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#शाम का नाश्ता
trendingwatch · 2 years
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अगर आप लॉन्ग वीकेंड में ट्रैवल कर रहे हैं तो 5 स्नैक्स कैरी करें
अगर आप लॉन्ग वीकेंड में ट्रैवल कर रहे हैं तो 5 स्नैक्स कैरी करें
यात्राओं के लिए सप्ताहांत कॉल; अपने पसंदीदा स्थानों की यात्रा करने के आनंद की तुलना में कुछ भी नहीं है। जहां कुछ लोग नई जगहों को एक्सप्लोर करना पसंद करते हैं, वहीं कुछ लोग अपने रिश्तेदारों से मिलने जाना पसंद कर सकते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहाँ जाते हैं, सप्ताहांत पर छुट्टियां बिताना बहुत जरूरी चिकित्सा की तरह लगता है। चूंकि लंबा सप्ताहांत अंत में यहां है, इसलिए हम सभी प्रकार की पर्यटक…
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crzayfrog · 1 year
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दोस्त की मां
मेरा नाम संतोष है और मैं हरियाणा के पानीपत का रहने वाला हूं। मैं अभी कक्षा बारहवीं का ही छात्र हूं और मेरे पिताजी का प्लाईवुड का काम है। उनका काम बहुत ही अच्छा चलता है। इसलिए उन्होंने मेरा एक बहुत ही बड़े स्कूल में एडमिशन करवाया है। मैंने अपनी दसवीं के बाद यहीं पर पढ़ना शुरू किया। जब मैं कक्षा 11 में आया तो मेरे बहुत दोस्त बने
उस सबसे दोस्त में एक ऐसा लड़का था जिसके साथ मेरा बहुत जमता था, उसका नाम तो नही पता पर हां वो कॉलेज की दोस्तों से काफी अलग था, एक दिन मैं जैसे क्लास रूम में पहुंचा तो मैडम ने मुझे उस लड़के से परिचित करवाई
संतोष ये है सूरज और ये बहुत होनहार और ईमानदार लड़का है, पढ़ने में काफी तेज है, तुम्हारी हर विषय में ये मदद करेगा, उस से मिलकर मुझे पहले भी बहुत खुशी हुआ था, अब हम एक अच्छे दोस्त बन गए थे
वो बहुत बड़े घर से था, पैसा दौलत धन की कोई कमी नही था, भगवान ने उसे सबकुछ दे रखा था, कार बंगलों सब कुछ
कुछ दिन बाद सूरज अपने मम्मी पापा के साथ आया था, साथ में कुछ सिक्योरिटी गार्ड था, हमने देखा तो सपने देखने लगा की लाश मुझे भी सूरज के जैसा पैसा धन दौलत रहता, पर सूरज के अंडर एक जबरदस्त अच्छाई थी की कभी वो पैसा का घमंड नहीं किया
उसका पापा सरकारी ट्रांसपोर्ट का मालिक था और मम्मी हाउसवाइफ थी, घर में एक बहन थी वो पुणे के हॉस्टल में इंजीनियरिंग कर रही थी, मतलब यूं कहे तो सभी सेटल थे
कुछ दिन बाद सूरज ने कहा की उसकी मम्मी का एनिवर्सरी है और वो कॉलेज के सभी छात्र और छात्राएं को इनवाइट किया और कुछ सर मैम को भी, सब उस दिन बहुत खुश था पर मुझे जाने की हिम्मत नही हुआ
मैं उस दिन जल्दी घर चला गया तबीयत खराब के बहाने से पर मुझे क्या पता था उस दिन मेरे जिंदगी का सबसे अनमोल राते होगा, मैं अपने घर में जाकर लेट गया और थोड़ी देर बाद मम्मी आई तो बोली मेरा राजा बेटा को क्या हुआ, आज नाराज लग रहा है
मैं शुरू से ही अपने मम्मी पापा को प्यार कर रहा था, क्योंकि पापा मम्मी ने कभी भी किसी भी समान खरीदने के लिए मुझे मना नही किए और ना कभी मुझे डांटा, पर उस दिन ऐसा लग रहा था की सूरज के सामने मेरा हैसियत बहुत कम है
मैं शाम को करीब बाजार जाकर हल्का सा नाश्ता किया और सोचने लगा की जाऊं की नही जाऊं, ये सोचते सोचते कब शाम 7 बज गया मुझे पता नही चला, मैं अपने घर लौटा तो देखा दरवाजा पर एक लंबी कार खड़ी चमक रही है
मैने सोचा शायद पापा को कोई कॉन्ट्रैक्ट देने आए होंगे, किसी मालिक का नंबर होगा पर वो मेरा दोस्त सूरज का था, उसके साथ उसकी मॉम रेखा भी आई हुई थी
रेखा उमर 39 साल हरी भरी गदरायी जवानी, एक हाउसवाइफ की तरह मेरे कमरे में ब्लैक साड़ी और लाल ब्लाउज में बड़ा सा काजल और बिंदिया लगाकर मेरे मम्मी से बात कर रही थी, वो अपने बड़े गले वाला ब्लाउज को ऐसे पहनी थी की उनका क्लीवेज साफ चमक रहा था, 36 का छाती, 32 का कमर और 38 का कहर ढाने वाला बम, उफ्फ अब मैं दोस्त को देखूं या उसकी मम्मी को
मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था, मैं उनको देख के ऐसे मदहोश हो गया था मानो वो कोई नशीले पदार्थ हो और मुझे उसका सेवन करना है
मैं खुद पर काबू किया और आंटी को हाई बोला और कहा आपने आने का कष्ट क्यूं किया, सूरज भाई गलत बात है, तुम मेरे कारण अपने मम्मी को परेशान करते हो, वैसे आंटी हैप्पी एनिवर्सरी
आंटी - थैंक्स बेटा पर ऐसे काम नही चलेगा, अपना टैलेंट दिखाना पड़ेगा, मैं भी देखूं की तुम कितना टैलेंटेड हो जैसे तुम्हारे बारे में सूरज कहता रहता है
जरूर जब भी आपको मेरा टैलेंटेड देखना हो आप मुझे एक बार याद कर लेना, मैं हाजिर हो जाऊंगा, आखिर दोस्त किसका हूं, ये बोलकर सब हंस पड़े
रात करीब 9 बज चुकी थी, उधर सूरज के पापा शराब का का कार्यक्रम जोड़ो शोरो से था, हवा की रुख और दोस्त की मम्मी की बदन की खुशबू एक तरफ
थोड़े देर बाद मैने कहा सूरज चलना है या यहीं एनिवर्सरी मनाना है, सूरज ने मेरा मम्मी पापा को कहा पर उन्होंने कहा की मुझे माफ करे, अब तो आप हम एक दोस्त की तरह हो गए हैं तो फिर कभी
थोड़े देर बाद सूरज और उसकी मम्मी आगे बैठ गई, रेखा कार ड्राइवर कर रही थी और सूरज सामने देख रहा था, थोड़े आगे जाने के बाद कार का मैन मिरर को मेरे बॉडी के तरफ करके अपने ही होंटो को कटने लगी
हम 5 मिनिट बाद सूरज के घर पहुंचे जहां सभी इकट्ठा हुए, रेखा ने बड़े ही उल्लास से केक काटी और और अपने पति और बेटे को खिलाई फिर धीरे धीरे सबमें बांट दी
थोड़े देर बाद फिर उसका पापा उस शराब ए जस्न में लग गए, इधर सूरज भी अपने मम्मी से कहा की आज के दिन वो भी शराब पिएगा, तो उसकी मां ने बड़े ही कठोड़ मन से कहा नही, पर सूरज का बार बार जिद करने पर मान गई
थोड़े देर बाद रेखा ने एक बीयर के बोटल में शराब और बीयर दोनो को मिक्सड करके लाई और अपने बेटे को पिला दी, धीरे धीरे अब सब अपने घर की ओर बढ़ने लगे
समय 11 बज चुका था सूरज और उसका पापा दोनो अपने बेडरूम में ढेर हो चुके थे इतना ताकत नही बचा था की खुद को दो स्टेप चला सके, इधर रेखा मुझे किसी भूखे श���रनी की तरह देख रही थी
मेरे पास आई और बोली आज रात तुम मुझे अपना बना सको तो बना लो नही तो मैं समझूंगी की तुम्हारा बदन सिर्फ दिखाने के लायक है
शाम से ही मेरा बुरा हालत था पर अब मुझे पूरा मौका मिला, मैने कहा अच्छा ये बात है, चलो कोई बात नही, तुम भी क्या याद रखेगी की किसी मर्द से मिली थी
मैने आगे बढ़ा और होंठ को अपने होंठ में भरते हुए स्मूच करने लगा और रेखा भी बहुत दिन की प्यासी शेरनी की तरह मेरा कॉक के ऊपर हाथ रख कर मसलने लगी
अब इनबॉक्स में चर्चा होगी
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chandramurty · 2 years
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तिनचुले की यात्रा
तिनचुले,उत्तरी बंगाल के पहाड़ों में 5800 फीट की ऊंचाई पर अवस्थित,एक खूबसूरत,छोटा सा गांव है।न्यू जलपाईगुड़ी से इसकी दूरत्व करीब 75 kms की होगी।
कोलकाता के अपने कार्यकाल के दौरान सहकर्मियों से इसकी बहुत तारीफ सुनी थी। बंग बंधुओं के संगत में मुझमें भी हिम्मत जाग उठी और एक दिन तिनचुले जाने हेतु न्यू जलपाईगुड़ी का टिकट ले ही लिया।
चार दिनों की छुट्टी थी। बंधुओं ने बताया था का चार दिन तिनचुले और आस पास के दर्शनीय स्थलों के भ्रमण हेतु काफी होंगे। मैंने रहने के लिये वहां के एक Homestay में online बुकिंग भी करवा ली।
प्रस्थान का दिन भी आ गया। अल-सुबह हावड़ा स्टेशन से अपनी ट्रेन के चेयर कार में "उठ" गया।फिर सोते-जागते, पीते-खाते रात्रि के 10 बजे करीब न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन में "नाम"गया। स्टेशन के पास के ही एक होटल में बुकिंग किया हुआ था।गरमा-गरम "माछ-भात" पाने के बाद रात्रि विश्राम वहीं हुआ।
Homestay वालों से ही अनुरोध किया था एक गाडी भेज देने के लिए।सुबह 9 बजे उनकी गाड़ी होटल में पहुंच गई और तिनचुले का सफर शुरू हो गया।
"सिवोक खोला" Bridge पार करते करते भूख लग आई। वहीं एक Restaurant में स्वादिष्ट आलू पराठा और दही का नाश्ता कर फिर निकल पड़े अपनी मंजिल की ओर।तीस्ता नदी के किनारे-किनारे बल खाती हुई सडक पर हमारी गाड़ी सरपट भाग रही थी।
मनोरम पहाड़ियों और घाटियों को देखते देखते झटका लगा..हमारी गाड़ी मुख्य मार्ग से एकाएक बायें मुडकर तीखी चढाई चढने लगी थी।मैं खुद भी Drive करता हूँ पर मुझे कहने में कोई संकोच नहीं कि वैसी तीखी चढाई और वैसे तीखे मोड पर Driving,मेरे Capability level से काफी उपर की चीज थी।
अब हम घने जंगलों के बीच से गुजर रहे थे।बारिश में भींगे जंगलों की एक अलग सी खुशबू मदमस्त कर रही थी।Driver जंगल मे पाये जाने वाले जड़ी बूटियों के बारे में बता रहा था।सर्दी,खांसी,बुखार, बदन दर्द,रक्त चाप आदि अनेक तकलीफों का इलाज ये लोग इन्ही जड़ी- बूटियों से करते हैं।सच में मुझे देख कर ये आश्चर्य हुआ कि रास्ते में कोई दवा की दुकान नहीं दिखी!
3 घंटे के मनोरम सफर के बाद एक छोटे से शांत गांव, तिनचुले,अपने गंतव्य पर, पहुंच गया।जो रूम मेरे लिये आरक्षित था उसमें कुछ समस्या होने के कारण उसी Tariff पर एक Deluxe रूम उन्होंने आवंटित कर दिया!
रूम काफी बड़ा एवं सुसज्जित था। First Floor होने के कारण सुदूर पर्वत श्रृंखला का अति मनोरम View मिल रहा था।बारिशों का मौसम था और बादल उमड़-घुमड़ कर कमरे के अंदर चले आ रहे थे। कुछ देर तक तो मंत्रमुग्ध हो सामने चल रही दृश्यावली निहारता ही रह गया।
ये Homestay 3 तलों पर बना हुआ था।एक तल रोड के बराबर था, एक रोड से नीचे तल में और एक प्रथम तल पर।तीनों तल से View मनोरम था।
लंच का समय हो चुका था। Dining Hall सबसे नीचे वाले तल पर था।सीढियां उतर कर वहां पहुंचा।अति स्वादिष्ट भोजन सामने था।चावल, दाल,रोटी,फिश करी, आलूदम,बेगुन भाजा, सलाद,पापड़,भुत-जोलकिया मिर्च का अचार,साथ में पहाड़ी गाय की घी!ये मिर्च सबसे ज्यादा तीखी मानी जाती है और वहां मान्यता है कि इसके साथ घी खाना आवश्यक है।
खाना Homestay परिवार के लोग ही मिल कर बनाते हैं और बहुत ही प्यार से खिलाते हैं। ताजी मछली देख कर मुझे आश्चर्य हुआ कि ये 6000 फीट की ऊंचाई पर मछलियाँ कैसे मिली? पता चला कि नीचे आने-जाने वाली गाड़ीयों से ये Supply Chain संचालित होता है।
स्वादिष्ट भोजन और खिलाने वालों के प्यार से मन तृप्त हो गया।थकावट और भर पेट भोजन के कारण कमरे में आ कर गहरी नींद में सो गया।
शाम को नींद खुली तो सामने दार्जिलिंग की चाय और चिकेन मोमो की प्लेट थी। चाय पी कर बाहर निकल पड़ा।शाम के सुरमई उजाले में तिनचुले गांव में 2/3 kms घूम आया। स्थानीय लोग थोड़े संकोची पर मिलनसार लगे। जरूरत का सारा सामान मिल जाता है, दवाईयां छोड कर!
लौटा तो पूरा अंधकार हो चुका था।Bonfire की तैयारियां चल रही थी।एक ग्रुप गिटार पर कुछ मनोरम धुन छेड़ रहा था। मैं भी उधर ही बैठ गया।Barbecue का भी सरंजाम था। Chicken और पनीर की व्यंजन तैयार हो रहे थी, लकड़ी के कोयले के मद्धम आंच में। ठंड बढ रही थी।कुछ देर के बाद मैं कमरे मे चला आया।उधर Bonfire की पार्टी अपने शबाब पर थी।
रात्रि भोजन अन्य dishes के साथ Barbecued Chicken, Fried Fish भी परोसा गया। अब कल सुबह local sight seeing के लिये जाना था।कार बुक हो गई थी।9 बजे तक निकल जाने का सोचा था।
सुबह 7 बजे उठा और चाय बिस्कुट ले कर रेडी होने लगा।नाश्ते में छोले- भटूरे और Boiled Eggs मिले।ठीक 9 बजे Lover's Meet Point के लिये निकल गया। ये "तीस्ता" एवं "रंगीत" नदी का संगम है।वहां एक View Point बना हुआ है जिस पर सैलानियों की भीड़ जमा रहती है।नीचे नदी के तीर पर Rafting का भी इंतजाम है। रास्ते में कई View Points और कई प्रसिद्ध चाय बागान भी हैं, Peshoke Tea Garden, Runglee Rungliot,Lopchu Tea Estate,आदि। एक नारंगी का बागान भी है,Nirmal's Orchard। Season नही था तो नारंगी तो नहीं दिखे पर Preserve किये हुए कई खाद्य उत्पाद उचित मूल्य पर वहां उपलब्ध थे।
Kalimpong शहर की छटा भी View Points से देखने को मिलती है। मौसम बारीशाना होने के कारण Kanchenjunga की चोटियां नजर नहीं आईं। सिक्किम का भी कुछ हिस्सा View Points से देखने को मिलता है।लौटते समय Tinchuley Monastery तथा Orchid Garden भी देख लिया। तिनचुले,असल में "तीन" और "चूल्हे" शब्दों के मेल से बना है।तिनचुले तीन चूल्हाकार पहाडियों से घिरा हुआ है।इसलिए इसका नाम तिनचुले पड़ गया।
3 बजे तक घूम फिर कर लौट आया।भूख लगी थी और Homestay kitchen ने शानदार खाना लगाया था। रोटी,चावल,दाल,चिकन करी, माछ भाजा,आलू चुरी भाजा,पापड़ उपर से शुद्ध घी और भुत-जोलकिया मिर्च का अचार..विशुद्ध तृप्तिकारी भोजन! भोजनोपरांत कमरे में पहुंचते ही बिस्तर पे गिरा और सो गया। शाम में चाय-पकौड़े का आनंद ले ही रहा था कि देखा कि कई Missed calls के Notifications आये हुए थे। असल में वहां पर Mobile Networks काफी कमजोर रहते हैं।काॅल किया तो पता चला कि कुछ आवश्यक कार्यवश कल ही वापस लौटना पड़ेगा। क्या करता..लौटने की तैयारी में लग गया। लेकिन दिल और दिमाग बार बार कह रहे थे..
WE'LL BE BACK..😎😎
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sharpbharat · 1 month
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Adiryapur ajsu leader attacked : आजसू के केंद्रीय महासचिव माकड़ महतो पर हमला, घायल माकड़ का टीएमएच में चल रहा इलाज, बाइक से पहुंचे 8 से 10 सशस्त्र युवकों ने माकड़ पर हमला किया
आदित्सयपुर : रायकेला जिले के कांड्रा थाना अंतर्गत गिद्दीबेड़ा टोल प्लाजा के पास गोराई होटल में नाश्ता कर रहे आजसू केंद्रीय महासचिव सत्यनारायण महतो उर्फ माकड़ महतो पर बुधवार शाम जानलेवा हमला किये जाने का मामला सामने आया है. हमले में आजसू नेता को गंभीर चोटें आई हैं, जिसके इलाज के लिए उनको टीएमएच में भर्ती कराया गया है. कांड्रा थाने की पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है. बताया गया है कि बाइक पर…
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shivendushukla · 1 month
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बलिदान परम धर्म
मैं रोज सुबह आजकल देर से उठ रहा था, अपने पिता के साथ रहने का ये परिणाम हो गया था कि अब वो मेरे लिए नाश्ता बना दिया करते थे। बाबा के जाने के बाद से दादी माँ के साथ रहने लगीं और मैं और पिताजी मुंबई आ गए मेरे भाग्य सुधारने। घर के काम मैं कर लेता हूँ, और कभी कभी करता भी हूँ लेकिन जब तक मैं कॉफी इत्मीनान से हलक से नीचे उतार पाता हूँ, तब तक वे आधी दुनिया से जीत चुके होते हैं। कहने का तात्पर्य ये है कि हमारे पिताजी के लिए कर्म सबसे ऊपर है, तो वे बिना सोचे काम करते ही जाते हैं, उन कामों मे अब उनके बेटे के लिए नाश्ता बनाना या उसके कपड़े प्रेस के लिए देना आम बात हो गई थी। ये सब उनकी दिनचर्या मे शामिल होता जा रहा था।
ऐसा नहीं है कि मैं पास खड़े सब देखूँ और मुझे लज्जा ना आए, मैं तो अंदर ही अंदर खुद को बहुत कोसता हूँ लेकिन आजकल दिन ऐसे हैं कि काम की थकावट के चलते मेरा शरीर मुझे दिन के अंत मे ज्यादा कुछ करने की अनुमति नहीं देता। और ये अपने आप मे एक बहाना लगने लगता है जिसके चलते दिमाग मन को खूब गालियां देता है।
एक दिन की बात है जब मैं प्रेस किये हुए कपड़ों को अलमारी मे रख रहा था, मैंने देखा कि प्रेस करने मे लापरवाही की गई है। मुझे ये बिल्कुल पसंद न आया और मैंने झट से पिताजी से शिकायत की। उन्होंने भी यही सोचा होगा कि एक तो इसका काम करो ऊपर से नखरे सुनो। लेकिन हमेशा की तरह उन्होंने इन भावों को अपनी शब्दावली से दूर रखा। कहने लगे, चलो किसी और प्रेसवाले को ढूंढते हैं। मैंने सिर हिलाकर प्रेस किये हुए कपड़े अलमारी मे रख दिए।
कुछ दिनों तक ये चलता रहा। दरअसल जब हम दिल्ली मे रहते थे, तो जीवन बहुत सरल हुआ करता था। मुंबई आने पर कठिनाईयां तो सामने आई, पर मैंने पाया कि उनसे भागने की जगह उन्हे तालाब समझ कर उसमे लेट जाओ तो तैरने मे मज़ा आने लगता है।
मुझे सज धज के टिंच होकर काम पर जाना बहुत अच्छा लगता था, तो अगर मेरी शर्ट ढंग से प्रेस न हुई हो तो आज भी बहुत चिढ़ मचती है। मुझे ऐसा लगने लगा कि हमारे प्रेसवालेने बहुत ज्यादा ही काम उठा लिया था और अब उससे ढंग से काम हो नहीं पा रहा था। लगातार शिकायतों के बाद एक दिन पिताजी ने मुझे डांटा, कि तुम खुद भी तो ढूंढ सकते हो एक नया प्रेसवाला।
माँ बाप की डांट हमेशा कडवे करेले की भांति मुख पर चार चाँटों की तरह लगती है। सारा अभिमान धरा का धरा रह जाता है और आप चींटी समान हो जाते हैं। आप जितना भी हीरो बन लें, एक बार उनका स्वर घूमा तो आप घूम जाते हैं। और मैंने ये पाया है कि उनकी डांट सच से परिपूर्ण होती है। और सच करेले की तरह (लास्ट टाइम आई चेक्ड) कड़वा ही होता है। पर करेला स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है।
जी हाँ, तो इस डांट के बाद मुझे लगा बात तो सही कह रहे हैं पर फिर भी मैं किसी को न ढूंढ पाया और इस बारे मे हमारी दोबारा बात नहीं हुई।
एक दिन सुबह 11 बजे उठने पर मैंने सुबह की कॉफी के बाद, नहाने से पहले कपड़े निकालकर रखना चाहा। मैंने जो देखा उससे मैं बहुत प्रसन्न हुआ। पिताजी की उँगलियाँ कीबोर्ड पर शताब्दी एक्स्प्रेस की तरह दौड़ रहीं थी। मैंने उनकी तरफ देखा तो वे मगन होकर लिख रहे थे और लिखते समय मैं उन्हे टोकने की गलती कभी नहीं करता था। एक लेखक इसके पीछे का कारण जरूर समझेगा।
अब मैं आपको बताता हूँ कि मैंने क्या देखा। सटीक किनारे, महसूस करने मे एकदम कड़क, चमचमाती और साफ सुथरी शर्ट जिसपर प्रेस बहुत अच्छे से हुआ था। मुझे बहुत खुशी हुई देखकर। मैंने आखिर मे पिताजी को बोल ही दिया कि अरे वाह, ये प्रेस वाला तो लगता है सीख गया। पिताजी पहले तो कुछ न बोले, थोड़ा मुस्कुराये और फिर कहा हाँ, आज आया था तो बता रहा था नया लड़का रख लिया है, वो गठरी थोड़ी ढीली बांधता है। ये कहकर वे वापस से लि��ने लगे।
मैं खुशी खुशी नहाकर ऑफिस चल गया। शाम को घर आया तो अपनी वाली चाबी से घर का दरवाजा खोला। घर पर मैं अकेला था, पिताजी शाम को अक्सर मीटिंग और प्रोग्रामों मे जाते थे। चाबी खूंटी मे टाँगने के बाद जब मैंने जूतों वाली अलमारी खोली तो उसमे पीछे एक नया कपड़ा किसी चीज को ढ़क रहा था, कपड़ा उठाया तो वहाँ एक नई प्रेस रखी थी। प्रेसवाले ने जो नया लड़का रखा था, वो मुझे इस कदर भावुक कर देगा, ये कौन सोच सकता था।
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dainiksamachar · 2 months
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एक दिन में खुद कितना पढ़ते हैं विकास दिव्यकीर्ति सर, सोने से लेकर घूमने तक पूरा रूटीन जान लीजिए
नई दिल्ली : पिछले कुछ सालों में यह शख्स सोशल मीडिया पर युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ है। सोशल मीडिया पर युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक इस आदमी के फैन बने हैं। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों में इस शख्स को सम्मान से देखा जाता है। इस शख्स के एक-एक शब्द को युवा बड़े ही ध्यान से सुनते हैं। कई युवा ना सिर्फ इन्हें सुनते हैं बल्कि इनकी बातों को फॉलो कर जीवन में सफल भी हुए। इनके वीडियो को कई युवा तो बड़े ही शान से न सिर्फ स्टेटस लगाते हैं बल्कि अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में शेयर करते हैं। ये शख्स हैं के संस्थापक डॉ. विकास कीर्ति। इनकी पहचान टीचर, लेखक, लेक्चरर, यूट्यूबर से लेकर मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में है। इंटरनेट पर क्या-क्या खोजते हैं उनके बारे में गूगल पर लोग के वीडियो के अलावा उनकी उम्र, उनकी संपत्ति, उनकी यूपीएससी रैंक से लेकर बायोग्राफी, परिवार से लेकर 12th फेल फिल्म का तक सर्च करते हैं। ऐसे में कई लोग निश्चित रूप से इनके जीवन और डेली रूटीन को लेकर भी बहुत कुछ जानना चाहते हैं। हालांकि, डॉ. ने इस मुद्दे पर भी अपने प्रशंसकों को निराश नहीं किया है। एक वीडियो में विकास दिव्यकीर्ति बताते हैं कि वह बिल्कुल आराम से सुबह 9 से 10.00 बजे के बीच उठते हैं। वे बताते हैं कि क्लास को लेकर कोई जरूरी मीटिंग हो तो 9 बजे या मीटिंग नहीं हो तो 10 बजे तक उठता हूं। इससे पहले बहुत जरूरी नहीं होने पर ही वे उठते हैं। इसके बाद सुबह 11 बजे परिवार के साथ जिसमें पिताजी भी होते हैं, नाश्ता करते हैं। नाश्ते के बाद परिवारवाले एक से आधे घंटे तक गप्प मारते हैं। ऑफिस जाने का टाइम फिक्स नहीं वीडियो में डॉ. विकास दिव्यकीर्ति बताते हैं कि वे दोपहर 12 बजे के बाद ही ऑफिस जाते हैं। वे बताते हैं कि उनकी जरूरी मीटिंग दोपहर 1 बजे के बाद ही होती है। उनका कहना है कि वे दोपहर में 1 बजे से 2 बजे तक जरूरी मीटिंग पूरी करते हैं। इसके बाद कोई खास काम नहीं होता है। डॉ. दिव्यकीर्ति के शब्दों में इसके बाद कोई खास काम तो होता नहीं हो मैनेजमेंट के सीनियर लोगों में से किसी को बुला लेता हूं। उनके साथ क्या कुछ चल रहा है, किसी को कोई दिक्कत तो नहीं है, इसपर चर्चा करता हूं। शाम को सभी सीनियर मोस्ट लोगों को बुलाकर कॉफी पर चर्चा कर लेता हूं। इसके बाद घर के लिए निकल जाता हूं। इस तरह काम चल जाता है। घर जाने पर एक घंटा सैर शाम को घर जाने के बाद डॉ. दिव्यकीर्ति एक घंटा सैर जरूर करते हैं। वो सैर करने का समय रात 11 से 12 बजे या 12 से 1 बजे के बीच होता है। उस समय सोसायटी के अंदर सैर करते समय सड़क पर अधिक लोग नहीं मिलते हैं। ये सैर गर्मियों के साथ ही सर्दियों में भी जारी रहती है। उस समय उनके साथ संस्था के सीनियर मोस्ट डिप्टी सीईओ साथ होते हैं। उस आधे एक घंटे के दौरान दिनभर की घटनाओं का ब्रीफ लेते हैं। एक दिन में कितना पढ़ते हैं? डॉ. विकास दिव्यकीर्ति का कहना है कि वो रात को सैर खत्म करने के बाद 12 बजे से सुबह तीन बजे तक पढ़ते हैं। क्या पढ़ने के सवाल पर वे कहते हैं कि इस बारे में कुछ भी निश्चित नहीं होता है। उन्हें यदि किसी विषय पर वीडियो बनाना है तो उसपर रिसर्च करते हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि रिसर्च का कोई भी टॉपिक नहीं तो कोई भी किताब जो भी सामने होती है उसे पढ़ते हैं। डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के स्टडी रूप में करीब 1500 किताबें हैं। उनमें से जो भी लगता है कि यह पढ़ना ठीक रहेगा। उसे पढ़ते हैं। रात को तीन घंटे पढ़ने के बाद ही वह सोने जाते हैं। उनका कहना है कि यदि वह रात को ना पढ़ें तो वे बेचैन हो जाते हैं। विकास दिव्यकीर्ति के शब्दों में 'इस तरह पढ़ाई, सैर और नाश्ते पर परिवार के साथ चर्चा ना हो तो लगता है कि मेरा जीवन अधूरा है।' http://dlvr.it/T3W2Bj
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iammanhar · 3 months
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Day☛1176✍️+91/CG10☛In Home☛ 15/01/24 (Mon) ☛ 22:07
आज घर था क्योंकि पंडित मामा लोग आये थे ,उनके साथ गाँधी चौक गया था ,वे लोग खेती सम्बंधित पॉवर स्ट्रोक मशीन लिए है ,उसके बाद वे लोग गाँव चले गए ......
आज ऑफिस जाना नहीं हो पाया ,कारण उपरोक्त स्पष्ट है ,शाम को ससुराल से कुछ मेहमान आये थे ,असल में वे लोग पेंड्रीदीह तालाब नहाने गए थे ,वापसी में हमारे घर कुछ समय रुके और चाय नाश्ता करने के बाद वे लोग वापस गाँव चले गए .......करीब 8 से 10 लोग आये थे ......ज्यादातर लोग पहली बार हमारे यहाँ आये थे ,अच्छा लगा कि वे लोग कुछ समय के लिए हमारे यहाँ रुके थे और आने की आश्वाशन देकर गए है ,भले ही वे लोग पुनः आये या मत आये किन्तु आएंगे जरुर क्योंकि बेटी की प्यार अनंत होती है .....
आज शेयर मार्केट में नुकसान हो गया ,पहले तो 337 का फायदा था उसके बाद tcs में नुकसान हो गया यार .........रिलायंस ने मुझे फायदा दिया उसके बाद टाटा ग्रुप से मुझे नुकसान हो गया ....गलती मेरी है कि मैंने बिना एनालिसिस किये tcs की call में दांव लगा दिया और नुकसान हो गया | पहले रिलायंस के call स्टॉक्स से exit होकर tcs में डबल एंट्री किया ,वही नुकसान हुआ आज .....अब इन्वेस्ट करने से पहले कंपनी का एनालिसिस करूंगा उसके बाद पैसा लगाऊंगा ,वर्ना आज की तरह नुकसान ही होगा और कुछ नहीं .......
ok good night
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infohotspot · 4 months
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आयुर्वेद किसी भी बीमारी को ठीक करने का तरिका है जिसे प्राचीनकाल से इस्तमाल किया जा रहा है। अब तो विदेशो मे भी इसका चलन बढ गया है।आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स दे रहे है, जिसे आप हररोज अपनाकर बीमारियों से दूर रेह सकते है। किसी मित्र या सहकर्मी के साथ टहलने का कार्यक्रम बनाएं। आयुर्वेद एक त्रिदोष व्यायाम चलने पर विचार करता है: यह आपके शरीर पर अत्यधिक दबाव डाले बिना तीनों दोषों को संतुलित करता है। यह मन को शांत करता है और इंद्रियों का पोषण करता है। दोपहर को ताज़ा खाना खाए और शांत वातावरण में खाएं और जब आप खाएं तो अपने भोजन पर ध्यान दें। और हर बाईट को अच्छे से चेबाकर खाए कहा जाता है की खाने खाते वक़्त खाने को 32 बार चेबना चाहिए। जब कभी भी खाना खाए तो पेट में हल्की सी जगह रखनी चाहिए। सुबह का नास्ता जरुर करना चाहिए और हो सके तो शाम को 8 बजे से पहले खाना खाए लेना चाहिए। सुबह के वक़्त फल का रस पीना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए और पानी हमेशा खाना खाने के 40 मिनिट बाद पीना चाहिए। हर रोज सुबह उठकर गरम गुनगुना पानी पीना चाहिए और कभी भी इसे एक साथ पीने की कोशिश न करे पानी हमेशा एक एक सिप करके पिए। एक गिलास दूध पिएं। एक थकाऊ दिन के अंत में, जब आप अपनी आँखें बंद नहीं कर सकते, तो निराश न हों: एक गिलास गर्म दूध पिएं। दूध कार्बनिक और योजक से मुक्त होना चाहिए, और इसे पचाने में आसान बनाने के लिए इसे पीने से पहले इलायची की एक चुटकी के साथ उबला हुआ होना चाहिए। अपच से बचने के लिए, भोजन से दूर इसे अकेले पिएं। जड़ी बूटी चाय पीएं। प्रकृति की हीलिंग जड़ी बूटियों से तैयार ऑल-नैचुरल, कैफीन-मुक्त चाय आराम और रिचार्ज करने का एक सही तरीका है: स्वाद और मिश्रण को चुनने के लिए महर्षि आयुर्वेद की विस्तृत श्रृंखला में से चुनें अपना स्किन पैक बनाएं। आयुर्वेदिक उपचारकर्ता आपकी त्वचा पर पूरी तरह से प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करने की सलाह देते हैं: अधिमानतः वे सामग्री जो खाने के लिए भी सुरक्षित हैं। शहद, ऑर्गेनिक रोज वॉटर, खीरा, दलिया, पिसे हुए बादाम, दूध, और दही जैसे खाद्य पदार्थों में से ऐसे पैक चुनें जो आपकी त्वचा को एक्सफोलिएट, क्लीन और मॉइस्चराइज़ करें। जल्दी सोए।आयुर्वेदिक चिकित्सक अच्छी नींद के मूल्य पर जोर देते हैं सिर्फ इसलिए कि आराम गतिशील गतिविधि का आधार है। यदि आप नींद के असंतुलन से पीड़ित हैं, तो महर्षि आयुर्वेद के आनंदमय नींद के फार्मूले की ओर मुड़ें। प्रकृति में सबसे अधिक उपचार वाली जड़ी-बूटियों में से कुछ से निर्मित, आपको बिना किसी साइड इफेक्ट के गुणवत्तापूर्ण आराम पहुंचाएगा। डीप रेस्ट उन लोगों के लिए है जो 2:00 और 4:00 बजे के बीच ऊर्जावान महसूस करते हैं। सूरज के साथ उदय। यह करना आसान होगा यदि आप 10:00 बजे से पहले बिस्तर पर जाते हैं। सुबह जल्दी उठने से आपको अपने सुबह के समय पर ध्यान केंद्रित करने और एक अच्छा पौष्टिक नाश्ता तैयार करने का समय मिलता है। इसके अलावा, यह आपको प्रकृति की शांत सुबह का आनंद लेने का समय देता है। अगर आप घुटनों के दर्द से परेशान है तो प्रतिदिन सुबह एक छोटी चेमच मेथी दाने का चूरण गुनगुने पानी के साथ सेवन करे ऐसा करने से दर्द कम होता है
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icnnetwork · 4 months
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#UP-हरदोई में ठंड बढ़ते ही मूंगफली की बढ़ी डिमांड, प्रोटीन से भरपूर है मूंगफली
#Hardoi #WinterSason #foodindemand
#coldwave #IndiaCoreNews
#Protein
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igamravatirange · 9 months
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Post#19
नाशिक पुलिस अकादमी…
ग्राउंड पर दूसरी महत्वपूर्ण एक्टिविटी थी, ड्रिल। इसे भी पाड़वी स्टाइल में सीखने के कारण, ये तन में रच-बस गई है... मक़सद। रीक्रूटों में उच्च कोटि का अनुशासन, पुलिस दल में स्वाभिमान का भाव उत्पन्न करने के लिए ड्रिल बनाई गई है। जिसमें, तीन बातों की खास ज़रूरत है। हुक्म मानना, वक़्त का पाबंद होना और टर्न आउट साफ़-सुथरा रखना। इन बातों के साथ अगर ढंग से ड्रिल की जाए, तो देखने वालों को गर्व होता है।
छः महीने के लिए सुरेश कक्कड़ साहब और शेष छः महीने के लिए सुरेश अहिरे साहब, डिप्टी डायरेक्टर थे और रिज़र्व पुलिस इंस्पेक्टर सैयद रऊफ़ आउटडोर इंचार्ज़ थे। गुच्छेदार मूंछो वाले, रऊफ़ खरखरी आवाज़ में बात करते थे। उन्होंने एक इतवार, दो सब-इंस्पेक्टर कैडेट्स को नासिक के सिनेमाघर के पास कुछ ग़लत हरकत करते देखा। शाम को रऊफ साहब रोलकॉल पर आए और ग़लत आचरण करने वालों को चुपचाप फॉल-आउट होने के लिए कहा। लेकिन कोई बाहर नहीं आया। साढ़े-तीन-सौ कैडेट्स में से उन दोनों को कैसे पहचानेंगे? लेकिन बाज़ की नज़र वाले, रऊफ साहब स्कॉड्स के सामने स्थित चौकोर ख़ाली जगह पर आए और चावल के दाने चुगने की तरह, उन दोनों को चुनकर बाहर निकालकर फ्रंटरोल मारने के लिए लगाया। मैं तो हैरान रह गया। यह कितना मुश्क़िल था, इसका अंदाजा मुझे तब लगा जब आगे यश और जाई को, स्कूल से घर लाने के लिए जाता और एक जैसे यूनिफ़ॉर्म पहने बच्चों के बीच उन्हें तब तक नहीं पहचान पाता जब तक कि, वे मेरे पास आकर नहीं खड़े हो जाते।
हमारा कमरा नंबर पाँच नाश्ते के लिए प्रसिद्ध था। प्रवीण की माँ बॉक्स भर-भरकर नाश्ते की सामग्री भेजती थीं। प्रवीण दरवाज़े के पास टेप के स्टूल के नीचे बॉक्स रखता था। भूख लगने पर कोई भी कमरे में आता और नाश्ता करके चला जाता। प्रवीण की माँ ने स्नेहसे भेजे ड्राय नाश्ते का मुझे सबसे ज़्यादा फ़ायदा होता था। मेस में दूसरी महत्वपूर्ण कॉमन प्रॉपर्टी थी, प्रवीण का बजाज चेतक स्कूटर। प्रवीण इतना दिलदार था कि किसी को मना नहीं करता था। आगे चलकर लोग उसकी पूर्व-सहमति मानकर, स्कूटर लेकर चले जाते थे। एक बार तो हीरा, दाना पिसाने के लिए यह स्कूटर लेकर चला गया था।
हर किसी का जन्मदिन मेस में या फिर कमरे में मनाया जाता था। उस समय की तस्वीरें आज भी मेरे संग्रह में मौजूद हैं। प्रत्येक सप्ताह किसी प्रोबेशनरी डी.वाई.एस.पी. की ऑफ़िसर ऑफ़ द वीक संक्षिप्त में ओ.डब्ल्यू. के रूप में क्रमवर्ती ड्यूटी लगती थी। उस सप्ताह के दौरान अकादमी के क्वार्टर गार्ड के साथ-साथ अन्य सभी गार्ड्स को चेक करना, शाम को कैडेट्स के रोलकॉल के लिए उपस्थित रहना आदि काम ओ.डब्ल्यू को करने पड़ते थे। इस अवधि में उन्हें ओ.डब्ल्यू लिखा हुआ आर्म-र्बैंड पहनना पड़ता था और एम.टी. से अकादमी परिसर में आने-जाने के लिए, बुलेट मोटरसाइकिल मिलती थी। ४५ दिनों की ट्रेनिंग के लिए हमारे साथ, आई.पी.एस. रेगुलर रीक्रूट्स १९९० और १९९१ के दस-बारह अधिकारी थे। उनके साथ कॉमन फ़ील्ड ट्रेनिंग में मज़ा आया। हमारे साथ दाखिल हुय़ी ३५-४० महिला पुलिस, सब-इंस्पेक्टर कैडेट्स की ट्रेनिंग छः महीने की थी। उनकी पासिंग आउट परेड काफ़ी अच्छी हुई थी।
उम्र के लिहाज़ से प्रभाकर बुधवंत, अनंत रोकडे, किशोर पाड़वी, डॉ. संजय अपरांती और मधुकर तलपाडे हमारे बैच के सबसे सीनियर सदस्यों में से थे। उसके बाद संजय मोहिते, अमर जाधव, सुनी�� कोल्हे और मैं मिडिल ऑर्डर के और सुनील फ़ुलारी, संजय बाविस्कर, दत्तात्रय कराले, विवेक शेखर, प्रवीण पवार, दिलीप भुजबल, सुप्रिया पाटील उम्र में हमसे जूनियर थे। पहले पाँच लोगों को, किसी लड़ाई-झगड़े के अलावा, कभी कोई तू कहकर नहीं बुलाता था। इनमें से एक जन का इंडियन मिलिट्री अकादमी में चयन हो गया था, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते, वह वहाँ नहीं गया। उसकी बातचीत में दो-तीन बार इस बात का उल्लेख आया था। एक बार मेस में ब्रेकफ़ास्ट के दौरान भी यह उल्लेख आया। संजय मोहिते ने दूध के गिलास में टोस्ट डुबाकर चम्मच ठोकते हुए कहा था, ‘‘आपको आई.एम.ए. में जाना चाहिए था। अब तक निश्चित ही सूबेदार-मेज़र बन गए होते।’’ और एक की ख़ाकी पतलून की लंबाई थोड़ी कम थी। लेक्चर के लिए जाते समय स्कॉड मेस के गेट के पास फ़ॉल-इन हो गया था। उनके पैंट के बॉटम की ओर देखते हुए संजय मोहिते ने कहा, ‘‘साब आप फुल-पैंट क्यूँ नहीं पहनते हैं?” वह साहब, संजय मोहिते को ‘हाइट-लैस’ कहते थे! साहब से यदि पूछा जाता, ‘‘आपका रूम-मेट कहाँ गया?’’ तो वह फ़ौरन कहते, ‘‘ही इज़ नो मोर!’’
बॅचमेट किशोर पाड़वी को शेरो-शायरी का शौक़ था और अगर वे मूड में होते तो उर्दू-हिंदी शेर सुनाते थे। एक बार बरसात होने या अन्य किसी कारणवश पूरा स्कॅाड क्वार्टर-गार्ड इमारत के बरामदे में बैठे था। किसी ने किशोर पाड़वी से शेर सुनाने की फ़रमाइश की। पाड़वी ने शेर सुनाया:
हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वो क़त्ल भी करते हैं, तो चर्चे नहीं होते।
सबने तालियाँ बजाकर तारीफ़ की। अचानक ना जाने कैसे मेरे शरीर में आचार्य अत्रेजी का संचार हो उठा और ट्रेनिंग के वर्तमान घटना क्रम पर टिप्पणी करते हुए मैंने पाड़वी के शेर को तोड़-मरोड़कर पेश किया।
हम लाइन भी तोड़ते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वे बैडरेस्ट भी लेते हैं, तो चर्चे नहीं होते।
इस ‘दो मिनट में तैयार’ इंस्टेंट नूडल्स की सभी ने खूब तारीफ़ की।
Jayant Naiknavare,IPS
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Today's Horoscope-
सोमवार को सिंह राशि के लोगों को मानसिक रूप से ऊर्जावान रहते हुए, कठिन कामों पर जोखिम लेना सफलता दिलाने में मदद करेगा, वहीं कुंभ राशि के जिन लोगों ने नया व्यापार शुरू किया है, उन्हें माल का ऑर्डर लेने के लिए बाहर भी जाना पड़ सकता है. राशिफल में जानें कि सावन का दूसरा सोमवार आपके लिए क्या खास लेकर आया है.
मेष - मेष राशि के नौकरीपेशा लोगों को कार्यालय की हर परिस्थिति में सकारात्मक एप्रोच रखनी होगी, जो आपको एक सफल व्यक्ति बनाने में काफी सहायक सिद्ध होगी. व्यापारी वर्ग की बात करें तो कारोबार को और आगे बढ़ाने के लिए प्लानिंग करें, जिन लोगों ने प्लानिंग कर रखी है वह इसे क्रियान्वयन करें. युवा वर्ग संस्कारों को ताक में रखकर कोई भी कार्य न करें, संस्कारवान व्यक्ति को हर स्थान पर सम्मान प्राप्त होता है. जो महिलाएं संध्या पूजा पाठ नहीं करती है, उन्हें आज ही से शुरू कर देना चाहिए. शाम के समय घर में धूप बत्ती अवश्य जलानी चाहिए. सेहत की बात करें तो शारीरिक और मानसिक स्थिति यदि अच्छी रहेगी तो हेल्थ भी अच्छी रहेगी.
वृष - इस राशि के लोगों के लिए बॉस के ज्ञान को आत्मसात करने का समय है, उनसे मिला ज्ञान न केवल आज के लिए बल्कि आगे के लिए भी संभालकर रखें. व्यापारी वर्ग को थोड़ा बेंचे पर नकद बेंचे के सिद्धांत का पालन करना होगा, क्योंकि उधारी पर दिया गए माल का भुगतान होने में संदेह है. आलस्य की हवा युवाओं की कर्मठता को जंक लगा सकती हैं, इसलिए आलस्य को अपने आस-पास भी भटकने न दें. परिवार की जिम्मेदारी आपके कंधों पर होगी, आपसी तालमेल बना रहे, यह भी ध्यान रखना है. सेहत की बात करे तो फिटनेस पर ध्यान देना होगा, जो लोग मॉडलिंग करते है उनको खासतौर पर इस बात का ध्यान रखना होगा.
मिथुन - मिथुन राशि के लोगों का सहकर्मी संग छोटी सी बात पर बड़ा झगड़ा होने की आशंका है, इसलिए उनके संग हुई छोटी छोटी बातों को इग्नोर करें. कपड़ों का व्यापार करने वाले लोगों का फैशन को देखते हुए माल स्टोर करना चाहिए, जिससे आपकी दुकान ग्राहकों के आकर्षण का केंद्र बन सके. युवा और विद्यार्थियों को इस बार टेक्नोलॉजी के माध्यम से सब्जेक्ट को सरल करने का मार्ग खोजना होगा. पारिवारिक सुख, शांति में कुछ कमी रहेगी लेकिन इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है, बस इसे सुलझाने का प्रयास करें. सेहत की बात करें तो शाम के समय हल्का फुल्का नाश्ता करें, और संभव हो तो डिनर स्किप कर दें.
कर्क - इस राशि के लोग कर्मक्षेत्र में कुछ सहकर्मी कमियों को उच्चाधिकारियों के सामने प्रमुखता से रखने का प्रयास करेंगे, इसलिए गलतियों की कोई गुंजाइश न रखें. व्यापारी वर्ग स्वयं को कड़ी चुनौतियों के लिए तैयार रखें, क्योंकि मार्केट की उठापटक आपको एक साथ कई चुनौतियां दे सकती है. युवा वर्ग को दिखावे बाजी में धन खर्च करने से बचना होगा, दिखावे में धन खर्च करने के चक्कर में बैंक-बैलेंस पर ध्यान देना न भूल जाएं. घर में अचानक से रिश्तेदारों का आगमन हो सकता है, इसलिए घर की साफ सफाई की ओर पहले से ध्यान दें. हेल्थ को देखते हुए संभव हो तो आज के दिन फलों का सेवन अधिक करना चाहिए.
सिंह - सिंह राशि के लोगों को मानसिक रूप से ऊर्जावान रहते हुए, कठिन कामों पर जोखिम लेना सफलता की सीढ़ी बनेगा. थोक व्यापारियों को फुटकर व्यापारियों के साथ मान सम्मान से पेश आना होगा, उनके साथ किसी भी तरह की बदसलूकी करने से बचें. युवा वर्ग भ्रम की स्थिति के चलते गलत निर्णय ले सकते हैं, भ्रम से बाहर निकलने के लिए बड़ो से बात करें और मानसिक स्थिति में सुधार लाने का प्रयास करें. आज के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को खाने-पीने का सामान दें. हेल्थ में सुबह के नाश्ते में अंकुरित अनाज को शामिल करना आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहेगा.
कन्या - इस राशि के लोगों के अभी तक जो कार्य आसानी से पूर्ण हो जा रहे थे, इस दौरान उनको पूर्ण करने के लिए इन्हें कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ेगा. व्यापारियों की विरोधियों के साथ टकराव की स्थिति उत्पन्न होगी, ग्रहों की नकारात्मकता को समझते हुए बेवजह उलझने से बचें. विद्यार्थी हो या फिर युवा कार्य में क्रिएटिविटी को प्राथमिकता दें, इससे नंबर और प्रेजेंटेशन में लाभ मिलेगा. यदि जीवनसाथी का स्वास्थ्य सही नहीं है तो घरेलू कार्यों में जीवनसाथी की मदद करें. सेहत की बात करें तो पित्त और हाइपर एसिडिटी से परेशान हो सकते हैं.
तुला - तुला राशि के लोगों के ऑफिशियल कार्यों में रुकावटें आएंगी लेकिन निसंदेह जीत आपकी ही होगी. व्यापारी वर्ग द्वारा कारोबार के लिए पहले से की गई प्लानिंग को वर्तमान समय में लागू करने का समय आ गया है. ग्रहों की स्थिति युवाओं के लिए दोस्तों के साथ बाहर घूमने की योजना बना सकती है, बाहर जाने से पहले बड़ों की इजाजत लेना न भूलें. पारिवारिक सदस्यों के साथ समर्पण की भावना रखनी है, तो वहीं दूसरों के साथ अच्छा तालमेल लाभ दिलाएगा. सेहत की बात करें तो किन्हीं कारणों से बाहर का ही भोजन करना पड़ता है, तो हल्का भोजन ऑर्डर करें.
वृश्चिक - इस राशि के लोगों को टीम वर्क में कार्य करने से आपको मानसिक शांति मिलेगी और टारगेट भी जल्दी और सफलतापूर्वक पूर्ण होंगे. व्यापारी वर्ग को ए��� विशेष सलाह दी जाती है कि कार्यों में गड़बड़ी आने पर सूझबूझ के साथ समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहिए. विद्यार्थी वर्ग पढ़ाई को लेकर लापरवाही दिखाने से बचें, अन्यथा आने वाली परीक्षा के परिणाम खराब हो सकते हैं. यदि काफी समय से घर का इंटीरियर चेंज कराने के लिए सोच रहे है तो अब करा सकते हैं. सेहत में मधुमेह के रोगी अपनी दिनचर्या को नियमित रखें, और यदि रेगुलर बेसिस पर कोई दवा लेते है तो उसे लेने में कोई लापरवाही न बरतें.
धनु - धनु राशि के जो लोग इनकम टैक्स विभाग या शोध कार्यों में लगे हैं उन्हें इस बार कोई गुप्त सूचना मिल सकती है. व्यापारी वर्ग को साख में गिरावट लाने वाले कामों से दूर रहना है, कोई अनुचित कार्य करने से पहले अच्छे से विचार जरूर कर लें. युवा वर्ग सोशल मीडिया का उपयोग नकारात्मक पोस्ट को बढ़ावा देने के लिए कतई न करें. आज के दिन बेवजह क्रोध करना ठीक नहीं होगा क्योंकि ग्रहों के स्थितियां दूसरों के साथ तालमेल बैठा कर चलने को प्रेरित कर रही है. सेहत में आज के दिन छोटी-छोटी समस्याओं के लिए दवाइयों का प्रयोग न करें तो बेहतर होगा.
मकर - इस राशि के लोगों को मेहनत से पीछे नहीं हटना है क्योंकि कहीं न कहीं आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी. बेशक व्यापारियों को अनुभव है लेकिन दूसरों के सामने अपनी बौद्धिकता पर अभिमान करना ठीक नहीं है. युवा वर्ग बड़ों की बातों पर क्रोध करने की बजाय , उसके पीछे छिपे कारण को समझने का प्रयास करें. संतान की चाह रखने वाले दंपत्ति को नन्हे मेहमान के आने के संकेत मिल सकते हैं, जिसे जानने के बाद आपके परिवार की खुशियों में चार चांद लग जाएंगे. सेहत की बात करें तो वजन यदि कम है तो इसे बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा, लगातार वजन में गिरावट आना सेहत के लिए ठीक नहीं है.
कुंभ - कुंभ राशि के लोग ऑफिस में किसी पर तंज न कसें अन्यथा उधर से भी प्रतिक्रिया तीखी मिलेगी. जिन लोगों ने नया व्यापार शुरू किया है, उन्हें माल का ऑर्डर लेने के लिए बाहर भी जाना पड़ सकता है. जिन लोगों के दोस्तों के साथ गिले शिकवे चल रहे थे, वह उसे दूर कर दोस्ती को पुनः शुरू करें. यदि मन में शॉपिंग का विचार आ रहा था तो आज का दिन उत्तम है, साथ ही जीवनसाथी के लिए भी उपहार जरूर खरीदे. सेहत की बात करें तो मिर्च मसाले वाले खाने से दूर रहना होगा, अन्यथा अल्सर के रोगी परेशान रह सकते हैं.
मीन - इस राशि के लोगों को ज्ञान का दिखावा करने से बचना होगा, अन्यथा कार्यालय में उनकी इज्जत किरकिरी होने में समय नहीं लगेगा. मनमुताबिक मुनाफा न होने पर व्यापारी वर्ग परेशान न हो, व्यापार में इस तरह की उतार चढ़ाव की स्थितियां आना तो सामान्य है. ऑनलाइन क्लासेस लेने वाले विद्यार्थी वर्ग सॉफ्ट कॉपी नोट्स के भरोसे न रहें, खुद भी नोट्स तैयार करते रहें. आज के दिन अध्यात्म और सत्संग से जुड़कर रहना होगा. सेहत की दृष्टि से दांतों की समस्या या फिर मुंह में चोट लगने की आशंका है, इस ओर सचेत रहें.
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
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hindistoryok01 · 10 months
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Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein 3rd July 2023 Hindi Written Episode Update
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GHKKPM Written Update Today 3 July 2023, गुम है किसी के प्यार में, Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein upcoming Story in Hindi. ghum hai written update 4 july 2023
गुम है किसी के प्यार में 3 जुलाई का एपिसोड हिंदी में पढ़िए- सावी ने ईशा मैडम को फोन किया जो उसे पुणे जाने के लिए एक घंटे में मिलने के लिए कहती है। वह सहमत हो जाती है और अपना बैग पैक करती है। भवानी ने हरिणी से घर को ठीक से साफ करने के लिए कहा और सुनिश्चित किया कि सावी आज जींस न पहने। वह निनाद को याद दिलाती है कि जब लड़के का परिवार शाम 5 बजे सावी को देखने आएगा तो उसे तैयार रहना चाहिए। निनाद कहते हैं कि उनका छोटा बच्चा इतनी जल्दी बड़ा हो गया।
सावी अपनी सावी से आशीर्वाद चाहती है क्योंकि वह अपने जीवन के एक नए अध्याय में कदम रखने जा रही है। वह मुड़ती है और भवानी को खड़ा देखकर तनावग्रस्त हो जाती है। भवानी पूछती है कि वह कहाँ जा रही है। सावी कहती है कि वह कुछ खोज रही है और अभी तक उसे नहीं मिला, वह क्यों पूछ रही है कि क्या वह कहीं जा रही है। भवानी कहती है कि इसे भूल जाओ और उसे तब तक अपने पास रहने के लिए कहती है जब तक कि लड़के का परिवार उसे नहीं देख लेता।
भवानी सावी को नाश्ता तैयार करने के लिए कहती है
सावी को लगता है कि उसकी नजरों से बचना मुश्किल है और वह मोबाइल में व्यस्त हो जाती है। भवानी उसे मेहमानों के लिए नाश्ता तैयार करने का आदेश देती है। हरिनी कहती है कि वह नाश्ता तैयार करेगी। भवानी सावी को नाश्ता तैयार करने के लिए कहती है क्योंकि लड़के के परिवार को आमतौर पर लड़की के बनाये नाश्ते पसंद आते हैं। सावी सोचती है कि उसे भवानी के कारण देर हो जाएगी और नाश्ता तैयार करना शुरू कर देगी
ईशा छात्रों के साथ सवि का इंतजार करती है। छात्रों का कहना है कि उन्हें देर हो रही है और उन्हें चले जाना चाहिए। ईशा कहती है कि उन्हें सावी का इंतजार करना चाहिए, सावी को फोन करती है और पूछती है कि वह अभी तक क्यों नहीं पहुंची, क्या यह उसकी आजी के कारण है। सावी कहती है कि उसकी आजी ने गठबंधन के लिए एक लड़के को बुलाया है, वह कुछ ही मिनटों में वहां पहुंच जाएगी। ईशा का कहना है कि सावी उनका स्टार डिबेटर है और वह चाहती है कि सावी भोसले इंस्टीट्यूट की छात्रवृत्ति जीते
सावी ने नाश्ता तैयार करना समाप्त कर लिया। अश्विनी अंदर आती है और पूछती है कि क्या उसने वे सभी तैयार किए हैं। सावी हाँ कहती है। भवानी अंदर आती है और अश्विनी को बाहर भेजती है। वह सावी को कुछ मेकअप करने और एक लड़के के सामने अच्छी दिखने का सुझाव देती है। सावी चुपचाप कुछ स्नैक्स पैक करती है। भवानी पूछती है कि वह क्या कर रही है।
सावी कहती है कि वह बप्पा को भोग लगाने जा रही है। भवानी कहती है कि वह जानती है कि सावी घर से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है। सावी का कहना है कि जब भी वे कुछ नया प्लान करते हैं तो भवानी ने उन्हें बप्पा को भोग लगाना सिखाया। भवानी वह खुद मंदिर जाएंगी और बप्पा को भोग लगाएंगी।
एक बार जब भवानी चली जाती है, सावी घर से बाहर निकलने की कोशिश करती है और एक पौधे का गमला गिरा देती है। भवानी सतर्क हो जाती है. हरिनी उसका ध्यान भटकाती है और उसे दूर भेज देती है। सावी अपने स्कूटर पर बैठती है। हरिनी ने उसे शाम 5 बजे तक घर लौटने के लिए कहा। वरना भवानी उसे स्वर्गीय सावी बना देगी। सावी कहती है कि उसे पहले ही देर हो चुकी है और वह शाम 5 बजे तक लौटने का वादा करती है।
वह अपना स्कूटर चलाती है। छात्र ईशा से पूछते हैं कि क्या वे अब जा सकते हैं क्योंकि उन्हें देर हो रही है। ईशा सहमत हो जाती है और बस में बैठ जाती है। सावी ने उसे फोन किया और बताया कि वह जल्द ही कॉलेज पहुंच जाएगी। ईशा कहती है कि वे पहले ही चले गए। सावी कहती है कि वह उससे तीन हाथ नाका पर मिलेगी और अपने स्कूटर पर है।
ईशा उससे देर न करने के लिए कहती है क्योंकि वे पहले ही देर कर चुके हैं। सावी सहमत हो जाती है और तीन हाथ नाका की ओर तेजी से बढ़ती है जब उसका स्कूटर खराब हो जाता है। वह वहां से गुजरने वाले वाहनों से लिफ्ट मांगती है, लेकिन कोई नहीं रुकता। वह देखती है कि कुछ बच्चे गुलेल से पेड़ पर फंसी गेंद को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं और गुलेल के बदले में वह उनकी मदद करती है।
आगे क्या होगा: ईशान ने रीवा को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने का प्रस्ताव रखा।
सावी उसकी कार का शीशा तोड़ देता है, कार में चढ़ जाता है, उसे चकमा देता है और भोसले इंस्टीट्यूट पहुंचता है। ईशान का कहना है कि यह उनका संस्थान है। सावी ने स्वीकार किया कि उसने उसकी कार का शीशा तोड़ दिया क्योंकि उसे आईएएस प्रवेश परीक्षा के लिए कॉलेज पहुंचना था।
यह भी पढ़े:- 100 मजेदार पहेलिया हिंदी में
Source link:- https://hindistoryok.com/ghum-hai-kisi-ke-pyaar-mein-3rd-july-2023-hindi-written-episode-update-2/
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धूम्रपान का वातावरण: कुछ क्षेत्रों में धूम्रपान की अनुमति है, जो धूम्रपान न करने वालों या निष्क्रिय धूम्रपान के प्रति संवेदनशील लोगों के लिए चिंता का विषय हो सकता है। खेलों की विस्तृत श्रृंखला: विभिन्न प्राथमिकताओं और कौशल स्तरों को पूरा करने वाले स्लॉट, टेबल गेम और बिंगो का विस्तृत चयन। सीमित आवास: साइट पर आवास का कोई विकल्प नहीं है, जिसके कारण आगंतुकों को कहीं और आवास ढूंढना पड़ता है। पुरस्कार और प्रचार: मुफ्त गेम, भोजन छूट और विशेष कार्यक्रम निमंत्रण जैसे विशेष लाभों के साथ वफादारी कार्यक्रम। शहरी क्षेत्रों से दूरी: शहरी क्षेत्रों में रहने वालों के लिए दूरस्थ स्थान कम सुविधाजनक हो सकता है, जिससे यात्रा लंबी हो सकती है। मनोरंजन के विकल्प: लोकप्रिय संगीतकारों, हास्य कलाकारों और कलाकारों के लाइव कार्यक्रम अतिरिक्त मनोरंजन विकल्प प्रदान करते हैं। संभावित भीड़: चरम समय के दौरान, कैसीनो में भीड़ हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप खेल और भोजन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। भोजन विकल्प: विभिन्न स्वाद और बजट के अनुरूप विभिन्न प्रकार के पाक अनुभव प्रदान करने वाले कई भोजन स्थल। सीमित मनोरंजन विविधता: बड़े कैसीनो रिसॉर्ट्स की तुलना में मनोरंजन विकल्पों का छोटा चयन। मैत्रीपूर्ण माहौल: स्वागत करने वाला और मैत्रीपूर्ण स्ट���फ, जो उत्कृष्ट ग्राहक सेवा के लिए जाना जाता है, मेहमानों के लिए सुखद माहौल बनाता है। जुए की लत के जोखिम: किसी भी कैसीनो की तरह, टेबल माउंटेन कैसीनो के साथ जुए की लत का खतरा जुड़ा हुआ है। संक्षेप में, टेबल माउंटेन कैसीनो की यात्रा आपको किसी अन्य से अलग अनुभव देगी। संक्षेप में, कैलिफ़ोर्निया का टेबल माउंटेन कैसीनो सैन जोकिन वैली मनोरंजन और उत्साह के लिए आपकी नंबर एक पसंद है। टेबल माउंटेन कैसीनो अपने मेहमानों को विभिन्न प्रकार के कैसीनो गेम, स्वादिष्ट भोजन विकल्प, मनोरंजक लाइव प्रदर्शन, आरामदायक आवास और रोमांचक कार्यक्रम और प्रचार प्रदान करता है। रोमांचक माहौल, मददगार स्टाफ और मनोरंजन के कई विकल्पों से अभिभूत होने के लिए तैयार रहें। जब आप टेबल माउंटेन कैसीनो में प्रवेश करते हैं, तो आपको पता चलेगा कि आप एक ऐसे अनुभव में हैं जिसे आप जल्द ही नहीं भूलेंगे। खतरे के किनारे का अन्वेषण करें, विलासिता की ऊंचाई का अनुभव करें, और टेबल माउंटेन कैसीनो में ऐसी यादें बनाएं जो जीवन भर याद रहेंगी। अन्य खेलों के लिए देखें कैसीनो भविष्यवाणी सॉफ्टवेयर. मानक प्रश्न और उत्तर टेबल माउंटेन कैसीनो में मज़ा कभी नहीं रुकता क्योंकि हम सप्ताह के हर दिन बिना रुके खुले रहते हैं। शराब खरीदने के लिए मेहमानों की आयु कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए और कैसीनो में प्रवेश करने के लिए उनकी आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। प्लेयर्स क्लब टेबल माउंटेन कैसीनो में एक पुरस्कार कार्यक्रम है जो सदस्यों को भत्तों और विशेष सौदों तक पहुंच प्रदान करता है। हाँ, टेबल माउंटेन कैसीनो का होटल शानदार है और विभिन्न प्रकार के शानदार कमरे और सुइट्स प्रदान करता है। यदि आपको कैसीनो तक जाना या जाना है, तो टेबल माउंटेन कैसीनो में शटल सेवा निःशुल्क है। Source link
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sharpbharat · 10 months
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Jamshedpur mym food distribution - मायुमं की अचीवर्स शाखा ने बिष्टुपुर कुष्ठ आश्रम में लोगों को कराया नाश्ता
जमशेदपुर: मारवाड़ी युवा मंच टाटानगर अचीवर्स शाखा के द्वारा शनिवार को बिष्टुपुर स्थित पार्वती घाट कुष्ठ आश्रम में शाम का नाश्ता कराया गया. मंच के प्रांतीय संस्थापक अध्यक्ष गोविंद मेवाड़ के सम्मान में जन सेवा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर शाखा अध्यक्ष रवि कुमार गुप्ता ने बताया कि झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी युवा मंच के स्थापना दिवस पर आठ दिवसीय विभिन्न कार्यक्रम 8 पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के सम्मान में…
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deepinsideheartsblog · 10 months
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"सुनो खुशबू ..
मम्मी पापा आ रहे हैं कल ..... दस दिन
यही रूकेंगे.....एडजस्ट कर लेना....."राजेश ने खुशबू को
बैड पर लेटते हुए कहा।
"..कोई बात नही राजेश ... आने दिजिए आपको शिकायत का कोई मौका नही मिलेगा....."....खुशबू
ने रिप्लाई दिया .....
सुबह जब राजेश की आंख खुली ... खुशबू बिस्तर छोड़ चुकी थी। "चाय ले लो..खुशबू ने राजेश की तरफ चाय का कप बढाते हुए कहा..
अरे खुशबू... तुम आज इतनी जल्दी नहा ली..
हां तुमने ही तो रात को बताया था कि आज मम्मी पापा आने वाले हैं तो सोचा घर को थोड़ा अरेंज कर
लूं.....वैसे..किस वक्त तक आ जाएंगे वो लोग..
"दोपहर वाली गाड़ी से पहुंचेंगे चार तो बज ही जाऐंगे....
राजेश ने चाय का कप खत्म करते हुए जवाब दिया..
"खुशबू..देखना कभी पिछली बार की तरह....."नही
नही..पिछली बार जैसा कुछ भी नही होगा..खुशबू ने भी कप खत्म करते हुए राजेश को कहा और उठकर रसोई की तरफ बढ गई।.......
नाश्ता करने के बाद राजेश ने खुशबू से पूछा "..तुम तैयार नही हुई..क्या
बात..आज स्कूल की छुट्टी है..??.." नही..आज तुम
निकलो मैं आटो से पहुंच जाऊंगी..थोड़ा लेट
निकलूंगी..खुशबू ने लंच बाक्स थमाते हुए राजेश को
कहा।...."..बाय बाय..कहकर राजेश बाइक से आफिस
के लिए निकल गया। और खुशबू घर के काम में लग
गई......
"..मुझे तो ब��ुत डर लग रहा है मैं तुम्हारे कहने से राजेश
के पास जा तो रहा हूं लेकिन पिछली बार बहू से
जिस तरह खटपट हुई थी ...मेरा तो मन ही भर गया
।....ना जाने ये दस दिन कैसे जाने वाले हैं..राजेश के
पिताजी राजेश की मम्मी से कह रहे थे।...."..अजी..
भूल भी जाइये..बच्ची है.......कुछ हमारी भी तो
गलती थी....हम भी तो खुशबू से कुछ ज्यादा ही
उम्मीद लगाए बैठे थे....उन बातों को अब सालभर
बीत गया है..क्या पता कुछ बदलाव आ गया
हो...इंसान हर पल कुछ नया सीखता है....क्या पता
कौन सी ठोकर किस को क्या सिखा दे राजेश की
मां ने पिताजी को हौंसला देते हुए कहा......
दरअसल दो भाइयों में राजेश बड़ा था और श्रवण
छोटा।...राजेश गांव से दसवीं करके शहर आ गया आगे
पढने..... और श्रवण पढाई में कमजोर था इसलिए गांव
में ही पिताजी का खेती बाड़ी में हाथ बंटाने
लगा....राजेश बी टेक करके शहर में ही बीस हजार रू
की नौकरी करने लगा....खुशबू से कोचिंग सेन्टर में ही
राजेश की जान पहचान हुई थी यह बात मम्मी
पापा को राजेश ने खुशबू से शादी के कुछ दिन पहले
बताई....पिताजी कितने दिन तक नही माने थे इस
रिश्ते के लिए.....फिर भी बड़ा दिल रखकर जब
पिछली बार राजेश और खुशबू के पास शहर आए थे तो
मन में बड़ी उमंगे थी पर सात आठ दिन में ही खुशबू के
तेवर और बेटे की बेबसी के चलते वापस गांव की तरफ
हो लिए.....
"अरे भागवान..उठ जाओ..स्टेशन आ गया उतरना नही
है क्या.... राजेश के पिताजी की आवाज से माँ की
नींद टूटी ..सामान उठाकर दोनो स्टेशन से बाहर आ
गए और आटो में बैठकर दोनो राजेश के घर के लिए
रवाना हो गए..घर पहुंचे तो खुशबू घर पर ही
थी...जाते ही खुशबू ने दोनो के पैर छुए.....चाय
पिलाई ....नहाने के लिए गरम पानी किया ....
पिताजी नहाने चले गए और खुशबू रसोई में खाना
बनाने लगी। थोड़ी देर में राजेश भी आ गया।
फिर बैठकर सबने थोड़ी देर बातें की और खाना
खाया। अगले दिन सुबह पांच बजे पिताजी उठे तो
खुशबू पहले ही उठ चुकी थी पिताजी को उठते ही
गरम पानी पीने की आदत थी खुशबू ने पहले से ही
पिताजी के लिए पानी गरम कर रखा था नहा
धोकर पिताजी को मंदिर जाने की आदत थी..खुशबू
ने उनको जल से भरकर लौटा दे दिया..नाश्ता भी
पिताजी की पसंद का तैयार था..सबको नाश्ता
करवाकर खुशबू राजेश के साथ चली गई ...तो
पिताजी ने चैन की सांस ली..
चलो अब चार पांच घण्टे तो सूकून से निकलेंगे.....दिन
के खाने की तैयारी भी खुशबू करके गई थी...... स्कूल
से आते ही खुशबू फिर से रसोई में घुस गई ...
शाम को हम दोनों को लेकर खुशबू पास के पार्क में
गई वहां उसने हमारा परिचय वहां बैठे बुजुर्गों से
करवाया.....अगले दिन सण्डे था.... खुशबू , राजेश और
हम दोनो चिड़ियाघर देखने गए..हमारे लिए ताज्जुब
की बात ये थी कि प्रोग्राम खुशबू ने बनाया
था..खुशबू ने खूब अच्छे से चिड़ियाघर दिखाया और
शाम को इण्डिया गेट की सैर भी करवाई.....खाना
पीना भी हम सबने बाहर ही किया.. इस
खुशमिजाज रूटीन से पता ही नही चला वक्त कब
पंख लगाकर उड़ गया..
कहां तो हम सोच रहे थे कि दस दिन कैसे गुजरेंगे और
कहां पन्द्रह दिन बीत चुके थे...।
आखिर कल जब श्रवण का फोन आया कि फसल
तैयार हो गई है और काटने के लिए तैयार है तो हमें
अगले ही दिन गांव वापसी का प्रोग्राम बनाना
पड़ा।
रात का खाना खाने के बाद हम कमरे में सोने चले गए
तो खुशबू हमारे कमरे में आ गई उसकी आंखों से आंसू बह
रहे थे।
मैने पूछा.."क्या बात है बहू..रो क्यों रही हो.?.......
तो खुशबू ने पूछा "..पिताजी, मां जी.....पहले आप
लोग एक बात बताइये..पिछले पन्द्रह दिनों में कभी
आपको यह महसूस हुआ की आप अपनी बहू के पास है
या बेटी के पास......"नही बेटा सच कहूं तो तुमने
हमारा मन जीत लिया..हमें किसी भी पल यह नही
लगा की हम अपनी बहू के पास रह रहें हैं तुमने हमारा
बहुत ख्याल रखा लेकिन एक बात बताओ
बेटा......"तुम्हारे अंदर इतना बदलाव आया कैसे..??
"पिताजी..पिछले साल मेरे भाई की शादी हुई
थी।...मेरे मायके की माली हालात बहुत ज्यादा
बढिया नही है।...इन छुट्टियों में जब मैं वहां रहने गई
तो मैने अपने माता पिता को एक एक चीज के लिए
तरसते देखा..बात बात पर भाभी के हाथों तिरस्कृत
होते देखा..मेरा भाई चाहकर भी कुछ नही कर
सकता था।...मैं वहां उनके साथ हो रहे बर्ताव से बहुत
दुखी थी....उस वक्त मुझे अपनी करनी याद आ रही
थी..कि किस तरह का सलूक मैंने आप दोनो के साथ
किया था।
""किसी ने यह बात सच ही कही है कि जैसा बोओगे
वैसा काटोगे।""
मैं अपने मां बाप का भविष्य तो नही बदल सकती
लेकिन खुद को बदल कर मैं ये उम्मीद तो अपने आप में
जगा ही सकती हूं कि कभी मेरी भाभी में भी
बदलाव आएगा और मेरे मां बाप भी सुखी
होंगे......खुशबू की बात सुनकर मेरी आंखे भर आई।
मैने बहू को खींचकर गले से लगा लिया....."हां बेटा
अवश्य एक दिन अवश्य ऐसा होगा...
खुशबू अब भी रोए जा रही थी उसकी आंखों से जो
आंसू गिर रहे थे वो शायद उसके पिछली गलतियों के
प्रायश्चित के आंसू थे..। 🙏🏻🙏🏻
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iammanhar · 4 months
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Day☛1166✍️+91/CG10☛In Home☛ 05/01/2024 (Fri) ☛ 22:47
आज ऑफिस नही था, आज अकलतरा गया था, आधार कार्ड को सुधरवाने गया था, अब गांव वाले एड्रेस को मेंशन करवाया हूं, यहां से 11 बजे निकला था और वहां अकलतरा 14 बजे तक पहुंच गया था। ट्रेन लेट था अन्यथा जल्दी पहुंच गया रहता। काम मेरा जल्दी हो गया l अपने परम् मित्र तुलसी जी को कॉल किया तो मालूम हुआ कि वह भी अकलतरा आए थे, बाइक शोरूम में है, उनके किसी परिचित ���े स्कूटी खरीदी, उन्हीं का गारेंटर बनकर आया था, हम दोनों ने साथ में कुछ पल बिताए, स्टेशन के पास वाले hotel में नाश्ता किए 😊😋👍
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ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे 🫂🤝
आज ट्रेन लेट था, दोपहर 2 बजे की लोकल ट्रेन शाम को 17:30 बजे आई, ट्रेन के इन्तजार करते करते मन ऊब रहा तो सेल्फी 🤳 लेकर अपन��� समय व्यतीत किया हूं
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🥳🥳
गांव वापसी करते हुए मुझे रात हो चुकी थी.... खैर आज पूरा दिन अपने गांव के आसपास मंडराता रहा 💪👍
Okay good night 🌃
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