार हो सकता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और कैलोरी की मात्रा कम होती है। साथ ही इसे खाने से पेट ज्यादा देर तक भरा रहता है। इस प्रकार भूख कम लगने और ऊर्जा की कम खपत होने से यह आपके वजन को कम करने और नियंत्रित करने में आपकी मदद कर सकता है (2)।
2. आंखों के लिए सलाद खाने के फायदे
पोषक तत्वों की कमी के कारण आंखों की समस्या भी हो सकती है और सलाद पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसका कारण यह है कि इसमें विभिन्न प्रकार की सब्जियों और फलों को इस्तेमाल किया जाता है। हर फल और सब्जी में विभिन्न तरह के पोषक तत्व होते हैं। जब इन फलों या फिर सब्जियों को मिलाकर सलाद बनाई जाती है, तो सभी पोषक तत्व एक साथ मिल जाते हैं। इस प्रकार कह सकते हैं कि सलाद में ल्यूटिन और जेक्सैंथिन, विटामिन-सी (एस्कॉर्बिक एसिड), विटामिन-ई, विटामिन-ए, बीटा कैरोटीन, आवश्यक फैटी एसिड और जिंक जैसे पोषक तत्व शामिल होते हैं। ये सभी पोषक तत्व आपकी आंखों के लिए लाभदायक हैं, जो आंखों को कई तरह की बीमारियों से बचाते हैं (3)।
3. अच्छी नींद के लिए सलाद खाने के फायदे
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अगर आपको अच्छी तरह से नींद नहीं आती है, तो सलाद आपकी अनिद्रा की समस्या को दूर करने मदद कर सकता है। दरअसल, सलाद में लैक्टुका सैटिवा (Lactuca sativa) नामक सलाद का पत्ता भी मिलाया जाता है। इससे न सिर्फ सलाद का स्वाद बढ़ता है, बल्कि कई पोषक तत्व भी मिलते हैं। लैक्टुका सैटिवा में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से आपकी रक्षा करते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण अनिद्रा की समस्या हो सकती है (4)।
4. प्रतिरक्षा प्रणाली में करे सुधार
अगर आप अक्सर बीमार रहते हैं, तो हो सकता है कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो। इस समस्या को दूर करने के लिए सलाद आपकी मदद कर सकता है। सलाद में प्रोटीन पाया जाता है (5)। प्रोटीन न सिर्फ आपकी मसल्स को बेहतर बनाता है, बल्कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली में भी सुधार करने में आपकी मदद करता है (6)।
5. पाचन में सुधार के लिए सलाद खाने के फायदे
बिगड़ा हुआ पाचन तंत्र कई समस्याओं को जन्म देता है। इससे पेट तो खराब होता ही है साथ ही बिगड़े हुए पेट की वजह से काम में मन भी नहीं लगता। इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियों से बने सलाद का सेवन आपकी इस समस्या का समाधान हो सकता है। इसमें पाया जाना वाला फाइबर पाचन तंत्र और आंतों की समस्या को दूर करने में सहायक होता है (7)।
6. स्वस्थ हृदय के लिए
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हृदय की समस्या से ग्रस्त लोगों को हल्का भोजन करने की सलाह दी जाती है। ऐसे मरीज स्वस्थ हृदय के लिए सलाद का सेवन कर सकते हैं। इसमें उपयोग होने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में फाेलेट और विटामिन-बी पाया जाता है। ये पोषक तत्व हृदय को कई समस्याओं से बचाने के अलावा, उसकी कार्य प्रणाली में भी सुधार करते हैं। साथ ही सलाद में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जो बेहतर हृदय के लिए जरूरी माने गए हैं (7)।
7. फाइबर से भरपूर
सलाद को फलों और सब्जियों के मिश्रण से बनाया जाता है और इन दोनों को पोषक तत्वों की खान माना जाता है। इनमें से एक पोषक तत्व फाइबर है। सलाद के रूप में फाइबर का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से फायदेमंद हो सकता है। यह न सिर्फ आपकी पाचन तंत्र की समस्या को दूर करने में आपकी मदद करता है, बल्कि आंतों की समस्या के साथ ही पेट की कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद करता है। इसके अलावा, यह वजन को भी नियंत्रण करने में आपकी मदद कर सकता है (7)।
8. मांसपेशियों के निर्माण के लिए सलाद खाने के फायदे
सलाद का सेवन आपकी मांसपेशियों के लिए भी फायदेमंद होता है। इसमें मिलाई जाने वाली पालक में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है (5), जो आपकी मांसपेशियों के निर्माण में और उनको मजबूत करने में आपकी मदद करता है। इसलिए, जिम करने वालों और एथलीटों को भोजन में पालक शामिल करने की सलाह दी जाती है (6)।
9. हड्डियों के लिए सलाद
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सलाद में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना कई प्रकार से फायदेमंद हो सकता है। इनमें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम पाया जाता हैं (5)। ये हड्डियों के विकास में मदद करने के साथ-साथ हड्डियों को मजबूत करते हैं। इसके अलावा, ये पोषक तत्व ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से भी बचाते हैं (7) (8)।
10. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
सलाद में एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण आपके लिए कई प्रकार से फायदेमंद हो सकते हैं। ये कैंसर की कोशिकाओं को पनपने से रोकते हैं और कैंसर की समस्या को दूर करने में आपकी मदद करते हैं। इसके अलावा, ये आपकी हृदय से संबंधित कई परेशानियों को भी दूर करने में कारगर होते हैं (7)।
सलाद से होने वाले फायदों के बारे में जानने के बाद अब इसमें पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों के बारे में बात करते हैं।
सलाद के पौष्टिक तत्व – Salad Nutritional Value in Hindi
इतना तो आप जान ही गए हैं कि सलाद में कुछ खास पोषक तत्व होते हैं। यहां हम सलाद में पाए जाने वाले सभी पोषक तत्वों के बारे में बता रहे हैं। साथ ही आपको उनकी मात्रा के बारे में भी बताएंगे (5)।
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम कैलोरी 18 kcal प्रोटीन 2.35 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 3.35 ग्राम फाइबर 1.2 ग्राम शुगर 1.18 ग्राम मिनरल्स कैल्शियम 71 मिलीग्राम आयरन 1.69 मिलीग्राम पोटैशियम 353 मिलीग्राम सोडियम 106 मिलीग्राम जिंक 0.16 मिलीग्राम विटामिन विटामिन सी 31.8 मिलीग्राम विटामिन ए 4706 IU विटामिन के 216.5 माइक्रोग्राम
अब हम आर्टिकल के इस हिस्से में बता रहे हैं कि सलाद में क्या-क्या मिक्स किया जा सकता है।
सलाद में क्या-क्या खाना चाहिए – What to Eat in salad in Hindi
सलाद को बनाने के लिए कुछ बातों के बारे में जानना जरूरी है, जिसमें सबसे जरूरी बात यह है कि सलाद को कैसे बनाएं और उसमें क्या-क्या इस्तेमाल करें। यहां हम बता रहे हैं कि सलाद बनाते समय किन चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए (1)।
सलाद में टमाटर, प्याज, पालक और धनिया पत्ता जैसे कम वसा युक्त सब्जियों का उपयोग करना चाहिए।
ड्रेसिंग के लिए आप ऑलिव ऑयल या अन्य वनस्पति तेल के साथ सिरका का उपयोग कर सकते हैं।
टॉपिंग के लिए कम मात्रा में पनीर और सूखे मेवे का उपयोग कर सकते हैं।
आप सलाद में उच्च फाइबर वाली चीजें जैसे फलियां (बीन्स), कच्ची सब्जिय���ं, ताजे और सूखे फलों काे जरूर शामिल करें।
सलाद बनाने के बाद यहां हम आपको बता रहे हैं कि सलाद को कैसे, कब और कितनी मात्रा में खाना चाहिए।
सलाद खाने का तरीका – When to Eat Salad in Hindi
सलाद पाेषक तत्वों से भरपूर होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसका सेवन कभी भी और कैसे भी कर लो। सलाद बनाने की विधि अलग-अलग स्थानों पर अलग अलग होती है, जिनका अलग-अलग प्रभाव हो सकता है। इसलिए, अच्छा होगा कि आप इसका सेवन सीमित मात्रा में मतलब करीब डेढ़ कप तक ही करें। आप इसे सुबह के नाश्ते, लंच या फिर डिनर में कभी भी खा सकते हैं (9)।
सलाद खाने से पहले सलाद के नुकसान के बारे में जानना भी जरूरी है।
सलाद खाने के नुकसान – Side Effects of Salad in Hindi
इसमें कोई दो राय नहीं कि सलाद में ढेरों पोषक तत्व होते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सलाद हर लिहाज में फायदेमंद होगा। कुछ मामलों में यह हानिकारक भी हो सकता है, जैसे:
कुछ कच्ची सब्जियों में बैक्टीरिया होते हैं, जिन्हें सलाद में शामिल करने से फूड पॉइजनिंग का खतरा हो सकता है (10)।
सलाद में शामिल किए गए उच्च वसा युक्त पदार्थों से मोटापा होने के साथ ही और भी कई बीमारियों की समस्या हो सकती है (1)।
सलाद में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है (1)। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने गैस व पेट से जुड़ी कई प्रकार की समस्याएं हो सकती है (11)।
इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद यह तो स्पष्ट हो गया कि सलाद का सेवन स्वास्थ्य के लिहाज से कितना फायदेमंद है। अगर इसे सीमित मात्रा में खाया जाए, तो आप न तो बीमार पड़ेंगे और न ही इलाज पर पानी की तरह पैसा बहाना पड़ेगा। बस आपको करना इतना है कि अपनी डाइट में थोड़ा-सा बदलाव कर सलाद को खास जगह देनी है। इसके बाद कोई भी बीमारी आपके पास फटके भी नहीं। सलाद को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से आपको किस प्रकार लाभ हुआ, इस बारे में हम नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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Saral Jain
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से पत्रकारिता में बीए किया है। सरल को इलेक्ट्रानिक मीडिया का लगभग 8 वर्षों का एवं प्रिंट मीडिया का एक साल का अनुभव है। इन्होंने 3 साल तक टीवी चैनल के कई कार्यक्रमों में एंकर की भूमिका भी निभाई है। इन्हें फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, एडवंचर व वाइल्ड लाइफ शूट, कैंपिंग व घूमना पसंद है। सरल जैन संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी व कन्नड़ भाषाओं के जानकार हैं।
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केल (काले) के 16 फायदे, उपयोग और नुकसान – Benefits and Uses of Kale in Hindi
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केल (काले) के 16 फायदे, उपयोग और नुकसान – Benefits and Uses of Kale in Hindi
Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 September 13, 2019
कई बार हंसी-मजाक में शाकाहारी लोगों को यह जरूर सुनना पड़ा होगा कि पनीर के अलावा वेजीटेरियन और खा ही क्या सकते हैं। अगर आपको भी कभी कोई ऐसा कहे, तो आप उन्हें कह सकते हैं कि शाकाहारी लोगों के लिए हरी सब्जियों की कमी नहीं है। पालक, पत्तागोभी, बीन्स, करेला जैसी आम सब्जियों के अलावा भी कई अन्य सब्जियां भी बाजार में मौजूद हैं, जिनके विषय में लोग ज्यादा नहीं जानते, जैसे केल। संभव है कि आप इसका नाम पहली ���ार सुन रहे होंगे और सोच रहे होंगे कि ‘केल क्या है? तो इस लेख के जरिए हम इसी सब्जी के बारे में आपको जानकारी देंगे कि काले खाने के फायदे क्या-क्या हैं और इसे कैसे उपयोग किया जा सकता है।
सबसे पहले लेख के इस भाग में यह जानते हैं कि केल क्या है?
विषय सूची
 केल क्या है – What is Kale in Hindi
केल एक हरी पत्तेदार सब्जी है, जिसे लीफ कैबेज (leaf cabbage) भी कहते हैं। यह सिर्फ हरा ही नहीं, बल्कि बैंगनी रंग में भी पाया जाता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है, साथ ही इसका स्वाद भी काफी अच्छा होता है। यह ब्रोकली, पत्तागोभी और फूलगोभी के ही परिवार का है (1)।
लेख के आगे के भाग में हम आपको सेहत के लिए केल क्यों फायदेमंद है इस बारे में जानकारी देंगे।
केल (काले) आपके सेहत के लिए क्यों अच्छा है?
केल पौष्टिक खाद्य पदार्थों में से एक है। इसमें विटामिन (ए, सी, के), कैल्शियम, पोटैशियम, फाइबर और कई अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो आपको स्वस्थ रखने का काम कर सकते हैं। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर की कोशिकाओं की क्षति का बचाव कर कैंसर के जोखिम को कर सकते हैं (1)।
लेख के आगे के भाग में हम काले के फायदे विस्तार से बताएंगे।
केल के फायदे – Benefits of Kale in Hindi
केल का सेवन करने के कई फायदे हैं, जिनमें से कुछ के बारे में हम नीचे विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
1. हृदय के लिए केल के फायदे
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हृदय स्वस्थ तो आप स्वस्थ, लेकिन भागादौड़ भरी दिनचर्या में दिल को सेहतमंद रखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। वैसे अगर आप सही डाइट लेते हैं, तो हृदय को स्वस्थ रखा जा सकता है। अब जब डाइट की बात आई है, तो आप अपनी आहार में केल को शामिल कर सकते हैं। यह न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट है, बल्कि यह आपके दिल को स्वस्थ रखने का काम कर सकता है (1)।
2. पाचन के लिए काले के फायदे
पाचन संबंधी समस्या आम हो चुकी है और लगभग हर कोई इससे परेशान रहता है। ऐसे में खाने का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। पोषक तत्वों में फाइबर पाचन को सही रखने में मददगार साबित होता है। फाइबर के सेवन से न सिर्फ पाचन क्रिया सही होगी, बल्कि कब्ज की समस्या से भी राहत मिलेगी (2)। इस स्थिति में केल को आप अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं, क्योंकि केल फाइबर से समृद्ध होता है (3)।
3. हड्डियों के लिए केल के लाभ
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उम्र के साथ हड्डियों की बीमारी होना सामान्य है, लेकिन हड्डियों की समस्याएं उम्र से पहले होने लगे, तो यह एक चिंता का विषय है। हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम सबसे जरूरी पोषक तत्व है, जिसकी पूर्ति केल के जरिए की जा सकती है। केल कैल्शियम से भरपूर होता है, जो आपकी हड्डियों को मजबूत और उनके विकास में मदद करेगा (4)।
4. मधुमेह के लिए केल के फायदे
डायबिटीज एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जिससे एक बड़ी आबादी ग्रसित है। अगर आप इस गंभीर बीमारी से बचना चाहते हैं, तो केल को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। यह एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है, जो एंटी-डायबिटिक गुण से समृद्ध होता है, जो मधुमेह के जोखिम से आपको बचा सकता है (5)।
5. डिप्रेशन के लिए काले के फायदे
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इस भागदौड़ के दौर में लोगों के पास खुद के लिए भी वक्त नहीं है, साथ ही साथ घर और काम की चिंता लगभग हर किसी को है। ऐसे में कई लोगों को तनाव की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में अगर आप खुद को डिप्रेशन से बचाना चाहते हैं, तो केल के सेवन का लाभ उठा सकते हैं। केल एंटी डिप्रेसेंट (Antidepressant) गुणों से समृद्ध होता है, जो तनाव से आपको राहत देने का काम कर सकता है (6)।
6. कैंसर के लिए केल के फायदे
केल कई पौष्टिक तत्व जैसे – कैल्शियम, पोटैशियम व फाइबर से भरपूर होता है। इतना ही नहीं इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है, साथ ही यह कैंसर जैसी घातक बीमारी के जोखिम को कम कर सकता है (1)।
7. एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी
एंटीऑक्सीडेंट शरीर के लिए आवश्यक माना जाता है और यह कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। इसके अलावा, एंटीऑक्सीडेंट अन्य शारीरिक तकलीफों से भी छुटकारा दिला सकता है। शरीर में इसकी पूर्ति के लिए आप केल का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि यह बाकी जरूरी पोषक तत्वों के साथ एंटीऑक्सीडेंट से भी भरपूर होता है। एंटीऑक्सीडेंट के साथ केल एंटी-इफ्लेमेटरी गुणों से भी समृद्ध होता है, जो सूजन की समस्या से आपको आराम दिलाने का काम कर सकता है (1) (7)।
8. आंखों के लिए केल के लाभ
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आंखों की कमजोरी एक आम समस्या बनती जा रही है, जिसका सबसे बड़ा कारण शरीर में सही पोषण की कमी होना है। ऐसे में केल का सेवन फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह आंखों को स्वस्थ रखने का काम करता है (8)। इसके अलावा, यह विटामिन-ए से भी समृद्ध होता है, जो दृष्टि में सुधार के साथ-साथ कम रोशनी में देखने की क्षमता का विकास करता है (3) (9)।
9. रोग प्रतिरोधक शक्ति के लिए केल
शरीर को स्वस्थ रखना है, तो व्यक्ति का इम्यून सिस्टम मजबूत होना जरूरी है। जिन व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, वे जल्दी बीमार पड़ते हैं। मौसम में हल्के बदलाव से भी उन्हें सर्दी-जुकाम और बुखार की समस्या हो सकती है। ऐसे में इम्यून सिस्टम को बेहतर करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन जरूरी हो जाता है। रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए आहार में केल को शामिल किया जा सकता है। केल कई पौष्टिक तत्वों और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो आपको स्वस्थ रहने में मदद कर सकता है (1)(10)।
10. मोटापे के लिए केल
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आज लगभग हर दूसरा व्यक्ति बढ़ते वजन से परेशान है। कई लोग मोटापे को कम करने के लिए व्यायाम या योग का सहारा लेते हैं, जो कि सही है, लेकिन इसका असर तब और ज्यादा होगा जब व्यक्ति अपनी डाइट पर भी ध्यान दे। डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल कर आप मोटापे की समस्या से धीरे-धीरे ही सही, लेकिन छुटकारा पा सकते हैं। उन्हीं सब्जियों में से एक है केल। इसे सुपरफूड भी कहा जा सकता है। यह कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है और मोटापे से बचाव का काम कर सकता है (11)।
11. थकान दूर करने के लिए केल
कई बार लोगों को पर्याप्त खाने के बाद भी थकान महसूस होती है, जिसके पीछे भोजन में सही पोषक तत्वों का न होना हो सकता है। एनर्जेटिक बने रहने के लिए भोजन में सही पोषण का होना बहुत जरूरी है। यहां केल एक चमत्कारी भूमिका निभा सकता है, क्योंकि यह कैलोरी के साथ विटामिन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और प्रोटीन से भरपूर होता है, जो थकान को दूर कर आपको ऊर्जावान बनाने का काम करेंगे (3)।
12. गर्भावस्था के दौरान केल
गर्भावस्था के दौरान खान-पान का खास ख्याल रखा जाता है। अगर बात करें केल की, तो गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन किया जा सकता है। इसमें फाइबर मौजूद होता है, जो प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (3) (12)। साथ ही इसमें कैल्शियम भी होता है, जो गर्भवती महिला और उसके होने वाले शिशु की हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है (13)। हालांकि, इसे कितना खाना है, इस बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
13. लिवर के लिए
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केल लिवर के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, यह कोलेस्ट्रॉल और फैट को कम करता है, जिससे लिवर स्वस्थ रहता है (14)। अगर शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, तो लिवर के आसपास फैट जमने लगता है, जो फैटी लिवर का कारण बन सकता है। ऐसे में केल के सेवन से इस समस्या से बचा जा सकता है। इसके अलावा, केल में फाइबर मौजूद होता है (3) जिससे कब्ज जैसी समस्या से भी राहत मिल सकती है(1)। जब पेट साफ रहेगा तो शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाएंगे और व्यक्ति स्वस्थ रहेगा।
14. यूरिनरी हेल्थ के लिए केल
केल यूरिनरी हेल्थ के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (urinary tract infection-UTI) में यूरिनरी सिस्टम के किसी भी हिस्से में संक्रमण हो सकता है। कई बार यह दर्दनाक भी हो सकता है। ऐसे में विटामिन-सी युक्त केल के सेवन से इसका समाधान किया जा सकता है, क्योंकि विटामिन-सी संक्रमण से लड़ने का काम करता है (15)।
15. विटामिन, फाइबर, कैल्शियम व आयरन से भरपूर केल
केल में विटामिन, फाइबर, आयरन व कैल्शियम जैसे पौष्टिक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं (3), जो आपको स्वस्थ रहने में मदद करते हैं। जहां विटामिन-ए और कैल्शियम त्वचा, मस्तिष्क, हड्डियों व दांतों के लिए लाभदायक होते हैं (16) (17), वहीं आयरन एनीमिया से बचाव कर सकता है (18)। इसमें मौजूद फाइबर कब्ज और पेट संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (19)।
16. त्वचा और बालों के लिए केल
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केल न सिर्फ आपके स्वास्थ्य के लिए, बल्कि आपके बालों और त्वचा के लिए भी बहुत लाभदायक हो सकता है। केल में नियासिन और विटामिन-सी मौजूद होता है, जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं (3) (20)। साथ ही इसमें फोलेट मौजूद होता है, जो बालों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। केल के सेवन से मेनोपॉज के बाद होने वाली बालों की समस्या से बचाव हो सकता है (21)। इतना ही नहीं इसमें कई अन्य पौष्टिक तत्व भी मौजूद होते हैं, जो आपके त्वचा और बालों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।
आगे जानिए केल में कौन-कौन से पोष्टिक तत्व मौजूद होते हैं।
केल के पौष्टिक तत्व – Kale Nutritional Value in Hindi
नीचे हम आपके साथ एक सूची शेयर कर रहे हैं, जिसमें केल में मौजूद पौष्टिक तत्वों के बारे में जानकारी दी गई है (3)।
 पोषक तत्व  प्रति 100 ग्राम पानी 89.63 ग्राम एनर्जी 35 केसीएल प्रोटीन 2.92 ग्राम टोटल लिपिड (फैट) 1.49 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 4.42 ग्राम फाइबर, टोटल डायटरी 4.1 ग्राम शुगर, टोटल  0.99 ग्राम मिनरल कैल्शियम 254 मिलीग्राम आयरन 1.60 मिलीग्राम मैग्नीशियम  33 मिलीग्राम फास्फोरस 55 मिलीग्राम पोटैशियम 348 मिलीग्राम सोडियम 53 मिलीग्राम जिंक 0.39 मिलीग्राम विटामिन विटामिन सी 93.4 मिलीग्राम थायमिन 0.113 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन 0.347 मिलीग्राम नियासिन 1.180 मिलीग्राम विटामिन बी-6 0.147 मिलीग्राम फोलेट 62 माइक्रोग्राम विटामिन बी-12 0.00 माइक्रोग्राम विटामिन ए, आरएई 241माइक्रोग्राम विटामिन ए, आईयू 4812 आईयू (IU) विटामिन ई 0.66 मिलीग्राम विटामिन डी (डी2 + डी3) 0.0 माइक्रोग्राम विटामिन डी 0 आईयू (IU) विटामिन के 389.6 माइक्रोग्राम लिपिड फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड  0.178 ग्राम फैटी एसिड, टोटल मोनोअनसैचुरेटेड 0.104 ग्राम  फैटी एसिड, टोटल पोलीअनसैचुरेटेड  0.673 ग्राम फैटी एसिड, टोटल ट्रांस 0.000 ग्राम कोलेस्ट्रॉल  0 मिलीग्राम अन्य कैफीन 0 मिलीग्राम
केल के फायदे तब और असरदार होंगे जब आप इसका सेवन सही तरीके से करेंगे। इसलिए, नीचे हम आपको केल को सही तरीके से खाने की जानकारी देंगे।
केल (काले) खाने का सही तरीका – How to Use Kale in Hindi
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अगर आप इस दुविधा में हैं कि केल को कैसे खाना है, तो अब आपको उलझन में रहने की जरूरत नहीं, नीचे जानिए इसे खाने के विभिन्न तरीके।
आप केल को उबालकर सलाद के साथ खा सकते हैं।
आप केल का सूप बनाकर पी सकते हैं या केल को अन्य सूप में भी मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
आप केल की स्मूदी बना सकते हैं या अन्य स्मूदी में केल के पत्ते मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
आप केल के चिप्स बनाकर सेवन कर सकते हैं।
आप केल का जूस भी पी सकते हैं।
अब बारी आती है यह जानने की कि केल कहां से खरीदें, तो नीचे हम इसकी जानकारी भी दे रहे हैं।
केल कहां से खरीदें? – Where to Buy Kale in Hindi
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इस लेख में काले खाने के फायदे से लेकर इसे खरीदने तक की जानकारी आपको मिलेगी। नीचे पढ़ें कि आप केल कहां से खरीद सकते हैं।
आप अपने नजदीकी सुपर मार्केट से केल खरीद सकते हैं।
इसके अलावा, आप केल पाउडर को ऑनलाइन खरीद सकते हैं।
अब जब आप केल खरीदने के लिए सुपर मार्केट जाने का प्लान बना चुके हैं, तो उसे कैसे चुनें उसके बारे में भी जान लें।
केल (काले) का चयन और सुरक्षित रखने का सही तरीका
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नीचे जानिए कि काले के फायदे पाने के लिए सही केल का चुनाव कैसे करें और उसे कैसे ज्यादा दिनों तक स्टोर करके रखें।
उन केल का चुनाव करें, जिसकी पत्तियां गहरे रंग और छोटे से मध्यम आकार की हों।
नम, कुरकुरा और बिना कटे हुए केल के पत्तों का चुनाव करें।
उन पत्तों का चुनाव करें, जिसमें छेद न हो। अगर पत्तों में छेद है, तो समझ जाएं कि उनमें कीड़े हो सकते हैं।
पीले या भूरे रंग के पत्तों वाले केल का चुनाव न करें।
केल के तने भी खाने योग्य होते हैं, इसलिए सुनिश्चित करें ��ि वे भी ताजे हों।
अगर बात करें केल को स्टोर करने की, तो एक प्लास्टिक की थैली में या फ्रीजर के अंदर केल को स्टोर करके रख सकते हैं।
केल के फायदे के साथ-साथ उसके कुछ नुकसान भी हैं, जिनके बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे हैं।
केल के नुकसान – Side Effects of Kale in Hindi
हम इसके नुकसान के बारे में इसलिए बता रहे हैं, ताकि आपको इसका लाभ अधिक से अधिक मिल सके।
अगर केल का सही तरीके से पकाकर सेवन न किया जाए, तो इससे गोइटर (Goitre, थायराइड ग्लैंड का बढ़ना और इसमें सूजन होना) जैसी बीमारी की समस्या हो सकती है (22)।
केल में पोटैशियम मौजूद होता है (3) और इसके अधिक सेवन से किडनी की समस्या हो सकती है (23)।
गर्भवती महिलाओं के लिए केल अच्छा आहार है, लेकिन फिर भी अगर आप पहली बार इसका सेवन कर रही हैं, तो एक बार डॉक्टर से इस बारे में परामर्श लें।
अगर अब तक आपने केल को अपने आहार में शामिल नहीं किया है, तो आशा करते हैं कि इस लेख में काले खाने के फायदे जानने के बाद आप इसका सेवन जरूर शुरू कर देंगे। इसके नियमित सेवन से आपको केल के लाभ अपने शरीर में दिखने लगेंगे। अगर आपको ऊपर बताए केल के फायदे के अलावा कुछ अन्य केल के फायदे पता हैं, तो उन्हें हमारे साथ कमेंट बॉक्स में शेयर कर सकते हैं। इसके अलावा, अगर आपके मन में काले के फायदे से जुड़े सवाल हैं, तो उसे भी हमारे साथ साझा कर सकते हैं।
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पालक के 25 फायदे, उपयोग और नुकसान – Spinach (Palak) Benefits and Side Effects in Hindi
Somendra Singh Hyderabd040-395603080 September 10, 2019
हरे रंग की पत्तेदार सब्जियों में आपने कभी न कभी पालक का स्वाद जरूर चखा होगा। भारत में पालक का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। इसे हिंदी में पालक, अंग्रेजी में स्पिनच (Spinach) के नाम से जाना जाता है। पालक का वैज्ञानिक नाम स्पिनासिया ओलेरेसिया (Spinacia oleracea) है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको पालक खाने के फायदे, पालक का उपयोग और पालक के नुकसान के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जो आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में कई प्रकार से कार्य कर सकता है।
विषय सूची
आइए अब सबसे पहले यह जानते हैं कि पालक कितने प्रकार के होते हैं।
पालक के प्रकार – Types of Spinach in Hindi
पालक को गुणों के आधार पर मुख्य रूप से तीन प्रकार में बांटा गया है। जो इस निम्���लिखित हैं।
सेवॉय पालक (Savoy Spinach)
यह पालक की एक खास किस्म है, जिसके पत्ते सिकुड़े हुए और गाढ़े हरे रंग के होते हैं। सेवॉय पालक की एक प्रजाती ब्लूम्सडेल (Bloomsdale Spinach) नाम से जानी जाती है। पालक का यह प्रकार खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है।
सेमी-सेवॉय पालक ( Semi Savoy Spinach)
पालक की यह प्रजाति भी काफी लोकप्रिय है। सेवॉय पालक की तुलना में इसकी पत्तियां कम सिकुड़ी हुई होती हैं। इसको घर में भी उगाया जा सकता है। इस पालक को पौष्टिक गुणों से भरपूर माना जाता है।
स्मूथ–लीफ पालक (Smooth-Leaf Spinach)
इसकी पत्तियां सेवॉय पालक और सेमी-सेवॉय पालक की तुलना में ज्यादा चौड़ी और स्मूथ होती हैं। ये पालक आसानी से धुल जाते हैं। इसे बाजार में खुले तौर पर और थैलियों में बेचा जाता है।
पालक के प्रकार जानने के बाद आइए अब जानते हैं कि पालक के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं।
पालक  के फायदे – Benefits of Spinach in Hindi
लेख के इस भाग में आइए सबसे पहले हम बात करते हैं कि सेहत लिए पालक कैसे फायदेमंद साबित हो सकता है।
सेहत/स्वास्थ्य के लिए पालक  के फायदे – Health Benefits of Spinach in Hindi
1. वजन घटाने के लिए
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अगर आप भी बढ़े हुए वजन से परेशान हैं, तो पालक का सेवन वजन घटाने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए संभव हो सकता है, क्योंकि पालक में वजन घटाने संबंधित गुण पाए जाते हैं। दरअसल, वजन घटाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप कैलोरी की कम मात्रा का सेवन करें। पालक एक कम कैलोरी वाला खाद्य पदार्थ है, जिसे आहार में शामिल कर आप अपने बढ़ते वजन को नियंत्रित करने का काम कर सकते हैं (1)। एक अन्य वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह बताया गया कि पालक का सेवन स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए भी किया जा सकता है (2)।
2. कैंसर में
कैंसर के लिए भी पालक का प्रयोग फायदेमंद साबित हो सकता है। दरअसल, पालक बीटा कैरोटीन और  विटामिन-सी से समृद्ध होता है और ये दोनों पोषक तत्व विकसित हो रही कैंसर कोशिकाओं से सुरक्षा प्रदान कर सकते है। इसके अतिरिक्त ये एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह फ्री-रेडिकल्स और कार्सिनोजन (Carcinogens – एक पदार्थ जिससे कैंसर हो सकता है) को भी रोक सकते हैं (3)।
3. आंखों के स्वास्थ्य के लिए
आंखों की समस्या से बचे रहने के लिए भी आपको पालक के फायदे लाभ पहुंचा सकते हैं। दरअसल,  आंखों की दृष्टि को स्वस्थ रखने के लिए गहरे हरे रंग के पत्तेदार साग का सेवन करने की सलाह दी जाती है, जिनमें से एक पालक भी है (4)। पालक में विटामिन-ए और विटामिन-सी पाया जाता है, जो मुख्य रूप से आंखों में होने वाले मैक्यूलर डीजेनरेशन (Macular Degeneration – नेत्र रोग) के खतरे को कम कर सकता है।
इसके अलावा, पालक में ल्यूटिन (Lutein) और जियाजैंथिन (Zeaxanthin) नामक यौगिक पाए जाते हैं। ल्यूटिन और जियाजैंथिन का सेवन एंटीऑक्सिडेंट गुण की तरह कार्य करता है, जो मैक्युला (रेटिना का केंद्र बिंदु) में पिगमेंट डेनसिटी को सुधारने में अहम भूमिका निभा सकता है (5)।
4. हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए
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हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए कैल्शियम सबसे जरूरी पोषक तत्व है, जो हड्डियों के निमार्ण से लेकर उनके विकास में मदद करता है और उन्हें मजबूती प्रदान करता है। पालक में कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है, इसलिए हड्डियों के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए आप पालक को दैनिक आहार में शामिल कर सकते हैं (6)।
5. मस्तिष्क स्वास्थ्य और तंत्रिका तंत्र (Nervous Function) के लिए
जैसा कि आपको ऊपर भी बताया गया है कि पालक में कैल्शियम की मात्रा पाई जाती और कैल्शियम नर्वस सिस्टम के कार्य को सामान्य रूप से चलने में मदद कर सकता है (6)।
मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए भी पालक के फायदे देखे जा सकते हैं। पालक मस्तिष्क-स्वस्थ के लिए उपयोगी विटामिन-के, ल्यूटिन, फोलेट और बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। पालक का सेवन  याददास्त शक्ति को मजबूत करने का काम कर सकता है (7)।
6. हार्ट अटैक के खतरे में
हार्ट अटैक के खतरे से बचे रहने के लिए भी आप पालक का सेवन कर सकते हैं।  पालक नाइट्रेट पोषक तत्व से भरपूर सब्जियों में गिना जाता है, जो स्ट्रोक और हार्ट अटैक की वजह से होने वाली मौत के जोखिम को कम कर सकता है (8)।
7. ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए
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पालक खाने के फायदे ब्लड प्रेशर से होने वाले जोखिम को कम कर सकता है। पालक में नाइट्रेट की मात्रा पाई जाती है। नाइट्रेट युक्त पालक ब्लड प्रेशर को कम करने में लाभदायक परिणाम दिखा सकता है। साथ ही साथ यह स्थिति हृदय स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचाने के काम आ सकती है (9)।
इसके अतिरिक्त, पालक में पेप्सिन (एक एंजाइम) पाया जाता है, जो उच्च रक्तचाप को सुधारने में मदद कर सकता है (10)।
8. एनीमिया (Anemia) के खतरे को कम करने में
एनीमिया (शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी) का सबसे ज्यादा खतरा गर्भावस्था के दौरान देखने को मिलता है। आयरन की कमी के कारण यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है (11)। एनीमिया के जोखिम को कम करने के लिए आयरन की भरपूर मात्रा की आवश्यकता होती है, जो पालक के जरिए पूरी की जा सकती है (12)।
9. एंटी-इन्फ्लामेट्री (Anti-inflammatory) के रूप में
पालक आपके स्वास्थ्य को मजबूत बनाने के लिए एंटी-इन्फ्लामेट्री के रूप में भी कार्य करता है। दरअसल, एंटी-इन्फ्लामेट्री क्रिया सूजन को कम करने और क्रानिक इन्फ्लेमेशन को ठीक करने का गुण रखती है। इसलिए, पालक को एंटी-इन्फ्लामेट्री आहार के रूप में उपयोग करने की सलाह दी जाती है (13)।
10. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए
रोग मुक्त रहने के लिए इम्यनिटी का मजबूत रहना बहुत जरूरी है। पालक में विटामिन-ई की मात्रा भरपूर रूप में पाई जाती है और विटामिन-ई रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम कर सकता है (14), (15)।
11. पाचन स्वास्थ्य (Gastrointestinal Health)
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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल पाचन त���त्र से संबंधित होता है। पाचन तंत्र गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal Tract) लीवर, अग्न्याशय (Pancreas) और पित्ताशय (Gallbladder) से बना होता है, जो शरीर में भोजन ग्रहण करने से लेकर भोजन को पचाने में मदद करता है (16)। यहां पालक की एक अहम भूमिका देखी जा सकती है, क्योंकि पालक फाइबर से भरपूर होता है (14)। फाइबर मुख्य रूप से खाने को पचाने का कार्य करता है (17)। इसके अलावा, फाइबर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को स्वस्थ रखने के लिए पेट के कैंसर से बचाव कर सकता है और कब्ज जैसे समस्याओं पर प्रभावी रूप से काम कर सकता है (18)।
12. कैल्सीफिकेशन (Calcification) के इलाज में
कैल्सीफिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कैल्शियम शरीर के टिश्यू में जमा होने लगते हैं, जिससे टिश्यू कठोर जाते हैं। यह एक सामान्य या असामान्य प्रक्रिया हो सकती है (19)। यहां पालक की एक अहम भूमिका देखी जा सकती है। पालक आयरन से समृद्ध होता है और आयरन कैल्सीफिकेशन की प्रक्रिया को रोकने का काम कर सकता है (14) (20)।
13. आयरन की कमी को पूरा करने के लिए
आमतौर पर पालक को आयरन की पूर्ति के लिए ही जाना जाता है और जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि आयरन की कमी से एनीमिया का खतरा हो सकता है (11)। शरीर में आयरन की पूर्ति के लिए आप पालक का सेवन कर सकते हैं (14)।
14. शरीर को आराम पहुंचाता है
दिन-भर काम करने के बाद अगर आपको थकावट महसूस होती है, तो निश्चिंत रहिए क्योंकि पालक खाने के फायदे में शरीर को आराम पहुंचाना भी शामिल है। पालक में कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है (14)। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार कैल्शियम का सेवन करने से शरीर की मांसपेशियों को आराम मिलता है (21)।
15. गर्भावस्था में पालक के फायदे
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गर्भावस्था में मां को एक स्वस्थ आहार की आवश्यकता होती है और स्वस्थ खान-पान की लिस्ट में पालक को भी शामिल किया जा सकता है। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान मां को फोलेट पोषक तत्व की आवश्यकता होती है, जो बच्चे में न्यूरल ट्यू�� दोष (बच्चे में होने वाला जन्मदोष) के खतरे को कम कर सकता है। फोलेट की पर्याप्त मात्रा की पूर्ति के लिए पालक का सेवन किया जा सकता है (14), (22)।
इसके अतिरिक्त, गर्भावस्था में मां को एनीमिया से बचने के लिए आयरन, ब्रेस्टफीडिंग और शिशु के लिए कैल्शियम, और कब्ज से राहत पाने के लिए फाइबर जैसे पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है (22) , (11)। ये पोषक तत्व पालक में पाए जाते हैं और पालक के सेवन के जरिए इन पोषक तत्वों की जरुरत को पूरा किया जा सकता है (14)।
16. मांशपेशियों को स्वस्थ बनाने के लिए
पालक के फायदे शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकते हैं क्योंकि पालक में आयरन की मात्रा पाई जाती। विशेषज्ञों के द्वारा किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह बताया गया कि पालक में मौजूद आयरन मांसपेशियों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकता है (23)।
आइए अब जानते हैं कि त्वचा के लिए पालक कैसे फायदेमंद हो सकता है।
त्वचा के लिए पालक के फायदे – Skin Benefits of Spinach in Hindi
1. आंखों के नीचे मौजूद काले घेरे के लिए
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पालक आयरन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और इसका सेवन पेरिओरिबिटल हाइपरपिग्मेंटेशन (Periorbital Hyperpigmentation – आंखों के नीचे होने वाले काले घेरे की एक स्थिति ) की समस्या में लाभ पहुंचा सकता है। पेरिओरिबिटल हाइपरपिग्मेंटेशन आयरन की कमी से हो सकता है। जबकि पालक के सेवन के जरिए आयरन की पूर्ति की जा सकती है, जिससे आंखों के नीचे होने वाले काले घेरे की समस्या में आराम मिल सकता है  (14), (24)। पालक को खाने के साथ-साथ आप इसके रस को नीचे बताए जा रहे तरीके से इस्तेमाल भी कर सकते हैं-  
सामाग्री
एक कटोरी
पालक के रस की 2 से 4 बूंद
मुलायम रुई का एक टुकड़ा
कैसे करें इस्तेमाल
सबसे पहले एक कटोरी में पालक के रस की बूंदें डालें।
अब पालक के रस को रुई की मदद से प्रभावित जगह पर लगाएं।
इस प्रक्रिया को हफ्ते में दो बार दोहरा सकते हैं।
2. त्वचा को हाइड्रेट रखने में (Hydrate)
आपकी त्वचा को हाइड्रेट करने के लिए भी आप पालक का इस्तेमाल कर सकते हैं। पालक में विटामिन-सी की मात्रा पाई जाती है (14)। विटामिन-सी में ऐसे गुण मौजूद होते हैं ,जो त्वचा के हाइड्रेशन को सुधारने में मदद कर सकते हैं (25)।
सामाग्री
2 कप कटा हुआ पालक
कैसे करें इस्तेमाल
कटे हुए पालक का पेस्ट बना लें।
अब इस पेस्ट को त्वचा पर लगाएं।
अब 5 मिनट बाद इसे धो लें।
इस प्रक्रिया को हफ्ते में 2 बार दोहराया जा सकता है।
3. एंटी एजिंग लाभ
सूरज की हानिकारक यूवी किरणों की वजह से स्किन-एजिंग का जोखिम बढ़ सकता है। यहां पालक में मौजूद एमिनो एसिड स्किन एजिंग की समस्या में राहत दिला सकता है (26), (27)।
सामाग्री
1/2 कप कटे हुए पालक
नींबू रस एक छोटा चम्मच
शहद एक छोटा चम्मच
एक छोटा चम्मच जैतून का तेल
 कैसे करें इस्तेमाल
सबसे पहले पालक का पेस्ट बना लें।
अब इसे एक कटोरी में रख लें।
अब इसमें नींबू रस, शहद और जैतून का तेल मिला लें।
त्वचा को पानी से धो लें और तौलिए से पानी को पोंछ लें।
अब त्वचा पर पालक के मिश्रण को लगाएं।
अंत में 15-20 मिनट के बाद इसे धुल लें।
इस प्रक्रिया को हफ्ते में दो बार अपना सकते हैं।
4. त्वचा रंग में सुधार करने के लिए
स्किन-पिगमेंट डिसऑर्डर के कारण त्वचा के रंग पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है (28)। पालक में मौजूद विटामिन-सी एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो एक एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह कार्य करता है और स्किन टोन (त्वचा रंग) को सुधारने में मदद कर सकता है (14), (29)।
सामाग्री
1 कप कटा हुआ पालक
3-4 बूंद शहद
एक प्लेट
एक साफ तौलिया
कैसे करें इस्तेमाल
कटे हुए पालक को बारीक पीस लें।
अब चेहरे की त्वचा को पानी से धो लें।
अब चेहरे को तौलिया से साफ कर लें।
पालक के पेस्ट को चेहरे पर लगाएं।
अब इसे पांच मिनट तक लगा रहने दें।
अब साफ पानी से चेहरा धो लें।
इस प्रक्रिया को हफ्ते में 2 बार अपनाया जा सकता है।
5. मुहांसों को ठीक करने के लिए
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मुहांसों की समस्या से अगर आप परेशान हैं, तो निश्चिंत रहिए क्योंकि पालक में मौजूद पोषक तत्व इस समस्या को ठीक करने के काम आ सकते हैं। दरअसल, विटामिन-सी की कमी से मुहांसों की समस्या बढ़ सकती है (29)। वहीं पालक में विटामिन-सी की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है (14)। इसलिए, पालक का सेवन करके विटामिन-सी की कमी से होने वाली मुहांसों की समस्या को दूर किया जा सकता है।
6. सन प्रोटेक्शन के लिए
सन प्रोटेक्शन के लिए भी पालक का उपयोग किया जा सकता है। यहां पर एक बार फिर से पालक में पाई जाने वाले विटामिन-सी का जिक्र होगा (14)। विटामिन-सी मुख्य रूप से त्वचा के लिए प्रभावी माना जाता है क्योंकि विटामिन-सी स्किन टेक्सचर को सुधारता है और एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में सूर्य की हानिकारक किरणों से त्वचा की रक्षा करता है (29)।
सामाग्री
2 कप कटा हुआ पालक
एक प्लेट
कैसे करें इस्तेमाल
पालक को पानी से धो लें और इसे एक प्लेट में रख लें।
अब इस कटे हुए पालक का पेस्ट बना लें।
पालक के पेस्ट को अब अपनी त्वचा पर लगाएं।
अब इसे 10 मिनट के बाद धो लें।
इस प्रक्रिया को हफ्ते में 1 बार दोहरा सकते हैं।
7. फ्री रेडिकल डैमेज से बचाने के लिए
फ्री रेडिकल डैमेज एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें ऑक्सीडेशन की क्रिया के द्वारा त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है (30)। हालांकि, फ्री रेडिकल डैमेज से बचने के लिए पालक का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, पालक में मौजूद विटामिन-सी त्वचा को फ्री रेडिकल डैमेज से बचाने का काम कर सकता है। (14), (29)। पालक को आहार रूप में शामिल करके विटामिन-सी की पूर्ति की जा सकती है। इसके अलावा, आप नीचे बताए जा रहे पालक फेस पैक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
सामाग्री
1 कप कटा हुआ पालक
1/2 छोटा चम्मच नींबू का रस
कैसे करें इस्तेमाल
सबसे पहले पालक को बारीक पीस लें और इसका पेस्ट बना लें।
अब एक कटोरी में इस पेस्ट को रख लें।
अब इसमें नींबू के रस को अच्छी तरह मिला लें।
अब इस पेस्ट को फेस पैक की तरह लगाएं।
इसे 10 मिनट तक लगा रहने दें फिर इसे पानी से धो लें।
इस प्रक्रिया को हफ्ते में 2 बार दोहरा सकते हैं।
आइए अब लेख के अगले भाग जानते हैं कि बालों के पालक कैसे फायदा पहुंचा सकता है।
बालों के लिए पालक के फायदे – Hair Benefits of Spinach in Hindi
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बालों के पालक के फायदे कुछ इस प्रकार हैं।
1. बालों के विकास के लिए
बालों के विकास के लिए मिनरल मुख्य भूमिका निभा सकते हैं। पालक में बालों के उपयोगी कई मिनरल की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। पालक में जिंक, मैग्नीशियम और आयरन की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है और एक वैज्ञानिक शोध में यह बताया गया है कि यह मिनरल बालों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं (14) (31)।
सामग्री
कटे हुए पालक 1 कप
4-5 बूंद सरसों का तेल
एक कटोरी
कैसे करें इस्तेमाल
कटे हुए पालक को पीसकर रस निकाल लें।
अब इसमें सरसों तेल मिला लें।
अब इसे हल्के हाथों बालों में लगाएं।
इसे करीब आधे घंटे तक बालों में लगाए रखें।
फिर बालों को धो लें।
इस प्रक्रिया को हफ्ते में दो बार दोहरा सकते हैं।
2. बालों को झड़ने से रोकता है
बालों को झड़ने से रोकने के लिए भी पालक के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, जिंक की कमी बालों के झड़ने का एक मुख्य कारण हो सकती है (32)। पालक में जिंक और मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है (14)। आप पालक को खाने में इस्तेमाल करके जिंक और मैग्नीशियम की पूर्ति कर सकते हैं, जिससे बालों का झड़ना रुक सकता है।
ऊपर आपको पालक के फायदे के बारे में जानकारी दी गई और अब आपको पालक में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में बताया जा रहा है। 
पालक के पौष्टिक तत्व – Spinach Nutritional Value in Hindi
पालक में मौजूद पोषक तत्वों को नीचे दी गई तालिका के जरिए बताया जा रहा है (14)।
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम पानी 91.40g एनर्जी 23 kcal प्रोटीन 2.86 g कुल लिपिड (वसा) 0.39 g कार्बोहाइड्रेट 3.63 g फाइबर, कुल डाइटरी 2.2g शुगर, कुल 0.42 g मिनरल  कैल्शियम 99mg आयरन 2.71 mg मैग्नीशियम 79 mg फास्फोरस 49mg पोटेशियम 558mg सोडियम 79mg जिंक 0.53mg विटामिन विटामिन सी, कुल एस्कॉर्बिक एसिड 28.1 mg थायमिन 0.078 mg राइबोफ्लेविन 0.189 mg नियासिन 0.724 mg विटामिन बी-6 0.195 mg फोलेट, डीएफई 194μg विटामिन बी-12 0.00μg विटामिन ए, आरएई 469μg विटामिन ए, आईयू 9377IU विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरॉल) 2.03mg विटामिन डी (डी2+डी3) 0.0 μg विटामिन ���ी 0 IU विटामिन के, (फिलोक्यूनोन-phylloquinone) 482.9μg लिपिड फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड 0.063g फैटी एसिड, टोटल मोनोअनसैचुरेटेड 0.010 g फैटी एसिड, टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड 0.165g फैटी एसिड, टोटल ट्रांस 0.000g कोलेस्ट्रॉल 0 mg कैफीन 0mg
लेख के अगले भाग में आपको पालक खाने का सही समय और सही तरीका बताया जा रहा है।
पालक खाने का सही समय और सही तरीका – Best Way to Eat Spinach in Hindi
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पालक को आप इस प्रकार खा सकते हैं-
पालक को आप सब्जी के रूप में खा सकते हैं।
हरी सलाद में पालक का प्रयोग किया जा सकता है।
पालक को आप जूस बनाकर पी सकते हैं।
पालक को आप दाल के साथ पका कर खा सकते हैं।
पालक का इस्तेमाल पराठे में किया जा सकता है।
पालक को आप पनीर के साथ सब्जी बनाकर खा सकते हैं।
पालक खाने का सही समय
पालक के जूस के फायदे देखते हुए इसके जूस का सेवन सुबह किया जा सकता है।
आप रात में सब्जी के रूप में पालक को खा सकते हैं।
हरी सलाद के रूप में पालक का सेवन किया जा सकता है।
पालक खाने की मात्रा
एक दिन में 1/2 कप उबला हुआ पालक या 1 कप हरे पालक का सेवन किया जा सकता है। हालांकि, पालक की सही मात्रा के सेवन के लिए एक बार आहार विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।
लेख के इस भाग में आपको बताया जाएगा कि पालक का चयन कैसे करें और लम्बे समय तक कैसे सुरक्षित रखें।
पालक का चयन कैसे करें और लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखे?
चयन कैसे करें
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पालक का चयन करते समय इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है –
पालक का चयन करते समय यह ध्यान दें कि पालक का रंग प्राकृतिक रूप से हरा होना चाहिए।
अगर इसमें किसी प्रकार की दुर्गंध आ रही है, तो इसे न खरीदें।
पालक का चयन करते समय यह देख लें कि इसमें धूल-मिट्टी न लगी हो।
हमेशा ताजी पत्तियों वाले पालक का ही चयन करें।
सुरक्षित कैसे रखें
पालक को फ्रिज में 3 से 5 दिनों के लिए एक एयरटाइट बैग में खोलकर रखा जाना चाहिए। रसोई-घर में आप इसे टोकरी में खोलकर भी रख सकते हैं। इसकी ताजगी बनाए रखने के लिए इसे गीले कपड़े में लपेटकर भी रखा जा सकता है।
नोट – पैकेट में बंद पालक का इस्तेमाल प्रयोग करने की अंतिम तारीख तक ही करें (33)।
आइए अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि पालक के नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं।
पालक के नुकसान – Side Effects of Spinach in Hindi
पालक में कैल्शियम की मात्रा पर्याप्त होती है और कैल्शियम का अधिक सेवन हृदय रोग का कारण बन सकता है (14), (34)।
इसमें फाइबर की मात्रा होती है, जिसके अधिक सेवन से आपको पेट फूलने, सूजन और पेट में ऐंठन की समस्या हो सकती है (14), (35)।
पालक में मौजूद बीटा-कैरोटीन (फलों और सब्जियों में पाया जाने वाला विटामिन-ए का एक रूप) से धूम्रपान करने वाले लोगों में कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है (14), (36)।
पालक में पोटैशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है और पोटेशियम की अधिक मात्रा उल्टी, डायरिया का कारण बन सकती है (37)। 
लेख के इस भाग में आपको इस बारे में बताया जा रहा है कि पालक किन लोगों को नही खाना चाहिए।
पालक किन किन लोगों को नहीं खाना चाहिए – Who Should Avoid Spinach in Hindi
पालक नीचे बताए जा रहे लोगों को नहीं खाना चाहिए।
पालक में बीटा-कैरोटीन ( विटामिन-ए का एक रूप) की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है, जो स्मोकिंग करने वाले लोगों में कैंसर होने के जोखिम को बढ़ा सकता है (14), (36)। इसलिए धूम्रपान करने वाले लोगों को पालक के सेवन से बचना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को पालक का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें विटामिन-ए पाया जाता है जिसकी अधिक मात्रा से शिशु में बर्थ डिफॉर्मिटी (birth deformities – जन्म दोष ) का खतरा उत्पन्न कर सकता है (14), (22)।
इस लेख को पढ़ने के बाद आप यह तो जरूर समझ गए होंगे कि पालक का सेवन आपको कितना स्वास्थ्य लाभ पहुंचा सकता है। पालक जूस के फायदे से लेकर पालक के सेवन से जुड़ी सावधानियों के बारे में भी ध्यान देने की जरुरत है। पालक के सेवन से अगर आप लेख में बताए गए किसी भी दुष्प्रभाव का सामना करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा, पालक के सेवन से जुड़ी अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए आप अपनी बात नीचे दिए गए कॉमेंट बॉक्स के जरिए हम तक पहुंचा सकते हैं। हम डॉक्टरी परामर्श के अनुसार आपको सही जानकारी देने की पूरी की कोशिश करेंगे।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/palak-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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