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सीमावादाचे सर्वाधिक चटके अमित शाहांच्या सासूरवाडी कोल्हापूरला बसत आहेत
सीमावादाचे सर्वाधिक चटके अमित शाहांच्या सासूरवाडी कोल्हापूरला बसत आहेत
सीमावादाचे सर्वाधिक चटके अमित शाहांच्या सासूरवाडी कोल्हापूरला बसत आहेत कर्नाटकच्या मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई यांनी सांगलीतील जत तालुक्यावर आपला दावा सांगितल्याने राजकीय वातावरण चांगलेच तापले आहे. सीमावाद चिघळलेला असतानाच कन्नड संघटनांनी 6 डिसेंबर रोजी महाराष्ट्राच्या सहा ट्रकवर दगडफेक केली होती. हिरेबागवाडी टोलनाक्यावर कन्नड रक्षण वेदिके या संघटनेकडून ही दगडफेक करण्यात आली.याच पार्श्वभूमीवर आता…
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gothalokhabar · 1 year
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कतारमा सम्पन्न विश्वकप पुटबलमा अहिलेसम्मकै सर्वाधिक गोल रेकर्ड, अर्जेन्टिनालाई प्रथम उपाधि 
दोहा, ४ पुस । कतारमा सम्पन्न विश्वकप फुटबलमा अहिलेसम्मकै सर्वाधिक गोलको रेकर्ड कायम भएको छ । यो बर्ष कतारमा सम्पन्न विश्वकपमा १७२ गोलको कीर्तिमान् बनेको छ । आइतबार राति भएको अर्जेन्टिना र फ्रान्सबीच भएको विश्वकप फाइनलमा दुबै टीमले बराबर तीन गोल गर्दै कूल छ गोल गरी खेललाई सनसनीपूर्ण र रोमाञ्चक बनाएका थिए । फाइनल खेलको अतिरिक्त ३० मिनेटमा पनि गोल अन्तर बराबर बनेपछि भएको ‘पेनाल्टी सुट आउट’मा साबिक…
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mwsnewshindi · 1 year
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Google ईयर इन सर्च 2022: यहां दुनिया के शीर्ष 10 सांस्कृतिक स्थल हैं
Google ईयर इन सर्च 2022: यहां दुनिया के शीर्ष 10 सांस्कृतिक स्थल हैं
2022 लगभग समाप्त होने वाला है। जैसा कि हम कुछ ही हफ्तों में 2023 का स्वागत करने के लिए तैयार हैं, Google ने अपनी वार्षिक ईयर इन सर्च सूची जारी की। यह शीर्ष दस चीजों, स्थानों, व्यंजनों, लोगों, फिल्मों, खेल आयोजनों, समाचारों, और दुनिया भर के अधिक नेटिज़न्स को Google पर खोजता है। द इयर इन सर्च 2022 सूची उन शीर्ष सांस्कृतिक स्थलों को भी प्रदर्शित किया जिन्हें लोग Google मानचित्र पर खोज रहे थे। लंदन…
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trendingwatch · 2 years
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टी20 वर्ल्ड कप में 1000 रन पूरे करने के बाद महेला जयवर्धने का बड़ा रिकॉर्ड तोड़ने के कगार पर विराट कोहली
टी20 वर्ल्ड कप में 1000 रन पूरे करने के बाद महेला जयवर्धने का बड़ा रिकॉर्ड तोड़ने के कगार पर विराट कोहली
दक्षिण अफ़्रीका सौंप दिया भारत आईसीसी टी20 में उनकी पहली हार दुनिया रविवार को कप। पर्थ में प्रोटियाज ने रोहित शर्मा की अगुवाई वाली टीम को पांच विकेट से हरा दिया। भारतीय पक्ष ने 133 रनों के कुल स्कोर का बचाव करने के लिए एक शानदार प्रयास किया। दक्षिण अफ्रीका ने भी बल्ले से संघर्ष किया और मैच की अंतिम गेंद पर ही लक्ष्य तक पहुंच सका। हार के बावजूद, स्टार मैन के रूप में भारतीय प्रशंसकों के लिए खुश…
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marathinewslive · 2 years
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भारताने पाकिस्तानला हरवले: हार्दिक पंड्याने विजयी षटकार लगाव शरद पवारांनी...; सेलिब्रेशनचा खास व्हिडिओ सुप्रिया सुळेंनी शेअर केला | भारताने पाकिस्तानवर ५ विकेट्सनी मात
भारताने पाकिस्तानला हरवले: हार्दिक पंड्याने विजयी षटकार लगाव शरद पवारांनी…; सेलिब्रेशनचा खास व्हिडिओ सुप्रिया सुळेंनी शेअर केला | भारताने पाकिस्तानवर ५ विकेट्सनी मात
आशिया चषक अगदी शेवटच्या शेवटच्या षटकडी रंगतदार खतरनाक भारत-पाकिस्तान सामना भारताने पाच गडा राखून फिरायला. या विजयासाठी निवडून आलेल्या सुप्रिया सुप्रिया यांचे अध्यक्ष आणि महाराष्ट्रातील लढवय्ये पक्ष शरद पवार एक व्हिडिओ शेअर केला आहे. कोट्यवधी क्रिकेट चाहत्यांप्रमाणे आजची सायंकाळ पवारियांही भारत-पाकिस्तान कुटुंबासाठी राखून ठेवल्याचं विडीओ घेऊन येतं. सामना उत्तराचा जल्लोष कसा होता हे सुप्रिया यांनी…
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kv1nsbvizag · 2 years
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नॉटिंघम फॉरेस्ट ने एक ट्रांसफर विंडो में सबसे अधिक साइनिंग के लिए प्रीमियर लीग रिकॉर्ड तोड़ दिया
नॉटिंघम फॉरेस्ट ने एक ट्रांसफर विंडो में सबसे अधिक साइनिंग के लिए प्रीमियर लीग रिकॉर्ड तोड़ दिया
एक ट्रांसफर विंडो में सबसे अधिक हस्ताक्षर करने का पिछला अंग्रेजी रिकॉर्ड 2013 की गर्मियों में क्रिस्टल पैलेस का 17 था एक ट्रांसफर विंडो में सबसे अधिक हस्ताक्षर करने का पिछला अंग्रेजी रिकॉर्ड 2013 की गर्मियों में क्रिस्टल पैलेस का 17 था 23 साल की अनुपस्थिति के बाद नॉटिंघम फ़ॉरेस्ट प्रीमियर लीग में लौट आया और, उनकी गर्मियों की खरीदारी की होड़ को देखते हुए, वे एक एकल ट्रांसफर विंडो में एक अंग्रेजी…
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crickettr · 2 years
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पाकिस्तान ने एक ही टेस्ट पारी में ऑस्ट्रेलिया के पांच शतकों के रिकॉर्ड की बराबरी की
पाकिस्तान ने एक ही टेस्ट पारी में ऑस्ट्रेलिया के पांच शतकों के रिकॉर्ड की बराबरी की
2001 में एशिया टेस्ट चैंपियनशिप के पहले मैच में खेलते हुए पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने एक ही पारी में पांच बल्लेबाजों के शतक लगाने के ऑस्ट्रेलिया के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। ऐसा पहली बार 1955 में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच हुआ था जब ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अपनी पहली पारी में कॉलिन मैकडोनाल्ड, नील हार्वे, कीथ मिलर, रॉन आर्चर और रिची बेनाउड सहित पांच बल्लेबाजों के साथ आठ विकेट पर 758 का स्कोर बनाया…
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varunrajkalse · 2 years
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Which countries invest the most in Cryptocurrency?
Which countries invest the most in Cryptocurrency?
Which countries invest the most in Cryptocurrency? Cryptocurrency मध्ये सर्वाधिक गुंतवणूक करणारे देश कोणते? ©मराठी बिझनेस पाहा टॉप 5 देशांची यादी क्रिप्टोकरन्सी ही जागतिक मालमत्तांपैकी एक बनत असल्याने, गुंतवणूकदार त्यांची संपत्ती वाढवण्यासाठी या डिजिटल मालमत्तेकडे गांभीर्याने पाहत आहेत. यात गुंतवणूक करणाऱ्यांना खूप चांगला परतावा मिळाला आहे. 2021 हे डिजिटल मालमत्तेसाठी अनेक प्रकारे ब्रेकआउट वर्ष…
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loksutra · 2 years
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रोहित शर्मा सलग 13 T20 आंतरराष्ट्रीय सामने जिंकणारा पहिला कर्णधार ठरला, अर्शदीप सिंग T20I पदार्पणात मेडन ओव्हर टाकणारा चौथा भारतीय ठरला.
रोहित शर्मा सलग 13 T20 आंतरराष्ट्रीय सामने जिंकणारा पहिला कर्णधार ठरला, अर्शदीप सिंग T20I पदार्पणात मेडन ओव्हर टाकणारा चौथा भारतीय ठरला.
टीम इंडियाने 7 जुलै 2022 रोजी रात्री भारतीय वेळेनुसार 02:05 वाजता साउथम्प्टनमध्ये इंग्लंडविरुद्ध 50 धावांनी विजय मिळवला. भारताच्या या विजयात हार्दिक पांड्याने महत्त्वाची भूमिका बजावली. मात्र, कर्णधार रोहित शर्मानेही इतिहास रचला. T20 आंतरराष्ट्रीय सामन्यांमध्ये सलग 13 विजय मिळवणारा तो जगातील पहिला कर्णधार ठरला. रोहितने विराट कोहलीकडून सूत्रे हाती घेतल्यापासून भारतीय संघ क्रिकेटच्या सर्वात लहान…
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darshaknews · 2 years
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620 फूट उंचीवरून फेकलेला रग्बी बॉल पकडत गिनीज रेकॉर्ड बनवला, व्हिडिओ व्हायरल
620 फूट उंचीवरून फेकलेला रग्बी बॉल पकडत गिनीज रेकॉर्ड बनवला, व्हिडिओ व्हायरल
गिनीज वर्ल्ड रेकॉर्ड: एक वर्षापूर्वी, माजी NFL खेळाडू आणि त्याच्या महाविद्यालयीन फुटबॉल संघाच्या प्रशिक्षकाने अमेरिकन फुटबॉलच्या इतिहासात सर्वाधिक झेल टिपून गिनीज वर्ल्ड रेकॉर्डमध्ये प्रवेश केला. हा झेल 620 फूट उंच (620 Feet High Catch) होता. हा विक्रम करण्यासाठी हेलिकॉप्टरमधून रग्बी बॉल टाकण्यात आला. आता वर्षभरानंतर या गिनीज रेकॉर्डचा व्हिडिओ व्हायरल होत आहे. वास्तविक, गिनीज वर्ल्ड रेकॉर्डच्या…
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vaidicphysics · 3 months
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वेदों पर किये गये आक्षेपों का उत्तर
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भूमिका सभी वेदानुरागी महानुभावो! जैसा कि आपको विदित है कि मैंने विगत श्रावणी पर्व वि० सं० २०८० तदनुसार ३० जुलाई २०२३ को सभी वेदविरोधियों का आह्वान किया था कि वे वेदादि शास्त्रों पर जो भी आक्षेप करना चाहें, खुलकर ३१ दिसम्बर २०२३ तक कर सकते हैं। हमने इस घोषणा का पर्याप्त प्रचार किया और करवाया भी था। इस पर हमें कुल १३४ पृष्ठ के आक्षेप प्राप्त हुए हैं। इन आक्षेपों को हमने अपने एक पत्र के साथ देश के शंकराचार्यों के अतिरिक्त पौराणिक जगत् में महामण्डलेश्वर श्री स्वामी गोविन्द गिरि, श्री स्वामी रामभद्राचार्य, श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती आदि कई विद्वानों को भेजा था। आर्यसमाज में सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, परोपकारिणी सभा, वानप्रस्थ साधक आश्रम (रोजड़), दर्शन योग महाविद्यालय (रोजड़), गुरुकुल काँगड़ी हरिद्वार तथा सभी प्रसिद्ध आर्य विद्वानों को भेजकर निवेदन किया था कि ऋषि दयानन्द के २०० वें जन्मोत्सव फाल्गुन कृष्ण पक्ष दशमी वि० सं० २०८० तदनुसार ५ मार्च २०२४ तक जिन आक्षेपों का उत्तर दिया जा सकता है, लिखकर हमें भेजने का कष्ट करें। उस उत्तर को हम अपने स्तर से प्रकाशित और प्रचारित करेंगे।
यद्यपि मुझे ही सब प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए, परन्तु मैंने विचार किया कि इन आक्षेपों का उत्तर देने का श्रेय मुझे ही क्यों मिले और वेदविरोधियों को यह भी न लगे कि आर्यसमाज में एक ही विद्वान् है। इसके साथ मैंने यह भी विचार किया कि मेरे उत्तर देने के पश्चात् कोई विद्वान् यह न कहे कि हमें उत्तर देने का अवसर नहीं मिला, यदि हमें अवसर मिलता, तो हम और भी अच्छा उत्तर देते। दुर्भाग्य की बात यह है कि निर्धारित समय के पूर्ण होने के पश्चात् तक कहीं से कोई भी उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है। बड़े-बड़े शंकराचार्य, महामण्डलेश्वर, महापण्डित, गुरु परम्परा से पढ़े महावैयाकरण, दार्शनिक, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय वैदिक प्रवक्ता, योगी एवं वेद विज्ञान अन्वेषक कोई भी एक प्रश्न का भी उत्तर नहीं दे पाये। तब यह तो निश्चित हो ही गया कि ये आक्षेप वा प्रश्न सामान्य नहीं हैं। आक्षेपकर्त्ताओं ने पौराणिक तथा आर्यसमाजी दोनों के ही भाष्यों को आधार बनाकर गम्भीर व घृणित आक्षेप किये हैं। उन्होंने गायत्री परिवार को भी अपना निशाना बनाया है, परन्तु सभी मौन बैठे हैं, लेकिन मैं मौन नहीं रह सकता। इस कारण इन आक्षेपों का धीरे-धीरे क्रमश: उत्तर देना प्रारम्भ कर रहा हूँ। मैं जो उत्तर दूँगा उसको कोई भी वैदिक विद्वान्, जो आज मौन बैठे हैं, गलत कहने के अधिकारी नहीं रह पायेंगे, न मेरे उत्तर और वेदमन्त्रों के भाष्यों पर नुक्ताचीनी करने के अधिकारी रहेंगे। आज धर्म और अधर्म का युद्ध हो रहा है, उसका मूक दर्शक सच्चा वेदभक्त नहीं कहला सकता। मैंने चुनौती स्वीकारी तो है, उनकी भाँति मौन तो नहीं बैठा। वेद पर किये गये आक्षेपों पर मौन रहना भी उन आक्षेपों का मौन समर्थन करना ही है। यद्यपि मैं बहुत व्यस्त हूँ, पुनरपि धीरे-धीरे एक-एक प्रश्न का उत्तर देता रहूँगा। मैं सभी उत्तरदायी महानुभावों से दिनकर जी के शब्दों में यह अवश्य कहना चाहूँगा—
जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध। मनुष्य इस संसार का सबसे विचारशील प्राणी है। इसी प्रकार इस ब्रह्माण्ड में जहाँ भी कोई विचारशील प्राणी रहते हैं, वे भी सभी मनुष्य ही कहे जायेंगे। यूँ तो ज्ञान प्रत्येक जीवधारी का एक प्रमुख लक्षण है। ज्ञान से ही किसी की चेतना का प्रकाशन होता है, सूक्ष्म जीवाणुओं से लेकर हम मनुष्यों तक सभी प्राणी जीवनयापन के क्रियाकलापों में भी अपने ज्ञान और विचार का प्रयोग करते ही हैं। जीवन-मरण, भूख-प्यास, गमनागमन, सन्तति-जनन, भय, निद्रा और जागरण आदि सबके पीछे भी ज्ञान और विचार का सहयोग रहता ही है, तब महर्षि यास्क ने ‘मत्वा कर्माणि सीव्यतीति मनुष्य:’ कहकर मनुष्य को परिभाषित क्यों किया? इसके लिए ऋषि दयानन्द द्वारा प्रस्तुत आर्यसमाज के पाँचवें नियम ‘सब काम धर्मानुसार अर्थात् सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए’ पर विचार करना आवश्यक है। विचार करना और सत्य-असत्य पर विचार करना इन दोनों में बहुत भेद है, जो हमें पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों से पृथक् करता है। विचार वे भी करते हैं, परन्तु उनका विचार केवल जीवनयापन की क्रियाओं तक सीमित रहता है।
इधर सत्य और असत्य पर विचार जीवनयापन करने की सीमा से बाहर भी ले जाकर परोपकार में प्रवृत्त करके मोक्ष तक की यात्रा करा सकता है। यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि जीवनयापन के विचार तक सीमित रहने वाले प्राणी जन्म से ही आवश्यक स्वाभाविक ज्ञान प्राप्त किये हुए होते हैं, परन्तु मनुष्य जैसा सर्वाधिक बुद्धिमान् प्राणी पशु-पक्षियोंं की अपेक्षा न्यूनतर ज्ञान लेकर जन्म लेता है। वह अपने परिवेश और समाज से सीखता है। इस कारण केवल मनुष्य के लिए ही समाज तथा शिक्षण-संस्थानों की आवश्यकता होती है। इनके अभाव में मनुष्य पशु-पक्षियों को देखकर उन जैसा ही बन जाता है। हाँ, उनकी भाँति उड़ने जैसी क्रियाएँ नहींं कर सकता। समाज और शिक्षा के अभाव में वह मानवीय भाषा और ज्ञान दोनों ही दृष्टि से पूर्णत: वंचित रह जाता है। यदि उसे पशु-पक्षियों को भी न देखने दिया जाये, तब उसके  आहार-विहार में भी कठिनाई आ सकती है। इसके विपरीत करोड़ों वर्षों से हमारे साथ रह रहे गाय-भैंस, घोड़ा आदि प्राणी हमारा एक भी व्यवहार नहीं ��ीख पाते। हाँ, वे अपने स्��ामी की भाषा और संकेतों को कुछ समझकर तदनुकूल खान-पान आदि व्यवहार अवश्य कर लेते हैं। इस कारण कुछ पशु यत्किंचित् प्रशिक्षित भी किये जा सकते हैं, परन्तु मनुष्य की भाँति उन्हें शिक्षित, सुसंस्कृत, सभ्य एवं विद्वान् नहीं बनाया जा सकता। यही हममें और उनमें अन्तर है। अब प्रश्न यह उठता है कि जो मनुष्य जन्म लेते समय पशु-पक्षियों की अपेक्षा मूर्ख होता है, जीवनयापन में भी सक्षम नहीं होता, वह सबसे अधिक विद्वान्, सभ्य व सुशिक्षित कैसे हो जाता है?
जब मनुष्य की प्रथम पीढ़ी इस पृथिवी पर जन्मी होगी, तब उसने अपने चारों ओर पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों को ही देखा होगा, तब यदि वह पीढ़ी उनसे कुछ सीखती, तो उन्हीं के जैसा व्यवहार करती और उनकी सन्तान भी उनसे वैसे ही व्यवहार सीखती। आज तक भी हम पशुओं जैसे ही रहते, परन्तु ऐसा नहीं हुआ। हमने विज्ञान की ऊँचाइयों को भी छूआ। वैदिक काल में हमारे पूर्वज नाना लोक-लोकान्तरोंं की यात्रा भी करते थे। कला, संगीत, साहित्य आदि के क्षेत्र में भी मनुष्य का चरमोत्कर्ष हुुआ, परन्तु पशु-पक्षी अपनी उछल-कूद से आगे बढ़कर कुछ भी नहीं सीख पाए। मनुष्य को ऐसा अवसर कैसे प्राप्त हो गया? उसने किसकी संगति से यह सब सीखा? इसके विषय में कोई भी नास्तिक कुछ भी विचार नहीं करता। वह इसके लिए विकासवाद की कल्पनाओं का आश्रय लेता देखा जाता है। यदि विकास से ही सब कुछ सम्भव हो जाता, तब तो पशु-पक्षी भी अब तक वैज्ञानिक बन गये होते, क्योंकि उनका जन्म तो हमसे भी पूर्व में हुआ था। इस कारण उनको विकसित होने के लिए हमारी अपेक्षा अधिक समय ही मिला है। इसके साथ ही यदि विकास से ही सब कुछ स्वत: सिद्ध हो जाता, तो मनुष्य के लिए भी किसी प्रकार के विद्यालय और समाज की आवश्यकता नहीं होती, परन्तु ऐसा नहीं है। नास्तिकों को इस बात पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए कि मनुष्य में भाषा और ज्ञान का विकास कहाँ से हुआ?
इस विषय में विस्तार से जानने ���े लिए मेरा ग्रन्थ ‘वैदिक रश्मि-विज्ञानम्’ अवश्य पठनीय है, जिससे यह सिद्ध होता है कि प्रथम पीढ़ी के चार सर्वाधिक समर्थ ऋषि अग्नि, वायु, आदित्य एवं अंगिरा ने ब्रह्माण्ड से उन ध्वनियों को अपने आत्मा और अन्त:करण से सुना, जो ब्रह्माण्ड में परा और पश्यन्ती रूप में विद्यमान थीं। उन ध्वनियों को ही वेदमन्त्र कहा गया। उन वेदमन्त्रों का अर्थ बताने वाला ईश्वर के अतिरिक्त और कोई भी नहीं था। दूसरे मनुष्य तो इन ध्वनियों को ब्रह्माण्ड से ग्रहण करने में भी समर्थ नहींं थे, भले ही उनका प्रातिभ ज्ञान एवं ऋतम्भरा ऋषि स्तर की थी। सृष्टि के आदि में सभी मनुष्य ऋषि कोटि के ब्राह्मण वर्ण के ही थे, अन्य कोई वर्ण भूमण्डल में नहीं था। उन चार ऋषियों को समाधि अवस्था में ईश्वर ने ही उन मन्त्रों के अर्थ का ज्ञान दिया। उन चारों ने मिलकर महर्षि ब्रह्मा को चारों वेदों का ज्ञान दिया और महर्षि ब्रह्मा से फिर ज्ञान की परम्परा सभी मनुष्यों तक पहुँचती चली गई। इस प्रकार ब्रह्माण्ड की इन ध्वनियों से ही मनुष्य ने भाषा और ज्ञान दोनों ही सीखे। इस कारण मनुष्य नामक प्राणी सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ बन गया।
ध्यातव्य है कि प्रथम पीढ़ी में जन्मे सभी मनुष्य मोक्ष से पुनरावृत्त होकर आते हैं। इसी कारण ये सभी ऋषि कोटि के ही होते हैं। ज्ञान की परम्परा किस प्रकार आगे बढ़ती गयी और मनुष्य की ऋतम्भरा कैसे धीरे-धीरे क्षीण होती गयी और मनुष्यों को वेदार्थ समझाने के लिए कैसे-कैसे ग्रन्थों की रचना आवश्यक होती चली गई और कैसा-कैसा साहित्य रचा गया, इसकी जानकारी के लिए मेरा ‘वेदार्थ-विज्ञानम्’ ग्रन्थ पठनीय है। वेद को वेद से समझने की प्रज्ञा मनुष्य में जब समाप्त वा न्यून हो जाती है, तभी उसके लिए किसी अन्य ग्रन्थ की आवश्यकता होती है। धीरे-धीरे वेदार्थ में सहायक आर्ष ग्रन्थ भी मनुष्य के लिए दुरूह हो गये और आज तो स्थिति यह है कि वेद एवं आर्ष ग्रन्थों के प्रवक्ता भी इनके यथार्थ से अति दूर चले गये हैं। इस कारण वेद तो क्या, आर्ष ग्रन्थ भी कथित बुद्धिमान् मानव के लिए अबूझ पहेली बन गये हैं। इस स्थिति से उबारने के लिए ऋषि दयानन्द सरस्वती और उनके महान् गुरु प्रज्ञाचक्षु स्वामी विरजानन्द सरस्वती ने बहुत प्रयत्न किया, परन्तु समयाभाव आदि परिस्थितियों के कारण ऋषि दयानन्द के वेदभाष्य एवं अन्य ग्रन्थ वेद के रहस्यों को खोलने के लिए संकेतमात्र ही रह गये। वे वेद के यथार्थ को जानने के लिए सुमार्ग पर चलने वाले पथिक के रेत में बने हुुए पदचिह्न के समान थे। गन्तव्य की ओर गये हुए पदचिह्न किसी भी भ्रान्त पथिक के लिए महत्त्वपूर्ण सहायक होते हैं।
दुर्भाग्य से ऋषि दयानन्द के अनुयायियों ने ऋषि के बनाये हुए कुछ पदचिह्नों को ही गन्तव्य समझ लिया और वेदार्थ को समझने के लिए उन्होंने कोई ठोस प्रयत्न नहीं किया। उनका यह कर्म महापुरुषों की प्रतिमाओं को ही परमात्मा मानने की भूल करने जैसा ही था। इसका परिणाम यह हुआ कि ऋषि दयानन्द के अनुयायी विद्वान् भी वेदादि शास्त्रों के भाष्य करने में आचार्य सायण आदि के सरल प्रतीत होने वाले परन्तु वास्तव में भ्रान्त पथ के पथिक बन गये। इसी कारण पौराणिक (कथित सनातनी) भाष्यकारों की भाँति आर्य विद्वानों के भाष्यों में भी अश्लीलता, पशुबलि, मांसाहार, नरबलि, छुआछूत आदि पाप विद्यमान हैं। यद्यपि उन्होंने शास्त्रों को इन पापों से मुक्त करने का पूर्ण प्रयास किया, परन्तु वे इसमें पूर्णत: सफल नहीं हो सके। इसी कारण इनके भाष्यों में सायण आदि आचार्यों के भाष्यों की अपेक्षा ये दोष कम मात्रा में विद्यमान हैं, परन्तु वेद और ऋषियों के ग्रन्थों में एक भी दोष का विद्यमान होना वेद के अपौरुषेयत्व और ऋषियों के ऋषित्व पर प्रश्नचिह्न खड़ा करने के लिए पर्याप्त होता है। इसलिए ऋषि दयानन्द के भाष्य के अतिरिक्त सभी भाष्य दोषपूर्ण और मिथ्या हैं। हाँ, ऋषि दयानन्द के भाष्य भी सांकेतिक पदचिह्न मात्र होने के कारण सात्त्विक व तर्कसंगत व्याख्या की अपेक्षा रखते हैं।
इसके लिए सब मनुष्यों को यह अति उचित है कि वे वेद के रहस्य को समझने के लिए ‘वैदिक रश्मि-विज्ञानम्’ ग्रन्थ का गहन अध्ययन करें। जो विद्वान् वेद और ऋषियों की प्रज्ञा की गहराइयों में और अधिक उतरना चाहते हैं, उन्हें ‘वेदविज्ञान-आलोक’ और ‘वेदार्थ-विज्ञानम्’ ग्रन्थ पढ़ने चाहिए। जो आधुनिक शिक्षा प्राप्त कर रहे शिक्षक वा विद्यार्थी वेद का सामान्य परिचय चाहते हैं, उन्हें ऋषि दयानन्द कृत ‘सत्यार्थ-प्रकाश’ एवं ‘ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका’ और प्रिय विशाल आर्य कृत ‘परिचय वैदिक भौतिकी’ ग्रन्थ पढ़ने चाहिए। अब हम क्रमश: वेदादि शास्त्रों पर किये गये आक्षेपों का समाधान प्रस्तुत करेंगे—
क्रमशः... ✍ आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक
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“अमित शहा महाराष्ट्राचे जावई… सीमावादाचे सर्वाधिक चटके त्यांच्या सासरवाडीला” संजय राऊतांची टीका
“अमित शहा महाराष्ट्राचे जावई… सीमावादाचे सर्वाधिक चटके त्यांच्या सासरवाडीला” संजय राऊतांची टीका
“अमित शहा महाराष्ट्राचे जावई… सीमावादाचे सर्वाधिक चटके त्यांच्या सासरवाडीला” संजय राऊतांची टीका मुंबई – महाराष्ट्र कर्नाटक सीमावादावरून राजकीय वातावरण पुन्हा तापायला सुरुवात झाली आहे. ठाकरे गटाचे खासदार संजय राऊत यांनी आता या वादावर भाष्य केले आहे. गृहमंत्री अमित शहा हे महाराष्ट्राचे जावई असून सीमावादाचे सर्वाधिक चटके त्यांच्याच सासरवाडीला बसत असल्याचे राऊत यांनी सांगितले. केंद्रीय…
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crickettimeout · 18 days
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IPL 2024 में डेथ ओवरों में सर्वाधिक विकेट (16-20)।
16 - हर्षल पटेल
11-जसप्रीत बुमरा
9- अर्शदीप सिंह
9-मुकेश कुमार
9- टी नटराजन
9- तुषार देशपांडे
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trendingwatch · 2 years
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फॉर्मूला 1: वेरस्टैपेन ने यूएस ग्रां प्री जीता; एक सीज़न में सर्वाधिक जीत के लिए शूमाकर के रिकॉर्ड, वेट्टेल की बराबरी करते हैं
फॉर्मूला 1: वेरस्टैपेन ने यूएस ग्रां प्री जीता; एक सीज़न में सर्वाधिक जीत के लिए शूमाकर के रिकॉर्ड, वेट्टेल की बराबरी करते हैं
मैक्स वेरस्टैपेन ने रविवार को यूनाइटेड स्टेट्स ग्रां प्री में अपनी जीत के साथ सेबेस्टियन वेटेल और माइकल शूमाकर के फॉर्मूला 1 सीज़न में 13 जीत के रिकॉर्ड की बराबरी की। सेबेस्टियन वेट्टेल ने 2013 सीज़न में रेड बुल के साथ 13 रेस जीतीं जबकि माइकल शूमाकर ने 2004 में यह उपलब्धि हासिल की। वेरस्टैपेन दौड़ के 51वें लैप में दूसरे स्थान पर थे, जब उन्होंने लीड में जाने के लिए लीडर लुईस हैमिल्टन को पछाड़…
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marathinewslive · 2 years
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भारत विरुद्ध पाकिस्तान: जय शाह यांनी तिरंगा विजय दिला नकार! मैदानातील व्हिडिओ व्हायरल; विरोधक म्हणतात, "जर ही गोष्ट..." | भारत विरुद्ध पाक सामना टीआरएसने जिंकल्यानंतर जय शाह यांनी भारतीय ध्वज ठेवण्यास नकार दिला अमित शहा पुत्र scsg 91
भारत विरुद्ध पाकिस्तान: जय शाह यांनी तिरंगा विजय दिला नकार! मैदानातील व्हिडिओ व्हायरल; विरोधक म्हणतात, “जर ही गोष्ट…” | भारत विरुद्ध पाक सामना टीआरएसने जिंकल्यानंतर जय शाह यांनी भारतीय ध्वज ठेवण्यास नकार दिला अमित शहा पुत्र scsg 91
आशिया क्रिकेट संघात भारत रंगतदार पाकिस्‍तान पाकिस्‍तान आणि गडी राखून विजयी आघाडी केली. विरोधी आणि सामना राजकारणावर विपरीत चुरस आली. याला भारतीय क्रिकेट नियामक मंडळाचे सचिव आणि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पिता पुत्र जय शाह सुद्धा उपस्थित होते. मात्र सामना जिंकून जय शाह यांनी भारतीय जनता पक्षाला पकडले आहे. नक्की वाचा >> IND vs PAK आशिया कप: जय शाह संजय मांजरेकर ट्रोल; मांजरेकरांची ‘ही’ दोन विधान…
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kv1nsbvizag · 2 years
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लिवरपूल ने बोर्नमाउथ को 9-0 से हराकर इंग्लिश प्रीमियर लीग के गोल रिकॉर्ड की बराबरी की
लिवरपूल ने बोर्नमाउथ को 9-0 से हराकर इंग्लिश प्रीमियर लीग के गोल रिकॉर्ड की बराबरी की
रॉयटर्स लिवरपूल 27 अगस्त, 2022 21:50 IST अपडेट किया गया: 27 अगस्त, 2022 21:50 IST रॉयटर्स लिवरपूल 27 अगस्त, 2022 21:50 IST अपडेट किया गया: 27 अगस्त, 2022 21:50 IST लिवरपूल प्रीमियर लीग मैच में लुइस डियाज़, रॉबर्टो फ़िरमिनो, हार्वे इलियट, ट्रेंट अलेक्जेंडर-अर्नोल्ड, वर्जिल वैन डिजक और फैबियो कार्वाल्हो के लक्ष्यों के साथ बोर्नमाउथ को 9-0 से हराकर नौ गोल करने वाली चौथी टीम बन गई। लिवरपूल…
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