Tumgik
#क्या कुछ ज़्यादा ही मांग लिया क्या
shyam-kariya · 2 months
Text
i want a soft connection.
i want to be asked how my day went and if i need anything. i want forehead kisses. i want the back of my hand kissed at red lights. i want to be asked how i'm mentally feeling. i want to hold hands everywhere we go. i want romantic gestures. i want my hair played in at the most unexpected moments. i want silent eye connections that lead to smiles. i want to take random walks.
Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media
65 notes · View notes
questbhakti · 1 year
Text
विष्णु जी का कौन सा अवतार सर्वश्रेष्ठ माना गया है|
भगवान् विष्णु ने हर युग में कुल मिला के पृथ्वी पर 10 अवतार लिए है। पर क्या आप जानते है सारे अवतारों में से प्रभु श्री राम और श्री कृष्णा की ही सबसे ज़्यादा पूजा क्यों की जाती है? भगवान् विष्णु ने परिस्थिति, युग और स्तिथियों के हिसाब से अवतार लिए है हर अवतार में कुछ कलाएं अर्थात गुण होते है यह कलाएं १६ प्रकार की होती है और विष्णु जी ने आवश्यकता अनुसार हर अवतार में कलाओं को धारण किआ है। त्रेता युग में धर्म ३ होना और अधर्म 1 गुना था और समय की मांग थी संसार को राक्षसों और रावण से मुक्त करना। रावण को वरदान था की कोई भी देवता या भगवन उसे नहीं मार सकते इसलिए विष्णु जी ने मानव रूप में प्रभु श्री राम का अवतार लिया और रावण का वध किया। इसके लिए केवल १२ कलाओं की आवश्यता थी परन्तु द्वापर युग में धर्म और अधर्म बराबरी पर थे और धर्म की जीत के लिए भगवन विष्णु को समपूर्ण १६ कलाओं के साथ श्री कृष्णा के रूप में अवतरित होना पड़ा। जहाँ प्रभु श्री राम को मानव की मर्यादा में रह कर कार्य करते थे वह श्री कृष्णा को मर्यादा के परे चतुराई और राजनीती से काम करना था इसलिए उनमे ४ कलाएं ज़्यादा थी। इसीलिए ये दो अवतार सबसे ज़्यादा पूजे जाते है
0 notes
insider-news-blog · 5 years
Text
क्या सरदार पटेल कश्मीर पाकिस्तान को देने को राज़ी थे ?
कश्मीर के भारत में विलय पर सरदार पटेल के विचारों के बारे में भारत प्रशासित कश्मीर के कांग्रेसी नेता सैफ़ुद्दीन सोज़ की टिप्पणी से विवाद पैदा हुआ है.
सोज़ का कहना था कि अगर पाकिस्तान भारत को हैदराबाद देने के लिए तैयार होता, तब सरदार पटेल को भी पाकिस्तान को कश्मीर देने में कोई दिक़्क़त नहीं होती.
सोज़ ने ये दावा अपनी किताब 'कश्मीर: ग्लिम्प्स ऑफ़ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ़ स्ट्रगल' में किया है. इस किताब में बंटवारे की बहुत सी घटनाओं का उल्लेख किया गया है.
लेकिन क्या सरदार पटेल का वास्तव में कश्मीर पाकिस्तान को देने का विचार था?
                        क्या सोज़ के दावे में कोई सच्चाई है?
सोज़ अपनी किताब में लिखते हैं, पाकिस्तान के 'कश्मीर ऑपरेशन' के इंचार्ज सरदार हयात ख़ान को लॉर्ड माउंटबेटन ने सरदार का प्रस्ताव पेश किया.
प्रस्ताव के अनुसार, सरदार पटेल की शर्त थी कि अगर पाकिस्तान हैदराबाद दक्कन को छोड़ने के लिए तैयार है तो भारत भी कश्मीर पाकिस्तान को देने के लिए तैयार है. (पेज 199, कश्मीर: ग्लिम्प्स ऑफ़ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ़ स्ट्रगल)
हयात ने इस संदेश को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान तक पहुँचाया.
तब प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान ने कहा, "मैं पागल नहीं हूं कि कश्मीर और उसके पत्थरों के लिए एक ऐसे क्षेत्र (हैदराबाद) को जाने दूं जो पंजाब से भी ज़्यादा बड़ा है."
सरदार कश्मीर देने को राज़ी थे
सोज़ ने अपनी किताब में कश्मीर और इसके इतिहास के विशेषज्ञ ए.जी. नूरानी के एक लेख का भी ज़िक्र किया है.
इस लेख का नाम 'अ टेल ऑफ़ टू स्टोरीज़' है जिसका ज़िक्र करते हुए लिखा गया है: 1972 में एक आदिवासी पंचायत में पाकिस्तान के राष्ट्रपति ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने कहा था कि सरदार जूनागढ़ और हैदराबाद के बदले में कश्मीर देने को तैयार थे. (पेज 199, कश्मीर: ग्लिम्प्स ऑफ़ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ़ स्ट्रगल)
भारत के पूर्व गृह सचिव और सरदार के क़रीबी सहयोगी रहे वी.पी. मेनन ने भी कहा था कि शुरुआत में सरदार कश्मीर को पाकिस्तान देने को राज़ी थे.
मेनन अपनी किताब 'इंटिग्रेशन ऑफ़ द इंडियन स्टेट' में लिखते हैं, तीन जून 1947 को रियासतों को यह विकल्प दिया गया था कि वह चाहें तो पाकिस्तान के साथ विलय कर सकते हैं या भारत के साथ.
कश्मीर एक ऐसा मुस्लिम बहुल प्रांत था जिस पर हिंदू राजा हरि सिंह का शासन था. साफ़तौर पर हरि सिंह के लिए किसी को चुनना आसान नहीं था.
इस मामले को सुलझाने के लिए लॉर्ड माउंटबेटन ने महाराजा हरि सिंह के साथ चार दिन बिताए थे.
लॉर्ड माउंटबेटन ने महाराजा से कहा था कि सरदार पाकिस्तान के साथ जाने के कश्मीर के फ़ैसले का विरोध नहीं करेंगे. (पेज 394, इंटिग्रेशन ऑफ़ द इंडियन स्टेट)
गुहा ने भी दावे पर हामी भरी
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने सोज़ की किताब के दावों पर सहमति जताई है.
ट्विटर पर गुहा ने लिखा: कश्मीर पाकिस्तान को देने को लेकर पटेल को कोई दिक़्क़त नहीं थी.
गुहा इसमें जोड़ते हुए कहते हैं कि सरदार की आत्मकथा में राजमोहन गांधी ने भी इसका ज़िक्र किया है.
राजमोहन गांधी अपनी किताब 'पटेल: अ लाइफ़' में लिखते हैं, 13 सितंबर 1947 तक पटेल के कश्मीर को लेकर अलग विचार थे.
सरदार ने भारत के पहले रक्षा मंत्री बलदेव सिंह को लिखे पत्र में भी कुछ ऐसा ही लिखा है. वह अपने पत्र में लिखते हैं कि कश्मीर अगर किसी दूसरे राष्ट्र का शासन अपनाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.
राजमोहन गांधी अपनी किताब में लिखते हैं, जब पाकिस्तान ने जूनागढ़ के नवाब के विलय के निवेदन को स्वीकार कर लिया केवल तभी कश्मीर को लेकर सरदार के विचार में बदलाव आया.
 'आप पाकिस्तान नहीं जा रहे'
सरदार के बदले विचार पर भी राजमोहन गांधी लिखते हैं.
"26 अक्तूबर 1947 को नेहरू के घर पर एक बैठक हुई थी. कश्मीर के दीवान मेहर चंद महाजन ने भारतीय सेना की मदद के लिए कहा था.
महाजन ने यह भी कहा कि अगर भारत इस मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है तब कश्मीर जिन्ना से मदद के लिए कहेगा.
नेहरू यह सुनकर गुस्से में आ गए और उन्होंने महाजन को चले जाने को कहा.
उस वक़्त सरदार ने महाजन को रोका और कहा, "महाजन, आप पाकिस्तान नहीं जा रहे हैं." (पेज 439, पटेल: अ लाइफ़)
गुजराती भाषा में सरदार पटेल पर 'सरदार: साचो मानस साची वात' लिखने वालीं उर्विश कोठारी ने बीबीसी से बात की.
उन्होंने कहा, "रजवाड़ों के विलय के दौरान सरदार कश्मीर का भारत का अंग बनने को लेकर ज़्यादा गंभीर नहीं थे."
उर्विश कहते हैं, "इसकी मुख्यतः दो वजहें थीं. पहली उस राज्य का भूगोल और दूसरा राज्य की आबादी."
उर्विश कोठारी ने विस्तार से कहा, "इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि कश्मीर एक सीमाई राज्य था और उसकी अधिकतर जनसंख्या मुसलमान थी. इसी कारण सरदार कश्मीर का भारत में विलय करने को लेकर ज़्यादा हठी नहीं थे लेकिन नेहरू जो ख़ुद कश्मीरी थे वह कश्मीर को भारत में चाहते थे."
  जूनागढ़ विवाद शुरू हुआ
उर्विश कोठारी ने कहा, "कश्मीर के दोनों प्रतिष्ठित नेता महाराजा हरि सिंह और शेख़ अब्दुल्ला नेहरू के दोस्त थे. कश्मीर को लेकर नेहरू के नरम रुख़ का एक यह भी कारण था. उसी समय जूनागढ़ विवाद शुरू हुआ और सरदार कश्मीर मसले में दाख़िल हुए. इसके बाद सरदार ने बिलकुल साफ़तौर पर कहा कि कश्मीर भारत के साथ रहेगा."
वरिष्ठ पत्रकार हरि देसाई कहते हैं, "शुरुआती दिनों में कश्मीर के पाकिस्तान में जाने से सरदार को कोई समस्या नहीं थी. बहुत से दस्तावेज़ों में यह है भी. जून 1947 में सरदार ने कश्मीर के महाराजा को भरोसा दिलाया था कि कश्मीर के पाकिस्तान में विलय पर भारत आपत्ति नहीं करेगा, लेकिन महाराजा को 15 अगस्त से पहले फ़ैसला लेना होगा."
 उर्विश कोठारी कहते हैं, "हमारे पास दस्तावेज़ हैं जो उन ऐतिहासिक घटनाओं और फ़ैसलों को दर्शाते हैं लेकिन वे फ़ैसले उस विशेष स्थिति में लिए गए थे. राजनेता अपने एजेंडे के लिए उन ऐतिहासिक घटनाओं का केवल आधा सच ही दिखाते हैं. हम निश्चित त���र पर नेहरू या सरदार लिए गए फ़ैसलों का विश्लेषण कर सकते हैं लेकिन हमें उनके इरादों पर शक नहीं करना चाहिए."
1 note · View note
abhinews · 3 years
Text
लखीमपुर खीरी मामले में कब, कैसे, क्या हुआ, पढ़े पूरी टाइमलाइन
Tumblr media
लखीमपुर खीरी मामले में कब, कैसे, क्या हुआ, पढ़े पूरी टाइमलाइन
लखीमपुर खीरी /संवाददाता/ हर्ष श्रीवास्तव : लखीमपुर खीरी मामले में कब, कैसे, क्या हुआ, पढ़े पूरी टाइमलाइन |उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में बीते रविवार को किसानों की गाड़ी से कुचलकर हत्या कर दी गयी जिसमे बड़ी बात रही बीजेपी के गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे के नाम आना। लखीमपुर ज़िला मुख्यालय से क़रीब 75 किलोमीट दूर नेपाल की सीमा से सटे तिकुनिया गाँव में हुई हिंसा और आगज़नी में अब तक आठ लोगों की मौत हो गई है।  इनमें चार किसान और चार अन्य लोग शामिल हैं। इनके अलावा 12 से 15 लोग घायल भी हैं। मरने वाले किसानों में दलजीत सिंह (35), गुरवेंद्र सिंह (18), लवप्रीत सिंह (20) और नक्षत्र सिंह (55) शामिल हैं। आपको बता दें कि यहां विरोध कर रहे किसानों को जीप से कुचला गया था। जिसमे 04 किसानों की मौत हो गयी थी। माना जा रहा है कि इस गाड़ी को गृह राज्य मंत्री का बेटा आशीष मिश्रा ही चला रहा था। शनिवार को आशीष मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया। जब मजिस्ट्रेट के सामने पेशी हुई तो पुलिस ने इनकी कस्टडी मांगी थी, लेकिन मजिस्ट्रेट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया। लखीमपुर में 03 अक्टूबर को हिंसा के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 12 घंटे की पूछताछ के बाद शनिवार रात आशीष मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया था। फिर उसे एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। हिंसा में 04 किसान और एक पत्रकार समेत आठ लोगों की मौत हुई थी।   लखीमपुर खीरी मामले में कब, कैसे, क्या हुआ, पढ़े पूरी टाइमलाइन शुरू से अभी तक की किसानों की हत्या के बाद देश भर में भरी आक्रोश किसानों को न्याय, गृह राज्य मंत्री की बर्खास्तगी को लेकर भारतीय युवा कांग्रेस ने निकाला मशाल आक्रोश जुलूस, इस दौरान सैंकड़ो कांग्रेस कार्यकर्ता मशाल लेकर और हाथों में तख्ती लेकर सरकार के खिलाफ नाराजगी जताते हुए नजर आए। भारतीय युवा कांग्रेस ने मांग रखी  कि, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को तुरंत बर्खास्त किया जाए। भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी वी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार की नीति अन्नदाता को थकाने और परेशान करने की है, यह एक ऐसी रणनीति है जो विफल हो चुकी है। देश का अन्नदाता भी भाजपाई नीति और हथकंडों को समझ रहा है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों की अक्षम्य और निर्मम हत्या ने भारत की आत्मा को झकझोर कर रख दिया है। आगे कहते है कि लखीमपुर खीरी कांड में भाजपा सरकार का रवैया शुरू से संदेहास्पद रहा है और आरोपियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन सच्चाई क्या है, सभी को मालूम है, सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी किसानों की न्याय की आवाज को न कुचला जा सकता है, ना ही उनका दमन किया जा सकता है। क्या आप लोग केंद्रीय सरकार द्वारा BSF के बढ़ाये गये अधिकार क्षेत्र के फैसले से सहमत है या नहीं ?  लखीमपुर खीरी मामले का अब तक का पूरा घटनाक्रम 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक़ लखीमपुर खीरी के दौरे पर थे, जहाँ ज़िले के वंदन गार्डन में उन्हें सरकारी योजनाओं का शिलान्यास करना था. इस कार्यक्रम के लिए पहले वो हेलीकॉप्टर से आने वाले थे, लेकिन शनिवार सुबह प्रोटोकॉल बदला और वो सड़क से लखीमपुर पहुंचे. संयुक्त किसान मोर्चा ने उपमुख्���मंत्री और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के विरोध और काफ़िले के घेराव की कॉल दी थी जिसमें लखीमपुर और उत्तर प्रदेश के तराई इलाके के दूसरे ज़िलों से किसानों को शामिल होने आह्वान किया गया था. लगभग एक से डेढ़ बजे के बीच में केशव प्रसाद मौर्य और अजय मिश्र लखीमपुर ज़िला मुख्यालय से योजनाओं का शिलान्यास कार्यक्रम ख़त्म करके नेपाल बॉर्डर पर टेनी के गाँव बनवीरपुर के लिए रवाना हुए जो तिकुनिया से महज़ चार किलोमीटर की दूरी पर है. तिकुनिया के एक प्राइमरी स्कूल में 2 अक्टूबर को हुए दंगल के विजेताओं का पुरस्कार समारोह था. अजय मिश्र को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने के सम्मान में इस बार का कार्यक्रम ज़्यादा बड़ा और भव्य था. इसीलिए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य उसके मुख्य अतिथि थे. लेकिन स्थानीय किसानों ने मंत्री अजय मिश्र टेनी का विरोध करने की ठान रखी थी | कुछ दिन पहले लखीमपुर के सम्पूर्णानगर के एक किसान सम्मेलन में मंत्री अजय मिश्र मंच से किसानों को धमकाते नज़र आये थे. उन्होंने काले झंडे दिखाने वाले किसानों को चेतावनी देते हुए कहा था, "मैं केवल मंत्री नहीं हूँ या सांसद विधायक नहीं हूँ. जो मेरे सांसद और विधायक बनाने से पहले मेरे विषय में जानते होंगे, उनको यह भी मालूम होगा कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूँ." "और जिस दिन मैंने उस चुनौती को स्वीकार करके काम कर लिया, उस दिन पलिया नहीं, लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जायेगा, यह याद रखना." इस तरीके के तल्ख़ बयानों के बाद किसानों में ख़ासा गुस्सा था और उन्होंने 29 सितम्बर को लखीमपुर के खैरटिया गांव में एक प्रतिज्ञा समारोह में एलान किया कि वो शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध जताते रहेंगे.   तिकुनिया में रविवार का घटनाक्रम रविवार सुबह से ही सैकड़ों किसान तिकुनिया के महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज पहुँच गए और स्कूल में बने हेलीपैड को घेर लिया. वे लोग "भारत माता की जय" के नारे लगाते रहे और काले झंडों के साथ विरोध शुरू कर दिया. बाद में जब ख़बर फैली कि मंत्री सड़क के रास्ते गाँव पहुँच रहे हैं तो किसान तिकुनिया से बनवीरपुर की सरहद पर गाड़ियों से रास्ता रोक कर बैठ गए. तक़रीबन डेढ़ से ढाई बजे के बीच में तीन गाड़ियों का एक छोटा काफ़िला तिकुनिया पहुंचा. अजय मिश्र टेनी और उनके पुत्र आशीष मिश्र के मुताबिक़ ये काफ़िला उप मुख्यमंत्री के बड़े काफ़िले को बनवीरपुर गाँव तक लाने के लिए पास के एक रेलवे फाटक के लिए रवाना हुआ था. और फिर ये तीनों गाड़ियां तिकुनिया जा पहुँचीं जहाँ किसान उप-मुख्यमंत्री के सरकारी काफ़िले का इंतज़ार कर रहे थे.   किसानों और सरकार के बीच हुआ समझौता मारे गए किसानों के शवों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और प्रशासन के बीच समझौता हो गया है। दरअसल किसानों ने चार मांगें प्रशासन के आगे रखी थीं जिनमें से कुछ मांगों पर सहमति बनी है। इनमें मृतक किसानों के आश्रितों को नौकरी, 8 दिन में आरोपियों की गिरफ़्तारी, मृतक के परिजनों को 45-45 लाख रुपये और घायलों को 10-10 लाख रुपये का मुआवज़ा और घटना की न्यायिक जांच पर समझौता हो गया है। यूपी पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ये बातें कही हैं।   देश भर में राजनीतिक पार्टियों का प्रदर्शन लखीमपुर खीरी की हिंसा के बाद विपक्ष के कई नेताओं ने वहाँ जाने की कोशिश की, लेकिन क़ानून व्यवस्था का हवाला देकर उन्हें जाने नहीं दिया गया. जिन नेताओं को वहाँ जाने नहीं दिया गया उनमें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी के नेता सतीश मिश्रा शामिल थे. एक ओर जहाँ बीजेपी इस मामले में निष्पक्ष जाँच और उचित कार्रवाई का भरोसा दिला रही है, वहीं विपक्षी दल इस हिंसा को बीजेपी के नाकाम शासन के तौर पर गिना रहे हैं. किसानों की मौत पर भड़के आक्रोश के कारण बीजेपी सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर दबाव बढ़ता दिख रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में न्यायिक जाँच के आदेश दे दिए हैं. प्रियंका गांधी ने भी इस मामले में अभी तक कोई गिरफ़्तारी न होने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि एक औरत को हिरासत में लेने के लिए पूरा पुलिस बल आ गया, लेकिन अपराध करने वाले की अब तक गिरफ़्तारी नहीं हुई है. इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ़ से इस हादसे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. इसे लेकर भी विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं. वहीं जानकार मानते हैं कि इस हादसे से बीजेपी को झटका ज़रूर लगा है. राज्य में अगले साल चुनाव हैं और ऐसे में लोगों की नाराज़गी पार्टी को नुक़सान पहुँचा सकती है | बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखीमपुर की हिंसा पर कई ट्वीट ज़रूर किए, लेकिन वहाँ जाने की कोशिश नहीं की. हालाँकि पार्टी के नेता सतीश मिश्रा ने ज़रूर वहाँ जाने की कोशिश की थी |   लखीमपुर पहुंचे जयंत चौधरी पीड़ित परिवार से मिले राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी सोमवार को लखीमपुर खीरी पहुंच गए। उन्होंने पीड़ित परिवार से मुलाकात की। 13 घंटे के अनवरत संघर्ष के बाद जयंत इस घटना में मारे गए 18 वर्ष के किसान लवप्रीत सिंह के परिवार से चौखड़ा गांव में जाकर मिले और उन्हें ढांढ़स बंधाया। लवप्रीत दो बहनों के अकेले भाई थे। रालोद अध्यक्ष को रास्ते में जगह-जगह रोकने की कोशिश की गई लेकिन वह बच-बचाकर लखीमपुर खीरी पहुंचने में कामयाब रहे। जयंत चौधरी ने अपने ट्विटर से पोस्ट किया कि अभी रास्ते में हूं। मुंह पर गमछा लपेटे हुए वह लखीमपुर की तरफ बढ़ रहे थे, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, 13 घंटे, संघर्षमय यात्रा तय कर अपनों के बीच पहुंच सका। जंगल से, नहर, नदी, बांध से, कई बार रास्ते बदले, वाहन बदले। समाज का दुख साझा करना अपराध है? उन्होंने पीडि़त परिवार से मिलने की फोटो भी ट्वीट की है।   अखिलेश यादव और सपा कार्यकर्ताओं पर मुकदमा लखीमपुर कांड को लेकर राजधानी में सोमवार को हुए सपा के प्रदर्शन-हंगामे और पुलिस की गाड़ी में आगजनी के मामले में दो मुकदमे गौतमपल्ली थाने में पुलिस की ओर से दर्ज किए गए हैं। यह जानकारी देर रात पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने दी। उन्होंने बताया कि पुलिस की ओर से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बड़ी संख्या में सड़क जाम कर प्रदर्शन करने वाले सपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ धारा 144 की कार्रवाई की गई है। दूसरा मुकदमा पुलिस की गाड़ी में आग लगाने वाले अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज किया गया है। घटनास्थल के आसपास लगे सीसी कैमरों की मदद से गाड़ी में आग लगाने वाले लोगों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।   पुलिस तहक़ीक़ात और न्यायालय की कार्रवाई कोर्ट ने मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा को तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा लखीमपुर खीरी कांड के मुख्य आरोपित केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र के पुत्र आशीष मिश्र की तीन दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर कर ली गई है। आशीष मिश्र 12 अक्टूबर सुबह दस बजे से 15 अक्टूबर सुबह दस बजे तक पुलिस कस्टडी में रहेंगे। सोमवार को दोपहर सीजेएम चिंता राम ने अभियोजन पक्ष की पुलिस कस्टडी रिमांड की अर्जी पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के दो घंटे बाद फैसला सुनाया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर करने के साथ ही तीन शर्तें भी लगाई हैं। आदेश के मुताबिक आशीष मिश्रा की पुलिस रिमांड के दौरान न तो शारीरिक और न ही मानसिक प्रताड़ना दी जाएगी। पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद जब जेल में दाखिल किया जाएगा तो आशीष मिश्र की म��डिकल कराया जाए। पूछताछ के दौरान अभियुक्त के वकील उचित दूरी पर रह सकते हैं। मजिस्ट्रेट ने कहा कि जेल अधीक्षक लखीमपुर खीरी व विवेचक को एक-एक प्रति भेज दी जाए। कोर्ट ने उसे तीन दिनों की पुलिस रिमांड में भेज दिया है। अब अगले तीन दिनों तक एसआईटी आशीष से और अधिक पूछताछ कर सकेगी। लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा मोनू पर पुलिस का शिकंजा काफी कस गया है। लम्बी बहस के बाद पुलिस को आशीष मिश्रा की तीन दिन की पुलिस रिमांड मिली है। अब पुलिस उससे हिंसा में आठ लोगों की मृत्यु के मामले में पूछताछ भी करेगी। लखीमपुर खीरी कांड में सीजेएम कोर्ट ने शाम को करीब 4:15 बजे केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्र मोनू को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर ले जाने की इजाजत दी है। मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा को कोर्ट ने तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है। आशीष मिश्रा 12 से 15 अक्टूबर तक पुलिस रिमांड पर रहेगा। खीरी हिंसा के मुख्य आरोपित आशीष मिश्र की पुलिस रिमांड पर सुनवाई के लिए वर्चुअल सुनवाई 2:42 पर समाप्त की। तकनीकी खराबी के कारण 2: 27 पर शुरू हुई थी सुनवाई। एसपीओ ने 14 दिनों की रिमांड मांगी। आशीष मिश्रा मोनू के वकीलों ने कहा कि 12 घंटे तो पूछताछ कर चुके है, पुलिस अब क्या पूछताछ करना चाहती है। अभियोजन का तर्क आशीष मिश्रा मोनू में असहयोग करते हुए 12 घंटे में केवल 40 सवालों का ही जवाब दिया है। अदालत में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया। एसआइटी के इस रवैये से साफ हो गया कि बेगुनाही के जो सबूत आशीष मिश्रा लेकर के आए थे वो काम नहीं आए। अब एसआइटी ने वह सभी साक्ष्य संकलित करने शुरू कर दिए, जिससे यह साबित होगा कि लखीमपुर खीरी कांड में आरोपित आशीष मिश्रा की भूमिका इस मामले में संदिग्ध है और इसके और अधिक साक्ष्य संकलन की जरूरत है। अब यह भी तय है कि इस कांड से जुड़े सभी इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को एसआइटी फारेंसिक जांच कराए बिना अपना साक्ष्य नहीं बनाएगी।   सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद मामले में आया नया मोड़ लखीमपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट: अब तक कितने गिरफ्तार? किसके खिलाफ FIR दर्ज? यूपी सरकार दाखिल करे स्टेटस रिपोर्ट   लखीमपुर खीरी कांड में खुद से संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे कि आठ लोगों की हत्या से संबंधित मामले में किसे आरोपी बनाया गया है और क्या उन्हें गिरफ्तार किया गया है या नहीं? चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए यूपी सरकार से शुक्रवार तक इस मामले से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर पूरा ब्यौरा पेश करने के लिए कहा है।   प्रधानमंत्री कार्यालय तक है मामले का हल्ला प्रधानमंत्री मोदी ले सकते हैं बड़ा फैसला, देर-सबेर जा सकती है टेनी की कुर्सी  उत्तर प्रदेश पुलिस के एक आला अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच चल रही है। मुख्यमंत्री ने स्वयं कह दिया है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। वह चाहे कितना भी बड़ा चेहरा क्यों न हो? डीएम, एसपी और राज्य सरकार के अधिकारी मामले को लेकर संवेदनशील हैं। सूत्र का कहना है कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट आ चुकी है और अब जल्द ही कार्रवाई में तेजी देखने को मिलेगी | कृषि मंत्री तोमर के सचिवालय के सूत्रों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिए। हालांकि वह कहते हैं कि यह संगठन और उत्तर प्रदेश सरकार से जुड़ा मामला है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के कामकाज से इसका कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया में जो प्रसारित हो रहा है, उस आधार पर इसे अच्छा नहीं कहा जा सकता।   हिंसा को लेकर UP से लेकर दिल्ली तक हलचल, दिन भर चला विरोध प्रदर्शन का दौर दिल्ली के जंतर मंतर पर AAP का प्रदर्शन  लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के विरोध में आम आदमी पार्टी (AAP) ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया. आम आदमी पार्टी के बड़ी संख्या में मौजूद विधायक, पार्षद और कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया और किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की. 'आप' ने प्रदर्शन के दौरान मांग की कि किसानों के हत्यारों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए. इस दौरान आम आदमी पार्टी  नेता गोपाल राय ने  केंद्र और यूपी सरकार को किसानों की मौत का जिम्मेदार बताया. आम आदमी पार्टी ने हत्यारों को गिरफ्तार किए जाने, भाजपा के मंत्री के खिलाफ कार्रवाई और पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच की मांग की |   धरने पर बैठे पंजाब के डिप्टी सीएम  लखीमपुर खीरी जा रहे पंजाब के डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा और आधा दर्जन विधायकों को सहारनपुर पुलिस ने रोक लिया और उनकी गाड़ी को आगे नहीं बढ़ने दिया. इसके बाद सरसावा के शाहजहांपुर चेकपोस्ट पर डिप्टी सीएम रंधावा विधायकों के साथ धरने पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे |   योगी आदित्यनाथ ने बुलाई बड़ी बैठक लखीमपुर खीरी मामले को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने बड़ी बैठक बुलाई है. 5 कालिदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर हो रही बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना और स्वतंत्र देव सिंह के अलावा उत्तर प्रदेश सरकार के आला अधिकारी भी मौजूद हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ लखीमपुर की घटना समेत विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा कर रहे हैं. सीएम ने पूरे मामले की रिपोर्ट भी तलब की थी |   डीएनडी पर जाम, ट्रैफिक चिल्ला बॉर्डर डायवर्ट  लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri Violence) को देखते हुए दिल्ली पुलिस डीएनडी पर सुरक्षात्मक चेकिंग कर रही है. नोएडा ट्रैफिक पुलिस ने ट्वीट कर बताया कि यातायात का दबाव अधिक होने के कारण यातायात को नोएडा-दिल्ली चिल्ला बॉर्डर की ओर डायवर्ट किया जा रहा है. यातायात पुलिसकर्मी यातायात सामान्य बनाने में लगे हैं |   दिल्ली में डीएनडी पर भारी जाम  लखीमपुर खीरी की घटना का असर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी दिखने लगा है और नोएडा से दिल्ली को जोड़ने वाले डीएनडी पर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया है. सिर्फ 2 लेन आवाजाही के लिए खुले हैं, इस कारण गाड़ियों की लंबी कतार लग गई है |   सरकार मानती है कि मामले से आने वाले चुनाव पर पड़ सकता है असर वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का आरोप है कि गाड़ियों ने किसानों को तेज़ी से भीड़ पर चला कर रोंधना शुरू कर दिया जिसमें चार किसान कुचल कर मर गए और लगभग एक दर्जन लोग घायल हो गए | तमाम वायरल वीडियो में एक-दो किसानों के शव सड़क के किनारे दिख रहे हैं. किसान नेताओं का आरोप है कि मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा भी उस वक़्त गाड़ी में मौजूद थे और उन्होंने एक किसान को गोली भी मारी | प्रदर्शन में शामिल और हादसे के चश्मदीद संयुक्त मोर्चा के सदस्य पिंडर सिंह सिद्धू ने बताया, "सब माहौल ठीक था, क़रीब ढाई बजे अजय मिश्र जी का बेटा कुछ गुंडों के साथ आया और जो किसान वहाँ अपने झंडे लेकर घूम रहे थे उन पर अपनी गाड़ी चढ़ा दी. उनके लड़के ने गोली भी चलाई |" "बहुत दुखद घटना थी. हमारे चार किसान भाई शहीद हो गए हैं. जिन किसानों ने वोट दिया है उनके प्रदर्शन पर गाड़ी चढ़ाना, रौंदना कहां की संस्कृति है, ये सत्ता का नशा है. मंत्री अजय मिश्र ने जो चैलेंज दिया है उसका जवाब लोग हर घर से निकलकर देंगे |" हालांकि अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र ने इन आरोपों से साफ़ इंकार किया है. उनका कहना है कि अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए वो सबूत पेश करेंगे | लेकिन वायरल वीडियो में किसानों का हिंसात्मक रिएक्शन भी क़ैद हुआ है. वीडियो में आ���्रोशित भीड़ एक जीप पर लाठियां बरसा रही है और गाड़ी से बाहर गिरे दो लोगों को भी लाठियों से मार रही है | भीड़ गाड़ी को पलट कर सड़क से नीचे धकेल देती है. इस हिंसा और हमले के बाद का मंज़र कुछ तस्वीरों में क़ैद हुआ जिसमें सड़क के किनारे दो लाशें पड़ी थीं और उसके इर्द-गिर्द किसान खड़े हुए थे | आशा है कि आप सभी को  AbhiNews के संवाददाता हर्ष श्रीवास्तव द्वारा लिखा गया "लखीमपुर खीरी मामले में कब, कैसे, क्या हुआ, पढ़े पूरी टाइमलाइन" सम्बन्धित लेख अवश्य पसंद आयेगा | यदि आप इस लेख से सम्बन्धित अपने कुछ विचार रखना चाहते है तो ��ीचे कमेंट सेक्शन में दे सकते है |   Read the full article
0 notes
shaileshg · 4 years
Link
Tumblr media
पंजाब और हरियाणा में किसानों के प्रदर्शन लगातार जारी हैं। सरकार की तरफ से यह आरोप लगाया जा रहा है कि आंदोलन कर रहे किसानों को विपक्षी दलों द्वारा बहकाया गया है और नए कानूनों को लेकर उनके मन में झूठे डर बैठा दिए गए हैं। कई लोगों का यह भी तर्क है कि चूंकि अधिकतर किसान अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे हैं लिहाजा उन्हें कानूनों की समझ ही नहीं है। ऐसे आरोपों के जवाब में पंजाब और हरियाणा के ‘पढ़े-लिखे किसान’ इस मामले पर क्या राय रखते हैं, यह जानने कि लिए हमने कुछ ऐसे किसानों से बात की जिन्होंने बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल की है।
‘कॉंट्रैक्ट फार्मिंग किसानों के हित में नहीं’
Tumblr media
नए कानूनों में कॉंट्रैक्ट फार्मिंग को सबसे विवादास्पद मानते हुए प्रदीप कहते हैं, ‘किसानों का विरोध प्रदर्शन बिलकुल जायज़ है। निजी कंपनियां सिर्फ़ और सिर्फ़ अपना मुनाफ़ा देखती हैं। उन्हें किसानों की भलाई से कोई लेना-देना नहीं है। यह ये क़ानून पूरी किसानी को ही धीरे-धीरे निजी हाथों में सौंपने जा रहे हैं।’
प्रदीप अपना अनुभाव साझा करते हुए कहते हैं, ‘कॉंट्रैक्ट फार्मिंग के नुकसान मैं ख़ुद झेल चुका हूँ। तीन साल पहले मैंने राशि सीडज नाम की एक कंपनी के लिए बीज तैयार करने का कॉंट्रैक्ट लिया था। पहले साल इसमें फ़ायदा भी हुआ। मुझे लगभग प्रति एकड़ चार हजार रुपए की बचत हुई। ये देखकर मैंने अगले साल 22 एकड़ में बीज उपजाए। लेकिन उस साल प्रति एकड़ मुनाफ़ा चार हजार से घटकर ढाई हजार तक आ गया।
इसके बाद भी मुझे लगा कि अगर मैं और ज़्यादा जमीन पर बीज उपजाऊ तो दो-ढाई हजार प्रति एकड़ के हिसाब भी अच्छी बचत हो सकती है। तो इस साल मैंने कुल 54 एकड़ ज़मीन पर बीज उपजाए। लेकिन जब हम बीज लेकर कंपनी के पास पहुंचे तो कहा गया कि आधे बीज अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं। कंपनी ने वो वापस कर दिए।’
प्रदीप कहते हैं, ‘अब कॉंट्रैक्ट के हिसाब से मैं कोर्ट जा सकता हूँ लेकिन मैं अपनी बाकी खेती देखूं या कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटता रहूँ। कोर्ट की स्थिति हम सबने देखी है कि वहां फैसला होने में कितना समय लगता है। जब मुझ जैसा पढ़ा-लिखा आदमी भी कोर्ट जाने से बच रहा है तो वो किसान जो पढ़ा-लिखा भी नहीं है वो कैसे कंपनियों से निपटेगा।
पढ़े-लिखे लोग भी कॉंट्रैक्ट पर साइन करने से पहले ध्यान नहीं देते हैं। एक मोबाइल ऐप्लिकेशन ही जब हम लोग डाउनलोड करते हैं तो क्या टर्म्ज एंड कंडिशन पढ़ते हैं? हम सब बिना पढ़े ही ‘एग्री’ करके आगे बढ़ जाते हैं। ऐसा ही कोई बीमा लेते हुए भी करते हैं और बैंक के तमाम अन्य कामों में भी। तो एक आम किसान कैसे कॉंट्रैक्ट की बारीकियों को समझेगा। वो मजबूरन साइन करेगा और बड़ी कंपनियों के रहमों-करम पर काम करने को मजबूर होगा।
‘किसान और आढ़ती का रिश्ता सिर्फ खेती तक सीमित नहीं। आढ़ती किसान का एटीएम है जो इन कानूनों से टूट जाएगा’
Tumblr media
कमलजीत कहते हैं, ‘नए क़ानून आने के बाद मंडी से बाहर फसल की ख़रीद टैक्स फ्री हो जाएगी। ऐसे में मंडी के अंदर टैक्स भरकर कोई व्यापारी क्यों फसल ख़रीदेगा। लिहाज़ा सरकारी मंडियां धीरे-धीरे टूटने लगेंगी और इसके साथ ही आढ़ती भी टूट जाएंगे।
किसान और आढ़ती का रिश्ता सिर्फ़ खेती तक सीमित नहीं है। फसल के अलावा भी तमाम जरूरतों के लिए किसान आढ़ती पर ही निर्भर है। घर में शादी से लेकर किसी आपात स्थिति तक में किसान अपने आढ़ती से ही पैसा लेता है और फसल होने पर चुकाता है। अब अगर फसल मंडी से बाहर बिकेगी तो आढ़ती भी किसान को पैसा क्यों देगा।
सरकार भले ही कह रही है कि मंडी व्यवस्था बनी रहेगी लेकिन किसान बेवकूफ नहीं है जो सड़कों पर बैठा विरोध कर रहा है। वो समझता है कि जब मंडी से बाहर बिक्री बिना टैक्स के होगी तो मंडी होकर भी किसी काम की नहीं राह जाएगी। इससे होगा ये कि शुरुआत के सालों में शायद किसान को मंडी के बाहर बेहतर दाम मिल जाए लेकिन जब दो-तीन साल में मंडियां पूरी तरह ख़त्म हो जाएंगी तो व्यापारी अपनी इच्छा से दाम तय करने लगेंगे।’
‘जो किसान आज भी लकीर के फकीर बने हुए हैं, उन्हें ही नए कानूनों से समस्या है’
Tumblr media
अजय बोहरा इन कानूनों के बारे में कहते हैं, ‘मुझे इन कानूनों में कुछ भी ग़लत नहीं लगता। इससे किसानों के लिए नए दरवाजे खुल ही रहे हैं, बंद नहीं हो रहे। लेकिन किसानों में जागरूकता की बहुत भारी कमी है। अधिकतर किसान एक ही लकीर पर चलते हैं और इसी का फ़ायदा राजनीतिक दल भी उठाते हैं।’
अजय मानते हैं कि जो किसान पारंपरिक तरीकों से इतर काम करने को तैयार हैं, उनके लिए नए क़ानून कई मौके लेकर आया है। वे कहते हैं, ‘मेरा मानना है कि ये पूरा आंदोलन नागरिकता क़ानून के विरोध जैसा ही आंदोलन है। ज��स तरह से नागरिकता क़ानून का फर्क ह���ारे देश के नागरिकों पर न होकर विदेश से आने वाले लोगों पर होना था लेकिन फिर भी देश के कई लोग उसके विरोध में इसलिए थे कि उनके मन में डर बैठ गया था वैसे ही इन कानूनों को लेकर भी हो रहा है।’
वे आगे कहते हैं, ‘हम लोग जो जैविक खेती कर रहे हैं वो पहले से ही मंडी के बाहर बिकती है और उसका सही दाम भी बाहर ही मिलता है। हमारे साथ जो हजारों किसान जुड़े हुए हैं वे नए तरीकों से फसल उपजा रहे हैं और उनकी निर्भरता मंडियों पर कम हो रही है। इसलिए हमसे जुड़े किसी भी किसान के लिए ये नए क़ानून कोई बड़ा मुद्दा नहीं हैं।
जो किसान जैविक खेती से या नए तरीकों से आत्मनिर्भर बन रहे हैं और कर्ज के कुचक्र से निकल रहे हैं उनके लिए ये क़ानून कोई परेशानी नहीं हैं। इनसे उन किसानों को जरूर परेशानी है जो सालों से एक ही तरीक़े की खेती और उसके सिस्टम में फंसे हुए हैं।’
‘नए प्रयोग करने को तैयार किसानों के लिए ये कानून बहुत अच्छे हैं। लेकिन एमएसपी पर कानून की मांग जायज है’
Tumblr media
अरुण बताते हैं, ‘जिन किसानों ने बीते 15-20 सालों में अपनी खेती को डिवर्सिफाई किया है, जो विविधता लेकर आए हैं उन्हें इन कानूनों से दिक्कत नहीं है। वह इसलिए है क्योंकि ऐसे किसानों की आढ़तियों और मंडियों पर पहले जैसी निर्भरता नहीं रह गई है।’
साल 2018 में हरियाणा का ‘बेस्ट फार्मर’ ख़िताब जीत चुके अरुण इन कानूनों के बारे में कहते हैं, ‘कोई भी नया बदलाव जब होता है तो उसका विरोध होता ही है। राजीव गांधी के दौर में जब कम्प्यूटर आया तो उसका भी विरोध हुआ लेकिन क्या आज हम कम्प्यूटर के बिना अपने जीवन की कल्पना भी कर सकते हैं? ऐसा ही विरोध अब इन कानूनों का हो रहा है जबकि ये कानून किसानों के लिए बहुत बड़े बाजार का दरवाज़ा और मौके खोल रहे हैं। नए प्रयोग करने को तैयार किसानों के लिए ये वरदान साबित हो सकते हैं।’
अरुण मानते हैं कि इन किसान आंदोलनों के पीछे राजनीतिक कारण ज़्यादा है। वे कहते हैं, ‘किसान अक्सर अपने नेताओं के पीछे एकजुट रहते हैं और किसान नेताओं का सीधे-सीधे राजनीतिक पार्टियों से मेल-जोल होता है। साल में अधिकतर समय किसान खाली रहते हैं इसलिए उनके पास राजनीति करने का भरपूर समय भी होता है।’
नए कानूनों से किसानों के डर को आधारहीन मानने के बावजूद भी अरुण चौहान ये जरूर मानते हैं कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को लेकर किसानों की मांग जायज़ है। वे कहते हैं, ‘किसान अगर ये मांग कर रहे हैं कि एमएसपी तय करने के लिए भी क़ानून बना दिया जाए और इससे कम की खरीद को अपराध माना जाए तो ये मांग बिलकुल सही है। सरकार की मंशा जब साफ़ है तो यह लिखने में क्या बुराई है। एमएसपी का जिक्र अगर कानून में हो जाए तो इन कानूनों में कोई भी बुराई मुझे नजर नहीं आती।’
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Tumblr media
नए कानून पर पंजाब और हरियाणा के पढ़े-लिखे किसानों की राय।
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/36Gsx7E via IFTTT
0 notes
Text
What Is Laser Printer In Hindi
लेजर प्रिंटर खरीदते समय इन लेजर प्रिंटर युक्तियों का उपयोग करें। प्रिंटर की पसंद मुद्रण या प्रदर्शन मापदंडों की गुणवत्ता की तुलना में उपयोग पर काफी हद तक निर्भर करती है। लेजर प्रिंटर पारंपरिक रूप से महंगे थे, लेकिन वे अच्छे आर्थिक और कुरकुरा प्रिंटआउट की पेशकश करते हैं-कम से कम जहां तक ​​थोक मोनोक्रोम प्रिंटिंग का संबंध है। 
Tumblr media
               Laser Printer 
तो लेजर प्रिंटर की जरूरत किसे होगी? यदि आपके दैनिक कार्य दिनचर्या में कार्यालय उपयोग के लिए बड़ी संख्या में चादरें शामिल हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको प्रिंट-आउट फास्ट की आवश्यकता है, आपको लेजर प्रिंटर की आवश्यकता है। इस मामले में, ये लेजर प्रिंटर टिप्स आपके लिए उपयोगी होंगे।
यदि आप अपने पुराने इंकजेट प्रिंटर से संतुष्ट नहीं हैं और एक नया लेजर प्रिंटर खरीदने की सोच रहे हैं तो ये लेजर प्रिंटर टिप्स आपके लिए उपयोगी होंगे। इन लेजर प्रिंटर युक्तियों का उपयोग करें और एक स्मार्ट विकल्प बनाएं। यदि आपका बजट सीमित है, तो आपको इन लागत प्रभावी लेजर प्रिंटर को देखने की जरूरत है।
कार्यालयों और सोहो खंडों में मुद्रण में ज्यादातर थोक पाठ प्रिंट-आउट शामिल होते हैं और इसलिए लेजर प्रिंटर सबसे व्यवहार्य विकल्प हैं। इसके अलावा, जैसे ही ये प्रिंटर नेटवर्क विकल्प के साथ आते हैं-इनका उपयोग नेटवर्क पर साझा संसाधन के रूप में किया जा सकता है, जो उन्हें कार्यालय के वातावरण के लिए आदर्श बनाता है। एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता जो दिखनी चाहिए, वह बफर मेमोरी की संख्या है-और अधिक बेहतर है, खासकर अगर प्रिंटर नेटवर्क पर है। एक बड़ी कागज़ की क्षमता का होना पेशेवर लेजर प्रिंटर के लिए एक अतिरिक्त लाभ है, जो ऑपरेशन के भरण-विस्मरण के लिए है।
खरीदने के लिए इन लेजर प्रिंटर युक्तियों का उपयोग करें
लेजर प्रिंटर की वारंटी के बारे में लेजर प्रिंटर टिप्स
• एक कैरी-इन वारंटी निश्चित रूप से एक बड़ा दर्द है जहां तक ​​लेजर प्रिंटर जैसी भारी वस्तुओं का संबंध है। वारंटी व्यापक और ऑन-साइट होनी चाहिए।
• वारंटी अवधि जितनी अधिक होगी, उतना बेहतर होगा। यह इंगित करता है कि (निर्माता को उत्पाद में अधिक विश्वास है।
• तेज़ और उच्च गुणवत्ता वाले प्रिंटर धीमे लोगों की तुलना में बहुत अधिक महंगे हैं। यदि आप अपने प्रिंटआउट लेने की जल्दी में नहीं हैं या आपको उत्कृष्ट गुणवत्ता की आवश्यकता नहीं है, तो अपने स्थलों को थोड़ा कम करें। आप इस तरह से बहुत से पैसे बचाएंगे।
• लेजर प्रिंटर जैसे महंगे परिधीयों के साथ, यह दुर्घटना या खराबी होने पर आपके दिल को तोड़ देता है। घटिया ग्राहक सेवा जोड़ें जो आप उक्त परिधीय को खिड़की से बाहर फेंकने के लिए तैयार हैं। उन लोगों से पूछें, जिन्होंने ग्राहक सहायता कर्मचारियों के साथ अपने अनुभवों के बारे में पहले ही प्रिंटर खरीद लिया है। यह कुछ प्रयास ले सकता है लेकिन इसके लायक है।
स्मार्ट लेजर प्रिंटर टिप्स:
रिज़ॉल्यूशन: यह डॉट्स प्रति इंच (डीपीआई) में मापा जाता है, और छवि गुणवत्ता आउटपुट का एक मोटा उपाय है।
लेजर प्रिंटर बेहतर क्वालिटी और शार्पनेस के मामले में इसी तरह के रेजोल्यूशन पर इंकजेट प्रिंटर के आउटपुट को बेहतर बना सकते हैं, क्योंकि इसमें स्याही की कोई स्मगलिंग या स्प्रेडिंग नहीं होती है।
गति: प्रिंट गति आमतौर पर मुद्रण गुणवत्ता के विपरीत आनुपातिक होती है।
लेजर प्रिंटर इंकजेट समकक्षों की तुलना में बहुत अधिक गति प्रदान करते हैं। लगभग 6 पीपीएम से शुरू होकर स्पीड 45 पीपीएम या इससे अधिक तक जा सकती है।
रंग: हालांकि कम-अंत इंकजेट महान गुणवत्ता की पेशकश नहीं करते हैं, उच्च-अंत वाले ग्लोस पेपर पर उच्च रिज़ॉल्यूशन पर मुद्रित होने पर फोटो-गुणवत्ता आउटपुट प्रदान करते हैं। यद्यपि प्रत्येक रंग पृष्ठ को प्रिंट करने की लागत तुलनीय रंगीन लेजर प्रिंटर की तुलना में अधिक है, प्रिंटर की कीमत स्वयं बहुत कम है।
कनेक्शन: जांचें कि आपके कंप्यूटर में आपके द्वारा चुने गए प्रिंटर के लिए सही प्रकार का पोर्ट है। जबकि नए मॉडलों में यूएसबी पोर्ट होते हैं, समानांतर पोर्ट मॉडल भी काफी सामान्य हैं। नेटवर्क के लिए, एक प्रिंटर को सीधे नेटवर्क से कनेक्ट करने और आपके द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रोटोकॉल का समर्थन करने में सक्षम होना चाहिए।
कागज: जांचें कि प्रिंटर आपके द्वारा उपयोग किए जाने की योजना के आकार और संस्करणों को समायोजित करता है।
मेमोरी: प्रिंटर एक बफर (रैम) के साथ आते हैं। एक बड़ा बफर उच्च-रिज़ॉल्यूशन दस्तावेज़ों या बड़ी संख्या में नियमित दस्तावेज़ों के भंडारण की अनुमति देता है।
लेजर प्रिंटर के लिए पोस्टस्क्रिप्ट: लेजर प्रिंटर के लिए पोस्टस्क्रिप्ट समर्थन होना महत्वपूर्ण है। यह वेक्टर ग्राफिक्स प्रिंट करने में लगने वाले समय को कम कर देता है-प्री-प्रेस सेट-अप्स में फायदा और इस तरह के अन्य ग्राफिक्स-सेंसिटिव प्रिंट प्रोसेस से कलर सेपरेशन प्रिंट आदि बनाने में मदद मिलती है।
लेजर प्रिंटर टिप्स - लेजर प्रिंटर के लिए सावधानियां कैसे बरतें
• अपने लेजर प्रिंटर को रखने के लिए उचित स्थान का चयन करें। एक ठीक से हवादार क्षेत्र की सिफारिश की जाती है। ऐसे स्थान का चयन करें जहां तापमान और आर्द्रता तेजी से नहीं बदलते हैं। भारी धूल निर्माण वाले क्षेत्रों से बचने की कोशिश करें।
• प्रिंटर को एक मजबूत और स्तरीय सतह पर रखें और एयरफ्लो के लिए प्रिंटर के चारों ओर पर्याप्त स्थान दें।
• प्रिंटर के बाहर की सफाई के लिए हमेशा हल्के हल्के कपड़े का उपयोग करें। अंदर की सफाई के लिए, एक सूखे, एक प्रकार का वृक्ष मुक्त कपड़े का उपयोग करें। यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी तरल प्रिंटर के अंदर प्रवेश नहीं करता है। अधिकांश निर्माता अपने मैनुअल पर उपयोगी सफाई की जानकारी प्रदान करते हैं, इसलिए उन्हें देखें।
• उस कागज का उपयोग करें जो विशेष रूप से आपके प्रिंटर के लिए निर्मित किया गया हो और आपके प्रिंट कार्य के लिए सही कागज प्रकार का चयन करें।
• निर्माता के वेब साइट से नवीनतम ड्राइवरों और पैच को डाउनलोड करके अपने प्रिंटर को अद्यतित रखें। यह मदद करता है क्योंकि अधिकांश निर्माता आपके यूनिट के लिए ड्राइवर अपडेट प्रदान करते हैं, जिसमें पैच शामिल हैं जो फोंट या सही असंगति जोड़ते हैं।
• यदि मलबा विफलता का प्राथमिक कारण है, तो टोनर मलबे का प्राथमिक कारण है। सभी टोनर कार्ट्रिज मशीन में थोड़ी मात्रा में टोनर छोड़ेंगे। जब आप कारतूस बदलते हैं तो यह मशीन को साफ करना महत्वपूर्ण है। यह महत्वपूर्ण है कि मशीन का घनत्व नियंत्रण ठीक से सेट हो, ताकि मशीन को बहुत अधिक टोनर खींचने से रोका जा सके। हम सभी डार्क प्रिंट पसंद करते हैं, लेकिन अगर आपकी प्रिंट सेटिंग्स बहुत डार्क हैं, तो यह लंबे समय में कारतूस के जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है।
• अपने प्रिंटर के शीर्ष पर दस्तावेजों या विविध वस्तुओं को ढेर न करें, क्योंकि वे इसे नुक��ान पहुंचा सकते हैं। आपका प्रिंटर ज़्यादा गरम हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप प्रिंटर की ज़िंदगी में खराबी और यहां तक ​​कि कमी भी हो सकती है।
लेजर प्रिंटर टिप्स - प्रिंटर का स्मार्ट उपयोग कैसे करें:
एक प्रिंटर केवल उबाऊ पुराने पाठ को प्रिंट नहीं करता है। आप आगे बढ़ सकते हैं और बहुत कुछ प्रिंट कर सकते हैं जो आप चाहते हैं।
आप हर बार प्रिंट कमांड दिए बिना एक ही दस्तावेज़ की कई प्रतियाँ मुद्रित कर सकते हैं। जब भी आप फ़ाइल मेनू या प्रिंटर आइकन से प्रिंट विकल्प चुनते हैं, तो एक छोटा प्रिंटर डायलॉग बॉक्स खुलता है। यहां, 'प्रतियों की संख्या' के तहत, इसे केवल उस संख्या तक बढ़ाएं जिसे आप मुद्रित करना चाहते हैं।
लेजर प्रिंटर टिप्स - वेब पेज से प्रिंट आउट लेते समय स्याही को कैसे बचाया जाए?
क्या आप उन लोगों में से एक हैं जो सीधे प्रिंट कमांड के लिए सिर करते हैं जब आप किसी वेब पेज पर अपनी पसंद की चीज़ देखते हैं?
खैर, इस पर विचार करें। आप आसानी से अपने दस्तावेज़ के विशिष्ट भागों का चयन कर सकते हैं, इसलिए आपको इसे पूरी तरह से प्रिंट करने की आवश्यकता नहीं है। यह स्पष्ट रूप से स्याही को बचाने में सहायक हो सकता है। ऐसा करने के लिए, बस उस क्षेत्र या दस्तावेज़ का हिस्सा चुनें जिसे आप प्रिंट करना चाहते हैं। अब, प्रिंट डायलॉग बॉक्स में, पेज रेंज के तहत सिलेक्शन चुनें। अब आपके प्रिंटआउट में बैनर विज्ञापन या चित्र नहीं होंगे जो आपके किसी काम के नहीं हैं। कई बार ऐसा होता है कि आप स्याही बचाने के लिए कम रिज़ॉल्यूशन पर प्रिंट करना चाहते हैं, या आप पेपर पर दोनों तरफ प्रिंट करना चाहते हैं। 
विभिन्न प्रिंटर विभिन्न प्रकार के मुद्रण विकल्प प्रदान करते हैं, जिनका उपयोग आप अपनी मुद्रण आवश्यकताओं के अनुरूप कर सकते हैं। आइए इनमें से कुछ विकल्पों पर एक नज़र डालें। कई प्रिंटर कुछ प्रकार के टोनर या स्याही बचत मोड भी प्रदान करते हैं, जो आपको बहुत कम स्याही का उपयोग करके वास्तव में तेजी से प्रिंट करने देता है। यह विशेष रूप से मुद्रण ड्राफ्ट या लंबे दस्तावेजों की किसी न किसी प्रतियां के लिए उपयोगी है।
प्रिंटर संवाद बॉक्स आपको किसी दस्तावेज़ या पृष्ठों की एक विशिष्ट श्रेणी में विशिष्ट पृष्ठ मुद्रित करने देता है। आप चाहें तो एक ही दस्तावेज़ की कई प्रतियाँ भी प्रिंट कर सकते हैं। अधिक विकल्पों के लिए, आप गुण बटन पर क्लिक कर सकते हैं। यह आपको कई काम करने देगा, जैसे कि आप जिस रिज़ॉल्यूशन को प्रिंट करना चाहते हैं, उसका चयन करें। एक उच्च रिज़ॉल्यूशन अधिक स्याही का उपयोग करता है, लेकिन बेहतर गुणवत्ता देता है, और इसके विपरीत।
आप कागज के दोनों किनारों पर प्रिंट करना भी चुन सकते हैं, जो मैनुअल या पुस्तकों जैसी चीजों के लिए काम आता है। आप अपने प्रिंटिंग मीडिया का आकार चुन सकते हैं, यदि आप कहते हैं, लिफाफे या पोस्टकार्ड पर प्रिंट करना चाहते हैं। आप अपने प्रिंटआउट का ओरिएंटेशन भी बदल सकते हैं, इसलिए आप पोर्ट्रेट या लैंडस्केप मोड में प्रिंट कर सकते हैं।
लेजर प्रिंटर टिप्स - प्रिंट पूर्वावलोकन विकल्प का उपयोग कैसे करें?
एक और बहुत उपयोगी सुविधा प्रिंट पूर्वावलोकन विकल्प है। इससे आप देख सकते हैं कि प्रिंट होने के बाद आपका प्रिंटआउट कैसा दिखेगा, इसलिए अपव्यय कम से कम हो। आप इसे देखने के लिए अपने दस्तावेज़ से ज़ूम इन और आउट कर सकते हैं। 
अधिकांश अनुप्रयोगों में, यह कमांड आपके टूलबार में प्रिंट पूर्वावलोकन आइकन पर क्लिक करके फ़ाइल मेनू में पहुँचा जा सकता है। ध्यान रखें कि प्रत्येक प्रिंटर मॉडल के साथ सटीक विकल्प भिन्न होंगे। महत्वपूर्ण बात यह है कि वे मौजूद रहें। तो, जो कुछ भी आपके मुद्रण की मांग है, आप जानते हैं कि आवश्यकता को पूरा करने के लिए सबसे अच्छा कैसे है। क्या आपको लेजर प्रिंटर टिप्स पसंद हैं? इन बेस्ट सेलिंग प्रिंटर्स को देखें और लेजर प्रिंटर टिप्स का उपयोग करें। यदि आपने इसका आनंद लिया है, तो यह एक प्रयास के लायक है।
0 notes
Text
पतरस के अनुभव: ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान
स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
Tumblr media
जब पतरस को परमेश्वर के द्वारा ताड़ना दी जा रही थी, तो उसने प्रार्थना की, "हे परमेश्वर! मेरी देह अनाज्ञाकारी है, तू मुझे ताड़ना देता है और मेरा न्याय करता है। मैं तेरी ताड़ना और न्याय में आनन्दित होता हूँ, भले ही तू मुझे न चाहे, फिर भी मैं तेरे न्याय में तेरे पवित्र और धर्मी स्वभाव को देखता हूँ। जब तू मेरा न्याय करता है, ताकि अन्य लोग तेरे न्याय में तेरे धर्मी स्वभाव को देख सकें, तो मैं संतुष्टि का एहसास करता हूँ। मैं यही चाहता हूँ कि तेरा धर्मी स्वभाव प्रकट किया जाये ताकि सभी प्राणी तेरे धर्मी स्वभाव को देख सकें, और मैं तुझे अधिक शुद्धता से प्रेम कर सकूँ और मैं एक धर्मी की सदृश्ता को प्राप्त कर सकूँ। तेरा यह न्याय अच्छा है, क्योंकि तेरी अनुग्रहकारी इच्छा ऐसी ही है। मैं जानता हूँ कि अभी भी मेरे भीतर बहुत कुछ ऐसा है जो विद्रोही है, और मैं अभी भी तेरे सामने आने के योग्य नहीं हूँ। मैं तुझसे चाहता हूँ कि तू मेरा और भी अधिक न्याय करे, चाहे क्रूर वातावरण के जरिए या बड़े क्लेश के जरिए; तू मेरा न्याय कैसे भी करे, यह मेरे लिए बहुमूल्य है। तेरा प्यार कितना गहरा है, और मैं बिना कोई शिकायत किए स्वयं को तेरे आयोजन पर छोड़ने को तैयार हूँ।" यह परमेश्वर के कार्य का अनुभव कर लेने के बाद का पतरस का ज्ञान है, और साथ ही यह परमेश्वर के प्रति उसके प्रेम की गवाही है। आज, तुम लोगों को पहले से ही जीत लिया गया है—परन्तु यह जीत तुम लोगों में किस प्रकार प्रकट होती है? कुछ लोग कहते हैं, "मेरी जीत परमेश्वर का सर्वोच्च अनुग्रह और उसके द्वारा ऊँचा उठाया जाना है। केवल अब मुझे एहसास होता है कि मनुष्य का जीवन खोखला और महत्वहीन है। मनुष्य, पीढ़ी दर पीढ़ी सन्तानों को उत्पन्न करते और उनकी परवरिश करते और भागदौड़ करते हुए जीवन बिताता है, और अंत में उसको कुछ भी हासिल नहीं होता है। आज, परमेश्वर के द्वारा जीत लिए जाने के बाद ही मैंने देखा कि इस तरह जीने का कोई मूल्य नहीं है; यह वास्तव में एक अर्थविहीन जीवन ही है। इससे बेहतर तो मैं मर जाऊँ और काम खत्म करूँ!" ऐसे लोग जिन पर विजय पायी जा चुकी है क्या उन्हें परमेश्वर के द्वारा ग्रहण किया जा सकता है? क्या वे आदर्श और मिसाल बन सकते हैं? ऐसे लोग निष्क्रियता की मिसाल हैं, उनकी कोई आकांक्षाएँ नहीं हैं, और वे स्वयं की उन्नति के लिए संघर्ष नहीं करते हैं! भले ही वे ऐसा समझते हैं कि उन पर विजय पा ली गयी है, ऐसे निष्क्रिय लोग सिद्ध बनाए जाने के काबिल नहीं हैं। पतरस के जीवन के अंत के निकट, सिद्ध बना दिए जाने के बाद, उसने कहा "हे परमेश्वर! यदि मैं कुछ और वर्ष जीवित रहता, तो तेरे शुद्ध और गहरे प्रेम को हासिल करने की कामना करता।" जब वह क्रूस पर चढ़ाया ही जाने वाला था, उसने अपने हृदय में प्रार्थना की, "हे परमेश्वर! तेरा समय आ गया है, वह समय जो तूने मेरे लिए तैयार किया था वह आ गया है। मुझे तेरे लिए क्रूस पर चढ़ना होगा, मुझे तेरे लिए इस गवाही को देना होगा, मैं आशा करता हूँ कि मेरा प्रेम तेरी अपेक्षाओं को सन्तुष्ट कर सकता है, और यह और अधिक शुद्ध हो सकता है। आज, तेरे लिए मरने, तेरे लिए क्रूस पर कीलों से ठोंके जाने के योग्य होना मेरे लिए तसल्ली और आश्वासन की बात है, क्योंकि तेरे लिए क्रूस पर चढ़ने और तेरी इच्छाओं को संतुष्ट करने, और स्वयं को तुझे दे पाने, और स्वयं के जीवन को तेरे लिए अर्पित करने से बढ़कर कोई और बात मुझे तृप्त नहीं कर सकती है। हे परमेश्वर! तू कितना प्यारा है! यदि तू मुझे जीने की अनुमति देता है, तो मैं तुझसे और भी अधिक प्रेम करना चाहूँगा। जब तक मैं ज़िन्दा हूँ, मैं तुझसे प्रेम करूँगा। मैं तुझसे और भी अधिक गहराई से प्रेम करना चाहता हूँ। तू मेरा न्याय करता है, मुझे ताड़ना देता है, और मेरी परीक्षा लेता है क्योंकि मैं धर्मी नहीं हूँ, क्योंकि मैंने पाप किया है। और तेरा धर्मी स्वभाव मेरे लिए और अधिक स्पष्ट होता जाता है। यह मेरे लिए एक आशीष है, क्योंकि मैं तुझे और भी अधिक गहराई से प्रेम कर सकता हूँ, अगर तू मुझसे प्रेम न भी करे तो भी मैं तुझसे इस रीति से प्रेम करने को तैयार हूँ। मैं तेरे धर्मी स्वभाव को देखने की इच्छा करता हूँ, क्योंकि यह मुझे अर्थपूर्ण जीवन जीने के और काबिल बनाता है। मुझे लगता है कि मेरा अभी का जीवन और भी अधिक अर्थपूर्ण है, क्योंकि मैं तेरे लिए क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, और तेरे लिए मरना सार्थक है। फिर भी मुझे अब तक संतुष्टि का एहसास नहीं हुआ है, क्योंकि मैं तेरे बारे में बहुत थोड़ा ही जानता हूँ, मैं जानता हूँ कि मैं तेरी इच्छाओं को सम्पूर्ण रीति से पूरा नहीं कर सकता हूँ, और मैंने बदले में तुझे बहुत ही कम अदा किया है। अपने जीवन में, मैं अपना सब कुछ तुझे वापस लौटाने में असमर्थ रहा हूँ; और मैं उससे बहुत दूर हूँ। इस घड़ी को याद करते हुए, मैं स्वयं को तेरा बहुत आभारी महसूस करता हूँ, और अपनी सभी ग़लतियों की क्षतिपूर्ति और उस सारे प्रेम का कर्ज़ जो मैंने तुझे नहीं चुकाया है, उसे अदा करने के लिए मेरे पास यही एक क्षण है।"
मनुष्य को एक अर्थपूर्ण जीवन का अनुसरण करना चाहिए, और उसे अपनी वर्तमान परिस्थितियों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। पतरस के समान जीवन बिताने के लिए, उसे पतरस के ज्ञान और अनुभवों को धारण करना होगा। मुनष्य को ऐसी चीज़ों का अनुसरण करना चाहिए जो ऊँची और ज़्यादा गम्भीर हैं। उसे परमेश्वर को गहराई एवं शुद्धता से प्रेम करने का, और एक ऐसे जीवन का अनुसरण करना होगा, जिसका मूल्य और अर्थ है। केवल यह ही जीवन है; केवल तब ही मनुष्य पतरस के समान होगा। तुझे सकारात्मक पहलु में प्रवेश करने के लिए सक्रिय होने की ओर ध्यान केन्द्रित करना होगा, और अति गम्भीर, अति विशिष्ट, और अति व्यावहारिक सच्चाईयों को नज़रअंदाज करते हुए क्षणिक आराम के लिए तुझे स्वयं को अधीनतापूर्वक पीछे हटने नहीं देना चाहिए। तेरा प्रेम व्यावहारिक होना चाहिए, और तुझे स्वयं को इस पथभ्रष्ट, और बेपरवाह जीवन से, जो किसी जानवर के जीवन के समान है, उससे स्वतंत्र होने के लिए रास्ते ढूँढ़ने होंगे। तुझे एक अर्थपूर्ण, मूल्यवान जीवन व्यतीत करना चाहिए, और तुझे स्वयं को मूर्ख नहीं बनाना चाहिए, या अपने जीवन के खिलौने की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए। क्योंकि हर व्यक्ति जो परमेश्वर से प्रेम करने की आकांक्षा करता है, कोई सत्य अप्राप्य नहीं है, और कोई न्याय ऐसा नहीं है जिसके लिए वे दृढ़तापूर्वक खड़े नहीं हो सकते हैं। तुझे अपना जीवन कैसे बिताना चाहिए? तुझे परमेश्वर से प्रेम कैसे करना चाहिए, और इस प्रेम का उपयोग करके उसकी इच्छा को कैसे संतुष्ट करना चाहिए? तेरे जीवन में इससे बड़ा कोई मुद्दा नहीं है? सब से बढ़कर, तेरे पास ऐसी आकांक्षा और दृढ़ता होनी चाहिए, और तुझे उन बेहद कमज़ोर दुर्बल प्राणियों के समान नहीं होना चाहिए। तुझे सीखना होगा कि एक अर्थपूर्ण जीवन को कैसे अनुभव किया जाता है, तुझे अर्थपूर्ण सच्चाईयों का अनुभव करना चाहिए, और तुझे अपने आप से लापरवाही के साथ बर्ताव नहीं करना चाहिए। तेरे जाने बिना, तेरा जीवन यों ही गुज़र जाएगा; और उसके बाद, क्या तेरे पास परमेश्वर से प्रेम करने का दूसरा अवसर होगा? क्या मनुष्य मरने के बाद परमेश्वर से प्रेम कर सकता है? तेरे पास पतरस के समान ही आकांक्षाएँ और अंतरात्मा होनी चाहिए; तेरा जीवन अर्थपूर्ण होना चाहिए, और तुझे स्वयं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए! एक मनुष्य के रूप में, और परमेश्वर का अनुसरण करने वाले एक व्यक्ति के रूप में, तुझे इस योग्य होना है कि तू सावधानी से विचार कर सके, कि तुझे अपने जीवन के साथ कैसा व्यवहार करना है, कि तुझे स्वयं को किस प्रकार परमेश्वर के सामने अर्पण करना चाहिए, कि त���झमें परमेश्वर के प्रति और अधिक अर्थपूर्ण विश्वास कैसे होना चाहिए, चूँकि तू परमेश्वर से प्रेम करता है, तुझे उससे उस रीति से कैसे प्रेम करना चाहिए जो ज़्यादा पवित्र, सुन्दर, एवं अच्छा हो। आज, तू केवल इस बात से संतुष्ट नहीं हो सकता है कि तुझ पर किस प्रकार विजय पायी गयी है, बल्कि तुझे उस पथ पर भी विचार करना होगा जिस पर तू भविष्य में चलेगा। तू सिद्ध बनाया जा सके, इसके लिए तेरे पास आकांक्षाएँ और साहस अवश्य होना चाहिए, और तुझे हमेशा यह नहीं सोचना चाहिए कि तू असमर्थ है। क्या सत्य की भी अपनी पसंदीदा चीज़ें होती हैं? क्या सत्य जानबूझकर लोगों का विरोध कर सकता है? यदि तू सत्य के पीछे पीछे चलता है, तो क्या यह तुझे अभीभूत कर सकता है? यदि तू न्याय के लिए मज़बूती से खड़ा रहता है, तो क्या यह तुझे मार कर नीचे गिरा देगा? यदि यह सचमुच में तेरी आकांक्षा है कि तू जीवन का अनुसरण करे, तो क्या जीवन तुझसे बच कर निकल जाएगा? यदि तेरे पास सत्य नहीं है, तो यह इसलिए नहीं है क्योंकि सत्य तुझे नज़रंदाज़ करता है, बल्कि इसलिए है क्योंकि तू सत्य से दूर रहता है; यदि तू न्याय के लिए मज़बूती से खड़ा नहीं हो सकता है, तो यह इसलिए नहीं है क्योंकि न्याय के साथ कुछ न कुछ गड़बड़ी है, परन्तु इसलिए है क्योंकि तू विश्वास करता है कि यह तथ्यों से अलग है; कई सालों तक जीवन का पीछा करते हुए भी यदि तूने जीवन प्राप्त नहीं किया है, तो यह इसलिए नहीं है क्योंकि जीवन के पास तेरे लिए कोई सद्विचार नहीं है, परन्तु इसलिए है क्योंकि तेरे पास जीवन के लिए कोई सद्विचार नहीं है, और तूने जीवन को स्वयं से दूर कर दिया है; यदि तू ज्योति में जीता है, लेकिन ज्योति को पाने में असमर्थ रहा है, तो यह इसलिए नहीं है क्योंकि ज्योति के लिए तेरे ऊपर चमकना असंभव है, परन्तु इसलिए है क्योंकि तूने ज्योति के अस्तित्व पर कोई ध्यान नहीं दिया, और इसलिए ज्योति तेरे पास से खामोशी से चली गई है। यदि तू अनुसरण नहीं करता है, तो केवल यह कहा जा सकता है कि तू फालतू कचरा है, तेरे जीवन में साहस बिल्कुल नहीं है, और तेरे पास अंधकार की ताकतों का विरोध करने के लिए हौसला नहीं है। तू बहुत ही ज़्यादा कमज़ोर है! तू शैतान की उन ताकतों से बचने में असमर्थ है जो तुझे जकड़ लेती हैं, तू केवल इस प्रकार का सकुशल और सुरक्षित जीवन जीना और अपनी अज्ञानता में मरना चाहता है। जो तुझे हासिल करना चाहिए वह है विजय पा लिए जाने का तेरा अनुसरण; यह तेरा परम कर्तव्य है। यदि तू इस बात से संतुष्ट है कि तुझ पर विजय पा ली गयी है, तो तू ज्योति की अस्तित्व को दूर हटा देता है। तुझे सत्य के लिए कठिनाई उठानी होगी, तुझे स्वयं को सत्य के लिए देना होगा, तुझे सत्य के लिए अपमान सहना होगा, और अधिक सत्य प्राप्त करने के लिए तुझे अधिक कष्ट से होकर गुज़रना होगा। तुझे यही करना चाहिए। एक शांतिपूर्ण पारिवारिक ज़िन्दगी के लिए तुझे सत्य को नहीं फेंकना चाहिए, और क्षणिक आनन्द के लिए तुझे अपने जीवन की गरिमा और सत्यनिष्ठा को नहीं खोना चाहिए। तुझे उन सब चीज़ों का अनुसरण करना चाहिए जो ख़ूबसूरत और अच्छा है, और तुझे अपने जीवन में एक ऐसे मार्ग का अनुसरण करना चाहिए जो ज़्यादा अर्थपूर्ण है। यदि तू एक ऐसा घिनौना जीवन जीता है, किसी उद्देश्य के लिए प्रयास नहीं करता है, तो क्या तू अपने जीवन को बर्बाद नहीं करता है? ऐसे जीवन से तू क्या हासिल कर पाएगा? तुझे एक सत्य के लिए देह के सारे सुख विलासों को छोड़ देना चाहिए, थोड़े से सुख विलास के लिए सारे सत्य को नहीं फेंकना चाहिए। ऐसे लोगों के पास कोई सत्यनिष्ठा और गरिमा नहीं होती है; उनके अस्तित्व का कोई अर्थ नहीं है!
परमेश्वर मनुष्य का न्याय करता है और उसको ताड़ना देता है क्योंकि यह उसके कार्य की मांग है, और इसके अतिरिक्त, मनुष्य को इसकी आवश्यकता है। मनुष्य को ताड़ना दिए जाने और उसका न्याय किए जाने की आवश्यकता है, और केवल तब ही वह परमेश्वर के लिए प्रेम को प्राप्त कर सकता है। आज, तुम लोग पूरी तरह आश्वस्त हो चुके हो, परन्तु जब तुम लोग जरा सा भी मुश्किलों का सामना करते हो तो तुम लोग परेशानी में आ जाते हो; तुम लोगों की कद-काठी अभी भी बहुत छोटी है, और एक गहरा ज्ञान प्राप्त करने के लिए तुम लोगों को अभी भी ऐसी ताड़ना और न्याय का और भी अधिक अनुभव करने की आवश्यकता है। आज, तुम लोगों में परमेश्वर के प्रति कुछ आदर है, तुम लोग परमेश्वर से डरते हो, और तुम लोग जानते हो कि वह सच्चा परमेश्वर है, परन्तु तुम लोगों में उसके लिए बड़ा प्रेम नहीं है, और सच्चा प्रेम तो तुम लोगों ने बिलकुल भी हासिल नहीं किया है; तुम लोगों का ज्ञान बहुत ही छिछला है, तुम लोगों की हस्ती अभी भी अपर्याप्त है। जब तुम लोग सचमुच में एक स्थिति का सामना करते हो, तब भी तुम लोग गवाही नहीं देते हो, तुम लोगों के प्रवेश का थोड़ा भाग ही अग्रसक्रिय होता है, और तुम लोगों में कोई समझ नहीं है कि अभ्यास कैसे करना है। बहुत से लोग निष्क्रिय और सुस्त होते हैं; वे केवल गुप्त रूप से अपने हृदय में परमेश्वर से प्रेम करते हैं, किन्तु उनके पास अभ्यास का कोई तरीका नहीं है, और न ही वे अपने लक्ष्यों को लेकर स्पष्ट हैं। वे जिन्हें सिद्ध बनाया गया है उनके पास न केवल सामान्य मानवता है, बल्कि उनके पास ऐसे सत्य भी हैं जो विवेक के मापदण्डों से बढ़कर हैं, और जो विवेक के मानकों से ऊँचे हैं; वे परमेश्वर के प्रेम का प्रतिफल देने के लिए न केवल अपने विवेक का इस्तेमाल करते हैं, बल्कि, उससे बढ़कर, वे परमेश्वर को जान चुके हैं, यह देख चुके हैं कि परमेश्वर प्रेमी है, वह मनुष्य के प्रेम के योग्य है, और परमेश्वर में प्रेम करने के लिए इतना कुछ है कि मनुष्य उसे प्रेम किये बिना नहीं रह सकता है। वे लोग जिन्हें सिद्ध किया गया है उनका परमेश्वर के लिए प्रेम उनकी व्यक्तिगत आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए है। उनका प्रेम स्वैच्छिक है, एक ऐसा प्रेम जो बदले में कुछ भी नहीं मांगता है, और जो एक व्यापार नहीं है। परमेश्वर से उनके प्रेम का कारण उसके बारे में उनके ज्ञान को छोड़ और कुछ भी नहीं है। ऐसे लोग यह परवाह नहीं करते हैं कि परमेश्वर उन पर अनुग्रह करेगा कि नहीं, और परमेश्वर को संतुष्ट करने के सिवाय और किसी भी चीज़ से तृप्त नहीं होते हैं। वे परमेश्वर से मोल भाव नहीं करते हैं, और न ही वे विवेक के द्वारा परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को नापते हैं: तूने मुझे दिया है, तो उसके बदले मैं तुझसे प्रेम करता हूँ; यदि तू मुझे कुछ नहीं देता है, तो बदले में मेरे पास भी तेरे लिए कुछ नहीं है। वे जिन्हें सिद्ध किया गया है, हमेशा विश्वास करते हैं: परमेश्वर सृष्टिकर्ता है, और वह हम पर अपना कार्य करता है। चूँकि मेरा पास सिद्ध किए जाने के लिए यह अवसर, परिस्थिति और योग्यता है, इसीलिए एक अर्थपूर्ण जीवन बिताना ही मेरा लक्ष्य होना चाहिए, और मुझे परमेश्वर को संतुष्ट करना चाहिए। यह बिलकुल वैसा ही है जैसा पतरस ने अनुभव किया था: जब वह बेहद कमज़ोर था, तब उसने प्रार्थना की और कहा, "हे परमेश्वर! तू जानता है कि मैंने समय और स्थान की परवाह न करते हुए, हमेशा तुझे याद किया है। तू जानता है कि चाहे कोई भी समय और स्थान हो, मैं तुझसे प्रेम करना चाहता हूँ, परन्तु मेरी हस्ती बहुत छोटी है, मैं बहुत कमज़ोर और निर्बल हूँ, मेरा प्रेम बहुत सीमित है, और तेरे प्रति मेरी सत्यनिष्ठा बहुत थोड़ी सी है। तेरे प्रेम की तुलना में, मैं जीने के भी योग्य नहीं हूँ। मैं केवल यह कामना करता हूँ कि मेरा जीवन व्यर्थ न हो, और मैं न केवल तेरे प्रेम का प्रतिफल दे सकूँ, बल्कि, इसके अतिरिक्त, वह सब कुछ जो मेरे पास है उसे तेरे लिए समर्पित कर सकूँ। यदि मैं तुझे संतुष्ट कर सकूँ, तब एक प्राणी होने के नाते, मेरे पास मन की शांति होगी, और मैं कु�� और नहीं मांगूंगा। यद्यपि अब मैं कमज़ोर और निर्बल हूँ, फिर भी मैं तेरे प्रोत्साहन को नहीं भूलूंगा, और तेरे प्रेम को नहीं भूलूंगा। अब मैं तेरे प्रेम का प्रतिफल देने के सिवाय कुछ और नहीं कर रहा हूँ। हे परमेश्वर, मुझे बहुत बुरा लग रहा है! मेरे हृदय में तेरे लिए जो प्रेम है उसे मैं तुझे वापस कैसे दे सकता हूँ, मेरी क्षमता में जो भी है उसे मैं कैसे कर सकता हूँ, मैं तेरी इच्छाओं को पूरा करने के योग्य कैसे हो सकता हूँ, और जो कुछ भी मेरे पास है, वह सब कुछ तुझे भेंट चढ़ाने के योग्य कैसे हो सकता हूँ? तू मनुष्य की कमज़ोरी को जानता है; मैं तेरे प्रेम के काबिल कैसे हो सकता हूँ? हे परमेश्वर! तू जानता है कि मेरी हस्ती छोटी सी है, कि मेरा प्रेम बहुत थोड़ा सा है। इस प्रकार की परिस्थितियों में मैं अपनी क्षमतानुसार सर्वोत्तम कार्य कैसे कर सकता हूँ? मैं जानता हूँ कि मुझे तेरे प्रेम का प्रतिफल देना चाहिए, मैं जानता हूँ कि मुझे वह सब कुछ देना चाहिए जो मेरे पास है, परन्तु आज मेरी हस्ती बहुत छोटी है। मैं तुझसे मांगता हूँ कि तू मुझे सामर्थ दे, और मुझे आत्मविश्वास दे, जिस से तुझे समर्पित करने के लिए मैं और अधिक शुद्ध प्रेम को प्राप्त करने के योग्य हो जाऊँगा, और जो कुछ भी मेरे पास है, वह सब कुछ समर्पित करने के लिए और अधिक योग्य हो जाऊँगा; न केवल मैं तेरे प्रेम का प्रतिफल देने के योग्य हो जाऊँगा, बल्कि तेरी ताड़ना, न्याय और परीक्षाओं, और यहाँ तक कि कठिन अभिशापों का भी अनुभव करने के लिए और अधिक योग्य हो जाऊँगा। तूने मुझे अपने प्रेम को देखने दिया है, और तुझसे प्रेम न करने में मैं असमर्थ हूँ, और आज भले ही मैं कमज़ोर और निर्बल हूँ, फिर भी मैं तुझे कैसे भूल सकता हूँ? तेरे प्रेम, ताड़ना और न्याय, इन सबसे मैंने तुझे जाना है, फिर भी तेरे प्रेम की पूर्ति करने में मैं असमर्थता भी महसूस करता हूँ, क्योंकि तू कितना महान है। जो कुछ मेरे पास है, वह सब कुछ मैं सृष्टिकर्ता को कैसे समर्पित कर सकता हूँ?" पतरस की विनती ऐसी ही थी, फिर भी उसकी हस्ती काफी नहीं थी। इस क्षण, उसने ऐसा महसूस किया मानो एक कटार उसके हृदय के आर-पार हो गया था और वह पीड़ा में था; वह नहीं जानता था कि ऐसी स्थिति में क्या करना है। फिर भी वह लगातार प्रार्थना करता रहा: "हे परमेश्वर! मनुष्य की हस्ती बचकानी है, उसका विवेक कमज़ोर है, और तेरे प्रेम का प्रतिफल देना ही वह एक मात्र चीज़ है जिसे मैं हासिल कर सकता हूँ। आज, मैं नहीं जानता हूँ कि तेरी इच्छाओं को कैसे संतुष्ट करूँ, और मैं बस वह सब करना चाहता हो जो मैं कर सकता हूँ, जो कुछ मेरे पास है वो सब तुझे दूँ और वह सब कुछ तुझे समर्पित करूँ जो मेरे पास है। तेरे न्याय के बावजूद, तेरी ताड़नाओं के बावजूद, इसके बावजूद कि तू मुझे क्या देता है, इसके बावजूद कि तू मुझ से क्या ले लेता है, मुझे तेरे बारे में, छोटी सी भी शिकायत से आज़ाद कर। कई बार, जब तूने मुझे ताड़ना दी और मेरा न्याय किया, मैं अपने आप में कुड़कुड़ाता था, और मैं शुद्धता प्राप्त करने, या तेरी इच्छाओं की पूर्ति करने में असमर्थ था। मैंने मजबूरी में तेरे प्रेम का प्रतिफल दिया था, और इस घड़ी मैं अपने आप से और भी अधिक नफरत करता हूँ।" चूँकि पतरस परमेश्वर से शुद्ध प्रेम करने की खोज करता था इसलिए उसने इस प्रकार प्रार्थना की। वह खोज रहा था, और विनती कर रहा था, और, उससे बढ़कर, वह अपने आप पर इल्ज़ाम लगा रहा था, और परमेश्वर के सामने अपने पापों को अंगीकार कर रहा था। उसने महसूस किया कि वह परमेश्वर का ऋणी है, और उसने अपने आप से नफरत महसूस की, लेकिन फिर भी वह थोड़ा उदास और निष्क्रिय भी था। उसे हमेशा ऐसा महसूस होता था, कि मानो वह परमेश्वर की इच्छाओं के लिए बहुत उचित नहीं था, और वह अपना सर्वोत्तम कार्य करने में असमर्थ था। ऐसी स्थितियों में, पतरस ने अय्यूब के विश्वास का ही अनुसरण किया। उसने देखा था कि अय्यूब का विश्वास कितना बड़ा था, क्योंकि अय्यूब ने यह देखा था कि उसका सब कुछ परमेश्वर के द्वारा दिया गया था, और उसका सब कुछ ले लेना परमेश्वर के लिए स्वभाविक था, कि परमेश्वर जिसको चाहेगा उसको देगा-परमेश्वर का धर्मी स्वभाव ऐसा ही था। अय्यूब ने कोई शिकायत नहीं की थी, और वह तब भी परमेश्वर की स्तुति करने में समर्थ था। पतरस भी स्वयं को जानता था, और उसने अपने हृदय में प्रार्थना की, "आज अपने विवेक का इस्तेमाल करके तेरे प्रेम का बदला चुका कर मुझे संतुष्ट नहीं होना चाहिए और मैंने तुझे जितना अधिक प्रेम वापस किया है उससे भी मुझे संतुष्ट नहीं होना चाहिए, क्योंकि मेरे विचार बहुत ही भ्रष्ट हैं, और मैं तुझे सृष्टिकर्ता के रूप में देख पाने में असमर्थ हूँ। क्योंकि मैं अभी भी तुझसे प्रेम करने के योग्य नहीं हूँ, मुझे वह योग्यता हासिल करनी होगी जिससे मेरे पास जो भी है, वह सब कुछ मैं तुझे समर्पित कर सकूँ, और मैं यह खुशी से करूँगा। मुझे वह सब कुछ जानना होगा जो तूने किया है, और मेरे पास कोई विकल्प नहीं होना चाहिए, और मुझे तेरे प्रेम को देखना होगा, और मुझे तेरी स्तुति करने और तेरे पवित्र नाम का गुणगान करने योग्य होना होगा, ताकि तू मेरे ज़रिए बड़ी महिमा प्राप्त कर सके। मैं तेरी इस गवाही में तेरे साथ मज़बूती के साथ खड़े होने को तैयार हूँ। हे परमेश्वर! तेरा प्रेम कितना बहुमूल्य और सुन्दर है; मैं उस दुष्ट के हाथों में जीने की कामना कैसे कर सकता था? क्या मुझे तेरे द्वारा नहीं बनाया गया था? मैं शैतान के प्रभुत्व के अधीन कैसे जी सकता था? मैं यह ज़्यादा पसंद करता हूँ कि मेरा सारा सत्व तेरी ताड़नाओं के मध्य रहे। मैं उस दुष्ट के शासन के अधीन नहीं जीना चाहता हूँ। यदि मुझे पवित्र बनाया जा सकता है, और यदि मैं अपना सब कुछ तुझे समर्पित कर सकता हूँ, तो मैं तेरे न्याय और ताड़ना को अपने शरीर और मन की भेंट चढ़ाने को तैयार हूँ, क्योंकि मैं शैतान से घृणा करता हूँ, और मैं उसके शासन के अधीन जीवन बिताने में इच्छुक नहीं हूँ। मेरा न्याय करने द्वारा तू अपने धर्मी स्वभाव को दर्शाता है; मैं खुश हूँ, और मुझे थोड़ी भी शिकायत नहीं है। यदि मैं प्राणी होने के कर्तव्य को निभा सकूँ, तो मैं तैयार हूँ कि मेरा सम्पूर्ण जीवन तेरे न्याय के साथ जुड़ जाए, जिसके जरिए मैं तेरे धर्मी स्वभाव को जान पाऊँगा, और उस दुष्ट के प्रभाव से अपने आपको छुड़ा पाऊँगा।" पतरस ने हमेशा इस प्रकार प्रार्थना की, हमेशा इस प्रकार ही खोज की, और वह एक ऊँचे आयाम तक पहुँच गया। वह न केवल परमेश्वर के प्रेम का प्रतिफल देने के योग्य हो पाया, बल्कि, उससे भी अधिक महत्वपूर्ण, उसने एक प्राणी होने के अपने कर्तव्य को भी निभाया। उस पर न केवल उसके विवेक के द्वारा दोष नहीं लगाया गया था, बल्कि वह विवेक के मानकों से परे होने में भी सक्षम हो गया था। उसकी प्रार्थनाएँ लगातार ऊपर परमेश्वर के सामने पहुँचती रहीं, कुछ इस तरह कि उसकी आकांक्षाएँ हमेशा से और ऊँची हो गईं, और परमेश्वर के प्रति उसका प्रेम हमेशा से और विशाल हो गया। यद्यपि उसने अति पीड़ादायक दर्द सहा था, फिर भी वह परमेश्वर से प्रेम करना नहीं भूला, और तब भी उसने परमेश्वर की इच्छा को समझने की क्षमता को प्राप्त करने का प्रयास किया। उसकी प्रार्थनाओं में निम्नलिखित वचन कहे गए: तेरे प्रेम का प्रतिफल देने के अलावा मैंने और कुछ पूर्ण नहीं किया है। मैंने शैतान के सामने तेरे लिए गवाही नहीं दी है, मैंने अपने आपको शैतान के प्रभाव से आज़ाद नहीं किया है, और मैं अब भी शरीर के बीच जीता हूँ। मैं अपने प्रेम का इस्तेमाल कर के शैतान को हराने की, और उसे लज्जित करने की, और इस प्रकार तेरी इच्छा को संतुष्ट कर पाने की कामना करता हूँ। मैं अपना सर्वस्व तुझे समर्पित कर पाने की, अपना थोड़ा सा भी अंश शैतान को देने की इच्छा नहीं करता हू��, क्योंकि शैतान तेरा शत्रु है। जितना ज़्यादा उसने इस दिशा में प्रयास किया, उतना ही ज़्यादा वह द्रवित हुआ, और उतना ही ज़्यादा इन विषयों पर उसका ज्ञान बढ़ता गया। एहसास किए बगैर, उसे पता चल गया कि उसे अपने आपको शैतान के प्रभाव से मुक्त कर देना चाहिए, और स्वयं को पूरी तरह परमेश्वर के पास वापस लौटा देनाचाहिए। उसने ऐसा ही आयाम हासिल किया था। वह शैतान के प्रभाव से भी आगे बढ़ रहा था, और वह शरीर की अभिलाषाओं और मौज मस्ती से अपने आपको छुड़ा रहा था, और वह परमेश्वर की ताड़ना और न्याय दोनों को और अधिक गम्भीरता से अनुभव करने को तैयार था। उसने कहा, "यद्यपि मैं तेरी ताड़नाओं और तेरे न्याय के बीच रहता हूँ, उससे जुड़ी कठिनाई के बावजूद, मैं अभी भी शैतान के प्रभुत्व के अधीन जीवन व्यतीत करना नहीं चाहता हूँ, और मैं शैतान के छल कपट को सहना नहीं चाहता हूँ। मैं तेरे अभिशापों के बीच जी कर आनन्दित हूँ, मैं शैतान की आशीषों के मध्य जी कर कष्ट में हूँ। मैं तुझसे प्रेम करता हूँ क्योंकि मैं तेरे न्याय के बीच जीवन बिताता हूँ, और इस से मुझे बहुत आनन्द प्राप्त होता है। तेरी ताड़ना और न्याय धर्मी और पवित्र है; यह मुझे शुद्ध करने के लिए है, और उससे बढ़कर मुझ बचाने के लिए है। मैं अधिक पसंद करूँगा कि अपना सारा जीवन तेरी देखरेख में तेरे न्याय के बीच बिता दूँ। मैं एक घड़ी भी शैतान के प्रभुत्व में जीवन बिताने को तैयार नहीं हूँ; मैं तेरे द्वारा शुद्ध होना चाहता हूँ; और मैं दुख-तकलीफ भी सहूँ, तो भी मैं शैतान के द्वारा शोषित होने और छले जाने को इच्छुक नहीं हूँ। मुझे, इस प्राणी को, तेरे द्वारा इस्तेमाल किया जाना चाहिए, तेरे द्वारा प्राप्त किया जाना चाहिए, और तेरे द्वारा न्याय किया जाना चाहिए, और तेरे द्वारा ताड़ना दिया जाना चाहिए। यहाँ तक कि मुझे तेरे द्वारा शापित भी किया जाना चाहिए। जब तू मुझे आशीष देने की इच्छा करता है तो मेरा हृदय आनन्दित होता है, क्योंकि मैं तेरे प्रेम को देख चुका हूँ। तू सृष्टिकर्ता है, और मैं एक सृष्टि हूँ: मुझे तुझको धोखा देकर शैतान के प्रभुत्व में जीवन व्यतीत नहीं करना चाहिए, और मुझे शैतान के द्वारा शोषित भी नहीं किया जाना चाहिए। शैतान के लिए जीने के बजाय मुझे तेरा घोड़ा, या बैल होना चाहिए। मैं तेरी ताड़नाओं के मध्य, बिना किसी शारीरिक आनन्द के, जीवन व्यतीत करना ज़्यादा पसंद करूँगा, और यदि मैं तेरा अनुग्रह खो भी दूँ तो भी इससे मुझे प्रसन्नता होगी। यद्यपि तेरा अनुग्रह मेरे साथ नहीं है, फिर भी मैं तेरे द्वारा ताड़ना दिए जाने और न्याय किए जाने से प्रसन्न हूँ; यह तेरी सर्वोत्तम आशीष है, और तेरा सबसे बड़ा अनुग्रह है। यद्यपि तू हमेशा प्रतापी है और मेरे प्रति क्रोधित है, किन्तु मैं तुझको नहीं छोड़ सकता हूँ, और मैं अभी भी तुझ से जी-भर कर प्रेम नहीं कर पाता हूँ। मैं तेरे घर में रहना अधिक पसंद करूँगा, मैं तेरे द्वारा शापित और प्रताड़ित किया जाना, और मार खाना अधिक पसंद करूँगा, मैं शैतान के प्रभुत्व के अधीन जीने को तैयार नहीं हूँ, न ही मैं केवल शरीर के लिए भाग-दौड़ करने की इच्छा करता हूँ, और शरीर के लिए जीने के लिए तो बिलकुल भी तैयार नहीं हूँ।" पतरस का प्रेम एक पवित्र प्रेम था। यह सिद्ध किए जाने का अनुभव है, और यह सिद्ध किए जाने का सर्वोच्च आयाम है, और इसको छोड़ और कोई जीवन नहीं है जो और अधिक सार्थक हो। उसने परमेश्वर की ताड़ना और न्याय को स्वीकार किया, उसने परमेश्वर के धर्मी स्वभाव को संजोकर रखा, और पतरस में इसको छोड़ कुछ भी और अधिक बहुमूल्य नहीं था। उसने कहा, "शैतान मुझे भौतिक आनन्द देता है, परन्तु मैं उनको संजोकर नहीं रखता हूँ। परमेश्वर की ताड़ना और न्याय मुझ पर आती है—मैं इसी में अनुग्रहित हूँ, और मुझे इसी में आनन्द मिलता है, और मैं इसी में आशीषित हूँ। यदि परमेश्वर का न्याय ना होता तो मैं परमेश्वर से कभी प्यार नहीं कर पाता, मैं अभी भी शैतान के प्रभुत्व के अधीन जीवन बिताता, मुझे अभी भी उसके द्वारा नियन्त्रित किया जाता, और उसके आदेश के अधीन होता। यदि स्थिति ऐसी होती, तो मैं कभी भी एक असल इंसान नहीं बन पाता, क्योंकि मैं परमेश्वर को संतुष्ट करने में असमर्थ रहता, और मैं अपनी समग्रता को परमेश्वर को समर्पित नहीं कर पाता। भले ही परमेश्वर मुझे आशीष न दे, और मुझे बिना किसी भीतरी सुकून के इस तरह छोड़ दे, मानो एक आग मेरे भीतर जल रही हो, और बिना किसी शांति या आनन्द के छोड़ दे, और भले ही परमेश्वर की ताड़ना और अनुशासन कभी मुझ से दूर नहीं हुआ, फिर भी मैं परमेश्वर की ताड़ना और न्याय में उसके धर्मी स्वभाव को देखने में सक्षम हूँ। मैं इस में आनन्दित हूँ; जीवन में इस से बढ़कर कोई मूल्यवान और अर्थपूर्ण बात नहीं है। यद्यपि उसकी सुरक्षा और देखभाल क्रूर ताड़ना, न्याय, अभिशाप और पीड़ा बन चुके हैं, फिर भी मैं इन चीज़ों में आनन्दित होता हूँ, क्योंकि वे मुझे बेहतर ढंग से शुद्ध कर सकते हैं और बदल सकते हैं, मुझे परमेश्वर के नज़दीक ला सकते हैं, मुझे परमेश्वर से और भी अधिक प्रेम करने के योग्य बना सकते हैं, और परमेश्वर के प्रति मेरे प्रेम को और अधिक शुद्ध कर सकते हैं। यह मुझे इस योग्य बनाता है कि मैं एक जीवधारी रूप में अपने कर्तव्य को पूरा करूँ, यह मुझे परमेश्वर के सामने और शैतान के प्रभाव से दूर ले जाता है, ताकि मैं आगे से शैतान की सेवा न करूँ। जब मैं शैतान के प्रभुत्व के अधीन जीवन नहीं बिताता हूँ, और जब मैं, बिना हिचकिचाए, अपना सब कुछ जो मेरे पास है और वह सब कुछ जिसे मैं कर सकता हूँ उसे परमेश्वर को समर्पित करने के योग्य हो जाता हूँ—तब ही मैं पूरी तरह संतुष्ट होऊँगा। यह परमेश्वर की ताड़ना और न्याय है जिसने मुझे बचाया है, और मेरे जीवन को परमेश्वर की ताड़नाओं और न्याय से अलग नहीं किया जा सकता है। पृथ्वी पर मेरा जीवन शैतान के प्रभुत्व में है, और यदि परमेश्वर की ताड़ना और न्याय की देखभाल और सुरक्षा नहीं होती, तो मैं हमेशा शैतान के प्रभुत्व के अधीन जीवन बिताता, और, इसके अतिरिक्त, मेरे पास एक सार्थक जीवन जीने का अवसर या साधन नहीं होता। बस अगर परमेश्वर की ताड़ना और न्याय मुझे कभी छोड़कर न जाए, तब ही मैं परमेश्वर के द्वारा शुद्ध किए जाने के योग्य हो सकता हूँ। केवल परमेश्वर के कठोर शब्दों, धार्मिक स्वभाव, और परमेश्वर के प्रतापी न्याय के कारण ही, मैंने सर्वोच्च सुरक्षा प्राप्त की है, और ज्योति में रहा हूँ, और मैंने परमेश्वर की आशीषों को प्राप्त किया है। शुद्ध किए जाने में, और अपने आपको शैतान से मुक्त कराने सक्षम होना, और परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन जीवन बिताना—यह आज मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी आशीष है।" यह पतरस के द्वारा अनुभव किया गया सर्वोच्च आयाम है।
सिद्ध किए जाने के बाद मनुष्य को ऐसी अवस्थाओं को हासिल करना होगा। यदि तू इतना कुछ हासिल नहीं कर सकता है, तो तू एक सार्थक जीवन नहीं बिता सकता है। मनुष्य शरीर में रहता है, इसका मतलब है कि वह मानवीय नरक में रहता है, और परमेश्वर के न्याय और उसकी ताड़ना के बगैर, मनुष्य शैतान के समान ही गन्दा है। मनुष्य पवित्र कैसे हो सकता है? पतरस ने यह विश्वास किया कि परमेश्वर की ताड़ना और उसका न्याय मनुष्य की सब से बड़ी सुरक्षा और सब से महान अनुग्रह है। केवल परमेश्वर की ताड़ना और न्याय के द्वारा ही मनुष्य जागृत हो सकता है, और शरीर और शैतान से बैर कर सकता है। परमेश्वर का कठोर अनुशासन मनुष्य को शैतान के प्रभाव से मुक्त करता है, वह उसे उसके छोटे संसार से आज़ाद करता है, और उसे परमेश्वर की उपस्थिति के प्रकाश में जीवन बिताने देता है। ताड़ना और न्याय की अपेक्षा कोई बेहतर उद्धार नहीं है! पतरस ने प्रार्थना की, "हे परमेश्वर! जब तक तू मुझे ताड़ना देता और मेरा न्याय करता है, मैं यह जानूँगा कि तूने मुझे नहीं छोड़ा है। भले ही तू मुझे आनन्द और शांति न दे, और मुझे कष्ट में रहने दे, और मुझे अनगिनत ताड़नाओं से प्रताड़ित करे, किन्तु जब तक तू मुझे नहीं छोड़ता है तब तक मेरा हृदय सुकून से रहेगा। आज, तेरी ताड़ना और न्याय मेरी सबसे बेहतरीन सुरक्षा और सबसे महान आशीष बन गए हैं। जो अनुग्रह तू मुझे देता है वह मेरी सुरक्षा करता है। जो अनुग्रह आज तू मुझे देता है वह तेरे धर्मी स्वभाव का प्रकटीकरण है, ताड़ना और न्याय है; इसके अतिरिक्त, यह एक परीक्षा है, और, उससे बढ़कर, यह दुखभोग का जीवन है।" पतरस देह के आनंदों को अलग रख सकता था, और एक अत्यंत गहरे प्रेम और सबसे बड़ी सुरक्षा की खोज कर सकता था, क्योंकि उसने परमेश्वर की ताड़ना और न्याय से इतना कुछ हासिल किया था। अपने जीवन में, यदि मनुष्य शुद्ध होना चाहता है और अपने स्वभाव में परिवर्तन हासिल करना चाहता है, यदि वह एक सार्थक जीवन बिताना चाहता है, और एक जीवधारी के रूप में अपने कर्तव्य को निभाना चाहता है, तो उसे परमेश्वर की ताड़ना और न्याय को स्वीकार करना चाहिए, और उसे परमेश्वर के अनुशासन और परमेश्वर के प्रहार को अपने आप से दूर नहीं होने देना चाहिए, इस प्रकार वह अपने आपको शैतान के छल प्रपंच और प्रभाव से मुक्त कर सकता है और परमेश्वर के प्रकाश में जीवन बिता सकता है। यह जानो कि परमेश्वर की ताड़ना और न्याय ज्योति है, और वह मनुष्य के उद्धार की ज्योति है, और मनुष्य के लिए उससे बेहतर कोई आशीष, अनुग्रह या सुरक्षा नहीं है। मनुष्य शैतान के प्रभाव के अधीन जीता है, और देह में जीता है; यदि उसे शुद्ध नहीं किया जाता है और उसे परमेश्वर की सुरक्षा प्राप्त नहीं होती है, तो वह पहले से कहीं ज़्यादा भ्रष्ट बन जाएगा। यदि वह परमेश्वर से प्रेम करना चाहता है, तो उसे शुद्ध होना और उद्धार पाना होगा। पतरस ने प्रार्थना की, "परमेश्वर जब तू मुझसे कृपा के साथ व्यवहार करता है तो मैं प्रसन्न हो जाता हूँ, और मुझे सुकून मिलता है; जब तू मुझे ताड़ना देता है, तब मुझे उससे कहीं ज़्यादा सुकून और आनन्द मिलता है। यद्यपि मैं कमज़ोर हूँ, और अकथनीय कष्ट सहता हूँ, यद्यपि मेरे जीवन में आँसू और उदासी है, लेकिन तू जानता है कि यह उदासी मेरी अनाज्ञाकारिता के कारण है, और मेरी कमज़ोरी के कारण है। मैं रोता हूँ क्योंकि मैं तेरी इच्छाओं को संतुष्ट नहीं कर पाता हूँ, मैं दुखी और खेदित हूँ क्योंकि मैं तेरी अपेक्षाओं के प्रति नाकाफी हूँ, लेकिन मैं इस आयाम को हासिल करने के लिए तैयार हूँ, मैं वह सब करने के लिए तैयार हूँ जो मैं तुझे संतुष्ट करने के लिए कर सकता हूँ। तेरी ताड़ना मेरे लिए सुरक्षा लेकर आई है, और मुझे सब से बेहतरीन उद्धार दिया है; तेरा न्याय तेरी सहनशीलता और धीरज को ढँक देता है। तेरी ताड़ना और न्याय के बगैर, मैं तेरी दया और करूणा का आनन्द नहीं ले पाऊँगा। आज, मैं यह और भी अधिक देखता हूँ कि तेरा प्रेम स्वर्ग से भी ऊँचा हो गया है और सबसे श्रेष्ठ हो गया है। तेरा प्रेम मात्र दया और करूणा नहीं है; किन्तु उससे भी बढ़कर, यह ताड़ना और न्याय है। तेरी ताड़ना और न्याय ने मुझे बहुत कुछ दिया है। तेरी ताड़ना और न्याय के बगैर, एक भी व्यक्ति शुद्ध नहीं हो सकता है, और एक भी इंसान सृष्टिकर्ता के प्रेम को अनुभव करने के योग्य नहीं हो सकता है। यद्यपि मैंने सैकड़ों परीक्षाओं और क्लेशों को सहा है, और यहाँ तक कि मौत के करीब आ गया, फिर भी ऐसे कष्टों[क] ने मुझे सचमुच में तुझे जानने और सर्वोच्च उद्धार प्राप्त करने दिया है। यदि तेरी ताड़ना, न्याय और अनुशासन मुझसे दूर हो गए होते, तो मैं अंधकार में शैतान के प्रभुत्व में जीवन बिताता। मनुष्य की देह से क्या लाभ है? यदि तेरी ताड़ना और न्याय मुझे छोड़ कर चले गए होते, तो यह ऐसा होता मानो तेरे आत्मा ने मुझे छोड़ दिया हो, मानो अब से तू मेरे साथ नहीं है। यदि ऐसा होता, तो मैं जीवन कैसे बिताता? यदि तू मुझे बीमारी देता है, और मेरी स्वतन्त्रता को ले लेता है, तो भी मैं जीवित रह सकता हूँ, परन्तु अगर तेरी ताड़ना और न्याय मुझे छोड़ देते, मेरे पास जीने का कोई रास्ता नहीं होगा। यदि मेरे पास तेरी ताड़ना और तेरा न्याय नहीं होता, तो मैंने तेरे प्रेम को खो दिया होता, एक ऐसे प्रेम को जो इतना गहरा है कि मैं इसे शब्दों में नहीं कह सकता हूँ। तेरे प्रेम के बिना, मैं शैतान के शासन के अधीन जीता, और तेरे महिमामय मुखड़े को देखने के काबिल नहीं हो पाता। मैं कैसे जीवित रह पाता? ऐसा अंधकार, ऐसा जीवन, मैं बिलकुल सह नहीं सकता था। तू मेरे साथ है तो यह ऐसा है मानो मैं तुझे देख रहा हूँ, तो मैं तुझे कैसे छोड़ सकता हूँ? मैं तुझ से विनती करता हूँ, मैं तुझ से याचना करता हूँ, तू मेरे सबसे बड़े सुकून को मत छीन, भले ही ये आश्वासन के मात्र थोड़े से शब्द हों। मैंने तेरे प्रेम का आनन्द लिया है, और आज मैं तुझ से दूर नहीं रह सकता हूँ; मैं तुझ से कैसे प्रेम नहीं कर सकता हूँ? मैंने तेरे प्रेम के कारण दुख में बहुत से आँसू बहाए हैं, फिर भी मैंने हमेशा से यह विश्वास किया है कि इस तरह का जीवन अधिक अर्थपूर्ण है, मुझे समृद्ध करने में अधिक योग्य है, मुझे बदलने में अधिक सक्षम है, और मुझे उस सत्य को हासिल करने देने में अधिक काबिल है जिसे सभी जीवधारियों के द्वारा धारण किया जाना चाहिए।"
मनुष्य का सारा जीवन शैतान के प्रभुत्व के अधीन बीतता है, और ऐसा एक भी इंसान नहीं है जो अपने बलबूते पर अपने आपको शैतान के प्रभाव से आज़ाद कर सकता है। सभी लोग भ्रष्टता और खालीपन में, बिना किसी अर्थ या मूल्य के, एक गन्दे संसार में रहते हैं; वे शरीर के लिए, वासना के लिए और शैतान के लिए ऐसी लापरवाह ज़िन्दगियाँ बिताते हैं। उनके अस्तित्व का जरा सा भी मूल्य नहीं है। मनुष्य उस सत्य को खोज पाने में असमर्थ है जो उसे शैतान के प्रभाव से मुक्त कर देगा। यद्यपि मनुष्य परमेश्वर पर विश्वास करता है और बाइबल पढ़ता है, फिर भी वह यह नहीं जानता है कि वह अपने आपको शैतान के नियन्त्रण से आज़ाद कैसे करे। विभिन्न युगों के दौरान, बहुत ही कम लोगों ने इस रहस्य को जाना है, और बहुत ही कम लोगों ने इसे स्पर्श किया है। वैसे तो, मनुष्य शैतान से और देह से घृणा करता है, फिर भी वह नहीं जानता है कि अपने आपको शैतान के फँसानेवाले प्रभाव से कैसे बचाए। आज, क्या तुम लोग अभी भी शैतान के प्रभुत्व के अधीन नहीं हो? तुम लोग अपने अनाज्ञाकारी कार्यों पर खेद नहीं करते हो, और यह तो बिलकुल भी महसूस नहीं करते हो कि तुम लोग अशुद्ध और अनाज्ञाकारी हो। परमेश्वर का विरोध करने के बाद, तुम लोगों को मन की शांति भी मिलती है और बहुत निश्चलता का एहसास भी होता है। क्या तेरी निश्चलता इसलिए नहीं है क्योंकि तू भ्रष्ट है? क्या यह मन की शांति तेरी अनाज्ञाकारिता से नहीं आती है? मनुष्य एक मानवीय नरक में रहता है, वह शैतान के बुरे प्रभाव में रहता है; पूरी धरती में, प्रेत मनुष्य के सथ रहते हैं, और मनुष्य की देह पर अतिक्रमण करते हैं। पृथ्वी पर, तू एक सुन्दर स्वर्गलोक में नहीं रहता है। जहाँ तू रहता है वह दुष्ट आत्मा का संसार है, एक मानवीय नरक है, और अधोलोक है। यदि मनुष्य को स्वच्छ नहीं किया जाता है, तो वह गंदगी से सम्बन्धित है; यदि परमेश्वर के द्वारा उसकी सुरक्षा और देखभाल नहीं की जाती है, तो वह अभी भी शैतान का बन्धुआ है; यदि उसका न्याय और उसकी ताड़ना नहीं की जाती है, तो उसके पास शैतान के बुरे प्रभाव के दमन से बचने का कोई उपाय नहीं होगा। वह भ्रष्ट स्वभाव जो तू दिखाता है और वह अनाज्ञाकारी व्यवहार जो तू करता है, वे इस बात को साबित करने के लिए काफी हैं कि तू अभी भी शैतान के शासन के अधीन जी रहा है। यदि तेरे मस्तिष्क और विचारों को शुद्ध नहीं किया गया है, और तेरे स्वभाव का न्याय और उसकी ताड़ना नहीं की गई है, तो तेरी पूरी हस्ती को अभी भी शैतान के प्रभुत्व के द्वारा नियन्त्रित किया जाता है, तेरा मस्तिष्क शैतान के द्वारा नियन्त्रित किया जाता है, तेरे विचार शैतान के द्वारा कुशलता से इस्तेमाल किए जाते हैं, और तेरी पूरी हस्ती शैतान के हाथों नियन्त्रित होती है। क्या तू जानता है कि, अभी, तू पतरस के स्तर से कितना दूर है? क्या तुझमें योग्यता है? तू आज की ताड़ना और न्याय के विषय में कितना जानता है? जितना पतरस जान पाया उसमें से तू कितना जान पाया है? आज, यदि तू जानने में असमर्थ है, तो क्या तू इस ज्ञान को भविष्य में जानने के योग्य हो पाएगा? तेरे जैसा आलसी और डरपोक व्यक्ति परमेश्वर के न्याय और उसकी ताड़ना को जानने में असमर्थ होता है। यदि तू शारीरिक शांति, और शारीरिक आनन्द का अनुसरण करता है, तो तेरे पास शुद्ध होने का कोई उपाय नहीं होगा, और अंत में तू वापस शैतान के पास लौट जाएगा, क्योंकि जिस प्रकार की ज़िन्दगी तू जीता है वह शैतानी, और शारीरिक है। आज जिस प्रकार की स्थितियाँ हैं, बहुत से लोग जीवन की खोज नहीं करते हैं, जिसका मतलब है कि वे शुद्ध होने, या जीवन सम्बन्धी अधिक गहरे अनुभव में प्रवेश करने की परवाह नहीं करते हैं। इस प्रकार कैसे उन्हें सिद्ध बनाया जा सकता है? वे जो जीवन का अनुसरण नहीं करते हैं उनके पास सिद्ध किए जाने का कोई अवसर नहीं होता है, और ऐसे लोग जो परमेश्वर के ज्ञान का अनुसरण नहीं करते हैं, और अपने स्वभाव में बदलाव का अनुसरण नहीं करते हैं, वे शैतान के बुरे प्रभाव से बच पाने में असमर्थ होते हैं। परमेश्वर के विषय उनके ज्ञान और उनके स्वभाव में परिवर्तन के पश्चात् उनके प्रवेश के संबंध में, वे गम्भीर नहीं हैं, वे उनके समान हैं जो सिर्फ धर्म में विश्वास करते हैं, और जो अपनी आराधना में मात्र रस्म का पालन करते हैं। क्या यह समय की बर्बादी नहीं है? परमेश्वर पर अपने विश्वास के सन्दर्भ में, यदि मनुष्य, जीवन के विषयों के प्रति गम्भीर नहीं है, वह सत्य में प्रवेश करने की कोशिश नहीं करता है, अपने स्वभाव में परिवर्तन की कोशिश नहीं करता है, और परमेश्वर के कार्य के ज्ञान की खोज तो बिलकुल भी नहीं करता है, तो उसे सिद्ध नहीं बनाया जा सकता है। यदि तू सिद्ध किए जाने की इच्छा करता है, तो तुझे परमेश्वर के कार्य को समझना ही होगा। विशिष्ट रूप से, तुझे उसकी ताड़ना और उसके न्याय के महत्व को समझना होगा, और यह समझना होगा कि इस कार्य को मनुष्य पर क्यों किया जाता है। क्या तू यह स्वीकार कर सकता है? इस प्रकार की ताड़ना के दौरान, क्या तू पतरस के समान ही अनुभव और ज्ञान प्राप्त करने में समर्थ है? यदि तू परमेश्वर के ज्ञान और पवित्र आत्मा के कार्य का अनुसरण करता है, और अपने स्वभाव में परिवर्तनों की कोशिश करता है, तो तेरे पास सिद्ध किए जाने का अवसर है।
उनके लिए जिन्हें सिद्ध किया जाना है, उन पर विजयी होने के कार्य का यह कदम अति आवश्यक है; केवल जब मनुष्य पर विजय पा ली जाती है, तभी मनुष्य सिद्ध किए जाने के कार्य का अनुभव कर सकता है। केवल जीत लिए जाने की भूमिका को निभाने का कोई बड़ा मूल्य नहीं है, जो तुझे परमेश्वर के इस्तेमाल के योग्य नहीं बनाएगा। सुसमाचार फैलाने हेतु अपनी भूमिका को निभाने के लिए तेरे पास कोई साधन नहीं होगा, क्योंकि तू जीवन का अनुसरण नहीं करता है, और स्वयं के परिवर्तन और नवीनीकरण का अनुसरण नहीं करता है, और इसलिए तेरे पास जीवन का कोई वास्तविक अनुभव नहीं होता है। इस कदम दर कदम कार्य के दौरान, तूने एक बार एक सेवा कर्ता के, और एक विषमता के समान कार्य किया था, किन्तु अंततः यदि तू पतरस के समान बनने के लिए अनुसरण नहीं करता है, और यदि तेरा अनुसरण उस मार्ग के अनुसार नहीं है जिसके द्वारा पतरस को सिद्ध बनाया गया था, तो, स्वाभाविक रूप से, तू अपने स्वभाव में परिवर्तन का अनुभव नहीं करेगा। यदि तू ऐसा व्यक्ति है जो सिद्ध किए जाने का अनुसरण करता है, तो तुझे गवाही दी होगी, और तू कहेगा: "परमेश्वर के इस कदम दर कदम कार्य में, मैंने परमेश्वर की ताड़ना और न्याय के कार्य को स्वीकार कर लिया है, और यद्यपि मैंने बड़ा कष्ट सहा है, फिर भी मैं जान गया हूँ कि परमेश्वर मनुष्य को सिद्ध कैसे बनाता है, मैंने परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य को प्राप्त कर लिया है, मेरे पास परमेश्वर की धार्मिकता का ज्ञान है, और उसकी ताड़ना ने मुझे बचा लिया है। उसका धर्मी स्वभाव मुझमें आ गया है, और मेरे लिए आशीषें और अनुग्रह लाया है; यह उसका न्याय और उसकी ताड़ना है जिसने मुझे शुद्ध किया है और मेरी सुरक्षा की है। यदि परमेश्वर के द्वारा मेरी ताड़ना और मेरा न्याय नहीं किया जाता, और यदि परमेश्वर के कठोर वचन मेरे ऊपर नहीं आते, तो मैं परमेश्वर को नहीं जान सकता था, न ही मुझे बचाया जा सकता था। एक जीवधारी के रूप में, आज मैं यह देखता हूँ, एक व्यक्ति न केवल परमेश्वर के द्वारा बनाए गए सभी चीज़ों का आनन्द उठाता है, परन्तु, अति महत्वपूर्ण रूप से, सभी जीवधारियों को परमेश्वर के धर्मी स्वभाव का आनन्द उठाना चाहिए, और उसके धर्मी न्याय का आनन्द उठाना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर का स्वभाव मनुष्य के आनन्द के योग्य है। एक ऐसे जीव के रूप में जिसे शैतान द्वारा भ्रष्ट बना दिया गया है, एक व्यक्ति को परमेश्वर के धर्मी स्वभाव का आनंद उठाना चाहिए। उसके धर्मी स्वभाव में उसकी ताड़ना और उसका न्याय है, और, इसके अतिरिक्त, उसमें बड़ा प्रेम है। यद्यपि आज मैं परमेश्वर के प्रेम को पूरी तरह प्राप्त करने में असमर्थ हूँ, फिर भी मुझे उसे देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, और इसमें मैं आशीषित हुआ हूँ।" यह वह पथ है जिस पर वे चलते हैं जो सिद्ध किए जाने का और जिस ज्ञान के बारे में वे बोलते हैं, उसका अनुभव करते हैं। ऐसे लोग पतरस के समान हैं; उनके पास पतरस के समान ही अनुभव होते हैं। वे ऐसे लोग हैं जिन्होंने जीवन प्राप्त किया है, और जिनके पास सत्य है। यदि मनुष्य बिलकुल अंत तक अनुभव करता है, तो परमेश्वर के न्याय के दौरान वह अनिवार्य रूप से पूरी तरह शैतान के प्रभाव से अपने आपको को छुड़ा लेगा, और परमेश्वर के द्वारा ग्रहण कर लिया जाएगा।
लोगों पर विजय पा लिए जाने के बाद, उनके पास कोई गूंजती हुई गवाही नहीं होती है। उन्होंने महज शैतान को शर्मिन्दा कर दिया है, किन्तु उन्होंने परमेश्वर के वचनों की वास्तविकता को नहीं जिया है। तूने दूसरा उद्धार प्राप्त नहीं किया है; तूने महज एक पापबलि प्राप्त की है, तुझे अब तक सिद्ध नहीं बनाया गया है—यह बहुत बड़ा नुकसान है। तुम लोगों को समझना होगा कि तुम्हें किसमें प्रवेश करना चाहिए, किसे जीना चाहिए, और तुम्हें उसमें प्रवेश करना चाहिए। यदि, अंत में, तू सिद्ध किए जाने के कार्य को पूरा नहीं करता है, तो तू एक वास्तविक मनुष्य नहीं होगा, और तू पछतावे से भर जाएगा। आदम और हव्वा जिन्हें परमेश्वर के द्वारा आदि में बनाया गया था, वे पवित्र थे, दूसरे शब्दों में, जब वे अदन की वाटिका में थे तब वे पवित्र थे, और उनमें कोई अशुद्धता नहीं थी। वे यहोवा के प्रति निष्‍ठावान भी थे, और यहोवा को धोखा देने के विषय में कुछ नहीं जानते थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि उनमें शैतान के प्रभाव का विघ्न नहीं था, उनमें शैतान का ज़हर नहीं था, और वे सभी मानवजाति में सबसे अधि��� शु़द्ध थे। वे अदन की वाटिका में रहते थे, वे हर प्रकार की गन्दगी से दूर थे, वे देह के कब्ज़े में नहीं थे, और वे यहोवा का आदर करते थे। बाद में, जब शैतान के द्वारा उनकी परीक्षा ली गई, तो उनके पास साँप का ज़हर था और यहोवा को धोखा देने की इच्छा थी, और वे शैतान के प्रभाव में जीवन बिताने लगे। आदि में, वे पवित्र थे और यहोवा का आदर करते थे; केवल इसी प्रकार से वे मानव थे। बाद में, जब शैतान के द्वारा उनकी परीक्षा ली गई, तब उन्होंने भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खा लिया, और शैतान के प्रभाव के अधीन जीवन बिताने लगे। धीरे धीरे उन्हें शैतान के द्वारा भ्रष्ट किया गया, और उन्होंने मनुष्य के मूल स्वरूप को खो दिया। आदि में, मनुष्य के पास यहोवा की श्वास थी, और वह थोड़ा भी अनाज्ञाकारी नहीं था, और उसके हृदय में कोई बुराई नहीं थी। उस समय, मनुष्य सचमुच में मानव था। शैतान के द्वारा कलुषित किए जाने के बाद, मनुष्य पशु बन गया। उसके विचार बुराई और गन्दगी से भर गए, और उनमें कोई अच्छाई और पवित्रता नहीं थी। क्या यह शैतान नहीं है? तूने परमेश्वर के बहुत से कार्य का अनुभव किया है, फिर भी तू नहीं बदला है और तुझे शुद्ध नहीं किया गया है। तू अभी भी शैतान के प्रभुत्व में जीवन बिताता है, और अभी भी परमेश्वर को समर्पित नहीं होता है। यह एक ऐसा व्यक्ति है जिस पर विजय पायी जा चुकी है लेकिन उसे सिद्ध नहीं बनाया गया है। और ऐसा क्यों कहा जाता है कि ऐसे व्यक्ति को सिद्ध नहीं किया गया है? क्योंकि यह व्यक्ति जीवन या परमेश्वर के कार्य के ज्ञान का अनुसरण नहीं करता है, और शारीरिक आनन्द और क्षणिक सुख से अधिक किसी और चीज़ को नहीं चाहता है। इसके परिणामस्वरूप, उसके जीवन स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं होता है, और वो मनुष्य के उस मूल रूप को फिर से प्राप्त नहीं करता है जिसे परमेश्वर के द्वारा सृजा गया था। ऐसे लोग चलती फिरती लाशें हैं, वे मरे हुए लोग हैं जिनमें कोई आत्मा नहीं है! वे जो आत्मा में विषयों के ज्ञान का अनुसरण नहीं करते हैं, वे जो पवित्रता का अनुसरण नहीं करते हैं, और वे जो सत्य को जीने का अनुसरण नहीं करते हैं, वे जो केवल नकारात्मक पहलु पर विजय पा लिए जाने से ही संतुष्ट होते हैं, और वे जो सत्य को जीने और उसे प्रकट करने, और पवित्र लोगों में से एक बनने में असमर्थ होते हैं—वे ऐसे लोग हैं जिन्हें बचाया नहीं गया है। क्योंकि, अगर मनुष्य सत्य के बिना है, तो वह परमेश्वर की परीक्षाओं के मध्य स्थिर खड़े रहने में असमर्थ होता है; केवल वे लोग जो परमेश्वर की परीक्षाओं के दौरान स्थिर खड़े रह सकते हैं वे ही ऐसे लोग हैं जिन्हें बचाया गया है। मैं ऐसे लोगों को चाहता हूँ जो पतरस के समान हैं, ऐसे लोग जो सिद्ध किए जाने का अनुसरण करते हैं। आज का सत्य उन्हें दिया जाता है जो उसके लिए लालसा और उसकी खोज करते हैं। यह उद्धार उन्हें दिया जाता है जो परमेश्वर के द्वारा उद्धार पाने की लालसा करते हैं, और यह उद्धार सिर्फ तुम लोगों द्वारा ग्रहण करने के लिए नहीं है, परन्तु यह इसलिए भी है ताकि तुम लोग परमेश्वर के द्वारा ग्रहण किए जाओ। तुम लोग परमेश्वर को ग्रहण करते हो ताकि परमेश्वर भी तुम लोगों को ग्रहण कर सके। आज मैंने ये वचन तुम लोगों से कहे हैं, और तुम लोगों ने इन्हें सुना है, और तुम लोगों को इन वचनों के अनुसार व्यवहार करना है। अंत में, जब तुम लोग इन वचनों को व्यवहार में लाओगे तब मैं इन वचनों के द्वारा तुम लोगों को ग्रहण कर लूँगा; उस समय ही, तुम लोगों ने भी इन वचनों को ग्रहण लिया होगा, दूसरे शब्दों में, तुम लोगों ने इस सर्वोच्च उद्धार को ग्रहण कर लिया होगा। तुम लोगों को शुद्ध कर दिए जाने के बाद, तुम लोग सच्चे मानव हो जाओगे। यदि तू सत्य को जीने में असमर्थ है, या उस व्यक्ति के समान जीवन बिताने में असमर्थ है, जिसे सिद्ध किया गया है, तो ऐसा कहा जा सकता है कि तू एक मानव नहीं है, तू एक चलती फिरती लाश है, और एक पशु है, क्योंकि तुझमें सत्य नहीं है, दूसरे शब्दों में कहें तो तुझमें यहोवा की श्वास नहीं है, और इस प्रकार तू मरा हुआ इंसान है जिसमें कोई आत्मा नहीं है! यद्यपि विजय पा लिए जाने के बाद गवाही देना संभव है, परन्तु जो तू प्राप्त करता है वह एक छोटा सा उद्धार है, और तू ऐसा जीवित प्राणी नहीं बन पाया है जिसमें आत्मा है। यद्यपि तूने ताड़ना और न्याय का अनुभव किया है, फिर भी उसके परिणामस्वरूप तेरा स्वभाव नहीं बदला है या परिवर्तित नहीं हुआ है; तू अभी पुराना मनुष्य है, तू अभी भी शैतान का है, और तू कोई ऐसा व्यक्ति नहीं हैं जिसे शुद्ध किया गया है। केवल ऐसे लोगों का मोल है जिन्हें सिद्ध किया गया है, और केवल ऐसे ही लोगों ने सच्चे जीवन को प्राप्त किया है। एक दिन, कोई तुझसे कहेगा, "तूने परमेश्वर का अनुभव किया है, अतः कुछ बता कि उसका कार्य कैसा है। दाऊद ने परमेश्वर के काम का अनुभव किया था, और उसने यहोवा के कार्यों को देखा था, मूसा ने भी यहोवा के कार्यों को देखा था, और वे दोनों यहोवा के कार्यों का बखान कर सकते थे, और यहोवा की विलक्षणता के बारे में बोल सकते थे। तुम लोगों ने अंत के दिनों के दौरान देहधारी परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य को देखा है; क्या तुम उसकी बुद्धि के बारे में बात कर सकते हो? क्या तुम उसके कार्य की विलक्षणता के बारे में बात कर सकता हो? परमेश्वर ने तुम लोगों से क्या अपेक्षाएं कीं थी, और तुम लोगों ने उनका अनुभव कैसे किया? तुम लोगों ने अंत के दिनों के दौरान परमेश्वर के कार्य का अनुभव किया है; तुम लोगों का सबसे बड़ा दर्शन क्या है? क्या तुम लोग इसके बारे में बात कर सकते हो? क्या तुम लोग परमेश्वर के धर्मी स्वभाव के बारे में बात कर सकते हो?" इन प्रश्नों से सामना होने पर तू कैसे उत्तर देगा? यदि तू कहता है, "परमेश्वर अत्यंत धर्मी है, वह हमें ताड़ना देता है और हमारा न्याय करता है, और कठोरता से हमें उजागर करता है। परमेश्वर का स्वभाव मनुष्य के द्वारा किए गए अपराध के प्रति वास्तव में असहनशील होता है। परमेश्वर के कार्य का अनुभव करने के बाद, मैं अपने स्वयं की क्रूरता को जान पाया हूँ, मैं सचमुच में परमेश्वर के धर्मी स्वभाव को देख पाया हूँ," तब वह दूसरा व्यक्ति निरन्तर तुझसे पूछेगा, "तू परमेश्वर के विषय में और क्या जानता है! एक मनुष्य जीवन में प्रवेश कैसे कर सकता है? क्या तेरी कोई व्यक्तिगत आकांक्षाएँ हैं?" तू जवाब देगा, "शैतान के द्वारा भ्रष्ट किए जाने के बाद, परमेश्वर के जीवधारी पशु बन गए, और वे गधों के समान थे। आज, मैं परमेश्वर के हाथों में रहता हूँ, और इस प्रकार मुझे सृष्टिकर्ता की इच्छाओं को संतुष्ट करना होगा, और जो कुछ वह शिक्षा देता है उसका पालन करना होगा। मेरे पास और कोई विकल्प नहीं है।" यदि तू केवल ऐसी व्यापकता के साथ बात करता है, तो तू जो कह रहा है उसे वह व्यक्ति नहीं समझेगा। जब वे तुझसे पूछते हैं कि तेरे पास परमेश्वर के कार्य का क्या ज्ञान है, तो वे तेरे व्यक्तिगत अनुभवों की ओर संकेत कर रहे हैं। वे पूछ रहें हैं कि परमेश्वर की ताड़ना और उसके न्याय का अनुभव करने के बाद तेरे पास उसका क्या ज्ञान है, और इस तरह वे तेरे व्यक्तिगत अनुभवों की ओर संकेत कर रहे हैं, और वे तुझसे चाहते हैं कि तू सत्य के अपने ज्ञान के बारे में बोले। यदि तू ऐसी चीज़ों के बारे में बोलने में असमर्थ है, तो इससे यह साबित होता है कि तू आज के कार्य के बारे में कुछ नहीं जानता है। तू हमेशा ऐसे वचनों को बोलता है जो दिखावटी हैं, या जिन्हें वैश्विक रूप से जाना जाता है; तेरे पास कोई विशिष्ट अनुभव नहीं है, तेरे ज्ञान में सार तो बिलकुल भी नहीं है, और तेरे पास कोई सच्ची गवाहियाँ नहीं हैं, और इसलिए अन्य लोग तेरे द्वारा आश्वस्त नहीं होते हैं। परमेश्वर का एक निष्क्रिय अनु��ायी मत बन, और उसका अनुसरण मत कर जिससे तेरे भीतर कौतूहल जगता है। अत्यधिक शितिल होने से तू अपने ऊपर अधिकार खो देगा और तू जीवन में समय बर्बाद करेगा। तुझे स्वयं को ऐसी शिथिलता और निष्क्रियता से छुड़ाना है, और सकारात्मक चीज़ों का अनुसरण करने और अपनी स्वयं की कमज़ोरियों पर विजय पाने में कुशल बनना है, ताकि तू सत्य को प्राप्त कर सके और सत्य को जी सके। तेरी कमज़ोरियों के विषय में कोई डरने की बात नहीं है, और तेरी कमियां तेरी सबसे बड़ी समस्या नहीं है। तेरी सबसे बड़ी समस्या, और तेरी सबसे बड़ी कमी है कि तू न गर्म है और न ठण्डा है और तुझमें सत्य की खोज की इच्छा की कमी है। तुम लोगों की सबसे बड़ी समस्या है तुम लोगों की डरपोक मानसिकता जिसके द्वारा तुम लोग चीज़ें जैसी हैं वैसी ही रहने से खुश हो, और तुम लोग निष्क्रियता से इन्तज़ार करते हो। यह तुम लोगों की सबसे बड़ी बाधा है, और सत्य का अनुसरण करने में तुम लोगों का सबसे बड़ा शत्रु है। यदि तू केवल इसलिए आज्ञा मानता है क्योंकि जो वचन मैंने कहे हैं वे बहुत गम्भीर हैं, तो तेरे पास सचमुच में ज्ञान नहीं है, न ही तू सत्य को संजोकर रखता है। जैसी तेरी आज्ञाकारिता है वो गवाही नहीं है, और मैं ऐसी आज्ञाकारिता को स्वीकार नहीं करता हूँ। कोई तुझ से पूछ सकता है, "तेरा परमेश्वर वास्तव में कहाँ से आता है? तेरे इस परमेश्वर का सार क्या है?" तू उत्तर देगा, "उसकी हस्ती ताड़ना और न्याय है।" फिर वह पूछेगा, "क्या परमेश्वर मनुष्य के प्रति तरस से भरा हुआ और प्रेमी नहीं है? क्या तू यह नहीं जानता है?" तू कहेगा, "यह दूसरों का परमेश्वर है। यह वह परमेश्वर है जिस पर धर्म को मानने वाले लोग विश्वास करते हैं, यह हमारा परमेश्वर नहीं है।" जब तेरे जैसे लोग सुसमाचार फैलाते हैं, तो तेरे द्वारा सच्चे मार्ग को तोड़ा मरोड़ा जाता है, और इस प्रकार तू किस काम का है? अन्य लोग तुझसे सच्चा मार्ग कैसे प्राप्त कर सकते हैं? तू सत्य के बगैर है, और तू सत्य के बारे में कुछ नहीं बोल सकता है, इसके अतिरिक्त, न ही तू सत्य को जी सकता है। वे क्या है जो तुझे परमेश्वर के सामने जीने के काबिल बनाता है? जब तू दूसरों तक सुसमाचार फैलाता है, और जब तू सत्य के बारे में संगति करता है, और परमेश्वर की गवाही देता है, यदि तू उन्हें जीत पाने में असमर्थ होता है, तो वे तेरे वचनों का खण्डन करेंगे। क्या तू जगह की बर्बादी नहीं है? तूने परमेश्वर के कार्य का बहुत अनुभव किया है, फिर भी जब तू सत्य बोलता है तो उसका कोई अर्थ नहीं निकलता है। क्या तू बिल्कुल निक्कम्मा नहीं है? तेरी क्या उपयोगिता है? तूने परमेश्वर के कार्य का इतना अनुभव कैसे किया है, जबकि तेरे पास उसका थोड़ा सा भी ज्ञान नहीं है? जब वे पूछते हैं कि तेरे पास परमेश्वर का क्या वास्तविक ज्ञान है, तो तुझे शब्द नहीं मिलते हैं, या फिर बेतुके ढ़ंग से जवाब देता है—यह कहता है कि परमेश्वर सामर्थी है, कि जो सब से बड़ी आशीषें तूने प्राप्त की हैं वे सचमुच में परमेश्वर द्वारा ऊँचा उठाया जाना है, कि परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से देख पाने के योग्य होने से बढ़कर कोई सौभाग्य नहीं है। ऐसा कहने का क्या मूल्य है? वे बेकार और खोखले शब्द हैं! परमेश्वर के कार्य का इतना अनुभव प्राप्त करने के बाद, क्या तू केवल इतना जानता है कि परमेश्वर द्वारा ऊँचा उठाया जाना ही सत्य है? तुझे परमेश्वर के कार्य को अवश्य जानना होगा, और केवल तभी तू परमेश्वर की सच्ची गवाही दे पाएगा। वे, जिन्होंने सत्य को प्राप्त नहीं किया है, कैसे परमेश्वर की गवाही दे सकते हैं?
यदि इतना कार्य, और इतने सारे वचनों का तेरे ऊपर कोई असर नहीं हुआ, तो जब परमेश्वर के कार्य को फैलाने का समय आएगा तब तू अपने कर्तव्य को निभाने में असमर्थ हो जाएगा, और शर्मिन्दा और लज्जित होगा। उस समय, तू महसूस करेगा कि तू परमेश्वर का कितना ऋणी है, कि परमेश्वर के विषय में तेरा ज्ञान कितना छिछला है। यदि आज तू परमेश्वर के ज्ञान का अनुसरण नहीं करता है, जबकि वह काम कर रहा है, तो बाद में बहुत देर हो जाएगी। अंत में, तेरे पास बोलने के लिए कोई ज्ञान नहीं होगा—तू खाली होगा, और तेरे पास कुछ भी नहीं होगा। परमेश्वर को हिसाब देने के लिए तू किसका उपयोग करेगा? क्या तेरे पास परमेश्वर को देखने की धृष्टता है? तुझे इसी वक्त अपने कार्य में कठिन परिश्रम करना है, जिससे तू, अंत में, पतरस के समान जान पाए कि परमेश्वर की ताड़ना और उसका न्याय मनुष्य के लिए कितने लाभकारी हैं, और बिना उसकी ताड़ना और न्याय के मनुष्य उद्धार प्राप्त नहीं कर सकता है, और वह केवल इस अपवित्र भूमि और इस दलदल में हमेशा से अधिक गहराई तक ध��स सकता है। मनुष्यों को शैतान के द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया है, मनुष्यों ने एक दूसरे के विरूद्ध गुप्त साधनों का प्रयोग किया है और वे नुकीली नाल पहने हुए घोड़ों पर सवार होकर एक दूसरे के ऊपर से होकर गुज़र गए हैं, उन्होंने परमेश्वर के भय को खो दिया है, उनकी अनाज्ञाकारिता बहुत बड़ी है, उनकी धारणाएँ ढेर सारी हैं, और वे सभी शैतान से संबंध रखते हैं। परमेश्वर की ताड़ना और न्याय के बगैर, मनुष्य के भ्रष्ट स्वभाव को शुद्ध नहीं किया जा सकता है और उसे बचाया नहीं जा सकता है। जो कुछ देहधारी परमेश्वर के कार्य के द्वारा देह में प्रकट किया गया है वह बिलकुल वही है जो आत्मा के द्वारा प्रकट किया गया है, और वह कार्य जो परमेश्वर करता है उसे आत्मा के द्वारा किए गए कार्य के अनुसार ही किया जाता है। आज, यदि तेरे पास इस कार्य का कोई ज्ञान नहीं है, तो तू बहुत ही मूर्ख है, और तूने बहुत कुछ खो दिया है! यदि तूने परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त नहीं किया है, तो तेरा विश्वास धार्मिक विश्वास है, और तू एक ऐसा ईसाई है जो धर्म से जुड़ा हुआ है। क्योंकि तू मरे हुए सिद्धांतों को थामे हुए है, तूने पवित्र आत्मा के नए कार्य को खो दिया है; अन्य लोग, जो परमेश्वर को प्रेम करने का अनुसरण करते हैं, वे सत्य और जीवन पाने के योग्य हैं, जबकि तेरा विश्वास परमेश्वर की स्वीकृति को प्राप्त करने में असमर्थ है। उसके बजाय, तू बुरे काम करने वाला बन गया है, तू एक ऐसा व्यक्ति बन गया है जो घातक और घृणित कामों को करता है, तू शैतान के हँसी मज़ाक का निशाना बन गया है, और तू शैतान का क़ैदी बन गया है। मनुष्य के द्वारा परमेश्वर पर केवल विश्वास ही नहीं किया जाना है, परन्तु मनुष्य के द्वारा परमेश्वर से प्रेम किया जाना है, और मनुष्य के द्वारा उसका अनुसरण और उसकी आराधना की जानी है। यदि आज तू अनुसरण नहीं करेगा, तो वह दिन आएगा जब तू कहेगा, "पहले मैंने क्यों परमेश्वर का अनुसरण सही रीति से नहीं किया, उसे सही रीति से संतुष्ट क्यों नहीं किया, अपने जीवन स्वभाव में परिवर्तन का अनुसरण क्यों नहीं किया होता? इस समय परमेश्वर के प्रति समर्पित हो पाने में असमर्थ होने, और परमेश्वर के वचन के ज्ञान का अनुसरण न कर पाने के कारण मैं कितना पछताता हूँ। अतीत में परमेश्वर ने कितना कुछ कहा था; मैंने कैसे अनुसरण नहीं किया? मैं कितना मूर्ख था!" तू एक हद तक अपने आप से नफरत करेगा। आज, तू उन वचनों पर विश्वास नहीं करता है जो मैं कहता हूँ, और तू उन पर कोई ध्यान नहीं देता है; जब इस कार्य को फैलाने का दिन आएगा, और तू उसकी सम्पूर्णता को देकहेगा, तब तू अफसोस करेगा, और उस समय तू भौंचक्का हो जाएगा। आशीषें हैं, फिर भी तू नहीं जानता है कि उसका आनन्द कैसे लेना है, और सत्य है, फिर भी तू उसका अनुसरण नहीं करता है। क्या तू अपने ऊपर घृणा लेकर नहीं आता है? आज, यद्यपि परमेश्वर का अगला कदम अभी शुरू होना बाकी है, फिर भी तुझसे की गयी मांगों में और जो तुझसे जिन चीज़ों को जीने को कहा जाता है, उसमें कुछ भी असाध���रण नहीं है। इतना सारा कार्य है, इतने सारे सत्य हैं; क्या वे इस योग्य नहीं हैं कि उन्हें तेरे द्वारा जाना जाए? क्या परमेश्वर की ताड़ना और उसका न्याय तेरी आत्मा को जागृत करने में असमर्थ है? क्या परमेश्वर की ताड़ना और उसका न्याय तुझे इस योग्य नहीं बना सकता है कि तू स्वयं से नफरत करे? क्या तुम शैतान के प्रभाव में, शांति, आनन्द, और थोड़ा बहुत देह के सुकून के साथ जीवन बिताकर संतुष्ट हो? क्या तुम सभी लोगों में सब से अधिक निम्न नहीं हो? उन से ज़्यादा मूर्ख और कोई नहीं है जिन्होंने उद्धार को देखा किन्तु उसे प्राप्त करने के लिए अनुसरण नहीं किया: वे ऐसे लोग हैं जो देह से स्वयं को भरपूर कर लेते हैं और शैतान का आनंद लेते हैं। तुम आशा करते हो कि परमेश्वर पर विश्वास करने से तुम्‍हें चुनौतियाँ और क्लेश, या थोड़ी बहुत कठिनाई विरासत में नहीं मिलेगी। तुम हमेशा ऐसी चीज़ों का अनुसरण करते हो जो निकम्मी हैं, और तुम अपने जीवन में कोई मूल्य नहीं जोड़ते हो, उसके बजाय तुम अपने फिजूल के विचारों को सत्य से ज़्यादा महत्व देते हो। तुम कितने निकम्‍मे हो! तुम एक सूअर के समान जीते हो—तुममें, और सूअर और कुत्तों में क्या अन्तर है? क्या वे जो सत्य का अनुसरण नहीं करते हैं, और उसके बजाय शरीर से प्रेम करते हैं, सब के सब जानवर नहीं हैं? क्या वे मरे हुए लोग जिनमें आत्मा नहीं है, चलती फिरती हुई लाशें नहीं हैं? तुम लोगों के बीच में कितने सारे वचन बोले गए हैं? क्या तुम लोगों के बीच में केवल थोड़ा सा ही कार्य किया गया है? मैंने तुम लोगों के बीच में कितनी आपूर्ति की है? तो फिर तुमने इसे प्राप्त क्यों नहीं किया? तुम्‍हारे पास शिकायत करने के लिए क्या है? क्या मामला ऐसा नहीं है कि तुमने कुछ भी इसलिए प्राप्त नहीं किया है क्योंकि तुम देह से बहुत अधिक प्रेम करते हो? और क्या यह इसलिए नहीं है क्योंकि तुम्‍हारे विचार बहुत ज़्यादा फिजूल हैं? क्या यह इसलिए नहीं है क्योंकि तुम बहुत ही ज़्यादा मूर्ख हो? यदि तुम इन आशीषों को प्राप्त करने में असमर्थ हो, तो क्या तुम परमेश्वर को दोष दोगे कि उसने तुम्‍हें नहीं बचाया? तुम परमेश्वर पर विश्वास करने के बाद शांति प्राप्त करने के योग्य होने के लिए अनुसरण करते हो—अपनी सन्तानों के लिए बीमारी से आज़ादी, अपने जीवनसाथी के लिए एक अच्छी नौकरी, अपने बेटे के लिए एक अच्छी पत्नी, अपनी बेटी के लिए एक सज्जन पति, अपने बैल और घोड़े के लिए अच्छे से जमीन की जुताई कर पाने की क्षमता, और अपनी फसलों के लिए साल भर अच्छे मौसम की कामना करते हो। तुम इन्हीं चीज़ों की खोज करते हो। तुम्‍हारा अनुसरण केवल सुकून के साथ जीवन बिताने के लिए है, इसलिए है कि तुम्‍हारे परिवार में कोई दुर्घटना न हो, कि आँधी तुम्‍हारे पास से होकर गुज़र जाये, धूल मिट्टी तुम्‍हारे चेहरे को छू न पाए, तुम्‍हारे परिवार की फसलें बाढ़ में बह न जायें, तुम किसी भी विपत्ति से प्रभावित न हो, कि तुम परमेश्वर की बांहों में रहो, कि तुम आरामदायक घोंसले में रहो। तुम्‍हारे जैसा डरपोक इंसान, जो हमेशा शरीर के पीछे पीछे चलता है—क्या तुम्‍हारे पास एक हृदय है, क्या तुम्‍हारे पास एक आत्मा है? क्या तुम एक पशु नहीं हो? बदले में बिना कुछ मांगते हुए मैं तुम्‍हें एक सच्चा मार्ग देता हूँ, फिर भी तुम अनुसरण नहीं करते हो। क्या तुम उनमें से एक हो जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं? मैं तुम्‍हें वास्तविक मानवीय जीवन देता हूँ, फिर भी तुम अनुसरण नहीं करते हो। क्या तुम कुत्ते और सूअर के समान नहीं हो? सूअर मनुष्य के जीवन का अनुसरण नहीं करते हैं, वे शुद्ध किए जाने का प्रयास नहीं करते हैं, और वे नहीं समझते हैं कि जीवन क्या है? प्रतिदिन, जी भरकर खाने के बाद, वे बस सो जाते हैं। मैंने तुम्‍हें सच्चा मार्ग दिया है, फिर भी तुमने उसे प्राप्त नहीं किया है: तुम्‍हारे हाथ खाली हैं। क्या तुम इस जीवन में, इस सूअर के जीवन में, निरन्तर बने रहना चाहते हो? ऐसे लोगों के ज़िन्दा रहने का क्या महत्व है? तुम्‍हारा जीवन घृणित और नीच है, तुम गन्दगी और व्यभिचार के मध्य रहते हो, और तुम किसी लक्ष्य को पाने का प्रयास नहीं करते हो; क्या तुम्‍हारा जीवन निम्नतम नहीं है? क्या तुम्‍हारे पास परमेश्वर की ओर देखने की धृष्टता है? यदि तुम लगातार इस तरह अनुभव करते रहो, तो क्या तुम्‍हें शून्यता प्राप्त नहीं होगी? सच्चा मार्ग तुझे दे दिया गया है, किन्तु अंततः तू उसे प्राप्त कर सकता है कि नहीं यह तेरे व्यक्तिगत अनुसरण पर निर्भर है। लोग कहते हैं कि परमेश्वर एक धर्मी परमेश्वर है, और यह कि जब तक मनुष्य अंत तक उसके पीछे पीछे चलता रहेगा, वह निश्चित रूप से मनुष्य के प्रति निष्पक्ष होगा, क्योंकि वह सबसे अधिक धर्मी है। यदि मनुष्य बिलकुल अंत तक उसके पीछे पीछे चलता है, तो क्या वह मनुष्य को दरकिनार कर सकता है? मैं सभी मनुष्यों के प्रति निष्पक्ष हूँ, और अपने धर्मी स्वभाव से सभी मनुष्यों का न्याय करता हूँ, फिर भी जो अपेक्षाएं मैं मनुष्य से करता हूँ उसके लिए कुछ यथोचित स्थितियाँ होती हैं, और जिसकी अपेक्षा मैं करता हूँ उसे सभी मनुष्यों के द्वारा, चाहे वे जो कोई भी हों, अवश्य ही पूरा किया जाना चाहिए। मैं इसकी परवाह नहीं करता हूँ कि तेरी योग्यताएँ कितनी व्यापक और आदरणीय हैं; मैं सिर्फ इसकी परवाह करता हूँ कि तू मेरे मार्ग में चलता है कि नहीं, और सत्य के लिए तुझमें प्रेम और प्यास है कि नहीं। यदि तुझमें सत्य की कमी है, और उसके बजाय तू मेरे नाम को लज्जित करता है, और मेरे मार्ग के अनुसार कार्य नहीं करता है, और किसी बात की परवाह या चिंता किए बगैर बस नाम के लिए अनुसरण करता है, तो उस समय मैं तुझे मार कर नीचे गिरा दूँगा और तेरी बुराई के लिए तुझे दण्ड दूँगा, तब तेरे पास कहने के लिए क्या होगा? क्या तू ऐसा कह सकता है कि परमेश्वर धर्मी नहीं है? आज, यदि तूने उन वचनों का पालन किया है जिन्हें मैंने कहा है, तो तू ऐसा इंसान है जिसे मैं स्वीकार करता हूँ। तू कहता है कि तूने हमेशा परमेश्वर का अनुसरण करते हुए दुख उठाया है, कि तूने हमेशा हर परिस्थितियों में उसका अनुसरण किया है, और तूने उसके साथ अपना अच्छा और खराब समय बिताया है, किन्तु तूने परमेश्वर के द्वारा बोले गए वचनों के अनुसार जीवन नहीं बिताया है; तू सिर्फ हर दिन परमेश्वर के पीछे पीछे भागना और उसके लिए स्वयं को व्यय करना चाहता है, और तूने कभी भी एक अर्थपूर्ण जीवन बिताने के बारे में नहीं सोचा है। तू यह भी कहता है, "किसी भी सूरत में, मैं विश्वास करता हूँ कि परमेश्वर धर्मी है। मैंने उसके लिए दुख उठाया है, मैं उसके लिए यहाँ वहाँ भागते रहता हूँ, और मैंने उसके लिए अपने आपको समर्पित किया है, और मैंने कड़ी मेहनत की है इसके बावजूद मेरी कद्र नहीं हुई है; वह निश्चय ही मुझे स्मरण रखता है।" यह सच है कि परमेश्वर धर्मी है, फिर भी इस धार्मिकता पर किसी अशुद्धता का दाग नहीं है: इसमें कोई मानवीय इच्छा नहीं है, और इसे शरीर, या मानवीय सौदों के द्वारा कलंकित नहीं किया जा सकता है। वे सभी जो विद्रोही हैं और विरोध में हैं, और जो उसके मार्ग की सम्मति में नहीं हैं, उन्हें दण्डित किया जाएगा; किसी को भी क्षमा नहीं किया गया है, और किसी को भी बख्शा नहीं गया है! कुछ लोग कहते हैं, "आज मैं आपके लिए यहाँ वहाँ भागता हूँ; जब अंत आता है, तो क्या तू मुझे थोड़ी सी आशीष दे सकता है?" अतः मैं तुझसे पूछता हूँ, "क्या तूने मेरे वचनों का पालन किया है?" वह धार्मिकता जिसकी तू बात करता है वह एक सौदे पर आधारित है। तू केवल यह सोचता है कि मैं धर्मी हूँ, और सभी मनुष्यों के प्रति निष्पक्ष हूँ, और वे सब जो बिलकुल अंत तक मेरा अनुसरण करेंगे उन्हें निश्चित रूप से बचा लिया जाएगा और वे मेरी आशीषों को प्राप्त करेंग��। "वे सब जो बिलकुल अंत तक मेरा अनुसरण करते हैं निश्चित है कि उन्हें बचा लिया जाएगा" मेरे इन वचनों में एक भीतरी अर्थ है: वे जो बिलकुल अंत तक मेरा अनुसरण करते हैं वे ऐसे लोग हैं जिन्हें मेरे द्वारा पूरी तरह ग्रहण कर लिया जाएगा, वे ऐसे लोग हैं जो, मेरे द्वारा विजय पा लिए जाने के बाद, सत्य को खोजते हैं और उन्हें सिद्ध बनाया जाता है। तूने कैसी स्थितियाँ हासिल की हैं? तू बिलकुल अंत तक सिर्फ मेरा अनुसरण करने में कामयाब हुआ है, किन्तु तूने और क्या किया है? क्या तूने मेरे वचनों का पालन किया है? तूने मेरी पाँच अपेक्षाओं में से एक को पूरा किया है, लेकिन बाकी चार को पूरा करने का तेरा कोई इरादा नहीं है। तूने बस सबसे सरल और आसान पथ को ढूँढ़ लिया, और अपने आपको सौभाग्यशाली मानकर उसका अनुसरण किया है। तेरे जैसे इंसान के लिए मेरा धर्मी स्वभाव ताड़ना और न्याय का है, यह एक प्रकार से सच्चा प्रतिफल है, और यह बुरा काम करनेवालों के लिए उचित दण्ड है; वे सभी जो मेरे मार्ग पर नहीं चलते हैं उन्हें निश्चय ही दण्ड दिया जाएगा, भले ही वे अंत तक अनुसरण करते रहें। यह परमेश्वर की धार्मिकता है। जब यह धर्मी स्वभाव मनुष्य की सज़ा में प्रकट होता है, तो मनुष्य भौंचक्का हो जाता है, और अफसोस करता है कि परमेश्वर का अनुसरण करते हुए, वह उसके मार्ग पर नहीं चला। "उस समय, परमेश्वर का अनुसरण करते हुए मैंने केवल थोड़ा सा दुख उठाया, किन्तु मैं परमेश्वर के मार्ग पर नहीं चला। इसके लिए क्या बहाने बनाये जा सकते हैं? ताड़ना दिए जाने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है!" फिर भी वह अपने मन में सोच रहा है, "किसी न किसी प्रकार से, मैं ने बिलकुल अंत तक अनुसरण किया है, अतः भले ही तू मुझे ताड़ना दे, फिर भी यह कठोर ताड़ना नहीं हो सकती है, और इस ताड़ना को बलपूर्वक लागू करने के बाद भी तू मुझे चाहेगा। मैं जानता हूँ कि तू धर्मी है, और तू हमेशा मेरे साथ इस प्रकार से व्यवहार नहीं करेगा। इतना सब होते हुए भी, मैं उनके समान नहीं हूँ जिन्हें मिटा दिया जाएगा; वे जो मिटा दिए जायेंगे, भारी ताड़ना प्राप्त करेंगे, जबकि मेरी ताड़ना हल्की होगी।" परमेश्वर का स्वभाव वैसा नहीं है जैसा तू कहता है। ऐसा नहीं है कि वे जो पापों का अंगीकार करने में अच्छे होते हैं उनके साथ कोमलता के साथ व्यवहार किया जाता है। धार्मिकता ही पवित्रता है, और वह एक ऐसा स्वभाव है जो मनुष्य के अपराध को सहन नहीं कर सकता है, और वह सब कुछ जो अशुद्ध है और जो परिवर्तित नहीं हुआ है वह परमेश्वर की घृणा का पात्र है। परमेश्वर का धर्मी स्वभाव व्यवस्था नहीं, प्रशासनिक आज्ञा है: यह राज्य के भीतर एक प्रशासनिक आज्ञा है, और यह प्रशासनिक आज्ञा उस व्यक्ति के लिए धर्मी दण्ड है जिसके पास सत्य नहीं है और जो परिवर्तित नहीं हुआ है, और उसके उद्धार की कोई गंजाइश नहीं है। क्योंकि जब प्रत्येक मनुष्य को प्रकृति के अनुसार वर्गीकृत किया जायेगा, तो अच्छे मनुष्य को पुरस्कार दिया जाएगा और बुरे मनुष्य को दण्ड दिया जाएगा। इसी समय मनुष्य की नियति को स्पष्ट किया जाएगा, यह वह समय है जब उद्धार का कार्य समाप्त हो जाएगा, जिसके बाद मनुष्य के उद्धार का कार्य और नहीं किया जाएगा, और उनमें से हर एक को कठोर दंड दिया जाएगा जो बुराई करते हैं। कुछ लोग कहते हैं, "परमेश्वर उनमें से हर एक को स्मरण करता है जो बहुधा उसकी तरफ होते हैं। वह हममें से किसी को भी नहीं भूलेगा। हमें परमेश्वर के द्वारा सिद्ध बनाए जाने के लिए आश्वस्त किया गया है। वह हम से कमतर किसी को स्मरण नहीं करेगा, उनमें से वे लोग जिन्हें सिद्ध बनाया जाएगा वे निश्चित रूप से हमसे, जो अक्सर परमेश्वर का सामना करते हैं, से नीचे होंगे; हममें से किसी को परमेश्वर के द्वारा भुलाया नहीं गया है, हम सभी को परमेश्वर के द्वारा मंजूर किया गया है, और परमेश्वर के द्वारा सिद्ध बनाए जाने के लिए आश्वस्त किया गया है।" तुम सभी के पास ऐसी धारणाएँ हैं। क्या यह धार्मिकता है? तू सत्य को अभ्यास में लाया है या नहीं? तू वास्तव में इस प्रकार की अफवाह फैलाता है—तुझ में कोई शर्म नहीं है!
आज, कुछ लोग परमेश्वर के द्वारा इस्तेमाल किए जाने का लगातार प्रयास करते हैं, किन्तु जब उन पर विजय पा ली जाती है उसके बाद उन्हें सीधे तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। जहाँ तक आज बोले गए वचनों की बात है, यदि, जब परमेश्वर लोगों को इस्तेमाल करता है, तू अभी भी उन्हें पूरा करने में असमर्थ है, तो तुझे सिद्ध नहीं बनाया गया है। दूसरे शब्दों में, मनुष्य को सिद्ध बनाया जाने की समयावधि के अंत का आगमन यह निर्धारित करेगा कि परमेश्वर के द्वारा मनुष्य को हटा दिया जाएगा या इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसे लोग जिन पर विजय पा ली गयी है वे निष्क्रियता और नकारात्मकता के उदाहरणों से बढ़कर और कुछ नहीं हैं; वे नमूने और आदर्श हैं, किन्तु वे इसके विपरीत होनेसे बढ़कर और कुछ नहीं हैं। केवल जब मनुष्य के पास जीवन होता है, जब उसका स्वभाव बदलता है, और जब वह भीतरी और बाहरी परिवर्तन हासिल कर लेता है तभी उसे पूरी तरह सिद्ध बनाया जाएगा। आज, तुम क्या चाहते हो; तुम पर विजय पायी जाए, या सिद्ध बना दिया जाए? तू किसे हासिल करना चाहता है? क्या सिद्ध किए जाने की शर्तों को तूने पूरा कर लिया है? तुझमें अभी भी किसकी कमी है? तुझे स्वयं को कैसे सुसज्जित करना चाहिए, तुझे अपनी कमियों को कैसे पूरा करना चाहिए? तुझे सिद्ध किए जाने के पथ पर कैसे प्रवेश करना चाहिए? तुझे स्वयं को पूरी तरह कैसे सौंपना चाहिए? तू कहता है कि तुझे सिद्ध बनाया जाए, तो क्या तू पवित्रता का अनुसरण करता है? क्या तू ताड़ना और न्याय का अनुसरण इसलिए करता है ताकि तुझे परमेश्वर के द्वारा सुरक्षित किया जा सके? तू शुद्ध होने का अनुसरण करता है, तो क्या तू ताड़ना और न्याय को स्वीकार करने के लिए तैयार है? तू परमेश्वर को जानने की बात कहता है, किन्तु क्या तेरे पास उसकी ताड़ना और उसके न्याय का ज्ञान है? आज, अधिकतर कार्य जो वह तुझ पर करता है वो ताड़ना और न्याय है; उस कार्य के विषय में तेरा ज्ञान क्या है, जिसे तेरे ऊपर किया गया है? क्या वह ताड़ना और न्याय जिसका तूने अनुभव किया है उसने तुझे शुद्ध किया है? क्या इसने तुझे परिवर्तित किया है? क्या इसका तेरे ऊपर कोई प्रभाव पड़ा है? क्या तू आज के बहुत से कार्यों—शाप, न्याय, और रहस्यों के खुलासे—से थक गया है, या क्या तू महसूस करता है कि वे तेरे लिए बहुत लाभदायक हैं? तू परमेश्वर से प्रेम करता है, किन्तु तू किस कारण से उससे प्रेम करता है? क्या तू उससे इसलिए प्रेम करता है क्योंकि तूने अनुग्रह प्राप्त किया है? या तू शांति और आनन्द प्राप्त करने के बाद उससे प्रेम करता है? या तू उसकी ताड़ना और उसके न्याय के द्वारा शुद्ध किए जाने के बाद उससे प्रेम करता है? वह वास्तव में कौन सी बात है जो तुझे परमेश्वर से प्रेम करने के लिए प्रेरित करती है? सिद्ध होने के लिए पतरस ने वास्तव में किन शर्तों को पूरा किया था? सिद्ध होने के बाद, वह कौन सा निर्णायक तरीका था जिसके तहत इसे प्रकट किया गया था? क्या उसने प्रभु यीशु से इसलिए प्रेम किया क्योंकि वह उसकी लालसा करता था, या इसलिए क्योंकि वह उसे देख नहीं सकता था, या इसलिए क्योंकि उसकी निन्दा की गई थी? या उसने प्रभु यीशु से कहीं ज़्यादा प्रेम इसलिए किया क्योंकि उसने क्लेशों के कष्ट को स्वीकार कर लिया था, स्वयं की अशुद्धता और अनाज्ञाकारिता को जान पाया था, और प्रभु की पवित्रता को जान पाया था? क्या परमेश्वर की ताड़ना और उसके न्याय के कारण परमेश्वर के प्रति उसका प्रेम और अधिक शुद्ध हो गया था, या किसी और कारण से? इसमें से कौन सा कारण सही है? तू परमेश्वर के अनुग्रह के कारण उससे प्रेम करता है और इसलिए क्योंकि आज उसने तुझे थोड़ी सी आशीष दी है। क्या यह सच्चा प्रेम है? तुझे परमेश्वर से प्रेम कैसे करना चाहिए? क्या तुझे उसकी ताड़ना और उसके न्याय को स्वीकार करना चाहिए और उसके धर्मी स्वभाव को देखने के बाद, उसे सच में प्रेम करने में समर्थ होना चाहिए, कुछ इस तरह कि तू पूरी तरह विश्वस्त हो जाये, और तेरे पास उसका ज्ञान हो? पतरस के समान, क्या तू कह सकता है कि तू परमेश्वर से पर्याप्त प्रेम नहीं कर सकता है? क्या ताड़ना और न्याय के बाद जीत लिए जाने के लिए तू अनुसरण करता है, या ताड़ना और न्याय के बाद शुद्ध, सुरक्षित और सँभाले जाने के लिए अनुसरण करता है? तू इनमें से किसका अनुसरण करता है? क्या तेरा जीवन अर्थपूर्ण है, या अर्थहीन और बिना किसी मूल्य का है? तुझे शरीर चाहिए, या तुझे सत्य चाहिए? तू न्याय की इच्छा करता है या राहत की? परमेश्वर के कार्यों का इतना अनुभव करने के बाद, और परमेश्वर की पवित्रता और धार्मिकता को देखने के बाद, तुझे किस प्रकार अनुसरण करना चाहिए? तुझे इस पथ पर किस प्रकार चलना चाहिए? तू परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को व्यवहार में कैसे ला सकता है? क्या परमेश्वर की ताड़ना और न्याय ने तुझ पर कोई असर डाला है? तुझमें परमेश्वर की ताड़ना और उसके न्याय का ज्ञान है कि नहीं यह इस पर निर्भर करता है कि तू किसे जीता है, और तू किस सीमा तक परमेश्वर से प्रेम करता है! तेरे होंठ कहते हैं कि तू परमेश्वर से प्रेम करता है, फिर भी तू उसी पुराने और भ्रष्ट स्वभाव को जीता है; तुझमें परमेश्वर का कोई भय नहीं है, और तेरे पास विवेक तो बिलकुल भी नहीं है। क्या ऐसे लोग परमेश्वर से प्रेम करते हैं? क्या ऐसे लोग परमेश्वर के प्रति वफादार होते हैं? क्या वे ऐसे लोग हैं जो परमेश्वर की ताड़ना और उसके न्याय को स्वीकार करते हैं? तू कहता है कि तू परमेश्वर से प्रेम करता है और उस पर विश्वास करता है, फिर भी तू अपनी धारणाओं को नहीं छोड़ता है। तेरे कार्य में, तेरे प्रवेश में, उन शब्दों में जो तू बोलता है, और तेरे जीवन में परमेश्वर के प्रति तेरे प्रेम का कोई प्रकटीकरण नहीं है, और परमेश्वर के प्रति कोई आदर नहीं है। क्या यह एक ऐसा इंसान है जिसने ताड़ना और न्याय को प्राप्त किया है? क्या ऐसा कोई इंसान पतरस के समान हो सकता है? क्या वे लोग जो पतरस के समान हैं उनके पास केवल ज्ञान होता है, परन्तु वे उसे जीते नहीं हैं? आज, वह कौन सी शर्त है जिसके अनुसार मनुष्य को एक वास्तविक जीवन बिताना है? क्या पतरस की प्रार्थनाएँ उसके मुँह से निकलने वाले शब्दों से बढ़कर और कुछ नहीं थे? क्या वे उसके हृदय की गहराईयों से निकले हुए शब्द नहीं थे? क्या पतरस ने केवल प्रार्थना की थी, और सत्य को व्यवहार में नहीं लाया था? तेरा अनुसरण किसके लिए है? तुझे परमेश्वर की ताड़ना और उसके न्याय के दौरान अपने आपको किस प्रकार सुरक्षित और शुद्ध रखना चाहिए? क्या परमेश्वर की ताड़ना और न्याय से मनुष्य को कोई लाभ नहीं है? क्या सारा न्याय सज़ा है? क्या ऐसा हो सकता है कि केवल शांति एवं आनन्द, और केवल भौतिक आशीषें एवं क्षणिक राहत ही मनुष्य के जीवन के लिए लाभदायक हैं? यदि मनुष्य एक सुहावने और आरामदेह वातावरण में रहे, बिना किसी न्यायिक जीवन के, तो क्या उसे शुद्ध किया जा सकता है? यदि मनुष्य बदलना और शुद्ध होना चाहता है, तो उसे सिद्ध किए जाने को कैसे स्वीकार करना चाहिए? आज तुझे कौन सा पथ चुनना चाहिए?
                                                                      स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
अधिक:
ईसाई प्रार्थना - प्रार्थना जो ईश्वर सुनते हैं - राज़ यहाँ है
मसीही जीवन के इस भाग से।से ईसाइयों को पारस्परिक संबंधों, विवाह, अपने बच्चों को शिक्षित करने, प्रार्थना कैसे करें, आदि के बारे में सवालों के जवाब खोजने में मदद मिलेगी।
0 notes
पतरस के अनुभव: ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान
Tumblr media
जब पतरस को परमेश्वर के द्वारा ताड़ना दी जा रही थी, तो उसने प्रार्थना की, "हे परमेश्वर! मेरी देह अनाज्ञाकारी है, तू मुझे ताड़ना देता है और मेरा न्याय करता है। मैं तेरी ताड़ना और न्याय में आनन्दित होता हूँ, भले ही तू मुझे न चाहे, फिर भी मैं तेरे न्याय में तेरे पवित्र और धर्मी स्वभाव को देखता हूँ। जब तू मेरा न्याय करता है, ताकि अन्य लोग तेरे न्याय में तेरे धर्मी स्वभाव को देख सकें, तो मैं संतुष्टि का एहसास करता हूँ। मैं यही चाहता हूँ कि तेरा धर्मी स्वभाव प्रकट किया जाये ताकि सभी प्राणी तेरे धर्मी स्वभाव को देख सकें, और मैं तुझे अधिक शुद्धता से प्रेम कर सकूँ और मैं एक धर्मी की सदृश्ता को प्राप्त कर सकूँ। तेरा यह न्याय अच्छा है, क्योंकि तेरी अनुग्रहकारी इच्छा ऐसी ही है। मैं जानता हूँ कि अभी भी मेरे भीतर बहुत कुछ ऐसा है जो विद्रोही है, और मैं अभी भी तेरे सामने आने के योग्य नहीं हूँ। मैं तुझसे चाहता हूँ कि तू मेरा और भी अधिक न्याय करे, चाहे क्रूर वातावरण के जरिए या बड़े क्लेश के जरिए; तू मेरा न्याय कैसे भी करे, यह मेरे लिए बहुमूल्य है। तेरा प्यार कितना गहरा है, और मैं बिना कोई शिकायत किए स्वयं को तेरे आयोजन पर छोड़ने को तैयार हूँ।" यह परमेश्वर के कार्य का अनुभव कर लेने के बाद का पतरस का ज्ञान है, और साथ ही यह परमेश्वर के प्रति उसके प्रेम की गवाही है। आज, तुम लोगों को पहले से ही जीत लिया गया है—परन्तु यह जीत तुम लोगों में किस प्रकार प्रकट होती है? कुछ लोग कहते हैं, "मेरी जीत परमेश्वर का सर्वोच्च अनुग्रह और उसके द्वारा ऊँचा उठाया जाना है। केवल अब मुझे एहसास होता है कि मनुष्य का जीवन खोखला और महत्वहीन है। मनुष्य, पीढ़ी दर पीढ़ी सन्तानों को उत्पन्न करते और उनकी परवरिश करते और भागदौड़ करते हुए जीवन बिताता है, और अंत में उसको कुछ भी हासिल नहीं होता है। आज, परमेश्वर के द्वारा जीत लिए जाने के बाद ही मैंने देखा कि इस तरह जीने का कोई मूल्य नहीं है; यह वास्तव में एक अर्थविहीन जीवन ही है। इससे बेहतर तो मैं मर जाऊँ और काम खत्म करूँ!" ऐसे लोग जिन पर विजय पायी जा चुकी है क्या उन्हें परमेश्वर के द्वारा ग्रहण किया जा सकता है? क्या वे आदर्श और मिसाल बन सकते हैं? ऐसे लोग निष्क्रियता की मिसाल हैं, उनकी कोई आकांक्षाएँ नहीं हैं, और वे स्वयं की उन्नति के लिए संघर्ष नहीं करते हैं! भले ही वे ऐसा समझते हैं कि उन पर विजय पा ली गयी है, ऐसे निष्क्रिय लोग सिद्ध बनाए जाने के काबिल नहीं हैं। पतरस के जीवन के अंत के निकट, सिद्ध बना दिए जाने के बाद, उसने कहा "हे परमेश्वर! यदि मैं कुछ और वर्ष जीवित रहता, तो तेरे शुद्ध और गहरे प्रेम को हासिल करने की कामना करता।" जब वह क्रूस पर चढ़ाया ही जाने वाला था, उसने अपने हृदय में प्रार्थना की, "हे परमेश्वर! तेरा समय आ गया है, वह समय जो तूने मेरे लिए तैयार किया था वह आ गया है। मुझे तेरे लिए क्रूस पर चढ़ना होगा, मुझे तेरे लिए इस गवाही को देना होगा, मैं आशा करता हूँ कि मेरा प्रेम तेरी अपेक्षाओं को सन्तुष्ट कर सकता है, और यह और अधिक शुद्ध हो सकता है। आज, तेरे लिए मरने, तेरे लिए क्रूस पर कीलों से ठोंके जाने के योग्य होना मेरे लिए तसल्ली और आश्वासन की बात है, क्योंकि तेरे लिए क्रूस पर चढ़ने और तेरी इच्छाओं को संतुष्ट करने, और स्वयं को तुझे दे पाने, और स्वयं के जीवन को तेरे लिए अर्पित करने से बढ़कर कोई और बात मुझे तृप्त नहीं कर सकती है। हे परमेश्वर! तू कितना प्यारा है! यदि तू मुझे जीने की अनुमति देता है, तो मैं तुझसे और भी अधिक प्रेम करना चाहूँगा। जब तक मैं ज़िन्दा हूँ, मैं तुझसे प्रेम करूँगा। मैं तुझसे और भी अधिक गहराई से प्रेम करना चाहता हूँ। तू मेरा न्याय करता है, मुझे ताड़ना देता है, और मेरी परीक्षा लेता है क्योंकि मैं धर्मी नहीं हूँ, क्योंकि मैंने पाप किया है। और तेरा धर्मी स्वभाव मेरे लिए और अधिक स्पष्ट होता जाता है। यह मेरे लिए एक आशीष है, क्योंकि मैं तुझे और भी अधिक गहराई से प्रेम कर सकता हूँ, अगर तू मुझसे प्रेम न भी करे तो भी मैं तुझसे इस रीति से प्रेम करने को तैयार हूँ। मैं तेरे धर्मी स्वभाव को देखने की इच्छा करता हूँ, क्योंकि यह मुझे अर्थपूर्ण जीवन जीने के और काबिल बनाता है। मुझे लगता है कि मेरा अभी का जीवन और भी अधिक अर्थपूर्ण है, क्योंकि मैं तेरे लिए क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, और तेरे लिए मरना सार्थक है। फिर भी मुझे अब तक संतुष्टि का एहसास नहीं हुआ है, क्योंकि मैं तेरे बारे में बहुत थोड़ा ही जानता हूँ, मैं जानता हूँ कि मैं तेरी इच्छाओं को सम्पूर्ण रीति से पूरा नहीं कर सकता हूँ, और मैंने बदले में तुझे बहुत ही कम अदा किया है। अपने जीवन में, मैं अपना सब कुछ तुझे वापस लौटाने में असमर्थ रहा हूँ; और मैं उससे बहुत दूर हूँ। इस घड़ी को याद करते हुए, मैं स्वयं को तेरा बहुत आभारी महसूस करता हूँ, और अपनी सभी ग़लतियों की क्षतिपूर्ति और उस सारे प्रेम का कर्ज़ जो मैंने तुझे नहीं चुकाया है, उसे अदा करने के लिए मेरे पास यही एक क्षण है।"
मनुष्य को एक अर्थपूर्ण जीवन का अनुसरण करना चाहिए, और उसे अपनी वर्तमान परिस्थितियों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। पतरस के समान जीवन बिताने के लिए, उसे पतरस के ज्ञान और अनुभवों को धारण करना होगा। मुनष्य को ऐसी चीज़ों का अनुसरण करना चाहिए जो ऊँची और ज़्यादा गम्भीर हैं। उसे परमेश्वर को गहराई एवं शुद्धता से प्रेम करने का, और एक ऐसे जीवन का अनुसरण करना होगा, जिसका मूल्य और अर्थ है। केवल यह ही जीवन है; केवल तब ही मनुष्य पतरस के समान होगा। तुझे सकारात्मक पहलु में प्रवेश करने के लिए सक्रिय होने की ओर ध्यान केन्द्रित करना होगा, और अति गम्भीर, अति विशिष्ट, और अति व्यावहारिक सच्चाईयों को नज़रअंदाज करते हुए क्षणिक आराम के लिए तुझे स्वयं को अधीनतापूर्वक पीछे हटने नहीं देना चाहिए। तेरा प्रेम व्यावहारिक होना चाहिए, और तुझे स्वयं को इस पथभ्रष्ट, और बेपरवाह जीवन से, जो किसी जानवर के जीवन के समान है, उससे स्वतंत्र होने के लिए रास्ते ढूँढ़ने होंगे। तुझे एक अर्थपूर्ण, मूल्यवान जीवन व्यतीत करना चाहिए, और तुझे स्वयं को मूर्ख नहीं बनाना चाहिए, या अपने जीवन के खिलौने की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए। क्योंकि हर व्यक्ति जो परमेश्वर से प्रेम करने की आकांक्षा करता है, कोई सत्य अप्राप्य नहीं है, और कोई न्याय ऐसा नहीं है जिसके लिए वे दृढ़तापूर्वक खड़े नहीं हो सकते हैं। तुझे अपना जीवन कैसे बिताना चाहिए? तुझे परमेश्वर से प्रेम कैसे करना चाहिए, और इस प्रेम का उपयोग करके उसकी इच्छा को कैसे संतुष्ट करना चाहिए? तेरे जीवन में इससे बड़ा कोई मुद्दा नहीं है? सब से बढ़कर, तेरे पास ऐसी आकांक्षा और दृढ़ता होनी चाहिए, और तुझे उन बेहद कमज़ोर दुर्बल प्राणियों के समान नहीं होना चाहिए। तुझे सीखना होगा कि एक अर्थपूर्ण जीवन को कैसे अनुभव किया जाता है, तुझे अर्थपूर्ण सच्चाईयों का अनुभव करना चाहिए, और तुझे अपने आप से लापरवाही के साथ बर्ताव नहीं करना चाहिए। तेरे जाने बिना, तेरा जीवन यों ही गुज़र जाएगा; और उसके बाद, क्या तेरे पास परमेश्वर से प्रेम करने का दूसरा अवसर होगा? क्या मनुष्य मरने के बाद परमेश्वर से प्रेम कर सकता है? तेरे पास पतरस के समान ही आकांक्षाएँ और अंतरात्मा होनी चाहिए; तेरा जीवन अर्थपूर्ण होना चाहिए, और तुझे स्वयं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए! एक मनुष्य के रूप में, और परमेश्वर का अनुसरण करने वाले एक व्यक्ति के रूप में, तुझे इस योग्य होना है कि तू सावधानी से विचार कर सके, कि तुझे अपने जीवन के साथ कैसा व्यवहार करना है, कि तुझे स्वयं को किस प्रकार परमेश्वर के सामने अर्पण करना चाहिए, कि तुझमें परमेश्वर के प्रति और अधिक अर्थपूर्ण विश्वास कैसे होना चाहिए, चूँकि तू परमेश्वर से प्रेम करता है, तुझे उससे उस रीति से कैसे प्रेम करना चाहिए जो ज़्यादा पवित्र, सुन्दर, एवं अच्छा हो। आज, तू केवल इस बात से संतुष्ट नहीं हो सकता है कि तुझ पर किस प्रकार विजय पायी गयी है, बल्कि तुझे उस पथ पर भी विचार करना होगा जिस पर तू भविष्य में चलेगा। तू सिद्ध बनाया जा सके, इसके लिए तेरे पास आकांक्षाएँ और साहस अवश्य होना चाहिए, और तुझे हमेशा यह नहीं सोचना चाहिए कि तू असमर्थ है। क्या सत्य की भी अपनी पसंदीदा चीज़ें होती हैं? क्या सत्य जानबूझकर लोगों का विरोध कर सकता है? यदि तू सत्य के पीछे पीछे चलता है, तो क्या यह तुझे अभीभूत कर सकता है? यदि तू न्याय के लिए मज़बूती से खड़ा रहता है, तो क्या यह तुझे मार कर नीचे गिरा देगा? यदि यह सचमुच में तेरी आकांक्षा है कि तू जीवन का अनुसरण करे, तो क्या जीवन तुझसे बच कर निकल जाएगा? यदि तेरे पास सत्य नहीं है, तो यह इसलिए नहीं है क्योंकि सत्य तुझे नज़रंदाज़ करता है, बल्कि इसलिए है क्योंकि तू सत्य से दूर रहता है; यदि तू न्याय के लिए मज़बूती से खड़ा नहीं हो सकता है, तो यह इसलिए नहीं है क्योंकि न्याय के साथ कुछ न कुछ गड़बड़ी है, परन्तु इसलिए है क्योंकि तू विश्वास करता है कि यह तथ्यों से अलग है; कई सालों तक जीवन का पीछा करते हुए भी यदि तूने जीवन प्राप्त नहीं किया है, तो यह इसलिए नहीं है क्योंकि जीवन के पास तेरे लिए कोई सद्विचार नहीं है, परन्तु इसलिए है क्योंकि तेरे पास जीवन के लिए कोई सद्विचार नहीं है, और तूने जीवन को स्वयं से दूर कर दिया है; यदि तू ज्योति में जीता है, लेकिन ज्योति को पाने में असमर्थ रहा है, तो यह इसलिए नहीं है क्योंकि ज्योति के लिए तेरे ऊपर चमकना असंभव है, परन्तु इसलिए है क्योंकि तूने ज्योति के अस्तित्व पर कोई ध्यान नहीं दिया, और इसलिए ज्योति तेरे पास से खामोशी से चली गई है। यदि तू अनुसरण नहीं करता है, तो केवल यह कहा जा सकता है कि तू फालतू कचरा है, तेरे जीवन में साहस बिल्कुल नहीं है, और तेरे पास अंधकार की ताकतों का विरोध करने के लिए हौसला नहीं है। तू बहुत ही ज़्यादा कमज़ोर है! तू शैतान की उन ताकतों से बचने में असमर्थ है जो तुझे जकड़ लेती हैं, तू केवल इस प्रकार का सकुशल और सुरक्षित जीवन जीना और अपनी अज्ञानता में मरना चाहता है। जो तुझे हासिल करना चाहिए वह है विजय पा लिए जाने का तेरा अनुसरण; यह तेरा परम कर्तव्य है। यदि तू इस बात से संतुष्ट है कि तुझ पर विजय पा ली गयी है, तो तू ज्योति की अस्तित्व को दूर हटा देता है। तुझे सत्य के लिए कठिनाई उठानी होगी, तुझे स्वयं को सत्य के लिए देना होगा, तुझे सत्य के लिए अपमान सहना होगा, और अधिक सत्य प्राप्त करने के लिए तुझे अधिक कष्ट से होकर गुज़रना होगा। तुझे यही करना चाहिए। एक शांतिपूर्ण पारिवारिक ज़िन्दगी के लिए तुझे सत्य को नहीं फेंकना चाहिए, और क्षणिक आनन्द के लिए तुझे अपने जीवन की गरिमा और सत्यनिष्ठा को नहीं खोना चाहिए। तुझे उन सब चीज़ों का अनुसरण करना चाहिए जो ख़ूबसूरत और अच्छा है, और तुझे अपने जीवन में एक ऐसे मार्ग का अनुसरण करना चाहिए जो ज़्यादा अर्थपूर्ण है। यदि तू एक ऐसा घिनौना जीवन जीता है, किसी उद्देश्य के लिए प्रयास नहीं करता है, तो क्या तू अपने जीवन को बर्बाद नहीं करता है? ऐसे जीवन से तू क्या हासिल कर पाएगा? तुझे एक सत्य के लिए देह के सारे सुख विलासों को छोड़ देना चाहिए, थोड़े से सुख विलास के लिए सारे सत्य को नहीं फेंकना चाहिए। ऐसे लोगों के पास कोई सत्यनिष्ठा और गरिमा नहीं होती है; उनके अस्तित्व का कोई अर्थ नहीं है!
परमेश्वर मनुष्य का न्याय करता है और उसको ताड़ना देता है क्योंकि यह उसके कार्य की मांग है, और इसके अतिरिक्त, मनुष्य को इसकी आवश्यकता है। मनुष्य को ताड़ना दिए जाने और उसका न्याय किए जाने की आवश्यकता है, और केवल तब ही वह परमेश्वर के लिए प्रेम को प्राप्त कर सकता है। आज, तुम लोग पूरी तरह आश्वस्त हो चुके हो, परन्तु जब तुम लोग जरा सा भी मुश्किलों का सामना करते हो तो तुम लोग परेशानी में आ जाते हो; तुम लोगों की कद-काठी अभी भी बहुत छोटी है, और एक गहरा ज्ञान प्राप्त करने के लिए तुम लोगों को अभी भी ऐसी ताड़ना और न्याय का और भी अधिक अनुभव करने की आवश्यकता है। आज, तुम लोगों में परमेश्वर के प्रति कुछ आदर है, तुम लोग परमेश्वर से डरते हो, और तुम लोग जानते हो कि वह सच्चा परमेश्वर है, परन्तु तुम लोगों में उसके लिए बड़ा प्रेम नहीं है, और सच्चा प्रेम तो तुम लोगों ने बिलकुल भी हासिल नहीं किया है; तुम लोगों का ज्ञान बहुत ही छिछला है, तुम लोगों की हस्ती अभी भी अपर्याप्त है। जब तुम लोग सचमुच में एक स्थिति का सामना करते हो, तब भी तुम लोग गवाही नहीं देते हो, तुम लोगों के प्रवेश का थोड़ा भाग ही अग्रसक्रिय होता है, और तुम लोगों में कोई समझ नहीं है कि अभ्यास कैसे करना है। बहुत से लोग निष्क्रिय और सुस्त होते हैं; वे केवल गुप्त रूप से अपने हृदय में परमेश्वर से प्रेम करते हैं, किन्तु उनके पास अभ्यास का कोई तरीका नहीं है, और न ही वे अपने लक्ष्यों को लेकर स्पष्ट हैं। वे जिन्हें सिद्ध बनाया गया है उनके पास न केवल सामान्य मानवता है, बल्कि उनके पास ऐसे सत्य भी हैं जो विवेक के मापदण्डों से बढ़कर हैं, और जो विवेक के मानकों से ऊँचे हैं; वे परमेश्वर के प्रेम का प्रतिफल देने के लिए न केवल अपने विवेक का इस्तेमाल करते हैं, बल्कि, उससे बढ़कर, वे परमेश्वर को जान चुके हैं, यह देख चुके हैं कि परमेश्वर प्रेमी है, वह मनुष्य के प्रेम के योग्य है, और परमेश्वर में प्रेम करने के लिए इतना कुछ है कि मनुष्य उसे प्रेम किये बिना नहीं रह सकता है। वे लोग जिन्हें सिद्ध किया गया है उनका परमेश्वर के लिए प्रेम उनकी व्यक्तिगत आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए है। उनका प्रेम स्वैच्छिक है, एक ऐसा प्रेम जो बदले में कुछ भी नहीं मांगता है, और जो एक व्यापार नहीं है। ��रमेश्वर से उनके प्रेम का कारण उसके बारे में उनके ज्ञान को छोड़ और कुछ भी नहीं है। ऐसे लोग यह परवाह नहीं करते हैं कि परमेश्वर उन पर अनुग्रह करेगा कि नहीं, और परमेश्वर को संतुष्ट करने के सिवाय और किसी भी चीज़ से तृप्त नहीं होते हैं। वे परमेश्वर से मोल भाव नहीं करते हैं, और न ही वे विवेक के द्वारा परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को नापते हैं: तूने मुझे दिया है, तो उसके बदले मैं तुझसे प्रेम करता हूँ; यदि तू मुझे कुछ नहीं देता है, तो बदले में मेरे पास भी तेरे लिए कुछ नहीं है। वे जिन्हें सिद्ध किया गया है, हमेशा विश्वास करते हैं: परमेश्वर सृष्टिकर्ता है, और वह हम पर अपना कार्य करता है। चूँकि मेरा पास सिद्ध किए जाने के लिए यह अवसर, परिस्थिति और योग्यता है, इसीलिए एक अर्थपूर्ण जीवन बिताना ही मेरा लक्ष्य होना चाहिए, और मुझे परमेश्वर को संतुष्ट करना चाहिए। यह बिलकुल वैसा ही है जैसा पतरस ने अनुभव किया था: जब वह बेहद कमज़ोर था, तब उसने प्रार्थना की और कहा, "हे परमेश्वर! तू जानता है कि मैंने समय और स्थान की परवाह न करते हुए, हमेशा तुझे याद किया है। तू जानता है कि चाहे कोई भी समय और स्थान हो, मैं तुझसे प्रेम करना चाहता हूँ, परन्तु मेरी हस्ती बहुत छोटी है, मैं बहुत कमज़ोर और निर्बल हूँ, मेरा प्रेम बहुत सीमित है, और तेरे प्रति मेरी सत्यनिष्ठा बहुत थोड़ी सी है। तेरे प्रेम की तुलना में, मैं जीने के भी योग्य नहीं हूँ। मैं केवल यह कामना करता हूँ कि मेरा जीवन व्यर्थ न हो, और मैं न केवल तेरे प्रेम का प्रतिफल दे सकूँ, बल्कि, इसके अतिरिक्त, वह सब कुछ जो मेरे पास है उसे तेरे लिए समर्पित कर सकूँ। यदि मैं तुझे संतुष्ट कर सकूँ, तब एक प्राणी होने के नाते, मेरे पास मन की शांति होगी, और मैं कुछ और नहीं मांगूंगा। यद्यपि अब मैं कमज़ोर और निर्बल हूँ, फिर भी मैं तेरे प्रोत्साहन को नहीं भूलूंगा, और तेरे प्रेम को नहीं भूलूंगा। अब मैं तेरे प्रेम का प्रतिफल देने के सिवाय कुछ और नहीं कर रहा हूँ। हे परमेश्वर, मुझे बहुत बुरा लग रहा है! मेरे हृदय में तेरे लिए जो प्रेम है उसे मैं तुझे वापस कैसे दे सकता हूँ, मेरी क्षमता में जो भी है उसे मैं ��ैसे कर सकता हूँ, मैं तेरी इच्छाओं को पूरा करने के योग्य कैसे हो सकता हूँ, और जो कुछ भी मेरे पास है, वह सब कुछ तुझे भेंट चढ़ाने के योग्य कैसे हो सकता हूँ? तू मनुष्य की कमज़ोरी को जानता है; मैं तेरे प्रेम के काबिल कैसे हो सकता हूँ? हे परमेश्वर! तू जानता है कि मेरी हस्ती छोटी सी है, कि मेरा प्रेम बहुत थोड़ा सा है। इस प्रकार की परिस्थितियों में मैं अपनी क्षमतानुसार सर्वोत्तम कार्य कैसे कर सकता हूँ? मैं जानता हूँ कि मुझे तेरे प्रेम का प्रतिफल देना चाहिए, मैं जानता हूँ कि मुझे वह सब कुछ देना चाहिए जो मेरे पास है, परन्तु आज मेरी हस्ती बहुत छोटी है। मैं तुझसे मांगता हूँ कि तू मुझे सामर्थ दे, और मुझे आत्मविश्वास दे, जिस से तुझे समर्पित करने के लिए मैं और अधिक शुद्ध प्रेम को प्राप्त करने के योग्य हो जाऊँगा, और जो कुछ भी मेरे पास है, वह सब कुछ समर्पित करने के लिए और अधिक योग्य हो जाऊँगा; न केवल मैं तेरे प्रेम का प्रतिफल देने के योग्य हो जाऊँगा, बल्कि तेरी ताड़ना, न्याय और परीक्षाओं, और यहाँ तक कि कठिन अभिशापों का भी अनुभव करने के लिए और अधिक योग्य हो जाऊँगा। तूने मुझे अपने प्रेम को देखने दिया है, और तुझसे प्रेम न करने में मैं असमर्थ हूँ, और आज भले ही मैं कमज़ोर और निर्बल हूँ, फिर भी मैं तुझे कैसे भूल सकता हूँ? तेरे प्रेम, ताड़ना और न्याय, इन सबसे मैंने तुझे जाना है, फिर भी तेरे प्रेम की पूर्ति करने में मैं असमर्थता भी महसूस करता हूँ, क्योंकि तू कितना महान है। जो कुछ मेरे पास है, वह सब कुछ मैं सृष्टिकर्ता को कैसे समर्पित कर सकता हूँ?" पतरस की विनती ऐसी ही थी, फिर भी उसकी हस्ती काफी नहीं थी। इस क्षण, उसने ऐसा महसूस किया मानो एक कटार उसके हृदय के आर-पार हो गया था और वह पीड़ा में था; वह नहीं जानता था कि ऐसी स्थिति में क्या करना है। फिर भी वह लगातार प्रार्थना करता रहा: "हे परमेश्वर! मनुष्य की हस्ती बचकानी है, उसका विवेक कमज़ोर है, और तेरे प्रेम का प्रतिफल देना ही वह एक मात्र चीज़ है जिसे मैं हासिल कर सकता हूँ। आज, मैं नहीं जानता हूँ कि तेरी इच्छाओं को कैसे संतुष्ट करूँ, और मैं बस वह सब करना चाहता हो जो मैं कर सकता हूँ, जो कुछ मेरे पास है वो सब तुझे दूँ और वह सब कुछ तुझे समर्पित करूँ जो मेरे पास है। तेरे न्याय के बावजूद, तेरी ताड़नाओं के बावजूद, इसके बावजूद कि तू मुझे क्या देता है, इसके बावजूद कि तू मुझ से क्या ले लेता है, मुझे तेरे बारे में, छोटी सी भी शिकायत से आज़ाद कर। कई बार, जब तूने मुझे ताड़ना दी और मेरा न्याय किया, मैं अपने आप में कुड़कुड़ाता था, और मैं शुद्धता प्राप्त करने, या तेरी इच्छाओं की पूर्ति करने में असमर्थ था। मैंने मजबूरी में तेरे प्रेम का प्रतिफल दिया था, और इस घड़ी मैं अपने आप से और भी अधिक नफरत करता हूँ।" चूँकि पतरस परमेश्वर से शुद्ध प्रेम करने की खोज करता था इसलिए उसने इस प्रकार प्रार्थना की। वह खोज रहा था, और विनती कर रहा था, और, उससे बढ़कर, वह अपने आप पर इल्ज़ाम लगा रहा था, और परमेश्वर के सामने अपने पापों को अंगीकार कर रहा था। उसने महसूस किया कि वह परमेश्वर का ऋणी है, और उसने अपने आप से नफरत महसूस की, लेकिन फिर भी वह थोड़ा उदास और निष्क्रिय भी था। उसे हमेशा ऐसा महसूस होता था, कि मानो वह परमेश्वर की इच्छाओं के लिए बहुत उचित नहीं था, और वह अपना सर्वोत्तम कार्य करने में असमर्थ था। ऐसी स्थितियों में, पतरस ने अय्यूब के विश्वास का ही अनुसरण किया। उसने देखा था कि अय्यूब का विश्वास कितना बड़ा था, क्योंकि अय्यूब ने यह देखा था कि उसका सब कुछ परमेश्वर के द्वारा दिया गया था, और उसका सब कुछ ले लेना परमेश्वर के लिए स्वभाविक था, कि परमेश्वर जिसको चाहेगा उसको देगा-परमेश्वर का धर्मी स्वभाव ऐसा ही था। अय्यूब ने कोई शिकायत नहीं की थी, और वह तब भी परमेश्वर की स्तुति करने में समर्थ था। पतरस भी स्वयं को जानता था, और उसने अपने हृदय में प्रार्थना की, "आज अपने विवेक का इस्तेमाल करके तेरे प्रेम का बदला चुका कर मुझे संतुष्ट नहीं होना चाहिए और मैंने तुझे जितना अधिक प्रेम वापस किया है उससे भी मुझे संतुष्ट नहीं होना चाहिए, क्योंकि मेरे विचार बहुत ही भ्रष्ट हैं, और मैं तुझे सृष्टिकर्ता के रूप में देख पाने में असमर्थ हूँ। क्योंकि मैं अभी भी तुझसे प्रेम करने के योग्य नहीं हूँ, मुझे वह योग्यता हासिल करनी होगी जिससे मेरे पास जो भी है, वह सब कुछ मैं तुझे समर्पित कर सकूँ, और मैं यह खुशी से करूँगा। मुझे वह सब कुछ जानना होगा जो तूने किया है, और मेरे पास कोई विकल्प नहीं होना चाहिए, और मुझे तेरे प्रेम को देखना होगा, और मुझे तेरी स्तुति करने और तेरे पवित्र नाम का गुणगान करने योग्य होना होगा, ताकि तू मेरे ज़रिए बड़ी महिमा प्राप्त कर सके। मैं तेरी इस गवाही में तेरे साथ मज़बूती के साथ खड़े होने को तैयार हूँ। हे परमेश्वर! तेरा प्रेम कितना बहुमूल्य और सुन्दर है; मैं उस दुष्ट के हाथों में जीने की कामना कैसे कर सकता था? क्या मुझे तेरे द्वारा नहीं बनाया गया था? मैं शैतान के प्रभुत्व के अधीन कैसे जी सकता था? मैं यह ज़्यादा पसंद करता हूँ कि मेरा सारा सत्व तेरी ताड़नाओं के मध्य रहे। मैं उस दुष्ट के शासन के अधीन नहीं जीना चाहता हूँ। यदि मुझे पवित्र बनाया जा सकता है, और यदि मैं अपना सब कुछ तुझे समर्पित कर सकता हूँ, तो मैं तेरे न्याय और ताड़ना को अपने शरीर और मन की भेंट चढ़ाने को तैयार हूँ, क्योंकि मैं शैतान से घृणा करता हूँ, और मैं उसके शासन के अधीन जीवन बिताने में इच्छुक नहीं हूँ। मेरा न्याय करने द्वारा तू अपने धर्मी स्वभाव को दर्शाता है; मैं खुश हूँ, और मुझे थोड़ी भी शिकायत नहीं है। यदि मैं प्राणी होने के कर्तव्य को निभा सकूँ, तो मैं तैयार हूँ कि मेरा सम्पूर्ण जीवन तेरे न्याय के साथ जुड़ जाए, जिसके जरिए मैं तेरे धर्मी स्वभाव को जान पाऊँगा, और उस दुष्ट के प्रभाव से अपने आपको छुड़ा पाऊँगा।" पतरस ने हमेशा इस प्रकार प्रार्थना की, हमेशा इस प्रकार ही खोज की, और वह एक ऊँचे आयाम तक पहुँच गया। वह न केवल परमेश्वर के प्रेम का प्रतिफल देने के योग्य हो पाया, बल्कि, उससे भी अधिक महत्वपूर्ण, उसने एक प्राणी होने के अपने कर्तव्य को भी निभाया। उस पर न केवल उसके विवेक के द्वारा दोष नहीं लगाया गया था, बल्कि वह विवेक के मानकों से परे होने में भी सक्षम हो गया था। उसकी प्रार्थनाएँ लगातार ऊपर परमेश्वर के सामने पहुँचती रहीं, कुछ इस तरह कि उसकी आकांक्षाएँ हमेशा से और ऊँची हो गईं, और परमेश्वर के प्रति उसका प्रेम हमेशा से और विशाल हो गया। यद्यपि उसने अति पीड़ादायक दर्द सहा था, फिर भी वह परमेश्वर से प्रेम करना नहीं भूला, और तब भी उसने परमेश्वर की इच्छा को समझने की क्षमता को प्राप्त करने का प्रयास किया। उसकी प्रार्थनाओं में निम्नलिखित वचन कहे गए: तेरे प्रेम का प्रतिफल देने के अलावा मैंने और कुछ पूर्ण नहीं किया है। मैंने शैतान के सामने तेरे लिए गवाही नहीं दी है, मैंने अपने आपको शैतान के प्रभाव से आज़ाद नहीं किया है, और मैं अब भी शरीर के बीच जीता हूँ। मैं अपने प्रेम का इस्तेमाल कर के शैतान को हराने की, और उसे लज्जित करने की, और इस प्रकार तेरी इच्छा को संतुष्ट कर पाने की कामना करता हूँ। मैं अपना सर्वस्व तुझे समर्पित कर पाने की, अपना थोड़ा सा भी अंश शैतान को देने की इच्छा नहीं करता हूँ, क्योंकि शैतान तेरा शत्रु है। जितना ज़्यादा उसने इस दिशा में प्रयास किया, उतना ही ज़्यादा वह द्रवित हुआ, और उतना ही ज़्यादा इन विषयों पर उसका ज्ञान बढ़ता गया। एहसास किए बगैर, उसे पता चल गया कि उसे अपने आपको शैतान के प्रभाव से मुक्त कर देना चाहिए, और स्वयं को पूरी तरह परमेश्वर के पास वापस लौटा देनाचाहिए। उसने ऐसा ही आयाम हासिल किया था। वह शैतान के प्रभाव से भी आगे बढ़ रहा था, और वह शरीर की अभिलाषाओं और मौज मस्ती से अपने आपको छुड़ा रहा था, और वह परमेश्वर की ताड़ना और न्याय दोनों को और अधिक गम्भीरता से अनुभव करने को तैयार था। उसने कहा, "यद्यपि मैं तेरी ताड़नाओं और तेरे न्याय के बीच रहता हूँ, उससे जुड़ी कठिनाई के बावजूद, मैं अभी भी शैतान के प्रभुत्व के अधीन जीवन व्यतीत करना नहीं चाहता हूँ, और मैं शैतान के छल कपट को सहना नहीं चाहता हूँ। मैं तेरे अभिशापों के बीच जी कर आनन्दित हूँ, मैं शैतान की आशीषों के मध्य जी कर कष्ट में हूँ। मैं तुझसे प्रेम करता हूँ क्योंकि मैं तेरे न्याय के बीच जीवन बिताता हूँ, और इस से मुझे बहुत आनन्द प्राप्त होता है। तेरी ताड़ना और न्याय धर्मी और पवित्र है; यह मुझे शुद्ध करने के लिए है, और उससे बढ़कर मुझ बचाने के लिए है। मैं अधिक पसंद करूँगा कि अपना सारा जीवन तेरी देखरेख में तेरे न्याय के बीच बिता दूँ। मैं एक घड़ी भी शैतान के प्रभुत्व में जीवन बिताने को तैयार नहीं हूँ; मैं तेरे द्वारा शुद्ध होना चाहता हूँ; और मैं दुख-तकलीफ भी सहूँ, तो भी मैं शैतान के द्वारा शोषित होने और छले जाने को इच्छुक नहीं हूँ। मुझे, इस प्राणी को, तेरे द्वारा इस्तेमाल किया जाना चाहिए, तेरे द्वारा प्राप्त किया जाना चाहिए, और तेरे द्वारा न्याय किया जाना चाहिए, और तेरे द्वारा ताड़ना दिया जाना चाहिए। यहाँ तक कि मुझे तेरे द्वारा शापित भी किया जाना चाहिए। जब तू मुझे आशीष देने की इच्छा करता है तो मेरा हृदय आनन्दित होता है, क्योंकि मैं तेरे प्रेम को देख चुका हूँ। तू सृष्टिकर्ता है, और मैं एक सृष्टि हूँ: मुझे तुझको धोखा देकर शैतान के प्रभुत्व में जीवन व्यतीत नहीं करना चाहिए, और मुझे शैतान के द्वारा शोषित भी नहीं किया जाना चाहिए। शैतान के लिए जीने के बजाय मुझे तेरा घोड़ा, या बैल होना चाहिए। मैं तेरी ताड़नाओं के मध्य, बिना किसी शारीरिक आनन्द के, जीवन व्यतीत करना ज़्यादा पसंद करूँगा, और यदि मैं तेरा अनुग्रह खो भी दूँ तो भी इससे मुझे प्रसन्नता होगी। यद्यपि तेरा अनुग्रह मेरे साथ नहीं है, फिर भी मैं तेरे द्वारा ताड़ना दिए जाने और न्याय किए जाने से प्रसन्न हूँ; यह तेरी सर्वोत्तम आशीष है, और तेरा सबसे बड़ा अनुग्रह है। यद्यपि तू हमेशा प्रतापी है और मेरे प्रति क्रोधित है, किन्तु मैं तुझको नहीं छोड़ सकता हूँ, और मैं अभी भी तुझ से जी-भर कर प्रेम नहीं कर पाता हूँ। मैं तेरे घर में रहना अधिक पसंद करूँगा, मैं तेरे द्वारा शापित और प्रताड़ित किया जाना, और मार खाना अधिक पसंद करूँगा, मैं शैतान के प्रभुत्व के अधीन जीने को तैयार नहीं हूँ, न ही मैं केवल शरीर के लिए भाग-दौड़ करने की इच्छा करता हूँ, और शरीर के लिए जीने के लिए तो बिलकुल भी तैयार नहीं हूँ।" पतरस का प्रेम एक पवित्र प्रेम था। यह सिद्ध किए जाने का अनुभव है, और यह सिद्ध किए जाने का सर्वोच्च आयाम है, और इसको छोड़ और कोई जीवन नहीं है जो और अधिक सार्थक हो। उसने परमेश्वर की ताड़ना और न्याय को स्वीकार किया, उसने परमेश्वर के धर्मी स्वभाव को संजोकर रखा, और पतरस में इसको छोड़ कुछ भी और अधिक बहुमूल्य नहीं था। उसने कहा, "शैतान मुझे भौतिक आनन्द देता है, परन्तु मैं उनको संजोकर नहीं रखता हूँ। परमेश्वर की ताड़ना और न्याय मुझ पर आती है—मैं इसी में अनुग्रहित हूँ, और मुझे इसी में आनन्द मिलता है, और मैं इसी में आशीषित हूँ। यदि परमेश्वर का न्याय ना होता तो मैं परमेश्वर से कभी प्यार नहीं कर पाता, मैं अभी भी शैतान के प्रभुत्व के अधीन जीवन बिताता, मुझे अभी भी उसके द्वारा नियन्त्रित किया जाता, और उसके आदेश के अधीन होता। यदि स्थिति ऐसी होती, तो मैं कभी भी एक असल इंसान नहीं बन पाता, क्योंकि मैं परमेश्वर को संतुष्ट करने में असमर्थ रहता, और मैं अपनी समग्रता को परमेश्वर को समर्पित नहीं कर पाता। भले ही परमेश्वर मुझे आशीष न दे, और मुझे बिना किसी भीतरी सुकून के इस तरह छोड़ दे, मानो एक आग मेरे भीतर जल रही हो, और बिना किसी शांति या आनन्द के छोड़ दे, और भले ही परमेश्वर की ताड़ना और अनुशासन कभी मुझ से दूर नहीं हुआ, फिर भी मैं परमेश्वर की ताड़ना और न्याय में उसके धर्मी स्वभाव को देखने में सक्षम हूँ। मैं इस में आनन्दित हूँ; जीवन में इस से बढ़कर कोई मूल्यवान और अर्थपूर्ण बात नहीं है। यद्यपि उसकी सुरक्षा और देखभाल क्रूर ताड़ना, न्याय, अभिशाप और पीड़ा बन चुके हैं, फिर भी मैं इन चीज़ों में आनन्दित होता हूँ, क्योंकि वे मुझे बेहतर ढंग से शुद्ध कर सकते हैं और बदल सकते हैं, मुझे परमेश्वर के नज़दीक ला सकते हैं, मुझे परमेश्वर से और भी अधिक प्रेम करने के योग्य बना सकते हैं, और परमेश्वर के प्रति मेरे प्रेम को और अधिक शुद्ध कर सकते हैं। यह मुझे इस योग्य बनाता है कि मैं एक जीवधारी रूप में अपने कर्तव्य को पूरा करूँ, यह मुझे परमेश्वर के सामने और शैतान के प्रभाव से दूर ले जाता है, ताकि मैं आगे से शैतान की सेवा न करूँ। जब मैं शैतान के प्रभुत्व के अधीन जीवन नहीं बिताता हूँ, और जब मैं, बिना हिचकिचाए, अपना सब कुछ जो मेरे पास है और वह सब कुछ जिसे मैं कर सकता हूँ उसे परमेश्वर को समर्पित करने के योग्य हो जाता हूँ—तब ही मैं पूरी तरह संतुष्ट होऊँगा। यह परमेश्वर की ताड़ना और न्याय है जिसने मुझे बचाया है, और मेरे जीवन को परमेश्वर की ताड़नाओं और न्याय से अलग नहीं किया जा सकता है। पृथ्वी पर मेरा जीवन शैतान के प्रभुत्व में है, और यदि परमेश्वर की ताड़ना और न्याय की देखभाल और सुरक्षा नहीं होती, तो मैं हमेशा शैतान के प्रभुत्व के अधीन जीवन बिताता, और, इसके अतिरिक्त, मेरे पास एक सार्थक जीवन जीने का अवसर या साधन नहीं होता। बस अगर परमेश्वर की ताड़ना और न्याय मुझे कभी छोड़कर न जाए, तब ही मैं परमेश्वर के द्वारा शुद्ध किए जाने के योग्य हो सकता हूँ। केवल परमेश्वर के कठोर शब्दों, धार्मिक स्वभाव, और परमेश्वर के प्रतापी न्याय के कारण ही, मैंने सर्वोच्च सुरक्षा प्राप्त की है, और ज्योति में रहा हूँ, और मैंने परमेश्वर की आशीषों को प्राप्त किया है। शुद्ध किए जाने में, और अपने आपको शैतान से मुक्त कराने सक्षम होना, और परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन जीवन बिताना—यह आज मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी आशीष है।" यह पतरस के द्वारा अनुभव किया गया सर्वोच्च आयाम है।
सिद्ध किए जाने के बाद मनुष्य को ऐसी अवस्थाओं को हासिल करना होगा। यदि तू इतना कुछ हासिल नहीं कर सकता है, तो तू एक सार्थक जीवन नहीं बिता सकता है। मनुष्य शरीर में रहता है, इसका मतलब है कि वह मानवीय नरक में रहता है, और परमेश्वर के न्याय और उसकी ताड़ना के बगैर, मनुष्य शैतान के समान ही गन्दा है। मनुष्य पवित्र कैसे हो सकता है? पतरस ने यह विश्वास किया कि परमेश्वर की ताड़ना और उसका न्याय मनुष्य की सब से बड़ी सुरक्षा और सब से महान अनुग्रह है। केवल परमेश्वर की ताड़ना और न्याय के द्वारा ही मनुष्य जागृत हो सकता है, और शरीर और शैतान से बैर कर सकता है। परमेश्वर का कठोर अनुशासन मनुष्य को शैतान के प्रभाव से मुक्त करता है, वह उसे उसके छोटे संसार से आज़ाद करता है, और उसे परमेश्वर की उपस्थिति के प्रकाश में जीवन बिताने देता है। ताड़ना और न्याय की अपेक्षा कोई बेहतर उद्धार नहीं है! पतरस ने प्रार्थना की, "हे परमेश्वर! जब तक तू मुझे ताड़ना देता और मेरा न्याय करता है, मैं यह जानूँगा कि तूने मुझे नहीं छोड़ा है। भले ही तू मुझे आनन्द और शांति न दे, और मुझे कष्ट में रहने दे, और मुझे अनगिनत ताड़नाओं से प्रताड़ित करे, किन्तु जब तक तू मुझे नहीं छोड़ता है तब तक मेरा हृदय सुकून से रहेगा। आज, तेरी ताड़ना और न्याय मेरी सबसे बेहतरीन सुरक्षा और सबसे महान आशीष बन गए हैं। जो अनुग्रह तू मुझे देता है वह मेरी सुरक्षा करता है। जो अनुग्रह आज तू मुझे देता है वह तेरे धर्मी स्वभाव का प्रकटीकरण है, ताड़ना और न्याय है; इसके अतिरिक्त, यह एक परीक्षा है, और, उससे बढ़कर, यह दुखभोग का जीवन है।" पतरस देह के आनंदों को अलग रख सकता था, और एक अत्यंत गहरे प्रेम और सबसे बड़ी सुरक्षा की खोज कर सकता था, क्योंकि उसने परमेश्वर की ताड़ना और न्याय से इतना कुछ हासिल किया था। अपने जीवन में, यदि मनुष्य शुद्ध होना चाहता है और अपने स्वभाव में परिवर्तन हासिल करना चाहता है, यदि वह एक सार्थक जीवन बिताना चाहता है, और एक जीवधारी के रूप में अपने कर्तव्य को निभाना चाहता है, तो उसे परमेश्वर की ताड़ना और न्याय को स्वीकार करना चाहिए, और उसे परमेश्वर के अनुशासन और परमेश्वर के प्रहार को अपने आप से दूर नहीं होने देना चाहिए, इस प्रकार वह अपने आपको शैतान के छल प्रपंच और प्रभाव से मुक्त कर सकता है और परमेश्वर के प्रकाश में जीवन बिता सकता है। यह जानो कि परमेश्वर की ताड़ना और न्याय ज्योति है, और वह मनुष्य के उद्धार की ज्योति है, और मनुष्य के लिए उससे बेहतर कोई आशीष, अनुग्रह या सुरक्षा नहीं है। मनुष्य शैतान के प्रभाव के अधीन जीता है, और देह में जीता है; यदि उसे शुद्ध नहीं किया जाता है और उसे परमेश्वर की सुरक्षा प्राप्त नहीं होती है, तो वह पहले से कहीं ज़्यादा भ्रष्ट बन जाएगा। यदि वह परमेश्वर से प्रेम करना चाहता है, तो उसे शुद्ध होना और उद्धार पाना होगा। पतरस ने प्रार्थना की, "परमेश्वर जब तू मुझसे कृपा के साथ व्यवहार करता है तो मैं प्रसन्न हो जाता हूँ, और मुझे सुकून मिलता है; जब तू मुझे ताड़ना देता है, तब मुझे उससे कहीं ज़्यादा सुकून और आनन्द मिलता है। यद्यपि मैं कमज़ोर हूँ, और अकथनीय कष्ट सहता हूँ, यद्यपि मेरे जीवन में आँसू और उदासी है, लेकिन तू जानता है कि यह उदासी मेरी अनाज्ञाकारिता के कारण है, और मेरी कमज़ोरी के कारण है। मैं रोता हूँ क्योंकि मैं तेरी इच्छाओं को संतुष्ट नहीं कर पाता हूँ, मैं दुखी और खेदित हूँ क्योंकि मैं तेरी अपेक्षाओं के प्रति नाकाफी हूँ, लेकिन मैं इस आयाम को हासिल करने के लिए तैयार हूँ, मैं वह सब करने के लिए तैयार हूँ जो मैं तुझे संतुष्ट करने के लिए कर सकता हूँ। तेरी ताड़ना मेरे लिए सुरक्षा लेकर आई है, और मुझे सब से बेहतरीन उद्धार दिया है; तेरा न्याय तेरी सहनशीलता और धीरज को ढँक देता है। तेरी ताड़ना और न्याय के बगैर, मैं तेरी दया और करूणा का आनन्द नहीं ले पाऊँगा। आज, मैं यह और भी अधिक देखता हूँ कि तेरा प्रेम स्वर्ग से भी ऊँचा हो गया है और सबसे श्रेष्ठ हो गया है। तेरा प्रेम मात्र दया और करूणा नहीं है; किन्तु उससे भी बढ़कर, यह ताड़ना और न्याय है। तेरी ताड़ना और न्याय ने मुझे बहुत कुछ दिया है। तेरी ताड़ना और न्याय के बगैर, एक भी व्यक्ति शुद्ध नहीं हो सकता है, और एक भी इंसान सृष्टिकर्ता के प्रेम को अनुभव करने के योग्य नहीं हो सकता है। यद्यपि मैंने सैकड़ों परीक्षाओं और क्लेशों को सहा है, और यहाँ तक कि मौत के करीब आ गया, फिर भी ऐसे कष्टों[क] ने मुझे सचमुच में तुझे जानने और सर्वोच्च उद्धार प्राप्त करने दिया है। यदि तेरी ताड़ना, न्याय और अनुशासन मुझसे दूर हो गए होते, तो मैं अंधकार में शैतान के प्रभुत्व में जीवन बिताता। मनुष्य की देह से क्या लाभ है? यदि तेरी ताड़ना और न्याय मुझे छोड़ कर चले गए होते, तो यह ऐसा होता मानो तेरे आत्मा ने मुझे छोड़ दिया हो, मानो अब से तू मेरे साथ नहीं है। यदि ऐसा होता, तो मैं जीवन कैसे बिताता? यदि तू मुझे बीमारी देता है, और मेरी स्वतन्त्रता को ले लेता है, तो भी मैं जीवित रह सकता हूँ, परन्तु अगर तेरी ताड़ना और न्याय मुझे छोड़ देते, मेरे पास जीने का कोई रास्ता नहीं होगा। यदि मेरे पास तेरी ताड़ना और तेरा न्याय नहीं होता, तो मैंने तेरे प्रेम को खो दिया होता, एक ऐसे प्रेम को जो इतना गहरा है कि मैं इसे शब्दों में नहीं कह सकता हूँ। तेरे प्रेम के बिना, मैं शैतान के शासन के अधीन जीता, और तेरे महिमामय मुखड़े को देखने के काबिल नहीं हो पाता। मैं कैसे जीवित रह पाता? ऐसा अंधकार, ऐसा जीवन, मैं बिलकुल सह नहीं सकता था। तू मेरे साथ है तो यह ऐसा है मानो मैं तुझे देख रहा हूँ, तो मैं तुझे कैसे छोड़ सकता हूँ? मैं तुझ से विनती करता हूँ, मैं तुझ से याचना करता हूँ, तू मेरे सबसे बड़े सुकून को मत छीन, भले ही ये आश्वासन के मात्र थोड़े से शब्द हों। मैंने तेरे प्रेम का आनन्द लिया है, और आज मैं तुझ से दूर नहीं रह सकता हूँ; मैं तुझ से कैसे प्रेम नहीं कर सकता हूँ? मैंने तेरे प्रेम के कारण दुख में बहुत से आँसू बहाए हैं, फिर भी मैंने हमेशा से यह विश्वास किया है कि इस तरह का जीवन अधिक अर्थपूर्ण है, मुझे समृद्ध करने में अधिक योग्य है, मुझे बदलने में अधिक सक्षम है, और मुझे उस सत्य को हासिल करने देने में अधिक काबिल है जिसे सभी जीवधारियों के द्वारा धारण किया जाना चाहिए।"
मनुष्य का सारा जीवन शैतान के प्रभुत्व के अधीन बीतता है, और ऐसा एक भी इंसान नहीं है जो अपने बलबूते पर अपने आपको शैतान के प्रभाव से आज़ाद कर सकता है। सभी लोग भ्रष्टता और खालीपन में, बिना किसी अर्थ या मूल्य के, एक गन्दे संसार में रहते हैं; वे शरीर के लिए, वासना के लिए और शैतान के लिए ऐसी लापरवाह ज़िन्दगियाँ बिताते हैं। उनके अस्तित्व का जरा सा भी मूल्य नहीं है। मनुष्य उस सत्य को खोज पाने में असमर्थ है जो उसे शैतान के प्रभाव से मुक्त कर देगा। यद्यपि मनुष्य परमेश्वर पर विश्वास करता है और बाइबल पढ़ता है, फिर भी वह यह नहीं जानता है कि वह अपने आपको शैतान के नियन्त्रण से आज़ाद कैसे करे। विभिन्न युगों के दौरान, बहुत ही कम लोगों ने इस रहस्य को जाना है, और बहुत ही कम लोगों ने इसे स्पर्श किया है। वैसे तो, मनुष्य शैतान से और देह से घृणा करता है, फिर भी वह नहीं जानता है कि अपने आपको शैतान के फँसानेवाले प्रभाव से कैसे बचाए। आज, क्या तुम लोग अभी भी शैतान के प्रभुत्व के अधीन नहीं हो? तुम लोग अपने अनाज्ञाकारी कार्यों पर खेद नहीं करते हो, और यह तो बिलकुल भी महसूस नहीं करते हो कि तुम लोग अशुद्ध और अनाज्ञाकारी हो। परमेश्वर का विरोध करने के बाद, तुम लोगों को मन की शांति भी मिलती है और बहुत निश्चलता का एहसास भी होता है। क्या तेरी निश्चलता इस��िए नहीं है क्योंकि तू भ्रष्ट है? क्या ��ह मन की शांति तेरी अनाज्ञाकारिता से नहीं आती है? मनुष्य एक मानवीय नरक में रहता है, वह शैतान के बुरे प्रभाव में रहता है; पूरी धरती में, प्रेत मनुष्य के सथ रहते हैं, और मनुष्य की देह पर अतिक्रमण करते हैं। पृथ्वी पर, तू एक सुन्दर स्वर्गलोक में नहीं रहता है। जहाँ तू रहता है वह दुष्ट आत्मा का संसार है, एक मानवीय नरक है, और अधोलोक है। यदि मनुष्य को स्वच्छ नहीं किया जाता है, तो वह गंदगी से सम्बन्धित है; यदि परमेश्वर के द्वारा उसकी सुरक्षा और देखभाल नहीं की जाती है, तो वह अभी भी शैतान का बन्धुआ है; यदि उसका न्याय और उसकी ताड़ना नहीं की जाती है, तो उसके पास शैतान के बुरे प्रभाव के दमन से बचने का कोई उपाय नहीं होगा। वह भ्रष्ट स्वभाव जो तू दिखाता है और वह अनाज्ञाकारी व्यवहार जो तू करता है, वे इस बात को साबित करने के लिए काफी हैं कि तू अभी भी शैतान के शासन के अधीन जी रहा है। यदि तेरे मस्तिष्क और विचारों को शुद्ध नहीं किया गया है, और तेरे स्वभाव का न्याय और उसकी ताड़ना नहीं की गई है, तो तेरी पूरी हस्ती को अभी भी शैतान के प्रभुत्व के द्वारा नियन्त्रित किया जाता है, तेरा मस्तिष्क शैतान के द्वारा नियन्त्रित किया जाता है, तेरे विचार शैतान के द्वारा कुशलता से इस्तेमाल किए जाते हैं, और तेरी पूरी हस्ती शैतान के हाथों नियन्त्रित होती है। क्या तू जानता है कि, अभी, तू पतरस के स्तर से कितना दूर है? क्या तु��में योग्यता है? तू आज की ताड़ना और न्याय के विषय में कितना जानता है? जितना पतरस जान पाया उसमें से तू कितना जान पाया है? आज, यदि तू जानने में असमर्थ है, तो क्या तू इस ज्ञान को भविष्य में जानने के योग्य हो पाएगा? तेरे जैसा आलसी और डरपोक व्यक्ति परमेश्वर के न्याय और उसकी ताड़ना को जानने में असमर्थ होता है। यदि तू शारीरिक शांति, और शारीरिक आनन्द का अनुसरण करता है, तो तेरे पास शुद्ध होने का कोई उपाय नहीं होगा, और अंत में तू वापस शैतान के पास लौट जाएगा, क्योंकि जिस प्रकार की ज़िन्दगी तू जीता है वह शैतानी, और शारीरिक है। आज जिस प्रकार की स्थितियाँ हैं, बहुत से लोग जीवन की खोज नहीं करते हैं, जिसका मतलब है कि वे शुद्ध होने, या जीवन सम्बन्धी अधिक गहरे अनुभव में प्रवेश करने की परवाह नहीं करते हैं। इस प्रकार कैसे उन्हें सिद्ध बनाया जा सकता है? वे जो जीवन का अनुसरण नहीं करते हैं उनके पास सिद्ध किए जाने का कोई अवसर नहीं होता है, और ऐसे लोग जो परमेश्वर के ज्ञान का अनुसरण नहीं करते हैं, और अपने स्वभाव में बदलाव का अनुसरण नहीं करते हैं, वे शैतान के बुरे प्रभाव से बच पाने में असमर्थ होते हैं। परमेश्वर के विषय उनके ज्ञान और उनके स्वभाव में परिवर्तन के पश्चात् उनके प्रवेश के संबंध में, वे गम्भीर नहीं हैं, वे उनके समान हैं जो सिर्फ धर्म में विश्वास करते हैं, और जो अपनी आराधना में मात्र रस्म का पालन करते हैं। क्या यह समय की बर्बादी नहीं है? परमेश्वर पर अपने विश्वास के सन्दर्भ में, यदि मनुष्य, जीवन के विषयों के प्रति गम्भीर नहीं है, वह सत्य में प्रवेश करने की कोशिश नहीं करता है, अपने स्वभाव में परिवर्तन की कोशिश नहीं करता है, और परमेश्वर के कार्य के ज्ञान की खोज तो बिलकुल भी नहीं करता है, तो उसे सिद्ध नहीं बनाया जा सकता है। यदि तू सिद्ध किए जाने की इच्छा करता है, तो तुझे परमेश्वर के कार्य को समझना ही होगा। विशिष्ट रूप से, तुझे उसकी ताड़ना और उसके न्याय के महत्व को समझना होगा, और यह समझना होगा कि इस कार्य को मनुष्य पर क्यों किया जाता है। क्या तू यह स्वीकार कर सकता है? इस प्रकार की ताड़ना के दौरान, क्या तू पतरस के समान ही अनुभव और ज्ञान प्राप्त करने में समर्थ है? यदि तू परमेश्वर के ज्ञान और पवित्र आत्मा के कार्य का अनुसरण करता है, और अपने स्वभाव में परिवर्तनों की कोशिश करता है, तो तेरे पास सिद्ध किए जाने का अवसर है।
उनके लिए जिन्हें सिद्ध किया जाना है, उन पर विजयी होने के कार्य का यह कदम अति आवश्यक है; केवल जब मनुष्य पर विजय पा ली जाती है, तभी मनुष्य सिद्ध किए जाने के कार्य का अनुभव कर सकता है। केवल जीत लिए जाने की भूमिका को निभाने का कोई बड़ा मूल्य नहीं है, जो तुझे परमेश्वर के इस्तेमाल के योग्य नहीं बनाएगा। सुसमाचार फैलाने हेतु अपनी भूमिका को निभाने के लिए तेरे पास कोई साधन नहीं होगा, क्योंकि तू जीवन का अनुसरण नहीं करता है, और स्वयं के परिवर्तन और नवीनीकरण का अनुसरण नहीं करता है, और इसलिए तेरे पास जीवन का कोई वास्तविक अनुभव नहीं होता है। इस कदम दर कदम कार्य के दौरान, तूने एक बार एक सेवा कर्ता के, और एक विषमता के समान कार्य किया था, किन्तु अंततः यदि तू पतरस के समान बनने के लिए अनुसरण नहीं करता है, और यदि तेरा अनुसरण उस मार्ग के अनुसार नहीं है जिसके द्वारा पतरस को सिद्ध बनाया गया था, तो, स्वाभाविक रूप से, तू अपने स्वभाव में परिवर्तन का अनुभव नहीं करेगा। यदि तू ऐसा व्यक्ति है जो सिद्ध किए जाने का अनुसरण करता है, तो तुझे गवाही दी होगी, और तू कहेगा: "परमेश्वर के इस कदम दर कदम कार्य में, मैंने परमेश्वर की ताड़ना और न्याय के कार्य को स्वीकार कर लिया है, और यद्यपि मैंने बड़ा कष्ट सहा है, फिर भी मैं जान गया हूँ कि परमेश्वर मनुष्य को सिद्ध कैसे बनाता है, मैंने परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य को प्राप्त कर लिया है, मेरे पास परमेश्वर की धार्मिकता का ज्ञान है, और उसकी ताड़ना ने मुझे बचा लिया है। उसका धर्मी स्वभाव मुझमें आ गया है, और मेरे लिए आशीषें और अनुग्रह लाया है; यह उसका न्याय और उसकी ताड़ना है जिसने मुझे शुद्ध किया है और मेरी सुरक्षा की है। यदि परमेश्वर के द्वारा मेरी ताड़ना और मेरा न्याय नहीं किया जाता, और यदि परमेश्वर के कठोर वचन मेरे ऊपर नहीं आते, तो मैं परमेश्वर को नहीं जान सकता था, न ही मुझे बचाया जा सकता था। एक जीवधारी के रूप में, आज मैं यह देखता हूँ, एक व्यक्ति न केवल परमेश्वर के द्वारा बनाए गए सभी चीज़ों का आनन्द उठाता है, परन्तु, अति महत्वपूर्ण रूप से, सभी जीवधारियों को परमेश्वर के धर्मी स्वभाव का आनन्द उठाना चाहिए, और उसके धर्मी न्याय का आनन्द उठाना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर का स्वभाव मनुष्य के आनन्द के योग्य है। एक ऐसे जीव के रूप में जिसे शैतान द्वारा भ्रष्ट बना दिया गया है, एक व्यक्ति को परमेश्वर के धर्मी स्वभाव का आनंद उठाना चाहिए। उसके धर्मी स्वभाव में उसकी ताड़ना और उसका न्याय है, और, इसके अतिरिक्त, उसमें बड़ा प्रेम है। यद्यपि आज मैं परमेश्वर के प्रेम को पूरी तरह प्राप्त करने में असमर्थ हूँ, फिर भी मुझे उसे देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, और इसमें मैं आशीषित हुआ हूँ।" यह वह पथ है जिस पर वे चलते हैं जो सिद्ध किए जाने का और जिस ज्ञान के बारे में वे बोलते हैं, उसका अनुभव करते हैं। ऐसे लोग पतरस के समान हैं; उनके पास पतरस के समान ही अनुभव होते हैं। वे ऐसे लोग हैं जिन्होंने जीवन प्राप्त किया है, और जिनके पास सत्य है। यदि मनुष्य बिलकुल अंत तक अनुभव करता है, तो परमेश्वर के न्याय के दौरान वह अनिवार्य रूप से पूरी तरह शैतान के प्रभाव से अपने आपको को छुड़ा लेगा, और परमेश्वर के द्वारा ग्रहण कर लिया जाएगा।
लोगों पर विजय पा लिए जाने के बाद, उनके पास कोई गूंजती हुई गवाही नहीं होती है। उन्होंने महज शैतान को शर्मिन्दा कर दिया है, किन्तु उन्होंने परमेश्वर के वचनों की वास्तविकता को नहीं जिया है। तूने दूसरा उद्धार प्राप्त नहीं किया है; तूने महज एक पापबलि प्राप्त की है, तुझे अब तक सिद्ध नहीं बनाया गया है—यह बहुत बड़ा नुकसान है। तुम लोगों को समझना होगा कि तुम्हें किसमें प्रवेश करना चाहिए, किसे जीना चाहिए, और तुम्हें उसमें प्रवेश करना चाहिए। यदि, अंत में, तू सिद्ध किए जाने के कार्य को पूरा नहीं करता है, तो तू एक वास्तविक मनुष्य नहीं होगा, और तू पछतावे से भर जाएगा। आदम और हव्वा जिन्हें परमेश्वर के द्वारा आदि में बनाया गया था, वे पवित्र थे, दूसरे शब्दों में, जब वे अदन की वाटिका में थे तब वे पवित्र थे, और उनमें कोई अशुद्धता नहीं थी। वे यहोवा के प्रति निष्‍ठावान भी थे, और यहोवा को धोखा देने के विषय में कुछ नहीं जानते थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि उनमें शैतान के प्रभाव का विघ्न नहीं था, उनमें शैतान का ज़हर नहीं था, और वे सभी मानवजाति में सबसे अधिक शु़द्ध थे। वे अदन की वाटिका में रहते थे, वे हर प्रकार की गन्दगी से दूर थे, वे देह के कब्ज़े में नहीं थे, और वे यहोवा का आदर करते थे। बाद में, जब शैतान के द्वारा उनकी परीक्षा ली गई, तो उनके पास साँप का ज़हर था और यहोवा को धोखा देने की इच्छा थी, और वे शैतान के प्रभाव में जीवन बिताने लगे। आदि में, वे पवित्र थे और यहोवा का आदर करते थे; केवल इसी प्रकार से वे मानव थे। बाद में, जब शैतान के द्वारा उनकी परीक्षा ली गई, तब उन्होंने भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खा लिया, और शैतान के प्रभाव के अधीन जीवन बिताने लगे। धीरे धीरे उन्हें शैतान के द्वारा भ्रष्ट क��या गया, और उन्होंने मनुष्य के मूल स्वरूप को खो दिया। आदि में, मनुष्य के पास यहोवा की श्वास थी, और वह थोड़ा भी अनाज्ञाकारी नहीं था, और उसके हृदय में कोई बुराई नहीं थी। उस समय, मनुष्य सचमुच में मानव था। शैतान के द्वारा कलुषित किए जाने के बाद, मनुष्य पशु बन गया। उसके विचार बुराई और गन्दगी से भर गए, और उनमें कोई अच्छाई और पवित्रता नहीं थी। क्या यह शैतान नहीं है? तूने परमेश्वर के बहुत से कार्य का अनुभव किया है, फिर भी तू नहीं बदला है और तुझे शुद्ध नहीं किया गया है। तू अभी भी शैतान के प्रभुत्व में जीवन बिताता है, और अभी भी परमेश्वर को समर्पित नहीं होता है। यह एक ऐसा व्यक्ति है जिस पर विजय पायी जा चुकी है लेकिन उसे सिद्ध नहीं बनाया गया है। और ऐसा क्यों कहा जाता है कि ऐसे व्यक्ति को सिद्ध नहीं किया गया है? क्योंकि यह व्यक्ति जीवन या परमेश्वर के कार्य के ज्ञान का अनुसरण नहीं करता है, और शारीरिक आनन्द और क्षणिक सुख से अधिक किसी और चीज़ को नहीं चाहता है। इसके परिणामस्वरूप, उसके जीवन स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं होता है, और वो मनुष्य के उस मूल रूप को फिर से प्राप्त नहीं करता है जिसे परमेश्वर के द्वारा सृजा गया था। ऐसे लोग चलती फिरती लाशें हैं, वे मरे हुए लोग हैं जिनमें कोई आत्मा नहीं है! वे जो आत्मा में विषयों के ज्ञान का अनुसरण नहीं करते हैं, वे जो पवित्रता का अनुसरण नहीं करते हैं, और वे जो सत्य को जीने का अनुसरण नहीं करते हैं, वे जो केवल नकारात्मक पहलु पर विजय पा लिए जाने से ही संतुष्ट होते हैं, और वे जो सत्य को जीने और उसे प्रकट करने, और पवित्र लोगों में से एक बनने में असमर्थ होते हैं—वे ऐसे लोग हैं जिन्हें बचाया नहीं गया है। क्योंकि, अगर मनुष्य सत्य के बिना है, तो वह परमेश्वर की परीक्षाओं के मध्य स्थिर खड़े रहने में असमर्थ होता है; केवल वे लोग जो परमेश्वर की परीक्षाओं के दौरान स्थिर खड़े रह सकते हैं वे ही ऐसे लोग हैं जिन्हें बचाया गया है। मैं ऐसे लोगों को चाहता हूँ जो पतरस के समान हैं, ऐसे लोग जो सिद्ध किए जाने का अनुसरण करते हैं। आज का सत्य उन्हें दिया जाता है जो उसके लिए लालसा और उसकी खोज करते हैं। यह उद्धार उन्हें दिया जाता है जो परमेश्वर के द्वारा उद्धार पाने की लालसा करते हैं, और यह उद्धार सिर्फ तुम लोगों द्वारा ग्रहण करने के लिए नहीं है, परन्तु यह इसलिए भी है ताकि तुम लोग परमेश्वर के द्वारा ग्रहण किए जाओ। तुम लोग परमेश्वर को ग्रहण करते हो ताकि परमेश्वर भी तुम लोगों को ग्रहण कर सके। आज मैंने ये वचन तुम लोगों से कहे हैं, और तुम लोगों ने इन्हें सुना है, और तुम लोगों को इन वचनों के अनुसार व्यवहार करना है। अंत में, जब तुम लोग इन वचनों को व्यवहार में लाओगे तब मैं इन वचनों के द्वारा तुम लोगों को ग्रहण कर लूँगा; उस समय ही, तुम लोगों ने भी इन वचनों को ग्रहण लिया होगा, दूसरे शब्दों में, तुम लोगों ने इस सर्वोच्च उद्धार को ग्रहण कर लिया होगा। तुम लोगों को शुद्ध कर दिए जाने के बाद, तुम लोग सच्चे मानव हो जाओगे। यदि तू सत्य को जीने में असमर्थ है, या उस व्यक्ति के समान जीवन बिताने में असमर्थ है, जिसे सिद्ध किया गया है, तो ऐसा कहा जा सकता है कि तू एक मानव नहीं है, तू एक चलती फिरती लाश है, और एक पशु है, क्योंकि तुझमें सत्य नहीं है, दूसरे शब्दों में कहें तो तुझमें यहोवा की श्वास नहीं है, और इस प्रकार तू मरा हुआ इंसान है जिसमें कोई आत्मा नहीं है! यद्यपि विजय पा लिए जाने के बाद गवाही देना संभव है, परन्तु जो तू प्राप्त करता है वह एक छोटा सा उद्धार है, और तू ऐसा जीवित प्राणी नहीं बन पाया है जिसमें आत्मा है। यद्यपि तूने ताड़ना और न्याय का अनुभव किया है, फिर भी उसके परिणामस्वरूप तेरा स्वभाव नहीं बदला है या परिवर्तित नहीं हुआ है; तू अभी पुराना मनुष्य है, तू अभी भी शैतान का है, और तू कोई ऐसा व्यक्ति नहीं हैं जिसे शुद्ध किया गया है। केवल ऐसे लोगों का मोल है जिन्हें सिद्ध किया गया है, और केवल ऐसे ही लोगों ने सच्चे जीवन को प्राप्त किया है। एक दिन, कोई तुझसे कहेगा, "तूने परमेश्वर का अनुभव किया है, अतः कुछ बता कि उसका कार्य कैसा है। दाऊद ने परमेश्वर के काम का अनुभव किया था, और उसने यहोवा के कार्यों को देखा था, मूसा ने भी यहोवा के कार्यों को देखा था, और वे दोनों यहोवा के कार्यों का बखान कर सकते थे, और यहोवा की विलक्षणता के बारे में बोल सकते थे। तुम लोगों ने अंत के दिनों के दौरान देहधारी परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य को देखा है; क्या तुम उसकी बुद्धि के बारे में बात कर सकते हो? क्या तुम उसके कार्य की विलक्षणता के बारे में बात कर सकता हो? परमेश्वर ने तुम लोगों से क्या अपेक्षाएं कीं थी, और तुम लोगों ने उनका अनुभव कैसे किया? तुम लोगों ने अंत के दिनों के दौरान परमेश्वर के कार्य का अनुभव किया है; तुम लोगों का सबसे बड़ा दर्शन क्या है? क्या तुम लोग इसके बारे में बात कर सकते हो? क्या तुम लोग परमेश्वर के धर्मी स्वभाव के बारे में बात कर सकते हो?" इन प्रश्नों से सामना होने पर तू कैसे उत्तर देगा? यदि तू कहता है, "परमेश्वर अत्यंत धर्मी है, वह हमें ताड़ना देता है और हमारा न्याय करता है, और कठोरता से हमें उजागर करता है। परमेश्वर का स्वभाव मनुष्य के द्वारा किए गए अपराध के प्रति वास्तव में असहनशील होता है। परमेश्वर के कार्य का अनुभव करने के बाद, मैं अपने स्वयं की क्रूरता को जान पाया हूँ, मैं सचमुच में परमेश्वर के धर्मी स्वभाव को देख पाया हूँ," तब वह दूसरा व्यक्ति निरन्तर तुझसे पूछेगा, "तू परमेश्वर के विषय में और क्या जानता है! एक मनुष्य जीवन में प्रवेश कैसे कर सकता है? क्या तेरी कोई व्यक्तिगत आकांक्षाएँ हैं?" तू जवाब देगा, "शैतान के द्वारा भ्रष्ट किए जाने के बाद, परमेश्वर के जीवधारी पशु बन गए, और वे गधों के समान थे। आज, मैं परमेश्वर के हाथों में रहता हूँ, और इस प्रकार मुझे सृष्टिकर्ता की इच्छाओं को संतुष्ट करना होगा, और जो कुछ वह शिक्षा देता है उसका पालन करना होगा। मेरे पास और कोई विकल्प नहीं है।" यदि तू केवल ऐसी व्यापकता के साथ बात करता है, तो तू जो कह रहा है उसे वह व्यक्ति नहीं समझेगा। जब वे तुझसे पूछते हैं कि तेरे पास परमेश्वर के कार्य का क्या ज्ञान है, तो वे तेरे व्यक्तिगत अनुभवों की ओर संकेत कर रहे हैं। वे पूछ रहें हैं कि परमेश्वर की ताड़ना और उसके न्याय का अनुभव करने के बाद तेरे पास उसका क्या ज्ञान है, और इस तरह वे तेरे व्यक्तिगत अनुभवों की ओर संकेत कर रहे हैं, और वे तुझसे चाहते हैं कि तू सत्य के अपने ज्ञान के बारे में बोले। यदि तू ऐसी चीज़ों के बारे में बोलने में असमर्थ है, तो इससे यह साबित होता है कि तू आज के कार्य के बारे में कुछ नहीं जानता है। तू हमेशा ऐसे वचनों को बोलता है जो दिखावटी हैं, या जिन्हें वैश्विक रूप से जाना जाता है; तेरे पास कोई विशिष्ट अनुभव नहीं है, तेरे ज्ञान में सार तो बिलकुल भी नहीं है, और तेरे पास कोई सच्ची गवाहियाँ नहीं हैं, और इसलिए अन्य लोग तेरे द्वारा आश्वस्त नहीं होते हैं। परमेश्वर का एक निष्क्रिय अनुयायी मत बन, और उसका अनुसरण मत कर जिससे तेरे भीतर कौतूहल जगता है। अत्यधिक शितिल होने से तू अपने ऊपर अधिकार खो देगा और तू जीवन में समय बर्बाद करेगा। तुझे स्वयं को ऐसी शिथिलता और निष्क्रियता से छुड़ाना है, और सकारात्मक चीज़ों का अनुसरण करने और अपनी स्वयं की कमज़ोरियों पर विजय पाने में कुशल बनना है, ताकि तू सत्य को प्राप्त कर सके और सत्य को जी सके। तेरी कमज़ोरियों के विषय में कोई डरने की बात नहीं है, और तेरी कमियां तेरी सबसे बड़ी समस्या नहीं है। तेरी सबसे बड़ी समस्या, और तेरी सबसे बड़ी कमी है कि तू न गर्म है और न ठण्डा है और तुझमें सत्य की खोज की इच्छा की कमी है। तुम लोगों की सबसे बड़ी समस्या है तुम लोगों की डरपोक मानसिकता जिसके द्वारा तुम लोग चीज़ें जैसी हैं वैसी ही रहने से खुश हो, और तुम लोग निष्क्रियता से इन्तज़ार करते हो। यह तुम लोगों की सबसे बड़ी बाधा है, और सत्य का अनुसरण करने में तुम लोगों का सबसे बड़ा शत्रु है। यदि तू केवल इसलिए आज्ञा मानता है क्योंकि जो वचन मैंने कहे हैं वे बहुत गम्भीर हैं, तो तेरे पास सचमुच में ज्ञान नहीं है, न ही तू सत्य को संजोकर रखता है। जैसी तेरी आज्ञाकारिता है वो गवाही नहीं है, और मैं ऐसी आज्ञाकारिता को स्वीकार नहीं करता हूँ। कोई तुझ से पूछ सकता है, "तेरा परमेश्वर वास्तव में कहाँ से आता है? तेरे इस परमेश्वर का सार क्या है?" तू उत्तर देगा, "उसकी हस्ती ताड़ना और न्याय है।" फिर वह पूछेगा, "क्या परमेश्वर मनुष्य के प्रति तरस से भरा हुआ और प्रेमी नहीं है? क्या तू यह नहीं जानता है?" तू कहेगा, "यह दूसरों का परमेश्वर है। यह वह परमेश्वर है जिस पर धर्म को मानने वाले लोग विश्वास करते हैं, यह हमारा परमेश्वर नहीं है।" जब तेरे जैसे लोग सुसमाचार फैलाते हैं, तो तेरे द्वारा सच्चे मार्ग को तोड़ा मरोड़ा जाता है, और इस प्रकार तू किस काम का है? अन्य लोग तुझसे सच्चा मार्ग कैसे प्राप्त कर सकते हैं? तू सत्य के बगैर है, और तू सत्य के बारे में कुछ नहीं बोल सकता है, इसके अतिरिक्त, न ही तू सत्य को जी सकता है। वे क्या है जो तुझे परमेश्वर के सामने जीने के काबिल बनाता है? जब तू दूसरों तक सुसमाचार फैलाता है, और जब तू सत्य के बारे में संगति करता है, और परमेश्वर की गवाही देता है, यदि तू उन्हें जीत पाने में असमर्थ होता है, तो वे तेरे वचनों का खण्डन करेंगे। क्या तू जगह की बर्बादी नहीं है? तूने परमेश्वर के कार्य का बहुत अनुभव किया है, फिर भी जब तू सत्य बोलता है तो उसका कोई अर्थ नहीं निकलता है। क्या तू बिल्कुल निक्कम्मा नहीं है? तेरी क्या उपयोगिता है? तूने परमेश्वर के कार्य का इतना अनुभव कैसे किया है, जबकि तेरे पास उसका थोड़ा सा भी ज्ञान नहीं है? जब वे पूछते हैं कि तेरे पास परमेश्वर का क्या वास्तविक ज्ञान है, तो तुझे शब्द नहीं मिलते हैं, या फिर बेतुके ढ़ंग से जवाब देता है—यह कहता है कि परमेश्वर सामर्थी है, कि जो सब से बड़ी आशीषें तूने प्राप्त की हैं वे सचमुच में परमेश्वर द्वारा ऊँचा उठाया जाना है, कि परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से देख पाने के योग्य होने से बढ़कर कोई सौभाग्य नहीं है। ऐसा कहने का क्या मूल्य है? वे बेकार और खोखले शब्द हैं! परमेश्वर के कार्य का इतना अनुभव प्राप्त करने के बाद, क्या तू केवल इतना जानता है कि परमेश्वर द्वारा ऊँचा उठाया जाना ही सत्य है? तुझे परमेश्वर के कार्य को अवश्य जानना होगा, और केवल तभी तू परमेश्वर की सच्ची गवाही दे पाएगा। वे, जिन्होंने सत्य को प्राप्त नहीं किया है, कैसे परमेश्वर की गवाही दे सकते हैं?
यदि इतना कार्य, और इतने सारे वचनों का तेरे ऊपर कोई असर नहीं हुआ, तो जब परमेश्वर के कार्य को फैलाने का समय आएगा तब तू अपने कर्तव्य को निभाने में असमर्थ हो जाएगा, और शर्मिन्दा और लज्जित होगा। उस समय, तू महसूस करेगा कि तू परमेश्वर का कितना ऋणी है, कि परमेश्वर के विषय में तेरा ज्ञान कितना छिछला है। यदि आज तू परमेश्वर के ज्ञान का अनुसरण नहीं करता है, जबकि वह काम कर रहा है, तो बाद में बहुत देर हो जाएगी। अंत में, तेरे पास बोलने के लिए कोई ज्ञान नहीं होगा—तू खाली होगा, और तेरे पास कुछ भी नहीं होगा। परमेश्वर को हिसाब देने के लिए तू किसका उपयोग करेगा? क्या तेरे पास परमेश्वर को देखने की धृष्टता है? तुझे इसी वक्त अपने कार्य में कठिन परिश्रम करना है, जिससे तू, अंत में, पतरस के समान जान पाए कि परमेश्वर की ताड़ना और उसका न्याय मनुष्य के लिए कितने लाभकारी हैं, और बिना उसकी ताड़ना और न्याय के मनुष्य उद्धार प्राप्त नहीं कर सकता है, और वह केवल इस अपवित्र भूमि और इस दलदल में हमेशा से अधिक गहराई तक धंस सकता है। मनुष्यों को शैतान के द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया है, मनुष्यों ने एक दूसरे के विरूद्ध गुप्त साधनों का प्रयोग किया है और वे नुकीली नाल पहने हुए घोड़ों पर सवार होकर एक दूसरे के ऊपर से होकर गुज़र गए हैं, उन्होंने परमेश्वर के भय को खो दिया है, उनकी अनाज्ञाकारिता बहुत बड़ी है, उनकी धारणाएँ ढेर सारी हैं, और वे सभी शैतान से संबंध रखते हैं। परमेश्वर की ताड़ना और न्याय के बगैर, मनुष्य के भ्रष्ट स्वभाव को शुद्ध नहीं किया जा सकता है और उसे बचाया नहीं जा सकता है। जो कुछ देहधारी परमेश्वर के कार्य के द्वारा देह में प्रकट किया गया है वह बिलकुल वही है जो आत्मा के द्वारा प्रकट किया गया है, और वह कार्य जो परमेश्वर करता है उसे आत्मा के द्वारा किए गए कार्य के अनुसार ही किया जाता है। आज, यदि तेरे पास इस कार्य का कोई ज्ञान नहीं है, तो तू बहुत ही मूर्ख है, और तूने बहुत कुछ खो दिया है! यदि तूने परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त नहीं किया है, तो तेरा विश्वास धार्मिक विश्वास है, और तू एक ऐसा ईसाई है जो धर्म से जुड़ा हुआ है। क्योंकि तू मरे हुए सिद्धांतों को थामे हुए है, तूने पवित्र आत्मा के नए कार्य को खो दिया है; अन्य लोग, जो परमेश्वर को प्रेम करने का अनुसरण करते हैं, वे सत्य और जीवन पाने के योग्य हैं, जबकि तेरा विश्वास परमेश्वर की स्वीकृति को प्राप्त करने में असमर्थ है। उसके बजाय, तू बुरे काम करने वाला बन गया है, तू एक ऐसा व्यक्ति बन गया है जो घातक और घृणित कामों को करता है, तू शैतान के हँसी मज़ाक का निशाना बन गया है, और तू शैतान का क़ैदी बन गया है। मनुष्य के द्वारा परमेश्वर पर केवल विश्वास ही नहीं किया जाना है, परन्तु मनुष्य के द्वारा परमेश्वर से प्रेम किया जाना है, और मनुष्य के द्वारा उसका अनुसरण और उसकी आराधना की जानी है। यदि आज तू अनुसरण नहीं करेगा, तो वह दिन आएगा जब तू कहेगा, "पहले मैंने क्यों परमेश्वर का अनुसरण सही रीति से नहीं किया, उसे सही रीति से संतुष्ट क्यों नहीं किया, अपने जीवन स्वभाव में परिवर्तन का अनुसरण क्यों नहीं किया होता? इस समय परमेश्वर के प्रति समर्पित हो पाने में असमर्थ होने, और परमेश्वर के वचन के ज्ञान का अनुसरण न कर पाने के कारण मैं कितना पछताता हूँ। अतीत में परमेश्वर ने कितना कुछ कहा था; मैंने कैसे अनुसरण नहीं किया? मैं कितना मूर्ख था!" तू एक हद तक अपने आप से नफरत करेगा। आज, तू उन वचनों पर विश्वास नहीं करता है जो मैं कहता हूँ, और तू उन पर कोई ध्यान नहीं देता है; जब इस कार्य को फैलाने का दिन आएगा, और तू उसकी सम्पूर्णता को देकहेगा, तब तू अफसोस करेगा, और उस समय तू भौंचक्का हो जाएगा। आशीषें हैं, फिर भी तू नहीं जानता है कि उसका आनन्द कैसे लेना है, और सत्य है, फिर भी तू उसका अनुसरण नहीं करता है। क्या तू अपने ऊपर घृणा लेकर नहीं आता है? आज, यद्यपि परमेश्वर का अगला कदम अभी शुरू होना बाकी है, फिर भी तुझसे की गयी मांगों में और जो तुझसे जिन चीज़ों को जीने को कहा जाता है, उसमें कुछ भी असाधारण नहीं है। इतना सारा कार्य है, इतने सारे सत्य हैं; क्या वे इस योग्य नहीं हैं कि उन्हें तेरे द्वारा जाना जाए? क्या परमेश्वर की ताड़ना और उसका न्याय तेरी आत्मा को जागृत करने में असमर्थ है? क्या परमेश्वर की ताड़ना और उसका न्याय तुझे इस योग्य नहीं बना सकता है कि तू स्वयं से नफरत करे? क्या तुम शैतान के प्रभाव में, शांति, आनन्द, और थोड़ा बहुत देह के सुकून के साथ जीवन बिताकर संतुष्ट हो? क्या तुम सभी लोगों में सब से अधिक निम्न नहीं हो? उन से ज़्यादा मूर्ख और कोई नहीं है जिन्होंने उद्धार को देखा किन्तु उसे प्राप्त करने के लिए अनुसरण नहीं किया: वे ऐसे लोग हैं जो देह से स्वयं को भरपूर कर लेते हैं और शैतान का आनंद लेते ��ैं। तुम आशा करते हो कि परमेश्वर पर विश्वास करने से तुम्‍हें चुनौतियाँ और क्लेश, या थोड़ी बहुत कठिनाई विरासत में नहीं मिलेगी। तुम हमेशा ऐसी चीज़ों का अनुसरण करते हो जो निकम्मी हैं, और तुम अपने जीवन में कोई मूल्य नहीं जोड़ते हो, उसके बजाय तुम अपने फिजूल के विचारों को सत्य से ज़्यादा महत्व देते हो। तुम कितने निकम्‍मे हो! तुम एक सूअर के समान जीते हो—तुममें, और सूअर और कुत्तों में क्या अन्तर है? क्या वे जो सत्य का अनुसरण नहीं करते हैं, और उसके बजाय शरीर से प्रेम करते हैं, सब के सब जानवर नहीं हैं? क्या वे मरे हुए लोग जिनमें आत्मा नहीं है, चलती फिरती हुई लाशें नहीं हैं? तुम लोगों के बीच में कितने सारे वचन बोले गए हैं? क्या तुम लोगों के बीच में केवल थोड़ा सा ही कार्य किया गया है? मैंने तुम लोगों के बीच में कितनी आपूर्ति की है? तो फिर तुमने इसे प्राप्त क्यों नहीं किया? तुम्‍हारे पास शिकायत करने के लिए क्या है? क्या मामला ऐसा नहीं है कि तुमने कुछ भी इसलिए प्राप्त नहीं किया है क्योंकि तुम देह से बहुत अधिक प्रेम करते हो? और क्या यह इसलिए नहीं है क्योंकि तुम्‍हारे विचार बहुत ज़्यादा फिजूल हैं? क्या यह इसलिए नहीं है क्योंकि तुम बहुत ही ज़्यादा मूर्ख हो? यदि तुम इन आशीषों को प्राप्त करने में असमर्थ हो, तो क्या तुम परमेश्वर को दोष दोगे कि उसने तुम्‍हें नहीं बचाया? तुम परमेश्वर पर विश्वास करने के बाद शांति प्राप्त करने के योग्य होने के लिए अनुसरण करते हो—अपनी सन्तानों के लिए बीमारी से आज़ादी, अपने जीवनसाथी के लिए एक अच्छी नौकरी, अपने बेटे के लिए एक अच्छी पत्नी, अपनी बेटी के लिए एक सज्जन पति, अपने बैल और घोड़े के लिए अच्छे से जमीन की जुताई कर पाने की क्षमता, और अपनी फसलों के लिए साल भर अच्छे मौसम की कामना करते हो। तुम इन्हीं चीज़ों की खोज करते हो। तुम्‍हारा अनुसरण केवल सुकून के साथ जीवन बिताने के लिए है, इसलिए है कि तुम्‍हारे परिवार में कोई दुर्घटना न हो, कि आँधी तुम्‍हारे पास से होकर गुज़र जाये, धूल मिट्टी तुम्‍हारे चेहरे को छू न पाए, तुम्‍हारे परिवार की फसलें बाढ़ में बह न जायें, तुम किसी भी विपत्ति से प्रभावित न हो, कि तुम परमेश्वर की बांहों में रहो, कि तुम आरामदायक घोंसले में रहो। तुम्‍हारे जैसा डरपोक इंसान, जो हमेशा शरीर के पीछे पीछे चलता है—क्या तुम्‍हारे पास एक हृदय है, क्या तुम्‍हारे पास एक आत्मा है? क्या तुम एक पशु नहीं हो? बदले में बिना कुछ मांगते हुए मैं तुम्‍हें एक सच्चा मार्ग देता हूँ, फिर भी तुम अनुसरण नहीं करते हो। क्या तुम उनमें से एक हो जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं? मैं तुम्‍हें वास्तविक मानवीय जीवन देता हूँ, फिर भी तुम अनुसरण नहीं करते हो। क्या तुम कुत्ते और सूअर के समान नहीं हो? सूअर मनुष्य के जीवन का अनुसरण नहीं करते हैं, वे शुद्ध किए जाने का प्रयास नहीं करते हैं, और वे नहीं समझते हैं कि जीवन क्या है? प्रतिदिन, जी भरकर खाने के बाद, वे बस सो जाते हैं। मैंने तुम्‍हें सच्चा मार्ग दिया है, फिर भी तुमने उसे प्राप्त नहीं किया है: तुम्‍हारे हाथ खाली हैं। क्या तुम इस जीवन में, इस सूअर के जीवन में, निरन्तर बने रहना चाहते हो? ऐसे लोगों के ज़िन्दा रहने का क्या महत्व है? तुम्‍हारा जीवन घृणित और नीच है, तुम गन्दगी और व्यभिचार के मध्य रहते हो, और तुम किसी लक्ष्य को पाने का प्रयास नहीं करते हो; क्या तुम्‍हारा जीवन निम्नतम नहीं है? क्या तुम्‍हारे पास परमेश्वर की ओर देखने की धृष्टता है? यदि तुम लगातार इस तरह अनुभव करते रहो, तो क्या तुम्‍हें शून्यता प्राप्त नहीं होगी? सच्चा मार्ग तुझे दे दिया गया है, किन्तु अंततः तू उसे प्राप्त कर सकता है कि नहीं यह तेरे व्यक्तिगत अनुसरण पर निर्भर है। लोग कहते हैं कि परमेश्वर एक धर्मी परमेश्वर है, और यह कि जब तक मनुष्य अंत तक उसके पीछे पीछे चलता रहेगा, वह निश्चित रूप से मनुष्य के प्रति निष्पक्ष होगा, क्योंकि वह सबसे अधिक धर्मी है। यदि मनुष्य बिलकुल अंत तक उसके पीछे पीछे चलता है, तो क्या वह मनुष्य को दरकिनार कर सकता है? मैं सभी मनुष्यों के प्रति निष्पक्ष हूँ, और अपने धर्मी स्वभाव से सभी मनुष्यों का न्याय करता हूँ, फिर भी जो अपेक्षाएं मैं मनुष्य से करता हूँ उसके लिए कुछ यथोचित स्थितियाँ होती हैं, और जिसकी अपेक्षा मैं करता हूँ उसे सभी मनुष्यों के द्वारा, चाहे वे जो कोई भी हों, अवश्य ही पूरा किया जाना चाहिए। मैं इसकी परवाह नहीं करता हूँ कि तेरी योग्यताएँ कितनी व्यापक और आदरणीय हैं; मैं सिर्फ इसकी परवाह करता हूँ कि तू मेरे मार्ग में चलता है कि नहीं, और सत्य के लिए तुझमें प्रेम और प्यास है कि नहीं। यदि तुझमें सत्य की कमी है, और उसके बजाय तू मेरे नाम को लज्जित करता है, और मेरे मार्ग के अनुसार कार्य नहीं करता है, और किसी बात की परवाह या चिंता किए बगैर बस नाम के लिए अनुसरण करता है, तो उस समय मैं तुझे मार कर नीचे गिरा दूँगा और तेरी बुराई के लिए तुझे दण्ड दूँगा, तब तेरे पास कहने के लिए क्या होगा? क्या तू ऐसा कह सकता है कि परमेश्वर धर्मी नहीं है? आज, यदि तूने उन वचनों का पालन किया है जिन्हें मैंने कहा है, तो तू ऐसा इंसान है जिसे मैं स्वीकार करता हूँ। तू कहता है कि तूने हमेशा परमेश्वर का अनुसरण करते हुए दुख उठाया है, कि तूने हमेशा हर परिस्थितियों में उसका अनुसरण किया है, और तूने उसके साथ अपना अच्छा और खराब समय बिताया है, किन्तु तूने परमेश्वर के द्वारा बोले गए वचनों के अनुसार जीवन नहीं बिताया है; तू सिर्फ हर दिन परमेश्वर के पीछे पीछे भागना और उसके लिए स्वयं को व्यय करना चाहता है, और तूने कभी भी एक अर्थपूर्ण जीवन बिताने के बारे में नहीं सोचा है। तू यह भी कहता है, "किसी भी सूरत में, मैं विश्वास करता हूँ कि परमेश्वर धर्मी है। मैंने उसके लिए दुख उठाया है, मैं उसके लिए यहाँ वहाँ भागते रहता हूँ, और मैंने उसके लिए अपने आपको समर्पित किया है, और मैंने कड़ी मेहनत की है इसके बावजूद मेरी कद्र नहीं हुई है; वह निश्चय ही मुझे स्मरण रखता है।" यह सच है कि परमेश्वर धर्मी है, फिर भी इस धार्मिकता पर किसी अशुद्धता का दाग नहीं है: इसमें कोई मानवीय इच्छा नहीं है, और इसे शरीर, या मानवीय सौदों के द्वारा कलंकित नहीं किया जा सकता है। वे सभी जो विद्रोही हैं और विरोध में हैं, और जो उसके मार्ग की सम्मति में नहीं हैं, उन्हें दण्डित किया जाएगा; किसी को भी क्षमा नहीं किया गया है, और किसी को भी बख्शा नहीं गया है! कुछ लोग कहते हैं, "आज मैं आपके लिए यहाँ वहाँ भागता हूँ; जब अंत आता है, तो क्या तू मुझे थोड़ी सी आशीष दे सकता है?" अतः मैं तुझसे पूछता हूँ, "क्या तूने मेरे वचनों का पालन किया है?" वह धार्मिकता जिसकी तू बात करता है वह एक सौदे पर आधारित है। तू केवल यह सोचता है कि मैं धर्मी हूँ, और सभी मनुष्यों के प्रति निष्पक्ष हूँ, और वे सब जो बिलकुल अंत तक मेरा अनुसरण करेंगे उन्हें निश्चित रूप से बचा लिया जाएगा और वे मेरी आशीषों को प्राप्त करेंगे। "वे सब जो बिलकुल अंत तक मेरा अनुसरण करते हैं निश्चित है कि उन्हें बचा लिया जाएगा" मेरे इन वचनों में एक भीतरी अर्थ है: वे जो बिलकुल अंत तक मेरा अनुसरण करते हैं वे ऐसे लोग हैं जिन्हें मेरे द्वारा पूरी तरह ग्रहण कर लिया जाएगा, वे ऐसे लोग हैं जो, मेरे द्वारा विजय पा लिए जाने के बाद, सत्य को खोजते हैं और उन्हें सिद्ध बनाया जाता है। तूने कैसी स्थितियाँ हासिल की हैं? तू बिलकुल अंत तक सिर्फ मेरा अनुसरण करने में कामयाब हुआ है, किन्तु तूने और क्या किया है? क्या तूने मेरे वचनों का पालन किया है? तूने मेरी पाँच अपेक्षाओं में से एक को पूरा किया है, लेकिन बाकी चार को पूरा करने का तेरा कोई इरादा नहीं है। तूने बस सबसे सरल और आसान पथ को ढूँढ़ लिया, और अपने आपको सौभाग्यशाली मानकर उसका अनुसरण किया है। तेरे जैसे इंसान के लिए मेरा धर्मी स्वभाव ताड़ना और न्याय का है, यह एक प्रकार से सच्चा प्रतिफल है, और यह बुरा काम करनेवालों के लिए उचित दण्ड है; वे सभी जो मेरे मार्ग पर नहीं चलते हैं उन्हें निश्चय ही दण्ड दिया जाएगा, भले ही वे अंत तक अनुसरण करते रहें। यह परमेश्वर की धार्मिकता है। जब यह धर्मी स्वभाव मनुष्य की सज़ा में प्रकट होता है, तो मनुष्य भौंचक्का हो जाता है, और अफसोस करता है कि परमेश्वर का अनुसरण करते हुए, वह उसके मार्ग पर नहीं चला। "उस समय, परमेश्वर का अनुसरण करते हुए मैंने केवल थोड़ा सा दुख उठाया, किन्तु मैं परमेश्वर के मार्ग पर नहीं चला। इसके लिए क्या बहाने बनाये जा सकते हैं? ताड़ना दिए जाने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है!" फिर भी वह अपने मन में सोच रहा है, "किसी न किसी प्रकार से, मैं ने बिलकुल अंत तक अनुसरण किया है, अतः भले ही तू मुझे ताड़ना दे, फिर भी यह कठोर ताड़ना नहीं हो सकती है, और इस ताड़ना को बलपूर्वक लागू करने के बाद भी तू मुझे चाहेगा। मैं जानता हूँ कि तू धर्मी है, और तू हमेशा मेरे साथ इस प्रकार से व्यवहार नहीं करेगा। इतना सब होते हुए भी, मैं उनके समान नहीं हूँ जिन्हें मिटा दिया जाएगा; वे जो मिटा दिए जायेंगे, भारी ताड़ना प्राप्त करेंगे, जबकि मेरी ताड़ना हल्की होगी।" परमेश्वर का स्वभाव वैसा नहीं है जैसा तू कहता है। ऐसा नहीं है कि वे जो पापों का अंगीकार करने में अच्छे होते हैं उनके साथ कोमलता के साथ व्यवहार किया जाता है। धार्मिकता ही पवित्रता है, और वह एक ऐसा स्वभाव है जो मनुष्य के अपराध को सहन नहीं कर सकता है, और वह सब कुछ जो अशुद्ध है और जो परिवर्तित नहीं हुआ है वह परमेश्वर की घृणा का पात्र है। परमेश्वर का धर्मी स्वभाव व्यवस्था नहीं, प्रशासनिक आज्ञा है: यह राज्य के भीतर एक प्रशासनिक आज्ञा है, और यह प्रशासनिक आज्ञा उस व्यक्ति के लिए धर्मी दण्ड है जिसके पास सत्य नहीं है और जो परिवर्तित नहीं हुआ है, और उसके उद्धार की कोई गंजाइश नहीं है। क्योंकि जब प्रत्येक मनुष्य को प्रकृति के अनुसार वर्गीकृत किया जायेगा, तो अच्छे मनुष्य को पुरस्कार दिया जाएगा और बुरे मनुष्य को दण्ड दिया जाएगा। इसी समय मनुष्य की नियति को स्पष्ट किया जाएगा, यह वह समय है जब उद्धार का कार्य समाप्त हो जाएगा, जिसके बाद मनुष्य के उद्धार का कार्य और नहीं किया जाएगा, और उनमें से हर एक को कठोर दंड दिया जाएगा जो बुराई करते हैं। कुछ लोग कहते हैं, "परमेश्वर उनमें से हर एक को स्मरण करता है जो बहुधा उसकी तरफ होते हैं। वह हममें से किसी को भी नहीं भूलेगा। हमें परमेश्वर के द्वारा सिद्ध बनाए जाने के लिए आश्वस्त किया गया है। वह हम से कमतर किसी को स्मरण नहीं करेगा, उनमें से वे लोग जिन्हें सिद्ध बनाया जाएगा वे निश्चित रूप से हमसे, जो अक्सर परमेश्वर का सामना करते हैं, से नीचे होंगे; हममें से किसी को परमेश्वर के द्वारा भुलाया नहीं गया है, हम सभी को परमेश्वर के द्वारा मंजूर किया गया है, और परमेश्वर के द्वारा सिद्ध बनाए जाने के लिए आश्वस्त किया गया है।" तुम सभी के पास ऐसी धारणाएँ हैं। क्या यह धार्मिकता है? तू सत्य को अभ्यास में लाया है या नहीं? तू वास्तव में इस प्रकार की अफवाह फैलाता है—तुझ में कोई शर्म नहीं है!
आज, कुछ लोग परमेश्वर के द्वारा इस्तेमाल किए जाने का लगातार प्रयास करते हैं, किन्तु जब उन पर विजय पा ली जाती है उसके बाद उन्हें सीधे तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। जहाँ तक आज बोले गए वचनों की बात है, यदि, जब परमेश्वर लोगों को इस्तेमाल करता है, तू अभी भी उन्हें पूरा करने में असमर्थ है, तो तुझे सिद्ध नहीं बनाया गया है। दूसरे शब्दों में, मनुष्य को सिद्ध बनाया जाने की समयावधि के अंत का आगमन यह निर्धारित करेगा कि परमेश्वर के द्वारा मनुष्य को हटा दिया जाएगा या इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसे लोग जिन पर विजय पा ली गयी है वे निष्क्रियता और नकारात्मकता के उदाहरणों से बढ़कर और कुछ नहीं हैं; वे नमूने और आदर्श हैं, किन्तु वे इसके विपरीत होनेसे बढ़कर और कुछ नहीं हैं। केवल जब मनुष्य के पास जीवन होता है, जब उसका स्वभाव बदलता है, और जब वह भीतरी और बाहरी परिवर्तन हासिल कर लेता है तभी उसे पूरी तरह सिद्ध बनाया जाएगा। आज, तुम क्या चाहते हो; तुम पर विजय पायी जाए, या सिद्ध बना दिया जाए? तू किसे हासिल करना चाहता है? क्या सिद्ध किए जाने की शर्तों को तूने पूरा कर लिया है? तुझमें अभी भी किसकी कमी है? तुझे स्वयं को कैसे सुसज्जित करना चाहिए, तुझे अपनी कमियों को कैसे पूरा करना चाहिए? तुझे सिद्ध किए जाने के पथ पर कैसे प्रवेश करना चाहिए? तुझे स्वयं को पूरी तरह कैसे सौंपना चाहिए? तू कहता है कि तुझे सिद्ध बनाया जाए, तो क्या तू पवित्रता का अनुसरण करता है? क्या तू ताड़ना और न्याय का अनुसरण इसलिए करता है ताकि तुझे परमेश्वर के द्वारा सुरक्षित किया जा सके? तू शुद्ध होने का अनुसरण करता है, तो क्या तू ताड़ना और न्याय को स्वीकार करने के लिए तैयार है? तू परमेश्वर को जानने की बात कहता है, किन्तु क्या तेरे पास उसकी ताड़ना और उसके न्याय का ज्ञान है? आज, अधिकतर कार्य जो वह तुझ पर करता है वो ताड़ना और न्याय है; उस कार्य के विषय में तेरा ज्ञान क्या है, जिसे तेरे ऊपर किया गया है? क्या वह ताड़ना और न्याय जिसका तूने अनुभव किया है उसने तुझे शुद्ध किया है? क्या इसने तुझे परिवर्तित किया है? क्या इसका तेरे ऊपर कोई प्रभाव पड़ा है? क्या तू आज के बहुत से कार्यों—शाप, न्याय, और रहस्यों के खुलासे—से थक गया है, या क्या तू महसूस करता है कि वे तेरे लिए बहुत लाभदायक हैं? तू परमेश्वर से प्रेम करता है, किन्तु तू किस कारण से उससे प्रेम करता है? क्या तू उससे इसलिए प्रेम करता है क्योंकि तूने अनुग्रह प्राप्त किया है? या तू शांति और आनन्द प्राप्त करने के बाद उससे प्रेम करता है? या तू उसकी ताड़ना और उसके न्याय के द्वारा शुद्ध किए जाने के बाद उससे प्रेम करता है? वह वास्तव में कौन सी बात है जो तुझे परमेश्वर से प्रेम करने के लिए प्रेरित करती है? सिद्ध होने के लिए पतरस ने वास्तव में किन शर्तों को पूरा किया था? सिद्ध होने के बाद, वह कौन सा निर्णायक तरीका था जिसके तहत इसे प्रकट किया गया था? क्या उसने प्रभु यीशु से इसलिए प्रेम किया क्योंकि वह उसकी लालसा करता था, या इसलिए क्योंकि वह उसे देख नहीं सकता था, या इसलिए क्योंकि उसकी निन्दा की गई थी? या उसने प्रभु यीशु से कहीं ज़्यादा प्रेम इसलिए किया क्योंकि उसने क्लेशों के कष्ट को स्वीकार कर लिया था, स्वयं की अशुद्धता और अनाज्ञाकारिता को जान पाया था, और प्रभु की पवित्रता को जान पाया था? क्या परमेश्वर की ताड़ना और उसके न्याय के कारण परमेश्वर के प्रति उसका प्रेम और अधिक शुद्ध हो गया था, या किसी और कारण से? इसमें से कौन सा कारण सही है? तू परमेश्वर के अनुग्रह के कारण उससे प्रेम करता है और इसलिए क्योंकि आज उसने तुझे थोड़ी सी आशीष दी है। क्या यह सच्चा प्रेम है? तुझे परमेश्वर से प्रेम कैसे करना चाहिए? क्या तुझे उसकी ताड़ना और उसके न्याय को स्वीकार करना चाहिए और उसके धर्मी स्वभाव को देखने के बाद, उसे सच में प्रेम करने में समर्थ होना चाहिए, कुछ इस तरह कि तू पूरी तरह विश्वस्त हो जाये, और तेरे पास उसका ज्ञान हो? पतरस के समान, क्या तू कह सकता है कि तू परमेश्वर से पर्याप्त प्रेम नहीं कर सकता है? क्या ताड़ना और न्याय के बाद जीत लिए जाने के लिए तू अनुसरण करता है, या ताड़ना और न्याय के बाद शुद्ध, सुरक्षित और सँभाले जाने के लिए अनुसरण करता है? तू इनमें से किसका अ��ुसरण करता है? क्या तेरा जीवन अर्थपूर्ण है, या अर्थहीन और बिना किसी मूल्य का है? तुझे शरीर चाहिए, या तुझे सत्य चाहिए? तू न्याय की इच्छा करता है या राहत की? परमेश्वर के कार्यों का इतना अनुभव करने के बाद, और परमेश्वर की पवित्रता और धार्मिकता को देखने के बाद, तुझे किस प्रकार अनुसरण करना चाहिए? तुझे इस पथ पर किस प्रकार चलना चाहिए? तू परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को व्यवहार में कैसे ला सकता है? क्या परमेश्वर की ताड़ना और न्याय ने तुझ पर कोई असर डाला है? तुझमें परमेश्वर की ताड़ना और उसके न्याय का ज्ञान है कि नहीं यह इस पर निर्भर करता है कि तू किसे जीता है, और तू किस सीमा तक परमेश्वर से प्रेम करता है! तेरे होंठ कहते हैं कि तू परमेश्वर से प्रेम करता है, फिर भी तू उसी पुराने और भ्रष्ट स्वभाव को जीता है; तुझमें परमेश्वर का कोई भय नहीं है, और तेरे पास विवेक तो बिलकुल भी नहीं है। क्या ऐसे लोग परमेश्वर से प्रेम करते हैं? क्या ऐसे लोग परमेश्वर के प्रति वफादार होते हैं? क्या वे ऐसे लोग हैं जो परमेश्वर की ताड़ना और उसके न्याय को स्वीकार करते हैं? तू कहता है कि तू परमेश्वर से प्रेम करता है और उस पर विश्वास करता है, फिर भी तू अपनी धारणाओं को नहीं छोड़ता है। तेरे कार्य में, तेरे प्रवेश में, उन शब्दों में जो तू बोलता है, और तेरे जीवन में परमेश्वर के प्रति तेरे प्रेम का कोई प्रकटीकरण नहीं है, और परमेश्वर के प्रति कोई आदर नहीं है। क्या यह एक ऐसा इंसान है जिसने ताड़ना और न्याय को प्राप्त किया है? क्या ऐसा कोई इंसान पतरस के समान हो सकता है? क्या वे लोग जो पतरस के समान हैं उनके पास केवल ज्ञान होता है, परन्तु वे उसे जीते नहीं हैं? आज, वह कौन सी शर्त है जिसके अनुसार मनुष्य को एक वास्तविक जीवन बिताना है? क्या पतरस की प्रार्थनाएँ उसके मुँह से निकलने वाले शब्दों से बढ़कर और कुछ नहीं थे? क्या वे उसके हृदय की गहराईयों से निकले हुए शब्द नहीं थे? क्या पतरस ने केवल प्रार्थना की थी, और सत्य को व्यवहार में नहीं लाया था? तेरा अनुसरण किसके लिए है? तुझे परमेश्वर की ताड़ना और उसके न्याय के दौरान अपने आपको किस प्रकार सुरक्षित और शुद्ध रखना चाहिए? क्या परमेश्वर की ताड़ना और न्याय से मनुष्य को कोई लाभ नहीं है? क्या सारा न्याय सज़ा है? क्या ऐसा हो सकता है कि केवल शांति एवं आनन्द, और केवल भौतिक आशीषें एवं क्षणिक राहत ही मनुष्य के जीवन के लिए लाभदायक हैं? यदि मनुष्य एक सुहावने और आरामदेह वातावरण में रहे, बिना किसी न्यायिक जीवन के, तो क्या उसे शुद्ध किया जा सकता है? यदि मनुष्य बदलना और शुद्ध होना चाहता है, तो उसे सिद्ध किए जाने को कैसे स्वीकार करना चाहिए? आज तुझे कौन सा पथ चुनना चाहिए?                                                               स्रोत:सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
0 notes
toldnews-blog · 5 years
Photo
Tumblr media
New Post has been published on https://toldnews.com/hindi/failed-up-police-%e0%a4%ac%e0%a4%a1%e0%a4%bc%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a4%83-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%ab%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%9c%e0%a5%80-%e0%a4%b9/
Failed UP Police बड़ा सवालः क्या फर्जी हैं योगी राज में हुए एनकाउंटर? - Up police cm yogi order encounter unhrc notice sc crime
Tumblr media
23 महीने. 13 सौ एनकाउंटर. 60 मौत. 350 घायल और 3 हज़ार से ज़्यादा गिरफ्तार. या यूं कहें कि सरेंडर. ये यूपी में योगीराज के दौरान हुए एनकाउंटर का वो मीटर है, जो ये बता रहा है कि राज्य की पुलिस ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एनकाउंटर के हुक्म को कितनी संदजीदगी से लिया है. यूपी पुलिस का ऑपरेशन ”ठोक दो” इतना चर्चा में है कि अब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने भी इस पर सवाल उठा दिए है. इतना ही नहीं अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी इस ठांय-ठांय पर अपनी नज़रें टेढ़ी करते हुए यूपी सरकार को नोटिस जारी कर योगी सरकार से जवाब मांग लिया है. लिहाज़ा अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यूपी में हुए एनकाउंटर फ़र्ज़ी थे?
तो क्या योगीराज में हुए एनकाउंटर फर्ज़ी थे? तो क्या अपराधियों को जानबूझकर बनाया गया निशाना? मारे गए अपराधियों को क्यों नहीं किया गया गिरफ्तार? ये सवाल अब सूबे की सरहद को पार कर अदालत की दहलीज़ तक आ गया है. क्योंकि जब से यूपी में योगीराज आया है तब से 13 सौ से ज़्यादा एनकाउंटर हुए. 59 अपराधियों की मौत हो गई. 327 अपराधी घायल हुए और 3,124 अपराधी या तो अरेस्ट हुए या उन्होंने सरेंडर कर दिया.
शायद इसीलिए ये सवाल उठ रहे हैं कि जिन अपराधियों को मारा गया क्या उन्हें ज़िंदा नहीं पकड़ा जा सकता था. बस योगी की इसी बात को सूबे के पुलिसवालों ने सीरियसली ले लिया. और ऐसे दनादन एनकाउंटर किए कि विपक्षियों को कहना ही पड़ा कि ये योगीराज नहीं बल्कि एनकाउंटर राज है. और तो और खुद यूनाइटेड नेशन ह्यूमन राइट ने भी यूपी में हुए एनकाउंटर पर सवाल उठाए. लिहाज़ा इतने आरोपों के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को एनकाउंटर के सिलसिले में नोटिस जारी कर दी है.
दरअसल, अदालत में इन एनकाउंटर्स पर सवाल उठाते हुए एक पीआईएल दायर की गई है. जिसमें इस बात की मांग की गई है कि यूपी में हुई पुलिस मुठभेड़ों की अदालत की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी से जांच कराई जाए. लिहाज़ा, पीआईएल पर आदेश देते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा- ये एक गंभीर मामला है जिसमें विस्तार से सुनवाई की आवश्यकता है. अब इस मामले में 12 फरवरी को सुनवाई होगी.
दरअसल, यूपी में इन एनकाउंटर को लेकर विरोधी लगातार सवाल उठा रहे थे कि सूबे की पुलिस अपने राजनैतिक आका को खुश करने के लिए फर्जी मुठभेड़ों को अंजाम दे रही है. अगर सही माएने में अपराधियों को सफाया होता तो प्रदेश में लोग बिना खौफ के जी रहे होते. तो एनसीआरबी के आंकड़ें भी यूपी सरकार के दावों की पोल खोल रहे हैं.
कुछ दिन पहले यूपी पुलिस की कुछ तस्वीरें सामने आई थीं. एक सीओ साहब थाने का निरीक्षण करने पहुंचे तो पाया कि पुलिसकर्मियों को बंदूक चलानी नहीं आती. पिस्टल लोड कैसे करते हैं पता नहीं. हथियारों के नाम तो खैर कौन याद रखे. ऊपर से गोली और आंसू गैस के गोले की एक्सपाय़री डेट कब निकल गई याद ही नहीं. अब ऐसे में आप यूपी पुलिस से क्या उम्मीद करेगें? बस इतना ही कह सकते हैं कि सचमुच कमाल है योगी जी की पुलिस. अब कोई बुरा ना मान जाए तो लगे हाथ ये भी बता दें कि यूपी पुलिस की इतनी सारी काबलिय़त की पोल-पट्टी कोई और नहीं बल्कि खुद यूपी पुलिस ही खोल रही है. ऐसा एक बार नहीं, बार-बार हुआ. जब मौका आया तो बंदूक चली ही नहीं. हालांकि ये भी सरकारी बंदूकें हैं.
अब बात उन तस्वीरों की जो अलग-अलग एनकाउंटर के बाद सामने आई. है ना कमाल? एक तरफ़ यूपी की सरकारी बंदूकें चलती ही नहीं थी, और फिर अचानक वही बंदूकें दनादन गोलियां उगल रही हैं. उगले भी क्यों ना? जब ट्रिगर पर ऊंगली योगी के फरमान की हो और एनकाउंटर सरकारी आदेश तो गोलियां तो चलेंगी ही.
सवाल ये है कि अचानक यूपी में एकाउंटर की झड़ी क्यों लग गई? क्या य़ूपी में क़ानून व्यवस्था इस कदर चरमरा गई है कि एनकाउंटर के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचा? क्या यूपी में क्रिमिनल इस कदर बेलगाम हो चुके हैं कि अचानक पूरे सोसायटी के लिए खतरा बन गए? क्या यूपी की पुलिस इस कदर बेबस हो गई कि क्राइम पर कंट्रोल ही नहीं कर पा रही है? या फिर सरकार ने सबसे आसान रास्ता चुन लिया है कि क्राइम खत्म करना है, तो क्रिमिनल को ही खत्म कर दो. पर क्या ये रास्ता सही है? क्या यूपी की कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए एनकाउंटर ही एकमात्र रास्ता और आखिरी हथियार है? अगर हां, तो फिर जब तक ये एनकाउंटर जारी है, तब तक के लिए क्यों ना यूपी की तमाम अदालतों पर ताला लगा देना चाहिए? वैसे भी अदालतों की जगह इंसाफ़ तो अब सड़क पर ही हो रहा है. वो भी गोलियों से.
हिंदुस्तान का पहला एनकाउंटर
एनकाउंटर यानी मुठभेड़ शब्द का इस्तेमाल हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बीसवीं सदी में शुरू हुआ. एनकाउंटर का सीधा सीधा मतलब होता है बदमाशों के साथ पुलिस की मुठभेड़. हालांकि बहुत से लोग एनकाउंटर को सरकारी क़त्ल भी कहते हैं. हिंदुस्तान में पहला एनकाउंटर 11 जनवरी 1982 को मुंबई के वडाला कॉलेज में हुआ था, जब मुंबई पुलिस की एक स्पेशल टीम ने गैंगस्टर मान्या सुरवे को छह गोलियां मारी थी. कहते हैं कि पुलिस गोली मारने के बाद उसे गाड़ी में डाल कर तब तक मुंबई की सड़कों पर घुमाती रही, जब तक कि वो मर नहीं गया. इसके बाद उसे अस्पताल ले गई. आज़ाद हिंदुस्तान का ये पहला एनकाउंटर ही विवादों में घिर गया था.
उत्तर प्रदेश में तमाम एनकाउंटर इसलिए सवाल खड़े करते हैं कि इनमें से हर एनकाउंटर ऐलानिया कह कर किया गया. सूत्रों के मुताबिक यूपी एसटीएफ और तमाम ज़िला पुलिस को बाक़ायदा घोषित अपराधियों की लिस्ट भेजी गई और उसी लिस्ट के हिसाब से यूपी में एनकाउंटर जारी हैं.
वैसे इसे पता नहीं इत्तेफाक कहेंगे या कुछ और कि पहले खुद योगी आदित्यनाथ को यूपी सरकार और यूपी पुलिस से खुद के लिए संरक्षण मांगनी पड़ी थी. वो भी संसद भवन के अंदर. तब उन्होंने बाकायदा रोते हुए कहा था कि यूपी सरकार उन्हें झूठे आपराधिक मामलों में फंसा रही है. लेकिन अब वक्त बदल चुका है. अब वही योगी यूपी की सरकार के सरदार हैं और यूपी पुलिस उनके आधीन. अब संरक्षण कोई और मांग रहा है.
पाएं आजतक की ताज़ा खबरें! news लिखकर 52424 पर SMS करें. एयरटेल, वोडाफ़ोन और आइडिया यूज़र्स. शर्तें लागू
आजतक के नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट और सभी खबरें. डाउनलोड करें
Tumblr media Tumblr media
awesome)
0 notes
cnnworldnewsindia · 6 years
Text
सिर्फ संख्या से जनता नहीं बनती है, लेखपालों शिक्षामित्रों समझ लें इस बात को: रवीश कुमार
सिर्फ संख्या से जनता नहीं बनती है, लेखपालों शिक्षामित्रों समझ लें इस बात को: रवीश कुमार
*सिर्फ संख्या से जनता नहीं बनती है, लेखपालों शिक्षामित्रों समझ लें इस बात को
रवीश कुमार July 17, 2018 0 Comments
हर दिन मेरे व्हाट्स एप के इनबाक्स में त्रिभुवन का मेसेज आ जाता है। एक लाश और उसके आस पास रोती-बिलखती औरतों की तस्वीर होती है। यूपी में ऐसी लाश को शिक्षा मित्र कहते हैं जिनके बीच ज़िंदा लोगों की संख्या अभी भी पौने दो लाख है। मरने वालों के कारण अलग अलग हैं मगर सदमा, दिल का दौरा और अवसाद के अलावा आत्महत्या भी बड़ा कारण है। शिक्षा मित्र त्रिभुवन जब इन मौतों की फाइल लेकर मेरे दफ़्तर आए तो देर तक मोटी सी वो फाइल दिमाग़ में अटकी रही जैसे किसी ने सौ दो सौ लाश कमरे में लाकर रख दी हो। प्राइम टाइम में दिखाने के बाद शिक्षा मित्रों ने धन्यवाद का संदेशा तो भेज दिया लेकिन दिखाने के बाद क्या हुआ, इसका जवाब ज़ीरो है। कुछ नहीं हुआ। आज भी शिक्षा मित्रों की लाश की तस्वीरें मेरे इनबाक्स में आ रही हैं। त्रिभुवन जैसे हज़ारों शिक्षा मित्रों के लिए मेरे पास कुछ नहीं है।
शिक्षा मित्रों ने सत्रह अठारह साल तक सरकार के स्कूलों में पढ़ाया है। सरकार ने इन्हें समय समय पर प्रशिक्षण दिया है और अलग अलग तरह के सरकारी काम भी लिए हैं। इनकी नौकरी पक्की भी हुई मगर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से केस हार गए। फैज़ान मुस्तफ़ा ने प्राइम टाइम के शो में कहा था कि इनका केस मज़बूती से नहीं लड़ा गया और कई पक्ष कमज़ोर नज़र आते हैं जबकि इनकी अपनी कोई कमी नहीं है। फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने कहीं नहीं कहा है कि इनकी सैलरी 40,000 से घटा कर 10,000 कर दिया जाए मगर तुरंत ही इनकी सैलरी 10,000 कर दी गई जबकि अभी भी वे अपनी सेवा दे रहे हैं। 17 साल की नौकरी में दो से तीन साल ही इन्हें 30, से 40 000 की सैलरी मिली है। उसके पहले 1400 से 2000 की सैलरी पर ये काम कर रहे थे। इतने कम पैसे में इनसे अंबानी के काल्पनिक यूनिवर्सिटी की तरह गुणवत्ता की उम्मीद करने वाले भी चांद से हर रविवार धरती पर राय देने आते होंगे।
शिक्षा मित्र लाचार हैं। वे धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। मारे मारे फिर रहे हैं और अंत में मर जाते हैं। बीमारी की मार से तो अपनी हताशा से। इनकी संख्या पौने दो लाख है मगर इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। ये हमारे लोकतंत्र में अपने ही साथियों की लाश की तस्वीरें फार्वर्ड करते हुए भटक रहे हैं। पैसे की तंगी ने इन्हें इतना तोड़ दिया है कि बहुतों के मोबाइल में चार्ज का पैसा तक नहीं होता है।
शिक्षा मित्रों की बात करने पर कुछ मेसेज आने लगता है कि ये लोग चोर हैं। पढ़ाते नहीं हैं। ये नहीं करते हैं वो नहीं करते हैं मगर किसी का एक मेसेज नहीं आता है कि इनकी हालत तो बहुत ख़राब है। इनके साथ राज्य को ऐसा अन्याय नहीं करना चाहिए। यूपी में 30,000 से अधिक लेखपाल 3 जुलाई से हड़ताल पर हैं। उनकी मांग���ं ऐसी नहीं है कि सरकार को तारे तोड़ कर लाना पड़े। प्राइम टाइम पर लेखपालों के बारे में दिखाने पर ऐसी ही प्रतिक्रिया आ रही हैं कि इन्हें जनता से कोई मतलब नहीं है। ये जनता का ख़ून चूसते हैं। आपको इनसे सहानुभूति नहीं रखनी चाहिए। एक तो लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन कर रहे किसी जनसमूह को देखने का सही तरीका नहीं है, उसकी मांगों को हम उसके प्रति जनता के बीच छवि के चश्मे से नहीं देख सकते हैं।
फिर तो हमारे नेताओं की कौन सी छवि ऐसी है कि हम उन्हें सत्ता सौंप देते हैं। मैं लेखपाल के बारे में नहीं जानता था। लेखपालों को पता था कि आज का मीडिया पटवारी, अमीन और लेखपाल के बारे में नहीं जानता है। इसिलए एक लेखपाल ने जन्मपत्री की तरह एक लंबे से क़ाग़ज़ पर अपने 41 कार्यों की सूची लिखकर टांग दी ताकि सब समझ सकें। लोग मीडिया से भी ज़्यादा रचनात्मक हैं। कई लोगों ने काम करते हुए की तस्वीरें भेजीं जिनके ज़रिए मैं देख सका कि लेखपाल बाढ़, सुखाड़, अगजनी ओला वृष्टि के वक्त ज़मीन से लेकर गांव तक की पैमाइश करते हैं, आंकड़ों को सबसे पहले वही बीन कर सरकारी रिकार्ड में दर्ज करते हैं। कितने रकबे में फसल बोई गई है और कितनी हुई है, ये रिकार्ड भी लेखपालों के ज़रिए कृषि मंत्रालय तक जाता है। गांव के ज़मीनों की पैमाइश करना और रिकार्ड रखना इनका ही काम है।
अंग्रेज़ों की बनाई यह पटवारी व्यवस्था कई खामियों से ग्रस्त है मगर इनका उपयोग है, वो इनके कार्यों की सूची से साबित तो होता ही है। अगर ये काम नहीं करते हैं तो फिर क्या यह मान लिया जाए कि ज़मीन पर सरकार नहीं है। कोई काम ही नहीं करता है। अगर कोई काम करता है तो उस काम का उचित मेहनताना मिलना चाहिए कि नहीं। सरकार दिन भर दावे करती रहती है कि भ्रष्टाचार ख़त्म कर दिया है फिर उसके कर्मचारियों की मांग के समय क्यों कहा जाता है कि ये ऊपर से कमा लेते हैं। तो फिर नीचे लिया गया पैसा ऊपर तक भी पहुंचता होगा।
सरकारी कर्मचारियों को समझना होगा कि वे इस छवि से कैसे लड़ेंगे और वे नहीं लड़ेंगे तो धरना देते रह जाएंगे होगा कुछ नहीं लेकिन सरकारी कर्मचारी चोर है यह बात जनता और सरकार तब क्यों करती है जब वे अपनी जायज़ मांगों को लेकर आवाज़ उठाते हैं। उन्हें चोर कहने वाले भी कम चोर नहीं है।
मैंने कई तहसीलों के वीडियो देखे जो लेखपाल बंधुओं ने भी मेरे लिए भेजे ताकि मैं देख सकूं कि वे कैसी जगहों पर काम करते हैं। जर्जर इमारतों के नीचे ज़मीन पर बिछी दरी पर काम कर रहे हैं। भारत 21 वीं सदी में सुपर पावर और विश्व गुरु बनने जा रहा है! आपने किस सुपर पावर के यहां देखा है कि 30,000 कर्मचारी बरामदे और पेड़ के नीचे बैठकर काम करते हैं। भारत भर में करोड़ों रुपये फूंक कर स्वच्छता का ढिंढोरी पीटा गया मगर सरकारी कार्यालयों में ही शौचालय नहीं है। उनकी साफ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। हम सब ये दशकों से देखते आ रहे हैं। लेखपाल भी अपनी इस हालत को जीते आए हैं लेकिन बदलाव की बात बेमानी है।
लेखपालों को 2000 का पे ग्रेड मिलता है जो बहुत कम है। उन्हें जो यात्रा मिलता है उसे जानकर हंसी नहीं रोना आएगा। 3 रुपये 33 पैसे प्रति दिन यात्रा भत्ता मिलता है और इतना ही स्टेशनरी का पैसा दिया जाता है। क्या ये लोग अपनी जेब से या जनता की जेब से लेकर सरकार का काम नहीं कर रहे हैं? क्या इसमें बदलाव नहीं होना चाहिए। क्या हमारी नीचली सीढ़ी के सबसे ज़रुरी कर्मचारियों के बैठने, पानी और शौचालय की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए, क्या उनके कमरे में पंखे भी नहीं होने चाहिए?
दरअसल इस लोकतंत्र में बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की फौज घुस गई है जो जनता को ही बर्बाद कर रही है। जनता को ही लगातार कह रही है कि तुम चोर हो। खुद को जनता समझने वाले लेखपाल, शिक्षा मित्र और बीटीसी शिक्षक और बीटीसी उर्दू शिक्षक इन बातों को सिर्फ अपनी मांगों के संदर्भ में देखते हैं मगर दूसरे के संदर्भ में देखेंगे तो साफ साफ दिख जाएगा। जनता को यह देखना चाहिए कि सरकार उसी के साथ नहीं दूसरे के साथ कैसा व्यवहार कर रही है। जनता ही जनता से अलग हो जाएगी तो फिर वह सरकार के सामने जनता नहीं रहेगी। बस कुछ लोगों की भीड़ रहेगी जिसे कोई सिपाही कलक्टर के आदेश पर हांक आएगा।
यूपी में 12460 बीटीसी शिक्षकों के बारे में कई बार कार्यक्रम किया कि कोर्ट से दो दो बार जीतने के बाद भी सरकार नियुक्ति पत्र नहीं दे रही है। इन लोगों का स्वार्थ देखिए। इन्होंने एक बार भी मुझे नहीं कहा कि उन्हीं के साथ 4000 उर्दू शिक्षक भी हैं और वे भी उन्हीं की तरह कोर्ट से केस जीत कर नियुक्ति पत्र का इंतज़ार कर रहे हैं। जबकि दोनों का विज्ञापन एक साथ निकला था, दोनों का मामला एक है। 12460 शिक्षकों ने आसानी से 4000 उर्दू शिक्षकों को अलग कर दिया। मुसलमान समझ कर किया या पहले अपना देखो के तहत किया मैं इसे लेकर गेस नहीं करना चाहता मगर 4000 उर्दू शिक्षकों में से 30 प्रतिशत गैर मुस्लिम भी हैं और 12460 बीटीसी शिक्षकों में से मुस्लिम भी हैं। क्या पता उर��दू शिक्षकों ने ही खुद को अलग कर लिया हो कि अपनी लड़ाई अलग लड़ेंगे। मेरे पास इसके बारे में सारे तथ्य नहीं हैं।
मैंने 12460 बीटीसी शिक्षकों और 4000 बीटीसी उर्दू शिक्षकों का उदाहरण इसलिए दिया ताकि आप समझ सकें कि जनता टुकडों टुकड़ों में जनता नहीं हो सकती है। यह सही है कि इन 16460 शिक्षकों ने यूपी में ज़बरदस्त संघर्ष किया है। हर ज़िले में धरना प्रदर्शन किया है और लाठियां खाई हैं। फिर भी वे अपनी पूरी लड़ाई नहीं जीत पाए हैं। मुख्यमंत्री योगी के आश्वासन के बाद भी और कोर्ट के चार हफ्ते में नियुक्ति पत्र देने के आदेश के बाद भी सबको नियुक्ति पत्र नहीं मिला है। करीब 5000 को ही नियुक्ति पत्र मिला है और अब भी 12000 के करीब नियुक्ति पत्र का इंतज़ार कर रहे हैं। अभी भी दोनों मिलकर नहीं लड़ रहे हैं।
जिस जनता के दम पर नेता जीत कर सरकार बना लेते हैं उस सरकार के सामने जनता लगातार हार रही है। उसका जनता बनना बाकी है। वह धार्मिक उन्माद, जातिवाद अहंकार के पीछे दौड़कर ख़ुद को जनता समझती रहे मगर जब भी वह आवाज़ उठाएगी, कुचल दी जाएगी। पौने दो लाख शिक्षा मित्रों, 30,000 लेखपालों और 12000 शिक्षकों को सोचना चाहिए कि वे अपनी लड़ाई अलग क्यों लड़ रहे हैं, क्या उनकी सहानुभूति एक दूसरे से हैं, इस सवाल का ईमानदार जवाब उनके लिए बेहतर भविष्य की दिशा तय करेगा।
इन सबको ईमानदारी से एक और सवाल पर ग़ौर करना चाहिए। आंदोलन पर जाने से पहले ये किस तरह की ख़बरों के नशे में थे। क्या वे पत्रकारिता के पैमाने पर की जाने वाली ख़बरों के प्रति समर्पित थे या उनके बच्चों को दंगाई बना देने के लिए चल रही हिन्दू मुस्लिम बहसों में बह रहे थे। आप अचानक से जनता नहीं बन सकते और अचानक से दर्शक बनकर ख़बरों पर दावा नहीं कर सकते हैं कि सब कुछ पत्रकारिता की नैतिकता से हो। इसे भ्रष्ट करने में ग्राहक बनकर आपने जो भूमिका अदा की है, उसकी सज़ा तो भुगतनी पड़ेगी। किसे परवाह है कि 17 और 18 जुलाई को रेलवे के लोकोपायलट भूखे पेट गाड़ी चलाएंगे। वे काम करते हुए अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। आप चैनलों से उम्मीद करते हैं तो बताइये कि आप इस उम्मीद से पहले क्या देखते रहे हैं।
गनीमत है कि ज़िला संस्करणों में आपकी ख़बरें छप जा रही हैं। आपने ट्विटर पर ट्विट करके देख लिया कि आपकी क्या हैसियत हो गई है। मंत्रियों को फर्क पड़ा न मीडिया को। जब तक आप हिन्दू मुस्लिम टापिक देखेंगे और इसी के आधार पर राजनीतिक फैसला करेंगे, आप ऐसे ही मरेंगे या मारे जाएंगे और अपने ही साथियों की लाश की तस्वीरें व्हाट्स एप में फारवर्ड करते रहेंगे।
अचानक उन्मादी भीड़ से निकल रातों रात आप जनता नहीं बन सकते हैं। क्या आपने सुनिश्चित नहीं किया कि चुनाव के बाद मीडिया पर राजनीति और धार्मिक उन्माद की भीड़ और सनक हावी रहे, क्या आप उस सनक भरी भीड़ का हिस्सा नहीं रहे, इसका जवाब आपको उसी व्हाट्स एप और फेसबुक से मिल जाएगा जिसके ज़रिए आप मुझे बधाइयां भेज रहे हैं। आप नहीं थे तो कौन था इस भीड़ में। आपने ही तय किया है कि जो पत्रकारिता कर रहे हैं वो मुश्किल से गुज़रते हुए धीरे धीरे ग़ायब कर दिए जाएं। इस लाउडस्पीकर की तार आपने भी काटी है। बेशक इस तार को आपसे पहले पत्रकारों सहित मीडिया घरानों और नेताओं ने मिलकर काटी है। इतना तो समझ लीजिए कि यब सब इसलिए किया जा रहा है ताकि जनता यह समझ ले कि अब से सिर्फ संख्या तय नहीं करेगी कि आप जनता हैं।
रविश कुमार NDTV INDIA
Tumblr media
Read full post at: http://www.cnnworldnews.info/2018/07/blog-post_551.html
0 notes
bollywoodpapa · 4 years
Text
करिश्मा को छोड़ ऐश्वर्या को जया ने बनाया था अपने घर की बहू, जानिए क्या थी इसके पीछे की वजह!
New Post has been published on https://bollywoodpapa.com/278625/why-jaya-chose-aishwarya-as-bachchan-bahu-instead-of-karishma-kapoor/
करिश्मा को छोड़ ऐश्वर्या को जया ने बनाया था अपने घर की बहू, जानिए क्या थी इसके पीछे की वजह!
दोस्तों बॉलीवुड फिल्म जगत में के से बढ़ कर एक खूबसूरत जोडिया मौजूद है उन्ही में से एक थी करिश्मा और अभिषेक बच्चन की जोड़ी, एक समय ऐसा था जब करिश्मा कपूर और अभिषेक बच्चन एक-दूसरे के प्यार में पागल थे और बॉलीवुड में भी इनके ही रिलेशनशिप की चर्चा थी, दोनों की सगाई भी हो चुकी थी लेकिन अचानक ही इन दोनों का रिश्ता टूट गया। लाइफ में ऐसा मोड़ लिया कि दोनों की राहें हमेशा के लिए अलग हो गईं।
बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन और एक्ट्रेस करिश्मा कपूर पांच साल तक रिलेशनशिप में थे और दोनों में से किसी ने ये नहीं सोचा था कि ये रिलेशनशिप ऐसे टूट जाएगा। आज इस बात को काफी साल गुजर गए हैं, लेकिन उनके फैंस आज भी ये जानना चाहते हैं कि आखिर अभिषेक-करिश्मा का सगाई के बाद ब्रेकअप क्यों हुआ और सगाई टूटने की वजह क्या थी? आइये आज हम आपको इसके पीछे का सच बताते हैं।
बता दे की अभिनेता अभिषेक-करिश्मा की पहली मुलाकात श्वेता की शादी में हुई थी। करिश्मा कपूर के बुआ के बेटे निखिल नंदा से श्वेता की शादी हुई ��ै। इसी शादी में अभिषेक-करिश्मा मिले और दोनों में प्यार हो गया। और दोनों ही इस प्यार को शादी के बंधन में बांधना चाहते थे। जब अभिषेक और करिश्मा के रिश्ते की बात सामने आई तो दोनों परिवारों को इससे कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन करिश्मा की मां बबिता और अभिषेक की मां जया बच्चन इस रिश्ते को लेकर शुरू से ही बहुत ज़्यादा खुश नहीं थीं। फिर भी अमिताभ बच्चन के 60वें जन्मदिन पर अभिषेक-करिश्मा की सगाई की अनाउंसमेन्ट कर दी गई और ये भी तय हो गया था कि जल्द ही बॉलीवुड के दो बेहद नामचीन परिवार अब रिश्ते में बंध जाएंगे। बिग भी के बर्थडे पर खुद जया ने एक रिश्ते के बारे में अनाउंसमेन्ट किया था, बच्चन परिवार और नंदा परिवार एक और परिवार को अपने साथ जोड़ रहा है और वो है कपूर परिवार। और मेरी होने वाली बहू हैं करिश्मा कपूर। उन्होंने ये भी कहा कि ये अभिषेक का तोहफा है जो उन्होंने अपने पिता के 60वें जन्मदिन पर अपने माता-पिता को दिया है।
बताया जाता है कि उस समय बच्चन परिवार फाइनेंसियल क्राइसेस से गुजर रहा था। अमिताभ बच्चन की कंपनी लगातार घाटे में चल रही थी और अभिषेक का करियर भी कुछ खास नहीं चल रहा था, जबकि करिश्मा का करियर उस समय एकदम पीक पर था। ऐसे में बबीता नहीं चाहती थीं कि उनकी बेटी की जिंदगी में कोई भी परेशानी हो। बच्चन परिवार की इस स्थिति देखते हुए बबिता ने अभिषेक और करिश्मा की शादी से पहले अमिताभ बच्चन से एक कॉन्ट्रैक्ट बनाने की मांग की थी, जिसमें ये कहा गया था कि अमिताभ की प्रॉपर्टी का तय हिस्सा उसी समय उनके बेटे अभिषेक बच्चन के नाम कर दिया जाए। लेकिन बच्चन परिवार ने ऐसा कोई कॉन्ट्रैक्ट बनाने से साफ इंकार कर दिया।
खबर ये भी थी कि बबिता कपूर ने बच्चन परिवार के सामने दो शर्तें रखी थीं- पहली ये कि करिश्मा और अभिषेक शादी करके बच्चन परिवार के साथ नहीं रहेंगे। और दूसरा ये कि रणधीर कपूर करिश्मा का कन्या दान नहीं करेंगे, क्योंकि बच्चन परिवार की बेटी श्वेता कपूर खानदान की बहू है।  सगाई टूटने की एक और जो वजह बताई गई वो ये कि जया बच्चन चाहती थीं कि करिश्मा शादी के बाद एक्टिंग छोड़ दें, जो कि बबिता और करिश्मा दोनों को ही मंजूर नहीं था। ऐसे में दोनों फैमिली के पास सगाई तोड़ने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं रह गया था। हालांकि तब करिश्मा और अभिषेक में से किसी ने भी इस ब्रेकअप के बारे में कोई बात नहीं की थी।
जया बच्चन करिश्मा को पहले से ही कुछ ख़ास पसंद नहीं करती थीं। अभिषेक और करिश्मा एक-दूसरे से प्यार करने लगे थे, इसलिए जया को शादी के लिए मानना पड़ा लेकिन जया इस रिश्ते से बहुत ज़्यादा खुश नहीं थीं। ये बात खुद जया बच्चन ने अपने एक इंटरव्यू में कही है। ”मैं चाहती थी कि जो भी मेरी बहू बने उसे पारिवारिक मूल्य और कल्चर की अच्छी समझ हो। जितना मैं करिश्मा को जानती हूं मुझे लगता है उनके अंदर पारिवारिक मूल्यों और ट्रेडिशन की समझ थोड़ी कम है। मैं ये नहीं कह रही कि बिलकुल नहीं है, लेकिन ऐश्वर्या के मुकाबले कम है। करिश्मा के पिता मेरे पति के अच्छे दोस्त हैं।
करिश्मा कपूर के अंदर कपूर खानदान का खून है। लेकिन मुझे लगता है करिश्मा के बारे में ऐसी बात नहीं कही जा सकती है।” जया ने बताया कि उनके लिए पारिवारिक मूल्य और ट्रेडिशन कितना महत्वपूर्ण है और यही वजह थी कि उन्होंने अभिषेक को ऐश्वर्या से शादी करने की इजाज़त दी। आज अभिषेक और करिश्मा दोनों अपने-अपने जीवन में आगे बढ़ गए हैं। अभिषेक जहां ऐश्वर्या राय और अपनी बेटी आराध्या के साथ खुश हैं। वहीं करिश्मा भी अपने बच्चों के साथ अपनी लाइफ में खुश हैं। हालांकि करिश्मा तलाक के बाद अपने पति से अलग रह रही है।
0 notes
vsplusonline · 4 years
Text
DNA ANALYSIS: दुनिया को Lock करके Unlock हुआ चीन, अब मना रहा जश्न
New Post has been published on https://apzweb.com/dna-analysis-%e0%a4%a6%e0%a5%81%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%8b-lock-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%95%e0%a5%87-unlock-%e0%a4%b9%e0%a5%81%e0%a4%86-%e0%a4%9a%e0%a5%80%e0%a4%a8/
DNA ANALYSIS: दुनिया को Lock करके Unlock हुआ चीन, अब मना रहा जश्न
नई दिल्ली: आज लॉकडाउन का 15वां दिन है और हम उम्मीद करते हैं कि आप अपने-अपने घरों में सकुशल होंगे और स्वस्थ होंगे. पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैलने की शुरुआत आज से ठीक 100 दिन पहले हुई थी. इन 100 दिनों के बाद दुनिया के करीब 400 करोड़ लोग लॉकडाउन में हैं. जबकि चीन के जिस शहर वुहान से इस वायरस की शुरुआत हुई थी. उसे अब पूरी तरह से खोल दिया गया है और वहां अब लाइट शो करके दीवाली मनाई जा रही है. यानी पूरी दुनिया को लॉक करके चीन ने अपने शहर वुहान को अनलॉक कर दिया है.
अलग- अलग अनुमानों के मुताबिक, चीन की इस लापरवाही ने पूरी दुनिया का करीब 500 लाख करोड़ रुपये का नुकसान किया है. अब आप खुद सोचिए कि इतने बड़े नुकसान की भरपाई कौन करेगा ? दुनिया के अलग अलग देशों की सरकारें इसकी भरपाई आपकी और हमारी जेब से करेंगी. इसलिए अब कुछ संस्थाएं कह रही हैं कि दुनिया के बड़े-बड़े देशों को चीन से मुआवजा वसूलना चाहिए.
कोरोना वायरस की वजह से भारत के 135 करोड़ लोग अब भी लॉकडाउन में है और इससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. इस नुकसान की भरपाई भी हमें और आपको ही करनी होगी. यानी भविष्य में आप एक ऐसा कोरोना टैक्स चुकाने पर मजबूर होंगे जो आपको दिखाई तो नहीं देगा लेकिन इसके नाम पर वर्षों तक आपकी जेब कटती रहेगी.
इस समय कोरोना वायरस से पूरी दुनिया में 14 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हैं. 83 हजार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 400 करोड़ लोग अपने घरों में बंद हैं. लेकिन दुनिया में एक जगह ऐसी भी है, जहां जश्न मनाया जा रहा है. ये चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान है. यहीं से कोरोना वायरस का ऐसा संक्रमण शुरू हुआ था, जो पूरी दुनिया में फैल गया. लेकिन दुनिया भर में कोरोना का अंधेरा फैलाकर वुहान शहर अब जगमग है. यहां 76 दिन का लॉकडाउन खत्म होने पर कल रात एक लाइट शो हुआ. शहर की छोटी-बड़ी इमारतों में शानदार लाइटिंग की गई. ये एक तरह से वुहान की दिवाली है. आज जब..आप सभी अपने अपने घरों में बंद हैं, तो वुहान से आई इन तस्वीरों को देखकर आप अपने बारे में सोच रहे होंगे, कि किस तरह से हम अपने यहां लॉकडाउन से बाहर निकलेंगे.
ल���किन दुनिया को एक खतरनाक वायरस से लॉक कर देने वाले चीन का वुहान शहर अब अनलॉक हो गया है. कल रात 12 बजे जैसे ही वुहान से लॉकडाउन हटा, लोग अपने घरों से बाहर निकले आए. वुहान में 23 जनवरी से लॉकडाउन था. कोई भी बाहर नहीं निकल सकता था. लेकिन वुहान में अब सब पहले जैसा होने लगा है. कई बाज़ार भी खुल गए हैं. वुहान की फैक्ट्रियां भी शुरू हो गई हैं. हाइवे फिर से खोल दिए गए हैं. ट्रेन फिर से चलने लगी हैं. और घरेलू उड़ानें भी शुरू कर दी गई है.
करीब 1 करोड़ 10 लाख की आबादी वाले इस शहर में लॉकडाउन खुलने के पहले ही दिन करीब 50 से 60 हजार लोग शहर से बाहर निकल गए. वुहान में ही कोरोना वायरस का पहला मामला दिसंबर में आया था. जिसके बाद सिर्फ वुहान शहर में ही 50 हजार से ज़्यादा लोग संक्रमित हुए थे और ढाई हजार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी. लेकिन पिछले कई हफ्ते से वुहान में घरेलू संक्रमण ना के बराबर है. वुहान में पिछले 21 दिन में संक्रमण के सिर्फ 3 नए मामले सामने आए हैं. इसी वजह से 11 हफ्ते से चल रहा लॉकडाउन अब हटा लिया गया. 
तो एक तरफ चीन है, जो ऐसे दिखा रहा है कि उसे कोरोना महामारी से कोई फर्क ही नहीं पड़ा है लेकिन दूसरी तरफ पूरी दुनिया है, जो चीन की लापरवाही की कीमत चुका रही है. और बात सिर्फ जिंदगियों की नहीं है, कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है.  ये कितनी गंभीर बात है, इसको कुछ आंकड़ों के जरिये समझिये.
ब्रिटेन के एक Think Tank, The Henry Jackson Society के मुताबिक कोरोना वायरस से दुनियाभर के देशो में करीब 300 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हो चुका है. ये भारत की कुल अर्थव्यवस्था से भी करीब 100 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है.
Organisation for Economic Co-operation and Development ने आशंका जताई है कि इस महामारी की वजह से वर्ष 2020 में दुनिया की GDP की विकास दर सिर्फ डेढ़ प्रतिशत रह सकती है जबकि कोरोना वायरस फैलने से पहले इसके करीब 3 प्रतिशत रहने का अनुमान था. यानी अब दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं आधी रफ्तार से आगे बढ़ेंगी.
संयुक्त राष्ट्र की Covid-19 And World Of Work रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर में करीब ढाई करोड़ नौकरियां खत्म हो सकती हैं. संयुक्त राष्ट्र की Trade Report में कहा गया है कि दुनिया की दो तिहाई आबादी विकासशील देशों में रहती है,  इन देशों में करीब 187 लाख करोड़ रुपए के Rescue Package की जरूरत है जबकि विश्व बैंक ने कहा है कि इस महामारी की वजह से पूर्वी एशिया और एशिया पैसाफिक में एक करोड़ 10 लाख गरीब बढ़ सकते हैं.
आरोप लग  रहे है कि ये सब चीन की लापरवाही का नतीजा है. लेकिन इसकी कीमत कौन चुकाएगा? भविष्य में जब इस महामारी से दुनिया पार पा लेगी तब दुनिया की डूबती हुई अर्थव्यवस्था को कौन पार लगाएगा ? जाहिर है सभी देशों की सरकारें, अर्थव्यस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए बाज़ार में पैसा लगाएंगी, लेकिन वो पैसा कहां से आएगा ? जाहिर है ये पैसा आपकी और हमारी जेब से ही जाएगा और ये कोरोना टैक्स कैसे धीरे धीरे करके वसूला जाएगा, आपको पता भी नहीं चलेगा. तो अब आप सोचिये, कि क्या ऐसा होना चाहिए ? क्या चीन से इस नुकसान का हिसाब नहीं मांगा जाना चाहिए ? क्या चीन से इसका जुर्माना नहीं वसूला जाना चाहिए ? दुनिया के कई देशों में ये सवाल उठने लगे हैं.
United States Senate Judiciary Committee के चेयरमैन लिंडसे ग्राहम (Lindsey Graham) ने तो कह भी दिया है कि इस महामारी की वजह से जो भी नुकसान हुआ है, पूरी दुनिया को उसके बिल चीन को भेज देने चाहिए. तो अब सवाल ये है कि अगर दुनिया के देश, चीन को हर्जाने का बिल भेजना शुरू कर दें तो हर्जाने की राशि कितनी बड़ी हो सकती है. The Henry Jackson Society ने इसका एक आंकलन तैयार किया है जिसके मुताबिक ब्रिटेन चाहे तो चीन से 449 बिलियन डॉलर्स यानी करीब 34 लाख करोड़ रुपये का क्लेम कर सकता है. अमेरिका भी चीन से हर्जाने के तौर पर 1200 बिलियन डॉलर्स यानी करीब 90 लाख करोड़ रुपये क्लेम कर सकता है जबकि कनाडा, चीन पर 59 बिलियन डॉलर्स यानी करीब साढ़े चार लाख करोड़ रुपये और ऑस्ट्रेलिया 37 बिलियन डॉलर्स यानी करीब 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का क्लेम कर सकते हैं. 
जुर्माने की ये राशि इन देशों में 5 अप्रैल तक लॉकडाउन से होने वाले आर्थिक नुकसान और राहत पैकेज की घोषणाओं पर आधारित हैं..लेकिन आपको बता दें कि अभी तक किसी भी देश ने आधिकारिक तौर पर चीन से किसी तरह का कोई मुआवज़ा वसूलने की बात नहीं कही है.  हालांकि इसकी मांग उठनी जरूर शुरू हो गई है. लेकिन बात सिर्फ आर्थिक हर्जाने की ही नहीं है, सवाल चीन को आईना दिखाने का भी है, क्योंकि वो तो अभी तक ये भी मानने के लिए तैयार नहीं है कि कोरोना वायरस, चीन से ही दुनियाभर में फैला.  
ब्रिटेन के 15 सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को पत्र लिखकर अपील की है कि इस महामारी को फैलाने के आरोपी चीन के खिलाफ मुकदमा दायर किया जाए, जिसके बाद ब्रिटेन के Think Tank, The Henry Jackson Society ने एक स्टडी की, जिसमें बताया गया कि चीन ने किस तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन के INTERNATIONAL HEALTH REGULATIONS 2005 की गाइडलाइंस का उल्लंघन किया जिसमें चीन पर जो चार बड़े आरोप गिनाए गए हैं, वो आपको भी पता होने चाहिए.
चीन पर पहला आरोप – उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन से तीन हफ्ते तक ये बात छिपाकर रखी कि कोरोना वायरस, इंसान से इंसान में फैलता है. चीन पर दूसरा आरोप – उसने 2 जनवरी से 11 जनवरी तक कोरोना संक्रमण के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने गलत आंकड़े पेश किये चीन पर तीसरा आरोप – उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन से ये बात छिपाई कि इंसानों में कोरोना वायरस, जानवरों से पहुंचा चीन पर चौथा आरोप – ये पता होने के बावजूद कि कोरोना संक्रमण, इंसानों से इंसानों में फैलता है, उसने 23 जनवरी को लॉकडाउन से पहले 50 लाख लोगों को वुहान छोड़ने की इजाजत दी. वुहान वही शहर है जहां से कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई थी
अब इसे चीन की लापरवाही कहें या जान-बूझकर की गई गलती. लेकिन आज कोरोना वायरस ने जिस तरह पूरी दुनिया में कहर मचाया हुआ है, उसका जिम्मेदार चीन ही है. ऐसा करके चीन ने कितना बड़ा अपराध किया है, इसका अंदाजा इस बात से लगाइये कि ब्रिटेन की University of South-Ampton के मुताबिक अगर दुनिया भर में कोरोना वायरस से निपटने के लिए जरूरी ऐहतियाती कदम, तीन हफ्ते पहले उठा लिये जाते तो इसके संक्रमण को 95 प्रतिशत तक कम किया जा सकता था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. लेकिन इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कम जिम्मेदार नहीं है जिसने कोरोना संक्रमण को महामारी घोषित करने में बहुत देरी की. इन सबूतों के आधार पर International Court Of Justice में चीन के खिलाफ एक मजबूत मुकदमा दायर किया जा सकता है लेकिन इसके लिए पूरी दुनिया को एक साथ आना होगा और बड़े देशों के लीडर्स को मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी पड़ेगी.
चीन की इस लापरवाही की कीमत भारत भी चुका रहा है. चीन के शहर वुहान से तो लॉकडाउन हटा दिय़ा गया है लेकिन भारत के 135 करोड़ लोगों के मन में यही सवाल है कि ये लॉकडाउन हटेगा या नहीं. भारत में लॉकडाउन 14 अप्रैल तक है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बड़े संकेत दिए हैं. प्रधानमंत्री की आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सभी दलों के नेताओं से बात हुई थी, जिसके बाद कुछ नेताओं ने यही संकेत दिए कि लॉकडाउन खत्म करने के पक्ष में कोई नहीं है. इस मीटिंग के बारे में बताया गया कि प्रधानमंत्री ने बातचीत में कहा कि हर जिंदगी बचाना सरकार की प्राथमिकता है. देश में सामाजिक आपातकाल के हालात हैं. ज़्यादातर राज्य लॉकडाउन को बढ़ाने के पक्ष में हैं. विशेषज्ञ भी इसी की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन ज़रूरी है. प्रधानमंत्री मोदी 11 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों के साथ तीसरी बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करेंगे. 
कोरोना वायरस फैलने की शुरुआत आज से ठीक 100 दिन पहले चीन के वुहान शहर में हुई थी. चीन में अब स्थितियां सामान्य हो रही हैं, वहां के शहर जगमगा रहे हैं लेकिन इन 100 दिनों ने पूरी दुनिया को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया है. पहले आप ये देखिए कि कैसे ये वायरस 100 दिनों में पूरी दुनिया में फैल गया. फिर हम आपको बताएंगे कि क्यों अब आपका जीवन पहले जैसा नहीं रहेगा.
पिछले साल 31 दिसंबर को चीन के वुहान में संक्रमण का पहला मामला सामने आया था. इसके बाद अगले दिन यानी 1 जनवरी 2020 को वुहान की Sea Food Market को बंद कर दिया गया था. इसी जगह से इस वायरस के फैलने की शुरुआत हुई थी. 9 दिनों के बाद यानी 9 जनवरी को इस वायरस की पहचान हुई और पता लगा कि ये नए किस्म का वायरस है.
13वें दिन यानी 13 जनवरी को पहली बार चीन से बाहर इस संक्रमण का कोई मामला तब सामने आया. जब थाइलैंड ने इस बात की पुष्टि की कि उसके यहां वुहान से आई एक 61 वर्ष की महिला संक्रमित पाई गई है. 20 दिन बाद ये बात साबित हो गई कि ये वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल रहा है. 24वें दिन ये वायरस यूरोप पहुंच गया. इसकी वजह ये थी कि इस दौरान चीन के कई नागरिक lunar new year मनाने यूरोप के अलग-अलग देशों में पहुंच चुके थे.
इसी दिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने दाओस में कहा कि उनके देश को इस वायरस से कोई खतरा नहीं है. 31वें दिन यानी 31 जनवरी को ब्रिटेन यूरोप से अलग हुआ और उसी दिन ये बात साबित हो गई कि ये वायरस तेज़ी से लोगों को संक्रमित कर रहा है. 36वें दिन चीन से बाहर इस वायरस से पहली मौत हुई. मरने वाला व्यक्ति वुहान का ही नागरिक था और उसकी मौत फिलीपींस के एक अस्पताल में हुई थी.
50वें दिन दक्षिण कोरिया में वायरस से पीड़ित 31वां मरीज़ सामने आया. और कहा जाता है कि इसी मरीज़ ने दक्षिण कोरिया में हजारों लोगों को संक्रमित किया था. ये एक 61 वर्ष की महिला थी जिसने दो अलग अलग चर्च में प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया था और यहीं से दक्षिण कोरिया में हालात बेकाबू होने लगे.  
56वें दिन तक पूरी दुनिया में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 80 हजार से ज्यादा हो चुकी थी. 66वें दिन तक इटली में स्थितियां खराब होने लगीं और रोज़ सैंकड़ों की संख्या में लोग मरने लगे. 71वें दिन यानी 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को एक महामारी घोषित कर दिया. 77वां दिन आते-आते, पूरी दुनिया में सामान्य जीवन अस्त व्यवस्त होने लगा. इटली में हर रोज़ औसतन साढ़े 400 लोगों की जान जाने लगी. 85 दिन बीतने के बाद पूरे भारत में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई और आज भी आप लोग इसी लॉकडाउन में हैं. 93 दिनों के बाद यानी 2 अप्रैल को पूरी दुनिया में इस महामारी से मरने वालों की संख्या 50 हजार के पार हो गई.
99 दिन पूरे होते होते दुनिया के करीब 400 करोड़ लोग लॉकडाउन में जा चुके थे और आज यानी 100वें दिन भी इस लॉकडाउन के हटने की कोई उम्मीद नहीं है. जबकि 100 दिन पूरे होते ही चीन ने पूरी दुनिया में ये वायरस फैलाने वाले शहर वुहान से लॉकडाउन हटा दिया है.
(function(d, s, id) var js, fjs = d.getElementsByTagName(s)[0]; if (d.getElementById(id)) return; js = d.createElement(s); js.id = id; js.src = "https://connect.facebook.net/en_US/sdk.js#xfbml=1&version=v2.9"; fjs.parentNode.insertBefore(js, fjs); (document, 'script', 'facebook-jssdk')); (function ($) /*Drupal.behaviors.pagerload = attach: function (context, settings) */ $(document).ready(function() var nextpath = "https://zeenews.india.com/"; var pg = 1; var nextload= true; var string = "https://zeenews.india.com/";var ice = 0; var load = '
लोडिंग
'; var cat = "?cat=17";
/*************************************/ /*$(window).scroll(function() var last = $('div.listing').filter('div:last'); var lastHeight = last.offset().top ; if(lastHeight + last.height() = 360) angle = 1; angle += angle_increment; .bind(this),interval); , success: function(data) nextload=false; //console.log("success"); //console.log(data); $.each(data['rows'], function(key,val) //console.log("data found"); ice = 2; if(val['id']!='665271') string = '
'+val["tag"]+'
' + val["title"] + '
' + val["summary"] + '
पूरा पढ़ें
'; $('div.listing').append(string); ); , error:function(xhr) //console.log("Error"); //console.log("An error occured: " + xhr.status + "https://zeenews.india.com/" + xhr.statusText); nextload=false; , complete: function() $('div.listing').find(".loading-block").remove();; pg +=1; //console.log("mod" + ice%2); nextpath = '&page=' + pg; //console.log("request complete" + nextpath); cat = "?cat=17"; //console.log(nextpath); nextload=(ice%2==0)?true:false; ); setTimeout(function() //twttr.widgets.load(); //loadDisqus(jQuery(this), disqus_identifier, disqus_url); , 6000); //lastoff = last.offset(); //console.log("**" + lastoff + "**"); );*/ /*$.get( "/hindi/zmapp/mobileapi/sections.php?sectionid=17,18,19,23,21,22,25,20", function( data ) $( "#sub-menu" ).html( data ); alert( "Load was performed." ); );*/ function fillElementWithAd($el, slotCode, size, targeting) if (typeof targeting === 'undefined') targeting = ; else if ( Object.prototype.toString.call( targeting ) !== '[object Object]' ) targeting = ; var elId = $el.attr('id'); console.log("elId:" + elId); googletag.cmd.push(function() var slot = googletag.defineSlot(slotCode, size, elId); for (var t in targeting) slot.setTargeting(t, targeting[t]); slot.addService(googletag.pubads()); googletag.display(elId); googletag.pubads().refresh([slot]); ); var maindiv = false; var dis = 0; var fbcontainer = "https://zeenews.india.com/"; var fbid = "https://zeenews.india.com/"; var ci = 1; var adcount = 0; var pl = $("#star665271 > div.field-name-body > div.field-items > div.field-item").children('p').length; var adcode = inarticle1; if(pl>3) $("#star665271 > div.field-name-body > div.field-items > div.field-item").children('p').each(function(i, n) ci = parseInt(i) + 1; t=this; var htm = $(this).html(); d = $("
"); if((i+1)%3==0 && (i+1)>2 && $(this).html().length>20 && ci
').insertAfter(t); adcount++; else if(adcount>=3) return false; ); var fb_script=document.createElement('script'); fb_script.text= "(function(d, s, id) var js, fjs = d.getElementsByTagName(s)[0];if (d.getElementById(id)) return;js = d.createElement(s); js.id = id;js.src = "https://connect.facebook.net/en_GB/sdk.js#xfbml=1&version=v2.9";fjs.parentNode.insertBefore(js, fjs);(document, 'script', 'facebook-jssdk'));"; var fmain = $(".sr665271"); //alert(x+ "-" + url); var fdiv = '
'; //console.log(fdiv); //$(fb_script).appendTo(fmain); $(fdiv).appendTo(fmain);
$(document).delegate("button[id^='mf']", "click", function() fbcontainer = "https://zeenews.india.com/"; fbid = '#' + $(this).attr('id'); var sr = fbid.replace("#mf", ".sr");
//console.log("Main id: " + $(this).attr('id') + "Goodbye!jQuery 1.4.3+" + sr); $(fbid).parent().children(sr).toggle(); fbcontainer = $(fbid).parent().children(sr).children(".fb-comments").attr("id");
);
function onPlayerStateChange(event) var ing, fid; console.log(event + "---player"); $('iframe[id*="video-"]').each(function() _v = $(this).attr('id'); console.log("_v: " + _v); if(_v != event) console.log("condition match"); ing = new YT.get(_v); if(ing.getPlayerState()=='1') ing.pauseVideo(); ); $('div[id*="video-"]').each(function() _v = $(this).attr('id'); console.log("_v: " + _v + " event: " + event); if(_v != event) //jwplayer(_v).play(false); ); function onYouTubePlay(vid, code, playDiv,vx, pvid) if (typeof(YT) == 'undefined"https://zeenews.india.com/" function onYouTubePlayer(vid, code, playDiv,vx, pvid) //console.log(playDiv + "Get Youtue " + vid); //$("#"+vid).find(".playvideo-"+ vx).hide(); var player = new YT.Player(playDiv , height: '450', width: '100%', videoId:code, playerVars: 'autoplay': 1, 'showinfo': 1, 'controls': 1 , events: 'onStateChange': function(event) onPlayerStateChange(event.target.a.id); ); $("#video-"+vid).show(); function anvatoPlayerAPIReady(vid, code, playDiv,vx, pvid,vurl) var rtitle = "zee hindi video"; if(vurl.indexOf("zee-hindustan/")>0) rtitle = "zee hindustan video"; else if(vurl.indexOf("madhya-pradesh-chhattisgarh/")>0) rtitle = "zee madhya pradesh chhattisgarh video"; else if(vurl.indexOf("up-uttarakhand/")>0) rtitle = "zee up uttarakhand video"; else if(vurl.indexOf("bihar-jharkhand/")>0) rtitle = "zee bihar jharkhand video"; else if(vurl.indexOf("rajasthan/")>0) rtitle = "zee rajasthan video"; else if(vurl.indexOf("zeephh/")>0) rtitle = "zeephh video"; else if(vurl.indexOf("zeesalaam/")>0) rtitle = "zeesalaam video"; else if(vurl.indexOf("zeeodisha")>0) rtitle = "zeeodisha"; AnvatoPlayer(playDiv).init( "url": code, "title1":"https://zeenews.india.com/", "autoplay":true, "share":false, "pauseOnClick":true, "expectPreroll":true, "width":"100%", "height":"100%", "poster":"https://zeenews.india.com/", "description":"https://zeenews.india.com/", "plugins": "googleAnalytics": "trackingId":"UA-2069755-1", "events": "PLAYING_START": "alias" : "play - " + rtitle, "category" : rtitle, "label" : vurl, "metric" : "1" , "BUFFER_START": "alias" : "buffer - " + rtitle, "category" : rtitle, "label" : vurl, "metric" : "2" , "AD_BREAK_STARTED": "alias" : "break - " + rtitle, "category" : rtitle, "label" : vurl, "metric" : "3" , "VIDEO_COMPLETED": "alias" : "complete - " + rtitle, "category" : rtitle, "label" : vurl, "metric" : "4" , "dfp": "clientSide": "adTagUrl":preroll, );
$(document).delegate("div[id^='play']", "click", function() //console.log($(this).attr("id")); //console.log($(this).attr("video-source")); //console.log($(this).attr("video-code")); var isyoutube = $(this).attr("video-source"); var vurl = $(this).attr("video-path"); var vid = $(this).attr("id"); $(this).hide(); var pvid = $(this).attr("newsid"); var vx = $(this).attr("id").replace('play-',"https://zeenews.india.com/"); var vC = $(this).attr("video-code"); var playDiv = "video-" + vid + "-" + pvid; if(isyoutube =='No') anvatoPlayerAPIReady(vid, vC, playDiv,vx, pvid, vurl); else onYouTubePlay(vid, vC, playDiv,vx, pvid); ); $(document).delegate("div[id^='ptop']", "click", function() var vid = $(this).attr("id").replace('ptop',"https://zeenews.india.com/"); $(this).hide(); var pvid = $(this).attr("newsid"); //console.log($(this).attr("id") + "--" + vid); //console.log($(this).parent().children().find('#play-'+vid).attr("video-source")); //console.log($(this).parent().children().find('#play-'+vid).attr("video-code")); var isyoutube = $(this).parent().children().find('#play-'+vid).attr("video-source"); var vC = $(this).parent().children().find('#play-'+vid).attr("video-code"); var vurl = $(this).parent().children().find('#play-'+vid).attr("video-path"); var playDiv = "mvideo-play-" + vid + "-" + pvid; if(isyoutube =='No') //console.log(jwplayer($(this).attr("id")).getState()); anvatoPlayerAPIReady($(this).attr("id"), vC, playDiv, vid, pvid,vurl);
else onYouTubePlay($(this).attr("id"), vC, playDiv, vid, pvid); );
if($.autopager==false) var use_ajax = false;
function loadshare(curl) history.replaceState("https://zeenews.india.com/" ,"https://zeenews.india.com/", curl); if(window.OBR) window.OBR.extern.researchWidget(); //console.log("loadshare Call->" + curl); //$('html head').find('title').text("main" + nxtTitle); if(_up == false) var cu_url = curl; gtag('config', 'UA-2069755-1', 'page_path': cu_url );
if(window.COMSCORE) window.COMSCORE.beacon(c1: "2", c2: "9254297"); var e = Date.now(); $.ajax( url: "/marathi/news/zscorecard.json?" + e, success: function(e) ) if(use_ajax==false) //console.log('getting'); var view_selector = 'div.center-section'; // + settings.view_name; + '.view-display-id-' + settings.display; var content_selector = view_selector; // + settings.content_selector; var items_selector = content_selector + ' > div.rep-block'; // + settings.items_selector; var pager_selector = 'div.next-story-block > div.view-zhi-article-mc-all > div.view-content > div.clearfix'; // + settings.pager_selector; var next_selector = 'div.next-story-block > div.view-zhi-article-mc-all > div.view-content > div.clearfix > a:last'; // + settings.next_selector; var auto_selector = 'div.tag-block'; var img_location = view_selector + ' > div.rep-block:last'; var img_path = '
लोडिंग
'; //settings.img_path; //var img = '
' + img_path + '
'; var img = img_path; //$(pager_selector).hide(); //alert($(next_selector).attr('href')); var x = 0; var url = "https://zeenews.india.com/"; var prevLoc = window.location.pathname; var circle = "https://zeenews.india.com/"; var myTimer = "https://zeenews.india.com/"; var interval = 30; var angle = 0; var Inverval = "https://zeenews.india.com/"; var angle_increment = 6; var handle = $.autopager( appendTo: content_selector, content: items_selector, runscroll: maindiv, link: next_selector, autoLoad: false, page: 0, start: function() $(img_location).after(img); circle = $('.center-section').find('#green-halo'); myTimer = $('.center-section').find('#myTimer'); angle = 0; Inverval = setInterval(function () $(circle).attr("stroke-dasharray", angle + ", 20000"); //myTimer.innerHTML = parseInt(angle/360*100) + '%'; if (angle >= 360) angle = 1; angle += angle_increment; .bind(this),interval); , load: function() $('div.loading-block').remove(); clearInterval(Inverval); //$('.repeat-block > .row > div.main-rhs394331').find('div.rhs394331:first').clone().appendTo('.repeat-block >.row > div.main-rhs' + x); $('div.rep-block > div.main-rhs394331 > div:first').clone().appendTo('div.rep-block > div.main-rhs' + x); $('.center-section >.row:last').before('
अगली खबर
'); $(".main-rhs" + x).theiaStickySidebar(); var fb_script=document.createElement('script'); fb_script.text= "(function(d, s, id) var js, fjs = d.getElementsByTagName(s)[0];if (d.getElementById(id)) return;js = d.createElement(s); js.id = id;js.src = "https://connect.facebook.net/en_GB/sdk.js#xfbml=1&version=v2.9";fjs.parentNode.insertBefore(js, fjs);(document, 'script', 'facebook-jssdk'));"; var fmain = $(".sr"+ x); //alert(x+ "-" + url); var fdiv = '
'; //$(fb_script).appendTo(fmain); $(fdiv).appendTo(fmain); FB.XFBML.parse();
xp = "#star"+x;ci=0; var pl = $(xp + " > div.field-name-body > div.field-items > div.field-item").children('p').length; if(pl>3) $(xp + " > div.field-name-body > div.field-items > div.field-item").children('p').each(function(i, n) ci= parseInt(i) + 1; t=this; d = $("
"); console.log("i: " + i + " ci:" + ci + " n:" + n); console.log(this); if(i==2)d.insertAfter(t);fillElementWithAd(d, inarticle1, [300, 250], ); /*if(pl>8) if(i==(pl-2))d.insertAfter(t);fillElementWithAd(d, '/11440465/Zeenews_Hindi_Article_Inarticle_300x250_BTF', [300, 250], ); */ );
//var $dfpAd = $('.center-section').children().find("#ad-"+ x); //console.log($dfpAd); //fillElementWithAd($dfpAd, '/11440465/Zeenews_Hindi_Article_970x90_BTF', [[728, 90], [970, 90]], ); var $dfpAdrhs = $('.main-rhs' + x).children().find('.adATF').empty().attr("id", "ad-300-" + x); //$('.content-area > .main-article > .row > .main-rhs'+x).find('#ad-300-' + x); var $dfpAdrhs2 = $('.main-rhs' + x).children().find('.adBTF').empty().attr("id", "ad-300-2-" + x);//$('.content-area > .main-article > .row > .main-rhs'+x).find('#ad-300-2-' + x); //var $dfpMiddleAd = $('.content-area > .main-article > .row').find('#ar'+x).find('#ad-middle-' + x).empty(); //fillElementWithAd($dfpAdrhs, '/11440465/Zeenews_Hindi_Web/Zeenews_Hindi_AS_ATF_300x250', [[300, 250], [300, 600]], ); //fillElementWithAd($dfpAdrhs2, '/11440465/Zeenews_Hindi_Web/Zeenews_Hindi_AS_BTF_1_300x250', [300, 250], ); //fillElementWithAd($dfpMiddleAd, '/11440465/Zeenews_Hindi_Article_Middle_300x250_BTF', [300, 250], ); var instagram_script=document.createElement('script'); instagram_script.defer='defer'; instagram_script.async='async'; instagram_script.src="https://platform.instagram.com/en_US/embeds.js";
/*var outbrain_script=document.createElement('script'); outbrain_script.type='text/javascript'; outbrain_script.async='async'; outbrain_script.src='https://widgets.outbrain.com/outbrain.js'; var Omain = $("#outbrain-"+ x); //alert(Omain + "--" + $(Omain).length);
$(Omain).after(outbrain_script); var rhs = $('.main-article > .row > div.article-right-part > div.rhs394331:first').clone(); $(rhs).find('.ad-one').attr("id", "ad-300-" + x).empty(); $(rhs).find('.ad-two').attr("id", "ad-300-2-" + x).empty(); //$('.main-article > .row > div.article-right-part > div.rhs394331:first').clone().appendTo('.main-article > .row > div.main-rhs' + x); $(rhs).appendTo('.main-article > .row > div.main-rhs' + x); */
setTimeout(function()
var twit = $("div.field-name-body").find('blockquote[class^="twitter"]').length; var insta = $("div.field-name-body").find('blockquote[class^="instagram"]').length; if(twit==0)twit = ($("div.field-name-body").find('twitterwidget[class^="twitter"]').length); if(twit>0) if (typeof (twttr) != 'undefined') twttr.widgets.load();
else $.getScript('https://platform.twitter.com/widgets.js'); //$(twit).addClass('tfmargin'); if(insta>0) $('.content > .left-block:last').after(instagram_script); //$(insta).addClass('tfmargin'); window.instgrm.Embeds.process(); , 1500); ); /*$("#loadmore").click(function() x=$(next_selector).attr('id'); var url = $(next_selector).attr('href'); disqus_identifier = 'ZNH' + x; disqus_url = url; handle.autopager('load'); history.pushState("https://zeenews.india.com/" ,"https://zeenews.india.com/", url); setTimeout(function() //twttr.widgets.load(); //loadDisqus(jQuery(this), disqus_identifier, disqus_url); , 6000); );*/
/*$("button[id^='mf']").live("click", disqusToggle); function disqusToggle() console.log("Main id: " + $(this).attr('id')); */
var title, imageUrl, description, author, shortName, identifier, timestamp, summary, newsID, nextnews; var previousScroll = 0; //console.log("prevLoc" + prevLoc); $(window).scroll(function() var last = $(auto_selector).filter(':last'); var lastHeight = last.offset().top ; //st = $(layout).scrollTop(); //console.log("st:" + st); var currentScroll = $(this).scrollTop(); if (currentScroll > previousScroll) _up = false; else _up = true; previousScroll = currentScroll; //console.log("_up" + _up);
var cutoff = $(window).scrollTop() + 64; //console.log(cutoff + "**"); $('div[id^="row"]').each(function() //console.log("article" + $(this).children().find('.left-block').attr("id") + $(this).children().find('.left-block').attr('data-url')); if($(this).offset().top + $(this).height() > cutoff) //console.log("$$" + $(this).children().find('.left-block').attr('data-url')); if(prevLoc != $(this).children().find('.left-block').attr('data-url')) prevLoc = $(this).children().find('.left-block').attr('data-url'); $('html head').find('title').text($(this).children().find('.left-block').attr('data-title')); pSUPERFLY.virtualPage(prevLoc,$(this).children().find('.left-block').attr('data-title'));
//console.log(prevLoc); //history.pushState("https://zeenews.india.com/" ,"https://zeenews.india.com/", prevLoc); loadshare(prevLoc); return false; // stops the iteration after the first one on screen ); if(lastHeight + last.height() Source link
0 notes
allshiksha · 5 years
Text
69000 शिक्षक परीक्षा के परीक्षार्थियों को बधाई, कामयाबी मिलेगी - रविश कुमार
रविश कुमार - 69000 शिक्षक परीक्षा के परीक्षार्थियों को बधाई
उत्तर प्रदेश में #69000_शिक्षक_भर्ती की बहाली से जुड़े परीक्षार्थियों ने अपनी लोकतांत्रिकता का अच्छा परिचय दिया है। अदालती तारीख़ों में परीक्षा का परिणाम सात-आठ महीनों से फंसा है। मैं इस परीक्षा से जुड़े छात्रों के प्रदर्शनों की तस्वीरें देखता रहता हूं। रविवार को एक तस्वीर मिली जिसमें बहुत सारी लड़कियां अपने हाथ ऊपर की हुई हैं। सबने अपने हाथ जोड़े हैं ताकि सामने खड़ी पुलिस लाठी न बरसाए। उनकी इस अपील का पुलिस पर असर भी हुआ। राज्य की क्रूरताओं का सामना करने का नैतिक बल गांधी जी देकर गए हैं। यह वही नैतिक बल है जिसके दम पर लड़कियों ने अपनी और साथी लड़कों की रक्षा की। प्रदर्शन की इन तस्वीरों में शामिल लड़कों और लड़कियों की प्रतिबद्धता की सराहना करना चाहता हूं। वीडियो और तस्वीरों में लड़के लड़कियां आपस में घुलकर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। मेरे लिहाज़ से यह सुंदर तस्वीर है। मुझे इन परीक्षार्थियों पर गर्व है। सलाम। इस आंदोलन की अच्छी बात है कि सभी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों से आए हैं और हाथ में तख़्ती बैनर लेकर आए हैं। इस वक्त में जब मीडिया की प्राथमिकता बदल गई है ये छात्र- छात्राएं अलग-अलग ज़िलों से आकर प्रदर्शन कर रहे हैं। सुखद बात यह भी है कि इस आंदोलन में लड़कियां भी अच्छी संख्या में आई हैं। शायद सभी पहली बार मिल रहे होंगे। लड़कियां भी आपस में धरना स्थल पर मिल रही होंगी। इनका कहना है कि सरकार ने जो पात्रता तय की है उसी के अनुरूप परीक्षा पास कर चुके हैं। जब सरकार ने फार्म निकाला तो परीक्षा की तारीख में मात्र में एक महीने का वक्त दिया। अब रिज़ल्ट आने में आठ महीने की देरी क्यों हो रही है। अपने रिज़ल्ट की मांग को लेकर छात्रों ने लखनऊ स्थित एस सी ई आर टी के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन चला। आठ महीने से ये छात्र परीक्षा के परिणाम का इंतज़��र कर रहे हैं। अदालत में आठ बार तारीख़ बढ़ ��ुकी है। सात सुनवाई में महाधिवक्ता गए ही नहीं। इसलिए सुनवाई नहीं होती है और तारीख़ बढ़ जाती है। शिक्षा मित्र कोर्ट गए और जीत गई। सरकार इस फैसले को लेकर डबल बेंच गई। शिक्षा मित्रों को पिछली नौकरी के कारण ग्रेस मार्क मिले हैं जिसके कारण नई परीक्षा में ज़्यादा अंक लाने वाले छात्र पिछड़ गए। इस कारण मामला अदालत में चला गया। धरने में शामिल छात्र कोर्ट से हार गए लेकिन अब वे चाहते हैं कि सुनवाई जल्दी हो और परिणाम आए। मार्च 2019 में सिंगल बेंच का फैसला आया था। इस परीक्षा के परीक्षार्थियों का समूह कहता है कि मार्च के आदेश से 110 नंबर लाने वाले छात्र बाहर हो जाएंगे। सरकार ने परीक्षा के बाद पैमाना बनाकर गलती की। उनकी यह बात ठीक लगती है। तो जो समझ आया कि इस परीक्षा के परीक्षार्थियों में दो समूह हैं। दोनों आमने सामने है। सरकार फैसले के ख़िलाफ़ डबल बेंच चली गई है। डबल बेंच की सुनवाई के लिए सरकार की तरफ से महाधिवक्ता उपस्थित नहीं हो रहे हैं। 19 सितंबर को सुनवाई है। मीडिया ने इन छात्रों ने अपनी सीमा से बाहर कर दिया है। ये छात्र भी मीडिया के खेल को समझने लगे हैं। मीडिया को भरोसा है कि ये छात्र उसके हिन्दू मुस्लिम प्रोपेगैंडा के सवर्था गुलाम हैं तो वह ग़लत है। फिर भी मीडिया का कारोबार जनता के बग़ैर चल जाता है। तस्वीरों में छात्रों को देखकर भरोसा हुआ कि अभी सब नहीं मरे हैं न ग़ुलाम हुए हैं। भले ही इन लोकतांत्रिक प्रदर्शनों की चर्चा दिल्ली या कहीं और नहीं हैं मगर मैं इन्हें देखकर उत्साहित हूं। नागरिक बनने की प्रक्रिया छोटे से ही समूह में सही मगर जारी है। अंत में सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए उसके सामने खड़ा होना ही पड़ता है। 69000 शिक्षक बहाली के छात्रों ने करके दिखा दिया है। कृपया मीडिया की भूमिका पर गंभीरता से विचार कीजिए जो शर्मनाक हो चुका है। 27 अगस्त को इन्होंने पहला धरना दिया था। 11 और 12 सितंबर को 36 घंटे का प्रदर्शन किया। इस परीक्षा में चार लाख से अधिक परीक्षार्थी रिज़ल्ट का इंतज़ार कर रहे हैं। संख्या के लिहाज़ से थोड़ा निराश हूं। काश सभी चार लाख शामिल होते। अगर कोई आर्थिक मजबूरी के कारण धरना में शामिल नहीं हो सका तो उसे छूट मिलनी चाहिए लेकिन जो लोग घर बैठकर स्वार्थ और चतुराई के कारण नहीं आए उन्हें समझना चाहिए कि उनके जैसे ही लोग हैं जो लोकतंत्र की आकांक्षा को कमज़ोर कर रहे हैं। वे घर बैठे लड्डू खा लेना चाहते हैं। फिर भी ऐसे स्वार्थी लोगों की परवाह न करते हुए चंद सौ लोगों ने जो बीड़ा उठाया है वह इस वक्त की सुंदर तस्वीर है। हो सकता है कि रिज़ल्ट आने पर धरना-प्रदर्शन में शामिल कुछ का चयन न भी हो लेकिन तब भी उन्होंने एक जायज़ हक़ की लड़ाई लड़ी है और यह लड़ाई जीवन भर काम आएगी। उनके भीतर का भय छंटा है। उम्मीद है संघर्ष के दौरान लड़के-लड़कियों ने कुछ सीखा होगा। राज्य व्यवस्था की बेरूख़ी को महसूस किया होगा। जिन सरकारों को हम धर्म या झूठ के आधार पर चुन लेते हैं या सही समझ के आधार पर चुनने के बाद भी ठगे जाते हैं, उनके सामने खड़े होने का यही एकमात्र जायज़ रास्ता है। अहिंसा और धीरज का रास्ता। मुझे भरोसा है कि आपने प्रदर्शन के दौरान अपने अकेलेपन को महसूस किया होगा। आपके भीतर झूठ पर आधारित अंध राष्ट्रवाद भरा गया। सांप्रदायिकता ने आपको खोखला कर दिया है। वो अब भी आप सभी के भीतर है। आपने अभी तक उसे अपने कमरे से बाहर नहीं निकाला है। इसलिए नागरिकता और लोकतांत्रिकता के इस बेजोड़ प्रदर्शन के बाद भी राज्य का चेहरा नहीं बदलेगा। क्योंकि आप ही नहीं बदले। किसी भी प्रदर्शन की प्रासंगिकता सिर्फ परिणाम तक नहीं सीमित नहीं होनी चाहिए। अगर आप और सरकार की न बदले तो वह यातना दूसरे परीक्षार्थियों पर जारी रहेगी। काश अच्छा होता कि आपके प्रदर्शन में दूसरी परीक्षाओं के पीड़ित भी शामिल होते या आप भी उनके छोटे प्रदर्शन में शामिल होकर बड़ा कर देते और राज्य के सामने एक सवाल रखते कि आखिर कब हमें पारदर्शी और ईमानदार परीक्षा व्यवस्था मिलेगी? आपके भ���तर का स्वार्थ राजनेताओं के काम आ रहा है। आपको एक दिन इस अंध राष्ट्रवाद के खेल को समझना ही होगा। आप नौजवानों से मुझे कोई शिकायत नहीं। उम्मीद भी नहीं है। मैं इसका कारण जानता हूं। आपके साथ धोखा हुआ। जौनपुर, संभल या गाज़ीपुर या उन्नाव हो, वहां के स्कूलों और कालेजों को घटिया बना दिया गया। क्लास में अच्छे शिक्षक नहीं रहे। आपका छात्र जीवन बेकार गया। काश आपको अच्छी और गुणवत्तावाली शिक्षा मिली होती तो आप और लायक होते और देश और सुंदर बनता। इन हालातों में बदलाव के कोई आसार नहीं है। बस एक झूठी उम्मीद पालने की ग़लती करूंगा। आपमें से जब कोई शिक्षक बनेगा तो अच्छा और ईमानदार शिक्षक बनेगा। ख़ुद भी पढ़ेगा और छात्रों के आंगन को ज्ञान से भर देगा। ऐसा होगा नहीं फिर भी उम्मीद करने में क्या जाता है। फिलहाल प्रदर्शनों के प्रति आपकी प्रतिबद्धता के लिए बधाई देना चाहूंगा। आपने बेज़ान और डरपोक होते इस लोकतंत्र में जान फूंक दी है। ये पोस्ट यहाँ से लिया गया है
0 notes
jumpsitehq · 6 years
Text
Hindi Status Love, Funny, Attitude Whatsapp Status
Check out the collection of best Hindi status in one line for WhatsApp. Make your WhatsApp and facebook profile amazing then use these best Hindi status provide by Status & Quotes Don’t copy other person’s status if you liked it, Why copy when you can get best latest statuses daily at our website Status & Quotes. Set a status, come back and update from our ever-expanding list of best Hindi status. We also have a great collection of Gujarati Status.
Hindi Status Love, Funny, Attitude
“Aap Lehro ko to rokh nahi sakte, but Tairna Jarur sikh sakte hai.! “ “बन्दे के पास अगर जिगर हो तो बिना ट्रिगर के भी दुश्मनो की VAT लगायी जा सकती है |” “टूटे मक़ान वाला, दिल में ताजमहल रखता हूँ, बात गहरी मगर अल्फ़ाज़ सरल रखता हूँ.” “Tum kise or se ishq kr lo hame sudharne me time lagega.” “देख पगली दिल मेँ प्यार होना चाहिए… धक-धक तो Royal Enfield Bulletभी करता है.” “Aagar koi cheej pane ke lye mahent kare to …Ik din jaror Mil jate Hai.” “Tere Milnese Dil ko zubaan, aankhon ko sapne mil gaye.” “जो मेरे से जले … ज़रा साइड से चले ..” “Itna na sataya kar ke raat bhar na so sake hum, Subah ko surkh ankhon ka sabab pochte hain log.” “लाख‬ दिये ‪‎जलाले‬ अपनी ‪‎गली‬ मे..? मगर ‪रोशनी‬ तो ‪हमारे‬ आने से ही ‪‎होगी‬.” “मैं चीज़ Original, तू जाली Note है… तेरी Body से ज़्यादा, मेरी DP Hot है |” “Aqal badam khane se nahi thokar khane se aati hai.” “Zindagi Rude Hai Toh Kya Hua…Hum Bhi Toh Dude Hai…” “क्या मज़ा जीने में … जब तक आग ना लगे दुश्मन के सीने में..” “Apni yaadon se kaho ek din ki chutti de mujhe… Ishq ke hisse mein itwaar to hona chahiye..” “इंसान सिर्फ आग से नहीं जलता, कुछ लोग तो हमारे अंदाज से जल जाते है।” “Yaaro Ki Mehfil Aise Jamaite Hai, Kholne Se Pehle Botal Hilaite Hai…” “सुन ‪‎पगली‬ जैसा तू ‪‎सोचती‬ हो, वैसा मै हूँ नहीं और ‪‎जैसा‬ मै हूँ ना, वैसा तू ‪सोच‬ भी नही सकती..” “गुनाह करके सजा से डरते है, ज़हर पी के दवा से डरते है. दुश्मनो के सितम का खौफ नहीं हमे, हम तो दोस्तों के खफा होने से डरते है.” “जब स्टेटस कॉपी होने लग जाए तो समझ लो तरक्की कर रहे हो.” “लड़की की Hansi और कुत्ते की Khamosi पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए |” “बन्दे का attitude cool होना चाहिए hot तो radio mirchi FM भी है |” “Phone ke rishte bhi ajib hote hai. Balance rakhkar bhi log garib hote hai Khud to msg karte nahi hai, Muft ke msg padhne ke kitne shauqin hote hai…” “कुछ लोग मुझे अपना कहा करते थे.. सच कहूँ तो वो सिर्फ कहा करते थे..” “Kaash tum mout hoti….Toh ek din jaroor meri hoti.” “Jis pal aap Dil se muskuraoge, apni hasi mein hamari jhalak paoge, na samjhna ki saath chhod diya humne, Dil ki nazron se dekhna hamein, hamesha apne paas paoge…” “जिंदगी मै सिर्फ़ दो ही नशा करना, जीने के लिए यार और मरने के लीये प्यार..” “जलो वहाँ जहाँ जरूरत हो….. उजालों में चिरागों के कोई मायने नहीं होते |”
Status in Hindi
“ज़िंदगी भी विडियो गेम सी हो गयी है, साला एक लैवल क्रॉस करो तो अगला लैवल और मुश्किल आ जाता हैं..” “Aksar Diya wohi bhujate hai … jo pehle usse Rosan karte hai.” “लड़की पटानी और दुश्मनों को धूल चटानी अब तो आदत हो गयी है हमारी” “खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है…” “Main marne k liye nahi peeta…Main to peene k liye marta hun Hamesha.” “ये दुनिया अक्सर उन्हें सस्ते में लूट लेती है, खुद की क़ीमत का जिन्हें अंदाजा नहीं होता” “ए मुसीबत जरा सोच के आ मेरे करीब कही मेरी माँ की दुवा तेरे लिए मुसीबत ना बन जाये….” “Takleef to zindagi deti hai maut ko to log vase hi badnaam karte rehte hai.” “बस इतना ही चाहिये तुजसे ऐ जिंदगी…कि जम़ीन पर बैठूँ तो लोग उसे मेरा बडप्पन कहें, औकात नहीं |” “मैं उस किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ, वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए” “Attitude तो बचपन से है, जब पैदा हुआ तो डेढ़ साल मैंने किसी से बात नही कि |” “कुछ लोग इतने ढीठ होते हैं कि जितना मर्जी उनको भाड़ में भेज दो वापिस आ ही जाते हैं।” “कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते, पर अमीर जरूर बना देते हैं.” “तुम्हारा दिल है या किसी मंत्री का इस्तीफा, कब से मांग रहा हूँ, दे ही नहीं रही हो..” “Aapki Aankho Mai Aaj Nami Dekhi. Tumhari Jindagi Ke Liye Kisi Ki Kami Dekhi.” “Akela aaya tha akela he jauga, Aaj Haara hu ek na ek din jeet k Dikhauga.” “एक शराब की बोतल दबोच रखी है…. तुजे भुलाने की तरकीब सोच रखी है…..” “Ab aur nahi hoti ishq ki ghulami, humse Usse kaho kise hor ki ho jaye..!” “प्यार का रिश्ता भी कितना अजीब होता है। मिल जाये तो बातें लंबी और बिछड़ जायें तो यादें लंबी।” “अभी तो इश्क़ हुआ है… ‘मंज़िल’ तो मयखाने में मिलेगी…!” “सुधरी हे तो बस मेरी आदते… वरना मेरे SHOKH.. वो तो आज भी तेरी औकात से ऊँचे हैं…!!!” “आप जिस पर आँख बंद करके भरोसा करते हैं, अक्सर वही आप की आँखें खोल जाता है.” “तुम मुझे अच्छे या बुरे नहीं लगते बस अपने लगते हो..!! “Shadi khud ki GF se Karni Chahiye…dusro ki GF se to Ghar Wale bi karwa dete hai! “हम से उलझने से पहले हमारा इतिहास जान लेना.. सीधा चेहरा इतिहास गहरा..”
Status for Whatsapp in Hindi
“तु क्या हमारी बराबरी करेगी ‪‎पगली” “हमारी तो नींद में खींची हुई फ़ोटो भी लोगों की लिए “पोज़ बन जाती है..।” “अपनी सुरत पर इतना मत इतरा Pagli ये तो चार दिन की हस्ती है, तेरी सुरत भी तब तक मस्त है, जब तक Fair & Lovely सस्ती है…” “कहानीयो के हकदार नही, इतिहास के वारसदार हैं हम !!!!” “माना कि तेरी एक आवाज से भीड़ हो जाती है, लेकिन हम भी कुछ कम नहीं, हमारी एक आवाज से पूरी भीड़ बिखर जाती है” “ऐसा कोई शहर नहीं, जहा अपना कहर नहीं, ऐसी कोई गली नहीं जहा अपनी चली नहीं..” “Hamari Nazro‬ se zyada Umeed‬ mat kar Pagli‬, Kyu ki ‎Pyaar se Dekhna‬ to hamari Bachhpann‬ ki Aadat‬ hai.” “अपने हसीन होंटो को किसी पर्दे से छिपा लिया करो, हम जरा गुस्ताख़ लोगो मैं से है, नज़रो से चुम लिया करते है….” “हमें पाना हर किसी के बश में नहीं, Pagali तेरा नसीब ही खराब है जो तेरे नसीब में हम नहीं…” “Attitude का अंदाजा यही से लगा लो तुम player बनना चाहते हो और मैं game changer.” “‪‎PAGLI‬ tu ‪Attittude‬ ki baat mat kar, Kyuki ki jis ‪Hospital‬ main tu ‪blood‬ test karwati hain wo hi mera ‪‎Attitude‬ test karte hai.” “न कहा करो हर बार की हम छोड़ देंगे तुमको, न हम इतने आम हैं, न ये तेरे बस की बात है…!!” “तेवर तो हम वक्त आने पे दिखायेंगे.… शहर तुम खरीदलो उस पर हुकुमत हम चलायेंगे…!!!” “LOL se nahi tere hoton se LAAL hona cahata ho.” “Naya Naya hai tu bete maine khel purane khele hai ! Jin logo ke dam par uchalata hai tu…Mere purane wo chele hai…” “AττiTυdΣ‬ तो ‪अपना‬ भी ‪‎खतरनाक‬ है ‪…जिसे‬ भुला ‪दिया‬ सो ‪‎भुला‬ दिया…… ‪फिर‬ एक ‪ही‬ शब्द ‪याद‬ रहता है…. ‪‎Wнo are ㄚou ???” “Status Samaj me aya to acha he, warna tu bacha he! “भाई की पहोंच दिल्ली से लेकर कब्रस्तान तक हैं, आवाज दिल्ली तक जाती हैं ओर दुश्मन कब्रस्तान तक ।” “फैसला हो जो भी, मंजूर होना चाहिए … जंग हो या इश्क, भरपूर होना चाहिए …” “Stay संस्कारी” “मेरी खामोसी को कमजोरी ना समझ ऐ काफिर…गुमनाम समन्दर ही खौफ लाता है ।” “अगर नींद आ जाये तो सो भी लिया करो…. रातों को जगने से मोहब्बत लोटा नहीं करती |” ‪”तेरी Pic देख कर ज़माना रुक जाता है, पर मेरी Pic देख कर ज़माना झुक जाता है…” “अकड़ती जा रही है हर रोज गर्दन की नसें, मुझे आज तक “नहीं आया हुनर सर जुकाने का |” “हम बुरे ही भले अब.. जब अच्छे थे तब कौन से मैडल मिल गए |”
Whatsapp Status Hindi
“‪ऐ पगली… तेरे Jewar से कीमती मेरे Tewar है…” “हमारी गोली जान नही लेती बोस…दुसरो के अन्दर जानवर जगा देती हे ।” “अगर कोई Girl हमें Purpose करती है तो, उसे हम Reject करते है, लेकिन उसकी Choice को हम Salute करते हैं |” “वकत से लड़ कर जो अपना नसीब बद्ल ले..इन्सान वोही जीतता है जो अपनी तकदीर बदल ले..कल क्या होगा ये कभी मत सोचो..क्या पता कल वक्त ही अपनी तस्वीर बदल ले…” “पसंद आया तो दिल में रखता हूँ, नहीं तो दिमाग में भी नहीं |” “मोहबत है इसलिए जाने दिया …. ज़िद होती तो बाहों में ले लेते |” “हमारी रगों में वो खून दोड़ता है, जिसकी एक बूंद अगर तेजाब पर गिर जाये तो तेजाब जल जाये…” “कुत्ते भोंकते हे अपना वजूद बनाये रखने के लिये…और लोगो की खामोशी हमारी मौजूदगी बया करती हे ।” “कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ, फीर भी हमें ग़म नहीं, वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं बाँट दिया करते है |” “आदत नई हमे पीठ पीछे वार करने की !! दो शब्द काम बोलते है पर सामने बोलते है |” “Apun ki Zindagi taas ke Ikke ki tarah hai, Jiske bagair Badshah aur Rani dono adhure hai “ “बादशाह नहीं बाजीगर से पहचानते है लोग….क्यूकी…हम रानियो के सामने झुका नहीं करते….!!” “ना पिस्तोल रखता हूँ, ना छूरी रखता हूँ, दिलवालों का बेटा हूँ, बद दिल में जीगर रखता हूँ |” “दिमाग कहता है मारा जायेगा लेकिन दिल कहता है देखा जाएगा |” “Khel Taas ka ho ya Zindgi ka, Apna Ikka tab hi dikhauga jab samne Badshah hoga. “ “मेरी सोच और मेरी पहचान, दोनो ही तेरी औकात से बाहर है |” “प्यार करता हु इसलिए फ़िक्र करता हूँ, नफरत करुगा तो जिक्र भी नही करुगा |” “गन्दगी में तो हम सभी हैं, पर कुछ ऐसे भी हैं जो केवल सितारों को ही देखते हैं।” “Apni marjee se to muje ‘Khaak’ bhi manjur hai, Teri sharton par to ‘Taj’ bhi manjur nahi.” “बात” उन्हीं की होती है, जिनमें कोई “बात” होती है..!” “रियासते तो आती जाती रहती हे, मगर बादशाही करना तो…आज भी लोग हमसे सीखते हे |” “Hum us unchai par hai, Jahan tere sar se jyada unchai par hamare panv hai.” “Dosto, Izzat kiya karo hamari, Varna Girl Friend pata lenge tumhari…” “रोज स्टेटस बदलने से जिंन्दगी नहीं बदलती,जिंदगी को बदलने के लिये एक स्टेटस काफी है |” “अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया, जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती।” “Hamari Gustakhi ki had mat puch, Hum Jamin par aayina rakh kar Aashmaan kuchal dete hai. “
Best Status in Hindi
“क्या ओकात है तेरी ए जिन्दगी …चार दिन की मोहब्बत तुझे बरबाद कर देती है..” “इरादे सब मेरे साफ़ होते हैं…….इसीलिए, लोग अक्सर मेरे ख़िलाफ़ होते हैँ…!!!” “हथियार तो सिर्फ सोंख के लिए रखा करते हे ,खौफ के लिए तो बस नाम ही काफी हे |” “सुधरी हे तो बस मेरी आदते… वरना मेरे शौक.. वो तो आज भी तेरी औकात से ऊँचे हैं…!!!” “हमारे जीने का तरीका थोड़ा अलग है,हम उमीद पर नहीं अपनी जिद पर जीते है | “जिंदगीमें बडी शिद्दत से निभाओ अपना किरदार, कि परदा गिरने के बाद भी तालीयाँ बजती रहे….|” “एक वो हैं, जो हमारी बात समझते नहीं…और यहाँ जमाना हमारे स्टेटस पढ़कर, दीवाना हुआ जा रहा है.” “Jab mein rooth jau to tum muje mana lena, Kuch mat kehna bas sine se laga lena…!!” “Teri Yaadon Se Hi Zindagi Mein Khushi Hai, Isliye Apni Nahi Teri Zindagi Ki Dua Karta Hun..” “आज तो हम खूब रुलायेंगे उन्हें, सुना है उसे रोते हुए लिपट जाने की आदत है!” “तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना,हम ‘जान’ दे देते हैं मगर ‘जाने’ नहीं देते !!” “Hum ne Gulami toh tere ishq ki thi… Warna hum pehle bhi nawab the or aaj bhi hai Nawab hai..!!” “Nahi fursat, yakeen mano hume kuch aur karne ki, Teri batein, teri vo yaadein bahut mashroof rakhti hain..” “Aapko jo dekha hmne, mano zindagi mil gayi hai Aapka pyar paya humne, mano jannat mil gayi hai..” “Woh बस मेरी हो जाये फिर मुझे ज़्हिंदगी से कुछ नहीं चाहिए |” “Wo Mohabbat ke saude bhi ajeeb karti hai, Bus muskurati hai aur dil chura leti hai..” “धडकनों को कुछ तो काबू में कर ए दिल अभी तो पलकें झुकाई है मुस्कुराना अभी बाकी है उनका.” “प्यार 💏 करना सिखा है….नफरतो का कोई ठौर नही, बस तु 👈 ही तु है इस दिल मे….. दूसरा कोई और नही.” “मेरी हर Subeh बेहतरीन होगी अगर वो सुभह आप की बहो में आँख खुले तो !” “Dard dilon ke kam ho jaate…Main aur Tum agar hum ho jaate…” “उसके रूठने 😏 की अदायें भी, क्या गज़ब की है, बात-बात पर ये कहना, सोंच लो.. फ़िर मैं बात नही करूंगी.” “Agar Khuda ne Tumhe thoda aur Khubsurat bnaya hota, To Jarur Apne hi Pass rakh liya hota.”
Hindi Status for Whatsapp
“होंठ तो मेरे है,पर मुस्कान ☺ तुम्हारी क्यों हे,,लब्ज़ तो मेरे हे..!फिर उन पर बातें तुम्हारी क्यों हे ?” “Tere Chehre Ki Chamak Sada Bani Rahe, Hansi In Labon Pe Hamesha Saji Rahe.” “क्या पता था कि महोब्बत 💏 हो जायेगी, हमें तो बस तेरा मुस्कुराना 😃 अच्छा लगा था.” “Love doesn’t need to be perfect.It needs to be True..!” “लोग कहते हैं कि मेरी पसंद खराब है, 🙍 लेकिन फिर भी मैं तुम्हें पसंद करता हूं.” “मुझसे नफरत 😡 ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना, जरा से भी चुके तो महोब्बत 💞 हो जायेगी.” “तू मिले या ना मिले ये तो और बात है, मैं कोशिश भी ना करूँ, ये तो गलत बात है |” “Someone asked me, How’s life,,?.I just smiled & replied, She’s fine.” “मेरी दिल की दिवार पर तस्वीर हो Teri,,और तेरे हाथों में हो तकदीर मेरी. “जिंदगी की राहों में मुस्कराते 😊 रहो हमेशा, क्योंकि उदास दिलों 💘 को हमदर्द 💖 तो मिलते हैं, हमसफ़र 💑 नहीं. |” “Ansu humari ankho ki kaad me thai,Bas teri yaad aye or inhe zamanat mil gai…” “ये आशिको का ग्रुप है जनाब..!! यहाँ दिन सुरज से नही, दीदार से हुआ करते है !!” “सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो,मुझे भी अपनी जिद्द बना लो !!” “अगर हम सुधर गए तो उनका क्या होगा जिनको हमारे पागलपन से प्यार है |” सोचता हु हर कागज पे तेरी तारीफ करु, फिर खयाल आया कहीँ पढ़ने वाला भी तेरा दीवाना ना हो जाए।”
0 notes
globalexpressnews · 6 years
Photo
Tumblr media
राहुल का उपवास या उपवास का उपहास? क्या एक घंटे या चंद घंटों के उपवास को उपवास मानेंगे? दलित उत्पीड़न के विरुद्ध देश भर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से उपवास रखने की अपील करने वाले राहुल गांधी राजघाट पर एक बजे अनशन के लिए पहुंचे. थोड़ी देर बाद उनका अनशन ख़त्म हो गया. अनशन का अंतराल बस उतना ही था जितना नाश्ते और खाने के बीच होता है या खाने और शाम के नाश्ते के बीच. यह अनशन नहीं, अनशन का मज़ाक था. इस ढंग से तो पूरा हिंदुस्तान अनशन करता है. कुछ लोग तो रोज़ इससे भी लंबा उपवास रखते हैं. इस मजाक से जुड़ी त्रासदी को समझना हो तो याद करना उचित होगा कि कुछ को उनकी जीवन स्थितियां दिन भर के अनशन के लिए मजबूर करती हैं. इस देश के करोड़ों बच्चे रोज़ रात को भूखे सोते हैं. चंद घंटों का यह अनशन इन सबका अपमान था. इससे ज्यादा वह उपवास की उस धारणा का अपमान था जो गांधी ने जोड़ी थी. गांधी जी का उपवास किसी राजनीतिक प्रदर्शन या प्रतिशोध के लिए नहीं होता था. वे अपनी बात मनवाने के लिए अनशन नहीं करते थे. उपवास उनके लिए आत्मशुद्धि का यज्ञ था. इस बात को उन्होंने एक बार नहीं, बार-बार दुहराया था. उनका पूरा राजनीतिक जीवन ऐसे ही उपवासों से पटा पड़ा था. आख़िरी उपवास उन्होंने मृत्यु से कुछ रोज़ पहले किया था. 13 जनवरी, 1948 को यह उपवास शुरू करने से पहले उनकी ओर से एक वक्तव्य जारी किया गया. उन्होंने कहा था, 'मैं उम्मीद करता हूं कि मुझमें उपवास करने लायक पवित्रता होगी. उपवास कल सुबह (मंगलवार) पहले खाने के बाद शुरू होगा. उपवास कब तक चलेगा, यह अनिश्चित है. नमक या खट्टे नींबू के साथ, या इन चीज़ों के बिना पानी पीने की छूट मैं लूंगा. मैं अपना उपवास तब तोड़ूंगा जब मुझे यक़ीन हो जाएगा कि सब क़ौमों के दिल मिल गए हैं और वह बाहर के दबाव के कारण नहीं, बल्कि अपना धर्म समझने के कारण ऐसा कर रहे हैं.' साफ है कि गांधी जी किसी पर दबाव नहीं बना रहे थे. जनता से उनकी अपेक्षा थी कि वह अपने-आप को बदले और अंततः अपने अंतःकरण को इतना शुद्ध करे कि उसमें इस झगड़े की गुंजाइश नहीं रह जाए. इसके लिए गांधी जी ख़ुद को भी कसौटी पर कसते थे. यही वजह थी कि गांधीजी के अनशन को यह देश बिल्कुल अपनी देह पर महसूस करता था. उनके साथ इस अनशन पर हज़ारों लोग बैठ गए. अगले चार दिन तक उनकी अपील को लेकर जगह-जगह सभाएं चलती रहीं. 18 तारीख़ को अलग-अलग हिंदू और मुस्लिम संगठनों के सौ से ज़्यादा लोग उनसे मिले. इसके बाद उन्होंने उपवास तोड़ा. गांधी की यह निष्ठा उनको बिल्कुल पूरी सेना के बराबर बनाती थी. 1947 के जलते दिनों में वे आज़ादी का जश्न बनाने के लिए दिल्ली में नहीं, ज़ख़्मों पर मलहम लगाने के लिए बंगाल में थे. उनकी भूमिका को लेकर माउंटबेटन ने उनको तार किया था, 'प्रिय गांधी जी, पंजाब में हमारे पास 55,000 सैनिक थे और बड़े पैमाने पर दंगे हुए. बंगाल में हमारी ताक़त बस एक आदमी की थी और दंगे नहीं हुए.' बहरहाल, मौजूदा अनशन पर लौटें. दलितों के विरुद्ध अत्याचार के सवाल पर उपवास की राजनीति अपने-आप में बुरी नहीं है. लेकिन इस उपवास के लिए ज़रूरी था कि कांग्रेस या राहुल गांधी यह भरोसा दिलाएं कि वे इस उपवास और दलित उत्पीड़न को लेकर संजीदा हैं. राहुल ने इसके पहले कई अवसरों पर दलित-संघर्ष के प्रति अपने संवेदनशीलता जाहिर की है. यही नहीं, दलित उत्पीड़न के मामलों में वे अपनी सरकारों को भी घेरते रहे हैं. मिर्चपुर में दलितों के घर जलाए जाने पर उन्होंने हरियाणा के दलित विधायकों से बात की और अपनी ही तत्कालीन सरकार के लिए असुविधाजनक स्थितियां पैदा कर दीं. हाल में संपन्न हुए गुजरात चुनावों में भी कांग्रेस ने दलित एजेंडा साथ लिया और जिग्नेश मेवाणी के लिए सीट छोड़ी. इस बार भी एससी-एसटी ऐक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई ढिलाई के तत्काल बाद कांग्रेस सक्रिय हुई और उसने सरकार से पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग की. कुल मिलाकर यह नज़र आता है कि दलितों के उत्पीड़न के विरुद्ध लड़ाई में नेतृत्व के स्तर पर वह पहले से कहीं ज़्यादा ईमानदार है. सोमवार का राष्ट्रव्यापी अनशन भी कांग्रेस की इसी दलितोन्मुख राजनीति का ही विस्तार था. लेकिन राजघाट पर अनशन के नाम पर जो तमाशा हुआ, उसने याद दिलाया कि कांग्रेस को अपनी कार्यशैली और कार्यसंस्कृति को फिर से बदलने की ज़रूरत है. हर विरोध या प्रदर्शन को सिर्फ़ दिखावे और प्रतीक तक बदलने की राजनीति अमूमन आत्महंता साबित होती है. क्योंकि इससे यह संदेश जाता है कि ऐसी राजनीति करने वालों को अपने मक़सद पर ही यक़ीन नहीं है. कांग्रेस ने आज लगभग यही साबित किया. उसके नेताओं ने अनशन से पहले छोले-भटूरे खाए और फिर कुछ घंटे के लिए राजघाट पर बैठ गए. जब सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर वहां पहुंच गए तो उनको मंच से हटाया गया. लेकिन सच यह है कि अब तक कांग्रेस अपने इन दो नेताओं को लेकर अपनी नीति तय नहीं कर सकी है. कुल मिलाकर इन सबके बीच यह पूरा अनशन एक राजनीतिक तमाशे में बदलता दिखा. बीजेपी भी ऐसे तमाशे करती रही है, लेकिन वह ज़्यादा सयाने तरीक़े से ऐसे काम करती है. कांग्रेस और राहुल अगर वाकई 2019 में बीजेपी को रोकना चाहते हैं तो उन्होंने कहीं ज़्यादा फौलादी इरादे दिखाने होंगे, कहीं बेहतर और सुचिंतित रणनीति पर विचार करना होगा और उपवास भी ऐसा करना होगा जो उपवास की तरह लगे, उपहास की तरह नहीं. टिप्पणियां
0 notes
yarokiyari · 7 years
Photo
Tumblr media
अरुणाचल प्रदेश. बहुत संभावना है कि आपने इस राज्य का नाम आखिरी बार सोशल स्टडीज़ की किताब में पढ़ा हो. या एक दो-बार और. अपने यहां आदमी की नज़र पूरब में सिर्फ बंगाल तक जा पाती है. उसके बाद का सब नॉर्थ-ईस्ट है. कोई ‘खबर’ आती है तो हमारा ध्यान जाता है कि वहां आठ राज्य हैं. ताज़ा खबर आई है अरुणाचल प्रदेश से. यहां के राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान (NIT) के छात्र पिछले 7 सालों से बिना कैंपस पढ़ाई करने पर मजबूर हैं. आजिज आकर NIT के बच्चे 9 अक्टूबर, 2017 से प्रदर्शन कर रहे हैं. इनकी मांग है कि जिन सुविधाओं का वादा कॉलेज ने एडमिशन के वक्त किया गया था, वो उन्हें मिलें – पढ़ने लायक क्लासरूम और रहने को हॉस्टल. लेकिन प्रदर्शन के बाद उन्हें मिली धमकियां और पुलिस रिपोर्ट. NIT के छात्रों ने मांग रखी थी कि मानव संसाधन मंत्रालय की टीम कॉलेज का दौरा करे और उनकी समस्या सुने NIT के छात्रों ने मांग रखी थी कि मानव संसाधन मंत्रालय की टीम कॉलेज का दौरा करे और उनकी समस्या सुने क्यों परेशान हैं छात्र? साल 2010 में केंद्र सरकार ने 10 नए NIT खोले. इनमें से एक अरुणाचल प्रदेश में भी था. तय किया गया कि कॉलेज के लिए कैंपस ईटानगर से 35 किलोमीटर दूर जोते में बनाया जाएगा और उसके तैयार होने तक पढ़ाई युपिया में एक अस्थायी कैंपस में होगी. जोते कैंपस का काम 2012 में शुरू हो गया था, लेकिन उसका आधिकारिक शिलान्यास तब के मानव संसाधन मंत्री एमएम पल्ल्म राजू ने 10 फरवरी 2013 को किया. कहा गया कि 800 करोड़ की लागत से कैंपस 2015 में बना लिया जाएगा. लेकिन नए कैंपस का अब तक कोई अता-पता नहीं है. अरुणाचल टाइम्स की खबर है कि दिसंबर 2016 में राज्य के सीएम पेमा खांडू खुद जोते कैंपस गए थे. काम की रफ्तार देखकर उन्होंने कॉलेज प्रशासन और कंस्ट्रक्शन कंपनी हिंदुस्तान प्रीफैब को राज्य सरकार की ओर से मदद की पेशकश भी की थी. खांडू ने ये भी कहा था कि ईटानगर से जोते तक की सड़क को टू लेन हाइवे बनाया जाएगा. लेकिन ये सड़क अब भी इस हाल में है कि ईटानगर से जोते तक के 35 किलोमीटर तय करने में दो घंटे लग जाते हैं. पेमा खांडू ने वादा किया था जोते तक टू-लेन हाइवे बनाया जाएगा. ये सड़क फिलहाल नहीं बनी है पेमा खांडू ने वादा किया था जोते तक टू-लेन हाइवे बनाया जाएगा. ये सड़क फिलहाल नहीं बनी है अचानक लिया गया शिफ्टिंग का फैसला इतने साल छात्र अपने पक्के कैंपस का इंतज़ार करते हुए युपिया के जुगाड़ कैंपस में पढ़ते रहे. फिर एक दिन अचानक 5 अक्टूबर, 2017 को NIT प्रशासन ने बीटेक 2017 के 150 छात्रों को यूपिया कैंपस से जोते कैंपस शिफ्ट कर दिया. ये कहकर कि कैंपस में सारे इंतज़ाम कर दिए गए हैं. लेकिन जोते जाकर छात्रों ने देखा कि NIT वालों ने उन्हें गोला दे दिया था. हॉस्टल पूरी तरह बना ही नहीं था. छात्रों को केमिकल एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के एकैडमिक ब्लाक में एक जुगाड़ हॉस्टल बना कर ठहरा दिया गया. कहा गया कि हॉस्टल तैयार होने में तीन महीने का वक्त और है. ‘दी लल्लनटॉप’ ने NIT के कुछ छात्रों से बात की. उन्होंने हमें बताया, दिक्कत सिर्फ हॉस्टल में ही नहीं थी. छात्रों के लिए खाना कैमिस्ट्री लैब में बन रहा था. एक-एक कमरे में आठ-आठ बेड रखे गए थे. जोते में कनेक्टिविटी का हाल इतना बुरा है कि वहां मोबाइल ढंग से नेटवर्क तक नहीं पकड़ता. इसके बाद हम कैंपस से निकलकर प्रोटेस्ट करने लगे. जोते कैंपस के बच्चों ने इटानगर से जोते की सड़क पर चक्काजाम कर दिया था जोते कैंपस के बच्चों ने ईटानगर से जोते की सड़क पर चक्काजाम कर दिया था लेकिन इस प्रदर्शन की खबर ज़्यादा फैली नहीं क्योंकि कमज़ोर नेटवर्क की वजह से बात बाहर नहीं गई. कुछ स्थानीय चैनल और अखबार ही इस बारे में जान पाए. अपने जूनियर्स के प्रोटेस्ट के बारे में सुन कर बीटेक और एमटेक के छात्रों ने युपिया कैंपस में प्रोटेस्ट शुरू किया. यहां से बात कुछ आगे बढ़ी. ‘दी लल्लनटॉप’ को युपिया कैंपस में पढ़ने वाले एक छात्र ने बताया, हमने अपने जूनियर्स से कहा कि हमारे पास युपिया आ जाएं, साथ में प्रोटेस्ट करेंगे. उन्होंने हमसे कहा कि वो आना चाहते हैं लेकिन कोई ज़रिया नहीं है. फिर उन लोगों ने चंदा कर के 14 हज़ार रुपयों में दो बसें की और हमारे पास आए. उसके बाद से हम साथ प्रोटेस्ट कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि NIT के असिस्टेंट रजिस्ट्रार जब उनसे मिलने आए तो उन्होंने छात्रों को बंदूक दिखा कर धमकाया छात्रों का कहना है कि NIT के असिस्टेंट रजिस्ट्रार जब उनसे मिलने आए तो उन्होंने छात्रों को बंदूक दिखा कर धमकाया असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने बंदूक दिखाई? प्रदर्शन कर रहे छात्रों का इल्ज़ाम है कि कॉलेज उनकी बात नहीं सुन रहा था. असिस्टेंट रजिस्ट्रार ताबा ताड़े गोयांग जब छात्रों से बात करने आए भी, तो साथ में एक बंदूक लेकर आए. छात्रों का कहना है कि गोयांग ने छात्रों को धमकाया और उनकी गाड़ी के नीचे एक छात्र का पैर भी आ गया. छात्र गोयांग से खासे नाराज़ हैं. लेकिन जब कार्रवाई हुई तो वो गोयांग की जगह छात्रों पर हुई. कॉलेज के सात छात्रों के खिलाफ गोयांग ने पुलिस में शिकायत कर दी है. एक असिस्टेंट रजिस्ट्रार बंदूक से छात्रों को धमकाए, ये एक गंभीर बात है. इसलिए हमने इस वाकये को लेकर गोयांग का पक्ष भी पता किया. उन्होंने दी लल्लनटॉप को बताया, मेरे पास मेरी लाइसेंसी बंदूक थी ज़रूर लेकिन मैंने छात्रों को धमकाया नहीं. छात्रों ने मेरी गाड़ी में तोड़फोड़ की थी इसलिए मैंने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी. छात्रों की सारी समस्या का कारण मैं नहीं हूं. शिफ्टिंग का फैसला NIT के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में लिया गया था. अरुणाचल प्रदेश एक फ्रंटियर स्टेट है. चीन इसे क्लेम करता रहता है. NIT के ज़रिए सेंटर अरुणाचल प्रदेश को मेनस्ट्रीम में लाने की कोशिश कर रहा है. हम छात्रों के हक की बात कर रहे हैं. आप मेनस्ट्रीम मीडिया से हैं. कोशिश कीजिएगा कि कोई नेगेटिव न्यूज़ न जाए. कॉलेज के छात्रों को उनके खिलाफ हुई एफआईआर के बाद नोटिस भी मिल गया है कॉलेज के छात्रों को उनके खिलाफ हुई एफआईआर के बाद नोटिस भी मिल गया है साफ मालूम चलता है कि गोयांग इस बात से खासे चिंतित थे कि कोई ‘गलत’ खबर न चल जाए. इस भय का कारण जो भी हो, हम एक बात तय जानते हैं. वो ये कि परमानेंट कैंपस की कमी वो अकेली चीज��� नहीं जिसने छात्रों को परेशान कर रखा है. NIT अरुणाचल प्रदेश में पिछले 1 साल से कोई डायरेक्टर ही नहीं है. NIT मणिपुर के डायरेक्टर यहां का अतिरिक्त प्रभार संभालते हैं. स्थानीय देख-रेख रजिस्ट्रार प्रताप कुमार बंदोपाध्याय के हाथ में है. ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल के भी हाल बेहाल हैं. ‘दी लल्लनटॉप’ ने बंदोपाध्याय से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कहा कि वो व्यस्त हैं. प्रशासन का पक्ष हमें सिर्फ एक अधिकारी से मिला, जिन्होंने नाम न ज़ाहिर करने की गुज़ारिश की है. उन्होंने बताया कि एक अधबने कैंपस में छात्रों को शिफ्ट करने का फैसला कॉलेज के अधिकारियों ने नहीं लिया था. ‘ऊपर’ (माने मानव संसान मंत्रालय) से हमें कहा गया कि जब तक आप अपने कैंपस में पढ़ाई शुरू नहीं करवा देते, फंड नहीं मिलेगा. इसलिए आनन-फानन में बीटेक के फर्स्ट ईयर के छात्रों को नए कैंपस में शिफ्ट किया गया. NIT अरुणाचल प्रदेश के बच्चे मानव संसाधन मंत्रालय की टीम के दौर के समय युपिया कैंपस में जमे रहे NIT अरुणाचल प्रदेश के बच्चे मानव संसाधन मंत्रालय की टीम के दौर के समय युपिया कैंपस में जमे रहे अभी क्या हो रहा है? छात्रों के प्रदर्शन को राष्ट्रीय मीडिया में काफी कम कवरेज मिली. 12 अक्टूबर, 2017 को ट्विटर पर कुछ सुगबुगाहट हुई. अब ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (AAPSU) ने NIT में प्रदर्शन कर रहे छात्रों का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है. 12 अक्टूबर की ही शाम पापुम पारे (जिस ज़िले में युपिया पड़ता है) के ज़िला मैजिस्ट्रेट और एसपी छात्रों से मिले और कार्रवाई का भरोसा दिलाया. 13 अक्टूबर, 2017 को ये खबर लिखे जाने तक का हाल ये है कि दिल्ली से मानव संसाधन मंत्रालय की एक टीम अरुणाचल पहुंच गई है. इस टीम ने जोते कैंपस का दौरा करने के बाद कॉलेज प्रशासन से एक मीटिंग की है, जिसका नतीजा फिलहाल बाहर नहीं आया है. फिलहाल सारे छात्र युपिया आ गए हैं. भारत में लगातार ‘स्किल डेवलेपमेंट’ पर ज़ोर देने की बात होती रहती है. लेकिन NIT अरुणाचल प्रदेश जैसे ‘इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस’ के ये हालात परेशान करने वाले हैं. उम्मीद की जाती है कि सरकार इस ओर जल्द ध्यान देगी और छात्रों के लिए कोई ठोस हल निकल कर सामने आएगा.
0 notes