Sikhs distribute a langar lunch to attendees of the Parliament of the World’s Religions in downtown Chicago on Aug. 14, 2023. Photo by Lauren Pond for RNS
विश्व प्रसिद्ध संत रामपाल जी महाराज ही दुनिया में एक मात्र संत है जो पूरे विश्व को निःशुल्क भण्डारा करवा सकते है।
जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में देखने को मिल रहा है, जहां संत रामपाल जी महाराज द्वारा लाखों लोगों को देसी घी से निर्मित भण्डारा निःशुल्क करवाया जा रहा है।
510 years ago, out of jealousy, false gurus falsely propagated that Kabir Sahib would do Bhandara to expel Kabir Sahib ji from Kashi. Due to which 18 lakh people gathered in Kashi, on this occasion Kabir ji served food to 18 lakh people and took lakhs of people under his shelter.
आज से लगभग 600 वर्ष पहले ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष पूर्णमासी को विक्रमी संवत् 1455 सन् 1398 में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर शिशु रुप में कबीर परमेश्वर प्रकट हुए थे। उस समय स्वामी रामानंद जी के शिष्य अष्टानंद ऋषि भी स्नान करने लहरतारा तालाब पर गए हुए थे। जब कबीर परमेश्वर शिशु रुप में तेजपुंज का शरीर बनाकर कमल के फूल पर विराजमान हुए थे। उस घटना को अष्टानंद जी ने अपनी आंखों से देखा, लेकिन चमकीला प्रकाश होने से कबीर परमेश्वर को नहीं देख पाए।
जब अष्टानंद जी ने अपने गुरुदेव स्वामी रामानंद जी को सारी बात बताई तो रामानंद जी ने कहा कि, जब ऊपर के लोक से अवतारी शक्ति धरती पर अवतरित होते हैं तब ऐसी ही घटना होती है।
उसी लहरतारा तालाब पर प्रतिदिन निसंतान दंपति नीरु तथा नीमा स्नान करने जाते थे। वहां जब कमल पर बालक रुप कबीर परमेश्वर को देखा तो नीमा ने कहा कि इस बालक को अपने घर ले चलो। जब शिशु रुप कबीर परमेश्वर को घर लेकर गए तो सारी काशी के लोग स्त्री-पुरुष शिशु रुप कबीर परमेश्वर को देखने आए और कहने लगे कि इतना सुन्दर बालक आज तक नहीं देखा। यह तो कोई देवता है। कोई कहता ब्रह्मा, विष्णु, महेश है तो कोई कहता अवतारी फरिश्ता है। संत गरीबदास जी ने अपनी अमरवाणी में कहा है कि:-
गरीब, सेवक होकर उतरे, इस पृथ्वी के माहिं।
जीव उधारन जगतगुरु, बार बार बलि जांव।।
गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर अधार।
मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार।।
गरीब, गोद लिया मुख चुंबि करि,
हेम रुप झलकंत। जगर मगर काया करें, दमकैं पदम् अनंत।।
गरीब, काशी उमटी गुल भया, मोमन का घर घेर।
कोई कहै ब्रह्मा विष्णु है, कोई कहै इन्द्र कुबेर।।
गरीब, काजी गए कुरान ले, धर लड़के का नाम।
अक्षर अक्षर मैं फुरया, धन कबीर बलि जांव।।
गरीब,सकल कुरान कबीर है, हर्फ लिखे जो लेख।
काशी के काजी कहें, गई दीन की टेक।।
जब काजी शिशु रूप में आये कबीर परमेश्वर का नामकरण करने गये। क़ुरान खोली तो प्रत्येक शब्द कबीर- कबीर हो गये। यह लीला देख काजी वही क़ुरान पटककर चले गये।
25 दिन तक कबीर परमात्मा ने कुछ खाया पिया नहीं। नीमा दुःखी हुई तब परमात्मा ने कुँआरी गाय मंगवाई और उसका दूध पिया।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में कहा गया है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
पूर्ण परमात्मा चारों युगों में इसी प्रकार लीला करते हैं। माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते हैं, सशरीर आते हैं, सशरीर जाते हैं।
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर दर्शन करने आ रहे लोगों के लिए सतगुरु रामपाल जी महाराज द्वारा एक महीने यानी 25 फरवरी से 26 मार्च तक ऐतिहासिक भण्डारा करवाया जा रहा है।
A volunteer stirs an enormous pot at a Sikh Volunteers Australia-run kitchen in Melbourne. At the height of the city’s lockdown the organisation was making 1,800 meals a day. 2021.
दिव्य धर्म यज्ञ दिवस के उपलक्ष्य में 26 से 28 नवंबर तक संत रामपाल जी के सतलोक आश्रमों में होने वाले भंडारे में आप सभी सहपरिवार सादर आमंत्रित है। भंडारे में आकर प्रसाद ग्रहण करें व गरीबदास जी महाराज जी की अमृतवाणी का लाभ उठाएं।
On 26th to 28th November 2023, "Divya Dharma Yagya Diwas" is being organized in 10 Satlok ashrams under the guidance of Jagatguru Tatvdarshi Sant Rampal Ji Maharaj, in which all of you are cordially invited.
God Kabir Ji in the form of Keshav Banjara (trader) brought sackfuls of cooked food from Satlok on nine lakh oxen and also brought one lakh servants along with him.
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