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#जलाने
veryfireenemy · 2 years
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रौशन आफ़ताब
हमें जलाने की, बुझाने की कोशिश ना कर, हम चराग़ नहीं, रौशन आफ़ताब हैं। खुद हीं जल के रौशन होते हैं। और जहाँ रौशन करते हैं।
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होलिका दहन शुभ मुहूर्त 2023। होली जलाने का सही समय क्या होगा । holika da...
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trendingwatch · 2 years
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पराली जलाने पर मानवाधिकार निकाय ने पंजाब से मांगी विस्तृत रिपोर्ट
पराली जलाने पर मानवाधिकार निकाय ने पंजाब से मांगी विस्तृत रिपोर्ट
मानवाधिकार संस्था ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं पर सख्ती से रोक लगाई जाए। चंडीगढ़: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने गुरुवार को पंजाब के मुख्य सचिव विजय कुमार जंजुआ और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की और राज्य में पराली जलाने पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, NHRC ने उत्तर भारत,…
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mwsnewshindi · 2 years
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दिवाली 2022: जानिए कैसे पटाखे जलाने का संबंध देवी लक्ष्मी के स्वागत से है
दिवाली 2022: जानिए कैसे पटाखे जलाने का संबंध देवी लक्ष्मी के स्वागत से है
छवि स्रोत: INSTAGRAM/@GAZZABKOO जानिए कैसे पटाखे जलाने का देवी लक्ष्मी के स्वागत से संबंध है यह एक प्राचीन बहस है कि दीवाली मनाने में पटाखों का कोई महत्व है या नहीं। हालांकि कई राज्यों ने प्रदूषण के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए पटाखों को जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। विनाशकारी प्रभावों को जानने के बाद, कई लोगों ने निर्णय की सराहना की और पटाखे नहीं फोड़ने का संकल्प लिया। हालांकि, कुछ अन्य…
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todaypostlive · 2 years
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ट्रेन जलाने मामले में आया प्रोफेसर का नाम, एबीवीपी ने टीएमबीयू परिसर में किया प्रदर्शन
ट्रेन जलाने मामले में आया प्रोफेसर का नाम, एबीवीपी ने टीएमबीयू परिसर में किया प्रदर्शन
भागलपुर। लखीसराय में ट्रेन जलाने के मामले में तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष विलक्षण रविदास का नाम आने के बाद सोमवार को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने  विश्वविद्यालय परिसर में नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया और उनपर विभागीय कार्रवाई के लिए प्रतिकुलपति को मांग पत्र सौंपा। परिषद के विश्वविद्यालय संयोजक आशुतोष सिंह तोमर ने कहा कि लखीसराय ट्रेन जलाने वाले गिरफ्तार नक्सली…
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क्रिप्टोक्यूरेंसी खनन संचालन को सीमित करने के लिए न्यूयॉर्क ने विधेयक पारित किया
क्रिप्टोक्यूरेंसी खनन संचालन को सीमित करने के लिए न्यूयॉर्क ने विधेयक पारित किया
न्यूयॉर्क के सांसदों ने जीवाश्म ईंधन को जलाने वाले क्रिप्टोक्यूरेंसी खनन कार्यों के प्रसार पर ब्रेक लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया एक मील का पत्थर पर्यावरणीय उपाय पारित किया है। समर्थकों और विरोधियों दोनों का कहना है कि राज्य की सीनेट द्वारा शुक्रवार तड़के स्वीकृत किया गया, अमेरिका में अपनी तरह का पहला विधेयक है। यदि यह कानून बन जाता है, तो यह ऊर्जा-गहन “प्रूफ-ऑफ-वर्क” के लिए उपयोग किए जाने वाले…
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surinder-black-pen · 29 days
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कुछ दोस्तों का दिल
कुछ दोस्तो का दिल वो जलाने लगे है। एक नया रिशता वो हमसे बनाने लगे है।
बहुत दिनो से रख रहे है हम पर नजर जैसे हम उनको कुछ दीवाने लगे है।
रोक टोक करते है वो बात बात पर जैसे किसी को वो अब तरसाने लगे है।
अगर ये मोहब्बत है तो अल्लाह बचाना संभलने मे हमे पहले ही जमाने लगे है।
Surinder Blackpen
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deepjams4 · 10 months
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अटखेलियाँ!
हमने कहा अल्फ़ाज़ काफ़ी नहीं हैं हुज़ूर ज़िन्दगी बिताने के लिए
इनायत होगी ग़र कोई ज़हमत खुद भी उठायें घर चलाने के लिए!
शरीक-ए-हयात शरीक-ए-राह हम-नफ़्स कहते जब वो मुख़ातिब हुए
मिज़ाज में आशिक़ाना अंदाज था जनाब का तब हमें लुभाने के लिए!
हमने कहा अल्फ़ाज़ से खेलने से ग़र फ़ुरसत मिले तो खबर ले लेना
कब से डेरा जमाए बैठे हैं ग़ुस्साए कई लेनदार क़र्ज़ा उगाहने के लिए!
जेब ख़ाली है और आमद की सूरत कहीं से नज़र नहीं आती कोई
कहाँ मिलता है अब खुशामद से भी कहीं उधार घर चलाने के लिए!
घर में फाँको की नौबत आ गयी उधर आपकी ये मदमस्त अटखेलियाँ
आप ही तरकीब बता दीजिए कोई हमें इन में तआवुन बिठाने के लिए!
ग़रीब की आबरू शरीफों की आँख में खटकती है ये तो देखा ही होगा
ग़र हया बाक़ी है तो कुछ काम कीजिए घर का चूल्हा जलाने के लिए!
अल्फ़ाज़ पर महारत है आपको ज़ुबान भी तो शहद टपकाना जानती है
हाथ पाँव भी तो थोड़ा चलाना शुरू कीजिए ज़िम्मेदारियाँ बटाने के लिए!
मगर उस बे-हिस के दिल पे कहाँ असर हुआ है किसी भी बात का कभी
कहा नज़रअंदाज़ कर वो जाम में डूब गया कोई और ग़म भुलाने के लिए!
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oyeevarnika · 2 years
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लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में
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- बशीर बद्र
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sidhu04u · 5 months
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आखिर इतने वर्षों से दशहरा मनाने
के बाद भी विश्व में शांति व भाईचारा
स्थापित क्यों नहीं हो पाया ?
क्या रावण का पुतला जलाने की
यह परंपरा शास्त्र प्रमाणित है ?
#GodMorningSaturday
#HinduBhai_Dhokhe_Mein
📚 अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें आध्यात्मिक पुस्तक "ज्ञान - गंगा"।
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kisturdas · 4 months
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( #Muktibodh_part189 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part190
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 363-364
कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी को गीता से ही प्रश्न तथा उत्तर देकर सत्य ज्ञान समझाया। उपरोक्त वाणी सँख्या 1 में गीता अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 2 श्लोक 12 वाला वर्णन बताया जिसमें गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ। वाणी सँख्या 2 में गीता अध्याय 15 श्लोक 17 वाला वर्णन बताया है। वाणी सँख्या 3 में गीता अध्याय 4 श्लोक 34 वाला ज्ञान बताया है। वाणी सँख्या 4 में गीता अध्याय 18 श्लोक 62ए 66 तथा अध्याय 15 श्लोक 4 वाला वर्णन बताया है। वाणी सँख्या 5 में गीता अध्याय 18 श्लोक 64 का वर्णन है जिसमें काल कहता है कि मेरा ईष्ट देव भी वही है। वाणी सँख्या 6 में गीता अध्याय 8 श्लोक 13 तथा अध्याय 17 श्लोक 23 वाला ज्ञान है। आगे की वाणियों में कबीर परमेश्वर जी ने अपने आपको छुपाकर अपने ही
विषय में बताया है।
◆ धर्मदास वचन
विष्णु पूर्ण परमात्मा हम जाना।
जिन्द निन्दा कर हो नादाना।।
पाप शीश तोहे लागे भारी।
देवी देवतन को देत हो गारि।।
◆ जिन्दा (कबीर जी) वचन
जे यह निन्दा है भाई।
यह तो तोर गीता बतलाई।।
गीता लिखा तुम मानो साचा।
अमर विष्णु है कहा लिख राखा।।
तुम पत्थर को राम बताओ।
लडूवन का भोग लगाओ।।
कबहु लड्डू खाया पत्थर देवा।
या काजू किशमिश पिस्ता मेवा।।
पत्थर पूज पत्थर हो गए भाई।
आखें देख भी मानत नाहीं।।
ऐसे गुरू मिले अन्याई।
जिन मूर्ति पूजा रीत चलाई।।
इतना कह जिन्द हुए अदेखा।
धर्मदास मन किया विवेका।।
◆ धर्मदास वचन
यह क्या चेटक बिता भगवन।
कैसे मिटे आवा गमन।।
गीता फिर देखन लागा।
वही वृतान्त आगे आगा।।
एक एक श्लोक पढ़ै और रौवै।
सिर चक्रावै जागै न सोवै।।
रात पड़ी तब न आरती कीन्हा।
झूठी भक्ति में मन दीन्हा।।
ना मारा ना जीवित छोड़ा।
अधपका बना जस फोड़ा।।
यह साधु जे फिर मिल जावै।
सब मानू जो कछु बतावै।।
भूल के विवाद करूं नहीं कोई। आधीनी से सब जानु सोई।।
उठ सवेरे भोजन लगा बनाने।
लकड़ी चुल्हा बीच जलाने।।
जब लकड़ी जलकर छोटी होई। पाछलो भाग में देखा अनर्थ जोई।।
चटक-चटक कर चींटी मरि हैं।
अण्डन सहित अग्न में जर हैं।।
तुरंत आग बुझाई धर्मदासा।
पाप देख भए उदासा।।
ना अन्न खाऊँ न पानी पीऊँ।
इतना पाप कर कैसे जीऊँ।।
कराऊँ भोजन संत कोई पावै।
अपना पाप उतर सब जावै।।
लेकर थार चले धर्मनि नागर।
वृक्ष तले बैठे सुख सागर।।
साधु भेष कोई और बनाया।
धर्मदास साधु नेड़े आया।।
रूप और पहचान न पाया।
थाल रखकर अर्ज लगाया।।
भोजन करो संत भोग लगाओ।
मेरी इच्छा पूर्ण कराओ।।
संत कह आओ धर्मदासा।
भूख लगी है मोहे खासा।।
जल का छींटा भोजन पे मारा।
चींटी जीवित हुई थाली कारा।।
तब ही रूप बनाया वाही।
धर्मदास देखत लज्जाई।।
कहै जिन्दा तुम महा अपराधी।
मारे चीटी भोजन में रांधी।।
चरण पकड़ धर्मनि रोया।
भूल में जीवन जिन्दा मैं खोया।।
जो तुम कहो मैं मानूं सबही।
वाद विवाद अब नहीं करही।।
और कुछ ज्ञान अगम सुनाओ।
कहां वह संत वाका भेद बताओ।।
◆ जिन्द (कबीर) वचन
तुम पिण्ड भरो और श्राद्ध कराओ। गीता पाठ सदा चित लाओ।।
भूत पूजो बनोगे भूता।
पितर पूजै पितर हुता।।
देव पूज देव लोक जाओ।
मम पूजा से मोकूं पाओ।।
यह गीता में काल बतावै।
जाकूं तुम आपन इष्ट बतावै।।
(गीता अ. 9 व 25)
इष्ट कह करै नहीं जैसे।
सेठ जी मुक्ति पाओ कैसे।।
◆ धर्मदास वचन
हम हैं भक्ति के भूखे।
गुरू बताए मार्ग कभी नहीं चुके।।
हम का जाने गलत और ठीका।
अब वह ज्ञान लगत है फीका।।
तोरा ज्ञान महा बल जोरा।
अज्ञान अंधेरा मिटै है मोरा।।
हे जिन्दा तुम मोरे राम समाना।
और विचार कुछ सुनाओ ज्ञाना।।
क्रमशः_______________
••••••••••••••••••���•••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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naveensarohasblog · 1 year
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#गरिमा_गीता_की_Part_88
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सतरहवां अध्याय
।। सारांश।।
{विशेष:- गीता अध्याय 17 में प्रवेश से पहले यह व्याख्या ध्यानपूर्वक पढ़ें व समझें।
गीता अध्याय 16 के श्लोक 1 से 5 में अच्छे स्वभाव वाले दैवी प्रकृति वाले व्यक्तियों का वर्णन है, परंतु वे भी शास्त्रविरूद्ध साधना करते हैं। श्लोक 6-9, 14-20 में कहा है कि जो कहते हैं कि संसार का कोई ईश्वर या परमेश्वर कर्ता नहीं है। यह तो नर-मादा के संयोग से उत्पन्न होता है। काम (sex) इसका कारण है। वे शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण करके अपना जीवन नष्ट करते हैं तथा मानव शरीर में बने कमल चक्रों में विराजमान मुख्य देवताओं, मुझे तथा परमेश्वर को क्रश करने वाले हैं। उन कुकर्मियों को बार-बार असुर योनि में डालता हूँ।
फिर इस अध्याय 16 के श्लोक 23- 24 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि:-
अध्याय 16 श्लोक 23 का अनुवाद:- जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है यानि शास्त्र वर्णित साधना मंत्रों के अतिरिक्त अन्य नाम जाप करता है। अन्य साधना शास्त्रविरूद्ध करता है, वह न सिद्धि को प्राप्त होता है यानि सत्य साधना से होने वाली भक्ति की शक्ति जिसके बल से साधक सनातन परम धाम जाता है, वह सिद्धि उसे प्राप्त नहीं होती, न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरित भक्ति करना व्यर्थ है क्योंकि इन तीनों लाभों को प्राप्त करने के लिए साधक परमात्मा की भक्ति करता है।
गीता अध्याय 16 श्लोक 24 का अनुवाद:- इससे तेरे लिए कर्तव्य यानि जो साधना कर्म करने योग्य हैं और अकर्तव्य अर्थात् जो न करने वाला भक्ति कर्म है, उसके निर्णय के लिए शास्त्र ही प्रमाण मानना है। इस अध्याय 17 में उन्हीं के विषय में अर्जुन ने प्रश्न किया है कि ये जो शास्त्रविधि त्यागकर साधना करते हैं। उनकी साधना है तो व्यर्थ, परंतु उनकी श्रद्धा कितने प्रकार की व कैसी होती है?}
गीता अध्याय 17 के श्लोक 1 में अर्जुन ने प्रश्न किया कि शास्त्रविधि को त्यागकर यानि शास्त्र के विपरित मनमाना आचरण करके श्रद्धा से युक्त हुए साधना (पूजन) करने वाले व्यक्ति किस निष्ठा (वृत्ति) के होते है? सात्विक या राजसी वा तामसी अर्थात् तीनों गुणों (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिवजी) तथा इनसे भी नीचे के देवी-देवताओं के साधकों के स्वभाव तथा चरित्रा कैसे होते हैं?
।। सर्व प्राणी शास्त्र विधि रहित भक्ति भी स्वभाव अनुसार ही करते हैं।।
गीता ज्ञान दाता का उत्तर:-
(गीता अध्याय 17 श्लोक 2 से 10 तक का सारांश) गीता ज्ञान दाता ने उत्तर दिया है कि शास्त्रविधि को त्यागकर साधना करने वाले स्वभाव वश साधना करते हैं। जिसका अंतःकरण जैसा है, उसे वैसी पूजाओं में श्रद्धा होती है।
सात्विक वृत्ति के व्यक्ति अन्य देवी-देवताओं तथा श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी को पूजते हैं तथा विशेष कर इष्ट रूप में विष्णु जी की पूजा करते हैं जो शास्त्रविरूद्ध है।
राजस वृत्ति के व्यक्ति यक्षों व राक्षसों की व तीनों उपरोक्त प्रभुओं को भी पूजते हैं, परन्तु इष्ट रूप में ब्रह्मा जी की उपासना रजोगुण प्रधान व्यक्ति करते हैं जो शास्त्रविरूद्ध है।
तामस वृत्ति के भूतों, पित्रों तथा तीनों ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी की भी पूजा करते हंै तथा तमोगुण प्रधान व्यक्तियों का उपास्य देव शिव होता है। जैसे रावण ने भगवान शिव की साधना इष्ट मान कर की जिस से नरक का भागी हुआ और उससे निम्न स्तर की साधना
भूतों-पितरों की पूजा करके सीधे नरक चले जाते हैं। जो शास्त्र विधि के विरूद्ध साधना करते हैं वे दुष्ट आत्मा मुझे तथा उस परमात्मा को भी कष्ट देते हैं तथा वे राक्षस वृत्ति के जान। उनको भोजन भी वृत्ति (स्वभाव) वश ���ी पसंद होता है। सात्विक मनुष्यों को साधारण भोजन दाल, दूध, दही-घी, मक्खन, शहद, मीठे फल आदि पसंद तथा राजसी मनुष्य कड़वे (शराब, पान, हुक्का) खट्टे, ज्यादा नमक वाले, ज्यादा गर्म-रूखे, मुख जलाने वाले (मिर्च) आदि जो रोगों का कारण होते हैं पसंद होता है।
तामसी व्यक्ति गला-सड़ा, रस रहित अपवित्र (मांस-शराब-तम्बाखु आदि) बासी, झूठा आहार पसंद करते हैं।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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फ़रवरी
देवी प्रसाद मिश्र
(एक)
युवा होने के ख़तरों से मैं दूर आ गया हूँ लेकिन नसों में कितनी ही फ़रवरियों का ख़ून बह रहा है
फ़रवरी में फ़रवरी से बेहतर महीना ढूँढने का
यह वक्त नहीं है
मनुष्यों से अधिक पेड़
एक नयी दुनिया बनाने के संकल्प से भरे हैं
लेकिन नये पत्ते नये अर्थ का प्रतीक बनने से
गुरेज़ कर रहे हैं
कौन जाने यह वसंत है भी कि नहीं –
अनिश्चयों के इस शमशेर सन्नाटे में
राजनीति को मैं बदल नहीं सका
पर्दे मैंने बदल दिये हैं कि तुम आओगी
नई माचिस ले आया हूं कि रगड़ते ही जल उठें तीलियाँ और भक्क से निकलने वाली हँसी और आग में मैं चाय बनाता रहूँ
और तुम मुझे देखो
एक मनमाने स्वतंत्रचेता पशु की
लाल आँखों से कि
कोई भी प्रेम अपूर्णता ही क्यों है
व्यक्तियों को न बदलने के अवसाद के साथ मैंने चादर बदल दी है अधिक फूलों वाली चादर की जगह ज़मीन के रंग वाली चादर बिछा दी है
यह एक अनाथ भूभाग है
इच्छाएं हमें जहाँ निर्लज्ज बना देंगी
लालसा के तारे दमक रहे होंगे
विद्रोही वासना के सूने आकाश में
होगा उल्कापात पूरी रात
तामसिक उजाले में हम होते जाएंगे अगाध और अप्रमेय की गोधूलि का झुटपुटा
वैधता का धर्मग्रंथ मैं फाड़ दूँगा
कुछ भी नहीं होगा सोशली करेक्ट
पोलिटिकल करेक्टनेस हासिल कर लेंगे
ठीक ही कहा था लेनिन ने कि
रणनीतियाँ प्रक्रिया में बनती हैं;
बहुत पहले से तो पूर्वग्रह होते हैं- यह मैंने कहा लेकिन क्या तुमने सुना
हमारे बीच हुई
हिंसाओं में दृष्टिकोण,
चयन और आग्रहों का रक्तपात है
तुम्हारा आना एक दृष्टिकोण का आना है जिसकी जगह बनाने के लिए मैंने कमरों की जो सफाई शुरू की तो इतनी धूल उड़ी कि पड़ोसी गोली मारने आ गया जिससे मैंने कहा कि प्रेम करने के बाद मैं मरने के लिए उसके घर आ जाऊँगा ज़्यादा नाराज़ होकर वह लौट गया यह कहते हुए कि उसकी हिंदू चाय को लेकर मेरी अन्यमनस्कता मुझे महँगी पड़ेगी
मुझसे बेहतर कवि होने के लिए
मुझसे अधिक दुख उठाने होंगे
और मुझसे खराब कविता लिखने के लिए
करने होंगे वैचारिक अपराध
भागती रेलगाड़ी की खिड़की के पास बैठा अच्छी कविता लिखने का फार्मूला बाहर फेंकता ब्लू-ब्लैक स्याही की दवात-सा मैं प्रगाढ़तर होता उजास हूँ अगर हवास हूँ
मेरे गाँव का नाम हरखपुर है- यहाँ के नारीवाद पर मैं किताब ढूँढ रहा हूँ कवितावली वाली अवधी में राउटलेज और सेज की किताबें मध्यवर्गीय धर्मग्रंथ हैं
नहाने की जगह मैंने रगड़कर साफ़ की
तेज़ाब से मेरी जल गईं उंगलियाँ
दुनिया के दाग़दार फर्श को इतनी ही शिद्दत से साफ़ करूँगा यह तय किया है
बाथरूम के शीशे में मेरा चेहरा उस आदमी के चेहरे-सा था जिसके राज्यसत्ता के साथ बहुत बुरे सम्बन्ध रहे- वह स्याह पूरे घर में फैल गया है
भारतीय वसंत और पतझड़ के बीच फैले इस अपारदर्शी में अब और भी जरूरत है मुझे तुम्हारी प्यार और अपरायजिंग में होती पराजयों ने मुझे
रोते हुए हँसने का नमूना बना रखा है
मेरे पास आना एक ज़ख्मी आदमी की
कराह सुनने के धीरज के साथ आना है
मेरे और निराला के तख्त के बीच बमुश्किल तीन मील का फासला होगा- मैं इलाहाबाद की आंख और घाव से टपका खून का आख़िरी कतरा तो नहीं ही हूँ
मैंने घर को तुम्हारे आने के लिए तैयार कर रखा है जबकि तुमने कह दिया है कि तुम नहीं आओगी फ़रवरी में – कारण न मैं जानता हूँ न तुम
प्रेम एक टेढ़ी नदी है जो पहाड़ों की घाटियों से शिखरों की तरफ बहती है उल्टी
उल्टियाँ करने का मेरा मन होता रहा है
सिर कितना घूमताssरहा है गेंदबाज़ चंद्रशेखर की लेग स्पिन- सा
तुम्हें याद करना एक बोझ उठाना है
और न याद करना निरुद्देश्य पर्वतारोही हो जाना है
शोकसभा के बाद बिछी रह गई दरी सी है
फरवरी
अट्ठाईस दिनों की फ़रवरी में अगर तुम नहीं आ रही हो तो इसे मैं तीस और इकतीस दिनों का कर दूँगा
इससे ज्यादा क्या चाहती हो क्या कर दूँ पूरा कैलेंडर बदल दूँ ?
(दो)
मैं तुम्हें विचलित करने के लिए कहता हूँ कि तुम अविश्वसनीय हो इसलिए उत्तेजक हो
तुम कहती हो कि तीन साल पुराना प्रेम डेढ क्विंटल राख है
प्रेम के फ़ायरप्लेस में अब संस्मरणों की सूखी लकड़ियाँ जल रही हैं
जलाने के लिए तुम्हारी चिट्ठियाँ नहीं हैं मेरे पास तुम्हारी आवाज़ है और उसके अपरिमित संस्करण जो मुझे पहाड़ों की तरह घेरे रहते हैं और ऐन छत को छूकर गुज़रते हवाई जहाज़ की तरह गूँजते हैं
यह बता पाना मुश्किल है कि तुम्हें याद करना वृत्त में घूमना है या एक दीवार को छूकर दूसरी दीवार तक जाना है- तुम्हारी स्मृति कारावास है या आभासीय आवासीयता का अनोखा आसमान
हम अलगाव के उजाड़ तुग़लकाबाद में घूम रहे हैं
हमने गणतंत्र दिवस पर एक दूसरे से स्वतंत्र होने का अभिनय किया दो राष्ट्र बना लिए और एक कँटीली फेंस डाल दी बीच में और ज़ल्दबाज़ी में एक दूसरे का संविधान उठा लाये
इतना दुख था कि जैसे प्रेम में घायलों की आख़िरी प्रजाति थे हम और आसक्ति की संस्कृति में कई बार मरने के क्रम का पहला मरना
हमारी स्वायत्तता अब
हमारा अकेलापन है
मालूम है
आधुनिकता अपारगम्य कलह है
तुम्हारी तरफ जाने वाला रास्ता
और मेरी तरफ आने वाली पगडंडी
इस बात की मिसाल हैं
कि हमने सरल को समाधान नहीं माना
मंगलेश के साथ हिंदी के हर सरल वाक्य की मृत्यु हो गई क्या
तुम्हारा फोन नहीं आ रहा इक्कीसवीं सदी के पहले चतुर्थांश का यह अहंवाद है जिसमें स्त्री बोहेमियन हो सकती है
मेरे पास हजारों साल पुराना पुरुष होने का नियंत्रक अहंकार है जो एकनिष्ठ होने का नाट्य कर सकता है और जो एकाधिकार की दार्शनिकता को अभिपुष्ट कर सकता है
मोबाइल एक ब्लैक बोर्ड की तरह ख़ाली है जहाँ नहीं चमकता तुम्हारे संदेश का लाल तारा
व्हाट्सऐप हरे चौकोर घास के मैदान सा निर्जन है
यह डूबने के लिए झुका हुआ जहाज है
पूरा नहीं ध्वस्त है आधा जला बंदरगाह
भूख के उदाहरणों से भरे शहर में
प्रेम छीन लिया गया
जैसे थाली हटा ली जाती है
बुभुक्षु के सामने से
क्या प्रेम सेक्स के रनवे  तक पहुँचने की खड़ंजा वाली मनरेगा रोड भर है
तुमसे अलग होने का दुख पूछता रहा है कि क्यों खत्म होता है आरंभ- वह चाहता है कि लौट आए उस पहले वाक्य की उदग्रता उस दूसरे वाक्य की उसाँस उस तीसरे वाक्य का धैर्य उस नवें वाक्य की असहमति उस तेरहवें वाक्य का विषण्ण और जो इस निरुपाय हठ से भरा है कि फरवरी के फर फर में उड़ती धूप के पर्दे पर उसकी कथा फिल्म देखी जाये निस्सहायता परिभाषित हो और पारस्परिकता के नष्ट होने को एक बड़ी त्रासदी माना जाये
यह प्यार का एकेश्वरवाद था- पत्थरों की उपासना के वैविध्य से भरा बहुदेववाद: पत्थर के सनम, तुझे हमने मुहब्बत का ख़ुदा माना
एक ढहते हुए रेस्तरां में एक मेज़ और आमने सामने रखी घुन खाई दो कुर्सियाँ संवाद के आख़िरी नमूने हैं
उच्चस्थानीय एक प्रतिशत के पास चालीस प्रतिशत और आखिरी पचास प्रतिशत के पास तीन प्रतिशत परिसंपत्ति है और यही हमारी केंद्रीय विपत्ति है, यह कहकर हमने एक दूसरे को कॉमरेड कहा और फिर कभी बात �� करने का फैसला किया
रेनेसां की बजाय हमारे पास धार्मिक छिछोरापन है, गाय बचाने की पाशविकता और मनुष्य मारने का सलफास और नागरिकता का मुँह चमकाने की फिटकिरी और हर साल कला और साहित्य के लिए दिये गये पुरस्कारों का कई टन तांबा, टीन और लक्कड़
जले हुए प्रेम के पुस्तकालय के नालंदा के उजाड़ में हैं हम
पत्तों के वस्त्र पहनकर मैं जंगल की तरफ जा रहा हूँ तुम भी आ जाओ री, अनिवारणीय ! सुबह के झुटपुटे अनार के रंग वाली
आओ,
हम प्रकृति के दो पर्ण हो जाएँ
और हिंदी के आरंभिक
उत्तर-मनुष्य
हम दुर्भाग्य के मारे हैं हमारे पास
न नवजागरण है और न साम्यवाद
और न अनीश्वरवाद का महास्नान
एक डग डग प्रधानमंत्री और एक धक धक पूंजीपति के बीच हम क्रांति में न मरने का जेनेटिक डिज़ाइन
और वंशानुगत इनसेस्टुअस मतदाता होने की हेडलाइन हैं भारतीय लोकतंत्र में इच्छाओं
का प्रतिनिधित्व नहीं आसान
क्या अपराधी ही बनाते हैं सरकार, मेरी जान.
_______________
(देवी प्रसाद मिश्र की कविता फ़रवरी का पहला हिस्सा ‘फ़रवरी-एक’ सदानीरा पत्रिका  में भी प्रकाशित हुई है. यह उसका संवर्धित रूप है.)
देवी प्रसाद मिश्र
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mwsnewshindi · 2 years
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खंडवा : सिर पर बरसाए फूल, तेजाब से डरे धर्म परिवर्तन, मुझसे शादी... युवक की सनक से डरी कॉलेज गर्ल
खंडवा : सिर पर बरसाए फूल, तेजाब से डरे धर्म परिवर्तन, मुझसे शादी… युवक की सनक से डरी कॉलेज गर्ल
खंडवा: एमपी के खंडवा जिले में झारखंड जैसी घटना को अंजाम देने की कोशिश की गई है. इससे पहले भी लड़की ने पुलिस में शिकायत दर्ज करायी है. पागल आदमी राइफल से लड़की को धमका रहा है। साथ ही वह अपने परिवार को गोली मारने की धमकी दे रहा है। पीड़ित लड़की ने पुलिस में शिकायत की है। आरोपित उस पर शादी के लिए दबाव बना रहा है। रास्ते में उसने उसका हाथ पकड़ रखा था। बच्ची नर्सिंग की छात्रा है, घटना के बाद से वह…
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hindisoup · 2 years
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Camping and Hiking Vocabulary
बाहरी क्रियाकलाप - outdoor activity (masculine) रास्ता, मार्ग - path, way (masculine) पगडण्डी - footpath, trail (feminine), also ट्रेल (masculine) * these paths can be पर्वतीय (mountainous), लंबा (long), कठिन, (hard, difficult), ऊबड़-खाबड़ (rough, uneven), ज़मीनी (unpaved) or अवरुद्ध (blocked) पैदल यात्रा का / हाईकिंग मार्ग - hiking trail (masculine) पदयात्रा, पैदल यात्रा, हाइक - hike, walk (feminine) पदयात्रा / हाईकिंग / ट्रेकिंग करना - to hike, to go hiking, trekking (transitive) लंबी दूरी की हाईकिंग - long distance hiking पैदल चलना - to walk (intransitive) आगे बढ़ना - to go on, keep on going (intransitive) यात्रा - journey, travel (feminine), also सफ़र (masculine) यात्री, हाईकर - traveler, hiker (masculine) * a hiker can be for example कुशल (skilled) or जिम्मेदार (responsible) पिटठू, बैकपैक, रूकसाक - backpack, rucksack (masculine) बैकपैकर - backpacker (masculine) बैकपैकिंग (यात्रा) - backpacking (feminine)
Hiking Environment
प्राकृतिक वातावरण / पर्यावरण - natural environment (masculine) पर्यावरण का आनंद उठाना - to enjoy the environment (transitive) प्रकृति - nature (feminine) क्षेत्र - area (masculine) * areas related to hiking can be पहाड़ी (mountainous), दूरस्थ (remote), अल्पाइन (alpine), or संरक्षित (protected) राष्ट्रीय उद्यान / पार्क - National Park (masculine) पर्वत, पहाड़ - mountain (masculine) पहाड़ी - hill (feminine) शिखर - peak, summit (masculine), also चोटी (feminine) पहाड़ पर चढ़ना - to climb a mountain (intransitive) ऊँचा ऊंचाई - high altitude (feminine) समुद्र तल - sea ​​level (masculine) जलवायु, आबोहवा - climate (feminine) पठार - plateau, high land (masculine) ढलान - slope (feminine) घना जंगल - dense forest (masculine) पेड़-पौधे - trees and plants (masculine) पशु-पक्षियाँ - animals and birds (feminine) प्रजाति - species (feminine) * species seen while hiking may be लुप्तप्राय (endangered) or दुर्लभ (rare)
Hiking and Camping Equipment
हाईकिंग उपकरण - hiking equipment (masculine) आवश्यक वस्तुएं - essential items (feminine) हाईकिंग जूते - hiking shoes (masculine) पैदल यात्रा छड़ी - trekking pole, hiking stick (feminine) नक्शा - map (masculine) दिक्सूचक - compass (masculine) शिविर, कैंप साईट - campsite (masculine) तंबू - tent (masculine) चंदवा - canopy (masculine) कील हथौड़ा - tent mallet (masculine) शिविर स्थापित करना, कैंप लगाना - to set up camp (transitive) डेरा डालना, तंबू लगाना - to set up a tent (transitive) कैम्पिंग, कैंप में रहना, तंबू में रहना - camping (feminine) रात्रिकालीन - nocturnal, night time, over-night (adjective) रात्रिकालीन शिविर - over-night camp (masculine) शिविर क्षेत्र - camping area (masculine) निर्दिष्ट क्षेत्र - designated area (masculine) नंगी जमीन - bare ground (feminine) खाना पकाने के उपकरण - cooking equipment (masculine) लकड़ी - wood (feminine) लकड़ी एकत्रित करना - to collect firewood (transitive) माचिस - matches (masculine) अलाव - campfire, open fire (masculine) पोर्टेबल स्टोव - portable stove (masculine) पानी का स्रोत - water source (masculine) बर्तन - utensils (masculine) सोने का थैला - sleeping bag (masculine) कंबल - blanket (masculine) टार्च - torch, flashlight (masculine) चाकू - knife (masculine) स्विस सेना चाकू - Swiss Army Knife (masculine) उचित कपड़े - suitable, proper clothes (masculine) तौलिया - towel (feminine) प्राथमिक चिकित्सा किट - first aid kit (masculine) मच्छर भगाने का स्प्रे - mosquito repellent spray (masculine) धूप का चश्मा - sunglasses (masculine) अपना कचरा ले जाना - to take away one's trash (transitive)
Risks and Dangers
खतरनाक परिस्थितियाँ - dangerous conditions (feminine) इलाका - terrain, area (masculine) * terrain can be मुश्किल भरा (difficult) or खतरनाक (dangerous) जोखिम, खतरा - risk, danger, hazard (masculine) जंगल की आग - wildfire (feminine) खतरे को कम करना - to reduce risk of (transitive) पर्यावरण की रक्षा के लिए नियम rules to protect the environment (masculine) नियमों का पालन करना - to follow the rules (transitive) प्रतिबंधित - banned (adjective) आग जलाने की मनाही - ban to light a fire (feminine) रास्ता खोना - to lose way (transitive) रास्ता खोजना - to find the way (transitive) खराब मौसम - bad weather (masculine) जानवर का हमला - animal attack (masculine) निर्जलीकरण - dehydration (masculine) अल्पताप - hypothermia (masculine) आतपदाह - sunburn (masculine)
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lavkusdasrajpt · 7 months
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#SpiritualMessageOnDussehra
दशहरा मनाने से समाज को क्या सीख मिलती है?
दशहरा के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे राक्षसों के पुतले जलाने से अच्छा भ्रष्टाचार, दहेज, छुआछूत, धार्मिक बंटवारा, क्रोध, वासना, अभिमान, लालच, ईर्ष्या, अन्याय, क्रूरता और अहंकार जैसे व्यक्तिगत दोषों और सामाजिक बुराइयों को हमेशा के लिए जला देना चाहिए।
Sant Rampal Ji Maharaj
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