कॉलेज का इश्क by
ENGINEER SHASHI KUMAR
किताब के बारे में...
प्यार के नाम का रूतबा लोगों के दिलों में जिस कदर फैला है वह आज के समय में प्यार न रहकर एक ख़तरनाक बीमारी का रूप ले लिया है। हर बच्चे के दिल और दिमाग में प्यार को तुच्छ शब्द समझकर प्यार के बिना जीवन को अधूरा समझने की भूल कर रहे हैं। इसका उदाहरण आज के स्कूलों में मिल जाते हैं जब कम उम्र के बच्चे भी बायफ्रेंड और गर्लफ्रेंड का खेल खेलते हैं। इस खेल में लड़के लड़कियों को एक उपभोग की वस्तु मानकर उसकी भावनाओं के साथ खेलते हैं और एक समय ऐसा आता है जब उसकी जिंदगी एक गहरी खाई और कुंए के बीच रह जाती है और वह अपनी हंसती मुस्कुराती सी जिंदगी को बर्बाद होती हुई समझती है। कुछ घटनाओं में तो बच्चे इतने बड़े निर्णय ले लेते हैं कि उन्हें अपनी जिंदगी में दर-दर भटकना पड़ता है। या उनके माता-पिता के द्वारा लड़का या लड़की की जान ले ली जाती है और प्रेम मातम में बदल जाता है। इस तरह की अधिकतर घटनाएं आज के बच्चों के बीच जाति-पाति की अनभिज्ञता है क्योंकि आज के बच्चे जाति-पाति जैसे सामाजिक दायरों से दूर रहते हैं। लेकिन उनके माता-पिता जातिवादी मानसिकता कूट-कूटकर भरी होती है। जब बच्चे अन्तर्जातीय प्रेम या विवाह का निर्णय ले लेते हैं तो उस समय कोई एक परिवार की जातीय असहमति देखने को मिल जाती है और इसका परिणाम उनके प्रेम बंधन को तोडना ही होता है।
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Good touch... Bad touch..? by
Diya Jethwani
किताब के बारे में...
ये एक ऐसा विषय हैं जिसे हम सभी ने कभी ना कभी महसूस किया हैं... लेकिन आज भी कोई इसके बारे में बात करना नहीं चाहता...।
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मेरे जीवन की यादें by
ENGINEER SHASHI KUMAR
किताब के बारे में...
इसके माध्यम से मैं मेरे जीवन की उन यादों का अपने शब्दों के माध्यम से रचित करना चाह रहा हूं जो मुझे मेरी जिंदगी में हल्की हल्की सी याद आती है। जब उन संस्कारों के खिलाफ कुछ भी होता है तो मुझे उन पलों की यादें आने लगती है और मैं उन समय के लोगों को याद करके सिहर उठता हूं।
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मन की कोठर से... by
ओंकार नाथ त्रिपाठी
किताब के बारे ���ें...
मन के अन्दर तरह तरह के उद्गार उठते रहते हैं जो कि मनुष्य के मन की स्वभाविक प्रक्रिया है। इन्हीं उद्गारों के शब्दों को संवेदनाओं के साथ सजाकर उन्हें काव्य के रुप में सहेज का प्रयास है 'मन की कोठर से....'। मेरी रचनाओं का भाव अगर किसी चरित्र जैसा लगता है तब यह एक संयोग मात्र है।
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इम्तहान by
Shraddha 'meera'
किताब के बारे में...
ये कहानी है कृषिव चंद्रवंशी और राभ्या की ,, उनकी जिंदगी की उतार चढ़ाव की ,, कृषिव के टूटे हुए अस्तित्व की ,, राभ्या के प्यार की,, किस तरह राभ्या कृषिव को किस तरह वापस सही रास्ते पर लाई उसे फिर से एक अच्छा इंसान बनाया ,, कैसे उस अय्याश के दिल में अपने लिए जगह बनाई ,, तो जुड़िए मेरे साथ इन दोनो की मोहब्बत के इम्तहान के साथ।
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Women Change In Thought by
Anuradha
About the book :
This is my book about changing the mindset of women. it is the story of Reena and Champa. which is based on changing the thinking of women.
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बहू की विदाई by
प्रभा मिश्रा 'नूतन'
किताब के बारे में...
मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है। एक रुढि़वादी, दकियानूसी व स्त्रियों को अपने से नीचे समझने वाले समाज के एक व्यक्ति द्वारा अपनी बहू के विवाह करने पर मेरी ये कहानी है 'बहू की विदाई'। मेरी इस कहानी का मुख्य पात्र सरस्वती चरण दास अपने इकलौते पुत्र के निधन के पश्चात अपनी बहू का विवाह करता है वो भी अपनी माँ की नाराजगी झेलकर। वो खुली सोच रखता है। कैसे वो अपनी विधवा पुत्रवधू के साथ खडा़ होता है और उसका विवाह करता है ये पढे़ं मेरी कहानी 'बहू की विदाई ' में।
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मेरे अनकहे अल्फाज by
रितिका सिंह राजपूत
किताब के बारे में...
इस संग्रह में ��ितिका सिंह राजपूत ने अपनी जीवनशैली, प्रेम, समाज, और व्यक्तिगत विचारों को व्यक्त किया है। उनकी शैली उत्कृष्ट है और वह अपनी कविताओं के माध्यम से वास्तविकता को सुंदरता से पेश करती हैं।
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कसाईबाड़ा by
Subir Roka
किताब के बारे में...
मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए। जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए। वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था। जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी। मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था। उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया।
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कामिनी एक अजीब दास्तां by
Chetan Shri Krishna
किताब के बारे में...
कामिनी एक अजीब दास्तां कुछ पाने के लिए कुछ करना पड़ता है और सब कुछ पाने के लिए सब कुछ करना पड़ता है पर मैं आज आपको एक ऐसे गांव में ले चलता हूं जहां सब कुछ पाने के लिए केवल 20 साल का होना पड़ता है। लाल टेकरा नाम के इस गांव में जो युवक 20 साल का हो जाता है उसे सब कुछ मिल जाता है पर आश्चर्य की बात यह है कि यह रहस्य गांव का एक बुजुर्ग व्यक्ति ही जानता है जिसका रहन-सहन उठना बैठना और बोलचाल एक पागल की तरह है इसी कारण पूरा गांव इसे पागल समझता है और कोई इसकी बात पर यकीन नहीं करता। आखिर क्या रहस्य है लाल टेकरा गांव का जहां 20 साल के युवक को सब कुछ मिल जाता है और आखिर वह क्या रहस्य है जो केवल इस पागल व्यक्ति को पता है जानने के लिए पढ़ते हैं कामिनी एक अजीब दास्तां।
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योग आसन के बारे में जानकारी by
Mahendra Banjara
किताब के बारे में...
योग आसन के बारे में जानकारी योग आसन विधि और लाभ कब करना चाहिए और कब नहीं योग अपनाएं और अपने जीवन को स्वस्थ और सुंदर बनाइए योग करेगा सबका उपचार : जानिए किस बीमारी में कौन सा आसन करे..
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"फिज़ा" एक गज़ल by
रोहित कुमार "मधु"
किताब के बारे में...
यह एक ग़ज़ल संग्रह है जिसमे में काफ़ी छोटी उम्र में मोहब्बत के मोहल्ले से गुजरते हुए शाइर ने कुछ कहने का प्रयास किया है, गजले है 11 - 12 कक्षा में मोहब्बत के आंगन में खिलती हुई नई कलियों की, तिलियो की, भॅंवरो की, जो की अब इस समय संसार में जीवन व्यापन हेतु धन एकत्रित करने की इक्शा से अलग-अलग शहरो में संघर्ष रत है, फूल अपनी तितलियों से दूर है, तितलियां अपने फूलो से, परंतु यह वेदना जन्म दे रही है संवेदना को, शायरी को।
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लफ्जों के पंख... by
Shikha Chaudhary
किताब के बारे में...
यह कविता संग्रह विविध विषयों पर आधारित है जैसे की प्रेम, जीवन के संघर्ष, समाज की ताकत, और व्यक्तिगत अनुभव। शिखा चौधरी की रचनाएँ अपनी सरलता और भावनात्मकता के लिए प्रस��द्ध हैं।
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अंक ज्योतिष by
मीनू द्विवेदी वैदेही
किताब के बारे में...
अंक ज्योतिष को सरल और सुगम बनाने के लिए मैंने कई ज्योतिषाचार्यों एवं अंक ज्योतिष के आचार्यों के साथ परामर्श एवं समीक्षा करने के बाद इस पुस्तक को लिखा है। इस पुस्तक के माध्यम से आप आसानी से अपनी जन्मतिथि के आधार पर अपने ग्रहों और नक्षत्रों का आकलन करके उसके दोष को कम कर सकते हैं। क्योंकि इसमें उन तमाम उपायों का भी समावेश है, जो आपको आपके ग्रहों के अनुरूप फायदा पहुंचाएंगे।
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बनते बिगड़ते जमाने के रंग by
Praveen Mishra
किताब के बारे में...
जैसे जैसे आविष्कार हुए उपलब्धियां मिली वैसे वैसे अहम भी बढ़ता गया। वापस घर में बैठने और कुछ न करने के अलावा किसी से मिलने से और गले लगाने से समाज को न कोई परहेज रहा और न ही किसी ने सोचा कि भविष्य में हमे कोई इससे रोक सकेगा। लेकिन समय के काल चक्र ने जब अपनी फिरकी घुमाई तो दिखा तो नही लेकिन सभी ने कोरोना की अनुभूति की। डर ऐसा सताया कि घर से बाहर निकलने में भी हिम्मत बांधने की जहमत उठाना भी इसी समाज के लोगो ने मुनासिब न समझा। इस दौरान जो समाज विकास और मदद की बात कर रहा था उसी में से कुछ ने आपदा को अवसर बना लिया। कुछ ने सेवा किया तो कुछ ने मलाई काट ली। समाज को इसी दौरान लोगो के द्वारा दिखाई गई हकीकत को लेकर मैंने इसे वर्णित करने का प्रयास अपनी इसी पुस्तक "बनते बिगड़ते जमाने के रंग" में किया है। आशा है आपको ये बीते आपदा के अवसर में खट्टे मीठे अनुभवों को ताज़ा करने में सहायक होगी।
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कुछ तो छिपा रहे हो... by
नीतू टिटाण
किताब के बारे में...
कुछ चीजें अनुभव से भी परे होती हैं। कभी-कभी अनुभव की ये पोटली गलत भी साबित हो जाती है। जिन चीजों का अनुभव भी नहीं उन्हीं यादों के अधूरे पन्नो को कविताओं के रूप में लाने का एक प्रयास!
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https://hindi.shabd.in/kuch-to-chhipa-rahe-ho-nitu-titan/book/10052640
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