'कारीगरी कलम की' प्रस्तुत करते हैं, 'हमारे पिटारे से' सीरीज में ; मध्यप्रदेश की कवियित्री प्रीति राठौड़ जी की इक कविता , जिसका शीर्षक है - यादें। आप भी पढें और कमेन्ट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया दें 😊💫🌻 नहीं चाहतीं उन गलियों मे लौटना मैं .. नहीं चाहतीं, पर ये दिल मानता है कहाँ ? चला ही जाता है वहां , नहीं जाना जहां । जानती हूं दिया है उन गलियों ने , सुख और दुःख भी । और दिया है, खट्टी - मिठ्ठी यादों का संसार भी । मेरे जीने की वजह है, यह यादें । दिमाग कहता मत लौट , होगी तकलीफ तुझे , लेकिन दिल कहता है , यह यादें ही जीने देगी तुझे । और लौट जाती हूं मैं उन यादों की गलियों में ।। ~✍️ प्रीति राठौड़ @unique__rathod_ji LIKE | COMMENT | SHARE | AND FOLLOW THE PAGE @karigari_kalam_ki रोचक रचनाओं को पढ़ने के कृपया पेज को जरूर फॉलो करें 😊💫🌻 @karigari_kalam_ki #preeti #preetirathod #hindisahitya #hindikavita #hindilove #hindipoem #hindipoetry #hindiwriter #hindipoet #hindipoetrywriter #karigari_kalam_ki #ankuraanandit #karigari_kalam_ki #writersofindia #poetryofinstagram #indainmotivation #jaunelia #kumarvishwaspoetry #rahatindorishayari #hindipositivethink (at Lucknow-लखनऊ) https://www.instagram.com/p/CYt_S8NBi7x/?utm_medium=tumblr
कभी साइन बोर्ड पेंटर के तौर पर काम करते थे राहत इंदौरी, कहा था- जनाजे पर मिरे लिख देना यारो, मोहब्बत करने वाला जा रहा है
चैतन्य भारत न्यूज
कवि, गीतकार, शायर राहत इंदौरी ने मंगलवार को इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। उनके इंतेकाल की खबर ने पूरे साहित्य जगत को हिलाकर रख दिया है। वे कोरोना वायरस से भी संक्रमित थे, जिसके उपचार के लिए उन्हें मध्य प्रदेश के इंदौर में 10 अगस्त की देर रात अरविंदो अस्तपाल में भर्ती कराया गया था।
एक जनवरी 1950 को जन्मे राहत इंदाैरी 70 साल के थे। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति शुरुआती दिनों में बहुत खस्ता थी। उन्हें साइन-बोर्ड चित्रकार के तौर पर भी काम करना पड़ा। राहत इंदौरी ने अपने शहर को ही अपने भीतर बसा लिया था। उनके नाम के साथ उनका शहर एक पहचान की तरह जुड़ा रहा। उन्होंने इंदौर के ही नूतन स्कूल से प्राथमिक शिक्षा हासिल की थी। इसके बाद इंदौर के इस्लामिया करीमीया कॉलेज (ikdc) और बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल, मध्य प्रदेश और भोज विश्वविद्यालय से तालीम हासिल की।
साल 1975 में बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल, मध्य प्रदेश से उर्दू साहित्य में परास्नातक करने के बाद वर्ष 1985 में, भोज विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि ली। उनके पिता राफतुल्लाह कुरैशी एक कपड़ा मिल कर्मचारी थे और मां मकबूल उन निशा बेगम गृहणी थीं। राहत इंदौरी तीन भाई-बहन थे।
साल 1973 में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद,अगले दस साल उन्होंने आवारगी में बिताए क्योंकि वो ये तय नहीं कर पा रहे थे कि जीवन में क्या किया जाए। फिर उन्होंने अपने दोस्तों से प्रोत्साहित होने के बाद उर्दू साहित्य में स्नातकोत्तर करने का मन बनाया और जिसे स्वर्ण पदक के साथ उत्तीर्ण किया।
उन्होंने अपना करियर इंद्रकुमार कॉलेज, इंदौर में उर्दू साहित्य के टीचर के तौर पर शुरू किया। छात्रों के बीच वो जल्दी ही लोकप्रिय हो गए। फिर वो मुशायरों में व्यस्त होते चले। उनके गीतों को 11 से अधिक ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड फिल्मों में इस्तेमाल किया गया जिसमें से मुन्ना भाई एमबीबीएस भी एक है। वह अपनी शायरी की नज़्मों को एक खास शैली में प्रस्तुत करके पूरी महफिल में वाहवाही बटोर लेते थे। राहत इंदौरी अपनी शेरो-शायरी से जिस महफिल में जाते थे। उसकी जान बन जाते थे।
राहत इंदौरी द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियां-
चराग़ों को उछाला जा रहा है
हवा पर रो'ब डाला जा रहा है
न हार अपनी न अपनी जीत होगी
मगर सिक्का उछाला जा रहा है
वो देखो मय-��दे के रास्ते में
कोई अल्लाह-वाला जा रहा है
थे पहले ही कई साँप आस्तीं में
अब इक बिच्छू भी पाला जा रहा है
मिरे झूटे गिलासों की छका कर
बहकतों को संभाला जा रहा है
हमी बुनियाद का पत्थर हैं लेकिन
हमें घर से निकाला जा रहा है
जनाज़े पर मिरे लिख देना यारो
मोहब्बत करने वाला जा रहा है
मशहूर शायर राहत इंदौरी का दिल का दौरा पड़ने से निधन, कोरोना वायरस से थे संक्रमित
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Rahat Indori (1 January 1950 – 11 August 2020) was an Indian Bollywood lyricist and Urdu language poet. He was also a former professor of Urdu language and a painter. Prior to this he was a pedagogist of Urdu literature at Devi Ahilya University, Indore. He died on 11 August 2020 in a hospital from cardiac arrest #RahatIndori #RahatIndorishayari #JADcreations