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#दरवाजे का पता लगाना
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ऐप्पल डोर डिटेक्शन लाता है, लाइव कैप्शन एक्सेसिबिलिटी फीचर्स
ऐप्पल डोर डिटेक्शन लाता है, लाइव कैप्शन एक्सेसिबिलिटी फीचर्स
Apple ने मंगलवार को एक्सेसिबिलिटी फीचर्स की एक सूची की घोषणा की, जिसका उद्देश्य विकलांग उपयोगकर्ताओं की मदद करना है। इस साल के अंत में आईफोन, ऐप्पल वॉच और मैक में आने वाली नई सुविधाओं का दावा है कि कम दृष्टि वाले या दृष्टिहीन लोगों या शारीरिक या मोटर वाले लोगों की सहायता के लिए हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और मशीन सीखने की प्रगति का उपयोग करें। विकलांग। सुविधाओं में iPhone और iPad उपयोगकर्ताओं के लिए डोर…
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jyotishwithakshayg · 7 months
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💥आज का वैदिक हिन्दू पंचांग 💥
👉दिनांक - 14 अक्टूबर 2023*
👉दिन - शनिवार*
👉विक्रम संवत् - 2080*
👉शक संवत् - 1945*
👉अयन - दक्षिणायन*
👉ऋतु - शरद*
👉मास - आश्विन*
👉पक्ष - कृष्ण*
👉तिथि - अमावस्या रात्रि 11:24 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
👉नक्षत्र - हस्त शाम 04:24 तक तत्पश्चात चित्रा*
👉योग - इन्द्र सुबह 10:25 तक तत्पश्चात वैधृति*
👉राहु काल - सुबह 09:31 से 10:58 तक*
👉सूर्योदय - 06:36*
👉सूर्यास्त - 06:15*
👉दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
👉ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:46 तक*
👉निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:01 से 12:50 तक*
👉व्रत पर्व विवरण - आश्विन अमावस्या, सर्वपित्री अमावस्या का श्राद्ध, महालय समाप्त, अज्ञात तिथिवालों का श्राद्ध*
👉विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
💥सर्वपित्री अमावस्या : 14 अक्टूबर 2023💥
👉जो जाने-अनजाने रह गये हों, जिनके मरण की तिथि का पता न हो उन सभीका श्राद्ध सर्वपित्री अमावस्या को होता है ।*
👉अमावस्या के दिन पितृगण वायुरूप में घर के दरवाजे पर उपस्थित रहते हैं और अपने स्वजनों से श्राद्ध की अभिलाषा करते हैं । जब तक सूर्यास्त नहीं हो जाता, तब तक वे भूख-प्यास से व्याकुल होकर वहीं खड़े रहते हैं । सूर्यास्त हो जाने के पश्चात वे निराश होकर दुःखित मन से ���पने-अपने लोकों को चले जाते हैं । अतः अमावस्या के दिन प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध अवश्य करना चाहिए । - गरुड़ पुराण*
💥आश्विन अमावस्या💥
👉13 अक्टूबर रात्रि 09:50 से 14 अक्टूबर रात्रि 11:24 तक अमावस्या ।
👉नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए
👉घर में हर अमावस्या अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।*
💥अमावस्या विशेष💥
👉1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*
👉2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*
👉4. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।
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#akshayjamdagni #hindu #Hinduism #bharat #hindi
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ksarifanrandi · 3 years
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मकान मालकिन फातिमा की चूदाई सागर ने की
यह लैंड लेडी सेक्स कहानी तब की है जब मेरा नया नया ट्रांसफर चंडीगढ़ में हुआ था।
वहां आने के बाद मैं होटल में रुका हुआ था और मुझे जल्दी ही रहने के लिए घर चाहिए था।
मैंने अपने साथ के अन्य लोगों से भी घर के लिए बात की थी लेकिन किसी का जवाब नहीं मिला।
एक दिन मैं होटल के रिसेप्शन पर बैठा था। मैं एक डीलर से घर के बारे में बात कर रहा था।
शायद रिसेप्शनिस्ट ने मेरी बात सुन ली थी। बातचीत खत्म होने के बाद वह मेरे पास आई और बोली- आपको घर चाहिए है क्या?
मैंने उसको देखा और कहा- हां, शहर में अभी नया हूं और अपने लिए घर देख रहा हूं.
इस पर वह बोली- एक घर मेरे पड़ोस में खाली है लेकिन मकान मालकिन उसका किराया ज्यादा मांगती है इसलिए वह काफी दिनों से खाली है। घर की लोकेशन के हिसाब से वह घर अच्छा है और वैसा ही है जैसा कि घर आप ढूंढ रहे हैं। इसलिए अगर आप चाह���ं तो मैं मकान मालकिन से बात कर सकती हूं.
मैंने तुरंत उसको कहा- आप बात करो, अगर घर पसंद आया तो मैं घर ले लूंगा। किराये की कोई दिक्कत नहीं।
अगले दिन उसने मुझे बोला- मैंने बात कर ली है। मकान मालकिन ने घर दिखाने के लिए शाम के 6:00 बजे का टाइम दिया है।
उससे मैंने कहा- ठीक है, लेकिन मैं वहां कैसे जाऊंगा? मैंने तो एरिया देखा ही नहीं.
वह बोली- आज शाम को मेरे साथ ही चल पड़ियेगा।
मैंने उसको हां कह दिया और शाम को मैं उस लेडी को लेकर घर देखने के लिए चला गया।
महिला की उम्र लगभग 45 वर्ष थी।
बातों बातों में पता चला कि उसकी एक बेटी है, जिसकी 2 साल पहले शादी हुई थी और उसका अब तलाक होने वाला है।
मुझे वह घर पसंद आया क्योंकि मैं एक तलाकशुदा आदमी हूं जिसको एकांत पसंद है ताकि अगर किसी लड़की या औरत को चोदना हो तो आसानी से लाया जा सके।
घर देखने के बाद मैंने फाइनल कर दिया और वापस होटल में आ गया।
अगले दिन अपना सारा सामान लेकर मैं उस मकान में आने के लिए तैयार था।
आने से पहले होटल में उस रिसेप्शनिस्ट को मैंने धन्यवाद कहा।
इसके जवाब में उसने मुझे गले लगाया। उसके गले लगाने से उसकी चूचियां मेरे सीने से सट रही थीं. जिसके कारण मेरे लौड़े में तनाव आना शुरू हो गया।
अलग होने के बाद उसने मुझे आंख भी मारी और धीरे से बोली- ऐसे केवल थैंक्यू से काम नहीं चलेगा, पार्टी देनी होगी।
दोस्तो, मैं रिसेप्शनिस्ट का परिचय देना तो भूल ही गया।
वो लगभग 28 से 30 साल की भरे बदन की औरत थी। उसकी चूचियां लगभग 36 के आसपास थीं. उसकी हाइट लगभग 5 फीट 7 इंच थी और उसकी गांड बाहर निकली हुई थी।
जब मैं उस घर में गया तो वो मकान मालकिन मुझे खड़ूस सी लगी।
मगर मुझे कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि मेरा रास्ता साइड से सीधा ऊपर को जाता था।
लगभग एक महीना मुझे वहां रहते हुए हो गया था।
ऐसे ही एक दिन मैं ऑफिस से लौटा था।
मैंने पाया कि दरवाजा काफी देर बाद खुला।
अंदर घुसा तो मैंने पाया कि वह औरत जिसका नाम फहीमा था, उसकी तबीयत खराब है और वह मुश्किल से दरवाजे तक आई थी।
नीचे फहीमा के अलावा और कोई नहीं रहता था।
मैंने सोचा कि उसकी मदद कर देता हूं। उसकी तबीयत ठीक नहीं थी तो मैंने उसके लिए चाय बनाने लगा।
तबीयत खराब होने के कारण उसने गाउन ही पहन रखा था।
उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां और उसका डी साइज साफ महसूस हो रहा था। उसका साइज लगभग 38 का था और उसकी निकली हुई गांड देखकर मेरे लौड़े में तनाव आ गया।
मेरा मन कर रहा था कि अभी उसकी गांड में लौड़ा घुसा दूं लेकिन मैंने अपने आप को और अपने लौड़े को काबू किया।
मैं चाय बनाने चला गया। मैंने चाय उसको दी और उसके पास जाकर बैठ गया।
बैठते समय मैं अपने लौड़े को काबू कर रहा था। चाय पीते पीते मैंने महसूस किया कि उसका ध्यान भी मेरे लौड़े पर था।
उसकी नज़र मेरे लौड़े पर जमी हुई देखकर मुझे भी मुझे ���िश्वास हो गया कि उसकी गांड भी मेरे लौड़े के लिए तरस रही है।
चाय खत्म हो गई तो वह बोली- तुम भी यहीं सो जाओ क्योंकि मेरी तबीयत खराब है।
मैंने उससे कहा- मैं आपको डॉक्टर के पास ले चलता हूं।
वह बोली- ऐसी कोई बात नहीं है, चाय पीने से तबियत थोड़ा ठीक हो गई है और मैंने दवाई भी ले रखी है। फिर भी अगर तुम पास में सो जाओगे तो रात में तबियत खराब हुई तो सहारा रहेगा।
मैं उसकी बात से सहमत था और मैंने हां कर दी।
उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया।
मैंने कपड़े बदले और फिर तैयार होकर नीचे चला गया।
मेरे लौड़े को देखने के अंदाज से मैं समझ गया था कि वो अपनी चूत चुदवाना चाह रही है। इसलिए मैंने लोअर के नीचे कुछ भी नहीं पहना था और उपर सिर्फ टीशर्ट पहनी हुई थी। मैंने नहाते समय उसके नाम की मुठ मारी ताकि मेरा लंड जल्दी से पानी न छोड़े।
नीचे आने के बाद मैंने उससे पूछा- सोने का कैसे अरेंजमेंट करना है? उसके कमरे में केवल डबल बेड था।
उसने कहा- एक तरफ तुम सो जाओ और एक तरफ को मैं सो जाऊंगी।
लाइट बंद करने के बाद मैंने उससे कहा- अब तुम सो जाओ और कोई भी परेशानी हो तो मुझे जगा देना।
उसने बोला- अगर तुम्हें परेशानी ना हो तो मेरे सिर में थोड़ी बाम लगा दो और थोड़ा मेरे शरीर की मालिश कर दो। शरीर में दर्द हो रहा है।
मैंने उससे पूछा कि तेल कहां है और बताई जगह से तेल लाने के बाद मैंने उससे कहा- तुम सीधी लेट जाओ, मैं तुम्हारे शरीर की मालिश कर देता हूं, इससे तुम्हें आराम मिलेगा।
उसके बाद मैंने उसके सिर पर बाम लगा दिया। मैंने सिर की मसाज कर दी।
उसके बाद तेल की मसाज की बारी थी तो मैंने कहा- तेल की मसाज के लिए कपड़े उतारने पड़ेंगे।
उसने कहा- मुझे शर्म आती है, तुम ऐसा करो कि लाइट बंद कर दो।
लाइट बंद करने के बाद मैंने उसको तेल लगाना शुरू किया।
मैंने महसूस किया कि उसने अपना गाउन उतार दिया है।
फिर जैसे-जैसे तेल लगाने लगा तो मैं गर्दन से उसकी चूचियों की तरफ आया।
मेरे छूने से उसके मुंह से आह निकल गई।
उसकी आह्ह सुनते ही मैं समझ गया कि मेरे सामने लेटी हुई ये औरत चूत मरवाना चाहती है।
मैंने धीरे-धीरे उसकी चूचियों की मालिश करना शुरू किया। मैं अपने दोनों हाथों से उसकी उसकी चूचियों पर मालिश करते हुए उसकी चूचियों को दबाने लगा।
धीरे धीरे उसके मुंह से आवाजें आने लगीं।
मैंने भी धीरे धीरे उसकी चूचियों को जोर से दबाना शुरू किया।
चूची दबाने से उसके बदन में लहरें उठने लगीं।
अब धीरे-धीरे मेरे दोनों हाथ उसकी नाभि की ओर जा रहे थे।
सामने लेटी हुई 45 साल की औरत अपने बदन पर काबू नहीं रख पा रही थी। लाख कोशिशें करने के बाद भी उसके मुंह से सेक्स की मस्ती भरी आवाजें सुनाई देने लगीं।
मैं अपने हाथ और नीचे ले जा रहा था। नीचे जाने पर मैंने उसकी चूत के आसपास धीरे-धीरे अपनी उंगलियां चलानी शुरू कीं।
उसकी चूत अब फड़फड़ाने लगी थी।
मेरी तेल में डूबी उंगलियां धीरे धीरे चल रही थीं।
उसके मचलते हुए शरीर को देखकर साफ पता लग रहा था कि उसका अपने शरीर पर कोई काबू नहीं है।
उसका शरीर मछली की तरह तड़प रहा था।
तभी मैंने पाया कि उसने एक हाथ से मेरे कच्छे के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया।
मालिश करते करते मेरा लंड भी एकदम खड़ा हो गया था।
धीरे-धीरे मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल दी।
मेरे उंगली डालते ही उसके मुंह से मस्ती भरी आह निकली और उसने अपने हाथों से मेरा लंड और मजबूती से पकड़ लिया।
इधर मैं उसकी चूत में उंगली आगे पीछे कर रहा था जो कि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
दूसरी ओर उसने मेरा लंड बाहर निकाल लिया और वह जोर-जोर से लंड की त्वचा को आगे पीछे कर रही थी।
उसने अपनी आंखें नहीं खोली थीं और वह मस्ती में आहें भर रही थी।
मैंने देखा कि फहीमा पूरी तरह से मस्ती में आ चुकी है और यही मौका है उसको चोदने के लिए तैयार करने का।
तभी उसने आंखें खोलीं और पहली बार मेरा लंड देखा।
उसके मुंह से निकला- हायल्ला … इतना बड़ा लंड! इतनी छोटी सी चूत में कैसे जाएगा?
अब तक मेरा लंड पूरा तन चुका था और एकदम कड़क हो गया था।
मैंने अपने लंड को उसके होंठों के पास ले जाकर धीरे-धीरे रगड़ना शुरू किया।
मेरे ऐसा करने पर उसके मुंह से तेज तेज आहें निकलने लगीं और जब उसका अपने पर कोई काबू नहीं रहा तो लपक कर उसने मेरे लंड का सुपारा अपने मुंह में लेकर धीरे-धीरे चूसना शुरू किया।
धीरे-धीरे उसने मेरे लंड को चूसते हुए स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी थी और स्पीड बढ़ाते बढ़ाते लंड पूरा लेने की कोशिश करने लगी।
मगर वह पूरा का पूरा अंदर नहीं ले पा रही थी।
उसकी चुदाई की इच्छा इतनी बढ़ी हुई थी कि वह जितना हो सके लंड पूरा लेने की कोशिश कर रही थी।
वह बोली- ऐसा मस्त, मोटा, बड़ा लंड मैंने आज तक नहीं देखा।
उसके चूसने के अंदाज से भी ऐसा ही लग रहा था कि उसने आज तक इतना बड़ा और मोटा लंड अभी तक अपनी चूत में नहीं लिया होगा।
थोड़ी देर मेरा लंड चूसने के बाद मैंने देखा कि अब वह मस्त हो रही थी।
मैंने धीरे-धीरे अपनी उंगली को उसकी चूत में डालना शुरू कर दिया।
मेरी उंगली के चूत में जाते ही वह मस्ती में होने लगी और लंड को और जोर जोर से चूसने लगी।
वो बोली- सागर, अब मुझे और मत तड़पाओ। मेरी चूत को अपने लंड से ठंडा कर दो। मगर ध्यान से चोदना। यह बहुत दिनों से प्यासी है और इसकी बहुत दिनों से ठीक से चुदाई नहीं हुई है।
चुदाई की तड़प की वजह से उसके शरीर में मछलियों की तरह लहरें उठने लगी थीं।
मैंने देर न करते हुए उसकी दोनों टांगों को फैलाया और अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रगड़ने लगा।
ऐसा करने से वह बुरी तरह तड़पने लगी और बोली- मैं मर जाऊंगी! मुझे और मत तड़पाओ।
मेरी चूत में अपना यह मोटा लंड घुसेड़ दो।
उसके ऐसा कहने पर मैं अपना लंड धीरे-धीरे उसकी चूत में डालने का सोचने लगा और अपने लंड का सुपारा उसकी चूत के मुंह पर रखा और उसकी चूचियां दबाते हुए मैंने एक जोर का झटका मारा।
इससे मेरा लंड 2 इंच तक अंदर घुस गया लेकिन उसकी चूत बहुत टाइट थी।
ऐसा लग रहा था कि वह बहुत दिनों से नहीं चुदी है।
उसने बाद में बताया कि उसकी चूत को 8-10 साल से अच्छा लंड नहीं मिला है।
वह कभी-कभी अपनी उंगली से ही काम चला लेती थी।
मेरे लंड से उसको तकलीफ हो रही थी लेकिन उसको मजा भी आ रहा था।
अब मैं उसको धीरे-धीरे चोदने लगा और थोड़ी देर में उसकी चूत ने मेरे लंड को ठीक से लेना शुरू कर दिया।
अब वह पूरी तरह से चुदासी होकर अपनी चूत को अच्छे से चुदवा रही थी।
वो अपनी गांड उछाल उछाल कर लंड को पूरा अंदर तक लेने ��ी कोशिश कर रही थी।
थोड़ी देर तक ऐसे ही चोदने के बाद वह बोली- और जोर से चोदो, मैं झड़ने वाली हूं।
उसके ऐसा कहने के बाद मैंने लंबे लंबे शॉट लगाते हुए उसकी चूत को जोर-जोर से चोदना शुरू किया।
लंबे लंबे शॉट लगने के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
पानी क्या था, उसकी चूत ने तो पूरी तरह से नदी सी बहा दी थी।
उसके झड़ने के बाद भी मेरा पानी अभी नहीं निकला था।
मैंने उसको कहा- मेरा अभी पानी नहीं आया है।
वो बोली- तुम्हारा जैसे मन करे चोद लो और अपना पानी निकाल लो।
मैंने उसको कुतिया बना दिया और पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा।
पानी झड़ने के बाद चुदाई होने से उसकी चूत फिर से गर्म होने लगी और मैं उसमें जोर जोर से धक्के लगा रहा था।
उसको पीछे से चोदने के दौरान मैं कभी कभी पीछे से उसकी चूचियां भी दबा रहा था।
साथ ही साथ कभी कभी पीठ पर हल्के हल्के नाखून गड़ा देता था जिससे वह और भी मस्त होती जा रही थी।
मस्ती से पीछे की ओर धक्के लगाकर वह मेरे लंड पर दबाव बढ़ा रही थी।
मुझे उसकी चुदाई करने में अब और ज्यादा मजा आ रहा था।
थोड़ी देर तक ऐसे ही चोदने के बाद मुझे लगने लगा कि मेरा पानी आने वाला है तो मैंने उससे पूछा- पानी कहां निकालूं?
वो बोली- मेरी चूत बहुत दिनों से प्यासी है। आज तो पहले इसकी प्यास बुझाओ और अपना पूरा पानी इसके अंदर ही छोड़ो।
वैसे तो उसकी उम्र 45 साल थी लेकिन उसकी पिछले 10 साल से चुदाई नहीं हुई थी।
उसको चोदते हुए मेरे लंड को एक कुंवारी चूत को चोदने जैसा ही अहसास हुआ।
मेरे लंड को उसकी चूत ने बहुत कसकर पकड़ रखा था। मुझे कुंवारी चूत जैसा ही मजा मिला।
अब मेरा वीर्य निकलने लगा। मेरे लंड का पानी आने के बाद मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया।
थोड़ी देर तक लंबी लंबी सांसें लेने लगा। लगभग 15 मिनट के बाद वह फिर से मेरे लंड को हिलाने लगी।
मेरा लंड भी उसके हिलाने से फिर खड़ा होने लगा तो फहीमा बोली- यह इतनी जल्दी फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया है?
मैंने कहा- यह तुम्हें पूरी रात चोद सकता है। जब इतना मस्त माल चुदाई के लिए तैयार हो तो मुर्दे का भी लंड खड़ा हो जाता है।
फहीमा बोली- हां, तुम्हारे लंड में वाकई दम है, ऐसी चुदाई पहली बार हुई है, मेरे शरीर का एक-एक अंग तुमने हिला दिया है।
थोड़ी देर तक लंड को हिलाने के बाद लंड खड़ा होने पर वह बैठकर मेरे लंड को चूसने लगी।
वो बोली- इतने दिनों बाद चुदाई होने से मुझे थकान हो गई है। इसलिए मैं अबकी बार लंड को केवल मुंह में ही लूंगी। मेरा मुंह अपने लंड के पानी से भर दो। बहुत दिनों से मैंने लंड का पानी नहीं पिया।
इतना बोलकर वो फिर से मेरे लंड को चूसने लगी।
काफी देर तक लंड चूसने के बाद मेरे लंड ने उसके मुंह में ही पानी छोड़ दिया जो कि वह पूरा का पूरा पी गई।
उस रात हमने 2 बार और चुदाई की और उसके बाद ऐसे ही नंगे सो गये।
उस रात मैंने उसकी गांड नहीं मारी क्योंकि मैं उसकी गांड किसी और दिन मारना चाहता था।
दोस्तो, अभी मुझे विधवा की गांड चुदाई भी करनी थी। उसकी गांड चुदाई का किस्सा अगली बार सुनाऊंगा। तब तक आप कहानी के दूसरे भाग का इंतजार करें।ℍ𝕚𝕟𝕕𝕚 & 𝔼𝕟𝕘𝕝𝕚𝕤𝕙 𝕊𝕖𝕩 𝕊𝕥𝕠𝕣𝕪:
मैं अपनी माँ के साथ बुआ के यहां शादी में गया. हम शादी से लौटे तो मुझे लगा कि मेरे पापा और मेरी बहन का व्यवहार आपस में बदल गया है. क्या हुआ था बाप बेटी के बीच?
दोस्तो, मेरा नाम विवेक (बदला हुआ) है और मैं दिल्ली के पॉश इलाके रोहिणी में रहता हूं. मेरे घर में मेरे मां-पापा, मेरी बहन और मैं रहते हैं. हमारी जिन्दगी बहुत आराम से चल रही थी क्योंकि मेरे पापा का बिजनेस सही चल रहा था.
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं अपने परिवार से आपका परिचय करवा देता हूं. यहां पर मैंने गोपनीयता के कारण कहानी के पात्रों के नाम बदल दिये हैं. मेरी उम्र 23 साल है और मेरी बहन 21 साल की है. मेरे पापा 50 वर्ष के हैं और मां की आयु 45 साल है. मैं अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर चुका हूं और अब मास्टर्स कर रहा हूं. मेरी बहन अपनी ग्रेजुएशन के आखिरी वर्ष में है.
मैं अपने पाठकों को बताना चाहूंगा कि ये मेरी फर्स्ट स्टोरी राइटिंग है. इसमें कुछ कमी भी रह सकती है. इसलिए आप स्टोरी का आनंद लें और कुछ कमी हो तो मुझे बाद में बता सकते हैं.
बात उन दिनों की है जब मेरी बुआ के घर पर शादी थी. जून महीने की बात है. हम लोग शादी में जाने की तैयारी कर रहे थे. मगर बिजनेस में कोई दिक्कत आ गयी थी इसलिए पापा का जाना कैंसिल हो गया था.
अब मैं, मां और बहन जाने वाले थे. फिर मां ने फैसला किया कि बहन घर पर ही रुकेगी. पापा के साथ रहने के लिए कोई नहीं था. ये बात सुनकर मेरी बहन थोड़ी उदास हो गयी थी. मगर मां ने कहा कि शादी में मैं (मॉम) और विवेक ही जाएंगे.
मैं और मां शादी में बुआ के घर चले गये. एक सप्ताह के बाद हम घर लौट आये. घर आने के बाद फिर से वही रुटीन शुरू हो गया था. मैं अपनी पढ़ाई में बिजी था और बहन भी अपनी स्टडी में. पापा बिजनेस में व्यस्त रहते थे.
एक बात जो मैं नोटिस कर रहा था वो ये कि मेरे पापा और मेरी बहन का आपसी व्यवहार अब कुछ बदल गया था. वो लोग पहले से कुछ अलग बर्ताव करने लगे थे.
जब मैंने इस ओर ध्यान देना शुरू किया तो मुझे मालूम हुआ कि वो अब पहले से ज्यादा नजदीक आ गये थे. मैंने सोचा कि पापा और बेटी का प्यार तो होता ही है, मगर उन दोनों के बर्ताव में बहुत कुछ अलग था की दिनों से जो मैं देख रहा था.
मेरे पापा अक्सर मेरी बहन को कार में लेकर बाहर जाने लगे थे. न चाहते हुए मेरे मन में शक होने लगा. मैंने इस बात की पूरी पड़ताल करने की सोची. मैंने उन दोनों पर पहले से ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया.
एक दिन वो लोग बाहर जा रहे थे. पापा और बहन गाड़ी में साथ में निकले. मैं भी उनका पीछे करने के लिए निकल गया. पीछा करते करते मैंने देखा कि वो एक होटल में गये. मैं देख कर हैरान था कि ये दोनों होटल में क्या करने के लिए गये हैं!
मेरा शक गहरा हुआ तो मैं वहीं बाहर उनका इंतजार करने लगा. वो लोग लगभग दो घंटे के बाद बाहर निकले. अब मुझे बात कुछ समझ में आने लगी थी. मैं घर में होता था तो पापा और बेटी की हरकतों पर ही नजर रखता था.
एक दिन मैंने देखा कि मेरे पापा मेरी बहन की गांड पर हाथ से सहला रहे थे. वो किचन में थी और पापा पीछे से उसके पिछवाड़े पर हाथ से सहला रहे थे. मैंने चुपके से उन दोनों की वो फोटो क्लिक कर ली. मैंने तीन चार फोटो ले ली ताकि मेरे पास एक पुख्ता सुबूत हो.
अगली सुबह मैं अपनी बहन के रूम में गया. वो उस टाइम पर सो रही थी. मैंने उसको जगा दिया.
वो बोली- इतनी सुबह क्यों जगा रहे हो मुझे.
मैंने कहा- मुझे कुछ बात करनी है तुमसे.
वो बोली- अभी सोने दो, बाद में कर लेना.
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tezlivenews · 2 years
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Black Hole: 'शेरलॉक होम्स' तकनीक से खोजा 100 साल पुराना 'युवा' ब्लैक होल, धरती से कितना दूर?
Black Hole: ‘शेरलॉक होम्स’ तकनीक से खोजा 100 साल पुराना ‘युवा’ ब्लैक होल, धरती से कितना दूर?
लंदनअंतरिक्ष में ब्लैक होल का पता लगाना बेहद कठिन काम है क्योंकि ब्लैक होल हर तरह के प्रकाश को अवशोषित कर लेते हैं। इसलिए टेलिस्कोप से उन्हें आमतौर पर सीधे नहीं देखा जा सकता। लेकिन हर ब्लैक होल अपने पीछे कुछ ‘निशान’ जरूर छोड़ता है जो वैज्ञानिकों के लिए खोज के दरवाजे खोलते हैं। ब्लैक होल का उच्च दबाव वाला गुरुत्वाकर्षण उसके आसपास मौजूद चीजों की गति को प्रभावित करता है जिन्हे टेलिस्कोप से आसानी से…
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abhay121996-blog · 3 years
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मंगोलपुरी हत्याकांड: न्याय के लिए परिजनों ने निकाला कैंडल मार्च, रेस्टोरेंट मालिक के बयान के बाद आया नया मोड़ Divya Sandesh
#Divyasandesh
मंगोलपुरी हत्याकांड: न्याय के लिए परिजनों ने निकाला कैंडल मार्च, रेस्टोरेंट मालिक के बयान के बाद आया नया मोड़
नई दिल्ली। रिंकू शर्मा की हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। पीड़ित परिवार पुलिस की दलील से सहमत नहीं है। रिंकू शर्मा के परिजनों ने शुक्रवार शाम कैंडल मार्च निकालकर न्याय की मांग की है।  
रिंकू की हत्या को बीते 24 घंटे से ज्यादा वक्त हो गए हैं, लेकिन पुलिस अब तक परिवार के लोगों को किसी भी तरह का भरोसा नहीं दिला पाई है। परिवार और पुलिस एक दूसरे की दलील को खारिज कर रहे हैं। वहीं ट्विटर पर जस्टिस फॉर रिंकू शर्मा का हैशटैग सुबह से ट्रेंड कर रहा है। इस हैशटैग पर लोग रिंकू शर्मा को न्याय दिलाने के लिए अपनी बात रख रहे हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोग जुड़ रहे हैं। 
दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके में बुधवार रात को रिंकू शर्मा की लाठी डंडों व धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी गई थी। दिल्ली पुलिस ने वारदात को अंजाम देने वाले आरोपियों में से पांचवें आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया है।
इलाके में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस के साथ बीएसएफ के जवानों को भी तैनात किया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लोगों से कहा गया है कि वे किसी भी अफवाह पर ध्यान नहीं दें, बल्कि अफवाह फैलाने वाले के बारे में तुरंत पुलिस को खबर दें। पुलिस ने इलाके में शुक्रवार को ड्रोन की मदद से निगरानी रखी।
रेस्टोरेंट मालिक के बयान के बाद आया नया मोड़ घटना में शुक्रवार को एक नया मोड़ रेस्टोरेंट के मालिक के बयान के बाद आया। उसने बताया कि वहां पर कोई केक नहीं कटा और न ही कोई झगड़ा हुआ था। वहां पर रिंकू ने खाना खाया था। उसके बाद सभी वहां से चले गए थे। 
���ब पुलिस रेस्टोरेंट मालिक से भी पूछताछ कर रही है। वहां लगे आधा दर्जन से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को जब्त कर लिया गया है और हत्या की वजह तक पहुंचने के लिए पकड़े गए पांचों आरोपितों से दोबारा पूछताछ कर रही है।
अस्पताल में भी चाकू दोबारा घोपा गया! रिंकू के परिवार वालों ने बताया कि आरोपियों ने पूरी कोशिश की थी कि मारपीट के दौरान घर में रखे सिलेंडर में विस्फोट कर परिवार को ही खत्म कर दें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आरोपियों ने रिंकू को लाठी डंडों से दौड़ा दौड़ाकर मारा। जब वह मूर्छित हो गया तो उसके शरीर पर ताबड़तोड़ चाकू गोदकर उसकी हत्या कर दी। जब परिवार वाले घर से बाहर निकले तो खून से लथपथ शव स्थिति में रिंकू का शरीर गली में पड़ा मिला। 
परिवार के लोगों का यहां तक आरोप है कि जब रिंकू को पड़ोसी की स्कूटी से अस्पताल पहुंचाया गया तो वहां भी जब डॉक्टर रिंकू की पीठ पर गोदा गया चाकू निकाल रहे थे तो आरोपियों में से एक ने डॉक्टरों से हाथापाई की और दोबारा चाकू उसके शरीर में अंदर तक गोद दिया। 
इस मामले में पुलिस मौके पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालकर सच्चाई पता करने की कोशिश कर रही है। इस बारे में पुलिस डॉक्टरों और वहां पर मौजूद सुरक्षा गार्डों का भी बयान दर्ज करने की कोशिश कर रही है। 
दोनों पक्षों की अलग-अलग रेस्तरां में हिस्सेदारी थी- पुलिस  बाहरी दिल्ली के एडिशनल डीसीपी सुधांशू धामा 
बाहरी दिल्ली के एडिशनल डीसीपी ने बताया कि मृतक रिंकू शर्मा के मित्र का रेस्तरां लॉकडाउन की वजह से बंद हो गया था। इसी मामले में झगड़ा शुरू हुआ था। झगड़ा बढ़ते-बढ़ते चिंगू उर्फ जाहिद वहां से चले गए। इसके बाद वह अपने मामा और तीन चार रिश्तेदारों को लेकर रिंकू के घर पहुंचे थे। जाहिद के मामा दानिश उर्फ लाली का घर मृतक के घर की गली में ही था। यहीं पर इनके बीच झगड़ा शुरू हुआ, जिस दौरान रिंकू को चाकू मार दिया गया। 
इसके बाद रिंकू को अस्पताल ले जाया गया, जिसके बाद इलाज के दौरान रिंकू की मृत्यु हो गई। धामा ने बताया, इस मामले में शामिल लोगों को तभी गिरफ़्तार कर लिया गया था, इन चारों का आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। अभी तक इस मामले में किसी भी तरह का सांप्रदायिक एंगल सामने नहीं आया है। ये पूरी तरह एक व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता का मामला है। ये लोग एक दूसरे के पड़ोस में रहते थे और एक दूसरे को जानते थे, ऐसे में कुछ कोई बात नहीं है कि सांप्रदायिक वैमनस्य का मामला हो। 
उन्होंने बताया कि बीते परसों रात कुछ लडक़े बर्थ-डे पार्टी के लिए मंगोलपुरी के इलाके में इकट्ठा हुए थे। इसी पार्टी के दौरान इन लोगों के बीच एक रेस्तरां को लेकर झगड़ा हुआ है। दोनों पक्षों की अलग-अलग रेस्तरां में हिस्सेदारी थी। मृतक की कोई हिस्सेदारी नहीं थी लेकिन इनके मित्र हैं सचिन और आकाश जिनका रेस्तरां था। इसके साथ ही चिंगू उर्फ जाहिद ने रोहिणी में एक रेस्तरां खोला था।
परिवार को पुलिस और पुलिस को परिवार की थ्योरी पर यकीन नहीं रिंकू हत्याकांड के बाद पुलिस और परिवार एक दूसरे की बात पर यकीन नहीं कर रहे हैं। दोनों को एक दूसरे की थ्यौरी पर यकीन नहीं हो रहा है। बाहरी जिला के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त का कहना है कि जयश्री राम के नारे पर विवाद की बात गलत है, रेस्टोरेंट वाली बात सही है। 
दिल्ली पुलिस प्रवक्ता का कहना है कि अभी जो तथ्य सामने आए हैं, उनको लेकर जांच की जा रही है। वह परिवार के भी संपर्क में हैं। मामले की कई एंगल से जांच चल रही है। पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों के लोग एक दूसरे को जानते थे और रेस्टोरेंट बंद करवाने को लेकर यह झगड़ा शुरू हुआ था। पुलिस ने इस घटना के पीछे के बाकी सभी एंगल को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है। 
लेकिन रिंकू शर्मा के परिवार का कहना है कि जैसा पुलिस कह रही है, वह सही नहीं है। पुलिस मामले को हल्का बनाने की कोशिश कर रही है, जिससे वह काफी आहत महसूस कर रहे हैं। शोभा यात्रा पर जय श्रीराम के नारे लगाना और फिर राम मन्दिर के लिए चंदा लेने को लेकर आरोपी गुस्से में थे। वह हमारे सामने  प्रधानमंत्री को भी उल्टा सीधा बोलाकर हमको उकसाते थे। ऐसा कई बार हुआ, लेकिन हर बार उन्होंने संयम से काम लिया था। एक दो बार जब कहासूनी भी हुई तो उन्होंने पुलिस तक मामले को जाने नहीं दिया,बल्कि वहीं पर मामले को शांत कर दिया था। 
आरोपियों और उनके जानकारों के घर तोड़फोड़ शुक्रवार को रिंकू  के जानकारों ने आरोपितयों और उनके जानकारों के घरों पर तोडफ़ोड़ की। उनको धमकियां भी दी, जिससे वहां भगदड़ का माहौल बन गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर लोगों को शांत किया। लोगों ने बताया कि रिंकू की हत्या के बाद इलाके में काफी दहशत का माहौल है। जिस तरह से रिंकू के घर पर लोगों का आना जाना लग है, उससे आरोपियों और उनके जानकारों में काफी दहशत है। वे लोग अपने-अपने घरों में ताले लगाकर परिचितों के यहां चले गए हैं। 
राम जैसा बेटा था रिंकू रिंकू की मां राधा ने कहा कि मेरे राम जैसे बेटे को मार दिया। वे लोग हम पांचों को मारने आए थे। मेरे बेटे ने आखिरी समय में भी जय श्रीराम का नारा लगाया। मेरे सामने मेरे बेटे को मार दिया। हत्यारे जय श्रीराम के नारे से चिढ़ते थे। मेरा बेटा राम और हनुमान का भक्त था। मां की आंखों के सामने हत्यारे बेटे को चाकू घोंपते रहे। पूरी गली खून से भर गई थी। इस तरह की हिंसक प्रवृत्ति वाले अपराधियों को समाज में खुला छोडऩा समाज के लिए हानिकारक है। इस तरह के लोगों को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए। 
दो बार दिया था खून  रिंकू ने आरोपी मोहम्मद इस्लाम के भाई का कोविड होने पर इलाज कराया था। यही नहीं, जिस आरोपी इस्लाम ने रिंकू शर्मा की हत्या की, उसकी पत्नी की भी रिंकू ने तीन साल पहले रोहिणी स्थित एक अस्पताल में इलाज कराकर नई जिंदगी दी थी। 
दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर सुरक्षा की गुहार लगाई रिंकू की हत्या के बाद उसका परिवार काफी दहशत में है। परिवार वालों ने एक पत्र दिल्ली पुलिस आयुक्त को देकर अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई है। इस पत्र में रिंकू के भाई ने आरोपियों का नाम लेकर कहा कि इन लोगों द्वारा मेरे परिवार पर लाठी-डंडों और चाकू से हमला किया गया था। 
रिंकू के घर पर लगा रहा नेताओं का तांता रिंकू की हत्या के बाद से ही परिवार को सांत्वना देने के लिए नेताओं का तांता लगा रहा, जिसमें बजरंग दल, विश्व हिन्दु परिषद, भाजपा नेताओं और आप के नेता रहे। सांसद हंसराज हंस भी पीड़ित परिवार से मिलने आए। उन्होंने कहा कि रिंकू की हत्या ने पूरी दिल्ली को हिलाकर रख दिया है। भगवान रिंकू की आत्मा को शांति प्रदान करे।
दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता, नंद किशोर गुर्जर, सुरेन्द्र जैन आदि लोगों ने मौके पर पहुंचकर परिवार को सांत्वना दी। आप पार्टी से विधायक राखी बिरला ने भी परिवार से मिलकर आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने की बात कही है। 
रिंकू की जगह रेहान होता तो बड़ी खबर थी-कपिल मिश्रा दिल्ली से भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वे कह रहे हैं कि अगर रिंकू का नाम रेहान होता तो उसकी हत्या देश की सबसे बड़ी खबर होती। हर नेता उसके दरवाजे पर होता। 
विश्व हिंदू परिषद का ट्वीट वहीं विश्व हिंदू परिषद ने रिंकू शर्मा की हत्या को लेकर एक ��यान जारी करते हुए कहा, युवा राम भक्त रिंकू शर्मा की मॉब लिंचिंग कर दिल्ली में नृशंस हत्या करने वाले सभी जिहादियों को अबिलम्ब फांसी पर लटकाओ।  
ऐसी घटनाओं से मन दुखी होता है- योगेश्वर दत्त भाजपा नेता और रेसलर योगेश्वर दत्त ने कहा है कि यह बहुत दुखद है। ये हमारे देश की एकता की बात है और अगर ऐसी घटना होती है तो मन दुखी होता है। इस मामले में सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। इस तरह की घटना और ऐसे अ��ामाजिक तत्व के लोग हमारे देश के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। पीड़ित परिवार को न्याय मिलना चाहिए और हत्या की सही वजह सामने आनी चाहिए।
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sethiquotes · 3 years
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   --- इनसे बेचैन ना हों ---
       लोग आपके रास्ते में गड्ढे करें तो परेशान ना होईये क्योंकि ये वही लोग हैं जो आपको छलांग लगाना सिखाएंगे।
     ‌   कामयाबी हासिल करने से पहले आपको बहुत से छोटे-छोटे प्रयास करने होते हैं जिन्हें ना कोई देखता है ना कोई साराहता है।
        अनाड़ी खिलाड़ियों से टकराते रहते हैं और पटाखे चलाने वाली बंदूक से डराते रहते हैं। वह नहीं जानते कि असली बंदूक से आवाज़ आए ना भी आए परन्तु उससे जान जरूर चली जाती है।
         कहते हैं --- माटी के पुतले इतना ना इतरा के चल, इस जीवन का कोई भरोसा नहीं। लगे हुए रंगीन तम्बू कब सफेद तम्बू में ना बदल जाएं किसी को पता नहीं।
        हमें इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि रिश्ते हमेशा साफ़ होते हैं। इन्हीं में कुछ आसतीन के सांप भी होते हैं। जहां सर्पणी जिस की भूख न पूरी हुई हो, पहले वह सपोलों (बच्चों) को ही खाती है फिर जो सामने आए उनको भी निगल जाती है।
      अपने कर्म करते रहिए फल मिलते रहेंगे। इंसान का चेहरा क्रीम-पाउडर से नहीं काबिलियत से चमका करता है । काबिलियत से सफलता मिलती है।
          कामयाबी कभी उम्र की मोहताज नहीं होती इसके दरवाजे तो हमारे एक्टिव होते ही खुलने शुरु हो जाते हैं बाकी 'तकिए से कील नहीं ठुकती' और 'खाली बोरी कभी खड़ी नहीं होती' --- ऐसा जरूर स्मरण रहे।
       दिल से मेहनत करेंगे तो दुनिया की कोई भी मंजिल तय कर लेंगे, इसलिए ऊंची उड़ान के लिए हमेशा तैयारी करते रहें पता नहीं सफलता का मौसम कब अनुकूल हो जाए ।            कुछ खुशनसीब  इंसान ऐसे भी होते हैं जिन्हें लोग सिर्फ मतलब होने पर ही याद करते हैं । अच्छा होना उतना मुश्किल नहीं जितना उसको साबित करना होता है। अपनी अच्छाई बरकरार रखें।
         बिना बेचैन हुए सामने आया काम करते जाएं भगवान तो आपका
गवाह है ही। जिसे ऊपर वाले पर भरोसा होता है, उसका नीचे वाले कुछ नहीं बिगाड सकते।
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kisansatta · 4 years
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होटल में रहना कितना है सेफ, किन चीजों का रखें ध्यान
तीन माह के लॉकडाउन के बाद धीरे-धीरे चीजों को खोला जा रहा है। यात्रा के लिए भी फ्लाइट, ट्रेन और बसों फिर से चालू किया जा रहा। ऐसे में लोग अपने काम की वजह से यात्रा कर रहे हैं। ��रन्तु इन सब कामों को करते हुए उन्हें अपनी सुरक्षा का भी डर है क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही उन्हें कोरोना वायरस से ग्रसित कर सकती है। अगर आपको भी काम के दौरान यात्रा और दूसरे शहरों में होटलों में रुकना पड़ता है तो जानिए होटल में रुकते समय होने वाले खतरे और उनसे बचने के उपाय-
होटल काफी व्यस्त जगह होती है। जहां पर देश-विदेश के लोग आकर ठहरते हैं। ऐसे में इस जगह पर वायरस के संपर्क में आने का खतरा ज्यादा होता है। ये तो सभी जानते हैं कि कोरोना वायरस के खतरे से बचना है तो करीब छह फिट की दूरी पर हर किसी से रहा जाए। लेकिन हर जगह इस नियम का पालन करना संभव नही हैं। वो भी तब जब आप होटल जैसी व्यस्त जगह पर हों।   घर की तरह होटल को खुद से तो साफ किया नही जाएगा। होटल का स्टाफ हाउस कीपर और अन्य लोगों की कमरे में आनाजान कोरोना संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकती है। क्योंकि बहुत सारे लोगों के साथ साफ-सफाई की उम्मीद करना मुश्किल है।   
किसी होटल के एक रूम में कई सारे लोग आकर रुक कर जाते हैं। ऐसे में किसी के संक्रमति होने या न होना का पता लगाना कठिन है। ऐसे में अपनी सुरक्षा अपने हाथों करने में ही उपयुक्त है। इसलिए जहां तक हो सके संभव हो बाहर यात्रा करने से बचें। लेकिन फिर भी यात्रा करनी पड़े और होटल में ठहरना पड़े तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
मास्क को हमेशा पहन कर रखें। थोड़ी-थोड़ी देर पर हाथों को धोते रहें उस समय तो जरूर जब आप किसी चीज को छुएं या फिर खाना खाने जा रहे हों। भले ही होटल के स्टाफ ने आपके कमरे को अच्छे से साफ किया हो परन्तु कमरे में घुसने के बाद खुद को डिसइंफेक्टेड जरूर करें। कमरे की उन चीजों को लोगों के संपर्क में आती हैं जैसे दरवाजे के हत्थे, स्विच, वॉर्डरोब के हैंडल इन सबको साफ करें।
कमरे से बाहर जा कर होटल के किसी भी हिस्से को छूने के बाद हाथों को साफ करें। जैसे लिफ्ट की बटन, दरवाजे के हैंडल इन्हें छूने के बाद हाथों को मुंह, आंख, कान के पास न लाएं और तुरंत ही साफ करें।
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shayadwriter · 4 years
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Caption** उसे बिन बताए आज गया था उसके घर। दरवाजे पर दस्तक देते ही उसकी नजर मुझ पर पड़ी यह देख वह झट से अपने दुपट्टे को सर पर रख ली और अंदर चली गई। अचंभित क्यों हो रहे, यह आज की बात नहीं सालों पुरानी बात है। जब हमारे बीच थोड़ी सी तकरार हुई थी। वह मेरे खत का जवाब नहीं दे रही थी। और ना ही अपना गुस्से से भरा खत हमेशा की तरह मुझे भेज रही थी। कुछ दिन तो मैं इंतजार किया कि उसका गुस्सा हमारे प्यार के आगे तो कम पर ही जाएगा। और? कुछ दिन ऐसा लगा कि हो सकता है डाकघर में चिट्ठी पड़ी होगी एक-दो दिन में तो आ ही जाएगी। काफी इंतजार के बाद भी जब उसकी चिट्ठी ना आई । तब गया था मैं उसके घर पहली बार बिना बताए। हर दिन हर घंटे मैं अपनी समस्याओं का व्याख्या उसे देते रहता था और जब पहुंचा उसके घर तब उसकी समस्याओं का अनुमान लगाना बिल्कुल आसान था मेरे लिए क्योंकि घुसते ही चौखट में लगे सीलन और टूटे ऊंचे नीचे फर्श उसके आर्थिक स्थिति में तो सब बयां कर ही रहे थे। पर अभी ज्यादा ध्यान तो अपनी मोहब्बत की मंदी पर देना था ना। अपने थैले से निकाला वह चमेली के फूलों का गजरा और उसकी बहन के हाथों उसके लिए भिजवा दिया। आखिर उसकी सबसे पसंदीदा फूल भी तो चमेली ही थी ना। और पता नहीं कैसे पल भर में ही सब ठीक हो गया! तब एक बात तो समझ आ गई थी मुझे रिस्तों में जब तकरार आने लगे ना तो अपनों से जाकर मिल लिया करो। सब खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है। अकेली जिंदगी में हर कोई रोने को एक कांधा चाहता है और हंसने को एक साथी। एक वक्त आता है जिंदगी में जब खोने को कोई अपना नहीं होता और पाने को पूरा जहां। पर उस वक्त भी हम उस एक शख्स की तलाश करते हैं, जो हमारे सबसे करीब था। तो आज जो भी तुम्हारे सबसे करीब है अपने कुछ कीमती पल निकालकर मिल लिया करो उनसे रिश्तो की ऊंच-नीच चंद पलों में ही समतल जम���न सी हो जाएगी।🌻 Lines by @shayad_writer Pic credit @kushalsawal #shayadwriter #honeyprince #poetsofindia #societyofwriters #captionpost #captionwriting #hindicaption #puraniyaade #yaadonkasandook #khatwalamohabbat #oldage #truelove #writersofig #captionhits (at Muzaffarpur Smart City) https://www.instagram.com/p/B9-uk-lBcvi/?igshid=1jjzlgy4yqept
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फेंगशुई 
चीन का एक अदृश्य  "हथियार"  एक कटु सत्य
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फेंगशुई
चीन का एक अदृश्य "हथियार" एक कटु सत्य!
यह सच्ची घटना एक परिचित के साथ घटी थी,उन्होंने बाद में सुनाया था। जब गृह प्रवेश के वक्त मित्रों ने नए घर की ख़ुशी में उपहार भेंट किए थे। अगली सुबह जब उन्हेंने उपहारों को खोलना शुरू किया तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था!
एक दो उपहारों को छोड़कर बाकी सभी में लाफिंगबुद्धा, फेंगशुई पिरामिड, चाइनीज़ ड्रेगन, कछुआ, फेंगसुई सिक्के, तीन टांगों वाला मेंढक और हाथ हिलाती हुई बिल्ली जैसी अटपटी वस्तुएं दी गई थी।
जिज्ञासावश उन्होंने इन उपहारों के साथ आए कागजों को पढ़ना शुरू किया जिसमें इन चाइनीज़ फेंगशुई के मॉडलों का मुख्य काम और उसे रखने की दिशा के बारे में बताया गया था। जैसे लाफिंग बुद्धा का काम घर में धन, दौलत, अनाज और प्रसन्नता लाना था और उसे दरवाजे की ओर मुख करके रखना पड़ता था। कछुआ पानी में डूबा कर रखने से कर्ज से मुक्ति, सिक्के वाला तीन टांगों वाला मेंढक रखने से धन का प्रभाव, चाइनीज ड्रैगन को कमरे में रखने से रोगों से मुक्ति, विंडचाइम लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह, प्लास्टिक के पिरामिड लगाने से वास्तुदोषों से मुक्ति, चाइनीज सिक्के बटुए में रखने से सौभाग्य में वृद्धि होगी ऐसा लिखा था।
यह सब पढ़ कर वह हैरान हो गया क्योंकि यह उपहार उन दोस्तों ने दिए थे जो पेशे से इंजीनियर, डॉक्टर और वकील जैसे पदों पर काम कर रहे थे। हद तो तब हो गई जब डॉक्टर मित्र ने रोग भगाने वाला और आयु बढ़ाने वाला चाइनीज ड्रैगन गिफ्ट किया! जिसमें लिखा था “आपके और आपके परिवार के सुखद स्वास्थ्य का अचूक उपाय”!
इन फेंगशुई उपहारों में एक प्लास्टिक की सुनहरी बिल्ली भी थी जिसमें बैटरी लगाने के बाद, उसका एक हाथ किसी को बुलाने की मुद्रा में आगे पीछे हिलता रहता था। कमाल तो यह था कि उसके साथ आए कागज में लिखा था “ मुबारक हो, सुनहरी बिल्ली के माध्यम से अपनी रूठी किस्मत को वापस बुलाने के लिए इसे अपने घर, कार्यालय अथवा दुकान के उत्तर-पूर्व में रखिए!”
उन्होंने इंटरनेट खोलकर फेंगशुई के बारे में और पता लगाया तो कई रोचक बातें सामने आई। ओह! जब गौर किया तो ' चीनी आक्रमण का यह गम्भीर पहलू समझ में आया।
दुनिया के अनेक देशों में कहीं न कहीं फेंगशुई का जाल फैला हुआ है। इसकी मार्केटिंग का तंत्र इंटरनेट पर मौजूद हजारों वेबसाइट के अलावा, TV कार्यक्रमों, न्यूज़ पेपर्स, और पत्रिकाओं तक के माध्यम से चलता है। मजहबी बनावट के कारण अमूमन मुस्लिम उसके शिकार नही होते। यानी इस हथियार का असल शिकार कौन है? आप समझ सकते हैं। चीनी इस फेंगसुई का इस्तेमाल किसी बाजार में प्रारंम्भिक घुसपैठ के लिए करते हैं।
अनुमानत: भारत में ही केवल इस का कारोबार लगभग 200 करोड रुपए से अधिक का है। उसी के सहारे धीरे-धीरे भारत के उत्पाद मार्केट पर चीनी उत्पादों ने पचास प्रतिशत तक कब्ज़ा लिया है। किसी छोटे शहर की गिफ्ट शॉप से लेकर सुपर माल्स तक चीनी प्रोडक्ट्स आपको हर जगह मिल जाएंगे....वह छा गये है। उन्होंने स्थानीय उत्पादों को लगभग समाप्त कर दिया है। चाइनीज उत्पादों का आक्रामक माल, भारत सहित दुनिया के अलग-अलग देशों में इस कदर बेचा जाता है कि दूसरों की मौलिक अर्थ-व्यवस्था तबाह हो जाती है। सस्ता और बड़ी मात्रा में होना उसका पैंतरा है।
अब आते हैं उसके जादुई हथियार पर जो जेहन का शिकार करती है !!!
चीन में "फेंग" का अर्थ होता है वायु और "शुई" का अर्थ है जल अर्थात फेंगशुई का पूरा मतलब है जलवायु। इसका आपके सौभाग्य, स्वास्थ्य और मुकदमे में हार जीत से क्या संबंध है? आप खुद ही समझ सकते हैं।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिपेक्ष्य से भी देखा जाए तो कौन सा भारतीय अपने घर में आग उगलने वाली चाइनीज छिपकली यानी dragon को देख कर प्रसन्नता महसूस कर सकता है? बल्कि घर मे नवजात शिशु भयानक मुख वाले ड्रेगन को देखकर अंदर ही अंदर भयभीत होता रहता है और जिसे डॉक्टर भी न समझ पाए ऐसी बीमारी के गिरफ्त में आ जाता है। उनके जिन में ड्रेगन को देवता मनाने की गुण हो सकता है। पर हम उनसे भिन्न हैं।, किसी जमाने में जिस बिल्ली को अशुभ मानकर रास्ते पर लोग रुक जाया करते थे; उसी बिल्ली के सुनहरे पुतले को घर में सजाकर सौभाग्य की मिन्नतें करना महामूर्खता नहीं तो और क्या है?
अब जरा सर्वाधिक लोकप्रिय फेंगशुई उपहार लाफिंगबुद्धा की बात करें- धन की टोकरी उठाए, मोटे पेट वाला गोल मटोल सुनहरे रंग का पुतला- क्य�� सच में महात्माबुद्ध है? किसी तरह वह बुध्द सा सौम्य,शांत और सुडौल दीखता है??
क्या बुद्ध ने अपने किसी प्रवचन में कहीं यह बताया था कि मेरी इस प्रकार की मूर्ति को अपने घर में रखो और मैं तुम्हें सौभाग्य और धन दूंगा? उन्होंने तो सत्य की खोज के लिए स्वयं अपना धन और राजपाट त्याग दिया था।
एक बेजान चाइनीज पुतले ( लाफिंगबुद्धा) को हमने तुलसी के बिरवे से ज्यादा बढ़कर मान लिया और तुलसी जैसी रोग मिटाने वाली सदा प्राणवायु देने वाली और हमारी संस्कृति की याद दिलाने वाली प्रकृति के सुंदर देन को अपने घरों से निकालकर, हमने लाफिंग बुद्धा को स्थापित कर दिया और अब उससे सकारात्मकता और सौभाग्य की उम्मीद कर रहे हैं? क्या यही हमारी तरक्की है?
अब तो दुकानदार भी अपनी दुकान का शटर खोलकर सबसे पहले लाफिंग बुद्धा को नमस्कार करते हैं और कभी-कभी तो अगरबत्ती भी लगाते हैं!
फेंगसुई की दुनिया का एक और लोकप्रिय मॉडल है चीनी देवता फुक, लुक और साऊ। फुक को समृद्धि, लुक को यश-मान-प्रतिष्ठा और साउ को दीर्घायु का देवता कहा जाता है। फेंगशुई ने बताया और हम अंधभक्तों ने अपने घरों में इन मूर्तियों को लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा कि इंटरनेट पर मिलने वाली इन मूर्तियों की कीमत भारत में ₹200 से लेकर ₹15000 तक है, मसलन जैसी जेब- वैसी मूर्ति और उसी हिसाब से सौभाग्य का भी हिसाब-किताब सेट है।
क्या आप अपनी लोककथाओं और कहानियों में इन तीनों देवताओं का कोई उल्लेख पाते हैं? क्या भारत में फैले 33 कोटि देवी देवताओं से हमारा मन भर गया कि अब इन चाइनीज देवताओं को भी घर में स्थापित किया जा रहा है?
जरा सोचिए कि किसी कम्युनिस्ट चीन के बूढ़े देवता की मूर्ति घर में रखने से हमारी आयु कैसे ज्यादा हो सकती है? क्या इतना सरल तरीका विश्व के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को अब तक समझ में नहीं आया था?
इसी तरह का एक और फेंगशुई प्रोडक्ट है तीन चाइनीज सिक्के जो लाल रिबन से बंधे होते हैं, फेंगशुई के मुताबिक रिबिन का लाल रंग इन सिक्कों की ऊर्जा को सक्रिय कर देता है और इन सिक्कों से निकली यांग(Yang) ऊर्जा आप के भाग्य को सक्रिय कर देती है। दुकानदारों का कहना है कि इन सिक्कों पर धन के चाइनीज मंत्र भी खुदे होते हैं लेकिन जब मैंने उनसे इन चाइनीज अक्षरों को पढ़ने के लिए कहा तो ना वे इन्हें पढ़ सके और नहीं इनका अर्थ समझा सके?
मेरा पूछना है कि क्या चीन में गरीब लोग नहीं रहते? क्यों चीनी क्म्यूनिष्ट खुद हर नागरिक के बटुवे में यह सिक्के रखवा कर अपनी गरीबी दूर नहीं कर लेती? हमारे देश के रुपयों से हम इन बेकार के चाइनीससिक्के खरीद कर न सिर्फ अपना और अपने देश का पैसा हमारे शत्रु मुल्क को भेज रहे हैं बल्कि अपने कमजोर और गिरे हुए आत्मविश्वास का भी परिचय दे रहे हैं।
फेंगशुई के बाजार में एक और गजब का प्रोडक्ट है तीनटांगोंवालामेंढक जिसके मुंह में एक चीनी सिक्का होता है। फेंगशुई के मुताबिक उसे अपने घर में धन को आकर्षित करने के लिए रखना अत्यंत शुभ होता है। जब मैंने इस मेंढक को पहली बार देखा तो सोचा कि जो देखने में इतना भद्दा लग रहा है वह मेरे घर में सौभाग्य कैसे लाएगा?
मेंढक का चौथा पैर काट कर उसे तीन टांग वाला बनाकर शुभ मानना किस सिरफिरे की कल्पना है?
क्या किसी मेंढक के मुंह में सिक्का रखकर घर में धन की बारिश हो सकती है? संसार के किसी भी जीव विज्ञान के शास्त्र में ऐसे तीन टांग वाले ओर सिक्का खाने वाले मेंढक का उल्लेख क्यों नहीं है?
कम्युनिष्ट चाइना ने इसी तरह के आक्रामक रणनीति के सहारे धीरे-धीरे भारतीय अर्थ-व्यवस्था पर लगभग कब्ज़ा लिया है। उनके इस हथियार से देश के हजारों छोटे कारीगर, लघु उद्यमी, स्थानीय व्यापार, छोटे-कल कारखाने नष्ट हो चुके है। सब वस्तुएं China से बनकर आ रही हैं।
वह वस्तुएं भी जिन्हें बनाने में हजारों सालो से हमारे कारीगर निपुण थे। केवल कुम्हार, बढ़ई, लुहार, कर्मकार आदि 2 करोड़ से अधिक जनसँख्या वाली जातियां थे। वे बेकारी के शिकार हो रहे हैं। आप लिस्टिंग करें। ऐसे हजारों काम-व्यापार दिखेगा जिसे चीन ने अपने छोटे-सस्ते उत्पादों को पाट कर नष्ट करके कब्ज़ा लिया।
हम केवल एक बिचौलिए विक्रेता की भूमिका में ही रह गये हैं।
बहुत दिमाग लगाकर समझिये अब युद्द के हथियार वह नही होते हैं जो पारपंरिक थे। अब पूरी योजना से शत्रु के पास जाकर उसके दिमाग को ग्रिप में लेना पड़ता है। यह फेंग-शुई भी उसी दिमागी खेल का हिस्सा है, जो हमारे हजारों साल के अध्यात्मिक ज्ञान को कमजोर करने के लिए भेजा गया है। कम्युनिष्टों ने उसे गोरिल्लारणनीति की तरह अपनाया है।
अपनी वैज्ञानिक सोच को जागृत करना और इनसे पीछा छुड़ाना अत्यंत आवश्यक है। आप भी अपने आसपास गौर कीजिए आपको कहीं ना कहीं इस फेंगशुई की जहरीली और अंधविश्वास को बढ़ावा देती चीजें अवश्य ही मिल जाएगी।
जब पूरे संसार ने एक मत से यह माना है कि सनातन धर्म ही विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। और हमारे उसी धर्म ने हमे आवास ( मकान और व्यापारिक स्थल ) निर्माण एवं उनके आंतरिक विन्यास को लेकर बहोत ही पवित्र, वैज्ञानिक, उन्नत तथा ग्राह्य शास्त्र दिया है जिसे हम "वास्तुशास्त्र" के नाम से जानते हैं. वास्तुशात्र हमे हमारी भौगोलिक स्थिति जैसे- हमारे उत्तर-पूर्व में हिमालय, दक्षिण और पश्चिम में विशाल सागर, दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी आदि के अनुरूप दिशाओं के वर्गीकरण, उत्तरीय और दक्षिणी ध्रुओं की चुम्बकीय रेखा और सूर्य रश्मियों के आधार पर हमारी सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा सुख-सौभाग्य निर्धारण करने में शसक्त और सक्षम है। यह हमारे स्वास्थ्य, सौभाग्य, प्रगति के साथ-साथ ही पूरे विश्व के लिए कल्याणकारक है।
यह तो बस हमारी "विदेशी चीज सदा अच्छी" जैसी सस्ती मानसिकता की वजह से अपने महान "वास्तुशात्र" के सहज और सरल निर्देशों का पालन न कर के स्मार्ट बनने के अंधे दौड़ में सामिल हैं. और फेंगसुई उत्पादों जैसे वाहियात चीजों के लिए अपनी गाढ़ी कमाई को खर्च कर के खुद और देश को कमजोर करने में लगे हैं।
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अंधकार के उत्पीड़न से होकर फिर उठ खड़ा हुआ
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                                                                             मो ज़िजिआन गुआंगडॉन्ग प्रदेश
मेरा जन्म एक गरीब, दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्र में हुआ था, जहाँ हम कई पीढ़ियों से अगरबत्ती जलाते व बुद्ध की पूजा करते आए थे। उस पूरे इलाके मेँ जगह-जगह बौद्ध मंदिर हैं जहां सभी परिवार अगरबत्ती जलाने जाया करते थे; वहां किसी ने भी कभी परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया था। 1995 में, मैं और मेरी पत्नी देश के दूसरे हिस्से में थे जहां हम प्रभु यीशु पर विश्वास किया करते थे; हमारे वापस आने के बाद, हमने सुसमाचार को साझा करना शुरू कर दिया और धीरे—धीरे इसे स्वीकार करनेवाले लोगों की संख्या 100 से ज्यादा हो गई। चूंकि परमेश्वर पर विश्वास करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, इसलिए स्थानीय सरकार को यह खतरे का संकेत लगा। 1997 में एक दिन, एक पुलिस वाले ने मुझे स्थानीय पुलिस स्टेशन में बुलाया, जहां काउंटी पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो का प्रमुख, नेशनल सिक्योरिटी ब्यूरो का प्रमुख, ब्यूरो ऑफ रिलीजन का प्रमुख और उस पुलिस स्टेशन के प्रभारी के साथ ही कुछ पुलिस कर्मचारी मेरा इंतजार कर रहे थे। पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो के प्रमुख ने मुझसे पूछा: "तुम परमेश्वर पर क्यों विश्वास करते हो? तुम्हारे किससे-किससे संपर्क है? बाइबल कहां से आई थी? तुम धर्म सभा के लिए कलीसिया क्यों नहीं जाते हो?" मैंने कहा, "परमेश्वर ने इंसान बनाया, सूरज की रोशनी, हवा व पानी सब कुछ परमेश्वर ने बनाया है; यह स्वर्ग व पृथ्वी का कानून है कि लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। राष्ट्रीय संविधान भी स्पष्ट रूप से यह अपेक्षा करता है कि नागरिकों के पास धार्मिक स्वतंत्रता हो; तो फिर आपलोग हमें स्वतंत्रता के साथ परमेश्वर पर विश्वास करने की अनुमति क्यों नहीं देते हैं?" ब्यूरो ऑफ रिलीजन के प्रमुख ने कहा: "धार्मिक स्वतंत्रता की सीमाएं होती हैं, जैसे कि पिंजड़े के अंदर एक छोटी चिड़िया; भले ही उसके पंख व पैर बंधे नहीं होते हैं, लेकिन वह केवल पिंजड़े के अंदर ही घूम सकती है।" जब मैंने उसके इन झूठे तर्कों को सुना, तो मैं क्रोधित हो गया और गुस्से में कहा: "यानि कि राष्ट्रीय सरकार लोगों से झूठ बोल रही है!" जब उन्होंने मुझे ऐसा कहते हुए सुना, तो वे समझ गए कि वे गलत थे और उनके पास कहने के लिए कुछ भी नहीं था, तो उन्होंने मुझे घर जाने दिया। उस समय, मुझे आस्तिकों का उत्पीड़न करने की सीसीपी सरकार की असलियत के बारे में कुछ भी नहीं पता था। 1999 मेँ जब मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार किया तब जाकर मुझे यह सच्चाई पता चली। परमेश्वर के वचनों को पढ़कर और सीसीपी सरकार के और भी क्रूर उत्पीड़न को अनुभव करने से मैं यह साफतौर पर देखने में सक्षम हुआ कि सीसीपी सरकार बुरी आत्मा शैतान की अवतार है; और जैसा कि बाइबल में बताया गया है यह परमेश्वर की शत्रु थी: "तब वह बड़ा अजगर, अर्थात् वही पुराना साँप जो इब्लीस और शैतान कहलाता है और सारे संसार का भरमानेवाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया, और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए" (प्रकाशितवाक्य12:9)।
28 जून 2002 को सुबह 5 बजे के बाद, मैं कुछ भाईयों व बहनों के साथ धर्मसभा करने के लिए तैयारी कर रहा था कि अचानक हमने दरवाजे पर प्रहार करने की आवाज सुनी। हमने तुरंत ही परमेश्वर के वचनों की किताबें छिपा दीं और फिर दरवाजा खोला। जैसे ही दरवाजा खुला, अप्रत्याशित तौर पर, एक दर्जन या इसी के आस-पास पुलिस वाले अंदर घुस आए। उनके हाथों में इलेक्ट्रॉनिक डंडे व बंदूकें थी और उन्होंने हमसे एक—साथ जबरदस्ती की, हमें घुटने के बल बिठाया और हमारे सिर पर हमारे हाथ रखवाएं। इसके बाद, उन बुरे पुलिसवालों ने हमें घेर लिया, जैसे गांव में डाकू घुस रहे हों, वे हर एक कमरे में गए और सब कुछ तितर—बितर कर दिया; उन्होंने हमारे सब बिस्तर व कपड़े उठाकर जमीन पर फेंक दिए। पहले मैंने संगठित जुर्म व डाकुओं की लूट व चोरी के सींस टीवी पर देखे थे, लेकिन मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि 'लोगों की पुलिस' टीवी के अत्याचारियों व डाकुओं के जैसे काम करेगी। उस समय तक मैं काफी डर गया था और चिंतित था कि कहीं उन्हें परमेश्वर के वचनों की किताबें न मिल जाएं। मैं लगातार अपने दिल से प्रार्थना कर रहा था और परमेश्वर से कह रहा था कि वे हमारी सुधि लें और हमारी रक्षा करें। प्रार्थना करने के बाद, मैंने परमेश्वर का अनोखा कारनामा देखा। उन्होंने पूरे घर को उथल—पुथल कर दिया और हर एक निजी चीज को खोजा व जब्त कर लिया, लेकिन उन्हें परमेश्वर के वचनों की किताबें नहीं मिली। मैं जानता था कि यह परमेश्वर की सर्वशक्तिमान प्रभुत्व व सुरक्षा थी और मुझे मालूम था कि परमेश्वर हमारे साथ थे, और परमेश्वर में मेरी श्रद्धा और बढ़ गई। इसके बाद, वे हमें पुलिस स्टेशन मे ले गए और रात को, उन्होंने हमें हिरासत केन्द्र भेज दिया और हमें बंद करवा दिया। तीन दिनों के बाद, पुलिस ने हममें से प्रत्येक पर 300 युआन का अर्थ दंड लगाया जिसे हमें छूटने के लिए भरना था। सीसीपी सरकार को लोगों से उनकी धार्मिक स्वतंत्रता छीनने वाले ऐसे असभ्य व पागल शिकारी की तरह काम करते हुए देखकर, मुझे बहुत गुस्सा आया लेकिन परमेश्वर के इन वचनों को सोचने के अलावा मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था: "हज़ारों सालों से यह गंदगी की भूमि रही है, यह असहनीय रूप से मैली है, कष्ट से भरी हुई है, प्रेत यहाँ हर कोने में घूमते हैं, चाले चलते हुए और धोखा देते हुए, निराधार आरोप लगाते हुए,[1] क्रूर और भयावह बनते हुए, इस भूतिया शहर को कुचलते हुए और मृत शरीरों से भरते हुए; क्षय की बदबू ज़मीन को ढक चुकी है और हवा में शामिल हो गई है, और इसे भारी रूप से संरक्षित रखा जाता है।[2] आसमान से परे की दुनिया को कौन देख सकता है? … धार्मिक स्वतंत्रता? नागरिकों के वैध अधिकार और हित? ये सब पाप को छिपाने के तरीके हैं!" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "कार्य और प्रवेश (8)" से)। चीन के इस अधर्मी भूतिया नगर में, चीन की शासक पार्टी 'धार्मिक आजादी व मानव अधिकारों की आजादी' का प्रचार करते बैनर टांगती है, लेकिन वे असल में किसी अवरोध के बिना परमेश्वर का विरोध करती है और परमेश्वर का पालन करने वाले लोगों को गिरफ्तार और उत्पीड़ित करती है। वे लोगों को परमेश्वर में विश्वास करने और जिंदगी के सही मार्ग पर चलने की अनुमति नहीं देते हैं; वे एक बार में ही सभी आस्तिकों को खत्म क��� देने के लिए आतुर थे। हमने कोई कानून नहीं तोड़ा था या कुछ गलत नहीं किया था; हमने केवल सुसमाचार का प्रसार किया था ताकि लोग परमेश्वर को जान पाएं और परमेश्वर की पूजा करें एवं अंधकार व दर्द से भरे अपने जीवन से बाहर निकल पाएं। फिर भी सीसीपी पुलिस हमें गिरफ्तार करना, बंद करना और अर्थ दंड लगाना चाहती थी, उन्हें उन बुरे लोगों की चिंता नहीं थी जो वेश्यावृत्ति, हत्या व आगजनी, और धोखाधड़ी व ठगी में संलग्न थे; उन्होंने इन अपराधी और अधर्मी लोगों को अपने गुनाहों से लोगोंकी आंखों में धूल झोंकने में सफल होने दिया था। हकीकत की रोशन में, मैं यह देखने में सक्षम था कि सीसीपी सरकार एक शैतानी समूह है जो परमेश्वर का विरोध करती है , लोगों को विचारहीन कर देती है तथा उनसे धोखा करती है; वे परमेश्वर के दुश्मन हैं।
उसी साल 28 नवंबर को, कुछ भाई व बहन और मैं एक संप्रदाय के नेता के साथ सुसमाचार को साझा कर रहे थे। लेकिन एक दुष्कर्मी व्यक्ति ने हमारी शिकायत कर दी और लगभग एक दर्जन पुलिसवालों ने हमारी इमारत को घेर लिया और दरवाज तोड़ कर अंदर घुस आए। उनके हाथों में बंदूकें व डंडे थे और वे चिल्लाएं: "कोई भी हिलेगा नहीं! अपने हाथ ऊपर कर लो!" उन लोगों ने हमारे शरीर की तलाशी ली और 5,000 युआन कीमत के हमारे धन व कीमती चीजों को चुरा लिया। उन्होंने हमें अपने हाथ अपने सिर पर रखकर दीवार की ओर मुंहकर के घुटनों के बल बैठ जाने का आदेश दिया। दो युवा बहने उस समय काफी डर गई थी और मैंने उनसे कहा: "हमने कुछ भी गलत नहीं किया है, डरो मत।" मैंने जैसे ही ऐसा कहा, कुछ पुलिस वाले तुरंत मेरी ओर झपटे और अपने मुक्कों व लातों से पीटने लगे, व मुझे जमीन पर पटक दिया। उन्होंने सभी कमरों को उथल—पुथल कर दिया व उन्हें बिल्कुल अव्यवस्थित कर दिया। वे गांव लूटने वाले डाकुओं से भी ज्यादा बर्बर व क्रूर थे। एक बहन कमरे से बाहर नहीं आई थी और एक बुरा पुलिसवाला झपट कर अंदर गया और उसे पकड़कर बाहर ले आया। एक दूसरे दुष्ट पुलिसवाले ने देखा कि वह बहन काफी सुंदर थी और उसके पूरी शरीर में यहां—वहां छूते हुए उसके साथ छेड़छाड़ करने लगा। यह बहन निस्सहाय होकर विलाप कर रही थी और सौभाग्य से उसी समय मकान मालिक आ गया और उन्हें रोक दिया, जिससे उस बहन को उस जबरदस्ती से निकल भागने का मौका मिल गया। इस समय मैं साफ तौर पर यह देख सकता था कि "लोगों की पुलिस लोगों के लिए है और अगर आपको कोई समस्या है, तो पुलिस को बुलाएं" एवं "पुलिस लोगों की रक्षक है" जैसे नारे बिल्कुल झूठे और खोखले थे। ये दुष्ट पुलिसवाले शुद्ध रूप से स्थानीय गुड़ों व गैंग्स्टर्स की एक गैंग थे! इसके बाद, उन लोगों ने हमें पुलिस वाहन में बंद किया और पुलिस स्टेशन ले गए। इसके बाद उन्होंने दो दिन व दो रातों तक बरामदें में हमें हथकड़ी लगाकर रखा और हमें खाने या पीने तक के लिए भी कुछ नहीं दिया। मैं बस अपने दिल से लगातार प्रार्थना कर सकता था और परमेश्वर से हमारा मार्गदर्शन करने और हमें श्रद्धा व ताकत देने का आग्रह कर सकता था ताकि हम इस वातावरण में गवाह बनकर खड़े हो पाएं। बाद में, एक बुरे पुलिस वाले ने एक भाई से पूछताछ की, और जब वे उसके उत्तरों से संतुष्ट नहीं हुए, तो कुछ बुरे पुलिस वालों ने उसे जोर से जमीन पर पटक दिया जबकि एक अन्य बुरे पुलिस वाले ने उसके मुंह में कुत्ते का मल भर दिया। उस भाई की मानसिक स्थिति को गंभीर रूप से उत्तेजित किया गया था। इस दयनीय स्थिति को देखकर, मेरा दिल बेहद अवसाद में चला गया और मेरे अंदर से एक आवेग धधक पड़ा। मेरी इच्छा हुई कि काश मैं उन पर टूट पड़ू और उनके टुकड़े—टुकड़े कर दूं लेकिन परेश्वर के वचन ने मेरा मार्गदर्शन किया: "मुझे अपने उन भाइयों और बहनों के लिए भी कुछ सहानुभूति महसूस हो रही है जो इस गंदगी के देश में रहते हैं, इसलिए मेरे मन में बड़े लाल अजगर के लिए घृणा विकसित हो गई है। … हम सभी इसके शिकार हैं। इस कारण से, मैं इसे अपने हृदय से घृणा करता हूँ और मैं इसे नष्ट करने के लिए प्रतीक्षा नहीं कर सकता हूँ। हालाँकि, जब मैं पुनः विचार करता हूँ, तो मुझे लगता है कि यह किसी लाभ का नहीं होगा और यह परमेश्वर के लिए केवल परेशानी लाएगा, इसलिए मैं इन वचनों पर वापस आ जाता हूँ-मैं उसकी इच्छा-परमेश्वर को प्रेम करना-को पूरा करने पर अपना हृदय स्थित करता हूँ। … अर्थ और प्रतिभा से भरा जीवन जीना है। …क्या तुम ऐसा करना पसंद करोगे? क्या तुम उस तरह के संकल्प वाले कोई व्यक्ति हो?" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "मार्ग… (2)" से)। परमेश्वर के वचन की वजह से मैं शांत हो गया, और परमेश्वर के वचन को समझने की कोशिश में, मैंने परमेश्वर की इच्छा को समझा। परमेश्वर पहले से ही इन बुरे कुकर्मी इब्लीसों से घृणा करते हैं, वे इन सबको तुरंत खत्म कर देना चाहते हैं, लेकिन अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को पूरा करने और हमें परिपूर्ण करने के लिए, उन्हें शैतान की कोशिशों को उपयोग करने की जरूरत है। परमेश्वर उसके उत्पीड़न का प्रयोग हमें इसे जानने देने के लिए करते हैं, ताकि हम सीसीपी सरकार के घिनौने चेहरे व शैतानी असलियत को अच्छी तरह से देख पाएं। इस प्रकार से, हम इसे त्याग सकते हैं और इसके साथ संबंध तोड़ सकते हैं और अपने निष्कपट दिल को पूरी तरह से परमेश्वर में लगा सकते हैं। परमेश्वर हमेशा से ही अपने कार्य में बेहतर परिणाम पाने के लिए सीसीपी की पागल कोशिश को सह रहे हैं, तो बात यह है कि क्या मुझे भी थोड़ी से कष्ट और अत्याचार को नहीं सहना चाहिए ताकि मैं रचना के भाग के रूप में उद्धार पा सकूं? परमेश्वर ने मुझे प्रबुद्ध किया है और मुझे श्रद्धा व ताकत दी है; मैं यीशु का अनुकरण और अनुसरण करना चाहता हूं और परमेश्वर को प्रेम करने की परमेश्वर की इच्छा—को पूरा करने के लिए दृढ़ता से संकल्पित रहना चाहता हूं! इस समय मैंने केवल यह इच्छा जताई कि परमेश्वर शैतान के उत्पीड़न के माध्यम से परमेश्वर का गवाह बनने के लिए हमें मार्गदर्शन दें व हमारा संरक्षण करें; मेरी इच्छा थी कि हम शैतान की तरकीबों का जवाब देने के लिए परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम का प्रयोग कर सकें ताकि उस जालिम शैतान की शर्मनाक पराजय हो।
तीसरी रात को, उन बुरे पुलिस वालों ने हमें काउंटी पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो भेज दिया और पूरी रात हमसे पूछताछ की गई। उप निदेशक ने सबसे पहले मुझे प्रलोभन देने के लिए चिकनी चुपड़ी बातों का प्रयोग किया, कहा: "बोलो! तुम्हारे घर में पत्नी, बच्चे और माता—पिता हैं, जिन्हें,अपनी देखभाल के लिए, तुम्हारी जरूरत है; अगर तुम जल्दी करोगे और बताओगे, तो तुम घर जा सकते हो, ठीक है?"उसकी इन बातों को सुनकर, मैं थोड़ा सा बहक गया था, और मैंने सोचा: "अगर मै उनको कुछ गैरजरूरी बातें बता देता हूं, तो मैं घर जा सकता हूं और मुझे यहां रहने और पीड़ा सहने की जरूरत नहीं होगी।" उसी समय परमेश्वर के वचनों ने मुझे जगाया: "मैं क्लेश के दिनों में उन लोगों पर और अधिक दया नहीं करूँगा जिन्होंने मुझे रत्ती भर भी निष्ठा नहीं दी है, क्योंकि मेरी दया का विस्तार केवल इतनी ही दूर तक है। साथ ही साथ, मुझे ऐसा कोई पसंद नहीं है जिसने कभी मेरे साथ विश्वासघात किया हो, ऐसे लोगों के साथ संबद्ध होना तो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है जो अपने मित्रों के हितों को बेच देते हैं। यही मेरा स्वभाव है, इस बात की परवाह किए बिना कि व्यक्ति कौन हो सकता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "अपनी मंज़िल के लिए तुम्हें अच्छे कर्मों की पर्याप्तता की तैयारी करनी चाहिए" से)। परमेश्वर के दिव्य वचनों से, मैं जैसे परमेश्वर को मेरी ओर देखते हुए देख सकता था, जो मेरे उत्तर का इंतजार कर रहे थे। परिणामस्वरूप, मैंने तुरंत इन विचारों को त्यागा और दृढ़ सच��चाई के साथ कहा: "जब से मुझे यहां लाया गया, तब से मैंने यहां से जाने के बारे में नहीं सोचा।" जब उस बुरे पुलिस वाले ने देखा कि उसकी योजना काम नहीं कर रही थी, तो उसने अपना असली शैतानी चेहरा दिखाया, और उस उप निदेशक ने एक बाल्टी भर सु��र के मल को मेरे सिर के ऊपर उठा लिया मानों मुझे उससे डुबो देना चाहता हो। मैंने उससे कहा: "यह क्रूर व असामान्य दंड है, जो तुम जबरदस्ती एक स्वीकारोक्ति पाने के लिए प्रयोग कर रहे हो।" जब उसने मुझे ऐसा कहते हुए सुना, तो वह अचानक रुक गया और मल को मुझ पर उड़ेले बिना बाल्टी को नीचे रख दिया। चमड़े के जूते पहने हुए एक अन्य बुरा पुलिस वाला अपनी हील से मेरे पैर का अंगूठा कुचलने लगा और वह जितना दबाव बना सकता था उतने दबाव के साथ वह अपनी हील को हिलाने लगा। मेरे पूरे शरीर में भयंकर दर्द फैल गया था और मैं दर्द में रोने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था। मेरे शरीर के कपड़े पसीने से भीग गए थे, लेकिन वह बुरा पुलिसवाला क्रोध से धधक रहा था और मेरे पैर के अंगूठे को उसने तब तक कुचलना व घुमाना जारी रखा, जब तक कि मेरे अंगूठे का नाखून नहीं उखड़ गया। इस समय तक मेरा अंगूठा बुरी तरह से कट चुका था और उससे खून निकल रहा था। बेहद दर्द में तड़पते हुए, मैं लगातार परमेश्वर के समक्ष रो रहा था, परमेश्वर से मेरे दिल की रक्षा करने के लिए कह रहा था ताकि मैं शैतान के सामने घुटने न टेक दूं और मैं परमेश्वर लिए गवाह बनकर खड़ा रह पाउं। उस जल्लाद इब्लीस की क्रूरता इससे कही ज्यादा थी; मैंने एक भाई को पूछताछ से वापस आते हुए देखा और उसे पहले ही मौत के मुहाने तक की यातनाएं दी गई थी; उसका पूरा शरीर भयभीत और चोटिल था और वह ऐसा लग रहा था जैसे मरने वाला हो। पुलिस वालों को डर था कि कहीं वह मर न जाए, इसीलिए उन्होंने न चाहते हुए भी उसे छोड़ दिया। बाद में, आगे की पूछताछ के लिए वे एक भाई व एक बहन के साथ मुझे शहर की स्वाट टीम के समक्ष ले गए।
जब हम स्वाट टीम के पास पहुंचे, तो उन बुरे पुलिस वालों ने हमें अपने पूरे कपड़े उतारने के लिए विवश किया और फिर उन्होंने हमारे हाथ बांध दिए और पैरों में जंजीर बांध दी। फिर उन्होंने हमें अपमानित करने के लिए वैसे ही पूरे प्रांगण के तीन चक्कर लगाने के लिए विवश किया। उसके बाद, उन्होंने हमें जेल के विभिन्न सेलों में अलग अलग कर दिया था। जेल की उन कोठरियों में बंद सभी लोग हत्यारे थे, वे सभी दानवों व राक्षासों की तरह थे। उन बुरे पुलिस वालों ने कैदियों को मुझे प्रताड़ित करने का आदेश दिया, लेकिन परमेश्वर के संरक्षण के कारण ही, वे कैदी मुझे परेशान नहीं किया करते थे, बल्कि असल में वे मेरा ख्याल रखा करते थे। चार दिनों के बाद, बुरी पुलिस ने मुझे परमेश्वर को धोखा देने और मेरे भाईयों व बहनों को बेचने के लिए बाधित किया, लेकिन मैं कुछ भी नहीं कहा। उन्होंने मुझे व एक अन्य भाई को पकड़ लिया और हमें घसीटते हुए प्रांगण में ले गए, जहां हमें हथकड़ियां लगा दी गई और हमारे पैरों में बेड़िया डाल दी गई। हमारे सिरों को एक काली थैली से ढंक दिया गया और वे हमें प्रांगण के बीच पर स्थित एक पेड़ पर लटकाकर वहां से चले गए। क्रूरता के उन्माद में, उन्होंने पेड़ में सब जगह चीटियां डाल दी, जो हमारे पूरे शरीर में घूमते हुए हमें काट रही थीं। हजारों चीटियों के काटने की यातना दिल में हजारों तीर घोंपने की यातना के समान थी, जिससे ऐसा लगा कि ऐसी जिंदगी से मौत ज्यादा बेहतर है। मैं अपनी पूरी शक्ति से परमेश्वर से मेरे दिल व आत्मा की रक्षा करने की प्रार्थना भर कर सकता था, ताकि वे मुझे पीड़ा को सहने की इच्छाशक्ति व ताकत दे पाएं, और मैं खुद को परमेश्वर को धोखा देने से बचा सकूं। इस समय, मेरे दिमाग में परमेश्वर के वचन प्रकट हुए: "मेरी आखिरी कठिनाई का सामना मेरी खातिर सभी लोगों को करना पड़ता है, ताकि मेरी महिमा सारे ब्रह्मांड को भर सके। क्या तुम लोग मेरी इच्छा को समझते हो? यह आखिरी अपेक्षा है जो मैं मनुष्य से करता हूँ, जिसका अर्थ है, मुझे आशा है कि सभी लोग बड़े लाल अजगर के सामने मेरे लिए सशक्त, ज़बर्दस्त गवाही दे सकते हैं, कि वे मेरे लिए अंतिम बार स्वयं को समर्पित कर सकते हैं, और एक आखिरी बार मेरी अपेक्षाओं को पूरा कर सकते हैं। क्या तुम लोग वाकई ऐसा कर सकते हैं? तुम लोग अतीत में मेरे दिल को संतुष्ट करने में असमर्थ थे-क्या तुम लोग अंतिम बार में इस प्रतिमान को तोड़ सकते हो?" (सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिये परमेश्वर के कथन के "चौतीसवाँ कथन" से लिया गया)। परमेश्वर के वचनों की वजह से मेरा दिल जोश से भर गया। परमेश्वर ने हमें बचाने के लिए सीसीपी सरकार द्वारा हर संभव तरीके से दी जाने वाली पीड़ा सही है। उनके लिए कोई सहारा लेने की जगह या तकिया नहीं थी और घर कहने के लिए कोई जगह नहीं थी। आज, मैं यीशु के साथ पीड़ा सहने के योग्य हूं; यह परमेश्वर का प्रेम है और मेरे लिए परमेश्वर द्वारा मेरा उत्कर्ष व उन्नयन है। जब तक मैं परमेश्वर को आनंद देने के लिए सक्षम हूं, तब तक मैं खुश रहूंगा और मरने के लिए सहर्ष प्रस्तुत रहूंगा। मैंने हर मिनट व सेकंड के दर्द से गुजरने के लिए परमेश्वर के वचन का सहारा लिया। हमें दो दिनों व दो रातों तक पेड़ से लटकाकर रखा गया। तीसरे दिन, मैं और नहीं सह सकता था। यह जाड़े की शुरुआत का समय था और बारिश भी हो रही थी और मैंने केवल एक अस्तररहित कपड़ा पहना हुआ था। मैं अपने नंगे पैरों से पेड़ से लटका हुआ था और मेरे पास खाने या पीने के लिए कुछ भी नहीं था। भूख व ठंड की पीड़ा के साथ ही असहनीय दर्द के कारण मैं मरना चाह रहा था; मेरे पास जितनी भी शक्ति थी उससे प्रार्थना करने के अलावा मैं कुछ नहीं कर सकता था। इस देह की कमजोरी के कारण मैं बहुत ज्यादा डर गया था, मैं इस यातना को और नहीं सह पाउंगा और कहीं परमेश्वर को धोखा न दे दूँ। अपने दर्द के बीच में, मुझे अनुग्रह के युग के प्रचारक स्टीफन की याद आई। उन्हें जनसाधारण ने पत्थर मार—मारकर मार डाला था क्योंकि वे प्रभु यीशु के सुसमाचार का प्रचार कर रहे थे। मरने से पहले, उन्होंने परमेश्वर से उनकी आत्मा को स्वीकार करने के लिए कहा था। परिणामस्वरूप, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे परमेश्वर, मेरी देह बहुत कमजोर है और अब मैं जितना दर्द सह सकता था उससे ज्यादा सह चुका हूं। मेरी इच्छा है कि आप मेरी आत्मा को ले लें, ताकि मैं आपको धोखो देने के स्थान पर मर जाऊं।" प्रार्थना करने के बाद, सबसे अप्रत्याशित चमत्कार हुआ: मुझे शरीर से बाहर निकलने का अनुभव हुआ और मुझे घास के एक मैदान में ले जाया गया था। वहां सभी जगह घनी, हरी घास थी और सब ओर मवेशी व भेड़ें थी। मेरी मनोदशा खासतौर पर शांत हो गई थी और मैं जोर—जोर से परमेश्वर की प्रशंसा ही कर सकता था: "सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ज़ोर से स्तुति करने दो, स्वर्ग और पृथ्वी की सभी चीज़ें तुम्हारी स्तुति करती हैं, तुम्हारी स्तुति करती हैं, सभी तुम्हारी स्तुति करेंगे। अपने सभी फ़रिश्तों को उठकर तुम्हारी स्तुति करने दो, अपने सभी स्वर्गीय मेज़बानों को तुम्हारी स्तुति करने दो, ब्रह्मांड का विस्तार तुम्हारी स्तुति करता है, हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! चमकते सितारे तुम्हारी स्तुति करते हैं, आकाश, पृथ्वी और जल तुम्हारी स्तुति करते हैं, वे सभी तुम्हारी स्तुति करते हैं। पर्वतों और पहाड़ियों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर की स्तुति करने दो, लहरों और तरंगों को तुम्हारी स्तुति करने दो, सर्वोच्च स्थानों में तुम्हारी स्तुति करने दो,हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर!सबसे पवित्र स्थान में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की स्तुति करने दो, तानपूरों और नृत्यों के साथ ज़ोर-से तुम्हारी स्तुति करने दो! साज़ों और तुरही की आवाज़ के साथ सर्वशक्तिमान परमेश्वर की स्तुति करने दो, सिय्योन के पवित्र लोगों को तुम्हारी स्तुति करने दो, सभी लोगों की तुम्हारी स्तुति करने दो, हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर, ज़ोर-से तुम्हारी स्तुति करने दो! ज़ोर-से गरजते बादल तुम्हारी स्तुति करते हैं, ज़ोर-से तुम्हारी स्तुति करते हैं। वैभव विस्तार सर्वशक्तिमान परमेश्वर की स्तुति करता है, सांस लेने वाली हर चीज़ को तुम्हारी स्तुति करने दो, स्तुति का गायन पृथ्वी के कोने-कोने को हिला देता है, परमेश्वर की स्तुति करने दो!" (मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना में "शुद्ध प्रेम बिना दोष के")। एक तरफ मैंने खुद को इस अतुलनीय आनंद में डुबो दिया था और स्वतंत्रता की सीमाओं में विराजमान था और दूसरी ओर पेड़ पर लटकाएं जाने के दर्द, भूख और ठंड के साथ ही चीटियों के कांटे जाने का दर्द सबकुछ गायब हो गया था। जब मैं जागा, तो तीसरी रात हो चुकी थी और बुरे पुलिसवालों ने मुझे पेड़ से उतार दिया था। मैं तीन दिनों तक वहां लटका रहा था लेकिन मेरी मौत नहीं हुई थी, बल्कि मैं उत्साह से भर गया था। यह सच में परमेश्वर की सर्वशक्तिमान ताकत और अद्भुत संरक्षण था! मैं परमेश्वर को दिल से धन्यवाद कहा और उनकी प्रशंसा की।
चौथे दिन, बुरे पुलिसवाले ने फिर से मुझसे पूछताछ की और मुझे मेरे भाईयों व बहनों को धोखा देने के लिए विवश करने की कोशिश की; उन्होंने मुझे यह स्वीकार करने के लिए विवश किया कि मैं एक संप्रदाय में विश्वास करता था, ताकि मैं परमेश्वर को धोखा दे दूं और सत्य के मार्ग को छोड़ दूं। परमेश्वर की प्रबुद्धता ने मुझे परमेश्वर के वचन को सोचने दिया: "परीक्षणों से गुज़रते हुए, लोगों का कमज़ोर होना, या उनके भीतर नकारात्मकता आना, या परमेश्वर की इच्छा पर या अभ्यास के लिए उनके मार्ग में स्पष्टता का अभाव होना स्वाभाविक है। परन्तु हर हालत में, अय्यूब की तरह, तुम्हें अवश्य परमेश्वर के कार्य पर भरोसा अवश्य होना चाहिए, और परमेश्वर को नकारना नहीं चाहिए" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "पूर्ण बनाए जाने वालों को शुद्धिकरण से अवश्य गुज़रना चाहिए" से)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे सत्य को अभ्यास में लाने और परमेश्वर का गवाह बनने का साहस दिया। चाहे जो भी हो जाए, लेकिन मैं परमेश्वर का विरोध या परमेश्वर के विरुद्ध ईशनिंदा नहीं कर सकता। इसलिए, मैंने दृढ़ता से और पूरे विश्वास के साथ कहा: मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करता हूं, जो सभी चीजों पर शासन करने वाले एकमात्र सच्चे परमेश्वरर हैं! मैं किसी अधर्मी संप्रदाय में विश्वास नहीं करता, तुम लोग सत्य को तोड़—मरोड़ रहे हों और मुझे फंसा रहे हो! जब एक बुरे पुलिस वाले ने यह सुना, तो वह क्रोध से आग बबूला हो गया और उसने लकड़ी का एक बड़ा पटरा उठाया और मुझे मार डालने के लिहाज से पागलों की तरह उससे मुझे मारना शुरू कर दिया। उसने मुझे इस हद तक मारा कि मेरे मुंह से खून निकलने लगा था। मैं लकवाग्रस्त जैसे गिर गया और फर्श पर बेहोश होकर पड़ा रहा। जब उन्होंने देखा कि मैं बेहोश हो गया हूं, तो मुझे उठाने के लिए उन लोगों ने मुझ पर ठंडे पानी का छींटा मारा और फिर से मुझे मारना शुरू कर दिया। इस शैतानी और अमानवीय पिटाई के दौरान, मेरी छाती का सामने का हिस्सा और मेरी पीठ पूरी तरह से काली व नीली हो गई थी और मुझे कई अंदरूनी चोटें भी आई थीं। एक हफ्ते के बाद, मेरे पेशाब में खून आने लगा था और मेरी दांई किडनी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा था (आज भी यह दर्द करती है)। एक माह के बाद, उन बुरे पुलिस वालों को कोई भी साक्ष्य नहीं मिला, तो उन्होंने जाली मामला बनाया और मुझे उस पर हस्ताक्षर करने के लिए विवश किया। फिर उन्होंने मुझे शहर की जेल में बंद कर दिया। तीन महीने के बाद, उन्होंने मुझ पर 'सामाजिक कानून का उल्लंघन करने' का आरोप लगा दिया और मुझे एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुना दी गई। उस लेबर कैम्प में, मैंने अमानवीय जीवन जिया। हर रोज मैं भूखा रहता था और मुझे एक दिन में 12 घंटे या उससे भी ज्यादा समय तक काम करना पड़ता था। जेल की पुलिस अक्सर ही मुझे परेशान या अपमानित किया करती थी; वे या तो मेरे ऊपर इलेक्ट्रिक डंडे का इस्तेमाल करते या फिर मुझे छोटे, अंधेरे कमरे में बंद कर दिया करते थे। अगर परमेश्वर मुझे नहीं देख रहे होते और मेरी रक्षा नहीं कर रहे होते, तो मैं इन बुरे पुलिस वालों की यातना से मर गया होता। 7 नवंबर 2003 को, मेरी सजा पूरी हुई और मैं पृथ्वी पर नरक से रिहा हुआ।
उस क्रूर उत्पीड़न को अनुभव करने के बाद, मैंने अंतत: साफ तौर पर देखा कि सीसीपी सरकार की घोषणाएं जैसे कि 'कम्यूनिस्ट पार्टी महान, उत्तम और सही है' और 'चीन में धार्मिक स्वतंत्रता है' व अन्य बातें, असल में जनता को भ्रमित करने और नागरिकों को मूर्ख बनाने की कुटिल योजना की चाल बस थी। मैं अपने दिल की गहराई से इस बूढे जल्लाद इब्लीस से वाकई नफरत करता हूं। यह लुभावनी बातें बोलता है और सिर्फ बुरे काम करता है। अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य को प्रतिबंधित करने और चीन को एक नास्तिक स्थान बनाने के लिए, यह बिना किसी रोकटोक के आस्तिकों का पीछा करता है और उनकी हत्या करता है। इसकी क्रूरता का स्तर बहुत ऊपर तक पहुंच चुका है और लोग क्रोध से खौलने लगे हैं! मैं वापस सोचता हूं कि मेरी पूछताछ की प्रक्रिया के दौरान इन दानवों द्वारा कितनी क्रूरता के साथ मुझे लगातार यातना दी जाती थी और स्वीकारोक्ति के लिए विवश किया जाता है और क्रूरतापूर्वक पीड़ा दी जाती थी। कई बार तो मैं बेहोश भी हो गया था और अगर मैं परमेश्वर के संरक्षण में नहीं होता, तो वे दानव मुझे खा गए होते। मेरी सबसे बड़ी कमजोरी के क्षणों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने लगातार मुझे प्रोत्साहित किया: "क्या तुम सबने मिलने वाली आशीषों को स्वीकार किया है? क्या कभी तुम सबने मिलने वाले वायदों को पाया है? तुम लोग निश्चय ही, मेरी रोशनी के नेतृत्व में, अंधकार की शक्तियों के गढ़ को तोड़ोगे। तुम अंधकार के मध्य निश्चय ही मार्गदर्शन करने वाली ज्योति से वंचित नहीं रहोगे। तुम सब निश्चय ही सम्पूर्ण सृष्टि पर स्वामी होगे। तुम लोग शैतान पर निश्चय ही विजयी बनोगे। तुम सब निश्चय ही महान लाल ड्रैगन के राज्य के पतन को देखोगे और मेरी विजय की गवाही के लिए असंख्य लोगों की भीड़ में खड़े होगे। तुम लोग निश्चय ही पाप के देश में दृढ़ और अटूट खड़े रहोगे। तुम सब जो कष्ट सह रहे हो, उनके मध्य तुम मेरे द्वारा आने वाली आशीषों को प्राप्त करोगे और मेरी महिमा के भीतर के ब्रह्माण्ड में निश्चय ही जगमगाओगे" (सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिये परमेश्वर के कथन के "उन्नीसवाँ कथन" से लिया गया)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे ऐसी कुछ ठोस चीज दी जिस पर मैं भरोसा करता हूं! इसने मुझे अपने बेहद दर्द भरे व कमजोरी के समय में परमेश्वर के वचनों की प्रबुद्धता व मार्गदर्शन का आनंद लेने की अनुमति दी, जो कि एकमात्र ऐसा तरीका है जिससे मैं इस अंधेरी व लंबी समयावधि से निकल सकता था। भले ही, मैंने सीसीपी सरकार द्वारा कई बार गिरफ्तार किए जाने और प्रताड़ित किए जाने का अनुभव किया है, और मेरी देह ने निर्दयी क्रूरता और यातना को सहा है, लेकिन मैं असल में ऐसे कई सत्यों को समझ गया हूं जिन्हें मैं पहले नहीं समझा करता था और मैं चीनी सरकार की प्रतिक्रियावादी दुष्टता की शैतानी वास्तविकता को देख पाता हूं। मैंने अपने लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सच्चे प्रेम को भी अनुभव कि���ा है और परमेश्वर की सर्वशक्तिमान बुद्धि व अद्भुत कार्यों को भी देखा है। इसने मुझे परमेश्वर को प्रेम करने और परमेश्वर को संतुष्ट करने की कोशिश करने के लिए प्रेरित किया। आज, मैं अब भी कलीसिया में अपने दायित्वों को पूरा करता हूं जैसे कि मैं पहले किया करता था; मैं जिंदगी के सही मार्ग पर परमेश्वर का अनुसरण करता हूं, मैं सत्य की खोज करता हूं और एक अर्थपूर्ण जीवन जीने की कोशिश करता हूं।
पादटीका:
1. "निराधार आरोप लगाना" का अर्थ है वे तरीके जिनके द्वारा शैतान लोगों को नुकसान पहुँचाता है।
2. "भारी रूप से संरक्षित" उन विधियों को दर्शाता है जिनका उपयोग करके शैतान लोगों को यातना पहुँचाता है, वे बहुत ही दुष्ट होते हैं, और लोगों को इतना नियंत्रित करते हैं कि उन्हें हिलने की जगह नहीं मिलती।
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raghav-shivang · 4 years
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महामारी के कारण लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट से ज्यादा खुद के वाहन को प्राथमिकता दे रहे हैं। कुछ लोग नया वाहन खरीद रहे हैं, तो कुछ का रुझान सेकंड हैंड वाहनों की तरफ है। लेकिन हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें ऑनलाइन सेकंड-हैंड वाहन खरीदने के चक्कर में ग्राहक धोखाधड़ी का शिकार हो गए, हालांकि कई बार लोकल मार्केट से सेकंड हैंड वाहन खरीदते समय भी ग्राहकों को ठग लिया जाता है। अगर आप भी सेकंड हैंड कार खरीदने का सोच रहे हैं, तो इस रिपोर्ट में पढ़ें कि खरीदारी करते समय आप कैसे सुरक्षित रहे सकते हैं...
1. मैकेनिक पर जरूरत से ज्यादा भरोसा न करें
कई बार लोगों को कहते सुना होगा कि सेकंड हैंड कार खरीदने जा रहे हों, तो गाड़ी चेक करने के लिए खुद का मैकेनिक लेकर जाना चाहिए। लोग ऐसा करते भी हैं और यहीं से शुरू हो जाती है हमारी परेशानियां। यूज्ड कार डीलर सूर्या यादव ने हमें बताया कि अक्सर लोग सेकंड हैंड कार पसंद करने आते हैं तो अपना मैकेनिक साथ लेकर आते हैं। उसके बाद मैकेनिक के बोलने पर ग्राहक आंख बंद करके कार खरीद भी लेता है। यही उनकी सबसे बड़ी गलती होती है कि वह मैकेनिक पर जरूरत से ज्यादा भरोसा कर लेते हैं।
उन्होंने बताया कि मैकेनिक और डीलरों का एक दूसरे से आए दिन काम पड़ता रहता है क्योंकि दोनों एक दूसरे पर निर्भर हैं जबकि ग्राहक का मैकेनिक से कभी कभार ही काम पड़ता है। ऐसे में कोई भी मैकेनिक हो, सभी का कमीशन बंधा होता है, फिर चाहें ग्राहक उसे अपने साथ ही क्यों ना लाया हो। अगर कार बिकती है तो दो से तीन हजार रुपए का कमीशन मैकेनिक का तय हो जाता है, और ग्राहक को इस बात का पता भी नहीं चलता कि वह ठगा जा चुका है। इसलिए मैकेनिक पर जरूरत से ज्यादा विश्वास न करें क्योंकि वो अपने कमीशन के चक्कर में आपसे झूठ बोलने से पहले जरा भी नहीं सोचेगा, ताकि डीलर से उसका काम चलता रहें।
2. डीलर के कार कलेक्शन को देखकर इम्प्रेस न हों
अक्सर लोग यूज्ड कार डीलर्स का कार कलेक्शन देखकर इम्प्रेस हो जाते हैं और मन में ये धारणा बना लेते हैं कि इसके पास ज्यादा गाड़ियां हैं तो यह अच्छा डीलर होगा। लेकिन यहीं पर ग्राहक फिर धोखा खा जाता है। क्योंकि ऐसे डीलर सभी प्रकार की गाड़ियां ले लेते हैं, फिर चाहें वो अच्छी हो या उनमें कोई खराबी हो।
उसके बाद डीलर गाड़ियों का रंग-रोगन करवा कर या उनमें थोड़ा काम करवाकर उन्हें बेचने के लिए डिस्प्ले में लगा देता है। गाड़ी में यदि कोई प्रॉब्लम भी होती है तो मैकेनिक इतनी सफाई से लिपा-पोती करते हैं कि आम इंसान का समझ पाना नामुमकिन हो जाता है और ग्राहक बड़े स्टॉक के दिखावे में आकर उन पर विश्वास करके गाड़ी खरीद लेता है। इस समस्या से बचने के लिए ऐसे डीलर के पास जाएं, जिसके पास लिमिटेड स्टॉक हो लेकिन अच्छा स्टॉक हो।
3. जरूरत से ज्यादा डिस्काउंट मिल रहा है, तो कुछ गड़बड़ हो सकती है
कई बार डीलर एक्सीडेंटल गाड़ी ले लेते हैं और उसमें काम करवा कर उसका अच्छी तरह से रंग-रोगन कर उसे बेचने के लिए खड़ी कर देते हैं। गाड़ी को जल्द से जल्द निकालने के चक्कर में डीलर ग्राहकों का 30 से 40 हजार या उससे ज्यादा का भी डिस्काउंट दे देते हैं और ग्राहक सोचता है कि मैंने पैसे कम करवा लिए या यह मेरे बजट में आ रही है और फिर धोखा खा जाता है।
अगर डीलर बड़ा डिस्काउंट दे रहा है और गाड़ी की तारीफों के पुल बंध रहा है तो थोड़ा सतर्क हो जाने की जरूरत है, क्योंकि अगर चीज अच्छी होगी तो कोई भी उसकी कीमत से कॉम्प्रोमाइज नहीं करेगा लेकिन अगर कुछ गड़बड़ होगी तो ज्यादा से ज्यादा डिस्काउंट देकर गाड़ी निकालने की हर संभव कोशिश करेगा। इसलिए अगर जरूरत से ज्यादा डिस्काउंट मिले तो लालच में न आएं बल्कि सोचें कि डीलर अचानक से इतना बड़ा डिस्काउंट क्यों दे रहा है।
4. ऑनलाइन से ज्यादा ऑफलाइन को प्राथमिकता दें
इस समय ऑनलाइन ठगी के रोजाना कई मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें जालसाज डीलरों की ही गाड़ी अपने नाम से ऑनलाइन प्लेटफार्म पर डाल देते हैं वो भी बेहद कम कीमत पर, खुद की पहचान आर्मी वाले के तौर पर बता कर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं और उनसे पैसे ऐंठ लेते हैं।
इसलिए ऑनलाइन प्लेटफार्म के चक्कर में ना पड़े और किसी पर भी आंख बंद करके विश्वास न करें नहीं तो महंगा पड़ सकता है। बेहतर होगा कि गाड़ी फिजिकली देख कर खरीदें ताकि तसल्ली से देखा-परखा जा सके। इससे फायदा ये होगा कि गाड़ी और गाड़ी मालिक दोनों आपके सामने होंगे और आप बेहतर तरीके से निर्णय ले पाएंगे।
5. गाड़ी देखकर उत्साहित न हो, बल्कि उसे चलाकर देखें
अक्सर देखने में आता है कि कुछ लोग गाड़ी देखकर उत्साहित हो जाते हैं और आपके इसी उतावलेपन को डीलर भांप लेता है फायदा उठाता है। वो कार की सारी खूबियां गिनाएगा अच्छी-अच्छी चीजें दिखाएगा, एसी चालू कर देगा, स्पीकर्स का साउंड सुना देगा, गाड़ी की चमक-दमक से रूबरू कराएगा और हम उसे सही मान लेते हैं। वो यह भी दिलासा देगा कि 'बेफिक्र रहें! गाड़ी में कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी'।
बेवजह उत्साहित होने की बजाए अपने विवेक से काम लें। गाड़ी की अच्छी तरह के पड़ताल करें। अगर आप अनुभवी नहीं भी हैं तो भी गाड़ी स्टार्ट कर केबिन में बैठकर या बाहर निकलकर उसके अनियमित साउंड और वाइब्रेशन का पता लगा सकते हैं। अगर कोई अनियमित साउंड या वाइब्रेशन होता है, तो डीलर से इसकी पूछे। हालांकि पुरानी गाड़ी में थोड़ा बहुत काम निकलता है, जो थोड़े बहुत खर्च में ठीक कराया जा सकता है, बस इंजन में प्रॉब्लम नहीं होना चाहिए।
इसके अलावा गाड़ी का कम से कम 2 से 3 किमी. का ट्रायल जरूर लें, ताकि इसके इंजन, गियरबॉक्स को अच्छी तरह से चेक किया जा सके। कम से कम 1 से 2 किमी. गाड़ी चला लेने के बाद गाड़ी स्टार्ट रहने दें और बोनट खोल कर ऑयल डिप बाहर निकालें। अगर उस जगह से स्मोक आ रहा है या ऑयल के छींटे आ रहे हैं तो एक बार कंपनी में जरूर कंसल्ट कर लें, क्योंकि यह प्रॉब्लम तब आती है, जब इंजन सही तरह से काम नहीं कर रहा होता। कोशिश करें कि सर्टिफाइड कार ही खरीदें।
6. गाड़ी एक्सीडेंटल तो नहीं है, ऐसे चेक कर सकते हैं पहला: गाड़ी एक्सीडेंटल तो नहीं एक आम आदमी के लिए इसका पता लगाना मुशिकल है लेकिन एक्सपर्ट ने बताया कि डूम, पिलर और चेसिस से इसका पता लगाया जा सकता है। गाड़ी के चेसिस को नीचे की तरफ से चारों और से देखें कि कहीं कोई प्ले या बेंड तो नहीं, अगर कहीं प्ले या बेंड दिखाई पड़ता है, तो कुछ गड़बड़ हो सकती है। दूसरा: बोनट खोलकर इंजन के पीछे वाला हिस्सा जहां सस्पेंशन दिखाई देते हैं वहां देखें। यहां आपको डूम दिख जाएंगे, जिसके ऊपर सस्पेंशन टिका होता है। एक्सीडेंट होने पर सबसे पहले यही हिस्सा क्षतिग्रस्त होता है। इस पर कंपनी की पेस्टिंग होती है। एक्सीडेंट होने पर यदि एक बार पेस्टिंग निकल जाए, तो फिर इसे दोबारा नहीं बनाया जा सकता। कंपनी सिर्फ नई गाड़ियों पर पेस्टिंग करके देती है, पुरानी गाड़ी पर दोबारा पेस्टिंग नहीं करती। तो डूम की पेस्टिंग देख कर आप गाड़ी के एक्सीडेंटल होने का पता लगा सकते हैं। तीसरा: इसके अलावा पिलर्स से भी काफी हद तक गाड़ी के एक्सीडेंटल होने का पता लगाया जा सकता है। जैसे ही दरवाजे खोलेंगे तो वहां पिलर्स पर लगी रबर को हटा कर देखें, यहां बहुत सारे डॉट नजर आएंगे, अगर इन डॉट में कहीं से क्रेक या जॉइंट दिखाई दें, तो भी गाड़ी के एक्सीडेंटल होने का पता लगाया जा सकता है। चौथा: गाड़ी को बिल्कुल समतल जगह पर खड़ी कर लें। हैचबैक गाड़ी है तो कार से 6 से 7 फीट और अगर एसयूवी है तो 9 से 10 फीट दूर जाकर सेंटर में खड़े हो जाएं और गाड़ी की बनावट को ध्यान से देखें, इसे प्रोसेस गाड़ी के बैक साइड से भी करना है। अगर आपको दोनों तरफ से गाड़ी की बनावट में कोई अंतर दिख रहा है (यानी कुछ झुका या उठा हुआ दिख रहा है) तो इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि गाड़ी एक्सीडेंटल हो सकती है। इसकी पुष्टि करने के लिए जिस तरफ से डाउट हो, उस तरफ की रबर खोलकर पिलर्स की पेस्टिंग चेक कर सकते हैं। क्योंकि एक बार पेस्टिंग बिगड़ जाने पर उसे दोबारा उसी फिनिशिंग से बनाना मुश्किल है।
7. जब तक पूरे पेपर्स न मिलें, गाड़ी न खरीदें
डीलर्स के पास गाड़ियां कई जगहों से आती है। ज्यादातर शोरूम से एक्सचेंज कराई गई गाड़ी होती है, तो कुछ सीधे ग्राहकों ही बेचने के लिए दे जाते हैं। सेकंड हैंड गाड़ी खरीदें तो इन डॉक्यूमेंट्स पर ध्यान दें...
रजिस्ट्रेशन कार्ड (RC): यह गाड़ी का सबसे जरूरी दस्तावेज है या कह सकते हैं इस पर गाड़ी की पूरी कुंडली होती है। गाड़ी कब बनी, कब रजिस्टर्ड हुई, मॉडल नंबर, चेसिस नंबर, कलर, बॉडी टाइप सब कुछ इस कार्ड पर होता है। सेकंड हैड गाड़ी खरीदते वक्त सबसे पहले उसका रजिस्ट्रेशन कार्ड चेक करें। कार्ड पर देखें कि गाड़ी पर कोई लोन तो नहीं है। इस बात की जानकारी कार्ड के सबसे निचले हिस्से में दी होती है, गाड़ी जिस बैंक से फाइनेंस होती है उसका नाम नीचे ही लिखा होता है। अगर RC पर बैंक का नाम लिखा है, तो सबसे पहले कार बेचने वाले से बैंक की NOC जरूर ले लें वरना गाड़ी ट्रांसफर कराने में दिक्कत आएगी। गाड़ी फाइनेंस है या नहीं इसकी जानकारी आप RTO के साइट पर जाकर Hypothicated ऑप्शन पर क्लिक करके भी देख सकते हैं।
संबंधित थाने में जाकर क्राइम रिपोर्ट निकवाएं: RTO पर आपको एड्रेस मिल जाएगा, तो भविष्य में किसी भी तरह की समस्या से बचने के लिए सबसे पहले संबंधित थाने में जाकर गाड़ी की क्राइम रिपोर्ट निकलवाएं। यह पुलिस हेडक्वाटर (PHQ) से भी निकलवाई जा सकती है। इससे ये पता चलेगा कि कहीं आपके द्वारा खरीदी जा रही गाड़ी किसी तरह के क्राइम में इस्तेमाल तो नहीं हुई या उस पर किसी तरह का केस तो नहीं है। साथ ही संबंधित क्षेत्र के RTO से गाड़ी के ऊपर किसी प्रकार के चालान होने ना होने की जानकारी भी ली जा सकती है, वरना यह आपके लिए सरदर्द बन सकता है।
सेल लेटर की अहमियत समझें: गाड़ी बेच रहे हों या खरीद रहें हों ऐसे में सेल लेटर काफी अहम दस्तावेज है। गाड़ी बेच रहें हों तो RTO में जाकर सेल लेटर पर साइन करना ना भूलें ताकि भविष्य में गाड़ी से कोई दुर्घटना होती है, तो आप जिम्मेदार नहीं होंगे, जिसे गाड़ी बेची है उसके साथ एक एग्रीमेंट भी कराया जा सकता है। ठीक इसी प्रकार गाड़ी खरीदते समय भी सेल लेटर की अहमियत को समझें और डीलर (या जिससे भी कार खरीद रहे हों) से सेल लेटर जरूर मांगे, जिस पर RTO की सील और साइन लगे होते हैं, ताकि गाड़ी अपने नाम कराने में कोई दिक्कत न हो।
नोट- सभी पॉइंट्स यूज्ड कार डीलर सूर्या यादव (रिलाएबल कार जोन, भोपाल) से बातचीत के आधार पर
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सेकंड हैंड कार खरीदने के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म पर आंख बंद करके विश्वास न करें, ऐसे सोर्स से गाड़ी खरीदें जहां गाड़ी और गाड़ी मालिक दोनों सामने हों।
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antarikshkikhoj · 4 years
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What is an Exoplanet? Planets Beyond our Solar System एक्सोप्लैनेट क्या है?
What is an Exoplanet? Planets Beyond our Solar System एक्सोप्लैनेट क्या है?
एक्सोप्लैनेट – हमारे सौर मंडल से परे कोई भी ग्रह
ग्रह-शिकार अंतरिक्ष दूरबीन अभी भी अपने बीयरिंग प्राप्त कर रहा था, लॉन्च के कुछ महीने बाद, जब बाढ़ के दरवाजे खुले।
जैसा कि नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप साइंस टीम 10-दिवसीय ट्रायल रन कर रही थी, उन्होंने कुछ ऐसा देखा, जो अविश्वसनीय पर आधारित था: टेलिस्कोप का हमारे सौर मंडल के बाहर एक चट्टानी, पृथ्वी के आकार की दुनिया का पहला पता लगाना।
मिल्की वे…
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dailyspecialnews · 4 years
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किसी को पता नहीं था कि 1 दिन पूरी दुनिया लाकडाउन के जद में आ जाएगी 21वीं सदी में पहली बार सुना हुआ शब्द जिसका प्रयोग आम जनता ने इससे पहले कभी नहीं किया था अब तो इस शब्द का प्रयोग गली नुक्कड़ और चाय की दुकानों पर आम बोलचाल की भाषा बनकर रह गया दुनिया इस शब्द से इतनी ज्यादा बोर हो चुकी है कि इस शब्द का असली मतलब और इसके पीछे छिपे लाभ को भी ध्यान से नहीं देख पा रही है वैसे तो लाकडाउन का तात्पर्य पूर्ण बंदी से होता है जिसका तात्पर्य गतिविधियां पूरी तरह से लाकडाउन यानी बंद दरवाजे के पीछे होंगी हमारे देश की स्थिति को देखते हुए लोगों ने खासकर गरीब तबके के लोगों ने गलत अर्थ निकाला और वह अपने जन्म भूमि की ओर पलायन कर गए जो देश के लिए सही मायने में लाभकारी नहीं हो सका स्थिति ऐसी आ गई कि हमें देश में लाकडाउन 1234 को लगाना पड़ा और फिर भी स्थिति सामान्य नहीं हो सकी/
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duniyakelog · 4 years
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स्टूडेंट लोन कंपनी दुर्घटनावश ओहियो मैन 55,000 प्रतियां बेटी के ट्यूशन के बारे में लिखती है
आज के डिजिटल दुनिया में, कुछ अच्छे, पुराने जमाने के घोंघे मेल प्राप्त करना अच्छा हो सकता है - लेकिन ओहियो में एक आदमी शायद कभी भी एक भौतिक पत्र नहीं देखना चाहेगा क्योंकि 55,000 गलती से उसी कंपनी से उसे भेजे गए थे।
ओहिंसबर्ग के ट्विनबर्ग के डैन कैन का कहना है कि उन्हें अपने स्थानीय डाकघर की खोज के लिए "हैरान" होना पड़ा, उनके लिए डाक के इतने सारे डिब्बे थे, वह उन्हें सामने के दरवाजे से प्राप्त करने में असमर्थ थे।
मिक्स-अप को और अधिक भ्रमित करने के लिए, सभी 79 डिब्बे सटीक एक ही पत्र की सैकड़ों प्रतियों से भरे हुए थे।
पत्र कॉलेज एवेन्यू स्टूडेंट लोन कंपनी का था, जिसमें कैन ने कहा था कि उसे और उसकी पत्नी को अपनी बेटी की स्कूल ट्यूशन के लिए एक बयान की एक प्रति भेजनी है। सीएनएन के अनुसार , कैन ने कहा कि कंपनी ने कैन से माफी मांगी और बयान की हजारों प्रतियां एक गड़बड़ का परिणाम थीं।
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"हम जैसे थे, 'क्या तुम मुझसे मजाक कर रहे हो? कौन इस तरह की गलती करता है? '' कैन ने एबीसी 7 पर कहा।
अमेरिकी डाक सेवा के प्रवक्ता नादिया धलाई ने सीएनएन को पत्र प्राप्त किए गए पत्रों की सरासर मात्रा को बताया कि "क्या हम अक्सर ऐसा नहीं करते हैं।"
"हालांकि, डाक सेवा सर्वश्रेष्ठ ग्राहक सेवा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए हमें प्राप्त होने वाले मेल का हर टुकड़ा हमारे ग्राहकों तक पहुंचाया जाएगा," उसने कहा - इसका मतलब है कि यह पता लगाना है कि बेकार मेल का क्या करना है ।
कैन ने एक हंसी के साथ समाचार आउटलेट को बताया, "मैं बस आग, अलाव शुरू कर सकता हूं और यह सब जला सकता हूं।"
यह पता चलता है कि कॉलेज एवेन्यू स्टूडेंट लोन कंपनी ने जो रिपीट स्टेटमेंट दिया था वह एकमात्र गलती नहीं थी।
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हजारों बार भेजे गए बयान भी गलत थे, एबीसी 7 ने रिपोर्ट किया, और कैन के ऋण के लिए गलत ब्याज दर को शामिल किया।
"मुझे उम्मीद है कि यह फिर से नहीं होता है," कैन ने कहा, जो अब मेल में एक और बयान की उम्मीद कर रहा है जिसमें सही ब्याज भुगतान शामिल है।
उन्होंने कहा, '' मुझे प्रेषक के पास वापस जाना पड़ सकता है।
कॉलेज एवेन्यू स्टूडेंट लोन कंपनी ने टिप्पणी के लिए PEOPLE के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया।
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nurtureoneslife · 5 years
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ओशो...
होशिन के गुरु के संबंध में एक घटना है। इस आश्रम में काफी भिक्षु थे। नियम तो यही है बौद्ध भिक्षुओं का कि सूरज ढलने के पहले एक बार वे भोजन कर लें। लेकिन इस गुरु के संबंध में एक बड़ी अनूठी बात थी, कि वह सदा सूरज ढल जाने के बाद ही भोजन करता। और नियम तो यह है कि बौद्ध भिक्षु सदा सामूहिक रूप से भोजन करें ताकि सब एक दूसरे को देख सकें कि कौन क्या खा-पी रहा है? भोजन छिपाकर न किया जाए, एकांत में न किया जाए। लेकिन इस होशिन के गुरु की एक नियमित आदत थी कि रात अपने झोपड़े के सब दरवाजे बंद करके ही वह भोजन करता था, और रातभर करता था।
यह खबर सम्राट तक पहुंच गयी। सम्राट भी भक्त था और उसने कहा कि यह अनाचार हो रहा है।
हम अंधों की आंखें क्षुद्र चीजों को ही देख पाती हैं। इस गुरु की ज्योति दिखाई नहीं पड़ती। इस गुरु की महिमा दिखाई नहीं पड़ती। इस गुरु में जो बुद्धत्व जन्मा है वह दिखाई नहीं पड़ता। रात भोजन कर रहा है, यह हमें तत्काल दिखाई पड़ता है। और कमरा बंद क्यों करता है?
सम्राट को भी संदेह हुआ। सम्राट भी शिष्य था। उसने कहा, इसका तो पता लगाना होगा। यह तो भ्रष्टाचार हो रहा है। और रात जरूर छिपकर खा रहा है तो कुछ मिष्ठान्न...या पता नहीं, जो कि भिक्षु के लिए वर्जित है; अन्यथा छिपने की क्या जरूरत है? द्वार बंद करने का सवाल ही क्या है? भिक्षु के भिक्षापात्र को छिपाने का कोई प्रयोजन नहीं है।
हम छिपाते तभी हैं, जब हम कुछ गलत करते हैं। स्वभावतः हम सबके जीवन का नियम यही है। हम गुप्त उसी को रखते हैं, जो गलत है। प्रगट हम उसको करते हैं जो ठीक है। ठीक के लिए छिपाना नहीं पड़ रहा है, गलत के लिए छिपाना पड़ रहा है। लेकिन गुरुओं के व्यवहार का हमें कुछ भी पता नहीं। यह हमारा व्यवहार है, अज्ञानी का व्यवहार है कि गलत को छिपाओ, ठीक को प्रगट करो। ना भी हो ठीक प्रगट करने को, तो भी ऐसा प्रगट करो कि ठीक तुम्हारे पास है; और गलत को दबाओ और छिपाओ। किसी को पता न चलने दो, गुप्त रखो। तो हम सबकी जिंदगी में बड़े अध्याय गुप्त हैं। हमारी जीवन की किताब कोई खुली किताब नहीं हो सकती। पर हम सोचते हैं कि गुरु की किताब तो खुली किताब होगी।
सम्राट ने कहा, पता लगाना पड़ेगा। रात सम्राट और उसका वजीर इस गुरु के झोपड़े के पीछे छिप गये नग्न तलवारें लेकर; क्योंकि यह सवाल धर्म को बचाने का है।
कभी-कभी अज्ञानी भी धर्म को बचाने की कोशिश में लग जाते हैं। उनको जरा हमेशा ही खतरा रहता है कि धर्म खतरे में है। जिनके पास धर्म बिलकुल नहीं है, उन्हें धर्म को बचाने की बड़ी चिंता होती है। और इन मूढ़ों ने धर्म को बुरी तरह नष्ट किया है।
वह छिप गया तलवारें लिये कि आज कुछ भी फैसला कर लेना है। सांझ हुई, गुरु आया। अपने वस्त्र में, चीवर में छिपाकर भोजन लाया। द्वार बंद किये। जहां यह छिपे थे, इन्होंने दीवार में एक छेद करवा रखा था ताकि वहां से देख सकें, द्वार बंद किये। बड़े हैरान हुए कि गुरु भी अदभुत है। वह उनकी तरफ पीठ करके बैठ गया, जहां छेद था और उसने बिलकुल ��िपाकर अपने पात्र से भोजन करना शुरू कर दिया। इन्होंने कहा, यह तो बर्दाश्त के बाहर है। यह आदमी तो बहुत ही चालाक है। इनको यह खयाल में न आया, यह हमारी चालाकी को अपनी निर्दोषता के कारण पकड़ पा रहा है, किसी बड़ी चालाकी के कारण नहीं।
छलांग लगाकर खिड़की को तोड़कर दोनों अंदर पहुंच गये। गुरु ने अपना चीवर फिर से पात्र पर डाल दिया। सम्राट ने कहा कि हम बिना देखे न लौटेंगे कि तुम क्या खा रहे हो? गुरु ने कहा कि नहीं, आपके देखने योग्य नहीं है। तब तो सम्राट और संदिग्ध हो गया। उसने कहा, हाथ अलग करो। अब हम शिष्य की मर्यादा भी न मानेंगे। गुरु ने कहा, जैसी तुम्हारी मर्जी! लेकिन सम्राट की आंखें ऐसी साधरण चीजों पर पड़ें यह योग्य नहीं।
उसने चीवर हटा लिया; भिक्षापात्र में न तो कोई मिष्ठान्न थे, न कोई बहुमूल्य स्वादिष्ट पदार्थ थे, भिक्षा-पात्र में सब्जियों की जो डंडियां और गलत सड़े-गले पत्ते, जो कि आश्रम फेंक देता था, वे ही उबाले हुए थे।
सम्राट मुश्किल में पड़ गया। रात तो सर्द थी लेकिन माथे पर पसीना आ गया। उसने कहा, इसको छिपाकर खाने की क्या जरूरत है?
गुरु ने कहा, क्या तुम सोचते हो गलत को ही छिपाया जाता है? सही को भी छिपाना पड़ता है। तुम गलत को छिपाते हो, हम सही को छिपाते हैं; यह हममें और तुममें फर्क है। तुम गलत को गुप्त रखते हो, हम सही को गुप्त रखते हैं। तुम सही को प्रगट करते हो क्योंकि सही के प्रगट करने से अहंकार भरता है और गलत को प्रगट करने से अहंकार टूटता है। हम गलत को प्रगट करते हैं और सही को छिपाते हैं। हम तुमसे उलटे हैं। हम शीर्षासन कर रहे हैं।
'यह घास-पात खाने के लिए छिपाने की क्या जरूरत थी?'
वह गुरु हंसने लगा और उसने कहा कि मैं जानता था, आज नहीं कल तुम आओगे क्योंकि तुम सबकी नजरें क्षुद्र पर हैं। विराट घटा है, वह तुम्हें दिखाई नहीं पड़ता। लेकिन बस, यह मेरी आखिरी सांझ है। इस आश्रम को मैं छोड़ रहा हूं। अब तुम संभालो और जो मर्यादा बनाते हैं, वे संभालें। तुम्हारी अपेक्षाएं मैं पूरी नहीं कर सकता। और जब तक मैं तुम्हारी अपेक्षाएं पूरी करूंगा, मैं तुम्हें कैसे बदलूंगा?
सिर्फ वही गुरु तुम्हें बदल सकता है, जो तुम्हारी अपेक्षाओं के अनुकूल नहीं चलता। जो तुम्हारे पीछे चलता है, वह तुम्हें नहीं बदल सकता। और बड़ा कठिन है उस आदमी के पीछे चलना, जो तुम्हारे पीछे न चलता हो; अति दूभर है। रास्ता अत्यंत कंटकाकीर्ण है फिर। शिष्य के मन में संदेह हो--संदेह होगा। इतनी श्रद्धा भर काफी है कि वह बिना अपेक्षा किए गुरु के पीछे चल पाये।
गुरु के व्यवहार से गुरु को मत नापना; क्योंकि हो सकता है, व्यवहार तो सिर्फ तुम्हारे लिए आयोजित किया गया हो।
बिन बाती बिन तेल--(सूफीकथा) प्रवचन--14
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himanshubhai · 5 years
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आपको इन 9 बातो का पालन करना चाहिए  आज व्यवसाय में सफल होने के लिए, आपको लचीला होना चाहिए और अच्छी योजना और संगठनात्मक कौशल होना चाहिए। बहुत से लोग यह सोचकर एक व्यवसाय शुरू करते हैं कि वे अपने कंप्यूटर चालू करेंगे या अपने दरवाजे खोलेंगे और पैसा बनाना शुरू करेंगे, केवल यह पता लगाने के लिए कि किसी व्यवसाय में पैसा बनाना जितना उन्होंने सोचा था उससे कहीं अधिक कठिन है। आप अपना समय निकालकर अपने व्यावसायिक उपक्रमों में इससे बच सकते हैं और सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक सभी आवश्यक कदमों की योजना बना सकते हैं। 1. व्यवस्थित हो जाओ व्यवसाय में सफल होने के लिए आपको संगठित होने की आवश्यकता है। संगठन आपको कार्यों को पूरा करने और किए जाने वाली चीजों के शीर्ष पर बने रहने में मदद करेगा। ऐसा करने का एक अच्छा तरीका प्रत्येक दिन एक टू-डू सूची बनाना है। जैसा कि आप प्रत्येक आइटम को पूरा करते हैं, इसे अपनी सूची से जांचें। यह सुनिश्चित करेगा कि आप कुछ भी नहीं भूल रहे हैं और आप उन सभी कार्यों को पूरा कर रहे हैं जो आपके व्यवसाय के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं। 2. विस्तृत रिकॉर्ड सभी सफल व्यवसाय विस्तृत रिकॉर्ड रखते हैं। विस्तृत रिकॉर्ड रखने से, आपको पता चल जाएगा कि व्यवसाय वित्तीय रूप से कहां खड़ा है और आपको किन संभावित चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। बस इसे जानने से आपको उन चुनौतियों से पार पाने के लिए रणनीति बनाने का समय मिलता है। 3. अपनी प्रतियोगिता का विश्लेषण करें प्रतियोगिता बेहतरीन परिणाम देती है। सफल होने के लिए, आप अपने प्रतिस्पर्धियों से अध्ययन और सीखने से डर नहीं सकते। आखिरकार, वे कुछ ऐसा कर सकते हैं जो आप अधिक पैसा बनाने के लिए अपने व्यवसाय में लागू कर सकते हैं। (संबंधित पढ़ने के लिए, देखें: मैं अपनी कंपनी के प्रतिस्पर्धी लाभ का निर्धारण कैसे करूं?) 4. जोखिमों और पुरस्कारों को समझें सफल होने की कुंजी आपके व्यवसाय को बढ़ने में मदद करने के लिए गणना जोखिम ले रही है। एक अच्छा सवाल यह है कि "नकारात्मक पक्ष क्या है?" यदि आप इस प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं, तो आप जानते हैं कि सबसे खराब स्थिति क्या है। यह ज्ञान आपको गणना किए गए जोखिमों के प्रकार लेने की अनुमति देगा जो जबरदस्त पुरस्कार उत्पन्न कर सकते हैं। 5. रचनात्मक बनें हमेशा अपने व्यवसाय को बेहतर बनाने के लिए और प्रतियोगिता से बाहर खड़े होने के तरीकों की तलाश में रहें। पहचानें कि आप सब कुछ नहीं जानते हैं और नए विचारों और अपने व्यवसाय के लिए नए दृष्टिकोणों के लिए खुले रहें। 6. फोकस्ड रहें पुरानी कहावत, "रोम एक दिन में नहीं बनाया गया था," यहां लागू होता है। सिर्फ इसलिए कि आप एक व्यवसाय खोलते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि आप तुरंत पैसा बनाना शुरू कर देंगे। लोगों को यह बताने में समय लगता है कि आप कौन हैं, इसलिए अपने अल्पकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करें। 7. बलिदान करने के लिए तैयार करें व्यवसाय शुरू करने का नेतृत्व कठिन काम है, लेकिन आपके दरवाजे खोलने के बाद, आपका काम शुरू हो गया है। कई मामलों में, आपको अपने से अधिक समय लगाना होगा यदि आप किसी और के लिए काम कर रहे हैं, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि सफल होने के लिए परिवार और दोस्तों के साथ कम समय बिताना। 8. महान सेवा प्रदान करें कई सफल व्यवसाय हैं जो यह भूल जाते हैं कि महान ग्राहक सेवा प्रदान करना महत्वपूर्ण है। यदि आप अपने ग्राहकों के लिए बेहतर सेवा प्रदान करते हैं, तो अगली बार जब वे आपके प्रतियोगिता में जाने के बजाय उन्हें कुछ चाहिए, तो वे आपके पास आने के लिए अधिक इच्छुक होंगे। 9. सुसंगत रहें व्यवसाय में पैसा बनाने के लिए संगति एक प्रमुख घटक है। आपको लगातार ऐसा करना होगा जो दिन और दिन सफल होने के लिए आवश्यक है। यह दीर्घकालिक सकारात्मक आदतों का निर्माण करेगा जो आपको लंबे समय में पैसा बनाने में मदद करेगा। जो भी प्रकार का व्यवसाय आप शुरू करना चाहते हैं, इन नौ युक्तियों का उपयोग करके आप अपने उद्यम में सफल हो सकते हैं।
http://www.mybusinessideas.online/2019/03/9.html
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