लुट्येन क्यूँ “टु ध पोईंट” बात नहीं करते? भाग – ३ / ३
ममता बेनर्जी, नंदीग्रामसे अपना चूनाव हार गयी थी तो उसने मुस्लिम गुंडोंकी मददसे नंदिग्रामके गरीबोंका क्या हाल किया था? सभी प्रकारके अत्याचार किये थे. गरीबोंके उपर ही ममता आतंक फैला सकती है. क्यूँ कि गरीब लोग ही न्यायालयमें जानेकी हिमत नहीं जूटा सकते है.
लुट्येन क्यूँ “टु ध पोईंट” बात नहीं करते? भाग – ३ / ३
अब हम “आम आदमी पक्ष” (केज्रीवाल), टी.एम.सी. (ममता), …. एवं कोंगीयोंकी (नहेरुवीयनों की) निर्लज्जता देखेंगे.
सी. ए. ए. के अनुसार जो नोन – मुस्लिम लोग, डीसेंबर २०१४ से पहेले आये है, उन नोन-मुस्लिमोंको नागरिकता दी जायेगी.
नोन – मुस्लिम लोग
यदि देखा जाय तो सी. ए. ए. की आवश्यकता ही नहीं है.
क्यों कि नहेरु लियाकत अली करार के अनुसार, भारत सरकार का…
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चिसो बढेसँगै बेँसी सार्न थालियो चौरी र भेडीगोठ
चिसो बढेसँगै बेँसी सार्न थालियो चौरी र भेडीगोठ
गलेश्वर, १५ मङ्सिर । जाडोयाम सुरु भएसँगै हिमाली तथा उच्च पहाडी भेगका चौरी र भेडीगोठ न्यानो स्थानको खोजीमा बेँसी सार्न थालिएको छ ।
म्याग्दी र मुस्ताङका उच्च पहाडी क्षेत्र��ा चौरी र भेडीगोठ जाडो बढ्न थालेसँगै रित्तिन थालेका छन् भने तल्लो भेगका खर्क र बेँसीमा चहलपहल बढेको छ । मुस्ताङको थासाङ, निलगिरी साउथ हिमाल फेदीको मार्चे, धौलागिरि हिमाल फेदीको मूलिखर्क, बतासे र म्याग्दीको अन्नपूर्ण गाउँपालिका–५…
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चौरीचौरा में लूट व चोरी की घटनाएं इतनी बढ़ गई है कि मानव बाढ़ सी आ गई
लूट व चोरी की बढ़ती घटना से दहशत में चौरी चौरा
आम जनता को सुरक्षा देने में नाकाम प्रशासन
चौरीचौरा गोरखपुर।बाँसगाँव सन्देश।
चौरीचौरा क्षेत्र में लूट व चोरी की घटनाएं इतनी बढ़ गई है कि मानो बाढ़ सी आ गई है। लूट व चोरी की घटना की बात करें तो एक सप्ताह के भीतर ही सात घटनाएं घटित हो चुकी हैं। शनिवार की बात किया जाय तो एक दिन में ही…
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राष्ट्रीय एकता की नींव डालने वाली भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की महत्वपूर्ण चौरी-चौरा घटना के 102 वर्ष पूरे होने पर मां भारती की स्वतंत्रता के पुण्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को शत-शत नमन ।
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राष्ट्रीय एकता की नींव डालने वाली भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की महत्वपूर्ण चौरी-चौरा घटना के 102 वर्ष पूरे होने पर मां भारती की स्वतंत्रता के पुण्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को शत-शत नमन ।
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राष्ट्रीय एकता की नींव डालने वाली भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की महत्वपूर्ण चौरी-चौरा घटना के 102 वर्ष पूरे होने पर मां भारती की स्वतंत्रता के पुण्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को शत-शत नमन ।
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चौरी-चौरा घटना के दिन मां भारती की स्वतंत्रता के पुण्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को शत शत नमन ।
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चौरी | Chauri | Vani of Garibdas Ji's Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji
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🎀गजब चौरी चौरा को भी जगह देने के लिए👇
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अथ राग चौरी | Ath Raag Chauri | Vani of Garibdas Ji's Amargranth Sahib b...
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अथ राग चौरी | Ath Raag Chauri | Vani of Garibdas Ji's Amargranth Sahib b...
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चौरी-चौरा घटना के दिन मां भारती की स्वतंत्रता के पुण्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को शत शत नमन ।
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हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में "धरोहर” कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 07 मई, 2023, दिन रविवार, सायं 04:30 बजे से 06:00 बजे तक, स्थान: ऑडिटोरियम, शेरवुड अकैडमी, सेक्टर-25, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया जा रहा है l
"धरोहर” कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित नाटक "काकोरी ट्रेन एक्शन" का मंचन किया जाएगा |
नाटक, काकोरी ट्रेन एक्शन की क्रांतिकारी घटना पर आधारित है । भारत के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में काकोरी ट्रेन एक्शन एक महत्वपूर्ण घटना है, काकोरी ट्रेन एक्शन के बाद क्रांतिकारियों पर मुकदमा चलाए जाने के दौरान क्रांतिकारियों द्वारा अदालत में दिए गए बयानों से पूरा देश अंग्रेजों के विरुद्ध आक्रोश से उबल पड़ा था तथा इसी एक्शन से क्रांतिकारी आंदोलनों का पुनर्जागरण हुआ व देश में एक नए उत्साह का संचार हुआ और नव युवकों में देश के लिए मर मिटने की भावना जागृत हुई। बात उस समय की है जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया, 5 फरवरी 1922 को चौरी चौरा गोरखपुर में शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चलाने के कारण नाराज लोगों ने थाने में आग लगा दी थी, जिसमें कई पुलिसकर्मी मारे गए । हिंसा से क्षुब्ध गांधी जी ने अपना आंदोलन वापस ले लिया, इसकी देशभर में व्यापक प्रतिक्रिया हुई, विशेषकर युवाओं की भावनाओं को अत्यधिक ठेस पहुंची और वे क्रांतिकारी आंदोलनों में से जुड़ने के लिए उतावले हो गए। तभी क्रांतिकारी दल हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन हुआ और देखते-देखते तमाम युवा इस दल में शामिल हो गए जिसमें चंद्रशेखर आजाद, मुकुंदी लाल, सुरेश चंद्र भट्टाचार्य, सचिंद्र नाथ बक्शी, राजेन्द्र नाथ लाहड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, सचिन दा प्रमुख थे। क्रांतिकारी युवा से भली-भांति समझ चुके थे कि अब हमें आजादी शांति के रास्ते पर नहीं मिल सकती , हमें सशस्त्र क्रांति करनी पड़ेगी, जिसके लिए शस्त्रों की आवश्यकता पड़ेगी और शस्त्र खरीदने के लिए धन की आवश्यकता है । इसी कार्य को पूरा करने के लिए क्रांतिकारियों ने एक योजना बनाई । शाहजहांपुर से लखनऊ जाने वाली 8 डाउन पैसेंजर ट्रेन जिसमें की अंग्रेजी सरकार का खजाना जाता था, उसे लूटने की योजना बनाई और उसे 10 क्रांतिकारियों ने बिना किसी हिंसा के अंजाम दे दिया । इससे क्रांतिकारियों के दो प्रमुख उद्देश्य पूरे हुए, शासन को खुली चुनौती और जनता को संदेश, संस्था को मजबूती प्रदान करने हेतु लूटे गए धन से बड़े पैमाने पर आवश्यक वस्तुओं की खरीद।इस घटना से पूरे देश में सनसनी फैल जाना स्वभाविक था शासन ने तो कुछ समय तक हतभ्रम रह गया। अभियुक्त को पकड़ने के लिए रूपये 5000 इनाम की घोषणा की गई, इस घोषणा इस्तिहार टांग दिए गए । परंतु इससे उत्साहित जनता की क्रांतिकारियों के प्रति सहानभूति और गहरी हो गई । 26 सितंबर 1925 की रात को पूरे उत्तर भारत में लोगों के घर छापे डाले गए जिसमें अनेकों क्रांतिकारी पकड़े गए । उनका मुकदमा लखनऊ चला और फैसले में ठाकुर रोशन सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र नाथ लाहड़ी व अशफाक उल्ला खां को फांसी की सजा सुनाई गई और अंततः 17 दिसंबर 1927 को क्रांतिवीर राजेंद्र नाथ लाहडी को गोंडा जेल में तथा 19 दिसंबर 1927 को शेष तीनों क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खान एवं ठाकुर रोशन सिंह को क्रमशः गोरखपुर जिला जेल, फैजाबाद जिला जेल व इलाहाबाद जिला जेल में बड़ी दिलेरी के साथ हंसते-हंसते फांसी का वरण कर क्रांति इतिहास में सदा-सदा के अमर हो गए, और इस घटना के बाद से पूरे देश में क्रांतिकारी घटनाओं ने जोर पकड़ लिया ।
आप "धरोहर” कार्यक्रम में सपरिवार सादर आमंत्रित है |
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