अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले LG मनोज सिन्हा ने बुलाई बैठक, शामिल नहीं हुईं महबूबा मुफ्ती, ये है वजह
अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले LG मनोज सिन्हा ने बुलाई बैठक, शामिल नहीं हुईं महबूबा मुफ्ती, ये है वजह
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Mehbooba Mufti
Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ओर से आज बुधवार को राजभवन में आयोजित चाय पार्टी में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती शामिल नहीं हुईं। अधिकारियों के मुताबिक, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा सहित केंद्र शासित प्रदेश के मौजूदा हालात पर चर्चा करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के…
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विदेशी राजनयिकों का जत्था जम्मू-कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए इस सप्ताह घाटी का दौरा करेगा
विदेशी राजनयिकों का जत्था जम्मू-कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए इस सप्ताह घाटी का दौरा करेगा
श्रीनगर:
बीते अगस्त महीने में जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद वहां के हालात का जायजा लेने के लिए विदेशी राजनयिकों का नया जत्था इस सप्ताह घाटी का दौरा करेगा। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। भारत में अमेरिका के राजदूत सहित राजनयिकों के पहले जत्थे ने पिछले महीने जम्मू कश्मीर का दौरा किया था। इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि विदेशी राजनयिकों का नया जत्था इस…
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चीन के खिलाफ बनेगी रणनीति? सेना के टॉप कमांडर चार दिन तक जम्मू-कश्मीर और LAC के हालात की करेंगे समीक्षा
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चीन के साथ बॉर्डर गतिरोध और जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों समेत देश की Top Army commanders to review India security challenges and situation along LAC – India News – Hindustan
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मोदी में 'इंदिरा' को देख एक बुलावे पर दौड़ पड़े तीखे बयान देने वाले कश्मीरी नेता? Divya Sandesh
#Divyasandesh
मोदी में 'इंदिरा' को देख एक बुलावे पर दौड़ पड़े तीखे बयान देने वाले कश्मीरी नेता?
नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलावे पर जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों का दिल्ली में बातचीत की टेबल पर चले आना कोई सामान्य घटना नहीं है। केंद्र सरकार और खासकर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी के खिलाफ जिन राजनीतिक दलों और उनके नेताओं ने आग उगली हो, उनका बातचीत के लिए राजी हो जाना वाकई आश्चर्यजनक है।
क्या कोई कल्पना कर सकता है कि ”
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” जैसे बयानों की बौछार करने वाली महबूबा मुफ्ती एक न्योते पर दिल्ली आएंगी? क्या यह हैरतअंगेज नहीं है कि जो फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के लिए
लगा रहे थे, उन्होंने अपनी निगाहें नई दिल्ली की तरफ कर ली हैं?
इंदिरा-शेख समझौते से जुड़े हैं आज की मीटिंग ��े तार!
सवाल यह भी है कि क्या इन सवालों का जवाब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला के बीच हुए समझौते में पाया जा सकता है? आइए पहले जानते हैं कि इंदिरा और शेख के बीच कब, क्या समझौता हुआ था। बात 1975 की है जब इंदिरा गांधी के दूत जी पार्थसारथी और शेख अब्दुल्ला के प्रतिनिधि मिर्जा अफजल बेग ने एक समझौते पर दस्तखत किया और 17 साल बाद शेख जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बन पाए। शेख अब्दुल्ला भी 1953 से ही अपनी भारत विरोधी छवि बनाकर जम्मू-कश्मीर की जनता के बीच छा गए थे।
वो दिल्ली को धौंस दिखाते, तरह-तरह के ताने देते, धौंस दिखाते, लेकिन जब 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में इंदिरा ने पाकिस्तान को धूल चटा दी तो शेख के अकल ठिकाने आ गए। इंदिरा की आयरन लेडी की छवि ने शेख को अपनी भारत विरोधी छवि से निकलने पर मजबूर कर दिया। शेख समझ गए कि इंदिरा इतनी मजबूत हो गई हैं कि उनके सामने तोल-मोल रणनीति काम नहीं आने वाली, उल्टा नुकसान होने का खतरा ही है। स्वाभाविक था कि शेख ने इंदिरा के सामने झुकने का रास्ता चुना। जानकार कहते हैं कि 1975 का समझौता पूरी तरह नई दिल्ली की शर्तों पर हुआ था जो बिल्कुल एकतरफा था।
अचानक महबूबा को मोदी में दिखने लगी आस
जब किसी सवाल में किसी दूसरे सवाल का जवाब छिपा हो तो सवाल पूछा जाना चाहिए। इसलिए, यह सवाल जरूरी है कि क्या केंद्र-कश्मीर के बीच बने ताजा माहौल का सिरा कहीं 1975 से तो नहीं जुड़ा है? आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार भले ही कोविड-19 महामारी के लिए कुछ हद तक बैकफुट पर दिख रही हो, प. बंगाल में बीजेपी की हार के बाद भले ही विपक्ष की बांछें खिली हुई हों, लेकिन जहां तक बात कश्मीर और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी है, इन मोर्चों पर उनकी छवि अब भी बहुत मजबूत है।
आर्टिकल 370 और 35ए के खात्मे और जम्मू-कश्मीर को दो टुकड़े करके उनसे पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म करने की बात हो या फिर कश्मीरी नेताओं को हिरासत में रखने का मुद्दा, बेहद मुखर रहीं महबूबा को आज प्रधानमंत्री मोदी के दिल में जम्मू-कश्मीर के लिए उम्मीद की लौ जलती दिख रही है। वो पीएम की पहल से खुश हैं। उन्होंने कहा, “हम खुश हैं कि वो (प्रधानमंत्री मोदी) हमारी बातें सुनेंगे और हम आजादी से अपने विचार रख सकेंगे।”
यूं बदल गया महबूबा का मन
हालांकि, जब जम्मू-कश्मीर के नेताओं को पीएम के साथ बातचीत का न्योता मिलने पर महबूबा की
अपेक्षित रुख के मुताबिक ही आई थी। महबूबा ने पीपल्स अलायंस फॉर गुपकर डेक्लेरेशन (PAGD) के अध्यक्ष और नैशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला से पीएजीडी का नेतृत्व करने को कहा। खुद पीएम के साथ मीटिंग करने को अनिच्छुक थीं, लेकिन फारूक ने जब पीडीपी अध्यक्ष और गुपकर गठबंधन की उपाध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को समझाया कि चूंकि पीएम की तरफ स��� न्योता एक-एक नाम के साथ 14 लोगों को मिला है, न कि किसी पार्टी या गठबंधन को, तो एक गठबंधन के प्रतिनिधि के तौर पर उनका मीटिंग में शामिल होना, ठीक नहीं रहेगा और महबूबा को व्यक्तिगत रूप से मीटिंग में शामिल होना चाहिए। फिर महबूबा ने न केवल फारूक की बात मान ली बल्कि यह भी सफाई दी कि वो किसी भी मुद्दे पर सुलह-समझौते के लिए बातचीत के खिलाफ कभी नहीं रही हैं। यह अलग बात है कि वो अब भी पाकिस्तान से बातचीत पर जोर दे रही हैं। हालांकि, महबूबा की यह जिद्द अब कश्मीर घाटी के एक वर्ग को संदेश देने तक ही सीमित मानी जा रही है।
फारूक की समझदारी और महबूबा का लचीलापन
फारूक अब्दुल्ला की समझदारी भरी बातें और फिर महबूबा के रुख में आया लचीलापन मौजूदा हालात के प्रति सर्वोत्तम प्रतिक्रिया का प्रतीक है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो फारूक-महबूबा हों या फिर जम्मू-कश्मीर के कोई और नेता, इनके पास बातचीत के सिवा कोई चारा नहीं बचा है। उनका कहना है कि मार्च 2022 में परिसीमन आयोग का कार्यकाल खत्म हो जाएगा और फिर जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाया जाएगा।
मछली जल के बिना रहे तो कैसे?
एक विश्लेषक ने कहा, “मछली जल के बिना कैसे जिंदा रह पाएगी? चुनावों में भाग नहीं लेने का मतलब तो यही होगा कि इन नेताओं ने खुद अपनी अप्रासंगिकता स्वीकार कर ली है।” इस महत्वपूर्ण मीटिंग से जुड़ी गतिविधियों को करीब से परख रहे एक अन्य विश्लेषक ने कहा, “आपके नेता (मीटिंग के लिए बुलाए गए जम्मू-कश्मीर के नेता) हवा में अपने बाजू फड़काने को आजाद हैं, लेकिन सिर्फ उसी सीमा तक जहां से बॉस (केंद्र सरकार) की नाक शुरू होती है।”
अतीत ने नाउम्मीद किया, अब नई आस
बहरहाल, बीजेपी के सिवा जम्मू-कश्मीर के हर राजनीतिक दल प्रदेश को आर्टिकल 370 और पूर्ण राज्य का दर्जा वापस देने की मांग पर अड़े हैं। फारुक और महबूबा के अलावा आज की मीटिंग में कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, पैंथर्स पार्टी के भीम सिंह, पीपल्स कॉन्फ्रेंस चीफ सज्जाद लोन, अपनी पार्टी चीफ सैयद अल्ताफ बुखारी, सीपीएम के एमवाई तारिगामी समेत कुल 14 नेता शामिल होंगे।
केंद्र की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह मीटिंग में मौजूद रहेंगे। वैसे केंद्र की तरफ से जम्मू-कश्मीर को लेकर ऐसी पहल पहली बार नहीं हो रही है। पूर्व पीएम इंदिरा की 1975 की पहल से लेकर मौजूदा पीएम मोदी की 2017 में शुरू की गई कोशिश तक, जम्मू-कश्मीर के लिए रास्ता तलाशने का काम जारी है। अतीत के प्रयासों ने तो कुछ खास नतीजे नहीं दिए।
उम्मीद, उम्मीद और उम्मीद
ऐसे में निदा फाजली का वो शेर याद आता है-
दुश्मनी लाख सही, खत्म न कीजे रिश्ता… दिल मिल न मिले, हाथ मिलाते रहिए…
मौसम गर्म हो रहा है और कश्मीर की वादियों में जमी बर्फ अब पिघलने लगी हैं। कल तक दिल्ली को आंख दिखाने वाले नेता अब हाथ मिलाने आ रहे हैं। इस मुलाकात में दिल मिलते हैं या नहीं यह वक्त बताएगा। मगर, कश्मीर में बदलाव का एक नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद जरूर जगी है।
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अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से दिया इस्तीफा
सैयद अली शाह गिलानी ने अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का साथ छोड़ दिया
नई दिल्ली/जम्मू :
पिछले तीन दशक से कश्मीर के अलगाववादी आंदोलन का चेहरा माने जाते रहे सैयद अली शाह गिलानी ने कश्मीर में सबसे बड़े अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का साथ छोड़ दिया है. ’90 के दशक से कश्मीर घाटी में अलगाववादी आंदोलन का नेतृत्व करते आ रहे 90-वर्षीय सैयद अली शाह गिलानी हुर्रियत के आजीवन अध्यक्ष थे. वह वर्ष 2010 के बाद से अधिकतर समय घर में ही नज़रबंद रहे हैं.
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सैयद अली शाह गिलानी ने सोमवार सुबह जारी किए एक ऑडियो संदेश में कहा कि वह ‘मौजूदा हालात’ के चलते ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे रहे हैं. उन्होंने कहा, “हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की मौजूदा स्थिति के मद्देनज़र, मैं इस मंच से पूरी तरह अलग हो जाने की घोषणा करता हूं… इस संदर्भ में मैं मंच के सभी घटकों को विस्तृत खत पहले ही भेज चुका हूं…”
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत जम्मू एवं कश्मीर को दिए गए विश��ष दर्जे को पिछले साल अगस्त में खत्म किए जाने के बाद यह राज्य के भीतर अलगाववादी राजनीति के लिए एक बड़ी घटना है. सूत्रों का कहना है कि गिलानी को पाकिस्तान स्थित समूहों से आलोचना का सामना करना पड़ा रहा था, क्योंकि समूहों के मुताबिक, गिलानी भारत सरकार द्वारा उठाए गए बड़े कदम का जवाब देने में नाकाम रहे. बहुत-से लोगों ने अलगाववादी कट्टरपंथी नेता की चुप्पी पर भी सवालिया निशान लगाए.
सोपोर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार निर्वाचित हो चुके सैयद अली शाह गिलानी ने कश्मीर में आतंकवाद के फैलने के बाद चुनावी राजनीति छोड़ दी थी. हालिया ख़बरों में यह भी कहा गया है कि उनकी तबीयत नासाज़ रहती है.
Video: विदेशों में हैं अलगावादी नेताओं के बच्चे, बंद की भेंट चढ़े कश्मीरी स्कूल
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जम्मू- कश्मीर के उधमपुर जिले की रहने वाली 29 वर्षीय मधुबाला, दिव्यांग होने के बावजूद भी लोगों की मदद करने से पीछे नहीं हट रहीं है। कोरोना वायरस के कारण देशभर में आए संकट काल के दौरान वह भी अपना योगदान दे रही हैं। मधुबाला जरूरतमंदों के लिए ना सिर्फ मास्क सिल रहीं हैं, बल्कि इस लोगों को फ्री में बांट भी रही हैं। वह अब तक 100 से अधिक मास्क बांट कर चुकीं हैं।
लोगों से मास्क पहनने की अपील
देश में मौजूदा हालात को देखते हुए मधुबाला ने अपने पैरों से मास्क सिलने का फैसला किया। वह खुद के बनाएं मास्क गांव के लोगों को मुफ्त में दे रही हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ने सभी से मास्क पहनने की अपील की है। ऐसे में वह भी इसमें अपना योगदान देना चाहती है। उनकी लोगों से अपील है कि सभी लोग अपने घर पर ही रहें और जरूरत पड़ने पर मास्क पहन कर ही बाहर निकले।
संक्रमितों की संख्या 24 हजार पार
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 24 हजार 620 हो गई है। आज आंध्रप्रदेश में 61, पश्चिम बंगाल में 57, राजस्थान में 27, कर्नाटक में 15, हरियाणा में 6, बिहार में 2 और छत्तीसगढ़ में 1 मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में संक्रमितों की कुल संख्या 24 हजार 506 है। इनमें से 18 हजार 668 का इलाज चल रहा है, 5062 ठीक हुए हैं और 775 की मौत हुई है। वहीं, मौजूदा हालात को देखते हुए देश में 20 अप्रैल से मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है।
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Madhubala | Jammu Kashmir Coronavirus Update, COVID-19 News; Handicapped Madhubala stitched masks with feet For Needy People, Distribute 100 Mask So Farr
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इस साल नहीं होगी अमरनाथ यात्रा, कोरोना के चलते लिया गया फैसला - Amarnath yatra 2020 cancelled due to outbreak of corona virus pandemic
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इस साल नहीं होगी अमरनाथ यात्रा, कोरोना के चलते लिया गया फैसला - Amarnath yatra 2020 cancelled due to outbreak of corona virus pandemic
कोरोना महामारी के कारण इस साल होने वाली अमरनाथ यात्रा रद्द कर दी गई है. अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने साल 2020 के लिए अमरनाथ यात्रा को रद्द करने का फैसला लिया है.
अमरनाथ यात्रा के रास्ते में 77 कोरोना रेड जोन
जम्मू-कश्मीर के एलजी और श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड के चेयरमैन गिरीश चंद्र मुर्मू की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया कि पूरी कश्मीर घाटी में जहां-जहां से होकर अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालु गुजरते हैं वहां 77 कोरोना रेड जोन हैं. इसकी वजह से लंगरों की स्थापना, मेडिकल सुविधाएं, कैंप लगाना, सामानों की आवाजाही, रास्ते पर पड़े बर्फ को हटाना संभव नहीं है.
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें
एलजी जीसी मुर्मू ने कहा कि हालांकि सरकार लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया है, लेकिन अभी तक ये तय नहीं है कि कोरोना वायरस की वजह से देश में सारी गतिविधियां कबतक बंद रहेंगी. उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सरकार और प्रशासन की सबसे बड़ी प्राथमिकता है.
परंपरागत तरीके से होगी प्रथम और समापन पूजा
मौजूदा हालात के मद्देनजर बोर्ड ने एकमत से फैसला लिया कि साल 2020 में अमरनाथ यात्रा कराना संभव नहीं होगा. हालांकि बोर्ड ने यह भी तय किया है कि बाबा बर्फानी की प्रथम पूजा और समापन पूजा पारंपरिक हर्ष और उल्लास के साथ की जाएगी.
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ऑनलाइन दर्शन देंगे बाबा बर्फानी
बोर्ड की मीटिंग में यह भी तय किया गया कि बोर्ड इस संभावना की भी तलाश करेगा कि पूजा और शिवलिंग दर्शन को दुनिया भर में फैले बाबा के भक्तों तक ऑनलाइन पहुंचाया जाए. अमरनाथ यात्रा हर साल जून के महीने में शुरू होती है और करीब 2 महीने तक लाखों की तादाद में श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं. कश्मीर के इतिहास में पहली बार होगा जब अमरनाथ यात्रा को कैंसिल करना पड़ा है.
अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने लोगों से अपील की है कि जैसे उन्होंने कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए अमरनाथ यात्रा को रद्द कर दिया है ताकि लोग एक साथ जमा न हो पाएं, इसलिए उनसे भी गुजारिश की जाती है कि वे एक साथ जमा न हों.
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सेना के करीब 700 जवानों को लेकर विशेष रेलगाड़ी जम्मू पहुंची जम्मू, 20 अप्रैल (भाषा) सेना के करीब 700 जवान विशेष रेलगाड़ी से सोमवार को केंद्र शासित प्रदेश में अपनी-अपनी तैनाती स्थलों पर ड्यूटी करने के लिए जम्मू पहुंचे। अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण भारत में पेशेवर पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद उन्हें बेंगलुरु से यहां लाया गया। रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर मौजूदा सुरक्षा हालात को देखते हुए यह जरूरी था कि अभियान क्षेत्र में तैनात टुकड़ियों में सैनिकों की संख्या को बढ़ाया जाए। प्रवक्ता ने बताया कि सैनिकों को लेकर विशेष रेलगाड़ी 17 अप्रैल को बेंगलुरु से रवाना हुई थी। उन्होंने बताया कि
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जम्मू-कश्मीर: 25 विदेशी राजनयिकों का दूसरा जत्था श्रीनगर पहुंचा, लेंगे मौजूदा हालात श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर 25 विदेशी राजनयिकों का दूसरा जत्था आज श्रीनगर पहुंच गया है। इसमें फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और अफगानिस्तान के राजनियक शामिल हैं। उनकी सुरक्षा के लिए पुख़्ता इंतजाम किए गए हैं। होटल के आसपास के क्षेत्र में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।
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पश्चिमी विक्षोभ के असर से गुलाबी नगर जयपुर समेत प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में पड़ रही कड़ाके की ठंड से मिली राहत जयपुर,(सुरेन्द्र कुमार सोनी) । पश्चिमी विक्षोभ के असर से गुलाबी नगर जयपुर समेत प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में पड़ रही कड़ाके की ठंड से थोड़ी राहत मिलने लगी है। आसमान में छाए बादलों के कारण फतेहपुर में माइनस में गया पारा बीती रात प्लस में आ गया। जयपुर में भी बीती रात न्यूनतम तापमान में 1.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लेकिन मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक 13 और 14 जनवरी को प्रदेश में कई जगहों पर बारिश और ओलावृष्टि की संभावना जताई गई है। जिससे लोहड़ी और मकर सक्रांति के पर्व पर लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है और पंतगबाजों को भी निराश होना पड़ सकता है। मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के कारण राजस्थान समेत उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में बादल छाए हुए हैं। इसके कारण बीती रात सर्दी में कमी आई है। बादलों की आवाजाही के कारण तापमान में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सीकर जिले के फतेहपुर में बीती रात न्यूनतम तापमान 3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। जबकि इससे गुरूवार की रात पारा माइनस 1.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। पारा चढऩे से फतेहपुर में लोगों को भीषण ठंड से थोड़ी राहत मिली है। वहीं पर्यटन स्थल माउंट आबू में पारे ने कुछ रहम किया है। शुक्रवार को माइनस 3 डिग्री पर पहुंचा। तापमान शनिवार को 4.4 डिग्री बढकऱ 1.4 डिग्री पर आ गया है जिससे आज कुछ राहत मिली है। तेज सर्दी के कारण पर्यटक अलाव तापकर सर्दी को भगाने के जतन में लगे रहे। गुलाबी नगर जयपुर में भी बीती रात न्यनतम तापमान में 1.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई। बीती रात जयपुर का न्यूनतम तापमान 6.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है। इसी तरह से श्रीगंगानगर,हनुमानगढ़,सीकर, चूरू,बीकानेर,अलवर,बूंदी,कोटा और जैसलमेर समेत प्रदेश के दूसरे जिलों में न्यनूतम तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लोहड़ी और मकर सक्रांति पर बारिश के आसार मौसम विभाग के मुताबिक शनिवार व रविवार को प्रदेश में मौसम साफ रहेगा। लेकिन पश्चिमी विक्षोभ के असर से 13 और 14 जनवरी को प्रदेश में कई जगहों पर बारिश और ओलावृष्टि की संभावना जताई है। राज्य के सीकर,झुंझुनूं,चूरू,श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़,बीकानेर,बाड़मेर,जोधपुर,जैसलमेर,पाली,नागौर, अलवर,दौसा,जयपुर,अजमेर,भरतपुर,धौलपुर जिले में कई स्थानों पर मध्यम बारिश के साथ ओलावृष्टि की संभावना है। कहीं—कहीं पर गरज के साथ छींटे भी पड़ सकते हैं। लोहड़ी और मकर सक्रांति पर बारिश के बावजूद पारा चढऩे की उम्मीद है। मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में लोगों को सर्दी से राहत मिलेगी। मौजूदा शीतलहर जैसे हालात बनने के आसार कम ही है।पहाड़ों पर बर्फबारी ने बरपाया था कहर जानकारी के अनुसार जम्मू—कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और बरसात के कारण मैदानी इलाकों में शीतलहर के हालात बन गए। इसके कारण उत्तरभर में कई जगहों पर पारा माइनस में चला गया। लेकिन पश्विमी विक्षोभ के असर से तापमान में बढ़ोतरी हुई है। आने वाले दिनों में मैदानी इलाके के लोगों को सर्दी से राहत मिलेगी।
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पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने आज कॉर्प्स कमांडरों की बैठक बुलाई इस्लामाबाद: जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के भारत के अवैध कदम और नियंत्रण रेखा पर मौजूदा हालात तथा कश्मीर में उसके असर का विश्लेषण करने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल जावेद बाजवा ने आज कॉर्प्स कमांडरों की बैठक बुलाई है.
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आर्टिकल 370 हटाने पर आगबबूला हुआ पाकिस्तान, कह दी ऐसी बात
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को जम्मू-कश्मीर को लेकर लिए गए ऐतिहासिक फैसले पर हाल ही में पाकिस्तान की पहली प्रतिक्रिया आई है। मोदी सरकार के फैसले से पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान ने आर्टिकल 370 पर मोदी सरकार के इस कदम का विरोध किया है। साथ ही कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा करने के लिए पाकिस्तान असेंबली ने मंगलवार को ज्वॉइंट सेशन भी बुलाया है।
Pakistan Ministry of Foreign Affairs statement on Article 370: As the party to this international dispute, Pakistan will exercise all possible options to counter the illegal steps. Pakistan reaffirms its abiding commitment to the Kashmir cause.
— ANI (@ANI) August 5, 2019
जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी एक्ट्रेस माहिरा ने कहा-जन्नत जल रही है, हम खामोशी से आंसू बहा रहे हैं, हुईं ट्रोल
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए एक बयान कहा गया है कि, 'संयुक्त राष्ट्र सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) में जम्मू-कश्मीर की स्थिति को विवादास्पद माना गया है। लिहाजा भारत सरकार का ये एकतरफा फैसला है और ये फैसला जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के लोगों को स्वीकार नहीं है। इस अंतरराष्ट्रीय विवाद में एक पार्टी होने के नाते पाकिस्तान इन अवैध फैसलों के खिलाफ हर आवश्यक कदम उठाएगा। पाकिस्तान कश्मीर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता फिर जताता है। कश्मीर के राजनीतिक, लोकतांत्रिक और नैतिक विकास के लिए हम लड़ते रहेंगे।'
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने पर भड़कीं महबूबा, कहा- आज भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के चेयरमैन और नेता विपक्ष शहबाज शरीफ ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, 'कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म करना असंवैधानिक है। ये संयुक्त राष्ट्र के प्रति 'एक तरह से राजद्रोह' है, जिसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।' उन्होंने आगे यह भी कहा कि, 'भारत में मोदी सरकार ने आर्टिकल 370 को हटाने को जो फैसला लिया है, वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन भी है।' पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेटे बिलावल भुट्टो ने इस मामले में कहा कि, 'कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म करके चरमपंथी भारत सरकार ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं।'
क्या है धारा 370 जिसे लेकर जम्मू-कश्मीर में मचा है बवाल, जानिए राज्य को इससे मिलती हैं कौन-सी विशेष सुविधाएं?
बता दें गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के लिए कई बदलाव की पेशकश की। उन्होंने राज्य से धारा 370 हटाने की सिफारिश की। इस बदलाव को राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी थी। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद आर्टिकल 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। साथ ही जम्मू-कश्मीर को भी केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। इसके अलावा लद्दाख को भी अलग राज्य घोषित कर दिया गया है।
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अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दिया, वे इस अलगाववादी गुट के आजीवन चेयरमैन थे
अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दिया, वे इस अलगाववादी गुट के आजीवन चेयरमैन थे
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गिलानी ने कहा कि वे हुर्रियत के मौजूदा हालात को देखते हुए इस्तीफा दे रहे हैं
हुर्रियत को नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठजोड़ के विरोध में 1993 में बनाया गया था
दैनिक भास्कर
Jun 29, 2020, 01:42 PM IST
श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता अली शाह गिलानी ने ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया है। एक ऑडियो मैसेज में उन्होंने कहा, ‘‘हुरियत कान्फ्रेंस के मौजूदा हालात को…
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अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से दिया इस्तीफा
सैयद अली शाह गिलानी ने अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का साथ छोड़ दिया
नई दिल्ली/जम्मू :
पिछले तीन दशक से कश्मीर के अलगाववादी आंदोलन का चेहरा माने जाते रहे सैयद अली शाह गिलानी ने कश्मीर में सबसे बड़े अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का साथ छोड़ दिया है. ’90 के दशक से कश्मीर घाटी में अलगाववादी आंदोलन का नेतृत्व करते आ रहे 90-वर्षीय सैयद अली शाह गिलानी हुर्रियत के आजीवन अध्यक्ष थे. वह वर्ष 2010 के बाद से अधिकतर समय घर में ही नज़रबंद रहे हैं.
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सैयद अली शाह गिलानी ने सोमवार सुबह जारी किए एक ऑडियो संदेश में कहा कि वह ‘मौजूदा हालात’ के चलते ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे रहे हैं. उन्होंने कहा, “हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की मौजूदा स्थिति के मद्देनज़र, मैं इस मंच से पूरी तरह अलग हो जाने की घोषणा करता हूं… इस संदर्भ में मैं मंच के सभी घटकों को विस्तृत खत पहले ही भेज चुका हूं…”
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत जम्मू एवं कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को पिछले साल अगस्त में खत्म किए जाने के बाद यह राज्य के भीतर अलगाववादी राजनीति के लिए एक बड़ी घटना है. सूत्रों का कहना है कि गिलानी को पाकिस्तान स्थित समूहों से आलोचना का सामना करना पड़ा रहा था, क्योंकि समूहों के मुताबिक, गिलानी भारत सरकार द्वारा उठाए गए बड़े कदम का जवाब देने में नाकाम रहे. बहुत-से लोगों ने अलगाववादी कट्टरपंथी नेता की चुप्पी पर भी सवालिया निशान लगाए.
सोपोर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार निर्वाचित हो चुके सैयद अली शाह गिलानी ने कश्मीर में आतंकवाद के फैलने के बाद चुनावी राजनीति छोड़ दी थी. हालिया ख़बरों में यह भी कहा गया है कि उनकी तबीयत नासाज़ रहती है.
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महबूबा मुफ्ती ने कहा की जम्मू-कश्मीर में ‘खूनी खेल’ तभी रुकेगा जब केन्द्र अपना रवैया बदलेगा श्रीनगर : पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने पुलवामा मुठभेड़ में शहीद हुए सैनिकों के परिजनों के प्रति सोमवार को संवेदनाएं जताते हुए कहा कि यह 'खूनी खेल' तभी रुकेगा जब केन्द्र जम्मू-कश्मीर को लेकर अपना रवैया बदलेगा। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया है, परिजनों के प्रति गहरी संवेदनाएं। खूनी खेल तभी रुकेगा जब भारत सरकार जम्मू-कश्मीर को लेकर अपना रवैया बदलेगी।उन्होंने पाकिस्तान को लेकर अपना जुनून खत्म करने और अपने घर को संभालने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, पाकिस्तान को लेकर जुनून छोड़ें और अपने घर को संभालें। मौजूदा रूख से हालात बिगड़ेंगे ही और देश का ध्रुवीकरण होगा।
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J-K में जल्द हटे पाबंदी, शांति-रोजगार-इंटरनेट चाहते हैं लोग, बोले विदेशी राजनयिक - Exclusive details envoys urge lifting of internet restrictions in kashmir
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J-K में जल्द हटे पाबंदी, शांति-रोजगार-इंटरनेट चाहते हैं लोग, बोले विदेशी राजनयिक - Exclusive details envoys urge lifting of internet restrictions in kashmir
विदेशी राजदूतों ने घाटी से पाबंदी हटाने की दी सलाह
25 राजनयिकों ने 12-13 फरवरी को घाटी का किया दौरा
जम्मू-कश्मीर में मौजूदा हालात का जायजा लेने भारत पहुंचे 25 विदेशी राजनयिकों का दो दिवसीय दौरा शुक्रवार को संपन्न हो गया. दौरे के समापन पर विदेशी राजदूतों ने ���ाष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से मुलाकात की. एनएसए प्रमुख ने सभी राजदूतों के लिए एक स्वागत सामारोह रखा था. इस दौरान उनके साथ विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला, विदेश मंत्रालय प्रवक्ता रवीश कुमार, राज्य सभा सांसद एमजे अकबर भी मौजूद थे.
यूरोपीय यूनियन के प्रवक्ता वर्जिनी बट्टू हेनरिक्स्सन ने आजतक को ईमेल पर दौरे के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि घाटी में संचार पर लगी पाबंदी को जल्दी हटाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘इस दौरे से एक बात स्पष्ट हो गया है कि भारत सरकार ने सामान्य हालात बहाल करने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए हैं. लेकिन कुछ पाबंदी अभी भी जारी है जैसे कि इंटरनेट और मोबाइल सेवा पर. इसके अलावा कुछ नेताओं को अब भी नजरबंद कर रखा गया है. घाटी में जहां एक तरफ गंभीर सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत है वहीं इस तरह की पाबंदियों को तेजी से हटाने की भी आवश्यकता है.’
भारत स्थित यूरोपीय यूनियन राजदूत उगो अस्तुतो भी जम्मू-कश्मीर गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. उन्होंने कहा कि दौरे के दौरान हमने देखा कि वहां पर नेताओं को नजरबंद कर रखना, इंटरनेट और मोबाइल पर लगी पाबंदी आदि की समस्या तो है लेकिन सरकार हालात को बेहतर बनाने के लिए कई अन्य सकारात्मक प्रयास भी कर रहे हैं.
भारत स्थित जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने आजतक से बात करते हुए कहा, ‘हालात को सामान्य बनाने के लिए सरकार द्वारा कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं. लेकिन अभी भी कई पाबंदियां जारी है. हमने कई लोगों से बात की, सबने घाटी में संचार व्यवस्था को बहाल करने की मांग की है. इंटरनेट सुविधा बंद किए जाने से वहां के व्यवसाय पर बुरा असर पड़ रहा है. अगर मुझसे पूछें कि वहां के लोग क्या चाहते हैं तो मैं यही कहूंगा- इंटरनेट सुविधा, शांति और व्यवसाय की संभावना.’
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25 देशों के राजनयिकों ने किया दौरा
बता दें, 25 देशों के राजनयिकों ने 12-13 फरवरी को जम्मू-कश्मीर का दौरा किया. इन देशों में यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, गिनी, हंगरी, इटली, अफगानिस्तान, बुल्गारिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, डोमिनिक गणराज्य, केन्या, किर्गिस्तान, मेक्सिको, नामिबिया, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पोलैंड, रवांडा, स्लोवाकिया, ताजिकिस्तान, यूगांडा और उज्बेकिस्तान शामिल हैं.
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