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rudrjobdesk · 2 years
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पीएम मोदी के नाम पर AAP कार्यकर्ताओं ने क्यों भेजे 420 रुपये के चेक? जानिए वजह
पीएम मोदी के नाम पर AAP कार्यकर्ताओं ने क्यों भेजे 420 रुपये के चेक? जानिए वजह
Image Source : PTI Representational Image Highlights AAP कार्यकर्ताओं ने ‘पीएम मोदी जी के लिए भीख दे दो’ के नारे लगाए AAP कार्यकर्ता ने हाथ में कटोरा लेकर सरकार के नाम पर मांगी भीख Agneepath Protest: अग्निपथ योजना के विरोध में AAP की युवा शाखा और छात्र शाखा के कार्यकर्ताओं ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम 420 रुपये के चेक भेजे। उन्होंने अग्निपथ योजना के विरोध में लखनऊ समेत मुख्य…
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notopedia-india · 11 months
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JEE advanced 2023 क्लियर करने के बाद आप 5 चीजें कर सकते हैं
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जीवन में कठिनाइयां और संघर्ष हमें मजबूत बनाती हैं और JEE Advanced 2023 परीक्षा जैसे प्रतियोगी परीक्षा को पास करना बिना शक एक बड़ी प्राप्ति होती है। अब, जब आपने इस मुकाम पर पहुंच गए हैं, आप अपने अगले कदमों के बारे में सोच रहे होंगे। इस ब्लॉग में, हम आपको बताएंगे कि JEE Advanced 2023 क्लियर करने के बाद आप 5 चीजें कर सकते हैं जो आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं।
काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लें: JEE Advanced 2023 के परिणाम घोषित होने के बाद, संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण (JoSAA) द्वारा काउंसलिंग और सीट आवंटन प्रक्रिया आयोजित की जाती है। काउंसलिंग में भाग लें और अपनी पसंद के अनुसार कॉलेज और पाठ्यक्रम के लिए अपनी पसंदीदा चुनें। काउंसलिंग के अनुसार समय-सारणी को ध्यान से जांचें और सभी महत्वपूर्ण अंतिम तिथियों का पालन करें।
IITs, NITs, IIITs और GFTIs में प्रवेश के बारे में जानें: प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नोलॉजी (IITs), नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नोलॉजी (NITs), इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IIITs) और गवर्नमेंट फंडेड टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स (GFTIs) महान इंजीनियरिंग प्रोग्राम्स प्रदान करते हैं। अपनी आकांक्षाओं को मध्यस्थ रखते हुए इन संस्थानों के बारे में विस्तृत जानकारी और प्रोफाइल प्राप्त करें। पाठ्यक्रमों की पेशकश, फैकल्टी, अवसंरचना, प्लेसमेंट, और एल्युमनाई नेटवर्क जैसे कारकों को मध्यनजर रखें।
अन्य अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज की तलाश करें: IITs और NITs के अलावा भी कई प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज देश भर में मौजूद हैं। अपनी विकासशीलता, अच्छी अवसंरचना और प्लेसमेंट के अवसरों के बारे में जानकारी प्राप्त करें। अपनी पसंदीदा इंजीनियरिंग शाखा में मजबूत विभागों वाले कॉलेज की खोज करें और विकल्पों को महसूस करें।
प्रतिष्ठित सरकारी नौकरियों की तलाश करें: अगर आपको सरकारी सेक्टर में अपनी करियर की द���शा तय करनी है, तो विभिन्न सरकारी नौकरी विकल्पों का अध्ययन करें। इंजीनियरिंग, प्रशासनिक सेवाएं, बैंकिंग, रेलवे, डिफेंस, और अन्य क्षेत्रों में सरकारी नौकरी आवेदन करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया और योग्यता जांचें। इन सेक्टरों में उच्च स्तरीय नौकरी प्राप्त करने का एक संघर्षमय, लेकिन सत्यापित रास्ता हो सकता है।
अपनी रुचियों और अनुसरण करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह लें: अगर आप अपनी रुचियों और दिशा को लेकर अनिश्चित हैं, तो इंजीनियरिंग या अन्य क्षेत्रों में अध्ययन करने के बारे में एक विशेषज्ञ सलाह लेना एक बहुत उपयोगी कदम हो सकता है। काउंसलर्स, करियर काउंसलिंग एक्सपर्ट्स, या पूर्व छात्रों से सलाह लें और उनके अनुभवों से गुजरें। यह आपको अधिक मंगलमय और संघर्षरहित रास्ता दिखा सकता है।
नोटोपीडिया आपको JEE एडवांस्ड परिणामों के साथ अद्यतित रखेगा और आपको प्रमुख कॉलेज और इंस्टीट्यूट्स के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। आपको विभिन्न पाठ्यक्रमों, प्रवेश प्रक्रिया, कटऑफ मार्क्स, स्थानांतरण नीति, और छात्रों के लिए उपलब्ध विशेषताओं के बारे में जानकारी मिलेगी।
इसके अलावा, नोटोपीडिया आपको कॉलेज के प्रमुख विभागों, प्रशिक्षण योजनाओं, छात्र सहायता कार्यक्रमों, और प्लेसमेंट अवसरों के बारे में जानकारी भी प्रदान करेगा। इससे आपको अपने आकांक्षाओं और योग्यताओं के अनुसार सर्वोत्तम विकल्पों को पहचानने में मदद मिलेगी। इसलिए, जब आप JEE एडवांस्ड 2023 के परिणामों की खोज कर रहे हों और कॉलेज विकल्पों के बारे में सूचित निर्णय लेने की जरूरत हो, नोटोपेडिया आपका विश्वसनीय साथी है।
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ussfoundationindia · 1 year
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विज्ञान प्रदर्शनी में दिखा आत्मनिर्भर भारत की झलक। बच्चों ने विज्ञान, अध्यात्म, विकास, प्राकृतिक, प्रदूषण जैसे विभिन्न विषयों पर अद्भुत मॉडल प्रस्तुत किए। अध्यात्मिक मॉडल में उन्होंने बाबा विश्वनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ, श्री राम मंदिर एवं विज्ञान के क्षेत्र में काली, आई एन एस विक्रमादित्य, तेजस, ब्रह्मास्त्रों, भीष्म टैंक इसके अलावा बच्चों ने ग्रीन सिटी - क्लीन सिटी, वाटर कूलर, ऑटोमेटिक सेंसर अलार्म, वेस्ट मैटेरियल प्रोडक्ट, सिंगल यूज प्लास्टिक आदि विषयों पर भी मॉडल बनाएं। मुख्य अतिथि दयाशंकर मिश्र ( दयालु गुरु ) खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्यमंत्री ने बच्चों के मॉडल को देखा। उन्होंने कहा कि, बच्चे देश के भविष्य हैं। और स्कूल का कार्य बड़ा ही सराहनीय है। उन्होंने कहा कि दिशा कान्वेंट स्कूल के बच्चों द्वारा बनाए गए मॉडल। छात्र - छात्रों में अद्भुत उत्साह को प्रदर्शित करता है। बच्चों का उत्साह, उनके आने वाले भविष्य को बेहतर करने में सार्थक साबित होगा‌। बच्चों की तारीफ करते हुए। उन्होंने उनके माता-पिता का भी बहुत-बहुत धन्यवाद किया। साथ ही विशिष्ट अतिथि सौरव श्रीवास्तव ( कैंट विधायक ) ने भी बच्चों द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम पुलवामा की सराहना किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रप्रेम की भाव��ा, प्रत्येक मनुष्य में रहनी चाहिए। बच्चों द्वारा राष्ट्र भक्ति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम बहुत ही सुंदर रहा। उन्होंने कहा की दिशा कान्वेंट स्कूल का कार्य बड़ा ही सराहनीय है। इसके साथ प्रबुद्ध जन बच्चों के मार्गदर्शक ओंकार केसरी प्रयागराज प्रभारी ने बच्चों के बनाए गए मॉडल की तारीफ किया। साथ ही उनको प्रोत्साहित भी किया। उन्होंने कहा कि सदैव आप सभी इसी तरह समाज में अच्छे कार्य करते रहें। और अपने मां-बाप, विद्यालय एवं देश का नाम रोशन करते रहे। बच्चों के हृदय प्रिये एवं मार्गदर्शक हेमंत राज सहसंयोजक काशी क्षेत्र ने बच्चों के कार्यों की सराहना किया। उन्होंने बच्चों को आगे बढ़ने की कला एवं सदैव राष्ट्र भक्ति की भावना, राष्ट्र सेवा की भावना को जागृत रखने का संदेश दिया। इस उत्कृष्ट कार्यक्रम में डायरेक्टर पूजा पांडेय, डॉ उत्तम ओझा, सिंधु सोनकर, वरिष्ठ समाजसेवी सत्येंद्र शर्मा, मनीष केसरी, श्रीकांत पांडेय ( पूर्वांचल अध्यक्ष अखिल भारत हिंदू महासभा ), श्री योगेश कुमार श्रीवास्तव ( प्रांतीय समन्वयक भारत विकास परिषद ), विवेक तिवारी ( अध्यक्ष श्रद्धा शाखा भारत विकास परिषद ) राजीव कुमार पांडेय ( प्रांतीय प्रकल्प प्रमुख विधिक सेवा, भारत विकास परिषद ) अमित सिंह, पीयूष, शिवम सिंह, विशाल नारायण सिंह, प्रदीप सोनी, सूर्यमणि चौबे ( गुरुजी ) मनीष केसरी, शिप्रा सिंह, सौरव मौर्या, स्वामी ब्रह्मानंद महाराज के साथ ही साथ स्कूल के सभी शिक्षक - शिक्षिकाएं उपस्थित रहेI कार्यक्रम का सफल संचालन यू.एस.एस.फाउंडेशन सचिव श्री शशि शंकर पटेल ने किया जिसमें उन्होंने अपने सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया।
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nationalnewsindia · 2 years
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hindijankari · 4 years
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भारत के बारे में रोचक तथ्‍य || Interesting facts about India
भारत के बारे में रोचक तथ्‍य जिन्हें शायद आप नहीं जानते है
भारत ने अपने आखिरी 100000 वर्षों के इतिहास में किसी भी देश पर हमला नहीं किया है।
जब कई संस्कृतियों में 5000 साल पहले घुमंतू वनवासी थे, तब भारतीयों ने सिंधु घाटी (सिंधु घाटी सभ्यता) में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की।
भारत का अंग्रेजी में नाम ‘इंडिया’ इं‍डस नदी से बना है, जिसके आस पास की घाटी में आरंभिक सभ्‍यताएं निवास करती थी। आर्य पूजकों में इस इंडस नदी को सिंधु कहा।
ईरान से आए आक्रमणकारियों ने सिंधु को हिंदु की तरह प्रयोग किया। ‘हिंदुस्तान’ नाम सिंधु और हिंदु का संयोजन है, जो कि हिंदुओं की भूमि के संदर्भ में प्रयुक्त होता है।
शतरंज की खोज भारत में की गई थी।
बीज गणित, त्रिकोण मिति और कलन का अध्‍ययन भारत में ही आरंभ हुआ था।
'स्‍थान मूल्‍य प्रणाली' और 'दशमलव प्रणाली' का विकास भारत में 100 बी सी में हुआ था।
विश्‍व का प्रथम ग्रेनाइट मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में बृहदेश्‍वर मंदिर है। इस मंदिर के शिखर ग्रेनाइट के 80 टन के टुकड़ों से बने हैं। यह भव्‍य मंदिर राजाराज चोल के राज्‍य के दौरान केवल 5 वर्ष की अवधि में (1004 ए डी और 1009 ए डी के दौरान) निर्मित किया गया था।
भारत विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और विश्‍व का सातवां सबसे बड़ा देश तथा प्राचीन सभ्‍यताओं में से एक है।
सांप सीढ़ी का खेल तेरहवीं शताब्‍दी में कवि संत ज्ञान देव द्वारा तैयार किया गया था इसे मूल रूप से मोक्षपट कहते थे। इस खेल में सीढियां वरदानों का प्रतिनिधित्‍व करती थीं जबकि सांप अवगुणों को दर्शाते थे। इस खेल को कौडियों तथा पांसे के साथ खेला जाता था। आगे चल कर इस खेल में कई बदलाव किए गए, परन्‍तु इसका अर्थ वहीं रहा अर्थात अच्‍छे काम लोगों को स्‍वर्ग की ओर ले जाते हैं जबकि बुरे काम दोबारा जन्‍म के चक्र में डाल देते हैं।
दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट का मैदान हिमाचल प्रदेश के चायल नामक स्‍थान पर है। इसे समुद्री सतह से 2444 मीटर की ऊंचाई पर भूमि को समतल बना कर 1893 में तैयार किया गया था।
भारत में विश्‍व भर से सबसे अधिक संख्‍या में डाक खाने स्थित हैं।
भारतीय रेल देश का सबसे बड़ा नियोक्ता है। यह दस लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
विश्‍व का सबसे प्रथम विश्‍वविद्यालय 700 बी सी में तक्षशिला में स्‍थापित किया गया था। इसमें 60 से अधिक विषयों में 10,500 से अधिक छात्र दुनियाभर से आकर अध्‍ययन करते थे। नालंदा विश्‍वविद्यालय चौथी शताब्‍दी में स्‍थापित किया गया था जो शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन भारत की महानतम उपलब्धियों में से एक है।
आयुर्वेद मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे आरंभिक चिकित्‍सा शाखा है। शाखा विज्ञान के जनक माने जाने वाले चरक में 2500 वर्ष पहले आयुर्वेद का समेकन किया था।
भारत 17वीं शताब्‍दी के आरंभ तक ब्रिट��श राज्‍य आने से पहले सबसे सम्‍पन्‍न देश था। क्रिस्‍टोफर कोलम्‍बस भारत की सम्‍पन्‍नता से आकर्षित हो कर भारत आने का समुद्री मार्ग खोजने चला और उसने गलती से अमेरिका को खोज लिया।
नौवहन की कला और नौवहन का जन्‍म 6000 वर्ष पहले सिंध नदी में हुआ था। दुनिया का सबसे पहला नौवहन संस्‍कृ‍त शब्‍द नव गति से उत्‍पन्‍न हुआ है। शब्‍द नौ सेना भी संस्‍कृत शब्‍द नोउ से हुआ।
भास्‍कराचार्य ने खगोल शास्‍त्र के कई सौ साल पहले पृथ्‍वी द्वारा सूर्य के चारों ओर चक्‍कर लगाने में लगने वाले सही समय की गणना की थी। उनकी गणना के अनुसार सूर्य की परिक्रमा में पृथ्‍वी को 365.258756484 दिन का समय लगता है।
भारतीय गणितज्ञ बुधायन द्वारा 'पाई' का मूल्‍य ज्ञात किया गया था और उन्‍होंने जिस संकल्‍पना को समझाया उसे पाइथागोरस का प्रमेय करते हैं। उन्‍होंने इसकी खोज छठवीं शताब्‍दी में की, जो यूरोपीय गणितज्ञों से काफी पहले की गई थी।
बीज गणित, त्रिकोण मिति और कलन का उद्भव भी भारत में हुआ था। चतुष्‍पद समीकरण का उपयोग 11वीं शताब्‍दी में श्री धराचार्य द्वारा किया गया था। ग्रीक तथा रोमनों द्वारा उपयोग की गई की सबसे बड़ी संख्‍या 106 थी जबकि हिन्‍दुओं ने 10*53 जितने बड़े अंकों का उपयोग (अर्थात 10 की घात 53), के साथ विशिष्‍ट नाम 5000 बीसी के दौरान किया। आज भी उपयोग की जाने वाली सबसे बड़ी संख्‍या टेरा: 10*12 (10 की घात12) है।
वर्ष 1896 तक भारत विश्‍व में हीरे का एक मात्र स्रोत था।
(स्रोत: जेमोलॉजिकल इंस्‍टी‍ट्यूट ऑफ अमेरिका)
बेलीपुल विश्‍व‍ में सबसे ऊंचा पुल है। यह हिमाचल पर्वत में द्रास और सुरु नदियों के बीच लद्दाख घाटी में स्थित है। इसका निर्माण अगस्‍त 1982 में भारतीय सेना द्वारा किया गया था।
सुश्रुत को शल्‍य चिकित्‍सा का जनक माना जाता है। लगभग 2600 वर्ष पहले सुश्रुत और उनके सहयोगियों ने मोतियाबिंद, कृत्रिम अंगों को लगना, शल्‍य क्रिया द्वारा प्रसव, अस्थिभंग जोड़ना, मूत्राशय की पथरी, प्‍लास्टिक सर्जरी और मस्तिष्‍क की शल्‍य क्रियाएं आदि की।
निश्‍चेतक का उपयोग भारतीय प्राचीन चिकित्‍सा विज्ञान में भली भांति ज्ञात था। शारीरिकी, भ्रूण विज्ञान, पाचन, चयापचय, शरीर क्रिया विज्ञान, इटियोलॉजी, आनुवांश��की और प्रतिरक्षा विज्ञान आदि विषय भी प्राचीन भारतीय ग्रंथों में पाए जाते हैं।
भारत से 90 देशों को सॉफ्टवेयर का निर्यात किया जाता है।
भारत में 4 धर्मों का जन्‍म हुआ - हिन्‍दु, बौद्ध, जैन और सिक्‍ख धर्म और जिनका पालन दुनिया की आबादी का 25 प्रतिशत हिस्‍सा करता है।
जैन धर्म और बौद्ध धर्म की स्‍थापना भारत में क्रमश: 600 बी सी और 500 बी सी में हुई थी।
इस्‍लाम भारत का और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।
भारत में 3,00,000 मस्जिदें हैं जो किसी अन्‍य देश से अधिक हैं, यहां तक कि मुस्लिम देशों से भी अधिक।
भारत में सबसे पुराना यूरोपियन चर्च और सिनागोग कोचीन शहर में है। इनका निर्माण क्रमश: 1503 और 1568 में किया गया था।
ज्‍यू और ईसाई व्‍यक्ति भारत में क्रमश: 200 बी सी और 52 ए डी से निवास करते हैं।
विश्‍व में सबसे बड़ा धार्मिक भवन अंगकोरवाट, हिन्‍दु मंदिर है जो कम्‍बोडिया में 11वीं शताब्‍दी के दौरान बनाया गया था।
तिरुपति शहर में बना विष्‍णु मंदिर 10वीं शताब्‍दी के दौरान बनाया गया था, यह विश्‍व का सबसे बड़ा धार्मिक गंतव्‍य है। रोम या मक्‍का धार्मिक स्‍थलों से भी बड़े इस स्‍थान पर प्रतिदिन औसतन 30 हजार श्रद्धालु आते हैं और लगभग 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति दिन चढ़ावा आता है।
सिक्‍ख धर्म का उद्भव पंजाब के पवित्र शहर अमृतसर में हुआ था। यहां प्रसिद्ध स्‍वर्ण मंदिर की स्‍थापना 1577 में गई थी।
वाराणसी, जिसे बनारस के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन शहर है जब भगवान बुद्ध ने 500 बी सी में यहां आगमन किया और यह आज विश्‍व का सबसे पुराना और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है।
भारत द्वारा श्रीलंका, तिब्‍बत, भूटान, अफगानिस्‍तान और बांग्‍लादेश के 3,00,000 से अधिक शरणार्थियों को सुरक्षा दी जाती है, जो धार्मिक और राजनैतिक अभियोजन के फलस्‍वरूप वहां से निकल गए हैं।
माननीय दलाई लामा तिब्‍बती बौद्ध धर्म के निर्वासित धार्मिक नेता है, जो उत्तरी भारत के धर्मशाला में अपने निर्वासन में रह रहे हैं।
युद्ध कलाओं का विकास सबसे पहले भारत में किया गया और ये बौद्ध धर्म प्रचारकों द्वारा पूरे एशिया में फैलाई गई।
योग कला का उद्भव भारत में हुआ है और यह 5,000 वर्ष से अधिक समय से मौजूद है।
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thegardendreamer · 2 years
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गणित का डर या परीक्षा का डर
गणित शिक्षण के मामले में सन् 1950 को एक कट-ऑफ पॉइंट माना जाता है। इसके पहले आम धारणा यही थी कि विभिन्न कलाओं की तरह गणित भी आपको या तो आती है या नहीं आती। बीच वालों के लिए यहां कोई जगह नहीं है। लेकिन 1950 के बाद से बच्चों में गणित के खौफ को लेकर कई खर्चीले अध्ययन किए गए। इस खोजबीन से समझदारी यह बनी कि ज्यादातर बच्चे असल में गणित से नहीं, गणित के टेस्ट से डरते हैं। यूं कहें कि टेस्ट से शुरू हुआ डर कुछ समय बाद गणित से डर में बदल जाता है।
कोई कह सकता है कि इम्तहान तो और विषयों के भी होते हैं, फिर यह दुर्घटना गणित के साथ ही भला क्यों? इसका एक सीधा जवाब यह है कि गणित में बीच के नंबर नहीं आते। 5 नंबर का सवाल है। सही निकल गया तो 5 नंबर मिलेंगे, गलत निकला तो 0। ऊंचे स्तर पर पहुंचकर कुछ नंबर स्टेप के भी मिल जाते हैं, पर ज्यादातर बच्चों के लिए वहां तक पहुंचने की नौबत ही नहीं आती। इसके अलावा इस सवाल का एक जवाब यह भी है कि गणित में चीजें आपस में काफी जुड़ी हुई होती हैं। जोड़ समझने में कुछ दिक्कत रह गई तो गुणा हरगिज समझ में नहीं आएगा और घटाने में कुछ पेच फंसा रह गया तो भाग सिर के ऊपर से निकल जाएगा।
ऐसे में एक बार परेशानी शुरू हो जाती है तो बच्चा सहज रूप में गणित से भागने लगता है। पिछला नहीं समझ में आया, अगला कैसे समझ पाऊंगा? पतली गली से निकल लेना ही बेहतर है। कन्नी कटाने की यह सोच उसको कई दूसरे मामलों में भी नुकसान पहुंचाती है। गणित के एक शौकिया शिक्षक के रूप में इस भय से निपटने के लिए मैं एक अदद ‘पंचसूत्री कार्यक्रम’ अपनाता रहा हूं और छात्रों को भी इसे अपनाने की सलाह देता आया हूं।
पहला, कॉन्सेप्ट के स्तर पर काम करना। छोटे बच्चे को जोड़ समझ में आना चाहिए। मान लीजिए, दूसरी क्लास में जोड़ पढ़ाया जा चुका है लेकिन बच्चा बिना जोड़ सीखे चौथी क्लास में पहुंच गया है। आप शुरुआत यहां से करें कि उसने पढ़ाई ही छोड़ दी है। कहीं मजूरी करके अपना पेट चला रहा है, या यूं ही मजे कर रहा है। तो भी जिंदगी के लिए एक जरूरी तकनीक के रूप में जोड़ तो उसे आना ही चाहिए।
उसके दाएं हाथ में पांच कंचे हैं और एक-एक करके छह कंचे उसे और पकड़ा दिए गए तो उसके दिमाग में सहज रूप में दर्ज होना चाहिए कि अब कुल ग्यारह कंचे उसके हाथ में हैं। घटाना, गुणा, भाग, सब कुछ उसको इसी तरह सिखाया जाना चाहिए। पिछला अगर दो साल पहले छूट गया तो भी वापस उसे सीख लेने में दो साल नहीं लगेंगे। छोटी सी बात है, दो दिन नहीं तो दो हफ्ते में सीख ही जाएगा।
यह बात इंटीग्रल कैलकुलस या बूलियन अलजेब्रा या किसी और ऊंचे गणित पर भी ज्यों की त्यों लागू होती है। कॉन्सेप्ट साफ होनी चाहिए और यह काम पूरे इत्मीनान से किया जाना चाहिए। किसी इम्तहान या घंटे-मिनट की बाध्यता से इसका कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। हां, किसी मैथमेटिकल कॉन्सेप्ट की आजमाइश के काम को कोई शिक्षक अगर अपने छात्र की रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़ सके तो इसे उसका कमाल समझा जाना चाहिए!
दूसरा मामला टेक्नीक का है। एक सवाल कई तरीकों से हल किया जा सकता है। इसका सबसे आसान और सीधा तरीका खोजने की लगन बच्चे में पैदा की जानी चाहिए। खोजने के लिए समय कम हो- अक्सर कम ही होता है- तो ऐसे तरीके अपनी ओर से सुझाए जाएं। तीसरी बात, कुछ चीजों पर याददाश्त के स्तर पर भी काम किया जाना चाहिए। लगभग हर विषय में काफी सारा कचरा याद करना बच्चों के रुटीन में शामिल होता है। गणित की जिस शाखा की पढ़ाई चल रही हो, कॉन्सेप्ट क्लियर हो, उसके फॉर्मूले और कुछ कठिन सवालों के स्टेप रट डालने में कोई हर्ज नहीं है।
अंतिम दोनों सूत्र अभ्यास से जुड़े हैं। चौथा- रोज थोड़ा वक्त गणित को दें। और पांचवां, परीक्षा से पहले दो-तीन पर्चे जरूर हल करें। जहां मामला फंसता दिखे, वहां कॉन्सेप्ट और टेक्नीक, दोनों रिवाइज करें। इसके बावजूद कहीं कुछ उलझाव लगे तो इम्तहान से पहले मन बना लें कि ऐसे सवालों पर सबसे बाद में हाथ लगाएंगे।
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abhay121996-blog · 3 years
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स्वतंत्रता दिवस के 75वें वर्ष में पहली बार विमान बसु ने माकपा कार्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराया Divya Sandesh
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स्वतंत्रता दिवस के 75वें वर्ष में पहली बार विमान बसु ने माकपा कार्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराया
कोलकाता। रविवार को 75वां स्वतंत्रता दिवस है। स्वतंत्रता दिवस पूरे देश मे मनाया जा रहा है। इस बार माकपा के अध्यक्ष बिमान बसु ने भी अलीमुद्दीन स्ट्रीट पर माकपा के राज्य कार्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराया है। इस मौके पर सुजन चक्रवर्ती, मोहम्मद सलीम जैसे माकपा के अन्य नेता भी उपस्थित थे। बिमान बसु ने दोपहर 12 बजे माकपा के राज्य कार्यालय मुजफ्फर अहमद भवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। रविवार को राज्य के माकपा नेतृत्व ने 75वें स्वतंत्रता दिवस पर पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराने का फैसला किया, हालांकि अभी तक अलीमुद्दीन में राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया गया है।
माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हमारे केंद्रीय समिति कार्यालय में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया है। विभिन्न राज्यों में माकपा की ओर से झंडे भी फहराए गए। हमारे राज्य में भी छात्र-युवा या पार्टी की शाखा समिति लंबे समय से इस तरह के कार्यक्रम करती आ रही है। स्वाभाविक रूप से, माकपा परंपरा को तोड़कर स्वतंत्रता दिवस मना रही है, ऐसा नही है पूरे देश में संविधान संकट में हैं। एकता को भंग करने की कोशिश की जा रही है। यह आजादी का 75वां साल है। इसलिए हमने तय किया है कि जहां झंडा फहराया जाता है वहां फहराया जाएगा और जहां नहीं फहराया जाता वहां भी फहराया जाएगा।
यह खबर भी पढ़ें: इस मंदिर में लोग भगवान को चढ़ाते हैं घड़ियां, वजह जानकर आप भी रह जाएंगें हैरान
लेकिन आज राष्ट्रीय ध्वज फहराने के दौरान माकपा नेता बिमान बसु झंडे को उल्टा ही फहराने जा रहे थे। हालांकि उस समय माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम की नजर पडते ही तुरंत राष्ट्रीय ध्वज सीधा किया गया उंसके बाद फहराया गया। इस संबंध में सुजन ने कहा कि यह बिल्कुल भी विचलित करने वाली बात नहीं है। यह बाएं हाथ की रस्सी के बजाय दाहिने हाथ की रस्सी को खींचने के कारण हो सकता है। लेकिन इसे तुरंत ठीक कर लिया गया। जब झंडा फहराया गया तो ठीक था। 
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satyam-mathematics · 3 years
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1.गणित में 5 सर्वश्रेष्ठ कैरियर के विकल्प (5 Best Career Options in Mathematics)-
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गणित में 5 सर्वश्रेष्ठ कैरियर के विकल्प (5 Best Career Options in Mathematics) के बारे में बताया जा रहा है।गणित विषय पर ��पकी अच्छी पकड़ है तो करियर में आपके लिए कई शानदार विकल्प मौजूद है।
गणित विषय को कठिन विषय समझा जाता है इसलिए बहुत से विद्यार्थी गणित से दूर भागते हैं।परंतु यदि प्रारंभ से ही गणित विषय को सही प्रकार से हैंडिल किया जाए तो आपकी गणित पर अच्छी पकड़ हो सकती है।
गणित विषय को मेधावी तथा कुशाग्र बुद्धि वाले छात्र तो अच्छी प्रकार हैंडिल कर लेते हैं और उनके लिए गणित में करियर के शानदार मौके उपलब्ध होते हैं।परंतु एक औसत विद्यार्थी पर शुरू से ही विशेष ध्यान दिया जाए और गाइड किया जाए तो उसकी भी धीरे-धीरे गणित पर अच्छी पकड़ हो जाती है।इस आर्टिकल में गणित में 5 सर्वश्रेष्ठ कैरियर के विकल्प (5 Best Career Options in Mathematics) के बारे में बताया जा रहा है जिनमें आप अपना करियर बना सकते हैं।
गणित विषय का अर्थ केवल जोड़ना,घटाना,गुणा करना और भाग देना नहीं है।इस विषय में उच्च शिक्षा लेकर आकर्षक क्षेत्रों में केरियर की अपार संभावनाएं हैं।
गणित विषय मनुष्य की ज्ञान की एक उपयोगी तथा आकर्षक शाखा है।इसमें अध्ययन के कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
भारत में प्राचीन काल से ही गणित की एक सुदृढ़ परंपरा रही है।प्राचीन काल के कई गणितज्ञों आर्यभट्ट,वराह मिहिर,महावीराचार्य,ब्रह्मगुप्त,श्रीधराचार्य इत्यादि ने तथा आधुनिक काल में डॉ गणेश प्रसाद,प्रोफ़ेसर बीएन प्रसाद,श्रीनिवास रामानुजन इत्यादि ने गणित की सुदृढ़ नींव रखी है।
यहां वर्तमान समय में गणित में विश्व स्तर के अनुसंधान करने वाले अनेक संस्थान है।
गणित में प्रतिभाशाली तथा रुचि रखने वाले बड़ी संख्या में युवा अपने कैरियर के रूप में चुनते हैं।
गणित लगभग सभी वैज्ञानिक अध्ययनों का एक अनिवार्य अंग है।
वैज्ञानिकों द्वारा गणित का उपयोग, प्रयोगों की रूपरेखा बनाने,सूचना का विश्लेषण करने,गणित के सिद्धांतों द्वारा अपने निष्कर्ष उचित रूप में व्यक्त करने तथा इन निष्कर्षों पर सटीक भविष्यवाणी करने में करते हैं।
खगोल विज्ञान,रसायन विज्ञान तथा भौतिक विज्ञान विषय तो पूर्णतः गणित पर आधारित हैं इसके अलावा सामाजिक विज्ञान,अर्थशास्त्र,सांख्यिकी,इंजीनियरिंग आदि भी गणित की शाखाओं पर ही आधारित है तथा इनमें गणित की गणनाओं का उपयोग किया जाता है।
Read More- 5 Best Career Options in Mathematics
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onlyhindinewstoday · 4 years
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Delhi Riots News: Crime Branch Interrogated Umar Khalid Jnu Former Student Umar Khalid For 6 Hours Regarding Delhi Violence - Delhi Riots: जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से छह घंटे पूछताछ, दिल्ली दंगों की साजिश रचने का है आरोप
Delhi Riots News: Crime Branch Interrogated Umar Khalid Jnu Former Student Umar Khalid For 6 Hours Regarding Delhi Violence – Delhi Riots: जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से छह घंटे पूछताछ, दिल्ली दंगों की साजिश रचने का है आरोप
दिल्ली दंगा: उमर खालिद – फोटो : अमर उजाला
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दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से बुधवार को करीब छह घंटे पूछताछ की। उस पर शाहीनबाग में बैठक कर दिल्ली दंगों की साजिश रचने का आरोप है। बैठक में आप से निलंबित पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन…
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jainyupdates · 4 years
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जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से छह घंटे पूछताछ, दिल्ली दंगों की साजिश रचने का है आरोप
जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से छह घंटे पूछताछ, दिल्ली दंगों की साजिश रचने का है आरोप
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दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से बुधवार को करीब छह घंटे पूछताछ की। उस पर शाहीनबाग में बैठक कर दिल्ली दंगों की साजिश रचने का आरोप है। बैठक में आप से निलंबित पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन भी शामिल हुए थे। 
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उमर खालिद ने पूछताछ में…
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kisansatta · 4 years
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योगी आदित्‍यनाथ अपने ही घर भिक्षा लेने पहुंच गए थे, भक्‍तों के बीच आज भी लोकप्रिय है ‘छोटे महाराज’
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लखनऊ. योगी आदित्यनाथ उत्तराखंड स्थित अपने पैतृक गांव पंचूर से गोरखपुर आए। वहीं, उनके पिता ने जब पहली बार बेटे को भगवा वेष में देखा तो वह चौंक गए और घर जाकर सबको पूरा वृतांत सुनाया । योगी आदित्‍यनाथ की मां को बेटे के संन्यासी बनने पर विश्वास नहीं हुआ और वह गोरखपुर जाने को तैयार हो गईं। पहली बार गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर पहुंचीं मां, बेटे योगी को संन्यासी वेष में देखकर फूट-फूट कर रोने लगीं। पीठाधीश्वर ने उन्हें समझाया, कहा कि योगी पर कोई प्रतिबंध नहीं है। वह जब चाहे, आप लोगों के पास जा सकते हैं। आप भी जब चाहे यहां आ सकती हैं, रह सकती हैं। आपका सदैव स्वागत है। मां को देख कर योगी भी भावुक जरूर हुए पर मन के ज्वार को रोके रखा। मंदिर से विदा करते समय उन्होंने मां से बोला, ‘छोटे परिवार से बड़े परिवार में मेरा एक संन्यासी के रूप में मिलन है। उसी रूप में जीवन जी रहा हूं।’ चार वर्ष बाद आदित्यनाथ ने संन्यासी के रूप में पंचूर की पहली यात्रा की। वह यात्रा परिवार को देखने के लिए नहीं, अपितु उन्हें एक संन्यासी जीवन का एक महत्वपूर्ण विधान पूरा करना था। वह था अपने माता पिता से संन्यासी के रूप में भिक्षा लेने का। माता पिता ने अपने संन्यासी पुत्र को यथोचित भिक्षा के रूप में चावल, फल, और सिक्के दिए।
इधर आदित्यनाथ का अब नया ठिकाना गोरखनाथ मंदिर हो गया था। वह अपन�� गुरुदेव की सेवा के साथ ही योग और आध्यात्म की शिक्षा लेने लगे थे। इसी बीच विद्यार्थी परिषद के दो कार्यकर्ता कामेश्वर सिंह व डॉ. प्रदीप राव अवेद्यनाथ से मिलने पहुंचे। उन लोगों ने बताया कि उनको विद्यार्थी परिषद के कोटद्वार शाखा के एक कार्यकर्ता रामस्नेही ने बताया कि अपना एक कार्यकर्ता गोरखनाथ मंदिर कुछ अध्ययन के लिए गया है। उनका सहयोग करने को कहा था, क्योंकि वह इस शहर के लिए नए हैं। उनके साथ ही अन्य लोग उनसे मिलने लगे। विभिन्न विषयों पर संवाद होने के साथ ही बैडमिंटन खेलने लगे। इस बीच योगी बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। नाथ पंथ की दीक्षा के लिए उन्हें तैयार किया जा रहा था। यह बात और थी कि छात्र जीवन से ही अनुशासित दिनचर्या का पालन करने की वजह से उनके लिए साधाना बहुत कठिन नहीं थी। संन्यासी जीवन में प्रवेश से पूर्व व्यक्ति को अपना अंतिम संस्कार करना पड़ता है। यह पूर्व जीवन से मुक्ति और नए जीवन का प्रतीक होता है। इसीलिए योगी राख का प्रयोग करते हैं। यह राख दुनिया के लिए मृत्य का प्रतीक होती है। राख शमशान का आधार होती है, यह संकेत देती है कि शरीर को अंतत: राख में बदल जाना है। इसका लक्षण है कि योगी ने सांसारिकता का त्याग कर दिया है। 14 जनवरी 1994 को उन्हें दीक्षा देकर तथा योगी की सभी क्रियाओं को पूरा कर योगी बनाया गया। अब वह योगी आदित्यनाथ बन गए। उनके वस्त्र आजीवन भगवा रहने वाले थे। भक्त वहीं से उन्हें छोटे महाराज की उपाधि देकर संबोधित करने लगे थे। धीरे धीरे उनकी ख्‍याति बढ़ती गई और आगे चलकर उन्‍हें गोरखनाथ मंदिर का सर्वेसर्वा नियुक्‍त कर दिया गया।
https://is.gd/Cee8j8 #IsStillPopularAmongTheDevotees, #YogiAdityanathHadComeToHisHomeToTakeAlms is still popular among the devotees., Yogi Adityanath had come to his home to take alms National, Religious, Top #National, #Religious, #Top KISAN SATTA - सच का संकल्प
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vsplusonline · 4 years
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RIMC 2020: राष्ट्रीय इंडियन मिल‍िट्री कॉलेज में दाख‍िला शुरू, पढ़ें डिटेल
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RIMC 2020: राष्ट्रीय इंडियन मिल‍िट्री कॉलेज में दाख‍िला शुरू, पढ़ें डिटेल
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जो छात्र 7वीं में हैं या पास कर चुके हैं, वो कर सकते हैं आवेदन
सालाना फीस 42 हजार 400 रुपये है, जमानत राश‍ि 20000 देनी होगी
जानिए कैसे करना है आवेदन, कैसे मिलेगा प्रॉस्पेक्टस, पूरी प्रोसेस
राष्ट्रीय इंडियन मिल‍िट्री कॉलेज (RIMC ) में जनवरी 2021 सत्र में प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं. जो छात्र 7वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण हैं या उसमें अध्ययन कर रहे हैं, वे इस कॉलेज में आवेदन करने के पात्र हैं. इसकी प्रवेश परीक्षा एक और दो जून को होगी. इसके बाद उम्मीदवारों का साक्षात्कार 6 अक्टूबर, 2020 को आयोजित किया जाएगा.
राष्ट्रीय इंडियन मिल‍िट्री कॉलेज, देहरादून ने जनवरी 2021 सत्र में प्रवेश के लिए ये आवेदन आमंत्रित किए हैं. इसकी प्रवेश परीक्षा 1 और 2 जून, 2020 को भारत के चुनिंदा केंद्रों पर आयोजित की जाएगी. इस परीक्षा में केवल लड़के ही प्रवेश के लिए पात्र हैं. परीक्षा में मेडिकल परीक्षा के बाद लिखित और वाइवा दोनों प्रकार के परीक्षण शामिल होंगे.
पढ़ें नोटिफिकेशन
इस परीक्षा के लिए पुराने प्रश्नपत्रों के सेट के साथ प्रोस्पेक्टस आप मंगा सकते हैं. इसके लिए कमांडेंट, राष्ट्रीय इंडियन मिल‍िट्री कॉलेज, देहरादून, उत्तराखंड, पिन 248 003″ पर स्पीड पोस्ट करके प्राप्त किया जा सकता है. इसके लिए आपको भारतीय स्टेट बैंक में देय “कमांडेंट, आरआईएमसी, देहरादून” के पक्ष में आय- जाति प्रमाण पत्र के साथ डिमांड ड्राफ्ट भेजना होगा. ये डिमांड ड्राफ्ट सामान्य उम्मीदवारों के लिए 600 रुपये और एससी एसटी उम्मीदवारों के लिए 555 रुपये का होगा. इसे भवन शाखा, देहरादून (कोड – 01576) या RIMC वेबसाइट – www.rimc.gov.in पर ऑनलाइन भुगतान करके भी पा सकते हैं.
परीक्षा पैटर्न:
लिखित परीक्षा में अंग्रेजी, गणित और सामान्य ज्ञान के तीन पेपर शामिल होंगे। परीक्षा का माध्यम गणित और जीके पेपर के लिए अंग्रेजी और हिंदी में होगा. जो लोग लिखित परीक्षा को पास करेंगे उन्हें साक्षात्कार के लिए उपस्थित होना होगा. उम्मीदवारों की बुद्धि और व्यक्तित्व का परीक्षण करने के लिए साक्षात्कार या वाइवा-वॉइस आयोजित किया जाएगा. साक्षात्कार 6 अक्टूबर, 2020 को आयोजित किया जाएगा. साक्षात्कार सहित प्रत्येक पेपर में न्यूनतम उत्तीर्ण अंक 50% होंगे.
आवेदन कैसे करें:
अभ्यर्थियों को अपना आवेदन पत्र दो पासपोर्ट साइज फोटो, अभ्यर्थी के निवास प्रमाण पत्र, नगर निगम / ग्राम पंचायत द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र, मूल रूप से स्कूल के प्रिंसिपल से एससी / एसटी प्रमाण पत्र के साथ भेजना होगा. साथ ही ये प्रूफ कि आवेदक किस कक्षा में पढ़ रहा है.
आयु सीमा:
आवेदक की उम्र साढ़े 11 साल से कम नहीं होनी चाहिए और 1 जनवरी 2021 तक 13 साल की उम्र नहीं होनी चाहिए. उम्मीदवार आधिकारिक सूचना वेबसाइट RIMC पर www.rimc.gov.in पर देख सकते हैं.
शुल्क:
यहां पढ़ाई के लिए वार्षिक शुल्क 42, 400 रुपये है. यह समय-समय पर बढ़ सकता है. प्रवेश के समय 20,000 रुपये की जमानत राशि दी जाएगी जो कि छात्रों द्वारा पास आउट होने पर वापस होगी.
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bipin0309 · 5 years
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#जन्मशताब्दी_के_अवसर_पर_शत_शत_वंदन। दत्तोपंत जी का संक्षिप्त परिचय महामानव का शब्दचित्र – डॉ. रणजीत सिंह प्रारम्भिक प्रसंग – राष्ट्र ऋषि श्रद्धेय श्री दत्तोपंत जी ठेंगड़ी का जन्म 10 नवम्बर, 1920 को, दीपावली के दिन, महाराष्ट्र के वर्धा जिला के आर्वी नामक ग्राम में हुआ। दत्तोपंत जी के पित्ताजी श्री बापूराव दाजीबा ठेंगड़ी, सुप्रसिद्ध अधिवक्ता थे, तथा माताजी, श्रीमति जानकी देवी, गंभीर आध्यात्मिक अभिरूची से सम्पन्न, साक्षात करूणामूर्ति, और भगवान दतात्रेय की परम भक्त थी। परिवार में एक छोटा भाई श्री नारायण ठेंगड़ी और एक छोटी बहन श्रीमति अनुसूया थी। श्रद्धेय दत्तोपंत जी की 11वीं तक की शिक्षा, आर्वी म्युनिशिपल हाई स्कूल में सम्पन्न हुई। बाल्यकाल से ही, उनकी मेधावी प्रतिभा तथा नेतृत्व क्षमता की चर्चा सब ओर थी। 15 वर्ष की अल्पायु में ही, आप आर्वी तालुका की ‘‘वानर सेना’’ के अध्यक्ष बने। अगले वर्ष, म्युनिशिपल हाई स्कूल आर्वी के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये। 1936 में, नागपुर के ‘‘मौरिस कॉलेज’’ में दाखिला लेकर अपनी स्नातक की पढाई पूरी की और फिर, नागपुर के लॉ कॉलेज से, एल. एल. बी. की उपाधि प्राप्त की। मौरिस कॉलेज में अध्ययन के दौरान, आप सन् 1936-38 तक क्रान्तिकारी संगठन ‘‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन असोसियेसन’’ से सम्बन्ध रहे। संघ से संपर्क श्रद्धेय दत्तोपंत जी ठेंगड़ी अपने बाल्यकाल से ही, संघ शाखा में जाया करते थे। दिसम्बर, 1934 के वर्धा जिले के शीत शिविर में पहली बार परम पूज्य डॉक्टरजी के दर्शन किये और उनका उद्बोधन सुनने का सौभाग्य मिला। हालांकी वह अनियमित स्वयंसेवक थे, फिर भी नागपुर आने के बाद अपने सहपाठी और मुख्य शिक्षक श्री मोरोपंत जी पिंगले के सानिध्य में, दत्तोपंत जी ने, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्गों का तृतीय वर्ष तक का शिक्षण क्रम पूरा किया। 1936 से नागपुर में अध्यनरत रहने तथा माननीय मोरोपंत जी से मित्रता के कारण दत्तोपंत जी को परम पूजनीय डॉक्टर जी को प्रत्यक्ष देखने, सुनने का अनेक बार सौभाग्य प्राप्त हुआ। आगे चलकर परम पूजनीय श्री गुरूजी का अगाध स्नेह और सतत मार्गदर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। प्रचारक जीवन का प्रारम्भ दिनांक 22 मार्च 1942 को संघ के प्रचारक का चुनौती भरा दायित्व स्वीकार कर आप सुदूर केरल प्रान्त में संघ का विस्तार करने के लिए ‘‘कालीकट’’ (Kozhikode) पहुंचे। 1942 से 1945 तक रा. स्व. संघ प्रचारक के नाते यशस्वी कार्य खड़ा करने के साथ ही, 1945 से 1947 तक, कलकत्ता में, संघ के प्रचारक के नाते, तथा 1948 स https://www.instagram.com/p/B4rYvL2AHB8/?igshid=1wckvg38vukyk
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technewscdd · 4 years
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Ek IAS Adhikaari ki Jeevan Shaili - एक आईएएस अधिकारी की जीवन शैली
एक आईएएस अधिकारी
सुबह जल्दी उठें।
कार्यालय पहुँचें।
कुछ कार्यस्थल कार्य करें, जैसे दर्जनों फाइलों पर हस्ताक्षर आदि।
थोड़ा ब्रेक लें। कुछ खा लो।
बाहर जाएं, आम तौर पर अपनी समस्याओं पर ध्यान देने के लिए एक गांव में जाते हैं, जिसे वे पहले से ही जानते हैं। कुछ बस औपचारिकता के लिए जाते हैं। ग्रामीणों से पत्र प्राप्त करें। और फिर वहां कुछ समय बिताने के बाद भाग जाते हैं।
दोपहर का भोजन अपने कार्यस्थल या घर दोनों पर प्राप्त करें।
कुछ कॉलेज, अस्पताल में बैठकों / निरीक्षण के लिए जाएं। ज्यादातर समय किसी दिए गए दिन में किया जाता है। (मेलों के दिनों में, अलग-अलग मौकों पर, बहुत सारे सम्मेलन और चर्चाएँ होती हैं, जिनमें उन्हें भाग लेना पड़ता है-जैसे पुलिस शाखा को इन दिनों अधिक गंभीर होना पड़ता है)
Ek IAS Adhikaari ki Jeevan Shaili
जल्दी ब्रेक के बाद। घर आ जाओ।
खाली समय में, कुछ लोग ई बुक लिखते हैं या टेनिस खेलते हैं, न कि क्रिकेट के कारण इस तथ्य के लिए 12 लोगों की आवश्यकता होती है, कुछ व्यायाम करते हैं, और कुछ कुछ अलग काम करते हैं।
आमतौर पर उनकी जीवन शैली सुविधाजनक होती है अगर हम बाहर से दिखते हैं। केवल कठिन (इतना कठिन नहीं है जितना कि मानव सोचता है-किसी भी अलग राष्ट्र या संयुक्त राज्य की डिग्री परीक्षा की तरह) पहलू को प्रतिस्पर्धा के तथ्य के कारण यूपीएससी एक्जाम में प्रवेश मिल रहा है। इस पद के लिए 10 लाख लोग अभ्यास करते हैं, 5 लाख परीक्षा केंद्र में नहीं जाते हैं, और अंतिम 5 लाख में केवल 900-1000 कॉलेज के छात्र चयनित होते हैं, और केवल 100-150 में IAS पद प्राप्त करते हैं।
उनके काम का समय सुबह 9 बजे है। रविवार, शनिवार की छुट्टी। लेकिन हर बार अक्सर उनके पास कुछ आक्रामक समय अनुसूची होती है। वे रविवार और रविवार को भी रात 10 बजे या सुबह 6 बजे कॉल कर सकते हैं और उन्हें काम करने के लिए खुद पर दबाव डालना होगा।
ज्यादातर उनकी नौकरी प्रबंधकीय और प्रबंधन से संबंधित सामान है। कोई तकनीकी नहीं। वे किसी भी विदेशी विश्वविद्यालय में 3 से 4 साल के लिए सरकार के उपयोग से वित्त पोषित होने के बारे में सीख सकते हैं।
जबकि IRS जैसे केंद्रीय वाहक अधिकारियों का घरेलू अस्तित्व भी सामान्य हो सकता है, लेकिन IAS और IPS की जीवनशैली प्रारंभिक वर्षों में काफी कठिन होती है जब आप एक जिले की कमान संभाल रहे होते हैं। एक आईएएस अधिकारी की जीवन शैली भारत में अधिकांश जिले आपके बच्चों के लिए पहले दर्जे के कॉलेज के साथ बहुत पीछे हैं। आप दिन में 12 घंटे काम कर रहे हैं और शायद ही कभी परिवार के लिए समय हो। आप अतिरिक्त रूप से इतने सारे शत्रु बनाते हैं (क्योंकि आपके पास इतने भ्रष्ट लोग हैं), यदि आप एक सीधे और ईमानदार अधिकारी हैं (जो कि हमारी ज़रूरतें हैं) और आप घरवालों को लगातार अपनी सुरक्षा और खुद के बारे में डर रहे हैं।
आप आमतौर पर दुश्मन बनाते हैं। यदि आप भ्रष्ट हो जाते हैं, तो उचित लोग आपके दुश्मन बन जाते हैं और यदि आप अच्छे बनते हैं, तो भयानक लोग आपके दुश्मन बन जाएंगे।
ये केवल मेरे विचार हैं और मैं टिप्पणियों से क्या समझती हूं। मैं अब सभी लोगों को इस काम के लिए अभ्यास नहीं करने के लिए हतोत्साहित कर रहा हूं। हर काम में कुछ निष्पादन और विपक्ष होता है। एक आईएएस अधिकारी की जीवन शैलीये नागरिक प्रसाद के कुछ बुरे पहलू हैं जो शायद ही अधिकांश प्रवेशकों के लिए स्वीकार किए जाते हैं।
उनका अस्तित्व किसी भी स्कूल के प्रिंसिपल की तरह है। अपने बचपन के कॉलेज के प्रमुख को याद करें, जिन्हें आप केवल एक ही तरह की गतिविधियों जैसे 26 जनवरी, 15 अगस्त, शिक्षक दिवस, आदि में देखते हैं।
राजनेता उनके मालिक हैं (जो पदानुक्रम है)। यहां परिदृश्य सिविल सेवकों की तरह है, फिल्म प्रशासक की तरह हैं और राजनेता फिल्म निर्माताओं की तरह हैं। लेकिन फिल्म प्रशासक फिल्म की सफलता में मुख्य भूमिका निभाते हैं। मूल रूप से वे इंजन के खंड होते हैं जो सरकार चलाते हैं (जो अनिवार्य रूप से किसी गैर-सार्वजनिक कंपनी के सीईओ या सीटीओ के रूप में संभाला जा सकता है)।
हमारे बॉलीवुड के तथ्य के कारण भारत में IAS और IPS बनने का क्रेज है और मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय सिनेमा के चरित्र (IAS, IPS) को प्रदर्शित करने का ग्लैमराइज्ड तरीका है और भारत में सिनेमा का प्रभाव बहुत बड़ा है। लोग अलग-अलग फिल्म रिलीज के दिन का आनंद लेते हैं।
यह रेलवे इंजीनियर (IES अधिकारी) की तरह किसी भी अलग ग्रुप-ए के अधिकारियों की नौकरी है। आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, आईएफएस और इसके बाद समाज के लिए काम बंद है जो यह नहीं बताता है कि वे विभिन्न नौकरियों की तुलना में सबसे आगे हैं। यह परीक्षा है जिसमें इतिहास, भूगोल, मानविकी, सामाजिक अध्ययन, राजनीति विज्ञान आदि जैसे कलाकृति विषयों के लिए पाठ्यक्रम है। एक आईएएस अधिकारी की जीवन शैली लेकिन किसी भी स्नातक को इस नौकरी के लिए अनुसरण करने की स्वतंत्रता है। लेकिन IAS, IPS का मूल सामाजिक विज्ञान विषय है, यह अब हर किसी के लिए नहीं है, यदि आप स्नातक स्तर की अवधि के लिए इन विषयों में शिक्षित हैं, तो आप किसी भी इंजीनियर या मेडिकल डॉक्टर या वकील से अधिक योग्य हैं। आप यहां कट्टर इंजीनियरिंग, अनुसंधान, चिकित्सा विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान, कॉर्पोरेट प्रबंधन, बैंकिंग और इतने पर नहीं मान सकते। यह प्रत्यक्ष सामाजिक सेवा पर अधिक है, यदि आप लोगों की सेवा नहीं कर सकते, तो नहीं करें
यह प्रत्यक्ष सामाजिक सेवा पर अधिक है, यदि आप लोगों की सेवा नहीं कर सकते हैं, तो केवल नौकरी पाने के लिए, IAS में बदलकर उन्हें बेवकूफ नहीं बनाते हैं। एक आईएएस अधिकारी की जीवन शैली यदि आप लोगों के दर्द के प्रति थोड़ी संवेदनशीलता रखते हैं, तो आप इस नौकरी के लिए न्याय नहीं कर सकते, कोई भरोसा नहीं कर सकता कि आप कितने चतुर हैं, कोई भरोसा नहीं यदि आप AIR 1 या एक हजार प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन अब एक दिन हम सभी को लागू हो रहा है, इस तथ्य के कारण वे यह मानते हैं कि यह प्रथम श्रेणी का काम है, उन्हें जीवन की आपूर्ति करेगा, कृपया केवल अपने लोभी स्वभाव के तथ्य के कारण अक्सर मनुष्यों को बेवकूफ न बनाएं।
इससे पहले, 70-80 साल पहले, आईएएस अधिकारी (उनमें से कुछ अंगरेज भी र��े हैं) केवल कर के शीर्षक में नकदी इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल करते थे, और वे लोगों और किसानों की खोज के माध्यम से वास्तविक से अधिक कर जमा करते थे। लेकिन अब परिदृश्य बदल गया है, हालांकि कुछ लोग इसे भ्रष्टाचार के आकार में कर रहे हैं (यह है कि उन्हें पहचान कलेक्टर कैसे मिलता है)।
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abhay121996-blog · 3 years
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युवा अकाली दल नेता विक्की मिद्दुखेड़ा की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या Divya Sandesh
#Divyasandesh
युवा अकाली दल नेता विक्की मिद्दुखेड़ा की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या
मोहाली। युवा अकाली दल के नेता विक्की मिद्दुखेड़ा की शनिवार को मोहाली में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। मटौर बाजार में सुबह करीब साढ़े दस बजे चार हथियारबंद लोगों ने युवक को करीब 10 गोलियां मारी और मौके से फरार हो गए।
युवा नेता ने मौके से भागने की कोशिश की लेकिन हमलावरों ने उन पर और गोलियां चला दीं। मामले के प्रकाश में आने के बाद मौके पर एसएसपी सतिंदर सिंह और डीएसपी पहुँचे और उन्होंने घटना का जायज़ा लिया। 
मिद्दुखेड़ा मटौर के बाजार में एक संपत्ति सलाहकार के कार्यालय के पास एसयूवी में अपने दोस्त से मिलने आया था।घटना के बाद उन्हें पीसीआर वैन में अस्पताल ले जाया गया। घटनास्थल से खाली खोखा बरामद किया गया है। पुलिस इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है।
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मिड्दुखेड़ा एक छात्र नेता थे और कभी पंजाब विश्वविद्यालय (SOPU) चंडीगढ़ के छात्र संगठन के अध्यक्ष थे। बाद में, वह SAD की छात्र शाखा स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया (SOI) में शामिल हो गए।
बता जा रहा है की विक्की की युवाओं के बीच व्यापक अपील के बाद SAD प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने उन्हें SOI की चंडीगढ़ इकाई का अध्यक्ष बनाया था। उन्होंने पंजाब में विधानसभा और संसदीय चुनावों में SAD के लिए सक्रिय रूप से प्रचार किया था।
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अपने कॉलेज के दिनों से ही उन्हें ट्राइसिटी में छात्रों और युवाओं के बीच विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए जाना जाता था। विक्की मिद्दुखेड़ा की दो साल पहले शादी हुई थी और वह कुछ पंजाबी गायकों के अलावा पंजाब और हरियाणा के कई विधायकों के भी करीब माने जाते थे। घटना के बाद एसएडी के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया और प्रशासन से आरोपीयों की गिरफ़्तारी की माँग की। पुलिस मामले की जाँच कर रही है।
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theambuj · 4 years
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भारत में इतने सारे अनाधिकृत महाविद्यालय और विश्वविद्यालय हैं अथवा दोयम तथा तृतीय दर्जे के शिक्षण संस्थान हैं कि आप गिनती नहीं लगा सकते,,,,अब इसका मुख्य कारण है कि यहां सरकारी शिक्षण संस्थानों में संसाधनों की कमी,,,, कार्ययोजना में असफलता तथा सरकार का शिक्षा के उपर अल्प वित्तीय व्यय। उसके साथ साथ वैश्विक शिक्षण संस्थानों को इंडिया में अपनी शाखा खोलने पर रोक (जिसे इस नई शिक्षा नीति में बदलाव कर मंजूरी दी गई)। इसके चलते घटिया से घटिया शिक्षण संस्थानों की बाढ़ आ गई,,,शिक्षा माफिया प्लस पालिटिसयन का गठजोड़,,,,,चमक दमक के बीच में पूरी तरह समझौता शिक्षा के पवित्रता तथा अन्य मानकों से। इसके दुष्परिणाम तो बस पूछिए मत,,,,,मार्क्स के पीछे भागते हमारे नवनिहाल,,,, शिक्षकों के नाम पर घटिया संस्थानों से निकले मूर्ख। स्थिति ऐसी हो गई है कि मजाक में अब कहा जाने लगा कि एक पत्थर उठाकर मारो तो किसी ना किसी PH.D Holder को जाकर लगेगा। Research के नाम पर नकल और चोरी से Thesis लिखने वालों की भीड़ ,,,जिनका अपने विषय,,,,समाज और राष्ट्र के प्रति कोई भी Value addition नहीं है,,,,,यूं कहिए कि अभिशाप हैं ये।
नई शिक्षा नीति हो अथवा कुछ भी,, देखिए यह इतना जटिल मुद्दा है कि इसमें सहभागिता के बिना कुछ हो ही नहीं सकता ,,,और वो भी Multiple levels पर,,,,,,जिसकी शुरुआत सरकार से हो,,,,, जहां वित्त एवं उसकी कार्यप्रणाली एकरुपता में हो,,,,, ज्यादा से ज्यादा केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना और विदेशी सहभागिता के साथ PPP माडल पर। जिससे कि बाहर के शिक्षक यहां पर पढ़ाने आयेंगे,,,,, गुणवत्ता में सुधार होगा,,,, पुराने रिटायर्ड शिक्षकों को मौका मिले,,,,यहां से अगर गुणवत्ता वाले उत्पाद निकलेंगे तो वहीं एक कुशल शिक्षक का दायित्व निभायेंगे आगे चलकर। Primary till higher secondary education का पूरा ���्रारुप छात्रों के संदर्भ में मानसिक तौर पर बदल दिया जाए। इसका फल यह मिलेगा कि मार्क्स और ग्रेडिंग सिस्टम के पीछे भागने वाले मनोरोगी बालक एक स्वस्थ एवं विकसित मानस पटल के साथ आगे बढ़ेंगे। Kindly remember ,,when you will live, think and work with a healthy and Agile mindset ,,your efficiency and effectiveness will million times better than a complex mindset carrying human....इस काम में सबसे बड़ी भूमिका होगी माता पिता की जिनको 90% से नीचे लाने वाला खुद का बच्चा भी रास नहीं आता। इन फैक्ट,,, बच्चों से बड़े मनोरोगी मां बाप हो चुके हैं,, वर्तमान माहौल में। इसलिए मां बाप की Counseling बहुत जरूरी है,, उसके बच्चे से भी ज्यादा।
दो और चीजें ,,,,,,,शिक्षा प्रणाली में क्षेत्रीय भाषा को शामिल करना अच्छी पहल है पर क्या यह व्यावहारिक है??? हम इंग्लिश का कोई विकल्प खोज पाए हैं क्या???? चीन ने जरुर अपने बढ़ते आर्थिक प्रभुत्व के साथ यह सुनिश्चित किया कि विश्व की बड़ी यूनिवर्सिटीज में मंदारिन एक मुख्य विषय हो तथा चीन में सारा काम अपनी भाषा में हो। हम यहां इस मामले में वास्तविकता से कोसों दूर हैं,,, इसलिए यह कहीं वामपंथ का बंगाल माडल ना हो जाए,,इसका डर है। Rest let's c how well the government can plan 😊। इक अति आवश्यक कार्यवाही जो होनी चाहिए वह है तकनीक का प्रचार प्रसार। और इसे कारपोरेट जगत के साथ में लाकर करना होगा। E-education की बढ़ती मांग को देखते हुए आज गांव गांव ,,कस्बे कस्बे में इंटरनेट सुविधा (With Speed) अतिआवश्यक है। इससे हर स्तर पर जागरूकता पैदा होगी,,,छात्र,,,,शिक्षक तथा गार्जियन। स्कूलों का डिजिटलीकरण होगा,,,, प्रभावशाली युवा शिक्षण को अपनायेंगे और याद रखिए ,,,भारत के सर्वश्रेष्ठ दिमाग और प्रतिभा जो आज भी गांव और कस्बों में निवास करती है ,,वह विश्व स्तर पर उभर कर सामने आयेगी। इससे हर स्तर पर रोजगार और creativity को बल मिलेगा जिसे वर्तमान शिक्षा प्रणाली धीमे जहर की तरह खत्म कर रही है।
बाकी हजारों चीज़े हैं ,,,मोरल एजुकेशन से लेकर बहुत कुछ,,जिसका एक ही हल है,,,सनातन संस्कार एवं परंपरा बालपन से ही।एक छात्र के अंदर टल रहे हजारों कुरीतियों का एक ही राम बाण है ये। तदोपरांत तो इस देश में सरकारी सिस्टम है,,,लोग हैं देखिए अपनी कार्ययोजना तथा कार्यकुशलता से इसे कहां तक लेकर जाते हैं।
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