Yajurved chapter 29 Shlok 25
When the supreme God appears at that time all the rishis & saints are guiding the entire devotee community by arbitrary way of worship. At that time God Kabir Himself comes in the form of a messenger.
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श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1 - 4, 16, 17 में कहा गया है जो संत इस संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी विभाग बता देगा वह पूर्ण गुरु/सच्चा सद्गुरु है।
यह तत्वज्ञान केवल संत रामपाल जी महाराज ही बता रहे हैं।
श्री कृष्ण जी की नगरी द्वारिका पुरी समुद्र में डूब गई थी। श्री कृष्ण जी के समक्ष सर्व यादव आपस में लड़कर मर गए थे जो कुछ बचे थे। वे स्वयं श्री कृष्ण जी ने मुसल से मार डाले।
(विष्णु पुराण अ. 37पाँचवा अंश पृष्ठ 409 से 414 )
एक मछियारे शिकारी ने श्री कृष्ण जी के पैर के तलुए में विषाक्त तीर मारकर वध किया। श्री कृष्ण जी के शरीर का द्वारिका से बाहर वहीं पर अन्तिम संस्कार किया था। उनके शरीर को गड्ढ़ा खोदकर पाण्डवों ने दबाया था। उस स्थान पर वर्तमान में श्री द्वारिकाधीश का मन्दिर बना है।
कुछ समय बाद श्रद्धालु उस यादगार को देखने जाने लगे। फिर वहाँ पर पूजा प्रारम्भ हो गई। सन् 1448 में कबीर साहिब जी द्वारिका में गए।
समुद्र के किनारे जहां गोमती नदी सागर में आकर मिलती है, उसके पास एक बालू रेत के टीले (कोठा) पर बैठकर तीर्थ भ्रमण पर आने वाले श्रद्धालुओं को तत्वज्ञान सुनाया करते थे। कबीर साहिब जी प्रश्न करते थे कि आप किसलिए आए हैं? उत्तर होता था कि द्वारिकाधीश के दर्शन करने आए हैं। उनकी नगरी को देखने आए हैं।
भगवान से आशीर्वाद लेने आए हैं।
कबीर साहिब जी कहा करते :- एक वैद्य था। वह नब्ज पकड़ कर रोग जान लेता था। औषधि देकर स्वस्थ कर देता था। उसकी मृत्यु के उपरांत वैद्य के शरीर को जमीन में दबा कर अन्तिम संस्कार कर दिया। उस स्थान पर एक मन्दिर बनाकर यादगार बना दी। यदि वैद्य की मूर्ति से कोई उपचार के लिए प्रार्थना करे तो क्या होगा?
श्रोताओं का एक सुर में उत्तर :- मूर्ति वैद्य वाला कार्य थोड़े ही करेगी। कबीर साहिब जी प्रश्न करते थे तो उस व्यक्ति को क्या करना चाहिए? श्रोताओं का उतर होता था कि किसी जीवित वैद्य के पास जाकर अपनी जीवन रक्षा
करनी चाहिए, यही उचित है।
कबीर साहिब जी कहा करते कि हे भोले श्रद्धालुओ! आप इस श्री कृष्ण त्रिलोकी नाथ की मूर्ति से क्या मांगने आए हो? क्या यह श्री कृष्ण जी की मूर्ति आपका कल्याण कर सकती है?कुछ श्रद्धालु आश्चर्यचकित होकर पूछते हम गलत कर रहे है।और ज्ञान समझ आने लग जाता। कबीर साहिब जी द्वारा बताई भक्ति करने लग जाता व कुछ अहंकारी लोग नाराज होकर उठ जाते।
कबीर साहिब जी कहा करते थे कि आप द्वारिकाधीश श्री कृष्ण की मूर्ति के दर्शन से कल्याण की
अपेक्षा कर के आए हो। यहां पर श्री कृष्ण जी का ही सर्वनाश हो गया। आपको क्या प्राप्ति होगी?
आत्म कल्याण तथा सांसारिक सुख प्राप्त करना है तो मैं आप जी को वह शास्त्रानुकूल भक्ति बताऊँगा जिससे आप का कल्याण संभव है। इस प्रकार सत्य को समझकर भ्रमे हुए श्रद्धालुओं को यथार्थ भक्ति प्राप्त हुई।
गरीब दास जी ने कहा है कि
‘‘मेले ठेले जाइयो, मेले बड़ा मिलाप।
पत्थर पानी पूजतें, कोई साधू सन्त मिल जात।।
जहां बैठ कर कबीर साहिब जी सदोपदेश किया करते थे। उस स्थान पर एक गोलाकार चबूतरा (कोठा) बना रखा है। आज तक सन् 1448 से वर्तमान तक उस बालू रेत के टीले को समुद्र की लहरों ने छुवा भी नहीं। समुद्र में ज्वार भाटा आता है। तब भी समुद्र की लहरें उस ओर नहीं जाती।
पूर्ण संत तीन प्रकार के मंत्रों को तीन बार में उपदेश करेगा जिसका वर्णन कबीर सागर ग्रंथ पृष्ठ 265 पर बोध सागर में मिलता है। गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या 822 में मिलता है।
संत रामपाल जी महाराज ही वह पूर्ण संत हैं जो तीन प्रकार के मंत्रों का तीन बार में उपदेश करते हैं।
गीता अध्याय 2 श्लोक 64, 65 में कहा गया है कि शास्त्रविधि अनुसार पूर्ण परमात्मा की साधना करने वाला साधक, संसार में रहकर काम करता हुआ, परिवार पोषण करता हुआ भी सत्य साधना से सुखदाई मोक्ष को प्राप्त होता है।
पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश प्राप्त करके मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हमेशा रक्षा करते हैं। और अपने भक्त की आयु भी बढ़ा देते हैं।
BuzzFeed published a report claiming that Tumblr was utilized as a distribution channel for Russian agents to influence American voting habits during the 2016 presidential election in Feb 2018.