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#शनिवार को शनि देव की पूजा कैसे करें
gururksharma · 2 years
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सुखी वैवाहिक जीवन के लिए 10 अचूक ज्योतिषीय उपाय !!!!!
पति-पत्नी का रिश्ता जोश, उत्साह और जोश से शुरू होता है, लेकिन देखा जाता है कि समय बीतने के साथ ही रिश्ता दोनों लोगों के लिए बोझ बन जाता है। समय बीतने के साथ रिश्ता निभाना बोझ बन जाता है। जोड़े भी स्थिति के साथ तनाव का सामना करते हैं। हम अक्सर चकित हो जाते हैं कि कैसे प्यार और जुनून से भरा एक रिश्ता संकट और तनाव में समाप्त हो जाता है। लव मैरिज वाले जोड़ों को भी लड़ते हुए देखा जा सकता है। युगल के बीच समस्याएं आम हैं, इन समस्याओं को हल किया जा सकता है या अनदेखा किया जा सकता है। वैदिक ज्योतिष एक ऐसा विज्ञान है जो आपकी सभी समस्याओं का समाधान कर सकता है।
नमस्ते!!!!! मैं हूं पंडित आरके शर्मा भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी। आज हम बात करेंगे कि हम वैदिक ज्योतिष की मदद से प्रेम समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
भारतीय वैदिक ज्योतिष पूरी तरह से ग्रहों की स्थिति पर आधारित है, इन ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन के हर पहलू को शारीरिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से प्रभावित करती है। यदि आप मुझसे पूछें कि क्या ज्योतिष से विवाह की समस्या का समाधान संभव है। जी हां कुछ उपायों से हम निश्चित रूप से प्रेम समस्या का समाधान कर सकते हैं।
क्या है शादी की समस्या के पीछे का कारण
जैसा कि मैंने ऊपर उल्लेख किया है कि ग्रहों की स्थिति सीधे संबंध को प्रभावित कर सकती है। वास्तविक कारण जानने का सबसे अच्छा तरीका दोनों सदस्यों की जन्म कुंडली पढ़ना है। मैं केवल आँख बंद करके उपायों का पालन करने की सलाह नहीं दूंगा। ये उपाय तभी काम करते हैं जब यह आपकी जन्म कुंडली के अनुसार किया जाए। हालांकि मैं इस लेख के अंत में कुछ ऐसे उपाय बताऊंगा जो सभी लोगों के लिए कारगर हैं।
ज्यादातर लोगों में से किसी एक में मंगल दोष होता है। सभी मामलों में यही प्रमुख कारण है। नकली पंडितों और ज्योतिषियों के संपर्क में आए लोग। इसलिए कोशिश करें कि पैसे बर्बाद न करें और केवल असली पंडित से संपर्क करें।
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए 10 अचूक ज्योतिषीय उपाय !!!!!
1. मंत्रों का जाप, पूजा करके भगवान सूर्य को प्रसन्न करने का प्रयास करें।
यहाँ पढ़ें:- सूर्य के प्रभाव को दूर करने के उपाय (सूर्य को कैसे प्रसन्न करें
2. जानवरों और पक्षियों को खिलाएं यह एक सामान्य उपाय है यह हम सभी के लिए एक सामान्य अनुष्ठान होना चाहिए क्योंकि यह एक दया कार्य है हम सभी को पक्षियों और जानवरों को खिलाना चाहिए
3. हर शनिवार को सरसों के तेल में एक सिक्का डालकर शनि देव को अर्पित करें।
4. 16 शुक्रवार के दिन शुक्रवार के दिन भगवान लक्ष्मी को सफेद प्रसाद दें।
5. सूर्य, लक्ष्मी या शनि मंत्र का 108 बार जाप करें।
6. पूजा में कपूर का प्रयोग करें यह सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को जला देगा।
7. पत्नी को प्रत्येक गुरुवार को दूध के पानी से स्नान करना चाहिए।
8. हमेशा पहली रोटी गाय को दें।
9. दंपत्ति को मंगलवार, शनिवार और गुरुवार को अपने बाल कटवाने, नाखून काटने से भी बचना चाहिए।
10. जरूरतमंद लोगों को मिठाई का दान करें।
मेरी आखिरी सलाह है कि हमेशा एक-दूसरे का सामना करने की कोशिश करें। पति-पत्नी का रिश्ता सबसे खूबसूरत रिश्ता होता है। शादी से पहले कुंडली मिलान करने का रखें ध्यान, इससे आपकी कई समस्याओं से निजात मिलेगी
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horizonaarc1726 · 3 months
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कुंडली में सातवें घर में शनि बैठे हों, तो क्या उपाय करें विवाह के लिए?
शनि का सातवां घर व्यक्ति के जीवन में विभिन्न पहलुओं पर अपना प्रभाव डाल सकता है, विशेषकर विवाह के मामले में। यहां कुछ उपाय दिए जा रहे हैं जो व्यक्ति विवाह में समस्याओं को कम करने और सुखशांति की कड़ी में मदद कर सकते हैं:
शनि व्रत और पूजा: शनि की पूजा और शनिवार को विशेष रूप से उसका व्रत करना सुझावनीय है। शनि देव की आराधना से अनुग्रह मिल सकता है और विवाह में आधिकारिकता आ सकती है।
दान और सेवा: शनि की शांति के लिए दान और सेवा करना उपयुक्त हो सकता है। तिल, उरद की दाल, राइ, सरसों, काले वस्त्र, आदि दान करना शनि को प्रसन्न करने में मदद कर सकता है।
शनि मन्त्र जप: शनि के मन्त्र का जाप करना भी उपयुक्त हो सकता है। "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" यह मन्त्र उपयुक्त है।
पूर्वजों की प्रेम पर ध्यान देना: शनि सातवे घर में होने पर व्यक्ति को अपने पूर्वजों के प्रेम और आशीर्वाद पर ध्यान देना चाहिए।
कुंडली मिलान का महत्वपूर्ण: विवाह के लिए कुंडली मिलान करना व्यक्ति को और भी अच्छे से विवाह संबंधित अनुकूलताएं और दिक्कतें समझने में मदद कर सकता है।
उपायों के लिए ज्योतिषीय सलाह: शनि के दृष्टिग्रहण के आधार पर, ज्योतिषी से संपर्क करना भी एक अच्छा विचार हो सकता है। ज्योतिषी व्यक्ति की कुंडली को विशेष रूप से अध्ययन करके उपाय और सुझाव प्रदान कर सकता है।
ध्यान रहे कि ज्योतिष एक आधुनिक दृष्टिकोण से यह तय करना मुश्किल है कि कोई योग्यता या विवाह संबंधित समस्याएं कैसे होंगीं। उपयुक्त जानकारी के लिए आप कुंडली चक्र प्रोफेशनल सॉफ्टवेयर 2022 का प्रयोग सकते है।
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prabhushriram · 11 months
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Shanivar Vrat : कैसे रखें शनिवार व्रत, जानिए पूजन विधि और कथा
शनि देव को लोग भयभीत क्यों मानते हैं? इसके कई कारण हैं। प्राचीन हिन्दू पौराणिक कथाओं और ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को गहरे दुःख और पीड़ा का प्रतीक माना जाता है। शनि को न्याय के देवता भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वह कर्मों की न्यायपूर्ण फल देने वाला है। उनका प्रभाव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर शास्त्रों में विस्तार से वर्णित किया गया है। शनि देव का रंग काला होता है, जो उनकी पहचान है। काला रंग उनके गहरे और अदृश्य स्वभाव को प्रतिष्ठित करता है। इसलिए, लोग काले रंग को शनि देव के संकेत के रूप में मानते हैं।
शनि देव की ग्रह शास्त्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। शनि के ग्रहण की स्थिति और दशा व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालती हैं। उनके प्रभाव के अनुसार, एक उन्हें बड़ी कठिनाइयों, संकटों और परेशानियों का कारण माना जाता है। यह कहा जाता है कि शनि देव की दया और कृपा पाने के लिए मनुष्य को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसलिए उन्हें भय और आपत्ति का प्रतीक माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव का महत्वपूर्ण स्थान है। शनि ग्रह एक ऐसा ग्रह है जिसका प्रभाव जीवन में सामान्यतः दुखों, बाधाओं और कठिनाइयों को बढ़ा देता है। इसलिए, जब कोई व्यक्ति शनि के प्रभाव में होता है, तो उसे विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
शनि देव का प्रभाव व्यक्ति के कर्मों पर भी होता है। शास्त्रों में कहा जाता है कि जो लोग अच्छे कर्म करते हैं, उन्हें शनि देव का प्रभाव शांतिपूर्ण और अनुकूल होता है। वे उनकी दया और कृपा को प्राप्त करते हैं। वहीं, जो लोग बुरे कर्म करते हैं, उनके लिए शनि देव का प्रभाव कठोर और परेशान करने वाला होता है। इसलिए, शनि देव अच्छे कर्मों को प्रोत्साहित करने और बुरे कर्मों को संशोधित करने का संकेत देते हैं।
यद्यपि शनि देव का भय और पीड़ा का संकेत दिया जाता है, लेकिन उनकी पूजा और उपासना भी विशेष महत्वपूर्ण है। शनि देव की उपासना और उनके कृपा को प्राप्त करने से मान्यता है कि व्यक्ति के जीवन में दुःखों का समाधान होता है और उन्हें समृद्धि और सुख मिलता है। 
शनि पूजा करने से कई फायदे हो सकते हैं। यह कुछ मुख्य फायदे हैं:
·    शनि पूजा करने से शनि देवता की कृपा मिलती है और शनि के दोषों का प्रभाव कम होता है।
·    यह पूजा जीवन में खुशहाली, संपत्ति और सफलता लाने में मदद कर सकती है।
·     शनि पूजा से भय, चिंता और तनाव कम होते हैं और मानसिक शांति मिलती है।
·     यह पूजा न्याय, धार्मिकता और ईमानदारी को बढ़ावा देती है।
·      शनि पूजा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है और व्यापार में वृद्धि हो सकती है।
·       यह पूजा शनि की क्रोध से बचाती है और नकारात्मकता को दूर करती है।
·        शनि पूजा से स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है और रोगों से बचाव हो सकता है।
 यदि आप शनि पूजा करना चाहते हैं, तो प्रभू श्रीराम इंडियाज़ बेस्ट अगरबत्ती एवं धूप आपके लिए लाया है शनि देव पूजा किट जिसकी मदद से नियमनुसार भगवान शनि देव को अति प्रसन्न कर सकते हैं। 
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विधि (Shani Vrat Vidhi)
याद रखें, शनि पूजा को समर्पित होने के लिए समय, स्थान और नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण होता है। यह पूजा और व्रत शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु होता है.
1)    काला तिल, तेल, काला वस्त्र, काली उड़द शनि देव को अत्यंत प्रिय है. इनसे ही पूजा होती है. शनि देव का स्त्रोत पाठ करें.
2)    शनिवार का व्रत यूं तो आप वर्ष के किसी भी शनिवार के दिन शुरू कर सकते हैं परंतु श्रावण मास में शनिवार का व्रत प्रारम्भ करना अति मंगलकारी है ।
3)    इस व्रत का पालन करने वाले को शनिवार के दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शनिदेव की प्रतिमा की विधि सहित पूजन करनी चाहिए।
4)    शनि भक्तों को इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवन्ती का फूल, तिल, तेल, गुड़ अर्पण करना चाहिए। शनि देव के नाम से दीपोत्सर्ग करना चाहिए।
5)    शनि मंत्रों का जाप करें: शनि देवता के मंत्रों का जाप करना शनि के दोषों को शांत करने में मदद कर सकता है। "ॐ शं शनैश्चराय नमः" और "���नैश्चराय नमः" जैसे मंत्रों का नियमित जाप करना शुभ माना जाता है।
6)    तिल के तेल का दान करें: शनिवार को तिल के तेल का दान करना शनि देवता को प्रसन्न करने का एक प्रभावी तरीका है। आप तिल के तेल के एक छोटे बोतल को मंदिर में या शनि देवता के सामने रख सकते हैं और इसे दान कर सकते हैं।
7)    शनि देवता के व्रत रखें: आप शनि देवता के व्रत रख सकते हैं, जिसमें आपको शनिवार को नौ व्रत रखने होंगे। इस व्रत के दौरान आपको शनि देवता की पूजा करनी होगी, नियमित जाप करना होगा, और सत्विक आहार लेना होगा।
शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा के पश्चात उनसे अपने अपराधों एवं जाने अनजाने जो भी आपसे पाप कर्म हुआ हो उसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए। शनि महाराज की पूजा के पश्चात राहु और केतु की पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन शनि भक्तों को पीपल में जल देना चाहिए और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। शनिवार के दिन भक्तों को शनि महाराज के नाम से व्रत रखना चाहिए।
शनि व्रत कथा (Shani Vrat katha)
एक समय सभी नवग्रहओं : सूर्य, चंद्र, मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु में विवाद छिड़ गया, कि इनमें सबसे बड़ा कौन है? सभीआपसं ऎंल ड़ने लगे, और कोई निर्णय ना होने पर देवराज इंद्र के पास निर्णय कराने पहुंचे. इंद्र इससे घबरा गये, और इस निर्णय को देने में अपनी असमर्थता जतायी. परन्तु उन्होंने कहा, कि इस समय पृथ्वी पर राजा विक्रमादित्य हैं, जो कि अति न्यायप्रिय हैं. वे ही इसका निर्णय कर सकते हैं. सभी ग्रह एक साथ राजा विक्रमादित्य के पास पहुंचे, और अपना विवाद बताया। साथ ही निर्णय के लिये कहा। राजा इस समस्या से अति चिंतित हो उठे, क्योंकि वे जानते थे, कि जिस किसी को भी छोटा बताया, वही कुपित हो उठेगा. तब राजा को एक उपाय सूझा. उन्होंने सुवर्ण, रजत, कांस्य, पीतल, सीसा, रांगा, जस्ता, अभ्रक और लौह से नौ सिंहासन बनवाये, और उन्हें इसी क्रम से रख दिय. फ़िर उन सबसे निवेदन किया, कि आप सभी अपने अपने सिंहासन पर स्थान ग्रहण करें. जो अंतिम सिंहासन पर बठेगा, वही सबसे छोटा होगा. इस अनुसार लौह सिंहासन सबसे बाद में होने के कारण, शनिदेव सबसे बाद में बैठे. तो वही सबसे छोटे कहलाये. उन्होंने सोच, कि राजा ने यह जान बूझ कर किया है. उन्होंने कुपित हो कर राजा से कहा “राजा! तू मुझे नहीं जानता. सूर्य एक राशि में एक महीना, चंद्रमा सवा दो महीना दो दिन, मंगल डेड़ महीना, बृहस्पति तेरह महीने, व बुद्ध और शुक्र एक एक महीने विचरण करते हैं. परन्तु मैं ढाई से साढ़े-सात साल तक रहता हुं. बड़े बड़ों का मैंने विनाश किया है. श्री राम की साढ़े साती आने पर उन्हें वनवास हो गया, रावण की आने पर उसकी लंका को बंदरों की सेना से परास्त होना पढ़ा.अब तुम सावधान रहना. ” ऐसा कहकर कुपित होते हुए शनिदेव वहां से चले. अन्य देवता खुशी खुशी चले गये. कुछ समय बाद राजा की साढ़े साती आयी. तब शनि देव घोड़ों के सौदागर बनकर वहां आये. उनके साथ कई बढ़िया घड़े थे. राजा ने यह समाचार सुन अपने अश्वपाल को अच्छे घोड़े खरीदने की अज्ञा दी. उसने कई अच्छे घोड़े खरीदे व एक सर्वोत्तम घोड़े को राजा को सवारी हेतु दिया. राजा ज्यों ही उसपर बैठा, वह घोड़ा सरपट वन की ओर भागा. भषण वन में पहुंच वह अंतर्धान हो गया, और राजा भूखा प्यासा भटकता रहा. तब एक ग्वाले ने उसे पानी पिलाया. राजा ने प्रसन्न हो कर उसे अपनी अंगूठी दी. वह अंगूठी देकर राजा नगर को चल दिया, और वहां अपना नाम उज्जैन निवासी वीका बताया. वहां एक सेठ की दूकान उसने जल इत्यादि पिया. और कुछ विश्राम भी किया. भाग्यवश उस दिन सेठ की बड़ी बिक्री हुई. सेठ उसे खाना इत्यादि कराने खुश होकर अपने साथ घर ले गया. वहां उसने एक खूंटी पर देखा, कि एक हार टंगा है, जिसे खूंटी निगल रही है. थोड्क्षी देर में पूरा हार गायब था। तब सेठ ने आने पर देखा कि हार गायब जहै। उसने समझा कि वीका ने ही उसे चुराया है। उसने वीका को कोतवाल के पास पकड्क्षवा दिया। फिर राजा ने भी उसे चोर समझ कर हाथ पैर कटवा दिये। वह चैरंगिया बन गया।और नगर के बहर फिंकवा दिया गया। वहां से एक तेली निकल रहा था, जिसे दया आयी, और उसने एवीका को अपनी गाडी़ में बिठा लिया। वह अपनी जीभ से बैलों को हांकने लगा। उस काल राजा की शनि दशा समाप्त हो गयी। वर्षा काल आने पर वह मल्हार गाने लगा। तब वह जिस नगर में था, वहां की राजकुमारी मनभावनी को वह इतना भाया, कि उसने मन ही मन प्रण कर लिया, कि वह उस राग गाने वाले से ही विवाह करेगी। उसने दासी को ढूंढने भेजा। दासी ने बताया कि वह एक चौरंगिया है। परन्तु राजकुमारी ना मानी। अगले ही दिन से उठते ही वह अनशन पर बैठ गयी, कि बिवाह करेगी तोइ उसी से। उसे बहुतेरा समझाने पर भी जब वह ना मानी, तो राजा ने उस तेली को बुला भेजा, और विवाह की तैयारी करने को कहा।फिर उसका विवाह राजकुमारी से हो गया। तब एक दिन सोते हुए स्वप्न में शनिदेव ने रानजा से कहा: राजन्, देखा तुमने मुझे छोटा बता कर कितना दुःख झेला है। तब राजा नेउससे क्षमा मांगी, और प्रार्थना की , कि हे शनिदेव जैसा दुःख मुझे दिया है, किसी और को ना दें। शनिदेव मान गये, और कहा: जो मेरी कथा और व्रत कहेगा, उसे मेरी दशा में कोई दुःख ना होगा। जो नित्य मेरा ध्यान करेगा, और चींटियों को आटा डालेगा, उसके सारे मनोरथ पूर्ण होंगे। साथ ही राजा को हाथ पैर भी वापस दिये। प्रातः आंख खुलने पर राजकुमारी ने देखा, तो वह आश्चर्यचकित रह गयी। वीका ने उसे बताया, कि वह उज्जैन का राजा विक्रमादित्य है। सभी अत्यंत प्रसन्न हुए। सेतठ ने जब सुना, तो वह पैरों पर गिर्कर क्षमा मांगने लगा। राजा ने कहा, कि वह तो शनिदेव का कोप था। इसमें किसी का कोई दोष नहीं। सेठ ने फिर भी निवेदन किया, कि मुझे शांति तब ही मिलेगी जब आप मेरे घर चलकर भोजन करेंगे। सेठ ने अपने घर नाना प्रकार के व्यंजनों ने राजा का सत्कार किया। साथ ही सबने देखा, कि जो खूंटी हार निगल गयी थी, वही अब उसे उगल रही थी। सेठ ने अनेक मोहरें देकर राजा का धन्यवाद किया, और अपनी कन्या श्रीकंवरी से पाणिग्रहण का निवदन किया। राजा ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। कुछ समय पश्चात राजा अपनी दोनों रानियों मनभावनी और श्रीकंवरी को साभी दहेज सहित लेकर उज्जैन नगरी को चले। वहां पुरवासियों ने सीमा पर ही उनका स्वागत किया। सारे नगर में दीपमाला हुई, व सबने खुशी मनायी। राजा ने घोषणा की , कि मैंने शनि देव को सबसे छोटा बताया थ, जबकि असल में वही सर्वोपरि हैं। तबसे सारे राज्य में शनिदेव की पूजा और कथा नियमित होने लगी। सारी प्रजा ने बहुत समय खुशी और आनंद के साथ बीताया। जो कोई शनि देव की इस कथा को सुनता या पढ़ता है, उसके सारे दुःख दूर हो जाते हैं। व्रत के दिन इस कथा को अवश्य पढ़ना चाहिये।
शनिदेव को पसंद है आक का फूल इसे मदार का फूल भी कहा जाता है. आक भी नीले रंग का ही होता है. आक के अलावा आप चाहें तो शनिदेव को नीले रंग के अपराजिता के फूल (Aparajita flower) भी अर्पित कर सकते हैं. शनिवार को शनिदेव के चरणों में नीले रंग के 5 फूल चढ़ाने से शनिदेव जल्दी प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
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blogalien · 2 years
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शनिवार की आरती कथा-विधि I सप्तवार व्रत कथा I शनिवार व्रत कथा
शनिवार की आरती कथा-विधि I सप्तवार व्रत कथा I शनिवार व्रत कथा
शनिवार की आरती कथा-विधि हिंदी में  Sanivar Vrat Katha   शनिवार की आरती कथा-विधि : शनिवार के व्रत की कथा और आरती किस प्रकार से कैसे करें ! हमारे सनातन में हर वार की व्रत कथा और आरती का महत्त्व बताया गया है ! सप्तवार व्रत कथा के बारे में जानने के लिए हम एक सप्तवार व्रत कथा की सीरिज ला रहे है ! इसको पढ़कर आप इसके महत्त्व को जाने !      -: सप्तवार व्रत,आरती कथा-विधि :- रविवार की आरती कथा-विधि सोमवार…
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#घर पर शनिदेव की पूजा कैसे करें?#शनि देव का व्रत कैसे किया जाता है?#शनि देव के कितने व्रत रखने चाहिए?#शनि देव को कैसे खुश करें?#शनि देव व्रत में क्या खाएं?#शनि महाराज को क्या क्या चढ़ता है?#शनिदेव का व्रत रखने से क्या फल मिलता है?#शनिदेव की पूजा करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?#शनिदेव को क्या क्या पसंद है?#शनिवार का उद्यापन कैसे करें?#शनिवार का व्रत कब खोलना चाहिए?#शनिवार के दिन क्या खरीदना चाहिए?#शनिवार के दिन सोना खरीद सकते हैं क्या?#शनिवार को कौन सा काम नहीं करना चाहिए?#शनिवार को क्या क्या चीज नहीं खाना चाहिए?#शनिवार को खिचड़ी क्यों खाना चाहिए?#शनिवार को गाय को क्या खिलाना चाहिए?#शनिवार को सफाई करने से क्या होता है?#सोम मंगल शुक्र शनिवार के व्रत को क्या कहा जाता है?
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ivxtimes · 4 years
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बिजनेस में लगातार बढोतरी के लिए श्री गणेश अर्पित करें ये खास चीज, नौकरी में भी मिलेगी सफलता Image Source : INSTAGRAM/ONLY_BAPPA_CLICKS
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि और शुक्रवार का दिन है। चतुर्थी तिथि पूरा दिन पार कर देर रात 2 बजकर 7 मिनट तक रहेगी। संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत किया जायेगा। वैसे तो संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है,  पूरा दिन पूरी रात पार करके शनिवार की सुबह 5 बजकर 55 मिनट तक सुकर्मा योग रहेगा। सुकर्मा योग में किये कार्य  में कोई  बाधा नहीं आती है।  इस योग में नई नौकरी ज्वाइन करना या धार्मिक कार्य का आयोजन करना अच्छा  है। इसके साथ ही दोपहर 1 बजकर 33 मिनट तक पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र रहेगा। उसके बाद उत्तराभाद्रपद नक्षत्र लग जायेगा।  उत्तराभाद्रपद नक्षत्रों की श्रेणी में 26वां नक्षत्र है। इसके स्वामी ग्रह शनि देव तथा राशि मीन है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का संबंध नीम के पेड़ से है। लिहाजा जिनका जन्म उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हुआ हो, जिनकी राशि मीन हो, उन्हें  आज नीम के पेड़ की उपासना करनी चाहिए ।
संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी के दिन कुछ खास उपाय करके कैसे आप अपने जीवन में चल रही परेशानियों से बाहर निकल सकते हैं, कैसे आपकी बौद्धिक क्षमता में बढ़ोतरी हो सकती है, कैसे आपकी सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी हो सकती है, कैसे आपके बच्चे को करियर में मनचाही सफलता मिल सकती है, कैसे आपकी जीवनशैली बेहतर हो सकती है, कैसे आपके मन की व्यथा दूर हो सकती है, कैसे आपको अपनी नौकरी में सफलता मिल सकती है, कैसे आप अपने बिजनेस को ऊंचाईयों तक ले जाने में सफल हो सकते हैं, कैसे आपके जीवन में खुशियां ही खुशियां शामिल हो सकती हैं और कैसे आप शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से कुछ खास उपायों के बारे में। 
राशिफल 7 अगस्त: कन्या राशि के जातकों को मिलेगा धनलाभ, जानिए अपनी राशि का हाल
अगर आपके जीवन में किसी प्रकार की परेशानी चल रही है तो उस परेशानी से बाहर निकलने के लिये आज के दिन आपको शाम के समय हाथ-पैर धोकर गणेश जी के मन्दिर जाना चाहिए और उनकी विधि-पूर्वक पूजा करनी चाहिए। अगर आप मन्दिर न जा सके तो अपने घर में ही श्री गणेश की मूर्ति या तस्वीर के आगे प्रणाम करके, उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करें। साथ ही भगवान को मोदक या पीली बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। आज के दिन ऐसा करने से आपके जीवन में जो भी परेशानी चल रही है, उससे आप जल्दी ही बाहर निकलने में सफल होंगे। 
अगर आपका बच्चा स्वास्थ्य कारणों से ज्यादातर परेशान रहता है और अपना काम ठीक से नहीं कर पाता, तो इसके लिये आज के दिन शाम के समय आपको गाय और उसके बछड़े को रोटी पर गुड़ रखकर खिलाना चाहिए। साथ ही हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए।  आज के दिन ऐसा करने से आपके बच्चे का स्वास्थ्य बेहतर होगा और वो अपना काम ठीक से कर पायेगा। 
अगर आप अपनी बौद्धिक क्षमता में बढ़ोतरी करना चाहते हैं तो आज के दिन आपको शाम के समय श्री गणेश की विधिवत पूजा करके, उनके आगे घी का दीपक जलाकर, उनके इस मंत्र का 11 बार जप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है- 'मेधोल्काय स्वाहा' ..आज के दिन इस मंत्र का जाप करने से आपकी बौद्धिक क्षमता में बढ़ोतरी होगी। 
अगर आप अपनी सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी करना चाहते है तो उसके लिये आज के दिन आपको एक लोटे में जल लेना चाहिए और उसमें थोड़ी-सी हल्दी डालनी चाहिए। अब इस जल को गाय माता के अगले दोनों पैरों में चढ़ा दें। साथ ही गाय माता के पैर छूकर आशीर्वाद लें। आज के दिन ऐसा करने से आपकी सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी जरूर होगी।
अगर आपके बच्चे को अपने करियर में मनचाही सफलता नहीं मिल पा रही है तो आज के दिन आपको एक हल्दी की गांठ लेकर, उस पर मौली लपेटकर गणेश मन्दिर में अर्पित करनी चाहिए। साथ ही कपूर से भगवान की आरती करनी चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से आपके बच्चे को करियर में मनचाही सफलता प्राप्त होगी। 
वास्तु टिप्स: ड्राइंग रूम में अलमारी, टीवी और टेलीफोन को रखने की सही दिशा है क्या, जानें
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ऐसे करें श्री गणेश को खुश
अगर आप अपनी जीवनशैली को लेकर चिंतित हैं या आप अपनी जीवनशैली को बेहतर करना चाहते हैं तो आज के दिन आपको अपने भार के बराबर हरा चारा लेकर किसी गऊशाला में दान करना चाहिए। अगर आप अपने भार के बराबर चारा दान न कर पायें तो अपने भार के दसवें हिस्से के बराबर हरा चारा आपको गऊशाला में दान करना चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से आपकी चिंता खत्म होगी और आपकी जीवनशैली बेहतर होगी। 
अगर आपका मन किसी बात को लेकर व्यथित है, जिससे आपके परिवार के लोग भी परेशान रहते हैं, तो आज के दिन आपको शाम के समय चन्द्रोदय होने पर चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य के लिये एक लोटे में जल लेकर, उसमें थोड़ा-सा दूध और अक्षत डालिये और चन्द्रदेव को अर्घ्य दीजिये। आज के दिन ऐसा करने से आपके मन की व्यथा दूर होगी। लिहाजा आपके परिवार के लोगों की परेशानी भी दूर होगी। आपको बता दूं कि- चन्द्रोदय आज रात 9 बजकर 13 मिनट पर  होगा। 
अगर आप अपनी नौकरी में सफलता पाना चाहते हैं और दूसरों से आगे निकलना चाहते हैं तो आज के दिन आपको शाम के समय गऊ माता को रोली-चावल का टीका लगाना चाहिए और उसे थोड़ा-सा गुड़ खिलाना चाहिए।आज के दिन ऐसा करने से आपको अपनी नौकरी में सफलता जरूर मिलेगी। 
अगर आप अपने बिजनेस को ऊंचाईयों तक ले जाना चाहते हैं या बिजनेस में बढ़ोतरी करना चाहते हैं तो आज के दिन आपको एक साफ-सुथरा पान का पत्ता लेकर, उस पर दो इलायची और दो सुपारी के जोड़े रखकर भगवान गणेश को अर्पित करने चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से आप अपने बिजनेस को ऊंचाईयों तक ले जाने में सफल जरूर होंगे। 
अगर आप जीवन में खुशियों की बहार लाना चाहते हैं तो आ��� के दिन आपको शुद्ध, साफ मिट्टी लेकर गाय की प्रतिमा बनानी चाहिए और उसकी विधि-पूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा आदि के बाद उसे अपने घर में ही स्थापित कर लें। अगर आप स्वयं मिट्टी की गाय की प्रतिमा न बना पायें तो बाजार से मिट्टी से बनी गाय की मूर्ति लाकर, उसे घर में स्थापित करके, उसकी विधि-पूर्वक पूजा करें। आज के दिन ऐसा करने से आपके जीवन में खुशियां ही खुशियां होंगी। 
अगर आप हर तरह से अपनी संतान की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं, उसे हर तरह की मुसीबत से बचाकर रखना चाहते हैं तो आज के दिन आपको शाम के समय श्री गणेश की विधि-पूर्वक पूजा करने के बाद उनके इस मंत्र का 21 बार जप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है-'वक्र तुण्डाय हुं".. आज के दिन इस मंत्र का जाप करने से आपकी संतान की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, उन्हें किसी प्रकार की मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ेगा। 
अगर आप शारीरिक रूप से हमेशा स्वस्थ रहना चाहते हैं तो आज के दिन आपको गेहूं या जौ में चने मिलाकर उन्हें उबालना चाहिए और उबालने के बाद थोड़ा ठंडा करके गाय माता को खिलाना चाहिए। साथ ही उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।  आज के दिन ऐसा करने से आप शारीरिक रूप से हमेशा स्वस्थ रहेंगे। 
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sinhadigital-blog · 4 years
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Hanuman Ji Ke Chamatkari Mantra जो शीघ्र फल प्रदान करते हैं
हनुमान जी भगवान राम के दूत हैं और उन्हें अथाह बल प्राप्त है। समंदर लाँघ कर लंका जाने वाले, सोने की लंका को आग में जलाने वाले और लक्ष्मण जी को जीवित करने के लिए पुरे पर्वत को उठा लाने वाले महावीर हनुमान जी ही थे। हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं और हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में एक हैं जिन्हे हर मंगलवार और शनिवार को ख़ास तौर पर पूजा जाता है।
हनुमान जी के मन्त्रों में अथाह शक्तियां हैं और अगर इनका जाप पुरे मन वचन और कर्म से किया जाए तो जीवन में किसी चीज़ का आभाव नहीं रहता और भक्तों की सभी मनोकामनाएं स्वयं हनुमान जी पूरी करते हैं। आइये जानते हैं हनुमान जी के कुछ चमत्कारी मंत्रों के बारे में जो अतिशीघ्र फल देते हैं।
आइये अब एक नज़र डालते हैं हनुमान जी के कुछ शक्तिशाली मन्त्रों पर जिसके जाप से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और इसी वजह से इन मन्त्रों को कार्य सिद्धि हनुमान मंत्र ( Karya Siddhi Hanuman Mantra  ) भी कहा जाता है। आप हनुमान जी की शक्ति इस बात से समझ सकते हैं की स्वयं राम जी ने भी रावण से युद्ध करते वक़्त हनुमान कवच ( Hanuman Kavach ) का पाठ किया था और रावण पर विजय प्राप्त की थी।
ॐ शान्ताय नमः
ॐ तेजसे नमः
ॐ शूराय नमः
ॐ हं हनुमते नमः
ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्
दोस्तों आप ऊपर दिए गए पांच मन्त्रों में से किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं इससे आपको बहुत लाभ होगा और हनुमान जी की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी। कहा जाता है की देवताओं में भगवान शिव के बाद हनुमान जी ऐसे देवता हैं जो शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों के घर को धन धान्य से भर देते हैं।
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bhaktipravah-blog · 6 years
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शनिदेव की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए करें इस स्त्रोत का पाठ नमस्कार दोस्तों, आज की चर्चा में हम आपको बताएँगे की कैसे आप भी शनिदेव की पीड़ा से मुक्ति पा सकते है वो भी एक दम आसान से और प्रभावशाली उपायों से. शनिदेव ईमानदार लोगों के लिए यश, धन, पद और सम्मान का ग्रह है। शनि देव संतुलन एवं न्याय के ग्रह हैं। शनि देव अर्थ, धर्म, कर्म और न्याय के प्रतीक हैं। शनि देव ही धन-संपत्ति, वैभव और मोक्ष भी देते हैं। कहते हैं शनि देव पापी व्यक्तियों के लिए अत्यंत कष्टकारक हैं। शनि की दशा आने पर जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, जिससे जीवन पूरी तरह से डगमगा सकता है परंतु शनि देव कुछ लोगों को अत्यंत शुभ और श्रेष्ट फल देते है। तो आइए जानते हैं शनि देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा दृष्टि पाने के लिए कौनसे उपाय करने चाहिए. इन्द्रनीलद्युति: शूली वरदो गृध्रवाहन:। बाणबाणासनधर: कर्तव्योर्कसुतस्तथा।। अर्थात – सूर्यपुत्र शनिदेव के शरीर की कान्ति इन्द्रनीलमणि की-सी है। वे गीध पर सवार होते हैं और हाथ में धनुष-बाण, त्रिशूल और वरमुद्रा धारण किए रहते हैं। दण्डाधिकारी (न्यायाधीश) हैं शनिदेव शनिदेव दण्डनायक ग्रह हैं। मनुष्य हो या देव, पशु हो या पक्षी, राजा हो या रंक, प्राणी का कर्म इस जन्म का हो पूर्वजन्म का, सबके लिए उनके कर्मानुसार दण्ड का निर्णय शनिदेव ही करते हैं। शनिदेव का सम्बन्ध नियम, नैतिकता व अनुशासन से है। इनकी अवहेलना करने पर शनिदेव की कृपा से कुपित हो जाते हैं और जीवन से सुख-चैन, खुशी व आनन्द को दूरकर दरिद्रता, दु:ख, कष्ट, झंझट व बाधाएं आदि प्रदान करते हैं। यदि शनि का दण्ड मिलते-मिलते प्राणी स्वयं में सुधार कर लेता है तो सजा की अवधि समाप्त होने पर वह उसे अपार धन-दौलत, वैभव, ऐश्वर्य, दीर्घायु और दार्शनिक चिन्तन शक्ति प्रदान करते हैं। शनि की पीड़ा दूर करने के लिए हनुमानजी की उपासना, सूर्यपूजा, शनिचालीसा का पाठ, पीपल की पूजा, नीलम व काले घोड़े की नाल की अंगूठी धारण करना आदि उपाय किए जाते हैं; किन्तु इन सबसे अधिक प्रभावशाली एक उपाय है जिससे शनिदेव की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है, वह है राजा दशरथ द्वारा की गई शनिदेव की स्तुति का पाठ। पद्मपुराण की कथा के अनुसार एक बार राजा दशरथ को ज्योतिषियों ने बताया कि शनिदेव रोहिणी को भेद कर आगे जाने वाले हैं जिसे शकटभेद योग कहते हैं। इस कारण पृथ्वी पर बारह वर्ष का अकाल पड़ेगा। राजा दशरथ ने वशिष्ठऋषि आदि ब्राह्मणों से इससे बचने का उपाय पूछा परन्तु सबने यही कहा कि यह योग असाध्य है। इस योग के आने पर प्रजा पानी और अन्न के बिना तड़प-तड़प कर मर जाएगी। प्रजा को कष्ट से बचाने के लिए राजा दशरथ अपने दिव्य अस्त्र व धनुष लेकर नक्षत्रमण्डल में गए। वहां उन्होंने पहले तो प्रतिदिन की तरह शनिदेव को प्रणाम किया फिर शनिदेव को लक्ष्य करके अपने धनुष पर संहारास्त्र का संधान (निशाना लगाना) किया। राजा दशरथ के साहस को देखकर शनिदेव ने कहा - मेरी दृष्टि में आकर देव-दैत्य सब भस्म हो जाते हैं, किन्तु तुम बच गए। तुम्हारे साहस और पुरुषार्थ से मैं प्रसन्न हूं, वर मांगो। राजा दशरथ ने कहा–आप कभी शकटभेदन न करें और पृथ्वी पर कभी बारह वर्षों का अकाल न पड़ने दें और इसके बाद राजा दशरथ ने शनिदेव की स्तुति की शनि दशरथ स्त्रोतम राजा दशरथ द्वारा की गयी शनिदेव की स्तुति नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च। नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।। नमो निर्मांसदेहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च। नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।। नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णे च वै पुन:। नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।। नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:। नमो घोराय रौद्राय भीषणाय करालिने।। नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते। सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।। अधोदृष्टे नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते। नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तु ते।। तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च। नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।। ज्ञानचक्षु नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे। तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।। देवासुर मनुष्याश्च सिद्धविद्याधरोरगा:। त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।। प्रसादं कुरु मे देव वरार्होऽहमुपागत:।। (पद्मपुराण, उ. ३४।२७-३५) दशरथ स्तोत्र का हिन्दी अर्थ : जिनके शरीर का वर्ण कृष्ण, नील तथा भगवान शंकर के समान है, उन शनिदेव को नमस्कार है। जो जगत के लिए कालाग्नि एवं कृतान्तरूप हैं, उन शनैश्चर को बारम्बार नमस्कार है। जिनका शरीर कंकाल है तथा जिनकी दाढ़ी-मूंछ और जटा बढ़ी हुई हैं, उन शनिदेव को प्रणाम है। जिनके बड़े-बड़े नेत्र, पीठ में सटा हुआ पेट और भयानक आकार है, उन शनैश्चर को नमस्कार है। जिनके शरीर का ढांचा फैला हुआ है, जिनके रोएं बहुत मोटे हैं, जो लम्बे-चौड़े, किन्तु सूखे शरीर वाले हैं तथा जिनकी दाढ़ें कालरूप हैं, उन शनैश्चर को बारम्बार नमस्कार है। शनिदेव! आपके नेत्र खोखले के समान गहरे हैं, आपकी ओर देखना कठिन है, आप घोर, रौद्र, भीषण और विकराल हैं। आपको नमस्कार है। बलीमुख! आप सब कुछ भक्षण करने वाले हैं, आपको नमस्कार है। सूर्यनन्दन! भास्करपुत्र! अभय देने वाले देवता! आपको प्रणाम है। नीचे की ओर दृष्टि रखने वाले शनिदेव! आपको नमस्कार है। संवर्तक! आपको प्रणाम है। मन्दगति से चलने वाले शनैश्चर! आपका प्रतीक तलवार के समान है, आपको पुन:-पुन: प्रणाम है। आपने तपस्या से अपने देह को दग्ध कर लिया है; आप सदा योगाभ्यास में तत्पर, भूख से आतुर और अतृप्त रहते हैं। आपको सदा नमस्कार है। ज्ञाननेत्र! आपको प्रणाम है। कश्यपनन्दन सूर्य के पुत्र शनिदेव! आपको नमस्कार है। आप संतुष्ट होने पर राज्य सुख दे देते हैं और रुष्ट होने पर उसे तत्काल छीन लेते हैं। देवता, असुर, मनुष्य,सिद्ध, विद्याधर और नाग–ये सब आपकी दृष्टि पड़ने पर पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं। देव! मुझ पर प्रसन्न होइए। मैं वर पाने के योग्य हूँ और आपकी शरण में आया हूँ। शनिदेव ने स्वयं बताया अपनी पीड़ा से मुक्ति का उपाय राजा दशरथ ने शनिदेव से कहा कि आप किसी को पीड़ा न पहुंचायें। शनिदेव ने कहा–यह वर असंभव है क्योंकि जीवों के कर्मानुसार सुख-दु:ख देने के लिए ही ग्रहों की नियुक्ति हुई है; किन्तु मैं तुम्हें वर देता हूँ कि जो तुम्हारी इस स्तुति को पढ़ेगा, वह पीड़ा से मुक्त हो जाएगा। शनिदेव ने राजा दशरथ को पुन: वर देते हुए कहा–‘किसी भी प्राणी के मृत्युस्थान, जन्मस्थान या चतुर्थस्थान में मैं रहूं तो उसे मृत्यु का कष्ट दे सकता हूँ; किन्त�� जो श्रद्धायुक्त होकर पवित्रता से मेरी लोहप्रतिमा का शमीपत्रों से पूजन करेगा और तिल मिले हुए उड़द-भात, लोहा, काली गौ या काला बैल ब्राह्मण को दान करता है और मेरे दिन (शनिवार) को हाथ जोड़कर इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे मैं कभी पीड़ा नहीं दूंगा। गोचर में, जन्मलग्न में, दशाओं में तथा अन्तर्दशाओं में ग्रहपीड़ा को दूर करके मैं उसकी सदा रक्षा करुंगा। इसी उपाय से सारा संसार मेरी पीड़ा से मुक्त हो सकता है।’ शनिदेव द्वारा स्वयं बताए गए उपायों को करके मनुष्य शनि की पीड़ा से मुक्त हो सकता है। जो लोग संस्कृत में स्तोत्र पाठ करने में असमर्थ हैं, वे हिन्दी में स्तोत्रपाठ कर सकते हैं। एकाग्रता से, श्रद्धा से व पवित्रता से की गयी हिन्दी में स्तुति का भी वही फल प्राप्त होता है जो संस्कृत में पाठ करने से होता है। क्या शनि पीड़ा को कम किया जा सकता है? इन उपायों के द्वारा साध्य पापकर्म के फल-भोग से तो मुक्ति मिल जाती है और दु:ख में कुछ कमी आ जाती है, किन्तु असाध्य पाप-कर्मों के फल-भोग में पूजा-पाठ, जप-तप भी अपना पूरा प्रभाव नहीं दिखा पाते। उन्हें तो भोगना ही पड़ता है। वे मनुष्य में सहनशक्ति दे देते हैं जिससे दु:ख ज्यादा महसूस नहीं होता। जय जय शनिदेव
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bhaskarhindinews · 6 years
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Hariyali Amavasya and Shani Amavasya coming together,do remedies
एक साथ पड़ रही है हरियाली और शनि अमावस्या, करें ये उपाय
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डिजिटल डेस्क । हरियाली अमावस्या के दिन शनिवार होने से शनि अमावस्या भी है। इस दिन कुछ विशेष उपाय किये जाएं तो कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं। इस बार हरियाली एवं शनि अमावस्या 11 अगस्त 2018 को पड़ रही है। इस अमावस्या का महत्व इसलिए भी बढ़ा हुआ है क्योंकि जो जातक वर्तमान में शनि की चाल से नकारात्मक रूप से प्रभावित हैं। विशेषकर जिन जातकों की कुंडली में शनि की महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतरदशा चल रही है या फिर जिन पर शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढ़ैया चल रही है या जिन्हें किसी भी प्रकार का कष्ट शनि के कारण पंहुच रहा है वो जातक इस शनि अमावस्या पर शनिदेव की साधना कर उनके प्रकोप से बच सकते हैं, आइए जानते हैं कैसे?
शनि के प्रकोप से बचने के लिये शनि अमावस्या को शनिदेव की साधना करनी चाहिए। शनिदेव की शांति के लिए शनि सत्वराज का पाठ करें। शनि स्त्रोतम् या शनि अष्टक का पाठ भी कर सकते हैं। शनिदेव के बीज मंत्र का जप करने एवं शनिदेव संबंधी वस्तुओं का दान करने से भी शनि देव की कृपा प्राप्त हो सकती है। हरियाली अमावस्या के दिन अपने घर के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं और पीपल के वृक्ष के आस-पास शक्कर में नारियल का बुरादा मिलकर डालें। इसके अलावा किसी नदी या तालाब पर ज���कर मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं।
हरियाली अमावस्या की रात को करीब 10 बजे नहाकर साफ पीले रंग के कपड़े पहन लें। इसके उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठ जाएं। अब अपने सामने पटिए (बाजोट या चौकी) पर एक थाली में केसर का स्वस्तिक या ऊं बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें। इसके बाद उसके सामने एक दिव्य शंख थाली में स्थापित करें। अब थोड़े से चावल को केसर में रंगकर दिव्य शंख में डालें। घी का दीपक जलाकर इस मंत्र का कमलगट्टे की माला से ग्यारह माला का जाप करें-
मंत्र:
सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि मुक्ति भुक्ति प्रदायिनी।
मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
मंत्र जाप के बाद इस पूरी पूजन सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। इस प्रयोग से आपको धन लाभ होने की संभावना बन सकती है। सावन हरियाली अमावस्या के दिन हनुमान मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
हरियाली अमावस्या की शाम को मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए घर के ईशान कोण में घी का दीपक जलाएं और कर्पुर से आरती उतारें। इस दिन ऐसा करने से घर से दरिद्रता दूर होती है। हरयाली अमावस्या की रात को घर में पूजा करते समय पूजा की थाली में स्वस्तिक या ॐ बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र रख कर पूजा करें। शाम को शिवजी की विधिवत पूजा आराधना करें और खीर का भोग लगाएं और गरीबों में बांट दें।
रात को घर के मुख्यद्वार के दोनों तरफ दीपक प्रज्जवलित करें। शाम 5 बजे के बाद हनुमान जी के मंदिर में चमेली के तेल का दीपक जलाकर श्री राम का जाप करें या हो सके तो श्री राम का ध्यान मंत्र का जाप करें।
मंत्र:
ॐ आपदामम हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम ! श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे, रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !
काले कुत्ते को सरसों का तेल लगाकर रोटी खिलाएं। तुलसी के पास दीपक लगाएं। इस दिन भगवान शिव को सबसे ज्यादा खीर और मालपुए का भोग लगाए जाने का रिवाज है।
इसलिए घर में बनाएं खीर और मालपुए
बनाएं और भोग लगाएं। स्वयं भी खाएं और अधिक से अधिक लोगों को खिलाएं। यह उपाय बहुत ही शुभ होता है हरियाली अमावस्या का। इस दिन गेंहू और ज्वार की धानी खाने-खिलाने के साथ झूला झूलने का महत्व है। शाम को गाय के घी का 1 दीपक लगाएं। बत्ती में रुई का उपयोग नही करें इस दिन लाल रंग के धागे का उपयोग करें और इसमें कुछ मात्रा में केसर भी डालें। फिर इसे घर के ईशान कोण में जलाएं। इससे घर में सुख-समृद्धि आएगी और महालक्ष्मी कृपा हमेशा बनी रहेगी।
इस दिन स्नानादि करने के पश्तात पीपल अथवा तुलसी के वृक्ष की पूजा कर परिक्रमा करें। भूखे और दरिद्रों को दान-पुण्य के रूप में कुछ भेंट दें। यदि आप सर्पदोष, शनि की दशा और पितृदोष पीड़ा से पीड़ित हो तो हरियाली अमावस्या के दिन शिवलिंग पर जल और पुष्प चढ़ाएं। स्वच्छ पर्यावरण को बनाये रखने के लिए एक पौधा अपने नाम का अवश्य ही लगाएं। शस्त्रों के अनुसार आरोग्य प्राप्ति के लिए नीम का पेड़, सुख की प्राप्ति लिए तुलसी का पौधा, संतान प्राप्ति के लिए केले का वृक्ष और धन सम्पदा के लिए आंवले का पौधा विशेष रूप से लगाएं। गेहूं, ज्वार, चना,मक्का, बाजरा को अपने गमले में इस दिन प्रतीक स्वरूप बुवाई अवश्य करें। यदि भाग्य का साथ नहीं मिल पा रहा है तो घर के आसपास अशोक, अर्जुन, नारियल, बड़ (वट) के पौधे लगाएं।
संतान से होगा सुख प्राप्त
संतान से सुख पाने के लिए पीपल, नीम,बिल्व, नागकेशर, गुड़हल, अश्वगन्धा के पौधे लगाएं। यदि बुद्धि का विकास चाहते हैं तो हरियाली अमावस्या पर शंखपुष्पी, पलाश, ब्रह्मी या तुलसी का पौधा लगाएं। घर में सुख-समृद्धि चाहते हैं तो नीम, कदम्ब के पौधे लगाएं। हरियाली अमावस्या पर यहां बताए गए पौधे लगाने के साथ ही प्रतिदिन इनकी देखभाल भी करनी चाहिए। माना जाता है कि जैसे-जैसे ये पौधे बढ़ेंगे, आपकी मनोकामनाएं भी पूरी होने लगती हैं।
पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्यके लिए ये उपाय करें। हरयाली अमावस्या पर जो स्त्रियां बड़ यानी वट वृक्ष की पूजा करती हैं, उनके पति को दीर्ध आयु और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। पुराणिक कथाओं के अनुसार सावित्री ने बड़ की पूजा करके ही यमराज से अपने स्वामी (पति) के जीवन का वरदान प्राप्त किया था।
अमावस्या पर पितर देवताओं के लिए विशेष पूजा की जाती है। इसके लिए खीर-पूड़ी बनाएं और गोबर के कंडे (उपले) जलाकर धूप अर्पित करें। किसी ब्राह्मण या योग्य व्यक्ति को भोजन करवाएं। हरयाली अमावस्या पर पीपल की पूजा करें और सात परिक्रमा करें। इस उपाय से शनि, राहु-केतु के दोष शांत होते हैं। रात के समय शिवलिंग और हनुमानजी के पास दीपक जलाएं। इस उपाय से धन संबंधी कार्यों में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। सभी देवी-देवताओं की कृपा से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। Source: Bhaskarhindi.com
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